रात को
मैं मम्मी और दीदी इसी तरह हँसी मज़ाक करते रहे। तभी दीदी उठकर अपने रूम में चली गई। कुछ देर बाद मैं भी उठकर दीदी के रूम में जाने लगा।
तभी मम्मी ने मुझे रोक कर कहा-“दीपू, आज पूजा कितनी खुश है और ये सब तेरे कारण है। तूने उसे कितनी खुशी दी, जिसके लिये मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं। बस तुम उसे हमेशा ऐसे ही खुश रखना…” और मम्मी ने खुश होकर मुझे होंठों पर किस कर लिया।
और जब मैंने भी मम्मी को वापिस उसके होंठों पर किस किया और अपने हाथ पीछे लेजाकर मम्मी की बड़ी-बड़ी गाण्ड को थपथपा दिया।
मेरे द्वारा मम्मी के होंठों पर किस और उसकी गाण्ड पर मेरा हाथ पड़ने से मम्मी भी गरम हो उठी और अपनी चूत मेरे खड़े लण्ड पर रगड़ने लगी।
लेकिन मैंने मम्मी को अपने आपसे अलग किया और दीदी के कमरे की तरफ बढ़ गया। पूजा दीदी बिस्तर में थी, लेकिन जाग रही थी। मैंने उसको बाहों में भरकर जोर से होंठों पर किस किया और चूची भी मसल डाली। अब मेरी प्यारी दीदी को पता चल गया था की उसका भाई अब उसकी चूत का दीवाना है और उसने अपने जीजा की जगह ले ली है। दीदी को खूब चूमने के बाद मैं उतेजित हो गया। दीदी नहाने चली गई। जब वो बाहर निकली तो एक सफेद नाइटी पहने हुई थी और नीचे कोई पैंटी नहीं थी,
दीदी: “मोम से बात हुई” ?
दीपू ”अब वो मेरी सांस है तो बात तो करनी ही पड़ेगी ना” लेकिन अभी वो टाइम नहीं हुआ अभितो तेरी चूत का बड़ा सा भोसडाबना है, तुम्हारी गांड और चूत दोनों अब एक करनी है
मैं-“आज से तुमको अपनी बाहों में सुलाऊूँगा, देखना कितना मज़ा आता है…” रात को व्हिस्की लेकर आऊूँगा, मम्मी से चोरी-चोरी। हम थोड़ी सी पी लेंगे अगर मेरी प्यारी दीदी चाहेगी तो। सच दीदी, बहुत सुंदर हो तुम। तेरा हुश्न मेरे दिल का क्या हाल बना रहा है, मुझसे पूछो…”
दीदी शर्म से लाल हो रही थी। फिर मैं किसी ज़रूरी काम से कुछ देर के लिये घर से बाहर चला गया। मैं जानता था कि मेरे आने तक उसकी चूत मचल रही होगी चुदने के लिए। बाहर जाते हुए मैंने दीदी और माँ को सारा प्लान बता दिया और वो शरारती ढंग से मुश्कुराने लगीं।
रात जब मैं वापिस लौटा तो दीदी मेरा इंतजार ऐसे कर रही थी जैसे कोई पत्नी अपने पति का इंतजार करती है। मुझ पर हवस का भूत सवार था। मैंने दीदी को बाहों में भर लिया और चूमने लगा। दीदी के जिश्म पर मेरे हाथों का स्पर्श उसपर जादू कर रहा था। फिर मैंने ग्लास में व्हिस्की डाली और दीदी को ग्लास पकड़ा दिया।
दीदी बिना कुछ बोले पी गई। थोड़ी देर में नशा होने की वजह से दीदी के अंदर वासना ने जोर पकड़ लिया लगता था। मैंने अपना हाथ दीदी की चूत पर रखा और उसको रगड़ने लगा।
मैंने कहा-“दीदी, मैं जानता हूँ की जीजाजी ने तुझे प्यार नहीं किया। तुझे प्यासी छोड़ा था अब तुम्हारी इस मस्त जवानी पर मेरा हक है और मैं तुम्हारी इस जवानी का पूरा मज़ा लेकर पीऊँगा…” दूसरा पेग पीकर मैंने दीदी को अपनी गोद में बिठाया और उसके जिश्म को नाइटी के ऊपर से सहलाने लगा
दीदी के मस्त चूतड़ बहुत गुदाज थे और मेरा लण्ड उनके चूतड़ में घुसने लगा।
दीदी-“दीपू, मुझे तेरा चुभ रहा है। उई… बस कर…”
मैं-“हाए मेरी जान, क्या चुभ रहा है तुझे? ये तो तुझे प्यार कर रहा है तेरी इस मस्त चूतड़ों को चूम रहा है। दीदी क्या तुम मेरे लण्ड को प्यार करोगी? इसको सहलाओगी? दीदी मैं भी तेरे जिश्म को चूमून्गा, चाटूगा, इतने प्यार से जितने प्यार से किसी ने भी न चूमा होगा…” मैं अब पूजा दीदी के जिश्म के हर अंग को प्यार से सहला रहा था।
और दीदी भी गरम हो रही थी-“हाए मेरे भैया, तुम ही अब मेरे सैंया हो, उस कुत्ते का नाम मत लो, मेरे भाई। उसने मुझे इतना दर्द दिया है की बता नहीं सकती। मुझे इस प्यार से भी डर लगने लगा है… मुझे दर्द ना पहुँचाना, मेरे भाई…”
मैंने देखा की दीदी गरम है, तो मैंने दीदी की नाइटी ऊपर उठाई और उसका जिश्म नंगा कर दिया। मेरी बहन का गुलाबी जिश्म बहुत कातिलाना लगता था। पूजा दीदी की जांघें केले की तरह मुलायम थीं और उसके चूतड़ बहुत सेक्सी थे। सफेद जा और पैंटी में दीदी बिल्कुल हीरोइन लग रही थी। मैं अपना मुँह दीदी के सीने पर रखकर उसकी चूचियों को किस करने लगा।
दीदी ने आँखें बंद की हुई थी और वो सिसकियां भरने लगी।
मैंने दीदी का हाथ अपने लण्ड पर रख दिया। दीदी अपना हाथ खींचने लगी तो मैं बोला-“दीदी, इसको मत छोड़ो, पकड़ लो अपने भाई के लण्ड को। ये तुझे दर्द नहीं देगा, बल्की सुख देगा। तुम मेरी बीवी बन जाओ और फिर जवानी के मज़े लूट लो आज की रात। मेरा लण्ड अपनी बहन की प्यारी चूत को स्वर्ग के मज़े देगा। अगर मैंने तुझे दर्द होने दिया तो कभी मुझसे बात मत करना। मेरी रानी बहना ये लण्ड तुझे हमेशा खुश रखेगा…”
दीदी कुछ ना बोली लेकिन उसने मेरा लण्ड पकड़े रखा। मेरा लण्ड किसी कबूतर की तरह फड़फडा रहा था, अपनी बहन के हाथ में। मैंने फिर दीदी की ब्रा को खोल दिया और उसकी चूची मस्ती से भर के मेरे हाथों में झूल उठी। दीदी के स्तन बहुत मस्त हैं।
दीदी-“अह्ह… ऊऊह्ह… दीपू क्या कर रहे हो?” वो सिसकी।
मैं-“क्यों दीदी, अपने भाई का स्पर्श अच्छा नहीं लगा?” मैंने दीदी की गुलाबी चूची पर काली निपल को रगड़कर कहा…”
दीदी-“अच्छा लगा दीपू, लेकिन ऐसा पहले कभी महसूस नहीं हुआ है मुझे। ऐसा अनुभव पहली बार हो रहा है…”
मैंने हैरानी से पूछ लिया-“क्यों दीदी, क्या जीजाजी ऐसे नहीं करते थे तुझे प्यार?” हाला की ये मेरी गलती थी जब जानते हुए भी
बने रहिये