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Romance तेरी मेरी आशिक़ी (कॉलेज के दिनों का प्यार)

DARK WOLFKING

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दसवाँ भाग


" अरे कुछ नहीं होगा मेरी भोली-भाली दीपा। आओ तो सही।" मैने मुस्कुराते हुए बोला।

इस बार मेरी बात सुनकर दीपा भी हंस पड़ी।

" ओके ! ठीक है बाबा । चलो मैं छत पर ही आती हूँ।" यह बोलकर कॉल डिस्कनेक्ट कर दी।


कुछ मिनट बाद हम दोनों अपने - अपने कमरे से निकल कर घर की सबसे ऊपरी मंजिल यानी कि खुले छत पर बैठे थे । आसमान बिलकुल साफ था , तारे टिमटिमा रहे थे और चांद की कोमल रोशनी पूरे छत पर फैली हुई थी।

चांद की चांदनी में दीपा के गुलाबी गाल और भी गुलाबी लग रहे थे और उसके होंठ इस रोशनी में गुलाब की पंखुड़ियों जैसे लग रहे थे। कुल मिलाकर दीपा इस समय आसमान से उतरी हुई कोई हूर की परी लग रही थी। मैं तो बस दीपा की खूबसूरती में ही खो गया था।

निशांत कहाँ खो गए हो। दीपा ने मुझसे कहा।

परंतु मैं तो उसकी खूबसूरती में खो गया था। दीपा ने क्या कहा मुझे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ा।

कहाँ खो गए निशांत। दीपा ने आगे बढ़कर मुझे झिझोड़ते हुए कहा।

हाँ दीपा कुछ कहा तुमने। मैं हड़बड़ाते हुए बोला।

मैं कब से तुमको आवाज़ दे रही हूँ और तुम पता नहीं किस दुनिया में खोए हुए हो। दीपा ने कहा।

" दीपा मैं जब भी तुम्हारे साथ होता हूं ना , तो मुझे ऐसा लगता है। काश यह पल ऐसे ही थम जाए और मैं हमेशा यूं ही तुम्हारे साथ ही बैठा रहूं।" मैंने उसके कोमल हाथों को छूते हुए कहा।

" मेरे लिए तो तुम्हारे साथ होना ही मेरी जिंदगी है बाकी के तो हर पल तो किसी असहनीय दर्द सा चुभता है ।" दीपा मेरी कंधों पर अपनी सर रखती हुई बोली।

जब हम दोनों अलग-अलग कमरे में थे तो रात ही नहीं कट रही थी लेकिन जब हम दोनों एक साथ थे तब तो उस चांद की रोशनी में बात करते करते समय का कुछ पता ही नहीं चला ।

अचानक से दीपा अपना मोबाइल देखा। सुबह के 3:00 बज चुके थे। दीपा समय देख कर चौकते हुए बोली , " निशांत सुबह के 3:00 बज गए है। अब हम दोनों को अपने अपने कमरे में चलना चाहिए"

यह बोलकर दीपा छ्त से जाने लगी तभी मैंने उसके बाएं हाथ को पकड़ लिया । वह अपने आंखों से इशारा कर पूछी " क्या?"

मैंने दीपा को बिना कोई जवाब दिए उसे अपनी ओर खींच लिया । अब वह मेरे बाहों में थी ।

दीपा शायद मेरे जज्बातों को समझ गई थी। वह अपनी होठ को मेरे होंठ के पास ले आई । फिर हम दोनों एक दूसरे में चिपक गए । उसने अपने मक्खन - जैसे मुलायम होठ मेरे होंठ से चिपका दिया और किश करने लगी।

हम अगले 10 मिनट तक वैसे ही एक दूसरे में लिपटे रहे फिर हम छत से नीचे चले आए। दीपा मेरे कमरे तक आई और मुझे शुभ रात्रि बोलकर नीचे अपने कमरे में चली गई।

अगले दिन सुबह मैं और दीपा कॉलेज चले गये । शाम को कॉलेज खत्म होने के बाद दीपा अपने घर चली गई और मैं कॉलेज से वापस सीधा अपने घर आ गया था|

मैं जैसे ही अपने घर के अंदर गया तो देखा घर में भाभी ,मां ,सुजाता मौसी और अर्जुन भैया सभी लोग एक साथ बरामदे में खड़े हैं। और साथ ही सब लोग काफी परेशान दिख रहे हैं।

उस दिन भैया भी ऑफिस से जल्दी घर आ गए थे। मुझे समझ नहीं आ रहा था उन लोगों को देखकर। आखिर सब लोग इतने परेशान क्यों हैं ?

“क्या हुआ आप लोग परेशान क्यों हैं?” मैंने बोला।

मेरी बातों को सुनकर उनमें से किसी ने कोई जवाब नहीं दिया । मैंने भाभी के कमरे की तरफ देखा तो भाभी अपने बिस्तर पर बैठ कर रो रही थी।

“मां हुआ क्या, मुझे कोई बताएगा भी या सब लोग ऐसे ही उदास रहोगे?” इस बार मैंने थोड़ी तेज आवाज में बोला था।

सुजाता मौसी दूसरे कमरे से निकलती हुई बोली, “अरे मैं पहले ही बोली थी उस लड़की को घर में ज्यादा मत आने-जाने दो। लेकिन तुम लोग मेरी बात कभी सुनते ही कहां हो? अब घर में चोरी हुई तो समझ में आ गया”

“ चोरी?..” मैंने खुद से दोहराते हुए बोला।

“हां, आदिति के गहने चोरी हो गई है। भैया मेरे तरफ देखते हुए बोले।



साथ बने रहिए।
nice update ..to 3 baje tak baate karte rahe dono ..
aur ye gehne jarur mausi ne hi churaye honge aisa lagta hai ,,aur hero se deepa ki dur karne ka maksad hoga isliye aisa kiya hoga ..
 

Mahi Maurya

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nice update ..to 3 baje tak baate karte rahe dono ..
aur ye gehne jarur mausi ne hi churaye honge aisa lagta hai ,,aur hero se deepa ki dur karne ka maksad hoga isliye aisa kiya hoga ..
धन्यवाद सर जी।

ये आने वाले भाग में पता चलेगा की भाभी के गहने किसने चुराए।
वैसे मुझे भी मौसी पर ही शक है।

साथ बने रहिएगा।
 

Ahsan00

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पहला भाग


हमारी आंखें अक्सर उसी के ख्वाब देखती हैं जिसे पाना हमारी हाथों के लकीरों में नहीं होता है। मगर इन आंखों को कहां पता होता है कि हमारी 1भूल की वजह से दिल को सारी उम्र तड़पना पड़ सकता है।

कॉलेज का पहला दिन मुझे आज भी याद है जब मेरी आँखों ने उसे पहली बार देखा था। एक ऐसा पल, जिस पल को याद कर, आज मैं जिंदगी के हर पल को जी रहा हूं।

मैं कॉलेज के कोरिडोर से अपने क्लास रूम के अंदर जा रहा था। मन में एक अलग सी उमंग थी । सारी दुनिया को जीत लेने की , सारी दुनिया को समझ लेने की , एक अलग पहचान बनाने का, मगर वह पहचान कैसी होगी यह तो उस वक्त मुझे भी पता नहीं था । मैं धीमे-धीमे अपने क्लास रूम के नजदीक पहुंचने ही वाला था कि मेरे पीछे से किसी लड़की की बहुत ही कोमल आवाज मेरे कानो में पड़ी।

" हेल्लो"

ये प्यारी सी आवाज मेरे कानों को किसी मॉडर्न संगीत सा लगा। मैंने पीछे मुड़कर देखा।

गुलाबी समीज पर पीले रंग का मखमली दुपट्टा , आंखों में काजल, होठों पर हल्के लाल रंग की लिपस्टिक लगायी बहुत ही खूबसूरत लड़की ने मुझे आवाज दी थी । खिड़की से आती सूरज की किरणें उसके गालों से रिफ्लेक्स होकर सतरंगी इंद्रधनुष बना रही थी । उसकी कातिलाना मुस्कान मेरे दिल को बेध गई थी। मैं उसे देखकर कहीं खो सा गया था। मेरी सांसे थम सी गई थी कि तभी उसने दूसरी दफ़ा उसने आवाज दी।

" हेलो , मैं आप ही को बोल रही हूं"

इस बार उसने ये बात अपने हाथ को मेरी आंखों के सामने हिलाते हुए बोली थी।

मैं ख़ुद को ख्बाव वाली दुनियां से बाहर निकाल कर लड़खड़ाते हुए बोला " जी ... जी बोलिए ।"

“ रूम नंबर R014 कहां है ? प्लीज मेरी हेल्प कीजिये उसे ढूढने में। क्योंकि आज मेरा कॉलेज का पहला दिन है और मुझे अपने क्लास रूम के बारे में कोई जानकारी नहीं ” उस लड़की ने कोमल स्वर में बोली।

“ आप यहां से सीधे जाकर राइट ले लीजियेगा कुछ कदम चलने पर ही आपको अपन क्लास रूम दिख जाएगा ” मैंने उसे हाथ से इशारा करते हुए बोला।

मेरी बात सुनकर लड़की ने हल्की मुस्कान के साथ थैंक्स बोला और फिर कमरे की तरफ चली गई । सच बोलूं तो मुझे भी उस कमरे के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी , कुछ देर पहले जब मैं अपनी क्लास रूम ढूंढ रहा था उसी वक्त मैंने वह क्लास रूम देखा था।

उस लड़की के वहां से चले जाने के बाद भी मैं उसे कुछ समय तक देखता रहा । वह पीछे से भी देखने में उतनी ही खूबसूरत लग रही थी जितना की अभी आगे से देखने में मुझे लगी थी।(इसका कोई गलत मतलब मत निकालियेगा मित्रों)

उस लड़की के जाने के बाद मैं भी अपने क्लास रुम के अंदर चला गया क्लास रूम के अंदर बहुत सारे लड़के लड़कियां थे उन सभी लोगों का भी आज इस कॉलेज में पहला दिन ही था। सबके आंखों में कुछ सपने थे ,कुछ सीखने का जज्बा और जिंदगी को खुलकर जीने का आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा पड़ा था।

शायद सब लोगों को यही लग रहा होगा कि कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद जिंदगी संवर जाएगी और उनकी जिंदगी खूबसूरत हो जाएगी, लेकिन इस भीड़ के बीच शायद मैं ही एक ऐसा व्यक्ति था जिसे कॉलेज के पहले दिन ही जिंदगी मिल गई थी या यूं कहें कि जिंदगी सवर गई थी। वह पीली दुपट्टे वाली लड़की मेरे दिल-ओ-दिमाग में घर कर गई थी मैं उससे कभी मिला नहीं था और ना ही उसके बारे में कुछ जानता था। यहां तक कि मैं उससे कुछ ज्यादा बातें भी नहीं कर पाया था। लेकिन जिस वक्त उसे पहली दफा देखा था । उसी वक्त मेरे दिल से एक आवाज आयी थी ।

यार ! यही तुम्हरी जिन्दगी हैं , तुम्हे इसके साथ ही जिंदगी बितानी है। हमेशा साथ रहेगी तुम्हारे हर कदम पर , जिन्दगी के हर मोड़ पर।

मुझे लगा आज से यही मेरी रूह है और यही मेरी आशिकी। खैर कुछ समय के लिए इन बातों को भुला कर मैंने अपना ध्यान किताबों पर टिकाया ।

क्लास खत्म होने के बाद मैं फिर उसी जगह पर जाकर खड़ा हो गया जहां मुझे वह पीले दुपट्टे वाली लड़की मुझे मिली थी। मुझे उम्मीद था वह लड़की वापस यहीं से होकर गुजरेगी और मुझे देख कर एक बार फिर मुस्कुराएगी । लेकिन सभी विद्यार्थियों के कॉलेज से बाहर निकलने के बाद भी उसके आने का कोई अता-पता ना चला।

जब उसके आने की कोई उम्मीद मुझे ना दिखी तब मैंने सोचा - “शायद मुझे क्लास से निकलने में देर हो गई हो उसके पहले ही वह निकल चुकी होगी।”

मैं उदासीन चेहरा बनाकर कॉलेज से बाहर निकल गया। वैसे हम लड़कों को अक्सर यही होता है। कोई लड़की एक बार मुस्कुराकर बात क्या कर लेती है, हम लडके उसे अपना दिल दे बैठते हैं और यही गलतफहमी लोगों को हमेशा होती रहती है लेकिन शायद मेरे साथ ऐसा पहली बार हुआ था।

मैं अभी कुछ सोच ही रहा था कि वह पीले दुपट्टे वाली लड़की दिखी। वह किसी हट्टे कट्टे डील डौल वाले लड़के के साथ बाइक पर बैठकर वहां से निकल रही थी। उसे किसी दूसरे लड़के के साथ बाइक पर बैठा देख मेरा कलेजा बैठ-सा गया। मेरी आंखें में मिचौलिया खाने लगी, मेरी आंखे औंध–सी गयी।

साला एक लड़की भी पसंद आई तो वो भी किसी और की निकली।” मैंने खुद से बुदबुदा कर बोला।

शाम को ठीक 6:00 बजे मैं घर पहुंच चुका था और अपने सोफे पर बैठकर 90’s (नाइनटीज ) के पसंदीदा गाने सुन रहा था ।

“ तू प्यार है किसी और का तुझे चाहता कोई और है ”
Sony Max पर यह गाना आ रहा था।

वैसे यह गाना उस वक्त मुझ पर सूट नहीं कर रहा था। यह गाना खत्म होकर कोई अगला गाना आता कि उससे पहले वहां पर मेरे बड़े भैया आ पहुचें । फ़िलहाल उस वक्त भैया पापा की कंपनी संभाल रहे थे और अगले हफ्ते ही इनकी शादी भी होने वाली थी।

“ छोटे, आज कॉलेज का पहला दिन कैसा रहा ?

” भैया अपनी टाई को खोलते हुए बोले।

“बस ठीक-ठाक” मैंने कहा।

“ ठीक-ठाक से क्या मतलब !

” उन्होंने कंधे उचकाते हुए बोला।

भैया अभी कॉलेज में कोई दोस्त वगैरह नहीं ना है, इसलिए अभी ठीक-ठाक ही लगा शायद बाद में ठीक लगने लगे” मैंने कहा।

अब उन्हें कैसे बताऊं कि कॉलेज के पहले दिन ही मुझे एक लड़की पसंद आ गई है और वह भी एक ऐसी लड़की जिसका बॉयफ्रेंड पहले से ही है।


साथ बने रहे।।।।।



Mahi madam plzzz Hindi nai ati hum ko urdu main likho na plzzz
 
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Mahi Maurya

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ग्यारहवाँ भाग


सुजाता मौसी दूसरे कमरे से निकलती हुई बोली, “अरे मैं पहले ही बोली थी उस लड़की को घर में ज्यादा मत आने-जाने दो। लेकिन तुम लोग मेरी बात कभी सुनते ही कहां हो? अब घर में चोरी हुई तो समझ में आ गया”

“ चोरी?..” मैं खुद से दोहराते हुए बोला।

“हां, आदिति के गहने चोरी हो गए हैं। भैया मेरे तरफ देखते हुए बोले।


“अरे उन जैसी लड़कियों का यही काम होता है। उस जैसी लड़की तो सबसे पहले किसी अमीर लड़के को फंसाती हैं फिर उसके घर वालों के सामने अच्छे बनने का नाटक भी करती हैं और उसके घर आती जाती रहती हैं फिर मौका देखकर सारा माल उड़ा ले जाती हैं।” सुजाता मौसी बोली।

पहले तो सुजाता मौसी की बात सुनकर मुझे कुछ समझ में नहीं आ रही थी। आखिर मौसी कहना क्या चाहती थी मगर फिर उनकी इसी बात को बार-बार दोहराते रहने कारण मैं समझ गया था कि उनक इशारा दीपा की तरफ था।

शायद वह मेरे घर वाले को यह बताना चाह रही थी कि दीपा ही आदिति भाभी के सारे गहने लेकर चंपत हो गई है।

आदिती भाभी के तीन लाख के गहने गायब हो चुके थे।
मुझे तो अब भी भरोसा नहीं हो रहा था कि सुजाता मौसी दीपा पर ऐसा इल्जाम लगा सकती हैं।

“निशांत बेटा दीपा के फोन लगाकर उससे गहने के बारे में पूछो। ” मेरी मां रोयासी (रोतेज जैसे ) आवाज में बोली।

“ मां दीपा चोरी के बारे में क्या बताएगी उसे कैसे मालूम होगा गहनों के बारे में?” मैंने मां से बोला।

“जब गहने लेकर वो गई है, चोरी उसने की है। तो गहनों के बारे में और कौन बताएगी?” सुजाता मौसी मुझसे बोली।

मौसी की बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था।

“मौसी आपका दिमाग तो खराब नहीं है ना ? दीपा के बारे में कैसी बातें कर रही हैं आप ” मैं इस बार गुस्से में बोला था।

“ओ ...हो... निशांत तुम्हें गुस्सा आ रहा है। अरे अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है जो लोगों को सही से पहचान सको ?” मौसी ताने- मारती हुई बोली। उसके बाद वह अपननी चेहरा दूसरी तरफ फेर ली।

“ निशांत दीपा को कॉल कीजिए” आदिति भाभी बोली।

“भाभी आप भी.....?”

मेरी बात पूरी होने से पहले ही अर्जुन भैया बोले, “दीपा से बात कर लो शायद उन्हें गहने के बारे में कुछ जानकारी हो

सारे घरवालों की बात सुनकर मुझे बहुत दुःख हुआ और मौसी पर और ज्यादा गुस्सा आने लगा, क्योंकि कहीं न कहीं उनकी बातों का असर घर के सभी लोगों पर थोड़ा बहुत हुआ था।

भैया का यह बात सुनकर मैंने इस बार सभी के चेहरों की तरफ देखा। उन सभी लोगों के शक की सुई दीपा पर ही जा रही थी।

मैं दीपा के बारे में कुछ सोच ही रहा था कि तभी मेरे कानों में भाभी की आवाज सुनाई पड़ी।

"दीपा क्या तुम इस वक्त मेरे घर आ सकती हो?” भाभी फोन पर दीपा से बात कर रही थी।

“क्यों दी (दीदी ) क्या हुआ? आप अचानक से मुझे इस वक्त क्यों बुला रही है? सब खैरियत तो है ना ?” दीपा एक ही साँस में ये सारी बाते बोल दी।

“बस तुम अभी घर आ जाओ। मैं तुम्हें सब बताती हूं।” आदिति भाभी बोली।

“ठीक है दी(दीदी ), मैं आधे घंटे में पहुंचती हूं।” दीपा ने यह बोलकर फोन काट दिया।

सब लोग कुछ देर तक मौन रहे फिर मैं बोला, “ भैया हम बिना किसी सही जानकारी के सिर्फ शक के आधार से दीपा पर चोरी का इल्जाम कैसे लगा सकते हैं ? अगर उसने यह सब नहीं किया हो तो?”

निशांत मैं दीपा को अच्छी तरह से जानता हूं। वह ऐसी लड़की नहीं हैं। वह कभी भी चोरी नहीं कर सकती है। बस इन लोगों के संतुष्टि के लिए उसे यहां आने दो।” अर्जुन भैया बोले।

“ठीक है।” मैंने बोला।

दीपा आधे घंटे के अंदर ही हम लोगों के बीच मेरे घर में खड़ी थी

आदिती दी ( दीदी) आपने इतनी जल्दी मुझे बुलाया। क्या बात करनी थी? बताइए मैं आ गई हूं।” दीपा आते ही आदिती भाभी से बोल पड़ी।

“दीपा कल रात मेरे सारे गहने चोरी हो गए हैं।” आदिति भाभी बोली।

“ क्या?.. आप के गहने चोरी हो गए हैं ? आपने अपने गहने कहां रखे थे? ” दीपा चौकते हुए बोली।

“ओहो... कैसी अनजान होकर बोल रही है? ...आपने गहने कहां रखा था?” सुजाता मौसी मुंह बनाती हुई बोली।

सुजाता मौसी की बात सुनकर दीपा को भी थोड़ा थोड़ा शक हो गया कि शायद सुजाता मौसी उसे ही चो समझ रही हैं।

“सुजाता मौसी आप कहना क्या चाहती हैं? दीपा सुजाता मौसी से बोली।



साथ बने रहिए।
 
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DARK WOLFKING

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nice update ..chalo dipa to aa gayi ..par mausi ab bhi uspar hi shak kiye baithi hai ..
kya kisiko aisa nahi laga ki ghar ke kisi member ko paise ki jarurat hogi isliye jewar churaye ..
sab mausi ki baato me aa gaye ..

shayad nishant ya arjun ne jewar chori kiye ho ,,dono me se kisiko jarurat ho ye nahi socha sirf deepa ko target kiya gaya ...
abhi koi bhi sujata mausi ke baare me jaanta nahi ki wo aisa kyu kar rahi hai 🤔🤔..

shayad deepa bhi chor ho sakti hai 🤔🤔..abhi kuch kehna sahi nahi hai ..
 

Mahi Maurya

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Lagta hai ab Mausi ka pol khulane ka waqt aagaya hai.
धन्यवाद सर जी।

ये तो अब अगले भाग में पता चलेगा कि क्या होता है।

साथ बने रहिए।
 
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