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Incest डॉक्टर का फुल पारिवारिक धमाका

Raja maurya

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“छोटी चाची"

भाग – 16


अब शायद उनकी झिझक थोड़ी कम हो गई थी और वो दोनों अपने कपड़े उतारने लगी थी। गीता ने अपने फ्रॉक को नीचे से उठाते हुए ऊपर सर से निकल दिया फ्रॉक के अंदर उसने एक बनियान जैसा कुछ पहना था और लाल चड्डी, गजब की सेक्सी लग रही थी। मैंने उस से बाकि के कपड़े को भी निकालने को कहा, तो उसने अपना बनियान भी उतार दिया। अब उसके नंगे बूब्स मेरे सामने थे, क्या गोर-गोरे बूब्स थे और एक दम गोल-गोल। मैंने अपने हाथ से उन्हें प्यार से सहलाया और हल्का-हल्का दबाने भी लगा। अब तक रानी ने भी अपना सूट उतार दिया था और अपना ब्रा उतार रही थी पर उसका हूक खुल नहीं रहा था तो मैं उसके पीछे गया उसके बूब्स को उसकी ब्रा के ऊपर से ही दबाया।

अब तक मेरा लंड एकदम सख्त होकर के पैंट फाड के बाहर आने के लिए बेताब हो रहा था। पैंट के अंदर से ही वो रानी की गांड को टच कर रहा था, मैंने रानी के ब्रा का हूक खोला और उसके नंगे बूब्स को दोनों हाथों से पकड़ कर दबाने लगा। फिर मैंने रानी को उसकी सलवार भी उतारने के लिए कहा, तो वो अपनी सलवार का नाडा खोलने लगी और शरमाते हुए उसने अपना सलवार पैर से निकाल दिया। क्या खूबसूरत फिगर था उसका एकदम स्लिम और मस्त गोरी गांड।

मैने दोनों को पास-पास बैठा दिया और बारी बारी से दोनों के बूब्स को चूसने लगा। पहले गीता के बूब्स को चूसा और कहा, “तेरे में से तो दूध जरूर निकलेगा"। 5 मिनट उसके बूब्स चूसने के बाद मैंने रानी के बूब्स को मुह में लिया और उसके बूब्स को चूसने लगा। 15 मिनट तक मैं बारी बारी से दोनों के बूब्स को चूसता और मसलता रहा। अब उनको भी मजा आने लगा था। मैं पहले रानी को चोदना चाहता था क्योंकि उसकी गांड बहुत बड़ी और सेक्सी लग रही थी मुझे। मैंने रानी को वहीं ज़मीन पे लिटा दिया और उसकी नाभि पे अपनी जीभ को घुमाने लगा। उसके मुह से सिसकिया निकल रही थी, उसे मज़ा आ रहा था और वो अब मेरी किसी भी हरकत का विरोध नहीं कर रही थी। मैं अपना एक हाथ उसकी चूत पे ले गया, उसकी चूत टच करते ही उसका शरीर कांप गया और जोर से उसके मुह से सिसकी निकली। “इस…स….सेस"….मैने धीरे से उसकी पेन्टी को उसकी टांगों से निकाल दिया। अब उसकी नंगी चूत मेरी आँखों के सामने थी, एकदम गोरी और उसपे अभी बाल भी नहीं थे, हलके भूरे रंग के रोये अभी उगने शुरू हुए थे,उसकी चूत फूली हुई थी,बारिश अभी भी जोरो से बरस रही थी और रानी मज़े में थी।

बारिश की बूंदें उसके बूब्स पे पड रही थी जो उसे और रोमांचित कर रही थी और मेरी भूख बढा रही थी। उसकी चूत पे भी बूंदें गिर रही थी और उसकी चूत के फाँक से होते हुए पानी जमीं पे गिर रहा था। मैने उंगली से उसकी चूत के लिप्स को सहलाया तो उसके मुह से सिसकिया निकलने लगी। मैने दोनों हांथों से उसके चूत के लिप्स को खोला और उसके चूत के बीच में जो दाना था उसको सहलाया, उसकी चूत के छेद को देखा जो की एकदम बंद था, हल्का सा छेद दिख रहा था उसपे मैंने अपनी उंगली फिराई तो वो कांप गई। मैंने कहा, “तुम तो वाक़ई अभी तक चुदी नहीं हो, तुम बहुत अच्छी लडकी हो,लेकिन अब मैं तुम्हे चोदूँगा। तुम्हे बहुत मज़ा आयेगा।" मैने उससे पूछा की, “क्या मैं तुम्हे चोदूं"? तो उसने कुछ नहीं कहा। मैं समझ गया उसे अब ये सब अच्छा लग रहा है और वो मज़े ले रही है। उसको पता नहीं की पहली चुदाई में कितना दर्द होता है और उसे कितना दर्द होने वाला है।

मैने अपनी शर्ट-पेंट निकल दी और अपने लंड को उसके मुह के पास ले जाकर बोला कभी लंड देखा है,तो उसने शरमाते हुए कहा, “हां पापा का देखा था जब वो सोये थे, तो उनकी लुंगी खुल गई थी,लेकिन वो तो बहुत छोटा और पतला था लेकिन ये लंड तो बहुत लम्बा और मोटा है।” यहाँ मैं आपको बता दूं की मेरा लंड 9 इंच लम्बा और लगभग 3.5 इंच मोटा है। मैंने उसे कहा, “शरमाओ नहीं इसे अपने हाथ में पकडो"। उसने अपने हाथ से मेरा लंड पकडा तो मेरे लंड के सामने उसका हाथ छोटे बच्चे के हाथ जैसा लग रहा था। मैने उससे पूछा, “तुम्हे पता है चुदाई कैसे होती है"। तो उसने कहा की, “लडका – लडकी साथ में सोते है एक दूसरे से चिपक के और.. और कुछ तो बुर में करते हैं, ये सब शादी के बाद पहली रात को होता है।" इससे ज्यादा उसे और कुछ नही पता था। पास ही गीता भी नंगी बैठी थी। मैंने उसके बूब्स को दबाते हुए उससे भी यही सवाल पूछा,उसने भी ये ही बताया की उसे भी इतना ही पता है।

मै समझ गया ये दोनों वाक़ई बहुत मासूम है, इन्हें चुदाई के बारे में कुछ भी नहीं पता। मैने उनसे कहा, “शादी के बाद तो तुम दोनों चुदवाओगी इसलिए तुम्हे पता होना चाहिए की ये कैसे होता है। ठीक है आज मैं तुम दोनों को चोद के बताऊँगा।" फिर मैंने रानी को मेरा लंड मुह में लेने को कहा तो उसने शरमाते हुए मेरे लंड का सुपाडा अपने मुह में ले लिया। मैने कहा, “अब इसे चूसो और थोडा अंदर लो।" उसने बस टोपा ही अपने मुह में लिया और थोडी देर तक उसे चूसती रही और तब तक मैं गीता के लिप्स को चूस रहा था और उसके बूब्स को दबा रहा था और बीच-बीच में एक्साइटमेंट के वजह से अपने लंड को रानी के मुह में पेल भी रहा था जिससे वो उछल जा रही थी। 10 मिनट तक ऐसा करने के बाद मैंने रानी के बूब्स को जम के चूसा। उसके बूब्स को मैं अपने मुह में भर के चूसे जा रहा था और वो रोमांच से पागल हुए जा रही थी।

वो सिसकिया निकाल रही थी। अब मैं टाइम बरबाद न करते हुए सीधे उसकी चूत के पास आ गया और उसकी टांगे फ़ैलाते हुए उसके बीच में बैठ गया और उसकी टांगों को उसके पेट की तरफ मोड दिया और साथ ही गीता को उसकी टांगे पकड़ के रखने को कहा। फिर मैंने उसकी छोटी सी चूत को फ़ैलाया और उसके छेद में अपनी उंगली डाली तो वो तडप उठी और बोली, “दुःख रहा है"। मैने कहा, “डरो नहीं थोडा सा दर्द होगा और बाद में मज़ा आएगा"। मैने अपनी उंगली uski चूत में अंदर बाहर करनी शुरू कर दी उसकी चूत बिलकुल गीली हो चुकी थी। शायद वो झड़ भी चुकी थी क्यों की उसके चूत के पानी से उसकी चूत एकदम चिकनी हो गई थी। मैंने गीता के मुह में मेरा लंड डालकर उसके थूक से लंड को गीला कर थोडा सा थूक अपने लंड पे लगाया और सुपाडे को उसके चूत के छेद पर टिका दिया। तभी रानी ने पूछा, “क्या आप अपने लंड को मेरे चूत में घुसाने वाले हो”? मैंने कहा “हैं ऐसे ही तो होती है चुदाई”।

वो डर गई और बोली, “नहीं आपका इतना बडा और मोटा लंड मेरे चूत में नहीं घुसेगा, मेरी चूत फट जाएगी”। वह अपने आप को छुड़ाने की कोशिश में हिलने लगी। मैने उसको समझाया की,“शादी के बाद सभी लड़कियां ऐसे करवाती है और मेरा लंड कोइ बहुत बड़ा नहीं है, जब बच्चा पैदा होता है तो वो यही से तो निकलता है, जब इतना बडा बच्चा इसमे से निकल सकता है तो ये लंड तो आसानी से अंदर घुस जाएगा”। मैने उसे बहुत समझाया फिर वो तैयार हो गई। मैने गीता को कहा की, “अब तू इसके दोनों हाथ सर के नीचे कर के पकड़ ले और मैंने उसके दोनों कन्धो को कस के पकड़ लिया ताकि जब लंड घुसे तो वो दर्द की वजह से हिले नहीं। फिर मैंने अपने लंड को उसके चूत के छेद पे टिका दिया और हल्का सा जोर लगाया। इतने में ही वो चिलाने लगी, “आ अअअअ…मममममी……ओ उहहहह….।" जबकि मेरे लंड का सुपाडा भी अभी अंदर नहीं गया था। मैंने एक जोरदार झटका मारा जिससे मेरा लंड तीन इंच अंदर चला गया और वो दर्द के मारे ऊपर उछल गई जिससे मेरा लंड और दो इंच अंदर घुस गया।

वो अब हिल नहीं रही थी बस जोर-जोर से रोये जा रही थी, दर्द से कराह रही थी। मैंने झट से उसके होंठो को अपने मुह में भर लिया और उन्हें चूसने लगा जिससे उसकी आवाज उसके गले में ही रह गई। मैंने ऐसा इसलिए किया ताकि उसके चिल्लाने से कही चुदवाने से पहले ही गीता डरकर नंगी ही भाग ना जाए। मुझे उसे भी तो चोदना था। थोड़ी देर तक मैं वैसे ही रहा और उसके होंठो को चूसता रहा और उसके बूब्स भी दबाता और सहलाता रहा। धीरे-धीरे वो थोडी शांत हो रही थी और मैं भी धीरे-धीरे अपने लंड को उसके चूत के गहराई में घुसाये जा रहा था अब तक 7 इंच लंड उसकी चूत में घुस चुका था और वो अब भी कराहे जा रही थी। मैने अब अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया, 10 मिनट तक मैं अपने लंड को 7 इंच ही अंदर बाहर करता रहा। जब उसका कराहना थोडा कम हुआ तो मैंने एक जोर का झटका मार के अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया। इस बार उसके मुह से अवाज नहीं निकली, उसका मुह खुला का खुला रह गया और उसकी ऑंखे एकदम बाहर की तरफ निकल आई थी।

वह 1 मिनट के लिए मानो बेहोश हो गई थी,मैने झट से अपना एक हाथ उसके मुह पे रख दिया, मुझे पता था की वो जोर से कराहेगी और साथ में मैंने अपने लंड को अंदर बाहर करना जारी रखा। उसके मुह से आवाज़ तो नहीं निकल रही थी लेकिन उसके आँख से आसु नहीं रुक रहे थे। लेकिन मैंने उसकी परवाह नहीं की और उसके बूब्स को दोनों हाथो से कस के पकडे हुये उसकी चूत की चुदाई कर रहा था। उसकी चूत बहुत टाइट थी, मेरे लंड को उसने कस कर दबा रखा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था, 15 मिनट तक उसकी चुदाई करने के बाद अब वो थोडी शांत लग रही थी। मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो देखा मेरा लंड पूरी तरह खून में सना है और उसकी चूत से खून निकल रहा है। उसकी गांड की नीचे की ज़मीन भी लाल हो गई थी। थोडी देर लंड बाहर था जो बारिश की वजह से अब साफ हो गया था और उसकी चूत भी। मैंने फिर थोडी थूक अपने लंड पे और उसकी चूत में लगाई और फिर से अपने लंड को उसके चूत में घुसा दिया और जोर जोर से झटके मारने लगा। हलका हलका उसे दर्द तो अब भी हो रहा था पर साथ ही उसे अब थोडा अच्छा भी लगने लगा था। मैने उसकी गांड को थोडा और ऊपर उठाया और चुदाई शुरु कर दी, अब मैं झड़ने वाला था इसलिए अपनी स्पीड बढा दी थी। तभी मेरा लंड उसकी चूत से फ़िसल के उसकी गांड में जा घुसा। लगभग 6 इंच उसकी गांड में धस चुका था। वह जोर से उछल गई और जोर से चिल्लाई…. “आएएए……. आआह्ह्ह..…मा..ओह मा मर गईईई"...

तब मुझे एहसास हुआ की मेरा लंड उसकी गांड में घुस गया है। मैं थोडी देर रुका रहा और उसकी गांड को सहला रहा था। 5 मिनट बाद जब उसको थोडी राहत मिली तो मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसे घोड़ी बना दिया और खुद उसके पीछे उसकी गांड में अपना लंड डाल के धीरे धीरे आगे-पीछे कर रहा था और वो कराह रही थी मैंने थोडा और जोर से धक्का मारा तो मेरा पूरा लंड उसकी गांड में घुस गया और वो फ़िसल के नीचे गिर गई। अब वो पेट के बल जमीन पे चित लेटी थी और मैं उसकी गांड के ऊपर। मैंने तब भी धक्के मारना चालू रखा। 5 मिनट बाद मैंने उसे फिर से घोड़ी बनाया और उसके गांड को चोदना जारी रखा। उसकी गांड को चोदने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था क्योंकि उसकी गांड बहुत प्यारी थी मेरे धक्के मारने के वजह से उसके दोनों बम्प हिल रहे थे जो मुझे और रोमांचित कर रहे थे और दूसरी उसकी गांड टाइट भी थी। 5–7 मिनट और चुदाई करने के बाद मैंने अपना लंड फिर से उसी पोजीशन में उसकी चूत में डाल दिया और उसकी पतली सी कमर को पकड के मैं जोर-जोर के झटके मारने लगा।

कभी उसकी गांड को चोदता तो कभी उसकी चूत को। 10 मिनट के बाद मैं झडने वाला था तो मैंने अपना लंड उसके गांड में डाल के अपना सारा गरम पानी उसकी गांड में ही डाल दिया और निढाल हो के जमीन पे लेट गया। वो भी थक के बेजान हो गई थी और वो भी जमीन पे लेट गई। मैं 3–4 मिनट तक वैसे ही पडा रहा, फिर उठ के उसकी चूत को सहलाया और उसकी टांगो को फैला के देखा तो उसकी चूत बहुत सूज गई थी और जो छेद पहले दिख नहीं रहा था वो अब सुरंग की तरह साफ दिख रहा था। उसकी गांड के छेद से भी थोडा सा खून मुझे निकलता हुआ दिखा तो मैं समझ गया की उसका गांड भी फट गई थी। मैंने 2 मिनट तक उसकी चूत को सहलाया और उसके बूब्स को भी सहलाया, फिर उसके लिप्स पे किस किया और उसे समझाया की थोडी देर में तुम फिर से पहले की जैसी हो जाओगी…थोडी देर लेटी रहो।

रानी की चुदाई देख के और उसका दर्द देख के गीता डर गई थी,मैने उसे अपने पास बुलाया तो वो डरते हुए मेरे पास आई। क्या मज़ेदार नजारा था, एक सुकोमल,अनचुदी लडकी नंगी मेरी तरफ आ रही थी और दूसरी लडकी मुझ से चुद के नंगी अब भी ज़मीन पे लेटी हुई थी। हालाकि रानी को चोदे हुये अब 15 मिनट हो चुके थे, वो उठ के बैठ गई और अब मैं गीता को चोदने के लिए खुद को तैयार कर रहा था। गीता मेरे पास आई तो मैंने उसे अपने पास बैठने को कहा, तो वो बोली की उसे नहीं चुदवाना है। अब वो घर जाना चाहती है। रानी के दर्द और उसके चूत से निकले खून को देख के गीता के चेहरे का रंग ही उड गया था। मैं रानी के पास गया और उसे कहा की, “गीता चुदवाने से मना कर रही है, तुम उसे मुझ से चुदवाने के लिए राजी करो उससे कहो की तुम्हे दर्द तो हुआ लेकिन मज़ा बहुत आया,नही तो वो तुम्हारे गाव जा के सबको बता सकती है की तुमने चुदवाया है और उसने नहीं। अगर वो भी चुद जायेगी तो किसी से कुछ नहीं कहेगी।" वो मान गई और जा के गीता को समझाने लगी.

3–4 मिनट के बाद मैं भी उसके पास गया और गीता को चोदने के लिए पटाने लगा। तो उसने कहा की, “रानी का चूत फट गई है उसमे से कितना खून निकला है। मैं नहीं चुदवाउंगी।" तो तब मैंने कहा, “अरे बेवकूफ वो खून चूत के फ़टने से नहीं बल्कि उसका महीना (पीरियड्स) आया है। (मैंने उसको झूठ बोला) तुमको भी तो आता होगा न।" तो उसने कहा हां। तब वो जा के थोडी शांत हुई और हम दोनों के समझाने पर वह अधूरे मन से ही सही पर मान गई। मुझे क्या फर्क पडता है वो अपने मन से चुदवाये या बिना मन के मुझे तो बस चोदना था उसको।

मै वहीं पास के पत्थर पे बैठा था गीता को अपने पास बुलाया और उसे अपनी गोद में बैठा लिया। उसका चेहरा मेरी तरफ था और उसकी टाँगे मेरे पीछे, और उसकी चूत के नीचे मेरा लंड, अब धीरे धीरे उसके चूत को फाड़ने के लिए तैयार हो रहा था। मैंने उसके गालो को सहलाया और उसके होंठो को अपने मुह में ले के चूसने लगा और अपने हाथों से उसके शरीर के हर अंग अंग को सहला और दबा रहा था। थोडी देर तक उसके होंठ चूसने के बाद मैंने उसे पीछे झुकाया और उसके छोटे-छोटे seb के आकर के बूब्स को मुह में भर के चूसने लगा और दूसरे बूब्स को अपने हाथों से दबाने लगा। अब वो भी गरम होने लगी थी और सिसकिया लेने लगी थी थोडी देर तक मैंने उसके बूब्स को चूसा और मसला जिससे उसके बूब्स एकदम लाल हो गये थे। मैं उठा और अपना लंड उसके मुह के पास ले जा के उसे चूसने को कहा तो उसने मेरे लंड को हाथ से पकड़ा और अपने मुह में डाल लिया, उसके छूते ही मेरा लंड टाइट हो गया।

वो मजे से मेरे लंड के सुपाडे को चूस रही थी और मैं उसके सर को पीछे से पकड़ के अपने लंड को उसके मुह में अंदर बाहर करने लगा। एक बार तो जोश में आ के मैंने अपना लंड 5 इंच तक उसके मुह के अंदर घुसा दिया जिससे उसकी आँख से आँसु निकल आये थे और वो तडप उठी थी। मेरा लंड उसके गले तक पहुच गया था। 5 मिनट तक लंड चुसवाने के बाद अब मैं उसकी चूत को चोदने क लिए तैयार था। मैंने उसे पास के ही एक खडे पत्थर पे उसे लिटा दिया वो पत्थर बच्चों के "फिसलपट्टी" की तरह था थोडा झुका हुआ था। उसको लिटाने के बाद मैं ने उसकी चूत को सहलाया। उसकी चूत बहुत छोटी और एकदम छिपी हुए सी थी। मैने उसकी चूत को अपने हाथों से मसला तो वह सिसक उठी। उसकी चूत एकदम चिकनी थी, फिर मैंने उसकी टांगो को फैला दिया और दोनों हाथो से उसकी चूत की फांकों को अलग किया। अंदर का नजारा और भी रोमांचित कर रहा था। मुझे चूत के अंदर का हिस्सा एकदम लाल खून की तरह था, बीच में मटर के आकर का दाना और नीचे हलकी सी सुराख। बारिश के पानी से उसकी चूत और भी मजेदार लग रही थी। मैंने झट से अपना मुह उसकी चूत पे चिपका दिया और उसके चूत के दाने को चुसने लगा और अपनी जीभ को उसके छेद में घुसाने लगा।

ऐसा करने से उसे बहुत मजा आ रहा था और वो बहुत जोर-जोर से सिसक रही थी और कांप भी रही थी.. 3–4 मिनट में ही वो झड़ गई। उसकी चूत अब बिलकुल गिली हो चुकी थी मैं उठा और अपने लंड पे थूक लगया और उसकी चूत के छेद पे टीका दिया, अच्छे से पोजीशन बनी, उसकी चूत बिलकुल मेरे लंड पर थी, तब वह जरा सी भी अपनी पकड़ पत्थर पे ढीली करती तो वो मेरे लंड पे आ जा रही थी,, मैने उसके हाथ को पत्थर पे जमाया और अपने लंड को उसके चूत में प्रेस किया तो वो चीख उठी और थोडा हिली जिससे मेरा लंड फ़िसल के उसके चूत से हट गया मैंने दुबारा से उसके छेद पे लंड टिकाया और इस बार जोर से झटका मारा, एक हलकी सी फट की आवाज आई और मेरा लंड 6 इंच अंदर घुस गया।

जैसे ही मैंने झटका मारा था उसकी पकड़ पत्थर पे कमजोर हुयी और उसकी चूत मेरे लंड पे आ गिरी और मैंने भी साथ में झटका मारा था। इससे एक ही झटके में मेरा 6 इंच लंड अंदर घुस गया था और उसकी चीख निकल गई थी, वो जोर से रोने लगी और उसे छोड देने के लिए बोलने लगी। मैंने उसका हाथ पकड़ लिया था और वो जितना छटपटाती मेरा लंड और अंदर घुसता जाता मैने उसकी एक न सुनी और अपने लंड पे झटके मारता रहा। साथ ही उसके होंठो को भी चूमता और उसके गालो पे भी अपने दात चुभा देता, मेरा लगभग पूरा लंड उसकी चूत में घुस चुका था और वो बुरी तरह तडप रही थी पर मैंने उसकी तडप पे धयान नहीं दिया। चुदवाने से पहले इतने नख़रे जो कर रही थी इस वजह से भी मैं थोडा गुस्सा था। ऐसे 15 मिनट लगातार अपने लंड को उसकी चूत में पेलता रहा और वो तड़पती रही, छटपटाती रही लेकिन मेरी पकड़ से निकल नहीं पा रही थी।

थोड़ी देर बाद मैंने अपनी स्पीड को रोका क्योंकि उस पोजीशन में मैं थक गया था। मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो देखा उसकी चूत से जबरदस्त खून निकल रहा है और मेरा लंड भी खून से सना हुआ था। उसकी चूत के नीचे का पत्थर भी उसके खून से लाल हो गया था और बारिश का पानी, नदी की तरह उसके खून को चूत से पत्थर पे और पत्थर से जमीन पे बहा ले जा रहा था। मैंने उसे पत्थर से नीचे उतारा तो वो फिर से बोलने लगी की अब और नहीं चुदवायेगी बस हो गया। मुझे गुस्सा आया मैंने उसका हाथ पकड़ के अपनी तरफ खीचा और बोला, “ज्यादा नख़रे मत कर जितना दर्द होना था, जो फ़टना था वह फट चुका है।"... और उसे जबरदस्ती मैंने पास के एक पत्थर पर झुका दिया और उसे घोड़ी बना दिया। उस स्टाइल में मैं उसकी चूत को चोदने लगा और 10 मिनट तक जम के चोदा।उसकी गांड एकदम लाल हो गयी थी मेरे धक्के मारने से।

अब मैं उसकी गांड को भी फाड़ना चाहता था। मैने थूक निकाली और उसके गांड के छेद पे लगाई, उंगली अंदर ड़ालने की कोशीश की तो उसने अपने गांड के छेद को सिकोड लिया जिससे उंगली भी घुसाने में मुश्किल हो रही थी,मैने उसको कहा गांड मत सिकोड लेकिन वो नहीं मान रही थी। मैं भी ग़ुस्से में बोला की, “ठीक है अब मेरा लंड ही इसमे रास्ता बनायेगा"। मैंने अपने लंड में ढेर सारा थूक लगाया और उसके गांड के छेड़ पे भी। फिर मैंने उसके गांड के छेद के सामने अपना लंड रखा। मैं एक हाथ से उसकी कमर पकड़े हुये था और दूसरे हाथ से अपने लंड को उसके गांड के छेद के सामने बनाये रखा था और उसके गांड से 5 इंच दूर से ही मैंने अपन लंड को जोरदार झटके के साथ उसके गांड के छेड़ में घुसा दिया। निशाना एकदम सही जगह पे लगा था, लंड उसकी गांड की दीवार को फाड़ता हुआ उसके अंदर 7 इंच तक घुस गया था। वो जोर से चिल्लाइ, उसका हाथ फ़िसला लेकिन मैंने उसे गिरने नहीं दिया। मैं उसकी कमर को जोर से पकडे हुए था और वह चिल्लाये जा रही थी, “मुझे छोड़ दो मैं मर जाउंगी बहुत दर्द हो रहा है, गांड फट गयी है।"

लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और दुबारा से पूरे लंड को बाहर निकाल के फिर से जबरदस्त झटका मारा तो इस बार मेरा पूरा लंड उसकी गांड में घुस चुका था। मेरा लंड अंदर उसके गांड के दिवार से टकराया,फिर मैं 10 मिनट तक लगातार उसकी गांड चोदता रहा और वह रोती-कराहती रही। 10 मिनट बाद मैंने फिर से उसकी चूत को चोदना शुरु किया, अब मैं उसकी गांड और चूत को बारी बारी से चोद रहा था, तभी मेरी नजर रानी पे गई वो हम दोनों को बडे ध्यान से देख रही थी और एक हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी। मैंने उसे अपने पास बुलाया और उसे कहा, “आ मैं तेरी चूत को अपने लंड से मज़ा देता हूँ"... उसको भी मैंने वहीं घोड़ी बनाया और चोदने लगा।

फिर उसके गांड को भी चोदा 10 मिनट के चुदाई के बाद रानी झड गई और कांपते हुये वो पत्थर पे लेट गई। मैंने दुबारा से गीता को घोडी बनाया और उसकी चुदाई करने लगा, बहुत देर से मैं गीता की चुदाई कर रहा था लेकिन मेरा लंड झडने का नाम ही नहीं ले रहा था, थोडी देर पहले ही जो झडा था। जब रानी की चुदाई हुयी थी लेकिन मैं अब थकने लगा था। पर जब तक लंड झड नहीं जाता मन को तसल्ली नही होती। मैं लगातार उसकी गांड और चूत को घोड़ी स्टाइल में चोदता रहा। 20 मिनट तक और चोदा, उसके गांड पे थपकियां भी लगा रहा था, उसके बूब्स को भी मसल रहा था और उसकी चूत को भी सहला रहा था। थोड़ी देर बाद मैं झड़ने वाला था तो मैंने अपना लंड उसकी गांड से निकाला और उसके मुह में घुसा दिया और उसके मुह की चुदाई भी करने लगा। मैने उसे चूसने के लिये बोला की, “जोर-जोर से चूस मेरे लंड को और जो भी लंड से निकलेगा पी लेना, इससे तुझे ताकत मिलेगी और तेरा सारा दर्द ख़तम हो जायेगा।"

3–4 मिनट बाद मैं झड गया और अपना सारा गरम पानी उसके गले में डाल दिया। उसका पूरा मुह मेरे पानी से भर गया था, थोडा बाहर भी आ रहा था लेकिन जितना मुह में था उसको वह पी गई। फिर मैंने मेरा लंड रानी के मुह में डाला, उसने उसे पूरा चाट के साफ कर दिया और मुझे भी अब जा के शांति मिली। उधर गीता ज़मीन पे जा के लेट गई। मैं भी दो मिनट तक पत्थर पे लेटा रहा फिर मैं गीता के पास गया और उसकी हालत का जायजा लेने लगा। उसकी चूत जो पहले एकदम से चिपकी हुयी थी अब एकदम सूज़ गई थी,लंड के झटके और रगड़ की वजह से एकदम लाल हो गई थी। उसकी चूत की हालत तो रानी के चूत से भी बुरी थी, लग रहा था की उसकी पूरी चूत छिल गयी है उसकी चूत की दोनों पंखुडीया मानो मुह खोले हाफ़ रही हो। उसकी चूत का छेद अब भी साफ दिख रहा था और उसमे से अब भी हल्का खून रिस रहा था। मुझे अब उसपे दया आ रही थी, मुझे इतनी बुरी तरह से उसे नहीं चोदना चाहिए था।

10 मिनट बाद मैंने उसे उठाया और उसे कपड़े पहनने को कहा। उससे अब भी ठीक से खडा नहीं हुआ जा रहा था। फिर किसी तरह उसने अपने कपड़े पहने। मैंने उसे पास के पत्थर पे बैठने को कहा तो वो बैठने लगी पर जैसे ही उसकी गांड पत्थर को टच किया वह तेजी से उठ खडी हुयी। मैंने पूछा, “क्या हुआ"? तो उसने कहा, “गांड दुख रही है, बैठा नहीं जा रहा है।" मैंने अपना बैग उसे दिया और कहा इसपे बैठ जाओ। वो बैग पे बैठ गई। मेरे पास डेरी मिल्क चोकलेट था, मैंने दोनों को दिया और खुद भी खाई फिर पानी पिया। अब तक 2:30 बज चुके थे। मैंने कहा, “तुम्हारा स्कूल कब छूटता है"? तो उन्होंने कहा 4 बजे। मै वहा और एक घंटा रुका, अब दोनों की हालत थोडी अच्छी लग रही थी उन दोनों को मैंने थोड़ी चॉकलेट और भी दि और 1000 रुपये भी दिये की कल स्कूल आने के बाद जो जी करे खा लेना। मेरे पास एक पेन किलर भी था, मुझे याद आया तो मैंने दोनों को एक-एक टैबलट दी। दोनों ने खाई फिर कुछ देर बाद दोनों का दर्द खतम हुआ। मैंने दोनो को और एक – एक पेन किलर और दी और कहा, “इसे रात को खा लेना"। साथ ही एक ट्यूब का नाम लिखकर दिया कि वह अपनी चूत और गांड में लगा देना जिससे उन्हें जल्दी आराम मिलेगा।

दोनों अब मेरी तरफ हस के देख रही थी क्योंकि अब पेन किलर की वजह से उनका दर्द खतम हो चुका था। रानी बोली, “मुझे पहले बहुत दर्द हुआ पर बाद मे मजा भी आया। क्या एक बार फिर से करेंगे"? मैं चौक गया। मैंने कहा, “नही आज नही फिर करेंगे"। वह बोली, “मैं इंतजार करूंगी। मेरे स्कूल के पास आ जाना।" मैंने गीता की तरफ देखा, वह भी कुछ कहना चाहती थी। मैंने कहा, “तुम कुछ कहना चाहती हो"? गीता नीची नजर करके धीरे से बोली, “मैं भी इंतजार करूंगी"। फिर मैंने दोनो को बाहो में लिया और बहुत देर तक दोनों तक किसिंग करता रहा। फिर दोनों को उनके घर से थोड़ी दूर छोड़कर मैं मैं चाची के क्लीनिक की और चल पड़ा। मैं कम उम्र की लड़कियों को जबरदस्ती चोद कर आया था मगर आखिर में उनको भी उसमे मजा आया था, पर थी तो जबरदस्ती।

सेक्स का नशा उतरने के बाद मुझे अपने उपर बहुत गुस्सा आ रहा था, कि क्या मैं वासना का पुजारी हो गया हूं जो अब रेप करने लगा हूं। पर जो हुआ वह उस हालात की वजह से हो गया था। मैंने कसम खाई की अब किसी के साथ जबरदस्ती नही करूँगा। जो राजी ख़ुशी तैयार हो उसके साथ ही करूँगा। वैसे भी मुझे सेक्स परिवार में ही मिल रहा है तो बाहर रिस्क लेने से क्या मतलब और जो मजा घर की औरतें चोदने में है वह बाहर की चोदने में कहा? यही सोचते हुए मैं क्लिनिक के नजदीक पहुंच गया। चाची का क्लिनिक गाँव के किनारे हाईवे पर होने से वहा पहुंचते – पहुंचते तो मैं पूरा भीग गया और बादलों के आ जाने से अंधेरा भी होने लगा। मैं पीछे के रास्ते से क्लिनिक की और जा रहा था और जैसे ही में पीछे की खिड़की से पास पहुंचा कि मुझे एक दर्द की “आह" सुनाइ दी। एक ही सेकंड में पता चल गया की यह दर्द की नहीं सिसकियों की आवाज है, एक दम से में सन्न रह गया, और सोचा की क्या करू..?
Mast majedaar update Bhai
 

sunoanuj

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Waiting for next update bro ….
 

Napster

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
राणी और गिता की कमसीन जवानी की दहलीज पर खडी सिलबंद चुतों का मजा ले लिया जबरदस्त
ये चाची के क्लिनिक मे कौन चुद रहा हैं कही चाची तो नहीं देखते हैं आगे
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Avi Naik

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“छोटी चाची"

भाग – 17


बहुत सारे ख्याल आने लगे की कहीं चाची का किसी के साथ चक्कर तो नही। पर फिर सोचा नहीं ऐसा तो चाची नहीं कर सकती। फिर मैंने खिड़की से अंदर झाँका तो देखा की अंदर कोई नहीं है। चाची अपनी डॉक्टर वाली कुर्सी पर बैठी है और सामने लैपटॉप पड़ा था जिसमे, ब्लू फिल्म चल रही थी, चाची की पीठ मेरी और थी। मै चाची के चेहरे को तो नहीं देख पाया पर मैंने देखा की चाची की साडी घुटनों से ऊपर थी और चाची ने अपने पाँव मोड़ कर टेबल पर रखे थे।अब मुझे समझने में देर नहीं लगी की चाची फिंगरिंग कर रही थी। शायद पहले बरसात के मौसम का नशा उन पर भी चढ़ा था। अब मेरे ख़यालात अपने आप अपनी चाची के लिए बदल रहे थे। मैंने अब सोचा की क्यों न चाची के रंग में भंग डाला जाए, मेरा लंड भी अभी गर्म हो चुका था और मैंने उसे अपने हाथ से हिलाया और वो खड़ा हो गया। फिर मैंने सटाक के चाची के कैबिन पर आवाज़ दी और चाची के दरवाजा खोलने का इंतज़ार करने लगा।

फिर चाची ने दरवाजा खोला और सच में चाची को देर लगी दरवाजा खोलने में, उनके फेस से थकान झलक रही थी। मतलब की वो अब फिंगरिंग कर के भी सैटिस्फाइ नहीं हो पा रही थी, और वो मुझे देख कर चौंक गयी और कहा, “रेशु.. तुम यहाँ क्या कर रहे हो"? चाची ने मुझे भीगे हाल में देखते हुए कहा। “वो चाची मैं"... “वो सब छोडो..अभी यहाँ खड़े क्या हो..अंदर आओ"। चाची ने मेरी बात सुने बिना ही मुझे अंदर आने को कहा। “अरे.. पूरे भीग गए हो..ऊफ यह बारिश भी ना"। फिर वो मेरे बाल पर हाथ फेरने लगी पर कुछ मतलब नहीं था। वो एक साइड में रखे कप बोर्ड से एक तौलिया ले आई और कहा, “लो रेशु..इसे पहन लो और कपडे सुखा दो"। इतने में चाची का ध्यान मेरे तने हुए लंड पर गया, जो की में कब से चाहता था की चाची देखे पर वो तो कहीं और ही मस्त थी। अब जा के चाची ने देखा और जैसे मुझे लगा की चाची ने देखा, तो मेरे दिल को चैन आया की आखिर..जो मैं चाहता था वो हो गया।

लेकिन चाची ने अपने आप को बहुत जल्दी संभाला और कहा, “कम ऑन रेशु...हर्री अप"। “लेकिन चाची, मै चेंज कहा करू"? मैंने चाची से पूछा तो पता चला की चेंज करने की कोई जगह थी ही नही। फिर चाची ने कहा की “सामने वो बेड है, वहा जाओ और वो पर्दा लगा लो, और चेंज कर लो। जाओ जल्दी”। फिर मैं भी ज्यादा न शरमाते हुए, वहा गया और पहले पर्दा लगा दिया, पर्दा सफेद था और शाम का समय था इसलिए लाइट्स ऑन थी। मेरे लिए तो जैसे भगवन ही सब कुछ जमाता था। मैंने पहले अपनी टी-शर्ट उतरी और फिर अपनी वेस्ट, मैं बिलकुल चाची के सामने था चाची भी पक्का कुर्सी पर बैठ कर देख रही होगी। मेरे और चाची के बीच में बस एक पर्दा ही था। मैंने फिर धीरे से अपने पैंट का बटन खोला और फिर चेन को भी धीरे से खोला और सर उठकर चाची की और देखा, चाची को समझाने के लिए कि में उन्ही की और देख रहा हू। फिर मैंने पैंट निकाल दिया, “वैसे रेशु तुम यहाँ कर क्या रहे हो? तुम्हे पता नहीं चलता की इस टाइम पे ऐसे नहीं निकलते”।

चाची ने अचानक पूछ लिया,“वो क्या है न चाची की मैं तो बस गाँव में घूमने निकला था पर बारिश में भीग गया और तालाब से क्लिनिक नजदीक था इसीलिए यहाँ चला आया”। मैंने एक्सप्लनेशन दिया और बातें घुमाने में तो मुझे मानो वरदान मिला है।“अच्छा बाबा पर तुम अभी घर जाओगे कैसे, कपडे तुम्हारे भीग चुके हैं और मेरा तो अब क्लिनिक बंद करने का टाइम...आए"। चाची बोलते – बोलते रुक गयी, क्यूँकि मैंने बाकि बचा अंडरवियर भी निकाल दिया और अब चाची को मेरा लंड दिख रहा था। अब मुझे पूरा यकीन था की चाची मुझे ही देख रही थी। मतलब की चाची भी सेक्स के लिए प्यासी है यह फिर से साबित हो गया था। चाची के रुकते ही मैंने चाची से कहा,“क्या.. चाची अभी आप जा रही हैं"?“नहीं – नहीं अभी टाइम है, देखते हैं तुम्हारे कपडे सूखते है की नही”। इतने में किसी ने दरवाजा खटखटाया तो चाची ने धीरे से कहा, “रेशु लगता है अभी कोई पेशेंट है, तुम आवाज़ मत करना की तुम यहाँ हो। अगर किसी ने देख लिया तो गलत समझेगा, तुम परदे के पीछे ही रहना और बाहर मत निकलना"। चाची ने मुझसे कहा, “ओके चाची"। फिर चाची ने अपनी चेयर पर बैठकर कहा, “कम इन"।

फिर दरवाजा ख़ुलते ही मैंने देखा की चाची की उमर की एक औरत आई थी और उसके अंदर आते ही चाची ने कहा, “आओ, राधा..क्या बात है? क्या हुआ, बड़े दिनों बाद"? मैं तो चाची को मान गया, एक तो वो गर्म थी, फिर मेरा लंड देखकर और भी गर्म हो गई होंगीं और फिर अचानक एक दम सामान्य। मैं बस उनकी बातें सुन रहा था। मैं बेड पर लेट गया था चाची ऑफ़ कोर्स मुझे देख सकती थी पर वो औरत नही। फिर उस औरत ने कहा, “दीदी, यहाँ कम आना पड़े तो ही अच्छा है" और दोनों मुस्कुरा पडी।“कहो, क्या हुआ, बड़े दिनों बाद आने का हुआ है”। चाची ने कैजुअल पूछा। “वो दीदी"..और फिर वो आसपास देखने लगी तो चाची ने सामने से कहा, “बताओ भी क्या बात है? यहाँ कोई नहीं है"। “दीदी, क्या है न की की...वो है न".. “अब बताओ भी राधा मुझसे क्या शर्मा रही हो"। “वो दीदी क्या है ना, की जब वो हमारे पर चढ़ते हे ना, तो"... “हां..तो क्या दर्द होता है"? “नही, दीदी अब है ना कोई असर ही नहीं होता"। फाइनली राधा ने प्रॉब्लम बता दिया की वो अब सेटिस्फाई नहीं होती और उसे अब मज़ा नहीं आता।

मैं तो इस हालत में चाची के बारे में सोचकर बड़ा खुश हो रहा था। “ओह तो यह प्रॉब्लम है"। फिर उन्होंने कहा की, “देखो मर्द जो होता है वो सेक्स में बहुत जल्दी हार मान लेता है जबकि औरत को उसकी इच्छा सालों तक रहती है। मर्द कभी काम के बोझ या परिवार की चिंता में भी सेक्स से रूठ ने लगता है, इसीलिए तुम एक काम करो, वह किस चीज़ के लिए परेशान है वो पता करो और उसे दूर करने के बाद वो अच्छे से करेगा”। “लेकिन दीदी आप तो जानती हैं की उन्हें ऐसी कोई तकलीफ है ही नही"... “फिर क्या है राधा.. की तुम्हारे पति के अंदर का जो माल था वो अब शायद ख़त्म हो गया होगा, इसे इम्पोटेंट कहते हैं, मतलब की एक ऐसा आदमी जो औरत को अब संतोष नहीं दे सकता”। “दीदी, इसका इलाज है"? “ओफ कोर्स इसका इलाज है"। चाची बताना नहीं चाहती थी क्यूँकि में सब सुन रहा था और चाची को शर्म भी आ रही थी पर क्या करें पेशेंट आया है तो इलाज तो बताना डॉक्टर के फ़र्ज़ में आता है।

“देखो राधा, इसके इलाज में तो क्या है की तुम अपने आप ही अपने आप के साथ सेक्स करो”। “मतलब"..? “मतलब की तुम्हे लगे तो तुम नीचे, अपनी उंगली डाल के अपने आप को संतोष पहुंचाओ”। “नही, दीदी ऐसा करना गुनाह है, यह तो हम नहीं कर सकते”। “तो राधा, इस मर्ज़ का कोई और इलाज नहीं है, तुम्हे खुद ही यह सब करना पडेगा, और तुम इसे गुनाह की नज़र से मत देखो, यह तुम्हारे जिस्म की जरूरत है, तो यह कोई गुनाह तो हरगिज़ नहीं है.. और फिर वो बहुत मनाने के बाद मानी और चाची को उसने अपनी बातों से गर्म भी कर दिया और मुझे भी ।

उसके जाने के बाद चाची को पता नहीं क्या हुआ, उन्होंने मुझसे कहा की रेशु तुम अपने गीले कपडे ही पहन लो अब हम घर चलते हैं। फिर मैं भी समझ गया की चाची अब सैटिस्फाइड न होने से परेशान और बोहोत गर्म, दोनों हो चुकी हैं, तो मैंने भी फ़टाफ़ट से कपडे पहन लिए और बिना चाची की और देखे मैं सीधा क्लिनिक से बाहर निकल गया और चाची के आने की वेट करने लगा। थोड़ी ही देर में चाची बाहर आई और लॉक करके जैसे वो दो स्टेअर नीचे उतरी की एक बार फिर से बारिश होने लगी। काफी देरी हो रही थी, लेकिन फिर से वो ऊपर चढ़ने लगी तो मैंने कहा की, "चाची बारिश तो आती रहेगी और वैसे भी बड़ा लेट हो चुका है तो चलो अब घर चलते हैं"। चाची को भी यह सही लगा और वो भी मेरे साथ आ कर बारिश में भीगने लगी। हम दोनों अब घर आ रहे थे, काफी अँधेरा हो चुका था और रास्ते पर कोई भी नहीं दिख रहा था। रस्ते भर चाची ने मेरे से बात नहीं की और वो काफी जल्दी में भी लगी। पूरे रस्ते वो मुझसे आगे – आगे चल रही थी, मैं अब पढ़ नहीं पा रहा था की चाची को आखिर डिस्टर्ब किसने किया, मेरे लंड ने या फिर मेरे सामने उस औरत की बातों ने।

लेकिन एक बात साफ थी की मैंने कोशिश की तो चाची को चोदा जा सकता है। शायद थोड़ा सा नाटक या थोड़ी जबरदस्ती करनी पडे लेकिन चाची 100 % पटेगी। फिर हम घर पहुंचे और मैंने रस्ते में चाची को परेशान नहीं किया या फिर यूँ कहिये चाची ने मुझे यह मौका ही नहीं दिया की मैं कोई बात छेडू क्यूँकि वो खुद काफी परेशान थी। शायद उनके लिए यह फर्स्ट टाइम था की वो किसी ऐसी वाली सिचुएशन में थी, लेकिन मेरे लिए नहीं था। इसीलिए मुझे ये पता था की थोड़ा टाइम वो खुद को देगी तो सच में ठीक हो जायेगी और ऐसा ही हुआ। हम घर पहुंचे और फ्रेश हो गये, और मैं जब बाथरूम में से बाहर आया तो चाची अब शायद ठीक लग रही थी। पर इतने में चाची को एक कॉल आया, वो चाचा का था और उन्होंने कहा की वो शायद एक घंटा लेट हो जाएंगे, बारिश की वजह से उनकी कार बिगड गयी है, तो चाची ने कहा की, “चलो रेशु खाना निपटा लेते हैं। तुम्हारे चाचा को आने में वक़्त लगेगा"। मैं भी रेडी हो गया और हम खाना खाने बैठे। हम खाना खा रहे थे और मैं चाची के ख़यालों में ही खोया हुआ था पता नहीं क्यों पर दोपहर को जो मैंने मन बनाया था उसी पे से मैंने मन बदल लिया और मैं अब चाची के साथ सेक्स के बारे में सोचने लगा।
मैं चाची के बूब्स को ही घूर रहा था। चाची ने मुझे दो – तीन बार पक़डा, पर कुछ बोली नहीं। वो बस अपना डिनर करती रही, मैं भी खाना खा रहा था पर अचानक मैंने देखा तो चाची का पल्लू सरक गया था और अब तो और भी क्लीवेज दिख रहा था। मेरे तो हाथ ही रुक गये, डिनर करते – करते, दो सेकंड के लिए तो में देखता ही रहा और फिर चाची ने मेरी और देखा और मैंने सट से अपना फेस थाली में लगा दिया। लेकिन चाची मुझे दो तीन बार पकड़ चुकी थी, अब चाची ने अपना पल्लू ठीक किया और मैं खाना खाने लगा, लेकिन अब में यह सोच रहा था की आखिर चाची का पल्लू अपने आप सरका कैसे। कहीं चाची मुझे तो सिड्यूस तो नहीं करना चाहती? फिर हमने जैसे तैसे खाना निपटाया और अपने रूम में सोने के लिए जाने लगे।

पर चाची अब तक शाम के इंसिडेंट के बारे में कुछ बोल नहीं रही थी। तो मैंने सोचा की चलो में ही बात शुरू करू, शायद चाची भी मेरी ही पहल चाहती हो। फिर हम अपने अपने रूम में जाने लगे और मैंने डिसाइड किया की अगर अभी नहीं बात की तो मौका चला जायेगा और फिर उतनी इम्पैक्ट नहीं रहेगी, तो मैं अपने रूम में जाने की जगह चाची के पीछे पीछे उनके रूम में गया। चाची अपने बाल सवार रही थी और उन्होंने मुझे अपने रूम में देखते ही कहा, “कहो रेशु..कुछ काम है"? “अम्म..चाची आपसे एक बात करनी थी”। मैंने चाची के सामने नहीं देखा यह कहते वक़्त। “हां.. बोलो न क्या कहना है”। “वो ..चाची आई ऍम सॉरी... सॉरी चाची”। “सॉरी...सॉरी किसके लिए"? “वो चाची शाम वाले इंसिडेंट के लिये, मेरी वजह से आप उस औरत के सामने खुल के बात नहीं कर पा रही थी"।

अब शरमाने की बारी छोटी चाची की थी, वो थोड़ा सा अनकंफर्टबले फील कर रही थी पर शायद अब वो शाम के मुक़बले ठीक थी। उन्होंने कहा,“रेशु इसमें तुम्हे सॉरी कहने की कोई जरूरत नहीं है, इसमें तुम्हारा कोई क़सूर नहीं है, वैसे भी वो अपनी ही गाँव की है तो मैं उसे बाद में समझा दूंग़ी और रही तुम्हारी बात तो तुम्हे थोड़ी पता था उसके आने के बारे में, इसीलिए आराम से सो जाओ अब"। चाची ने सारा ब्यौरा दे दिया. लेकिन कहीं सेक्स के बारे में कोई जिक्र नहीं किया। “चाची और एक बात पुछू"? “एक काम करो आराम से बेड पर बैठ जाओ और पूछो”। चाची को शायद मेरी चिंता थी। “चाची.. क्या वो औरत सही कह रही थी? क्या थोड़ी उम्र के बाद वाकई मर्द लोग वो नहीं कर पाते"? मैं चाची के ठीक सामने बैठा था और चाची मेरी और देख रही थी और मैं पता नहीं नीचे देखकर क्यों बात कर रहा था।“रेशु तुम्हे इन सब बातों के बारे में अभी जानने की कोई जरूरत नहीं है। तुम अभी जाओ और अभी बस अपनी पढाई के बारे में सोचो"। इतने में चाचा की कार का हॉर्न सुनाइ दिया और चाची एक दम से खड़ी हो गयी और मुझसे कहा, “रेशु अभी तुम जाओ, हम बाद में बात करेंगे”।

मै उठकर अपने रूम में आ गया और चाची चाचा को खाना खिलने लगी, मैं अपने रूम में यह सोच रहा था की साला यह तो मुश्किल हो गया। साला जिस चाची को में पटाना आसान समझ रहा था वो तो बड़ी टेढ़ी चीज़ लग रही थी अभी, और जिस दीदी के बारे में में हार्ड समझ रहा था वो दो ही दिन में पट गयी। पर फिर अपने आप से ही एक चैलेंज भी हो गयी, की अब तो चाची को पटाना ही पडेगा।

दूसरे दिन मैं सुबह थोड़ा सा लेट उठा और लगा की चाचा जा चुके थे और घर में चाची ही थी। थोड़ी ही देर में लगा की चाची मेरे रूम की और आ रही है, तो मैंने अपना मोबाइल उठाया और उसे स्विच ऑफ कर दिया और कान से लगा के बात करने लगा, की चाची सुन सके। मैंने फ़ोन पर बात करना शुरू किया कि, "अरे....नही चाची, यहाँ कुछ ठीक नहीं लग रहा है, बहुत बोरिंग सा फील हो रहा है। कोई काम ही नहीं करने को"। फिर थोड़ी देर रुकने के बाद, "हाँ हाँ चाची, छोटी चाची तो बड़ी अच्छी है पर उनसे हर किसम की बात तो नहीं कर सकता ना, हा..हा मैं अभी यही पर हू। ओके ठीक है”। कह कर मैंने फ़ोन रख दिया और मैंने बाद मैं देखा की अब दरवाजे पर कोई नहीं था। मुझे अब यकीन हो गया की चाची मेरी बातें सुन रही थी, इसीलिए इस बात को पक्का करने के लिए मैं पहले उनके रूम में गया पर वो वहां नहीं थी।

बाद में मैंने किचन मैं झाँका तो चाची वहीँ पर थी और मेरी बात सुन कर उनकी हालत पतली हो गयी थी। वो फ़्रीज का डोर ओपन कर के कुछ सोच रही थी। मैं अपना काम बनते देख फिर से अपने रूम मैं आ गया और चाची के आने का इंतज़ार करने लगा। मैं अपने रूम मैं बैठ कर कोई बुक पढ़ने लगा, लेकिन साथ ही आगे की प्लानिंग भी कर रहा था। फिर तक़रीबन आधे घंटे के बाद चाची मेरे रूम में आयी। वो भी हाथ में झाड़ू ले कर और झाड़ू निकालने लगी,वह ना ही मुझसे बात कर रही थी, ना ही मैं उनसे। उन्होंने कमरे के दरवाजे पर ही अपनी साडी के पल्लू का खुला सिरा अपनी नाभि के पास लगाया और इसी बहाने से मैंने चाची की नाभी भी देखी। फिर वो मेरे रूम में झाड़ू लगाने लगी। वो कोई रूम नहीं था बस एक कोना था जिसे आप रूम की तरह कह सकते हो। चाची बैठ के एक कोने मैं से कचरा निकाल रही थी और उनकी गांड बड़ी मस्त लग रही थी। चाची ने डार्क रेड कलर की साडी पहनी थी और फिर वो डॉगी स्टाइल में, जिस बेड पर मैं बुक पढ़ रहा था, उसके नीचे से कचरा निकालने लगी। मुझे तब चाची का क्लीवेज देखने को मिला, मस्त क्रीमी बूब्स थे चाची के, चाची ने भी यह देख लिया की मैं उनके बूब्स की और देख रहा हू, लेकिन फिर वो उठ के दूसरी और झाड़ू लगाने लगी और फिर चली गयी।

लेकिन मेरा प्लान सही से बैठ रहा था। मैं जानता था की चाची जरूर आएगी और देखेंगी की कल शाम के बाद से मेरे बिहेवियर मैं कोई चेंज आया है कि नहीं और मैंने भी चाची के बूब्स को गौर से देख के चाची को इस बात की हिंट दे दी। फिर आधे घंटे तक कुछ नहीं हुआ और फिर चाची ने मुझे आवाज़ दी तो मैं गया। वहा पर चाची ने कहा की "चलो रेशु, तुम्हे आज अपने साथ मंदिर ले के चलती हू"। मैंने कहा “नहीं चाची, मुझे मंदिर जाना अच्छा नहीं लगता”। तो चाची ने ताना मरा कि,“अरे रेशु तुम चलो तो सही, अगर चलोगे नहीं तो फिर कम्प्लेन करोगे की तुम्हे यहाँ अच्छा नहीं लगता"। अब कन्फर्म भी हो गया की मेरे बात करते वक़्त चाची सुन रही थी और वो झाड़ू लगाते वक़्त क्लीवेज भी बस मुझे थोड़ा सा एंटरटेन करने के लिए दिखा रही थी। मैं न चाहते हुए रेडी हुआ पर मैंने चाची से कहा की “आज तो पूर्णिमा है तो मंदिर मैं भीड़ होगी”। तो चाची ने ओपन हो के कहा की,“तभी तो कह रही हूँ की तुम्हे वहा मज़ा आएगा”। ये डबल मीनिंग सुन के तो मैं एक दम फ्लैट हो गया।

फिर हम मंदिर पहुंचे तो मैंने देखा की बड़ी तादात में वहा लड़कियां और औरतें आई थी, मर्द भी थे पर कम थे।लड़कियां भी बड़ी अच्छी अच्छी थी, एक दो बार तो चाची ने मुझे पकड़ा भी उन्हें घूरते हुए, लेकिन फिर चाची ने मुझे फ़ोर्सली दर्शन करने के लिए लाइन मैं खड़ा कर दिया और मैं चाची के पहले और चाची मेरे बाद मैं खड़ी हो गयी। लाइन सच मैं बड़ी लम्बी थी, मेरे आगे तक़रीबन 30 साल की एक मैरिड औरत थी, उसका फिगर बढ़िया था और उसके ब्लाउज मैं से ब्रा का स्ट्राप बाहर आ गया था। मैं उसे ही देख रहा था की इतने मैं भीड़ मैं एक धक्का आया और मैं उस औरत से जा के टकराया। तो उस औरत ने पलट के मेरी और बड़े ग़ुस्से में देखा और कुछ बड़बड़ायी, मुझे पता नहीं चला। लेकिन चाची समझ गयी और मुझे पीछे करते हुए वो मेरे आगे आ के कड़ी हो गयी। फिर मेरी और देखा और स्माइल के साथ सब ठीक होने का इशारा किया। वो आगे वाली औरत अब भी पीछे मूड कर देख रही थी की कहीं उसके पीछे मैं तो नहीं खडा। पर फिर उसने चाची को देखा और बाद मैं मेरी और भी ग़ुस्से मैं देखा, मैंने अब की बार उसे अनदेखा कर दिया और अपनी चाची को देखने लगा।

चाची ने डार्क रेड कलर की डिज़ाइनर साडी और ब्लाउज पहना था और मस्त लग रही थी। थोड़ा सा गर्मी की वजह से चाची के क्रीमी गोरे बदन पर हल्का सा पसीना सा होने लगा था। फिर मैंने देखा की चाची के आर्मपिट के पास भी पसीना हो रहा था और इसके वजह से वो गीला भी हो गया था और अभी तो हम आधे रस्ते पर भी नहीं थे। मैंने चाची को गौर से देखा, मस्त सेक्सी दिख रहीं थी वो। मेरा लंड अब खड़ा हो रहा था मैंने हलके से चाची के साथ अपने आप को सटा दिया और चाची के कंधे से अपना हाथ सटा दिया और चाची का रिस्पांस देखने लगा। पर चाची ने कुछ नहीं कहा और न ही मेरी और मुड़ कर देखा। इतने में मेरा लक काम कर गया और एक और भीड़ का धक्का आ गया और मैं चाची से थोड़ा जोर से टकरा गया और चाची भी थोड़ा सा आगे हो ली। लेकिन चाची ने अब भी कुछ नहीं कहा, तो इस बार मैंने थोड़ा आगे झुकते हुए चाची से कहा,“चाची”!

“हम्म्म”? “चलो चाची, यहाँ से चलते हैं, बहुत भीड़ है यहाँ पर"। मैं हकीकत में नहीं जाना चाहता था पर मैंने चाची से बात खोलने के लिए कहा, “नही..रेशु, तुम भी ना, अभी आधे पौने घंटे की तो बात है, बाद में चलते है, और मुझे कोई प्रॉब्लम नही"। चाची ने यह सब कहने के लिये, अपना सर पीछे की और हल्का सा मोड़ा। मैं तो पहले से आगे की और झुका हुआ था, तो चाची के होंठ बिलकुल मेरे होंठों के पास थे और मैं तो उसे देखने मैं ही जैसे खो गया। चाची ने भी ये देखा और फिर से आगे हो ली। तो मैंने भी फिर से और आगे होते हुए चाची से कहा, “लेकिन चाची..यहाँ भीड़ है और आपके इतने नजदीक होने से शर्म आ रही है, और वैसे भी आपको भी तो गर्मी लग रही है”। इस बार मैंने चाची को दोनों बातें कह दी की चाची आपको इतने पास सटने से शर्म भी आ रही है और फिर बात को दूसरा मोड़ भी दे दिया गर्मी के बारे में। चाची ने मेरी पहली बात सुनी और थोड़ा सा वो भी शर्मा गयी पर फिर कुछ भी नहीं कहा और आगे की और देखने लगी। मैं साला सोच में पड़ गया की इसे चाची का कुछ करने का इशारा समझू या नही। पर मैंने फिर हिम्मत करते हुए चाची की गांड क्रैक के पास अपने तने हुए लंड से छू लिया और बस ऐसे ही रख के खड़ा रहा।
जैसे ही मेरा लंड चाची को छुआ, चाची को सच में झटका लगा और वो बिना मुड़े ही समझ गयी की उनकी गांड को क्या छू रहा है। पर वो पलटी नहीं और मैं भी नहीं हटा और दुसरे धक्के के आने का इंतज़ार करने लगा की काश कुछ हो जाये पर ऐसा इस बार नहीं हुआ। मैं थोड़ी देर ऐसे ही खड़ा रहा फिर मैंने थोड़ी और हिम्मत करते हुए चाची की गांड के पास अपने लंड को हल्का सा हिलाया और उसे चाची की गांड के गालों पे बारी – बारी, हल्का – हल्का टच करने लगा। लेकिन इस बार चाची से रहा नहीं गया. चाची ने कुछ कहा नहीं पर पीछे मुड़ कर मेरी और देखा। नीचे मेरे लंड को नहीं देखा पर मेरी आँखों में देख कर मानो ऐसा कहा की मत करो, यह पब्लिक प्लेस है। पर मुझे ऐसा लगा की शायद चाची यह कहना चाहती थी की और करो, मुझे मज़ा आ रहा है। मै भी बिलकुल नहीं हिला, लेकिन अब मेरा लंड रूकने वाला नहीं था। मेरे पैंट मैं अब बड़ा तम्बू बन गया था। वो तो ठीक था की एक साइड पे दीवार थी और मैंने अपना दूसरा हाथ अपने इरेक्शन को छुपाने के लिए अपने लंड के पास ले लिया।

लेकिन ऐसा करने से मेरा हाथ चाची की गांड को छूने लगा, चाची ने इस बार भी मुड़कर देखा पर इस बार भी कुछ नहीं बोली और इस बार भी मैंने पीछे न हटते हुए अपने हाथ को भी चाची के गांड पर रख दिया। अब मेरा लेफ्ट हैंड चाची के लेफ्ट गांड को और मेरा लंड चाची के गांड क्रैक को छू रहा था। बेशक चाची को भी मज़ा आ रहा था पर वो खुल के सपोर्ट भी नहीं कर सकती थी। इतने में हम मंदिर के पहले द्वार मैं दाखिल हुए। अब यहाँ से दस मिनट तो वेटिंग थी और मेरे दोनों साइड अब दीवार थी और थोड़ा सा अँधेरा भी था। मुझे तो यह थोड़ा सा एडवांटेज लगा और मैंने थोड़ा सा डेरिंग मूव करने का सोचा। अब मैंने चाची की गांड पर और प्रेशर दिया और अपना लेफ्ट हैंड चाची की गांड पर भी हल्का सा घुमाया। अब शायद चाची समझ रही थी की मैं रुकने वाला नही, तो चाची मुझसे छूटने के चक्कर मैं थोड़ा सा आगे बढ़ने लगी। पर मैंने चाची को पकडने के चक्कर में ग़लती से चाची के गांड को ही अपने हाथ से पकड़ लिया और वो भी मस्त पकडा। जैसे ही मैंने चाची को पकड़ा वो भी आगे जाना भूल गयी और शॉक के मारे पीछे देखा। जैसे ही उन्होंने पीछे देखा मैने भी ग़लती के डर से चाची की गांड को छोड़ दिया और अपने दोनों हाथ ऊपर कर लिये। इस बार चाची ने पीछे देखा और मेरे तने हुए लंड को भी देखा, वो थोड़ा शॉक, थोड़ा गुस्सा और थोड़ी सी परेशानी मैं लग रही थी।

मैन भी चाची को ग़ुस्से मैं जान के अपने दोनों हाथ सरेंडर करने की स्टाइल मैं ऊपर कर लिए और हलके से इनोसेंट बन के चाची से सॉरी कहा। चाची बिना कुछ कहे आगे देखने लगी, पर अपने हाथ से पीछे सहलाने लगी क्यूँकि मैंने थोड़ा जोर से दबा दिया था तो मैंने मौका देखते हुए चाची से कहा, “सॉरी..चाची आप कहें तो मैं सहला दूं क्या"? “यह भी कोई कहने की बात है क्या?जल्दी करो, मैं करूंगी तो अजीब लगेगा, तुम ही करो”। मैं तो जैसे लॉटरी लग गयी हो वैसे चाची के दोनों गांड पर अपने दोनों हाथ रख के आराम से सहलाने लगा और हल्का सा प्रेस कर के मसलने भी लगा। लेकिन थोड़ा ही टाइम हुआ होगा की मंदिर के मैं एंट्रेंस में हम आ गए और दर्शन कर के हम बाहर निकले। बाहर निकलते ही उन्हें उनकी सहेली मिल गयी और हमारे बीच में कोई बात नहीं हो पायी। फिर दोपहर को लेट हम घर पहुंचे और थोड़ा सा थक भी गए थे। घर पे आने के बाद चाची ने खाना बनाया और मैंने हर वक़्त चाची को परेशान करना ठीक नहीं समझा। मैं बस चाची के ख़यालों में था और चाची ने खाना खाने के लिए बुलाया। गाँव में अभी भी डाइनिंग टेबल नहीं था इसीलिए हम नीचे जमीन पर ही खाते थे, आज हम खाना खाने बैठे लेकिन मैंने देखा की चाची ने अपनी साड़ी कुछ ऊपर की है, तक़रीबन घुटनों तक लेकिन मैंने उसे देख के भी अनदेखा कर दिया।

शायद बात करने को कोई टॉपिक नहीं था इसीलिए हम दोनों मैं कोई बात नहीं हो रही थी। मैंने खाना निपटाया और अपने हाथ धो रहा था इस बार फिर मैंने देखा की चाची अपने क्लीवेज को कुछ ज्यादा ही ओपन कर के बैठी है। पर मैंने इसे भी देख के अनदेखा कर दिया और मेरी ऐसी हरकत से चाची से रहा नहीं गया और बात करने को जो टॉपिक नहीं था वो खुल गया और जैसे मैं उठ कर जा रहा था की चाची ने कहा,“रेशु एक मिनट जरा बाहर बैठ कुछ बात करनी है”। मैं बाहर ड्राइंग रूम मैं जा कर बैठा और चाची के आने का इंतज़ार करने लगा और अपने आप को भी प्रिपेयर कर लिया की चाची शायद मंदिर वाले इंसिडेंट के बारे में पूछे तो क्या कहना है। इतनी देर में चाची आई और मेरे पास मैं आ के बैठ गयी, वो मेरे बहुत नजदीक थी, एक दम सट के नहीं थी पर फिर भी मैं उनकी स्मेल महसूस कर सकता था। उन्होंने अपने राईट हैंड से मेरे बालों को सहलाना शुरू किया और कहा,“रेशु"...“हां..चाची"?“रेशु तुम यहाँ बोर तो नहीं हो रहै हो ना। मुझे लगता है की शायद तुम कुछ उदास से लग रहे हो, शायद यहां तुम्हारी उम्र का कोई नहीं है इसीलिए”।

चाची ने बात रोक दी और मैं श्योर हो गया की चाची ने मेरी और बड़ी चाची की बातें जोकि मेरा नाटक था, सुन ली है और इसीलिए पूछ रही है। मैंने अब जान बूझ के अपना सर चाची के शोल्डर पे रख दिया और चाची की और न देखते हुए नीचे ही चाची के क्लीवेज को देखने लगा। पर चाची का साडी का सीरा थोड़ा सा परेशान कर रहा था,“नहीं चाची ऐसी कोई बात नहीं है”।“लगता तो नहीं की तुम सच बोल रहे हो”। चाची ने मेरे बालों को सहलाना जारी रखा था, अब मैंने सरेंडर करने का सोच लिया और कहा,“चाची आप सच में बहुत इंटेलीजेंट है, आप से बचना इम्पॉसिबल सा लगता है। कसम से आप है ना..मन की सारी बातें जान लेती हैं"। मैने बड़ी होशियारी से चाची की हां मैं हैं भर दी और यह भी जता दिया की आप जो मेरे मन मैं सेक्स के बारे मैं सोच रहे हो वो सही है। मैं भी आपके साथ सेक्स करना चाहता हू। मगर उनको यह नहीं पता की मैं जान बूझ कर उनके मन में यह डाल रहा हू और वैसे भी यह बोलते समय मैंने चाची के शोल्डर से अपना सर चाची के गर्दन के बहुत पास ले लिया और चाची से और भी चिपक गया।

चाची अब कुछ नहीं बोली पर मैंने ही बात कंटिन्यू करने के लिए कहा, “वैसे चाची सच कहूं तो, मुझे कल सच में बहुत बोरिंग सा फील हो रहा था और मैं थोड़ा सा सैड भी था पर आज आपके साथ होने से मुझे अच्छा लग रहा है”। मैंने चाची के मन में अपने लिए एक और बार इरादा डाल लिया की चाची आप बस मुझे सिड्यूस करो और मैं सिड्यूस होते जाऊंगा। अब हमारे बीच मैं एक साइलेंस सा होने लगा। तक़रीबन 2 मिनट तक हम मैं से कोई नहीं बोला। मैं भी पता नहीं क्यों चुप था जब की मैं जानता था की अगर ऐसी सिचुएशन मैं मैं चुप रहा तो फिर चाची शायद खुद ही उठ जायेगी या कोई डिस्टर्बेंस आ जाएगा। लेकिन मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था। वो 2 मिनट सच में बहुत बड़े लग रहै थे। लेकिन पता नहीं शायद चाची पर भी सेक्स का नशा चढ़ रहा होगा की चाची ने बात छेडी,“रेशु वैसे तुम कल रात मुझसे कुछ पूछना चाहते थे, क्या बात थी"?मुझे तो इस बात पर मज़ा ही आ गया। में यही बात करना चाहता था पर ये बात मैं नहीं छेड़ सकता था क्यूँकि कल रात चाची इस बात पे भड़क गयी थी और आज वो सामने से पूछ रही थी।

किसीने सच कहा है वक़्त बदलते देर नहीं लगती। कल चाची थोड़े ग़ुस्से में थी और आज मज़े में, लेकिन मैंने भी थोड़ा सा चाची को परेशान करने का सोचा इसीलिए मैं जानबूझ कर कहा,“हा..चाची पर कहीं आप गुस्सा तो नहीं होगी ना"? शायद चाची को भी समझ मैं आ रहा था की मैं उन्हें परेशान कर रहा हूँ तो उन्होंने भी मेरी नादानी पर मुस्कुराते हुए कहा की,“नहीं बिलकुल नही” और इस बार अपने हाथ से मेरे सर को सहलाने के साथ साथ मेरे सर को हल्का सा अपने सीने से दबाया भी। मेरा मन कर रहा था की अभी चाची के बूब्स को दबोच लू और इस पल चाची शायद मना भी न करे। लेकिन जबरदस्ती करने से थोड़ी शर्म भी मुझे आ रही थी और ऐसा भी था की जो मज़ा हौले – हौले आ रहा है वो जबरदस्ती मैं नहीं आएगा।

“अब बोलो भी"... चाची की जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी। मैंने भी चाची को और परेशान करने का सोचा और कहा, “चाची..आप उस शाम उस आंटी से कह रही थी की मर्द जो होते है उनकी कैपेसिटी जल्दी ख़त्म हो जाती है। क्या ऐसा सच मैं होता है”? साला पूछते हुए भी मेरे को शर्म आ रही थी, पर बिना सेक्स का इस्तेमाल किये मैंने जैसे तैसे बोल ही दिया। लेकिन चाची के हाथ मैं टॉपिक दे दिया और अब बात करने की बारी चाची की आ गयी,“कौनसी कैपेसिटी.. रेशु"? ये सवाल सुन के पता तो चल रहा था की चाची अब मेरी टांग खींच रही है पर ये पता नहीं चल रहा था की जवाब क्या दुं और मेरे पास इसका सच में कोई जवाब नहीं था। खुलकर बोलने में पता नहीं क्या आड़े आ रहा था की मैं बोल नहीं पा रहा था। लेकिन चाची इस बार भी मेरे मन की हालत समझ गयी और कहा,“अच्छा..ठीक है, शायद मैं समझ रही हूँ की तुम सेक्स के बारे मैं बात कर रहे हो"? चाची ने मेरे न चाहते हुए भी क्लैरिफाई किया। लेकिन मैं साला इतना शर्मा रहा था की मैंने अपना सर हाँ मैं हिलाया और कुछ भी बोला नही।

“देखो रेशु..तुम एक डॉक्टर हो और इतना क्यों शर्मा रहे हो, कल को तुम्हारे क्लिनिक पे कोई पेशेंट आएगा और सेक्स के बारे मैं सवाल पूछेगा तो तुम क्या वहा पर शरमाओगे"? चाची अब चाहती थी की मैं थोड़ा सा ओपन हो जाऊं तो मैंने भी थोड़े सी उंची आवाज़ मैं खुल के कहा, “नही..चाची, लेकिन पता नहीं आपसे इस बात पर बात करने में क्यों शर्म आ रही हैं"? “रेशु..तुम्हे मुझसे शरमाने की कोई जरूरत नहीं है और तुम एक डॉक्टर हो और डॉक्टर को कभी शर्माना नहीं चाहिए और यह क्या लगा रखा है, इस बारे मैं उस बारे मैं, सीधे बोलो की सेक्स के बारे मे, तुम सेक्स बोलने मैं इतना हिचकिचाते हो तो फिर आगे जाकर इस".... और फिर रुक गयी पर मैं समझ गया की वो ये कहना चाहती थी की आगे चल के सेक्स कैसे करोगे? पर चाची को पता नहीं की मैं उनकी चुत अब फाड़ देने वाला हू। लेकिन चाची ने रुक के बात मोड़ ली और कहा, “अच्छा बताओ..किस कैपेसिटी के बारे मैं बात कर रहे थे"? चाची ने बात मोड़ के फिर से पूछा, “चाची वो सेक्स के बारे में"। “ह्म्मम्..ऐसे खुल के बोलो। रेशु उस दिन मैंने जो बताया वो उस औरत के प्रॉब्लम के बारे में था। उस औरत का हस्बैंड उससे अब उम्र होने की वजह से सेक्स नहीं कर पाता था।इसीलिए मैंने जो कहा वो उस एक मर्द के बारे मैं था, सब के लिए नहीं। इसीलिए तुम्हे इस बारे में परेशान होने की जरूरत नहीं है, कभी कभी इसका उल्टा भी हो जाता है, लेकिन वो उम्र होने की बात है। हाँ लेकिन मोस्टली मर्दों को थोड़ा जल्दी होता है”।

“वो क्यों चाची"? “बताना थोड़ा मुश्क़िल है पर ऐसा है न की मर्द जो होते है ना, उनके दिमाग में हर वक़्त सेक्स ही चलता रहता है। इसीलिए वो हर टाइम हर लड़की के बारे में सेक्स के ही बारे में सोचते रहते है, और यह एक वजह हो सकती है। दूसरी भी वजह हो सकती है जैसे कोई टेन्शन, कोई लम्बी बीमारी। जैसे हार्ट अटैक, डाइबिटीज, ब्रेन प्रॉब्लेम्स या फिर अस्थमा।" चाची ने जैसे ही अस्थमा का नाम लिया तो मेरे दिमाग में एक दम से स्पार्क हुआ की मेरे डैड भी अस्थमा के पेशेंट हैं और वो भी तक़रीबन 12 साल से और फिर मेरी माँ के बारे मैं मेरे दिमाग मैं आईडिया आया। पर फिर मैंने अभी चाची पर सोचना मुनासिब माना, इसीलिए मैं चाची के बारे मैं सोचने लगा। सच मैं अब बोरिंग होने का कोई ख्याल भी मन मैं नहीं आ रहा था और अब तो चाची भी खुल के बात कर रही थी और शायद मुझे सिड्यूस भी कर रही थी, पर मैं चाहता था की चाची खुद सामने से कहे। “और चाची अगर मर्द औरत के साथ कर नहीं सकता तो..तो औरत क्या करती है"? मैंने अब चाची की शायद दुखती रग पे हाथ रख दिया, वैसे तो मैं चाची की चूत पे हाथ रखना चाहता था लेकिन चाची ने जवाब देने के बजाए कुछ सोचा और कहा,“धत्त...कैसे – कैसे सवाल पूछ रहा है। चल अब मुझे जाने दे, क्लिनिक पे जाना है"।

चाची ने मुझे अपने सीने से अलग किया और उठकर अपने कमरे मैं चली गयी। मुझे अपनी हरकत पे गुस्सा नहीं आया क्यूँकि वो मुझसे इस बारे में बात इसीलिए नहीं करना चाहती थी क्यूँकि वो शायद लेट हो चुकी थी और ये टॉपिक इसीलिए भी नहीं खोलना चाहती थी क्यूँकि अगर इस टॉपिक के दौरन वो अपने पे काबू नहीं रख सकी तो... शायद यही सोच के वो चली गयी।
 
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Avi Naik

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“छोटी चाची"

भाग – 18


मैं वहीँ बैठा रहा और सोचता रहा। चाची आधे घंटे में अपने रूम से साड़ी चेंज करने निकली और मुझे बाई कह के क्लिनिक जा रही थी। पर ऐसा लग रहा था की चाची का क्लिनिक जाने का मन नहीं था उन्होंने मुझे मुड़कर दो बार देखा पर उनके दिमाग में नहीं आ रहा था की वो असल में करना क्या चाहती हैं? फिर वो चली ही गयी, और मैं भी बाथरूम में जा के मुठ मारने लगा, सच में मुठ मारने में बड़ा मज़ा आया। सच में किसी के बारे में सोच के मुठ मारना और किसी से सिड्यूस हो के मुठ मारने में बड़ा अंतर है। चाची क्लिनिक तो चली गयी पर जाते – जाते माँ के बारे में सोचने पर मुझे मजबूर कर गयी और उनकी अस्थमा वाली बात तो ध्यान से बाहर ही नहीं जा रही थी। शुरू – शुरू में जब मैं 16-17 साल का था तब माँ के बारे में ऐसे सोचने में कई बार शर्म आती थी पर कई बार ख्याल अपने आप ही मन में आ जाता था। लेकिन फिर इन्सेस्ट स्टोरीज पढना शुरू किया और फिर लगा की ऐसे होना टोटल ही नार्मल है और हो भी क्यों ना मेरी माँ है ही ऐसी सेक्सी. वो बिलकुल सिंपल सी रहती हे, कोई ज्यादा मेक-अप नही, कम बोलना और गैरों से तो बिलकुल कम।

एक दम सिंपल सी हैं, 5 फीट 5 इंच का कद है, मस्त बड़े बूब्स, इतने भी बड़े नहीं पर मस्त तक़रीबन 36 के तो होंगे ही, हमेशा घर में रहना, साड़ी में ही रहना, घर से क्लिनिक और क्लिनिक से घर, रूटीन लाइफ है। लिप्स ऐसे की चूसो तो मज़ा आ जाए, बूब्स हाथ में आ जाये तो छोड़ने का मन न हो। अरे में भी कहाँ माँ के बारे में बयान करने लगा, उनकी स्टोरी भी आएगी पर अभी चाची के बारे में। छोटी चाची क्लिनिक चली गयी और मैं माँ के ख़यालों में था। तभी दीदी का कॉल आ गया और बहुत दिनों के बाद दीदी से बात हो रही थी। बातों से तो वो बड़ी खुश लग रही थी पर फिर बात करते करते रहा नहीं गया तो वो कहने लगी की, “रेशु अब तुम्हारे बिना मज़ा नहीं आता"। मैं दीदी के बोलते ही समझ गया पर पूछा की क्या? तो फिर दीदी से नहीं रहा गया और कह दिया की,“रेशु तुम्हारी याद आती है और सच में अब तुम्हारे जीजू के साथ करने में मज़ा नहीं आता। वैसे भी वो अब थोड़ा सा उबने लगे हैं। रेशु एक बार और मिलना है तुमसे"। इस तरह उन्होंने मेरे से बिना सेक्स की बात कर के सब इनडायरेक्टली कह दिया और मैंने भी दीदी से कहा की मैं जरूर मिलूँगा और फिर हमारी बात ख़त्म हो गयी।

पर इस बात से मुझे अपने आप पे थोड़ा और कॉन्फिडेंस आ गया की अगर में छोटी चाची से हलकी सी भी जबरदस्ती के साथ सेक्स कर लेता हूँ तो उनको भी मज़ा आएगा और वो भी बाद में नाराज़ नहीं होगी। मैं अभी ये सब सोच रहा था की छोटी चाची का कॉल आ गया की रेशु अगर तुम क्लिनिक आ सको तो आजाओ और में भी वैसे भी बोर हो रहा था तो में भी हाँ कर के क्लिनिक की और चल पडा। जब में क्लिनिक पहुंचा तो मैंने सोचा था की कोई नहीं होगा,पर पहुँचते ही देखा तो 4 पेशेंट्स बैठे थे। मैं अंदर गया तो अंदर चाची भी पेशेंट्स में बिजी थी। मैं वहा पर चाची के पास वाली कुर्सी पर बैठ कर सब देखने लगा और ऑब्जर्व करने लगा। फिर मैंने सोचा की क्यों न चाची का लैपटॉप खोल के ब्लू फिल्म देखी जाए। तो मैंने चाची का लैपटॉप उठाया और उसे ले के वही बेड पे बैठ गया और सब फ़ोल्डर्स सर्च करने लगा। वो बेड सेफ था कोई देखनेवाला नहीं था, चाची सामने से देख सकती थी की मैं इतना गोर से लैपटॉप में क्या कर रहा हू। पर मैं अपने में बिजी था और चाची पेशेंट्स निपटाने में।

लग रहा था की चाची को अभी टाइम लगेगा इसीलिए मैंने ब्लू फिल्म देखना ही ठीक समझा और फिर तक़रीबन 10 मिनट हर एक फोल्डर ढूँढ़ने के बाद मुझे चाची का प्राइवेट फोल्डर मिला, सच में चाची ने बड़ा दिमाग लगाके छुपाया था। मैने देखा बहुत सारे मिल्फ के फकिंग क्लिप थे, मैंने एक – एक करके देखने शुरू किये और क्या मस्त कलेक्शन था। 5 मिनट में ही मेरा लंड पैंट में खेलने लगा। ज्यादातर क्लिप्स रफ सेक्स के थे मानो बरसों की प्यासी औरत जब चुदवाती है तो कैसे फील करती है। मैं लैपटॉप में खो सा गया था पर कभी – कभी होश आने पर चाची की और देख लिया करता था की वो क्या कर रही है। वो अभी भी पेशेंट चेक करने में बिजी थी। एक – दो बार चाची ने मुझे उन्हें देखते हुए देखा और मैंने फिर आँखें फेर ली तो मुझे लगा की उन्हें कुछ डाउट हुआ पर वो अपने काम में बिजी हो गयी और में अपने काम में। मस्त मूवी चल रही थी, मैं अपने आप को कण्ट्रोल नहीं कर पा रहा था मेरा एक हाथ मेरे लंड पे चला गया और हलके – हलके लंड को मसलने लगा।

चाची का भी डर नहीं था क्यूँकि चाची के बारे में भी मेरे पास एक राज़ था फिर पता ही नहीं चला कब चाची मेरे पास आ कर खड़ी हो गयी। वो ठीक मेरे सामने थी, पर अभी लैपटॉप की स्क्रीन मेरे सामने थी। मैं एक दम से चाची को देखकर चौंका और झट से वीडियो बंद करने लगा की तभी चाची ने एक दम से लैपटॉप अपने पास ले लिया और देख लिया की मैं क्या देख रहा था, अब डरने की बारी थी। चाची ने लैपटॉप में देख कर मेरे सामने देखा और मैंने चाची के सामने, इससे पहले की वो कुछ कहती, दरवाजे पर से एक आवाज़ आयी, वो पेशेंट की आवाज़ थी। तभी में सोचूं इतनी जल्दी चाची ने पेशेंट्स निपटा कैसे लिये। अभी पेशेंट्स बाकि थे, वो अच्छे से जान चुकी थी की में पोर्न मूवी देख रहा हूँ तो सोच समझकर वो मुझे पकड़ने के लिए ही आई थी और पकड़ भी लिया। हालाँकि अभी मुझसे चाची की कोई बात नहीं हुई पर मुझे हल्का सा डर लग रहा था। चाहे मैं इस सिचुएशन को संभालना जानता था पर डर तो लगता ही है। मैं वहीँ पर बैठा रहा जब तक की चाची पेशेंट्स को निपटा न ले।

आखरी पेशेंट भी निपट गया और उसके जाने के बाद चाची अपनी कुर्सी पर ही बैठी थी। चाची के दोनों हाथ अदब बना के दोनों बूब्स को और भी उभार दे रहे थे, मैं भी ठीक चाची के सामने बैठा था हालाँकि चाची से नजरें नहीं मिला रहा था पर चाची तो मानो जैसे बहुत ग़ुस्से में हो ऐसे मुझे घूरे जा रही थी। तक़रीबन एक मिनट तक एकदम साइलेंस रहा क्लिनिक में। चाची मुझे देख रही थी और में अपने आप को बचा रहा था पर चाची को देखना भी चाहता था। नीले ब्लाउज और वाइट साड़ी में चाची का क्रीमी बदन मस्त लग रहा था। बाहर अँधेरा होने लगा था, चाची ने फिर पहल की और अपनी कुर्सी से उठकर मेरे सामने किसी स्ट्रिक्ट टीचर के तरह अपने दोनों हाथ बांधे खड़े हो गई। वो ग़ुस्से में भी बड़ी क़यामत ढा रही थी और डर में भी मेरा लंड खड़ा होये जा रहा था, “यह क्या था रेशू"? साला सवाल भी ऐसा जिसका कोई जवाब नहीं था मेरे पास। मैं बस मासूम बन के चाची को देखता रहा। मेरे दिमाग में यह चल रहा था की अगर चाची पहले अपने मन से ढेर सारा बोलने लगे तो फिर बहुत जल्दी उनका बनावटी गुस्सा भी कम हो जायेगा और बाद में सिड्यूस भी किया जा सकता हे। मैं बस चाची के सामने मासूम बना रहा।

“रेशु, तुम लिमिट्स भूल रहे हो, तुम्हे ऐसा काम करते शर्म कैसे नहीं आयी? हाँ, मैंने कहा था की मुझसे शरमाने की कोई जरूरत नही, इसका मतलब ये नहीं की तुम भूल जाओ की मैं तुम्हारी चाची हू"। “सॉरी.. चाची आगे से ऐसा नहीं होगा”। “व्हाट सॉरी,अगर किसी को पता चल जाता तो? यह पब्लिक प्लेस हे, तुम बड़े हो रहे हो इसका मतलब ये नहीं की तुम कुछ भी ओपन में करो। देखो रेशु.. तुम अच्छे लड़के हो, बहुत इंटेलीजेंट हो, घर में सब को तुम पर प्राउड भी हैं, पर तुम अपने बिहेवियर पे ध्यान दो, प्लीज ऐसा कोई काम मत करो जिससे पूरे घर को शर्मिंदा होना पडे”। मैने चाची के यह सब कहते ही अपना मुँह शर्म के मारे लटका लिया हो ऐसे नीचे कर दिया और फिर से सॉरी कहा।

लेकिन अब चाची नरम पड़ती लग रही थी। पहले तो उन्होंने डाँटा पर बाद में मेरी तारिफ़ भी की, कि तुम बड़े इंटेलीजेंट हो, सब को मुझ पे प्राउड हे। मतलब वो अब ठीक और नार्मल थी। जैसे ही मैंने अपना मुँह नीचे लटकाया की चाची ने अपने हाथ खोल दिए और मेरे पास आ के मेरे मुँह को ऊपर उठाया और मेरी और देखने लगी। मैं बेड पर बैठा था इसलिए मेरा मुंह ठीक चाची के बूब्स के सामने था। इसीलिए जैसे ही उन्होंने मेरे चेहरे को पकड़ा मैने अपने दोनो हाथों से उन्हें कमर से पकड़कर अपने पास खींच लिया और उनके बूब्स पर अपना चेहरा रख दिया। ठीक चाची के बूब्स पर मेरा मुँह था। चाची कुछ गलत समझे इससे पहले ही मैंने चाची के सीने से लगते ही एक बार फिर से सॉरी कहा और कहा, “आई ऍम सॉरी चाची, फॉर हर्टिंग यु, पर आगे से ऐसा कभी नहीं करूँगा”। अब चाची की कोई टेंशन नहीं थी, चाची ने मेरे सर पे अपना हाथ रखा और सहलाने लगी। चाची को यकीन आ गया की वो मुझे डराने में क़ामयाब रही है। इसीलिए वो भी अब खुद फ्री हो के मेरे बालों को सहलाने लगी। मैं भी चाची के बूब्स की गर्माहट एन्जॉय कर रहा था फिर मैंने अपना हाथ से चाची की पीठ पे सहलाना शुरू किया और ब्लाउज के पास ले जाते ही पीछे से थोड़ा जोर भी लगाया। चाची के बूब्स मेरे गाल पे मस्त फील हो रहे थे।

नो डाउट चाची भी मेरी इस हरकत को समझ रही थी पर वो भी एन्जॉय कर रही थी। ये चाची जो मेरे सर पे हल्का हल्का दबाव डाल रही थी, उससे पता चल रहा था। मैं भी हल्का चाची के निप्पल्स के पास एडजस्ट हो गया और मेरे हिलने से चाची भी हरकत में आ गयी और मुझसे छूटने लगी। पर मैंने चाची से कहा, “चाची प्लीज बालों को सहलाओ ना बड़ा अच्छा लग रहा है"। अब चाची के पास कोई बचाव नहीं था क्यूंकि जब बच्चा डाँट खाने के बाद जिद करे तो वो जिद पूरी होती ही है। इसीलिए अब तक मैं भी नरम बन रहा था और सॉरी – सॉरी कहे जा रहा था। चाची ने भी मुझे अभी अभी जोर का डांटा था और अब मेरी बारी थी डिमांड रखने कि, और चाची भी तो एन्जॉय कर रही थी। इसीलिए चाची ने भी हटने की कोशिश छोड़ दी और मेरे करीब आके मेरे बालों को सहलाने लगी, इधर में भी चाची के निप्पल के पास पहुँचने में क़ामयाब हो गया और मेरे होठ बिलकुल चाची के निप्पल के ऊपर थे। मैं यह सोच में था की इसे मुँह में लू की नही। पर मैं अपने हाथ चाची की कमर पर सहलाते – सहलाते, चाची की गांड पर ले जाने लगा और इधर चाची के बूब्स पर भी दबाव बनाने लगा।

मैने थोड़ी देर तक अपने होंठों को चाची के निप्पल से छुआ और जब चाची ने कुछ नहीं कहा तो मैंने चाची के निप्पल को अपने मुँह में ले लिया। पर मैं साइड से बैठा था इसीलिए ठीक से से निप्पल मुँह में आ नहीं रही थी। इस सिचुएशन में मज़ा तो आ रहा था इसीलिए ये सोच रहा था की कोई हरकत करूं की नही। लेकिन ऐसे काम बन नहीं रहा था तो मैंने अपना मुँह टर्न किया और साइड की बजाय सीधा हो के बैठ गया। तो मुझे हैरान करते हुए चाची ने कहा,“ह्म्म्मम् ऐसे ठीक से बैठोगे तो मुझे बाल सहलाने में आसानी होगी"। मेरी तो चांदी हो गयी और अपने आप पे थोड़ा सा गुस्सा भी आया की मैने सोचने में देर क्यों लगाई। पर अब तो ये पक्का था की चाची रेडी तो होगी पर नाटक कर सकती है। लेकिन बाद में आईडिया भी देगी। अब से चाची की हर एक हिंट को समझना पडेगा। मैं अब ठीक से बैठ गया और बिना कोई देर किये मैंने अपने लिप्स अब ठीक चाची के निप्पल पे रख दिए। इधर मेरे हाथ चाची की गांड तक पहुँचने लगे थे। मैंने हलके से चाची की गांड पे अपने हाथ रखे। कोई जोर नहीं किया क्यूँकि एक बार अगर चाची हरकत में आ गयी तो पूरा सीन बिगड जायेगा। ऐसा सोच के मैंने बस अपने हाथ चाची की गांड पर आराम से रखे और इधर जो निप्पल मेरे मुँह में था उसे मैंने हलके से चूसना शुरू किया।

आआह्ह कितना मज़ा आ रहा था, मैं चाची के निप्पल को चूस रहा था। मुझे अपने पे यकीन नहीं हो रहा था लेकिन मेरे से रहा नहीं गया, और अपने हाथों से चाची को और पास लाने के लिए मैंने चाची को अपनी और खिंचा और इतने में चाची ने अपने आप को संभाल लिया और मुझे देखा तो मेरे मुँह में चाची का निप्पल था। जैसे ही चाची के हाथ मेरे सर पे रुके तो मैंने भी चाची की और देखा और अभी भी चाची का निप्पल मेरे मुँह में था। में शॉक हो गया और चूसना भी बंद हो गया था। पर मुँह से वो जाता अच्छा नहीं लग रहा था और चाची भी दो सेकण्ड्स के लिए मुझे और बाद में मेरे मुँह में फसे अपने बूब्स को देखती रही। लेकिन अपने आप को फिर से संभाला और झटके से मुझसे दूर हो गयी और अपने मुँह पे अपने दोनों हाथ रख दिए। हैरानी के मारे उनकी आँखें बड़ी हो गयी थी। फिर चाची मेरे से नजरें न मिला सकी और वो घूम के अपने दोनों हाथ अपने टेबल पे रख के सर नीचे कर के खड़ी हो गयी और शायद खुद पे गुस्सा हो रही थी।

वो पीछे से भी बहुत सेक्सी लग रही थी। चाची का पल्लू उनके दोनों हाथ टेबल पे रहने की वजह से बार बार सरक रहा था चाची ने एक दो बार उसे संभाल के फिर से अपने कंधे पे रखा, लेकिन फिर से वो पल्लू सरक गया, और उसे चाची उठाने लगी की मैंने चाची का पल्लू चाची से पहले पकड़ा और उसे फिर से चाची के कंधे पे रख दिया और चाची के कंधे पे अपना हाथ थपथपाकर थोड़ा सा कॉन्फिडेंस देने की कोशिश की। पर जैसे ही मैंने अपना हाथ चाची के कंधे पे रखा चाची ने ग़ुस्से से अपना कन्धा झटक दिया और अपने हाथ टेबल से हटा के सीधी खड़ी हो गयी, “आई ऍम सॉरी चाची"...“सॉरी! व्हाट सॉरी रेशु? अरे कोई अपनी चाची के साथ ऐसा करता हे क्या? तुम्हे बिलकुल शर्म नहीं आयी? कसम से इतना गुस्सा आ रहा है...ओह गॉड! रेशु तुम यहाँ से चले जाओ, वरना मेरा हाथ उठ जायेगा”। “लेकिन चाची..वो”... “प्लीज जाओ,रेशु! मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी"।

चाची सुनने को तैयार नहीं थी। फिर मैंने चाची को अकेले छोड़ दिया और बाहर निकल आया और बाहर ही खड़ा रहा। चाची को सच में लगा की में निकल गया हू, तो वो कुछ सोचने लगी। चाची सच में कुछ सोच रही थी। वो फिर अपनी चेयर पर बैठी और फिर से सोचने लगी, शायद मेरे मुँह में उनका बूब्स, यह सीन उनके माइंड से नहीं जा रहा था, लेकिन अब वो शांत लग रही थी। फिर वो अपनी साड़ी ठीक करने लगी, और साडी ठीक करते करते उनके हाथ रुक गए और चाची ने अपना राईट हैंड अपने लेफ्ट बूब्स के निप्पल पे रखा जहाँ मेरे मुँह से गीला हुआ था। इधर बाहर से मैंने अपनों मोबाइल से चाची को एक एसएमएस भेजा। चाची का मोबाइल बजा और चाची ने मोबाइल उठाया और पूरा मेसेज पढा और फिर से टेंशन में आ गयी और फिर ये सोच के की मैं बहुत दूर नहीं गया हूंगा, मुझे कॉल किया और मैंने कॉल काट दिया। फिर से कॉल आया तो फिर से काटा और थोड़ी देर में चाची के दरवाजे पे नॉक किया और चाची ने पूछा, “कौन"?“मैं हूँ चाची"... और में अंदर दाखिल हुआ। अब सारी गेम मेरे हाथ में थी, चाची भी अब सुनने को तैयार थी और मुझे बस अब अग्रेशन के साथ बोलना था,“सॉरी चाची..ऐसा एसएमएस भेजने के लिये, पर क्या करता भेजना जरूरी था मैं थोड़ा सा डर गया था की कहीं आप मम्मी को ये सब बता न दे इसीलिए ये एसएमएस भेज दिया..आई एम सॉरी”।

मैं बोलते बोलते वापस उसी बेड पे अपनी जगह पे जा के बैठ गया। चाची मेरी बात सुनती रही और फिर उठ के मेरे पास आई और वो भी मेरे पास बैठ गयी और कहा, “रेशु.. चिंता मत करो, मैं किसी से नहीं कहूँगी, पर जो तुमने किया है वो बड़ा गलत किया है”।“चाची सच सच बताना, आपको भी मज़ा आ रहा था.. है ना"? मैने चाची से सीधे सवाल पूछ लिया और चाची तो शॉक के मारे मुझे ही देखने लगी और जैसे ही चाची ने मेरी और देखा मैंने चाची को मस्त स्माइल दी। चाची कुछ बोली नहीं थोड़ी देर खामोश रही,“रेशु..अब तुमसे कुछ बातें क्लियर हो गयी हैं तो एक और बात बताना चाहती हूँ की, ये सब मैंने लैपटॉप में इसीलिए रखा क्यूँकि तुम्हारे चाचा”... चाची अब आगे बोल नहीं पा रही थी तो मैंने कह दिया की,“चाचा अब आप को सेटिस्फाई नहीं कर पाते, सही कहा ना चाची”? मैंने चाची के अलफ़ाज़ को पूरा कर दिया और चाची फिर से शॉक के मारे मेरी और देखने लगी और मैंने फिर से चाची की और देख के स्माइल दी। लेकिन चाची अभी भी शॉक में थी और मेरे मुँह से सुनने के बाद उनका मुँह खुला रह गया और दोनों हाथ भी फिर से मुँह पे चले गये।

लेकिन बात को समझते हुए चाची ने एक गहरी सांस ली और कहा की “हाँ रेशु तुम ठीक कह रहे हो"। फिर से उन्होंने एक गहरी सांस ली और मैंने चाची के कंधे पे अपना हाथ रखा और थपथपाकर चाची को थोड़ा कॉन्फिडेंस दिया। एक मिनट तक क्लिनिक में साइलेंस रहा फिर चाची ने कहा, “रेशु..ऐसा लग रहा है की कुछ लिमिट से बाहर हो रहा है, चलो यहाँ से चलते हैं” और ऐसा कह के वो उतर गयी और में बैठा रहा। चाची ने टेबल पे से अपना बैग उठाया, मैं अभी तक वही पर बैठा था और चाची को देख रहा था। चाची ने मेरी और देखा और फिर मेरी पास आई और मेरे गाल को एक बार छूकर एक किस किया और कहा, “सॉरी.. रेशु। तुम्हे डाँटने के लिए और थैंक्स की तुम किसी से कुछ नहीं कहोगे, जो तुमने किया वो भी और जो मैंने किया वो भी”। मैं भी हाँ में सर हिला के बेड से उतरा और हम घर की और चल पडे। क्लिनिक से निकले पर रस्ते में बूँदाबाँदी चल रही थी, और हम भीग रहे थे, 2 किमी का रस्ता बहुत लम्बा तो नहीं था पर इतना छोटा भी नहीं और गाँव में तो अँधेरा होने से कोई बाहर निकलता भी नही। सच में गाँव का कोई दिख नहीं रहा था और में चाहता था की कोई आये भी ना। हमने अभी चलना शुरू ही किया था की बारिश थोड़ी तेज़ होने लगी, मैं और चाची रास्ते से हट के साइड के पेड़ के नीचे खड़े रह गये, लेकिन फिर भी भीग तो रहे थे।“रेशु, चलो चलते हैं, यहाँ रुकने का कोई फ़ायदा नहीं है, वैसे भी हम भीग रहे हैं, और भी भीग जाएंगे”। हम चलने लगे। मैं अभी भी कुछ बोल नहीं रहा था।

“और हां, तुम चाहो तो बात कर सकते हो, कोई नहीं डाँटेगा और वैसे भी चुप अच्छे नहीं लगते तुम”। चाची ने कहा और मैंने उन्हें देखा, इस बार वो स्माइल दे रही थी। मैं भी हंस पड़ा और चाची के साथ चलने लगा। बारिश में चाची का भीगा बदन मस्त लग रहा था, वाइट साड़ी तो चाची की कमर को ढकने में पूरी नाकाम हो चुकी थी और पीछे से भी चाची की पेन्टी से साड़ी चिपक रही थी और मेरा हाल ख़राब हो रहा था। चाची थोड़ा आगे चल रही थी, मैं सोच रहा था की काश चाची ने ब्लाउज भी वाइट पहना होता तो, और चाची ने मुड़ के पीछे देखा और मुझे उनके भीगे बदन को देखते पकड़ लिया। लेकिन कुछ कहा नही, बस स्माइल दी और में चाची के साथ साथ चलने लगा. मेरे दिमाग में एक प्लान आ गया था।
 
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Avi Naik

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“छोटी चाची"

भाग – 19


मेरे दिमाग में एक प्लान आया. “चाची एक बात कहूं"?

चाची :“बोलो.. मैं कबसे तुम्हारे बोलने का इंतज़ार कर रही हूँ और तुम हो की बड़ा शरमाते हो”।

मैं : “एक्चुअली चाची, मैं बात नहीं कुछ कन्फेशन करना चाहता हू”।

चाची : “गो ऑन”..

मैं : “वो क्या है..ना.चाची, कल मंदिर में...मैं"...

चाची : “ठीक से कहो..कितना झिझक रहे हो। मैंने तुमसे सारी बात कह दी तो तुम क्यों रुक रहे हो? कहा ना की नहीं डाटूंगी”। चाची ने मुझे रिलैक्स करना चाहा।

मैं : “चाची, कल मंदिर में, मैंने वो जानबूझ के किया था”। मैने फ़टाफ़ट कह दिया।

चाची भी समझ गयी की मैं किस बारे में बात कर रहा था। लेकिन चाची ने अनजान बनते हुए सर ऊपर हिला के पूछा क्या। तो मैंने भी इशारे से चाची के बट की और देखा और कहा,“सॉरी..चाची पर कल मंदिर में मैंने आपकी गांड पे जान बूझ के हाथ फिराया था”। अब जा के मैं खुल के बोल पाया। लेकिन में इस बार चाची की और नहीं देख पाया। लेकिन इतने में चाची ने कहा,“पता है, जो कुछ भी तुमने कल किया वो सब पता है, और हाँ सिर्फ हाथ फिराया नहीं था जोर से दबाया भी था”। चाची ने थोड़ा और भी एक्सप्लेन किया,“हा, लेकिन वो तो आपने कहा था की दबाओ इसीलिए”।“तो मैंने अभी तो नहीं कहा था किसी चीज़ को मुँह में लेने के लिये, फिर क्यों किया"?

अभी इस बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं था लेकिन तभी दिमाग में एक स्पार्क हुआ और मैंने रिप्लाई किया,“एक मिनट..एक मिनट, मतलब की आपको पता था की में क्या कर रहा हू”?“हा..पता था और अभी – अभी तुम मेरे बट को देख रहे थे वो भी पता है"। चाची सच में कुछ ज्यादा ही खुल रही थी।“ओह गोड़, चाची यु आर आमेंजिंग,सच में आपसे बच के रहना पडेगा। बोहोत शातिर हैं आप। लेकिन एक बात कहूँ"?“अब ये भी कोई पूछनेवाली बात है? कहो जो कहना है”।

“चाची सच में बहुत बढ़िया बट हैं आपके। कसम से जब जब देखता हूँ न तब – तब सहलाने को मन करता है"। मैंने थोड़े स्मार्ट तरीके से अपनी मन की बात रख दी।“रेशु, मन तो किसी का कुछ भी करने को करता है, पर इसका ये मतलब तो नहीं की वो उसे करे ही करे..समझ रहे हो की नही”?“समझ रहा हूँ चाची, मन तो आपका भी करता होगा पर पता नहीं आप अपने आप को कण्ट्रोल क्यों कर लेती हैं"? इतने में गाँव के कुछ लोग दिखे और हम आगे –पीछे हो के चलने लगे। चाची शायद मेरी बात का जवाब देना चाहती थी इसीलिए वो मुड़ – मुड़ के देख रही थी, पर अब गाँव आ गया था और घर भी। घर में पहुंचते ही चाची अपने कमरे में चेंज करने चली गयी। मैंने भी चेंज कर लिया, पर सिर्फ शॉर्ट्स पहना था मैने, अंडरवेअर भी निकाल दिया और सिर्फ शॉर्ट्स पहन के बाहर आया तो चाची चेंज कर चुकी थी। मैं सामने सोफ़े पे आकर बैठा और चाची भी मेरे पास।

हम दोनों में से कोई बोल नहीं रहा था पर चाची को देख के लग रहा था की चाची कुछ कहना चाहती हैं। तो मैंने चाची की और देखा और चाची ने भी मेरी और,“रेशु..हम दोनों के बीच कुछ बातें ऐसे हो गयी हैं जो शायद ठीक नही, तो अब तक जो हुआ वो हुआ पर आगे से तुम मुझे ले के कुछ गलत इरादे मन में मत पालना और तुम भी जो अभी किया वो आगे से मत करना, यही ठीक हे”। यह जो गैप हो गया हमारे बीच बात चीत का उसका नतीजा था। उस टाइम में चाची को सोचने का मौका मिल गया लेकिन मैंने भी ब्लंट बनते हुए चाची से कह दिया,“नहीं होगा, चाची मेरे से नहीं हो पायेगा। आप इतनी पसंद हैं मुझे की आप को देखते ही बस आपको बाँहों में भरने का दिल करता है। कसम से चाची सब आपके ऊपर है। लेकिन मैं अपने से बनता हर ट्राय करूंगा, और एक बात का यकीन दिलाता हूँ की आपको मेरा हर ट्राय पसंद आयेगा" और इतना बोलके में उठ के अपने रूम में चला गया और चाची बस मुझे देखती रही।

मुझे पता था की अगर में यह लाइन्स बोल के वहीँ पर बैठा रहा तो फिर चाची डिफेन्स के मूड में आ जायेगी और फिर समाज, घर, रिश्तों की बातें करने लगेगी, और ऐसा चाची को बोलने देना ठीक नहीं था। मैं अपने रूम में आ के सारे इंसिडेंट के बारे में सोचने लगा। जो भी चाची ने कहा था, अब यह पता था की चाची थोड़ा सा रोकने की कोशिश करेंगी पर शायद काम बन भी सकता है। फिर एक घंटे तक चाची ने मुझे और मैंने चाची को डिस्टर्ब नहीं किया, वो किचन में काम कर रही थी। थोडे ही टाइम में चाचा आये और मैं भी अपने रूम से बाहर आया और चाचा से बात करने लगा। इतने में चाचा ने पूछ लिया,“रेशु..मज़ा तो आ रहा है ना, की गाँव में आ के बोर हो रहे हो”?“एक्चुअली चाचा, परसो पहले – पहले बोरिंग लग रहा था पर बाद में चाची के साथ अच्छा लगता है, लेकिन अब आगे देखते हैं”। मैंने सारी बात चाची के सामने देखते हुए कहा और चाची को शरम आ रही थी पर अंदर से शायद वो प्राउड भी फील कर रही होंगी।

इतने में चाचा ने फिर से कहा,“भाई तुम्हारी चाची का ऐसा ही है। वो सबका ख्याल रखती है, और तुम तो भाई अपनी चाची के फेवरेट हो तुम्हारा तो ख्याल बड़े अच्छे से रख रही होगी”। चाचा ने बोलते – बोलते चाची को देखा और चाची को न चाहते हुये भी बोलना पड़ा लेकिन उन्होंने बात को घुमा दिया और कहा,“अच्छा जी चलिये अब खाना निपटा लेते हैं, आप थक गए होंगे"। और चाची ने थोडे गुस्से भरी नजऱों से मुझे देखा और मैंने स्माइल के साथ चाची के ग़ुस्से का वेलकम किया।“चाची मुझे खाने का मूड नहीं है.मुझे नींद आ रही है, मैं अपने कमरे में जा रहा हू”।“लेकिन क्यों रेशु”?...चाची ने तुरंत पूछा। चाची की आवाज़ में मेरे लिए केयर साफ़ झलक रही थी। हालाँकि चाचा भी पूछ सकते थे, लेकिन चाचा से पहले चाची ने पूछ लिया,“नही..कुछ नहीं चाची बस खाने का मूड नहीं है"। और में बस बिना पीछे देखे अपने रूम में चला गया। लेकिन मेरे जाते ही चाचा ने कहा, “उसका शायद मूड ऑफ लग रहा है। शायद अकेले बोर हो गया। तुम प्लीज रेशु का जरा ख्याल रखो और उसे जो पसंद हो वो करो”।

मै अपने रूम में आ के बैठा और मन में एकदम श्योर था की चाची खाना खाते – खाते भी मेरे बारे में सोच रही होंगी। मेरे न खाना खाने से अब वो पूरी रात मेरे बारे में सोचती रहेगी और उससे चाची के मन में मेरे लिए सिम्पथी हो जायेगी और बाद में मेरा काम आसान हो जायेगा। फिर मैंने अपना लैपटॉप निकाला और नेट पे कुछ काम करने लगा, मेल्स चेक करना, फेसबुक अपडेट करना और इतने में चाची मेरे रूम में आयी और मुझे लैपटॉप में मस्त देखा और जैसे की मैंने पहले बताया था की मेरा रूम मतलब रूम नहीं था। कोई भी कभी भी आ सकता था और पता नहीं कब चाची मेरे रूम में आ गयी और मुझे लैपटॉप में मस्त देख के सोचा की मैं शायद पोर्न मूवी देख रहा हूँ तो वो दरवाजे से चोर की तरह आई और शाम की तरह फिर से फट से मेरे हाथ से लैपटॉप छीन लिया और लैपटॉप देखने लगी। मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी क्यूँकि मैं सोच रहा था की चाची सारी रात मेरे बारे में सोचेगी और सुबह चाचा के जाने के बाद खुल के बात होगी पर चाची को मेरी केयर कुछ ज्यादा ही थी।

वो मेरे लैपटॉप को चेक करने लगी, लेकिन मैं नेट पे पोर्न देख ही नहीं रहा था मतलब चाची को कुछ नहीं मिला और फिर चाची ने मेरी और देखा और कहा,“सॉरी..रेशु, मुझे लगा की"...“नहीं चाची में कोई पोर्न नहीं देख रहा था बस थोड़ा सा काम कर रहा था”। “सॉरी..रेशु, प्लीज मुझे सच में लगा कि तूम कुछ गलत कर रहे होंगे इसीलिए में चेक"... “गलत? चाची अगर मैं पोर्न देख भी रहा हूँ तो उसमे कुछ गलत तो नहीं है ना। आई ऍम एन एडल्ट नाउ, तो मैं कम से काम देख तो सकता ही हूँ”। अब चाची ने लैपटॉप साइड में टेबल पे रखा। मैं पैर फैला के बैठा था तो चाची भी मेरे पास में आ के बैठ गयी और मुझे गाल पे एक किस किया और मैंने भी मौका देखते हुए चाची के करीब होते हुए चाची के सीने पर सर रख दिया। आह...पहले से भी अच्छा लग रहा था क्यूँकि शायद चाची ने चेंज करने के बाद ब्रा नहीं पहनी थी। चाची भी मुझे कंसोल करने लगी और मेरे बालों को सहलाने लगी,“अच्छा रेशु, तुमने खाना क्यों नहीं खाया?मैं इतना तो बुरा नहीं बनाती ना”।“नहीं चाची ऐसी कोई बात नहीं है. आपको मेरी बात से गुस्सा आ गया था तो मुझे भी अपने आप पे गुस्सा आ गया था”।“मतलब"? “मतलब मैंने चाचा से डबल मीनिंग बात की तो आपने ग़ुस्से से मेरी और देखा था तो, इसीलिए मुझे अपने पे भी गुस्सा आ गया था”।

मै बात करते करते चाची के और भी करीब हो गया और अब मुझे चाची की क्लीवेज दिखाई दे रही थी। लेकिन अब चाची के बूब्स मुँह में लेने की हिम्मत नहीं थी।“अरे रेशु, वो गुस्सा नहीं था बस इशारा था की तुम्हारे चाचा के सामने ऐसे डबल टोन में बात मत करो”।“चाची क्या आपको सच में लगा की में पोर्न मूवी देख रहा था"? मैंने टॉपिक चेंज करने के लिए बात घुमायी क्यूँकि खाने की बात कर कर के में पकने लगा था।

“हाँ मुझे लगा था”। मै फिर एक दम से उठते हुए चाची के सामने बैठ गया और कहा,“चाची क्यों न हम एक काम करे"? चाची ने पूछा, “क्या"? तो मैंने कहा की, “चलिये हम साथ मिल के पोर्न मूवी देखते हैं"।“नहीं रेशु, अभी मुझे जाना है"।“प्लीज चाची मज़ा आयेगा".,.“नहीं रेशु, तुम्हारे चाचा मेरी वेट कर रहे होंगे”।...“अरे चाचा तो कब के सो गए होंगे, चलिये न चाची एक बार देखते हैं, सच में बड़ा मज़ा आयेगा”। मै इतनी तेज़ी से चाची के हर बात पे रिक्वेस्ट कर रहा था की चाची उठने लगी और मैंने चाची से फिर से एक बार प्लीज कहा तो चाची के मुँह से बाहर जाते जाते निकल गया की,“अभी नहीं बाद में देखेंगे”। बस मैं यही चाहता था, लग तो मुझे भी नही रहा था की चाची अभी लेट नाईट को मेरे साथ ब्लू फिल्म देखेंगी पर मैंने सोचा की ट्राय करने में क्या जाता है? और चाची जाते – जाते आखिर में एक टॉपिक निकाल के गयी कल के लिए और में इसी के बारे में सोचने लगा।

पूरी रात मैंने चाची के बारे में सोचते हुए तीन बार मुठ मारी और सच में चाची के बारे में सोचने से ही मज़ा आ रहा था।कल के बारे में सोच रहा था की अगर चाची के साथ सच में ब्लू फिल्म देखने का प्लान हो जाये तो थोड़ा सा एडवांस हो के चाची को सिड्यूस किया जा सकता है। लेकिन ये भी लगता था की कहीं इतना खुल जाने की वजह से चाची अपने आप को संभाल न ले। ऐसे सोचते – सोचते कब आँख लग गयी पता ही न चला और दुसरे दिन सुबह उठा तब चाचा और चाची कहीं जा रहे थे। मैं उठ के हॉल में आया तो चाचा ने कहा की, “रेशु आज शुक्रवार हे तो हम जरा माताजी के दर्शन के लिए जा रहे हैं। मैंने तुम्हारे बारे में चाची से पूछा तो वो बोली की रेशु नहीं आयेगा, उसे मंदिर जाना नहीं अच्छा लगता"। मैने एक दम शॉक से चाची की और देखा तो चाची ने झूठ बोलने की वजह से अपना सर शर्म से नीचे झुका लिया और मेरे दिमाग में क्लियर हो गया की चाची मुझे अपने साथ नहीं ले जाना चाहती, तो मैंने भी चाची को घूरते हुए चाचा से कहा, “हाँ चाचा, चाची बिलकुल सही कह रही हैं, मुझे मंदिर जाना अच्छा नहीं लगता"।

मैने सेंटेंस बोलते वक़्त चाची के सामने देखा और चाची थोड़ा टेंशन के मारे अपनी चॉकलेट साड़ी को अपनी नैवेल के पास अपनी ऊंगलियों से मसल रही मेरी और देख रही थी। मेरे चाची को देख के बोलने से एक बात तो उनके मन में साफ़ हो गयी थी की में उनके साथ ही रहना चाहता हू। फिर वो दोनों निकल गये, मैं बाहर कार तक छोड़ने गया और जैसे चाचा ने कार ड्राइव की तो चाची ने पलट के मेरी और देखा। मुझे पता था की चाची सच में पलट के देखेंगी तो जैसे ही चाची ने पलट के देखा, मैं थोड़ा सा निराश होते हुए घर के अंदर चला गया। चाचा और चाची के जाने के बाद मैं घर में अकेला हो गया। कुछ काम तो था नही, लैपटॉप खोलकर मेल्स चेक करने लगा।
 
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Raja maurya

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“छोटी चाची"

भाग – 17


बहुत सारे ख्याल आने लगे की कहीं चाची का किसी के साथ चक्कर तो नही। पर फिर सोचा नहीं ऐसा तो चाची नहीं कर सकती। फिर मैंने खिड़की से अंदर झाँका तो देखा की अंदर कोई नहीं है। चाची अपनी डॉक्टर वाली कुर्सी पर बैठी है और सामने लैपटॉप पड़ा था जिसमे, ब्लू फिल्म चल रही थी, चाची की पीठ मेरी और थी। मै चाची के चेहरे को तो नहीं देख पाया पर मैंने देखा की चाची की साडी घुटनों से ऊपर थी और चाची ने अपने पाँव मोड़ कर टेबल पर रखे थे।अब मुझे समझने में देर नहीं लगी की चाची फिंगरिंग कर रही थी। शायद पहले बरसात के मौसम का नशा उन पर भी चढ़ा था। अब मेरे ख़यालात अपने आप अपनी चाची के लिए बदल रहे थे। मैंने अब सोचा की क्यों न चाची के रंग में भंग डाला जाए, मेरा लंड भी अभी गर्म हो चुका था और मैंने उसे अपने हाथ से हिलाया और वो खड़ा हो गया। फिर मैंने सटाक के चाची के कैबिन पर आवाज़ दी और चाची के दरवाजा खोलने का इंतज़ार करने लगा।

फिर चाची ने दरवाजा खोला और सच में चाची को देर लगी दरवाजा खोलने में, उनके फेस से थकान झलक रही थी। मतलब की वो अब फिंगरिंग कर के भी सैटिस्फाइ नहीं हो पा रही थी, और वो मुझे देख कर चौंक गयी और कहा, “रेशु.. तुम यहाँ क्या कर रहे हो"? चाची ने मुझे भीगे हाल में देखते हुए कहा। “वो चाची मैं"... “वो सब छोडो..अभी यहाँ खड़े क्या हो..अंदर आओ"। चाची ने मेरी बात सुने बिना ही मुझे अंदर आने को कहा। “अरे.. पूरे भीग गए हो..ऊफ यह बारिश भी ना"। फिर वो मेरे बाल पर हाथ फेरने लगी पर कुछ मतलब नहीं था। वो एक साइड में रखे कप बोर्ड से एक तौलिया ले आई और कहा, “लो रेशु..इसे पहन लो और कपडे सुखा दो"। इतने में चाची का ध्यान मेरे तने हुए लंड पर गया, जो की में कब से चाहता था की चाची देखे पर वो तो कहीं और ही मस्त थी। अब जा के चाची ने देखा और जैसे मुझे लगा की चाची ने देखा, तो मेरे दिल को चैन आया की आखिर..जो मैं चाहता था वो हो गया।

लेकिन चाची ने अपने आप को बहुत जल्दी संभाला और कहा, “कम ऑन रेशु...हर्री अप"। “लेकिन चाची, मै चेंज कहा करू"? मैंने चाची से पूछा तो पता चला की चेंज करने की कोई जगह थी ही नही। फिर चाची ने कहा की “सामने वो बेड है, वहा जाओ और वो पर्दा लगा लो, और चेंज कर लो। जाओ जल्दी”। फिर मैं भी ज्यादा न शरमाते हुए, वहा गया और पहले पर्दा लगा दिया, पर्दा सफेद था और शाम का समय था इसलिए लाइट्स ऑन थी। मेरे लिए तो जैसे भगवन ही सब कुछ जमाता था। मैंने पहले अपनी टी-शर्ट उतरी और फिर अपनी वेस्ट, मैं बिलकुल चाची के सामने था चाची भी पक्का कुर्सी पर बैठ कर देख रही होगी। मेरे और चाची के बीच में बस एक पर्दा ही था। मैंने फिर धीरे से अपने पैंट का बटन खोला और फिर चेन को भी धीरे से खोला और सर उठकर चाची की और देखा, चाची को समझाने के लिए कि में उन्ही की और देख रहा हू। फिर मैंने पैंट निकाल दिया, “वैसे रेशु तुम यहाँ कर क्या रहे हो? तुम्हे पता नहीं चलता की इस टाइम पे ऐसे नहीं निकलते”।

चाची ने अचानक पूछ लिया,“वो क्या है न चाची की मैं तो बस गाँव में घूमने निकला था पर बारिश में भीग गया और तालाब से क्लिनिक नजदीक था इसीलिए यहाँ चला आया”। मैंने एक्सप्लनेशन दिया और बातें घुमाने में तो मुझे मानो वरदान मिला है।“अच्छा बाबा पर तुम अभी घर जाओगे कैसे, कपडे तुम्हारे भीग चुके हैं और मेरा तो अब क्लिनिक बंद करने का टाइम...आए"। चाची बोलते – बोलते रुक गयी, क्यूँकि मैंने बाकि बचा अंडरवियर भी निकाल दिया और अब चाची को मेरा लंड दिख रहा था। अब मुझे पूरा यकीन था की चाची मुझे ही देख रही थी। मतलब की चाची भी सेक्स के लिए प्यासी है यह फिर से साबित हो गया था। चाची के रुकते ही मैंने चाची से कहा,“क्या.. चाची अभी आप जा रही हैं"?“नहीं – नहीं अभी टाइम है, देखते हैं तुम्हारे कपडे सूखते है की नही”। इतने में किसी ने दरवाजा खटखटाया तो चाची ने धीरे से कहा, “रेशु लगता है अभी कोई पेशेंट है, तुम आवाज़ मत करना की तुम यहाँ हो। अगर किसी ने देख लिया तो गलत समझेगा, तुम परदे के पीछे ही रहना और बाहर मत निकलना"। चाची ने मुझसे कहा, “ओके चाची"। फिर चाची ने अपनी चेयर पर बैठकर कहा, “कम इन"।

फिर दरवाजा ख़ुलते ही मैंने देखा की चाची की उमर की एक औरत आई थी और उसके अंदर आते ही चाची ने कहा, “आओ, राधा..क्या बात है? क्या हुआ, बड़े दिनों बाद"? मैं तो चाची को मान गया, एक तो वो गर्म थी, फिर मेरा लंड देखकर और भी गर्म हो गई होंगीं और फिर अचानक एक दम सामान्य। मैं बस उनकी बातें सुन रहा था। मैं बेड पर लेट गया था चाची ऑफ़ कोर्स मुझे देख सकती थी पर वो औरत नही। फिर उस औरत ने कहा, “दीदी, यहाँ कम आना पड़े तो ही अच्छा है" और दोनों मुस्कुरा पडी।“कहो, क्या हुआ, बड़े दिनों बाद आने का हुआ है”। चाची ने कैजुअल पूछा। “वो दीदी"..और फिर वो आसपास देखने लगी तो चाची ने सामने से कहा, “बताओ भी क्या बात है? यहाँ कोई नहीं है"। “दीदी, क्या है न की की...वो है न".. “अब बताओ भी राधा मुझसे क्या शर्मा रही हो"। “वो दीदी क्या है ना, की जब वो हमारे पर चढ़ते हे ना, तो"... “हां..तो क्या दर्द होता है"? “नही, दीदी अब है ना कोई असर ही नहीं होता"। फाइनली राधा ने प्रॉब्लम बता दिया की वो अब सेटिस्फाई नहीं होती और उसे अब मज़ा नहीं आता।

मैं तो इस हालत में चाची के बारे में सोचकर बड़ा खुश हो रहा था। “ओह तो यह प्रॉब्लम है"। फिर उन्होंने कहा की, “देखो मर्द जो होता है वो सेक्स में बहुत जल्दी हार मान लेता है जबकि औरत को उसकी इच्छा सालों तक रहती है। मर्द कभी काम के बोझ या परिवार की चिंता में भी सेक्स से रूठ ने लगता है, इसीलिए तुम एक काम करो, वह किस चीज़ के लिए परेशान है वो पता करो और उसे दूर करने के बाद वो अच्छे से करेगा”। “लेकिन दीदी आप तो जानती हैं की उन्हें ऐसी कोई तकलीफ है ही नही"... “फिर क्या है राधा.. की तुम्हारे पति के अंदर का जो माल था वो अब शायद ख़त्म हो गया होगा, इसे इम्पोटेंट कहते हैं, मतलब की एक ऐसा आदमी जो औरत को अब संतोष नहीं दे सकता”। “दीदी, इसका इलाज है"? “ओफ कोर्स इसका इलाज है"। चाची बताना नहीं चाहती थी क्यूँकि में सब सुन रहा था और चाची को शर्म भी आ रही थी पर क्या करें पेशेंट आया है तो इलाज तो बताना डॉक्टर के फ़र्ज़ में आता है।

“देखो राधा, इसके इलाज में तो क्या है की तुम अपने आप ही अपने आप के साथ सेक्स करो”। “मतलब"..? “मतलब की तुम्हे लगे तो तुम नीचे, अपनी उंगली डाल के अपने आप को संतोष पहुंचाओ”। “नही, दीदी ऐसा करना गुनाह है, यह तो हम नहीं कर सकते”। “तो राधा, इस मर्ज़ का कोई और इलाज नहीं है, तुम्हे खुद ही यह सब करना पडेगा, और तुम इसे गुनाह की नज़र से मत देखो, यह तुम्हारे जिस्म की जरूरत है, तो यह कोई गुनाह तो हरगिज़ नहीं है.. और फिर वो बहुत मनाने के बाद मानी और चाची को उसने अपनी बातों से गर्म भी कर दिया और मुझे भी ।

उसके जाने के बाद चाची को पता नहीं क्या हुआ, उन्होंने मुझसे कहा की रेशु तुम अपने गीले कपडे ही पहन लो अब हम घर चलते हैं। फिर मैं भी समझ गया की चाची अब सैटिस्फाइड न होने से परेशान और बोहोत गर्म, दोनों हो चुकी हैं, तो मैंने भी फ़टाफ़ट से कपडे पहन लिए और बिना चाची की और देखे मैं सीधा क्लिनिक से बाहर निकल गया और चाची के आने की वेट करने लगा। थोड़ी ही देर में चाची बाहर आई और लॉक करके जैसे वो दो स्टेअर नीचे उतरी की एक बार फिर से बारिश होने लगी। काफी देरी हो रही थी, लेकिन फिर से वो ऊपर चढ़ने लगी तो मैंने कहा की, "चाची बारिश तो आती रहेगी और वैसे भी बड़ा लेट हो चुका है तो चलो अब घर चलते हैं"। चाची को भी यह सही लगा और वो भी मेरे साथ आ कर बारिश में भीगने लगी। हम दोनों अब घर आ रहे थे, काफी अँधेरा हो चुका था और रास्ते पर कोई भी नहीं दिख रहा था। रस्ते भर चाची ने मेरे से बात नहीं की और वो काफी जल्दी में भी लगी। पूरे रस्ते वो मुझसे आगे – आगे चल रही थी, मैं अब पढ़ नहीं पा रहा था की चाची को आखिर डिस्टर्ब किसने किया, मेरे लंड ने या फिर मेरे सामने उस औरत की बातों ने।

लेकिन एक बात साफ थी की मैंने कोशिश की तो चाची को चोदा जा सकता है। शायद थोड़ा सा नाटक या थोड़ी जबरदस्ती करनी पडे लेकिन चाची 100 % पटेगी। फिर हम घर पहुंचे और मैंने रस्ते में चाची को परेशान नहीं किया या फिर यूँ कहिये चाची ने मुझे यह मौका ही नहीं दिया की मैं कोई बात छेडू क्यूँकि वो खुद काफी परेशान थी। शायद उनके लिए यह फर्स्ट टाइम था की वो किसी ऐसी वाली सिचुएशन में थी, लेकिन मेरे लिए नहीं था। इसीलिए मुझे ये पता था की थोड़ा टाइम वो खुद को देगी तो सच में ठीक हो जायेगी और ऐसा ही हुआ। हम घर पहुंचे और फ्रेश हो गये, और मैं जब बाथरूम में से बाहर आया तो चाची अब शायद ठीक लग रही थी। पर इतने में चाची को एक कॉल आया, वो चाचा का था और उन्होंने कहा की वो शायद एक घंटा लेट हो जाएंगे, बारिश की वजह से उनकी कार बिगड गयी है, तो चाची ने कहा की, “चलो रेशु खाना निपटा लेते हैं। तुम्हारे चाचा को आने में वक़्त लगेगा"। मैं भी रेडी हो गया और हम खाना खाने बैठे। हम खाना खा रहे थे और मैं चाची के ख़यालों में ही खोया हुआ था पता नहीं क्यों पर दोपहर को जो मैंने मन बनाया था उसी पे से मैंने मन बदल लिया और मैं अब चाची के साथ सेक्स के बारे में सोचने लगा।
मैं चाची के बूब्स को ही घूर रहा था। चाची ने मुझे दो – तीन बार पक़डा, पर कुछ बोली नहीं। वो बस अपना डिनर करती रही, मैं भी खाना खा रहा था पर अचानक मैंने देखा तो चाची का पल्लू सरक गया था और अब तो और भी क्लीवेज दिख रहा था। मेरे तो हाथ ही रुक गये, डिनर करते – करते, दो सेकंड के लिए तो में देखता ही रहा और फिर चाची ने मेरी और देखा और मैंने सट से अपना फेस थाली में लगा दिया। लेकिन चाची मुझे दो तीन बार पकड़ चुकी थी, अब चाची ने अपना पल्लू ठीक किया और मैं खाना खाने लगा, लेकिन अब में यह सोच रहा था की आखिर चाची का पल्लू अपने आप सरका कैसे। कहीं चाची मुझे तो सिड्यूस तो नहीं करना चाहती? फिर हमने जैसे तैसे खाना निपटाया और अपने रूम में सोने के लिए जाने लगे।

पर चाची अब तक शाम के इंसिडेंट के बारे में कुछ बोल नहीं रही थी। तो मैंने सोचा की चलो में ही बात शुरू करू, शायद चाची भी मेरी ही पहल चाहती हो। फिर हम अपने अपने रूम में जाने लगे और मैंने डिसाइड किया की अगर अभी नहीं बात की तो मौका चला जायेगा और फिर उतनी इम्पैक्ट नहीं रहेगी, तो मैं अपने रूम में जाने की जगह चाची के पीछे पीछे उनके रूम में गया। चाची अपने बाल सवार रही थी और उन्होंने मुझे अपने रूम में देखते ही कहा, “कहो रेशु..कुछ काम है"? “अम्म..चाची आपसे एक बात करनी थी”। मैंने चाची के सामने नहीं देखा यह कहते वक़्त। “हां.. बोलो न क्या कहना है”। “वो ..चाची आई ऍम सॉरी... सॉरी चाची”। “सॉरी...सॉरी किसके लिए"? “वो चाची शाम वाले इंसिडेंट के लिये, मेरी वजह से आप उस औरत के सामने खुल के बात नहीं कर पा रही थी"।

अब शरमाने की बारी छोटी चाची की थी, वो थोड़ा सा अनकंफर्टबले फील कर रही थी पर शायद अब वो शाम के मुक़बले ठीक थी। उन्होंने कहा,“रेशु इसमें तुम्हे सॉरी कहने की कोई जरूरत नहीं है, इसमें तुम्हारा कोई क़सूर नहीं है, वैसे भी वो अपनी ही गाँव की है तो मैं उसे बाद में समझा दूंग़ी और रही तुम्हारी बात तो तुम्हे थोड़ी पता था उसके आने के बारे में, इसीलिए आराम से सो जाओ अब"। चाची ने सारा ब्यौरा दे दिया. लेकिन कहीं सेक्स के बारे में कोई जिक्र नहीं किया। “चाची और एक बात पुछू"? “एक काम करो आराम से बेड पर बैठ जाओ और पूछो”। चाची को शायद मेरी चिंता थी। “चाची.. क्या वो औरत सही कह रही थी? क्या थोड़ी उम्र के बाद वाकई मर्द लोग वो नहीं कर पाते"? मैं चाची के ठीक सामने बैठा था और चाची मेरी और देख रही थी और मैं पता नहीं नीचे देखकर क्यों बात कर रहा था।“रेशु तुम्हे इन सब बातों के बारे में अभी जानने की कोई जरूरत नहीं है। तुम अभी जाओ और अभी बस अपनी पढाई के बारे में सोचो"। इतने में चाचा की कार का हॉर्न सुनाइ दिया और चाची एक दम से खड़ी हो गयी और मुझसे कहा, “रेशु अभी तुम जाओ, हम बाद में बात करेंगे”।

मै उठकर अपने रूम में आ गया और चाची चाचा को खाना खिलने लगी, मैं अपने रूम में यह सोच रहा था की साला यह तो मुश्किल हो गया। साला जिस चाची को में पटाना आसान समझ रहा था वो तो बड़ी टेढ़ी चीज़ लग रही थी अभी, और जिस दीदी के बारे में में हार्ड समझ रहा था वो दो ही दिन में पट गयी। पर फिर अपने आप से ही एक चैलेंज भी हो गयी, की अब तो चाची को पटाना ही पडेगा।

दूसरे दिन मैं सुबह थोड़ा सा लेट उठा और लगा की चाचा जा चुके थे और घर में चाची ही थी। थोड़ी ही देर में लगा की चाची मेरे रूम की और आ रही है, तो मैंने अपना मोबाइल उठाया और उसे स्विच ऑफ कर दिया और कान से लगा के बात करने लगा, की चाची सुन सके। मैंने फ़ोन पर बात करना शुरू किया कि, "अरे....नही चाची, यहाँ कुछ ठीक नहीं लग रहा है, बहुत बोरिंग सा फील हो रहा है। कोई काम ही नहीं करने को"। फिर थोड़ी देर रुकने के बाद, "हाँ हाँ चाची, छोटी चाची तो बड़ी अच्छी है पर उनसे हर किसम की बात तो नहीं कर सकता ना, हा..हा मैं अभी यही पर हू। ओके ठीक है”। कह कर मैंने फ़ोन रख दिया और मैंने बाद मैं देखा की अब दरवाजे पर कोई नहीं था। मुझे अब यकीन हो गया की चाची मेरी बातें सुन रही थी, इसीलिए इस बात को पक्का करने के लिए मैं पहले उनके रूम में गया पर वो वहां नहीं थी।

बाद में मैंने किचन मैं झाँका तो चाची वहीँ पर थी और मेरी बात सुन कर उनकी हालत पतली हो गयी थी। वो फ़्रीज का डोर ओपन कर के कुछ सोच रही थी। मैं अपना काम बनते देख फिर से अपने रूम मैं आ गया और चाची के आने का इंतज़ार करने लगा। मैं अपने रूम मैं बैठ कर कोई बुक पढ़ने लगा, लेकिन साथ ही आगे की प्लानिंग भी कर रहा था। फिर तक़रीबन आधे घंटे के बाद चाची मेरे रूम में आयी। वो भी हाथ में झाड़ू ले कर और झाड़ू निकालने लगी,वह ना ही मुझसे बात कर रही थी, ना ही मैं उनसे। उन्होंने कमरे के दरवाजे पर ही अपनी साडी के पल्लू का खुला सिरा अपनी नाभि के पास लगाया और इसी बहाने से मैंने चाची की नाभी भी देखी। फिर वो मेरे रूम में झाड़ू लगाने लगी। वो कोई रूम नहीं था बस एक कोना था जिसे आप रूम की तरह कह सकते हो। चाची बैठ के एक कोने मैं से कचरा निकाल रही थी और उनकी गांड बड़ी मस्त लग रही थी। चाची ने डार्क रेड कलर की साडी पहनी थी और फिर वो डॉगी स्टाइल में, जिस बेड पर मैं बुक पढ़ रहा था, उसके नीचे से कचरा निकालने लगी। मुझे तब चाची का क्लीवेज देखने को मिला, मस्त क्रीमी बूब्स थे चाची के, चाची ने भी यह देख लिया की मैं उनके बूब्स की और देख रहा हू, लेकिन फिर वो उठ के दूसरी और झाड़ू लगाने लगी और फिर चली गयी।

लेकिन मेरा प्लान सही से बैठ रहा था। मैं जानता था की चाची जरूर आएगी और देखेंगी की कल शाम के बाद से मेरे बिहेवियर मैं कोई चेंज आया है कि नहीं और मैंने भी चाची के बूब्स को गौर से देख के चाची को इस बात की हिंट दे दी। फिर आधे घंटे तक कुछ नहीं हुआ और फिर चाची ने मुझे आवाज़ दी तो मैं गया। वहा पर चाची ने कहा की "चलो रेशु, तुम्हे आज अपने साथ मंदिर ले के चलती हू"। मैंने कहा “नहीं चाची, मुझे मंदिर जाना अच्छा नहीं लगता”। तो चाची ने ताना मरा कि,“अरे रेशु तुम चलो तो सही, अगर चलोगे नहीं तो फिर कम्प्लेन करोगे की तुम्हे यहाँ अच्छा नहीं लगता"। अब कन्फर्म भी हो गया की मेरे बात करते वक़्त चाची सुन रही थी और वो झाड़ू लगाते वक़्त क्लीवेज भी बस मुझे थोड़ा सा एंटरटेन करने के लिए दिखा रही थी। मैं न चाहते हुए रेडी हुआ पर मैंने चाची से कहा की “आज तो पूर्णिमा है तो मंदिर मैं भीड़ होगी”। तो चाची ने ओपन हो के कहा की,“तभी तो कह रही हूँ की तुम्हे वहा मज़ा आएगा”। ये डबल मीनिंग सुन के तो मैं एक दम फ्लैट हो गया।

फिर हम मंदिर पहुंचे तो मैंने देखा की बड़ी तादात में वहा लड़कियां और औरतें आई थी, मर्द भी थे पर कम थे।लड़कियां भी बड़ी अच्छी अच्छी थी, एक दो बार तो चाची ने मुझे पकड़ा भी उन्हें घूरते हुए, लेकिन फिर चाची ने मुझे फ़ोर्सली दर्शन करने के लिए लाइन मैं खड़ा कर दिया और मैं चाची के पहले और चाची मेरे बाद मैं खड़ी हो गयी। लाइन सच मैं बड़ी लम्बी थी, मेरे आगे तक़रीबन 30 साल की एक मैरिड औरत थी, उसका फिगर बढ़िया था और उसके ब्लाउज मैं से ब्रा का स्ट्राप बाहर आ गया था। मैं उसे ही देख रहा था की इतने मैं भीड़ मैं एक धक्का आया और मैं उस औरत से जा के टकराया। तो उस औरत ने पलट के मेरी और बड़े ग़ुस्से में देखा और कुछ बड़बड़ायी, मुझे पता नहीं चला। लेकिन चाची समझ गयी और मुझे पीछे करते हुए वो मेरे आगे आ के कड़ी हो गयी। फिर मेरी और देखा और स्माइल के साथ सब ठीक होने का इशारा किया। वो आगे वाली औरत अब भी पीछे मूड कर देख रही थी की कहीं उसके पीछे मैं तो नहीं खडा। पर फिर उसने चाची को देखा और बाद मैं मेरी और भी ग़ुस्से मैं देखा, मैंने अब की बार उसे अनदेखा कर दिया और अपनी चाची को देखने लगा।

चाची ने डार्क रेड कलर की डिज़ाइनर साडी और ब्लाउज पहना था और मस्त लग रही थी। थोड़ा सा गर्मी की वजह से चाची के क्रीमी गोरे बदन पर हल्का सा पसीना सा होने लगा था। फिर मैंने देखा की चाची के आर्मपिट के पास भी पसीना हो रहा था और इसके वजह से वो गीला भी हो गया था और अभी तो हम आधे रस्ते पर भी नहीं थे। मैंने चाची को गौर से देखा, मस्त सेक्सी दिख रहीं थी वो। मेरा लंड अब खड़ा हो रहा था मैंने हलके से चाची के साथ अपने आप को सटा दिया और चाची के कंधे से अपना हाथ सटा दिया और चाची का रिस्पांस देखने लगा। पर चाची ने कुछ नहीं कहा और न ही मेरी और मुड़ कर देखा। इतने में मेरा लक काम कर गया और एक और भीड़ का धक्का आ गया और मैं चाची से थोड़ा जोर से टकरा गया और चाची भी थोड़ा सा आगे हो ली। लेकिन चाची ने अब भी कुछ नहीं कहा, तो इस बार मैंने थोड़ा आगे झुकते हुए चाची से कहा,“चाची”!

“हम्म्म”? “चलो चाची, यहाँ से चलते हैं, बहुत भीड़ है यहाँ पर"। मैं हकीकत में नहीं जाना चाहता था पर मैंने चाची से बात खोलने के लिए कहा, “नही..रेशु, तुम भी ना, अभी आधे पौने घंटे की तो बात है, बाद में चलते है, और मुझे कोई प्रॉब्लम नही"। चाची ने यह सब कहने के लिये, अपना सर पीछे की और हल्का सा मोड़ा। मैं तो पहले से आगे की और झुका हुआ था, तो चाची के होंठ बिलकुल मेरे होंठों के पास थे और मैं तो उसे देखने मैं ही जैसे खो गया। चाची ने भी ये देखा और फिर से आगे हो ली। तो मैंने भी फिर से और आगे होते हुए चाची से कहा, “लेकिन चाची..यहाँ भीड़ है और आपके इतने नजदीक होने से शर्म आ रही है, और वैसे भी आपको भी तो गर्मी लग रही है”। इस बार मैंने चाची को दोनों बातें कह दी की चाची आपको इतने पास सटने से शर्म भी आ रही है और फिर बात को दूसरा मोड़ भी दे दिया गर्मी के बारे में। चाची ने मेरी पहली बात सुनी और थोड़ा सा वो भी शर्मा गयी पर फिर कुछ भी नहीं कहा और आगे की और देखने लगी। मैं साला सोच में पड़ गया की इसे चाची का कुछ करने का इशारा समझू या नही। पर मैंने फिर हिम्मत करते हुए चाची की गांड क्रैक के पास अपने तने हुए लंड से छू लिया और बस ऐसे ही रख के खड़ा रहा।
जैसे ही मेरा लंड चाची को छुआ, चाची को सच में झटका लगा और वो बिना मुड़े ही समझ गयी की उनकी गांड को क्या छू रहा है। पर वो पलटी नहीं और मैं भी नहीं हटा और दुसरे धक्के के आने का इंतज़ार करने लगा की काश कुछ हो जाये पर ऐसा इस बार नहीं हुआ। मैं थोड़ी देर ऐसे ही खड़ा रहा फिर मैंने थोड़ी और हिम्मत करते हुए चाची की गांड के पास अपने लंड को हल्का सा हिलाया और उसे चाची की गांड के गालों पे बारी – बारी, हल्का – हल्का टच करने लगा। लेकिन इस बार चाची से रहा नहीं गया. चाची ने कुछ कहा नहीं पर पीछे मुड़ कर मेरी और देखा। नीचे मेरे लंड को नहीं देखा पर मेरी आँखों में देख कर मानो ऐसा कहा की मत करो, यह पब्लिक प्लेस है। पर मुझे ऐसा लगा की शायद चाची यह कहना चाहती थी की और करो, मुझे मज़ा आ रहा है। मै भी बिलकुल नहीं हिला, लेकिन अब मेरा लंड रूकने वाला नहीं था। मेरे पैंट मैं अब बड़ा तम्बू बन गया था। वो तो ठीक था की एक साइड पे दीवार थी और मैंने अपना दूसरा हाथ अपने इरेक्शन को छुपाने के लिए अपने लंड के पास ले लिया।

लेकिन ऐसा करने से मेरा हाथ चाची की गांड को छूने लगा, चाची ने इस बार भी मुड़कर देखा पर इस बार भी कुछ नहीं बोली और इस बार भी मैंने पीछे न हटते हुए अपने हाथ को भी चाची के गांड पर रख दिया। अब मेरा लेफ्ट हैंड चाची के लेफ्ट गांड को और मेरा लंड चाची के गांड क्रैक को छू रहा था। बेशक चाची को भी मज़ा आ रहा था पर वो खुल के सपोर्ट भी नहीं कर सकती थी। इतने में हम मंदिर के पहले द्वार मैं दाखिल हुए। अब यहाँ से दस मिनट तो वेटिंग थी और मेरे दोनों साइड अब दीवार थी और थोड़ा सा अँधेरा भी था। मुझे तो यह थोड़ा सा एडवांटेज लगा और मैंने थोड़ा सा डेरिंग मूव करने का सोचा। अब मैंने चाची की गांड पर और प्रेशर दिया और अपना लेफ्ट हैंड चाची की गांड पर भी हल्का सा घुमाया। अब शायद चाची समझ रही थी की मैं रुकने वाला नही, तो चाची मुझसे छूटने के चक्कर मैं थोड़ा सा आगे बढ़ने लगी। पर मैंने चाची को पकडने के चक्कर में ग़लती से चाची के गांड को ही अपने हाथ से पकड़ लिया और वो भी मस्त पकडा। जैसे ही मैंने चाची को पकड़ा वो भी आगे जाना भूल गयी और शॉक के मारे पीछे देखा। जैसे ही उन्होंने पीछे देखा मैने भी ग़लती के डर से चाची की गांड को छोड़ दिया और अपने दोनों हाथ ऊपर कर लिये। इस बार चाची ने पीछे देखा और मेरे तने हुए लंड को भी देखा, वो थोड़ा शॉक, थोड़ा गुस्सा और थोड़ी सी परेशानी मैं लग रही थी।

मैन भी चाची को ग़ुस्से मैं जान के अपने दोनों हाथ सरेंडर करने की स्टाइल मैं ऊपर कर लिए और हलके से इनोसेंट बन के चाची से सॉरी कहा। चाची बिना कुछ कहे आगे देखने लगी, पर अपने हाथ से पीछे सहलाने लगी क्यूँकि मैंने थोड़ा जोर से दबा दिया था तो मैंने मौका देखते हुए चाची से कहा, “सॉरी..चाची आप कहें तो मैं सहला दूं क्या"? “यह भी कोई कहने की बात है क्या?जल्दी करो, मैं करूंगी तो अजीब लगेगा, तुम ही करो”। मैं तो जैसे लॉटरी लग गयी हो वैसे चाची के दोनों गांड पर अपने दोनों हाथ रख के आराम से सहलाने लगा और हल्का सा प्रेस कर के मसलने भी लगा। लेकिन थोड़ा ही टाइम हुआ होगा की मंदिर के मैं एंट्रेंस में हम आ गए और दर्शन कर के हम बाहर निकले। बाहर निकलते ही उन्हें उनकी सहेली मिल गयी और हमारे बीच में कोई बात नहीं हो पायी। फिर दोपहर को लेट हम घर पहुंचे और थोड़ा सा थक भी गए थे। घर पे आने के बाद चाची ने खाना बनाया और मैंने हर वक़्त चाची को परेशान करना ठीक नहीं समझा। मैं बस चाची के ख़यालों में था और चाची ने खाना खाने के लिए बुलाया। गाँव में अभी भी डाइनिंग टेबल नहीं था इसीलिए हम नीचे जमीन पर ही खाते थे, आज हम खाना खाने बैठे लेकिन मैंने देखा की चाची ने अपनी साड़ी कुछ ऊपर की है, तक़रीबन घुटनों तक लेकिन मैंने उसे देख के भी अनदेखा कर दिया।

शायद बात करने को कोई टॉपिक नहीं था इसीलिए हम दोनों मैं कोई बात नहीं हो रही थी। मैंने खाना निपटाया और अपने हाथ धो रहा था इस बार फिर मैंने देखा की चाची अपने क्लीवेज को कुछ ज्यादा ही ओपन कर के बैठी है। पर मैंने इसे भी देख के अनदेखा कर दिया और मेरी ऐसी हरकत से चाची से रहा नहीं गया और बात करने को जो टॉपिक नहीं था वो खुल गया और जैसे मैं उठ कर जा रहा था की चाची ने कहा,“रेशु एक मिनट जरा बाहर बैठ कुछ बात करनी है”। मैं बाहर ड्राइंग रूम मैं जा कर बैठा और चाची के आने का इंतज़ार करने लगा और अपने आप को भी प्रिपेयर कर लिया की चाची शायद मंदिर वाले इंसिडेंट के बारे में पूछे तो क्या कहना है। इतनी देर में चाची आई और मेरे पास मैं आ के बैठ गयी, वो मेरे बहुत नजदीक थी, एक दम सट के नहीं थी पर फिर भी मैं उनकी स्मेल महसूस कर सकता था। उन्होंने अपने राईट हैंड से मेरे बालों को सहलाना शुरू किया और कहा,“रेशु"...“हां..चाची"?“रेशु तुम यहाँ बोर तो नहीं हो रहै हो ना। मुझे लगता है की शायद तुम कुछ उदास से लग रहे हो, शायद यहां तुम्हारी उम्र का कोई नहीं है इसीलिए”।

चाची ने बात रोक दी और मैं श्योर हो गया की चाची ने मेरी और बड़ी चाची की बातें जोकि मेरा नाटक था, सुन ली है और इसीलिए पूछ रही है। मैंने अब जान बूझ के अपना सर चाची के शोल्डर पे रख दिया और चाची की और न देखते हुए नीचे ही चाची के क्लीवेज को देखने लगा। पर चाची का साडी का सीरा थोड़ा सा परेशान कर रहा था,“नहीं चाची ऐसी कोई बात नहीं है”।“लगता तो नहीं की तुम सच बोल रहे हो”। चाची ने मेरे बालों को सहलाना जारी रखा था, अब मैंने सरेंडर करने का सोच लिया और कहा,“चाची आप सच में बहुत इंटेलीजेंट है, आप से बचना इम्पॉसिबल सा लगता है। कसम से आप है ना..मन की सारी बातें जान लेती हैं"। मैने बड़ी होशियारी से चाची की हां मैं हैं भर दी और यह भी जता दिया की आप जो मेरे मन मैं सेक्स के बारे मैं सोच रहे हो वो सही है। मैं भी आपके साथ सेक्स करना चाहता हू। मगर उनको यह नहीं पता की मैं जान बूझ कर उनके मन में यह डाल रहा हू और वैसे भी यह बोलते समय मैंने चाची के शोल्डर से अपना सर चाची के गर्दन के बहुत पास ले लिया और चाची से और भी चिपक गया।

चाची अब कुछ नहीं बोली पर मैंने ही बात कंटिन्यू करने के लिए कहा, “वैसे चाची सच कहूं तो, मुझे कल सच में बहुत बोरिंग सा फील हो रहा था और मैं थोड़ा सा सैड भी था पर आज आपके साथ होने से मुझे अच्छा लग रहा है”। मैंने चाची के मन में अपने लिए एक और बार इरादा डाल लिया की चाची आप बस मुझे सिड्यूस करो और मैं सिड्यूस होते जाऊंगा। अब हमारे बीच मैं एक साइलेंस सा होने लगा। तक़रीबन 2 मिनट तक हम मैं से कोई नहीं बोला। मैं भी पता नहीं क्यों चुप था जब की मैं जानता था की अगर ऐसी सिचुएशन मैं मैं चुप रहा तो फिर चाची शायद खुद ही उठ जायेगी या कोई डिस्टर्बेंस आ जाएगा। लेकिन मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था। वो 2 मिनट सच में बहुत बड़े लग रहै थे। लेकिन पता नहीं शायद चाची पर भी सेक्स का नशा चढ़ रहा होगा की चाची ने बात छेडी,“रेशु वैसे तुम कल रात मुझसे कुछ पूछना चाहते थे, क्या बात थी"?मुझे तो इस बात पर मज़ा ही आ गया। में यही बात करना चाहता था पर ये बात मैं नहीं छेड़ सकता था क्यूँकि कल रात चाची इस बात पे भड़क गयी थी और आज वो सामने से पूछ रही थी।

किसीने सच कहा है वक़्त बदलते देर नहीं लगती। कल चाची थोड़े ग़ुस्से में थी और आज मज़े में, लेकिन मैंने भी थोड़ा सा चाची को परेशान करने का सोचा इसीलिए मैं जानबूझ कर कहा,“हा..चाची पर कहीं आप गुस्सा तो नहीं होगी ना"? शायद चाची को भी समझ मैं आ रहा था की मैं उन्हें परेशान कर रहा हूँ तो उन्होंने भी मेरी नादानी पर मुस्कुराते हुए कहा की,“नहीं बिलकुल नही” और इस बार अपने हाथ से मेरे सर को सहलाने के साथ साथ मेरे सर को हल्का सा अपने सीने से दबाया भी। मेरा मन कर रहा था की अभी चाची के बूब्स को दबोच लू और इस पल चाची शायद मना भी न करे। लेकिन जबरदस्ती करने से थोड़ी शर्म भी मुझे आ रही थी और ऐसा भी था की जो मज़ा हौले – हौले आ रहा है वो जबरदस्ती मैं नहीं आएगा।

“अब बोलो भी"... चाची की जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी। मैंने भी चाची को और परेशान करने का सोचा और कहा, “चाची..आप उस शाम उस आंटी से कह रही थी की मर्द जो होते है उनकी कैपेसिटी जल्दी ख़त्म हो जाती है। क्या ऐसा सच मैं होता है”? साला पूछते हुए भी मेरे को शर्म आ रही थी, पर बिना सेक्स का इस्तेमाल किये मैंने जैसे तैसे बोल ही दिया। लेकिन चाची के हाथ मैं टॉपिक दे दिया और अब बात करने की बारी चाची की आ गयी,“कौनसी कैपेसिटी.. रेशु"? ये सवाल सुन के पता तो चल रहा था की चाची अब मेरी टांग खींच रही है पर ये पता नहीं चल रहा था की जवाब क्या दुं और मेरे पास इसका सच में कोई जवाब नहीं था। खुलकर बोलने में पता नहीं क्या आड़े आ रहा था की मैं बोल नहीं पा रहा था। लेकिन चाची इस बार भी मेरे मन की हालत समझ गयी और कहा,“अच्छा..ठीक है, शायद मैं समझ रही हूँ की तुम सेक्स के बारे मैं बात कर रहे हो"? चाची ने मेरे न चाहते हुए भी क्लैरिफाई किया। लेकिन मैं साला इतना शर्मा रहा था की मैंने अपना सर हाँ मैं हिलाया और कुछ भी बोला नही।

“देखो रेशु..तुम एक डॉक्टर हो और इतना क्यों शर्मा रहे हो, कल को तुम्हारे क्लिनिक पे कोई पेशेंट आएगा और सेक्स के बारे मैं सवाल पूछेगा तो तुम क्या वहा पर शरमाओगे"? चाची अब चाहती थी की मैं थोड़ा सा ओपन हो जाऊं तो मैंने भी थोड़े सी उंची आवाज़ मैं खुल के कहा, “नही..चाची, लेकिन पता नहीं आपसे इस बात पर बात करने में क्यों शर्म आ रही हैं"? “रेशु..तुम्हे मुझसे शरमाने की कोई जरूरत नहीं है और तुम एक डॉक्टर हो और डॉक्टर को कभी शर्माना नहीं चाहिए और यह क्या लगा रखा है, इस बारे मैं उस बारे मैं, सीधे बोलो की सेक्स के बारे मे, तुम सेक्स बोलने मैं इतना हिचकिचाते हो तो फिर आगे जाकर इस".... और फिर रुक गयी पर मैं समझ गया की वो ये कहना चाहती थी की आगे चल के सेक्स कैसे करोगे? पर चाची को पता नहीं की मैं उनकी चुत अब फाड़ देने वाला हू। लेकिन चाची ने रुक के बात मोड़ ली और कहा, “अच्छा बताओ..किस कैपेसिटी के बारे मैं बात कर रहे थे"? चाची ने बात मोड़ के फिर से पूछा, “चाची वो सेक्स के बारे में"। “ह्म्मम्..ऐसे खुल के बोलो। रेशु उस दिन मैंने जो बताया वो उस औरत के प्रॉब्लम के बारे में था। उस औरत का हस्बैंड उससे अब उम्र होने की वजह से सेक्स नहीं कर पाता था।इसीलिए मैंने जो कहा वो उस एक मर्द के बारे मैं था, सब के लिए नहीं। इसीलिए तुम्हे इस बारे में परेशान होने की जरूरत नहीं है, कभी कभी इसका उल्टा भी हो जाता है, लेकिन वो उम्र होने की बात है। हाँ लेकिन मोस्टली मर्दों को थोड़ा जल्दी होता है”।

“वो क्यों चाची"? “बताना थोड़ा मुश्क़िल है पर ऐसा है न की मर्द जो होते है ना, उनके दिमाग में हर वक़्त सेक्स ही चलता रहता है। इसीलिए वो हर टाइम हर लड़की के बारे में सेक्स के ही बारे में सोचते रहते है, और यह एक वजह हो सकती है। दूसरी भी वजह हो सकती है जैसे कोई टेन्शन, कोई लम्बी बीमारी। जैसे हार्ट अटैक, डाइबिटीज, ब्रेन प्रॉब्लेम्स या फिर अस्थमा।" चाची ने जैसे ही अस्थमा का नाम लिया तो मेरे दिमाग में एक दम से स्पार्क हुआ की मेरे डैड भी अस्थमा के पेशेंट हैं और वो भी तक़रीबन 12 साल से और फिर मेरी माँ के बारे मैं मेरे दिमाग मैं आईडिया आया। पर फिर मैंने अभी चाची पर सोचना मुनासिब माना, इसीलिए मैं चाची के बारे मैं सोचने लगा। सच मैं अब बोरिंग होने का कोई ख्याल भी मन मैं नहीं आ रहा था और अब तो चाची भी खुल के बात कर रही थी और शायद मुझे सिड्यूस भी कर रही थी, पर मैं चाहता था की चाची खुद सामने से कहे। “और चाची अगर मर्द औरत के साथ कर नहीं सकता तो..तो औरत क्या करती है"? मैंने अब चाची की शायद दुखती रग पे हाथ रख दिया, वैसे तो मैं चाची की चूत पे हाथ रखना चाहता था लेकिन चाची ने जवाब देने के बजाए कुछ सोचा और कहा,“धत्त...कैसे – कैसे सवाल पूछ रहा है। चल अब मुझे जाने दे, क्लिनिक पे जाना है"।

चाची ने मुझे अपने सीने से अलग किया और उठकर अपने कमरे मैं चली गयी। मुझे अपनी हरकत पे गुस्सा नहीं आया क्यूँकि वो मुझसे इस बारे में बात इसीलिए नहीं करना चाहती थी क्यूँकि वो शायद लेट हो चुकी थी और ये टॉपिक इसीलिए भी नहीं खोलना चाहती थी क्यूँकि अगर इस टॉपिक के दौरन वो अपने पे काबू नहीं रख सकी तो... शायद यही सोच के वो चली गयी।
Nice update Bhai
 
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Raja maurya

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“छोटी चाची"

भाग – 18


मैं वहीँ बैठा रहा और सोचता रहा। चाची आधे घंटे में अपने रूम से साड़ी चेंज करने निकली और मुझे बाई कह के क्लिनिक जा रही थी। पर ऐसा लग रहा था की चाची का क्लिनिक जाने का मन नहीं था उन्होंने मुझे मुड़कर दो बार देखा पर उनके दिमाग में नहीं आ रहा था की वो असल में करना क्या चाहती हैं? फिर वो चली ही गयी, और मैं भी बाथरूम में जा के मुठ मारने लगा, सच में मुठ मारने में बड़ा मज़ा आया। सच में किसी के बारे में सोच के मुठ मारना और किसी से सिड्यूस हो के मुठ मारने में बड़ा अंतर है। चाची क्लिनिक तो चली गयी पर जाते – जाते माँ के बारे में सोचने पर मुझे मजबूर कर गयी और उनकी अस्थमा वाली बात तो ध्यान से बाहर ही नहीं जा रही थी। शुरू – शुरू में जब मैं 16-17 साल का था तब माँ के बारे में ऐसे सोचने में कई बार शर्म आती थी पर कई बार ख्याल अपने आप ही मन में आ जाता था। लेकिन फिर इन्सेस्ट स्टोरीज पढना शुरू किया और फिर लगा की ऐसे होना टोटल ही नार्मल है और हो भी क्यों ना मेरी माँ है ही ऐसी सेक्सी. वो बिलकुल सिंपल सी रहती हे, कोई ज्यादा मेक-अप नही, कम बोलना और गैरों से तो बिलकुल कम।

एक दम सिंपल सी हैं, 5 फीट 5 इंच का कद है, मस्त बड़े बूब्स, इतने भी बड़े नहीं पर मस्त तक़रीबन 36 के तो होंगे ही, हमेशा घर में रहना, साड़ी में ही रहना, घर से क्लिनिक और क्लिनिक से घर, रूटीन लाइफ है। लिप्स ऐसे की चूसो तो मज़ा आ जाए, बूब्स हाथ में आ जाये तो छोड़ने का मन न हो। अरे में भी कहाँ माँ के बारे में बयान करने लगा, उनकी स्टोरी भी आएगी पर अभी चाची के बारे में। छोटी चाची क्लिनिक चली गयी और मैं माँ के ख़यालों में था। तभी दीदी का कॉल आ गया और बहुत दिनों के बाद दीदी से बात हो रही थी। बातों से तो वो बड़ी खुश लग रही थी पर फिर बात करते करते रहा नहीं गया तो वो कहने लगी की, “रेशु अब तुम्हारे बिना मज़ा नहीं आता"। मैं दीदी के बोलते ही समझ गया पर पूछा की क्या? तो फिर दीदी से नहीं रहा गया और कह दिया की,“रेशु तुम्हारी याद आती है और सच में अब तुम्हारे जीजू के साथ करने में मज़ा नहीं आता। वैसे भी वो अब थोड़ा सा उबने लगे हैं। रेशु एक बार और मिलना है तुमसे"। इस तरह उन्होंने मेरे से बिना सेक्स की बात कर के सब इनडायरेक्टली कह दिया और मैंने भी दीदी से कहा की मैं जरूर मिलूँगा और फिर हमारी बात ख़त्म हो गयी।

पर इस बात से मुझे अपने आप पे थोड़ा और कॉन्फिडेंस आ गया की अगर में छोटी चाची से हलकी सी भी जबरदस्ती के साथ सेक्स कर लेता हूँ तो उनको भी मज़ा आएगा और वो भी बाद में नाराज़ नहीं होगी। मैं अभी ये सब सोच रहा था की छोटी चाची का कॉल आ गया की रेशु अगर तुम क्लिनिक आ सको तो आजाओ और में भी वैसे भी बोर हो रहा था तो में भी हाँ कर के क्लिनिक की और चल पडा। जब में क्लिनिक पहुंचा तो मैंने सोचा था की कोई नहीं होगा,पर पहुँचते ही देखा तो 4 पेशेंट्स बैठे थे। मैं अंदर गया तो अंदर चाची भी पेशेंट्स में बिजी थी। मैं वहा पर चाची के पास वाली कुर्सी पर बैठ कर सब देखने लगा और ऑब्जर्व करने लगा। फिर मैंने सोचा की क्यों न चाची का लैपटॉप खोल के ब्लू फिल्म देखी जाए। तो मैंने चाची का लैपटॉप उठाया और उसे ले के वही बेड पे बैठ गया और सब फ़ोल्डर्स सर्च करने लगा। वो बेड सेफ था कोई देखनेवाला नहीं था, चाची सामने से देख सकती थी की मैं इतना गोर से लैपटॉप में क्या कर रहा हू। पर मैं अपने में बिजी था और चाची पेशेंट्स निपटाने में।

लग रहा था की चाची को अभी टाइम लगेगा इसीलिए मैंने ब्लू फिल्म देखना ही ठीक समझा और फिर तक़रीबन 10 मिनट हर एक फोल्डर ढूँढ़ने के बाद मुझे चाची का प्राइवेट फोल्डर मिला, सच में चाची ने बड़ा दिमाग लगाके छुपाया था। मैने देखा बहुत सारे मिल्फ के फकिंग क्लिप थे, मैंने एक – एक करके देखने शुरू किये और क्या मस्त कलेक्शन था। 5 मिनट में ही मेरा लंड पैंट में खेलने लगा। ज्यादातर क्लिप्स रफ सेक्स के थे मानो बरसों की प्यासी औरत जब चुदवाती है तो कैसे फील करती है। मैं लैपटॉप में खो सा गया था पर कभी – कभी होश आने पर चाची की और देख लिया करता था की वो क्या कर रही है। वो अभी भी पेशेंट चेक करने में बिजी थी। एक – दो बार चाची ने मुझे उन्हें देखते हुए देखा और मैंने फिर आँखें फेर ली तो मुझे लगा की उन्हें कुछ डाउट हुआ पर वो अपने काम में बिजी हो गयी और में अपने काम में। मस्त मूवी चल रही थी, मैं अपने आप को कण्ट्रोल नहीं कर पा रहा था मेरा एक हाथ मेरे लंड पे चला गया और हलके – हलके लंड को मसलने लगा।

चाची का भी डर नहीं था क्यूँकि चाची के बारे में भी मेरे पास एक राज़ था फिर पता ही नहीं चला कब चाची मेरे पास आ कर खड़ी हो गयी। वो ठीक मेरे सामने थी, पर अभी लैपटॉप की स्क्रीन मेरे सामने थी। मैं एक दम से चाची को देखकर चौंका और झट से वीडियो बंद करने लगा की तभी चाची ने एक दम से लैपटॉप अपने पास ले लिया और देख लिया की मैं क्या देख रहा था, अब डरने की बारी थी। चाची ने लैपटॉप में देख कर मेरे सामने देखा और मैंने चाची के सामने, इससे पहले की वो कुछ कहती, दरवाजे पर से एक आवाज़ आयी, वो पेशेंट की आवाज़ थी। तभी में सोचूं इतनी जल्दी चाची ने पेशेंट्स निपटा कैसे लिये। अभी पेशेंट्स बाकि थे, वो अच्छे से जान चुकी थी की में पोर्न मूवी देख रहा हूँ तो सोच समझकर वो मुझे पकड़ने के लिए ही आई थी और पकड़ भी लिया। हालाँकि अभी मुझसे चाची की कोई बात नहीं हुई पर मुझे हल्का सा डर लग रहा था। चाहे मैं इस सिचुएशन को संभालना जानता था पर डर तो लगता ही है। मैं वहीँ पर बैठा रहा जब तक की चाची पेशेंट्स को निपटा न ले।

आखरी पेशेंट भी निपट गया और उसके जाने के बाद चाची अपनी कुर्सी पर ही बैठी थी। चाची के दोनों हाथ अदब बना के दोनों बूब्स को और भी उभार दे रहे थे, मैं भी ठीक चाची के सामने बैठा था हालाँकि चाची से नजरें नहीं मिला रहा था पर चाची तो मानो जैसे बहुत ग़ुस्से में हो ऐसे मुझे घूरे जा रही थी। तक़रीबन एक मिनट तक एकदम साइलेंस रहा क्लिनिक में। चाची मुझे देख रही थी और में अपने आप को बचा रहा था पर चाची को देखना भी चाहता था। नीले ब्लाउज और वाइट साड़ी में चाची का क्रीमी बदन मस्त लग रहा था। बाहर अँधेरा होने लगा था, चाची ने फिर पहल की और अपनी कुर्सी से उठकर मेरे सामने किसी स्ट्रिक्ट टीचर के तरह अपने दोनों हाथ बांधे खड़े हो गई। वो ग़ुस्से में भी बड़ी क़यामत ढा रही थी और डर में भी मेरा लंड खड़ा होये जा रहा था, “यह क्या था रेशू"? साला सवाल भी ऐसा जिसका कोई जवाब नहीं था मेरे पास। मैं बस मासूम बन के चाची को देखता रहा। मेरे दिमाग में यह चल रहा था की अगर चाची पहले अपने मन से ढेर सारा बोलने लगे तो फिर बहुत जल्दी उनका बनावटी गुस्सा भी कम हो जायेगा और बाद में सिड्यूस भी किया जा सकता हे। मैं बस चाची के सामने मासूम बना रहा।

“रेशु, तुम लिमिट्स भूल रहे हो, तुम्हे ऐसा काम करते शर्म कैसे नहीं आयी? हाँ, मैंने कहा था की मुझसे शरमाने की कोई जरूरत नही, इसका मतलब ये नहीं की तुम भूल जाओ की मैं तुम्हारी चाची हू"। “सॉरी.. चाची आगे से ऐसा नहीं होगा”। “व्हाट सॉरी,अगर किसी को पता चल जाता तो? यह पब्लिक प्लेस हे, तुम बड़े हो रहे हो इसका मतलब ये नहीं की तुम कुछ भी ओपन में करो। देखो रेशु.. तुम अच्छे लड़के हो, बहुत इंटेलीजेंट हो, घर में सब को तुम पर प्राउड भी हैं, पर तुम अपने बिहेवियर पे ध्यान दो, प्लीज ऐसा कोई काम मत करो जिससे पूरे घर को शर्मिंदा होना पडे”। मैने चाची के यह सब कहते ही अपना मुँह शर्म के मारे लटका लिया हो ऐसे नीचे कर दिया और फिर से सॉरी कहा।

लेकिन अब चाची नरम पड़ती लग रही थी। पहले तो उन्होंने डाँटा पर बाद में मेरी तारिफ़ भी की, कि तुम बड़े इंटेलीजेंट हो, सब को मुझ पे प्राउड हे। मतलब वो अब ठीक और नार्मल थी। जैसे ही मैंने अपना मुँह नीचे लटकाया की चाची ने अपने हाथ खोल दिए और मेरे पास आ के मेरे मुँह को ऊपर उठाया और मेरी और देखने लगी। मैं बेड पर बैठा था इसलिए मेरा मुंह ठीक चाची के बूब्स के सामने था। इसीलिए जैसे ही उन्होंने मेरे चेहरे को पकड़ा मैने अपने दोनो हाथों से उन्हें कमर से पकड़कर अपने पास खींच लिया और उनके बूब्स पर अपना चेहरा रख दिया। ठीक चाची के बूब्स पर मेरा मुँह था। चाची कुछ गलत समझे इससे पहले ही मैंने चाची के सीने से लगते ही एक बार फिर से सॉरी कहा और कहा, “आई ऍम सॉरी चाची, फॉर हर्टिंग यु, पर आगे से ऐसा कभी नहीं करूँगा”। अब चाची की कोई टेंशन नहीं थी, चाची ने मेरे सर पे अपना हाथ रखा और सहलाने लगी। चाची को यकीन आ गया की वो मुझे डराने में क़ामयाब रही है। इसीलिए वो भी अब खुद फ्री हो के मेरे बालों को सहलाने लगी। मैं भी चाची के बूब्स की गर्माहट एन्जॉय कर रहा था फिर मैंने अपना हाथ से चाची की पीठ पे सहलाना शुरू किया और ब्लाउज के पास ले जाते ही पीछे से थोड़ा जोर भी लगाया। चाची के बूब्स मेरे गाल पे मस्त फील हो रहे थे।

नो डाउट चाची भी मेरी इस हरकत को समझ रही थी पर वो भी एन्जॉय कर रही थी। ये चाची जो मेरे सर पे हल्का हल्का दबाव डाल रही थी, उससे पता चल रहा था। मैं भी हल्का चाची के निप्पल्स के पास एडजस्ट हो गया और मेरे हिलने से चाची भी हरकत में आ गयी और मुझसे छूटने लगी। पर मैंने चाची से कहा, “चाची प्लीज बालों को सहलाओ ना बड़ा अच्छा लग रहा है"। अब चाची के पास कोई बचाव नहीं था क्यूंकि जब बच्चा डाँट खाने के बाद जिद करे तो वो जिद पूरी होती ही है। इसीलिए अब तक मैं भी नरम बन रहा था और सॉरी – सॉरी कहे जा रहा था। चाची ने भी मुझे अभी अभी जोर का डांटा था और अब मेरी बारी थी डिमांड रखने कि, और चाची भी तो एन्जॉय कर रही थी। इसीलिए चाची ने भी हटने की कोशिश छोड़ दी और मेरे करीब आके मेरे बालों को सहलाने लगी, इधर में भी चाची के निप्पल के पास पहुँचने में क़ामयाब हो गया और मेरे होठ बिलकुल चाची के निप्पल के ऊपर थे। मैं यह सोच में था की इसे मुँह में लू की नही। पर मैं अपने हाथ चाची की कमर पर सहलाते – सहलाते, चाची की गांड पर ले जाने लगा और इधर चाची के बूब्स पर भी दबाव बनाने लगा।

मैने थोड़ी देर तक अपने होंठों को चाची के निप्पल से छुआ और जब चाची ने कुछ नहीं कहा तो मैंने चाची के निप्पल को अपने मुँह में ले लिया। पर मैं साइड से बैठा था इसीलिए ठीक से से निप्पल मुँह में आ नहीं रही थी। इस सिचुएशन में मज़ा तो आ रहा था इसीलिए ये सोच रहा था की कोई हरकत करूं की नही। लेकिन ऐसे काम बन नहीं रहा था तो मैंने अपना मुँह टर्न किया और साइड की बजाय सीधा हो के बैठ गया। तो मुझे हैरान करते हुए चाची ने कहा,“ह्म्म्मम् ऐसे ठीक से बैठोगे तो मुझे बाल सहलाने में आसानी होगी"। मेरी तो चांदी हो गयी और अपने आप पे थोड़ा सा गुस्सा भी आया की मैने सोचने में देर क्यों लगाई। पर अब तो ये पक्का था की चाची रेडी तो होगी पर नाटक कर सकती है। लेकिन बाद में आईडिया भी देगी। अब से चाची की हर एक हिंट को समझना पडेगा। मैं अब ठीक से बैठ गया और बिना कोई देर किये मैंने अपने लिप्स अब ठीक चाची के निप्पल पे रख दिए। इधर मेरे हाथ चाची की गांड तक पहुँचने लगे थे। मैंने हलके से चाची की गांड पे अपने हाथ रखे। कोई जोर नहीं किया क्यूँकि एक बार अगर चाची हरकत में आ गयी तो पूरा सीन बिगड जायेगा। ऐसा सोच के मैंने बस अपने हाथ चाची की गांड पर आराम से रखे और इधर जो निप्पल मेरे मुँह में था उसे मैंने हलके से चूसना शुरू किया।

आआह्ह कितना मज़ा आ रहा था, मैं चाची के निप्पल को चूस रहा था। मुझे अपने पे यकीन नहीं हो रहा था लेकिन मेरे से रहा नहीं गया, और अपने हाथों से चाची को और पास लाने के लिए मैंने चाची को अपनी और खिंचा और इतने में चाची ने अपने आप को संभाल लिया और मुझे देखा तो मेरे मुँह में चाची का निप्पल था। जैसे ही चाची के हाथ मेरे सर पे रुके तो मैंने भी चाची की और देखा और अभी भी चाची का निप्पल मेरे मुँह में था। में शॉक हो गया और चूसना भी बंद हो गया था। पर मुँह से वो जाता अच्छा नहीं लग रहा था और चाची भी दो सेकण्ड्स के लिए मुझे और बाद में मेरे मुँह में फसे अपने बूब्स को देखती रही। लेकिन अपने आप को फिर से संभाला और झटके से मुझसे दूर हो गयी और अपने मुँह पे अपने दोनों हाथ रख दिए। हैरानी के मारे उनकी आँखें बड़ी हो गयी थी। फिर चाची मेरे से नजरें न मिला सकी और वो घूम के अपने दोनों हाथ अपने टेबल पे रख के सर नीचे कर के खड़ी हो गयी और शायद खुद पे गुस्सा हो रही थी।

वो पीछे से भी बहुत सेक्सी लग रही थी। चाची का पल्लू उनके दोनों हाथ टेबल पे रहने की वजह से बार बार सरक रहा था चाची ने एक दो बार उसे संभाल के फिर से अपने कंधे पे रखा, लेकिन फिर से वो पल्लू सरक गया, और उसे चाची उठाने लगी की मैंने चाची का पल्लू चाची से पहले पकड़ा और उसे फिर से चाची के कंधे पे रख दिया और चाची के कंधे पे अपना हाथ थपथपाकर थोड़ा सा कॉन्फिडेंस देने की कोशिश की। पर जैसे ही मैंने अपना हाथ चाची के कंधे पे रखा चाची ने ग़ुस्से से अपना कन्धा झटक दिया और अपने हाथ टेबल से हटा के सीधी खड़ी हो गयी, “आई ऍम सॉरी चाची"...“सॉरी! व्हाट सॉरी रेशु? अरे कोई अपनी चाची के साथ ऐसा करता हे क्या? तुम्हे बिलकुल शर्म नहीं आयी? कसम से इतना गुस्सा आ रहा है...ओह गॉड! रेशु तुम यहाँ से चले जाओ, वरना मेरा हाथ उठ जायेगा”। “लेकिन चाची..वो”... “प्लीज जाओ,रेशु! मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी"।

चाची सुनने को तैयार नहीं थी। फिर मैंने चाची को अकेले छोड़ दिया और बाहर निकल आया और बाहर ही खड़ा रहा। चाची को सच में लगा की में निकल गया हू, तो वो कुछ सोचने लगी। चाची सच में कुछ सोच रही थी। वो फिर अपनी चेयर पर बैठी और फिर से सोचने लगी, शायद मेरे मुँह में उनका बूब्स, यह सीन उनके माइंड से नहीं जा रहा था, लेकिन अब वो शांत लग रही थी। फिर वो अपनी साड़ी ठीक करने लगी, और साडी ठीक करते करते उनके हाथ रुक गए और चाची ने अपना राईट हैंड अपने लेफ्ट बूब्स के निप्पल पे रखा जहाँ मेरे मुँह से गीला हुआ था। इधर बाहर से मैंने अपनों मोबाइल से चाची को एक एसएमएस भेजा। चाची का मोबाइल बजा और चाची ने मोबाइल उठाया और पूरा मेसेज पढा और फिर से टेंशन में आ गयी और फिर ये सोच के की मैं बहुत दूर नहीं गया हूंगा, मुझे कॉल किया और मैंने कॉल काट दिया। फिर से कॉल आया तो फिर से काटा और थोड़ी देर में चाची के दरवाजे पे नॉक किया और चाची ने पूछा, “कौन"?“मैं हूँ चाची"... और में अंदर दाखिल हुआ। अब सारी गेम मेरे हाथ में थी, चाची भी अब सुनने को तैयार थी और मुझे बस अब अग्रेशन के साथ बोलना था,“सॉरी चाची..ऐसा एसएमएस भेजने के लिये, पर क्या करता भेजना जरूरी था मैं थोड़ा सा डर गया था की कहीं आप मम्मी को ये सब बता न दे इसीलिए ये एसएमएस भेज दिया..आई एम सॉरी”।

मैं बोलते बोलते वापस उसी बेड पे अपनी जगह पे जा के बैठ गया। चाची मेरी बात सुनती रही और फिर उठ के मेरे पास आई और वो भी मेरे पास बैठ गयी और कहा, “रेशु.. चिंता मत करो, मैं किसी से नहीं कहूँगी, पर जो तुमने किया है वो बड़ा गलत किया है”।“चाची सच सच बताना, आपको भी मज़ा आ रहा था.. है ना"? मैने चाची से सीधे सवाल पूछ लिया और चाची तो शॉक के मारे मुझे ही देखने लगी और जैसे ही चाची ने मेरी और देखा मैंने चाची को मस्त स्माइल दी। चाची कुछ बोली नहीं थोड़ी देर खामोश रही,“रेशु..अब तुमसे कुछ बातें क्लियर हो गयी हैं तो एक और बात बताना चाहती हूँ की, ये सब मैंने लैपटॉप में इसीलिए रखा क्यूँकि तुम्हारे चाचा”... चाची अब आगे बोल नहीं पा रही थी तो मैंने कह दिया की,“चाचा अब आप को सेटिस्फाई नहीं कर पाते, सही कहा ना चाची”? मैंने चाची के अलफ़ाज़ को पूरा कर दिया और चाची फिर से शॉक के मारे मेरी और देखने लगी और मैंने फिर से चाची की और देख के स्माइल दी। लेकिन चाची अभी भी शॉक में थी और मेरे मुँह से सुनने के बाद उनका मुँह खुला रह गया और दोनों हाथ भी फिर से मुँह पे चले गये।

लेकिन बात को समझते हुए चाची ने एक गहरी सांस ली और कहा की “हाँ रेशु तुम ठीक कह रहे हो"। फिर से उन्होंने एक गहरी सांस ली और मैंने चाची के कंधे पे अपना हाथ रखा और थपथपाकर चाची को थोड़ा कॉन्फिडेंस दिया। एक मिनट तक क्लिनिक में साइलेंस रहा फिर चाची ने कहा, “रेशु..ऐसा लग रहा है की कुछ लिमिट से बाहर हो रहा है, चलो यहाँ से चलते हैं” और ऐसा कह के वो उतर गयी और में बैठा रहा। चाची ने टेबल पे से अपना बैग उठाया, मैं अभी तक वही पर बैठा था और चाची को देख रहा था। चाची ने मेरी और देखा और फिर मेरी पास आई और मेरे गाल को एक बार छूकर एक किस किया और कहा, “सॉरी.. रेशु। तुम्हे डाँटने के लिए और थैंक्स की तुम किसी से कुछ नहीं कहोगे, जो तुमने किया वो भी और जो मैंने किया वो भी”। मैं भी हाँ में सर हिला के बेड से उतरा और हम घर की और चल पडे। क्लिनिक से निकले पर रस्ते में बूँदाबाँदी चल रही थी, और हम भीग रहे थे, 2 किमी का रस्ता बहुत लम्बा तो नहीं था पर इतना छोटा भी नहीं और गाँव में तो अँधेरा होने से कोई बाहर निकलता भी नही। सच में गाँव का कोई दिख नहीं रहा था और में चाहता था की कोई आये भी ना। हमने अभी चलना शुरू ही किया था की बारिश थोड़ी तेज़ होने लगी, मैं और चाची रास्ते से हट के साइड के पेड़ के नीचे खड़े रह गये, लेकिन फिर भी भीग तो रहे थे।“रेशु, चलो चलते हैं, यहाँ रुकने का कोई फ़ायदा नहीं है, वैसे भी हम भीग रहे हैं, और भी भीग जाएंगे”। हम चलने लगे। मैं अभी भी कुछ बोल नहीं रहा था।

“और हां, तुम चाहो तो बात कर सकते हो, कोई नहीं डाँटेगा और वैसे भी चुप अच्छे नहीं लगते तुम”। चाची ने कहा और मैंने उन्हें देखा, इस बार वो स्माइल दे रही थी। मैं भी हंस पड़ा और चाची के साथ चलने लगा। बारिश में चाची का भीगा बदन मस्त लग रहा था, वाइट साड़ी तो चाची की कमर को ढकने में पूरी नाकाम हो चुकी थी और पीछे से भी चाची की पेन्टी से साड़ी चिपक रही थी और मेरा हाल ख़राब हो रहा था। चाची थोड़ा आगे चल रही थी, मैं सोच रहा था की काश चाची ने ब्लाउज भी वाइट पहना होता तो, और चाची ने मुड़ के पीछे देखा और मुझे उनके भीगे बदन को देखते पकड़ लिया। लेकिन कुछ कहा नही, बस स्माइल दी और में चाची के साथ साथ चलने लगा. मेरे दिमाग में एक प्लान आ गया था।
Nice update Bhai
 
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Raja maurya

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“छोटी चाची"

भाग – 19


मेरे दिमाग में एक प्लान आया. “चाची एक बात कहूं"?

चाची :“बोलो.. मैं कबसे तुम्हारे बोलने का इंतज़ार कर रही हूँ और तुम हो की बड़ा शरमाते हो”।

मैं : “एक्चुअली चाची, मैं बात नहीं कुछ कन्फेशन करना चाहता हू”।

चाची : “गो ऑन”..

मैं : “वो क्या है..ना.चाची, कल मंदिर में...मैं"...

चाची : “ठीक से कहो..कितना झिझक रहे हो। मैंने तुमसे सारी बात कह दी तो तुम क्यों रुक रहे हो? कहा ना की नहीं डाटूंगी”। चाची ने मुझे रिलैक्स करना चाहा।

मैं : “चाची, कल मंदिर में, मैंने वो जानबूझ के किया था”। मैने फ़टाफ़ट कह दिया।

चाची भी समझ गयी की मैं किस बारे में बात कर रहा था। लेकिन चाची ने अनजान बनते हुए सर ऊपर हिला के पूछा क्या। तो मैंने भी इशारे से चाची के बट की और देखा और कहा,“सॉरी..चाची पर कल मंदिर में मैंने आपकी गांड पे जान बूझ के हाथ फिराया था”। अब जा के मैं खुल के बोल पाया। लेकिन में इस बार चाची की और नहीं देख पाया। लेकिन इतने में चाची ने कहा,“पता है, जो कुछ भी तुमने कल किया वो सब पता है, और हाँ सिर्फ हाथ फिराया नहीं था जोर से दबाया भी था”। चाची ने थोड़ा और भी एक्सप्लेन किया,“हा, लेकिन वो तो आपने कहा था की दबाओ इसीलिए”।“तो मैंने अभी तो नहीं कहा था किसी चीज़ को मुँह में लेने के लिये, फिर क्यों किया"?

अभी इस बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं था लेकिन तभी दिमाग में एक स्पार्क हुआ और मैंने रिप्लाई किया,“एक मिनट..एक मिनट, मतलब की आपको पता था की में क्या कर रहा हू”?“हा..पता था और अभी – अभी तुम मेरे बट को देख रहे थे वो भी पता है"। चाची सच में कुछ ज्यादा ही खुल रही थी।“ओह गोड़, चाची यु आर आमेंजिंग,सच में आपसे बच के रहना पडेगा। बोहोत शातिर हैं आप। लेकिन एक बात कहूँ"?“अब ये भी कोई पूछनेवाली बात है? कहो जो कहना है”।

“चाची सच में बहुत बढ़िया बट हैं आपके। कसम से जब जब देखता हूँ न तब – तब सहलाने को मन करता है"। मैंने थोड़े स्मार्ट तरीके से अपनी मन की बात रख दी।“रेशु, मन तो किसी का कुछ भी करने को करता है, पर इसका ये मतलब तो नहीं की वो उसे करे ही करे..समझ रहे हो की नही”?“समझ रहा हूँ चाची, मन तो आपका भी करता होगा पर पता नहीं आप अपने आप को कण्ट्रोल क्यों कर लेती हैं"? इतने में गाँव के कुछ लोग दिखे और हम आगे –पीछे हो के चलने लगे। चाची शायद मेरी बात का जवाब देना चाहती थी इसीलिए वो मुड़ – मुड़ के देख रही थी, पर अब गाँव आ गया था और घर भी। घर में पहुंचते ही चाची अपने कमरे में चेंज करने चली गयी। मैंने भी चेंज कर लिया, पर सिर्फ शॉर्ट्स पहना था मैने, अंडरवेअर भी निकाल दिया और सिर्फ शॉर्ट्स पहन के बाहर आया तो चाची चेंज कर चुकी थी। मैं सामने सोफ़े पे आकर बैठा और चाची भी मेरे पास।

हम दोनों में से कोई बोल नहीं रहा था पर चाची को देख के लग रहा था की चाची कुछ कहना चाहती हैं। तो मैंने चाची की और देखा और चाची ने भी मेरी और,“रेशु..हम दोनों के बीच कुछ बातें ऐसे हो गयी हैं जो शायद ठीक नही, तो अब तक जो हुआ वो हुआ पर आगे से तुम मुझे ले के कुछ गलत इरादे मन में मत पालना और तुम भी जो अभी किया वो आगे से मत करना, यही ठीक हे”। यह जो गैप हो गया हमारे बीच बात चीत का उसका नतीजा था। उस टाइम में चाची को सोचने का मौका मिल गया लेकिन मैंने भी ब्लंट बनते हुए चाची से कह दिया,“नहीं होगा, चाची मेरे से नहीं हो पायेगा। आप इतनी पसंद हैं मुझे की आप को देखते ही बस आपको बाँहों में भरने का दिल करता है। कसम से चाची सब आपके ऊपर है। लेकिन मैं अपने से बनता हर ट्राय करूंगा, और एक बात का यकीन दिलाता हूँ की आपको मेरा हर ट्राय पसंद आयेगा" और इतना बोलके में उठ के अपने रूम में चला गया और चाची बस मुझे देखती रही।

मुझे पता था की अगर में यह लाइन्स बोल के वहीँ पर बैठा रहा तो फिर चाची डिफेन्स के मूड में आ जायेगी और फिर समाज, घर, रिश्तों की बातें करने लगेगी, और ऐसा चाची को बोलने देना ठीक नहीं था। मैं अपने रूम में आ के सारे इंसिडेंट के बारे में सोचने लगा। जो भी चाची ने कहा था, अब यह पता था की चाची थोड़ा सा रोकने की कोशिश करेंगी पर शायद काम बन भी सकता है। फिर एक घंटे तक चाची ने मुझे और मैंने चाची को डिस्टर्ब नहीं किया, वो किचन में काम कर रही थी। थोडे ही टाइम में चाचा आये और मैं भी अपने रूम से बाहर आया और चाचा से बात करने लगा। इतने में चाचा ने पूछ लिया,“रेशु..मज़ा तो आ रहा है ना, की गाँव में आ के बोर हो रहे हो”?“एक्चुअली चाचा, परसो पहले – पहले बोरिंग लग रहा था पर बाद में चाची के साथ अच्छा लगता है, लेकिन अब आगे देखते हैं”। मैंने सारी बात चाची के सामने देखते हुए कहा और चाची को शरम आ रही थी पर अंदर से शायद वो प्राउड भी फील कर रही होंगी।

इतने में चाचा ने फिर से कहा,“भाई तुम्हारी चाची का ऐसा ही है। वो सबका ख्याल रखती है, और तुम तो भाई अपनी चाची के फेवरेट हो तुम्हारा तो ख्याल बड़े अच्छे से रख रही होगी”। चाचा ने बोलते – बोलते चाची को देखा और चाची को न चाहते हुये भी बोलना पड़ा लेकिन उन्होंने बात को घुमा दिया और कहा,“अच्छा जी चलिये अब खाना निपटा लेते हैं, आप थक गए होंगे"। और चाची ने थोडे गुस्से भरी नजऱों से मुझे देखा और मैंने स्माइल के साथ चाची के ग़ुस्से का वेलकम किया।“चाची मुझे खाने का मूड नहीं है.मुझे नींद आ रही है, मैं अपने कमरे में जा रहा हू”।“लेकिन क्यों रेशु”?...चाची ने तुरंत पूछा। चाची की आवाज़ में मेरे लिए केयर साफ़ झलक रही थी। हालाँकि चाचा भी पूछ सकते थे, लेकिन चाचा से पहले चाची ने पूछ लिया,“नही..कुछ नहीं चाची बस खाने का मूड नहीं है"। और में बस बिना पीछे देखे अपने रूम में चला गया। लेकिन मेरे जाते ही चाचा ने कहा, “उसका शायद मूड ऑफ लग रहा है। शायद अकेले बोर हो गया। तुम प्लीज रेशु का जरा ख्याल रखो और उसे जो पसंद हो वो करो”।

मै अपने रूम में आ के बैठा और मन में एकदम श्योर था की चाची खाना खाते – खाते भी मेरे बारे में सोच रही होंगी। मेरे न खाना खाने से अब वो पूरी रात मेरे बारे में सोचती रहेगी और उससे चाची के मन में मेरे लिए सिम्पथी हो जायेगी और बाद में मेरा काम आसान हो जायेगा। फिर मैंने अपना लैपटॉप निकाला और नेट पे कुछ काम करने लगा, मेल्स चेक करना, फेसबुक अपडेट करना और इतने में चाची मेरे रूम में आयी और मुझे लैपटॉप में मस्त देखा और जैसे की मैंने पहले बताया था की मेरा रूम मतलब रूम नहीं था। कोई भी कभी भी आ सकता था और पता नहीं कब चाची मेरे रूम में आ गयी और मुझे लैपटॉप में मस्त देख के सोचा की मैं शायद पोर्न मूवी देख रहा हूँ तो वो दरवाजे से चोर की तरह आई और शाम की तरह फिर से फट से मेरे हाथ से लैपटॉप छीन लिया और लैपटॉप देखने लगी। मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी क्यूँकि मैं सोच रहा था की चाची सारी रात मेरे बारे में सोचेगी और सुबह चाचा के जाने के बाद खुल के बात होगी पर चाची को मेरी केयर कुछ ज्यादा ही थी।

वो मेरे लैपटॉप को चेक करने लगी, लेकिन मैं नेट पे पोर्न देख ही नहीं रहा था मतलब चाची को कुछ नहीं मिला और फिर चाची ने मेरी और देखा और कहा,“सॉरी..रेशु, मुझे लगा की"...“नहीं चाची में कोई पोर्न नहीं देख रहा था बस थोड़ा सा काम कर रहा था”। “सॉरी..रेशु, प्लीज मुझे सच में लगा कि तूम कुछ गलत कर रहे होंगे इसीलिए में चेक"... “गलत? चाची अगर मैं पोर्न देख भी रहा हूँ तो उसमे कुछ गलत तो नहीं है ना। आई ऍम एन एडल्ट नाउ, तो मैं कम से काम देख तो सकता ही हूँ”। अब चाची ने लैपटॉप साइड में टेबल पे रखा। मैं पैर फैला के बैठा था तो चाची भी मेरे पास में आ के बैठ गयी और मुझे गाल पे एक किस किया और मैंने भी मौका देखते हुए चाची के करीब होते हुए चाची के सीने पर सर रख दिया। आह...पहले से भी अच्छा लग रहा था क्यूँकि शायद चाची ने चेंज करने के बाद ब्रा नहीं पहनी थी। चाची भी मुझे कंसोल करने लगी और मेरे बालों को सहलाने लगी,“अच्छा रेशु, तुमने खाना क्यों नहीं खाया?मैं इतना तो बुरा नहीं बनाती ना”।“नहीं चाची ऐसी कोई बात नहीं है. आपको मेरी बात से गुस्सा आ गया था तो मुझे भी अपने आप पे गुस्सा आ गया था”।“मतलब"? “मतलब मैंने चाचा से डबल मीनिंग बात की तो आपने ग़ुस्से से मेरी और देखा था तो, इसीलिए मुझे अपने पे भी गुस्सा आ गया था”।

मै बात करते करते चाची के और भी करीब हो गया और अब मुझे चाची की क्लीवेज दिखाई दे रही थी। लेकिन अब चाची के बूब्स मुँह में लेने की हिम्मत नहीं थी।“अरे रेशु, वो गुस्सा नहीं था बस इशारा था की तुम्हारे चाचा के सामने ऐसे डबल टोन में बात मत करो”।“चाची क्या आपको सच में लगा की में पोर्न मूवी देख रहा था"? मैंने टॉपिक चेंज करने के लिए बात घुमायी क्यूँकि खाने की बात कर कर के में पकने लगा था।

“हाँ मुझे लगा था”। मै फिर एक दम से उठते हुए चाची के सामने बैठ गया और कहा,“चाची क्यों न हम एक काम करे"? चाची ने पूछा, “क्या"? तो मैंने कहा की, “चलिये हम साथ मिल के पोर्न मूवी देखते हैं"।“नहीं रेशु, अभी मुझे जाना है"।“प्लीज चाची मज़ा आयेगा".,.“नहीं रेशु, तुम्हारे चाचा मेरी वेट कर रहे होंगे”।...“अरे चाचा तो कब के सो गए होंगे, चलिये न चाची एक बार देखते हैं, सच में बड़ा मज़ा आयेगा”। मै इतनी तेज़ी से चाची के हर बात पे रिक्वेस्ट कर रहा था की चाची उठने लगी और मैंने चाची से फिर से एक बार प्लीज कहा तो चाची के मुँह से बाहर जाते जाते निकल गया की,“अभी नहीं बाद में देखेंगे”। बस मैं यही चाहता था, लग तो मुझे भी नही रहा था की चाची अभी लेट नाईट को मेरे साथ ब्लू फिल्म देखेंगी पर मैंने सोचा की ट्राय करने में क्या जाता है? और चाची जाते – जाते आखिर में एक टॉपिक निकाल के गयी कल के लिए और में इसी के बारे में सोचने लगा।

पूरी रात मैंने चाची के बारे में सोचते हुए तीन बार मुठ मारी और सच में चाची के बारे में सोचने से ही मज़ा आ रहा था।कल के बारे में सोच रहा था की अगर चाची के साथ सच में ब्लू फिल्म देखने का प्लान हो जाये तो थोड़ा सा एडवांस हो के चाची को सिड्यूस किया जा सकता है। लेकिन ये भी लगता था की कहीं इतना खुल जाने की वजह से चाची अपने आप को संभाल न ले। ऐसे सोचते – सोचते कब आँख लग गयी पता ही न चला और दुसरे दिन सुबह उठा तब चाचा और चाची कहीं जा रहे थे। मैं उठ के हॉल में आया तो चाचा ने कहा की, “रेशु आज शुक्रवार हे तो हम जरा माताजी के दर्शन के लिए जा रहे हैं। मैंने तुम्हारे बारे में चाची से पूछा तो वो बोली की रेशु नहीं आयेगा, उसे मंदिर जाना नहीं अच्छा लगता"। मैने एक दम शॉक से चाची की और देखा तो चाची ने झूठ बोलने की वजह से अपना सर शर्म से नीचे झुका लिया और मेरे दिमाग में क्लियर हो गया की चाची मुझे अपने साथ नहीं ले जाना चाहती, तो मैंने भी चाची को घूरते हुए चाचा से कहा, “हाँ चाचा, चाची बिलकुल सही कह रही हैं, मुझे मंदिर जाना अच्छा नहीं लगता"।

मैने सेंटेंस बोलते वक़्त चाची के सामने देखा और चाची थोड़ा टेंशन के मारे अपनी चॉकलेट साड़ी को अपनी नैवेल के पास अपनी ऊंगलियों से मसल रही मेरी और देख रही थी। मेरे चाची को देख के बोलने से एक बात तो उनके मन में साफ़ हो गयी थी की में उनके साथ ही रहना चाहता हू। फिर वो दोनों निकल गये, मैं बाहर कार तक छोड़ने गया और जैसे चाचा ने कार ड्राइव की तो चाची ने पलट के मेरी और देखा। मुझे पता था की चाची सच में पलट के देखेंगी तो जैसे ही चाची ने पलट के देखा, मैं थोड़ा सा निराश होते हुए घर के अंदर चला गया। चाचा और चाची के जाने के बाद मैं घर में अकेला हो गया। कुछ काम तो था नही, लैपटॉप खोलकर मेल्स चेक करने लगा।
Nice update Bhai
 
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