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कुछ दिन पूरा माहोल शोकग्रस्त रहा | धीरे धीरे सब घर के लोग अपने वास्तविक जीवन में प्रश्थापित हुए |
और ऐसे ही एक दिन सब तीनो अपने घर में बैठे हुए थे रविवार का दिन था जैसे पहले ही था
रमेश: मोम अब हमें क्या करना चाहिए ??? आखिर कब तक ऐसे ही चलेगा अब हमें पूजा के बारे में और सोचना चाहिए? या फिर जैसे अभी चल रहा है वैसे ही चलना चाहिए ?
मोम: नहीं बेटा हमें पूजा के बारे में सोच ना चाहिए और जल्द से जल्द
कोमल: “भैया आप ने शायद सब सोच रखा है लेकिन आप जैसे शतरंज की चाल जैसे चल रहे हो ऐसा मुझे लगता है अगर आपन ने कुछ सोच के रखा है तो बताओ तो ज्यादा समय व्यतीत ना हो और हम उस पर पूरा ध्यान दे सके” “भाभी आप भी कुछ नहीं बोल रहे”
मोम: yes बेटा कोमल सही कह रही है अगर तुम ने कुछ सोचा है तो बताओ फिर जैसा भी हो हम लोग पूरी चर्चा के बाद ही सर्वानुमत ही कोई निर्णय लेंगे या ऐसा होता है की सब की सोच अलग अलग हो ती है या हो सकती है फिर तय करना मुश्किल हो जाएगा सब को ओनी सोच सही लगती है तो मेरा भी यही सुझाव है की तुम ने कुछ सोचा है तो बताओ वैसे भी अब प्रदीप नहीं है तो उनके बारे में जो सोच रखा था वो तो होना नहीं है अब दुसरे पहलु पे सोचे”
रमेश: “फिर भी मै सब के मन का समजना चाहूँगा और को इहो ऐसा तो अच्छी बात है
सभी ने अपने अपने विचार रखने शुरू किया मोम ने अपने भाई के बारे में बताया तो कोमल ने अपने ही किसी स्कुल का सीनियर के बारे में बताया पर सब में या ओ रमेश ने मना किया आया फिर पूजा ने
मोम:”अब तुम ही बताओ रमेश हम ने हमारा सोच कह दिया और नकारा भी गया”
रमेश: “मोम, कोमल,पूजा मै क्या सोचता हु की कुछ ऐसा हो जो हमारी फेमिली से हो और हम अपनी ही फेमिली में एक नया रिश्ता बनाए जिस से कोई हंगामा नहीं हो और सब सही तरीके से चलता रहे| ये एक दो दिन की बात नहीं है शायद हो सकता है की बच्चा होने का बाद भी ये रिलेशंचालू रहे और उसमे किसी को कोई आपत्ति ही ना हो और सब सही तरीके से चले |”
मोम:”हां ये भी सही है लेकिन अब तुमने सोचा है या फिर तुम दोनों का कोई अलग सोच के ही रखा है तो सिर्फ बताओ हम या मै हामी भर दूंगी|”
“जी भैया” कहती हुए भाभि के पेट पे हाथ घुमाते हुए बोली| “अब जल्दी ही कुछ करो यहाँ कुछ भरने के लिए”
“अब सब suno मैंने काफि सोच विचार के बाद ये निर्णय पे आया हु शायद आप लोगो को पसंद आये या ना भी आये” कह के रमेश ने बोलना शुरू किया .......................................
बहोत और सब जगह से सोच विचार करने के बाद सभी ने उस सोच को अपनाने ने के लिए हां मी भर दी |
अब उसका नतीजे के स्वरुप आप लोगो ने अब तक की कहानी सुन राखी है या पढ़ राखी है मतलब ये है की अब तक की कहानी जो आपने पढ़ी वो एक प्लान के स्वरुप चल रही थी और वो सब दिमांग रमेश का था| और आगे जो चलेगा वो सब रमेश के दिमांग की उपज होगा जिस में उसके घर वालो की रजामंदी से चल रहा है|
लेकिन इस बात की दीपू को या मंजू को कोई भी भनक नहीं है| ना पूजा ने बताया ना रमेश ने किसी को कुछ भी नहीं पता सिर्फ रमेश पूजा और उसके घरवालो के अलावा आपको पता है तो आप को भी विनंती है की आप भी किसी को ना बताये वैसे भी किसी के घर में क्या हो रहा है हमें क्या!!!!!!!!!!!!
अब हम चलते है वापिस अपनी कहानी पे जहा हम ने छोड़ा हुआ था|
ट्रिन.......ट्रिन.........ट्रिन.......पूजा का मोबाइल बज उठा
पूजा ने स्क्रीन पे देखते हुए थोडा मुस्कुराई और फोन पिक किया
हल्लो .....
सामने से आवाज आई “hello आपको तो हमारी याद आएगी नहीं सोचा हमें ही याद करना पड़ेगा”
पु:”अरे एसा कुछ नहीं है डियर मै तुम लोगो को कैसे भूल सकती हु भला”
सामने: “खेर आपका फोन अब तक नहीं आया तो मुझे तो ऐसा लगा की मुझे आपको याद दिलानी ही पड़ेगी की दुनिया में और कोई भी है ....और बताओ बाकी आप लोग कैसे है?”
पु; “जी हम लोग तो सही है और अच्छे है आप लोग कैसे है और हां भूल ने की कोई बात ही नहीं बस समय नहीं मिला”
और दोनोने कुछ बाते की जो मंजू ने कुछ ध्यान नहीं दिया उसका मन कही और ही चल रहा था अब वो दीपू के बारे में कुछ ह्ज्यदा ही सोच ने लगी थी|
आखिर फोन पर बात ख़तम होने के बाद पूजा वापिस अपने मा की पास आई और कुछ इधर उधर की बात हुई
“मम्मी, दीपू ने मुझे जिंदगी का असल आनंद दिया है। उसी ने मुझे बताया की एक मर्द एक औरत को कितना मज़ा और आनंद दे सकता है, सच माँ, दुनिया ने तो जितना दर्द दिया सब भुला दिया भाई ने। चाहे दुनियाँ इस प्यार को जो चाहे नाम दे, या पाप कहे लेकिन मेरे लिए दीपू किसी भगवान से कम नहीं है। मेरे लिए देवता है, मेरा मालिक है, मैं तो अपने भाई के साथ ये जिंदगी बिताने के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ। कल तक लण्ड, चूत, चुदाई जैसे शब्द मुझे गाली लगते थे, लेकिन आज ये सब मेरी जिंदगी हैं। मम्मी, तू तो मेरी मम्मी है। तुझे तो मेरी खुशी की प्रार्थना करनी चाहिए। अब तो तुझे भी मर्द का सुख ना मिलने पर दुख हो रहा होगा। मम्मी, अब मैंने दीपू को अपना पति, अपना परमेश्वर मान लिया है…”
यहाँ से हमें आगे जाना है
मुझे खुशी थी की पूजा दीदी खुद सारी जिंदगी मेरी बनकर रहना चाहती थी। वाह… बहन हो तो ऐसी।
पूजा दीदी और मम्मी को अकेले छोड़कर मैं अपने रूम में चला गया। कपड़े चेंज किए और घर से निकल गया। शाम को जब वापिस आया तो मम्मी मुझे अजीब नज़रों से देख रही थी। मम्मी ने भी आज लो-कट गले वाली स्लीवलेस कमीज़ और सलवार पहनी हुई थी। मम्मी का सूट इतना टाइट था की उसमें से मम्मी की बाडी का हर अंग का पूरा आकार सॉफ-सॉफ नज़र आ रहा था।
मेरे सामने मम्मी आंटा गूंधने लगी। जब वो आगे झुकती तो उसकी चूची लगभग पूरी झलक जाती, मेरी नज़र के सामने। मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। अपने लण्ड को मसलते हुए मैंने सोचा की चलो दीदी को कमरे में लेजाकर चोदता हूँ। तभी माँ फिर से आगे झुकी और मेरी तरफ देखने लगी। उसकी नज़र से नहीं छुपा था की मैं मम्मी की गोरी-गोरी चूचियों को घूर रहा हूँ। तभी उसकी नज़र मेरी पैंट के सामने वाले उभार पर पड़ी। मेरी प्यारी मम्मी मुश्कुरा पड़ी।
मम्मी की मुश्कुराहट को देखकर मेरे मन में आया की उसको बाहों में भर लूँ और प्यार करूँ। मैंने कहा-“मम्मी, पूजा दीदी कहाँ है? दिखाई नहीं पड़ रही कहीं भी…”
मुझे याद आया कल रात की बात मम्मी बहार हम भाई बहन को देख रही हैं। लेकिन हम इस बात से अंजान थे। मैं पूजा दीदी के साथ लिपट कर सो गया। चुदाई इतनी ज़ोरदार थी कि मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब तक सोता रहा। जब नींद खुली तो दोपहर के 12 बज चुके थे। दीदी मेरे बिस्तार में नहीं आप। उठ कर कपड़े पहनने और मैं नहाने चला गया। पिछले दिन की शराब का नशा मुझे कुछ सोचने से रोक रहा था.. सर भारी था। नहा कर जब बाहर निकला तो मैं चूसूंगा। दीदी के साथ चुदाई की याद मुझे अभी भी उत्तेजित कर रही थी। रात के बाद दीदी की चुदाई का अपना ही अलग मजा था पर मुझे डर था कि कहीं मां हमारी इस रिश्ते से नाराज तो नहीं होगी? ये सवाल मेरे दिमाग में कौंध रहे थे।
मम्मी-“अब सारा प्यार अपनी पूजा दीदी को ही देता रहेगा या अपनी इस मम्मी को भी कुछ हिस्सा देगा? बेटा, पूजा तुझसे बहुत खुश है। लेकिन हम लोगों को प्लान करना पड़ेगा। हम तीनों को किसी ना किसी चीज़ की ज़रूरत है। जमाई राजा ने जमाई का काम तो कुछ नहीं किया, लेकिन उसको हम ब्लैकमेल ज़रूर कर सकते हैं। तुम ऐसा करो की कुछ बीयर वगैरा ले आओ और हम मिलकर रात को बीयर पीकर बात करेंगे और हाँ कुल्फि तो तू अपनी दीदी को ही खिलाएगा, माँ की तुझे क्या ज़रूरत है? तुझे तो बस यही पता चला की मुझे एक अच्छे दामाद की ज़रूरत है। पर तूने इस बात का कभी नहीं सोचा की पूजा को भी पापा की कमी महसूस होती होगी…”
“क्यू तुझे अब पूजा के सिवा कोई दिखता नहीं है” ये सुन कर.... या इतना बोल मम्मी मंद मंद मुस्कुराने लगी मुझे समझ आ गया कि मम्मी का मन आज मस्ती करने का है मै थोड़ा सोच समज कर आगे बढ़ रहा था कि कहा मैं गलत ना हु मम्मी की बात सुन कर मैंने मम्मी की आंखें मेरी आंखे डाल कर कहा,
“ दिखता तो मुझे बहुत है पर क्या करूं कोई मुझे प्यार करने वाला मिले तब ना”
मम्मी; “अब सारा प्यार अपनी पूजा दीदी को ही देता रहेगा?”
मम्मी की इस बात पर मैंने कहा “मम्मी आपकी ही बेटी पूजा चाहती थी कि मैं उससे भाई के साथ साथ पति का बी प्यार दूं।“
मेरी बात सुन कर मम्मी, कुछ इस अंदाज में बोली “अच्छा तूने तो जान लिया कि पूजा को पति के प्यार की जरुरत ही तूने ये नहीं देखा कि पूजा को पापा के प्यार की भी जरूर है या..........
मम्मी ये बात बोलते अपने होंथ अपने दांतो मी दबा कर कटने लगी मम्मी ये बात बोलते अपने होंथ अपने दांतों में दबा कर काटने लगी। मैं मम्मी की बात समझ गया कि वो क्या कहना चाहती थी, मैं मुस्कुराता हुआ मम्मी के पास गया और मम्मी को कहा “अपनी बहन, मेरे साथ आए मम्मी का चेहरा उठा कर पूजा को तो पति के साथ, पापा के प्यार की ज़रुरत ही, पर पूजा की मम्मी को किसके प्यार की ज़रुरत ही ज़रा हमें भी तो पता चले और मम्मी की आँखे मी आँखे डाल कर मुस्कुरा कर “बताओ ना पूजा की मम्मी की पूजा की मम्मी को किसके प्यार की ज़रुरत है मेरे इस तरह रोमांटिक तारिके से पूछने पर मम्मी बड़े प्यार से मेरे कंधे पर अपना सर रख कर बोली.......................
अब अगले पार्ट में क्या होगा आप सको पता ही है ...............