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Incest डॉक्टर का फुल पारिवारिक धमाका

Raja maurya

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“कोमल दीदी"

भाग – 14


“हाय चोद….रेशु ऐसे ही बेदर्दी से चोद अपनी कोमल दीदी की चूत को….ओह माँ….कैसा बेदर्दी रेशु है….हाय कैसे चोद रहा है अपनी बड़ी बहन को….हाय माँ देखो….……चोदना इसके लिए कोई बात नहीं….मगर कमीने को ऐसे बेदर्दी से चोदने में पता नहीं क्या मजा मिल रहा है.. उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ मर गई…. हाय बड़ा मजा आ रहा है…..सीईईईई…..मेरे चोदु भैया..मेरे जानू….हाय मेरे चोदु रेशु…..सीईईईई।” मैं लगातार धक्के पर धक्का लगता जा रहा था। मेरा जोश भी अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका था और मैं अपनी गांड तक का जोर लगा कर कमर नचाते हुए धक्का मार रहा था।

दीदी के बूब्स को मुठ्ठी में दबोचते दबाते हुए गच गच धक्का मारते हुए मैं भी जोश में सिसिया हुए बोला, “ओह मेरी प्यारी बहन ओह….सीईईईइ….कितनी मस्त हो तुम….हाय…. सीईईई..…दीदी बहुत मजा आ रहा है.…हाय सच में दीदी आपकी गद्देदार चूत में लौड़ा डालकर ऐसा लग रहा है जैसे…..जन्नत….हाय…पुच्च..पुच्च ओह दीदी मजा आ गया….ओह दीदी तुम गाली भी देती होतो मजा आता है….हाय…मैं नहीं जानता था की मेरी दीदी इतनी बड़ी चुदक्कड़ है….हाय मेरी चुदैल बहना…. सीईईईई हमेशा अपने रेशु को ऐसे ही मजा देती रहना….ऊऊऊऊउ….दीदी मेरी जान….हाय….मेरा लण्ड हमेशा तुम्हारे लिया खड़ा रहता था….हाय आज….मन की मुराद….पूरी हुई सीईईई।” मेरा जोश अब अपने चरम सीमा पर पहुँच चुका था और मुझे लग रहा था की मेरा पानी निकल जाएगा।

दीदी भी अब बेतहाशा अंट-शंट बक रही थी और गांड उचकाते हुए दांत पिसते बोली, “हाय साले….चोदने दे रही हूँ तभी खूबसूरत लग रही हूँ.. मुझे सब पता है…..चुदैल बोलता है….साले तूने अपने लंड का दीवाना बनाया है तभी बनी हु चुदैल नहीं तो मैं तेरे जीजाजी से ही खुश होती……..हाय जोर….अक्क्क्क्क…..जोर से मारता रह बहनचोद…. मेरा अब निकलेगा..हाय रेशु मैं झड़ने वाली हूँ….सीईईईई….और जोर से ….चोद चोद….चोद चोद…. रेशु….बहनचोद….बहनकेलंड।” कहते हुए मुझे छिपकिली की तरह से चिपक गई। उसकी चूत से छलछला कर पानी बहने लगा और मेरे लण्ड को भिगोने लगा। तीन-चार तगड़े धक्के मारने के बाद मेरा लण्ड भी झरने लगा और वीर्य का एक तेज फवारा दीदी की चूत में गिरने लगा। दीदी ने मुझे अपने बदन से कस कर चिपका लिया और आंखे बंद करके अपनी दोनों टांगो को मेरी कमर पर लपेट मुझे बाँध लिया। जिन्दगी में दूसरी बार अपनी बहन की चूत के अन्दर झड़ा था।

वाकई मजा आ गया था। “ओह दीदी.. ओह दीदी" करते हुए मैंने भी उनको अपनी बाँहों में भर लिया था। हम दोनों इतनी तगड़ी चुदाई के बाद एक दम थक चुके थे मगर हमारी कमर अभी भी आगे पीछे हो रही थी दीदी अपनी चूत का रस निकाल रही थी और मैं लंड को चूत की जड़ तक ठेल कर अपना पानी उसकी चूत में झाड़ रहा था। सच में ऐसा मजा मुझे आज के पहले कभी नहीं मिला था। अपनी खूबसूरत बहन को चोदने की दिली तम्मन्ना पूरी होने के कारण पूरे बदन में एक अजीब सी शांति महसूस हो रही थी। करीब दस मिनट तक वैसे ही पडे रहने के बाद मैं धीरे से दीदी के बदन से निचे उतर गया। मेरा लण्ड ढीला हो कर पुच्च से दीदी की चूत से बाहर निकल गया। मैं एकदम थक गया था और वही उनके बगल में लेट गया। दीदी ने अभी भी अपनी आंखे बंद कर रखी थी।

मैं भी अपनी आँखे बंद कर के लेट गया और पता नहीं कब नींद आ गई। शाम को अभी नींद में ही था की लगा जैसे मेरी नाक को दीदी की चूत की खुसबू का अहसास हुआ। एक रात से मैं चूत के चटोरे में बदल चूका अपने आप मेरी जुबान बाहर निकली चाटने के लिए। ये क्या! मेरी जुबान पर गीलापन महसूस हुआ। मैंने जल्दी से आंखे खोली तो देखा दीदी अपने पेटिकोट को कमर तक ऊँचा किये मेरे मुंह के ऊपर बैठी हुई थी और हँस रही थी। दीदी की चूत का रस मेरे होंठो और नाक ऊपर लगा हुआ था। रोज सपना देखता था की कोई मुझे ऐसा मजा दे अब दीदी मुझे शाम को ऐसे जगा कर मजा दे रही है। झटके के साथ लण्ड खड़ा हो गया और पूरा मुंह खोल दीदी की चूत को मुंह में भरता हुआ जोर से काटते हुए चूसने लगा।

उनके मुंह से चीखे और सिसकारियां निकलने लगी। उसी समय पहले दीदी को एक बार और चोद चोद कर ठंडा करके बिस्तर से नीचे उतर बाथरूम चला गया। फ्रेश होकर बाहर निकला तो दीदी उठ कर रसोई में जा चुकी थी। रविवार का दिन था मुझे भी कही जाना नहीं था। कोमल दीदी ने उस दिन लाल रंग की साड़ी और काले रंग का ब्लाउज पहन रखी थी। उस दिन फिर दिन भर हम दोनों भाई बहन दिन भर आपस में खेलते रहे और आनंद उठाते रहे। दीदी ने मुझे दुबारा चोदने तो नहीं दिया मगर रसोई में खाना बनाते समय अपनी चूत चटवाई और मेरे ऊपर लेट कर लंड चूसा। टेलिविज़न देखते समय भी हम दोनों एक दुसरे के अंगो से खेलते रहे। कभी मैं उसकी चूचियां दबा देता कभी वो मेरा लंड खींच कर मरोड देती। मुझे कभी मादरचोद कह कर पुकारती कभी बहनचोद कह कर।

इसी तरह रात होने इसी तरह रात होने पर हमने टेलिविज़न देखते हुए खाना खाया और फिर वो रसोई में बर्तन आदि साफ़ करने चली गई और मैं टीवी देखता रहा थोड़ी देर बाद वो आई और कमरे के अन्दर घुस गई। मैं बाहर ही बैठा रहा। तभी उन्होंने पुकारा “रेशु वहां बैठ कर क्या कर रहा है? रेशु आजा….….” मैं तो इसी इन्तेज़ार में पता नहीं कब से बैठा हुआ था। कूद कर के कमरे में पहुंचा तो देखा दीदी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर मेकअप कर रही थी और फिर परफ्यूम निकाल कर अपने पुरे बदन पर लगाया और आईने में अपने आप को देखने लगी। मैं दीदी की गांड को देखता सोचता रहा की काश मुझे एक बार इनकी गांड का स्वाद चखने को मिल जाता तो बस मजा आ जाता। मेरा मन अब थोडा ज्यादा बहकने लगा था। ऊँगली पकड़ कर गर्दन तक पहुचना चाहता था।

दीदी मेरी तरफ घूम कर मुझे देखती मुस्कुराते हुए बिस्तर पर आ कर बैठ गई, वो बहुत खूबसूरत लग रही थी। बिस्तर पर तकिये के सहारे लेट कर अपनी बाँहों को फैलाते हुए मुझे प्यार से बुलाया। मैं कूद कर बिस्तर पर चढ़ गया और दीदी को बाँहों में भर उनके होंठो का किस लेने लगा। तभी लाइट चली गई और कमरे में पूरा अँधेरा फ़ैल गया। मैं और दीदी दोनों हसने लगे। फिर उन्होंने ने कहा “हाय रेशु….ये तो एकदम टाइम पर लाइट चली गई। मैंने भी दिन में नहीं चुदवाया था की….रात में आराम से मजा लुंगी….चल एक काम कर अँधेरे में चूत चाट सकता है….देखू तो सही…..तू मेरी चूत की सुगंध को पहचानता है या नहीं….साड़ी नहीं खोलनी ठीक है।” इतना सुनते ही मैं होंठो को छोर निचे की तरफ लपका उनके दोनों पैरों को फैला कर सूंघते हुए उनके चूत के पास पहुँच गया। साड़ी को ऊपर उठकर चूत पर मुंह लगा कर लफर-लफर चाटने लगा। थोड़ी देर चाटने पर ही दीदी एक दम सिसयाने लगी और मेरे सर को अपनी चूत पर दबाते हुए चिल्लाने लगी, “हाय रेशु….चूत चाटू…..राजा…. हाय सच में तू तो कमाल कर रहा है….एकदम एक्सपर्ट हो गया है….अँधेरे में भी सूंघ लिया….सीईईईइ बहनचोद है मेरे राजा…..सीईईईइ।”

मैं पूरी चूत को अपने मुंह में भरने के चक्कर मैं चूत पर जीभ चलाते हुए बीच-बीच में उसकी गांड को भी चाट रहा था और उसकी खाई में भी जीभ चला रहा था। तभी लाइट वापस आ गई। मैंने मुंह उठाया तो देखा मैं और दीदी दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे. होंठो पर से चूत का पानी पोछते हुए मैं बोला “हाय दीदी देखो आपको कितना पसीना आ रहा है…जल्दीसे कपडे खोलो।” दीदी भी उठ के बैठते हुए बोली “हाँ बहुत गर्मी है….उफ्फ्फ्फ्फ्फ…. लाइट आजाने से ठीक रहा नहीं तो मैं सोच रही थी।” कहते हुए अपनी साड़ी को खोलने लगी। साड़ी और पेटीकोट खुलते ही दीदी कमर के नीचे से पूरी नंगी हो गई। फिर उन्होंने ब्लाउज खोला उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी थी ये बात मुझे पहले से पता थी, क्यों की दिन भर उसकी ब्लाउज के ऊपर से उनके बूब्स के निप्पल को मैं देखता रहा था।

दोनों चूचे आजाद हो चुके थे और कमरे में उनके बदन से निकल रहे पसीने और परफ्यूम की मादक गंध फ़ैल गई। मेरे से रुका नहीं गया। मैंने झपट कर दीदी को अपनी बाँहों में भरा और निचे लिटा कर उनके होंठो,गालो और माथे को चूमते हुए चाटने लगा। मैं उनके चेहरे पर लगी पसीने की हर बूँद को चाट रहा था और अपने जीभ से चाटते हुए उनके पुरे चेहरे को गीला कर रहा था। दीदी सिसकते हुए मुझ से अपने चेहरे को चटवा रही थी। चेहरे को पूरा गीला करने के बाद मैं गर्दन को चाटने लगा फिर वह से छाती और बूब्स को अपनी जुबान से पूरा गीला कर मैंने दीदी के दोनों हाथो को पकड़ झटके के साथ उनके सर के ऊपर कर दिया। उसकी दोनों कांख मेरे सामने आ गई। कान्खो के बाल अभी भी बहुत छोटे छोटे थे। हाथ के ऊपर होते ही कान्खो से निकलती भीनी-भीनी खुशबू आने लगी। मैं अपने दिल की इच्छा पूरी करने के चक्कर में सीधा उनके दोनों छाती को चाटता हुआ कान्खो की तरफ मुंह ले गया और उसमे अपने मुंह को गाड दिया। कान्खो के मांस को मुंह में भरते हुए चूमने लगा और जीभ निकाल कर चाटने लगा।

कांख में जमे पसीने का नमकीन पानी मेरे मुंह के अन्दर जा रहा था मगर मेरा इस तरफ कोई ध्यान नहीं था। मैं तो कांख के पसीने के सुगंध को सूंघते हुए मदहोश हुआ जा रहा था। मुझे एक नशा सा हो गया था मैंने चाटते-चाटते पूरी कांख को अपने थूक और लार से भीगा दिया था। मुझे इस बात की चिंता नहीं थी की दीदी क्या बोल रही है। दीदी समझ गई की मैं सच में आज उनको नहीं छोड़ने वाला। उनको भी मजा आ रहा था, उन्होंने अपना पूरा बदन ढीला छोर दिया था और मुझे पूरी आजादी दे दी थी। मैं आराम से उनके कान्खो को चाटने के बाद धीरे धीरे निचे की तरफ बढ़ता चला गया और पेट की नाभि को चाटते हुए दांतों से पेटीकोट के नाडे को खोल कर खीचने लगा। इस पर दीदी बोली “फाडदेना….…और फाडदे।” पर मैंने खींचते हुए पूरे पेटीकोट को नीचे उतार दिया और दोनों टांग फैला कर उनके बीच बैठकर एक पैर को अपने हाथ से ऊपर उठा, पैर के अंगूठे को चाटने लगा।

धीरे – धीरे पैर की उँगलियों और टखने को चाटने के बाद पुरे तलवे को जीभ लगा कर चाटा। फिर वहां से आगे बढ़ते हुए उनके पूरे पैर को चाटते हुए घुटने और जांघो को चाटने लगा। जांघो पर दांत गडाते हुए मांस को मुंह में भरते हुए चाट रहा था। दीदी अपने हाथ पैर पटकते हुए छटपटा रही थी। मेरी चटाई ने उनको पूरी तरह से गरम कर दिया था, वो मदहोश हो रही थी। मैं जांघो के जोड को चाटते हुए पैर को हवा में उठा दिया और लप लप करते हुए कुत्ते की तरह कभी चूत कभी उसके चारो तरफ चाटने लगा फिर अचानक से मैंने जांघ पकर कर दोनों पैर हवा में ऊपर उठा दिया इस से दीदी की गांड मेरी आँखों के सामने आ गई और मैं उस पर मुंह लगा कर चाटने लगा। दीदी एक दम गरमा गई और तरपते हुए बोली “क्या कर रहा है…हाय गांड के पीछे हाथ धोकर पड गया….है….सीईईई गांड मारेगा क्या….जब देखो तब चाटने लगता है, उस समय भी चाट रहा था….हाय सीईई..चाट मगर ये याद रख मारने नहीं दूंगी…… आज तक इसमें ऊँगली भी नहीं गई है…..और तू…..जब देखो उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़….हाय चाटना है तो ठीक से चाट…..मजा आ रहा है….रुक मुझे पलटने दे।”

कहते हुए पलट कर पेट के बल हो गई और गांड के नीचे तकिया लगा कर ऊपर उठा दिया और बोली, “ले अब चाट….…. अपनी बहन की गांड….को…..बहनचोद…..बहन की गांड….खा रहा है…..उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ बेशरम।” मेरे लिए अब और आसन हो गया था। मैं अपने होंठो को गांड के छेद के होंठो से मिलाता हुआ चूमने लगा। तभी दीदी अपने दोनों हाथो को गांड के छेद के पास ला कर अपनी गांड की छेद को फैलाती हुई बोली “हाय ठीक से चाट..चाटना है तो….छेद पूरा फैलाकर….चाट.…मेरा भी मन करता था चटवाने को…..हाय रेशु…..मुझे सब पता है…बेटा….तू क्याक्या करता है….इसलिए चौंकना मत….बस वैसे ही जैसे किताब में लिखा है वैसे चाट..हाय.…जीभ अन्दर डालकर चाट….हाय सीईईईईई.” मैं समझ गया की अब जब दीदी से कुछ छुपा ही नहीं है तो शर्माना कैसा अपनी जीभ को कडा कर के उसकी गांड की भूरी छेद में डाल कर नचाते हुए चाटने लगा। गांड के छेद को अपने अंगूठे से पकड फैलाते हुए मस्ती में चाटने लगा। दीदी अपनी गांड को पूरा हवा में उठा कर मेरे जीभ पर नचा रही थी और मैं गांड में अपनी जीभ डाल कर चोदते हुए पूरी खाई में ऊपर से निचे तक जीभ चला रहा था।

दीदी की गांड का स्वाद भी एक दम नशीला लग रहा था। कसी हुई गांड के अन्दर तक जीभ डालने के लिए पूरा जीभ सीधा खड़ा कर के गांड को पूरा फैला कर पेल कर जीभ नचा रहा था। सक सक गांड के अन्दर जीभ आ जा रही थी। थूक से गांड की छेद पूरी गीली हो गई थी और आसानी से मेरी जीभ को अपने अन्दर खींच रही थी। गांड चटवाते हुए दीदी एक दम गर्म हो गई थी और सिसकते हुए बोली“हाय राजा..अब गांड चाटना छोड़ो….हाय राजा….मैं बहुत गरम हो चुकी हूँ…..हाय मुझे तूने….मस्त कर दिया है…हाय अब अपनी रसवंती दीदी का रस चूसना छोड़ और…….उसकी चूत में अपना मस्त लंड डालकर चोद और उसका रस निकाल दे…..हाय सनम….मेरे राजा….चोद दे अपनी दीदी को अब मत तड़पा।” दीदी की तड़प देख मैंने अपना मुंह उसकी गांड पर से हटाया और बोला, “हाय दीदी जब आपने वो कामुक किताब पढ़ी थी तो..…आपने पढ़ा तो होगा ही की….कैसे गांड में.…हाय मेरा मतलब है की एकबार दीदी….अपनी गांड।” दीदी इस एक दम से तड़प कर पलटी और मेरे गालो पर चिकोटी काटती हुई बोली, “हाय हरामी….रेशु…..तू जितना दिखता है उतना सीधा है नहीं….सीईईईइ…बहनचोद….मैं सब समझती हूँ….तू साला गांड के पीछे पड़ा हुआ है…..कुत्ते मेरी गांड मारने के चक्कर में तू….साले…यहाँ मेरी चूत में आग लगी हुई है और तू….हाय….नहीं रेशु मेरी गांड एकदम कुंवारी है और आजतक मैंने इसमें ऊँगली भी नहीं डाली है। हाय रेशु तेरा लंड बहुत मोटा है….गांड छोड़ कर चूत मार ले..मैंने तुझे गांड चाटने दिया….गांड का पूरा मजा ले लिया अब रहने दे।”

मैं दीदी की मिन्नत करने लगा,“हाय दीदी प्लीज़….बस एक बार..किताब में लिखा है कितना भी मोटा…..हो चला जाता है…हाय प्लीज़ बस एक बार…बहुत मजा…आता है…मैंने सुना है….प्लीज़।” अब दीदी को क्या मालूम कि मैं उसकी माँ की भी गांड मार चुका हूं पर कभी कभी मासूम बनने में भी मजा आता है मैं दीदी के पैर को चूम रहा था, गांड को चूम रहा था, कभी हाथ को चूम रहा था। दीदी से मैं भीख मांगने के अंदाज में मिन्नते करने लगा। कुछ देर तक सोचने के बाद दीदी बोली,“ठीक है रेशु तू कर ले….मगर मेरी एक शर्त है….पहले अपने थूक से मेरी गांड को पूरा चिकना कर दे….या फिर थोड़ा सा मख्खन का टुकड़ा ले आ मेरी गांड में डालकर एकदम चिकना कर दे फिर….अपना लण्ड डालना…डालने के पहले…. लण्ड को भी चिकना कर लेना….हाँ एक और बात तेरा पानी मैं अपनी चूत में ही लूंगी खबरदार जो…. तूने अपना पानी कही और गिराया….गांड मारने के बाद चूत के अन्दर डालकर गिराना….नहीं तो फिर कभी तुझे चूत नहीं दूंगी..… और याद रख मैं इस काम में तेरी कोई मदद नहीं करने वाली मैं कुर्सी पकडकर खड़ी हो जाउंगी…..बस।”

मैं राजी हो गया और तुंरत भागता हुआ रसोई से फ्रीज खोल मक्खन के दो तीन टुकड़े ले कर आ गया। दीदी तब तक सोफे वाली चेयर के ऊपर दो तकिया रख कर अपने आधे धड को उस पर टिका कर गांड को हवा में लहरा रही थी। मैं जल्दी से उनके पीछे पहुँच कर उनके चूतडो को फैला कर मक्खन के टुकड़ो को एक-एक कर उसकी गांड में ठेलने लगा। गांड की गर्मी पा कर मख्खन पिघलता जा रहा था और उसकी गांड में घुस कर घुलता जा रहा था। मैंने धीरे –धीरे कर के सारे टुकड़े डाल दिए फिर नीचे झुक कर गांड को बाहर से चाटने लगा। पूरी गांड को थूक से लथपथ कर देने के बाद मैंने अपने लण्ड पर भी ढेर सारा थूक लगाया और फिर दोनों गांड को दोनों हाथ से फैला कर लण्ड को गांड की छेद पर लगा कर कमर से हल्का सा जोर लगाया। गांड इतनी चिकनी हो चुकी थी और छेद इतनी टाइट थी की लण्ड फिसल कर गांड पर लग गया। मैंने दो तीन बार और कोशिश की मगर हर बार ऐसा ही हुआ। दीदी इस पर बोली,“देखा रेशु मैं कहती थी न की एकदम टाइट है….मेरी बात नहीं मान रहा था.…किताब में लिखी हर बात…..सच नहीं….हाय तू तो….बेकार में….उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ कुछ होने वाला नहीं….दर्द भी होगा…..हाय…..चूत में डाल ले….ऐसा मत कर।”

मगर मैं कुछ नहीं बोला और कोशिश करता रहा। थोड़ी देर में दीदी ने खुद से दया करते हुए अपने दोनों हाथो से अपने गांड को पकड़ कर खींचते हुए गांड के छेद को अंगूठा लगा कर फैला दिया और बोली,“ले अपने मन की आरजू पूरी कर ले…. हाथ धो के पीछे पड़ा है….ले अब घुसा…. लण्ड का सुपाड़ा ठीक से छेद पर लगाकर उसके बाद….धक्का मार.. धीरे धीरे मारन।” मैंने दीदी की फैले हुए गांड के छेद पर लण्ड के सुपाड़े को रखा और गांड तक का जोर लगा कर धक्का मारा। इस बार पक से मेरे लण्ड का सुपाड़ा जा कर दीदी की गांड में घुस गया, गांड की छेद फ़ैल गई। सुपाड़ा जब घुस गया तो फिर बाकी काम आसान था क्योंकि सबसे मोटा तो सुपाड़ा ही था। पर सुपाड़ा घुसते ही दीदी की गांड फड़फड़ाने लगी। वो एक दम से चिल्ला उठी और गांड खींचने लगी। मैंने दीदी की कमर को जोर से पकड़ लिया और थोड़ा और जोर लगा कर एक और धक्का मार दिया।

लण्ड आधा के करीब घुस गया क्योंकि गांड तो एक दम चिकनी हो चुकी थी, पर दीदी को शायद दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ चिल्लाते हुए बोली, “हरामी….कुत्ते..कहती थी….मतकर..मादरचोद….पीछे पड़ा हुआ था…..साले….हरामी….छोड़….. हाय मेरी गांड फट गई.. उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़….सीईईईई….अब और मत डालना…. हरामी….तेरी माँ को चोदु…..मत डाल….. हाय निकल ले.…निकल ले रेशु….गांड मत मार….हाय चूत मारले….हाय दीदी की गांड फाड़कर क्या मिलेगा….सीईईईईइ…आईईईईईइ…….. मररररर….गईइइइ।”

दीदी के ऐसे चिल्लाने पर मेरी गांड भी फट गई और मैं डर रुक गया और दीदी की पीठ और गर्दन को चूमने लगा और हाथ आगे बढा कर उसकी दोनों लटकती हुई चूचियों को दबाने लगा। मुझे पता था कि अभी निकाल लिया तो फिर शायद कभी नहीं डालने देगी इसलिए चुप-चाप आधा लण्ड डाले हुए कमर को हलके हलके हिलाने लगा। कुछ देर तक ऐसे करने और बूब्स दबाने से शायद दीदी को आराम मिल गया और आह उह करते हुए अपनी कमर हिलाने लगी। मेरे लिए ये अच्छा अवसर था और मैं भी धीरे धीरे कर के एक एक इंच लण्ड अन्दर घुसाता जा रहा था। हम दोनों पसीने पसीने हो चुके थे। थोड़ी देर में ही मेरी मेहनत रंग लाइ और मेरा लण्ड लगभग पूरा दीदी की गांड में घुस गया। दीदी को अभी भी दर्द हो रहा था और वो बड़बड़ा रही थी। मैं दीदी को सांत्वना देते हुए बोला,“बस दीदी हो गया अब….पूरा घुस चुका है.…थोड़ी देर में लंड….सेट होकर आपको मजा देने लगेगा….हाय..…परेशान नहीं हो….मैं खुद से शर्मिंदा हूँ की मेरे कारण आपको इतनी परेशानी झेलनी पड़ी….अभी सब ठीक हो जाएगा।”

दीदी मेरी बात सुन कर अपनी गर्दन पीछे कर मुस्कुराने की कोशिश करती बोली,“नहीं रेशु…इसमें शर्मिंदा होने की कोई बात नहीं है..हम आपस में मजा ले रहे है….इसलिए इसमें मेरा भी हाथ है……रेशु तू ऐसा मत सोच….मेरे भी दिल में था की मैं गांड मरवाने का स्वाद लू….अब जब हम कर ही रहे है तो….घबराने की कोई जरुरत नहीं है….तुम पूरा कर लो पर याद रखना….अपना पानी मेरी चूत में ही छोड़ना.…लो मारो मेरी गांड..मैं भी कोशिश करती हूँ की गांड को कुछ ढीला कर दू।”ऐसा बोल कर दीदी भी धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगी। मैं भी धीरे धीरे कमर हिला रहा था। कुछ देर बाद ही सक सक करते हुए मेरा लण्ड उसकी गांड में आने-जाने लगा। अब जाकर शायद कुछ ढीला हो रहा था। दीदी के कमर हिलाने में भी थोड़ी तेजी आ गई इसलिए मैंने अपनी गांड का जोर लगाना शुरू कर दिया और तेजी से धक्के मारने लगा। एक हाथ को उसकी कमर के नीचे ले जाकर उसकी चूत के टींटे को मसलने लगा और चूत को रगड़ने लगा। उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी। दीदी को अब मजा आ रहा था। मैं अब कचा कच धक्का लगाने लगा और एक हाथ से उनके बूब्स को थाम कर लण्ड को गांड के अन्दर-बाहर करने लगा।

चूत से दो गुना ज्यादा टाइट दीदी की गांड लग रही थी। दीदी अपनी गांड को हिलाते हुए बोली, “हाय रेशु मजा आ रहा है…..सीईईईई….बहुत अच्छा लग रहा है……शुरु में तो दर्द कर रहा था …..मगर अब अच्छा लग रहा है…..सीईईईई….. हाय राजा….मारो धक्का.…जोर जोर से चोदो अपनी दीदी की गांड को……हाय सैयां बताओ अपनी दीदी की गांड मारने में कैसा लग रहा है…..मजा आ रहा है की नहीं…..मेरी टाइट गांड मारने में…. बहन की गांड मारने का बहुत शौक था ना तुझे…. तो मन लगा कर मार….हाय मेरी चूत भी पानी छोड़ने लगी है….हाय जोर से धक्का मार….अपनी बहन को बीवी बना लिया है….तो मन लगाकर बीवी की सेवा कर….हाय राजा सीईईईईईइ…..बहन चोद बहुत मजा आ रहा है…..सीईईईईइ….उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़।” मैं भी अब पूरा जोर लगा कर धक्का मारते हुए चिल्लाया, “हाय दीदी सीईईई….बहुत टाइट है तुम्हारी गांड….मजा आ गया….हाय एकदम संकरी छेद है….ऊपर नीचे जहाँ के छेद में लंड डालो वही के छेद में मजा भरा हुआ है….हाय दीदी साली….मजा आ गया….सच में तुम बहुत सेक्सी हों….. बहुत मजा आ रहा है….सीईईईई….मैं तो पागल हो गया हूं….मैं तो पूरा बहन चोद बन गया हूँ…..मगर तुम भी तो भाई चोदी बहन हो मेरी डार्लिंग सिस्टर…..हाय दीदी आज तो मैं तुम्हारी चूत और गांड दोनों फाड कर रख दूंगा।”

तभी मुझे लगा की इतनी टाइट गांड मारने के कारण मेरा किसी भी समय निकाल सकता हु. इसलिए मैंने दीदी से कहा की, “दीदी…मेरा अब निकाल सकता है..तुम्हारी गांड बहुत टाइट है….इतनी टाइट गांड मारने से मेरा तो छिल गया है मगर…..बहत मजा आया….अब मैं निकाल सकता हूँ….हाय बोलो दीदी क्या मैं तुम्हारी गांड से निकाल कर चूत में डालू या फिर…..तुम्हारी गांड में निकल दू….बोलो न मेरी लण्डखोर बहन….साली मैं तुम्हारे चूत में झडु या फिर….गांड में झडु…..हाय मेरी स्वीट दीदी।” दीदी अपनी गांड नचाते हुए बोली, “साले मादरचोद….….हाय अगर निकलने वाला है तो पूछ क्या रहा है…बहनचोद..जल्दी से गांड से निकाल चूत में डाल।” मैंने सटाक से लंड खिंचा और दीदी भी उठ कर खड़ी हो गई और बिस्तर पर जा कर अपनी दोनों टांग हवा में उठा कर अपने जन्घो को फैला दिया। मैं लगभग कूदता हुआ उनके जांघो के बीच घुस गया और अपना तमतमाया हुआ लंड गच से उसकी चूत में डाल कर जोर दार धक्के मारने लगा। दीदी भी नीचे से गांड उछाल कर धक्का लेने लगी और चिल्लाने लगी, “हाय राजा मारो….जोर से मारो अपनी बहन की.…हाय मेरे सैयां.…बहुत मजा आ रहा है, इतना मजा कभी नहीं मिला….मेरे रेशु मेरे जानू ….अब तुम मेरे हो.…हाय राजा मैं तुमसे हर बार चुदूँगी ….हाय अब तुम्ही मेरे सैयां हो….मेरे बालम….….ले अपनी दीदी की चूत का मजा….पूरा अन्दर तक लंड डालकर चूत में पानी छोडो।” मैं भी चिल्लाते हुए बोला, “मेरे लण्ड का पानी अपनी चूत में ले….हाय मेरा निकलने वाला है।" मैंने अपना पुरा वीर्य उनकी चूत में डाल दिया हम दोनों काफी थक गए थे एक दूसरे की बाहो में सो गये जब सो कर उठे तो रात की बाते सोच कर दोनों हँसने लगे और एक दूसरे को बाहो में भिचने लगे मुझे हम दोनों ने कल बहुत गंदी गंदी बाते करते करते सेक्स किया था यह मेरा आइडिया था हम किंकी सेक्स करना चाहते थे मेरी इच्छा का मान रखकर हमने सेक्स किया जो हम दोनों को बहुत पसंद आया था।

दीदी भी बहुत खुश थी और वो भी मुझे नहीं छोड़ना चाहती थी, पर कल चाचा-चाची आ रहे थे और कल जीजू भी बाहर से लौट रहे थे। दूसरे दिन में उठा तो दीदी हमेशा की तरह मेरे से पहले उठ चुकी थी और मैंने फ्रेश हो कर बाहर आया तो मेरे मोबाइल पर दीदी का मैसेज आया था की वो माँ डैड को रिसीव करने जा रही हे और एक घंटे में लौटेंगी। मैं बाहर आ कर ब्रेकफास्ट करने बैठा और जैसे ही मैंने ब्रेकफास्ट ख़त्म किया की दीदी की कार के आने की आवाज़ आई और में फट से डरवाजा खोलने दौड़ा और मैंने देखा तो में सही था चाची आ चुकी थी। मैंने चाचा चाची के पाँव छुए और चाची और कोमल दीदी बातें करने लगी। मैं भी पास में ही बैठा था पर में तो बस दोनों को देखे जा रहा था और में दीदी के पास में बैठा था इसीलिए में चाची को देख रहा था और इस बात का दीदी को शायद पता नहीं था जब की चाची अच्छे से जानती थी की में बस उन्हें निहार रहा हू।

चाची ब्लैक साडी में और मैचिंग ब्लाउज में थी और चाची की कमर क्या मस्त लग रही थी, चाची का भी अब ध्यान दीदी से बातों से हट कर मेरी और था की में क्या देख रहा था फिर उन्हें शर्म आई तो चाची ने अपनी साडी ठीक की और अपने पल्लू से अपने आप को कवर किया। मैंने थोड़े ग़ुस्से में चाची को देखा पर कुछ कर नहीं सकता था इतने में दीदी ने कहा की उन्हें अब चलना चहिये क्यूँकि जीजू भी आने वाले थे, इसीलिए वो उठी और कहा की वो अपना लगेज पैक करने जा रही हैं और चाची ने भी कहा की वो चाय बनाती हैं सबके लिये। तो वो दोनों उठी और जैसे ही दीदी अपने रूम में गयी और चाची किचन में जा रही थी की मैंने पीछे से चाची को धक्का देते हुए सीधा किचन में लाते हुए मैंने चाची को पीछे से अपनी बाँहों में थाम लिया और फिर चाची भी घूम गयी और मेरी और देखा और मैंने भी उनकी ओर, और मैंने अपने हाथ में उनका चेहरा रखा और चाची के लिप्स को चूसने लगा और चाची भी मेरे लिप्स को अपने लिप्स में भर रही थी। वो भी 15 दिन से प्यासी थी, मैंने फिर चाची को गांड से पकड़ा और उठा के किचन के प्लेटफार्म पे बिठा दिया और चाची के लिप्स को सक करने लगा और चाची ने भी अपनी बाहें मेरे गले के आसपास फैला दी और में सच में चाची को किस करने में खो गया और चाची भी।

फिर एक दम से चाची ने मुझे छोड़ दिया और धक्का दे दिया और प्लेटफार्म से उतर गयी, मैंने देखा तो किचन के दरवाजे पर दीदी खड़ी हो के सब देख रही थी, चाची शर्म के मारे बेहाल हो रही थी, चाची अपने पल्लू से अपने फेस को छूपाने की कोशिश करने लगी। दीदी भी अदब बना के देख रही थी और फिर वो मेरे पास आई और मुझे कस के एक थप्पड़ जड़ दिया। आई वास् टोटली शॉकड की दीदी मेरे साथ ऐसा कर सकती है। चाची तो कुछ बोलने के हालत में नहीं थी, चाची तो क्या अब तो में भी कुछ बोलने के हालत में नहीं था और फिर दीदी ने मेरी चाची की और देखा और चाची ने फिर से अपने फेस को पल्लू से ढकने की कोशिश की। मेरा तो हाथ ही अपने गाल से हट नहीं रहा था एक मिनट तक किचन में एक दम शांती रही थी और फिर दीदी ने फिर से मेरी और देखा और मुझे अपने हाथों से पकड़ा और मेरे लिप्स पर किस कर दिया। चाची के लिए तो यह डबल शॉक था और चाची का मुँह शॉक से खुला ही रह गया और फिर दीदी ने चाची की और देखा और चाची से कहा की, “माँ यु हैव मेड नाइस चोइस..यह बहुत नालायक लड़का है, लेकिन अच्छा है।" चाची कुछ समझ नहीं पाई और फिर दीदी चाची को ले कर अपने रूम में चली गयी।
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Raja maurya

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“छोटी चाची"

भाग – 15


दीदी को पता तो चल गया, और बाद में चाची को भी पता चल गया की मैंने दीदी के साथ सेक्स किया था। चाची बहुत नाराज़ हुई थी मुझसे भी और दीदी से भी पर फिर दीदी चाची को समझाने में सफल रही और फिर दोनों ने कहा की यह बात हम तीनो में ही रहेगी, कोई किसी से कुछ भी नहीं कहेगा और यह भी तय हुआ की सुबह जैसे में चाची से किस करते दीदी के हाथो से पकड़ा गया, वैसे ही किसी और से पकड़ा जा सकता हूँ तो अगली बार से ओपन में छूना मना था। मुझे बात में दम लगा और में भी सब मान गया। सब सही चल रहा था की एक दिन सुबह १० बजे छोटी चाची का कॉल आया की दादाजी की तबियत ठीक नहीं है, तो आप सब लोग आ जाइये और हम फ़टाफ़ट से पहुंचे और सूरत से माँ डैड भी आ गए थे। वहा पहुंचे तो छोटी चाची ने दादाजी को इंजेक्शन दे कर रिलैक्स तो कर दिया था पर उन्हें तेज़ बुखार था तो बड़े चाचा ने कहा की वो दादाजी को साथ ले चलते हे और वहीँ पर उनका अहमदाबाद में ठीक से ख्याल भी हो पायेगा। सब तय हुआ और फिर में माँ और दोनों चाची के साथ बैठा था और ऐसे में माँ ने कहा, “रेशु तुम ऐसा क्यों नहीं करते. की हमारे साथ क्यों नहीं चलते? यहाँ से साथ में जाएंगे. वैसे भी बहुत दिन हो गए हैं।" तब छोटी चाची ने कहा,“रेशु ऐसे देखा जाये तो तुम तो आज यहाँ पर पूरे पांच साल बाद आये हो, तो तुम यहाँ क्यों नहीं रुक जाते"?

फिर बहुत डिस्कशन के बाद तय हुआ की में गाँव में ही रुकूँगा, थोड़ा सा मेरा रुकने का मन नहीं था पर इतना भी बुरा नहीं था लेकिन फिर मेरी मम्मी ने भी कहा की,“रेशु तुम बड़े दिनों बाद आये हो तो रुक जाओ, अपने गाँव को शायद भूल चुके होंगे, तो यहाँ रुको और फिर बाद में बड़ी चाची के पास चले जाना।" “एक दम सही हे दीदी.. रेशु तुम यही रुकोगे और जब तक में नहीं कहती तुम कहीं नहीं जा सकते।" छोटी चाची ने आखरी आर्डर दे दिया और मुझे वहीँ पर रुकना पडा दोपहर को लंच के बाद बड़े चाचा-चाची और मम्मी – पापा सब निकल गये। घर पर में छोटी चाची और चाचा ही थे। मैं थोड़ा बोरिंग फील कर रहा था क्यों की यहाँ मेरी उमर का कोई नहीं था चाची की एक लड़की थी पर वो मुंबई में अपने मामा के घर पर रहकर पड़ती थी। गाँव का घर था इसीलिए मेरे लिए कोई अलग से रूम नहीं था एक रूम अलग से था वहाँ पर चाचा और चाची सोते थे।

मैं वहीँ हॉल में अपनी खाट बिछाके सो गया और सोचने लगा। बड़ी चाची के बारे में, कोमल दीदी के बारे में और उनके साथ सेक्स के बारे मे। छोटी चाची भी एक दम सेक्सी तो थी, पर उनसे कभी ऐसे बात नहीं की थी और यह भी सोचा की क्या छोटी चाची को सिड्यूस करना और सेक्स करना सही होगा? क्यूंकि घर में आलरेडी 2 फीमेल को मैंने सिड्यूस कर दिया था फिर मैंने मन बनाया की नही, छोटी चाची के साथ ऐसा कुछ नहीं करूँगा क्यूँकि उनसे वैसे ही मेरी अच्छी पटती थी और वो वैसे ही मुझसे अच्छे से बीहेवे करती थी। वैसे भी इतना चुदक्कड़ बनने में भी मज़ा नहीं था लेकिन ऐसे ही में सोचते सोचते छोटी चाची के बारे में फैंटेसी करने लगा। वो सच में इतनी सिडक्टिव थी की में सोचने से अपने आपको रोक नहीं पा रहा था वो एक दम एक्ट्रेस स्वाति वर्मा की तरह लगती है। क्या कमर और क्या बूब्स हे चाची के, पर मैंने सोच लिया की नहीं रेशु, गाँव में किसी को पता चल गया तो बहुत बदनामी हो जायेगी और ऐसे सोचते सोचते ही में सो गया।

अचानक 11 बजे उठा तो देखा की चाची कही जाने को रेडी थी, वो बस निकलने ही वाली थी की में उठा तो मुझे देखकर चाची ने कहा, “अरे रेशु इतनी जल्दी क्यों उठ गये? अब उठ गए हो तो सुनो, तुम्हारे चाचा अपने क्लिनिक पर गए हे और में भी गाँव वाले क्लिनिक पर जा रही हू, तो अच्छे से घर को देखना, और चिंता मत करना, में जल्दी ही आ आउंगी।" चाची ने कहा और चाबी मुझे दे कर मेरे गाल पर किस दे कर चली गयी। नींद में से जागने की बारी अब थी, क्यूँकि आज से पहले कभी छोटी चाची ने ऐसे मुझे किस नहीं किया था में बेड पे बैठे – बैठे और चाची को फैंटेसी करते – करते सोचता रहा की आखिर चाची ने किस किया क्यों। कहीं वो मेरे बारे में भी तो नहीं सोच रही? जैसे में चाची के बारे में फैंटसी करता हू? पर फिर सोचा की नहीं वो तो मैं बोर न हो जाऊं इसीलिए ऐसे किया होगा। फिर मैंने सोचना छोड़ा और टीवी ऑन कर के देखने लगा।

अब मेरे चाचा के बारे में, जी मेरे चाचा अपने ही गाँव में एक क्लिनिक चलाते थे, पर फिर उनकी प्रैक्टिस अच्छी चलने लगी इसीलिए उन्होंने पास के शहर में एक हॉस्पिटल खोल दिया लेकिन अभी – अभी यह सब करने से वो काम में बहुत बिजी रहते थे। डॉक्टर्स का एनरोलमेंट, एडमिनिस्ट्रेशन और वो भी घर से दूर, इसीलिए वो सुबह 9 बजे चले जाते और शाम को 8 बाजे आते थे, इसीलिए अब गाँव के क्लिनिक में छोटी चाची पेशेंट को देखति थी और वो भी दोपहर को 12 से 5। क्यूंकि सारे काम से उन्हें भी फुरसत नहीं मिलती थी, वैसे भी अब सारे पेशंट, चाचा के हॉस्पिटल में ही जाते थे। तो जैसे – तैसे मैंने 2 तो घडी में बजा दिये। पर फिर बोर होने लगा तो मैंने फिर चाची के क्लिनिक पे जाने का सोचा, क्यों न वहॉ जा कर चाची से बातें की जाए। वैसे भी वहा पर पेशेंट्स तो कम आते हैं। मैंने घर को लॉक किया और निकला की तभी बूंदा – बांदी होने लगी और अभी मैं गाँव के बाहर निकला ही था की तेज़ बारिश होने लगी।

मुझे मज़ा आने लगा, क्यूँकि यह मौसम की पहली बारिश थी। रास्ते के किनारे मुझे छोटी सी बस्ती दिखी थोड़ी दूर पे स्कूल भी था जहा बच्चे खेल रहे थे वहा से लगभग 500 मीटर आगे निकला ही था की बहुत तेज़ बारिश होने लगी, अब मैं रोड के दोनों तरफ रुकने के लिए जगह देख रहा था पर कोई रुक्ने की जगह नहीं दिख रही थी तभी मुझे रोड के लेफ्ट साइड में 50–60 मीटर दूर एक बहुत बडा पीपल का पेड दिखा जिसके आस पास 4–5 फीट के पत्थर भी थे। मैने वहीं पर रुकने का मन बनाया और उस तरफ चल दिया वहा पहुच के मैंने पेड के पास जा के खडा हो गया बारिश और भी तेज़ हो गई थी 25–30 मीटर के बाद कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था की तब मुझे लगा पेड के पीछे कुछ है मैं थोड़ा घबराया और उस तरफ जा के देखा तो वहा 2 लडकिया बैठी थी, दोनों स्कूल ड्रेस में थी,एक ने फ्रॉक पहना था जो की उसके घुटनो तक था और दूसरी ने सलवार-सूट पहनी थी।

मुझे सामने देख के दोनों घबरा गई,मैं भी 2 मिनट के लिए समझ नहीं पा रहा था की क्या रियेक्ट करु, खैर मैं उनके पास गया तो वो दोनों खडी हो गई मैने पूछा, “तुम दोनों यहाँ क्या कर रही हो और तुम लोगो का घर कहा है।" तो उनमे से एक लडकी ने कहा वो पास वाली प्रायवेट स्कूल में 10वीं क्लास में पढ़ती है, और सुबह लेट हो जाने की वजह से वो स्कूल नहीं गई स्कूल में लेट होने पे टीचर से मार पड़ती है और वापस घर जाती तो डाँट पड़ती। इसलिए दोनों यही रुक के स्कूल छूटने का इंतज़ार कर रही थी,इनका घर यहाँ से 2 किमी आगे राईट साइड में एक गाव है वहा पर था।
थोड़ी देर उनसे मैंने बात की अब तक मैंने उन्हें अपने बारे में कुछ भी नहीं बताया था,वह दोनों बहुत भोली और मासूम थीं। तब तक मेरे मन में कुछ भी गलत नहीं था उनको लेकर। अब तक हम लोग खडे होकर ही बातें कर रहे थे मैंने उनको बैठ जाने को कहा और खुद भी वही पडे 2 फ़ीट के पत्थर पे बैठ गया और वो दोनों मेरे सामने दो छोटे पत्थरो पे घुटने को अपने गर्दन से चिपका के बैठ गई।

गिली होने के वजह से उन्हें थोडी ठण्ड भी लग रहा थी उनके होंठ कांप रहे थे,तभी मेरी नज़र उस लडकी पे गई जिसने फ्रॉक पहना था उसका फ्रॉक उसके घुटने से निकल कर नीचे चला गया था और उसकी लाल चड्डी मुझे दिखी,उसकी चड्डी दिखते ही मानो मुझे करंट का झटका लगा हो। अब मेरे अंदर का शैतान मुझ पर हावी होने लगा था मुझे सेक्स किये हुये भी बहुत दिन हुये थे अब एका-एक वो लडकिया मुझे सेक्सी और कामुक लगने लगी थी उसकी गोरी-गोरी जाँघे देख के मेरा लंड टाइट हो गया था। अब मैं उन दोनों लड़कियों को चोदने का प्लान करने लगा था वो दोनों लड़कियां मेरी इस मानसिकता से अंजान बारिश में ठण्ड से कांप रही थी और एक दूसरे से चिपक कर बैठि थी। अब मैं उन दोनों को घूर रहा था दोनों का रंग साफ था अब गाव की लड़कियां तो शहर की लड़कियों की तरह गोरी होती नहीं है, उन दोनों के गाल फूले हुए थे, होंठ पतले और लाल-लाल थे, उनके बूब्स मुझे नहीं दिख रहे थे उनके बैठे होने के कारण। अब मैं उनको थोड़ा डराना चाहता था ताकि मैं जो करना चाहता हूँ उसमे आसानी हो।

मैने उन दोनों लड़कियों की तरफ देखा और पूछा, “तुम दोनों झूठ तो नहीं बोल रही मुझ से,कहीं किसी और कारण से तो यहाँ इतनी सुनसान जगह पे तुम दोनों रुकी नहीं हो"?उनमे से एक लडकी ने घबराते हुए कहा, “नहीं - नहीं हम सच कह रही है"। मैने थोडा टाइट आवाज़ में कहा,“देखो मैं एक पुलिस वाला हूँ अगर झूठ बोली तो अभी फ़ोन कर के पुलिस वालों को बुलाउंगा और तुम्हे थाने में ले जा के वो सब सच उगलवा लेंगे"। अब वो लडकिया डरने लगी थी पुलिस का नाम सुन के तो अच्छे-अच्छे डरने लगते है वो तो गाव की मासूम और भोली-भाली लडकिया थी। मैने उन्हें अब और डराया... मैने पूछा, “तुम दोनों यहाँ किसी लड़के के साथ तो कुछ करने नहीं आई हो या कर चुकी और मुझे देख के वो लड़के भाग गये,बोलो"?

वो दोनों लड़कियां अब और घबरा गई और रोने जैसी शकल बनाते हुए बोलने लगी की नहीं वो सच कह रही है और यहाँ किसी लड़के से मिलने नहीं आए है। अब वो दोनों खडी हो गई थी, मैंने कहा, “ठीक है मैं अभी फ़ोन कर के गाडी मंगवाता हूँ और तुम लोगो को ठाणे ले के चलता हूँ वहा जब गांड पे डण्डे पडेंगे तो सब सच बोल दोगी और डॉक्टर भी तुम्हे चेक कर के बता देगा की तुम लोगो ने किसी लडके से करवाया है या नहीं"। मै अपना मोबाइल निकाल के ऐसे ही नम्बर डायल करने लगा वो दोनों रोने लगी और रोते हुए बोली नहीं हमे ठाणे नहीं ले जाइये गाव में हमारी बदनामी होगी। मैने कहा तब तो मुझे ही चेक करना पड़ेगा की तुमने किसी लड़के के साथ कुछ किया है या नहीं,वो दोनों झट से मान गई। मैने उनका नाम पूछा तो जिसने फ्रॉक पहना था उसने अपना नाम गीता बताया और दूसरी का नाम रानी। अब जब वो दोनों खडी थी तो उनके बूब्स अब मुझे दिख रहे थे, गीता के बूब्स थोड़े बड़े और रानी के बूब्स उससे थोड़े छोटे थे।

मैं गीता के पास गया और उसके पीठ पे हाथ फिराते हुए उसके गांड तक गया और दोनों हांथों से उसके गांड के दोनों पार्ट को दबाया उसकी गांड बहुत प्यारी थी, छोटी और बहुत कोमल। फिर मैंने उसके बूब्स को देखा और पूछा, “ये क्या है"? वो शरमाई और सर नीचे कर ली। मैंने फिर पूछा तो उसने कहा, “ये स्तन हैं"। मैंने उसके दोनों बूब्स को पकड़ के थोडा दबाया और फिर हाथ नीचे की तरफ सहलाते हुए उसकी नाभि से नीचे उसकी कमर पे ले गया। उसकी कमर बहुत पतली, लगभग 24 साइज की थी और उसकी गांड का साइज 32। मैने उसके फ्रॉक के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाया और पूछा, “इसे क्या कहते हैं"? तो उसने डरते और शरमाते हुए कहा की, “ये चूत है"। अब मैं रानी की तरफ गया और उसके अंगों का साइज मैं लेने लगा वो गीता से थोड़ी लम्बी थी पर उसके बूब्स गीता से छोटे थे गीता का बूब्स जहा 34 साइज के थे वहीं रानी का साइज 32 था।लेकिन जैसे ही मैंने रानी की गांड पे अपने हाथ फिराये उसकी गांड बहुत मस्त और फुली हुई थी उनका साइज 36 था या उससे ज्यादा होगा।

मैने रानी के बूब्स को दोबारा से दबाया और कहा, "अरे ये तो गीता के बूब्स से छोटे है मतलब गीता ने जरूर किसी लडके से चुदाया है और अपना बूब्स चुसवाया है तभी उसके बूब्स बडे है"। ये सुन के गीता घबरा गई और बोली, "नहीं अभी तक किसी लड़के ने मुझे नहीं छुआ न ही मैंने किसी से चुदवाया है"। मैने कहा, “ठीक है फिर अपने कपड़े उतारो फिर चेक करते है"। वो बोली, “नहीं आप ऊपर से ही चेक कर लीजिये"। मैने थोडा ऊँचे आवाज में दुबारा कपड़े उतारने के लिए कहा तो वो झिझकते हुए कपड़े उतारने लगी फिर मैंने रानी से भी कहा की तू भी अपने कपड़े उतार तेरा भी चेक अप करना है। वो दोनों अब भी झिझक रही थी तो मैंने कहा, "देखो मैं यहा पे अकेला हूँ और तुम्हे जानता भी नहीं, अभी तुम लोगो का चेकअप कर के मैं यहाँ से चला जाउँगा और तुम अपने घर चली जाना, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा"।
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Avi Naik

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“छोटी चाची"

भाग – 16


अब शायद उनकी झिझक थोड़ी कम हो गई थी और वो दोनों अपने कपड़े उतारने लगी थी। गीता ने अपने फ्रॉक को नीचे से उठाते हुए ऊपर सर से निकल दिया फ्रॉक के अंदर उसने एक बनियान जैसा कुछ पहना था और लाल चड्डी, गजब की सेक्सी लग रही थी। मैंने उस से बाकि के कपड़े को भी निकालने को कहा, तो उसने अपना बनियान भी उतार दिया। अब उसके नंगे बूब्स मेरे सामने थे, क्या गोर-गोरे बूब्स थे और एक दम गोल-गोल। मैंने अपने हाथ से उन्हें प्यार से सहलाया और हल्का-हल्का दबाने भी लगा। अब तक रानी ने भी अपना सूट उतार दिया था और अपना ब्रा उतार रही थी पर उसका हूक खुल नहीं रहा था तो मैं उसके पीछे गया उसके बूब्स को उसकी ब्रा के ऊपर से ही दबाया।

अब तक मेरा लंड एकदम सख्त होकर के पैंट फाड के बाहर आने के लिए बेताब हो रहा था। पैंट के अंदर से ही वो रानी की गांड को टच कर रहा था, मैंने रानी के ब्रा का हूक खोला और उसके नंगे बूब्स को दोनों हाथों से पकड़ कर दबाने लगा। फिर मैंने रानी को उसकी सलवार भी उतारने के लिए कहा, तो वो अपनी सलवार का नाडा खोलने लगी और शरमाते हुए उसने अपना सलवार पैर से निकाल दिया। क्या खूबसूरत फिगर था उसका एकदम स्लिम और मस्त गोरी गांड।

मैने दोनों को पास-पास बैठा दिया और बारी बारी से दोनों के बूब्स को चूसने लगा। पहले गीता के बूब्स को चूसा और कहा, “तेरे में से तो दूध जरूर निकलेगा"। 5 मिनट उसके बूब्स चूसने के बाद मैंने रानी के बूब्स को मुह में लिया और उसके बूब्स को चूसने लगा। 15 मिनट तक मैं बारी बारी से दोनों के बूब्स को चूसता और मसलता रहा। अब उनको भी मजा आने लगा था। मैं पहले रानी को चोदना चाहता था क्योंकि उसकी गांड बहुत बड़ी और सेक्सी लग रही थी मुझे। मैंने रानी को वहीं ज़मीन पे लिटा दिया और उसकी नाभि पे अपनी जीभ को घुमाने लगा। उसके मुह से सिसकिया निकल रही थी, उसे मज़ा आ रहा था और वो अब मेरी किसी भी हरकत का विरोध नहीं कर रही थी। मैं अपना एक हाथ उसकी चूत पे ले गया, उसकी चूत टच करते ही उसका शरीर कांप गया और जोर से उसके मुह से सिसकी निकली। “इस…स….सेस"….मैने धीरे से उसकी पेन्टी को उसकी टांगों से निकाल दिया। अब उसकी नंगी चूत मेरी आँखों के सामने थी, एकदम गोरी और उसपे अभी बाल भी नहीं थे, हलके भूरे रंग के रोये अभी उगने शुरू हुए थे,उसकी चूत फूली हुई थी,बारिश अभी भी जोरो से बरस रही थी और रानी मज़े में थी।

बारिश की बूंदें उसके बूब्स पे पड रही थी जो उसे और रोमांचित कर रही थी और मेरी भूख बढा रही थी। उसकी चूत पे भी बूंदें गिर रही थी और उसकी चूत के फाँक से होते हुए पानी जमीं पे गिर रहा था। मैने उंगली से उसकी चूत के लिप्स को सहलाया तो उसके मुह से सिसकिया निकलने लगी। मैने दोनों हांथों से उसके चूत के लिप्स को खोला और उसके चूत के बीच में जो दाना था उसको सहलाया, उसकी चूत के छेद को देखा जो की एकदम बंद था, हल्का सा छेद दिख रहा था उसपे मैंने अपनी उंगली फिराई तो वो कांप गई। मैंने कहा, “तुम तो वाक़ई अभी तक चुदी नहीं हो, तुम बहुत अच्छी लडकी हो,लेकिन अब मैं तुम्हे चोदूँगा। तुम्हे बहुत मज़ा आयेगा।" मैने उससे पूछा की, “क्या मैं तुम्हे चोदूं"? तो उसने कुछ नहीं कहा। मैं समझ गया उसे अब ये सब अच्छा लग रहा है और वो मज़े ले रही है। उसको पता नहीं की पहली चुदाई में कितना दर्द होता है और उसे कितना दर्द होने वाला है।

मैने अपनी शर्ट-पेंट निकल दी और अपने लंड को उसके मुह के पास ले जाकर बोला कभी लंड देखा है,तो उसने शरमाते हुए कहा, “हां पापा का देखा था जब वो सोये थे, तो उनकी लुंगी खुल गई थी,लेकिन वो तो बहुत छोटा और पतला था लेकिन ये लंड तो बहुत लम्बा और मोटा है।” यहाँ मैं आपको बता दूं की मेरा लंड 9 इंच लम्बा और लगभग 3.5 इंच मोटा है। मैंने उसे कहा, “शरमाओ नहीं इसे अपने हाथ में पकडो"। उसने अपने हाथ से मेरा लंड पकडा तो मेरे लंड के सामने उसका हाथ छोटे बच्चे के हाथ जैसा लग रहा था। मैने उससे पूछा, “तुम्हे पता है चुदाई कैसे होती है"। तो उसने कहा की, “लडका – लडकी साथ में सोते है एक दूसरे से चिपक के और.. और कुछ तो बुर में करते हैं, ये सब शादी के बाद पहली रात को होता है।" इससे ज्यादा उसे और कुछ नही पता था। पास ही गीता भी नंगी बैठी थी। मैंने उसके बूब्स को दबाते हुए उससे भी यही सवाल पूछा,उसने भी ये ही बताया की उसे भी इतना ही पता है।

मै समझ गया ये दोनों वाक़ई बहुत मासूम है, इन्हें चुदाई के बारे में कुछ भी नहीं पता। मैने उनसे कहा, “शादी के बाद तो तुम दोनों चुदवाओगी इसलिए तुम्हे पता होना चाहिए की ये कैसे होता है। ठीक है आज मैं तुम दोनों को चोद के बताऊँगा।" फिर मैंने रानी को मेरा लंड मुह में लेने को कहा तो उसने शरमाते हुए मेरे लंड का सुपाडा अपने मुह में ले लिया। मैने कहा, “अब इसे चूसो और थोडा अंदर लो।" उसने बस टोपा ही अपने मुह में लिया और थोडी देर तक उसे चूसती रही और तब तक मैं गीता के लिप्स को चूस रहा था और उसके बूब्स को दबा रहा था और बीच-बीच में एक्साइटमेंट के वजह से अपने लंड को रानी के मुह में पेल भी रहा था जिससे वो उछल जा रही थी। 10 मिनट तक ऐसा करने के बाद मैंने रानी के बूब्स को जम के चूसा। उसके बूब्स को मैं अपने मुह में भर के चूसे जा रहा था और वो रोमांच से पागल हुए जा रही थी।

वो सिसकिया निकाल रही थी। अब मैं टाइम बरबाद न करते हुए सीधे उसकी चूत के पास आ गया और उसकी टांगे फ़ैलाते हुए उसके बीच में बैठ गया और उसकी टांगों को उसके पेट की तरफ मोड दिया और साथ ही गीता को उसकी टांगे पकड़ के रखने को कहा। फिर मैंने उसकी छोटी सी चूत को फ़ैलाया और उसके छेद में अपनी उंगली डाली तो वो तडप उठी और बोली, “दुःख रहा है"। मैने कहा, “डरो नहीं थोडा सा दर्द होगा और बाद में मज़ा आएगा"। मैने अपनी उंगली uski चूत में अंदर बाहर करनी शुरू कर दी उसकी चूत बिलकुल गीली हो चुकी थी। शायद वो झड़ भी चुकी थी क्यों की उसके चूत के पानी से उसकी चूत एकदम चिकनी हो गई थी। मैंने गीता के मुह में मेरा लंड डालकर उसके थूक से लंड को गीला कर थोडा सा थूक अपने लंड पे लगाया और सुपाडे को उसके चूत के छेद पर टिका दिया। तभी रानी ने पूछा, “क्या आप अपने लंड को मेरे चूत में घुसाने वाले हो”? मैंने कहा “हैं ऐसे ही तो होती है चुदाई”।

वो डर गई और बोली, “नहीं आपका इतना बडा और मोटा लंड मेरे चूत में नहीं घुसेगा, मेरी चूत फट जाएगी”। वह अपने आप को छुड़ाने की कोशिश में हिलने लगी। मैने उसको समझाया की,“शादी के बाद सभी लड़कियां ऐसे करवाती है और मेरा लंड कोइ बहुत बड़ा नहीं है, जब बच्चा पैदा होता है तो वो यही से तो निकलता है, जब इतना बडा बच्चा इसमे से निकल सकता है तो ये लंड तो आसानी से अंदर घुस जाएगा”। मैने उसे बहुत समझाया फिर वो तैयार हो गई। मैने गीता को कहा की, “अब तू इसके दोनों हाथ सर के नीचे कर के पकड़ ले और मैंने उसके दोनों कन्धो को कस के पकड़ लिया ताकि जब लंड घुसे तो वो दर्द की वजह से हिले नहीं। फिर मैंने अपने लंड को उसके चूत के छेद पे टिका दिया और हल्का सा जोर लगाया। इतने में ही वो चिलाने लगी, “आ अअअअ…मममममी……ओ उहहहह….।" जबकि मेरे लंड का सुपाडा भी अभी अंदर नहीं गया था। मैंने एक जोरदार झटका मारा जिससे मेरा लंड तीन इंच अंदर चला गया और वो दर्द के मारे ऊपर उछल गई जिससे मेरा लंड और दो इंच अंदर घुस गया।

वो अब हिल नहीं रही थी बस जोर-जोर से रोये जा रही थी, दर्द से कराह रही थी। मैंने झट से उसके होंठो को अपने मुह में भर लिया और उन्हें चूसने लगा जिससे उसकी आवाज उसके गले में ही रह गई। मैंने ऐसा इसलिए किया ताकि उसके चिल्लाने से कही चुदवाने से पहले ही गीता डरकर नंगी ही भाग ना जाए। मुझे उसे भी तो चोदना था। थोड़ी देर तक मैं वैसे ही रहा और उसके होंठो को चूसता रहा और उसके बूब्स भी दबाता और सहलाता रहा। धीरे-धीरे वो थोडी शांत हो रही थी और मैं भी धीरे-धीरे अपने लंड को उसके चूत के गहराई में घुसाये जा रहा था अब तक 7 इंच लंड उसकी चूत में घुस चुका था और वो अब भी कराहे जा रही थी। मैने अब अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया, 10 मिनट तक मैं अपने लंड को 7 इंच ही अंदर बाहर करता रहा। जब उसका कराहना थोडा कम हुआ तो मैंने एक जोर का झटका मार के अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया। इस बार उसके मुह से अवाज नहीं निकली, उसका मुह खुला का खुला रह गया और उसकी ऑंखे एकदम बाहर की तरफ निकल आई थी।

वह 1 मिनट के लिए मानो बेहोश हो गई थी,मैने झट से अपना एक हाथ उसके मुह पे रख दिया, मुझे पता था की वो जोर से कराहेगी और साथ में मैंने अपने लंड को अंदर बाहर करना जारी रखा। उसके मुह से आवाज़ तो नहीं निकल रही थी लेकिन उसके आँख से आसु नहीं रुक रहे थे। लेकिन मैंने उसकी परवाह नहीं की और उसके बूब्स को दोनों हाथो से कस के पकडे हुये उसकी चूत की चुदाई कर रहा था। उसकी चूत बहुत टाइट थी, मेरे लंड को उसने कस कर दबा रखा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था, 15 मिनट तक उसकी चुदाई करने के बाद अब वो थोडी शांत लग रही थी। मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो देखा मेरा लंड पूरी तरह खून में सना है और उसकी चूत से खून निकल रहा है। उसकी गांड की नीचे की ज़मीन भी लाल हो गई थी। थोडी देर लंड बाहर था जो बारिश की वजह से अब साफ हो गया था और उसकी चूत भी। मैंने फिर थोडी थूक अपने लंड पे और उसकी चूत में लगाई और फिर से अपने लंड को उसके चूत में घुसा दिया और जोर जोर से झटके मारने लगा। हलका हलका उसे दर्द तो अब भी हो रहा था पर साथ ही उसे अब थोडा अच्छा भी लगने लगा था। मैने उसकी गांड को थोडा और ऊपर उठाया और चुदाई शुरु कर दी, अब मैं झड़ने वाला था इसलिए अपनी स्पीड बढा दी थी। तभी मेरा लंड उसकी चूत से फ़िसल के उसकी गांड में जा घुसा। लगभग 6 इंच उसकी गांड में धस चुका था। वह जोर से उछल गई और जोर से चिल्लाई…. “आएएए……. आआह्ह्ह..…मा..ओह मा मर गईईई"...

तब मुझे एहसास हुआ की मेरा लंड उसकी गांड में घुस गया है। मैं थोडी देर रुका रहा और उसकी गांड को सहला रहा था। 5 मिनट बाद जब उसको थोडी राहत मिली तो मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसे घोड़ी बना दिया और खुद उसके पीछे उसकी गांड में अपना लंड डाल के धीरे धीरे आगे-पीछे कर रहा था और वो कराह रही थी मैंने थोडा और जोर से धक्का मारा तो मेरा पूरा लंड उसकी गांड में घुस गया और वो फ़िसल के नीचे गिर गई। अब वो पेट के बल जमीन पे चित लेटी थी और मैं उसकी गांड के ऊपर। मैंने तब भी धक्के मारना चालू रखा। 5 मिनट बाद मैंने उसे फिर से घोड़ी बनाया और उसके गांड को चोदना जारी रखा। उसकी गांड को चोदने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था क्योंकि उसकी गांड बहुत प्यारी थी मेरे धक्के मारने के वजह से उसके दोनों बम्प हिल रहे थे जो मुझे और रोमांचित कर रहे थे और दूसरी उसकी गांड टाइट भी थी। 5–7 मिनट और चुदाई करने के बाद मैंने अपना लंड फिर से उसी पोजीशन में उसकी चूत में डाल दिया और उसकी पतली सी कमर को पकड के मैं जोर-जोर के झटके मारने लगा।

कभी उसकी गांड को चोदता तो कभी उसकी चूत को। 10 मिनट के बाद मैं झडने वाला था तो मैंने अपना लंड उसके गांड में डाल के अपना सारा गरम पानी उसकी गांड में ही डाल दिया और निढाल हो के जमीन पे लेट गया। वो भी थक के बेजान हो गई थी और वो भी जमीन पे लेट गई। मैं 3–4 मिनट तक वैसे ही पडा रहा, फिर उठ के उसकी चूत को सहलाया और उसकी टांगो को फैला के देखा तो उसकी चूत बहुत सूज गई थी और जो छेद पहले दिख नहीं रहा था वो अब सुरंग की तरह साफ दिख रहा था। उसकी गांड के छेद से भी थोडा सा खून मुझे निकलता हुआ दिखा तो मैं समझ गया की उसका गांड भी फट गई थी। मैंने 2 मिनट तक उसकी चूत को सहलाया और उसके बूब्स को भी सहलाया, फिर उसके लिप्स पे किस किया और उसे समझाया की थोडी देर में तुम फिर से पहले की जैसी हो जाओगी…थोडी देर लेटी रहो।

रानी की चुदाई देख के और उसका दर्द देख के गीता डर गई थी,मैने उसे अपने पास बुलाया तो वो डरते हुए मेरे पास आई। क्या मज़ेदार नजारा था, एक सुकोमल,अनचुदी लडकी नंगी मेरी तरफ आ रही थी और दूसरी लडकी मुझ से चुद के नंगी अब भी ज़मीन पे लेटी हुई थी। हालाकि रानी को चोदे हुये अब 15 मिनट हो चुके थे, वो उठ के बैठ गई और अब मैं गीता को चोदने के लिए खुद को तैयार कर रहा था। गीता मेरे पास आई तो मैंने उसे अपने पास बैठने को कहा, तो वो बोली की उसे नहीं चुदवाना है। अब वो घर जाना चाहती है। रानी के दर्द और उसके चूत से निकले खून को देख के गीता के चेहरे का रंग ही उड गया था। मैं रानी के पास गया और उसे कहा की, “गीता चुदवाने से मना कर रही है, तुम उसे मुझ से चुदवाने के लिए राजी करो उससे कहो की तुम्हे दर्द तो हुआ लेकिन मज़ा बहुत आया,नही तो वो तुम्हारे गाव जा के सबको बता सकती है की तुमने चुदवाया है और उसने नहीं। अगर वो भी चुद जायेगी तो किसी से कुछ नहीं कहेगी।" वो मान गई और जा के गीता को समझाने लगी.

3–4 मिनट के बाद मैं भी उसके पास गया और गीता को चोदने के लिए पटाने लगा। तो उसने कहा की, “रानी का चूत फट गई है उसमे से कितना खून निकला है। मैं नहीं चुदवाउंगी।" तो तब मैंने कहा, “अरे बेवकूफ वो खून चूत के फ़टने से नहीं बल्कि उसका महीना (पीरियड्स) आया है। (मैंने उसको झूठ बोला) तुमको भी तो आता होगा न।" तो उसने कहा हां। तब वो जा के थोडी शांत हुई और हम दोनों के समझाने पर वह अधूरे मन से ही सही पर मान गई। मुझे क्या फर्क पडता है वो अपने मन से चुदवाये या बिना मन के मुझे तो बस चोदना था उसको।

मै वहीं पास के पत्थर पे बैठा था गीता को अपने पास बुलाया और उसे अपनी गोद में बैठा लिया। उसका चेहरा मेरी तरफ था और उसकी टाँगे मेरे पीछे, और उसकी चूत के नीचे मेरा लंड, अब धीरे धीरे उसके चूत को फाड़ने के लिए तैयार हो रहा था। मैंने उसके गालो को सहलाया और उसके होंठो को अपने मुह में ले के चूसने लगा और अपने हाथों से उसके शरीर के हर अंग अंग को सहला और दबा रहा था। थोडी देर तक उसके होंठ चूसने के बाद मैंने उसे पीछे झुकाया और उसके छोटे-छोटे seb के आकर के बूब्स को मुह में भर के चूसने लगा और दूसरे बूब्स को अपने हाथों से दबाने लगा। अब वो भी गरम होने लगी थी और सिसकिया लेने लगी थी थोडी देर तक मैंने उसके बूब्स को चूसा और मसला जिससे उसके बूब्स एकदम लाल हो गये थे। मैं उठा और अपना लंड उसके मुह के पास ले जा के उसे चूसने को कहा तो उसने मेरे लंड को हाथ से पकड़ा और अपने मुह में डाल लिया, उसके छूते ही मेरा लंड टाइट हो गया।

वो मजे से मेरे लंड के सुपाडे को चूस रही थी और मैं उसके सर को पीछे से पकड़ के अपने लंड को उसके मुह में अंदर बाहर करने लगा। एक बार तो जोश में आ के मैंने अपना लंड 5 इंच तक उसके मुह के अंदर घुसा दिया जिससे उसकी आँख से आँसु निकल आये थे और वो तडप उठी थी। मेरा लंड उसके गले तक पहुच गया था। 5 मिनट तक लंड चुसवाने के बाद अब मैं उसकी चूत को चोदने क लिए तैयार था। मैंने उसे पास के ही एक खडे पत्थर पे उसे लिटा दिया वो पत्थर बच्चों के "फिसलपट्टी" की तरह था थोडा झुका हुआ था। उसको लिटाने के बाद मैं ने उसकी चूत को सहलाया। उसकी चूत बहुत छोटी और एकदम छिपी हुए सी थी। मैने उसकी चूत को अपने हाथों से मसला तो वह सिसक उठी। उसकी चूत एकदम चिकनी थी, फिर मैंने उसकी टांगो को फैला दिया और दोनों हाथो से उसकी चूत की फांकों को अलग किया। अंदर का नजारा और भी रोमांचित कर रहा था। मुझे चूत के अंदर का हिस्सा एकदम लाल खून की तरह था, बीच में मटर के आकर का दाना और नीचे हलकी सी सुराख। बारिश के पानी से उसकी चूत और भी मजेदार लग रही थी। मैंने झट से अपना मुह उसकी चूत पे चिपका दिया और उसके चूत के दाने को चुसने लगा और अपनी जीभ को उसके छेद में घुसाने लगा।

ऐसा करने से उसे बहुत मजा आ रहा था और वो बहुत जोर-जोर से सिसक रही थी और कांप भी रही थी.. 3–4 मिनट में ही वो झड़ गई। उसकी चूत अब बिलकुल गिली हो चुकी थी मैं उठा और अपने लंड पे थूक लगया और उसकी चूत के छेद पे टीका दिया, अच्छे से पोजीशन बनी, उसकी चूत बिलकुल मेरे लंड पर थी, तब वह जरा सी भी अपनी पकड़ पत्थर पे ढीली करती तो वो मेरे लंड पे आ जा रही थी,, मैने उसके हाथ को पत्थर पे जमाया और अपने लंड को उसके चूत में प्रेस किया तो वो चीख उठी और थोडा हिली जिससे मेरा लंड फ़िसल के उसके चूत से हट गया मैंने दुबारा से उसके छेद पे लंड टिकाया और इस बार जोर से झटका मारा, एक हलकी सी फट की आवाज आई और मेरा लंड 6 इंच अंदर घुस गया।

जैसे ही मैंने झटका मारा था उसकी पकड़ पत्थर पे कमजोर हुयी और उसकी चूत मेरे लंड पे आ गिरी और मैंने भी साथ में झटका मारा था। इससे एक ही झटके में मेरा 6 इंच लंड अंदर घुस गया था और उसकी चीख निकल गई थी, वो जोर से रोने लगी और उसे छोड देने के लिए बोलने लगी। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया था और वो जितना छटपटाती मेरा लंड और अंदर घुसता जाता मैने उसकी एक न सुनी और अपने लंड पे झटके मारता रहा। साथ ही उसके होंठो को भी चूमता और उसके गालो पे भी अपने दात चुभा देता, मेरा लगभग पूरा लंड उसकी चूत में घुस चुका था और वो बुरी तरह तडप रही थी पर मैंने उसकी तडप पे धयान नहीं दिया। चुदवाने से पहले इतने नख़रे जो कर रही थी इस वजह से भी मैं थोडा गुस्सा था। ऐसे 15 मिनट लगातार अपने लंड को उसकी चूत में पेलता रहा और वो तड़पती रही, छटपटाती रही लेकिन मेरी पकड़ से निकल नहीं पा रही थी।

थोड़ी देर बाद मैंने अपनी स्पीड को रोका क्योंकि उस पोजीशन में मैं थक गया था। मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो देखा उसकी चूत से जबरदस्त खून निकल रहा है और मेरा लंड भी खून से सना हुआ था। उसकी चूत के नीचे का पत्थर भी उसके खून से लाल हो गया था और बारिश का पानी, नदी की तरह उसके खून को चूत से पत्थर पे और पत्थर से जमीन पे बहा ले जा रहा था। मैंने उसे पत्थर से नीचे उतारा तो वो फिर से बोलने लगी की अब और नहीं चुदवायेगी बस हो गया। मुझे गुस्सा आया मैंने उसका हाथ पकड़ के अपनी तरफ खीचा और बोला, “ज्यादा नख़रे मत कर जितना दर्द होना था, जो फ़टना था वह फट चुका है।"... और उसे जबरदस्ती मैंने पास के एक पत्थर पर झुका दिया और उसे घोड़ी बना दिया। उस स्टाइल में मैं उसकी चूत को चोदने लगा और 10 मिनट तक जम के चोदा।उसकी गांड एकदम लाल हो गयी थी मेरे धक्के मारने से।

अब मैं उसकी गांड को भी फाड़ना चाहता था। मैने थूक निकाली और उसके गांड के छेद पे लगाई, उंगली अंदर ड़ालने की कोशीश की तो उसने अपने गांड के छेद को सिकोड लिया जिससे उंगली भी घुसाने में मुश्किल हो रही थी,मैने उसको कहा गांड मत सिकोड लेकिन वो नहीं मान रही थी। मैं भी ग़ुस्से में बोला की, “ठीक है अब मेरा लंड ही इसमे रास्ता बनायेगा"। मैंने अपने लंड में ढेर सारा थूक लगाया और उसके गांड के छेड़ पे भी। फिर मैंने उसके गांड के छेद के सामने अपना लंड रखा। मैं एक हाथ से उसकी कमर पकड़े हुये था और दूसरे हाथ से अपने लंड को उसके गांड के छेद के सामने बनाये रखा था और उसके गांड से 5 इंच दूर से ही मैंने अपन लंड को जोरदार झटके के साथ उसके गांड के छेड़ में घुसा दिया। निशाना एकदम सही जगह पे लगा था, लंड उसकी गांड की दीवार को फाड़ता हुआ उसके अंदर 7 इंच तक घुस गया था। वो जोर से चिल्लाइ, उसका हाथ फ़िसला लेकिन मैंने उसे गिरने नहीं दिया। मैं उसकी कमर को जोर से पकडे हुए था और वह चिल्लाये जा रही थी, “मुझे छोड़ दो मैं मर जाउंगी बहुत दर्द हो रहा है, गांड फट गयी है।"

लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और दुबारा से पूरे लंड को बाहर निकाल के फिर से जबरदस्त झटका मारा तो इस बार मेरा पूरा लंड उसकी गांड में घुस चुका था। मेरा लंड अंदर उसके गांड के दिवार से टकराया,फिर मैं 10 मिनट तक लगातार उसकी गांड चोदता रहा और वह रोती-कराहती रही। 10 मिनट बाद मैंने फिर से उसकी चूत को चोदना शुरु किया, अब मैं उसकी गांड और चूत को बारी बारी से चोद रहा था, तभी मेरी नजर रानी पे गई वो हम दोनों को बडे ध्यान से देख रही थी और एक हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी। मैंने उसे अपने पास बुलाया और उसे कहा, “आ मैं तेरी चूत को अपने लंड से मज़ा देता हूँ"... उसको भी मैंने वहीं घोड़ी बनाया और चोदने लगा।

फिर उसके गांड को भी चोदा 10 मिनट के चुदाई के बाद रानी झड गई और कांपते हुये वो पत्थर पे लेट गई। मैंने दुबारा से गीता को घोडी बनाया और उसकी चुदाई करने लगा, बहुत देर से मैं गीता की चुदाई कर रहा था लेकिन मेरा लंड झडने का नाम ही नहीं ले रहा था, थोडी देर पहले ही जो झडा था। जब रानी की चुदाई हुयी थी लेकिन मैं अब थकने लगा था। पर जब तक लंड झड नहीं जाता मन को तसल्ली नही होती। मैं लगातार उसकी गांड और चूत को घोड़ी स्टाइल में चोदता रहा। 20 मिनट तक और चोदा, उसके गांड पे थपकियां भी लगा रहा था, उसके बूब्स को भी मसल रहा था और उसकी चूत को भी सहला रहा था। थोड़ी देर बाद मैं झड़ने वाला था तो मैंने अपना लंड उसकी गांड से निकाला और उसके मुह में घुसा दिया और उसके मुह की चुदाई भी करने लगा। मैने उसे चूसने के लिये बोला की, “जोर-जोर से चूस मेरे लंड को और जो भी लंड से निकलेगा पी लेना, इससे तुझे ताकत मिलेगी और तेरा सारा दर्द ख़तम हो जायेगा।"

3–4 मिनट बाद मैं झड गया और अपना सारा गरम पानी उसके गले में डाल दिया। उसका पूरा मुह मेरे पानी से भर गया था, थोडा बाहर भी आ रहा था लेकिन जितना मुह में था उसको वह पी गई। फिर मैंने मेरा लंड रानी के मुह में डाला, उसने उसे पूरा चाट के साफ कर दिया और मुझे भी अब जा के शांति मिली। उधर गीता ज़मीन पे जा के लेट गई। मैं भी दो मिनट तक पत्थर पे लेटा रहा फिर मैं गीता के पास गया और उसकी हालत का जायजा लेने लगा। उसकी चूत जो पहले एकदम से चिपकी हुयी थी अब एकदम सूज़ गई थी,लंड के झटके और रगड़ की वजह से एकदम लाल हो गई थी। उसकी चूत की हालत तो रानी के चूत से भी बुरी थी, लग रहा था की उसकी पूरी चूत छिल गयी है उसकी चूत की दोनों पंखुडीया मानो मुह खोले हाफ़ रही हो। उसकी चूत का छेद अब भी साफ दिख रहा था और उसमे से अब भी हल्का खून रिस रहा था। मुझे अब उसपे दया आ रही थी, मुझे इतनी बुरी तरह से उसे नहीं चोदना चाहिए था।

10 मिनट बाद मैंने उसे उठाया और उसे कपड़े पहनने को कहा। उससे अब भी ठीक से खडा नहीं हुआ जा रहा था। फिर किसी तरह उसने अपने कपड़े पहने। मैंने उसे पास के पत्थर पे बैठने को कहा तो वो बैठने लगी पर जैसे ही उसकी गांड पत्थर को टच किया वह तेजी से उठ खडी हुयी। मैंने पूछा, “क्या हुआ"? तो उसने कहा, “गांड दुख रही है, बैठा नहीं जा रहा है।" मैंने अपना बैग उसे दिया और कहा इसपे बैठ जाओ। वो बैग पे बैठ गई। मेरे पास डेरी मिल्क चोकलेट था, मैंने दोनों को दिया और खुद भी खाई फिर पानी पिया। अब तक 2:30 बज चुके थे। मैंने कहा, “तुम्हारा स्कूल कब छूटता है"? तो उन्होंने कहा 4 बजे। मै वहा और एक घंटा रुका, अब दोनों की हालत थोडी अच्छी लग रही थी उन दोनों को मैंने थोड़ी चॉकलेट और भी दि और 1000 रुपये भी दिये की कल स्कूल आने के बाद जो जी करे खा लेना। मेरे पास एक पेन किलर भी था, मुझे याद आया तो मैंने दोनों को एक-एक टैबलट दी। दोनों ने खाई फिर कुछ देर बाद दोनों का दर्द खतम हुआ। मैंने दोनो को और एक – एक पेन किलर और दी और कहा, “इसे रात को खा लेना"। साथ ही एक ट्यूब का नाम लिखकर दिया कि वह अपनी चूत और गांड में लगा देना जिससे उन्हें जल्दी आराम मिलेगा।

दोनों अब मेरी तरफ हस के देख रही थी क्योंकि अब पेन किलर की वजह से उनका दर्द खतम हो चुका था। रानी बोली, “मुझे पहले बहुत दर्द हुआ पर बाद मे मजा भी आया। क्या एक बार फिर से करेंगे"? मैं चौक गया। मैंने कहा, “नही आज नही फिर करेंगे"। वह बोली, “मैं इंतजार करूंगी। मेरे स्कूल के पास आ जाना।" मैंने गीता की तरफ देखा, वह भी कुछ कहना चाहती थी। मैंने कहा, “तुम कुछ कहना चाहती हो"? गीता नीची नजर करके धीरे से बोली, “मैं भी इंतजार करूंगी"। फिर मैंने दोनो को बाहो में लिया और बहुत देर तक दोनों तक किसिंग करता रहा। फिर दोनों को उनके घर से थोड़ी दूर छोड़कर मैं मैं चाची के क्लीनिक की और चल पड़ा। मैं कम उम्र की लड़कियों को जबरदस्ती चोद कर आया था मगर आखिर में उनको भी उसमे मजा आया था, पर थी तो जबरदस्ती।

सेक्स का नशा उतरने के बाद मुझे अपने उपर बहुत गुस्सा आ रहा था, कि क्या मैं वासना का पुजारी हो गया हूं जो अब रेप करने लगा हूं। पर जो हुआ वह उस हालात की वजह से हो गया था। मैंने कसम खाई की अब किसी के साथ जबरदस्ती नही करूँगा। जो राजी ख़ुशी तैयार हो उसके साथ ही करूँगा। वैसे भी मुझे सेक्स परिवार में ही मिल रहा है तो बाहर रिस्क लेने से क्या मतलब और जो मजा घर की औरतें चोदने में है वह बाहर की चोदने में कहा? यही सोचते हुए मैं क्लिनिक के नजदीक पहुंच गया। चाची का क्लिनिक गाँव के किनारे हाईवे पर होने से वहा पहुंचते – पहुंचते तो मैं पूरा भीग गया और बादलों के आ जाने से अंधेरा भी होने लगा। मैं पीछे के रास्ते से क्लिनिक की और जा रहा था और जैसे ही में पीछे की खिड़की से पास पहुंचा कि मुझे एक दर्द की “आह" सुनाइ दी। एक ही सेकंड में पता चल गया की यह दर्द की नहीं सिसकियों की आवाज है, एक दम से में सन्न रह गया, और सोचा की क्या करू..?
 
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sunoanuj

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Bahut jabardast kahani hai… hero ke maze hai sab trah se maze jabardasti se bhi or pyar bhi … badhiya hai 👌👌👌
 

prkin

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Great Going
 
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