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Romance तेरी मेरी आशिक़ी (कॉलेज के दिनों का प्यार)

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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304
zabardast update ...deepa ko lapete me le rahi thi mausi ..par nishant ki hoshiyari ne usko bacha liya .
aur police ka naam sunke apna gunaah mausi ne kabul kar liya ...
dekhte hai ab gharwale kya faisla lete hai ..
धन्यवाद सर जी आपका।
मेरा तो मानना है कि घरवालों को मौसी को माफ़ नही करना चाहिए।

बाकी क्या होता है अगले भाग में पता चलेगा।

साथ बने रहिए।
 
Last edited:

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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तेरहवाँ भाग


“क्या?...” सभी एक साथ बोल पड़े।

अब यह सुनने के बाद दीपा रोना बंद कर चुकी थी और हम सभी सुजाता मौसी को देख रहे थे। सभी यह जानकर हैरान थे कि भाभी के सभी गहने सुजाता मौसी छुपा कर रखी हैं।

“हां बेटा सारे गहने मैंने ही छुपा कर रख दिए हैं। इसके लिए मुझे माफ कर दो” सुजाता मौसी लगभग रोती हुई बोली।

“मगर सुजाता मौसी आपने ऐसा क्यों किया। मैं तो कभी सोच भी नहीं सकती थी कि आप ऐसा कर सकती हो।” आदिति भाभी सुजाता मौसी के पास जाकर बोली।

“अर्जुन द्वारा मेरी बेटी शिल्पा का रिश्ता ठुकराने के कारण मैं तुम लोगों से काफी नाराज थी और मैं चाहती थी कि बहू के गहने चुराकर मैं बहू को ही बदनाम करवा दूँगी इसके लिए मैंने सोच रखा था कि सब लोगों को बोल दूंगी कि उसने सारे गहने अपने मायके वालों को दे दिया है , जिससे बहू सब लोगों के नजर से गिर जाएगी फिर तुम लोगों को लगने लगेगा कि मैंने शिल्पा का रिश्ता ठुकरा कर बड़ी गलती कर दी है।” सुजाता मौसी बोली।

“लेकिन कोई यह कैसे मान सकता था कि आदिति भाभी अपना खुद का गहना खुद ही चुरा लिया है” मैंने सुजाता मौसी से पूछा।

“कोई माने या ना माने मगर रिश्तेदार और मोहल्ले वाले तो मान ही सकते थे ना।” सुजाता मौसी कुटिल शब्दों में बोली।

“अच्छा मौसी तो आप मेरे घर में रहकर मेरी ही पत्नी के खिलाफ साजिश रच रही थी। वाह बहुत बढ़िया... बहुत बढ़िया।” अर्जुन भैया ताली बजाते हुए बोले।

भैया की यह बात सुनकर सुजाता मौसी ने अपना चेहरा नीचे झुका लिया और चुपचाप खड़ी हो गई।

“अगर चोरी का इरादा भाभी को बदनाम करना था तो फिर इसमें दीपा को क्यों घसीट रही थी?” मैंने सुजाता मौसी से पूछा।

बेटा मैं इस चोरी में दीपा को बदनाम करना नहीं चाह रही थी मगर गहने चोरी होने की खबर मिलते ही सब लोगों की नजर सबसे पहले दीपा पर ही गई थी क्योंकि दीपा यहां से सबसे पहले बाहर निकली थी तो उस वक्त अदिति बहू पर आरोप लगाना उचित नहीं समझा। मौसी सीधे गर्दन झुकाए हुई बोलती रही।

सब लोग सुजाता मौसी के इस हरकत से शर्मिंदगी महसूस कर रहे थे मैं चुपचाप बरामदे में लगी सोफे पर जाकर बैठ गया।

दीदी मैं तुम्हें अपने परिवार के सदस्य जैसा ही मानती थी और आप मेरे ही घर में रहकर मेरे रिश्तेदारों को मेरी ही बहू को बदनाम करने के बारे में सोच रही थी मां गुस्से से आकर सुजाता मौसी से बोली।

मुझे माफ कर दो बहना मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई । सुजाता मौसी रोती हुई बोली।

अब मुझे लगता है कि मैंने अर्जुन के लिए शिल्पा का रिश्ता न मानकर बहुत अच्छा किया था, क्योंकि आपके बारे में मुझे पहले से पता था कि आप इधर की बात उधर और उधर की बात इधर करने में माहिर हैं। बिना किसी मतबल के लोगों को नीचा दिखाना आपकी आदत है। तो शिल्पा की परवरिश तो आपने ही की है। कहीं-न-कहीं शिल्पा में आपके ही गुण तो होंगे। जो भी मैंने किया अच्छा ही किया। कम-से-कम अर्जुन की जिंदगी खराब होने से बच गई। माँ ने सुजाता मौसी से कहा।

मौसी कुछ देर तक वहीं खड़ी रही। कुछ समय बाद मौसी कमरे की तरफ गई और अपना बैग उठाकर लाई और उसमें छुपा कर रखे भाभी के सारे गहने निकालकर मेरी मां के हाथों में रख दिया।

मेरे घरवाले दीपा के साथ किए गए अपने बर्ताव के लिए दीपा से माफी मांग रहे थे।

दीपा मुझे माफ कर दो बहन मैंने भी तुम्हें गलत समझा अदिति भाभी दीपा से माफी मांगती हुई बोली।

हां बेटी मुझे भी माफ कर दो मैं भी अपनी बहन की हां में हां मिलाते हुए तुम्हें बहुत कुछ बुरा भला कह दिया है मेरी मां दीपा के हाथों को अपने हाथों में पकड़ती हुई बोली।

ये आप लोग कैसी बात कर रहे हैं। आप सब मुझसे बड़े हैं। और आप तो मेरी माँ जैसी हैं। मुझे तो माँ का प्यार नसीब नहीं हुआ, लेकिन वो बिलकुल आपकी तरह ही रही होंगी। माँ बाप बच्चों से माँफी नहीं माँगते।आशीर्वाद देते हैं। अपने जो कुछ मुझे कहा वह कोई गलत नहीं था क्योंकि अगर मैं भी आपकी जगह पर होती तो मैं भी यही बोलता बोलती। क्योंकि एक बहन दूसरी बहन की बातों को झूठा नहीं मान सकती है। और सुजाता मौसी ने भी इसी बात का फायदा उठाया है।

मेरी माँ दीपा की इस बात से बहुत प्रभावित हुई और आगे बढ़कर उसके माथे को चूमकर आशीर्वाद दिया।

दीपा ने घर वालों को माफ कर दिया था अदिति भाभी दीपा द्वारा माफ किए जाने के कारण अब बहुत खुश थी जबकि सुजाता मौसी वहीं पर झूठे घड़ियाली आंसू बहा रही थी।

मौसी अब आप भी चुप हो जाइए आप ने अपनी गलती स्वीकार कर ली समझो आपने अपनी सजा पा ली है प्लीज प्लीज अब मत रोइए दीपा सुजाता मौसी के पास जाकर बोली।

बेटी तुम मुझे भी माफ कर दो मेरे कारण तुम्हें लोगों से इतना बेइज्जत होना पड़ा । मौसी दीपा से बोली

मौसी मैंने आपको माफ कर दिया है बस आप चुप हो जाइए और इतना बोलते हुए दीपा ने मौसी को गले लगा लिया।

दीपा के इस अपनेपन और प्यार भरे बर्ताव से मेरे घरवाले काफी खुश हो गए दीपा ने अपनी बेइज्जती करने वालों को यूं ही माफ कर दिया था। जिसके कारण दीपा के बड़प्पन से सभी प्रभावित हुए। दीपा द्वारा सुजाता मौसी को माफ करने के बाद मेरे घर वालों ने भी सुजाता मौसी को माफ कर दिया।

अदिति दीदी आप मुझे अपने घर जाना होगा वरना भैया को फिर से इंतजार करना पड़ेगा। दीपा आदिति भाभी के पास जाकर बोली।

ठीक है बहन जाओ मगर इन सभी बातों को भुला देना प्लीज। अदिति भाभी बोली

आदिति दी आप कैसी बात कर रही है मैं इस बात तो कुछ देर पहले ही भूल गई हूं ।दीपा आदिति भाभी को गले लगाती हुई बोली

दीपा को पहले जैसा खुश देखकर मैं भी अब खुश हो गया था।

निशांत बेटा दीपा को इसके घर तक छोड़ दो। मेरी मां मुझसे बोली

मैंने अर्जुन भैया के तरफ देखा।

हां शाम हो गई है जाकर दीपा को इसके घर छोड़ आओ। भैया ने जाने की इजाजत देते हुए कहा।

मैं बाइक लेकर दीपा के घर के लिए निकल पड़ा वह मेरे साथ बाइक पर चुपचाप मूर्त होकर बैठी थी मैंने दीपा को शांत बैठा देख कर बोला, " दीपा प्लीज आप सब लोगों को माफ कर दो उन लोगों ने कुछ ज्यादा ही बोल दिया था।"

मैंने तो उन लोगों को कब का माफ कर दिया । बस तुम्हें माफ नहीं किया। दीपा शांत स्वर में मुंह बनाती हुई बोली।

मगर मैंने क्या किया मुझे क्यों नहीं माफ किया तूने। मैंने चौकते हुए दीपा से कहा।

क्योंकि तुम उस वक्त से यू उदास उदास सा चेहरा बनाए हुए हो। दीपा इस बार हंसती हुई बोली। उसकी हंसी सुनकर मैं भी हंस पड़ा।

कुछ मिनट बाद मैं दीपा के घर पहुंच चुका था वह गाड़ी से उतर कर अपने घर के दरवाजे से अंदर जाने लगी फिर पीछे मुड़कर बोली। क्या कुछ देर तुम रुक नहीं सकते हो।

मैंने उसकी आंखों की ओर देखा फिर मुस्कुरा कर बोला। यदि आप बोलेंगी तो मैं सारी उम्र भी यहीं रुकने को तैयार हूं।

मैं बाइक को दरवाजे के पास डबल स्टैंड पर खड़ा करके उसके घर के अंदर चला गया। उस वक्त दीपा के घर में उसके भाई आशीष नहीं थे।

दीपा का घर कोई महलों जैसे नहीं था मगर काफी बड़ा था उसका घर काफी पुराना था, क्योंकि उसके घर की दीवारों के रंग तक उतर चुके थे। दीपा के भैया दूध का व्यापार किया करते थे उसके घर के अंदर ही बहुत बड़ी गौशाला बनी हुई थी जिसमें लगभग 20 से 25 गाय भैंस थी उसके घर और गौशाला के चारों ओर 6 फीट ऊंची दीवार से बाउंड्रिंग की हुई थी जिस के ऊपरी हिस्से पर कांटेदार तार से घिरा हुआ था उसके अंदर ही एक छोटा सा खेत नुमा बगीचा था जिसमें आम , नींबू के पौधों के अलावा घास फूल पत्ते भी थे। कुल मिलाकर यह घर कम मैदान अधिक लग रहा था मगर आगे का हिस्सा देखकर एक अच्छी खासी पुरानी हवेली कहना गलत नहीं हो सकता था।वैसे मैं दीपा को घर तक कई बार छोड़ने आया था मगर घर के अंदर आज पहली बार आया था।

निशांत मेरा यही घर है एक छोटा सी कुटिया । दीपा अपने हाथों से अपने घर और गौशाला की ओर इशारा करती हुई बोली।

बहुत प्यारा घर है । मैंने बोला

हां मेरे लिए और मेरे भैया के लिए यह सबसे प्यारा घर है । शायद तुम्हें इस घर में अच्छा ना लग रहा हो। दीपा बोली।

पागल हो सच में मुझे तुम्हारा घर काफी अच्छा लग रहा है ठंडी हवा, खुला आसमान कमरे के नजदीकी पेड़ पौधे और फूलों से लद्दा फूलों का पौधा वाकई में काफी खूबसूरत है। मैंने बोला।

इस कुर्सी पर बैठो मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं। दीपा एक प्लास्टिक की कुर्सी मेरी तरफ बढ़ाते हुए बोली।

कुर्सी बीच से टूटी हुई थी जिसे पतले तार से जोड़कर बैठने लायक बनाया गया था।

नहीं नहीं मैं चाय नहीं पियूँगा। अभी तो वापस जाना होगा फिर कभी आऊंगा तो जरूर पी लूंगा। मैंने बोला।

मैं वहां कुर्सी से उठकर वापस घर जाने के लिए दरवाजे के पास आ गया मुझे दरवाजे तक छोड़ने के लिए मेरे साथ साथ दीपा भी आई। कुछ पल तक मैं उसके चेहरे को निहारता रहा उसके बाद उसके हाथों को पकड़कर उसे अपनी बाहों में लपेट लिया वह भी मुझसे कुछ मिनटों तक लिपटी रही। उसके बाद वह मेरे गालों को चूम कर मुझसे थोड़ी दूरी पर खड़ी हो गई उस वक्त उसकी आंखों में मेरे लिए बेइंतेहा मोहब्बत दिख रही थी।

ठीक है दिपा मैं अब निकलता हूं ।अब अगले दिन कॉलेज में हमारी मुलाकात होगी। मैंने कहा ।

दीपा अपनी गर्दन हाँ में हिलाकर मुझे जाने की इजाजत दी । मैं अपनी बाइक स्टार्ट कर अपने घर चला गया।


साथ बने रहिए।

 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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बहुत ही बढ़िया अपडेट । आखिरकार मौसी ने खुद ही अपनी चोरी कबूल कर ली
धन्यवाद आपका।
साथ बने रहिए।
 
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DARK WOLFKING

Supreme
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nice update ..sabne deepa se maafi maangi aur usne sabko aur mausi ko bhi maaf kar diya ..
par aditi ko badnaam karna chahti thi mausi mujhe laga deepa ko badnaam karna chahti hai ..

aur ye 25 bhains hone ke baad bhi deepa ke ghar me tooti kursi hai ye thoda ajeeb laga ..
 

mashish

BHARAT
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तेरहवाँ भाग


“क्या?...” सभी एक साथ बोल पड़े।

अब यह सुनने के बाद दीपा रोना बंद कर चुकी थी और हम सभी सुजाता मौसी को देख रहे थे। सभी यह जानकर हैरान थे कि भाभी के सभी गहने सुजाता मौसी छुपा कर रखी हैं।

“हां बेटा सारे गहने मैंने ही छुपा कर रख दिए हैं। इसके लिए मुझे माफ कर दो” सुजाता मौसी लगभग रोती हुई बोली।

“मगर सुजाता मौसी आपने ऐसा क्यों किया। मैं तो कभी सोच भी नहीं सकती थी कि आप ऐसा कर सकती हो।” आदिति भाभी सुजाता मौसी के पास जाकर बोली।

“अर्जुन द्वारा मेरी बेटी शिल्पा का रिश्ता ठुकराने के कारण मैं तुम लोगों से काफी नाराज थी और मैं चाहती थी कि बहू के गहने चुराकर मैं बहू को ही बदनाम करवा दूँगी इसके लिए मैंने सोच रखा था कि सब लोगों को बोल दूंगी कि उसने सारे गहने अपने मायके वालों को दे दिया है , जिससे बहू सब लोगों के नजर से गिर जाएगी फिर तुम लोगों को लगने लगेगा कि मैंने शिल्पा का रिश्ता ठुकरा कर बड़ी गलती कर दी है।” सुजाता मौसी बोली।

“लेकिन कोई यह कैसे मान सकता था कि आदिति भाभी अपना खुद का गहना खुद ही चुरा लिया है” मैंने सुजाता मौसी से पूछा।

“कोई माने या ना माने मगर रिश्तेदार और मोहल्ले वाले तो मान ही सकते थे ना।” सुजाता मौसी कुटिल शब्दों में बोली।

“अच्छा मौसी तो आप मेरे घर में रहकर मेरी ही पत्नी के खिलाफ साजिश रच रही थी। वाह बहुत बढ़िया... बहुत बढ़िया।” अर्जुन भैया ताली बजाते हुए बोले।

भैया की यह बात सुनकर सुजाता मौसी ने अपना चेहरा नीचे झुका लिया और चुपचाप खड़ी हो गई।

“अगर चोरी का इरादा भाभी को बदनाम करना था तो फिर इसमें दीपा को क्यों घसीट रही थी?” मैंने सुजाता मौसी से पूछा।

बेटा मैं इस चोरी में दीपा को बदनाम करना नहीं चाह रही थी मगर गहने चोरी होने की खबर मिलते ही सब लोगों की नजर सबसे पहले दीपा पर ही गई थी क्योंकि दीपा यहां से सबसे पहले बाहर निकली थी तो उस वक्त अदिति बहू पर आरोप लगाना उचित नहीं समझा। मौसी सीधे गर्दन झुकाए हुई बोलती रही।

सब लोग सुजाता मौसी के इस हरकत से शर्मिंदगी महसूस कर रहे थे मैं चुपचाप बरामदे में लगी सोफे पर जाकर बैठ गया।

दीदी मैं तुम्हें अपने परिवार के सदस्य जैसा ही मानती थी और आप मेरे ही घर में रहकर मेरे रिश्तेदारों को मेरी ही बहू को बदनाम करने के बारे में सोच रही थी मां गुस्से से आकर सुजाता मौसी से बोली।

मुझे माफ कर दो बहना मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई । सुजाता मौसी रोती हुई बोली।

अब मुझे लगता है कि मैंने अर्जुन के लिए शिल्पा का रिश्ता न मानकर बहुत अच्छा किया था, क्योंकि आपके बारे में मुझे पहले से पता था कि आप इधर की बात उधर और उधर की बात इधर करने में माहिर हैं। बिना किसी मतबल के लोगों को नीचा दिखाना आपकी आदत है। तो शिल्पा की परवरिश तो आपने ही की है। कहीं-न-कहीं शिल्पा में आपके ही गुण तो होंगे। जो भी मैंने किया अच्छा ही किया। कम-से-कम अर्जुन की जिंदगी खराब होने से बच गई। माँ ने सुजाता मौसी से कहा।

मौसी कुछ देर तक वहीं खड़ी रही। कुछ समय बाद मौसी कमरे की तरफ गई और अपना बैग उठाकर लाई और उसमें छुपा कर रखे भाभी के सारे गहने निकालकर मेरी मां के हाथों में रख दिया।

मेरे घरवाले दीपा के साथ किए गए अपने बर्ताव के लिए दीपा से माफी मांग रहे थे।

दीपा मुझे माफ कर दो बहन मैंने भी तुम्हें गलत समझा अदिति भाभी दीपा से माफी मांगती हुई बोली।

हां बेटी मुझे भी माफ कर दो मैं भी अपनी बहन की हां में हां मिलाते हुए तुम्हें बहुत कुछ बुरा भला कह दिया है मेरी मां दीपा के हाथों को अपने हाथों में पकड़ती हुई बोली।

ये आप लोग कैसी बात कर रहे हैं। आप सब मुझसे बड़े हैं। और आप तो मेरी माँ जैसी हैं। मुझे तो माँ का प्यार नसीब नहीं हुआ, लेकिन वो बिलकुल आपकी तरह ही रही होंगी। माँ बाप बच्चों से माँफी नहीं माँगते।आशीर्वाद देते हैं। अपने जो कुछ मुझे कहा वह कोई गलत नहीं था क्योंकि अगर मैं भी आपकी जगह पर होती तो मैं भी यही बोलता बोलती। क्योंकि एक बहन दूसरी बहन की बातों को झूठा नहीं मान सकती है। और सुजाता मौसी ने भी इसी बात का फायदा उठाया है।

मेरी माँ दीपा की इस बात से बहुत प्रभावित हुई और आगे बढ़कर उसके माथे को चूमकर आशीर्वाद दिया।

दीपा ने घर वालों को माफ कर दिया था अदिति भाभी दीपा द्वारा माफ किए जाने के कारण अब बहुत खुश थी जबकि सुजाता मौसी वहीं पर झूठे घड़ियाली आंसू बहा रही थी।

मौसी अब आप भी चुप हो जाइए आप ने अपनी गलती स्वीकार कर ली समझो आपने अपनी सजा पा ली है प्लीज प्लीज अब मत रोइए दीपा सुजाता मौसी के पास जाकर बोली।

बेटी तुम मुझे भी माफ कर दो मेरे कारण तुम्हें लोगों से इतना बेइज्जत होना पड़ा । मौसी दीपा से बोली

मौसी मैंने आपको माफ कर दिया है बस आप चुप हो जाइए और इतना बोलते हुए दीपा ने मौसी को गले लगा लिया।

दीपा के इस अपनेपन और प्यार भरे बर्ताव से मेरे घरवाले काफी खुश हो गए दीपा ने अपनी बेइज्जती करने वालों को यूं ही माफ कर दिया था। जिसके कारण दीपा के बड़प्पन से सभी प्रभावित हुए। दीपा द्वारा सुजाता मौसी को माफ करने के बाद मेरे घर वालों ने भी सुजाता मौसी को माफ कर दिया।

अदिति दीदी आप मुझे अपने घर जाना होगा वरना भैया को फिर से इंतजार करना पड़ेगा। दीपा आदिति भाभी के पास जाकर बोली।

ठीक है बहन जाओ मगर इन सभी बातों को भुला देना प्लीज। अदिति भाभी बोली

आदिति दी आप कैसी बात कर रही है मैं इस बात तो कुछ देर पहले ही भूल गई हूं ।दीपा आदिति भाभी को गले लगाती हुई बोली

दीपा को पहले जैसा खुश देखकर मैं भी अब खुश हो गया था।

निशांत बेटा दीपा को इसके घर तक छोड़ दो। मेरी मां मुझसे बोली

मैंने अर्जुन भैया के तरफ देखा।

हां शाम हो गई है जाकर दीपा को इसके घर छोड़ आओ। भैया ने जाने की इजाजत देते हुए कहा।

मैं बाइक लेकर दीपा के घर के लिए निकल पड़ा वह मेरे साथ बाइक पर चुपचाप मूर्त होकर बैठी थी मैंने दीपा को शांत बैठा देख कर बोला, " दीपा प्लीज आप सब लोगों को माफ कर दो उन लोगों ने कुछ ज्यादा ही बोल दिया था।"

मैंने तो उन लोगों को कब का माफ कर दिया । बस तुम्हें माफ नहीं किया। दीपा शांत स्वर में मुंह बनाती हुई बोली।

मगर मैंने क्या किया मुझे क्यों नहीं माफ किया तूने। मैंने चौकते हुए दीपा से कहा।

क्योंकि तुम उस वक्त से यू उदास उदास सा चेहरा बनाए हुए हो। दीपा इस बार हंसती हुई बोली। उसकी हंसी सुनकर मैं भी हंस पड़ा।

कुछ मिनट बाद मैं दीपा के घर पहुंच चुका था वह गाड़ी से उतर कर अपने घर के दरवाजे से अंदर जाने लगी फिर पीछे मुड़कर बोली। क्या कुछ देर तुम रुक नहीं सकते हो।

मैंने उसकी आंखों की ओर देखा फिर मुस्कुरा कर बोला। यदि आप बोलेंगी तो मैं सारी उम्र भी यहीं रुकने को तैयार हूं।

मैं बाइक को दरवाजे के पास डबल स्टैंड पर खड़ा करके उसके घर के अंदर चला गया। उस वक्त दीपा के घर में उसके भाई आशीष नहीं थे।

दीपा का घर कोई महलों जैसे नहीं था मगर काफी बड़ा था उसका घर काफी पुराना था, क्योंकि उसके घर की दीवारों के रंग तक उतर चुके थे। दीपा के भैया दूध का व्यापार किया करते थे उसके घर के अंदर ही बहुत बड़ी गौशाला बनी हुई थी जिसमें लगभग 20 से 25 गाय भैंस थी उसके घर और गौशाला के चारों ओर 6 फीट ऊंची दीवार से बाउंड्रिंग की हुई थी जिस के ऊपरी हिस्से पर कांटेदार तार से घिरा हुआ था उसके अंदर ही एक छोटा सा खेत नुमा बगीचा था जिसमें आम , नींबू के पौधों के अलावा घास फूल पत्ते भी थे। कुल मिलाकर यह घर कम मैदान अधिक लग रहा था मगर आगे का हिस्सा देखकर एक अच्छी खासी पुरानी हवेली कहना गलत नहीं हो सकता था।वैसे मैं दीपा को घर तक कई बार छोड़ने आया था मगर घर के अंदर आज पहली बार आया था।

निशांत मेरा यही घर है एक छोटा सी कुटिया । दीपा अपने हाथों से अपने घर और गौशाला की ओर इशारा करती हुई बोली।

बहुत प्यारा घर है । मैंने बोला

हां मेरे लिए और मेरे भैया के लिए यह सबसे प्यारा घर है । शायद तुम्हें इस घर में अच्छा ना लग रहा हो। दीपा बोली।

पागल हो सच में मुझे तुम्हारा घर काफी अच्छा लग रहा है ठंडी हवा, खुला आसमान कमरे के नजदीकी पेड़ पौधे और फूलों से लद्दा फूलों का पौधा वाकई में काफी खूबसूरत है। मैंने बोला।

इस कुर्सी पर बैठो मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं। दीपा एक प्लास्टिक की कुर्सी मेरी तरफ बढ़ाते हुए बोली।

कुर्सी बीच से टूटी हुई थी जिसे पतले तार से जोड़कर बैठने लायक बनाया गया था।

नहीं नहीं मैं चाय नहीं पियूँगा। अभी तो वापस जाना होगा फिर कभी आऊंगा तो जरूर पी लूंगा। मैंने बोला।

मैं वहां कुर्सी से उठकर वापस घर जाने के लिए दरवाजे के पास आ गया मुझे दरवाजे तक छोड़ने के लिए मेरे साथ साथ दीपा भी आई। कुछ पल तक मैं उसके चेहरे को निहारता रहा उसके बाद उसके हाथों को पकड़कर उसे अपनी बाहों में लपेट लिया वह भी मुझसे कुछ मिनटों तक लिपटी रही। उसके बाद वह मेरे गालों को चूम कर मुझसे थोड़ी दूरी पर खड़ी हो गई उस वक्त उसकी आंखों में मेरे लिए बेइंतेहा मोहब्बत दिख रही थी।

ठीक है दिपा मैं अब निकलता हूं ।अब अगले दिन कॉलेज में हमारी मुलाकात होगी। मैंने कहा ।

दीपा अपनी गर्दन हाँ में हिलाकर मुझे जाने की इजाजत दी । मैं अपनी बाइक स्टार्ट कर अपने घर चला गया।



साथ बने रहिए।
nice update
 
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