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Incest तीनो की संमति से .....

Funlover

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मेरे सभी पाठको को से एक नम्र निवेदन आवेदन अरजी request या फिर जो भी आप समजते है

आप मेरी द्वारा लिखी गई कहानी आप को मनोरंजन देती है मै नहीं

कृपया मुझे अपना मनोरंजन का साधन ना समजे उसी में सब की भलाई है ( मेरी भी और आपकी भी)

अपने आप को कंट्रोल में रखना आप का काम है मेरा नहीं

जैसे आप कहानी पढ़ के मनोरंजित होते है वैसे ही दूसरी महिलाए भी अपने आप को मनोरंजीत करने आती है अपनी नुमाईश या अपने शरीर द्वारा आप का मनोरंजन करने नहीं

महिलाओं को अभी उतना ही हक है जितना आपको है महिला को सन्मान दीजिये


अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो आप को निवेदन है की मेरा ये थ्रेड आपके लिए उचित नहीं है .............................

आप कहानी पे किसी भी पात्र पे कोई भी कोमेंट करे लेकिन लिखनेवाले पे नहीं ..........

आप की हर कोमेंट आवकार्य है बस थोडा सा कंट्रोल के साथ ....


आप सब की आभारी हु ......
 
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रात को
मैं मम्मी और दीदी इसी तरह हँसी मज़ाक करते रहे। तभी दीदी उठकर अपने रूम में चली गई। कुछ देर बाद मैं भी उठकर दीदी के रूम में जाने लगा।

तभी मम्मी ने मुझे रोक कर कहा-“दीपू, आज पूजा कितनी खुश है और ये सब तेरे कारण है। तूने उसे कितनी खुशी दी, जिसके लिये मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं। बस तुम उसे हमेशा ऐसे ही खुश रखना…” और मम्मी ने खुश होकर मुझे होंठों पर किस कर लिया।

और जब मैंने भी मम्मी को वापिस उसके होंठों पर किस किया और अपने हाथ पीछे लेजाकर मम्मी की बड़ी-बड़ी गाण्ड को थपथपा दिया।

मेरे द्वारा मम्मी के होंठों पर किस और उसकी गाण्ड पर मेरा हाथ पड़ने से मम्मी भी गरम हो उठी और अपनी चूत मेरे खड़े लण्ड पर रगड़ने लगी।

लेकिन मैंने मम्मी को अपने आपसे अलग किया और दीदी के कमरे की तरफ बढ़ गया। पूजा दीदी बिस्तर में थी, लेकिन जाग रही थी। मैंने उसको बाहों में भरकर जोर से होंठों पर किस किया और चूची भी मसल डाली। अब मेरी प्यारी दीदी को पता चल गया था की उसका भाई अब उसकी चूत का दीवाना है और उसने अपने जीजा की जगह ले ली है। दीदी को खूब चूमने के बाद मैं उतेजित हो गया। दीदी नहाने चली गई। जब वो बाहर निकली तो एक सफेद नाइटी पहने हुई थी और नीचे कोई पैंटी नहीं थी,


दीदी: “मोम से बात हुई” ?

दीपू ”अब वो मेरी सांस है तो बात तो करनी ही पड़ेगी ना” लेकिन अभी वो टाइम नहीं हुआ अभितो तेरी चूत का बड़ा सा भोसडाबना है, तुम्हारी गांड और चूत दोनों अब एक करनी है

मैं-“आज से तुमको अपनी बाहों में सुलाऊूँगा, देखना कितना मज़ा आता है…” रात को व्हिस्की लेकर आऊूँगा, मम्मी से चोरी-चोरी। हम थोड़ी सी पी लेंगे अगर मेरी प्यारी दीदी चाहेगी तो। सच दीदी, बहुत सुंदर हो तुम। तेरा हुश्न मेरे दिल का क्या हाल बना रहा है, मुझसे पूछो…”

दीदी शर्म से लाल हो रही थी। फिर मैं किसी ज़रूरी काम से कुछ देर के लिये घर से बाहर चला गया। मैं जानता था कि मेरे आने तक उसकी चूत मचल रही होगी चुदने के लिए। बाहर जाते हुए मैंने दीदी और माँ को सारा प्लान बता दिया और वो शरारती ढंग से मुश्कुराने लगीं।

रात जब मैं वापिस लौटा तो दीदी मेरा इंतजार ऐसे कर रही थी जैसे कोई पत्नी अपने पति का इंतजार करती है। मुझ पर हवस का भूत सवार था। मैंने दीदी को बाहों में भर लिया और चूमने लगा। दीदी के जिश्म पर मेरे हाथों का स्पर्श उसपर जादू कर रहा था। फिर मैंने ग्लास में व्हिस्की डाली और दीदी को ग्लास पकड़ा दिया।

दीदी बिना कुछ बोले पी गई। थोड़ी देर में नशा होने की वजह से दीदी के अंदर वासना ने जोर पकड़ लिया लगता था। मैंने अपना हाथ दीदी की चूत पर रखा और उसको रगड़ने लगा।

मैंने कहा-“दीदी, मैं जानता हूँ की जीजाजी ने तुझे प्यार नहीं किया। तुझे प्यासी छोड़ा था अब तुम्हारी इस मस्त जवानी पर मेरा हक है और मैं तुम्हारी इस जवानी का पूरा मज़ा लेकर पीऊँगा…” दूसरा पेग पीकर मैंने दीदी को अपनी गोद में बिठाया और उसके जिश्म को नाइटी के ऊपर से सहलाने लगा

दीदी के मस्त चूतड़ बहुत गुदाज थे और मेरा लण्ड उनके चूतड़ में घुसने लगा।

दीदी-“दीपू, मुझे तेरा चुभ रहा है। उई… बस कर…”

मैं-“हाए मेरी जान, क्या चुभ रहा है तुझे? ये तो तुझे प्यार कर रहा है तेरी इस मस्त चूतड़ों को चूम रहा है। दीदी क्या तुम मेरे लण्ड को प्यार करोगी? इसको सहलाओगी? दीदी मैं भी तेरे जिश्म को चूमून्गा, चाटूगा, इतने प्यार से जितने प्यार से किसी ने भी न चूमा होगा…” मैं अब पूजा दीदी के जिश्म के हर अंग को प्यार से सहला रहा था।

और दीदी भी गरम हो रही थी-“हाए मेरे भैया, तुम ही अब मेरे सैंया हो, उस कुत्ते का नाम मत लो, मेरे भाई। उसने मुझे इतना दर्द दिया है की बता नहीं सकती। मुझे इस प्यार से भी डर लगने लगा है… मुझे दर्द ना पहुँचाना, मेरे भाई…”

मैंने देखा की दीदी गरम है, तो मैंने दीदी की नाइटी ऊपर उठाई और उसका जिश्म नंगा कर दिया। मेरी बहन का गुलाबी जिश्म बहुत कातिलाना लगता था। पूजा दीदी की जांघें केले की तरह मुलायम थीं और उसके चूतड़ बहुत सेक्सी थे। सफेद जा और पैंटी में दीदी बिल्कुल हीरोइन लग रही थी। मैं अपना मुँह दीदी के सीने पर रखकर उसकी चूचियों को किस करने लगा।

दीदी ने आँखें बंद की हुई थी और वो सिसकियां भरने लगी।

मैंने दीदी का हाथ अपने लण्ड पर रख दिया। दीदी अपना हाथ खींचने लगी तो मैं बोला-“दीदी, इसको मत छोड़ो, पकड़ लो अपने भाई के लण्ड को। ये तुझे दर्द नहीं देगा, बल्की सुख देगा। तुम मेरी बीवी बन जाओ और फिर जवानी के मज़े लूट लो आज की रात। मेरा लण्ड अपनी बहन की प्यारी चूत को स्वर्ग के मज़े देगा। अगर मैंने तुझे दर्द होने दिया तो कभी मुझसे बात मत करना। मेरी रानी बहना ये लण्ड तुझे हमेशा खुश रखेगा…”

दीदी कुछ ना बोली लेकिन उसने मेरा लण्ड पकड़े रखा। मेरा लण्ड किसी कबूतर की तरह फड़फडा रहा था, अपनी बहन के हाथ में। मैंने फिर दीदी की ब्रा को खोल दिया और उसकी चूची मस्ती से भर के मेरे हाथों में झूल उठी। दीदी के स्तन बहुत मस्त हैं।

दीदी-“अह्ह… ऊऊह्ह… दीपू क्या कर रहे हो?” वो सिसकी।

मैं-“क्यों दीदी, अपने भाई का स्पर्श अच्छा नहीं लगा?” मैंने दीदी की गुलाबी चूची पर काली निपल को रगड़कर कहा…”

दीदी-“अच्छा लगा दीपू, लेकिन ऐसा पहले कभी महसूस नहीं हुआ है मुझे। ऐसा अनुभव पहली बार हो रहा है…”

मैंने हैरानी से पूछ लिया-“क्यों दीदी, क्या जीजाजी ऐसे नहीं करते थे तुझे प्यार?” हाला की ये मेरी गलती थी जब जानते हुए भी


बने रहिये
 

Rajizexy

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रात को
मैं मम्मी और दीदी इसी तरह हँसी मज़ाक करते रहे। तभी दीदी उठकर अपने रूम में चली गई। कुछ देर बाद मैं भी उठकर दीदी के रूम में जाने लगा।

तभी मम्मी ने मुझे रोक कर कहा-“दीपू, आज पूजा कितनी खुश है और ये सब तेरे कारण है। तूने उसे कितनी खुशी दी, जिसके लिये मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं। बस तुम उसे हमेशा ऐसे ही खुश रखना…” और मम्मी ने खुश होकर मुझे होंठों पर किस कर लिया।

और जब मैंने भी मम्मी को वापिस उसके होंठों पर किस किया और अपने हाथ पीछे लेजाकर मम्मी की बड़ी-बड़ी गाण्ड को थपथपा दिया।

मेरे द्वारा मम्मी के होंठों पर किस और उसकी गाण्ड पर मेरा हाथ पड़ने से मम्मी भी गरम हो उठी और अपनी चूत मेरे खड़े लण्ड पर रगड़ने लगी।

लेकिन मैंने मम्मी को अपने आपसे अलग किया और दीदी के कमरे की तरफ बढ़ गया। पूजा दीदी बिस्तर में थी, लेकिन जाग रही थी। मैंने उसको बाहों में भरकर जोर से होंठों पर किस किया और चूची भी मसल डाली। अब मेरी प्यारी दीदी को पता चल गया था की उसका भाई अब उसकी चूत का दीवाना है और उसने अपने जीजा की जगह ले ली है। दीदी को खूब चूमने के बाद मैं उतेजित हो गया। दीदी नहाने चली गई। जब वो बाहर निकली तो एक सफेद नाइटी पहने हुई थी और नीचे कोई पैंटी नहीं थी,


दीदी: “मोम से बात हुई” ?

दीपू ”अब वो मेरी सांस है तो बात तो करनी ही पड़ेगी ना” लेकिन अभी वो टाइम नहीं हुआ अभितो तेरी चूत का बड़ा सा भोसडाबना है, तुम्हारी गांड और चूत दोनों अब एक करनी है

मैं-“आज से तुमको अपनी बाहों में सुलाऊूँगा, देखना कितना मज़ा आता है…” रात को व्हिस्की लेकर आऊूँगा, मम्मी से चोरी-चोरी। हम थोड़ी सी पी लेंगे अगर मेरी प्यारी दीदी चाहेगी तो। सच दीदी, बहुत सुंदर हो तुम। तेरा हुश्न मेरे दिल का क्या हाल बना रहा है, मुझसे पूछो…”

दीदी शर्म से लाल हो रही थी। फिर मैं किसी ज़रूरी काम से कुछ देर के लिये घर से बाहर चला गया। मैं जानता था कि मेरे आने तक उसकी चूत मचल रही होगी चुदने के लिए। बाहर जाते हुए मैंने दीदी और माँ को सारा प्लान बता दिया और वो शरारती ढंग से मुश्कुराने लगीं।

रात जब मैं वापिस लौटा तो दीदी मेरा इंतजार ऐसे कर रही थी जैसे कोई पत्नी अपने पति का इंतजार करती है। मुझ पर हवस का भूत सवार था। मैंने दीदी को बाहों में भर लिया और चूमने लगा। दीदी के जिश्म पर मेरे हाथों का स्पर्श उसपर जादू कर रहा था। फिर मैंने ग्लास में व्हिस्की डाली और दीदी को ग्लास पकड़ा दिया।

दीदी बिना कुछ बोले पी गई। थोड़ी देर में नशा होने की वजह से दीदी के अंदर वासना ने जोर पकड़ लिया लगता था। मैंने अपना हाथ दीदी की चूत पर रखा और उसको रगड़ने लगा।

मैंने कहा-“दीदी, मैं जानता हूँ की जीजाजी ने तुझे प्यार नहीं किया। तुझे प्यासी छोड़ा था अब तुम्हारी इस मस्त जवानी पर मेरा हक है और मैं तुम्हारी इस जवानी का पूरा मज़ा लेकर पीऊँगा…” दूसरा पेग पीकर मैंने दीदी को अपनी गोद में बिठाया और उसके जिश्म को नाइटी के ऊपर से सहलाने लगा

दीदी के मस्त चूतड़ बहुत गुदाज थे और मेरा लण्ड उनके चूतड़ में घुसने लगा।

दीदी-“दीपू, मुझे तेरा चुभ रहा है। उई… बस कर…”

मैं-“हाए मेरी जान, क्या चुभ रहा है तुझे? ये तो तुझे प्यार कर रहा है तेरी इस मस्त चूतड़ों को चूम रहा है। दीदी क्या तुम मेरे लण्ड को प्यार करोगी? इसको सहलाओगी? दीदी मैं भी तेरे जिश्म को चूमून्गा, चाटूगा, इतने प्यार से जितने प्यार से किसी ने भी न चूमा होगा…” मैं अब पूजा दीदी के जिश्म के हर अंग को प्यार से सहला रहा था।

और दीदी भी गरम हो रही थी-“हाए मेरे भैया, तुम ही अब मेरे सैंया हो, उस कुत्ते का नाम मत लो, मेरे भाई। उसने मुझे इतना दर्द दिया है की बता नहीं सकती। मुझे इस प्यार से भी डर लगने लगा है… मुझे दर्द ना पहुँचाना, मेरे भाई…”

मैंने देखा की दीदी गरम है, तो मैंने दीदी की नाइटी ऊपर उठाई और उसका जिश्म नंगा कर दिया। मेरी बहन का गुलाबी जिश्म बहुत कातिलाना लगता था। पूजा दीदी की जांघें केले की तरह मुलायम थीं और उसके चूतड़ बहुत सेक्सी थे। सफेद जा और पैंटी में दीदी बिल्कुल हीरोइन लग रही थी। मैं अपना मुँह दीदी के सीने पर रखकर उसकी चूचियों को किस करने लगा।

दीदी ने आँखें बंद की हुई थी और वो सिसकियां भरने लगी।

मैंने दीदी का हाथ अपने लण्ड पर रख दिया। दीदी अपना हाथ खींचने लगी तो मैं बोला-“दीदी, इसको मत छोड़ो, पकड़ लो अपने भाई के लण्ड को। ये तुझे दर्द नहीं देगा, बल्की सुख देगा। तुम मेरी बीवी बन जाओ और फिर जवानी के मज़े लूट लो आज की रात। मेरा लण्ड अपनी बहन की प्यारी चूत को स्वर्ग के मज़े देगा। अगर मैंने तुझे दर्द होने दिया तो कभी मुझसे बात मत करना। मेरी रानी बहना ये लण्ड तुझे हमेशा खुश रखेगा…”

दीदी कुछ ना बोली लेकिन उसने मेरा लण्ड पकड़े रखा। मेरा लण्ड किसी कबूतर की तरह फड़फडा रहा था, अपनी बहन के हाथ में। मैंने फिर दीदी की ब्रा को खोल दिया और उसकी चूची मस्ती से भर के मेरे हाथों में झूल उठी। दीदी के स्तन बहुत मस्त हैं।

दीदी-“अह्ह… ऊऊह्ह… दीपू क्या कर रहे हो?” वो सिसकी।

मैं-“क्यों दीदी, अपने भाई का स्पर्श अच्छा नहीं लगा?” मैंने दीदी की गुलाबी चूची पर काली निपल को रगड़कर कहा…”

दीदी-“अच्छा लगा दीपू, लेकिन ऐसा पहले कभी महसूस नहीं हुआ है मुझे। ऐसा अनुभव पहली बार हो रहा है…”

मैंने हैरानी से पूछ लिया-“क्यों दीदी, क्या जीजाजी ऐसे नहीं करते थे तुझे प्यार?” हाला की ये मेरी गलती थी जब जानते हुए भी


बने रहिये
Super duper sexy👙👠💋 update didi, u r a gr8 writer.
💯💯💯💯💯
👌👌👌👌
💦💦💦

Kabutar wow
 
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मम्मी के चेहरे पर आज अलग ही तरह की मुश्कान थी। हमें अंदर बुलाते हुये मम्मी ने कहा-“पूजा, अब तू दामाद जी के साथ आई है, या फिर दीपू मेरे लिए बहू लेकर आया है?”

मम्मी की बात सुनकर मैंने शर्म से अपनी आँखें नीची कर ली।

दीदी मेरी ओर देखकर मम्मी के गले मिलती हुई बोली-“मम्मी, अभी तो मैं इसे लेकर आई हूँ, तो इस नाते ये तुम्हारा दामाद हुआ और जब ये मुझे लेकर आएगा तब तुम समझ लेना की दीपू तुम्हारी बहू लेकर आया है…” और इतना कहकर वो दोनों हूँसने लगी।

मैंने देखा की मम्मी ने दीदी के धइले पर हाथ रखते हुए कान में फुसफुसाई “क्या तेरा सही इस्तमाल हुआ की नहीं ?”

पूजा ने भी ऐसे ही जवाब दिया “मम्मी सब सुजा पड़ा है”

और एक जोरदार दोनों के मुह से अटहास्य निकला

मम्मी: चलो दामादजी अब अन्दर नहीं आओगे ?

मै: मम्मी हम अन्दर ही है आपको शायद ध्यान में नहीं है

मा: शायद आपको ध्यान में नहीं है दामादजी!!!! दामादजी पे भार रखते हुए

मै: मोम क्या आज मेरी ही लेकने की बारी है तो मै ऊपर जाऊ

“हा हा जाओ और सब कुछ रेडी कर लो” मोम ने टोंट मारते हुए कहा

मुझे वहां से खिसक जाना ही बेहतर लगा



आजा मेरी बच्ची कह के मा ने पूजा को गले लगाया और उसके पेट के निचले हिस्से पे हाथ रखते हुए पूछा “क्या खबर लायी है ? फुग्गा फूलेगा ?”

“अरे मा अभी तो उसको शांति मिली है सालो के बाद मै नहीं चाहती की अभी से मेरा फुग्गा फुले”

“हा बेटे जहा इतनी देर हुई है थोड़ी और सही” मा ने आँख मिच्कारते हुए कहा तो दीदी शर्मा गई

वो सब तो ठीक है बेटे बाकी सब ठीक हुआ न जैसा तू चाहती थी या हम चाहते थे कैसा है दीपू “

“मा अब मै तुम्हे क्या बताऊ कैसा है दीपू ये संजो की मैंने बहोत बड़ी गलती की थी उस दिन वर्ना आज उतनी देर नहीं हुई होती मै कब की उसके बच्चे की मा बन गई होती”

“क्या कड़क माल है मा उसका”

बस बस ज्यादा नहीं

माने दीदी की गांड को मसलते हुए कहा “इसकी खबर ली गई है या बाकि है अगर बाकी है तो दीपू को कह देती हु की अभी सब छेद सही नहीं हुए”

किस की मा “गांड की” कोई छोड़ता है भला

मोम एक बात बता दू की दीपू सही मर्द है और उसने मेरा हर पुर्जा ढीला कर दिया है मेरी चूत अब उसके लंड की साइज़ की बना दी है और अब बाकि सब फुग्गे उस के लंड से ही फुलेगे”

“ठीक है ठीक है ज्यादा प्रशंसा मत कर”

दीदी ने मा के कुल्हे पे हाथ रख के बोली “आप को भी टेस्ट कर ही लेना चाहिए तो मुज से पूछ ने की जरुरत नहीं पड़ेगी हा थोडा चलने में तकलीफ कर देगी”

चल जा बा यहाँ से बोल के मम्मी ने उसके हाथ अपने कुल्हे से हटा दिए और रसोई के अन्दर चल ने को निकल गई पर मुझे ऐसा लग रहा था की दीदी ने इसके स्तन को थोड़े टटोल दिए थे और मा ने एक हलकी सी आह निकाल के बोली “बहन और भाई दोनों अब बदमाश है”

लेकिन अब मुझे ये बता की रमेश वह सब सही रहे थे ना कुछ गर्बाद तो नहीं की

नहीं मा ऐसा कुछ नहीं किया बल्कि हम साथ ही रहे और सब कुछ उनके सामने हुआ लेकिन .....

लेकिन क्या बेटे ?????

कुछ नहीं मोम

अब बता भोसड़ीकी रहा नहीं जाएगा जाने बगैर

अब वो मा बस ऐसे ही अब क्या बताऊ ??

बोल ना भाई लोडी

“रमेश आप को नंगा देखना चाहता है” “और यही बात थी जब उन्हों ने पहले कहा था की सब बाते कर ली ना “
क्या ..................... रंडी का बच्चा लंड उठता नहीं और मुझे ......... छी गन्दा साला



मोम मैंने वादा किया था अगर दीपू से चुदवा लू तो कम एस कम एक बार मा को आपके सामने नंगा कर दूंगी

क्या ये गलत है समज में अत है तुम दोनों को ???

मा हम ने जो किया वो भी गलत ही तो था फिर भी आपने परमिशन दी थी

मादरचोद वो बच्चे के लिए थी नहीं की वासना के लिए

मा वासना ना हो तो बच्चा कैसे होगा ?

हां वो भी है

देख पूजा वादा तो नहीं करती पर कोशिश करुँगी लेकिन सही समय आने पर

और मा दीपू के बारे में क्या सोचा है आपने ??

सोचना क्या है ???

मै चाहती हु की आपकी भूख वोही तोड़ सकता है

पागल लड़की ये गलत सोच कब से पाल ली

जब से दिपू ने चोदते हुए कहा

क्या उसने मेरे बारे में कहा ऐसा ???????????? चुटिया है क्या वो

फिर दीदी ने चुदाई की सब घटना बता दी

ओ बाप रे तुम दोनों मुझे भी ले लोगे ??? या अपनी चुदाई में मुझे भी शामिल या मेरे बारे में बाते करते हुए और वो भी रमेश के सामने !!!!!!!!!! शर्म से लाल हो गई

हा मोम अब जो था वो बता दिया

वैसे एक बात बता मेरी बात होती थी तब दीपू का क्या रिअक्शन था

और जोर से चोदता था मुझे और तुम्हारे बारे में सोच के

मुझे लगा की दीदी कुछ ज्यादा ही मसाला डाल रही थी उस बात को लेके

मोम मुझे पता है आप कब से भूखी है और अब इसका इलाज है

रमेश chat देगा तुम्हारी तो दीपू तुम्हारी परी की सेवा कर देगा पीछेवाली भी

बंध कर तेरी ये बकवास

थोड़ी देर के बाद मा थोड़ी ढीली हुई “तो दीपू की भी वहीच्छा है ?“

मा अब जाने दो जहा छह नहीं वह राह नहीं

मम्मी थोड़ी निराश हुई तो दीदी ने मम्मी की गांड की दरार को नापते हुए बोली “लेकिन चाह तो है”

मम्मी थोड़ी मुस्कुराई और बोली “ अब तुमने ये सब और उतना सब बता के मेरी सोई हुई आग जला दी”

तो हां शायद चाह है अब राह तुम दोनों देखोगे मेरे लिए और थोड़ी मुश्कुराई और शरमाई भी

दीदी: "बस तुम्हारी चाह है तो राह अपने आप बनेगी मा" और मा की गांड के दरार में अपनी ऊँगली डाल दी जो मा ने उसे हटा के बोली

अब ये सब तेरे लिए नहीं है बेटी दीपू..................

और वो दोनों अपने कुल्हे मटकाए हुए रसोई में चली गई | हाला की दोनों के हाथ एकदूसरे के कुल्हे पे ही रखे हुए थे

पता नहीं अन्दर जाके मा बेटी ने क्या किया लेकिन शाम को मा कुछ ज्यादा ही खुश लग रही थी जब की दीदी ने मुझे इशारे से कह दिया की रास्ता साफ़ है ..........


रात को

रात को
मैं मम्मी और दीदी इसी तरह हँसी मज़ाक करते रहे। तभी दीदी उठकर अपने रूम में चली गई। कुछ देर बाद मैं भी उठकर दीदी के रूम में जाने लगा।

तभी मम्मी ने मुझे रोक कर कहा-“दीपू, आज पूजा कितनी खुश है और ये सब तेरे कारण है। तूने उसे कितनी खुशी दी, जिसके लिये मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं। बस तुम उसे हमेशा ऐसे ही खुश रखना…” और मम्मी ने खुश होकर मुझे होंठों पर किस कर लिया।

और जब मैंने भी मम्मी को वापिस उसके होंठों पर किस किया और अपने हाथ पीछे लेजाकर मम्मी की बड़ी-बड़ी गाण्ड को थपथपा दिया।

मेरे द्वारा मम्मी के होंठों पर किस और उसकी गाण्ड पर मेरा हाथ पड़ने से मम्मी भी गरम हो उठी और अपनी चूत मेरे खड़े लण्ड पर रगड़ने लगी।

लेकिन मैंने मम्मी को अपने आपसे अलग किया और दीदी के कमरे की तरफ बढ़ गया। पूजा दीदी बिस्तर में थी, लेकिन जाग रही थी। मैंने उसको बाहों में भरकर जोर से होंठों पर किस किया और चूची भी मसल डाली। अब मेरी प्यारी दीदी को पता चल गया था की उसका भाई अब उसकी चूत का दीवाना है और उसने अपने जीजा की जगह ले ली है। दीदी को खूब चूमने के बाद मैं उतेजित हो गया। दीदी नहाने चली गई। जब वो बाहर निकली तो एक सफेद नाइटी पहने हुई थी और नीचे कोई पैंटी नहीं थी,


दीदी: “मोम से बात हुई” ?

दीपू ”अब वो मेरी सांस है तो बात तो करनी ही पड़ेगी ना” लेकिन अभी वो टाइम नहीं हुआ अभितो तेरी चूत का बड़ा सा भोसडाबना है, तुम्हारी गांड और चूत दोनों अब एक करनी है

मैं-“आज से तुमको अपनी बाहों में सुलाऊूँगा, देखना कितना मज़ा आता है…” रात को व्हिस्की लेकर आऊूँगा, मम्मी से चोरी-चोरी। हम थोड़ी सी पी लेंगे अगर मेरी प्यारी दीदी चाहेगी तो। सच दीदी, बहुत सुंदर हो तुम। तेरा हुश्न मेरे दिल का क्या हाल बना रहा है, मुझसे पूछो…”

दीदी शर्म से लाल हो रही थी। फिर मैं किसी ज़रूरी काम से कुछ देर के लिये घर से बाहर चला गया। मैं जानता था कि मेरे आने तक उसकी चूत मचल रही होगी चुदने के लिए। बाहर जाते हुए मैंने दीदी और माँ को सारा प्लान बता दिया और वो शरारती ढंग से मुश्कुराने लगीं।

रात जब मैं वापिस लौटा तो दीदी मेरा इंतजार ऐसे कर रही थी जैसे कोई पत्नी अपने पति का इंतजार करती है। मुझ पर हवस का भूत सवार था। मैंने दीदी को बाहों में भर लिया और चूमने लगा। दीदी के जिश्म पर मेरे हाथों का स्पर्श उसपर जादू कर रहा था। फिर मैंने ग्लास में व्हिस्की डाली और दीदी को ग्लास पकड़ा दिया।

दीदी बिना कुछ बोले पी गई। थोड़ी देर में नशा होने की वजह से दीदी के अंदर वासना ने जोर पकड़ लिया लगता था। मैंने अपना हाथ दीदी की चूत पर रखा और उसको रगड़ने लगा।

मैंने कहा-“दीदी, मैं जानता हूँ की जीजाजी ने तुझे प्यार नहीं किया। तुझे प्यासी छोड़ा था अब तुम्हारी इस मस्त जवानी पर मेरा हक है और मैं तुम्हारी इस जवानी का पूरा मज़ा लेकर पीऊँगा…” दूसरा पेग पीकर मैंने दीदी को अपनी गोद में बिठाया और उसके जिश्म को नाइटी के ऊपर से सहलाने लगा

दीदी के मस्त चूतड़ बहुत गुदाज थे और मेरा लण्ड उनके चूतड़ में घुसने लगा।

दीदी-“दीपू, मुझे तेरा चुभ रहा है। उई… बस कर…”

मैं-“हाए मेरी जान, क्या चुभ रहा है तुझे? ये तो तुझे प्यार कर रहा है तेरी इस मस्त चूतड़ों को चूम रहा है। दीदी क्या तुम मेरे लण्ड को प्यार करोगी? इसको सहलाओगी? दीदी मैं भी तेरे जिश्म को चूमून्गा, चाटूगा, इतने प्यार से जितने प्यार से किसी ने भी न चूमा होगा…” मैं अब पूजा दीदी के जिश्म के हर अंग को प्यार से सहला रहा था।

और दीदी भी गरम हो रही थी-“हाए मेरे भैया, तुम ही अब मेरे सैंया हो, उस कुत्ते का नाम मत लो, मेरे भाई। उसने मुझे इतना दर्द दिया है की बता नहीं सकती। मुझे इस प्यार से भी डर लगने लगा है… मुझे दर्द ना पहुँचाना, मेरे भाई…”

मैंने देखा की दीदी गरम है, तो मैंने दीदी की नाइटी ऊपर उठाई और उसका जिश्म नंगा कर दिया। मेरी बहन का गुलाबी जिश्म बहुत कातिलाना लगता था। पूजा दीदी की जांघें केले की तरह मुलायम थीं और उसके चूतड़ बहुत सेक्सी थे। सफेद जा और पैंटी में दीदी बिल्कुल हीरोइन लग रही थी। मैं अपना मुँह दीदी के सीने पर रखकर उसकी चूचियों को किस करने लगा।

दीदी ने आँखें बंद की हुई थी और वो सिसकियां भरने लगी।

मैंने दीदी का हाथ अपने लण्ड पर रख दिया। दीदी अपना हाथ खींचने लगी तो मैं बोला-“दीदी, इसको मत छोड़ो, पकड़ लो अपने भाई के लण्ड को। ये तुझे दर्द नहीं देगा, बल्की सुख देगा। तुम मेरी बीवी बन जाओ और फिर जवानी के मज़े लूट लो आज की रात। मेरा लण्ड अपनी बहन की प्यारी चूत को स्वर्ग के मज़े देगा। अगर मैंने तुझे दर्द होने दिया तो कभी मुझसे बात मत करना। मेरी रानी बहना ये लण्ड तुझे हमेशा खुश रखेगा…”

दीदी कुछ ना बोली लेकिन उसने मेरा लण्ड पकड़े रखा। मेरा लण्ड किसी कबूतर की तरह फड़फडा रहा था, अपनी बहन के हाथ में। मैंने फिर दीदी की ब्रा को खोल दिया और उसकी चूची मस्ती से भर के मेरे हाथों में झूल उठी। दीदी के स्तन बहुत मस्त हैं।

दीदी-“अह्ह… ऊऊह्ह… दीपू क्या कर रहे हो?” वो सिसकी।

मैं-“क्यों दीदी, अपने भाई का स्पर्श अच्छा नहीं लगा?” मैंने दीदी की गुलाबी चूची पर काली निपल को रगड़कर कहा…”

दीदी-“अच्छा लगा दीपू, लेकिन ऐसा पहले कभी महसूस नहीं हुआ है मुझे। ऐसा अनुभव पहली बार हो रहा है…”

मैंने हैरानी से पूछ लिया-“क्यों दीदी, क्या जीजाजी ऐसे नहीं करते थे तुझे प्यार?” हाला की ये मेरी गलती थी जब जानते हुए भी


बने रहिये
Bohot mazedar update..... sexy dialog.... between mom and her son and daughter......

Keep writing...
 

Funlover

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Bohot mazedar update..... sexy dialog.... between mom and her son and daughter......

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Ye original kahani me nahi hai
Mere magaj ki paidash hai
Achchha laga to badhiya
Aage bhi thoda risk le sakti hu
 
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Rouny

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फिर “पुच्च पुच्च” की हल्की हल्की सी आवाज़ आने लगी | लग रहा था दीदी और रोहित पूरा मज़ा ले रहे हैं लेकिन वो तो मज़ा ले रहे थे मगर मुझे पहली बार पता नही क्यों यह सब सुनके अजीब सी फीलिंग हो रही थी | मेरा लंड पेंट में से उभरा हुआ नज़र आ रहा था और बहुत अच्छा लग रहा था |

मैं उनकी मस्ती भरी आवाज़ें सुनके ही मस्त हुआ जा रहा था तभी दीदी बोली “रोहित ...... अब इसे क्यों नीचे कर रहे हो” |?

रोहित : पेंटी उतारने दो ना प्लीज़ |

दीदी : पागल हो गए हो क्या.... मैं ऐसा कुछ नही करूँगी ... वो भी यहाँ |

रोहित : नही पूजा मैं ऐसा वैसा कुछ नही करूँगा लेकिन मुझे बस तुम्हारी पेंटी तो उतार के दे दो आज |

दीदी : ना... नही नही... मैं घर कैसे जाऊंगी |

रोहित : सलवार के नीचे से क्या पता चलेगा यार |

दीदी : नही मैं घर से दूसरी ला दूँगी .... यह रहने दो | वैसे भी गन्दी होगी|

रोहित : यार वो तो कल लाकर दोगी आज रात मैं क्या करूँगा प्लीज दे दो आज तुम्हारी इस पेंटी पर अपना माल निकालूँगा प्लीज जान |

मैं भी उनके मज़े के साथ पूरा मज़ा ले रहा था | तभी पीछे से मेरा दोस्त मोहित आ गया और बोला “दीपक तू यहाँ क्यों खड़ा है यार ... घर नही जाना”?

मैंने कहा “यार दीदी को ढूंड रहा हूँ” |

वो बोला “दीदी गेट पे तुमको ढूंड रही होगी ... चल गेट पे देखते हैं”

‘साले चूतिये ने सारा मज़ा खराब कर दिया’ यह सोचता मैं उसके साथ गेट की तरफ चला गया |

हम गेट के पास जाके खड़े हुए तो कुछ ही देर में दीदी भी उसी रूम की तरफ से गेट की तरफ भागी आ रही थी और बोली

“सॉरी दीपू मैं लेट हो गई” शायद मुझे एक्सक्यूस देना उसने ज़रूरी नही समझा | लेकिन उसकी सिलवट पड़ी शर्ट और लाल हुए होंठों से साफ़ पता चल रहा था कि वो अभी अभी कौनसा खेल खेल के आ रही थी | शायद उसने मेरी और मेरे दोस्त की बातचीत सुन ली थी | इसी लिए जल्दी से भाग के हमारे पीछे ही आ गई थी | आज मैं पहली बार अपनी दीदी को इतने ध्यान से देख रहा था | कितनी खूबसूरत थी मेरी बहन कितनी सेक्सी थी साली, किसी हेरोइन से कम नही लग रही थी | यु कही की परफेक्ट माल |




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अगर कही गलती दिखे तो कृपया ध्यान दोरियेगा ताकि आगे सही कर सकू
बहुत ही अच्छी शुरुआत
 

Rouny

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रात को जैसे ही मैं दीदी के रूम के पास से निकला | मुझे लगा कि दीदी किसी से बात कर रही है | जब मैंने ध्यान लगा कर सुना तो पता चला कि दीदी फ़ोन पर उसी लड़के रोहित से बात कर रही थी | मुझे उस लड़के की बात तो नही सुनाई दे रही थी पर दीदी की बात सुनाई रही थी |

दीदी : हाँ हाँ रोहित तुझे कहा ना कल दे दूँगी... तुझे अपनी पेंटी |

फिर दूसरी तरफ से उस लड़के ने कुछ कहा तो दीदी ने उस से कहा यार मैने डाल ली है अपनी वही लाल पेंटी जो सुबह डाली थी और दीदी उससे काफ़ी देर तक फ़ोन पर बातें करती रही | मेरा लंड ये बात सोचकर और भी हार्ड हो रहा था कि कल दीदी उसे अपनी यूज्ड पेंटी देगी और वो लड़का पता नही दीदी की यूज्ड पेंटी के साथ पता नही क्या करेगा |


सुबह जब दीदी मम्मी के बुलाने पर नाश्ते के लिए नीचे आई तो मैं बहाना बना कर उपर दीदी के रूम में गया और जल्दी से दीदी का पर्स खोल कर देखा उसमें दीदी की लाल पेंटी पड़ी थी | मैने एक बार उससे निकाला और अपने होंटो से लगा कर अपने लंड पर लगाया और जल्दी से उसे दीदी के पर्स में रख दिया | मैं अब रोज़ दीदी की हर हरकत को नोट करने लगा था,पता नही क्यों?

कैसा लगा आपको यह कहानी का ये एपिसोड? पसंद आये तो कमेंट जरुर दीजिएगा ...........ना आये तो भी कीजिये
Mast going
 

Rouny

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दीदी का थोड़ा सा भी नंगा जिस्म देखकर मुझे अब बहुत मज़ा आता था |



मुझे बहुत कुछ समझ आने लगा था तब मैंने पूरा होश नही संभाला था | मुझे सेक्स के बारे में कुछ ख़ास नही पता था | लेकिन लंड अक्सर अपने आप खड़ा होना शुरू हो जाता था | दोस्तों के साथ बात करते हमेशा यह जानने की कोशिश करता कि सेक्स कैसे करते हैं | लंड कहाँ डालते हैं लड़की के पीछे वाले छेद में या आगे वाले छेद में उसके बाद जब मुझे मुट्ठ मारने के मज़े का पता चला तो मैं हर वक़्त सेक्स के बारे में ही सोचता रहता था और मुट्ठ मारकर खूब मज़ा लेता था,वक़्त गुज़रता गया ,

मैं अपनी ही बहन का दीवाना हुआ जा रहा था | वैसे भी बाहर किसी लड़की की चूत देखना आसान नही था | इसलिए मैं घर में ही पूजा दीदी पे ट्राइ करने लगा | पहले पूजा दीदी मेरे सामने ही कपड़े चेंज कर लिया करती थी लेकिन जब से हम रिक्शा पे एक साथ आए थे तब से उसने भी थोड़ा हिचकिचाना शुरू कर दिया था | मेरी कोशिश यह रहती थी कि किसी तरह दीदी का बदन देखूं या पेंटी के अंदर झांकु कि चूत कैसी होती है!!! क्योंकि अब तक तो बस मुझे मुट्ठ मारने का पता था | मैंने कभी रियल में चूत नही देखी थी लेकिन अब दीदी भी नोटीस करने लगी थी कि मैं उसे टच करने की कोशिश करता हूँ |

मेरे दिमाग़ में अपनी दीदी को कैसे चोदना है इसकी प्लानिंग होनी शुरू हो गई थी | साली मेरी बहन किसी और से सेक्स का खेल खेल रही थी | मेरे दिमाग़ में यही चल रहा था कि इसको मैं ही चोदुंगा लेकिन कैसे यह उस वक़्त बहुत मुश्किल लग रहा था क्यॉंकि मेरे पास तो कोई टिप्स देने वाला भी नही था कि ऐसे करो या ऐसे ना करो फिर भी हिम्मत नही छोड़ी ,

रोहित हम दोनो बहन भाई का सीनियर था | उस को मैंने कई बार दूसरी लड़कियों के साथ भी देखा था | मुझे पता था कि वो मेरी बहन की चूत मारना चाहता है या फिर मारता भी है बस | लेकिन मेरी बहन को पता नही उस में क्या नज़र आया जितनी सेक्सी और खूबसूरत मेरी दीदी थी मुझे सारे स्कूल में ऐसी लड़की नज़र नही आती थी | सब लड़के उसके पीछे पीछे होते थे, लेकिन रोहित तो है भी कुछ खास नही था शायद उसमें लड़की को पटाने की कला थी | मेरी बहन इतनी सेक्सी थी कि उसने मुझे भी पागल किया हुआ था | सेक्स के मामले मे मैं बहुत गरम था | पता नही एक दिन में कितनी बार दीदी को सोचके मुट्ठ मारता था | बस उसी को दिमाग़ में रखकर वक़्त गुज़रता जा रहा था और मुझे यही डर रहता था कि कहीं मेरी बहन बाहर से किसी से ना चुद जाए | अगर ऐसा होगा या हुआ तो,



एक तो बदनामी, स्कूल में सब मेरा मज़ाक उड़ायेंगे,

दूसरा अगर मेरी बहन पेट से हो जाती तो आख़िर घरवालों को ही उसे सम्भालना पड़ता,

तीसरा पता नही दूसरी लड़कियों के साथ सेक्स करने वाला रोहित, उसके साथ सेक्स सेफ भी था या नही | हो सकता था कोई बीमारी वगेरा भी हो |

सुनने में यह भी आता था कि वो ड्रग्स भी लेता है | लड़कियों को पटाने में भी उसका रेकॉर्ड था | मेरे दिमाग़ में जब भी दीदी का रोहित के साथ चूमा चाटी वाला सीन आता तो मुझ से कंट्रोल नही हो पाता और मुझे उसी वक़्त मेरा लंड जवाब दे देता था और मुझे मुट्ठ लगानी पडती थी |

कुछ दिन बाद स्कूल में किसी लड़की ने मुझे बताया कि तुम्हारी दीदी अपने क्लास रूम में रो रही है | मैं वहां गया तो कुछ लडकियाँ उसे चुप करा रही थी | मैंने जाके उसका चेहरा अपने हाथों मे लेकर पूछा “क्या हुआ दीदी”?,


उसने मेरी तरफ देखा फिर मुझ से लिपट कर रोने लगी लेकिन कुछ बोली नही | दीदी अपना मुंह मेरी चेस्ट में छुपा रही थी | दीदी को अपनी बाहों में संभाल कर आज मुझे अजीब सी फीलिंग हो रही थी | ‘वाह!! क्या मज़ा आ रहा था मुझे | उसकी दोनो बड़ी बड़ी चूचियां मेरी चेस्ट के सामने पूरी तरह दब चुकी थीं | मेरा दिल धक धक कर रहा था |

मैंने ढीला सा रोने वाला मुंह बनाके बाकी लड़कियों को कहा, “आप लोग साइड पे हो जाओ प्लीज़” | पता नही कब मेरा एक हाथ दीदी की गांड, बट्स के उपर उसकी स्कर्ट पे था | फिर दूसरे लेफ्ट हैण्ड से मैं उसका चेहरा उपर करके पूछने लगा, “बताओ तो सही दीदी हुआ क्या है” | उसकी आँखें झुकी हुई थी | वो मेरी आँखों में आँखें नही डाल रही थी |


कितनी खूबसूरत थी मेरी बहन | उसका गोरा रंग लाल हो चुका था और एक एक आँसू उसकी गालों पे बहुत मज़े से चल रहा था | इस वक़्त मैं अपनी बहन की पूरी बॉडी और गरम साँसों को बिल्कुल करीब से महसूस कर रहा था | उसके धइले (जहा भी “धइले” शब्द आये बूब्स समजियेगा) उसकी ASS बट्स, उसका पेट, उसकी कमर, उसके होंठ तो मेरे होंठों के बिल्कुल करीब थे | दिल कर रहा था अभी चूस लूँ, दीदी के रस भरे होंठो को,लेकिन मज़बूर था | मैं इस सेक्सी पूजा दीदी का छोटा भाई था और सबके सामने कुछ भी नही कर सकता था | शुक्र है मैंने v-शेप अंडरवेयर पहन रखा था | उसमे मेरा लंड पूरा टाइट हुआ खड़ा था | अपनी बहन का देहकता बदन फील करके शायद मेरा लंड भी मुझ से कह रहा था कि बहन होगी तेरी, मेरा तो ये चोदने का समान है | वो रोई जा रही थी और मैं अपना मज़ा ले रहा था | कोई कुछ बता भी नही रहा था कि क्या हुआ है | फिर मैंने एक लड़की से पूछा कि आपको पता क्या हुआ | वो बोली पता नही रोहित और ऋतु का कोई चक्कर है | इन दोनो में कोई झगड़ा हुआ है और प्रिन्सिपल सर ने दोनो को वॉर्निंग दी है और कल अपने पेरेंट्स या गार्डियंस को साथ लाने को कहा है |
Nice update please keep it up👏👏👏
 

Rouny

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प्रिन्सिपल “देखो बेटा, हमारा मक़सद सिर्फ़ तुम को समझाना है और कुछ नही, टेंशन वाली कोई बात नही, इधर आओ बेटा मेरे पास” दीदी मेरी चेयर के पीछे खड़ी थी वो प्रिन्सिपल की बड़ी सारी ऑफीस टेबल की लेफ्ट साइड से घूमके प्रिन्सिपल की चेयर के पास जा के खड़ी हो गई | मैं प्रिन्सिपल के सामने बैठा था लेकिन ऑफीस टेबल के उस पार प्रिन्सिपल की चेयर को उपर से ही देख सकता था | प्रिन्सिपल ने दीदी का हाथ पकड़ा और बोला “देखो बेटा रोहित अच्छा लड़का नही है उसकी कंपनी तुम्हारे लिए अच्छी नही है .... अगर तुमको कोई परेशानी या किसी चीज़ की ज़रूरत है तो तुम सीधा मेरे ऑफीस में आ जाया करो”

फिर प्रिन्सिपल ने आज का न्यूज़ पेपर उठाया ओर मेरे सामने रखते हुए कहा, “देखो बेटा आज कल शहर में क्या क्या हो रहा है.... यह न्यूज़ पढके देखो ज़रा ....” मैंने अपनी आँखें न्यूज़ पेपर पे घुमानी शुरू कर दी इस बीच मेरी हल्की सी नज़र दीदी की तरफ गई | मैंने उसके फेस को देखा वो लाल हो रहा था | दीदी लंबी लंबी सांसें ले रही थी | जिससे उसकी शर्ट से उसकी चुचियां उपर नीचे होते बिल्कुल सॉफ दिखाई दे रहीं थीं | मुझे कुछ समझ ना आया जब मैंने थोड़ी नीचे नज़र डाली तो ऐसा लग रहा था कि दीदी की कमर के नीचे उसकी स्कर्ट में कुछ रैंग रहा है | मुझे समझते देर नही लगी कि वो प्रिन्सिपल सर का हाथ था | वो राईट हैण्ड से अपनी ड्रोवर में कुछ ढूंड रहे थे और उनका लेफ्ट हॅंड दीदी का रेस्पॉन्स चेक कर रहा था | फिर कुछ देर बाद प्रिन्सिपल सर बोले


“दीपक बेटा तुम को क्लास लगानी होगी... तुम अगर जाना चाहो तो जाओ डोंट वरी फ़िक्र की कोई बात नही”


मैं “नही सर मेरा पहला पीरियड फ्री है आज” | मुझे पता चल गया था कि साला मुझे भगाने के चक्कर में है |
फिर बोला “मैं तुम्हारी दीदी का एक टेस्ट लूँगा ओर इस को एक क्वेश्चन सॉल्व करने के लिए दूँगा अगर यह एक अच्छी स्टूडेंट है और इसने सॉल्व कर दिया तो फिर मैं इसकी वॉर्निंग भी वापिस ले लूँगा.... ठीक है” फिर सिर ने एक पेन और खाली पेपर निकाल के अपनी चेयर के करीब दीदी के सामने रख दिया और मुझे बोले “बेटा तुम सामने सोफे पे बेठ जाओ

.... आज टीचर्स मीटिंग है...... टीचर्स भी आते ही होंगे” मैं चेयर से उठा तो प्रिन्सिपल सर ने मुझे न्यूज़ पेपर भी साथ ले जाने को कहा | मैं सामने पडे लेफ्ट सोफे पे बैठ गया और न्यूज़ पेपर पढने लगा |

प्रिन्सिपल और दीदी को देखने के लिए मुझे अपने राईट कंधे की तरफ गर्दन घुमाना पड़ना था | अब प्रिन्सिपल सर दीदी को कुछ समझा रहे थे | शायद कोई क्वेस्चन दे रहे थे और बिना मेरी परवाह किये अपने लेफ्ट हैण्ड से अपना दूजा काम भी किए जा रहे थे |

शायद उनके हाथ दीदी के स्कर्ट के अन्दर पीछे से दीदी की गांड को नाप रहे थे|

दीदी भी उनके और नज़दीक सरक गई थी | मेरी आँखें बेशक न्यूज़ पेपर पे थी लेकिन कान उन दोनों की हरकतों की तरफ ही थे | कुछ देर बाद दीदी, सर की चेयर के करीब ही थोडा झुकी और कुछ लिखने लगी अब दीदी के झुकने से प्रिन्सिपल को अपना काम करने में और भी आसानी हो रही थी | उनका व्यू और भी अच्छा हो गया था | मैंने एक नज़र प्रिन्सिपल की तरफ डाली उनका ध्यान दीदी की गांड की तरफ था | लग रहा था कि वो दीदी की चूतड़ पे हाथ फिरा रहे हैं | मैंने भी नज़र बचा के देखना शुरू कर दिया |

मेरा लंड तो साला वैसे भी ऐसी हरकते देख के खड़ा हो चुका था | मैंने अपनी पेंट की पॉकेट में हाथ डालके अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया | फिर कुछ देर बाद ज़ोर से टक की आवाज़ आई | साफ पता चल रहा था कि दीदी की पेंटी की एलास्टिक की आवाज़ है लेकिन मैंने नोटीस नही लिया | इससे शायद वो डिस्टर्ब हो जाते | मैं न्यूज़ पेपर पढ़ने का नाटक करता रहा | फिर थोड़ी देर के बाद नज़र घुमाई तो दीदी टेबल पे पेपर पे झुकी कुछ लिख रही थी लेकिन पीछे से उसकी गांड धीरे धीरे हिल रही थी और प्रिन्सिपल सर के दोनों हाथ टेबल के नीचे थे | ऐसा लग रहा था कि वो चेयर पे बैठे एक हाथ से अपने लंड को हिला रहे हैं और दूजा हाथ दीदी की टांगों और गांड पे फिरा रहे हैं |

अब उनकी चेयर पीछे की तरफ सरकी, फिर कुछ देर बाद सर ने जानबुझ के अपनी चेयर के सामने जिस जगह उनकी टांगें होती हैं वहाँ पे अपना पेन गिरा दिया और दीदी को बोले “बेटा पेन उठाना ज़रा” | मैं टेडी आँख से सब देख रहा था | दीदी उनकी चेयर के आगे बेठ गई और पेन उठा के उठने लगी तो सर ने पहले मेरी तरफ देखा फिर मुझे न्यूज़ पेपर पढ़ता देख जल्दी से अपने दोनो हाथ दीदी के कन्धों पे रख के उसको उठने नही दिया | फिर दीदी की शर्ट के गले से अपना हाथ अंदर डाल के उनके धइले को दबाना शुरू कर दिया | जैसे की आज ही वो धइले को दुहो देना चाहता हो|

अब दीदी निचे बैठ के शायद सर का लंड को अपने मुह से नाप रही थी कुछ हलकी हलकी सिस्कारिया भी दीदी निकाल रही थी| सर का लंड अपना काम कर रहा था शायद दीदी का मुह चोद रहा था| मुझे खास तो कुछ दिखाई नहीं दे रहा था पर दीदी का मुह ऊपर निचे होता रहा और सर भी थोडा ऊपर निचे होते दिख रहे थे| इस से साफ़ होता था की दीद अपना मुह चुदवा रही थी और एक और लंड का स्वाद अपने मुह को प्रेजेंट कर रही थी| थोड़ी देर ऐसे ही चलता रहा दीदी अब आनंद से अपने मुह में सर का लंड समाये जा रही थी| और सर भी उस कोशिश में थे की लंड पूरा अन्दर तक समा जाए|

कुछ ही देर के बाद प्रिन्सिपल की “आह... ऊ.... हुउऊहू...ओ” की हल्की सी आवाज़ आई शायद उनकी पिचकारी छूट गई थी और दीदी झट से उठ के खड़ी हो गई | लेकिन प्रिसिपाल का माल उसके मुह पे लगा हुआ साफ़ नजर आता था और अपना मुह पे हाथ रखे हुए थी पर फिर भी जैसे कुछ माल उनके मुह में चला गया हो और वो निकाल ना चाहती हो| पर पता नहीं शायद निगल गई हो|

दीदी की शर्ट के उपर वाले दोनो बटन खुले थे और उनमें से नज़र आ रहे दीदी के गोरे गोरे मुम्मे की गहरी खाई बहुत सेक्सी लग रहे थे | मुझे ऐसा लगा की उसके धइले कुछ ऊपर निचे हो गए है|

दीदी झट से बोली “सर मैं जाऊं अब”
प्रिन्सिपल “हाँ बेटा........ तुम लोग जाओ ..... और हाँ पूजा बेटा अगर तुम्हे कोई भी तकलीफ़ हो तो सिधा मेरे पास चली आना किसी प्रकार की झिजाक मत करना ठीक है” | और हां जरा तुम वह बाथरूम हो कर चले जाना ठीक है” ?

“जी सर” कह के दीदी लगभग भागती हुई बाथरूम में घुस गई और सर ओ मैंने मुस्कुराता हुआ देखा| दीदी बाथरूम से बाहर आई तो सर बोले तुमने अच्छे से अपना Q सोल्व किया है पूजा बेटी मुझे लगता है कि तुम्हे ऐसे ही प्रॉब्लम सोल्व करते रहना चाहिए

जी सर जब आप कहे सोल्व कर दूंगी अब जाए सर ?

हम प्रिन्सिपल के रूम से निकल आये | बाहर आके दीदी मुझ पे भड़क रही थी और बोली ”सर ने कहा था जाने को... फिर भी दफ़ा क्यों नही हुआ .... शुक्र है फिर भी वो मान गये” |


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सुपर डुपर हिट 👍👍👍
 
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