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Romance तेरी मेरी आशिक़ी (कॉलेज के दिनों का प्यार)

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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Saaf saaf baat karke galatfahmi dur ker leni chahiye nahi to bahut badi samasya janm le leti hai
धन्यवाद सर जी आपका।

बात तो आपकी सही है। देखते हैं अगले भाग में।

साथ बने रहिए।
 
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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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nice update ..deepa ki baat sunke achcha laga 😍😍..ki wo apne bhai me marji se shadi karegi bhale wo nishant se pyar karti ho ..
aur lagta hai devanshu in dono ke pyar me badha banne wala hai ...
धन्यवाद आपका सर जी।

देवांशु के बारे में अगले भाग में ज्यादा अच्छे से पता चलेगा।
साथ बने रहिए।
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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Fantastic amazing update
but you created new confusion between the two hearts.
anyway your efforts are to good.
waiting for the next update.
धन्यवाद आपका।

जो दोनों में उहापोह की स्थिति उत्पन्न हुई है हो सकता है अगले भाग में उसका समाधान हो जाये।

साथ बने रहिए।
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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पन्द्रहवाँ भाग


मैं दीपा से उस दिन नाराज था उसके सैकडों काँल मैसेज का मैंने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन जैसे ही उससे थोड़ी सी बात कर ली सारी नाराजगी खत्म सी हो गई ।

उसके बाद हम दोनों के बीच लगातार कई घंटे बातें हुई और हम दोनों फिर से नॉर्मल हो गए फिर अचानक मैंने दीपा से पूछा, " दीपा तुम कॉलेज के मध्यांतर समय में कहाँ थी यार। मैं कैंटीन में तुम्हारा इंतजार ही करता रहा मगर तुम आई ही नहीं। "

"ओह .....माफ करना ! मैं तो तुम्हें बताना ही भूल गई थी । पता है आज कॉलेज में मेरे सहपाठी देवांशु ने छात्रसंघ चुनाव के लिए नॉमिनेशन फॉर्म भर दिया है । आज मैं और मेरी पूरी क्लास देवांशु के साथ ही चुनाव जीतने के लिए कुछ रणनीति बना रहे थे। यही कारण था कि मैं तुम्हारे साथ कैंटीन में नही आ पायी थी। माफ करना निशांत" दीपा बोली।

" ठीक है यार, कोई बात नही।" मैंने बोला।

दीपा का कैंटीन में ना आ पाने से जितना बुरा नहीं लगा था उस वक्त मुझे उससे कहीं ज्यादा बुरा उसके मुंह से यह सुन के लग रहा था कि वह देवांशु की वजह से कैंटीन में नहीं आई थी।

इसके बाद हम दोनों के बीच लगभग आधे घंटे बातें हुई उसके बाद शुभ रात्रि बोलकर दोनों सोने चले गए।
मैं बिस्तर पर सोने तो जरूर चला गया था मगर मुझे बिस्तर पर बिल्कुल भी नींद नही आ रही थी I दीपा के मुंह से बार-बार देवांशु का नाम सुनना मेरे दिल को बिल्कुल रास नहीं आ रहा था।

वैसे दीपा और देवांशु के बारे में मैंने आज तक ऐसी कोई भी बातें नहीं सुनी थी जिससे मुझे चिंता करने की जरूरत पड़े मगर फिर भी देवांशु के कारण मेरा दिल हमेशा असहज महसूस करता था।
*
अगले दिन सुबह मैं कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था । स्नान करने के बाद मैं दीपा के पसंदीदा रंग की सफेद शर्ट और काला जींस पहन रहा था। वैसे ये रंग अब सिर्फ दीपा का ही पसंदीदा नहीं रह गया था, बल्कि सफेद और काला रंग मेरा भी पसंदीदा रंग बन चुका था। तभी भाभी आकर मुझे छेड़ने लगी ।

क्या बात है छोटे आज बड़ा बन ठन कर किससे मिलने जा रहे हो। अदिती भाभी मुझे छेड़ती ही बोली।

ऐसी कोई बात नहीं है भाभी। बस आज मन किया तो थोड़ा तैयार होकर कॉलेज जा रहा हूँ। मैने भाभी से नजर चुराते हुए कहा।

अगर कोई बात हो तो मुझे बता दो हो सकता है मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकूँ। भाभी ने मेरे कंधे पर मारते हुए कहा।

जैसा आप समझ रही हैं वैसी कोई बात नहीं है भाभी। मैने धीरे से कहा।

वो क्या है न निशांत बेटा। आज तुम जिस कॉलेज में पढ़ रहे हो मैं वहाँ की प्रिंसिपल रह चुकी हूँ तो तुम मुझसे झूठ तो नहीं बोल सकते। तुम्हारी शक्ल पर लिखा है कि तुम्हारे मन में चोर है। अदिती भाभी चुटकी लेते हुए बोली।

आप कब प्रिंसिपल बनी मेरे कॉलेज की। मैं भाभी की बात न समझते हुए उनसे पूछा।

तुम न छोटे। जो कर रहे हो उन सब के लिए भी अभी छोटे हो। अदिति भाभी हँसती हुई बोली।

भाभी की बाते मेरी समझ से परे थी और मेरे सिर के ऊपर से जा रही थी। मुझे डर था कि कहीं मेरे मुह से दीपा के नाम न निकल जाए। इसलिए मैं जल्दी से तैयार होकर कपड़े पर जोरदार ख़ुशबू वाला इत्र लगाकर अपने घर से बाहर निकलने लगा तो भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया।

" क्या बात है देवर जी अपनी भाभी से बचकर भागना चाहते हो। मुझे तो लगता है कि आज तुम किसी को अर्पोज- प्रपोज करने के इरादे से इतना बन-ठन कर जा रहे हो ?" अदिति भाभी फिर मजाक करती हुई बोली।

मैंने भी सोचा कि भाभी से अगर थोड़ा भी टाल मटोल करके बात की तो वो मेरा पीछा नहीं छोड़ेगी। इसलिए मैंने भी सीधी बात करनी की सोची।

"अरे नहीं भाभी ऐसी कोई बात नहीं है । वैसे भी हम जैसे सीधे-साधे लड़के को कोई लड़की भाव भी नहीं देती है। " मैंने भी मजाक में झूठ बोल दिया।
"मुझे तो नहीं लगता कि जो तुम बोल रहे हो ऐसा कुछ होता होगा। भाभी मुस्कुराती हुई बोली।

फिर आपको कैसा लगता है कि क्या क्या होता होगा। मैंने भी मुस्कुराते हुए भाभी से पूछा।

मुझे तो लगता है लड़कियां आपके पीछे तितली बनकर घूमती होगी ।" भाभी मुस्कुराती हुई बोली।

अपनी ऐसी किस्मत कहाँ भाभी फिलहाल अभी ऐसा तो कुछ भी नहीं हुआ है । ....अगर ऐसी कोई लड़की मिली जो तितली की तरह मेरे आगे पीछे घूमेगी तो आपको को बता दूंगा" मैंने यह बोल कर बाहर निकल लेना ही उचित समझा वरना भाभी अभी और पता नहीं क्या क्या बोलती।

कमरे से बाहर आकर मैंने नाश्ता किया और कॉलेज के लिए निकल पड़ा।

मैंने दीपा के पसंदीदा रंग की सफेद शर्ट और काला जींस पहन रखा था। जो मुझपर भी फब रहा था। वैसे किसी ने सच कहा है , सच्चे प्यार में हमेशा दोनो की पसंद -नापसंद एक जैसी ही होती है। आप या तो अपनी प्रेमिका के पसंद को अपनी पसंद बना लेते है या फिर आपकी पसंद प्रेमिका की पसंद बन जाती है।"

मगर यह भी प्रचलित है कि प्यार करने वाले लोग हमेशा एक जैसी सोच रखने वाले लोगों की तरफ ही आकर्षित होते हैं।
अब ये दोनों बातें कितना सही या फिर कितना गलत हैं । यह तो मुझे मालूम नहीं है मगर दीपा और मेरी पसंद- नापसंद काफी हद तक मिलती थी।

मैं घर से सीधा कॉलेज पहुंचा। दीपा भी कॉलेज आ चुकी थी । हमेशा की तरह आज भी दीपा को कॉलेज छोड़ कर उसके भैया वापस घर चले गए थे।

"हाय दीपा , शुभ प्रभात " मैं दीपा को देखते ही बोला।

"शुभ प्रभात मेरे छोटे बाबू " दीपा मुस्कुराती हुई बोली।

दीपा जब भी मेरे निकनेम "छोटे " से मुझे संबोधित करती थी तब मैं समझ जाता था कि दीपा आज बहुत अच्छे मूड में है।

हम दोनों कॉलेज के मुख्य द्वार से एक दूसरे का हाथ थाम कर धीरे धीरे कॉलेज की इमारत की तरफ बातें करते हुए बढ़ने लगे । इस बीच हम दोनों के कई सहपाठी “हाय –हेलो” बोलकर जा रहे थे जिसके कारण हम दोनों के बातचीत में खलल पड़ रही थी।

हम कॉलेज के लाइब्रेरी की ओर अभी बढ़ ही रहे थे कि उसी बीच देवांशु अपने कई दोस्तों के साथ वहां पहुंचा और उसने दीपा से कहा," शुभ प्रभात दीपा ”

“शुभ प्रभआत देवांशु ” दीपा बोली ।

“अपने सहपाठी और पार्टी के सभी सदस्य तुम्हारे ही इंतजार कर रहे हैं" देवांशु बोला ।

“क्या बात है ? आज कॉलेज में सब लोग मेरा इन्तजार कर रहे हैं। कोई खास बात है क्या ?” दीपा खुश होते हुए बोली ।

उस वक्त दीपा देवांशु से बहुत खुश होकर बातें कर रही थी और मैं उसके बगल में एक अनजान व्यक्ति सा मूर्त जैसे चुपचाप खड़ा था।

" अरे चुनाव प्रचार के लिए कुछ स्लोगन लिखना था सब लोग स्लोगन लिखने के लिए कई लड़के- लड़कियों के नाम सुझा रहे थे लेकिन मैंने उन लोगों से साफ बोल रखा है, मेरे चुनाव प्रचार के लिए स्लोगन केवल दीपा ही लिखेगी क्योकि दीपा जैसा कोई स्लोगन नहीं लिख सकता है । तब से वे लोग बेसब्री से तुम्हारा ही इंतजार कर रहे हैं।" देवांशु बोला ।

“ क्या सच में ... धन्यवाद देवांशु जो तुमने स्लोगन लिखने के लिए मेरे नाम सुझाव दिया है । सच में मुझे स्लोगन लिखने में बहुत मजा आता है ।” दीपा इतनी खुश होकर बोल रही थी जैसे वह भूल चुकी हो कि मैं भी उसके साथ हूं ।

“ठीक है दीपा क्लास रूम में चलो कुछ मंत्रणा भी करनी है ।

” यह बोलकर देवांशु वहां से आगे बढ़ गया लेकिन जाते वक्त मुझे अपनी दोनों आंखों से घूरता गया । उसकी इस हरकत से मेरा खून खौल गया था ।

मैं अच्छी तरह से जानता था कि वह दीपा को पसंद करता है और वह छात्रसंघ चुनाव के बहाने दीपा के करीब आना चाहता है ।
मुझे उस वक्त लगा कि दीपा को देवांशु से दूर रहने को बोल दूं । मगर मैं यह नहीं चाहता था कि दीपा मेरी इन बातों का अलग मतलब निकाल ले और मुझसे नाराज हो जाए । इसीलिए मैंने उस वक्त उससे कुछ नहीं बोला और हम दोनों अपने-अपने क्लास रूम में चले गए ।

मैं क्लास रूम में बस यही सोच रहा था कि कहीं अगर देवांशु सच में दीपा के करीब आने में सफल हो गया तो मेरा क्या होगा ? मैं तो दीपा बिना जी ही नहीं पाऊंगा । मगर मुझे अपनी मोहब्बत और दीपा पर पूरा यकीन था कि वह ऐसा कभी नहीं कर सकती हैं।

उस दिन के बाद दीपा अधिकांश समय देवांशु के चुनाव प्रचार में ही कॉलेज में इधर-उधर व्यस्त रहने लगी। , अब तो उसने कई दिनों से कैंटीन में मेरे साथ बैठकर चाय तक भी नहीं पी थी।

मुझे दीपा को देख कर ऐसा लगने लगा था की यह चुनाव देवांशु नहीं बल्कि दीपा लड़ रही हो । हर जगह दीपा के लिखे स्लोगन लगे हुए थे, कॉलेज की पूरी दीवार उसी से भरी पड़ी थी । दीपा हमेशा इसी सब में व्यस्त रहने लगी थी और इधर दिन प्रति दिन दिवांशु और मेरे बीच तकरार बढ़ती ही जा रही थी ।

एक दिन देवांशु मुझे कॉलेज के बाहर मिला और वह दीपा के बारे में कुछ ज्यादा ही बातें कर रहा था ।जिसके कारण मेरा खून खौल उठा था ।

“ देखो निशांत हर चीज की कुछ मर्यादा होती है और किसी भी व्यक्ति को अपनी मर्यादा को नहीं तोड़ना चाहिए । अब देखो तुम बीकॉम के छात्र होकर मेरी क्लास की बंदी को पटाने की कोशिश कर रहे हो इससे मेरे क्लास के मर्यादा टूट रही हैं जो की गलत बात है ।” देवांशु मुझे समझाते हुए बोला ।

वैसे वह समझाने से ज्यादा मुझे डराने की कोशिश कर रहा था । वह खुद को कॉलेज का बहुत बड़ा तोप मानने लगा था । उसे लगता था कॉलेज के सारे संकाय और सारे छात्र उसके साथ खड़े हैं । और तो और उसे यह भी गलतफहमी थी कि कॉलेज की अधिकांश लड़कियां उस पर मरती हैं ।

“ देखो देवांशु मैं तुझे पहले भी बोल चुका हूं । मेरी तुमसे किसी बात पर कोई लड़ाई नहीं फिर तुम बार-बार मुझसे क्यों उलझने की कोशिश करते रहते हो?” मैं बोला

“निशांत मुझे भी तुमसे लड़ने का कोई शौक नहीं है बस तुम दीपा का पीछा करना छोड़ दो । वैसे भी तुम तो जानते हो दीपा मुझसे प्यार करती है फिर भी तुम उसके आगे पीछे कुत्ता बनकर क्यों घूमते रहते हो ?” देवांशु बोला ।

देवांशु की यह बात सुनकर मेरा खून खौल उठा। उस वक्त मुझे ऐसा लगा उसे वहीं जमीन में गाड़ दूँ मगर इसलिए कुछ नहीं बोल पाया क्योंकि आजकल दीपा भी उसके साथ घूमती रहती थी ।

अपनी हद में रहकर बात करो देवांशु। ये मत भूलो कि तुम भी मेरी तरह ही इस कॉलेज के आम छात्रों की तरह हो, लेकिन मुझे लगता है कि तुम अपने आपको अभी से छात्रसंघ का नेता समझने लगे हो और अगर तुमको लगता है कि दीपा तुमसे प्यार करती है तो इतना डर किस बात पर रहे हो। क्या तुमको अपने प्यार पर भरोसा नहीं है या तुम मुझको अपने आपसे बेहतर समझते हो। मैने भी देवांशु को दू टूक शब्दों में जवाब दिया।

छात्रसंघ का नेता तो मैं बन ही गया हूँ, क्योंकि मेरे समर्थन में सारे छात्र/छात्राएँ हैं। उनके समर्थन को देखते हुए मैं अपने आपको विजेता मान रहा हूँ। जहाँ तक दीपा की बात है तो मुझे अपने प्यार पर पूरा भरोसा है, लेकिन मुझे तुझपर भरोसा नहीं है। वो तो मासूम है जो तेरी चुकनी चुपड़ी बातों में आ जाएगी, लेकिन में ऐसा कदापि नहीं होने दूँगा। देवांशु बोला।

अच्छा जा भाग यहाँ से मेरा दिमाग और मत खराब कर और आज के बाद अपने काम से मतलब रखना। मैंने कहा।

मैं जल्द-से-जल्द देवांशु को वहाँ से भगाना चाहता था क्योंकि उसकी बात सुनकर मेरी दिमाग खराब हो गया था। अब मुझे दीपा पर भी बहुत गुस्सा आ रहा था।



साथ बने रहिए।
 
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mashish

BHARAT
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पन्द्रहवाँ भाग


मैं दीपा से उस दिन नाराज था उसके सैकडों काँल मैसेज का मैंने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन जैसे ही उससे थोड़ी सी बात कर ली सारी नाराजगी खत्म सी हो गई ।

उसके बाद हम दोनों के बीच लगातार कई घंटे बातें हुई और हम दोनों फिर से नॉर्मल हो गए फिर अचानक मैंने दीपा से पूछा, " दीपा तुम कॉलेज के मध्यांतर समय में कहाँ थी यार। मैं कैंटीन में तुम्हारा इंतजार ही करता रहा मगर तुम आई ही नहीं। "

"ओह .....माफ करना ! मैं तो तुम्हें बताना ही भूल गई थी । पता है आज कॉलेज में मेरे सहपाठी देवांशु ने छात्रसंघ चुनाव के लिए नॉमिनेशन फॉर्म भर दिया है । आज मैं और मेरी पूरी क्लास देवांशु के साथ ही चुनाव जीतने के लिए कुछ रणनीति बना रहे थे। यही कारण था कि मैं तुम्हारे साथ कैंटीन में नही आ पायी थी। माफ करना निशांत" दीपा बोली।

" ठीक है यार, कोई बात नही।" मैंने बोला।

दीपा का कैंटीन में ना आ पाने से जितना बुरा नहीं लगा था उस वक्त मुझे उससे कहीं ज्यादा बुरा उसके मुंह से यह सुन के लग रहा था कि वह देवांशु की वजह से कैंटीन में नहीं आई थी।

इसके बाद हम दोनों के बीच लगभग आधे घंटे बातें हुई उसके बाद शुभ रात्रि बोलकर दोनों सोने चले गए।
मैं बिस्तर पर सोने तो जरूर चला गया था मगर मुझे बिस्तर पर बिल्कुल भी नींद नही आ रही थी I दीपा के मुंह से बार-बार देवांशु का नाम सुनना मेरे दिल को बिल्कुल रास नहीं आ रहा था।

वैसे दीपा और देवांशु के बारे में मैंने आज तक ऐसी कोई भी बातें नहीं सुनी थी जिससे मुझे चिंता करने की जरूरत पड़े मगर फिर भी देवांशु के कारण मेरा दिल हमेशा असहज महसूस करता था।
*
अगले दिन सुबह मैं कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था । स्नान करने के बाद मैं दीपा के पसंदीदा रंग की सफेद शर्ट और काला जींस पहन रहा था। वैसे ये रंग अब सिर्फ दीपा का ही पसंदीदा नहीं रह गया था, बल्कि सफेद और काला रंग मेरा भी पसंदीदा रंग बन चुका था। तभी भाभी आकर मुझे छेड़ने लगी ।

क्या बात है छोटे आज बड़ा बन ठन कर किससे मिलने जा रहे हो। अदिती भाभी मुझे छेड़ती ही बोली।

ऐसी कोई बात नहीं है भाभी। बस आज मन किया तो थोड़ा तैयार होकर कॉलेज जा रहा हूँ। मैने भाभी से नजर चुराते हुए कहा।

अगर कोई बात हो तो मुझे बता दो हो सकता है मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकूँ। भाभी ने मेरे कंधे पर मारते हुए कहा।

जैसा आप समझ रही हैं वैसी कोई बात नहीं है भाभी। मैने धीरे से कहा।

वो क्या है न निशांत बेटा। आज तुम जिस कॉलेज में पढ़ रहे हो मैं वहाँ की प्रिंसिपल रह चुकी हूँ तो तुम मुझसे झूठ तो नहीं बोल सकते। तुम्हारी शक्ल पर लिखा है कि तुम्हारे मन में चोर है। अदिती भाभी चुटकी लेते हुए बोली।

आप कब प्रिंसिपल बनी मेरे कॉलेज की। मैं भाभी की बात न समझते हुए उनसे पूछा।

तुम न छोटे। जो कर रहे हो उन सब के लिए भी अभी छोटे हो। अदिति भाभी हँसती हुई बोली।

भाभी की बाते मेरी समझ से परे थी और मेरे सिर के ऊपर से जा रही थी। मुझे डर था कि कहीं मेरे मुह से दीपा के नाम न निकल जाए। इसलिए मैं जल्दी से तैयार होकर कपड़े पर जोरदार ख़ुशबू वाला इत्र लगाकर अपने घर से बाहर निकलने लगा तो भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया।

" क्या बात है देवर जी अपनी भाभी से बचकर भागना चाहते हो। मुझे तो लगता है कि आज तुम किसी को अर्पोज- प्रपोज करने के इरादे से इतना बन-ठन कर जा रहे हो ?" अदिति भाभी फिर मजाक करती हुई बोली।

मैंने भी सोचा कि भाभी से अगर थोड़ा भी टाल मटोल करके बात की तो वो मेरा पीछा नहीं छोड़ेगी। इसलिए मैंने भी सीधी बात करनी की सोची।

"अरे नहीं भाभी ऐसी कोई बात नहीं है । वैसे भी हम जैसे सीधे-साधे लड़के को कोई लड़की भाव भी नहीं देती है। " मैंने भी मजाक में झूठ बोल दिया।
"मुझे तो नहीं लगता कि जो तुम बोल रहे हो ऐसा कुछ होता होगा। भाभी मुस्कुराती हुई बोली।

फिर आपको कैसा लगता है कि क्या क्या होता होगा। मैंने भी मुस्कुराते हुए भाभी से पूछा।

मुझे तो लगता है लड़कियां आपके पीछे तितली बनकर घूमती होगी ।" भाभी मुस्कुराती हुई बोली।

अपनी ऐसी किस्मत कहाँ भाभी फिलहाल अभी ऐसा तो कुछ भी नहीं हुआ है । ....अगर ऐसी कोई लड़की मिली जो तितली की तरह मेरे आगे पीछे घूमेगी तो आपको को बता दूंगा" मैंने यह बोल कर बाहर निकल लेना ही उचित समझा वरना भाभी अभी और पता नहीं क्या क्या बोलती।

कमरे से बाहर आकर मैंने नाश्ता किया और कॉलेज के लिए निकल पड़ा।

मैंने दीपा के पसंदीदा रंग की सफेद शर्ट और काला जींस पहन रखा था। जो मुझपर भी फब रहा था। वैसे किसी ने सच कहा है , सच्चे प्यार में हमेशा दोनो की पसंद -नापसंद एक जैसी ही होती है। आप या तो अपनी प्रेमिका के पसंद को अपनी पसंद बना लेते है या फिर आपकी पसंद प्रेमिका की पसंद बन जाती है।"

मगर यह भी प्रचलित है कि प्यार करने वाले लोग हमेशा एक जैसी सोच रखने वाले लोगों की तरफ ही आकर्षित होते हैं।
अब ये दोनों बातें कितना सही या फिर कितना गलत हैं । यह तो मुझे मालूम नहीं है मगर दीपा और मेरी पसंद- नापसंद काफी हद तक मिलती थी।

मैं घर से सीधा कॉलेज पहुंचा। दीपा भी कॉलेज आ चुकी थी । हमेशा की तरह आज भी दीपा को कॉलेज छोड़ कर उसके भैया वापस घर चले गए थे।

"हाय दीपा , शुभ प्रभात " मैं दीपा को देखते ही बोला।

"शुभ प्रभात मेरे छोटे बाबू " दीपा मुस्कुराती हुई बोली।

दीपा जब भी मेरे निकनेम "छोटे " से मुझे संबोधित करती थी तब मैं समझ जाता था कि दीपा आज बहुत अच्छे मूड में है।

हम दोनों कॉलेज के मुख्य द्वार से एक दूसरे का हाथ थाम कर धीरे धीरे कॉलेज की इमारत की तरफ बातें करते हुए बढ़ने लगे । इस बीच हम दोनों के कई सहपाठी “हाय –हेलो” बोलकर जा रहे थे जिसके कारण हम दोनों के बातचीत में खलल पड़ रही थी।

हम कॉलेज के लाइब्रेरी की ओर अभी बढ़ ही रहे थे कि उसी बीच देवांशु अपने कई दोस्तों के साथ वहां पहुंचा और उसने दीपा से कहा," शुभ प्रभात दीपा ”

“शुभ प्रभआत देवांशु ” दीपा बोली ।

“अपने सहपाठी और पार्टी के सभी सदस्य तुम्हारे ही इंतजार कर रहे हैं" देवांशु बोला ।

“क्या बात है ? आज कॉलेज में सब लोग मेरा इन्तजार कर रहे हैं। कोई खास बात है क्या ?” दीपा खुश होते हुए बोली ।

उस वक्त दीपा देवांशु से बहुत खुश होकर बातें कर रही थी और मैं उसके बगल में एक अनजान व्यक्ति सा मूर्त जैसे चुपचाप खड़ा था।

" अरे चुनाव प्रचार के लिए कुछ स्लोगन लिखना था सब लोग स्लोगन लिखने के लिए कई लड़के- लड़कियों के नाम सुझा रहे थे लेकिन मैंने उन लोगों से साफ बोल रखा है, मेरे चुनाव प्रचार के लिए स्लोगन केवल दीपा ही लिखेगी क्योकि दीपा जैसा कोई स्लोगन नहीं लिख सकता है । तब से वे लोग बेसब्री से तुम्हारा ही इंतजार कर रहे हैं।" देवांशु बोला ।

“ क्या सच में ... धन्यवाद देवांशु जो तुमने स्लोगन लिखने के लिए मेरे नाम सुझाव दिया है । सच में मुझे स्लोगन लिखने में बहुत मजा आता है ।” दीपा इतनी खुश होकर बोल रही थी जैसे वह भूल चुकी हो कि मैं भी उसके साथ हूं ।

“ठीक है दीपा क्लास रूम में चलो कुछ मंत्रणा भी करनी है ।

” यह बोलकर देवांशु वहां से आगे बढ़ गया लेकिन जाते वक्त मुझे अपनी दोनों आंखों से घूरता गया । उसकी इस हरकत से मेरा खून खौल गया था ।

मैं अच्छी तरह से जानता था कि वह दीपा को पसंद करता है और वह छात्रसंघ चुनाव के बहाने दीपा के करीब आना चाहता है ।
मुझे उस वक्त लगा कि दीपा को देवांशु से दूर रहने को बोल दूं । मगर मैं यह नहीं चाहता था कि दीपा मेरी इन बातों का अलग मतलब निकाल ले और मुझसे नाराज हो जाए । इसीलिए मैंने उस वक्त उससे कुछ नहीं बोला और हम दोनों अपने-अपने क्लास रूम में चले गए ।

मैं क्लास रूम में बस यही सोच रहा था कि कहीं अगर देवांशु सच में दीपा के करीब आने में सफल हो गया तो मेरा क्या होगा ? मैं तो दीपा बिना जी ही नहीं पाऊंगा । मगर मुझे अपनी मोहब्बत और दीपा पर पूरा यकीन था कि वह ऐसा कभी नहीं कर सकती हैं।

उस दिन के बाद दीपा अधिकांश समय देवांशु के चुनाव प्रचार में ही कॉलेज में इधर-उधर व्यस्त रहने लगी। , अब तो उसने कई दिनों से कैंटीन में मेरे साथ बैठकर चाय तक भी नहीं पी थी।

मुझे दीपा को देख कर ऐसा लगने लगा था की यह चुनाव देवांशु नहीं बल्कि दीपा लड़ रही हो । हर जगह दीपा के लिखे स्लोगन लगे हुए थे, कॉलेज की पूरी दीवार उसी से भरी पड़ी थी । दीपा हमेशा इसी सब में व्यस्त रहने लगी थी और इधर दिन प्रति दिन दिवांशु और मेरे बीच तकरार बढ़ती ही जा रही थी ।

एक दिन देवांशु मुझे कॉलेज के बाहर मिला और वह दीपा के बारे में कुछ ज्यादा ही बातें कर रहा था ।जिसके कारण मेरा खून खौल उठा था ।

“ देखो निशांत हर चीज की कुछ मर्यादा होती है और किसी भी व्यक्ति को अपनी मर्यादा को नहीं तोड़ना चाहिए । अब देखो तुम बीकॉम के छात्र होकर मेरी क्लास की बंदी को पटाने की कोशिश कर रहे हो इससे मेरे क्लास के मर्यादा टूट रही हैं जो की गलत बात है ।” देवांशु मुझे समझाते हुए बोला ।

वैसे वह समझाने से ज्यादा मुझे डराने की कोशिश कर रहा था । वह खुद को कॉलेज का बहुत बड़ा तोप मानने लगा था । उसे लगता था कॉलेज के सारे संकाय और सारे छात्र उसके साथ खड़े हैं । और तो और उसे यह भी गलतफहमी थी कि कॉलेज की अधिकांश लड़कियां उस पर मरती हैं ।

“ देखो देवांशु मैं तुझे पहले भी बोल चुका हूं । मेरी तुमसे किसी बात पर कोई लड़ाई नहीं फिर तुम बार-बार मुझसे क्यों उलझने की कोशिश करते रहते हो?” मैं बोला

“निशांत मुझे भी तुमसे लड़ने का कोई शौक नहीं है बस तुम दीपा का पीछा करना छोड़ दो । वैसे भी तुम तो जानते हो दीपा मुझसे प्यार करती है फिर भी तुम उसके आगे पीछे कुत्ता बनकर क्यों घूमते रहते हो ?” देवांशु बोला ।

देवांशु की यह बात सुनकर मेरा खून खौल उठा। उस वक्त मुझे ऐसा लगा उसे वहीं जमीन में गाड़ दूँ मगर इसलिए कुछ नहीं बोल पाया क्योंकि आजकल दीपा भी उसके साथ घूमती रहती थी ।

अपनी हद में रहकर बात करो देवांशु। ये मत भूलो कि तुम भी मेरी तरह ही इस कॉलेज के आम छात्रों की तरह हो, लेकिन मुझे लगता है कि तुम अपने आपको अभी से छात्रसंघ का नेता समझने लगे हो और अगर तुमको लगता है कि दीपा तुमसे प्यार करती है तो इतना डर किस बात पर रहे हो। क्या तुमको अपने प्यार पर भरोसा नहीं है या तुम मुझको अपने आपसे बेहतर समझते हो। मैने भी देवांशु को दू टूक शब्दों में जवाब दिया।

छात्रसंघ का नेता तो मैं बन ही गया हूँ, क्योंकि मेरे समर्थन में सारे छात्र/छात्राएँ हैं। उनके समर्थन को देखते हुए मैं अपने आपको विजेता मान रहा हूँ। जहाँ तक दीपा की बात है तो मुझे अपने प्यार पर पूरा भरोसा है, लेकिन मुझे तुझपर भरोसा नहीं है। वो तो मासूम है जो तेरी चुकनी चुपड़ी बातों में आ जाएगी, लेकिन में ऐसा कदापि नहीं होने दूँगा। देवांशु बोला।

अच्छा जा भाग यहाँ से मेरा दिमाग और मत खराब कर और आज के बाद अपने काम से मतलब रखना। मैंने कहा।

मैं जल्द-से-जल्द देवांशु को वहाँ से भगाना चाहता था क्योंकि उसकी बात सुनकर मेरी दिमाग खराब हो गया था। अब मुझे दीपा पर भी बहुत गुस्सा आ रहा था।



साथ बने रहिए।
awesome update
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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Bahut hi chutiya hai dono devanshu aur Nishant. Are ek Baar Deepa se to puchhakar dekhate.
लगता है आप आजकल की साउथ फिल्में ज्यादा देखते हैं। इसलिए ऐसा कह रहे हैं। :DD: :what1::what1::DD::hinthint:

ये कहानी पुराने जमाने की हिंदी फिल्मों की तरह है। अगर अभी बता दिया तो कहानी खत्म, इसलिए इन दोनों का कुछ नहीं हो सकता।:toohappy::toohappy:

साथ बने रहिए।
 
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