“कोमल दीदी"
भाग – 14
“हाय चोद….रेशु ऐसे ही बेदर्दी से चोद अपनी कोमल दीदी की चूत को….ओह माँ….कैसा बेदर्दी रेशु है….हाय कैसे चोद रहा है अपनी बड़ी बहन को….हाय माँ देखो….……चोदना इसके लिए कोई बात नहीं….मगर कमीने को ऐसे बेदर्दी से चोदने में पता नहीं क्या मजा मिल रहा है.. उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ मर गई…. हाय बड़ा मजा आ रहा है…..सीईईईई…..मेरे चोदु भैया..मेरे जानू….हाय मेरे चोदु रेशु…..सीईईईई।” मैं लगातार धक्के पर धक्का लगता जा रहा था। मेरा जोश भी अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका था और मैं अपनी गांड तक का जोर लगा कर कमर नचाते हुए धक्का मार रहा था।
दीदी के बूब्स को मुठ्ठी में दबोचते दबाते हुए गच गच धक्का मारते हुए मैं भी जोश में सिसिया हुए बोला, “ओह मेरी प्यारी बहन ओह….सीईईईइ….कितनी मस्त हो तुम….हाय…. सीईईई..…दीदी बहुत मजा आ रहा है.…हाय सच में दीदी आपकी गद्देदार चूत में लौड़ा डालकर ऐसा लग रहा है जैसे…..जन्नत….हाय…पुच्च..पुच्च ओह दीदी मजा आ गया….ओह दीदी तुम गाली भी देती होतो मजा आता है….हाय…मैं नहीं जानता था की मेरी दीदी इतनी बड़ी चुदक्कड़ है….हाय मेरी चुदैल बहना…. सीईईईई हमेशा अपने रेशु को ऐसे ही मजा देती रहना….ऊऊऊऊउ….दीदी मेरी जान….हाय….मेरा लण्ड हमेशा तुम्हारे लिया खड़ा रहता था….हाय आज….मन की मुराद….पूरी हुई सीईईई।” मेरा जोश अब अपने चरम सीमा पर पहुँच चुका था और मुझे लग रहा था की मेरा पानी निकल जाएगा।
दीदी भी अब बेतहाशा अंट-शंट बक रही थी और गांड उचकाते हुए दांत पिसते बोली, “हाय साले….चोदने दे रही हूँ तभी खूबसूरत लग रही हूँ.. मुझे सब पता है…..चुदैल बोलता है….साले तूने अपने लंड का दीवाना बनाया है तभी बनी हु चुदैल नहीं तो मैं तेरे जीजाजी से ही खुश होती……..हाय जोर….अक्क्क्क्क…..जोर से मारता रह बहनचोद…. मेरा अब निकलेगा..हाय रेशु मैं झड़ने वाली हूँ….सीईईईई….और जोर से ….चोद चोद….चोद चोद…. रेशु….बहनचोद….बहनकेलंड।” कहते हुए मुझे छिपकिली की तरह से चिपक गई। उसकी चूत से छलछला कर पानी बहने लगा और मेरे लण्ड को भिगोने लगा। तीन-चार तगड़े धक्के मारने के बाद मेरा लण्ड भी झरने लगा और वीर्य का एक तेज फवारा दीदी की चूत में गिरने लगा। दीदी ने मुझे अपने बदन से कस कर चिपका लिया और आंखे बंद करके अपनी दोनों टांगो को मेरी कमर पर लपेट मुझे बाँध लिया। जिन्दगी में दूसरी बार अपनी बहन की चूत के अन्दर झड़ा था।
वाकई मजा आ गया था। “ओह दीदी.. ओह दीदी" करते हुए मैंने भी उनको अपनी बाँहों में भर लिया था। हम दोनों इतनी तगड़ी चुदाई के बाद एक दम थक चुके थे मगर हमारी कमर अभी भी आगे पीछे हो रही थी दीदी अपनी चूत का रस निकाल रही थी और मैं लंड को चूत की जड़ तक ठेल कर अपना पानी उसकी चूत में झाड़ रहा था। सच में ऐसा मजा मुझे आज के पहले कभी नहीं मिला था। अपनी खूबसूरत बहन को चोदने की दिली तम्मन्ना पूरी होने के कारण पूरे बदन में एक अजीब सी शांति महसूस हो रही थी। करीब दस मिनट तक वैसे ही पडे रहने के बाद मैं धीरे से दीदी के बदन से निचे उतर गया। मेरा लण्ड ढीला हो कर पुच्च से दीदी की चूत से बाहर निकल गया। मैं एकदम थक गया था और वही उनके बगल में लेट गया। दीदी ने अभी भी अपनी आंखे बंद कर रखी थी।
मैं भी अपनी आँखे बंद कर के लेट गया और पता नहीं कब नींद आ गई। शाम को अभी नींद में ही था की लगा जैसे मेरी नाक को दीदी की चूत की खुसबू का अहसास हुआ। एक रात से मैं चूत के चटोरे में बदल चूका अपने आप मेरी जुबान बाहर निकली चाटने के लिए। ये क्या! मेरी जुबान पर गीलापन महसूस हुआ। मैंने जल्दी से आंखे खोली तो देखा दीदी अपने पेटिकोट को कमर तक ऊँचा किये मेरे मुंह के ऊपर बैठी हुई थी और हँस रही थी। दीदी की चूत का रस मेरे होंठो और नाक ऊपर लगा हुआ था। रोज सपना देखता था की कोई मुझे ऐसा मजा दे अब दीदी मुझे शाम को ऐसे जगा कर मजा दे रही है। झटके के साथ लण्ड खड़ा हो गया और पूरा मुंह खोल दीदी की चूत को मुंह में भरता हुआ जोर से काटते हुए चूसने लगा।
उनके मुंह से चीखे और सिसकारियां निकलने लगी। उसी समय पहले दीदी को एक बार और चोद चोद कर ठंडा करके बिस्तर से नीचे उतर बाथरूम चला गया। फ्रेश होकर बाहर निकला तो दीदी उठ कर रसोई में जा चुकी थी। रविवार का दिन था मुझे भी कही जाना नहीं था। कोमल दीदी ने उस दिन लाल रंग की साड़ी और काले रंग का ब्लाउज पहन रखी थी। उस दिन फिर दिन भर हम दोनों भाई बहन दिन भर आपस में खेलते रहे और आनंद उठाते रहे। दीदी ने मुझे दुबारा चोदने तो नहीं दिया मगर रसोई में खाना बनाते समय अपनी चूत चटवाई और मेरे ऊपर लेट कर लंड चूसा। टेलिविज़न देखते समय भी हम दोनों एक दुसरे के अंगो से खेलते रहे। कभी मैं उसकी चूचियां दबा देता कभी वो मेरा लंड खींच कर मरोड देती। मुझे कभी मादरचोद कह कर पुकारती कभी बहनचोद कह कर।
इसी तरह रात होने इसी तरह रात होने पर हमने टेलिविज़न देखते हुए खाना खाया और फिर वो रसोई में बर्तन आदि साफ़ करने चली गई और मैं टीवी देखता रहा थोड़ी देर बाद वो आई और कमरे के अन्दर घुस गई। मैं बाहर ही बैठा रहा। तभी उन्होंने पुकारा “रेशु वहां बैठ कर क्या कर रहा है? रेशु आजा….….” मैं तो इसी इन्तेज़ार में पता नहीं कब से बैठा हुआ था। कूद कर के कमरे में पहुंचा तो देखा दीदी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर मेकअप कर रही थी और फिर परफ्यूम निकाल कर अपने पुरे बदन पर लगाया और आईने में अपने आप को देखने लगी। मैं दीदी की गांड को देखता सोचता रहा की काश मुझे एक बार इनकी गांड का स्वाद चखने को मिल जाता तो बस मजा आ जाता। मेरा मन अब थोडा ज्यादा बहकने लगा था। ऊँगली पकड़ कर गर्दन तक पहुचना चाहता था।
दीदी मेरी तरफ घूम कर मुझे देखती मुस्कुराते हुए बिस्तर पर आ कर बैठ गई, वो बहुत खूबसूरत लग रही थी। बिस्तर पर तकिये के सहारे लेट कर अपनी बाँहों को फैलाते हुए मुझे प्यार से बुलाया। मैं कूद कर बिस्तर पर चढ़ गया और दीदी को बाँहों में भर उनके होंठो का किस लेने लगा। तभी लाइट चली गई और कमरे में पूरा अँधेरा फ़ैल गया। मैं और दीदी दोनों हसने लगे। फिर उन्होंने ने कहा “हाय रेशु….ये तो एकदम टाइम पर लाइट चली गई। मैंने भी दिन में नहीं चुदवाया था की….रात में आराम से मजा लुंगी….चल एक काम कर अँधेरे में चूत चाट सकता है….देखू तो सही…..तू मेरी चूत की सुगंध को पहचानता है या नहीं….साड़ी नहीं खोलनी ठीक है।” इतना सुनते ही मैं होंठो को छोर निचे की तरफ लपका उनके दोनों पैरों को फैला कर सूंघते हुए उनके चूत के पास पहुँच गया। साड़ी को ऊपर उठकर चूत पर मुंह लगा कर लफर-लफर चाटने लगा। थोड़ी देर चाटने पर ही दीदी एक दम सिसयाने लगी और मेरे सर को अपनी चूत पर दबाते हुए चिल्लाने लगी, “हाय रेशु….चूत चाटू…..राजा…. हाय सच में तू तो कमाल कर रहा है….एकदम एक्सपर्ट हो गया है….अँधेरे में भी सूंघ लिया….सीईईईइ बहनचोद है मेरे राजा…..सीईईईइ।”
मैं पूरी चूत को अपने मुंह में भरने के चक्कर मैं चूत पर जीभ चलाते हुए बीच-बीच में उसकी गांड को भी चाट रहा था और उसकी खाई में भी जीभ चला रहा था। तभी लाइट वापस आ गई। मैंने मुंह उठाया तो देखा मैं और दीदी दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे. होंठो पर से चूत का पानी पोछते हुए मैं बोला “हाय दीदी देखो आपको कितना पसीना आ रहा है…जल्दीसे कपडे खोलो।” दीदी भी उठ के बैठते हुए बोली “हाँ बहुत गर्मी है….उफ्फ्फ्फ्फ्फ…. लाइट आजाने से ठीक रहा नहीं तो मैं सोच रही थी।” कहते हुए अपनी साड़ी को खोलने लगी। साड़ी और पेटीकोट खुलते ही दीदी कमर के नीचे से पूरी नंगी हो गई। फिर उन्होंने ब्लाउज खोला उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी थी ये बात मुझे पहले से पता थी, क्यों की दिन भर उसकी ब्लाउज के ऊपर से उनके बूब्स के निप्पल को मैं देखता रहा था।
दोनों चूचे आजाद हो चुके थे और कमरे में उनके बदन से निकल रहे पसीने और परफ्यूम की मादक गंध फ़ैल गई। मेरे से रुका नहीं गया। मैंने झपट कर दीदी को अपनी बाँहों में भरा और निचे लिटा कर उनके होंठो,गालो और माथे को चूमते हुए चाटने लगा। मैं उनके चेहरे पर लगी पसीने की हर बूँद को चाट रहा था और अपने जीभ से चाटते हुए उनके पुरे चेहरे को गीला कर रहा था। दीदी सिसकते हुए मुझ से अपने चेहरे को चटवा रही थी। चेहरे को पूरा गीला करने के बाद मैं गर्दन को चाटने लगा फिर वह से छाती और बूब्स को अपनी जुबान से पूरा गीला कर मैंने दीदी के दोनों हाथो को पकड़ झटके के साथ उनके सर के ऊपर कर दिया। उसकी दोनों कांख मेरे सामने आ गई। कान्खो के बाल अभी भी बहुत छोटे छोटे थे। हाथ के ऊपर होते ही कान्खो से निकलती भीनी-भीनी खुशबू आने लगी। मैं अपने दिल की इच्छा पूरी करने के चक्कर में सीधा उनके दोनों छाती को चाटता हुआ कान्खो की तरफ मुंह ले गया और उसमे अपने मुंह को गाड दिया। कान्खो के मांस को मुंह में भरते हुए चूमने लगा और जीभ निकाल कर चाटने लगा।
कांख में जमे पसीने का नमकीन पानी मेरे मुंह के अन्दर जा रहा था मगर मेरा इस तरफ कोई ध्यान नहीं था। मैं तो कांख के पसीने के सुगंध को सूंघते हुए मदहोश हुआ जा रहा था। मुझे एक नशा सा हो गया था मैंने चाटते-चाटते पूरी कांख को अपने थूक और लार से भीगा दिया था। मुझे इस बात की चिंता नहीं थी की दीदी क्या बोल रही है। दीदी समझ गई की मैं सच में आज उनको नहीं छोड़ने वाला। उनको भी मजा आ रहा था, उन्होंने अपना पूरा बदन ढीला छोर दिया था और मुझे पूरी आजादी दे दी थी। मैं आराम से उनके कान्खो को चाटने के बाद धीरे धीरे निचे की तरफ बढ़ता चला गया और पेट की नाभि को चाटते हुए दांतों से पेटीकोट के नाडे को खोल कर खीचने लगा। इस पर दीदी बोली “फाडदेना….…और फाडदे।” पर मैंने खींचते हुए पूरे पेटीकोट को नीचे उतार दिया और दोनों टांग फैला कर उनके बीच बैठकर एक पैर को अपने हाथ से ऊपर उठा, पैर के अंगूठे को चाटने लगा।
धीरे – धीरे पैर की उँगलियों और टखने को चाटने के बाद पुरे तलवे को जीभ लगा कर चाटा। फिर वहां से आगे बढ़ते हुए उनके पूरे पैर को चाटते हुए घुटने और जांघो को चाटने लगा। जांघो पर दांत गडाते हुए मांस को मुंह में भरते हुए चाट रहा था। दीदी अपने हाथ पैर पटकते हुए छटपटा रही थी। मेरी चटाई ने उनको पूरी तरह से गरम कर दिया था, वो मदहोश हो रही थी। मैं जांघो के जोड को चाटते हुए पैर को हवा में उठा दिया और लप लप करते हुए कुत्ते की तरह कभी चूत कभी उसके चारो तरफ चाटने लगा फिर अचानक से मैंने जांघ पकर कर दोनों पैर हवा में ऊपर उठा दिया इस से दीदी की गांड मेरी आँखों के सामने आ गई और मैं उस पर मुंह लगा कर चाटने लगा। दीदी एक दम गरमा गई और तरपते हुए बोली “क्या कर रहा है…हाय गांड के पीछे हाथ धोकर पड गया….है….सीईईई गांड मारेगा क्या….जब देखो तब चाटने लगता है, उस समय भी चाट रहा था….हाय सीईई..चाट मगर ये याद रख मारने नहीं दूंगी…… आज तक इसमें ऊँगली भी नहीं गई है…..और तू…..जब देखो उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़….हाय चाटना है तो ठीक से चाट…..मजा आ रहा है….रुक मुझे पलटने दे।”
कहते हुए पलट कर पेट के बल हो गई और गांड के नीचे तकिया लगा कर ऊपर उठा दिया और बोली, “ले अब चाट….…. अपनी बहन की गांड….को…..बहनचोद…..बहन की गांड….खा रहा है…..उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ बेशरम।” मेरे लिए अब और आसन हो गया था। मैं अपने होंठो को गांड के छेद के होंठो से मिलाता हुआ चूमने लगा। तभी दीदी अपने दोनों हाथो को गांड के छेद के पास ला कर अपनी गांड की छेद को फैलाती हुई बोली “हाय ठीक से चाट..चाटना है तो….छेद पूरा फैलाकर….चाट.…मेरा भी मन करता था चटवाने को…..हाय रेशु…..मुझे सब पता है…बेटा….तू क्याक्या करता है….इसलिए चौंकना मत….बस वैसे ही जैसे किताब में लिखा है वैसे चाट..हाय.…जीभ अन्दर डालकर चाट….हाय सीईईईईई.” मैं समझ गया की अब जब दीदी से कुछ छुपा ही नहीं है तो शर्माना कैसा अपनी जीभ को कडा कर के उसकी गांड की भूरी छेद में डाल कर नचाते हुए चाटने लगा। गांड के छेद को अपने अंगूठे से पकड फैलाते हुए मस्ती में चाटने लगा। दीदी अपनी गांड को पूरा हवा में उठा कर मेरे जीभ पर नचा रही थी और मैं गांड में अपनी जीभ डाल कर चोदते हुए पूरी खाई में ऊपर से निचे तक जीभ चला रहा था।
दीदी की गांड का स्वाद भी एक दम नशीला लग रहा था। कसी हुई गांड के अन्दर तक जीभ डालने के लिए पूरा जीभ सीधा खड़ा कर के गांड को पूरा फैला कर पेल कर जीभ नचा रहा था। सक सक गांड के अन्दर जीभ आ जा रही थी। थूक से गांड की छेद पूरी गीली हो गई थी और आसानी से मेरी जीभ को अपने अन्दर खींच रही थी। गांड चटवाते हुए दीदी एक दम गर्म हो गई थी और सिसकते हुए बोली“हाय राजा..अब गांड चाटना छोड़ो….हाय राजा….मैं बहुत गरम हो चुकी हूँ…..हाय मुझे तूने….मस्त कर दिया है…हाय अब अपनी रसवंती दीदी का रस चूसना छोड़ और…….उसकी चूत में अपना मस्त लंड डालकर चोद और उसका रस निकाल दे…..हाय सनम….मेरे राजा….चोद दे अपनी दीदी को अब मत तड़पा।” दीदी की तड़प देख मैंने अपना मुंह उसकी गांड पर से हटाया और बोला, “हाय दीदी जब आपने वो कामुक किताब पढ़ी थी तो..…आपने पढ़ा तो होगा ही की….कैसे गांड में.…हाय मेरा मतलब है की एकबार दीदी….अपनी गांड।” दीदी इस एक दम से तड़प कर पलटी और मेरे गालो पर चिकोटी काटती हुई बोली, “हाय हरामी….रेशु…..तू जितना दिखता है उतना सीधा है नहीं….सीईईईइ…बहनचोद….मैं सब समझती हूँ….तू साला गांड के पीछे पड़ा हुआ है…..कुत्ते मेरी गांड मारने के चक्कर में तू….साले…यहाँ मेरी चूत में आग लगी हुई है और तू….हाय….नहीं रेशु मेरी गांड एकदम कुंवारी है और आजतक मैंने इसमें ऊँगली भी नहीं डाली है। हाय रेशु तेरा लंड बहुत मोटा है….गांड छोड़ कर चूत मार ले..मैंने तुझे गांड चाटने दिया….गांड का पूरा मजा ले लिया अब रहने दे।”
मैं दीदी की मिन्नत करने लगा,“हाय दीदी प्लीज़….बस एक बार..किताब में लिखा है कितना भी मोटा…..हो चला जाता है…हाय प्लीज़ बस एक बार…बहुत मजा…आता है…मैंने सुना है….प्लीज़।” अब दीदी को क्या मालूम कि मैं उसकी माँ की भी गांड मार चुका हूं पर कभी कभी मासूम बनने में भी मजा आता है मैं दीदी के पैर को चूम रहा था, गांड को चूम रहा था, कभी हाथ को चूम रहा था। दीदी से मैं भीख मांगने के अंदाज में मिन्नते करने लगा। कुछ देर तक सोचने के बाद दीदी बोली,“ठीक है रेशु तू कर ले….मगर मेरी एक शर्त है….पहले अपने थूक से मेरी गांड को पूरा चिकना कर दे….या फिर थोड़ा सा मख्खन का टुकड़ा ले आ मेरी गांड में डालकर एकदम चिकना कर दे फिर….अपना लण्ड डालना…डालने के पहले…. लण्ड को भी चिकना कर लेना….हाँ एक और बात तेरा पानी मैं अपनी चूत में ही लूंगी खबरदार जो…. तूने अपना पानी कही और गिराया….गांड मारने के बाद चूत के अन्दर डालकर गिराना….नहीं तो फिर कभी तुझे चूत नहीं दूंगी..… और याद रख मैं इस काम में तेरी कोई मदद नहीं करने वाली मैं कुर्सी पकडकर खड़ी हो जाउंगी…..बस।”
मैं राजी हो गया और तुंरत भागता हुआ रसोई से फ्रीज खोल मक्खन के दो तीन टुकड़े ले कर आ गया। दीदी तब तक सोफे वाली चेयर के ऊपर दो तकिया रख कर अपने आधे धड को उस पर टिका कर गांड को हवा में लहरा रही थी। मैं जल्दी से उनके पीछे पहुँच कर उनके चूतडो को फैला कर मक्खन के टुकड़ो को एक-एक कर उसकी गांड में ठेलने लगा। गांड की गर्मी पा कर मख्खन पिघलता जा रहा था और उसकी गांड में घुस कर घुलता जा रहा था। मैंने धीरे –धीरे कर के सारे टुकड़े डाल दिए फिर नीचे झुक कर गांड को बाहर से चाटने लगा। पूरी गांड को थूक से लथपथ कर देने के बाद मैंने अपने लण्ड पर भी ढेर सारा थूक लगाया और फिर दोनों गांड को दोनों हाथ से फैला कर लण्ड को गांड की छेद पर लगा कर कमर से हल्का सा जोर लगाया। गांड इतनी चिकनी हो चुकी थी और छेद इतनी टाइट थी की लण्ड फिसल कर गांड पर लग गया। मैंने दो तीन बार और कोशिश की मगर हर बार ऐसा ही हुआ। दीदी इस पर बोली,“देखा रेशु मैं कहती थी न की एकदम टाइट है….मेरी बात नहीं मान रहा था.…किताब में लिखी हर बात…..सच नहीं….हाय तू तो….बेकार में….उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ कुछ होने वाला नहीं….दर्द भी होगा…..हाय…..चूत में डाल ले….ऐसा मत कर।”
मगर मैं कुछ नहीं बोला और कोशिश करता रहा। थोड़ी देर में दीदी ने खुद से दया करते हुए अपने दोनों हाथो से अपने गांड को पकड़ कर खींचते हुए गांड के छेद को अंगूठा लगा कर फैला दिया और बोली,“ले अपने मन की आरजू पूरी कर ले…. हाथ धो के पीछे पड़ा है….ले अब घुसा…. लण्ड का सुपाड़ा ठीक से छेद पर लगाकर उसके बाद….धक्का मार.. धीरे धीरे मारन।” मैंने दीदी की फैले हुए गांड के छेद पर लण्ड के सुपाड़े को रखा और गांड तक का जोर लगा कर धक्का मारा। इस बार पक से मेरे लण्ड का सुपाड़ा जा कर दीदी की गांड में घुस गया, गांड की छेद फ़ैल गई। सुपाड़ा जब घुस गया तो फिर बाकी काम आसान था क्योंकि सबसे मोटा तो सुपाड़ा ही था। पर सुपाड़ा घुसते ही दीदी की गांड फड़फड़ाने लगी। वो एक दम से चिल्ला उठी और गांड खींचने लगी। मैंने दीदी की कमर को जोर से पकड़ लिया और थोड़ा और जोर लगा कर एक और धक्का मार दिया।
लण्ड आधा के करीब घुस गया क्योंकि गांड तो एक दम चिकनी हो चुकी थी, पर दीदी को शायद दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ चिल्लाते हुए बोली, “हरामी….कुत्ते..कहती थी….मतकर..मादरचोद….पीछे पड़ा हुआ था…..साले….हरामी….छोड़….. हाय मेरी गांड फट गई.. उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़….सीईईईई….अब और मत डालना…. हरामी….तेरी माँ को चोदु…..मत डाल….. हाय निकल ले.…निकल ले रेशु….गांड मत मार….हाय चूत मारले….हाय दीदी की गांड फाड़कर क्या मिलेगा….सीईईईईइ…आईईईईईइ…….. मररररर….गईइइइ।”
दीदी के ऐसे चिल्लाने पर मेरी गांड भी फट गई और मैं डर रुक गया और दीदी की पीठ और गर्दन को चूमने लगा और हाथ आगे बढा कर उसकी दोनों लटकती हुई चूचियों को दबाने लगा। मुझे पता था कि अभी निकाल लिया तो फिर शायद कभी नहीं डालने देगी इसलिए चुप-चाप आधा लण्ड डाले हुए कमर को हलके हलके हिलाने लगा। कुछ देर तक ऐसे करने और बूब्स दबाने से शायद दीदी को आराम मिल गया और आह उह करते हुए अपनी कमर हिलाने लगी। मेरे लिए ये अच्छा अवसर था और मैं भी धीरे धीरे कर के एक एक इंच लण्ड अन्दर घुसाता जा रहा था। हम दोनों पसीने पसीने हो चुके थे। थोड़ी देर में ही मेरी मेहनत रंग लाइ और मेरा लण्ड लगभग पूरा दीदी की गांड में घुस गया। दीदी को अभी भी दर्द हो रहा था और वो बड़बड़ा रही थी। मैं दीदी को सांत्वना देते हुए बोला,“बस दीदी हो गया अब….पूरा घुस चुका है.…थोड़ी देर में लंड….सेट होकर आपको मजा देने लगेगा….हाय..…परेशान नहीं हो….मैं खुद से शर्मिंदा हूँ की मेरे कारण आपको इतनी परेशानी झेलनी पड़ी….अभी सब ठीक हो जाएगा।”
दीदी मेरी बात सुन कर अपनी गर्दन पीछे कर मुस्कुराने की कोशिश करती बोली,“नहीं रेशु…इसमें शर्मिंदा होने की कोई बात नहीं है..हम आपस में मजा ले रहे है….इसलिए इसमें मेरा भी हाथ है……रेशु तू ऐसा मत सोच….मेरे भी दिल में था की मैं गांड मरवाने का स्वाद लू….अब जब हम कर ही रहे है तो….घबराने की कोई जरुरत नहीं है….तुम पूरा कर लो पर याद रखना….अपना पानी मेरी चूत में ही छोड़ना.…लो मारो मेरी गांड..मैं भी कोशिश करती हूँ की गांड को कुछ ढीला कर दू।”ऐसा बोल कर दीदी भी धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगी। मैं भी धीरे धीरे कमर हिला रहा था। कुछ देर बाद ही सक सक करते हुए मेरा लण्ड उसकी गांड में आने-जाने लगा। अब जाकर शायद कुछ ढीला हो रहा था। दीदी के कमर हिलाने में भी थोड़ी तेजी आ गई इसलिए मैंने अपनी गांड का जोर लगाना शुरू कर दिया और तेजी से धक्के मारने लगा। एक हाथ को उसकी कमर के नीचे ले जाकर उसकी चूत के टींटे को मसलने लगा और चूत को रगड़ने लगा। उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी। दीदी को अब मजा आ रहा था। मैं अब कचा कच धक्का लगाने लगा और एक हाथ से उनके बूब्स को थाम कर लण्ड को गांड के अन्दर-बाहर करने लगा।
चूत से दो गुना ज्यादा टाइट दीदी की गांड लग रही थी। दीदी अपनी गांड को हिलाते हुए बोली, “हाय रेशु मजा आ रहा है…..सीईईईई….बहुत अच्छा लग रहा है……शुरु में तो दर्द कर रहा था …..मगर अब अच्छा लग रहा है…..सीईईईई….. हाय राजा….मारो धक्का.…जोर जोर से चोदो अपनी दीदी की गांड को……हाय सैयां बताओ अपनी दीदी की गांड मारने में कैसा लग रहा है…..मजा आ रहा है की नहीं…..मेरी टाइट गांड मारने में…. बहन की गांड मारने का बहुत शौक था ना तुझे…. तो मन लगा कर मार….हाय मेरी चूत भी पानी छोड़ने लगी है….हाय जोर से धक्का मार….अपनी बहन को बीवी बना लिया है….तो मन लगाकर बीवी की सेवा कर….हाय राजा सीईईईईईइ…..बहन चोद बहुत मजा आ रहा है…..सीईईईईइ….उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़।” मैं भी अब पूरा जोर लगा कर धक्का मारते हुए चिल्लाया, “हाय दीदी सीईईई….बहुत टाइट है तुम्हारी गांड….मजा आ गया….हाय एकदम संकरी छेद है….ऊपर नीचे जहाँ के छेद में लंड डालो वही के छेद में मजा भरा हुआ है….हाय दीदी साली….मजा आ गया….सच में तुम बहुत सेक्सी हों….. बहुत मजा आ रहा है….सीईईईई….मैं तो पागल हो गया हूं….मैं तो पूरा बहन चोद बन गया हूँ…..मगर तुम भी तो भाई चोदी बहन हो मेरी डार्लिंग सिस्टर…..हाय दीदी आज तो मैं तुम्हारी चूत और गांड दोनों फाड कर रख दूंगा।”
तभी मुझे लगा की इतनी टाइट गांड मारने के कारण मेरा किसी भी समय निकाल सकता हु. इसलिए मैंने दीदी से कहा की, “दीदी…मेरा अब निकाल सकता है..तुम्हारी गांड बहुत टाइट है….इतनी टाइट गांड मारने से मेरा तो छिल गया है मगर…..बहत मजा आया….अब मैं निकाल सकता हूँ….हाय बोलो दीदी क्या मैं तुम्हारी गांड से निकाल कर चूत में डालू या फिर…..तुम्हारी गांड में निकल दू….बोलो न मेरी लण्डखोर बहन….साली मैं तुम्हारे चूत में झडु या फिर….गांड में झडु…..हाय मेरी स्वीट दीदी।” दीदी अपनी गांड नचाते हुए बोली, “साले मादरचोद….….हाय अगर निकलने वाला है तो पूछ क्या रहा है…बहनचोद..जल्दी से गांड से निकाल चूत में डाल।” मैंने सटाक से लंड खिंचा और दीदी भी उठ कर खड़ी हो गई और बिस्तर पर जा कर अपनी दोनों टांग हवा में उठा कर अपने जन्घो को फैला दिया। मैं लगभग कूदता हुआ उनके जांघो के बीच घुस गया और अपना तमतमाया हुआ लंड गच से उसकी चूत में डाल कर जोर दार धक्के मारने लगा। दीदी भी नीचे से गांड उछाल कर धक्का लेने लगी और चिल्लाने लगी, “हाय राजा मारो….जोर से मारो अपनी बहन की.…हाय मेरे सैयां.…बहुत मजा आ रहा है, इतना मजा कभी नहीं मिला….मेरे रेशु मेरे जानू ….अब तुम मेरे हो.…हाय राजा मैं तुमसे हर बार चुदूँगी ….हाय अब तुम्ही मेरे सैयां हो….मेरे बालम….….ले अपनी दीदी की चूत का मजा….पूरा अन्दर तक लंड डालकर चूत में पानी छोडो।” मैं भी चिल्लाते हुए बोला, “मेरे लण्ड का पानी अपनी चूत में ले….हाय मेरा निकलने वाला है।" मैंने अपना पुरा वीर्य उनकी चूत में डाल दिया हम दोनों काफी थक गए थे एक दूसरे की बाहो में सो गये जब सो कर उठे तो रात की बाते सोच कर दोनों हँसने लगे और एक दूसरे को बाहो में भिचने लगे मुझे हम दोनों ने कल बहुत गंदी गंदी बाते करते करते सेक्स किया था यह मेरा आइडिया था हम किंकी सेक्स करना चाहते थे मेरी इच्छा का मान रखकर हमने सेक्स किया जो हम दोनों को बहुत पसंद आया था।
दीदी भी बहुत खुश थी और वो भी मुझे नहीं छोड़ना चाहती थी, पर कल चाचा-चाची आ रहे थे और कल जीजू भी बाहर से लौट रहे थे। दूसरे दिन में उठा तो दीदी हमेशा की तरह मेरे से पहले उठ चुकी थी और मैंने फ्रेश हो कर बाहर आया तो मेरे मोबाइल पर दीदी का मैसेज आया था की वो माँ डैड को रिसीव करने जा रही हे और एक घंटे में लौटेंगी। मैं बाहर आ कर ब्रेकफास्ट करने बैठा और जैसे ही मैंने ब्रेकफास्ट ख़त्म किया की दीदी की कार के आने की आवाज़ आई और में फट से डरवाजा खोलने दौड़ा और मैंने देखा तो में सही था चाची आ चुकी थी। मैंने चाचा चाची के पाँव छुए और चाची और कोमल दीदी बातें करने लगी। मैं भी पास में ही बैठा था पर में तो बस दोनों को देखे जा रहा था और में दीदी के पास में बैठा था इसीलिए में चाची को देख रहा था और इस बात का दीदी को शायद पता नहीं था जब की चाची अच्छे से जानती थी की में बस उन्हें निहार रहा हू।
चाची ब्लैक साडी में और मैचिंग ब्लाउज में थी और चाची की कमर क्या मस्त लग रही थी, चाची का भी अब ध्यान दीदी से बातों से हट कर मेरी और था की में क्या देख रहा था फिर उन्हें शर्म आई तो चाची ने अपनी साडी ठीक की और अपने पल्लू से अपने आप को कवर किया। मैंने थोड़े ग़ुस्से में चाची को देखा पर कुछ कर नहीं सकता था इतने में दीदी ने कहा की उन्हें अब चलना चहिये क्यूँकि जीजू भी आने वाले थे, इसीलिए वो उठी और कहा की वो अपना लगेज पैक करने जा रही हैं और चाची ने भी कहा की वो चाय बनाती हैं सबके लिये। तो वो दोनों उठी और जैसे ही दीदी अपने रूम में गयी और चाची किचन में जा रही थी की मैंने पीछे से चाची को धक्का देते हुए सीधा किचन में लाते हुए मैंने चाची को पीछे से अपनी बाँहों में थाम लिया और फिर चाची भी घूम गयी और मेरी और देखा और मैंने भी उनकी ओर, और मैंने अपने हाथ में उनका चेहरा रखा और चाची के लिप्स को चूसने लगा और चाची भी मेरे लिप्स को अपने लिप्स में भर रही थी। वो भी 15 दिन से प्यासी थी, मैंने फिर चाची को गांड से पकड़ा और उठा के किचन के प्लेटफार्म पे बिठा दिया और चाची के लिप्स को सक करने लगा और चाची ने भी अपनी बाहें मेरे गले के आसपास फैला दी और में सच में चाची को किस करने में खो गया और चाची भी।
फिर एक दम से चाची ने मुझे छोड़ दिया और धक्का दे दिया और प्लेटफार्म से उतर गयी, मैंने देखा तो किचन के दरवाजे पर दीदी खड़ी हो के सब देख रही थी, चाची शर्म के मारे बेहाल हो रही थी, चाची अपने पल्लू से अपने फेस को छूपाने की कोशिश करने लगी। दीदी भी अदब बना के देख रही थी और फिर वो मेरे पास आई और मुझे कस के एक थप्पड़ जड़ दिया। आई वास् टोटली शॉकड की दीदी मेरे साथ ऐसा कर सकती है। चाची तो कुछ बोलने के हालत में नहीं थी, चाची तो क्या अब तो में भी कुछ बोलने के हालत में नहीं था और फिर दीदी ने मेरी चाची की और देखा और चाची ने फिर से अपने फेस को पल्लू से ढकने की कोशिश की। मेरा तो हाथ ही अपने गाल से हट नहीं रहा था एक मिनट तक किचन में एक दम शांती रही थी और फिर दीदी ने फिर से मेरी और देखा और मुझे अपने हाथों से पकड़ा और मेरे लिप्स पर किस कर दिया। चाची के लिए तो यह डबल शॉक था और चाची का मुँह शॉक से खुला ही रह गया और फिर दीदी ने चाची की और देखा और चाची से कहा की, “माँ यु हैव मेड नाइस चोइस..यह बहुत नालायक लड़का है, लेकिन अच्छा है।" चाची कुछ समझ नहीं पाई और फिर दीदी चाची को ले कर अपने रूम में चली गयी।