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Romance तेरी मेरी आशिक़ी (कॉलेज के दिनों का प्यार)

Mahi Maurya

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Kya baat he Mahi Maurya 4 Update de diye, chalo Aaram se padhunga ise...😊
जरूर सर जी जब आपको समय मिले तब पढ़िए।
लेकिन इसके साथ ही अपनी महत्त्वपूर्ण सलाह भी जरूर दीजिए।

इसी से तो मुझे हौसला मिलेगा। कहानी आगे लिखने का।
साथ बने रहिए।
 
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naqsh8521

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तीसरा भाग

अच्छा ! तो इस छोटे को एक बड़ा नाम भी है ।" यह बोल कर वह फिर हँस पड़ी।

"वैसे आपका नाम क्या है ? मैंने पूछा।

" नाम की इतनी भी जल्द क्या है छोटे ? समय आएगा तब जान जाईयेगा ।" इतना बोल कर वह मुस्कुराती हुई चली गई।

उसकी मुस्कान ही हम पर सितम ढाह रही थी। उसके जाने के बाद मैं भी भैया के पास चला गया। पूरा होटल शादी के माहौल में डूब चुका था । सभी लोगों के चेहरे पर एक अलग ही तरह की उमंग देखने को मिल रही थी।

" भैया आपने मुझे बुलाया ?" मैंने बोला ।

"छोटे, शाम के 4 बजे वाली फलाइट से सुजाता मौसी आ रही हैं। तुम उन्हें एयरपोर्ट से रिसीव कर लेना" भैया ने बोलें।

" ठीक है भैया । मैं अभी निकलता हूँ। "

यह बोलने के बाद मैंने अपनी नजर स्मार्ट वाच पर टिकाई। शाम के साढ़े तीन बज रहें थे ।

मैं हाल से निकल का सीधा एयरपोर्ट चला गया। एयरपोर्ट पहुंचने में कुल 25 मिनट लग गये थे मगर फिर भी मैं सही समय पर पहुंच गया था। वहाँ कुछ मिनट इन्तजार करने के बाद मुझे सुजाता मौसी दिखी।
सुटकेस के साथ शिल्पा भी मौसी के साथ एयरपोर्ट से बाहर निकलती दिखी।

शिल्पा मेरी मौसी की देवर की इकलौती बेटी है। शिल्पा जब 1 वर्ष की थी तब ही उसके मां और पिता का देहांत एक कार एक्सीडेंट में हो गया था और तब से वह मेरी मौसी के साथ ही रहती है। मौसी ने ही उसका लालन-पालन किया है।

और अब मौसी चाहती थी कि शिल्पा की शादी मेरे अर्जुन भैया से हो। मौसी मेरी माँ से शिल्पा से रिश्ता के लिए कई बार बात कर चुकी थी मगर मेरी माँ हर बार इस रिश्ते को ठुकराती आई है।

मौसी के साथ शिल्पा को देख कर मुझे अजीब लगा । जब शिल्पा के रिश्ते कई बार ठुकराया जा चुका था तो शिल्पा को इस शादी में लाना क्या जरूरी था। मै ऐसा सोचने लगा।

" प्रणाम मौसी " मैं मौसी के पैर छु कर बोला।

" खुश रहो बेटा ... खुश रहो " मौसी थोड़ी ज्यादा ओवर एक्टींग करती हुई बोली।

मौसी हमारी गाड़ी सडक के दूसरी तरफ खड़ी है। हम गाड़ी में चले ? ” मैंने गाड़ी के ओर इशारा करते हुए मौसी से बोला।

" बेटा मेरे साथ शिल्पा भी आई हुई है " मौसी शिल्पा की ओर उंगली से इशारा करती हुई बोली।

" हेलो " मैंने शिल्पा से बोला।

" हाय ... I" शिल्पा चेहरे पर नकली मुस्कान के साथ बोली थी।

वैसे मैं शिल्पा को पहले ही देख चुका था मगर मैंने उससे कुछ बोलना उचित नहीं समझा था।

कुछ मिनट बाद हम लोग अपनी गाड़ी में बैठ चुके थे और गाड़ी सड़कों पर दौड़ रही थी। मैं गाड़ी चला रहा था , मेरी बगल में शिल्पा बैठी थी और पीछे वाली सीट पर सुजाता मौसी थी।

" बेटा हम कितने देर में होटल पहुंच जाएंगे ?" मौसी ने पूछा।

" बस अब हम पहुंचने ही वाले हैं " मैंने सड़क के सीधे में देखते हुए बोला।

" वैसे एक बात पूछूं बेटा? " सुजाता मौसी बोली।

" जी ..... जी मौसी पूछिए।" मैंने बोला।

" बेटा मैंने सुना है तुम्हारी कंपनी , घर और यहां तक की तुम्हारी सभी जायजात तुम्हारे भाई के नाम से रजिस्टर्ड है '' मौसी बोली।

" जी मौसी ... जब पापा की मृत्यु हुई थी तब मेरी उम्र 1 वर्ष से भी कम की थी जिसके कारण उस वक्त पापा के नाम की सारी जायजात को अर्जुन भैया के नाम से रजिस्टर्ड करवाना पड़ा था और वैसे भी इसमें हर्ज ही क्या है? " मैंने बहुत ही सरल शब्दों में जवाब दिया।

" बेटा इसमें तुम्हें कोई हर्ज नहीं दिखता है ? कहीं ऐसा ना हो शादी के बाद उसकी पत्नी तुम्हें जायजात से कुछ हिस्सा ही ना दें, क्योंकि हर लड़की मेरी शिल्पा जैसी तो नहीं ना हो सकती है । " मौसी मुझे बड़ी ही कुटिल नजरों से देखती हुई बोली।

मैं मौसी को कुछ बोलता उससे पहले ही हमारी गाड़ी होटल के पास पहुंच चुकी थी।

वैसे मेरी मौसी का यह स्वभाव हमेशा से रहा है। वह हमेशा से ही हर बातों को नकारात्मक रूप से देखती आई है। उन्हे हर चीजों में, हर रिश्तो में शक करने की बीमारी है। यही कारण था कि उस वक्त मैं गाड़ी में उनसे इन बातों पर ज्यादा बहस करना उचित नहीं समझा।

मैं गाड़ी को होटल के पार्किंग में पार्क कर गाड़ी से बाहर निकला ही था कि मेरी नजर फिर कॉलेज की उस पीले दुपट्टे वाली लड़की पर पड़ी। वह मुझे नहीं देख रही थी वह अपने दोस्तों के साथ अपने होठों की लम्बी चोंच बनाकर अपने मोबाइल से सेल्फी खींच रही थी।

" दीपा दीदी. .....सब लोग डांस प्रतियोगिता कर रहे हैं । चलो ना हम सब भी डांस करते हैं।'' एक 10- 12 साल की लड़की ने उस कॉलेज की पीले दुपट्टे वाली लड़की को आकर बोली।

" वाव! सच में ..... ! तो फिर हम लोग भी चलते हैं" कॉलेज की पीले दुपट्टे वाली लड़की खुश होते हुए बोली।

" दीपा दीदी ? .... ओहो.... तो पीले दुपट्टे वाली लड़की का नाम दीपा है।......निशांत - दीपा, वाह क्या जोड़ी जमेगी ! " मैंने मन ही मन सोचते हुए खुद से बोला।

मैंने देखा वो लोग होटल के डांस फ्लोर पर जा चुके थे।

दिल चोरी साड्डा हो गया है की करिए की करिए '' डांस फ्लोर पर हनी सिंह का यह गाना फुल बेस (Base) में बज रहा था।

मेरी नजर अचानक डांस करती लड़कियों के समूह पर टिक गई। कुछ लड़कियां इस गाने पर जबरदस्त डांस कर रही थी उन्हीं लड़कियों के बीच दीपा भी थी।

गजब का डांस परफॉर्म कर रही थी। वह खूबसूरत तो थी ही, वह डांस भी गजब का कर रही थी। मेरी नजर उसके चहरे से बिलकुल एक सेकण्ड के लिए भी नही हट रही थी तभी एक साथ सारे लोगों की तालियों की आवाज सुनाई पड़ी I जिसके कारण मेरा ध्यान लड़कियों से भंग हुआ ।

गाना खत्म हो चुका था सभी लोग इस डांस परफॉर्म के लिए तालियां बजा रहे थे। अब लड़के वालों के डांस करने की बारी थी। मेरे कुछ दोस्त डांस करने के लिए गए और साथ में डांस करने के लिए मुझे भी बुला रहे थे मगर मैंने मना कर दिया।

" छोटे... तुम्हारे अंदर पावर नहीं है क्या ? ऐसा तो नही मेरा डांस देखकर डर गए हो ? " दीपा ने मेरे कानों के पास आकर कहा।



साथ बने रहिए।
Nice Update
 

Mahi Maurya

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Nice Update
धन्यवाद आपका।
साथ बने रहिए।
 
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एक छेड़ छाड़ और मस्ती से भरी कहानी, जो दिल दिमाग को तरो ताजा कर दे
बहुत ही अच्छी कहानी है।
 

Mahi Maurya

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nice story plz update fast
धन्यवाद आपका।
साथ बने रहिये।
 
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Mahi Maurya

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एक छेड़ छाड़ और मस्ती से भरी कहानी, जो दिल दिमाग को तरो ताजा कर दे
बहुत ही अच्छी कहानी है।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

साथ बने रहिए।
 
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Mahi Maurya

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पाँचवा भाग

रस्म खत्म हो जाने के बाद जब भैया जूता पहनने के लिए आए तो जूता उस जगह पर नहीं था जहां पर उसे रखा गया था। मैंने अपने दोस्तों से भी पूछा, लेकिन वो लोग भी नहीं बता पाए कि आखिर जूता कहाँ हैं और ये जूता ग़ायब कैसे हुआ ? तभी वहां पर भैया की कुछ सालियाँ भी आ गई जिन्होंने जूता चुराया था और जूते देने की बदले में भैया से रीति-रिवाज के अनुसार पैसे मांगे।

उन लड़कियों में दीपा भी शामिल थी। यह देखकर मैं समझ गया था कि जूते का अपहरण हुआ है और अपहरणकर्ता को फिरौती में बिना पैसे दिये जूता वापस नहीं मिलेगा।

दीपा ने मेरी तरफ देख कर फिर से अंगूठे से लूजर होने की इशारा किया मगर इस बार उसके अंगूठे वाले इशारे के बदले में मैंने उसे 2-3 फ्लाइंग किस (Kiss) दे मारी।

इस पर वह शर्मा कर बोली, " चल हट "

“ यह लीजिए पैसा और मेरा जूता वापस कीजिए”

भैया ने अपनी सबसे छोटी साली को 2000 की एक नोट हाथ में देते हुए बोले।

“नहीं!... हम ₹20 हजार से ₹1 भी कम होने पर जूते वापस नहीं करेंगे” भैया की सबसे छोटी साली ने जबाब दिया।

“ भैया इतना से ज्यादा मत देना। हम 20 हजार रु से कम में ही बहुत अच्छा जूता खरीद लेगें।” मैंने दोस्तों के साथ थोड़ी ऊँची आवाज़ में बोला।

इसके बाद किसी ने जोरदार सीटी बजाई और मेरे सभी दोस्तों ने एक साथ बोला “ निशांत सही बोल रहा हैं भैया , उतने में हम नये जूते ही खरीद लेंगे ”

" आप लोग जीजा-साली के बातों के बीच मत पड़िये, हम खुद ही समझ लेंगे अपने कंजूस जीजा जी से”

भैया की दूसरी साली ने मजाकिया लहजे में बोली।

मोहतरमा साली जी वो पहले मेरे भैया हैं उसके बाद ही आपके जीजा हैं , इसलिए पहले मेरा बोलने का अधिकार है मेरी प्यारी क्यूटी साली जी”

मेरे बोलने के बाद वहां पर उपस्थित मेरे सभी दोस्त खिलखिला कर हंस पड़े।

“तो फिर आपके भैया जी के जूता नहीं मिलेंगे। आप उन्हें बोलिए बिना जूते के ही चले जाएं” इस बार दीपा भैया की सालियों की तरफ से बोली थी।

“कोई बात नहीं हम भैया के लिए एक बढ़िया सा जूता खरीद लेंगे, आप ही रखिए वो पुराने जूते” मेरे ने दोस्त कहा।

इस तरह से कुछ देर मजाकिया नोकझोंक चलने के बाद भैया ने अपनी साली की बात मानकर 2-2 हजार के 10 नोट उनके हाथों में रख दिये। उसके बाद वे खुशी-खुशी भैया के जूता लाकर दे दिये।

दो घंटे बाद लड़की विदाई की रस्म हो रही थी। लड़की की ओर से आये सभी मेहमानो और दोस्तों की आँखे नम थी। मैंने दीपा की आंखो में झांका उसकी आंखे भी नम हो चुकी थी। आंखे से निकले पानी के कुछ बूंदे उसके गालों से फिसल रहे थे।

खैर कुछ देर बाद ही लड़की की बिदाई हुई। विदाई के बाद सभी रिश्तेदार अपने-अपने घर लौट गये और हम लोग भाभी को लेकर अपने घर लौट चुके थे। घर आने के बाद मैं दीपा को बहुत मिस कर रहा था। 2 दिनों में ही मैं दीपा के काफी नजदीक आ गया था। हां ये अलग बात थी कि वह सिर्फ मुझे चिढ़ाने के लिए मेरे पास आती थी।

अगर मैं सच कहूँ तो उसका मुझसे बात करना ही मेरे लिए काफी था। वो चाहे चिढाने के लिए हो या फिर किसी और चीजों के लिए हो ।

भैया के विवाह के पूरे 4 दिनों बाद मैं कॉलेज गया था । भैया के रिसेप्शन में बजी गाने की धुन अभी तक मेरे कानों से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाई थी।

कॉलेज आते ही मेरी नजर दीपा पर पड़ी वह मेरी तरफ ही आ रही थी ।

“ hello छोटे ” उसने इस बार भी मजाकिया लहजे में ही बात की थी।

“अरे यार मैं कितनी बार तुम्हें बोल चुका हूं, मुझे छोटे कह कर मत बोला करो” मैं दीपा से बोला ।

भैया के शादी-रिशेप्सन के कारण हम दोनों एक साथ अच्छा खासा समय बिता चुके थे । अब हम दोनों के बीच दोस्ती वाली बॉन्डिंग बन चुकी थी।

“ वैसे दीपा आज बहुत हॉट लग रही हो” मैंने कहा ।

“मैं पहले कौन-सी कोल्ड (cold) लगती थी ?” उसने थोड़ा इतराने वाले लहजे में बोला।

सच कहूं तो दीपा की बातें शत प्रतिशत सही थी ।
उसके होंठ, उसकी आंखें और चिकने गाल किसी फिल्मी हीरोइन से थोड़ा भी कम नहीं थे।

“ वैसे आजकल तू भी बड़ा सजीला और हैंडसम दिख रहा है, ऐसा तो नहीं भाभी के हाथों से बने खाने खा-खा के हैंडसम होते जा रहे हो” उसने फिर से मजाकिया लहजे में कहा।

भाभी तो आजकल भैया में ही बिजी रह रही हैं, चाहो तो तुम चल सकती हो मेरे घर मेरे लिए......

अरे मैं खाना बनाने की बात कर रहा हूं” इस बार मैं भी अपनी तरफ से उसे बोल्ड आउट करने के लिए गेंद फेंक चुका था

इस बार दीपा पहली दफ़ा शर्मायी थी । मेरी बातें सुनकर शर्माती हुई बोली - "अच्छा ! "

“वैसे आज तुम्हारा बॉयफ्रेंड तुम्हें कॉलेज छोड़ने आया है या नहीं ? ” मैंने इधर-उधर देखते हुए बोला ।

“क्या ? ” वह एकदम से चौंक कर बोली ।

“मैं उसी का बात कर रहा हूं जो बाइक (Bike) से तुम्हें सुबह-शाम कॉलेज छोड़ने और लेने आता है ।” मैंने ऐसे बोला जैसे उस वक्त उसकी चोरी पकड़ ली गयी हो । और साथ ही मैं अपनी आँखों के भौहों को ऊपर नीचे करता रहा ।

" अरे ....... तुम्हारा दिमाग तो खराब नही है ? ... वह मेरे बड़े भैया हैं" वह मेरे कंधो पर प्यार से मारती हुई बोली ।

“सच!” मैं बहुत खुश होते हुए पुछा ।

“ हां , वो मेरे बड़े भैया हैं ।” वह अपने चेहरे पर क्यूटनेस लाती हुई बोली ।

उस वक्त जब मुझे यह मालूम पड़ा कि वह आदमी दीपा की बॉयफ्रेंड नहीं है बल्कि उसके बड़े भैया हैं तब मेरी खुशी का कोई ठिकाना ना रहा । मेरी खुशी आसमान छू रही थी ।

उस दिन के बाद हम दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था । कॉलेज में जैसे ही ब्रेक मिलता हम दोनों कैंटीन में जाकर बातचीत शुरू कर देते थे ।


साथ बने रहिए।
 

Mahi Maurya

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Kaash story wali ladki mai hoti
आप हर जगह और हर किरदार में अपने आप को क्यों देखती हैं।

आपकी जगह इस कहानी में नहीं है।
और बहुत सी कहानियां हैं जहां आपको अपनी जगह मिल जाएगी।
 
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