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Romance तेरी मेरी आशिक़ी (कॉलेज के दिनों का प्यार)

Guffy

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Hello Everyone :hello:



We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC).



Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai.



Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.



Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.



Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shaktey hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.



Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..



Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.


Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.




Regards : XForum Staff.
 
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nice update ..nishant aur aditi ka rishta kamaal ka hai jaise dewar bhabhi ka hota hai 😍😍😍..
par yaha pe deepa ki galti lag rahi hai jo nishant se pyar karti hai aur devanshu ke prachar me lagi hai ...
ab college me padhnewali ladki ko is baare me pata na ho ye gajab ki baat hai ...
kya deepa ko pata nahi chala ki devanshu usse pyar karta hai to is maamle me usko sabse jyada kiske saath rehna chahiye ..
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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nice update ..nishant aur aditi ka rishta kamaal ka hai jaise dewar bhabhi ka hota hai 😍😍😍..
par yaha pe deepa ki galti lag rahi hai jo nishant se pyar karti hai aur devanshu ke prachar me lagi hai ...
ab college me padhnewali ladki ko is baare me pata na ho ye gajab ki baat hai ...
kya deepa ko pata nahi chala ki devanshu usse pyar karta hai to is maamle me usko sabse jyada kiske saath rehna chahiye ..
धन्यवाद आपका सर जी।

देवर भाभी के बीच ऐसा ही दोस्ताना माहौल होना चाहिए।

दीपा ने प्यार को अलग और दोस्ती को अलग रखा है वो दोस्ती के नाते प्रचार कर रही है। जहां तक मुझे लगता है।

अब सब लड़के देवांशु की तरह शातिर नहीं होते और हर लड़की दीपा की तरह भोली नहीं होती। हो सकता है दीपा को सच मे पता न हो देवांशु के इरादे।

हो सकता है आगे कुछ पता चले।

साथ बने रहिए।
 

Arv313

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Good update
aapne ek comment ke jwab me kaha ki abhi deepa ko devanshu ke irade na pta ho vo dosti ke nate hi sab kar rahi ho
Mai to bas yhi kahunga ki kahi aisa na ho ki jab tak deepa ko devanshu ke irado ka pta chale vo nishant ko pa na sakne wale mukam par pahucha de.
Koi nhi kalam aapki vyavasthit Ghatnakaram ko darshaye yahi kamna hai.
waiting for the next update.
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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Good update
aapne ek comment ke jwab me kaha ki abhi deepa ko devanshu ke irade na pta ho vo dosti ke nate hi sab kar rahi ho
Mai to bas yhi kahunga ki kahi aisa na ho ki jab tak deepa ko devanshu ke irado ka pta chale vo nishant ko pa na sakne wale mukam par pahucha de.
Koi nhi kalam aapki vyavasthit Ghatnakaram ko darshaye yahi kamna hai.
waiting for the next update.
धन्यवाद आपका।

आपने बिल्कुल सही कहा मित्र।
किसी भी काम मे इतनी देर नहीं करनी चाहिए कि समय हाथ से निकल जाए।

निशांत भी देर कर रहा है बात करने में दीपा से और दीपा भी देवांशु के इरादे से अनजान है। हो सकता है अगले भाग में कुछ नया देखने को मिले।

साथ बने रहिए।
 
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Mahi Maurya

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सोलहवाँ भाग


मगर मुझे यह पता नहीं था कि दीपा देवांशु को एक दोस्त समझकर या फिर छात्रसंघ चुनाव का एक उम्मीदवार समझकर या एक क्लासमेट समझकर उसके साथ घूमती रहती है ।

“देखो देवांशु तुम दीपा के सहपाठी हो, साथ ही छात्र संघ चुनाव के उम्मीदवार भी हो। इसलिए मैं अब तक चुप हूं वरना मैं जिस वक्त अपनी औकात पर आ जाऊंगा ना तो फिर तुम्हें तुम्हारी औकात अच्छी तरह से याद दिला दूंगा ।” मैंने उसके शर्ट के कॉलर को अपनो हाथों से पकड़ते हुए कहा।

मेरे द्वारा उसका कॉलर पकड़ने के बाद उसके कुछ दोस्तों ने भी मेरे शर्ट का कॉलर पकड़ लिया, परन्तु देवांशु उन लोगों को सर से इशारा कर मुझसे दूर हटने को कहा । उस वक्त वह समझ चुका था कि अगर उस वक्त वह कुछ भी करेगा तो उससे उसके इमेज पर काफी ज्यादा बुरा असर पड़ेगा क्योंकि कुछ सप्ताह बाद ही छात्र संघ के चुनाव होने वाला था और वह नहीं चाहता था कि चुनाव के पहले कोई ऐसा बखेड़ा खड़ा हो जो उसकी छवि को प्रभावित करे ।

इसलिए उस वक्त वह विवाद ना कर मुझे सिर्फ धमकी देकर वहां से निकल गया और जाते-जाते बोला, “तुम्हें चुनाव के बाद देख लूंगा। मैं तुम्हारा वो हाल करूंगा कि तुम उसके बाद मेरे क्लास की बंदी को तो क्या कभी अपने क्लास की बंदी तक को देखने से डरोगे ।”

उस दिन के बाद देवांशु और मेरे बीच अच्छी खासी दुश्मनी हो गई थी । लेकिन हम-दोनों की इस दुश्मनी के बारे में दीपा को बिल्कुल भनक नहीं थी । दीपा जब भी मेरे पास आती थी तो देवांशु की ही बातें किया करती थी

। उसकी हर बातों में देवांशु की बड़ाई और अच्छाई ही नजर आती थी ।

जिसे सुन सुन कर मैं पक चुका था। एक दिन कैंटीन में मैं और दीपा हर रोज की तरह बैठकर बातें कर रहे थे । उस समय दीपा की मीठी बातों के साथ कैंटीन की कड़क चाय भी थी ।

“निशांत क्या बात है? आजकल तुम कुछ ज्यादा खोए खोए से रहने लगे हो और मुझसे भी कुछ कटे कटे से दिखाई देते हो । कोई परेशानी है तो प्लीज मुझसे भी शेयर किया करो?” दीपा चाय की पहली शिप सुड़क कर पीती हुई बोली ।

मुझे दीपा की बातों को सुनकर लगा कि मैं उसे बोल दूं कि यह सारी परेशानी जो चेहरे से दिख रही है उसकी असली वजह तुम्हारी और देवांशु की दोस्ती है, लेकिन मैं इस बार भी उसके विरोध में कुछ बोलने में असमर्थ रहा। दीपा के बार बार पूछने पर भी मैंने उसे कुछ नहीं बताया।

“नहीं दीपा ऐसी कोई बात नहीं हैं । मैं खुश तो हूं , देखो मेरे चेहरे को कितनी खुशी दिख रही है ।” मैंने अपने होठों पर नकली मुस्कान लाते हुए कहा।


अब मुझसे तो न छुपाओ छोटे, मैं कई दिन से देख रही हूँ कि तुम परेशान से हो। मुझसे भी पहले की तरह ठीक से बातें नहीं करते। जरूर कोई बात है जो तुम मुझको बताना नहीं चाहते। दीपा थोड़ा नाराजगी के साथ बोली।

मैं उसकी बात सुनकर सोच में पड़ गया। मैंने सोचा कि अगर दीपा को सब बता दूँ तो हो सकता है कि मेरी सोच जानकर वो मुझसे नाराज न हो जाए। मैंने बहुत सोचने के बाद मुझे दीपा से ये बात घुमाकर पूछना ही बेहतर लगा।

देखो मेऱी बात सुनकर तुम बुरा नहीं मानोंगी और मुझसे नाराज नहीं होगी तभी मैं कुछ बताऊँगा। मैंने दीपा से कहा।

अरे छोटे बाबू। मैं तुमसे नाराज हो सकती हूँ क्या। तुम बताओ। दीपा ने मेरे कंधे पर थपकी लगाते हुए कहा।

दीपा मैं देवांशु के बारे में तुमसे कुछ बात करना चाहता हूँ। मैंने दीपा से कहा।

देवांशु के बारे में तुम्हें क्या बात करनी है। दीपा ने कहा।

यार ये देवांशु तो अब छात्रसंघ का चुनाव लड़ रहा है और शायद जीत भी जाए, लेकिन तुमको लगता है कि वो चुनाव जीतने के बाद कुछ कर पाएगा कॉलेज की भलाई के लिए, रेंगिग रोकने के लिए और सबसे बड़ी बात लोगों छात्र-छात्राओं के बीच अपनी अपनी अच्छी छवि बना पाएगा। मुझे तो नहीं लगता कि वो ऐसा कुछ कर पाएगा। अगर वो चुनाव जीत गया तो पता नहीं कॉलेज का क्या होगा, बस यही बाते कुछ दिन से मुझे परेशान कर रही हैं। मैंने दीपा को देखते हुए कहा।

बस इतनी छोटी सी बात सोचकर तुम परेशान हो रहे हो। यार देवांशु बहुत अच्छा लड़का है और मुझे लगता है कि वह कॉलेज की भलाई के लिए बहुत कुछ करेगा, ओर तुमको राज की एक बात बताऊँ, वो बहुत पैसे वाला है, कॉलेज की बहुत लड़कियाँ जो मेरी दोस्त हैं, उसको पसंद करती हैं। दीपा ने मुझसे कहा।

क्या मुझे तो पता ही नहीं था कि उसके बहुत सारी दीवानी इस कॉलेज में घूम रही हैं। अच्छा एक बात बताओ तुम्हें वो कैसा लगता है। मैंने दीपा से पूछा।

मुझे तो वो अच्छा लगता है और हम दोनो अच्छे दोस्त भी हैं। इसीलिए तो मैं उसकी तरफ से उसका बढ़-चढ़ कर प्रचार कर रही हूँ। दीपा ने मुस्कराते हुए कहा।

क्या बात है दीपा रानी। उसकी इतनी तारीफ़। मुझे तो जलन होने लगी है देवांशु से। अच्छा एक बात सच सच बताना दीपा। क्या तुमने मुझसे मिलने से पहले या मुझसे मिलने के बाद कभी भी उसके बारे में वैसा नहीं सोचा जैसा तुम्हारी सहेलियाँ उसके बारे में सोचती हैं। मुझे ऐसा लगता है कि शायद वो तुम्हें पसंद करता है। मैने दीपा की आँखों में आँखें डालकर सवाल किया।

पहले तो दीपा मेरे सवाल पर मुझे कुछ देर देखती रही। मैं भी उसको ही देख रहा था और उसके चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रहा था। उसके चेहरे के भाव बिलकुल वैसे ही थे जैसे मेरे साथ हमेशा रहने पर उसके चेहरे का भाव होता है। मेरे इस सवाल पर उसके चेहरे का भाव एक क्षण के लिए भी नहीं बदला।

ये कैसी बाते कर रहे हो तुम। मैंने उसे सिर्फ एक अच्छा दोस्त माना है और जहाँ तक मुझे लगता है कि उसके मन में भी मेरे लिए दोस्ती वाला ही एहसास है। तुम्हें पता नहीं कहाँ से ये सब फालतू ख्याल आता रहता है। मैं उसके साथ इस चुनाव में हूँ क्योंकि वह मेरा अच्छा दोस्त है। बाकी मैं तो अपने छोटे बाबू को पसंद करती हूँ और उसी से प्यार करती हूँ। दीपा ने मेरे कंधे पर अपना सिर रखते हुए कहा।

मुझे ये जानकर बहुत खुशी हुई और साथ में ये दुःख भी हुआ कि मैं दीपा के उपर शक कर रहा था और बेमतलब गुस्सा कर रहा था।

मुझे माफ कर दो दीपा। वो बस मेरे मन में आया और मैंने ऐसे ही पूछ लिया था। मेरा इरादा तुम्हें दुःख पहुचाने का नहीं था। मैंने दीपा के माथे को चूमते हुए ये बात कही।

तुम भी न पता नहीं क्या बात लेकर बैठ गए। “अच्छा सुनो मैं चुनाव के लिए एक नया स्लोगन लिख रही हूँ - शांत और रैगिंग विरोधी कॉलेज कैंपस बनाना है !
छात्रसंघ नेता देवांशु मिश्रा को जिताना है!!” दीपा बोली।

“हां ठीक ही है” मैने कहा।

“मतलब तुम्हे पसंद नही आया ?” दीपा आश्चर्यचकित होकर बोली

“बिलकुल पसंद हैं, बहुत पसंद है। यह बहुत अच्छी स्लोगन हैं ।” मैं दीपा से बोला ।

“मुझे पता था निशांत यह स्लोगन तुम्हें 100 फीसदी पसंद आएगी ।” दीपा इतराती हुई बोली।

कॉलेज में छात्र संघ चुनाव की तैयारियां सभी पार्टी वाले कर रहे थे । कॉलेज से कुल चार विद्यार्थी उम्मीदवार थे जिसमें से तीन वाणिज्य संकाय के तीसरे वर्ष के विद्यार्थी थे जबकि एक कंप्यूटर संकाय से प्रथम वर्ष का विद्यार्थी उम्मीदवार था ।

प्रथम वर्ष का विद्यार्थी उम्मीदवार केवल देवांशु था और वह लोगों के बीच खुद का ऐसे प्रचार-प्रसार कर रहा था जैसे वह कोई बहुत बड़ा नेता हो और इस छात्र संघ चुनाव में उसकी जीत पक्की होने वाली हो।

उस दिन कॉलेज खत्म होने के बाद दीपा अपने घर जाने वाली थी, मगर उसके भैया उस दिन समय से उसे लेने नहीं आए थे। उसने भैया से कॉल करके पूछा तो उसके भैया आशीष ने बताया उन्हें कॉलेज आने में अभी आधे घंटे से भी अधिक समय लग सकता है। तुम चाहो तो ऑटो पकड़ कर घर चली जाओ या फिर आधे घंटे तक मेरा इंतजार भी कर सकती हो। उस दिन दीपा के भैया किसी काम से बाहर निकले हुए थे।

“क्या हुआ ? तुम्हे कॉलेज से लेने तुम्हारे भैया कब तक आने वाले हैं?” दीपा के कॉल डिस्कनेक्ट करने के तुरंत बाद मैंने उससे पूछा ।

“अरे यार भैया आधे घंटे बाद आएंगे और इस तरह से आधे घंटा किसी का इंतजार करना मुझे अच्छा नहीं लगेगा । यहाँ आधे घंटे खड़े-खड़े मुझे बोरियत महसूस।”दीपा बोली ।

“ तो फिर ऐसा करो आज तुम मेरे घर चलो । वहां साथ रहकर कुछ बातें करेंगे ।” मैंने कहा ।

नहीं छोटे। मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे घर नहीं चल सकती। भइया और तुम्हारे घर वाले क्या सोचेंगे, उनकी छोड़ो पास-पड़ोस के लोग क्या सोचेंगे कि मैं किस मतलब के लिए तुम्हारे घर के चक्कर लगाती हूँ। दीपा ने अपनी बात स्पष्ट की।

कोई कुछ नहीं कहेगा और न ही कुछ सोचेगा। तुम न पता नहीं क्या उलूल-जुलूल सोचती रहती हो। और जब घरवालों को कोई दिक्कत नहीं होगी तो बाहर वालों को इतनी तवज्जो क्यों देना और तुम्हे कब से बाहर वालों की बातों की इतनी फिकर होने लगी। मैंने कहा।

मेरी बात सुनकर दीपा के चेहरे पर मुस्कान आ गई।


साथ बने रहिए।
 

mashish

BHARAT
8,032
25,910
218
सोलहवाँ भाग


मगर मुझे यह पता नहीं था कि दीपा देवांशु को एक दोस्त समझकर या फिर छात्रसंघ चुनाव का एक उम्मीदवार समझकर या एक क्लासमेट समझकर उसके साथ घूमती रहती है ।

“देखो देवांशु तुम दीपा के सहपाठी हो, साथ ही छात्र संघ चुनाव के उम्मीदवार भी हो। इसलिए मैं अब तक चुप हूं वरना मैं जिस वक्त अपनी औकात पर आ जाऊंगा ना तो फिर तुम्हें तुम्हारी औकात अच्छी तरह से याद दिला दूंगा ।” मैंने उसके शर्ट के कॉलर को अपनो हाथों से पकड़ते हुए कहा।

मेरे द्वारा उसका कॉलर पकड़ने के बाद उसके कुछ दोस्तों ने भी मेरे शर्ट का कॉलर पकड़ लिया, परन्तु देवांशु उन लोगों को सर से इशारा कर मुझसे दूर हटने को कहा । उस वक्त वह समझ चुका था कि अगर उस वक्त वह कुछ भी करेगा तो उससे उसके इमेज पर काफी ज्यादा बुरा असर पड़ेगा क्योंकि कुछ सप्ताह बाद ही छात्र संघ के चुनाव होने वाला था और वह नहीं चाहता था कि चुनाव के पहले कोई ऐसा बखेड़ा खड़ा हो जो उसकी छवि को प्रभावित करे ।

इसलिए उस वक्त वह विवाद ना कर मुझे सिर्फ धमकी देकर वहां से निकल गया और जाते-जाते बोला, “तुम्हें चुनाव के बाद देख लूंगा। मैं तुम्हारा वो हाल करूंगा कि तुम उसके बाद मेरे क्लास की बंदी को तो क्या कभी अपने क्लास की बंदी तक को देखने से डरोगे ।”

उस दिन के बाद देवांशु और मेरे बीच अच्छी खासी दुश्मनी हो गई थी । लेकिन हम-दोनों की इस दुश्मनी के बारे में दीपा को बिल्कुल भनक नहीं थी । दीपा जब भी मेरे पास आती थी तो देवांशु की ही बातें किया करती थी

। उसकी हर बातों में देवांशु की बड़ाई और अच्छाई ही नजर आती थी ।

जिसे सुन सुन कर मैं पक चुका था। एक दिन कैंटीन में मैं और दीपा हर रोज की तरह बैठकर बातें कर रहे थे । उस समय दीपा की मीठी बातों के साथ कैंटीन की कड़क चाय भी थी ।

“निशांत क्या बात है? आजकल तुम कुछ ज्यादा खोए खोए से रहने लगे हो और मुझसे भी कुछ कटे कटे से दिखाई देते हो । कोई परेशानी है तो प्लीज मुझसे भी शेयर किया करो?” दीपा चाय की पहली शिप सुड़क कर पीती हुई बोली ।

मुझे दीपा की बातों को सुनकर लगा कि मैं उसे बोल दूं कि यह सारी परेशानी जो चेहरे से दिख रही है उसकी असली वजह तुम्हारी और देवांशु की दोस्ती है, लेकिन मैं इस बार भी उसके विरोध में कुछ बोलने में असमर्थ रहा। दीपा के बार बार पूछने पर भी मैंने उसे कुछ नहीं बताया।

“नहीं दीपा ऐसी कोई बात नहीं हैं । मैं खुश तो हूं , देखो मेरे चेहरे को कितनी खुशी दिख रही है ।” मैंने अपने होठों पर नकली मुस्कान लाते हुए कहा।


अब मुझसे तो न छुपाओ छोटे, मैं कई दिन से देख रही हूँ कि तुम परेशान से हो। मुझसे भी पहले की तरह ठीक से बातें नहीं करते। जरूर कोई बात है जो तुम मुझको बताना नहीं चाहते। दीपा थोड़ा नाराजगी के साथ बोली।

मैं उसकी बात सुनकर सोच में पड़ गया। मैंने सोचा कि अगर दीपा को सब बता दूँ तो हो सकता है कि मेरी सोच जानकर वो मुझसे नाराज न हो जाए। मैंने बहुत सोचने के बाद मुझे दीपा से ये बात घुमाकर पूछना ही बेहतर लगा।

देखो मेऱी बात सुनकर तुम बुरा नहीं मानोंगी और मुझसे नाराज नहीं होगी तभी मैं कुछ बताऊँगा। मैंने दीपा से कहा।

अरे छोटे बाबू। मैं तुमसे नाराज हो सकती हूँ क्या। तुम बताओ। दीपा ने मेरे कंधे पर थपकी लगाते हुए कहा।

दीपा मैं देवांशु के बारे में तुमसे कुछ बात करना चाहता हूँ। मैंने दीपा से कहा।

देवांशु के बारे में तुम्हें क्या बात करनी है। दीपा ने कहा।

यार ये देवांशु तो अब छात्रसंघ का चुनाव लड़ रहा है और शायद जीत भी जाए, लेकिन तुमको लगता है कि वो चुनाव जीतने के बाद कुछ कर पाएगा कॉलेज की भलाई के लिए, रेंगिग रोकने के लिए और सबसे बड़ी बात लोगों छात्र-छात्राओं के बीच अपनी अपनी अच्छी छवि बना पाएगा। मुझे तो नहीं लगता कि वो ऐसा कुछ कर पाएगा। अगर वो चुनाव जीत गया तो पता नहीं कॉलेज का क्या होगा, बस यही बाते कुछ दिन से मुझे परेशान कर रही हैं। मैंने दीपा को देखते हुए कहा।

बस इतनी छोटी सी बात सोचकर तुम परेशान हो रहे हो। यार देवांशु बहुत अच्छा लड़का है और मुझे लगता है कि वह कॉलेज की भलाई के लिए बहुत कुछ करेगा, ओर तुमको राज की एक बात बताऊँ, वो बहुत पैसे वाला है, कॉलेज की बहुत लड़कियाँ जो मेरी दोस्त हैं, उसको पसंद करती हैं। दीपा ने मुझसे कहा।

क्या मुझे तो पता ही नहीं था कि उसके बहुत सारी दीवानी इस कॉलेज में घूम रही हैं। अच्छा एक बात बताओ तुम्हें वो कैसा लगता है। मैंने दीपा से पूछा।

मुझे तो वो अच्छा लगता है और हम दोनो अच्छे दोस्त भी हैं। इसीलिए तो मैं उसकी तरफ से उसका बढ़-चढ़ कर प्रचार कर रही हूँ। दीपा ने मुस्कराते हुए कहा।

क्या बात है दीपा रानी। उसकी इतनी तारीफ़। मुझे तो जलन होने लगी है देवांशु से। अच्छा एक बात सच सच बताना दीपा। क्या तुमने मुझसे मिलने से पहले या मुझसे मिलने के बाद कभी भी उसके बारे में वैसा नहीं सोचा जैसा तुम्हारी सहेलियाँ उसके बारे में सोचती हैं। मुझे ऐसा लगता है कि शायद वो तुम्हें पसंद करता है। मैने दीपा की आँखों में आँखें डालकर सवाल किया।

पहले तो दीपा मेरे सवाल पर मुझे कुछ देर देखती रही। मैं भी उसको ही देख रहा था और उसके चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रहा था। उसके चेहरे के भाव बिलकुल वैसे ही थे जैसे मेरे साथ हमेशा रहने पर उसके चेहरे का भाव होता है। मेरे इस सवाल पर उसके चेहरे का भाव एक क्षण के लिए भी नहीं बदला।

ये कैसी बाते कर रहे हो तुम। मैंने उसे सिर्फ एक अच्छा दोस्त माना है और जहाँ तक मुझे लगता है कि उसके मन में भी मेरे लिए दोस्ती वाला ही एहसास है। तुम्हें पता नहीं कहाँ से ये सब फालतू ख्याल आता रहता है। मैं उसके साथ इस चुनाव में हूँ क्योंकि वह मेरा अच्छा दोस्त है। बाकी मैं तो अपने छोटे बाबू को पसंद करती हूँ और उसी से प्यार करती हूँ। दीपा ने मेरे कंधे पर अपना सिर रखते हुए कहा।

मुझे ये जानकर बहुत खुशी हुई और साथ में ये दुःख भी हुआ कि मैं दीपा के उपर शक कर रहा था और बेमतलब गुस्सा कर रहा था।

मुझे माफ कर दो दीपा। वो बस मेरे मन में आया और मैंने ऐसे ही पूछ लिया था। मेरा इरादा तुम्हें दुःख पहुचाने का नहीं था। मैंने दीपा के माथे को चूमते हुए ये बात कही।

तुम भी न पता नहीं क्या बात लेकर बैठ गए। “अच्छा सुनो मैं चुनाव के लिए एक नया स्लोगन लिख रही हूँ - शांत और रैगिंग विरोधी कॉलेज कैंपस बनाना है !
छात्रसंघ नेता देवांशु मिश्रा को जिताना है!!” दीपा बोली।

“हां ठीक ही है” मैने कहा।

“मतलब तुम्हे पसंद नही आया ?” दीपा आश्चर्यचकित होकर बोली

“बिलकुल पसंद हैं, बहुत पसंद है। यह बहुत अच्छी स्लोगन हैं ।” मैं दीपा से बोला ।

“मुझे पता था निशांत यह स्लोगन तुम्हें 100 फीसदी पसंद आएगी ।” दीपा इतराती हुई बोली।

कॉलेज में छात्र संघ चुनाव की तैयारियां सभी पार्टी वाले कर रहे थे । कॉलेज से कुल चार विद्यार्थी उम्मीदवार थे जिसमें से तीन वाणिज्य संकाय के तीसरे वर्ष के विद्यार्थी थे जबकि एक कंप्यूटर संकाय से प्रथम वर्ष का विद्यार्थी उम्मीदवार था ।

प्रथम वर्ष का विद्यार्थी उम्मीदवार केवल देवांशु था और वह लोगों के बीच खुद का ऐसे प्रचार-प्रसार कर रहा था जैसे वह कोई बहुत बड़ा नेता हो और इस छात्र संघ चुनाव में उसकी जीत पक्की होने वाली हो।

उस दिन कॉलेज खत्म होने के बाद दीपा अपने घर जाने वाली थी, मगर उसके भैया उस दिन समय से उसे लेने नहीं आए थे। उसने भैया से कॉल करके पूछा तो उसके भैया आशीष ने बताया उन्हें कॉलेज आने में अभी आधे घंटे से भी अधिक समय लग सकता है। तुम चाहो तो ऑटो पकड़ कर घर चली जाओ या फिर आधे घंटे तक मेरा इंतजार भी कर सकती हो। उस दिन दीपा के भैया किसी काम से बाहर निकले हुए थे।

“क्या हुआ ? तुम्हे कॉलेज से लेने तुम्हारे भैया कब तक आने वाले हैं?” दीपा के कॉल डिस्कनेक्ट करने के तुरंत बाद मैंने उससे पूछा ।

“अरे यार भैया आधे घंटे बाद आएंगे और इस तरह से आधे घंटा किसी का इंतजार करना मुझे अच्छा नहीं लगेगा । यहाँ आधे घंटे खड़े-खड़े मुझे बोरियत महसूस।”दीपा बोली ।

“ तो फिर ऐसा करो आज तुम मेरे घर चलो । वहां साथ रहकर कुछ बातें करेंगे ।” मैंने कहा ।

नहीं छोटे। मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे घर नहीं चल सकती। भइया और तुम्हारे घर वाले क्या सोचेंगे, उनकी छोड़ो पास-पड़ोस के लोग क्या सोचेंगे कि मैं किस मतलब के लिए तुम्हारे घर के चक्कर लगाती हूँ। दीपा ने अपनी बात स्पष्ट की।

कोई कुछ नहीं कहेगा और न ही कुछ सोचेगा। तुम न पता नहीं क्या उलूल-जुलूल सोचती रहती हो। और जब घरवालों को कोई दिक्कत नहीं होगी तो बाहर वालों को इतनी तवज्जो क्यों देना और तुम्हे कब से बाहर वालों की बातों की इतनी फिकर होने लगी। मैंने कहा।

मेरी बात सुनकर दीपा के चेहरे पर मुस्कान आ गई।



साथ बने रहिए।
superb update
 
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