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Incest तीनो की संमति से .....

Funlover

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मेरे सभी पाठको को से एक नम्र निवेदन आवेदन अरजी request या फिर जो भी आप समजते है

आप मेरी द्वारा लिखी गई कहानी आप को मनोरंजन देती है मै नहीं

कृपया मुझे अपना मनोरंजन का साधन ना समजे उसी में सब की भलाई है ( मेरी भी और आपकी भी)

अपने आप को कंट्रोल में रखना आप का काम है मेरा नहीं

जैसे आप कहानी पढ़ के मनोरंजित होते है वैसे ही दूसरी महिलाए भी अपने आप को मनोरंजीत करने आती है अपनी नुमाईश या अपने शरीर द्वारा आप का मनोरंजन करने नहीं

महिलाओं को अभी उतना ही हक है जितना आपको है महिला को सन्मान दीजिये


अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो आप को निवेदन है की मेरा ये थ्रेड आपके लिए उचित नहीं है .............................

आप कहानी पे किसी भी पात्र पे कोई भी कोमेंट करे लेकिन लिखनेवाले पे नहीं ..........

आप की हर कोमेंट आवकार्य है बस थोडा सा कंट्रोल के साथ ....


आप सब की आभारी हु ......
 
Last edited:

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दीदी जीजू की जांघों पे झुकी उनके आधे खड़े लण्ड को चाटने लगी थी और मैं दीदी की वीर्य से भीगी चूत को चाटने लगा था। क्या मस्त नज़ारा था… दीदी के बड़े-बड़े चूतड़ मुझे पागल कर रहे थे, मुझसे ज्यादा देर इंतजार ना हुआ, मैं खड़ा हो गया और दीदी की चूत के सामने अपना लण्ड सेट करके दीदी की कमर को दोनों तरफ से पकड़कर दबोच लिया और जोरदार झटका मारा, तो मेरा सारा लण्ड स्लिप करता हुआ दीदी की चूत के अंदर चला गया। कमर से पकड़े हुए मैंने जोरदार तेज झटकों से दीदी की चुदाई शुरू कर दी। मैं जोर-जोर से झटका मारता तो जीजू का लण्ड चूसती दीदी का सिर जीजू की सीने से जा टकराता। अब मेरे लण्ड के पीछे जलन और बढ़ती जा रही थी, और दीदी को चोदने की मेरी स्पीड भी तेज होती जा रही थी।

जीजू अब दीदी की चूचियों से खेलने लगे थे, उनका भी मूड बन चुका था। लेकिन मेरी तेज चुदाई के कारण दीदी को अब जीजू का लण्ड चूसने का मौका नहीं मिल रहा था। दीदी ने अपने दोनों हाथों से जीजू की जांघों को कसकर पकड़ लिया ताकी उनका बैलेन्स ना बिगड़ जाये।

फिर पता नहीं जीजू ने दीदी के कान में क्या कहा कि दीदी तेजी से सिसकने लगी थी-“अया… उम्म्म… दीपू, कम ओन बेबी, फक मी हार्ड, हाँ और जोर से… और जोर से मेरे भाई…”

यह सब सुनकर मैं और भी पागल होने लगा था, और जोर से दीदी के बाल खींचकर अपनी कमर हिला-हिलाकर पीछे से दीदी की चूत मार रहा था। दीदी भी मस्ती से आहें भर रही थी की तभी दीदी के फ़ोन की रिंग बज उठी। दीदी अपना फ़ोन उठाने के लिए जाने को हुई तो मैंने दीदी के बालों को कसकर धक्के मारते हुए कहा-“साली, कहां भाग रही है? मेरे लण्ड का पानी क्या तेरी माँ निकालेगी? ये जीजू क्या कर रहे हैं, इसको बोलो ये उठाते हैं फ़ोन, तब तक मैं तुम्हारी चूत में अपना पानी निकाल लूँ…”

मेरा इतना कहना ही था की जीजू उठ गये और दीदी का फ़ोन उठाकर देखा तो फ़ोन मम्मी का था। जीजू ने दीदी को देखते हुए कहा-“पूजा, तुम्हारी मम्मी का फ़ोन…”

तो दीदी के कहने पर जीजू ने फ़ोन स्पीकर फ़ोन पर लगा दिया।

मम्मी-“पूजा, एक बात सुन… तू दीपू को बोलना की बच्चे के लिए सुबह कोशिश करे। सुबह करने से बच्चा ठहरने का चान्स ज्यादा होता है…”

पूजा दीदी-“मम्मी, आप सुबह करने की बात कर रही हैं, सुबह तक अगर बची तो ही न… मुझे नहीं लगता कि मैं सुबह तक जिंदा बच पाऊूँगी। आह्ह… दीपू ने तो अभी तक पानी नहीं छोड़ा… मेरा तो अब तक 4 बार हो चुका है, पर अब तक उसका एक बार भी नहीं छूटा। अभी भी ये मुझे घोड़ी बनाए पीछे से मेरी बजा रहा है। ओह्ह… मम्मी प्लीज़… आप इसको बोलो कि मुझपर रहम करे…”

मम्मी-“क्या बोल रही है तू पूजा? तेरा 4 बार हो गया और दीपू का एक बार भी नहीं?”

तभी फ़ोन कट हो गया। ना चाहते हुए भी मेरे मुँह से निकल गया-“ओके दीदी, मैं तम्हें हर खुशी दूंगा, तुम जैसा कहो मैं वैसा करूँगा। तुम्हें अपने बच्चों की मम्मी बनाऊूँगा। आज से तुम मेरी हो, मेरी बीवी, मेरी जान मेरी सब कुछ हो। दीदी, ऊओह्ह दीदी, अया…”

शायद मेरे दीदी कहने का असर मेरी बहन पे भी हो रहा था और वो भी चुदवाने में मेरा पूरा साथ दे रही थी-

“ऊवू दीपू मेरे भाई, फाड़ डालो मुझे आज, कम ओन माइ लीज दटल बेबी, मैं पागल हो रही हूँ, आह्ह… अया…”

मेरा पूरा जोर लग चुका था मुझे लग रहा था कि मैं झड़ने जा रहा हूँ, लेकिन फिर थक जाता, सांस कंट्रोल नहीं होती थी।

जब थोड़ा रुकता तो दीदी फिर बोलने लगती-“कम ओन मेरे बच्चे फक मी सोऽ हार्ड, अपनी बहन की सारी प्यास बुझा दो आज… अया और जोर से मेरे भाई…”

मैं अपनी सांस को कंट्रोल करते हुए रेस्पॉन्स देता-“ऊवू दीदी, मेरा होने वाला है दीदी…”

यह सुनकर वो और जोर से चीखने चिल्लाने लगती-“अयाया… ऊऊओ… अपनी बहन को जी भर के चोदो मेरे भाई…”

जब मैं थोड़ा थक जाता तो दीदी खुद आगे पीछे होकर चुदवाने लगती। दीदी की चूत और मेरा लण्ड जूस से भीग चुके थे, दीदी की चूत इतनी स्लिपरी हो गई थी कि कभी-कभी लण्ड और चूत का लुब्रीकेंट वाला पानी नीचे टपकने लगता था। दीदी की चूत ने इतना पानी छोड़ा कि उसकी दोनों जांघों पे पानी नीचे की तरफ टपक रहा था। दीदी की चूत ज्यादा स्लिपरी होने से मेरा लण्ड अंदर-बाहर आने जाने का कुछ पता नहीं चल रहा था। मैं झड़ने के बिल्कुल करीब था, लेकिन दीदी की चूत में लण्ड स्लिप होता जाता, जिससे लण्ड को कोई खास ग्रिप नहीं मिलता था।

मैं 10-15 मिनट में तेज-तेज चुदाई करता रहा, फिर थोड़ा रुक गया। मेरी सांस भी फूल गई थी, मैंने अपना लण्ड दीदी की चूत से बाहर निकाला और दीदी की जांघों पे नीचे की तरफ टपकता पानी चाटने लगा। फिर उसे अपनी जीभ से सॉफ करता हुआ उसकी चूत पे आ गया और एकदम भीगी चूत पे अपना हाथ रख दिया और अपने हाथ से सारी चूत को सॉफ कर दिया। दीदी की चूत के पानी से भीगे अपने हाथ को मैंने दीदी के मुँह में घुसेड़ दिया। दीदी भी मेरा साथ देते हुये मेरे सारे हाथ को चाटने लगी।

फिर मैंने अपने लण्ड पे लगे दीदी के चूत-रस को पोंछकर अपने मुँह में अपना हाथ डालकर चूस लिया। अब मैं झड़ने के बहुत करीब था लेकिन मैं थोड़ा और मज़ा लेना चाहता था इसलिये मैंने दीदी की ब्रा उठाई और दीदी की चूत को अच्छी तरह से पोंछ दिया। फिर अपने लण्ड को भी ठीक वैसे ही सॉफ कर दिया। अब मेरा लण्ड और दीदी की चूत दोनों सूखी थी, मेरा 10 साल पुराना बदला अब पूरा होने जा रहा था, मैंने अपने लण्ड को दीदी की चूत के निशाने पे रखा और जोरदार झटका मारा। इस बार दीदी की जोरदार चीख निकल गई। मेरा मोटा लंबा लण्ड, सूखा होने की वजह से दीदी की चूत को काटता हुआ आगे बढ़ गया था।

अब मुझे भी लगा कि जैसे मेरा लण्ड किसी कुंवारी लड़की की चूत में घुस गया हो, मैंने तेजी से चुदाई शुरू की तो दीदी झट से अपना एक हाथ अपनी चूत पे रखकर उसे सहलाने लगी। मेरा लण्ड तेजी से अंदर-बाहर आ जा रहा था, लग रहा था कि दीदी की चूत सूखी होने की वजह से अभी भी मेरा लण्ड उसकी चूत को काट रहा था। वो कभी-कभी मेरे लण्ड के पीछे हाथ रखकर हिट करने से रोकने की कोशिश करती। करीब 5-7 मिनट के अंदर फिर से दीदी की चूत बहुत पानी छोड़ चुकी थी, अब फिर स्लिपरी चूत में मेरा लण्ड एक सेकेंड में दो बार अंदर-बाहर आने जाने लगा था, मेरा लण्ड पूरा टाइट हो गया और मुझे लगा कि मैं अभी झड़ने वाला हूँ। मैंने जल्दी से अपना लण्ड बाहर निकाला और दीदी को कमर से पकड़कर घुमा दिया। उसे बेड पे बिठाकर पीछे की तरफ सीधा लिटा दिया और उसकी टांगें फैलाकर फिर से अपना लण्ड जल्दी से दीदी की चूत के अंदर घुसेड़कर चोदने लगा।

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दीदी बहुत खुश लग रही थी और वो भी मुझे नीचे से अपनी कमर ऊपर उठाकर रेस्पॉन्स दे रही थी, मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, मेरे चोदने से आगे पीछे तेजी से लहराती दीदी की चूचियां मुझे झड़ने में बहुत हेल्प कर रही थीं। दीदी की चूत ने इतना पानी छोड़ा कि मेरे तेजी से चुदाई करते-करते ‘पूउलछ पूल्छ छाप छाप’ की आवाजें आने लगी और पानी हम दोनों की जांघों पे फैल गया था।

दीदी का मुँह मेरे मुँह के बिल्कुल करीब था, अब दीदी दबी आवाज़ में बोली-“अया… आह्ह… एस, एस, कम ओन, कम ओन माइ बेबी, और जोर से, तेज, तेज, आऽऽ फक मी हार्डर बेबी, मेरा होने वाला है राजा…” हम दोनों बहन भाई अपनी अलग ही दुनियाँ में पहुँच गये थे।

मैं अपनी स्पीड बढ़ाता गया, अब मैंने दीदी के होंठों पे अपने होंठ रख दिए और उसकी जीभ को अपने मुँह में खींचकर चूसने लगा। बस उसी वक़्त दीदी ने मुझे अपनी दोनों बाहों में भींच लिया, शायद दीदी फिर झड़ रही थी। दीदी के गोल-गोल टाइट चूचियां मेरे सीने के नीचे दब गईं, और इसी फीलिंग ने मुझपे ऐसा असर किया कि मेरे अंदर से ‘छररर छररर’ करती जोरदार 5-6 पिचकाररयां छूटी। कुछ सेकेंड तक मेरे जिश्म को झटके लगते रहे, फिर शांत हो गया। एक महीने से भरा गरम पानी मैंने अपनी बहन की चूत के अंदर खाली कर दिया था, हम दोनों रिलेक्स थे।

मैं ऐसे ही दीदी के ऊपर पड़ा रहा फिर दबी आवाज़ में पूछा-दीदी आपका हो गया?

दीदी-“हाँ, मेरा तो तुमसे पहले ही हो गया था, तुम्हारा भी हो गया ना?”

मैंने इनकार में अपना सिर हिला दिया और मुश्कुराने लगा।

दीदी मेरे गाल पे हल्की सी चपत लगाते हुए बोली-“नाटी… मुझे पता है कि तुम्हारा भी हो गया है…”

हम दोनों बहन भाई इस सेशन में जीजू को भूल गये थे। जब मैंने जीजू की तरफ देखा तो उनकी पानी जैसी पतली वीर्य उनके हाथ पे और नीचे फर्श पे पड़ी थी और उनका लण्ड उनके हाथ में था। मेरे ख्याल से हम दोनों की चुदाई देखकर ही उन्होंने मूठ मारकर अपना काम कर लिया था। वैसे भी उनको झड़ने के लिये 2-4 मिनट ही लगते थे। मैं दीदी के ऊपर लेटा हुआ था।

दीदी ने जब जीजू की तरफ देखा तो बोली-“ऊवू मेरा सोना… उधर अकेला ही बैठा है… इधर आओ मेरा सोना…”

जीजू किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह कुस़ी से उठकर हम दोनों के पास आ गये। मैं बेड पे दीदी की दायें साइड पे सरक गया और जीजू दीदी के बाईं साइड की तरफ लेट गये। मुझे नींद आने लगी थी इसलिए मैं सीधा ऊपर की तरफ मुँह करके सोने लगा।

तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़कर अपनी चूचियां पे रख लिया और बोली-“दीपू मेरे बच्चे, इधर आओ, तुम भी मेरी तरफ करवट लेकर सो जाओ, मैं सुलाती हूँ अपने दोनों बच्चों को…” फिर हम दोनों दीदी को बीच में लिटा के सो गये।

FunLove ki रचना
दीदी सोते-सोते भी कभी मुझे स्मूच करती तो कभी जीजू को, मुझे नींद आ रही थी लेकिन दीदी अभी भी मेरे लण्ड से छेड़छाड़ कर रही थी। मैं हैरान था कि दीदी इतनी गरम है तो जीजू इसे ऐसे कैसे सभालते होंगे? वैसे दीदी की इसमें कोई गलती नहीं था, हमारे परिवार में सेक्स के मामले में सब लोग एक्स्ट्रा हाट हैं। पता नहीं मुझे कब नींद आ गई और जब आँख खुली तो जीजू सो रहे थे लेकिन दीदी उठकर नहा चुकी थी उसके नंगे जिश्म पे पानी की बूँदें कितनी सेक्सी लग रही थी। मैं भी रिचार्ज हो चुका था। दीदी को देखते ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।

तो दीदी मेरे लण्ड पे किस करते बोली-“उम्म्म… मेरे राजा को भी भूख लग गई…” फिर दीदी ने उल्टे लेटे जीजू को उठाने की कोशिश की।

लेकिन जीजू ने बहुत ज्यादा पी रखी थी इसलिये वो नींद में ही बोले-“यार मुझे सोने दो…”

दीदी-“जान उठो, कुछ करोगे नहीं तो बच्चा कैसे पैदा होगा?”

जीजू फिर नींद में बोले-“यार तुम लोग कर लो जो करना है, मेरा सर फट रहा है मुझे सोने दे…”

जीजू उल्टे लेटे थे। मैंने जीजू की गाण्ड की तरफ देखा, फिर अपने लण्ड को पकड़कर दीदी को हाथ के इशारे से कहा-“पेल दूं जीजू की गाण्ड में अपना लौड़ा?”

तो दीदी की हँसी निकल गई और उसने अपने मुँह पे हाथ रख लिया।

दीदी को नंगे घूमते देखकर मेरे अंदर का शैतान फिर जाग गया था, और मुझे लग रहा था कि दीदी तो पहले ही चुदवाने के लिए तैयार हैं। मैंने अपने लण्ड को हिलाते हुए दीदी को टायलेट में जाने का इशारा किया। मेरी रंडी बहन अब मेरे लण्ड की दीवानी हो चुकी लगती थी, इसलिये अब मेरे इशारे भी समझने लगी थी। दीदी ने इशारे से ही मुझे जीजू की प्रेजेन्स के बारे में कहा, फिर मुझे हाथों के इशारे से ही तसल्ली देते हुए बोली-“दीपू पहले नहाने जाओगे या ऐसे ही नाश्ता करना है?”

 

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दीदी जीजू की जांघों पे झुकी उनके आधे खड़े लण्ड को चाटने लगी थी और मैं दीदी की वीर्य से भीगी चूत को चाटने लगा था। क्या मस्त नज़ारा था… दीदी के बड़े-बड़े चूतड़ मुझे पागल कर रहे थे, मुझसे ज्यादा देर इंतजार ना हुआ, मैं खड़ा हो गया और दीदी की चूत के सामने अपना लण्ड सेट करके दीदी की कमर को दोनों तरफ से पकड़कर दबोच लिया और जोरदार झटका मारा, तो मेरा सारा लण्ड स्लिप करता हुआ दीदी की चूत के अंदर चला गया। कमर से पकड़े हुए मैंने जोरदार तेज झटकों से दीदी की चुदाई शुरू कर दी। मैं जोर-जोर से झटका मारता तो जीजू का लण्ड चूसती दीदी का सिर जीजू की सीने से जा टकराता। अब मेरे लण्ड के पीछे जलन और बढ़ती जा रही थी, और दीदी को चोदने की मेरी स्पीड भी तेज होती जा रही थी।

जीजू अब दीदी की चूचियों से खेलने लगे थे, उनका भी मूड बन चुका था। लेकिन मेरी तेज चुदाई के कारण दीदी को अब जीजू का लण्ड चूसने का मौका नहीं मिल रहा था। दीदी ने अपने दोनों हाथों से जीजू की जांघों को कसकर पकड़ लिया ताकी उनका बैलेन्स ना बिगड़ जाये।

फिर पता नहीं जीजू ने दीदी के कान में क्या कहा कि दीदी तेजी से सिसकने लगी थी-“अया… उम्म्म… दीपू, कम ओन बेबी, फक मी हार्ड, हाँ और जोर से… और जोर से मेरे भाई…”

यह सब सुनकर मैं और भी पागल होने लगा था, और जोर से दीदी के बाल खींचकर अपनी कमर हिला-हिलाकर पीछे से दीदी की चूत मार रहा था। दीदी भी मस्ती से आहें भर रही थी की तभी दीदी के फ़ोन की रिंग बज उठी। दीदी अपना फ़ोन उठाने के लिए जाने को हुई तो मैंने दीदी के बालों को कसकर धक्के मारते हुए कहा-“साली, कहां भाग रही है? मेरे लण्ड का पानी क्या तेरी माँ निकालेगी? ये जीजू क्या कर रहे हैं, इसको बोलो ये उठाते हैं फ़ोन, तब तक मैं तुम्हारी चूत में अपना पानी निकाल लूँ…”

मेरा इतना कहना ही था की जीजू उठ गये और दीदी का फ़ोन उठाकर देखा तो फ़ोन मम्मी का था। जीजू ने दीदी को देखते हुए कहा-“पूजा, तुम्हारी मम्मी का फ़ोन…”

तो दीदी के कहने पर जीजू ने फ़ोन स्पीकर फ़ोन पर लगा दिया।

मम्मी-“पूजा, एक बात सुन… तू दीपू को बोलना की बच्चे के लिए सुबह कोशिश करे। सुबह करने से बच्चा ठहरने का चान्स ज्यादा होता है…”

पूजा दीदी-“मम्मी, आप सुबह करने की बात कर रही हैं, सुबह तक अगर बची तो ही न… मुझे नहीं लगता कि मैं सुबह तक जिंदा बच पाऊूँगी। आह्ह… दीपू ने तो अभी तक पानी नहीं छोड़ा… मेरा तो अब तक 4 बार हो चुका है, पर अब तक उसका एक बार भी नहीं छूटा। अभी भी ये मुझे घोड़ी बनाए पीछे से मेरी बजा रहा है। ओह्ह… मम्मी प्लीज़… आप इसको बोलो कि मुझपर रहम करे…”

मम्मी-“क्या बोल रही है तू पूजा? तेरा 4 बार हो गया और दीपू का एक बार भी नहीं?”

तभी फ़ोन कट हो गया। ना चाहते हुए भी मेरे मुँह से निकल गया-“ओके दीदी, मैं तम्हें हर खुशी दूंगा, तुम जैसा कहो मैं वैसा करूँगा। तुम्हें अपने बच्चों की मम्मी बनाऊूँगा। आज से तुम मेरी हो, मेरी बीवी, मेरी जान मेरी सब कुछ हो। दीदी, ऊओह्ह दीदी, अया…”

शायद मेरे दीदी कहने का असर मेरी बहन पे भी हो रहा था और वो भी चुदवाने में मेरा पूरा साथ दे रही थी-

“ऊवू दीपू मेरे भाई, फाड़ डालो मुझे आज, कम ओन माइ लीज दटल बेबी, मैं पागल हो रही हूँ, आह्ह… अया…”

मेरा पूरा जोर लग चुका था मुझे लग रहा था कि मैं झड़ने जा रहा हूँ, लेकिन फिर थक जाता, सांस कंट्रोल नहीं होती थी।

जब थोड़ा रुकता तो दीदी फिर बोलने लगती-“कम ओन मेरे बच्चे फक मी सोऽ हार्ड, अपनी बहन की सारी प्यास बुझा दो आज… अया और जोर से मेरे भाई…”

मैं अपनी सांस को कंट्रोल करते हुए रेस्पॉन्स देता-“ऊवू दीदी, मेरा होने वाला है दीदी…”

यह सुनकर वो और जोर से चीखने चिल्लाने लगती-“अयाया… ऊऊओ… अपनी बहन को जी भर के चोदो मेरे भाई…”

जब मैं थोड़ा थक जाता तो दीदी खुद आगे पीछे होकर चुदवाने लगती। दीदी की चूत और मेरा लण्ड जूस से भीग चुके थे, दीदी की चूत इतनी स्लिपरी हो गई थी कि कभी-कभी लण्ड और चूत का लुब्रीकेंट वाला पानी नीचे टपकने लगता था। दीदी की चूत ने इतना पानी छोड़ा कि उसकी दोनों जांघों पे पानी नीचे की तरफ टपक रहा था। दीदी की चूत ज्यादा स्लिपरी होने से मेरा लण्ड अंदर-बाहर आने जाने का कुछ पता नहीं चल रहा था। मैं झड़ने के बिल्कुल करीब था, लेकिन दीदी की चूत में लण्ड स्लिप होता जाता, जिससे लण्ड को कोई खास ग्रिप नहीं मिलता था।

मैं 10-15 मिनट में तेज-तेज चुदाई करता रहा, फिर थोड़ा रुक गया। मेरी सांस भी फूल गई थी, मैंने अपना लण्ड दीदी की चूत से बाहर निकाला और दीदी की जांघों पे नीचे की तरफ टपकता पानी चाटने लगा। फिर उसे अपनी जीभ से सॉफ करता हुआ उसकी चूत पे आ गया और एकदम भीगी चूत पे अपना हाथ रख दिया और अपने हाथ से सारी चूत को सॉफ कर दिया। दीदी की चूत के पानी से भीगे अपने हाथ को मैंने दीदी के मुँह में घुसेड़ दिया। दीदी भी मेरा साथ देते हुये मेरे सारे हाथ को चाटने लगी।

फिर मैंने अपने लण्ड पे लगे दीदी के चूत-रस को पोंछकर अपने मुँह में अपना हाथ डालकर चूस लिया। अब मैं झड़ने के बहुत करीब था लेकिन मैं थोड़ा और मज़ा लेना चाहता था इसलिये मैंने दीदी की ब्रा उठाई और दीदी की चूत को अच्छी तरह से पोंछ दिया। फिर अपने लण्ड को भी ठीक वैसे ही सॉफ कर दिया। अब मेरा लण्ड और दीदी की चूत दोनों सूखी थी, मेरा 10 साल पुराना बदला अब पूरा होने जा रहा था, मैंने अपने लण्ड को दीदी की चूत के निशाने पे रखा और जोरदार झटका मारा। इस बार दीदी की जोरदार चीख निकल गई। मेरा मोटा लंबा लण्ड, सूखा होने की वजह से दीदी की चूत को काटता हुआ आगे बढ़ गया था।

अब मुझे भी लगा कि जैसे मेरा लण्ड किसी कुंवारी लड़की की चूत में घुस गया हो, मैंने तेजी से चुदाई शुरू की तो दीदी झट से अपना एक हाथ अपनी चूत पे रखकर उसे सहलाने लगी। मेरा लण्ड तेजी से अंदर-बाहर आ जा रहा था, लग रहा था कि दीदी की चूत सूखी होने की वजह से अभी भी मेरा लण्ड उसकी चूत को काट रहा था। वो कभी-कभी मेरे लण्ड के पीछे हाथ रखकर हिट करने से रोकने की कोशिश करती। करीब 5-7 मिनट के अंदर फिर से दीदी की चूत बहुत पानी छोड़ चुकी थी, अब फिर स्लिपरी चूत में मेरा लण्ड एक सेकेंड में दो बार अंदर-बाहर आने जाने लगा था, मेरा लण्ड पूरा टाइट हो गया और मुझे लगा कि मैं अभी झड़ने वाला हूँ। मैंने जल्दी से अपना लण्ड बाहर निकाला और दीदी को कमर से पकड़कर घुमा दिया। उसे बेड पे बिठाकर पीछे की तरफ सीधा लिटा दिया और उसकी टांगें फैलाकर फिर से अपना लण्ड जल्दी से दीदी की चूत के अंदर घुसेड़कर चोदने लगा।

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दीदी बहुत खुश लग रही थी और वो भी मुझे नीचे से अपनी कमर ऊपर उठाकर रेस्पॉन्स दे रही थी, मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, मेरे चोदने से आगे पीछे तेजी से लहराती दीदी की चूचियां मुझे झड़ने में बहुत हेल्प कर रही थीं। दीदी की चूत ने इतना पानी छोड़ा कि मेरे तेजी से चुदाई करते-करते ‘पूउलछ पूल्छ छाप छाप’ की आवाजें आने लगी और पानी हम दोनों की जांघों पे फैल गया था।

दीदी का मुँह मेरे मुँह के बिल्कुल करीब था, अब दीदी दबी आवाज़ में बोली-“अया… आह्ह… एस, एस, कम ओन, कम ओन माइ बेबी, और जोर से, तेज, तेज, आऽऽ फक मी हार्डर बेबी, मेरा होने वाला है राजा…” हम दोनों बहन भाई अपनी अलग ही दुनियाँ में पहुँच गये थे।

मैं अपनी स्पीड बढ़ाता गया, अब मैंने दीदी के होंठों पे अपने होंठ रख दिए और उसकी जीभ को अपने मुँह में खींचकर चूसने लगा। बस उसी वक़्त दीदी ने मुझे अपनी दोनों बाहों में भींच लिया, शायद दीदी फिर झड़ रही थी। दीदी के गोल-गोल टाइट चूचियां मेरे सीने के नीचे दब गईं, और इसी फीलिंग ने मुझपे ऐसा असर किया कि मेरे अंदर से ‘छररर छररर’ करती जोरदार 5-6 पिचकाररयां छूटी। कुछ सेकेंड तक मेरे जिश्म को झटके लगते रहे, फिर शांत हो गया। एक महीने से भरा गरम पानी मैंने अपनी बहन की चूत के अंदर खाली कर दिया था, हम दोनों रिलेक्स थे।

मैं ऐसे ही दीदी के ऊपर पड़ा रहा फिर दबी आवाज़ में पूछा-दीदी आपका हो गया?

दीदी-“हाँ, मेरा तो तुमसे पहले ही हो गया था, तुम्हारा भी हो गया ना?”

मैंने इनकार में अपना सिर हिला दिया और मुश्कुराने लगा।

दीदी मेरे गाल पे हल्की सी चपत लगाते हुए बोली-“नाटी… मुझे पता है कि तुम्हारा भी हो गया है…”

हम दोनों बहन भाई इस सेशन में जीजू को भूल गये थे। जब मैंने जीजू की तरफ देखा तो उनकी पानी जैसी पतली वीर्य उनके हाथ पे और नीचे फर्श पे पड़ी थी और उनका लण्ड उनके हाथ में था। मेरे ख्याल से हम दोनों की चुदाई देखकर ही उन्होंने मूठ मारकर अपना काम कर लिया था। वैसे भी उनको झड़ने के लिये 2-4 मिनट ही लगते थे। मैं दीदी के ऊपर लेटा हुआ था।

दीदी ने जब जीजू की तरफ देखा तो बोली-“ऊवू मेरा सोना… उधर अकेला ही बैठा है… इधर आओ मेरा सोना…”

जीजू किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह कुस़ी से उठकर हम दोनों के पास आ गये। मैं बेड पे दीदी की दायें साइड पे सरक गया और जीजू दीदी के बाईं साइड की तरफ लेट गये। मुझे नींद आने लगी थी इसलिए मैं सीधा ऊपर की तरफ मुँह करके सोने लगा।

तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़कर अपनी चूचियां पे रख लिया और बोली-“दीपू मेरे बच्चे, इधर आओ, तुम भी मेरी तरफ करवट लेकर सो जाओ, मैं सुलाती हूँ अपने दोनों बच्चों को…” फिर हम दोनों दीदी को बीच में लिटा के सो गये।

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दीदी सोते-सोते भी कभी मुझे स्मूच करती तो कभी जीजू को, मुझे नींद आ रही थी लेकिन दीदी अभी भी मेरे लण्ड से छेड़छाड़ कर रही थी। मैं हैरान था कि दीदी इतनी गरम है तो जीजू इसे ऐसे कैसे सभालते होंगे? वैसे दीदी की इसमें कोई गलती नहीं था, हमारे परिवार में सेक्स के मामले में सब लोग एक्स्ट्रा हाट हैं। पता नहीं मुझे कब नींद आ गई और जब आँख खुली तो जीजू सो रहे थे लेकिन दीदी उठकर नहा चुकी थी उसके नंगे जिश्म पे पानी की बूँदें कितनी सेक्सी लग रही थी। मैं भी रिचार्ज हो चुका था। दीदी को देखते ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।

तो दीदी मेरे लण्ड पे किस करते बोली-“उम्म्म… मेरे राजा को भी भूख लग गई…” फिर दीदी ने उल्टे लेटे जीजू को उठाने की कोशिश की।

लेकिन जीजू ने बहुत ज्यादा पी रखी थी इसलिये वो नींद में ही बोले-“यार मुझे सोने दो…”

दीदी-“जान उठो, कुछ करोगे नहीं तो बच्चा कैसे पैदा होगा?”

जीजू फिर नींद में बोले-“यार तुम लोग कर लो जो करना है, मेरा सर फट रहा है मुझे सोने दे…”

जीजू उल्टे लेटे थे। मैंने जीजू की गाण्ड की तरफ देखा, फिर अपने लण्ड को पकड़कर दीदी को हाथ के इशारे से कहा-“पेल दूं जीजू की गाण्ड में अपना लौड़ा?”

तो दीदी की हँसी निकल गई और उसने अपने मुँह पे हाथ रख लिया।

दीदी को नंगे घूमते देखकर मेरे अंदर का शैतान फिर जाग गया था, और मुझे लग रहा था कि दीदी तो पहले ही चुदवाने के लिए तैयार हैं। मैंने अपने लण्ड को हिलाते हुए दीदी को टायलेट में जाने का इशारा किया। मेरी रंडी बहन अब मेरे लण्ड की दीवानी हो चुकी लगती थी, इसलिये अब मेरे इशारे भी समझने लगी थी। दीदी ने इशारे से ही मुझे जीजू की प्रेजेन्स के बारे में कहा, फिर मुझे हाथों के इशारे से ही तसल्ली देते हुए बोली-“दीपू पहले नहाने जाओगे या ऐसे ही नाश्ता करना है?”

 

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मैं छलाँग लगाकर जल्दी से दीदी के पीछे टायलेट में चला गया, जीजू सो रहे थे। टायलेट में पहुँचते ही मैंने दीदी को दबोच लिया, उसकी चूचियां अपने मुँह में डालते हुए बोला-“दीदी मैं आपको चोदने के लिये कितने बरस तरसा, कितना तडपाया आपने मुझे?”

दीदी मेरे बालों में उंगलियां फिरते हुए बोली-“सारी मेरे बच्चे… मैंने तुमको बहुत तरसाया है, मुझे पता है। काश मैं उस वक़्त तुम्हारी फीलिंग्स समझ जाती, तो अपने घर हम बहन भाई जो मर्ज़ी करते… अब जब मैंने तुझे इतना तरसा कर गलती की है तो मैं तुझे इसका इनाम भी दूंगी। तू मम्मी को चोदना चाहता है मेरे भैया राजा? अब मैं तुम्हारी मम्मी को चोदने में हेल्प करूँगी ताकि तुझे और तुम्हारे इस लण्ड को चूत के लिए कभी तरसना ना पड़े…” यह कहते हुए वो मेरे मुँह में अपनी जीभ डालकर स्मूच करने लगी।

मैंने शावर खोल दिया, और हम दोनों बहन भाई एक दूसरे के जिश्म से खेलने लगे।

दीदी मेरे बालों में अपनी लंबी-लंबी उंगलियां फिराते हुए बोली-“अया मेरे राजा भैया, मुझे तुमको तरसाने की सज़ा मिल रही है, तुम्हें क्या पता कि मैं शादी करके कितनी प्यासी हूँ, तुम्हारे जीजू दो मिनट में अपना काम करके सो जाते हैं, इससे मेरी प्यास क्या बुझनी है, उल्टा मेरे अंदर आग लगाकर सो जाते हैं, उसके बाद मुझे ही पता है मेरी क्या हालत होती है? सुहागरात से लेकर आज तक तेरे जीजू मुझे एक बार भी शांत नहीं कर पाये, कभी-कभी फिंगरिंग करके अपने आपको शांत कर लेती हूँ। कल तुम्हारे साथ सेक्स करके मुझे पहली बार एहसास हुआ कि असली चुदाई क्या होती है? मर्द से औरत की प्यास कैसे बुझती है? कल तूने मुझे कली से फूल बनाया…” यह कहती वो मेरे जिश्म को जल्दी-जल्दी चूमने लगी थी।

शावर का पानी हम दोनों पे गिर रहा था और अब दीदी मेरे लण्ड को नहीं छोड़ रही थी और मैं उसके गोल-गोल चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से दबा रहा था। मैं दीदी के कान को किस करता बोला-“दीदी आपको पता है कि मैं आपको चोदने के लिये 10 साल पहले से स्कूल टाइम से कोशिश कर रहा हूँ…”

दीदी-“मुझे सब पता है मेरे भाई, एक-एक बात याद है, लेकिन पता नहीं क्यों मैं उस वक़्त तुमको समझ नहीं पाई, शायद इसीलिये आज प्यासी हूँ। तुम्हारे जीजू तो मुझे अपने किसी कजिन विकास के साथ यह सब करने को कह रहे थे, लेकिन मुझे वो बिल्कुल पसंद नहीं था, उसकी बाडी पे परफ्यूम लगाने के बाद भी इतनी गंदी गंध आती है कि उसके पास खड़े होना भी मुश्किल है। पता नहीं कैसे-कैसे मैंने तेरे जीजा को तुम्हारे लिये पटाया है, मेरे सोना भाई…”

मैं-“दीदी, मैं आपकी प्यास बुझाऊूँगा। आप फिकर मत करो, मैं आपकी हर इच्छा पूरी करूँगा…” यह कहते हुये मैं दीदी के गालों पे, होंठ पे, कानों पे और गर्दन पे किस करने लगा। हम दोनों बहन भाई एक दूसरे के जिश्म से खेलने लगे, दीदी मेरे लण्ड को हिलाती जा रही थी, मैंने दीदी की टांगों के बीच चूत पे अपना हाथ फिराना शुरू कर दिया फिर धीरे-धीरे अपनी दो उंगलियां दीदी की चूत में घुमाने लगा।

दीदी बहुत गरम हो चुकी थी उसके होंठ फड़फडाने लगे थे। वो मेरा हाथ अपनी चूत पे दबाती हुई बोली-“दीपू मेरे बच्चे, अब और मत तड़पाओ… मैं पहले ही दो साल से तड़प रही हूँ…”

मैं दीदी की टांगों के बीच बैठ गया और दीदी की चूत चाटने लगा।


बने रहिये
 
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Wah..behad romanchak mode pe aa gai hai kahani..maal bahan apne kamuk bhai se khud chudwakar apni mast maa ko bhi bhai ke lund ke neecge laane ka bharosa de rahi hai..plz isse aur kamuk aur natkhat banao..plz keep writing
 
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Wah..behad romanchak mode pe aa gai hai kahani..maal bahan apne kamuk bhai se khud chudwakar apni mast maa ko bhi bhai ke lund ke neecge laane ka bharosa de rahi hai..plz isse aur kamuk aur natkhat banao..plz keep writing
Yes aap ki bat sahi hai ye ti khulla aamantran hi de diya hai ki jaruri support wo karegi

dekhte hai aaage kya kya hota hai aur kitna support karti hai karti bhi hai ya nahi , kya ye sirf uttejan vash kaha gaya tha ki sahi me serious hai ..................
 
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