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Romance तेरी मेरी आशिक़ी (कॉलेज के दिनों का प्यार)

Moon Light

Prime
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बढ़िया शुरुआत है...!!

कॉलेज का पहला दिन खास ही होता है...
क्योंकि उसी दिन हम अजनबी चहरों में से कुछ चेहरों को चुन लेते हैं और घर आकर उन्हीं में अपने मित्र और अपना हमसफ़र का इमेजिनेशन भी करने लगते हैं...

कुछ पल तो हमेशा के लिए यादगार बन जाते हैं,
और हमारी आगे की लाइफ को भी एक रूप रेखा दे जाते हैं...!!
:waiting:
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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nice update ..college ka pehla din aur ek ladki pasand aa gayi hero ko 🤩🤩..
aur usko kisi aur ladke ke saath college se jaate huye dekhkar hero ka dil naaraj ho gaya ...
shayad wo mota ladka us ladki ka bhai ho ya sirf dost 🤔🤔..par tension hona sahi hai is maamle me 😁...
धन्यवाद सर जी आपका।
कहानी सच मे हमको बहुत अच्छी लगी।

आपको भी अच्छी लगेगी।
साथ बने रहिएगा।
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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First Of All Congratulations For Story
Baki kahani bilkul realistic lagg rahi he, jesa ke sabke saath hota he kuch wahi haal humare hero ka bhi he, Dekhte he aage kya dekhne milta he. Agle Update ka besabri se intezar he.
Keep Writing, Keep Posting ❤

धन्यवाद सर जी आपका।
अगला भाग कल देंगे।

साथ बने रहिएगा।
 
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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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बढ़िया शुरुआत है...!!

कॉलेज का पहला दिन खास ही होता है...
क्योंकि उसी दिन हम अजनबी चहरों में से कुछ चेहरों को चुन लेते हैं और घर आकर उन्हीं में अपने मित्र और अपना हमसफ़र का इमेजिनेशन भी करने लगते हैं...

कुछ पल तो हमेशा के लिए यादगार बन जाते हैं,
और हमारी आगे की लाइफ को भी एक रूप रेखा दे जाते हैं...!!
:waiting:
धन्यवाद आपका।
अपने साथ तो ये वाकया हुआ ही नहीं😢😢😢😢

तो इसका अनुभव पता ही नहीं है।

बाकी कहानी के अगले भाग के लिए साथ बनी रहिए।
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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दूसरा भाग

रात को हम पूरे परिवार के साथ भोजन के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठे थे। मुझे, भैया और मां को मिलाकर ही हमारी पूरी फैमिली कंप्लीट थी । पापा की मृत्यु आज से 12 साल पहले कंपनी में हुए एक बड़े हादसे के कारण हो गई थी। पापा के मौत के बाद हमारी मां ही हम-दोनों भाइयों की परवरिश पापा बनकर की है। पापा की मृत्यु के बाद पारिवारिक परिस्थिति को देखते हुए भैया दसवीं पास करने के बाद ही मां के कामों में हाथ बढ़ाना शुरू कर दिए थे, जबकि 12वीं के बाद भैया कंपनी संभालने लगे थे।

“ अर्जुन चौटाला साहब को माल डिलीवर करना था। तूने माल भेजवा दिया है क्या ? ”

मां ने ब्रेड के टुकड़े को मुंह में डालते हुए भैया से पूछा।

“ जी .. मां। आज सुबह ही डिलीवर करवा दिया हूं। बस उनके तरफ़ से पेमेंट बाकी रह गयी है।”

भैया ने अपने हाथ से गोभी की सब्जी उठाते हुए जबाब दिया।

“ कोई बात नहीं है, चौटाला साहब अपने पुराने वितरक/वितरणकर्ता हैं। उनसे पैसा कहीं नहीं जाएगा ”

मां ने भैया को देखते हुए बोली।

भैया और मां के बीच का वार्तालाप सुनकर मैं खुश था। मेरा खुश होने का असली कारण यह था कि मां मुझसे कॉलेज के पहले दिन के बारे में कुछ नही पूछ रही थीं । वरना अगर मां कॉलेज के बारे में पूछी होती तो फिर उस पीले दुपट्टे वाली लड़की के बॉयफ्रेंड के चेहरा आंखों तैर जाता।

वैसे मेरी मां को मेरी पढ़ाई लिखाई से ज्यादा लेना-देना नहीं रहता था । वह हमेशा कहती थी जल्द से जल्द कंपनी ज्वाइन कर लो और अपने भाई की काम में किया करो। मगर भैया ने मुझे कॉलेज जाने की छूट दे रखी थी । उनका मानना था कि किसी भी इंसान को पहले अपनी पढ़ाई पूरी करनी चाहिए उसके बाद ही काम के बारे में सोचना चाहिए।

भैया को अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ने की आज भी मलाल है । अगर घर में इस तरह की विपत्ति नहीं आई होती तो शायद भैया अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर कंपनी ज्वाइन कभी नहीं करते, मगर किस्मत के होनी को कौन टाल सकता हैं। कभी कभी कुछ हालात भी हमें बहुत कुछ करने के लिए मजबूर कर देते हैं।

खाना खाकर हम सब अपने कमरे में सोने के लिए चले गए।

अगले दिन मैं जल्दी जल्दी तैयार होकर जब कॉलेज पहुंचा तो आज भी मेरी आंखें कॉलेज के कॉरिडोर में इधर-उधर उसे ही ढूंढ रही थी। मगर वह लड़की फिर से दोबारा नहीं दिखी। इस तरह से कॉलेज के कई दिन बीत गया मगर उस लड़की से फिर कभी दूसरी दफ़ा मुलाकात नहीं हुई।

अब तो भैया की शादी के दिन भी नजदीक आ चुका था और हम लोग शादी की तैयारियों में व्यस्त हो गये थे। अब उस पीले दुपट्टे वाली लड़की की याद भी धुंधली होकर दिमाग से लगभग उतर चुकी थी।

आखिर भैया की शादी का दिन आ ही गया। भैया की शादी शहर के सबसे बड़े मैरिज होटल द सम्राट मैरिज गार्डन में हो रही थी। हम लड़के वाले और लड़की वाले सभी लोग शादी के एक दिन पहले ही उस मैरिज होटल में आ चुके थे। तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी थी। बहुत सारे मेहमान आ चुके थे। मिठाइयों की खुशबू से पूरे होटल में महक रहा था। दरवाजे पर लदे गुलाब के फूलों की खुशबू वहां पर उपस्थित मेहमानों में जोश उड़ेल रहा था।

दोनों तरफ के लोग अपने-अपने रस्म-ओ-रिवाजों में व्यस्त थे । हम लड़के वाले होटल की दूसरी मंजिल पर ठहरे हुए थे, जबकि लड़की वाले भूमितल पर बने हुए कमरों में रुके हुए थे ।

उस दिन शाम में तिलक चढ़ाने की रस्म के लिए हम सभी लड़के एवं लड़की वाले एक साथ बैठे थे। लड़के को तिलक चढ़ाई जा रही थी। और हम लड़के अपने दोस्तों के साथ लड़कियों को ताड़ रहे थे। इसी बीच हमारा ध्यान एक ऊंची हील वाली लड़की पर पड़ी।

उसका चेहरा मुझे कुछ जाना पहचाना सा लगा।ऐसा लग रहा था कि इस खूबसूरत होंठों को, इसके रेशमी बालों को और इसके गुलाबी चिकने गालों को को मैंने कहीं देखा है। दिमाग के घोड़े दौड़ाने पर मेरी दिमाग की बत्ती जल गई।

"अरे यह तो वो ही लड़की है। कॉलेज की पीले दुपट्टे वाली लड़की । " मेरे मुंह से यह चंद शब्द अचानक निकल पड़ा।

उसे देखकर मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। मैं तो जैसे खुशी से पागल हुआ जा रहा था। मेरी आंखें जिस लड़की को कॉलेज में ढूंढती रही और ढूँढ ढूँढ कर थक गई । आज वो मेरे भाई की शादी में मिल रही थी । उस दिन इससे बड़ी ख़ुशी मुझे और किसी बात को लेकर नही हो रही थी । उससे बात करने के लिए मेरा दिल मचलने लगा।

मैं किसी तरह से उससे बात करने की कोशिश करने लगा। कभी मेहमानों से छुपकर जाता तो कभी मां से कुछ बहाने करके लड़की वाले के पास चले जाता। इस तरह से करते करते आखिर एक बार मुझे उस लड़की से बात करने का मौका मिल ही गया।

" हेल्लो " मैने बोला।

"हेल्लो , तुम !..." वह चौक कर बोली।

उसके चेहरे का इम्प्रेशन देखकर ही मैं समझ गया था कि उसे मेरा चेहरा अब तक याद है।

“ हां, मैं ... लेकिन तुम यहां ? ” मै थोड़ा असमंजस में बोला।

“ अरे मैं अपनी फ्रेंड की बहन की शादी में आई हूं।

वैसे तुम किसके तरफ से हो ? " उसने बहुत ही बिंदास स्वर में बोली।

“ यूं समझ लो तुम्हारी फ्रेंड की बहन मेरे ही घर जाने वाली है। ” मैंने मस्का लगाते हुए बोला।

“ क्या मतलब ? ” उसने आश्चर्यचकित होकर पूछा।

“ मतलब कि मैं लड़के का छोटा भाई हूं ।” मैं थोड़ा भाव खाते और नखरा दिखाते हुए बोला।

“ वाओ सच मे । ” वह आश्चर्यचकित होते हुए बोली।

मैं उससे मिलकर काफी खुश हो रहा था। वैसे वह भी काफी खुश दिख रही थी मगर अब तक हम दोनों ने एक दूसरे हालचाल या फिर नाम बैगरह तक नहीं पूछा था। फिर अचानक उसने बोली

“ बाय द वे ( by the way) तुम्हारा नाम क्या है?”

मैं उसे अपना नाम बताता उससे पहले ही वहां पर एक अंकल ने आकर बोला - " छोटे तुम्हारा भाई तुम्हे ढूंढ रहा है"

"जी अंकल मैं आ रहा हूँ" मैंने अंकल को बोला।

अंकल के जाने के बाद वह खिलखिला कर हंसने लगी। मैंने इशारा करके पूछा- “ क्या हुआ? ”

" ये छोटे कैसा नाम है ? इससे अच्छा तो नटवरलाल नाम ठीक-ठाक लग रहा है " वह बोल कर फिर खिलखिला कर हंस पड़ी।

अब मुझे समझ में आ गया था कि वह मेरे नाम को लेकर मेरा मजाक बना रही हैं ।

वैसे हँसते हुए वह और अधिक खूबसूरत लग रही थी। मन तो कर रहा था भाभी के साथ आज इसे भी दुल्हन बना कर अपने घर ले चलूं।

" अरे मेरा नाम छोटे नही ,बल्कि निशांत है। वो तो भैया प्यार से मुझे छोटे बोलते हैं।" मैंने कहा।


साथ बने रहिए।
 

Mahi Maurya

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तीसरा भाग

अच्छा ! तो इस छोटे को एक बड़ा नाम भी है ।" यह बोल कर वह फिर हँस पड़ी।

"वैसे आपका नाम क्या है ? मैंने पूछा।

" नाम की इतनी भी जल्द क्या है छोटे ? समय आएगा तब जान जाईयेगा ।" इतना बोल कर वह मुस्कुराती हुई चली गई।

उसकी मुस्कान ही हम पर सितम ढाह रही थी। उसके जाने के बाद मैं भी भैया के पास चला गया। पूरा होटल शादी के माहौल में डूब चुका था । सभी लोगों के चेहरे पर एक अलग ही तरह की उमंग देखने को मिल रही थी।

" भैया आपने मुझे बुलाया ?" मैंने बोला ।

"छोटे, शाम के 4 बजे वाली फलाइट से सुजाता मौसी आ रही हैं। तुम उन्हें एयरपोर्ट से रिसीव कर लेना" भैया ने बोलें।

" ठीक है भैया । मैं अभी निकलता हूँ। "

यह बोलने के बाद मैंने अपनी नजर स्मार्ट वाच पर टिकाई। शाम के साढ़े तीन बज रहें थे ।

मैं हाल से निकल का सीधा एयरपोर्ट चला गया। एयरपोर्ट पहुंचने में कुल 25 मिनट लग गये थे मगर फिर भी मैं सही समय पर पहुंच गया था। वहाँ कुछ मिनट इन्तजार करने के बाद मुझे सुजाता मौसी दिखी।
सुटकेस के साथ शिल्पा भी मौसी के साथ एयरपोर्ट से बाहर निकलती दिखी।

शिल्पा मेरी मौसी की देवर की इकलौती बेटी है। शिल्पा जब 1 वर्ष की थी तब ही उसके मां और पिता का देहांत एक कार एक्सीडेंट में हो गया था और तब से वह मेरी मौसी के साथ ही रहती है। मौसी ने ही उसका लालन-पालन किया है।

और अब मौसी चाहती थी कि शिल्पा की शादी मेरे अर्जुन भैया से हो। मौसी मेरी माँ से शिल्पा से रिश्ता के लिए कई बार बात कर चुकी थी मगर मेरी माँ हर बार इस रिश्ते को ठुकराती आई है।

मौसी के साथ शिल्पा को देख कर मुझे अजीब लगा । जब शिल्पा के रिश्ते कई बार ठुकराया जा चुका था तो शिल्पा को इस शादी में लाना क्या जरूरी था। मै ऐसा सोचने लगा।

" प्रणाम मौसी " मैं मौसी के पैर छु कर बोला।

" खुश रहो बेटा ... खुश रहो " मौसी थोड़ी ज्यादा ओवर एक्टींग करती हुई बोली।

मौसी हमारी गाड़ी सडक के दूसरी तरफ खड़ी है। हम गाड़ी में चले ? ” मैंने गाड़ी के ओर इशारा करते हुए मौसी से बोला।

" बेटा मेरे साथ शिल्पा भी आई हुई है " मौसी शिल्पा की ओर उंगली से इशारा करती हुई बोली।

" हेलो " मैंने शिल्पा से बोला।

" हाय ... I" शिल्पा चेहरे पर नकली मुस्कान के साथ बोली थी।

वैसे मैं शिल्पा को पहले ही देख चुका था मगर मैंने उससे कुछ बोलना उचित नहीं समझा था।

कुछ मिनट बाद हम लोग अपनी गाड़ी में बैठ चुके थे और गाड़ी सड़कों पर दौड़ रही थी। मैं गाड़ी चला रहा था , मेरी बगल में शिल्पा बैठी थी और पीछे वाली सीट पर सुजाता मौसी थी।

" बेटा हम कितने देर में होटल पहुंच जाएंगे ?" मौसी ने पूछा।

" बस अब हम पहुंचने ही वाले हैं " मैंने सड़क के सीधे में देखते हुए बोला।

" वैसे एक बात पूछूं बेटा? " सुजाता मौसी बोली।

" जी ..... जी मौसी पूछिए।" मैंने बोला।

" बेटा मैंने सुना है तुम्हारी कंपनी , घर और यहां तक की तुम्हारी सभी जायजात तुम्हारे भाई के नाम से रजिस्टर्ड है '' मौसी बोली।

" जी मौसी ... जब पापा की मृत्यु हुई थी तब मेरी उम्र 1 वर्ष से भी कम की थी जिसके कारण उस वक्त पापा के नाम की सारी जायजात को अर्जुन भैया के नाम से रजिस्टर्ड करवाना पड़ा था और वैसे भी इसमें हर्ज ही क्या है? " मैंने बहुत ही सरल शब्दों में जवाब दिया।

" बेटा इसमें तुम्हें कोई हर्ज नहीं दिखता है ? कहीं ऐसा ना हो शादी के बाद उसकी पत्नी तुम्हें जायजात से कुछ हिस्सा ही ना दें, क्योंकि हर लड़की मेरी शिल्पा जैसी तो नहीं ना हो सकती है । " मौसी मुझे बड़ी ही कुटिल नजरों से देखती हुई बोली।

मैं मौसी को कुछ बोलता उससे पहले ही हमारी गाड़ी होटल के पास पहुंच चुकी थी।

वैसे मेरी मौसी का यह स्वभाव हमेशा से रहा है। वह हमेशा से ही हर बातों को नकारात्मक रूप से देखती आई है। उन्हे हर चीजों में, हर रिश्तो में शक करने की बीमारी है। यही कारण था कि उस वक्त मैं गाड़ी में उनसे इन बातों पर ज्यादा बहस करना उचित नहीं समझा।

मैं गाड़ी को होटल के पार्किंग में पार्क कर गाड़ी से बाहर निकला ही था कि मेरी नजर फिर कॉलेज की उस पीले दुपट्टे वाली लड़की पर पड़ी। वह मुझे नहीं देख रही थी वह अपने दोस्तों के साथ अपने होठों की लम्बी चोंच बनाकर अपने मोबाइल से सेल्फी खींच रही थी।

" दीपा दीदी. .....सब लोग डांस प्रतियोगिता कर रहे हैं । चलो ना हम सब भी डांस करते हैं।'' एक 10- 12 साल की लड़की ने उस कॉलेज की पीले दुपट्टे वाली लड़की को आकर बोली।

" वाव! सच में ..... ! तो फिर हम लोग भी चलते हैं" कॉलेज की पीले दुपट्टे वाली लड़की खुश होते हुए बोली।

" दीपा दीदी ? .... ओहो.... तो पीले दुपट्टे वाली लड़की का नाम दीपा है।......निशांत - दीपा, वाह क्या जोड़ी जमेगी ! " मैंने मन ही मन सोचते हुए खुद से बोला।

मैंने देखा वो लोग होटल के डांस फ्लोर पर जा चुके थे।

दिल चोरी साड्डा हो गया है की करिए की करिए '' डांस फ्लोर पर हनी सिंह का यह गाना फुल बेस (Base) में बज रहा था।

मेरी नजर अचानक डांस करती लड़कियों के समूह पर टिक गई। कुछ लड़कियां इस गाने पर जबरदस्त डांस कर रही थी उन्हीं लड़कियों के बीच दीपा भी थी।

गजब का डांस परफॉर्म कर रही थी। वह खूबसूरत तो थी ही, वह डांस भी गजब का कर रही थी। मेरी नजर उसके चहरे से बिलकुल एक सेकण्ड के लिए भी नही हट रही थी तभी एक साथ सारे लोगों की तालियों की आवाज सुनाई पड़ी I जिसके कारण मेरा ध्यान लड़कियों से भंग हुआ ।

गाना खत्म हो चुका था सभी लोग इस डांस परफॉर्म के लिए तालियां बजा रहे थे। अब लड़के वालों के डांस करने की बारी थी। मेरे कुछ दोस्त डांस करने के लिए गए और साथ में डांस करने के लिए मुझे भी बुला रहे थे मगर मैंने मना कर दिया।

" छोटे... तुम्हारे अंदर पावर नहीं है क्या ? ऐसा तो नही मेरा डांस देखकर डर गए हो ? " दीपा ने मेरे कानों के पास आकर कहा।



साथ बने रहिए।
 
Last edited:

Moon Light

Prime
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तो पीले दुप्पटे वाली लड़की आखिर मिल गई गयी,
क्या किस्मत है छोटू की,
दोनों का मिलाप हुआ,
इंट्रो हुआ,

मासी का नकारात्मक विचार

डांस और फिर लास्ट की लाइन
शायद अब तो छोटू को डांस करना है पड़ेगा...

(दूसरी साइट का लिंक हटा दो)
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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तो पीले दुप्पटे वाली लड़की आखिर मिल गई गयी,
क्या किस्मत है छोटू की,
दोनों का मिलाप हुआ,
इंट्रो हुआ,


मासी का नकारात्मक विचार

डांस और फिर लास्ट की लाइन
शायद अब तो छोटू को डांस करना है पड़ेगा...


(दूसरी साइट का लिंक हटा दो)
धन्यवाद आपका।
नृत्य भी होगा और धमाल भी मचाएंगे।

वो गलती से रह गया था लिंक।

साथ बनी रहिएगा।
 

DARK WOLFKING

Supreme
15,570
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nice update ..to baap ke marne ke baad maa ne sab kaam sambhala aur 12th ke baad arjun bhaiya bhi company sambhalne lage ..
par ye mausi ke dewar ki ladki ke saath shadi kyu nahi karwayi arjun ki uske maa ne 🤔🤔..
ab itne din baad peele dupatte wali mili bhi to bhaiya ki shadi me aur uska naam dipa hai ...aur dipa bahut shararti ,chulbuli yaa chalakh type hai jo hero ko chhotu chhotu bolke baat kar rahi hai ...

waise mausi ko shak hai yaa shilpa ke saath shadi na karne se jealous ya chugli type ....jo company kiske naam par hai ye baat keh rahi thi ...
 

DARK WOLFKING

Supreme
15,570
32,016
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waise mausi ki baat galat nahi hai ki biwi aane ke baad arjun badal sakta hai ..aur nishant ko kuch naa de company me ...par uski baato se laga wo chugli kar rahi hai ..

aur ye shilpa se shadi na karne ka reason kuch to hoga na ..
 
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