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Incest तीनो की संमति से .....

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मेरे सभी पाठको को से एक नम्र निवेदन आवेदन अरजी request या फिर जो भी आप समजते है

आप मेरी द्वारा लिखी गई कहानी आप को मनोरंजन देती है मै नहीं

कृपया मुझे अपना मनोरंजन का साधन ना समजे उसी में सब की भलाई है ( मेरी भी और आपकी भी)

अपने आप को कंट्रोल में रखना आप का काम है मेरा नहीं

जैसे आप कहानी पढ़ के मनोरंजित होते है वैसे ही दूसरी महिलाए भी अपने आप को मनोरंजीत करने आती है अपनी नुमाईश या अपने शरीर द्वारा आप का मनोरंजन करने नहीं

महिलाओं को अभी उतना ही हक है जितना आपको है महिला को सन्मान दीजिये


अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो आप को निवेदन है की मेरा ये थ्रेड आपके लिए उचित नहीं है .............................

आप कहानी पे किसी भी पात्र पे कोई भी कोमेंट करे लेकिन लिखनेवाले पे नहीं ..........

आप की हर कोमेंट आवकार्य है बस थोडा सा कंट्रोल के साथ ....


आप सब की आभारी हु ......
 
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Abhishek Kumar98

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B
शुरू करते है


मेरे घर में हम 3 लोग रहते हैं | मैं दीपक, जिसे सब प्यार से दीपू कहते हैं |

मेरी मम्मी मंजू ओर बहन पूजा |

पहले मैं आपको अपने घर के बारे में बता दूँ | मेरे पापा का जब मैं 8 साल का था एक एक्सीडेंट में उनकी डेथ हो गई थी | मेरे पापा एक बहुत बड़े गवर्नमेंट एम्प्लोई थे सो इसलिए हमें पेंशन के रूप में एक बहुत ही बड़ी अमाउंट हर मंथ मिलती है | मेरे पापा के पास पहले ही काफ़ी प्रॉपर्टी थी सो हमें उस से काफ़ी रेंट आता है जिससे हमारा गुज़ारा बड़े अच्छे तरीके से होता है | हमें किसी चीज़ की कभी कोई कमी महसूस नही होती थी या है |

पापा की डेथ के बाद मम्मी ने ना दूसरी शादी की ना ही कभी किसी दूसरे मर्द के बारे में सोचा | उसने अपना सारा ज़ीवन हम दोनो भाई बहन की परवरिश के लिए ऐसे ही निकाल दिया | ऐसा नही था कि मेरी मम्मी खूबसूरत नही थी बल्कि वो बहुत ही खूबसूरत बदन की मालकिन थी | जिसे कोई एक बार देख ले तो बस उसे देखता ही रहे | और मुझे यकीन था कि मेरी मम्मी को देखने के बाद ऐसा ही कोई मर्द होगा जो अपना लंड सहलाए बिना रह पाता होगा |

मेरी मम्मी लंबी ऊँची कद 5.5 फ़ीट और मेरी मम्मी का शरीर ऐसा है कि कोई देखे तो तड़प उठे | एकदम गोरी चिट्टी 38 साइज़ की बड़ी बड़ी टाइट चुचियाँ (धइले), 30 कमर और 40 के गोल मटोल गांड | मम्मी का शरीर भरा हुआ है लेकिन एकदम सुडोल, कहीं से कोई फैट नही,



मेरी बहन पूजा भी एकदम मम्मी पर गई है | भरा हुआ शरीर 34 साइज़ के धइले, गोल मटोल चूतड़ और एकदम गोरी |पूजा इतनी मस्त ओर हॉट थी कि ना जाने स्कूल के कितने ही लड़के उसके पीछे पड़े रहते थे | घर के बाहर पूजा की मस्त जवानी की एक झलक पाने के लिए स्कूल के लड़के तो क्या मोहल्ले के अंकल भी इंतज़ार में खड़े रहते थे और जब वो पूजा की मस्त मोटी मोटी टाइट चुचियाँ और बाहर निकली हुई गांड को देख लेते तो तो उन सब से कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता |

वो सब जाकर पूजा के नाम की मुट्ठ मारते होगे |

कहना का मतलब यही है की मेरी मा और बहन दोनों परफेक्ट माल है|

मेरी बहन पूजा और मैं एक ही कॉलेज में पढ़ते थे, पूजा फाइनल यर में थी और मैं फर्स्ट यर में, हम दोनो साथ ही कॉलेज जाते, हम दोनो भाई बहन कम और दोस्त ज़्यादा थे | दोनो में बहुत हँसी मज़ाक होता था, मैं कॉलेज मैं बास्केटबॉल टीम में था और पूजा मेरा हर मैच देखने आती थी | पूजा कॉलेज जाते समय अपने शरीर को पूरा ढकती लेकिन घर में ज़्यादातर छोटी मैक्सी पहन कर रहती, मम्मी भी ज़्यादातर साड़ी और ब्लाउज़ में ही रहती थी, मम्मी और पूजा के बीच बहुत भी अच्छी ट्यूनिंग थी | सब कुछ अच्छा चल रहा था, मैं ज़्यादातर समय या तो बास्केटबॉल या जिम में बीताता | घर पर मम्मी और पूजा माँ बेटी कम और दोस्त ज़्यादा बनकर रहती, तब तक मेरे मन मे उनके लिए कुछ नही था | पूजा पढ़ने में ज़्यादा अच्छी नही थी, फिर एक दिन वो हुआ जिसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया |


अगर आपको यह कहानी या फिर भाषांतर पसंद आये तो कमेंट जरुर दीजिएगा ...........
Bahut jabardast start hai Bhai
 
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Abhishek Kumar98

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एक बार कॉलेज में छुट्टी हुई तो मैं दीदी को देखने जब उसके क्लास रूम में गया तो रूम खाली था | मैं दरवाजे से वापिस मुड़ने लगा तो मुझे दरवाजे के पीछे से कुछ फुसफुसाहट सी होती सुनाई दी | मैं रुक गया और सुनने लगा | लड़की की दबी हुई आवाज़ “रोहित,,प्लीज़ छोड़ो मुझे अब, सब लोग जा चुके हैं..”

रोहित : बस एक किस और... बस एक... फिर चलते हैं |

लड़की : बस....बस .... अब छोड़ो भी मुझे |

रोहित : थोड़ा सा और प्लीज़...... बस एक बार ..... एक लिप् किस करने दो फिर चली जाना मेरी जान |

लड़की : ना... आआहा... अभी नही फिर कभी |

रोहित : अच्छा यह तो देखने दो पेंटी कौन से कलर की पहनी है आज |

लड़की : शटअप .... रोहित .... प्लीज़ मुझे जाने दो अभी |

रोहित : तू कुछ मत कर बस ऐसे ही खड़ी रहना ..... मैं बैठके खुद तेरी सलवार खोल के देख लेता हूँ |

लड़की : आह नो नो |

लग रहा था रोहित नीचे बैठ के लड़की की सलवार खोल के अंदर झाँकने की कोशिश कर रहा था |

रोहित : यार हाथ क्यों पकड़ रही हो मेरा ...... और अपनी टांगे क्यों बंद कर रही हो |

लड़की : प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ रोहित फिर कभी.... देख लेना |

रोहित : ओक ठीक है ..... एक किस तो ...... |

लड़की : ओके लास्ट वन |

फिर “पुच्च” की हल्की सी आवाज़ आई और किस के बाद लड़की शायद रोहित की गिरफत से निकलके जाने लगी तो लग रहा था जैसे रोहित ने पीछे से फिर से उसे दबोच लिया हो और उसके बूब्स मसलने लगा हो | अब जैसे लड़की उसकी बाहों में कसमसाती हुई हल्की सी फुसफुसाहट में बोली “रोहित बस भी करो प्लीज़ .... दीपू मेरी वेट कर रहा होगा .... प्लीज़ छोड़ो”

अपना नाम सुनके मेरे कान खड़े हो गए | यह पूजा दीदी की ही आवाज़ थी | मैं दरवाजे के थोड़ा और करीब हो गया | अब उनकी तेज साँसों और किसिंग की आवाज़ सुनाई दे रही थी जैसे एक दूसरे के जिस्म को मसल रहे हों | मेरी दीदी किसी के साथ मज़ा ले रही थी | पता नही क्यों मुझे यह सब सुनके बहुत मज़ा आ रहा था और अपनी दीदी के बारे में ऐसा करते सोचके तो मेरा लंड अपने आप खड़ा होना शुरू हो गया |

फिर कुछ सेकेंड्स के बाद दीदी की आवाज़ आई “आह .... रोहित ....”

रोहित : यार क्या कर रही हो अपनी लेग्स तो खोल |

दीदी : हाथ बाहर निकालो..... प्लीज़ बाहर निकालो हाथ मेरी पेंटी में से .... मुझे कुछ हो रहा है |

शायद रोहित ने दीदी को पीछे से पकड़े हुए अपना हाथ दीदी की पेंटी में डालके दीदी की चूत पे हाथ रख दिया था | अब दीदी शायद घर जाने और मेरे बारे में भूल चुकी थी और नशीली आवाज़ में उसके कराहने की आवाज़ आ रही थी जैसे “आह .... उम्म्म.... रोहित मेरी जान ..... मेरी जान निकल रही है”


शायद दोनों आउट ऑफ कंट्रोल होते जा रहे थे और उनके अंदर का गरम पानी उबाले मारने लगा था |

रोहित दीदी को गरम करने का अपना काम करता रहा और उसके बोलने की कोई आवाज़ नही आई |

फिर कुछ देर बाद जैसे मदहोशी की आवाज़ में दीदी बोली “मत करो ना ......... प्लज़्ज़्ज़ ...... मैं पागल हो रही हूँ”


बने रहिये
Hero ko kya kya dekhna pad raha hai
 
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Abhishek Kumar98

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फिर “पुच्च पुच्च” की हल्की हल्की सी आवाज़ आने लगी | लग रहा था दीदी और रोहित पूरा मज़ा ले रहे हैं लेकिन वो तो मज़ा ले रहे थे मगर मुझे पहली बार पता नही क्यों यह सब सुनके अजीब सी फीलिंग हो रही थी | मेरा लंड पेंट में से उभरा हुआ नज़र आ रहा था और बहुत अच्छा लग रहा था |

मैं उनकी मस्ती भरी आवाज़ें सुनके ही मस्त हुआ जा रहा था तभी दीदी बोली “रोहित ...... अब इसे क्यों नीचे कर रहे हो” |?

रोहित : पेंटी उतारने दो ना प्लीज़ |

दीदी : पागल हो गए हो क्या.... मैं ऐसा कुछ नही करूँगी ... वो भी यहाँ |

रोहित : नही पूजा मैं ऐसा वैसा कुछ नही करूँगा लेकिन मुझे बस तुम्हारी पेंटी तो उतार के दे दो आज |

दीदी : ना... नही नही... मैं घर कैसे जाऊंगी |

रोहित : सलवार के नीचे से क्या पता चलेगा यार |

दीदी : नही मैं घर से दूसरी ला दूँगी .... यह रहने दो | वैसे भी गन्दी होगी|

रोहित : यार वो तो कल लाकर दोगी आज रात मैं क्या करूँगा प्लीज दे दो आज तुम्हारी इस पेंटी पर अपना माल निकालूँगा प्लीज जान |

मैं भी उनके मज़े के साथ पूरा मज़ा ले रहा था | तभी पीछे से मेरा दोस्त मोहित आ गया और बोला “दीपक तू यहाँ क्यों खड़ा है यार ... घर नही जाना”?

मैंने कहा “यार दीदी को ढूंड रहा हूँ” |

वो बोला “दीदी गेट पे तुमको ढूंड रही होगी ... चल गेट पे देखते हैं”

‘साले चूतिये ने सारा मज़ा खराब कर दिया’ यह सोचता मैं उसके साथ गेट की तरफ चला गया |

हम गेट के पास जाके खड़े हुए तो कुछ ही देर में दीदी भी उसी रूम की तरफ से गेट की तरफ भागी आ रही थी और बोली

“सॉरी दीपू मैं लेट हो गई” शायद मुझे एक्सक्यूस देना उसने ज़रूरी नही समझा | लेकिन उसकी सिलवट पड़ी शर्ट और लाल हुए होंठों से साफ़ पता चल रहा था कि वो अभी अभी कौनसा खेल खेल के आ रही थी | शायद उसने मेरी और मेरे दोस्त की बातचीत सुन ली थी | इसी लिए जल्दी से भाग के हमारे पीछे ही आ गई थी | आज मैं पहली बार अपनी दीदी को इतने ध्यान से देख रहा था | कितनी खूबसूरत थी मेरी बहन कितनी सेक्सी थी साली, किसी हेरोइन से कम नही लग रही थी | यु कही की परफेक्ट माल |




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अगर कही गलती दिखे तो कृपया ध्यान दोरियेगा ताकि आगे सही कर सकू
Ye Pooja bhi kam nahi hai
 
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Abhishek Kumar98

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पतला लंबा जिस्म, उसके गोरे लाल गाल जैसे मक्खन में सिंधूर मिक्स किया हो, गोल गोल गोरी लंबी टांगें, होंठ तो इतने लाल कि लग रहा था जैसे अभी खून टपक पड़ेगा, स्लिम जिस्म पे गोल गोल मुम्मे उसकी शर्ट में बहुत टाइट नज़र आ रहे थे | गांड के बट्स के उपर उभरी हुई सलवार कितनी सेक्सी लग रही थी | दीदी चलती तो गांड पे लंबी चोटी जैसे दीदी की गांड को थपथपा रही हो, गोल घुटने, लंबी गर्दन, आगे से लटकते थोड़े थोड़े कट किये हुए बाल दीदी की गोरी गालों पे कितने खूबसूरत लग रहे थे, आज पहली बार मैंने दीदी के जिस्म के एक एक हिस्से की अपनी आँखों से तलाशी ली थी |

दीदी की स्लिम बॉडी पे अगर कोई हिस्सा उभरा नज़र आता था तो वो दीदी की शर्ट में टाइट धइले और पीछे से उभरी हुई गांड बाकी सारा जिस्म लंबा पतला था | मेरा ध्यान दीदी के जिस्म की तरफ था और मेरा लंड दीदी की सेक्सी बॉडी देख के करेंट पकड़ रहा था लेकिन दीदी इधर उधर देख रही थी | शायद देख रही थी कि हमे घर ले जाने वाली स्कूल बस निकल चुकी थी | फिर दीदी ने मेरी तरफ देखा और मुझे उस के लाल हुए जिस्म की तरफ इतने ध्यान से देखता देख के पहले आँखों के इशारे से पूछा फिर बोली “क्या है”? | मैं कुछ नही बोला | उसकी तरफ देखता रहा | चोर की दाढी में तिनका, जैसे उसे अपने पकड़े जाने की टेंशन होने लगी थी |

दीदी फिर बोली “दीपू, ऐसे मेरी तरफ क्या देख रहा है”?

मैं “दीदी बस कहाँ है”?

दीदी ने अपने लेफ्ट छाती पे हाथ रखा और ठंडी सांस लेते बोली “बस शायद चली गई हम लोग लेट हो गए, चलो रिक्शा से जाना पड़ेगा”


रिक्शा पे मैं दीदी के साथ सटके बैठ गया | आज पहली बार मुझे दीदी के करीब बैठने में बहोत मज़ा आ रहा था | रिक्शा पे बैठे बैठे भी मेरा ध्यान दीदी की गोल गोल गोरी गोरी लंबी टांगों पे ही जा रहा था और पेंट के अंदर मेरा लंड तंबू मे बम्बू की तरह खड़ा बेकाबू हो रहा था लेकिन मैंने पेंट की पॉकेट में हाथ डाल के अपने लंड को दबा रखा था | मेरा दिल चाह रहा था कि मैं किसी तरह दीदी की थाई पे हाथ रखूं | लेकिन डर भी रहा था फिर रास्ते में सड़क खराब होने की वजह से रिक्शा पे झटका लगा तो मैंने झट से अपने राईट हैण्ड से दीदी की लेफ्ट थाई को पकड़ लिया | मेरा लेफ्ट हैण्ड अपनी पॉकेट में लंड को पकड़े हुए था लेकिन अगले ही झटके में मुझे लेफ्ट हैण्ड को भी पॉकेट से बाहर निकाल के एक साइड से रिक्शा को पकड़ना पड़ा | अब मैंने एक हाथ से दीदी की लेफ्ट थाई को पकड़ा था और दूजे हाथ से लेफ्ट साइड से रिक्शा का किनारा | मेरा लंड पेंट में तना हुआ अब सॉफ नज़र आ रहा था | दीदी के कुछ ना बोलने की वजह से मेरा हौसला बढता गया, मेरा ध्यान दीदी की टांगों और अपने हाथ की पोज़िशन पे था और दिल धक धक कर रहा था | रिक्शा टूटी हुई सड़क पे जा रही थी और झटके लग रहे थे | इन्ही झटकों की हेल्प से मेरी कोशिश अपने हाथ को दीदी की चूत की तरफ सरकाने की थी और काफ़ी हाथ दीदी की चूत के करीब चला भी गया | जैसे मेरा हाथ दीदी की चूत की तरफ सरकता तो सलवार मेरे हाथ के आगे अटकी होने के कारण दीदी के गोरे गोल नंगे घुटने भी दिखाई देने लगे थे | मेरा हाथ दीदी की टांग और थाई के जॉइंट पे पहुँच चुका था लेकिन इससे आगे जाने की हिम्मत नही हो रही थी | मैंने टेढी आँख से देखा तो दीदी का ध्यान मेरे लेफ्ट साइड से तंबू की तरह उठी मेरी पेंट पे था | मेरी ग़लती, कि मैने अपनी आँखे दीदी की आँखों में डाल ली तभी दीदी चौंकी और बोली “दीपू अब रास्ता सही है आराम से बैठ” | मेरे उसकी जांघ से हाथ उठाते ही दीदी उपर उठ के अपनी कमीज़ और सलवार सेट करने लगी थी और हम घर के करीब भी पहुँच चुके थे | मेरा सारा मूड खराब हो चुका था | घर पहुँचते ही दीदी अपने कपड़े उठाके टॉयलेट में चली गई और फिर 15-20 मिनिट के बाद कपड़े चेंज करके ही पंजाबी सूट में बाहर निकली | दिखने में वो अब कुछ रिलैक्स लग रही थी |
Baher ke ladke ko maje Kara rahi hai aur khud ke bhai ko tadpa rahi hai
 
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Baher ke ladke ko maje Kara rahi hai aur khud ke bhai ko tadpa rahi hai
Ji abhi tak to aisa hi hai

par vishi ki niyati ko kaun padh paya hai !!!!!!!!!!!!!

dekho aage hota hai kya
 
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