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Adultery ठाकुर ज़ालिम और इच्छाधारी नाग

आपका सबसे पसंदीदा चरित्र कौनसा है?

  • कामवती

  • रतिवती

  • रुखसाना

  • भूरी काकी

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  • रंगा बिल्ला


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andypndy

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रुखसाना अपना खेल खेल चुकी थी,ठाकुर उसकी हर बात मानने के लिए मजबूर था.
ठाकुर :- जैसा तुम कहो चमेली हमें तुम्हारी सभी शर्त मंजूर है बस अपने इस हुस्न की बारिश हम ले कर दो.
रुखसाना :- जैसा आप कहे ठाकुर साहेब बोल के रुखसाना ने अपना हाथ पीछे ले जा के अपनी चोली की डोरी एक बार मे ही खिंच दी वो भी अब और इंतज़ार नहीं करना चाहती थी.
चोली की डोरी खुलते ही चोली ऐसे गिर पडी जैसे पता नहीं उसके ऊपर क्या बोझ था,पल भर मे ही चमेली की चोली नीचे जमीन चाट रही थी.
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और कमरे दो खरबूजे के आकर के होरे दूधिया स्तन चमक पडे थे स्तन की चमक सीधा ठाकुर के बदन पे प्रहार कर रही थी ऐसा हुस्न ऐसी मदकता देख ठाकुर खुद का ना संभाल सका धड़ाम से बिस्तर पे गिर पडा.
आजतक उठने कभी अपनी बीवी चाहे रूपवती हो या कामवती किसी के भी स्तन देखने की जहामात नहीं उठाई थी और ना ही उन दोनों ने कभी अनपे कातिल मादक बदन को खुल के दिखाया था.
परन्तु यहाँ तो रुखसाना अपने जानलेवा बदन को दिखा ही नहीं रही थी अपितु उसका भरपूर इस्तेमाल भी कर रही थी.
ठाकुर की लुल्ली के तो हाल ही मत पूछी जिंदगी मे पहली बार वो इस तरह का तनाव महसूस कर रहा था उसकी लुल्ली मे भयंकर पीड़ा हो रही थी उसे बस चुत चाहिए थी किसी भी कीमत पे.
रुखसाना बड़ी अदा से चलती हुई ठाकुर के नजदीक आने लगती है उसकी बड़ी भरी चूचियाँ हिल हिल के भूकंप पैदा कर रही थी कमर बल कहा रही थी पल पल ठाकुर घायल होता चला जा रहा था.
उसका नाम ज़ालिम था लेकिन इस वक़्त रुखसाना ज़ालिम बानी हुई थी..
रुखसाना पास आ के सीधा धोती के ऊपर से ही ठाकुर के छोटे से लंड को दबोच लेती है टट्टो सहित.
ठाकुर दर्द और उत्तेजना से व्याकुल हो जाता है.
"क्या कर रही हो चमेली,जल्दी से अपनी चुत दो ना "
रुखसाना :- शर्त भूल गए ठाकुर साहेब आओ को कुछ करना या बोलना नहीं है जो भी होगा मै करूंगी,लगातार मसले जा रही थी ठाकुर के लंड को..
ठाकुर फटाफट अपनी धोती खोलने लगता है और तुरंत उसे अलग फेंक देता है उसका छोटा सा लंड फंफना रहा था,इधर उधर झटके मार रहा था.
रुखसाना उस लंड को देख के अफ़सोस करने लगी "हाय रे नाम ठाकुर ज़ालिम सिंह और लंड से नामर्द "
वो अब अपने कोमल हाथ से ठाकुर के लंड को पकड़ लेती है जो कि उसकी पूरी मुट्ठी मे समय गया था.
ठाकुर तो बस पागल हो गया था इतने मे ही वो अपना सर इधर उधर पटकने लगा.
रुखसाना को समझते देर ना लगी की ये हिजड़ा ज्यादा नहीं ठीक सकता इसका कुछ करना होगा वरना कही वीर्य ना फेंक दे अभी ही..
रुखसाना अपने सुलगते होंठ को ठाकुर के लंड पे टिका देती है....
उसके गरम होंठ का स्पर्श पाते ही ठाकुर तिलमिला जाता है.
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"ये क्या कर रही हो चमेली हमें तो आज तक ऐसा नहीं किया ना देखा "
रुखसाना मन मे साले तेरा तो करना बनता भी नहीं है.
लेकिन रुखसाना सर ऊपर उठाये अपने हाथ को ठाकुर की छाती ले फेरने लगती है "आप सिर्फ मजे लीजिये ठाकुर साहेब आपकी दासी सब संभाल लेगी.
रुखसाना अपनी जबान बाहर निकाल पुरे लंड को चाट लेती है, और मुँह खोल पुरे लंड को एक ही बार मे मुँह मे भर लेती है.
"आआहहहह.....चमेली ये क्या है " ठाकुर तो इतने मे ही चित्कार उठा उसे ऐसा आनन्द ऐसी तड़प कभी ना हुई थी नतीजा तुरंत मिला
ठाकुर के लंड ने मात्र एक चुसाई मे ही वीर्य की बौछार कर दी सारा वीर्य रुखसाना के मुँह मे धकेलने लगा
आअहब्ब.....चमेली हम गए...आअह्ह्ह...उम्ममममम
ठाकुर रुखसाना की उम्मीद से भी पहले झड़ गया था,
रुखसाना का चेहरा गुस्से से तमतमा उठा उसे ऐसी उम्मीद नहीं थी क्यकि अंदर वो भी गर्म हो रही थी उसकी चुत भी सुलग रही थी परन्तु ये क्या ठाकुर तो वीर्य निकलते ही खर्राटे की आवाज़ गूंजने लगी....
"साला....हिजड़ा "
रुखसाना के मुँह से भद्दी गाली निकाल पडी उसने अपने मुँह से वीर्य को अपने हाथ पे थूका
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और उसे एक शीशी मे डाल लिया और अपनी चोली और दुपट्टा हाथ मे लिए ही बाहर को निकाल गई.
उसका बदन कामअग्नि मे जल रहा था चेहरा गुस्से से लाल था क्या करे कुछ समझ नहीं आ रहा था.
रुखसाना को ठाकुर का वीर्य तो मिल गया था लेकिन अपने बदन की मदकता हवस का क्या मरे जी इन सन चक्कर मे उफान पे थी
"ठहरो रुखसाना,मै तुम्हे पहचान गया हूँ "
पीछे से गरज़ दार आवाज़ ने रुखसाना के कदम रोक लिए रुखसाना की पीठ पीछे स्वागत पूरी नंगी थी,बड़ी गांड छोटे से लहंगे मे उछाल रहे थे.
आवाज़ सुनते ही रुखसाना का हलक सुख गया भला यहाँ कौन है जो उसका राज जनता था.
रुखसाना पीछे पलट के देखती है तो उसके होश ही उड़ जाते है.....

होश तो दरोगा वीरप्रताप के भी उड़े हुए थे उसकी आँखों के सामने ही रंगा बिल्ला ने उसकी खूबसूरत बीवी के हलक मे अपना गन्दा पेशाब उतार दिया था,पूरी साड़ी एयर ब्लाउज गीले हो चुके थे,पेशाब की अजीब गंध से कमरा महक रहा था.
सुलेमान और दरोगा इस गंध से नाक मुँह सिकोड रहे थे.
परन्तु कालावती को एक अजीब सी खुमारी चढ़ रही थी,उसे ये अजीब कैसेली गंध मादक लग रही थी इतनी बुरी तरह से उसे कभी किसी ने बेइज़्ज़त नहीं किया था.
रंगा :- और पीना है रानी कालावती
रंगा बिल्ला को इस से अच्छा मौका नहीं मिल सकता था दरोगा को बेइज़्ज़त करने का.
कालावती अभी भी मुँह बाये बैठी थी सांसे तेज़ तेज़ चल रही थी, ब्लाउज मे कैद स्तन का आकर बढ़ता मालूम पड़ रहा था उसकी छातिया कभी भी ब्लाउज फाड़ के बाहर आ सकती थी. कालावती का बदन धीरे धीरे गरम होने लगा उसकी आँखों मे हवस साफ दिख रही थी.
अभी सब लोग अचंभित ही थे की बिल्ला अपनी कमर को आगे की तरफ धक्का दे देता है,बिल्ला का लंड सीधा कालावती के खुले मुँह मे प्रवेश कर जाता है.
ग्गुऊऊऊ.....गुगगगगऊऊऊ....की आवाज़ के साथ कालावती का पूरा मुँह भर गया हालांकि लंड अभी पूरी तरह खड़ा भी नहीं था.
"ले साली रांड...और पी.मेरा पानी.....चूस इसे "
परन्तु कालावती सिर्फ आंख ऊपर किये सिर्फ बिल्ला को देखे जा रही थी.
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उसे अभी भी थोड़ी शर्म थी.
तभी रंगा अपने दोनों हाथो से कालावती के ब्लाउज के ऊपर से ही उसके निप्पल पकड़ के जोरदार तरीके से उमेड देता है.
कालावती का मुँह और ज्यादा खुल जाता है बिल्ला अपने लंड को और अंदर धकेल देता है उसके टट्टे कालावती के गुलाबी होंठो को छू रहे थे.
अब सांस लेना मुश्किल था कालावती की नाक मे झांट के बाल जा फसे ना चाहते हुए भी कालावती ने अपना सर पीछे किया लंड थोड़ा सा बाहर ही आया था की बिल्ला ने वापस धक्का मार दिया
कालावती ने फिर सर पीछे किया बिल्ला ने फिर से धक्का मार दिया.
नीचे रंगा लगातार गीले ब्लाउज ऊपर से ही निप्पल से खेल रहा था परिणाम निपल कड़क और नुकले हो गए जिनकी नुमाइश ब्लाउज के ऊपर से ही हो रही थी.
रंगा :- देख दरोगा तेरी रंडी बीवी को कैसे चूस रही है,तेरा चूसा है क्या कभी?
दरोगा को याद ही नहीं आ रहा था की कभी कालावती ने उसका लंड चूसा हो,"नहीं कभी नहीं " ना चाहते हुए भी दरोगा के मुँह से निकल गया.
हाहाहाःहाहा.....बिल्ला हस पडा साला नामर्द
मर्द के लंड हो तब ना बीवी चूसेगी...दरोगा शर्मिंदगी से मुँह झुका लेता है.
उसे आज खुद पे कालावती पे गुस्सा आ रहा था उसे अपनी ईमानदारी और फर्ज़ का क्या सिला मिला?
इधर कालावती के मुँह से थूक रिसने लगा,बिल्ला के टट्टे थूक से लिस्लिसा गए, कालावती की हवस अपना काम कर रही थी इना मोटा और बड़ा लंड उसे पहली बार मिला था मन लगा के चूसे जा रही थी जैसे तो कोई रस निकल रहा ही उसमे से.
खुल के बाहर आ चुकी थी कालावती शर्म का क्या फायदा परन्तु दिखा ऐसे रही थी जैसे मज़बूरी मे कर रही हो.
दृश्य ऐसा कामुक था की कमरे मे सबके लंड खड़े हो गए थे,बिल्ला का लुंड लगातार फच फच फच....गुगुगु.....गुगुम....की आवाज़ के साथ अंदर जाता और ढेर सारा थूक ले के बाहर आता थूक होंठो से टपकता सीधा स्तन रुपी घाटी मे लुप्त ही जा रहा था.
रंगा भी अब नजदीक आ गया था,और अपने लंड को पकडे कालावती के गाल पे मार देता है.इस मार से कालावती सिहर उठती है उसकी चुत रस छोड़ ही देती है.
ना जाने किस आग मे जल रही थी कालावती की खुद ही अपने हाथ आगे कर रंगा का लंड पकड़ लेती है और बिल्ला के लंड को बाहर निकाल रंगा के लंड को एक ही बार मे मुँह मे घुसा लेती है,उसके गुलाबी होंठ रंगा के काले मैले गंदे लंड को सहला रहे थे.
दरोगा और सुलेमान इस रंडीपना को देख हैरान रह गए सुलेमान तो अपने कुंड को पाजामे के ऊपर से ही रगड़ने लगा ,वही दरोगा का भी बुरा हाल था उसे कालावती के रंडीपने से नफरत हो रही थी उसके इस कृत्य पे घिन्न आ रही थी परन्तु उसका लंड ये सब नहीं जनता था उसका लंड भी खड़ा हो कालावती के खेल को सलामी देने लगा.
दरोगा हैरान था की उसे क्या हो रहा है...
की तभी कालावती ने वो कर दिखाया जो एक रंडी भी ना करती,कालावती ने दोनों के लंड को हाथ से पकड़ एक साथ मुँह मे भर लिया,लंड मोटा था मुँह छोटा परन्तु जीतना हो सकता था कालावती उतना बड़ा मुँह खोले दोनों के लंड को एक साथ चूस रही थी..
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अब दरोगा की नजर मे कालावती सिर्फ रंडी थी सिर्फ एक रंडी....

बने रहिये कथा जारी है....
 

andypndy

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रुको रुखसाना....मर्दाना आवाज़ ने रुखसाना के पैर थाम लिए थे,रुखसाना का कलेजा कांप गया था इतनी रात को ठाकुर के कमरे से अर्धनग्न अवस्था मे बाहर जो निकली थी,.
रुखसाना कलेजा थामे पसीने से सनी हुई पीछे पालटती है तो हैरानी से आंखे फटी रह जाती है.
"अ...अस....डॉ.असलम आप?"
असलम :- हाँ मै..रुखसाना मै पहचान गया हूँ तुम्हे,मैंने अंदर देख लिया है जो तुम कर आई हो बेचारे ठाकुर साहेब को अपने हुस्न के जाल मे फसा लिया जैसे मुझे फसाया था उस दिन रात मे और दवाई ले गई थी मुझसे.
उस समय मै समझ ही नहीं पाया था की तुम्हारा चेहरा कही देखा है फिर आज जब तुम्हे वापस ठाकुर साहेब के कमरे मे देखा तो याद आ गया तुम मौलवी साहेब की ही लड़की हो ना? कामवती की शादी मे भी आई थी.
रुखसाना को काटो तो खून नहीं,डर और पकडे जाने से उसका कामुक चेहरा सफ़ेद पड़ गया था अभी भी वो अपने स्तन दिखाए खड़ी थी.
असलम पास आता है और जोर से दोनों स्तन पकड़ के जोर से भींच देता है.
आआहहहह.....डॉ.असलम आप गलत समझ रहे है.
असलम :- चुप साली मुझे चुतिया समझती है तेरे ये बड़े बड़े तरबूजो को कैसे भूल सकता हूँ.
बता क्या कर रही है? क्या खेल है तेरा?
और ठाकुर साहेब का वीर्य मुँह से निकाल के शीशी मे क्यों भरा.
रुखसाना चुप खड़ी थी
आअह्ह्ह.....असलम रुखसाना के बाल खींचता हुआ अपने कंधे पे उठा कमरे मे ले जाता है
रुखसाना अर्ध नंगन अवस्था मे दर्द से करहाती बेबस चली जाती है.
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रुखसाना का खेल ख़त्म हो चूका था.


वही ट्रैन मे चारो लफंगे अपना खेल खेलने पे उतारू थे.
काम्या बेचती बेबस लाचार सिमटी हुई से हरिया और कालिया के बीच बैठी थी उसके सामने पीलिया और धनिया बैठे थे.
हरिया चाकू निकाल चूका था जो की काम्या की जाँघ पे रगड़ रहा था

हरिया :- नाम क्या है रे लड़की तेरा?
"जी...जी....काम्या "
मधुर आक़ाज़ चारो के कानो मे घुल गई थी.
"ये जो ठिगना सा तेरे साथ है वो तेरा पति है?" कालिया ने पूछा.
काम्या :- जी...जी...मेरे पति है

चारो हस पड़ते है हाहाहाब्बा....वो चूहें जैसा और तू कटीली जवान खूबसूरत औरत तेरी प्यास बुझा देता है.
मम्ममम्म.... काम्या मुँह मे ही जबान कुलबुलाती रही परन्तु कुछ बोली नहीं.
धनिया :- बोल साली तेरी प्यास बुझा देता है बोल के काम्या की जाँघ को दबा देता है.
काम्या :-जी...जी....नहीं पता
कालिया :- क्या नहीं पता? देखने से तो लगता है की तुझे 5 आदमी भी कम पड़ जाये ये चूहा तो तेरी चुत मे भी नहीं घुस पाता होगा
चारो लगातार गन्दी बाते कर काम्या को उकसा रहे थे और उसका असर हो भी रहा था
काम्या का बदन धीरे धीरे गरम हो रहा था उसे ये गन्दी बाते अच्छी लग रही थी,उत्तेजना और घबराहट मे उसकी सांसे तेज़ चल रही थी उसके स्तन टॉप को फाड़ देने पे उतारू थे...
"बोल ना साली रंडी तेरा पति तेरी लेता तो है ना? प्यास बुझाता है क्या?"
काम्या :- ऐसा मत करो मेरे साथ मै शादी सुदा हूँ.
हरिया :- तभी तो हम चारो का ले पायेगी वरना तो कुंवारी लड़की तो मर ही जाती है हमारे नीचे आ के.
हाहाहाबा......भयानक हसीं गूंज गई.
काम्या अंदर ही अंदर ख़ुश हो रही थी "खेल का मजा आएगा आज "
लेकिन बाहर से घबरा रही थी.
मुझे छोड़ दो
पीलिया :- चुप साली वरना पूरा पेट मे डाल दूंगा पीलिया ने चाकू दिखाते हुए कहा.
और जो पूछा जाये उसका सही जवाब दे.
काम्या की घिघी बांध गई थी उसने हाँ मे सर हिला दिया.
एक खूबसूरत गद्दाराई कोमल नाजुक बदन की मालकिन चार हवसी कुत्तो के बीच फस गई थी.
"तो बता तेरा मर्द तेरी चुत की प्यास बुझा पता है?"
काम्या:-न...नन...नहीं काम्या को भी खेल का मजा आ रहा था और यही अंदाज़ भी था काम्या के शिकार करने का
जो करती थी मजे से,ऊपर से अपनी हवस मिटाने को मिले तो बुरा ही क्या है
वैसे भी उसकी चुत हवस मे हमेशा तड़पती ही रहती थी.
हरिया :- तो क्या करती है फिर चुत की खुजली मिटाने के लिए.
काम्या :- ककककक....कुछ भी नहीं
हरिया :- एक थप्पड दूंगा साली हमें बेवकूफ समझती है,तेरा ये गाडराया बदन तो बोल रहा है की तू जम के चुत मरवाती है.
काम्या :- वो...वो.....मै...कभी कभी घर पे मूली,खीरा या ऊँगली कर लेती हूँ.
चारो काम्या की बात सुन हैरान रह जाते है.
पीलिया :- साली आजकल की मॉर्डन लड़किया कुछ भी चुत मे डाल लेती है
हरिया :- मर्द जो प्यास बुझा सकता है वो खीरा नहीं.
कालिया :- आज तेरी हवस उतार देंगे हम आज के बाद तू कभी ऊँगली नहीं डालेगी जब भी इच्छा होगी हमें ही याद करेगी.
काम्या अब खुल के मैदान मे आ गई थी
काम्या :- जी...जी....मै ख़ुश हूँ अपने पति से.
धनिया :- वो तो अभी मालूम पड़ जायेगा साली
चल कपडे खोल
काम्या चौंक जाती है गुस्से से चारो को देखती है "मै..मै ऐसा नहीं कर सकती "
पीलिया चाकू की नौकरी काम्या की टीशर्ट ले टिका स
देता है.
काम्या अभी कुछ समझ पति की चाकू टीशर्ट को आगे से काटता चला गया.
धम से...दो गोलाकार भारी स्तन चारो के सामने उजागर हो गए
काम्या तुरंत अपने दोनों हाथो से स्तन ढकने ही वाली थी की रास्ते मे ही कालिया और हरिया उसके हाथ पकड़ लेती है और टीशर्ट बदन से अलग हो जाती है.
चारो मुँह बाये उसके गोलाकार सुडोल गोरे स्तन को ही घूरे जा रहे थे
ऐसा खूबसूरत नजारा उन्होंने कभी देखा ही नहीं था उन चारो के लंड स्तन देखते है पाजामे मे खड़े हो गए.
एक साथ सभी ने अपने अपने लंड के पकड़ के संभाला वरना तो लंड वीर्य उगल के दम ही तोड़ देता.
काम्या चारो की हालत देख ख़ुश थी उसका जादू और तरीका बरकरार था, जवान जिस्म खुद अपने आप मे हथियार होता है.
काम्या भी उत्तेजना महसूस कर रही थी उसके स्तन फूल के और मोटे हो गए थे निप्पल बाहर को निकाल आये थे.
पीलिया :- साली रांड तू तो बोल रही थी की तू अपने पति से ख़ुश है लेकिन तेरे दूध तो कुछ और ही बोल रहे है ऐसा बोल पीलिया काम्या के स्तन को भींच देता है
आअह्ह्हहै....उम्म्म्म...एक कामुक सिसकारी निकल पड़ती है काम्या के मुँह से पीलिया का खुर्दरा हाथ के असर से सीधा कर्रेंट चुत तक जाता है चुत भीग जाती है.
लेकिन काम्या पीलिया की बात का कोई जवाब नहीं देती शर्मिंदा हो सर नीचे झुका लेती है
हरिया :- हमसे क्या शर्माना रानी हम तो तुम्हारे बदन के कदरदान है.
चारो ही अव्वल दर्जे के कमीने थे कोई भी लड़की पकड़ते तो उसे खूब तड़पाते खूब मसलते थे.
कालिया :- साला आज तक जितनी भी लड़किया पकड़ी है हमने उसमे सबसे कातिल तू ही है.
आज पहली बार किसी मॉर्डन शहर की रांड चोदेगे.
काम्या के चेहरे पे एक मुस्कान आ जाती है उसे भी अपनी तारीफ पसंद आ रही थी.
धनिया :- चल रानी हमें वो कर के दिखा की कैसे तू अपनी प्यास बुझाती है.
काम्या चौंक जाती है..."नहीं...नहीं....ऐसा मत करवाओ "
धनिया :- क्यों साली हमारे सामने शर्म आ रही है चल उतार अपनी पैंट वरना चाकू अंदर डाल दूंगा.
काम्या डरती हुई खड़ी हो जाती है वो चार मर्दो के सामने सिर्फ जीन्स पहने नंगी खड़ी थी शर्म और हवस का मिला जुला असर उसके बदन को हिला रहा था.
ट्रैन अपनी रफ़्तार पे थी और हवस उस से भी तेज़ दौड़ रही थी
काम्या को अब समर्पण कर देना ही सही लगा.
काम्या धीरे से अपनी जीन्स का बटन खोल देती है
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....टाक...टाक...एक एक बटन के खुलने की आवाज़ चारो के सीने मे तूफान पैदा कर रही थी,चारो की आंखे इस अनमोल खजाने को देख लेना चाहती थी.
काम्या दोनों सीट के बीच खड़ी थी पीछे हरिया कालिया बैठे थे और आगे पीलिया धनिया.
काम्या जीन्स के पुरे बटन खोल चुकी थी और जीन्स उतारने को नीचे झुकती चली गौ उसके झुकने से गांड पीछे को होती चली गई बिलकुल हरिया और कालिया के एक दम मुँह के सामने
दोनों यदि जीभ भी निकाल लेते तो गांड चाट लेते.
दोनों की नाम एक मादक मदहोश कर देने वाली खुसबू से सराबोर होती चली गई अंग अंग झूम उठा दोनों का.
इतनी बड़ी गोरी चिकनी गांड तो सपने मे भी नहीं देखि थी उन दोनों ने,गांड को अलग करती एक लकीर थी सिर्फ इसी लकीर मे दो अनमोल खजाने थे.
काम्या दोनों को अपनी गांड म दर्शन कर सीधी हो जाती है जीन्स आज़ाद हो चुकी थी, अब धाराशयी होने की बारी पीलिया और धनिया की थी उन के सामने जन्नत का नजारा था
बिलकुल नंगी कामुक गद्दाराये बदन लिए परी खड़ी थी.
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चुत के नाम पे सिर्फ लकीर कही कोई दाग नहीं कही कोई बाल नहीं एक दम साफ सुथरी.
काम्या बड़ी अदा के साथ कमर पे हाथ रखे खड़ी थी
चारो को देख के लगता था जैसे वो मूर्ति बन गए हो उनका लंड फट जायेगा किसी भी छण
तभी काम्या की मधुर आवाज़ गूंज उठती है "आप दोनों भी सामने ही बैठ जाइये ना ताकि मै आप लोगो को दिखा सकूँ की मै क्या करती हूँ "
काम्या की आवाज़ से हरिया कालिया का ध्यान टूटता है वो किसो मशीन के भांति खड़े हो सामने बैठ जाते है.
काम्या का लहजा अब मादक भरा था पल पल अपनी मादक अदा और कामुक बदन से वो चारो का क़त्ल कर रही थी
काम्या धममम...से अपनी बड़ी गांड सीट पे टिका देती है.
चारो लोग बस काम्या की हर एक अदा को देखते ही जा रहे थे आने वाले पर्दाशन के लिए खुद को मजबूत बना रहे थे.
काम्या सीट पे गांड जमा चुकी थी और धीरे से अपने दोनों पैरो को अलग कर देती है,
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आआहहहह...इस्स्स्स....
चारो के मुँह से एक सतब सिसकारी निकल.जाती है.
काम्या की कोमल नाजुक गुलाबी चुत चारो के सामने उजागर थी चुत क्या सिर्फ एक लकीर थी दो जांघो के बीच.
उन चारो की मौत पक्की लगती थी...चारो ने हूँ तुरंत अपने पाजामे उतार फेंके और अपने अपने काले लम्बे गंदे बदबू मारते लंड हाथ मे ले सहलाने लगे.
लंड से निकलती गर्मी और गंध काम्या को प्रेरणा दे रहे थे की वो खेले अपनी चुत से.
काम्या भी अब हवस की कैद मे थी उसे अपना बदन दिखाना अच्छा लग रहा था,काम्या का हाथ धीरे धीरे अपनी चुत को सहलाने लगा,चुत रुपी लकीर थोड़ी खुलने लगी
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अंदर का लाल लाल मांस नजर आने लगा.
चारो लफंगे सिर्फ नजरें टिकाये अपने लंड को मसाले जा रहे थे.
आअह्ह्ह......इसससस......क्या लड़कि है यारों.
काम्या होसला हाफजाई पा के ख़ुश थी.
काम्या की चुत गीली हो चुकी थी उसकी उंगलियां फिसल जा रही थी कभी चुत के दाने को छुती तो कभी निचले हिस्से को
काम्या से भी गर्मी बर्दास्त नहीं हो रही थी अपने एक हाथ को स्तन पे रख देती है और भींचने लगती है

वो भूल चुकी थी की उसके सामने चार लफंगे आवारा किस्म के लोग बैठे है
वो बराबर चारो के मोटे लंड को निहार रही थी और वो चारो उसकी पानी छोड़ती चुत को
आआहहहह....हहहह...उम्म्म्म....फच फच फच....गीली चुत अब आवाज़ करने लगी थी ये चुत से निकला मधुर संगीत चारो लफंगो के लंड को निचोड़ने के लिए काफ़ी था.
काम्या उत्तेजना मे अपना सर इधर उधर पटक रही थी कभी एक ऊँगली डालती तो कभी दो
फच फचा फच....करता पानी ट्रैन के फर्श को भीगा रहा था

काम्या मदहोश अपने स्तन रगड़े जा रही थी उसे अब बर्दास्त करना मुश्किल लग रहा वो अपनी गांड को आगे की और सरका देती है उन चारो के लंड के करीब उसकी कमर सीट पे नीचे ठीक गई थी पैरो के बल पे अपनी गांड को संभाले थी.
रह रह के अपनी गांड को उछाल दे रही थी जैसे लंड मे गांड मार रही हो.
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काम्या की कामुक गांड और रस छोड़ती चुत से उन चारो की हालत ख़राब होने लगी थी.
की तभी काम्या अपनी एक ऊँगली गांड मे डाल देती है,उसकी एक ऊँगली चुत मे थी और दूसरी ऊँगली गांड मे
ऐसा दृश्य किसी को देखने को मिलता है भला, ऐसे दृश्य देखने के लिए तो आदमी मरना भी पसंद करे...
काम्या आंखे बंद किये फच फच फच...ऊँगली मारे जा रही थी की तभी
आआआआहहहहह....रांड साली आअह्ह्ह...पिच पिचक....पिचाक.फच....करती आवाज़ के साथ चारो के लंड ने अपना वीर्य छोड़ दिया.
पिच...गरम गरम वीर्य काम्या के बदन ले पड़ते ही काम्या की आंखे खुल जाती है
चारो सामने बैठे अपना वीर्य काम्या के बदन पे गिरा रहे थे.
अभी उन चारो वीर्य पूरी तरह निकला भी नहीं था की....धाय...धाय...धाय...धाय...
चार गोली चली और चारो के बदन नीचे फर्श ले लहूलुहान पडे थे.वीर्य निकलने से पहले उनके प्राण निकल गए थे.

"साले नामर्द कही के खुद की हवस निकाल ली मेरी कौन निकलेगा?"
भुगतो सालो...काम्या का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था.
गोली की आवाज़ से ऊपर सोते बहादुर की नींद खुली तो नीचे देखते ही उसके होश फकता हो गए

नीचे काम्या बिलकुल नंगी हाथ मे पिस्तौल लिए खड़ी थी और फर्श पे लंड हाथ मे पकड़े चार लाश थी
"मैडम...मैडम.....ये क्या किया...जैसे ही बहदुर नीचे उतरा काम्या के कामुक बदन को देखता ही रह गया
उसका लंड भी हिलोरे मरने लगा लेकिन था तो डरपोक ही उसकी घिघी बँधी हुई थी लाश देख के.
काम्या :- साले कभी लड़कियों नहीं देखि क्या हरामी चल इन लाशो को उठा के ट्रैन के बाहर फेंक दे,मै बचा हुआ काम पूरा कर लू.
बोल के काम्या वापस सीट पे बैठ जाती है और उसी पिस्तौल की नाल को चुत मे डाल देती है.
आआहहहहह....उम्म्म.....अभी अभी गोली चलने की वजह से पिस्तौल की नाल गरम थी,परन्तु इस गर्मी मे भी काम्या को मजा था.
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आआहहहह.....फच फच....फचक....फच....काम्या अपनी प्यास बुझा रही थी.
बेचारा बहादुर लाशें उठा उठा के ट्रैन से बाहर फेंक रहा था.
ये तो सिर्फ इंस्पेक्टर काम्या का आगाज था.
बने रहिये....कथा जारी है...
 
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Nevil singh

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रुखसाना अपना खेल खेल चुकी थी,ठाकुर उसकी हर बात मानने के लिए मजबूर था.
ठाकुर :- जैसा तुम कहो चमेली हमें तुम्हारी सभी शर्त मंजूर है बस अपने इस हुस्न की बारिश हम ले कर दो.
रुखसाना :- जैसा आप कहे ठाकुर साहेब बोल के रुखसाना ने अपना हाथ पीछे ले जा के अपनी चोली की डोरी एक बार मे ही खिंच दी वो भी अब और इंतज़ार नहीं करना चाहती थी.
चोली की डोरी खुलते ही चोली ऐसे गिर पडी जैसे पता नहीं उसके ऊपर क्या बोझ था,पल भर मे ही चमेली की चोली नीचे जमीन चाट रही थी.
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और कमरे दो खरबूजे के आकर के होरे दूधिया स्तन चमक पडे थे स्तन की चमक सीधा ठाकुर के बदन पे प्रहार कर रही थी ऐसा हुस्न ऐसी मदकता देख ठाकुर खुद का ना संभाल सका धड़ाम से बिस्तर पे गिर पडा.
आजतक उठने कभी अपनी बीवी चाहे रूपवती हो या कामवती किसी के भी स्तन देखने की जहामात नहीं उठाई थी और ना ही उन दोनों ने कभी अनपे कातिल मादक बदन को खुल के दिखाया था.
परन्तु यहाँ तो रुखसाना अपने जानलेवा बदन को दिखा ही नहीं रही थी अपितु उसका भरपूर इस्तेमाल भी कर रही थी.
ठाकुर की लुल्ली के तो हाल ही मत पूछी जिंदगी मे पहली बार वो इस तरह का तनाव महसूस कर रहा था उसकी लुल्ली मे भयंकर पीड़ा हो रही थी उसे बस चुत चाहिए थी किसी भी कीमत पे.
रुखसाना बड़ी अदा से चलती हुई ठाकुर के नजदीक आने लगती है उसकी बड़ी भरी चूचियाँ हिल हिल के भूकंप पैदा कर रही थी कमर बल कहा रही थी पल पल ठाकुर घायल होता चला जा रहा था.
उसका नाम ज़ालिम था लेकिन इस वक़्त रुखसाना ज़ालिम बानी हुई थी..
रुखसाना पास आ के सीधा धोती के ऊपर से ही ठाकुर के छोटे से लंड को दबोच लेती है टट्टो सहित.
ठाकुर दर्द और उत्तेजना से व्याकुल हो जाता है.
"क्या कर रही हो चमेली,जल्दी से अपनी चुत दो ना "
रुखसाना :- शर्त भूल गए ठाकुर साहेब आओ को कुछ करना या बोलना नहीं है जो भी होगा मै करूंगी,लगातार मसले जा रही थी ठाकुर के लंड को..
ठाकुर फटाफट अपनी धोती खोलने लगता है और तुरंत उसे अलग फेंक देता है उसका छोटा सा लंड फंफना रहा था,इधर उधर झटके मार रहा था.
रुखसाना उस लंड को देख के अफ़सोस करने लगी "हाय रे नाम ठाकुर ज़ालिम सिंह और लंड से नामर्द "
वो अब अपने कोमल हाथ से ठाकुर के लंड को पकड़ लेती है जो कि उसकी पूरी मुट्ठी मे समय गया था.
ठाकुर तो बस पागल हो गया था इतने मे ही वो अपना सर इधर उधर पटकने लगा.
रुखसाना को समझते देर ना लगी की ये हिजड़ा ज्यादा नहीं ठीक सकता इसका कुछ करना होगा वरना कही वीर्य ना फेंक दे अभी ही..
रुखसाना अपने सुलगते होंठ को ठाकुर के लंड पे टिका देती है....
उसके गरम होंठ का स्पर्श पाते ही ठाकुर तिलमिला जाता है.
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"ये क्या कर रही हो चमेली हमें तो आज तक ऐसा नहीं किया ना देखा "
रुखसाना मन मे साले तेरा तो करना बनता भी नहीं है.
लेकिन रुखसाना सर ऊपर उठाये अपने हाथ को ठाकुर की छाती ले फेरने लगती है "आप सिर्फ मजे लीजिये ठाकुर साहेब आपकी दासी सब संभाल लेगी.
रुखसाना अपनी जबान बाहर निकाल पुरे लंड को चाट लेती है, और मुँह खोल पुरे लंड को एक ही बार मे मुँह मे भर लेती है.
"आआहहहह.....चमेली ये क्या है " ठाकुर तो इतने मे ही चित्कार उठा उसे ऐसा आनन्द ऐसी तड़प कभी ना हुई थी नतीजा तुरंत मिला
ठाकुर के लंड ने मात्र एक चुसाई मे ही वीर्य की बौछार कर दी सारा वीर्य रुखसाना के मुँह मे धकेलने लगा
आअहब्ब.....चमेली हम गए...आअह्ह्ह...उम्ममममम
ठाकुर रुखसाना की उम्मीद से भी पहले झड़ गया था,
रुखसाना का चेहरा गुस्से से तमतमा उठा उसे ऐसी उम्मीद नहीं थी क्यकि अंदर वो भी गर्म हो रही थी उसकी चुत भी सुलग रही थी परन्तु ये क्या ठाकुर तो वीर्य निकलते ही खर्राटे की आवाज़ गूंजने लगी....
"साला....हिजड़ा "
रुखसाना के मुँह से भद्दी गाली निकाल पडी उसने अपने मुँह से वीर्य को अपने हाथ पे थूका
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और उसे एक शीशी मे डाल लिया और अपनी चोली और दुपट्टा हाथ मे लिए ही बाहर को निकाल गई.
उसका बदन कामअग्नि मे जल रहा था चेहरा गुस्से से लाल था क्या करे कुछ समझ नहीं आ रहा था.
रुखसाना को ठाकुर का वीर्य तो मिल गया था लेकिन अपने बदन की मदकता हवस का क्या मरे जी इन सन चक्कर मे उफान पे थी
"ठहरो रुखसाना,मै तुम्हे पहचान गया हूँ "
पीछे से गरज़ दार आवाज़ ने रुखसाना के कदम रोक लिए रुखसाना की पीठ पीछे स्वागत पूरी नंगी थी,बड़ी गांड छोटे से लहंगे मे उछाल रहे थे.
आवाज़ सुनते ही रुखसाना का हलक सुख गया भला यहाँ कौन है जो उसका राज जनता था.
रुखसाना पीछे पलट के देखती है तो उसके होश ही उड़ जाते है.....

होश तो दरोगा वीरप्रताप के भी उड़े हुए थे उसकी आँखों के सामने ही रंगा बिल्ला ने उसकी खूबसूरत बीवी के हलक मे अपना गन्दा पेशाब उतार दिया था,पूरी साड़ी एयर ब्लाउज गीले हो चुके थे,पेशाब की अजीब गंध से कमरा महक रहा था.
सुलेमान और दरोगा इस गंध से नाक मुँह सिकोड रहे थे.
परन्तु कालावती को एक अजीब सी खुमारी चढ़ रही थी,उसे ये अजीब कैसेली गंध मादक लग रही थी इतनी बुरी तरह से उसे कभी किसी ने बेइज़्ज़त नहीं किया था.
रंगा :- और पीना है रानी कालावती
रंगा बिल्ला को इस से अच्छा मौका नहीं मिल सकता था दरोगा को बेइज़्ज़त करने का.
कालावती अभी भी मुँह बाये बैठी थी सांसे तेज़ तेज़ चल रही थी, ब्लाउज मे कैद स्तन का आकर बढ़ता मालूम पड़ रहा था उसकी छातिया कभी भी ब्लाउज फाड़ के बाहर आ सकती थी. कालावती का बदन धीरे धीरे गरम होने लगा उसकी आँखों मे हवस साफ दिख रही थी.
अभी सब लोग अचंभित ही थे की बिल्ला अपनी कमर को आगे की तरफ धक्का दे देता है,बिल्ला का लंड सीधा कालावती के खुले मुँह मे प्रवेश कर जाता है.
ग्गुऊऊऊ.....गुगगगगऊऊऊ....की आवाज़ के साथ कालावती का पूरा मुँह भर गया हालांकि लंड अभी पूरी तरह खड़ा भी नहीं था.
"ले साली रांड...और पी.मेरा पानी.....चूस इसे "
परन्तु कालावती सिर्फ आंख ऊपर किये सिर्फ बिल्ला को देखे जा रही थी.
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उसे अभी भी थोड़ी शर्म थी.
तभी रंगा अपने दोनों हाथो से कालावती के ब्लाउज के ऊपर से ही उसके निप्पल पकड़ के जोरदार तरीके से उमेड देता है.
कालावती का मुँह और ज्यादा खुल जाता है बिल्ला अपने लंड को और अंदर धकेल देता है उसके टट्टे कालावती के गुलाबी होंठो को छू रहे थे.
अब सांस लेना मुश्किल था कालावती की नाक मे झांट के बाल जा फसे ना चाहते हुए भी कालावती ने अपना सर पीछे किया लंड थोड़ा सा बाहर ही आया था की बिल्ला ने वापस धक्का मार दिया
कालावती ने फिर सर पीछे किया बिल्ला ने फिर से धक्का मार दिया.
नीचे रंगा लगातार गीले ब्लाउज ऊपर से ही निप्पल से खेल रहा था परिणाम निपल कड़क और नुकले हो गए जिनकी नुमाइश ब्लाउज के ऊपर से ही हो रही थी.
रंगा :- देख दरोगा तेरी रंडी बीवी को कैसे चूस रही है,तेरा चूसा है क्या कभी?
दरोगा को याद ही नहीं आ रहा था की कभी कालावती ने उसका लंड चूसा हो,"नहीं कभी नहीं " ना चाहते हुए भी दरोगा के मुँह से निकल गया.
हाहाहाःहाहा.....बिल्ला हस पडा साला नामर्द
मर्द के लंड हो तब ना बीवी चूसेगी...दरोगा शर्मिंदगी से मुँह झुका लेता है.
उसे आज खुद पे कालावती पे गुस्सा आ रहा था उसे अपनी ईमानदारी और फर्ज़ का क्या सिला मिला?
इधर कालावती के मुँह से थूक रिसने लगा,बिल्ला के टट्टे थूक से लिस्लिसा गए, कालावती की हवस अपना काम कर रही थी इना मोटा और बड़ा लंड उसे पहली बार मिला था मन लगा के चूसे जा रही थी जैसे तो कोई रस निकल रहा ही उसमे से.
खुल के बाहर आ चुकी थी कालावती शर्म का क्या फायदा परन्तु दिखा ऐसे रही थी जैसे मज़बूरी मे कर रही हो.
दृश्य ऐसा कामुक था की कमरे मे सबके लंड खड़े हो गए थे,बिल्ला का लुंड लगातार फच फच फच....गुगुगु.....गुगुम....की आवाज़ के साथ अंदर जाता और ढेर सारा थूक ले के बाहर आता थूक होंठो से टपकता सीधा स्तन रुपी घाटी मे लुप्त ही जा रहा था.
रंगा भी अब नजदीक आ गया था,और अपने लंड को पकडे कालावती के गाल पे मार देता है.इस मार से कालावती सिहर उठती है उसकी चुत रस छोड़ ही देती है.
ना जाने किस आग मे जल रही थी कालावती की खुद ही अपने हाथ आगे कर रंगा का लंड पकड़ लेती है और बिल्ला के लंड को बाहर निकाल रंगा के लंड को एक ही बार मे मुँह मे घुसा लेती है,उसके गुलाबी होंठ रंगा के काले मैले गंदे लंड को सहला रहे थे.
दरोगा और सुलेमान इस रंडीपना को देख हैरान रह गए सुलेमान तो अपने कुंड को पाजामे के ऊपर से ही रगड़ने लगा ,वही दरोगा का भी बुरा हाल था उसे कालावती के रंडीपने से नफरत हो रही थी उसके इस कृत्य पे घिन्न आ रही थी परन्तु उसका लंड ये सब नहीं जनता था उसका लंड भी खड़ा हो कालावती के खेल को सलामी देने लगा.
दरोगा हैरान था की उसे क्या हो रहा है...
की तभी कालावती ने वो कर दिखाया जो एक रंडी भी ना करती,कालावती ने दोनों के लंड को हाथ से पकड़ एक साथ मुँह मे भर लिया,लंड मोटा था मुँह छोटा परन्तु जीतना हो सकता था कालावती उतना बड़ा मुँह खोले दोनों के लंड को एक साथ चूस रही थी..
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अब दरोगा की नजर मे कालावती सिर्फ रंडी थी सिर्फ एक रंडी....

बने रहिये कथा जारी है....
Hasheen update dost
 

Nevil singh

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रुको रुखसाना....मर्दाना आवाज़ ने रुखसाना के पैर थाम लिए थे,रुखसाना का कलेजा कांप गया था इतनी रात को ठाकुर के कमरे से अर्धनग्न अवस्था मे बाहर जो निकली थी,.
रुखसाना कलेजा थामे पसीने से सनी हुई पीछे पालटती है तो हैरानी से आंखे फटी रह जाती है.
"अ...अस....डॉ.असलम आप?"
असलम :- हाँ मै..रुखसाना मै पहचान गया हूँ तुम्हे,मैंने अंदर देख लिया है जो तुम कर आई हो बेचारे ठाकुर साहेब को अपने हुस्न के जाल मे फसा लिया जैसे मुझे फसाया था उस दिन रात मे और दवाई ले गई थी मुझसे.
उस समय मै समझ ही नहीं पाया था की तुम्हारा चेहरा कही देखा है फिर आज जब तुम्हे वापस ठाकुर साहेब के कमरे मे देखा तो याद आ गया तुम मौलवी साहेब की ही लड़की हो ना? कामवती की शादी मे भी आई थी.
रुखसाना को काटो तो खून नहीं,डर और पकडे जाने से उसका कामुक चेहरा सफ़ेद पड़ गया था अभी भी वो अपने स्तन दिखाए खड़ी थी.
असलम पास आता है और जोर से दोनों स्तन पकड़ के जोर से भींच देता है.
आआहहहह.....डॉ.असलम आप गलत समझ रहे है.
असलम :- चुप साली मुझे चुतिया समझती है तेरे ये बड़े बड़े तरबूजो को कैसे भूल सकता हूँ.
बता क्या कर रही है? क्या खेल है तेरा?
और ठाकुर साहेब का वीर्य मुँह से निकाल के शीशी मे क्यों भरा.
रुखसाना चुप खड़ी थी
आअह्ह्ह.....असलम रुखसाना के बाल खींचता हुआ अपने कंधे पे उठा कमरे मे ले जाता है
रुखसाना अर्ध नंगन अवस्था मे दर्द से करहाती बेबस चली जाती है.
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रुखसाना का खेल ख़त्म हो चूका था.


वही ट्रैन मे चारो लफंगे अपना खेल खेलने पे उतारू थे.
काम्या बेचती बेबस लाचार सिमटी हुई से हरिया और कालिया के बीच बैठी थी उसके सामने पीलिया और धनिया बैठे थे.
हरिया चाकू निकाल चूका था जो की काम्या की जाँघ पे रगड़ रहा था

हरिया :- नाम क्या है रे लड़की तेरा?
"जी...जी....काम्या "
मधुर आक़ाज़ चारो के कानो मे घुल गई थी.
"ये जो ठिगना सा तेरे साथ है वो तेरा पति है?" कालिया ने पूछा.
काम्या :- जी...जी...मेरे पति है

चारो हस पड़ते है हाहाहाब्बा....वो चूहें जैसा और तू कटीली जवान खूबसूरत औरत तेरी प्यास बुझा देता है.
मम्ममम्म.... काम्या मुँह मे ही जबान कुलबुलाती रही परन्तु कुछ बोली नहीं.
धनिया :- बोल साली तेरी प्यास बुझा देता है बोल के काम्या की जाँघ को दबा देता है.
काम्या :-जी...जी....नहीं पता
कालिया :- क्या नहीं पता? देखने से तो लगता है की तुझे 5 आदमी भी कम पड़ जाये ये चूहा तो तेरी चुत मे भी नहीं घुस पाता होगा
चारो लगातार गन्दी बाते कर काम्या को उकसा रहे थे और उसका असर हो भी रहा था
काम्या का बदन धीरे धीरे गरम हो रहा था उसे ये गन्दी बाते अच्छी लग रही थी,उत्तेजना और घबराहट मे उसकी सांसे तेज़ चल रही थी उसके स्तन टॉप को फाड़ देने पे उतारू थे...
"बोल ना साली रंडी तेरा पति तेरी लेता तो है ना? प्यास बुझाता है क्या?"
काम्या :- ऐसा मत करो मेरे साथ मै शादी सुदा हूँ.
हरिया :- तभी तो हम चारो का ले पायेगी वरना तो कुंवारी लड़की तो मर ही जाती है हमारे नीचे आ के.
हाहाहाबा......भयानक हसीं गूंज गई.
काम्या अंदर ही अंदर ख़ुश हो रही थी "खेल का मजा आएगा आज "
लेकिन बाहर से घबरा रही थी.
मुझे छोड़ दो
पीलिया :- चुप साली वरना पूरा पेट मे डाल दूंगा पीलिया ने चाकू दिखाते हुए कहा.
और जो पूछा जाये उसका सही जवाब दे.
काम्या की घिघी बांध गई थी उसने हाँ मे सर हिला दिया.
एक खूबसूरत गद्दाराई कोमल नाजुक बदन की मालकिन चार हवसी कुत्तो के बीच फस गई थी.
"तो बता तेरा मर्द तेरी चुत की प्यास बुझा पता है?"
काम्या:-न...नन...नहीं काम्या को भी खेल का मजा आ रहा था और यही अंदाज़ भी था काम्या के शिकार करने का
जो करती थी मजे से,ऊपर से अपनी हवस मिटाने को मिले तो बुरा ही क्या है
वैसे भी उसकी चुत हवस मे हमेशा तड़पती ही रहती थी.
हरिया :- तो क्या करती है फिर चुत की खुजली मिटाने के लिए.
काम्या :- ककककक....कुछ भी नहीं
हरिया :- एक थप्पड दूंगा साली हमें बेवकूफ समझती है,तेरा ये गाडराया बदन तो बोल रहा है की तू जम के चुत मरवाती है.
काम्या :- वो...वो.....मै...कभी कभी घर पे मूली,खीरा या ऊँगली कर लेती हूँ.
चारो काम्या की बात सुन हैरान रह जाते है.
पीलिया :- साली आजकल की मॉर्डन लड़किया कुछ भी चुत मे डाल लेती है
हरिया :- मर्द जो प्यास बुझा सकता है वो खीरा नहीं.
कालिया :- आज तेरी हवस उतार देंगे हम आज के बाद तू कभी ऊँगली नहीं डालेगी जब भी इच्छा होगी हमें ही याद करेगी.
काम्या अब खुल के मैदान मे आ गई थी
काम्या :- जी...जी....मै ख़ुश हूँ अपने पति से.
धनिया :- वो तो अभी मालूम पड़ जायेगा साली
चल कपडे खोल
काम्या चौंक जाती है गुस्से से चारो को देखती है "मै..मै ऐसा नहीं कर सकती "
पीलिया चाकू की नौकरी काम्या की टीशर्ट ले टिका स
देता है.
काम्या अभी कुछ समझ पति की चाकू टीशर्ट को आगे से काटता चला गया.
धम से...दो गोलाकार भारी स्तन चारो के सामने उजागर हो गए
काम्या तुरंत अपने दोनों हाथो से स्तन ढकने ही वाली थी की रास्ते मे ही कालिया और हरिया उसके हाथ पकड़ लेती है और टीशर्ट बदन से अलग हो जाती है.
चारो मुँह बाये उसके गोलाकार सुडोल गोरे स्तन को ही घूरे जा रहे थे
ऐसा खूबसूरत नजारा उन्होंने कभी देखा ही नहीं था उन चारो के लंड स्तन देखते है पाजामे मे खड़े हो गए.
एक साथ सभी ने अपने अपने लंड के पकड़ के संभाला वरना तो लंड वीर्य उगल के दम ही तोड़ देता.
काम्या चारो की हालत देख ख़ुश थी उसका जादू और तरीका बरकरार था, जवान जिस्म खुद अपने आप मे हथियार होता है.
काम्या भी उत्तेजना महसूस कर रही थी उसके स्तन फूल के और मोटे हो गए थे निप्पल बाहर को निकाल आये थे.
पीलिया :- साली रांड तू तो बोल रही थी की तू अपने पति से ख़ुश है लेकिन तेरे दूध तो कुछ और ही बोल रहे है ऐसा बोल पीलिया काम्या के स्तन को भींच देता है
आअह्ह्हहै....उम्म्म्म...एक कामुक सिसकारी निकल पड़ती है काम्या के मुँह से पीलिया का खुर्दरा हाथ के असर से सीधा कर्रेंट चुत तक जाता है चुत भीग जाती है.
लेकिन काम्या पीलिया की बात का कोई जवाब नहीं देती शर्मिंदा हो सर नीचे झुका लेती है
हरिया :- हमसे क्या शर्माना रानी हम तो तुम्हारे बदन के कदरदान है.
चारो ही अव्वल दर्जे के कमीने थे कोई भी लड़की पकड़ते तो उसे खूब तड़पाते खूब मसलते थे.
कालिया :- साला आज तक जितनी भी लड़किया पकड़ी है हमने उसमे सबसे कातिल तू ही है.
आज पहली बार किसी मॉर्डन शहर की रांड चोदेगे.
काम्या के चेहरे पे एक मुस्कान आ जाती है उसे भी अपनी तारीफ पसंद आ रही थी.
धनिया :- चल रानी हमें वो कर के दिखा की कैसे तू अपनी प्यास बुझाती है.
काम्या चौंक जाती है..."नहीं...नहीं....ऐसा मत करवाओ "
धनिया :- क्यों साली हमारे सामने शर्म आ रही है चल उतार अपनी पैंट वरना चाकू अंदर डाल दूंगा.
काम्या डरती हुई खड़ी हो जाती है वो चार मर्दो के सामने सिर्फ जीन्स पहने नंगी खड़ी थी शर्म और हवस का मिला जुला असर उसके बदन को हिला रहा था.
ट्रैन अपनी रफ़्तार पे थी और हवस उस से भी तेज़ दौड़ रही थी
काम्या को अब समर्पण कर देना ही सही लगा.
काम्या धीरे से अपनी जीन्स का बटन खोल देती है
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....टाक...टाक...एक एक बटन के खुलने की आवाज़ चारो के सीने मे तूफान पैदा कर रही थी,चारो की आंखे इस अनमोल खजाने को देख लेना चाहती थी.
काम्या दोनों सीट के बीच खड़ी थी पीछे हरिया कालिया बैठे थे और आगे पीलिया धनिया.
काम्या जीन्स के पुरे बटन खोल चुकी थी और जीन्स उतारने को नीचे झुकती चली गौ उसके झुकने से गांड पीछे को होती चली गई बिलकुल हरिया और कालिया के एक दम मुँह के सामने
दोनों यदि जीभ भी निकाल लेते तो गांड चाट लेते.
दोनों की नाम एक मादक मदहोश कर देने वाली खुसबू से सराबोर होती चली गई अंग अंग झूम उठा दोनों का.
इतनी बड़ी गोरी चिकनी गांड तो सपने मे भी नहीं देखि थी उन दोनों ने,गांड को अलग करती एक लकीर थी सिर्फ इसी लकीर मे दो अनमोल खजाने थे.
काम्या दोनों को अपनी गांड म दर्शन कर सीधी हो जाती है जीन्स आज़ाद हो चुकी थी, अब धाराशयी होने की बारी पीलिया और धनिया की थी उन के सामने जन्नत का नजारा था
बिलकुल नंगी कामुक गद्दाराये बदन लिए परी खड़ी थी.
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चुत के नाम पे सिर्फ लकीर कही कोई दाग नहीं कही कोई बाल नहीं एक दम साफ सुथरी.
काम्या बड़ी अदा के साथ कमर पे हाथ रखे खड़ी थी
चारो को देख के लगता था जैसे वो मूर्ति बन गए हो उनका लंड फट जायेगा किसी भी छण
तभी काम्या की मधुर आवाज़ गूंज उठती है "आप दोनों भी सामने ही बैठ जाइये ना ताकि मै आप लोगो को दिखा सकूँ की मै क्या करती हूँ "
काम्या की आवाज़ से हरिया कालिया का ध्यान टूटता है वो किसो मशीन के भांति खड़े हो सामने बैठ जाते है.
काम्या का लहजा अब मादक भरा था पल पल अपनी मादक अदा और कामुक बदन से वो चारो का क़त्ल कर रही थी
काम्या धममम...से अपनी बड़ी गांड सीट पे टिका देती है.
चारो लोग बस काम्या की हर एक अदा को देखते ही जा रहे थे आने वाले पर्दाशन के लिए खुद को मजबूत बना रहे थे.
काम्या सीट पे गांड जमा चुकी थी और धीरे से अपने दोनों पैरो को अलग कर देती है,
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आआहहहह...इस्स्स्स....
चारो के मुँह से एक सतब सिसकारी निकल.जाती है.
काम्या की कोमल नाजुक गुलाबी चुत चारो के सामने उजागर थी चुत क्या सिर्फ एक लकीर थी दो जांघो के बीच.
उन चारो की मौत पक्की लगती थी...चारो ने हूँ तुरंत अपने पाजामे उतार फेंके और अपने अपने काले लम्बे गंदे बदबू मारते लंड हाथ मे ले सहलाने लगे.
लंड से निकलती गर्मी और गंध काम्या को प्रेरणा दे रहे थे की वो खेले अपनी चुत से.
काम्या भी अब हवस की कैद मे थी उसे अपना बदन दिखाना अच्छा लग रहा था,काम्या का हाथ धीरे धीरे अपनी चुत को सहलाने लगा,चुत रुपी लकीर थोड़ी खुलने लगी
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अंदर का लाल लाल मांस नजर आने लगा.
चारो लफंगे सिर्फ नजरें टिकाये अपने लंड को मसाले जा रहे थे.
आअह्ह्ह......इसससस......क्या लड़कि है यारों.
काम्या होसला हाफजाई पा के ख़ुश थी.
काम्या की चुत गीली हो चुकी थी उसकी उंगलियां फिसल जा रही थी कभी चुत के दाने को छुती तो कभी निचले हिस्से को
काम्या से भी गर्मी बर्दास्त नहीं हो रही थी अपने एक हाथ को स्तन पे रख देती है और भींचने लगती है

वो भूल चुकी थी की उसके सामने चार लफंगे आवारा किस्म के लोग बैठे है
वो बराबर चारो के मोटे लंड को निहार रही थी और वो चारो उसकी पानी छोड़ती चुत को
आआहहहह....हहहह...उम्म्म्म....फच फच फच....गीली चुत अब आवाज़ करने लगी थी ये चुत से निकला मधुर संगीत चारो लफंगो के लंड को निचोड़ने के लिए काफ़ी था.
काम्या उत्तेजना मे अपना सर इधर उधर पटक रही थी कभी एक ऊँगली डालती तो कभी दो
फच फचा फच....करता पानी ट्रैन के फर्श को भीगा रहा था

काम्या मदहोश अपने स्तन रगड़े जा रही थी उसे अब बर्दास्त करना मुश्किल लग रहा वो अपनी गांड को आगे की और सरका देती है उन चारो के लंड के करीब उसकी कमर सीट पे नीचे ठीक गई थी पैरो के बल पे अपनी गांड को संभाले थी.
रह रह के अपनी गांड को उछाल दे रही थी जैसे लंड मे गांड मार रही हो.
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काम्या की कामुक गांड और रस छोड़ती चुत से उन चारो की हालत ख़राब होने लगी थी.
की तभी काम्या अपनी एक ऊँगली गांड मे डाल देती है,उसकी एक ऊँगली चुत मे थी और दूसरी ऊँगली गांड मे
ऐसा दृश्य किसी को देखने को मिलता है भला, ऐसे दृश्य देखने के लिए तो आदमी मरना भी पसंद करे...
काम्या आंखे बंद किये फच फच फच...ऊँगली मारे जा रही थी की तभी
आआआआहहहहह....रांड साली आअह्ह्ह...पिच पिचक....पिचाक.फच....करती आवाज़ के साथ चारो के लंड ने अपना वीर्य छोड़ दिया.
पिच...गरम गरम वीर्य काम्या के बदन ले पड़ते ही काम्या की आंखे खुल जाती है
चारो सामने बैठे अपना वीर्य काम्या के बदन पे गिरा रहे थे.
अभी उन चारो वीर्य पूरी तरह निकला भी नहीं था की....धाय...धाय...धाय...धाय...
चार गोली चली और चारो के बदन नीचे फर्श ले लहूलुहान पडे थे.वीर्य निकलने से पहले उनके प्राण निकल गए थे.

"साले नामर्द कही के खुद की हवस निकाल ली मेरी कौन निकलेगा?"
भुगतो सालो...काम्या का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था.
गोली की आवाज़ से ऊपर सोते बहादुर की नींद खुली तो नीचे देखते ही उसके होश फकता हो गए

नीचे काम्या बिलकुल नंगी हाथ मे पिस्तौल लिए खड़ी थी और फर्श पे लंड हाथ मे पकड़े चार लाश थी
"मैडम...मैडम.....ये क्या किया...जैसे ही बहदुर नीचे उतरा काम्या के कामुक बदन को देखता ही रह गया
उसका लंड भी हिलोरे मरने लगा लेकिन था तो डरपोक ही उसकी घिघी बँधी हुई थी लाश देख के.
काम्या :- साले कभी लड़कियों नहीं देखि क्या हरामी चल इन लाशो को उठा के ट्रैन के बाहर फेंक दे,मै बचा हुआ काम पूरा कर लू.
बोल के काम्या वापस सीट पे बैठ जाती है और उसी पिस्तौल की नाल को चुत मे डाल देती है.
आआहहहहह....उम्म्म.....अभी अभी गोली चलने की वजह से पिस्तौल की नाल गरम थी,परन्तु इस गर्मी मे भी काम्या को मजा था.
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आआहहहह.....फच फच....फचक....फच....काम्या अपनी प्यास बुझा रही थी.
बेचारा बहादुर लाशें उठा उठा के ट्रैन से बाहर फेंक रहा था.
ये तो सिर्फ इंस्पेक्टर काम्या का आगाज था.
बने रहिये....कथा जारी है...
Lovely update dost
 

sunoanuj

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Jabardast.. kamya bahut hi khatmal entry marri hai khani main …
 
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