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Adultery ठाकुर ज़ालिम और इच्छाधारी नाग

आपका सबसे पसंदीदा चरित्र कौनसा है?

  • कामवती

  • रतिवती

  • रुखसाना

  • भूरी काकी

  • रूपवती

  • इस्पेक्टर काम्या

  • चोर मंगूस

  • ठाकुर ज़ालिम सिंह /जलन सिंह

  • नागेंद्र

  • वीरा

  • रंगा बिल्ला


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Raja maurya

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चैप्टर -1, ठाकुर कि शादी, अपडेट 3
इसी वक़्त काली पहाड़ी से 2km दूर एक मंदिर स्थित था

जहाँ एक तांत्रिक साधना मे लीन था और उसके सामने हाथ जोड़े ठकुराइन रूपवटी बैठी थी
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प्रतीक्षा कर रही थी कि कब तांत्रिक बाबा आंखे खोले,
तांत्रिक उलजुलूल
उम्र 50साल, काला कलूटा दुबला पतला
सम्भोग मे कोई दिलचस्पी नहीं सारा ध्यान अपनी तपस्या मे.
लंड तो 12इंच और 5 इंच मोटा है लेकिन उसका कोई उपयोग नहीं
लंड किसी सांप कि तरह लटका रहता है. तांत्रिक हमेशा नंगा ही रहता है
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रूपवाती बैठी बैठी तांत्रिक के आंख खोलने का इंतज़ार कर रही थी अचानक उसकी नजर तांत्रिक उलजुलूल के लंड मे पड़ती है
ठकुराइन दंग रह जाती है कि ऐसा भी हो सकता है किसी का
और अपनी आंखे बंद कर लेती है और अपने विचारों मे खो जाती है
हे भगवान ये कैसी नियति है तेरी नाम मेरा रूपवाती और रूप दिया ही नहीं? बद्दी काली कलूटी मोटी क्यों बनाया मुझे?
मेरा पति ज़ालिम ठाकुर जिसके पास 3इंच का लंड है कभी सुख ही नहीं दे पाया और एक ये तांत्रिक उलजुलूल है जिसके
पास इतना बड़ा लंड है लेकिन किसी काम का नहीं.
जिसको देना चाहिए उसको दिया नहीं और जिसको नहीं चाहिए उसको भर भर के दिया
हे भगवान.....!

शांत हो जाओ रूपवाती इसमें तुम्हारा दोष नहीं है नियति ने कुछ अच्छा ही लिखा है तुम्हारे लिए
रूपवाती आवाज़ सुन के चौक गई.
ये आवाज़ तांत्रिक उलजुलूल कि थी जो कि ध्यान से बाहर आ चुके थे और ठकुराइन कि मन कि बात पढ़ ली थि.
तांत्रिक :- रूपवाती ऐसा नहीं सोचते नियति ने सभी को सब सोच समझ के ही दिया है, तुम्हे सम्भोग सुख सुंदरता नहीं मिली इसका भी कोई कारण होगा?
रूपवती :- बाबा मै हिम्मत हार चुकी हूँ मेरे पति मे मुझे मेरी कुरूपता के चलते छोड़ दिया है और सुना है कि दूसरी शादी करने जा रहे है..
तांत्रिक :- चिंता मत करो बेटी ये शादी नियति का फल है.
परन्तु मेरे पास एक उपाय है जिस से तुम्हारी कया पलट हो जाएगी.
रूपवती ख़ुश हो गई "वाह ऐसा हो सकता है बाबा "
तांत्रिक :- क्यों नहीं हो सकता?बस थोड़ा मुश्किल है
रूपवती :- आप उपाय बताइये बाबा मै कुछ भी करने को तैयार हूँ?
तांत्रिक :- ऐसा है तो तुम्हे एक इच्छाधारी नाग ढूंढ़ना होगा और उसके साथ सहवास करना होगा
जब नाग तुम्हारी योनि मे स्खालित होगा तब उसकी समय तुम्हारी काया पलट हो जाएगी.
तुम अति सुन्दर गोरी हो जाओगी.
रूपवती :- लेकिन ऐसे कैसे होगा बाबा?
तांत्रिक :- उसके लिए तुम्हे मेरा आशीर्वाद लेना होगा, पूर्ण नंग अवस्था मे.
रूपवती समझ नहीं पाई कैसा आशीर्वाद?
तांत्रिक :- तुम्हे मेरा वीर्य पीना होगा? लेकिन तुम मेरे लिंग को हाथ नहीं लगा सकती
मेरे वीर्य मे है मेरी शक्ति है मेरा आशीर्वाद है



दूसरी तरफ काली पहाड़ी मे बने रंगा बिल्ला के अड्डे पे
रुखसाना का ब्लाउज उतर चूका था
दो गोलाकार मोटे मोटे सुडोल स्तन चिमनी कि रौशनी मे चमक रहे थे
रुखसाना बिल्ला का लंड पकडे चूस रही थी और किसी कुतिया कि तरह रंगा के सामने अपनी गांड हिला रही थी
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अब रंगा का सब्र जवाब दे जाता है वो तुरंत उठता है और एक जोरदार झापड़ रुखसाना कि गांड पे जड़ देता है
रंगा :- छिनाल साली गांड हिलती है, मुझे उकसाती है बहुत भारी पड़ेगा और एक चाटटाक थप्पड़ दूसरी गांड पे जड़ देता है
रुखसाना दर्द से बिलबिला उठती है लेकिन मुँह मे बिल्ला का लंड गले तक फसे होने के कारण आवाज़ नहीं निकल पाती
उतने मे रंगा रुखसाना का लहंगा पकड़ के खींच देता है
वाह क्या गांड है गोरी गोरी गांड पे थपड के दो लाल निशान
रंगा बिल्ला गांड देख के पागल हो जाते है और अपना एक एक हाथ गांड पे रख के सहलाने लगते है
वासना अपनी चरम सीमा पे थी इस कमरे मे.
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उधार 2km दूर मंदिर मे रूपवती हैरान परेशान थी कि आशीर्वाद कैसे ले
ऐसा उसने कभी किया ही नहीं था हालांकि रूपवती सम्भोग कि भूखी थी परन्तु बिना हाथ लगाए वो वीर्य कैसे पीयेगी?
वो भी तांत्रिक जिसे काम वासना मे कोई दिलचस्पी ही नहीं है.
क्या करेगी नियति अब?
रूपवती आशीर्वाद स्वरुप वीर्य पी पायेगी?
रूखसाना के साथ आज विचित्र सम्भोग होने वाला था
ये इच्छाधारी नांग कौन है?
क्या ठाकुर शादी कर पाएंगे?
बने रहिये अपने दोस्त andy pndy के साथ इस रोमांचक सफर पे.
Nice update Bhai
 

Raja maurya

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चैप्टर 1 ठाकुर कि शादी, अपडेट-4

ठकुराइन रूपवती विचार अवस्था मे बैठी हुई थी कि कैसे करे? कभी अपने पति का वीर्य तक नहीं पिया
कैसे इस तांत्रिक का वीर्य पी ले?
तांत्रिक :- किस सोच मे डूबी हो ठकुराइन? यही तो परीक्षा का समय है
खुद पे विश्वास करो सिर्फ काला रंग ही सुंदरता का प्रमाण नहीं है सम्भोग कला भी कोई चीज है.
तुम मे वो कला विधमान है, पहचानो खुद को
परिचय दो अपने जिस्म का, लाभ उठाओ ऐसे गदराये बदन का
देखो खुद को क्या किसी से कम हो?
रूपवती विचार करती रही, तांत्रिक कि बातो से प्रभावित हुई
खुद को निहारने लगी, कहाँ कमी है मुझमे बस रंग ही तो काला है
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चुत तो मेरे पास भी है गांड भी है जो दुसरो से कही ज्यादा बड़ी है
ये सब सोचते हुए रूपवती आत्मविश्वास से लेबरेज़ होती जा रही थी.
आखिर कार वो निर्णय ले लेती है कि मुझे ये करना ही है चाहे जैसे करे तांत्रिक को उत्तेजित कर के उनका वीर्य निकलना ही था.
अपने स्थान से उठ खड़ी होती है और तांत्रिक कि तरफ बढ़ चलती है अपनी बड़ी गांड हिलाती हुई.
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दूसरी तरफ रंगा बिल्ला के अड्डे पे
रुखसाना पूरी तरह नंगी हो चुकी थी, चुत पे एक भी बाल नहीं था बिल्कुल चिकनी गोरी चुत थी जिसे रंगा घूरे जा रहा था और रुखसाना बिल्ला का लंड चूसने मे बिजी थी.
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वाह रांड क्या लंड चुस्ती है बिल्ला ऐसा कह के और हौसला बढ़ाता है
रुखसाना गले तक लंड सुड़प रही थी, होंठ के दोनों तरफ से लार थूक टपक रही थी.
तभी रंगा बोलता है क्यों बिल्ला दारू पियेगा और
बिल्ला :- हाँ भाई पीला नेकी और पूछ पूछ
रंगा :- लेकिन आज दारू रुखसाना रंडी पिलाएगी?
क्यों छिनाल पिलाएगी ना?
रुखसाना :- जरूर मालिक खुद अपने हाथो से पिलाऊंगी लंड मुँह से निकालते हुए बोलती है.
रंगा :- ऐसे नहीं रांड हाथ से नहीं पीना है आज.
आज गांड से पिएंगे हाहाहाहाहा क्यों बिल्ला?
रुखसाना कुछ समझ नहीं पाती कि क्या कहना चाह रहा है
उतने मे ही रंगा दारू कि बॉटल उठता है और घोड़ी बनी रुखसाना कि गांड मे घुसेड़ देता है और जब तक रुखसाना कुछ समझ पाती दारू उसकी गांड मे जाने लगती है धुलुक धुलुक कर के.
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रंगा :- सुन रांड आज तेरी गांड से जाम पिएंगे एक भी बून्द बाहर नहीं गिरनी चाहिए
ऐसा कह के खाली बॉटल उसकी गान से हटा लेता है, पूरी 1लीटर शराब रुकसाना कि गांड मे समा चुकी थी.
बिल्ला :- एक भी बून्द बाहर गिरी तो मार मार के गांड लाल कर दूंगा तेरी.
ये सुन के रुखसाना अपनी गांड का छेड़ टाइट कर लेती है, ऐसा नहीं था कि वो उन दोनों कि धमकी से डर गई थी
उसे मजा आता था ऐसे वहसी पन मे, एक अजीब सी झुरझुरी होती थी ऐसे सम्भोग मे.
उधर बिल्ला वापस एक ही बार पे अपना लंड रुखसाना के गले तक उतर देता है, रुखसाना इस हमले से चौक जाती है लेकिन अपनी गांड नहीं खोलती....
रंगा घोड़ी बनी रुखसाना कि गांड के छेद को अपनी ऊँगली से कुरेदने लगता है, रुखसाना हवस के मारे घनघना जाती है परन्तु गांड नहीं खोलती है.
रेस लग चुकी थी रंगा को दारू पीनी थी लेकिन रुखसाना को गांड भी नहीं खोलनी थी अजब कसमाकस मे थी अपनी रुखसाना.
लेकिन ऐसा मजा ऐसा सुकून उसे नहीं मिला था अभी तक आज ये कुछ नया था शायद यही उसका इनाम था आज सम्भोग और वासना कि नई ऊचाई को छूना था.
बिल्ला मुख चोदन किये जा रहा था, थकने का नाम ही नहीं था. और रुखसाना के स्तन आज़ाद उछल कूद मजा रहे थे.
इधर रंगा रुखसाना कि गांड पे ढेर सारा थूक देता है और लगातार गांड चाटता रहता है.
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क्या गांड है रंडी तेरी, दारू पीला मुझे अपनी गांड से खोल अपनी गांड.
रुखसाना :- इतने ही मर्द हो तो खुद खोल के पी लो.
ये बात तो रंगा बिल्ला कि मर्दानगी पे चोट थी.
बिल्ला :- रांड तेरी गांड भी खोलेंगे और जाम भी लगाएंगे देख तू मर्दानगी ऐसा बोल के बिल्ला रुखसाना के मुँह मे ही झड़ने लगता है. आह.... रांड छिनाल क्या मुँह है मजा आ गया
क्या चुस्ती है लंड तू.
रुखसाना एक बून्द भी बाहर नहीं गिरने देती और सारा वीर्य सुड़प सुड़प कर के गटक जाती है.
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ये देख के बिल्ला के चेहरे पे स्माइल आ जाती है रुखसार भी हस देती है लेकिन गांड नहीं खोलती.

बिल्ला थोड़ा साइड बैठ के चिकेन लेग पीस उठा लेता है और खाते हुए रंगा को गांड चाटते हुए देखता है.
बिल्ला :- क्यों बे साले आज गांड ही खायेगा क्या ले थोड़ा मुर्गे कि टांग भी खा ले.
रंगा को कुछ सूझता है और वो एक लेग पीस उठा के रुखसाना कि पानी छोड़ती चुत पे रख चुत सहलाने लगता है
रुखसाना चौक जाती है कि रंगा क्या करने वाला है.और आनंद से आंख बंद कर लेती है
अब रुखसाना इस खेल से बिल्कुल मदहोश हो चुकी थी ऐसा लगता है कि कभी भी झड सकती है यदि ऐसा हुआ तो गांड ढीली पड जाएगी और शराब निकल के जमीन पे गिर जाएगी.
ऊपर से शराब के कारण रुखसाना कि गांड अंदर से बहुत गरम हो गई थी वो चाहती थी कि बस उसकी गांड मार के स्खलित कर लिया जाये.
Mast update Bhai
 

andypndy

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कहानी पढ़कर एक अलग ही प्रकार का आनंद प्राप्त होता है
आप लोगो का आनन्द ही मेरी खुशी है 👍
बने रहिये....😃
 

Raja maurya

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update 4 contd

रुखसाना अब चुदना चाहती थी लेकिन ये शर्त भी जितना चाहती थी.
अब रंगा चिकन लेग पीस को हड्डी कि तरफ से लार टपकाती चुत मे घुसेड़ देता है
रंगा : ले रंडी खा चिकेन
रुखसाना जलन और हवस के मारे घन घना जाती है उसके हाथ जवाब दे जाते है वो अपना सर नीचे फर्श पे रख के निढाल हो जाती है इस वजह से उसकी गांड और खुल के ऊपर को उठ जाती है.

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अब रंगा लेग पीस को अपने दांतो मे पकड़ के आगे पीछे करने लगता है ऐसा रोमांच रुखसाना को हवा मे उड़ा देता है.
लेग पीस चुत के पानी से पूरा भीग चूका था उसका मसाला चुत मे समा चूका था.
रुखसाना :- आह मेरे मालिक मुझ पे दया कीजिये, चोदिये मुझे हाथ जोड़ती हूँ जोर जोर से चोदीये.
इस विनती का रंगा पे कोई असर नहीं था वो तो बस चुत के पानी मे लिपटे चिकेन को खाये जा रहा था और अपनी तीखी जबान से गांड चाटे जा रहा था.
रुखसाना जलन के मारे बेबस थी उसकी ऐसी हालात कभी नहीं हुई थी.
लेग पीस ख़त्म हो चूका था रंगा अभी भी चुत चाटे जा रहा था कभी दाँत से काटता, तो कभी मुँह मे भर के चूसता.
चुत के अंदर घुसे मसाले को चूस चूस के खाना चाहता था.
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रंगा :- वाह मेरी रांड चिकेन तो शानदार बनाया तूने.
रुखसाना:- मालिक सब आपके लिए है आह धीरे धीरे चाटिये. मै झाड जाउंगी.
ये सब देख के बिल्ला का लंड वापस से उफान मारने लगा था.
वो भी रुखसाना के पीछे आ जाता है अब
हमला दो तरफ़ा हो गया था....
रंगा चुत चाट रहा था बिल्ला गांड उन्हें किसी भी हालात मे गांड का जाम पीना ही था...
क्या रुखसाना धैर्य रख पायेगी?
रूपवती क्या करने वाली है अब?
बने रहिये... सफर जारी है
Nice update Bhai
 

Raja maurya

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चैप्टर 1, ठाकुर कि शादी, अपडेट 5

काली पहाड़ी से 2km दूर मंदिर मे रूपवती तांत्रिक कि तरफ बढ़ती है और हाथ जोड़ के धन्यवाद करती है
रूपवती :- धन्यवाद बाबा मुझमे विश्वास पैदा करने के लिए, मेरे अंदर कि नारी को जगाने के लिए
मै आपका आर्शीवाद जरूर प्राप्त करूंगी, आपका वीर्य ग्रहण करूंगी
तांत्रिक :- इतना आसान नहीं होगा ठकुराइन मेरा आशीर्वाद पाना
रूपवती :- मै इस कुरूपता को त्यागने के लिए कुछ भी कर सकती हूँ बाबा, उस ठाकुर ज़ालिम सिंह ने मुझे मेरी कुरूपता कि वजह से त्यागा है उसको सबक सिखाने के लिए, असली रूपवती बनने के लिए मै किसी भी हद तक जा सकती हूँ
ऐसा सुन के तांत्रिक उलजुलूल अपने स्थान पे बैठ गया, जो कि पत्थर का कुर्सीनुमा सिंघासन था
तांत्रिक अपने दोनों पैर फैला के बैठ गया जिस वजह से उसका 12इंच का लिंग दोनों पैर के बीच किसी सांप कि तरह झूल रहा था

ये नजारा देख रूपवती सिहर उठती है साथ ही मन मे एक मदहोसी सी उठती है इतने बड़े लिंग को देख कर
रूपवती आगे बढ़ती है और पास रखे कटोरे को तांत्रिक के लिंग के नीचे रख देती है और बाबा को प्रणाम करती हुई पीछे हटती है..
आज उसे वो काम करना था जो आजतक नहीं किया था
रूपवती तांत्रिक कि आँखों मे देखती है और धीरे से अपनी साड़ी का पल्लू सरका देती है जिस वजह से रूपवती के बड़े बड़े काले स्तन कि घाटिया उभर के सामने आ जाती है
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तांत्रिक एक टक स्तन को घूरने लगता है लेकिन चेहरे पे कोई भाव नहीं आता, आंखे पथराई सी रहती है.
रूपवती मन मे :- कैसा पत्थर इंसान है ये तांत्रिक
साथ ही अब अपनी पूरी साड़ी खोल चुकी थी, रूपवती समझ चुकी थी कि ये उसकी परीक्षा है उसे अपने शरीर से एक पत्थर को पिघला के उसका रस निकालना था.

वही रंगा बिल्ला के अड्डे पर रुखसार कामवासना मे जल रही थी, हवस से उसकी आंखे लाल हो गई थी उसकी चुत और गांड मे लगातार रंगा और बिल्ला कि जबान चल रही थी
दोनों ही उसकी गांड से शराब निकाल लेना चाहते थे.
रंगा अपनी जीभ को आगे से तिकोना करता है और पूरीजीभ रुखसाना कि चुत मे घुसा के आगे पीछे करने लगता है
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रुखसार के धैर्य का अब कोई ठिकाना ही नहीं था, फिर भी अपनी गांड को पूरी ताकत से भींचे अपने स्खलन को रोके हुए थी.
लज्जत से आंखे बंद थी ऐसा लग रहा था कि कोई तूफान गांड और चुत मे कैद है जो किसी भी कीमत पे आज़ाद होना चाहता है.
इधर बिल्ला रुखसाना कि गांड को चाट रहा था अपनी जीभ घुसाने कि कोशिश कर रहा था लेकिन रुखसाना पूरी ताकत से गांड भींचे आनंद कि चरम सीमा पे थी, कामवासना मे डूबा ऐसा बम थी जो कभी भी फट सकता था.परन्तु इस बम के फटने मे असीम आनंद था वो आनंद जो शारब का नशा भी देता
बिल्ला पूरी कोशिश करता है परन्तु सफल नहीं हो पाता वो अपना पूरा मुँह खोल के गांड के छेड़ के इर्द गिर्द कब्ज़ा कर लेता है जैसे खा ही जायेगा
रंगा ने भी बिल्ला को देखते हुई पूरी चुत मुँह मे भर ली और चुत के दाने को मुँह मे ले के जोर से दबा दिया....

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आआआ हहहह ..... नहीं आआआ हहहहहह
किसी शेरनी कि गर्जना करती रुखसाना भरभरा के रंगा बिल्ला के मुँह मे झड़ने लगी....
फट फट .... फुर्रररररर कि आवाज़ के साथ गांड खुल गई और ढेर सारी शराब तेज़ प्रेशर के साथ सीधा बिल्ला के मुँह मे जाने लगी, और कुछ नीचे रिसती हुई चुत के रास्ते रंगा के मुँह मे जाने लगी.
रुखसार बैदम सी निढाल ही के आगे को पसर गई लेकिन बिल्ला ने गांड को सहारा दे के उसे ऊपर कि तरफ ही टांगे रखा
और गांड से निकली शराब पिने लगे.
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एक भी बून्द जमीन मे नहीं गिरने दी,खूब चाट चाट के चूस चूस के जीभ गांड के अंदर डाल के, मुँह से खींच खींच के दोनों ने खूब शराब पी
शराब पिने ने ऐसा आनंद आज तक नहीं आया था....
जब पूरी शराब ख़त्म ही गई तो बिल्ला ने रुखसाना को छोड़ दिया.
रुखसाना किसी कटे पेड़ कि तरह ढह गई, लम्बी लम्बी सांसे खींचने लगी
ऐसा स्खलन उसे आज तक नहीं मिला था वो अंदर तक तृप्त हो चुकी थी.
अब रंगा बिल्ला शराब के नशे मे धुत रुखसाना को हाफ्ता देख रहे थे.... और जोर का ठाहका लगा रहे थे.
लंड अभी भी दोनों के बराबर खडे थे, आंखे हवस से भरी हुई थी...
रुखसाना समझ चुकी थी अब आगे क्या होना है


काली पहाड़ी से दूर मंदिर मे रूपवती अब सिर्फ ब्रा और पैंटी मे थी, तांत्रिक भी उसकीकाया देख के हैरान था
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ऐसी स्त्री उसने भी आज तक नहीं देखि थी
रूप वती तांत्रिक के सामने घुटनो पे बैठ जाती है और अपनी एक ऊँगली मुँह मे डाल के कुछ देर चुस्ती है, ऐसे चुस्ती है जैसे कि लंड को और ऐसा करते हुए रूपवती कि नजर तांत्रिक के लिंग पे ही थी
अब वो अपनी ऊँगली को बाहर निकलती है उसपे लगे थूक को तांत्रिक कि तरफ दिखा कर अपने होंठ पे फेरने लगती है
रूपवती खुद नहीं जानती थी कि वो ऐसा कैसे कर ले रही है उसने तो कभी ऐसा देखा सुना ही नहीं था.
अपनी मनमोहनी अदाओ से रूपवती तांत्रिक को रिझा रही थी.
रूपवती अपने होंठो को गोल कर के ऊँगली अंदर बाहर करने लगी, थूक रिसते हुए ब्रा मे कैद स्तन पे गिर रहा था.
इतना थूक गिरा रही थी कि ब्रा गीली हो चली थी.
गिलापन तो नीचे पैंटी मे भी उत्पन्न होने लगा था, रूपवती हैरान थी कि ऐसे कैसे हो रहा है कभी भी इतनी वासना हावी नहीं हुई कि पैंटी गीली हो सके. बिना किसी मर्द के छुए चुत गीली कैसे हो रही है.
क्युकी ठाकुर साहेब के साथ तो सम्भोग ना के बराबर ही था,
वासना मे डूबी रूपवती आज कुछ भी कर गुजरने को तैयार थी
रूपवती अपने काले घने बालो को खोल के लहरा देती है और दोनों हाथ सर के पीछे रख अपनी काली कांख(armpit) दिखाते हुए तांत्रिक कि आँखों मे देखती है...
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वासना से भारी आँखों से देखते हुए रूपवती अपनी नाक कांख के करीब लाती है और एक गहरी सांस लेती है आज ये खुसबू उसे मदहोश कर रही थी, पसीने और इत्र कि मिली जुली खुसबू मंदिर के इस छोटे से गुफा नुमा कमरे मे फ़ैल जाती है.
ये खुसबू तांत्रिक कि नाक मे पहुँचती है, तांत्रिक हल्का सा विचलित होता है परन्तु इस विचलन को रूपवती भांप नहीं पाती और अपनी जीभ निकल के पता नहीं किस आवेश मे अपनी कांख चाटने लगती है
आज तक ये काम घृणाप्रद था परन्तु आज यही काम सुख प्रदान कर रहा था.
काम वासना मे औतप्रोत रूपवती पूरी जीभ निकाल के अपनी कांख ऊपर नीचे चाटने लगती है और एकटक तांत्रिक कि आँखों मे देखती रहती है.
ऐसा ही वो अपनी दूसरी कांख के साथ करती है दोनों ही कांख थूक से पुरे गीले हो चुके थे, जबान थी कि फिसले ही जा रही थी, रूपवती कि शरीर बेहद गरम होने पे आया था ऐसा लगता था जैसे रूपवती जल के खाक हो जाएगी...
कथा जारी है
Nice update Bhai
 

Raja maurya

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अपडेट 5 contd....

अब ये गर्मी सहन से बाहर थी रूपवती अपनी एडियों के बल बैठ जाती है और पीछे हाथ ले जा के अपनी ब्रा का हुक खोल देती है

अब तांत्रिक भी बैचेन होने लगता है उसे कुछ देखना था, वो खजाना देखना था जो पर्दे के पीछे था.
टक.... कि आवाज़ के साथ ब्रा खुल के आगे को लटक जाती है परन्तु रूपवती उसे गिरने नहीं देती और एक हाथ से दोनों स्तन को ढक लेती है और एक हाथ सर के पीछे मदहोसी मे आंख बंद किये अपनी कांख को चाटने लगती है.
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ऐसा शानदार नजारा तांत्रिक क्या उसके पूर्वज ने भी कभी नहीं देखा था.
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तांत्रिक मन मे :- हे देवता ये स्त्री को समझ पाना भी कितना मुश्किल है, किसी ने सही कहाँ है जब कोई घरेलु औरत हवस, कामवासना पे उतर आये तो पत्थर तक़ पिघला दे.
रूपवती तांत्रिक कि आँखों मे देखती हुई धीरे धीरे अपने हाथ स्तन से हटा लेती है....
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आअह्ह्ह.... क्या नजारा था मोटे मोटे सुडोल स्तन धम से तांत्रिक के सामने छलछला गये.
ये नजारा देखते ही तांत्रिक के लिंग ने एक जोरदार झटका मारा और वापस लटक गया.
इस बार लिंग कि ये हरकत रूपवती कि नजर मे आ गई थी.
वो समझ चुकी थी कि वो सही रास्ते पर है... उसे और आगे बढ़ना होगा उसकी मेहनत सफल हो रही है
अब रूपवती भी गरम थी हवस से भरपूर थी, वो अपने घुटने के बल हाथ आगे कर के चौपया हो जाती है, ऐसा करते ही उसके स्तन आगे को लटक जाते है जैसे कोई दुधारू कुतिया हो.

इसी स्थति मे रूपवती घुटनो के बल किसी कुतिया कि तरह जीभ अपने होंठों पे फेरती हुई तांत्रिक कि और बढ़ चलती है और एक दम करीब पहुंच कर अपने दोनों स्तन ऊपर को उठा कर तांत्रिक को दिखाती है
और बारी बारी एक एक स्तन को हाथो से ऊपर नीचे हिला हिला के मादक अदा दिखाती है.
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तांत्रिक ऐसा नजारा देख के दंग रह जाता है उसे लगता है वो अपना कण्ट्रोल खो देगा.
इधर रूपवती खुद हैरान थी कि वो ऐसा कैसे कर पा रही है, लेकिन इसमें एक मजा था, एक कसक थी
रूपवती खुद अपनी हरकत से उत्तेजित होती जा रही थी.
अँधेरी गुफानूमा कमरे मे दिये कि मद्दम रौशनी मे आज कामवासना का खेल अपने चरम पे था.

उधर काली पहाड़ी रंगा बिल्ला के अड्डे पर भी नजारा कुछ कम नहीं था
मादकता चारो तरफ फैली थी शराब और चुत से निकले पानी कि खुसबू कमरे मे फ़ैल गई थी
हाफ़ती हुई रुखसाना को देख के रंगा मुस्कुराता है और उसके मुँह पे जा के बैठ जाता है.
रंगा:- चल रांड गांड चाट मेरी, ऐसा कह के अपनी गली गांड रुखसाना के होंठो पे रख देता है और उसके टट्टे रुखसाना कि नाक मे घुसे जाते है और लंड माथे पर टक्कर देता है
रुखसाना जो अभी अभी बुरी तरह झड़ी थी वो रंगा के लंड और गांड कि खुसबू पा के फिर उत्तेजित होने लगती है.
उसकी खास बात ही यही थी कि वो चुदाई से कभी थकती नहीं थी.
तुरंत अपनी जीभ निकल के रंगा कि गांड के छेद को कुरेदने लगती है बड़ा कसैला स्वाद था परन्तु उसे वो पसंद था.
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इधर बिल्ला चिकेन खाने और दारू पिने मे बिजी था और किसी भैसे कि तरह पड़ा हुआ रंगा कि गांड चटाई देख रहा था.
अब रुखसाना ने अपनी जीभ तिकोनी के रंगा कि गांड मे घुसाने कि कोशिश कि.
रंगा :- वाह रांड वाह तेरा कोई जवाब नहीं चाटने मे भी उस्ताद और चाटवाने मे भी उस्ताद.
रुखसाना :- मालिक सब आप कि ही कृपा है, अपने ही जगाया है मेरे अंदर कि रांड को
रंगा का लंड उत्तेजना मे पत्थर कि तरह कड़क हो जाता है और उछाल उछाल के रुखसाना के माथे पे चोट करने लगता है.
अब रुखसाना रंगा के टट्टे मुँह मे भर के चूस राही थी.

बिल्ला :- रांड मेरा भी चूस ले, या आज रंगा को ही पीयेगी. हाहाहाहाहा
इतना बोल के जमीन पे लेती रुखसाना के मुँह के पास आ के बैठ जाता है और अपने लंड कि चोट उसके गालो पे करने लगता.
रंगा अपना लंड रुखसाना के मुँह मे ठूस देता है बिल्ला भी कहाँ पीछे रहने वाला था

बिल्ला :- ले रांड मेरा लंड भी ले मुँह मे
अब रुखसाना के लिए एक लंड लेना ही मुश्किल था दो दो कैसे घुसाती मुँह मे, फिर भी कोशिश करती है और दोनों लंडो को पकड़ के एक साथ चाटने लगती है
रंगा एक हाथ पीछे ले जा के चुत के दाने से खेलने लगता है.
उत्तेजना और लज्जत कि वजह से रुखसाना हद से ज्यादा मुँह खोलती है और एक साथ दोनों लंड को अंदर ले लेती है.
अब हालात ये थे कि रंगा अपना लंड थोड़ा बाहर निकलता तो बिल्ला अपना भारी लंड गले टक ठूस देता, फिर बिल्ला लंड बाहर खींचता तो रंगा अपना भयंकर लंड जड़ तक़ थोक देता.

कमरे मे गु गु गुमममम फच फच कि आवाज़ गूंज रही थी. रुखसाना के मुँह से ढेर सारा थूक निकल निकल के फर्श पे गिरता जा रहा था.

रंगा लगातार रुखसाना कि चुत पे हाथ चलाये जा रहा था दोनों ही कोई रहम दिखाने के मूड मे नहीं थे
तीनो ही परम आनद कि चरम सीमा पे थे.
करीबन आधे घंटे हो गये थे मुख चुदाई को अब रंगा बिल्ला झड़ने वाले थे.
धप घप घप.... आअह्ह्ह आअह्ह्ह
हुंकार भरते हुए रंगा बिल्ला स्खालित होने लगे, मारे उत्तेजना के दोनों ने एक साथ ही अपना लंड रुखसाना के गले मे झाड तक़ ठूस दिया दोनों के टट्टे बुरी तरह रुखसाना के चेहरे पे दब गये थे.

भल भला के दोनों का वीर्य रुखसाना के गले और मुँह मे भरने लगा... एक मिनट तक़ दोनों ही अपने टट्टो को खाली करते रहे.
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पूरी तरह खाली होने के बाद दोनों रुखसाना के अजूबाजू ढह जाते है.
रुखसाना खासती घरघारती बेचैनी से पेट के बल पलट जाती है, उसकी सांसे किसी धोकनी कि तरह चल रही थी सारा वीर्य उसके पेट मे जा चूका था एक बून्द भी व्यर्थ नहीं गया था.
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रुखसाना तो वीर्य पी चुकी थी.
क्या रूपवती भी वीर्य पी पायेगी?
बने रहिये..... रूपवती कि अदाओ के साथ जल्दी मिलेंगे
Nice update Bhai
 

Raja maurya

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चैप्टर -1, ठाकुर कि शादी, अपडेट -6

कालीपहाड़ी के मंदिर मे
रूपवती तांत्रिक के सामने अपने स्तन को हिला हिला के रिझा रही थी आज वजन कुछ ज्यादा ही बड़ गया था उसके सतनो का
निप्पल बिल्कुल टाइट हो के खड़े थेजिन्हे रूपवती ऊँगली और अंगूठे मे पकड़ के कुरेद रही थी.
रूपवती अपने दाएं स्तन को उठा के अपने मुँह के पास लाती है और जीभ बाहर निकल के निप्पल पे रख देती है, ऐसा करते ही लज्जत हवस से उसकी आंखे बंद हो जाती है.
एक सुकून था जो कि आज तक़ कहाँ छुपा था पता नहीं, रूपवती आंखे बंद कर निप्पल को चाटती है और उसकी मुँह से आह आआह निकल जाती है.
इस आह मे एक आह और शामिल थी जो तांत्रिक के मुँह से निकलती है ऐसा नजारा देख आहहहह फुट ही पड़ती है.
परन्तु तांत्रिक कि आह, रूपवती के हवस भारी गुरराहट मे दबा जाती है
रूपवती कहाँ थी किसके सामने थी उसे कुछ नहीं पता था उसे बस अपने शरीर से खेलने मे आनंद प्राप्त हो रहा था वो इस खेल को पूरा खेल लेना चाहती थी.
इसी चाहत मे वो अपना बाया स्तन पकड़ के अपने मुँह मे लगा देती है और निप्पल को अपने दांतो तले चबाने लगती है.
ऐसा लगता था जैसे उसमे दूध बह रहा हो और वो एक एक बून्द चूस लेना चाहती हो.
अपनी जबान से लगातार बारी बारी दोनों निप्पल्स को कुरैदे जा रही थी... आज एक अलग ही भूख जग गई थी रूपवती के तन बदन मे.
इस गर्मी और हवस से तांत्रिक का बचे रह पाना भी नामुमकिन था.
रूपवती बदहवास सी तांत्रिक के लटके लंड के बिल्कुल गरीब पहुंच जाती है और अपनी लम्बी काली जबान निकाल के लंड को बिना टच किये ही सुड़प सुड़प जीभ चलाने लगती है जैसे कि कोई कुतिया लंड चाट रही हो.
कुतिया बनी रूपवती अपनी मोटी काली गांड पीछे कि और पूरी तरह उठा लेती है, और मुँह पूरा नीचे कर के लपड़ लपड़ जीभ चला रही थी जिस वजह से गांड धलक धलक हिल रही थी.
ये नजारा देख के तांत्रिक उलजुलूल के मुँह से काम भारी सिसक निकल ही जाती है आआहहहहह... और लंड झटके खा के उठने लगता है, परन्तु जैसे ही लंड रूपवती को छूने को होता है वह पीछे हट जाती है,
तांत्रिक मन मसोस के रह जाता है, रूपवती के पीछे हटने से उसकी गांड बहुत जोर से हिलती है, तांत्रिक कि नजर पूरी तरह रूपवती कि गाण्ड पर टीक जाती है.
अब रूपवती समझ चुकी थी कि उसकी गांड तांत्रिक को आकर्षित कर ही है
अब वो और हौसले के साथ अपनी काम क्रिया को अंजाम देने का इरादा कर लेती है.
इसी फिराक मे रूपवती एक दम पीछे को पलट जाती है.
अपनी मोटी बड़ी काली गांड छलकाती हुई तांत्रिक के सामने प्रस्तुत कर देती है, ये नजारा देखते ही तो तांत्रिक कि आंखे फटी कि फटी रह जाती है.
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तांत्रिक :- हे देवता ये क्या नजारा दिखाया तूने, आअह्ह्ह..... मेरा लंड क्या हो रहा है इसे.
आआहहहहह
आवाज़ सुंन के गांड हिलाती रूपवती बड़ी अदा मदहोशि के साथ गर्दन पीछे घुमाती है
पीछे का नजारा देख रूपवती आश्चर्य से बोखला जाती है. हे भगवान इतना बड़ा लंड ये नजारा देख के रूपवती कि चुत पानी छोड़ने लगती है पूरी पैंटी गीली हो चुकी थी जैसे किसी ने तेल मे भिगो दी हो.
पीछे का नजारा था ही कुछ ऐसा तांत्रिक का 12इंच 5इंच मोटा लंड जाग्रत अवस्था मे आ चूका था, इतना भयानक काला लिंग देख के किसी भी औरत के होश उड़ जाते.
तांत्रिक :- आअह्ह्हह्ह्ह्ह..... रूपवती ये क्या किया तूने आज पुरे 10 साल बाद मेरा लिंग खड़ा हुआ है.
आअहहा..... लिंग बिल्कुल सीधा खड़ा हो चूका था.
रूपवती जानती थी अब मंजिल दूर नहीं है, लेकिन मुश्किल भी यही था कि बिना हाँथ लगाए वीर्य निकालना.
रूपवती तांत्रिक के सामने घोड़ी बनी हुई थी अपनी गांड उठाये मादक अवस्था मे. कामवासना मे गिरफ्तार थी आज.
रूपवती दोनों हाथ पीछे ले जाती है और दोनों अंगूठे पैंटी के दोनों तरफ फसा के नीचे करने लगती है.
ऐसा करते हुए कमरे मे सिसकारिया गूंज उठती है एक तांत्रिक कि थी जो ये नजारा देखने के लिए मरा जा रहा था और दूसरी आवाज़ खुद रूपवती कि थी जो पीछे गर्दन घुमाये तांत्रिक कि आँखों मे एकटक देखे जा रही थी
अब रूपवती अपनी पैंटी आधी गांड तक़ नीचे कर चुकी थी, गांड के बीच कि दरार दिखने लगी थी, ऐसा लगता था जैसे दो काली पहाड़ियों के बीच एक पतली पगडंडी है यदि कोई इसपे चलने कि कोशिश करता तो जरूर फिसल जाता.
तांत्रिक का लंड लगातार हवा मे झटके मार रहा था
रूपवती पीछे देखती हुई एक दम से अपनी पैंटी पूरी नीचे खिसका देती है....
आआहहहह.... आअह्ह्ह.... सिसकारी भरती रूपवती आंखे बंद कर लेती है, मदहोशी इस कदर सर पे सवार थी कि गांड किसी भट्टी कि तरह जल रही थी, चुत से पानी ऐसे रिस रहा था जैसे बरसो कि बारिश के बाद कोई झरना बह रहा हो.
धम से करती हुई गांड आज़ाद हो चुकी थी, गांड के दोनों पाट अलग हो चुके थे, दोनों ही हिस्से अलग अलग दिशा मे जाते तो कभी वापस आ के एक दूसरे को टक्कर जड़ देते..इस टकराहट मे बीच कि काली पगडंडी दिख रही थी इस पगडंडी मे एक काला कुआँ था, कुएं के नीचे चुत रूपी झरना था जो पता नहीं आज कितने बरसो के बाद भलभला के बह रहा था.
चुत से रिसता पानी जांघो को भीगा रहा था, अंधेर मध्यम रौशनी मे रूपवती कि काली मोटी चिकनी गांड चमक रही थी.

तांत्रिक इस चिकनाहट पे पक्का फिसलने वाला था.
ये नजारा देख के एक बार तो तांत्रिक अपने लोडे के साथ ही अपने सिंघाहसन पे उछल पड़ा.
तांत्रिक :- रूपवती ये क्या नजारा दिखा दिया तूने आहाहाहा..... मजा आ गया.
आज तांत्रिक को भी कामवासना ने घेर लिया था, उसके मन मे भी कही ना कही सम्भोग कि लालसा जन्म ले रही थी नजारा ही कुछ ऐसा था.
परन्तु वो सम्भोग नहीं कर सकता था,वो अपने वचन से बंधा हुआ था वो सिर्फ वीर्यरुपी आशीर्वाद ही दे सकता था.
रूपवती अपने दोनों हाथो को पीछे ले जा के अपनी गांड के दोनों हिस्सों को अलग करती है और वापस छोड़ देती है, गांड के हिलने से रूपवती का पूरा बदन हिला जाता है.
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ऐसा ही रूपवती दो तीन बार करती है फिर अपनी लार टपकाती चुत पे हाथ रख के मसल देती है और खुद ही चीख पड़ती है....
आअह्ह्ह्ह...... मममममम... हे भगवान
चुत और ज्यादा पानी छोड़ने लगती है, पूरी हथेली गीली हो जाती है.
रूपवती अपने हाथ को अपनी नाक के करीब ला के देखने लगती है उसने आज तक़ इतना पानी नहीं छोड़ा था.
अपनी चुत से निकले पानी को सुघती है... आहहहह क्या खुशबू है ये गंध उसे अंदर तक़ आनंदित कर देती है
रूपवती मदहोशी मे अपना पूरा मुँह खोल के अपना हाथ चाटने लगती है, चाट चाट के हाथ साफ कर देती है फिर वापस तांत्रिक कि आँखों मे देखती हुई अपनी गांड का छेद को ऊँगली से कुरेदने लगती है.. ऐसा मजा उसे आजतक कभी आया नहीं था, आज जिस सुख से वो परिचित हुई वो हैरान थी कि आज तक़ ऐसे सुख से कैसे वंचित रही.
तांत्रिक भी ऐसे नज़ारे को देख कर दंग था, ऐसी काया ऐसा मदहोश बदन, ऐसी गांड आज तक नहीं देखि थी.
लगता था अब टिक पाना मुश्किल है.
काम मे डूबी रूपवती अपनी चुत से निकले पानी को हाथ मे ले ले के अपने गांड पे मलते जा रही थी जैसे किसी तेल से गांड कि मालिश कर रही हो.
गांड चुत जाँघ सब कुछ चुत के पानी से भर चूका था, हलकी रौशनी मे चमक बिखेर रही थी रूपवती कि चिकनी काली चुत और गाण्ड, रूपवती इतनी गरम हो चुकी थी कि वो कभी भी झड सकती थी, परन्तु खुद के स्सखलित होने से पहले उसे तांत्रिक को स्सखालित करना था.
वो अपने चरम पे थी, एक ऊँगली अपने मुँह मे ले के थूक से अच्छे से गीली करती है और ऊँगली को गांड के छेद पे फिराने लगती है... पहले ही चुत के पानी से चिकने गुदा द्वारा मे ऊँगली पोक करती हुई एक दम से अंदर चली जाती है रूपवती कि जोरदार सिसकारी गूंज जाती है. आअह्ह्ह.... आहहहह....
तांत्रिक का लिंग भी एक तगड़ा झटका लेता है और झड़ने के करीब ही था कि खुद को रोक लेता है और लम्बी सांस लेते हुए रूपवती को अपने गुदाद्वारा से खेलता देख मुस्कुरा देता है.
ये देख के रूपवती एक बार को हिम्मत हारती हुई लगती है, क्युकी वो तांत्रिक से पहले स्सखालित हो गई तो फिर वो कैसे वीर्य ग्रहण कर पायेगी?
लेकिन हवस अपनी परकाष्ठा पे थी, रूपवती को लगने लगा कि कही उसके प्राण ही ना निकल जाये... खुद के स्सखलन को रोकना था.
उसे हवन कुंड के पास एक गोल लकड़ी पड़ी दिखाई देती है जो कि करीबन 5 इंच लम्बी होंगी.
आव देखा ना ताव रूपवती उस लकड़ी को उठा के सीधा अपनी गांड मे पूरा जड़ तक घुसा देती है,आआहहहहह.... अह्ह्ह्हह.... एक जोरदारचीख गूंज उठती है इस चीख मे दर्द के साथ हवस भी समाई हुई थी,
लकड़ी पूरी जड़ तक घुस चुकी थी रूपवती कि टाइट गांड मे.
तभी उसकी गांड के छेद पर बहुत ही तेज़ प्रेशर से कोई गीली चिपचिपी चीज टकराती है,
अचानक हुए हमले से रूपवती पलट के देखती है तो तांत्रिक चिंघाड़ रहा था.
तांत्रिक :- आअह्ह्हह्ह्ह्ह रूपवती मेरा वीर्य मेरा आशीर्वाद ग्रहण कर.
पचाक पाचक..... पिच पिच....
करती वीर्य कि मोटी गाढ़ी धार रूपवती कि गांड चुत जाँघ को नहलाती चली गई, वीर्य गांड से होता हुआ कमर के रास्ते स्तन तक पहुंचने लगा क्युकी रूपवती कि गांड ऊपर और धड नीचे था.
रूपवती पूरी तरह वीर्य मे सन चुकी थी, लकड़ी का टुकड़ा अभी भी गांड मे ही फसा हुआ था वो चौपया बनी हुई ही अपना मुँह तांत्रिक कि तरफ घुमा लेती है परन्तु अब तांत्रिक का लिंग थोड़ा नीचे आ के लिंग के नीचे कटोरे को भरने लगता है.
आह्हः... आह्हः. रूपवती
ऐसा कह कर कटोरा एक के बाद एक निकलती वीर्य कि पिचकारियों से भरने लगता है.
रूपवती हैरान थी कि इतना वीर्य कैसे निकल सकता है.
1ltr का कटोरा पूरा भर चूका था, आखिर 10 साल से जमा किया हुआ वीर्य आज निकला था.
रूपवती पूरी वीर्य से सनी हुई कुतिया कि तरह बैठी निकलते वीर्य को देख रही थी.....
तांत्रिक का स्सखालन बंद हो चूका था, वह पूरी तरह होश मे था परन्तु थकान का कोई नामोनिशान नहीं था उसके चेहरे पे.
रूपवती मन मे :- कैसा पुरुष है ये कि इतना वीर्य निकलने के बाद भी थकान नहीं है अभी भी स्थिर बैठा है.
तांत्रिक :-वाह रूपवती तुम वाकई कमाल कि स्त्री निकली जो काम कोई नहीं कर पाया वो आज तुमने कर दिखाया.
मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है लो वीर्य ग्रहण करो, ऐसा बोल के वीर्य से भरा कटोरा रूपवती कि तरफ बढ़ा दिया..
रूपवती अभी भी अपनी हवस कि खुमारी से बाहर नहीं आई थी, वो शांत होना चाहती थी, स्सखालित होना चाहती थी लेकिन तांत्रिक अपना वीर्य निकाल चूका था
वो तुरंत उठ बैठी है और तांत्रिक के हाथ से कटोरा ले के अपने होंठो से लगा लिया और गटागट पिने लगी.... गुलुप गुलुप कर के गाढ़ा वीर्य उसके हलक से नीचे उतरने लगा,
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जैसे जैसे वीर्य पीती गई उसकी कामवासना ठंडी होती गई उसकी गर्मी ठंडाई मे बदलने लगी बिना स्सखालित हुए ही.
आहहहह..... क्या स्वाद था वीर्य का बिल्कुल अनोखा. बचे खुचे वीर्य को रूपवती कटोरे मे जीभ डाल डाल के साफ कर दिया.
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अब रूपवती पूरी तरह शांत हो चुकी थी, चुत का झरना बहना बंद हो चूका था जैसे तूफान के बाद शांति छा जाती है वैसे ही शांति छा गई थी कमरे मे.
तांत्रिक :- शाबाश रूपवती तुम मेरी परीक्षा मे पास हो गई, अब तुम्हे वाकई रूपवती होने से कोई नहीं रह सकता.
रूपवती :- कैसी परीक्षा बाबा, रूपवती वीर्य मे भीगी नंगी ही तांत्रिक के सामने हाथ जोड़े बैठी थी उसे अपार शांति का अनुभव हो रहा था..
तांत्रिक :- मै देखना चाहता था किं तुम उस इच्छाधारी नाग को अपने साथ सहवास करने के लिए मजबूर भी कर पाओगी या नहीं.
परन्तु जिस स्त्री ने मेरा वीर्य बिना हाथ लगाए स्सखालित करवा दिया वो स्त्री क्या नहीं कर सकती. शाबाश रूपवती
जाओ मंदिर के पीछे जलाशय मे खुद को साफ कर लो फिर बताता हूँ कि कैसे वो इच्छाधारी नाग तुम्हे मिलेगा?

रूपवती हाथ जोड़े नंगी ही अपनी मोटी काली भारीभरकम गांड मटकाती हुई कमरे से बाहर मंदिर के पीछे निकल पड़ती है.
अब उसकी चाल मे तब्दीली आ गई थी क्युकी अभी भी उसकी गांड मे लकड़ी का टुकड़ा फसा हुआ था.

उधर रंगा बिल्ला के अड्डे पर
रुखसाना जमीन पे पेट के बल लेटी हुई हांफ रही थी और आजु बाजू गिरे रंगा बिल्ला उसकी हालत देख के ठहाके लगा रहे थे.
रंगा :- क्यों रांड कैसा लगा?
रुखसना :- हाफ़ती हुई मालिक आप लोगो ने तो मेरी जान ही निकाल दी थी.
बिल्ला पास बैठे रुखसाना कि गोरी मखमली गुदगुदी गांड को घूरे जा रहा था....रुखसाना के हाफने कि वजह से गांड ऊपर नीचे हो रही थी, गांड का छेद खुल बंद हो रहा था.
ऐसा नजारा देख के बिल्ला फिर से जोश मे आ जाता है और तुरंत उठ के रुखसाना कि गांड दबोच लेता है रुखसाना कुछ समझ पाती उस से पहले ही बिल्ला अपने खुटे जैसे लंड जो कि वीर्य और रुखसाना के थूक से चमक रहा था रुखसाना कि गांड मे जड़ तक ठूस चूका था
आअह्ह्हह्ह्ह्ह.... आहहहह. कि जोरदार के साथ रुखसाना अपनी गर्दन और सर उठा के चीख पड़ती है.
माल्ललिक ... आआआ हहहहहह .....
जैसे कोई भेड़िया हुंकार भर रहा हो.

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बिल्ला को कोई फर्क नहीं पड़ता वो धचा धच धचा धच गांड चोदे जा रहा था.
पूरा बाहर निकाल के एक ही बार मे जड़ तक पंहुचा दे रहा था. रुखसाना हवस से भरी बेहाल थी और कुतिया बनी सिसकारी मार रही थी.....
रुखसाना :- आहहहह.... मालिक आअह्ह्ह... धीरे मालिक धीरे
बिल्ला :- चुप रंडी.... ले धचा धच धचा धच..... फच फच फच
अब ऐसा खूबसूरत नजारा देख के रंगा कैसे पीछे रहता वो भी खड़ा हो के लंड मसलता हुआ रुखसाना के पीछे आ गया.
और अपना लंड रुखसाना कि गांड पे टच करने लगा..
रुखसाना रंगा के इरादे भाम्प जाती है, कहाँ बिल्ला का लंड ही भारी पड़ रहा था ये रंगा भी आ गया.
रुखसाना :- नहीं मालिक गांड मे नहीं, आप चुत मे डाल लीजिये जैसा हमेशा करते है.
अक्सर रंगा बिल्ला चुत गांड मे ही एक एक कर के लंड डाल के चोदा करते थे. परन्तु आज इनाम देना था रुखसाना को.
बिल्ला :-चुप छिनाल और ऐसा बोल के तडातड़ गांड मारने लगता है और एक पैर से रुखसाना के सर को दबा के गांड ऊपर कि तरफ पकड़े दबादब चोदे जा रहा था.
रुखसाना तो पहले ही गरम थी अब तो उसकी वासना चरम पे पहुंच गई थी उसकी चुत लगातार पानी छोड़े जा रही थी, बिल्ला के हर धक्के के साथ चुत का रस किसी फव्वारे कि तरह चुत से निकल निकल के जमीन भीगाने लगा..
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रंगा और इंतज़ार नहीं कर सकता था वो भी पीछे आता है और एक ही धक्के मे बिल्ला के साथ अपना लंड भी पूरा जड़ तक रुखसाना कि गांड मे डाल देता है.
सच मायनो मे आज रुखसाना कि गांड फटी थी.
रंगा बिल्ला एक साथ लंड बाहर निकलते फिर एक साथ जड़ तक पेल देते, बिल्ला ने रुखसाना कि गर्दन दबाई हुई थी बस उसके मुँह से रह रह के मालिक आअह्ह्ह मालिक आह्हः धीरे मालिक.... Aaaa अह्ह्हभ धीरे ही निकल पा रहा था.
धकाधक चोदते हुए 15 मिनट हो चुके थे अब रुकसाना कि गांड भी उनके लंड पे एडजस्ट हो चुकी थी अब रुखसना मजे मे थी ऐसा मजा ऐसा आंनद आज तक नहीं मिला था.
दर्द के बाद ही असली मजा है.... अब रुखसना भी अपनी गांड पीछे दोनों के लोडो पे पटक पटक के चुद रही थी
आह्हः.... मालिक फाड़ो अपनी रंडी कि गांड, और मारो और अंदर,, फाड़ के बिखेर दो मेरी गांड आअह्ह्ह.....
रंगा बिल्ला :- ले रंडी ले छिनाल चुद, चुद अपने मालिकों से
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धचाधच फका फ़क.... फच फच के साथ और आधे घंटे पेलते रहे, वासना अपने चरम पे थी.
एक जबरजस्त हुंकार गूंज उठी, इसी हुंकार के साथ रंगा बिल्ला एक साथ अपनी पिचकारी छोड़ने लगे.

आहहहह.... पीच पीच..... पीच लगातार पिचकारी छूटती गई और रुखसाना कि गांड भरती गई.
रुखसाना भी अति उत्तेजना मे वीर्य कि गर्मी पा के भरभरा के झड़ने लगी
आअह्ह्ह... मालिक पचच्चाक पचच्चाक.... करके चुत भलभालने लगी.
अब तीनो ही ढेर हो चुके थे रंगा बिल्ला के लंड गांड से बाहर आ चुके थे.
रुखसाना अपनी गांड भींच के वीर्य को बाहर गिरने से रोकती है, और जोर से गांड भींच लेती है.
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अब सुबह हो चली थी.... वासना और हवस भरी रात बीत चुकी थी.
धमाकेदार चुदाई के बाद रंगा बिल्ला गहरी नींद मे जा चुके थे, और रुखसाना मुस्कराती हुई रंगा बिल्ला को देखती है और गांड भिचे ही अपने कपडे पहन लेती है. वीर्य अभी भी रुखसाना के गांड मे ही कैद था.
उधर मंदिर ने रूपवती खुद को साफ कर के वापस तांत्रिक के सामने हाथ जोड़े बैठी थी, वो अब कपडे पहन चुकी थी.
तांत्रिक :- सुनो रूपवती तुम्हे वो इच्छाधारी नाग "विषरूप" गांव मे मिलेगा जहाँ कभी इच्छाधारी साँपो कि बस्ती थी.
उस इच्छाधारी सांप के पास एक मणि है जिसे तुम्हे प्राप्त करना होगा, मै तुम्हे मन्त्र दूंगा वो मन्त्र, मणि हाथ मे ले के उस इच्छाधारी सांप के सामने बोलोगी तो वो आंशिक रूप से तुम्हारे काबू मे होगा, फिर उसके बाद तुम्हे पता ही है क्या करना है.
तथास्तु
ऐसा कह के तांत्रिक उलजुलूल वापस ध्यान मे चला गया.
अब सुबह हो चुकी थी
रूपवती के मन मे बहुत सी उम्मीदें जग चुकी थी अतिसुंदरी होने कि, ठाकुर ज़ालिम सिंह से बदला लेने कि.
इन्ही उम्मीदो को सजाये रूपवती मंदिर से बाहर निकल जाती है.
उसका घोड़ा वीरा बाहर ही बघघी से बंधा हुआ था. वीरा रूपवती का वफादार घोड़ा था.
रूपवती तुरंत बघघी मे बैठ अपनी हवेली निकल पड़ती है, उसकी गांड मे अभी भी लकड़ी का टुकड़ा फंसा हुआ था जो कि रह रह के गुदगुदी मचा रहा था, वासना कि टिस उठ रही थी आज रूपवती मे काफ़ी परिवर्तन आ चुके थे.
उधर रुखसाना भी अपना चेहरा ढके हुए अपनी गांड मे रंगा बिल्ला का वीर्य लिए निकल चुकी थी.
रास्ते मे रूपवती और रुखसाना एक दूसरे को क्रॉस करते है लेकिन कोई किसी का चेहरा नहीं देख पाता.

ये रुखसाना अपनी गांड मे रंगा बिल्ला का वीर्य क्यों दबाई हुई है?
और अब रूपवती कि जिंदगी मे क्या परिवर्तन आएंगे?
मंगलवार का दिन भी नजदीक था.
क्या ठाकुर कामवती से शादी कर पाएंगे?
बने रहिये इस कालजायी सफर मे अपने दोस्त andy pndy के साथ.
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Raja maurya

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चैप्टर -1, ठाकुर कि शादी, अपडेट -7

मंगलवार का दिन भी आ चूका था,
ठाकुर ज़ालिम सिंह कि हवेली मे सुबह से ही चहल पहल हो रही थी, घोड़ा गाड़ी पे सामान बांधे जा रहे थे. खूब अन्न गेहूं चावल फल मिठाईया बांध ली गई थी.
ठाकुर :- अरे हरामियों कालू, बिल्लू, रामु कहाँ मर गये सब के सब मेरी पगड़ी कहाँ है?
सब के सब हरामखोर है सालो कोमुफ्त खाने कि आदत पड़ गई है.
ठाकुर साहेब कपडे पहने जा रहे थे और भुंभूनाते जा रहे थे.
तभी कमरे मे छन छन पायल छनकाती भूरी काकी पगड़ी लिए खड़ी थी.

भूरी काकी
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उम्र 50 साल लेकिन आज भी कसा हुआ बदन है.
साइज 34-26-38 है,
उम्र होने के बावजूद भी स्तन और गांड का कसाव बारकरारा है.
या यु कहिये भूरी काकी पुरानी शराब कि तरह है जो वक़्त के साथ और ज्यादा नशीली होती जा रही है.
गांव मे इनकी बहुत इज़्ज़त है, ठाकुर भी इज़्ज़त से ही पेश आते है इनके सामने.
परन्तु ये अंदर से है बिल्कुल सुलगती भट्टी, हवस हमेशा दबी रहती है बस आगे से पहल नहीं करती.
इनकी 16 साल कि उम्र मे ही शादी हो गई थी, शादी मात्र 4 साल ही चल पाई इनका पति वक़्त से पहले ही भरी जवानी मे खेत मे काम करते वक़्त सांप काटने कि वजह से मारा गया था.
तब से आज तक भूरी ने सम्भोग नहीं किया, हालांकि रोज़ रात ऊँगली, बेंगन, खीरा, बेलन जरूर डालती है चुत मे जैसे तैसे अपनी हवस मिटाती है लेकिन शर्माहाट और शराफत के कारण कभी बाहर चुदवा ना पाई.
हाय री किस्मत... ऐसे मस्त बदन को भोगने वाला कोई था ही नहीं.
ठाकुर ज़ालिम कि माँ ने भूरी को हवेली के काम काज के लिए रख लिया था.
तब से आज तक भूरी हवेली कि सेवा मे ही रह गई.

भूरी काकी :- ये लीजिये ठाकुर साहेब पगड़ी पहनिये, ऐसा बोल के खुद अपने हांथो से पहना देती है.
वाह ठाकुर साहेब क्या लग रहे है, जँच रहे है
कामवती आपको देखते ही पसंद कर लेगी, ऐसा कह के एक काला टिका ठाकुर साहेब को लगा देती है.
ठाकुर :- काकी आप भी ना, हालांकि ठाकुर और भूरी कि उम्र मे ज्यादा अंतर नहीं था.
लेकिन सब भूरी को काकी ही बोलते थे क्युकी भूरी ठाकुर कि माँ कि सेवादारनी थी.
तो ठाकुर भी बचपन से ही भूरी को काकी ही बोलते थे.
काकी आप ना होती तो ये हवेली कैसे चलती, बाकि सब साले हरामी हो गये है.
भूरी काकी :- छोडीये गुस्सा मै उन्हें देख लुंगी, आप अच्छे काम के लिए जा रहे है गुस्सा थूक दीजिये.

कालू, बिल्लू, रामु तीनो ही ठाकुर के आदमी थे वफादार थे
बस प्यार कि भाषा नहीं समझते थे, ठाकुर जब तक चिल्लाता नहीं इनसे काम होता नहीं.
तीनो एक नंबर के हरामी शराबखोर और चोदने के शौक़ीन थे.
लेकिन वफादार गजब के.
तीनो एक जैसे ही दीखते थे,मुछे रोबदार hight 5.8इंच,चौड़ी छाती.
बिल्कुल लथेट, लंड भी तीनो के एक सामान 7इंच के काले मोटे बेंगन जैसे लंड.

इतने मे डॉ. असलम हवेली मे प्रवेश करता है
डॉ. असलम :- क्या ठाकुर साहेब कितना सजेंगे चलना नहीं है क्या?
कहाँ रह गये.
ठाकुर :- आओ असलम आओ... मै तुंहारी ही राह देख रहा था.
मै तो तैयार ही हूँ लेकिन वो तीनो हरामी घोड़ा गाड़ी तो तैयार करे.
डॉ. असलम :-हाहाहाहाहा क्या ठाकुर साहेब उन बेचारो पे चिल्लाते हो उन्होंने गाड़ी तैयार भी कर दि है.
तभी बिल्लू अंदर आता है, और सर झुका के बोलता है ठाकुर साहेब गाड़ी तैयार है सारा सामान लाद दिया है और गाड़िवान भी आ चूका है.
आप प्रस्थान कर सकते है, और यादि इज़ाज़त हो तो हम तीनो भी साथ चले?
ठाकुर :- नहीं हम अच्छे काम के लिए जा रहे है तुम तीनो मनहूसो को ले जा के काम नहीं बिगाड़ना मुझे.
तुम लोग हवेली मे ही रहो कोई चोर लुटेरा घुस गया तो फिर हो गई शादी.
ठाकुर हमेशा ही तीनो को लताड़ते रहते थे, तीनो थे भी इसी लायक कोई काम ठीक से करते ही नहीं थे.
जो करते कुछ ना कुछ बिगाड़ ही देते.
बस ठाकुर के प्रति हद से ज्यादा वफादार थे इसलिए अब तक हवेली मे टीके हुए थे.
डॉ.असलम और ठाकुर घोड़ा गाड़ी पे सवार हो के निकल चुके थे..
और पीछे रह गये थे तीनो जमुरे और भूरी काकी.

ठाकुर बहुत ख़ुश थे, उनका दिल चूहें कि तरह उछल रहा था,
ठाकुर :- असलम जैसा तुम बोलते हो क्या कामवती उतनी ही सुन्दर है?
असलम :- हाँ ठाकुर साहेब आप देखेंगे तो देखते ही रह जायेंगे.
ठाकुर का मन गुदगुदाने लगा,
सफ़र शुरू हो चूका था, ठाकुर जल्दी से जल्दी कामगंज गांव पहुंच जाना चाहते थे.

दूसरी तरफ कामगंज मे, रामनिवास का घर पे भी सुबह से गहमा गहेमी थी.
रामनिवास आज भी दारू पिने से बाज नहीं आया था, कामवती कि माँ रतीवती जब से रामनिवास को ढूंढे जा रही थी.
रतिवती :- कहाँ मर गया आज भी ये शराबी,कही शराब पिने तो नहीं बैठ गया कही.
अकेली ही सारी तैयारी करने मे लगी थी रतीवती.
गांव कि कुछ लड़किया भी आई हुई थी जो कामवती को सजाने मे लगी थी.
घर के एक तरफ हलवाई पकवान बना रहा था
तभी दरवाजे पे लड़खड़ाता रामनिवास आता है.
जिसे देख के रतीवती बुरी तरह आगबबूला हो जाती है.
रतिवती :- मै यहाँ अकेले मरी जा रही हूँ और ये हरामी शराब पी के मौज मे घूम रहा है.
ऐसा कह के रतीवती खूब खरी खोटी सुनाने लगती है.
लेकिन रामनिवास भी चिकना घड़ा था कहाँ असर पड़ता उसकी बातो का.
रामनिवास :- अरी भाग्यवान आज तो खुशी का मौका है, क्यों जल भून रही हो थोड़ी सी पी ली तो क्या गुनाह कर दिया.
वैसे भी ठाकुर साहेब अपनी कामवती को देखेंगे तो मना नहीं कर पाएंगे.
आखिर बेटी कि सुंदरता उसकी माँ पे जो गई है, ऐसा कह के रामनिवास गाल पे चीकूटी काट लेता है.
रतीवती घनघना जाती है उसके टच से, छोडो भी जाओ नहा धो लो हुलिया सुधारो ठाकुर साहेब कभी भी आते होंगे.
मै भी तैयार हो लेती हूँ, ऐसा कह के रतिवती अपने कमरे मे चली जाती है और रामनिवास बाथरूम कि तरफ बढ़ जाता है.


रतिवती आज बहुत ख़ुश थी क्युकी उसकि बेटी का रिश्ता बहुत बड़े घर मे होने वाला था, उसका सपना तो कभी पूरा हुआ नहीं कम से कम उसकी बेटी तो बड़े घर कि बहु बने, उसकी खूबसूरती तो काम आये.
कहाँ मै अभागी कुछ ना मिला मुझे ऐसा बोलते हुए शीशे के सामने खड़े हो कर वो अपनी साड़ी उतारने लगती है.
साड़ी उतारते ही उसके स्तन कि लकीर ब्लाउज मे से झाकने लगती है. क्या गोरे गोरे बड़े स्तन थे रतिवती के
स्तन के बीच लटकता मंगलसूत्र और भी ज्यादा कामुक लग रहा था.

ब्लाउज के नीचे बिल्कुल सपाट पेट, जिस पे कोई दाग़ नहीं नीचे चल के एक गहरी नाभि जिस से हमेशा खुशबू निकलती ही रहती थी एक मदहोश कर देने वाली खुशबू.
लेकिन किस्मत कि मार ऐसा कामुक गद्दाराये बदन कि किसी को कदर ही नहीं पती शराबी निकला.
शराब के अलवा कुछ दीखता ही नहीं.
रतिवती अपने ब्लाउज को उतार देती है रेड चोली मे कैद बड़े बड़े स्तन पूरी तरह छलक जाते है,
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रतिवती खुद को ही देख के शर्मा जाती है ऐसा ग़दराया बदन था रतिवती का. ना चाहते हुए भी एक हाथअपने दाये स्तन पे ले जाती है और सेहलाने लगती है आअह्ह्हह्म..... पुरे बदन मे सरसराहत चल पड़ती है स्तन से होती हुई नाभि के रास्ते एक करंट सीधा चुत तक पहुँचता है.
रतिवती बरसो से कामवासना कि आग मे जल रही थी, आज शादी के माहौल मे उसे कुछ कुछ हो रहा था लगता था जैसे उसकी बरसो से दबी इच्छा पूरी होने वाली हो.
तभी बाहर से आवाज़ आती है बीबी ज़ी ओह्ह्ह बीबी ज़ी.... सब्जी बना दि है चख के स्वाद देख ले.
ये हलवाई कल्लू राम था जो पास के ही गांव से आज रामनिवास के आग्रह पे खाना बनाने आया था...
रतिवती कि मदहोशी इस आवाज़ के साथ टूटती है... और वो पलट के सीधा दरवाजे के पास पहुंच के दरवाजा खोल देती है.
सामने हलवाई कल्लूराम खड़ा था... परन्तु ये क्या कल्लू राम अपना मुँह खोला एक टक रतिवती को देखे जा रहा था..
रतिवती हैरान थी कि ये कल्लूराम को क्या हुआ ये मूर्ति जैसा क्यों हो गया, अचानक उसे ध्यान आता है कि उसने तो साड़ी पहनी ही नहीं है वो तो सिर्फ ब्रा और पेटीकोट मे ही है.
रतिवती पे जो मदहोशी सवार थी उस चक्कर मे वो खुद को ही भूल गई थी कि किस अवस्था मे है और तुरंत दरवाज़ा खोल दिया था.
दरवाज़े के बाहर कल्लूराम ऐसा नजारा देख के आश्चर्य चकित था, ऐसा गोरा मखमली ग़दराया बदन उसने कभी देखा ही नहीं था वो अभी भी एकटक रतिवती के स्तन पे नजरें गाड़ाये सुध बुध खोये खड़ा था.
रतिवती तुरंत दरवाजा बंद कर देती है. और पलट के दरवाजे के सहारे टिक के लम्बी लम्बी सांसे खींचने लगती है.... हे भगवान ये क्या किया मैंने? इतनी बड़ी गलती? कल्लूराम हलवाई मेरे बारे मे क्या सोच रहा होगा?
कल्लूराम अभी भी दरवाजे के बाहर मूर्ति बने जस का तस खड़ा था.
तभी पीछे से बाथरूम से रामनिवास नहा के निकलता है और कल्लूराम को देख के आवाज़ देता है ओह कल्लूराम.... कल्लूराम ओह कल्लूराम
लेकिन कल्लूराम होश मे कहाँ था वो तो मन्त्रमुग्ध दरवाजे को घुरा जा रहा था जैसे कि वो पल थम गया हो उसके लिए.
तभी रामनिवास पास आ के कल्लूराम के कंधे पे हाथ रखता है, क्या हुआ कल्लूराम कुछ काम था क्या?
कल्लूराम :- वो वो वो वो..... बबबबबब मै क्या.... वो मै.... हाँ मै भाभीजी को बोलने आया था कि सब्जी चख लेती.
कल्लूराम हकलाता अटकता बोल ही चूका था.
रामनिवास :- हाँ तो खड़े क्यों हो दरवाजे पे, बोल दो अपनी भाभी को?
रतिवती ये सब बाते अंदर सुन रही थी वो अभी भी थोड़ी देर पहले हुए किस्से को अपने जेहन से निकाल नहीं पा रही थी. हे राम मै भी कैसी अंधी पागल हूँ जो ब्रा पेटीकोट मे ही दरवाजा खोल दिया, क्या सोचा होगा मेरे बारे मे?
तभी बाहर से रामनिवास कि आवाज़ अति है अरी भाग्यवन दरवाजा तो खोल दो, देखो कल्लूराम आया है सब्जी चख लो, वरना बाद मे मुझे ही बोलोगी कि कैसा हलवाई ले आया.
हुँह.... मै चलता हूँ कपडे पहन के बैठक कि तैयारी देख लेता हूँ.
ऐसा कह के रामनिवास वहाँ से चला जाता है.
कल्लूराम अब भी दरवाजे के बाहर सकपाकाया रतीवती का इंतज़ार कर रहा था.
रतिवती अब तक़ थोड़ा संभल चुकी थी...
Nice update Bhai
 
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andypndy

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चैप्टर :-4 नागमणि की खोज अपडेट -53

मांगूस बेहोशी के गर्त मे समाता चला जा रहा था.
और ऊपर हवेली मे असलम कामवती की मादक बड़ी गांड मे समाता जा रहा था.
गुदा छिद्र पे लगातार हमला कर रहा था,अपने होंठो से पकड़ पकड़ के चूस रहा था,बाहर को खिंच रहा था..
ऐसा स्वाद ऐसी महक कभी ना मिली थी असलम को,
कामवती भी ना जाने किस आनंद मे थी आंखे बंद किये दांतो तले होंठ दबाये लेती थी,गांड थूक से भर गई थी थूक रिसता हुआ नीचे जाता की तभी असलम जोर से सुर्रा मार के थूक वापस अपने मुँह मे खिंच लेता.
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कामवती को ये अहसास ना जाने किस विचार मे डूबाता जा रहा था उसके मानस पटल पे दृश्य उभर रहे थे
एक मनमोहक जंगल मे एक वो पूर्ण नग्न चट्टान पे झुकी पडी है,पसीने से लथ पथ लम्बी लम्बी सांसे भर रही है,बदन मे एक उत्तेजना दौड़ रही है उसका कारण था पीछे कोई नौजवान उसकी बड़ी गांड मे अपना मुँह धसाये हुआ था उसकी जबान कामवती की चुत और गांड को कुरेद रही थी.
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कामवती को लगता है जैसे उसके शरीर से कुछ निकलने वाला है,कोई गरम चीज चुत और गांड फाड़ के बाहर आ जाएगी.
सहना मुश्किल था...
आअह्ह्हभ........कामवती चिल्ला पड़ती है और आगे को गिर जाती है.
असलम जो उसकी गांड चूस रहा था एक दम बोखला जाता है.
"क्या हुआ...क्या हुआ....कामवती "?
कामवती जो बदहवास थी...आंखे खोले आसपास देखने लगी."ये कैसे दृश्य था,वो जंगल कैसा था?मै वहा क्या कर रही थी? वो युवक मेरी गन्दी जगह को क्यों चाट रहा था?कैसा मजा था वो?"
असलम :- क्या हुआ कामवती कुछ बोलो...पसीने पसीने क्यों हो गई. असलम बुरी तरह डर गया था क्युकी उसके मन मे पाप था.
कामवती खुद को संभालती है और लहंगा नीचे कर लेती है, "कुछ नहीं काका...लगता है बुरा सपना देखा मैंने "
असलम की जान मे जान आती है "कोई बात नहीं कामवती अब जहर निकल गया है डरने की कोई बात नहीं "
कामवती जो कही गुम थी....अच्छा काका अब उसके चेहरे पे डर का कोई नामोनिशान नहीं था.
"जो भी देखा वो सपना तो नहीं था"
तभी बाहर कदमो की आवाज़ आती है,असलम संभल के बिस्तर के पास खड़ा हो जाता है कामवती अभी भी लेटी हुई थी.
ठाकुर :- असलम मेरे दोस्त सांप तो मिला नहीं अब क्या होगा?
असलम :- डरिये मत ठाकुर साहेब सांप ज्यादा जहरीला नहीं था मैंने जहर निकाल दिया है. आज आराम करेगी तो कल तक ठीक हो जाएगी मै कुछ दवाई दे देता हूँ.
ठाकुर नाम से ही ज़ालिम था बाकि एक नंबर का बेवकूफ ये पूछने की जहमत भी नहीं उठाई की कैसे निकाला जहर? कहाँ काटा था सांप ने?
बेवकूफ था या असलम की दोस्ती पे विश्वास रखता था परन्तु इसी विश्वास की हत्या कर चूका था डॉ.असलम.
ठाकुर :- कैसे सुक्रिया अदा करू मेरे दोस्त तुम्हारा तुम ना होते तो ना जाने क्या होता मेरा.
असलम :- इसमें शुक्रिया की कैसी बात अपने मित्र कहा है मुझे ये तो मेरा फर्ज़ है.
वैसे इतना कुछ हो गया भूरी काकी नहीं दिखी? कहाँ है?
ठाकुर :- यही तो मुसीबत है जब जरुरत है तो भूरी काकी गायब है.
कालू रामु तुम दोनों जाओ और आस पास के गांव मे काकी की खबर लो कही कोई मुसीबत मे तो नहीं.?
"जी मालिक "
बिल्लू भी ठकुराइन की माँ को लेने गया है शाम तक रतिवती जी आ जाएगी फिर कोउ चिंता नहीं.
ठाकुर और असलम बात करते करते बाहर को निकाल जाते है.
अंदर कामवती उस दृश्य को भूल नहीं पा रही थी,उसके बदन मे एक अजीब सा संचार हो रहा था,एक उन्माद उठ रहा था.

सूरज सर पे चढ़ आया था
काली पहाड़ी मे स्थति एक गुफा नुमा कमरे मे.
"मेरे भाई बिल्ला देख मै आ गया हूँ " रंगा कमरे मे रुखसाना के साथ आ पंहुचा था.
बिल्ला अब काफ़ी स्वस्थ हो चूका था रंगा को देखते है उस से गले मिल बैठा,लगता था जैसे दो बिछड़े भई सालो बाद मिले है,
रंगा बिल्ला दो शख्स एक जान थे और उन्हें नया जीवन दिया था रुखसाना ने.
रंगा बिल्ला बहुत कुरुर थे,ज़ालिम थे ना जाने कितनी हत्या की थी
परन्तु आज वो दोनों ही रुखसाना के अहसान मंद थे.
रंगा :- कैसा है बिल्ला मेरे भाई? वो इंस्पेक्टर बोलता था की तू मरने की कगार पे है.
बिल्ला :- मै तो मर ही गया था लेकिन रुखसाना ने बचा लिया.
रंगा :- उस साले हरामजादे इस्पेक्टर को तो खून के आंसू रुलायेंगे बिल्ला उसकी सातों पुस्ते उसकी मौत याद रखेगी.
बिल्ला रुखसाना की और देखते हुए "रुखसाना आज तक कभी किसी ने मेरे लिए इतना नहीं किया जीतना तुमने किया, तुमने हमें नया जीवन दिया है.
बोलो क्या मांगती हो?
रुखसाना जो की ना जाने कब से इसी क्षण की प्रतीक्षा मे थी, यही वो समय था जिसके लिए उसने इतना कुछ किया.
रुखसाना :- मुझे अपने पति परवेज के हत्यारे का नाम और पता चाहिए रंगा बिल्ला?
रुखसाना की आँखों मे अँगारे थे
रंगा :- ये..ये...क्या कह रही हो रुखसाना तुम?
बिल्ला :- तुम्हे तो अपने पति से कोई प्यार नहीं था?
रुखसाना :- मानती हूँ की मुझे जो शारीरिक सुख तुम दोनों से मिला वो कभी मेरे पति से नहीं मिला,लेकिन मै परवेज से बहुत प्यार करती थी वो भी दिलो जान से चाहता था मुझे, मेरी मजबूरी या मेरे बदन की जरुरत ही कह लीजिये की मै आप दोनों के पास चली आई.
रंगा बिल्ला उसकी बाते सुन दंग रह गए एक स्त्री क्या नहीं कर सकती उन्हें इस बात का अहसास हो चला था.
बिल्ला :- ठीक भी रुखसाना बता देंगे परन्तु उसके बाद तुम्हारा हमसे खोज रिश्ता नहीं रहेगा,क्युकी उसके बाद तुम जिन्दा ही नहीं बचोगी....हाहाहाहाबा....
"मुझे अपना अंजाम मंजूर है "
रंगा :- तो सुनो काली पहाड़ी और विष रूप के जंगलो मे एक काली गुफा है जहाँ हमारे देवता सर्पटा विराजमान है हमने सुना है की उन्होंने ही तुम्हारे पति की बली ली है. जा बिगाड़ ले उसका.
रुखसाना ये बात सुनते ही आगबबूला हो गई...
रुखसाना आँखों मे आंसू लिए बाहर निकल गई इसकी आँखों मे अँगारे थे, बदला लेने का इरादा था..ये आँसू प्रतिशोध के आँसू थे.
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सर्पटा के दुश्मनो मे एक और शख्स शामिल हो गया था.

गांव कामगंज
बिल्लू कामगंज पहुंच चूका था
रामनिवास का घर की छटा ही बदल गई थी,घर चमचमा रहा था किसी हवेली को तरह शोभा बिखेर रहा था बिखेरता भी क्यों ना.
आखिर ठाकुर खानदान के समधी जो थे, हमेशा की तरह रामनिवास दारू के अड्डे पे बैठा था,और रतिवती गुसालखाने मे नहाने को गई हुई थी,
जाते जाते रामनिवास को बोला था की बाहर से दरवाज़ा बंद कर के जाये.लेकिन रामनिवास को कहाँ सुध थी वो तो दरवाज़ा खुला छोड़े ही चला गया था.
बिल्लू रामनिवास के दरवाजे पे पहुंच गया था, ठक ठक ठक..।अंदर कोई है?
कोई उत्तर नहीं मिला
वापस ठक ठक ठक....ठाकुर साहेब के यहाँ से सन्देश आया है,कोई है?
कोई जवाब नहीं
बिल्लू :- क्या माजरा है,दरवाजा तो खुला हुआ है अंदर ही चल के आवाज़ देता हूँ.
अंदर रतिवती नहा चुकी थी, अंगवस्त्र पहन लिए थे उसकी साड़ी कमरे मे ही थी
अब घर पे तो कोई था नहीं तो कमरे मे ही जा के पहन लुंगी ऐसा सोच रतिवती बेखबर गुसालखाने से बाहर निकल आई....
बिल्लू चलता हुआ आंगन तक आ गया था.... रतिवती ने गुसालखाने का दरवाजा खोल दिया और पहला कदम बाहर ही रखा था की उसकी नजर बिल्लू पे पड़ गई....
आआहहहह......इईईईई.....डर से उसके हाथ से तौलिया भी छूट गया.
रतिवती सिर्फ अंगवस्त्र पहने बिल्लू के सामने खड़ी थी किसी कामदेवी की तरह बिलकुल तरासा हुआ बदन,असलम और मंगूस से चुद के उसके बदन मे कामुक निखार आ गया था एक चमक निकल रही थी उसके बदन से.
इस चमक से... बिल्लू भी अछूता ना रह सका उसकी सांसे ही थमने लगी थी, ऐसी स्त्री,ऐसा भरा बदन गिला पानी की बून्द टपकता,लाल अंग वस्त्र मे भरपूर यौवन उसके सामने खड़ा था
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चोर.....चोर...डाकू....चिल्लाती रतिवती अपने कमरे की और भागती है, भागने से उसकी गद्देदार गांड हिल हिल के भूकंप पैदा कर रही थी और ये भूकंप,थिरकन बिल्लू को साफ अपनी धोती मे महसूस हो रही थी.

अब क्या होगा दरोगा का?
रुखसाना,सर्पटा से बदला ले पायेगी?
बने रहिये....कथा जारी है...
 
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