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Romance तेरी मेरी आशिक़ी (कॉलेज के दिनों का प्यार)

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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nice update ..to aakhir nishant ne faisla kar liya ki wo chunav ladhega ..
aur apna faisla gharwalo ko bataya ,,par .maa is faisle se naraj ho gayi kyunki hero ka baap bhi chunav ke chalte ghar aur company pe dhyan nahi de pata tha ..par bhaiya aur bhabhi ke samajhane par maa maan gayi 🤩..

dipa ne apna paksh clear kar diya ki wo kiske saath hai 😍😍..
dipa har kadam nishant ke saath hai par apne bhaiya ke faisle ke khilaf nahi jayegi ..
ab dipa hero ke liye prachar karegi 🤩🤩..
धन्यवाद आपका सर जी।
साथ बने रहिए।
 
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mashish

BHARAT
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उन्नीसवाँ भाग


अगले दिन हम दोनों कॉलेज पहुंचे। कॉलेज पहुँचने के बाद मैं राहुल भैया से मिला। मैंने छात्रसंघ चुनाव में अपना नामांकन भरने की सहमति जता दी। राहुल भैयामेरी सहमति पर बहुत खुश हुए। फिर मैंने दीपा , राहुल भैया और उनकेकई दोस्तों के साथऑफिस पहुंच कर छात्र संघ चुनाव के लिए नामांकन फार्म भरा ।

नामांकन फार्म भरने के बाद हम सभी ने चुनावी रणनीति बनाने के लिए एक सभा का आयोजन किया । उस सभा में राहुल भैया के बहुत सारे दोस्त ,मेरे सहपाठियों के अलावा दीपा भी मेरे साथ थी । मुझे यह देख कर बहुत खुशी हो रही थी कि दीपा अब देवांशु के साथ ना होकर मेरे साथ मेरी जीत के लिए रणनीति बना रही थी।

हॉल में इतने सारे विद्यार्थियों को अपने समर्थन में खड़ा देख मुझे अपनी जीत निश्चित लग रही थी, परंतु मैं पूर्वानुमानों में विश्वास नहीं रखता था, इसलिए जब तक चुनाव नहीं हो जाते तब तक मुझे अपनी जीत की लिए जी तोड़ मेहनत करनी थी। देवांशु यह जानकर हैरान था कि उसके विरोध में अब मैं भी चुनाव लड़ रहा हूं और उसकी परेशानी का दूसरी वजहदीपा भी थी क्योंकि अब दीपा उसकी कोई बात ना सुनकर मेरे लिए प्रचार कर रही थी ।

“आप लोगों को पता है मैं इस चुनाव में क्यों खड़ा हुआ हूं । कॉलेज में हो रही रैंगिंग और फैकेल्टी प्रॉब्लम को दूर करना ही मेरा मकसद हैं और इसे दूर करने के लिए ही मैं इस चुनाव का हिस्सा बना हूँ । बस आप लोग अपना वोट मुझे दें और साथ में अपने दोस्तों से भी मुझे वोट करने के लिए कहें ताकि मैं जीतकर कॉलेज में चली आ रही परेशानियाँ दूर कर सकूँ ।” सभा शुरू करते ही मैं उपस्थित सभी विधार्थियों से बोला ।

मेरी बात खत्म होने के बाद उपस्थित सभी विद्यार्थियों की तालियों से पूरा क्लास रूम गूंज उठा ।

“मैं जानता हूं आपके सहयोगकेबिना कुछ भी हो पाना असंभव है, इसीलिए मैं आप लोगों में से ही कुछ लोगों को चुनकर उन्हें चुनाव पूर्व की तैयारियों और रणनिति बनाने की जिम्मेदारियाँ सौंपना चाहता हूँ। ताकि हम इस चुनाव जीतने में सफल हो सके । तो क्या आप लोग मेरे साथ खड़े हैं?” मैंने सभा में उस्थित सभी विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा।

“हां हम सब लोग आपके साथ हैं।” सभी एक साथ बोल पड़े ।

“ कॉलेज में प्रचार-प्रसार की सारी जिम्मेदारी राहुल भैया निभाएंगे” मैंने कहा ।

इतना कहने के बाद राहुल भैया के स्वागत के लिए उपस्थित सभी लोगों ने जोरदार तालियां बजाकर उनका स्वागत किया।

“ दूसरी जिम्मेदारी मैं विक्रम को दूंगा । वह छात्र संघ चुनाव के अन्य सभी उम्मीदवार पर नजर रखेंगें कि वो लोग हमारे विरोध में क्या कर रहे हैं और हमें चुनाव में हराने के लिए क्या रणनीति बना रहे हैं। फिर उनकी रणनीति के हिसाब से अपनी पार्टी के उससे बेहतर रणनीति तैयार की जा सके और लोगों के सामने पेश की जा सके। ”मैंने कहा ।

इसके बाद फिर सब लोगों ने ताली बजाकर विक्रम का स्वागत किया ।

“स्लोगन ,संबोधन भाषण लिखने के अलावा कॉलेज की और लड़कियों के वोट अपनी पार्टी के लिए प्राप्त करने तथा उन्हें कन्वेंश करने की जिम्मेदारी दीपा को दी जाती हैं ।” मेरी यह बात खत्म होते ही पूरे हॉल में तालियां की आवाज फिर से एक बार गूंज उठी ।

इसके अलावा भी मैंने छोटी-छोटी जिम्मेदरियाँ और भी लोगों को सौंप दिया क्योंकि हम जानते थे । किसी भी चुनाव कोजीतने के लिए एक अच्छी रणनीति और सभी विद्यार्थियों से सही तरीके से संपर्क होना जरूरी था ।

उस सभा के बाद हम सब अपने अपने काम में लग गए । अब कॉलेज में मेरी फोटो वाले छोटे छोटे प्रचार पेपर लोगों तक पहुंचने लगा । कॉलेज की दीवार पर हर जगह मेरे ही प्रचार पेपर चिपके हुए थे ।

अब मैं काफी खुश रहा करता था । दीपा हमेशा मेरे साथ ही रहती थी । चुनाव के लिए कुछ ना कुछ नई नई तरकीब बताती रहती थी । जिससे हम चुनाव को जीत सके ।

एक दिन कॉलेज में मैं क्लास रूम से बाहर आ रहा था तभी मेरी मुलाकात देवांशु से हो गई ।

उसने मुझे रोकते हुए कहा, “क्यों बे निशांत तुझे क्या लगता है तू मेरे विरोध में खड़ा होकर चुनाव जीत जाएगा ? और वो दीपा जो आजकल तुम्हारे पीछे पीछे घूम रही है इससे तुम्हें क्या लगता है दीपा अब तुम्हारी हो जाएगी? दीपा का पीछा करना छोड़ दो ।”

“देखो देवांशु मैं तुझे पहले भी समझा चुका हूं, मुझे तुमसे कोई पंगा नहीं करना है । बात रही दीपा की तो उसे मेरे साथ रहना ही अच्छा लगता है । मुझे जो काम करना चाहिए वह कर रहा हूं । तुम अपना काम देखो और हां एक बात कान खोल कर सुन लो दीपा सिर्फ मेरे पीछे पीछे नहीं रहती हैं बल्कि दीपा मुझसे प्यार भी करती है” मैंने कहा।

“दीपा तुम्हें प्यार करती है या तुम उससेप्यार करते हो? यह तो मुझे पता नहीं लेकिन तू कान खोल कर सुन ले । मैं दीपा को पसंद करता हूं और मैं जिस चीज को पसंद करता हूं वह मेरी हो जाती हैं” देवांशु मुझे उंगली दिखाते हुए कहा ।

“अगर अगली बार दीपा की नाम भी लिया तो तुझे...... खैर छोड़ो तुम जैसे लोगों से बात करना ही बेकार है ।” मैंने कहा।

मैं बात को खामखा आगे नहीं बढ़ाना चाहता था, क्योंकि छात्रसंघ चुनाव बहुत नजदीक था और बात बढ़ने से विद्यार्थियों पर इस बात का गलत संदेश जा सकता था। इसलिए मैं वहाँ से जाने लगा।

“ओ... निशांत रुको इतनी भी क्या जल्दी हैं । कहां जा रहे हो? भाई चलो आपस में लड़ने से कोई फायदा नहीं हैं । हम दोनों एक सौदा कर लेते हैं ।” मुझे रोकते हुए देवांशु बोला ।

“सौदा कैसा सौदा। मैं चौकते हुए बोला ।

“देखो तुम दीपा से प्यार करते हो।चलो मैं तुम्हारे लिएअपने प्यार की कुर्बानी दे देता हूँ और दीपा का पीछा करना छोड़ देता हूँ लेकिन इसके बदले में तुम्हें छात्र संघ चुनाव से अपना नाम वापस लेना होगा” देवांशु बोला।

“पहली बात कि सौदा हमेशा एक समान चीजों के साथ किया जाता है । और यहां दीपा कोई चीज नहीं है जो मैं तुमसे उसका सौदा करूँ और चुनाव से तो अब मैं हटने से रहा। मैं शायद एक बार तुम्हारी बातों पर गौर करता अगर तुम निःस्वार्थ भाव से मुझे चुनाव से नाम वापस लेने के लिए कहते तो। लेकिन तुम तो मुझसे सौदा कर रहे है। तो मि. देवांशु यह सौदा तो किसी भी सूरत में अब होने से रहा।” मैं यह बोल कर वहां से चला गया ।

हमारे चुनाव प्रचार सही तरीके से हो रहा था। जिसको जो भी जिम्मेदारी दी गई थी वो उसे बखूबी निभा रहा था।कॉलेज के लगभग सभी विद्यार्थी मेरे ही समर्थन में थे । इस चुनाव प्रचार में दीपा भी हमेशा मेरे हर कदम से कदम मिलाकर मेरे साथ थी कुछ दिन बाद ही वोटिंग होने वाली थी।

चुनावसे एक दिन पहले हमने फिर से एक सभा का आयोजन किया जिसमें कॉलेज के अधिकतर विद्यार्थियों नेअपनी उपस्थिति दर्ज करवाई ।

उस बैठक में राहुल भैया दीपा द्वारा लिखा गया संबोधन भाषण पढ़कर सभी विद्यार्थियों का दिल जीत लिया।

अगले दिन वोटिंग हुई । सभी विद्यार्थीयों नेअपने अपने पसंद के उम्मीदवार को वोट किया । उस दिन दीपा ने मेरी जीत के लिए भगवान से सभी मंदिरों में जाकर प्रार्थनाएं किया । 2 दिन बाद छात्रसंघ चुनाव के विजेता उम्मीदवार के नाम की घोषणा होने वाली थी ।

चुनाव का विजेता घोषित होने वाले दिन हम सभी लोग कॉलेज में थे । उस दिन मैं बहुत नर्वस हो रहा था, मेरे साथ सभी उम्मीदवारों का यही हाल था। लेकिन राहुल भैया और दीपा मुझे हमेशा की तरह उस दिन भी जीत की उम्मीद का दिलासा देरहे थे और मेरे साथ बैठे हुए थे।

कॉलेज के सभी फैकल्टी मंच पर बैठे थे और कॉलेज के सभी विद्यार्थी और उम्मीदवार कुर्सी पर मैदान में बैठे हुए थे । कुछ देर बाद छात्र संघ चुनाव आयोग ने विजेता उम्मीदवार का नाम घोषित कर दिया।

जिस वक्त छात्र संघ चुनाव आयोग के अध्यक्ष विजेता के नाम बोलने वाले थे । उस वक्त मेरे दिल की धड़कने जोरों से चल रही थी । मेरी बगल में बैठी दीपा मेरे हाथ को अपने हाथों से पकड़ रखी थी । शायद वह मेरी जीत के लिए उस वक्त भी भगवान से दुआएं मांग रही थी ।

जैसे ही विजेता के रूप में मेरा नाम घोषित हुआ वह खुशी से उछल पडी। मैं जीत गया था । मेरे आंखों में खुशी के आंसू डबडबा आया । दीपा मुझसे लिपट गई । उसके बाद राहुल भैया आकर मुझसे गले मिलें । इसके साथ ही कॉलेज के सभी विद्यार्थी मेरे पास आकर मुझे जीत की बधाइयां देने लगे ।मैं बहुत खुश था और मुझसे कहीं अधिक खुश दीपा थी।

मोहब्बत में हमेशा एक की जीत दोनों की खुशी के लिए पर्याप्त होती है । उस वक्त यही कारण थी कि मेरी जीत पर दीपा मुझसे कहीं ज्यादा खुश दिख रही थी।



साथ बने रहिए।
superb update
 
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nice update ..aakhir nishant ne haa kar di chunaaw ke liye ..
aur sabko apna apna kaam baanta gaya ..deepa bhi ab hero ke saath hi rehti thi prachar karne ke liye 😍😍..

aur ye devanshu wakai ghatiya ladka hai jo deepa ke badle chunaaw se naam vaapas lene ko keh raha tha ..

aur aakhir me nishant hi chunaaw jeet gaya 🤩🤩..
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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बीसवाँ भाग


मेरी जीत पर कॉलेज के सभी छात्र-छात्राएं काफी खुश थे। मैं भी काफी खुश था।और मैं चाहता था मेरी जीत की जानकारी मेरे घरवालों को भी होनी चाहिए।ताकि वो भी मेरी जीत की खुशी का जश्न मनाये।

इसलिए यह खुशखबरी बताने के लिए मैंने अपनी मां को फोन किया।
"हेलो मां मैं निशांत बोल रहा हूं"

"हां छोटे बोलो। कॉलेज से वापस कब आ रहे हो।" मां बोली।

" मां मैं छात्र संघ चुनाव जीत चुका हूं।
मैं कॉलेज का छात्र नेता बन गया हूँ।" मैंने अपनी खुशी को दुगुना करते हुए मां को बताया।

"देखो बेटा अपनी पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान दो।और अगर पढ़ाई लिखाई नहीं हो रही है तुमसे तो भैया काऑफिस ज्वाइन कर लो।" मां थोड़ी चिढ़ी हुई बोली।

मुझे लगा छात्र नेता बनने की खुशखबरी सुनकर मेरी माँ खुश होगी। मगर वह तो चिढ़ सी गयी।

"मां...." मैं बोला।

"मैंने तुझे कितनी बार समझाया है कि इन सब चक्करो में मत पड़ो। मैं तो तुझे चुनाव में भी खड़ा नहीं होने देना चाहती थी लेकिन अर्जुन की वजह से मैं मना नहीं कर पाई।" मां बोली।

लेकिन माँ आपको तो मेरी जीत पर खुश होने चाहिए था। मैंने माँ से कहा।

मैं तेरी कोई दुश्मन नहीं हूँ निशांत। जिस दिन तू कोई अच्छा काम करेगा उस दिन मैं बहुत खुश होऊँगी। माँ ने कहा।

मेरे जीत पर माँ से इस तरह की बात सुनकर मैं उदास सा हो गया।
मैं उदास होकर कॉलेज के कॉरिडोर में खड़ा था। उसी वक्त कुछ लड़के-लड़कियां अपने हाथों में माला लिए मेरे पास आए। सभी के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी।

" बहुत बहुत बधाई निशांत।आपकी जीत के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं" सभी एक साथ बोले।

धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद आप सभी लोगों का मेरा सहयोग करने और मुझे इस काबिल समझने के लिए कि मैं कॉलेज के लिए कुछ कर सकता हूँ। मैंने सभी का अभिवादन स्वीकार करते हुए कहा।

वो सभी लोग मुझे शुभ कामनाएं देकर वापस लाइब्रेरी की ओर चले गए उसके बाद वहां दीपा आई।

" निशांत क्या हुआ उदास लग रहे हो?" दीपा आते ही मेरे हाथ को पकड़ती हुई बोली।

"नहीं बस ऐसे ही" मैंने कहा।

"कुछ तो बात है, वरना ऐसे उदास ना होते।देखो तुम्हारी जीत की खुशी में सारा कॉलेज जश्न मना रहा है और तुम यहां उदास एकांत में खड़े हो।कहीं तुम्हें देवांशु ने कुछ तो नही कहा। दीपा मेरी उदासी को झांकती हुई बोली।

" नही, नही।मेरी तो देवांशु से अभी तक कोई मुलाकात ही नहीं हुई है।मां से बात हुई है। मेरी जीत पर मां खुश नहीं है और वो ये सब छोड़कर मुझे भैया के ऑफिस ज्वाइन करने के लिए बोल रही है।" मैंने उदासी भरे स्वर में कहा।

"बस इतनी सी बात के लिए मेरा राजा बाबू उदास है। ओहो... निशांत यह सारी बातें छोड़ो हमलोग इस बारे में घर पर चलकर मां से बात कर लेंगे।अभी चलो। देखो सारे लड़के - लड़कियां तुम्हें खोज रहे हैं और राहुल भैया भी तुम्हें ही ढूंढ रहे हैं।"दीपा मुझे जबरदस्ती वहां से बाहर खिंचती हुई बोली।

" तो आप दोनों छुपकर ईधर खड़े हैं भाई साहब। मेरे वजह से ही जीते हो और जीतते ही मुझसे दूर निकल रहे हो।" राहुल भैया नजदीक आते ही मजाकिया लहजे से बोले।

"नहीं भैया ऐसी कोई बात नहीं है।आपको कैसे भूल सकता हूँ? चलिए बैठकर बात करते हैं।"

दीपा, मैं और राहुल भैया तीनों लोग कॉलेज के सेमिनार हॉल में चले गए।राहुल भैया ने कुछऔर लड़कों को कॉल कर के सेमिनार हॉल में आने के लिए कहा।हम लोगों ने इस जीत को किसी एक की व्यक्तिगत जीत ना मानते हुए इसमें शामिल सारे लोगों की जीत समझा और सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।

उस समय हम लोगों के बीच बहुत सारी कॉलेज संबंधी बातें हुई और इस जीत को सेलिब्रेट करने का 1 दिन निर्धारित किया गया।इसके बाद कॉलेज के बंद होने से पहले हम सभीअपने-अपने घर जाने के लिए निकल आए।

"दीपा अब तक तुम्हारे भैया नहीं आए हैं तुम्हें रिसीव करने के लिए" मैंने दीपा से पूछा।

"वो आज आएंगे भी नही, क्योंकि वो एक रिश्तेदार की शादी में बाहर गए हुए हैं। " दीपा चहकती हुई बोली।

"वाह!""कहो तो मैं तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ दूँ" मैंने कहा।

" अच्छा, एक अकेली अबला नारी घर में अकेली रहने वाली है और तुम वाह ! बोल रहे हो छोटे बाबू।" वह मुझे छेड़ने के मूंड़ से बोली।

तुम और अबला हाहाहाहा। अबला। मैंने दीपा को चिढ़ाते हुए कहा।

अच्छा हँस लो हँस लो। मेरा भी समय आएगी फिर बताऊँगी तुमको मैं। दीपा ने कहा।

"तो मैं चलूं तुम्हारे साथ, आज इस अबला नारी के साथ ही रात बिताते हैं।" मैंने भी मस्ती के लिए बोल दिया।

यह भी भला कोई पूछने वाली बात है चलो इतना बोलकर दीपा मेरी बाइक के पास जाकर खड़ी हो गई।

मैंने भी मौके की नजाकत समझकर गाड़ी स्टार्ट करके उसे पीछे बैठने के लिए कहा दीपा के बैठने के बाद हम होनों उसके घर के लिए निकल पड़े। रास्ते में हम दोनों खूब बकबक करते रहे हैं। हमारे रास्ते खत्म हो गए मगर दीपा की बकबक अभी भी खत्म नहीं हुई थी।

"नीचे उतारिए मेरी बकबक करने वाली प्यारी दीपा जी।" मैंने बाइक को उसके घर के पास रोकते हुए बोला।

"ओहो...मुझे लगा तुम मेरी प्यारी जानेमन बोलोगे लेकिन तुमने तो प्यारी दीपा बोलकर मेरा दिल ही तोड़ दिया दीपा दांत निकालकर हंसती हुई बोली।

मैं भी उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया। मैं दीपा को उसके घर तक छोड़कर वापस अपने घर जाने लगा। तभी दीपा बोली," तो आज मेरे छोटे बाबू अपनी इस अबला नारी को इस सुनसान रात को घर में अकेले ही छोड़कर चले जायेगें?"

तुम कहो तो मैं तुम्हें कभी छोड़कर ही न जाऊँ, लेकिन अभी मुझे जाना पड़ेगा। घर में मम्मी और भैया मेरा इंतजार कर रहे होंगे। मैंने दीपा से कहा।

आज रात मेरे पास ही रुक जाओ न। मैं अकेली यहाँ बोर हो जाऊँगी और मुझे डर भी लगेगा। दीपा बड़े प्यार से मुझे मनाती हुई बोली।

तो चलो फिर मेरे घर चलते हैं। मेरा ख्याल है कि तुम्हें वहाँ डर नहीं लगना चाहिए। मैंने दीपा को छेड़ते हुए कहा।

नहीं निशांत मैं रोज-रोज बिना कारण के तुम्हारे घर नहीं चल सकती। तुम समझो न। लोग तरह तरह ही बाते बनाएँगे। और पता नहीं माँ और अदिति दी क्या सोचेंगी। दीपा ने अपनी बात कही।

कुछ नहीं होगा यार तुम न बिना मतलब सोचती बहुत हो। मैंने दीपा से कहा।

तुम ही रुक जाओ यहाँ पर मेरे साथ। वैसे भी भैया पता नहीं कब तक लौटेंगे। दीपा ने कहा।

बात तो वही हो गई दीपा। अगर किसी ने मुझे भैया की अनुपस्थिति में तुम्हारे घर पर रात को देख लिया तो पता नहीं क्या सोचेगा। मैंने दीपा से कहा।

किसी के सोचने से क्या होता है निशांत, और कौन सा हम कोई गलत काम कर रहे हैं कि किसी से डरें हम। दीपा ने मुझसे कहा।

तुम्हारे साथ रात रुकने पर अगर मेरा कुछ गलत काम करने का मन हुआ तो। मैं दीपा को आँख मारते हुए बोला।

तुम न निशांत बहुत गंदे हो। दीपा शरमाती हुई बोली।

अच्छा ठीक है मैं रात रुक रहा हूँ तुम्हारे साथ। अब खुश। मैंने दीपा से कहा।

मेरी बात सुनकर दीपा बहुत खुश हुई और मुझसे लिपट गई थोड़ी देर हम एक दूसरे से लिपटे खड़े रहे।

अच्छा रुको मैं भैया को फोन करके बता देता हूँ कि मैं आज रात घर नहीं आऊँगा।

फिर मैंने अर्जुन भैया को फ़ोन करके सारी बात बता दी। उन्हें पहले से ही दीपा और मेरे बारे में पता था, इसलिए उन्हें कोई आपत्ति नहीं थी तो उन्होंने रात रुकने के लिए अनुमति दे दी।

भैया से अनुमति मिलने के बाद मैं और दीपा बरामदे से घर के अंदर आ गए। मैं अंदर आकर उसी टूटी हुई कुर्सी पर बैठ गया। दीपा ने मुझे पीने के लिए पानी लाकर दिया और कपड़े बदलने के लिए दूसरे कमरे में चली गई।


साथ बने रहिए।
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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nice update ..aakhir nishant ne haa kar di chunaaw ke liye ..
aur sabko apna apna kaam baanta gaya ..deepa bhi ab hero ke saath hi rehti thi prachar karne ke liye 😍😍..

aur ye devanshu wakai ghatiya ladka hai jo deepa ke badle chunaaw se naam vaapas lene ko keh raha tha ..

aur aakhir me nishant hi chunaaw jeet gaya 🤩🤩..
धन्यवाद सर जी आपका।
साथ बने रहिए।
 
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