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Incest तीन सगी बेटियां (Completed)

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उसने कापते हाथों से गिलास लिया और खुद को सँभालने के लिए पानी पीए।

निशा के ऑंखों के सामने, चूत को घूरते हुई, पापा की दो आंखें झलक रही थी।

निशा(मन में): कहीं मैने कुछ ज्यादा तो नहीं कर दिया? नहीं तो, नहीं तो पापा तारीफ़ नहीं करते। और उन्हें तो मेरी चूत बहुत भा गायी, लगता तो ऐसे ही है। पर इस सब का अन्त कहाँ होगा? अगर पापा फ्रस्टेट हो गए तोह? शायद मैं बहुत ज्यादा सोच रही हूँ। जब पापा खुश है, मैं खुश हूं, तब तो सब ठीक है।

यह सब सोचकर निशा ड्राइंग हॉल में खाना परोसने चल दी। पर जगदीश राय वहां नहीं था।

निशा(मन में): अरे पापा कहाँ चले गए? खाना खाए बगैर… पापा।। पापा।। कहाँ हो।।?

निशा अपनी छोटी शर्ट उछालते हुयी, गांड दीखाते हुए , सीडियों से पापा के कमरे में जाने लगी।

पर जगदीश राय वहां नहीं था। और फिर निशा ने कॉमन बाथरूम बंद पाया।

निशा जैसे ही बाथरूम के दरवाज़े के पास आयी , उससे अंदर से गुर्राने की आवाज़ सुनाई देने लगी।

निशा समझ गयी, की अंदर क्या हो रहा है। उसके चेहरे पर गर्व और मुस्कान दोनों छा गयी।

जगदीश राय बाथरूम में पूरा नंगा खड़ा तेज़ी से मुठ मार रहा था। उसका लोहे जैसे लंड को ठण्डा किये बिना उससे ड्राइंग रूम में बेठना असम्भव था।

उसके आँखों के सामने से निशा की बिना बालों वाली, साफ़ गुलाबी कलर की चूत, हट नहीं रही थी।

और वह चूत के नशे में , निशा का नाम लिए जा रहा था।

जगदीश राय (हाथ चलाते हुए):आह…आह…आह।। निशा ओह निशा…।आह…

निशा, अपना नाम अपने मूठ-मारते पापा के मुह से सुनकर गरम हो चली थी। निशा देर नहीं लगाती हुई अपनी दो ऊँगली अपने चूत के पास ले गयी।

उसकी छोटी चूत इतनी गीली थी की क्लाइटोरिस रबर के बटन की तरह फुलकर बाहर निकला हुआ था।

और बाथरूम से निकलते हुये "आह निशा" के शब्दो के ताल में वह अपने चूत को कभी सहलाती तो कभी चूत के अंदर ऊँगली डालती।

थोड़ी ही देर में जगदीश राय की आवाज़े और तेज़ हुई और जोरदार होने लगी। जगदीश राय झड़ने ही वाला था।

निशा के हाथ भी बाथरूम के बाहर तेज़ी से चल रहे थे। चूत से बहता पानी जांघो से लगकर एक लकीर बना रहा था और बाथरूम के बाहर फर्श पर गिर रहा था।

निशा खड़ा नहीं हो पा रही थी और उसने दिवार से खुदो को सम्भाला। दो उँगलियाँ चूत में घूसाते वक़्त आवाज़ बना रही थी।

ओर तभी निशा का सारा बदन अकड गया और वह तेज़ी से झडने लगी। निशा इतनी ज़ोर से झडी की मुह से चीख़ निकली और वह वही फर्श पर गिर पडी।

निशा फर्श पर टाँगे मोड़ कर, सर झुकाये बाथरूम के बाहर बैठी थी। फ़र्श पर उसकी चूत का पानी गिरा पड़ा था।

शायद उसने ओर्गास्म के वक़्त थोड़ा मूत भी दिया था। वह कांप रही थी। ओर्गास्म की लहर अभी पूरी तरह ठण्डा नहीं हुआ था।

और तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला। जगदीश राय निशा को बाथरूम के बाहर फर्श पर बैठे देख चौक गया।

निशा ने आँख खोले जब अपने पापा के पैरो को देखा तो वह पूर तरह शर्मा गयी। उसने सर नहीं उठाया।

वह इतनी बेबस थी की मन ही मन वह अपने पापा के बाहों में खो जाना चाहती थी।

जगदीश राय फर्श पर पड़े पानी को देख कर समझ गया। उसे निशा की मासूम शर्माए चेहरे पर बहुत प्यार आया।
Wonderful update ❤❤❤
 

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निशा ने धीरे से अपने सर को उठाया। जगदीश राय और निशा बिना कुछ कहे , एक दूसरे को देखते रहे।

ओर फिर जगदीश राय निशा के पास आए और अपना हाथ बढाया।

निशा अपने कापते हाथ जगदीश राय के हाथेली में रख दिया । और अपने कापते पैरो को सम्भाले उठ गयी।

फर्श पर पड़े चूत के पानी से उसका पूरा गांड और शर्ट का निचला हिस्सा भीग गया था।

जगदीश राय निशा के हुस्न को निहारता गया। और अपने पापा के चीरते नज़रो के सामने निशा पिघलती गयी।

निशा शर्मायी, बिना कुछ कहे, मुड कर अपने रूम की तरफ चल दी।

शर्ट का दायाँ(राइट) भाग गाण्ड से ऊपर सरका हुआ था।

जगदीश राय , निशा की चूत की पानी से भीगी हुई , मटकती नंगी गाण्ड को निहारता रहा।

लंड फिर से खड़ा होने लगा था।

जगदीश राय हॉल में जाकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गया। उसे निशा के बाथरूम से पानी की आवाज़ साफ़ सुनाइ दे रही थी।

वह बीते हुए कुछ पलो को मन ही मन निहार रहा था। कैसे निशा ने उसे अपनी चूत दिखाई थी और कैसे निशा उसी के साथ बाथरूम के बाहर मुठ मार रही थी।
निशा की पानी से चमकती हुई उभरी हुई गांड को सोचकर वह फिर से पागल हो चला था।

वह निशा का दिवाना हो चला था यह उसे पता चल गया था।

तभी निशा के पैरो की आहट सुनाई दी।

निशा: चलो पापा खाना खा लेते है।

जगदीश राय ने निशा के चेहरे की तरफ देखा। निशा के चेहरे पर कोई शर्म या हिचकिचाहट नहीं था।

निशा के टाइट टॉप और एक बहुत ही टाइट शॉर्ट्स पहनी थी। शायद वह शॉर्ट्स सशा की थी।

शॉर्टस उसके गांड को और गोलदार बना रही थी। और शॉर्ट्स से बाहर निकलती हुई उसकी गोरी जांघे जगदीश राय को पुकार रहे थे।

जगदीश राय (लंड को हाथ से छुपाते हुए): हाँ… खा लेते है…

खाने के बीच निशा का फ़ोन बजा।

निशा: हेलो…। अरे केतकी…।क्या हाल है…अरे नहीं…। मैं ठीक हु…।ह्म्म्म… अरे वह पापा
बस से गिर पड़े…।। हैं…तो उन्हें काफी चोट आयी थी……

निशा: हाँ… तो बस उन्ही के देख भाल कर रही हु…।

और निशा अपने पिता के तरफ देखा और मुस्करायी। जगदीश राय भी थोड़ा मुस्कुराया…

निशा:… ओह अच्छा… उसने बर्थडे पार्टी देना है…।कितने बजे… ४ बजे… ठीक है मैं आउंगी…

और कुछ देर कॉलेज के यहाँ वहां के बात करने के बाद निशा ने फ़ोन काट दिया।

निशा: पापा, वह मेरी फ्रेंड बर्थडे पार्टी दे रही है…तो क्या मैं जाऊं…।।6 बजे तक आ जाऊँगी।

जगदीश राय: हाँ हाँ जाओ बेटी।

निशा: पर आप ठीक है…

जगदीश राइ: हाँ हाँ मैं तो एकदम ठीक हु… और वैसे भी अब खाने के बाद मैं तो लेट जाउँगा।

निशा: फिर ठीक है…

थोडे देर बाद जगदीश राय अपने रूम में जाके लेट गया। लेटे हुए निशा के साथ बीते पलो के खलायों में सैर कर रहा था।

करीब 3:30 बजे निशा ने सलवार और जीन्स पहने , अपने पापा के रूम का दरवाज़ा खोल दिया।

उसके हाथो में एक कटोरी थी।

निशा: पापा…तेल लायी हु…

जगदीश राय: ओह… तो मसाज करोगी…?

जगदीश राय निशा को सलवार/जीन्स में देखकर उदास हो गया। पिछले दिनों से निशा सिर्फ कम कपडो में ही अच्छी लग रही थी।

निशा: जी नही… मैं तो चली…। आज आपको मेरे बिना ही काम चलाना पड़ेगा…हे हे ।।। जहाँ चाहे मसाज कर सकते है…।समझे पापा…हे हे।

और निशा की कातील हसी से रूम गूंज उठा।

जगदीश राय, थोड़ा मुस्कुराया थोड़ा शर्माया…

निशा: मैं कल आपको मसाज कर दूँगी… ठीक है… चलो बॉय। लेट हो रही हु…

जगदीश राय निशा की बातो से बहूत गरम हो गया और सीधे अपने काम पर लग गया।

शाम को 5 बजे आशा और सशा आयी।

जगदीश राय: तुमलोग आज लेट कैसे।

आशा, आप को याद नहीं… आज थर्स डे है… मेरा बॉलीवुड डांस क्लास होता है और सशा
का जिमनास्टिक्स क्लास।

जगदीश राय: ओह अच्छा।

निशा कुछ देर बाद आयी।

निशा: सशा और आशा आए?

जगदीश राय: हाँ… ऊपर है…

जगदीश राय मुड़कर सोफे पर जा रहा था तभी।।

निशा:पापा, क्या आपने मसज किया…

जगदीश राय: वह…।।हाँ…किया…

निशा: तेल लगाकर?

जगदीश राय (नज़रे झुकाए): हाँ… तेल लगाकर।।थोडा।।

निशा: बस थोड़ा ही… …उस दिन की तरह लुंगी तो ख़राब नहीं हुई न…क्या मैं धो दू…?

जगदीश राय (झेंपते हुए): क्या…।

निशा: लुंगी और क्या।।हेहे

जगदीश राय: नहीं …सब ठीक है …।लून्गी सब ठीक है…।।

निशा (मुस्कुराते हुए): ओके ओके…
Badhiya hai bhai.mast likh rahe ho.
 

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करीब 9:30 बजे, आशा और सशा आ गए और नाश्ता खाकर चल दिए।

निशा: अरे सशा, आज तुम लोग कब आओगे

सशा: दीदी, मेरी तो आज एक्स्ट्रा क्लास है स्कूल में। तो क़रीब ४ बज जाएंगे। और।।

निशा: आशा मैडम आपका क्या प्रोग्राम है…

आशा: मुझे एक सहेली के घर जाना है, कुछ नोट्स तैयार करने है…

निशा: हम्म्म…।सच बोल रही है… या…?।

आशा (झेंपते हुए): सच दीदी… झूट क्यों बोलू…।।वैसे आप क्यों पूछ रही है?…

निशा (झेंपने की बारी उसकी थी): बस यही…चलो जाओ अब तुम दोनों…।

जगदीश राय ने भी यह बात सुनी।

जगदीश राय (मन में): कहीं निशा मसाज के लिए तो नहीं पूछ रही है… शायद उसे…

1 घन्टे के बाद निशा बोली…

निशा: पापा मैं ने नाश्ता टेबल पर रख दिया है… आप खा लेना…

जगदीश राय: तुम नहीं खाओगी बेटी…

निशा: नहीं पापा… मैं पहले नहाके आती हु…। इस गर्मी में रहना मुश्किल है…।

जगदीश राय टेबल पर बैठे खा रहा था। टेबल से उसे सीडियों के ऊपर का कॉरिडोर साफ़ दिख रहा था। ऊपर से पानी का आवाज़ सुनाई दे रहा था। निशा शावर में नहा रही थी शायद।

जगदीश राय मन में निशा के नंगे जिस्म पर पानी के बूंदो की कल्पना कर रहा था। उसके फुटबॉल जैसे बड़े बड़े पानी से चमकते चूचे सोचकर उसके टेबल पर बैठना मुश्किल हुए जा रहा था।
Baap bhi dolne laga hai. Mast👍👍
 

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करीब 20 मिनट निशा को सोचकर खाने के बाद, जगदीश राय अपने लंड को पकडते , सीडियों से कॉमन बाथरूम की तरफ चला।

जगदीश राय अब कॉरिडोर में था, जो 3 बैडरूम और 1 कॉमन बाथरूम को मिला रहा था। निशा का रूम का दरवाज़ा बंद था। वहां से अब कोई आवाज़ नहीं आ रही थी, पानी की भी नही।

जगदीश राय (मन में): शायद निशा नहा चुकी है…अब तो वह अपने पूरे जिस्म को पोंछ रही होगी… क्या मैं घूस कर देख लू…।नही यह ठीक नहीं होगा… क्या समझेगी वह मेरे बारे में…

जगदीश राय यह सोचकर कॉमन बाथरूम के तरफ बढा ही था की बाथरूम का दरवाज़ा खुद-ब-खुद खुल गया। और जगदीश राय के पैरो तले ज़मीन निकल गयी…

सामने निशा खड़ी थी। पूरी नंगी।

निशा ने कुछ भी नहीं पहना था। उसने बालो को एक ब्लू टॉवल से बांध लिया था। और बालों से पानी की छोटी बुँदे उसके नंगे बदन पर गिर रही थी।

जगदीश राय की आंखें निशा की नंगी चूचियों से हट नहीं रहा था। जगदीश राय ने अंदाज़ा भी लगाया था की निशा के चूचे इतने बड़े होंगे।

और उन बड़े चूचों के सेण्टर पर गुलाबी कलर के परिवेश (एरोला) से घेरे गुलाबी निप्पल। आज तक जगदीश राय ने सिर्फ भूरे(ब्राउन) कलर का निप्पल्स ही देखे थे, पर अपनी बेटी के गुलाबी निप्पल्स ने उसे पागल कर दिया।
Mast aur behtreen update👍👍
 

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जगदीश राय की नज़रे चूचियों से निशा की पेट के तरफ फिसला तभी।

निशा (शर्माते हुए): ओह पापा…सोर्री।। ओह मेरे बाथरूम के शावर में पानी का फाॅर्स नहीं है न…।इस्लिये यहाँ चलि आयी…।

निशा ने यह कहते हुए अपने दाए हाथ से अपने दोनों चूचियों को ढक लिया, जिससे वह मुलायम बड़े चूचे दबकर और गोलदार बन गये। और फिर धीरे से उसने अपनी बायीं कलाई से अपने चूत को ढक लिया।

जगदीश राय चुप रहा और बस घूरता रहा।

जगदीश राय की ऑंखें बिना मौका गवाते हुए निशा की चूत को अच्छी तरह निहार लिया। निशा का पूरा शरीर एक अप्सरा की तरह , बाथरूम की रौशनी में चमक रहा था।

नंगी निशा सिर्फ हाथो से अपने ख़ुद को ढकते हुए धीरे से बाथरूम से बहार आयी। और धीरे धीरे , नंगे पैर और नंगे बदन से जगदीश राय के तरफ बढ़ रही थी।

निशा का हर एक कदम जगदीश राय पर भारी पड़ रहा था। निशा की साँसे भी तेज़ी से चल रही थी, जो उसकी चूचियों के उतार-चढाव से प्रकट हो रहा था।

करीडोर की चौड़ाई(विड्थ) सिर्फ 2:5 फुट का था। जब निशा पास आयी, जगदीश राय एक साइड हो गया।
अब निशा 2:5 फुट कॉरिडोर में , पूरी नंगी जगदीश राय के सामने थी। और निशा धीरे से, जगदीश राय के आँखों में देखते हुए उनके सामने से निकल रही थी।

उसने बहुत ही नज़ाकत से ख्याल रखा की उसकी नंगा शरीर पापा को स्पर्श न करे।

जगदीश राय , ने अपने आप को कण्ट्रोल करने के लिए निशा के सामने आते की गहरी सास लिए आंखें बंद कर ली। और फिर एक सेकंड बाद आँख खोला तो निशा उनके सामने से निकल चुकी थी।

जगदीश राय वहीँ खड़ा निशा की नंगी पीठ और बड़ी मदहोश गांड को अपने कमरे की तरफ जाते देखा।

निशा अपने कमरे के दरवाज़े पर पहुच कर अपने पापा के तरफ देखा। जगदीश राय तेज़ सासो से बाथरूम के तरफ बढ़ रहे थे। उनकी चाल से यह महसूस किया जा सकता था की वह मदहोश है। तभी निशा ने फिर से अपनी चाल चल दी।

निशा (सॉरी फेस से मुस्कुराते हुए): पापा…। मैं अपनी हेयर-बैंड अंदर भूल आयी हु… क्या आप ला देंगे मुझे…प्लीज…

जगदीश राय बाथरूम के अंदर गया और देखा की सामने एक लाल रंग की हेयर-बैंड जैसी चीज़ पड़ी थी। पर अगर वह नहीं भी होती तो भी जगदीश राय उसे लेकर निशा के पास चला जाता।

जगदीश राय हेयर बैंड लेकर निशा को घूरते हुए निशा की तरफ बढा। निशा का सिर्फ अब साइड-व्यू ही दिखाई दे रहा था, और उस पर निशा की कमर और गांड क़यामत ढा रही थी।

जगदीश राय सूखे मुह लेकर निशा के सामने खड़ा हो गया और एक बच्चे की तरह हेयर-बैंड हाथ में लिए खड़ा था। निशा उनकी ऑंखों में देखकर मुस्कुरायी और फिर कहा।

निशा: थैंक यू पापा…यू आर वैरी स्वीट…

और फिर निशा ने अपने दोनों हाथ चूचियों से निकाल लिया और अपनी पूरी चूची अपने पापा के नज़रों के सामने पेश किया।

एक 20 साल की बेटी आज पहली बार अपने पापा के सामने पूरी नंगी खड़ी थी। निशा की नंगी चूची जगदीश राय से सिर्फ 6 इंच के अंतर मे थी और जगदीश राय गुलाबी निप्पल को घूरता रहा।

ओर निशा अपने कमरे में घूस गयी और अपने पापा के चेहरे पर दरवाज़ा बंद किया।

जगदीश राय कुछ देर वहीँ निशा के दरवाज़े के बाहर खड़ा रहा। वह बौखला गया था।
Garmagarm update👍👍
 

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जगदीश राय थोड़ी देर वहां खड़ा रहने के बाद , बाथरूम में घूस गया।

उसका पूरा बदन कांप रहा था। कान और गाल गरम हो चूका था।

उसने अपनी लुंगी साइड की और लंड बाहर निकाला।

लंड लोहे की रॉड की तरह खड़ा हुआ था। लंड पर उभरे नस (वेन्स) किसी रबर वायर की तरह फूल कर साफ़ दिखाई दे रहे थे।

वह अपनी इस अवस्था को सुधारने के लिए मुठ मारना शुरू किया पर दिमाग पर हज़ारो ख्याल बम की तरह फट रहे थे।

लंड खड़ा होने के बावजूद मुठ मारा नहीं जा रहा था।

कुछ देर प्रयास करने के बाद वह खड़े लंड के साथ बाहर आ गया।

अंदर निशा का हाल भी कुछ समान था। पापा के सामने नंगी रहने में उसे बहोत मजा आया था और यह उसकी गिली चूत बता रही थी।पूरी बदन पर लहर फ़ैली हुई थी।

निशा (मन में): मुझे देखकर पापा का लंड तो साफ़ लुंगी के बाहर निकला हुआ था। पर पता नहीं पापा ने अपने आप को कैसे रोक लिया…।और कोई होता तो अब तक मुझ पर टूट पड़ता…।पापा को अपने आप पर कितना कण्ट्रोल है…मानना पड़ेगा…।

निशा ने जल्द अपनी एक रेड कलर की सिल्क शर्ट पहन ली। और अपने आप को मिरर में देखा।

शर्ट कमर से थोड़ा निचे तक आ रही थी। सिर्फ गांड और चूत को कवर कर रही थी।निशा अपने इस पोशाक से खुश हो गई और दरवाज़ा खोले निचे हॉल/किचन के तरफ चल दी।

वही जगदीश राय सोफे पर बेठा हुआ था। और निशा के बाहर आने का इंतज़ार कर रहा था।निशा को फिर से शर्ट में देखकर वह मन ही मन खुश हो गया। पर उसमे अभी भी निशा को सीधे देखने की हिम्मत नहीं जूटा पा रहा था। निशा रेड सिल्क शर्ट में क़यामत ढा रही थी, जो उसकी गोरे जाँघ को और भी खूबसूरत बना रहा था।
B. C. Yeh kahani toh jaan hi lele gi
 

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निशा सिर्फ एक छोटी सी शर्ट पहनी आर्डर दिए जा रही थी एंड जगदीश राय बिना कुछ कहे निशा के जिस्म का दिवाना हुए पालन कर रहा था।

जगदीश राय बेड पर अब सिर्फ एक लुंगी पहन के बैठा था, जिसमें से उसके मोटे लम्बे लंड का उभार निशा को दिखाई दे रहा था। और निशा चोरी छुपे उसे देखे जा रही थी।

निशा पहले जगदीश राय के कंधे और हाथो का मसाज करने लगी।

हर एक दौरे पर वह अपने चूचो को पापा के नंगे पीठ पर रगडने से नहीं चूकती थी।जगदीश राय को निशा के खड़े निप्पल्स महसूस होने लगा।

निशा (उन्हें रगड़ते हुए): कैसा…लग रहा …है।।पापा…

जगदीश राय: अच्छा।।।। लग रहा है…।

कुछ देर बाद निशा के हाथ अब जगदीश राय के छाती पर दौडना शुरू हुआ ।

निशा जगदीश राय के छाती के बालो और निप्पल्स पर अपनी उँगलियाँ गोल गोल घुमा रही थी।

और जगदीश राय के पीछे से उनका लंड को फड़ फडाटे हुए देख रही थी।

कोई 10 मिनट बाद।।

निशा (पूरा गरम ): पापा…।अब आप…हम्म…लेट जाइये…।मैं…पैरों का करती हु…।

जगदीश राय निशा को सिल्क शर्ट में हाँफते हुए देखकर इतना गरम हो रहा था की वह बिना कुछ कहे लेट गया।


निशा: पापा… आप अपना आंखें बंद करके , हाथो को ऐसे सर के पिछे ले जाकर लेटे रहिए। हाथो को आगे ले आने की ज़रुरत नहीं…। अब सिर्फ आप मेरे मसाज को फील करिये…


निशा ने पैरो हाथ फेरना शुरू किया। निशा ने अपनी गरम नंगी जाँघ जगदीश राय के कमर/पेट से लगाकर रखी। निशा अपना हाथ लुंगी के अंदर ले जाकर जगदीश राय की जाँघ तक ले जाती।

आंखेँ बंद किया जगदीश राय ऐसे मदहोश मसाज से पूरा पागल हो चला था। उसका लंड फटने के कगार पर था।

ओर तभी जगदीश राय की लूँगी निशा के हाथो के वजह से सरक गयी और जगदीश राय का काला लम्बा मोटा लंड निशा के ऑंखों के सामने अकड़ते हुए आ गया। ऐसा लग रहा था जैसे एक मोटे साँप को आज़ादी मिली हो।
Nice massage.
 

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निशा पापा के लंड को इतने पास से देखकर डर गयी और चुपचाप मसाज करने लगी। पर थोडी देर बाद वह लंड को निहारती रही।तभी जगदीश राय को महसूस हुआ की उसका लंड लूँगी से बाहर निकल गया है, और उसने हाथ आगे लाकर लंड को अंदर डालना चाहा।

निशा: पापा…।यह क्या…।मैँने कहाँ था हाथ पीछे…।जब तक मेरी मसाज पूरी नहीं हुई है…

जगदीश राय : पर…बेटी… मैं तो…यह…लूंगी… लूँगी ठीक कर रहा था…

निशा: कोई ज़रुरत नहीं…।।हथ पीछे ले जाईये…।लून्गी जहाँ है वही ठीक है…जिसको बहार आना था खुद ही आ गया… है है।

और निशा ने हँस दिया।

जगदीश राय : पर… बेटी…मुझे…

निशा: पापा…आंखें बंद…। बिलकुल बंद…वैसे भी मुझे उसे देखने में कोई दिकत नहीं तो आप को क्यों…

जगदीश राय फिर से आँखें बंद किया। अपने बेटी के सामने लंड पूरा खुला दिखाई देता सोचकर, उसका लंड पूरा कड़क हो गया। निशा अब जगदीश राय के जांघो पर लुंगी के अंदर हाथ डाल कर हाथ फिरा रही थी। और यह करते वक़्त निशा जानबूजकर जगदीश राय की टट्टो को भी सहला देती।

अपने टट्टो पर निशा के मुलायम हाथो के स्पर्श लगते ही जगदीश राय के मुह से आह निकली।

जगदीश राय : आह…हहह

निशा समझ गयी की जगदीश राय को मसाज बहुत पसंद आ रही है। वह फ्राइडे के अपने प्लान से खुश थी।

इस बार निशा ने अपने बाये हाथ को जगदीश राय के टट्टो पर रहने दिया और सिर्फ अपने दाये हाथ से पैरो का मसाज करने लगी। बायां हाथ धीरे धीरे टट्टो को सहला रहा था।

थोड़ी देर बाद,

निशा: पापा… यह लूँगी की वजह से मैं आपके कमर तक नहीं पहूँच पा रही हु… उसे उतार देती हु मैं…

जगदीश राय : आआह अरे।।नही…बेटी …लूंगी रहने दो…।

पर पहले ही निशा ने जगदीश राय की पूरी लूँगी खोल दी और जगदीश राय एक छोटे बच्चे की तरह पूरा नंगा, तेल से लथपथ, अपने बेटी के सामने लेटा था।

कठोर लंड पूरा खड़ा सीलिंग फैन के तरफ था। निशा एक हाथ से बेशरमी से पापा के बड़े टट्टो को सहला रही थी। निशा धीरे धीरे दुसरा हाथ से जगदीश राय के पेट में तेल लगा रही थी।

लंड जोरो से हिल रहा था। छलाँगे मार रहा था।

निशा से अब रहा नहीं गया, और उसने बिना देर करते हुए अपने दाए हाथ से पापा के 9 इंच लंबे लंड को थाम लिया।
Beautiful
 

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लंड इतना मोटा था की निशा के हाथो में समां नहीं रहा था।निशा ऐसा महसूस कर रही थी जैसे उसने लोहे के गरम रॉड को पकड़ लिया हो।

जगदीश राय निशा के लंड को पकडते ही ऑंखें खोल दी और आँख फाडे निशा को देखने लगा। निशा मुठ मारने के इरादे से , हाथ हिलाना शुरू किया। जगदीश राय पागल हो गया।

उसने तुरंत वह किया जो निशा को अनुमान नहीं था।

जगदीश राय ने एक झटके से निशा को दोनों हाथो से पकड़कर अपने छाती के उपर खीच लिया।

निशा: पापा…।वाट…क्या कर रहे हो…।रुको…।

जगदीश राय अब एक भेड़िया बन चूका था।

निशा अपने आप को पापा के बॉहो से छुड़ाने लगी पर जगदीश राय ने अपने हाथो से निशा के सभी बटन तोड़ दिये। निशा के दोनों बड़े चूचे शर्ट के बाहर कुद पडे।

निशा जगदीश राय के ऊपर गिरती है, उसके चूचे पापा के गरम खुरदरा छाती पे रगड खा रही थी। अब निशा गरम हो चुकी थी।।

निशा: पापा…प्लीस…।पापा…मत करो।। मैं…तो …बस ।।यु ही…।मज़ाक़…आह आह्ह।

जगदीश राय ने कुछ नहीं कहा। उसके कान बंद थे। जगदीश राय तुरंत पलटा और निशा निचे आ गयी और जगदीश राय उपर।

जगदीश राय की एक्सपीरियंस अब निशा की जवानी पर भारी पड़ रहा था।

ओर निशा समझ नहीं पा रही थी की क्या हो रहा है। जगदीश राय ने अपना सर झुका कर निशा की एक गुलाबी निप्पल लेके अपने मुह में चूस लिया।

निशा: आआआहहह…आआआह… पापाआ…आहहहह…क्याआआ।।ओह्ह्ह्हह्

जगदीश राय अब बेदरदी से निशा के निप्पलों को चबा रहा था। निशा की चूत पूरी गीली होकर इस एहसास से झडने लगी। निशा का शरीर पूरा अकड गया और चूत खुल गई और पानी छोडने लगी।

निशा: आआअह्ह्ह पापा…।यह ऊऊ…।।

और अपने हाथो से पापा के बालो में हाथ फेरते हुए उनके सर को अपने मम्मो के ऊपर दबा रही थी।

तब अनुभवी (एक्सपेरिएंस्ड) जगदीश राय बिना मौका गवाते हुये, तुरंत अपने पैरो से निशा के जाँघो को फैला दिया।

और इसके पहले निशा कुछ समझती ,गरम हुए चूत में एक ज़ोरदार झटका महसूस हुआ।

और निशा जोर से चिल्लायी।

निशा: आहःआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
Awesome Update👍👍
 

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निशा की कूँवारी चूत इतनी टाइट थी की जगदीश राय के मोटे लंड को बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी।

जगदीश राय ने दूसरा झटका तुरंत ही मार दिया और आधा लंड निशा की मासूम कुँवारी चूत को चीरते हुए घूस गया।निशा दर्द के मारे पैरो को अपने पापा के ऊपर पटकने लगी। उसके ऑंखों से आँसू बहने लगे।

जगदीश राय ने 1 मिनट तक निशा को अपनी बाँहों में पकडे रहा और मौका मिलते ही निशा की निप्पल को चूस देता।

थोड़ी देर बाद निशा आहें लेते हुए शांत हुई। जगदीश राय ने प्यार से निशा के बालों में हाथ फेरा, और निशा के गालों को चूमते हुए कहा।

जगदीश राय: कोई बात …नहीं बेटी…बस हो ही गया…अब।

और यह कहते हुए जगदीश राय ने अपना मोटा लंड 1 इंच बाहर निकाला। बाहर निकालते वक़्त निशा की कसी चूत बाहर की तरफ खींच गई।

और जगदीश राय ने वह झटका दिया जिससे निशा की जान निकल गयी। पुरा 9 इंच लंड , केवल 3 झटको में, जगदीश राय ने निशा की कुवारी चूत में पुरा पेल दिया था।

यूं लग रहा था जैसे जगदीश राय ने अपने बेटी से अपने छेडख़ानी का बदला लिया हो। निशा का पूरा शरीर जगदीश राय के निचे तड़प उठा।वो रो रही थी चिल्ला रही थी।

निशा: आह…पापा…प्लीज…बहोत…दर्द…।।ओह्ह गॉड़

निशा की बड़ी गांड काँप रहे थे। जगदीश राय ख़ुद को निशा के ऊपर से उठाया और निशा की चूत की तरफ देखा।

जगदीश राय के 9 इंच के लंड का कोई निशान नहीं था क्युकी वह पूरा निशा की कुँवारी चूत में समाया हुआ था।
Puri
निशा की कूँवारी चूत इतनी टाइट थी की जगदीश राय के मोटे लंड को बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी।

जगदीश राय ने दूसरा झटका तुरंत ही मार दिया और आधा लंड निशा की मासूम कुँवारी चूत को चीरते हुए घूस गया।निशा दर्द के मारे पैरो को अपने पापा के ऊपर पटकने लगी। उसके ऑंखों से आँसू बहने लगे।

जगदीश राय ने 1 मिनट तक निशा को अपनी बाँहों में पकडे रहा और मौका मिलते ही निशा की निप्पल को चूस देता।

थोड़ी देर बाद निशा आहें लेते हुए शांत हुई। जगदीश राय ने प्यार से निशा के बालों में हाथ फेरा, और निशा के गालों को चूमते हुए कहा।

जगदीश राय: कोई बात …नहीं बेटी…बस हो ही गया…अब।

और यह कहते हुए जगदीश राय ने अपना मोटा लंड 1 इंच बाहर निकाला। बाहर निकालते वक़्त निशा की कसी चूत बाहर की तरफ खींच गई।

और जगदीश राय ने वह झटका दिया जिससे निशा की जान निकल गयी। पुरा 9 इंच लंड , केवल 3 झटको में, जगदीश राय ने निशा की कुवारी चूत में पुरा पेल दिया था।

यूं लग रहा था जैसे जगदीश राय ने अपने बेटी से अपने छेडख़ानी का बदला लिया हो। निशा का पूरा शरीर जगदीश राय के निचे तड़प उठा।वो रो रही थी चिल्ला रही थी।

निशा: आह…पापा…प्लीज…बहोत…दर्द…।।ओह्ह गॉड़

निशा की बड़ी गांड काँप रहे थे। जगदीश राय ख़ुद को निशा के ऊपर से उठाया और निशा की चूत की तरफ देखा।

जगदीश राय के 9 इंच के लंड का कोई निशान नहीं था क्युकी वह पूरा निशा की कुँवारी चूत में समाया हुआ था।
Puri Aag laga di bhai
 
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