mashish
BHARAT
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अगला भाग लिख दिए हैं सर जी।Waiting
धन्यवाद सर जी।Behadd Shandar Update, bahot khub![]()
to akhir kaar Dipa maan hi gayi yaha rehne ke liye, aakho ki ishare baziwaise ek dusre ko gehrayi tak samajhne wale premi bina kuch bole akho akho me bhi bahot kuch keh jate he, lekin Nishant ke bhaiya ne inki ye aakho wali baatchit dekh li
ab kuch to hone ki ashanka ho rahi he, lekin kya? Eagerly Waiting For Next Update ❤
धन्यवाद आपका सर जी।कहानी बहुत ही बेहतरीन है। अगले अपडेट की प्रतीक्षा है
lovely update lagta to aisa hai jese ye kand mousi ne kiya hoदसवाँ भाग
" अरे कुछ नहीं होगा मेरी भोली-भाली दीपा। आओ तो सही।" मैने मुस्कुराते हुए बोला।
इस बार मेरी बात सुनकर दीपा भी हंस पड़ी।
" ओके ! ठीक है बाबा । चलो मैं छत पर ही आती हूँ।" यह बोलकर कॉल डिस्कनेक्ट कर दी।
कुछ मिनट बाद हम दोनों अपने - अपने कमरे से निकल कर घर की सबसे ऊपरी मंजिल यानी कि खुले छत पर बैठे थे । आसमान बिलकुल साफ था , तारे टिमटिमा रहे थे और चांद की कोमल रोशनी पूरे छत पर फैली हुई थी।
चांद की चांदनी में दीपा के गुलाबी गाल और भी गुलाबी लग रहे थे और उसके होंठ इस रोशनी में गुलाब की पंखुड़ियों जैसे लग रहे थे। कुल मिलाकर दीपा इस समय आसमान से उतरी हुई कोई हूर की परी लग रही थी। मैं तो बस दीपा की खूबसूरती में ही खो गया था।
निशांत कहाँ खो गए हो। दीपा ने मुझसे कहा।
परंतु मैं तो उसकी खूबसूरती में खो गया था। दीपा ने क्या कहा मुझे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ा।
कहाँ खो गए निशांत। दीपा ने आगे बढ़कर मुझे झिझोड़ते हुए कहा।
हाँ दीपा कुछ कहा तुमने। मैं हड़बड़ाते हुए बोला।
मैं कब से तुमको आवाज़ दे रही हूँ और तुम पता नहीं किस दुनिया में खोए हुए हो। दीपा ने कहा।
" दीपा मैं जब भी तुम्हारे साथ होता हूं ना , तो मुझे ऐसा लगता है। काश यह पल ऐसे ही थम जाए और मैं हमेशा यूं ही तुम्हारे साथ ही बैठा रहूं।" मैंने उसके कोमल हाथों को छूते हुए कहा।
" मेरे लिए तो तुम्हारे साथ होना ही मेरी जिंदगी है बाकी के तो हर पल तो किसी असहनीय दर्द सा चुभता है ।" दीपा मेरी कंधों पर अपनी सर रखती हुई बोली।
जब हम दोनों अलग-अलग कमरे में थे तो रात ही नहीं कट रही थी लेकिन जब हम दोनों एक साथ थे तब तो उस चांद की रोशनी में बात करते करते समय का कुछ पता ही नहीं चला ।
अचानक से दीपा अपना मोबाइल देखा। सुबह के 3:00 बज चुके थे। दीपा समय देख कर चौकते हुए बोली , " निशांत सुबह के 3:00 बज गए है। अब हम दोनों को अपने अपने कमरे में चलना चाहिए"
यह बोलकर दीपा छ्त से जाने लगी तभी मैंने उसके बाएं हाथ को पकड़ लिया । वह अपने आंखों से इशारा कर पूछी " क्या?"
मैंने दीपा को बिना कोई जवाब दिए उसे अपनी ओर खींच लिया । अब वह मेरे बाहों में थी ।
दीपा शायद मेरे जज्बातों को समझ गई थी। वह अपनी होठ को मेरे होंठ के पास ले आई । फिर हम दोनों एक दूसरे में चिपक गए । उसने अपने मक्खन - जैसे मुलायम होठ मेरे होंठ से चिपका दिया और किश करने लगी।
हम अगले 10 मिनट तक वैसे ही एक दूसरे में लिपटे रहे फिर हम छत से नीचे चले आए। दीपा मेरे कमरे तक आई और मुझे शुभ रात्रि बोलकर नीचे अपने कमरे में चली गई।
अगले दिन सुबह मैं और दीपा कॉलेज चले गये । शाम को कॉलेज खत्म होने के बाद दीपा अपने घर चली गई और मैं कॉलेज से वापस सीधा अपने घर आ गया था|
मैं जैसे ही अपने घर के अंदर गया तो देखा घर में भाभी ,मां ,सुजाता मौसी और अर्जुन भैया सभी लोग एक साथ बरामदे में खड़े हैं। और साथ ही सब लोग काफी परेशान दिख रहे हैं।
उस दिन भैया भी ऑफिस से जल्दी घर आ गए थे। मुझे समझ नहीं आ रहा था उन लोगों को देखकर। आखिर सब लोग इतने परेशान क्यों हैं ?
“क्या हुआ आप लोग परेशान क्यों हैं?” मैंने बोला।
मेरी बातों को सुनकर उनमें से किसी ने कोई जवाब नहीं दिया । मैंने भाभी के कमरे की तरफ देखा तो भाभी अपने बिस्तर पर बैठ कर रो रही थी।
“मां हुआ क्या, मुझे कोई बताएगा भी या सब लोग ऐसे ही उदास रहोगे?” इस बार मैंने थोड़ी तेज आवाज में बोला था।
सुजाता मौसी दूसरे कमरे से निकलती हुई बोली, “अरे मैं पहले ही बोली थी उस लड़की को घर में ज्यादा मत आने-जाने दो। लेकिन तुम लोग मेरी बात कभी सुनते ही कहां हो? अब घर में चोरी हुई तो समझ में आ गया”
“ चोरी?..” मैंने खुद से दोहराते हुए बोला।
“हां, आदिति के गहने चोरी हो गई है। भैया मेरे तरफ देखते हुए बोले।
साथ बने रहिए।
धन्यवाद आपका सर जी।lovely update lagta to aisa hai jese ye kand mousi ne kiya ho