“छोटी चाची"
भाग – 16
अब शायद उनकी झिझक थोड़ी कम हो गई थी और वो दोनों अपने कपड़े उतारने लगी थी। गीता ने अपने फ्रॉक को नीचे से उठाते हुए ऊपर सर से निकल दिया फ्रॉक के अंदर उसने एक बनियान जैसा कुछ पहना था और लाल चड्डी, गजब की सेक्सी लग रही थी। मैंने उस से बाकि के कपड़े को भी निकालने को कहा, तो उसने अपना बनियान भी उतार दिया। अब उसके नंगे बूब्स मेरे सामने थे, क्या गोर-गोरे बूब्स थे और एक दम गोल-गोल। मैंने अपने हाथ से उन्हें प्यार से सहलाया और हल्का-हल्का दबाने भी लगा। अब तक रानी ने भी अपना सूट उतार दिया था और अपना ब्रा उतार रही थी पर उसका हूक खुल नहीं रहा था तो मैं उसके पीछे गया उसके बूब्स को उसकी ब्रा के ऊपर से ही दबाया।
अब तक मेरा लंड एकदम सख्त होकर के पैंट फाड के बाहर आने के लिए बेताब हो रहा था। पैंट के अंदर से ही वो रानी की गांड को टच कर रहा था, मैंने रानी के ब्रा का हूक खोला और उसके नंगे बूब्स को दोनों हाथों से पकड़ कर दबाने लगा। फिर मैंने रानी को उसकी सलवार भी उतारने के लिए कहा, तो वो अपनी सलवार का नाडा खोलने लगी और शरमाते हुए उसने अपना सलवार पैर से निकाल दिया। क्या खूबसूरत फिगर था उसका एकदम स्लिम और मस्त गोरी गांड।
मैने दोनों को पास-पास बैठा दिया और बारी बारी से दोनों के बूब्स को चूसने लगा। पहले गीता के बूब्स को चूसा और कहा, “तेरे में से तो दूध जरूर निकलेगा"। 5 मिनट उसके बूब्स चूसने के बाद मैंने रानी के बूब्स को मुह में लिया और उसके बूब्स को चूसने लगा। 15 मिनट तक मैं बारी बारी से दोनों के बूब्स को चूसता और मसलता रहा। अब उनको भी मजा आने लगा था। मैं पहले रानी को चोदना चाहता था क्योंकि उसकी गांड बहुत बड़ी और सेक्सी लग रही थी मुझे। मैंने रानी को वहीं ज़मीन पे लिटा दिया और उसकी नाभि पे अपनी जीभ को घुमाने लगा। उसके मुह से सिसकिया निकल रही थी, उसे मज़ा आ रहा था और वो अब मेरी किसी भी हरकत का विरोध नहीं कर रही थी। मैं अपना एक हाथ उसकी चूत पे ले गया, उसकी चूत टच करते ही उसका शरीर कांप गया और जोर से उसके मुह से सिसकी निकली। “इस…स….सेस"….मैने धीरे से उसकी पेन्टी को उसकी टांगों से निकाल दिया। अब उसकी नंगी चूत मेरी आँखों के सामने थी, एकदम गोरी और उसपे अभी बाल भी नहीं थे, हलके भूरे रंग के रोये अभी उगने शुरू हुए थे,उसकी चूत फूली हुई थी,बारिश अभी भी जोरो से बरस रही थी और रानी मज़े में थी।
बारिश की बूंदें उसके बूब्स पे पड रही थी जो उसे और रोमांचित कर रही थी और मेरी भूख बढा रही थी। उसकी चूत पे भी बूंदें गिर रही थी और उसकी चूत के फाँक से होते हुए पानी जमीं पे गिर रहा था। मैने उंगली से उसकी चूत के लिप्स को सहलाया तो उसके मुह से सिसकिया निकलने लगी। मैने दोनों हांथों से उसके चूत के लिप्स को खोला और उसके चूत के बीच में जो दाना था उसको सहलाया, उसकी चूत के छेद को देखा जो की एकदम बंद था, हल्का सा छेद दिख रहा था उसपे मैंने अपनी उंगली फिराई तो वो कांप गई। मैंने कहा, “तुम तो वाक़ई अभी तक चुदी नहीं हो, तुम बहुत अच्छी लडकी हो,लेकिन अब मैं तुम्हे चोदूँगा। तुम्हे बहुत मज़ा आयेगा।" मैने उससे पूछा की, “क्या मैं तुम्हे चोदूं"? तो उसने कुछ नहीं कहा। मैं समझ गया उसे अब ये सब अच्छा लग रहा है और वो मज़े ले रही है। उसको पता नहीं की पहली चुदाई में कितना दर्द होता है और उसे कितना दर्द होने वाला है।
मैने अपनी शर्ट-पेंट निकल दी और अपने लंड को उसके मुह के पास ले जाकर बोला कभी लंड देखा है,तो उसने शरमाते हुए कहा, “हां पापा का देखा था जब वो सोये थे, तो उनकी लुंगी खुल गई थी,लेकिन वो तो बहुत छोटा और पतला था लेकिन ये लंड तो बहुत लम्बा और मोटा है।” यहाँ मैं आपको बता दूं की मेरा लंड 9 इंच लम्बा और लगभग 3.5 इंच मोटा है। मैंने उसे कहा, “शरमाओ नहीं इसे अपने हाथ में पकडो"। उसने अपने हाथ से मेरा लंड पकडा तो मेरे लंड के सामने उसका हाथ छोटे बच्चे के हाथ जैसा लग रहा था। मैने उससे पूछा, “तुम्हे पता है चुदाई कैसे होती है"। तो उसने कहा की, “लडका – लडकी साथ में सोते है एक दूसरे से चिपक के और.. और कुछ तो बुर में करते हैं, ये सब शादी के बाद पहली रात को होता है।" इससे ज्यादा उसे और कुछ नही पता था। पास ही गीता भी नंगी बैठी थी। मैंने उसके बूब्स को दबाते हुए उससे भी यही सवाल पूछा,उसने भी ये ही बताया की उसे भी इतना ही पता है।
मै समझ गया ये दोनों वाक़ई बहुत मासूम है, इन्हें चुदाई के बारे में कुछ भी नहीं पता। मैने उनसे कहा, “शादी के बाद तो तुम दोनों चुदवाओगी इसलिए तुम्हे पता होना चाहिए की ये कैसे होता है। ठीक है आज मैं तुम दोनों को चोद के बताऊँगा।" फिर मैंने रानी को मेरा लंड मुह में लेने को कहा तो उसने शरमाते हुए मेरे लंड का सुपाडा अपने मुह में ले लिया। मैने कहा, “अब इसे चूसो और थोडा अंदर लो।" उसने बस टोपा ही अपने मुह में लिया और थोडी देर तक उसे चूसती रही और तब तक मैं गीता के लिप्स को चूस रहा था और उसके बूब्स को दबा रहा था और बीच-बीच में एक्साइटमेंट के वजह से अपने लंड को रानी के मुह में पेल भी रहा था जिससे वो उछल जा रही थी। 10 मिनट तक ऐसा करने के बाद मैंने रानी के बूब्स को जम के चूसा। उसके बूब्स को मैं अपने मुह में भर के चूसे जा रहा था और वो रोमांच से पागल हुए जा रही थी।
वो सिसकिया निकाल रही थी। अब मैं टाइम बरबाद न करते हुए सीधे उसकी चूत के पास आ गया और उसकी टांगे फ़ैलाते हुए उसके बीच में बैठ गया और उसकी टांगों को उसके पेट की तरफ मोड दिया और साथ ही गीता को उसकी टांगे पकड़ के रखने को कहा। फिर मैंने उसकी छोटी सी चूत को फ़ैलाया और उसके छेद में अपनी उंगली डाली तो वो तडप उठी और बोली, “दुःख रहा है"। मैने कहा, “डरो नहीं थोडा सा दर्द होगा और बाद में मज़ा आएगा"। मैने अपनी उंगली uski चूत में अंदर बाहर करनी शुरू कर दी उसकी चूत बिलकुल गीली हो चुकी थी। शायद वो झड़ भी चुकी थी क्यों की उसके चूत के पानी से उसकी चूत एकदम चिकनी हो गई थी। मैंने गीता के मुह में मेरा लंड डालकर उसके थूक से लंड को गीला कर थोडा सा थूक अपने लंड पे लगाया और सुपाडे को उसके चूत के छेद पर टिका दिया। तभी रानी ने पूछा, “क्या आप अपने लंड को मेरे चूत में घुसाने वाले हो”? मैंने कहा “हैं ऐसे ही तो होती है चुदाई”।
वो डर गई और बोली, “नहीं आपका इतना बडा और मोटा लंड मेरे चूत में नहीं घुसेगा, मेरी चूत फट जाएगी”। वह अपने आप को छुड़ाने की कोशिश में हिलने लगी। मैने उसको समझाया की,“शादी के बाद सभी लड़कियां ऐसे करवाती है और मेरा लंड कोइ बहुत बड़ा नहीं है, जब बच्चा पैदा होता है तो वो यही से तो निकलता है, जब इतना बडा बच्चा इसमे से निकल सकता है तो ये लंड तो आसानी से अंदर घुस जाएगा”। मैने उसे बहुत समझाया फिर वो तैयार हो गई। मैने गीता को कहा की, “अब तू इसके दोनों हाथ सर के नीचे कर के पकड़ ले और मैंने उसके दोनों कन्धो को कस के पकड़ लिया ताकि जब लंड घुसे तो वो दर्द की वजह से हिले नहीं। फिर मैंने अपने लंड को उसके चूत के छेद पे टिका दिया और हल्का सा जोर लगाया। इतने में ही वो चिलाने लगी, “आ अअअअ…मममममी……ओ उहहहह….।" जबकि मेरे लंड का सुपाडा भी अभी अंदर नहीं गया था। मैंने एक जोरदार झटका मारा जिससे मेरा लंड तीन इंच अंदर चला गया और वो दर्द के मारे ऊपर उछल गई जिससे मेरा लंड और दो इंच अंदर घुस गया।
वो अब हिल नहीं रही थी बस जोर-जोर से रोये जा रही थी, दर्द से कराह रही थी। मैंने झट से उसके होंठो को अपने मुह में भर लिया और उन्हें चूसने लगा जिससे उसकी आवाज उसके गले में ही रह गई। मैंने ऐसा इसलिए किया ताकि उसके चिल्लाने से कही चुदवाने से पहले ही गीता डरकर नंगी ही भाग ना जाए। मुझे उसे भी तो चोदना था। थोड़ी देर तक मैं वैसे ही रहा और उसके होंठो को चूसता रहा और उसके बूब्स भी दबाता और सहलाता रहा। धीरे-धीरे वो थोडी शांत हो रही थी और मैं भी धीरे-धीरे अपने लंड को उसके चूत के गहराई में घुसाये जा रहा था अब तक 7 इंच लंड उसकी चूत में घुस चुका था और वो अब भी कराहे जा रही थी। मैने अब अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया, 10 मिनट तक मैं अपने लंड को 7 इंच ही अंदर बाहर करता रहा। जब उसका कराहना थोडा कम हुआ तो मैंने एक जोर का झटका मार के अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया। इस बार उसके मुह से अवाज नहीं निकली, उसका मुह खुला का खुला रह गया और उसकी ऑंखे एकदम बाहर की तरफ निकल आई थी।
वह 1 मिनट के लिए मानो बेहोश हो गई थी,मैने झट से अपना एक हाथ उसके मुह पे रख दिया, मुझे पता था की वो जोर से कराहेगी और साथ में मैंने अपने लंड को अंदर बाहर करना जारी रखा। उसके मुह से आवाज़ तो नहीं निकल रही थी लेकिन उसके आँख से आसु नहीं रुक रहे थे। लेकिन मैंने उसकी परवाह नहीं की और उसके बूब्स को दोनों हाथो से कस के पकडे हुये उसकी चूत की चुदाई कर रहा था। उसकी चूत बहुत टाइट थी, मेरे लंड को उसने कस कर दबा रखा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था, 15 मिनट तक उसकी चुदाई करने के बाद अब वो थोडी शांत लग रही थी। मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो देखा मेरा लंड पूरी तरह खून में सना है और उसकी चूत से खून निकल रहा है। उसकी गांड की नीचे की ज़मीन भी लाल हो गई थी। थोडी देर लंड बाहर था जो बारिश की वजह से अब साफ हो गया था और उसकी चूत भी। मैंने फिर थोडी थूक अपने लंड पे और उसकी चूत में लगाई और फिर से अपने लंड को उसके चूत में घुसा दिया और जोर जोर से झटके मारने लगा। हलका हलका उसे दर्द तो अब भी हो रहा था पर साथ ही उसे अब थोडा अच्छा भी लगने लगा था। मैने उसकी गांड को थोडा और ऊपर उठाया और चुदाई शुरु कर दी, अब मैं झड़ने वाला था इसलिए अपनी स्पीड बढा दी थी। तभी मेरा लंड उसकी चूत से फ़िसल के उसकी गांड में जा घुसा। लगभग 6 इंच उसकी गांड में धस चुका था। वह जोर से उछल गई और जोर से चिल्लाई…. “आएएए……. आआह्ह्ह..…मा..ओह मा मर गईईई"...
तब मुझे एहसास हुआ की मेरा लंड उसकी गांड में घुस गया है। मैं थोडी देर रुका रहा और उसकी गांड को सहला रहा था। 5 मिनट बाद जब उसको थोडी राहत मिली तो मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसे घोड़ी बना दिया और खुद उसके पीछे उसकी गांड में अपना लंड डाल के धीरे धीरे आगे-पीछे कर रहा था और वो कराह रही थी मैंने थोडा और जोर से धक्का मारा तो मेरा पूरा लंड उसकी गांड में घुस गया और वो फ़िसल के नीचे गिर गई। अब वो पेट के बल जमीन पे चित लेटी थी और मैं उसकी गांड के ऊपर। मैंने तब भी धक्के मारना चालू रखा। 5 मिनट बाद मैंने उसे फिर से घोड़ी बनाया और उसके गांड को चोदना जारी रखा। उसकी गांड को चोदने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था क्योंकि उसकी गांड बहुत प्यारी थी मेरे धक्के मारने के वजह से उसके दोनों बम्प हिल रहे थे जो मुझे और रोमांचित कर रहे थे और दूसरी उसकी गांड टाइट भी थी। 5–7 मिनट और चुदाई करने के बाद मैंने अपना लंड फिर से उसी पोजीशन में उसकी चूत में डाल दिया और उसकी पतली सी कमर को पकड के मैं जोर-जोर के झटके मारने लगा।
कभी उसकी गांड को चोदता तो कभी उसकी चूत को। 10 मिनट के बाद मैं झडने वाला था तो मैंने अपना लंड उसके गांड में डाल के अपना सारा गरम पानी उसकी गांड में ही डाल दिया और निढाल हो के जमीन पे लेट गया। वो भी थक के बेजान हो गई थी और वो भी जमीन पे लेट गई। मैं 3–4 मिनट तक वैसे ही पडा रहा, फिर उठ के उसकी चूत को सहलाया और उसकी टांगो को फैला के देखा तो उसकी चूत बहुत सूज गई थी और जो छेद पहले दिख नहीं रहा था वो अब सुरंग की तरह साफ दिख रहा था। उसकी गांड के छेद से भी थोडा सा खून मुझे निकलता हुआ दिखा तो मैं समझ गया की उसका गांड भी फट गई थी। मैंने 2 मिनट तक उसकी चूत को सहलाया और उसके बूब्स को भी सहलाया, फिर उसके लिप्स पे किस किया और उसे समझाया की थोडी देर में तुम फिर से पहले की जैसी हो जाओगी…थोडी देर लेटी रहो।
रानी की चुदाई देख के और उसका दर्द देख के गीता डर गई थी,मैने उसे अपने पास बुलाया तो वो डरते हुए मेरे पास आई। क्या मज़ेदार नजारा था, एक सुकोमल,अनचुदी लडकी नंगी मेरी तरफ आ रही थी और दूसरी लडकी मुझ से चुद के नंगी अब भी ज़मीन पे लेटी हुई थी। हालाकि रानी को चोदे हुये अब 15 मिनट हो चुके थे, वो उठ के बैठ गई और अब मैं गीता को चोदने के लिए खुद को तैयार कर रहा था। गीता मेरे पास आई तो मैंने उसे अपने पास बैठने को कहा, तो वो बोली की उसे नहीं चुदवाना है। अब वो घर जाना चाहती है। रानी के दर्द और उसके चूत से निकले खून को देख के गीता के चेहरे का रंग ही उड गया था। मैं रानी के पास गया और उसे कहा की, “गीता चुदवाने से मना कर रही है, तुम उसे मुझ से चुदवाने के लिए राजी करो उससे कहो की तुम्हे दर्द तो हुआ लेकिन मज़ा बहुत आया,नही तो वो तुम्हारे गाव जा के सबको बता सकती है की तुमने चुदवाया है और उसने नहीं। अगर वो भी चुद जायेगी तो किसी से कुछ नहीं कहेगी।" वो मान गई और जा के गीता को समझाने लगी.
3–4 मिनट के बाद मैं भी उसके पास गया और गीता को चोदने के लिए पटाने लगा। तो उसने कहा की, “रानी का चूत फट गई है उसमे से कितना खून निकला है। मैं नहीं चुदवाउंगी।" तो तब मैंने कहा, “अरे बेवकूफ वो खून चूत के फ़टने से नहीं बल्कि उसका महीना (पीरियड्स) आया है। (मैंने उसको झूठ बोला) तुमको भी तो आता होगा न।" तो उसने कहा हां। तब वो जा के थोडी शांत हुई और हम दोनों के समझाने पर वह अधूरे मन से ही सही पर मान गई। मुझे क्या फर्क पडता है वो अपने मन से चुदवाये या बिना मन के मुझे तो बस चोदना था उसको।
मै वहीं पास के पत्थर पे बैठा था गीता को अपने पास बुलाया और उसे अपनी गोद में बैठा लिया। उसका चेहरा मेरी तरफ था और उसकी टाँगे मेरे पीछे, और उसकी चूत के नीचे मेरा लंड, अब धीरे धीरे उसके चूत को फाड़ने के लिए तैयार हो रहा था। मैंने उसके गालो को सहलाया और उसके होंठो को अपने मुह में ले के चूसने लगा और अपने हाथों से उसके शरीर के हर अंग अंग को सहला और दबा रहा था। थोडी देर तक उसके होंठ चूसने के बाद मैंने उसे पीछे झुकाया और उसके छोटे-छोटे seb के आकर के बूब्स को मुह में भर के चूसने लगा और दूसरे बूब्स को अपने हाथों से दबाने लगा। अब वो भी गरम होने लगी थी और सिसकिया लेने लगी थी थोडी देर तक मैंने उसके बूब्स को चूसा और मसला जिससे उसके बूब्स एकदम लाल हो गये थे। मैं उठा और अपना लंड उसके मुह के पास ले जा के उसे चूसने को कहा तो उसने मेरे लंड को हाथ से पकड़ा और अपने मुह में डाल लिया, उसके छूते ही मेरा लंड टाइट हो गया।
वो मजे से मेरे लंड के सुपाडे को चूस रही थी और मैं उसके सर को पीछे से पकड़ के अपने लंड को उसके मुह में अंदर बाहर करने लगा। एक बार तो जोश में आ के मैंने अपना लंड 5 इंच तक उसके मुह के अंदर घुसा दिया जिससे उसकी आँख से आँसु निकल आये थे और वो तडप उठी थी। मेरा लंड उसके गले तक पहुच गया था। 5 मिनट तक लंड चुसवाने के बाद अब मैं उसकी चूत को चोदने क लिए तैयार था। मैंने उसे पास के ही एक खडे पत्थर पे उसे लिटा दिया वो पत्थर बच्चों के "फिसलपट्टी" की तरह था थोडा झुका हुआ था। उसको लिटाने के बाद मैं ने उसकी चूत को सहलाया। उसकी चूत बहुत छोटी और एकदम छिपी हुए सी थी। मैने उसकी चूत को अपने हाथों से मसला तो वह सिसक उठी। उसकी चूत एकदम चिकनी थी, फिर मैंने उसकी टांगो को फैला दिया और दोनों हाथो से उसकी चूत की फांकों को अलग किया। अंदर का नजारा और भी रोमांचित कर रहा था। मुझे चूत के अंदर का हिस्सा एकदम लाल खून की तरह था, बीच में मटर के आकर का दाना और नीचे हलकी सी सुराख। बारिश के पानी से उसकी चूत और भी मजेदार लग रही थी। मैंने झट से अपना मुह उसकी चूत पे चिपका दिया और उसके चूत के दाने को चुसने लगा और अपनी जीभ को उसके छेद में घुसाने लगा।
ऐसा करने से उसे बहुत मजा आ रहा था और वो बहुत जोर-जोर से सिसक रही थी और कांप भी रही थी.. 3–4 मिनट में ही वो झड़ गई। उसकी चूत अब बिलकुल गिली हो चुकी थी मैं उठा और अपने लंड पे थूक लगया और उसकी चूत के छेद पे टीका दिया, अच्छे से पोजीशन बनी, उसकी चूत बिलकुल मेरे लंड पर थी, तब वह जरा सी भी अपनी पकड़ पत्थर पे ढीली करती तो वो मेरे लंड पे आ जा रही थी,, मैने उसके हाथ को पत्थर पे जमाया और अपने लंड को उसके चूत में प्रेस किया तो वो चीख उठी और थोडा हिली जिससे मेरा लंड फ़िसल के उसके चूत से हट गया मैंने दुबारा से उसके छेद पे लंड टिकाया और इस बार जोर से झटका मारा, एक हलकी सी फट की आवाज आई और मेरा लंड 6 इंच अंदर घुस गया।
जैसे ही मैंने झटका मारा था उसकी पकड़ पत्थर पे कमजोर हुयी और उसकी चूत मेरे लंड पे आ गिरी और मैंने भी साथ में झटका मारा था। इससे एक ही झटके में मेरा 6 इंच लंड अंदर घुस गया था और उसकी चीख निकल गई थी, वो जोर से रोने लगी और उसे छोड देने के लिए बोलने लगी। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया था और वो जितना छटपटाती मेरा लंड और अंदर घुसता जाता मैने उसकी एक न सुनी और अपने लंड पे झटके मारता रहा। साथ ही उसके होंठो को भी चूमता और उसके गालो पे भी अपने दात चुभा देता, मेरा लगभग पूरा लंड उसकी चूत में घुस चुका था और वो बुरी तरह तडप रही थी पर मैंने उसकी तडप पे धयान नहीं दिया। चुदवाने से पहले इतने नख़रे जो कर रही थी इस वजह से भी मैं थोडा गुस्सा था। ऐसे 15 मिनट लगातार अपने लंड को उसकी चूत में पेलता रहा और वो तड़पती रही, छटपटाती रही लेकिन मेरी पकड़ से निकल नहीं पा रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने अपनी स्पीड को रोका क्योंकि उस पोजीशन में मैं थक गया था। मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो देखा उसकी चूत से जबरदस्त खून निकल रहा है और मेरा लंड भी खून से सना हुआ था। उसकी चूत के नीचे का पत्थर भी उसके खून से लाल हो गया था और बारिश का पानी, नदी की तरह उसके खून को चूत से पत्थर पे और पत्थर से जमीन पे बहा ले जा रहा था। मैंने उसे पत्थर से नीचे उतारा तो वो फिर से बोलने लगी की अब और नहीं चुदवायेगी बस हो गया। मुझे गुस्सा आया मैंने उसका हाथ पकड़ के अपनी तरफ खीचा और बोला, “ज्यादा नख़रे मत कर जितना दर्द होना था, जो फ़टना था वह फट चुका है।"... और उसे जबरदस्ती मैंने पास के एक पत्थर पर झुका दिया और उसे घोड़ी बना दिया। उस स्टाइल में मैं उसकी चूत को चोदने लगा और 10 मिनट तक जम के चोदा।उसकी गांड एकदम लाल हो गयी थी मेरे धक्के मारने से।
अब मैं उसकी गांड को भी फाड़ना चाहता था। मैने थूक निकाली और उसके गांड के छेद पे लगाई, उंगली अंदर ड़ालने की कोशीश की तो उसने अपने गांड के छेद को सिकोड लिया जिससे उंगली भी घुसाने में मुश्किल हो रही थी,मैने उसको कहा गांड मत सिकोड लेकिन वो नहीं मान रही थी। मैं भी ग़ुस्से में बोला की, “ठीक है अब मेरा लंड ही इसमे रास्ता बनायेगा"। मैंने अपने लंड में ढेर सारा थूक लगाया और उसके गांड के छेड़ पे भी। फिर मैंने उसके गांड के छेद के सामने अपना लंड रखा। मैं एक हाथ से उसकी कमर पकड़े हुये था और दूसरे हाथ से अपने लंड को उसके गांड के छेद के सामने बनाये रखा था और उसके गांड से 5 इंच दूर से ही मैंने अपन लंड को जोरदार झटके के साथ उसके गांड के छेड़ में घुसा दिया। निशाना एकदम सही जगह पे लगा था, लंड उसकी गांड की दीवार को फाड़ता हुआ उसके अंदर 7 इंच तक घुस गया था। वो जोर से चिल्लाइ, उसका हाथ फ़िसला लेकिन मैंने उसे गिरने नहीं दिया। मैं उसकी कमर को जोर से पकडे हुए था और वह चिल्लाये जा रही थी, “मुझे छोड़ दो मैं मर जाउंगी बहुत दर्द हो रहा है, गांड फट गयी है।"
लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और दुबारा से पूरे लंड को बाहर निकाल के फिर से जबरदस्त झटका मारा तो इस बार मेरा पूरा लंड उसकी गांड में घुस चुका था। मेरा लंड अंदर उसके गांड के दिवार से टकराया,फिर मैं 10 मिनट तक लगातार उसकी गांड चोदता रहा और वह रोती-कराहती रही। 10 मिनट बाद मैंने फिर से उसकी चूत को चोदना शुरु किया, अब मैं उसकी गांड और चूत को बारी बारी से चोद रहा था, तभी मेरी नजर रानी पे गई वो हम दोनों को बडे ध्यान से देख रही थी और एक हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी। मैंने उसे अपने पास बुलाया और उसे कहा, “आ मैं तेरी चूत को अपने लंड से मज़ा देता हूँ"... उसको भी मैंने वहीं घोड़ी बनाया और चोदने लगा।
फिर उसके गांड को भी चोदा 10 मिनट के चुदाई के बाद रानी झड गई और कांपते हुये वो पत्थर पे लेट गई। मैंने दुबारा से गीता को घोडी बनाया और उसकी चुदाई करने लगा, बहुत देर से मैं गीता की चुदाई कर रहा था लेकिन मेरा लंड झडने का नाम ही नहीं ले रहा था, थोडी देर पहले ही जो झडा था। जब रानी की चुदाई हुयी थी लेकिन मैं अब थकने लगा था। पर जब तक लंड झड नहीं जाता मन को तसल्ली नही होती। मैं लगातार उसकी गांड और चूत को घोड़ी स्टाइल में चोदता रहा। 20 मिनट तक और चोदा, उसके गांड पे थपकियां भी लगा रहा था, उसके बूब्स को भी मसल रहा था और उसकी चूत को भी सहला रहा था। थोड़ी देर बाद मैं झड़ने वाला था तो मैंने अपना लंड उसकी गांड से निकाला और उसके मुह में घुसा दिया और उसके मुह की चुदाई भी करने लगा। मैने उसे चूसने के लिये बोला की, “जोर-जोर से चूस मेरे लंड को और जो भी लंड से निकलेगा पी लेना, इससे तुझे ताकत मिलेगी और तेरा सारा दर्द ख़तम हो जायेगा।"
3–4 मिनट बाद मैं झड गया और अपना सारा गरम पानी उसके गले में डाल दिया। उसका पूरा मुह मेरे पानी से भर गया था, थोडा बाहर भी आ रहा था लेकिन जितना मुह में था उसको वह पी गई। फिर मैंने मेरा लंड रानी के मुह में डाला, उसने उसे पूरा चाट के साफ कर दिया और मुझे भी अब जा के शांति मिली। उधर गीता ज़मीन पे जा के लेट गई। मैं भी दो मिनट तक पत्थर पे लेटा रहा फिर मैं गीता के पास गया और उसकी हालत का जायजा लेने लगा। उसकी चूत जो पहले एकदम से चिपकी हुयी थी अब एकदम सूज़ गई थी,लंड के झटके और रगड़ की वजह से एकदम लाल हो गई थी। उसकी चूत की हालत तो रानी के चूत से भी बुरी थी, लग रहा था की उसकी पूरी चूत छिल गयी है उसकी चूत की दोनों पंखुडीया मानो मुह खोले हाफ़ रही हो। उसकी चूत का छेद अब भी साफ दिख रहा था और उसमे से अब भी हल्का खून रिस रहा था। मुझे अब उसपे दया आ रही थी, मुझे इतनी बुरी तरह से उसे नहीं चोदना चाहिए था।
10 मिनट बाद मैंने उसे उठाया और उसे कपड़े पहनने को कहा। उससे अब भी ठीक से खडा नहीं हुआ जा रहा था। फिर किसी तरह उसने अपने कपड़े पहने। मैंने उसे पास के पत्थर पे बैठने को कहा तो वो बैठने लगी पर जैसे ही उसकी गांड पत्थर को टच किया वह तेजी से उठ खडी हुयी। मैंने पूछा, “क्या हुआ"? तो उसने कहा, “गांड दुख रही है, बैठा नहीं जा रहा है।" मैंने अपना बैग उसे दिया और कहा इसपे बैठ जाओ। वो बैग पे बैठ गई। मेरे पास डेरी मिल्क चोकलेट था, मैंने दोनों को दिया और खुद भी खाई फिर पानी पिया। अब तक 2:30 बज चुके थे। मैंने कहा, “तुम्हारा स्कूल कब छूटता है"? तो उन्होंने कहा 4 बजे। मै वहा और एक घंटा रुका, अब दोनों की हालत थोडी अच्छी लग रही थी उन दोनों को मैंने थोड़ी चॉकलेट और भी दि और 1000 रुपये भी दिये की कल स्कूल आने के बाद जो जी करे खा लेना। मेरे पास एक पेन किलर भी था, मुझे याद आया तो मैंने दोनों को एक-एक टैबलट दी। दोनों ने खाई फिर कुछ देर बाद दोनों का दर्द खतम हुआ। मैंने दोनो को और एक – एक पेन किलर और दी और कहा, “इसे रात को खा लेना"। साथ ही एक ट्यूब का नाम लिखकर दिया कि वह अपनी चूत और गांड में लगा देना जिससे उन्हें जल्दी आराम मिलेगा।
दोनों अब मेरी तरफ हस के देख रही थी क्योंकि अब पेन किलर की वजह से उनका दर्द खतम हो चुका था। रानी बोली, “मुझे पहले बहुत दर्द हुआ पर बाद मे मजा भी आया। क्या एक बार फिर से करेंगे"? मैं चौक गया। मैंने कहा, “नही आज नही फिर करेंगे"। वह बोली, “मैं इंतजार करूंगी। मेरे स्कूल के पास आ जाना।" मैंने गीता की तरफ देखा, वह भी कुछ कहना चाहती थी। मैंने कहा, “तुम कुछ कहना चाहती हो"? गीता नीची नजर करके धीरे से बोली, “मैं भी इंतजार करूंगी"। फिर मैंने दोनो को बाहो में लिया और बहुत देर तक दोनों तक किसिंग करता रहा। फिर दोनों को उनके घर से थोड़ी दूर छोड़कर मैं मैं चाची के क्लीनिक की और चल पड़ा। मैं कम उम्र की लड़कियों को जबरदस्ती चोद कर आया था मगर आखिर में उनको भी उसमे मजा आया था, पर थी तो जबरदस्ती।
सेक्स का नशा उतरने के बाद मुझे अपने उपर बहुत गुस्सा आ रहा था, कि क्या मैं वासना का पुजारी हो गया हूं जो अब रेप करने लगा हूं। पर जो हुआ वह उस हालात की वजह से हो गया था। मैंने कसम खाई की अब किसी के साथ जबरदस्ती नही करूँगा। जो राजी ख़ुशी तैयार हो उसके साथ ही करूँगा। वैसे भी मुझे सेक्स परिवार में ही मिल रहा है तो बाहर रिस्क लेने से क्या मतलब और जो मजा घर की औरतें चोदने में है वह बाहर की चोदने में कहा? यही सोचते हुए मैं क्लिनिक के नजदीक पहुंच गया। चाची का क्लिनिक गाँव के किनारे हाईवे पर होने से वहा पहुंचते – पहुंचते तो मैं पूरा भीग गया और बादलों के आ जाने से अंधेरा भी होने लगा। मैं पीछे के रास्ते से क्लिनिक की और जा रहा था और जैसे ही में पीछे की खिड़की से पास पहुंचा कि मुझे एक दर्द की “आह" सुनाइ दी। एक ही सेकंड में पता चल गया की यह दर्द की नहीं सिसकियों की आवाज है, एक दम से में सन्न रह गया, और सोचा की क्या करू..?