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Romance तेरी मेरी आशिक़ी (कॉलेज के दिनों का प्यार)

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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Akhirkar kamina apni harkat pe utar hi aya ye ghatiya insan Hai Aise theek na honge enki tasalli bakhsh marammat karni chahiye nishant and party ko.
Waiting for the next update dear.
धन्यवाद आपका।

देखते हैं आगे क्या होता है।
साथ बने रहिए।
 
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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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nice update ..dono ne film bhi dekh li saath me aur film dekhne ke baad deepa emotional ho gayi .

us bachche ke khana khilaake sahi kiya 😍..
ab devanshu maafi maang raha hai wo bhi akad ke saath ,aur ab badtamiji pe bhi utar aaya .
thappad khakar bhi nahi sudharnewala wo ,,aur nishant se pitkar hi maanega aisa lagta hai 😁..
धन्यवाद आपका सर जी।

हो सकता है अगला भाग कुछ ऐसा ही हो जाए और देवांशु पिट जाए।

साथ बने रहिए।
 
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mashish

BHARAT
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waiting
 
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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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इकत्तीसवाँ भाग


देवांशु की गंदी हरकत से दीपा को गुस्सा आ गया और उसने अपने हाथ उससे छुड़ाकर पूरी ताकत से एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके गालों पर रसीद कर दिया। पूरा कॉरिडोर में थप्पड़ की आवाज गूँज उठी।

च....टा.....क......क....ककककककककककक

दीपा ने थप्पड़ इतनी जोर से मारा था कि देवांशु अपने गाल पर हाथ रखकर सहला रहा था। कॉलेज के बहुत सारे विद्यार्थी कॉरिडोर में जमा हो गए थे और तमाशा देख रहे थे। दीपा का चेहरा गुस्से से तमतमाया हुआ था। वो बहुत गुस्से से देवांशु को देख रही थी।

तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे हाथ लगाने की। मैं और लड़कियों जैसी नहीं हूँ जो तेरी हरकतों से डरकर तुझसे रहम की भीख मागूँगी। मैं डरने वालों में से नहीं जवाब देने वालों में से हूँ। तेरे जैसे मजनुओं को सबक सिखाना मुझे अच्छी तरह से आते है। तुझे शर्म आनी चाहिए मेरे साथ ऐसी हरकत करते हुए। मैं तो तुझे अपना अच्छा दोस्त मानती थी तुझे, लेकिन मुझे नहीं पता था कि तेरे इस चेहरे के पीछे इतना घिनौना चरित्र छिपा हुआ है। तुमने इस बार गलत लड़की से पंगा ले लिया है देवांशु। आइंदा से मेरे साथ बात करने की कोशिश भी मत करना नहीं तो इससे भी बुरा हश्र करूँगी तुम्हारा मैं। दीपा ने देवांशु से गुस्से से कहा।

इधर जब देवांशु दीपा से अभद्रता करने लगा तो उसके साथ पढ़ने वाला एक लड़का मुझे ढूढते हुए आया, क्योंकि अब तो सारे कॉलेज को मेरे और दीपा के रिश्ते के बारे में पता था। मैं अभी भी राहुल भैया और उनके दोस्तों के साथ कैंटीन में बैठा हुआ था।

सर, कॉलेज के कॉरिडोर में देवांशु दीपा मैडम के साथ अभद्रता कर रहा है। जल्दी चलिए। उस लड़के ने कहा।

उसकी बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया। मैं बिना कुछ सोचे समझे उस लड़के के साथ कॉरिडोर की तरफ दौड़ लगा दी। जब मैं वहाँ पहुँचा तो देवांशु दीपा का हाथ पकड़कर मरोड़कर कर उसकी पीठ पर लगा दिया था। मैंने पहुँचते ही उसकी पीठ में एक जोर का घूँसा मारा। फिर उसके कॉलर पकड़कर 5-6 थप्पड़ उसके गालों पर जड़ दिया। जिससे उसका पूरा गाल लाल हो गया।

तुझे मैंने कितनी बार समझाया है कि अपनी हद में रहा कर, लेकिन तुझे मेरी बात समझ में नहीं आती। एक बार अगर तू मेरे साथ अभद्रता करता तो शायद मैं तुझे छोड़ भी देता, लेकिन तूने मेरी दीपा के साथ अभद्रता की है। तू सच में लातों का भूत है तुझे बातों से नहीं समझाया जा सकता। तुझे अच्छे से सबक सिखाना पड़ेगा।

इतने कहकर मैंने देवांशु को उठाकर जमीन में पटक दिया उसे मारने लगा। दोनों गुथमगुत्था थे। कभी मैं उसके ऊपर तो कभी वो मेरे ऊपर। देवांशु भी अपने बचाव में मुझे मारने लगा। तब तक देवांशु के दोस्त और राहुल भैया आपने दोस्तों के साथ वहाँ आ गए। उन्होंने हम दोनों को एक दूसरे से अगल किया, लेकिन तब तक मैंने देवांशु की अच्छी खासी पिटाई कर दी थी। मार तो मुझे भी पड़ी थी, लेकिन देवांशु मुझे ज्यादा नहीं मार पाया था।

तुमने ये ठीक नहीं किया निशांत। तुमने मुझपर हाथ उठाकर अपने लिए मुसीबत खड़ी कर ली है। देखना मैं तेरे साथ क्या करता हूँ। देवांशु मुझे उँगली दिखाता हुआ बोला।

अगर तुमने इस बार कोई ओंछी हरकत की तो मैं तुझे तेरी क्लास में घुसकर मारूँगा और इस बार मुझे कोई रोक नहीं पाएगा। इसलिए अगली बार ऐसा कुछ करने से पहले सौ बार सोच लेना। मैंने भी देवांशु को उसी की भाषा में जवाब देते हुए कहा।

देवांशु को उसके दोस्त अपने साथ ले गए। मैं दीपा के पास गया और उससे पूछा।

तुम ठीक तो हो न दीपा।

हाँ मैं बिलकुल ठीक हूँ। दीपा ने कहा।

तुमने बहुत अच्छा किया निशांत। ये देवांशु कुछ ज्यादा ही उड़ रहा था। इसे सबक सिखाना जरूरी हो गया था, लेकिन आगे से संभलकर रहना। जहाँ तक मैं उसे जानता हूँ वो चुप बैठने वालों में से नहीं है। इसीलिए मैं तुम्हें हमेशा उसे नजरअंदाज करने के लिए कहता था। लेकिन आज उसने जो हरकत की। उसके लिए उसे मारना जरूरी था। राहुल भैया ने मुझसे कहा।

लड़ाई करने के कारण मुझे भी जगह जगह खरोच और लाल निशान आ गए थे। मेरे कपड़े भी छीना झपटी में फट गए थे। मैंने घर जाना ही उचित समझा। मैं दीपा और राहुल भैया को बोलकर घर जाने लगा तो दीपा भी मेरे साथ हो ली। मैं दीपा को लेकर घर चला गया। घर पर माँ और भाभी थी। अर्जुन भैया अभी तक घर नहीं आए थे। दीपा को देखकर माँ बहुत खुश हुई। थोड़ी देर मैं भी घर में घुसा तो मेरी हालत देखकर माँ और भाभी परेशान हो गए।

क्या हुआ तुझे निशांत। ये कैसे हो गया। माँ ने चिंतित स्वर में कहा।

कुछ नहीं माँ वो बस कॉलेज में थोड़ी लड़ाई हो गई थी। मैंने माँ से कहा।

तू कॉलेज लड़ाई करने के लिए जाता है कि पढ़ाई करने के लिए। मैंने तुझसे पहले ही कहा था कि अगर तुझे पढ़ाई नहीं करनी है तो व्यवसाय में अपने भाई का हाथ बटाया कर। माँ ने थोड़े गुस्से से कहा।

ऐसी बात नहीं है माँ। कॉलेज का एक लड़का है देवांशु वो मेरे साथ बदतमीजी कर रहा था, इसीलिए निशांत और उस लड़के के बीच लड़ाई हो गई। जिसके कारण निशांत को भी चोटें आ गई। दीपा ने माँ से कहा।

क्या कहा। तुम्हारे साथ बदतमीजी की किसी ने। कल उसकी शिकायत करना आपने कॉलेज में। ऐसे कैसे कोई तुम्हारे साथ बदतमीजी कर सकता है। माँ ने दीपा से कहा।

ठीक है माँ जैसा आप कह रही हैं हम वैसा ही करेंगे। दीपा ने कहा।

उसके बाद मैं अपने कमरे में चला गया और अपने कपड़े बदले। फिर दीपा मेरे लिए पानी लेकर आई और मेरे मेज के ड्रायर से दवा निकाल कर मेरी चोंटो पर लगाने लगी। दीपा की मेरे लिए इतनी फिक्र देखकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। थोड़ी देर बाद दीपा मेरे कमरे से बाहर चली गई। अदिति भाभी ने आशीष भैया को फोन करके बता दिया कि दीपा आज रात यही रुकने वाली है। आशीष भैया को कोई ऐतराज नहीं था।

अर्जुन भैया के आने के बाद भाभी ने सारी बात भैया को बता दी। भैया मेरे कमरे में मेरा हालचाल जानने के लिए आए। खाना खाने के समय सभी ने खाना खाया और अपने अपने कमरे में सोने के लिए चले गए।

सुबह उठकर मैंने और दीपा ने फेश होकर नाश्ता किया और कॉलेज के लिए निकल गए। कॉलेज पहुँचकर मैं और दीपा अपनी अपनी कक्षा में चले गए। मैं अपनी क्लास मैं बैठा अपना लेक्चल ले रहा था तभी चपरासी ने आकर बताया कि कुलपति महोदय ने मुझे बुलाया है। मैं जब कुलपति महोदय के कार्यालय में पहुँचा तो वहाँ पर देवांशु और एक सज्जन और बैठे हुए थे। मैंने कुलपति महोदय को नमस्कार किया। उन्होंने मुझे बैठने के लिए कहा। मैं उनके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया। थोड़ी देर बाद दीपा भी वहाँ आ गई। तब मुझे समझ आ गया कि सामने बैठे सज्जन शायद देवांशु के अभिभावक हैं। जो मेरी शिकायत लगाने आए हुए हैं।

क्या बात है सर आपने मुझे बुलाया। मैंने कुलपति महोदय से कहा।

सुना है कि कल तुमने कॉलेज में मारपीट की। तुम छात्रों के नेता होकर अगर ऐसे गुंडों की तरह मारपीट करते रहोगे तो इससे विद्यार्थियों पर बुरा असर पड़ेगा। कुलपति महोदय ने कहा।

सर आपको ये तो बताया गया कि मैंने मारपीट की हो, लेकिन ये नहीं बताया गया कि मैंने मारपीट क्यों की। मैंने कहा।

अच्छा जरा मुझे भी तो पता चले कि तुमने मेरे बेटे को क्यों मारा। पास बैठे सज्जन ने मुझसे कहा।

ये बात आप अपने बेटे से ही पूछते तो ज्यादा अच्छा रहता। फिर भी मैं आपको बता देता हूँ कि आपका बेटा कॉलेज में पढ़ने नहीं लड़कियाँ छेड़ने आता है। कल इसने मेरी मंगेतर के साथ बदतमीजी की। जिसके कारण मैंने इसे मारा। और अगर अब भी ये नहीं सुधरा और मेरी मंगेतर के साथ या कॉलेज के किसी भी लड़की के साथ बदतमीजी की तो फिर इसे मेरे हाथों से कोई नहीं बचा सकता। मैंने अपना दाँत पीसते हुए कहा।

यही तो दिन होते हैं मौज मस्ती करने का, अगर जवानी में मेरा बेटा मौज मस्ती नहीं करेगा तो क्या बुढ़ापे में करेगा। अगर इसने तुम्हारी मंगेतर के साथ बदतमीजी कर भी दी थी तो इसे मारने की क्या जरूरत थी। तुम शायद अभी मुझे ठीक से जानते नहीं हो। मैं चाहूँ तो तुम्हारा बहुत बुरा कर सकता हूँ। वो सज्जन अपनी सज्जनता का नमूना पेश करते हुए बोले।

मैं तो समझता था कि देवांशु बड़े बाप की बिगड़ी हुई औलाद है, लेकिन अब समझ में आया कि जब कंपनी ही इतनी घटिया है तो प्रोडक्ट तो महाघटिया ही निकलेगा न उससे। मैंने उस व्यक्ति से कहा।

क्या बोला तू, तेरी तो मैं। अभी उस व्यक्ति ने इतना ही कहा था कि कुलपति महोदय बोल पड़े।

देखिए मान्यवर, निशांत छात्रनेता होने के साथ साथ एक होनहार और विद्यार्थियों के बारे में सोचने वाला लड़का है। आपकी बात मानकर मैंने इसे बुलाया। लेकिन निशांत की बातों और आपकी हरकतों से ऐसा लग रहा है कि निशांत बिलकुल ठीक कह रहा है, और अगर निशांत ने आपके बेटे को पीटा है तो कुछ गलत नहीं किया। और मेरे कॉलेज में ऐसा कुछ हो ये मैं बरदास्त भी नहीं करूँगा। तो बेहतर है कि आप यहाँ से तसरीफ ले जाइए और अपने बेटे को समझा दीजिए कि अगर ये अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में मैं तनिक भी पीछे नहीं हटूँगा। कुलपति महोदय ने उस व्यक्ति से कहा।

कुलपति महोदय की बात सुनकर देवांशु और उसके पापा बाहर जाने लगे, लेकिन जाते हुए भी दोनो मुझे घूरकर देख रहे थे। उनके जाने के बाद कुलपति महोदय ने हम दोनों को भी जाने के लिए कहा।


साथ बने रहिए।
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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अगला भाग लिख दिए हैं सर जी।

आनंद लीजिए।
 
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इकत्तीसवाँ भाग


देवांशु की गंदी हरकत से दीपा को गुस्सा आ गया और उसने अपने हाथ उससे छुड़ाकर पूरी ताकत से एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके गालों पर रसीद कर दिया। पूरा कॉरिडोर में थप्पड़ की आवाज गूँज उठी।

च....टा.....क......क....ककककककककककक

दीपा ने थप्पड़ इतनी जोर से मारा था कि देवांशु अपने गाल पर हाथ रखकर सहला रहा था। कॉलेज के बहुत सारे विद्यार्थी कॉरिडोर में जमा हो गए थे और तमाशा देख रहे थे। दीपा का चेहरा गुस्से से तमतमाया हुआ था। वो बहुत गुस्से से देवांशु को देख रही थी।

तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे हाथ लगाने की। मैं और लड़कियों जैसी नहीं हूँ जो तेरी हरकतों से डरकर तुझसे रहम की भीख मागूँगी। मैं डरने वालों में से नहीं जवाब देने वालों में से हूँ। तेरे जैसे मजनुओं को सबक सिखाना मुझे अच्छी तरह से आते है। तुझे शर्म आनी चाहिए मेरे साथ ऐसी हरकत करते हुए। मैं तो तुझे अपना अच्छा दोस्त मानती थी तुझे, लेकिन मुझे नहीं पता था कि तेरे इस चेहरे के पीछे इतना घिनौना चरित्र छिपा हुआ है। तुमने इस बार गलत लड़की से पंगा ले लिया है देवांशु। आइंदा से मेरे साथ बात करने की कोशिश भी मत करना नहीं तो इससे भी बुरा हश्र करूँगी तुम्हारा मैं। दीपा ने देवांशु से गुस्से से कहा।

इधर जब देवांशु दीपा से अभद्रता करने लगा तो उसके साथ पढ़ने वाला एक लड़का मुझे ढूढते हुए आया, क्योंकि अब तो सारे कॉलेज को मेरे और दीपा के रिश्ते के बारे में पता था। मैं अभी भी राहुल भैया और उनके दोस्तों के साथ कैंटीन में बैठा हुआ था।

सर, कॉलेज के कॉरिडोर में देवांशु दीपा मैडम के साथ अभद्रता कर रहा है। जल्दी चलिए। उस लड़के ने कहा।

उसकी बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया। मैं बिना कुछ सोचे समझे उस लड़के के साथ कॉरिडोर की तरफ दौड़ लगा दी। जब मैं वहाँ पहुँचा तो देवांशु दीपा का हाथ पकड़कर मरोड़कर कर उसकी पीठ पर लगा दिया था। मैंने पहुँचते ही उसकी पीठ में एक जोर का घूँसा मारा। फिर उसके कॉलर पकड़कर 5-6 थप्पड़ उसके गालों पर जड़ दिया। जिससे उसका पूरा गाल लाल हो गया।

तुझे मैंने कितनी बार समझाया है कि अपनी हद में रहा कर, लेकिन तुझे मेरी बात समझ में नहीं आती। एक बार अगर तू मेरे साथ अभद्रता करता तो शायद मैं तुझे छोड़ भी देता, लेकिन तूने मेरी दीपा के साथ अभद्रता की है। तू सच में लातों का भूत है तुझे बातों से नहीं समझाया जा सकता। तुझे अच्छे से सबक सिखाना पड़ेगा।

इतने कहकर मैंने देवांशु को उठाकर जमीन में पटक दिया उसे मारने लगा। दोनों गुथमगुत्था थे। कभी मैं उसके ऊपर तो कभी वो मेरे ऊपर। देवांशु भी अपने बचाव में मुझे मारने लगा। तब तक देवांशु के दोस्त और राहुल भैया आपने दोस्तों के साथ वहाँ आ गए। उन्होंने हम दोनों को एक दूसरे से अगल किया, लेकिन तब तक मैंने देवांशु की अच्छी खासी पिटाई कर दी थी। मार तो मुझे भी पड़ी थी, लेकिन देवांशु मुझे ज्यादा नहीं मार पाया था।

तुमने ये ठीक नहीं किया निशांत। तुमने मुझपर हाथ उठाकर अपने लिए मुसीबत खड़ी कर ली है। देखना मैं तेरे साथ क्या करता हूँ। देवांशु मुझे उँगली दिखाता हुआ बोला।

अगर तुमने इस बार कोई ओंछी हरकत की तो मैं तुझे तेरी क्लास में घुसकर मारूँगा और इस बार मुझे कोई रोक नहीं पाएगा। इसलिए अगली बार ऐसा कुछ करने से पहले सौ बार सोच लेना। मैंने भी देवांशु को उसी की भाषा में जवाब देते हुए कहा।

देवांशु को उसके दोस्त अपने साथ ले गए। मैं दीपा के पास गया और उससे पूछा।

तुम ठीक तो हो न दीपा।

हाँ मैं बिलकुल ठीक हूँ। दीपा ने कहा।

तुमने बहुत अच्छा किया निशांत। ये देवांशु कुछ ज्यादा ही उड़ रहा था। इसे सबक सिखाना जरूरी हो गया था, लेकिन आगे से संभलकर रहना। जहाँ तक मैं उसे जानता हूँ वो चुप बैठने वालों में से नहीं है। इसीलिए मैं तुम्हें हमेशा उसे नजरअंदाज करने के लिए कहता था। लेकिन आज उसने जो हरकत की। उसके लिए उसे मारना जरूरी था। राहुल भैया ने मुझसे कहा।

लड़ाई करने के कारण मुझे भी जगह जगह खरोच और लाल निशान आ गए थे। मेरे कपड़े भी छीना झपटी में फट गए थे। मैंने घर जाना ही उचित समझा। मैं दीपा और राहुल भैया को बोलकर घर जाने लगा तो दीपा भी मेरे साथ हो ली। मैं दीपा को लेकर घर चला गया। घर पर माँ और भाभी थी। अर्जुन भैया अभी तक घर नहीं आए थे। दीपा को देखकर माँ बहुत खुश हुई। थोड़ी देर मैं भी घर में घुसा तो मेरी हालत देखकर माँ और भाभी परेशान हो गए।

क्या हुआ तुझे निशांत। ये कैसे हो गया। माँ ने चिंतित स्वर में कहा।

कुछ नहीं माँ वो बस कॉलेज में थोड़ी लड़ाई हो गई थी। मैंने माँ से कहा।

तू कॉलेज लड़ाई करने के लिए जाता है कि पढ़ाई करने के लिए। मैंने तुझसे पहले ही कहा था कि अगर तुझे पढ़ाई नहीं करनी है तो व्यवसाय में अपने भाई का हाथ बटाया कर। माँ ने थोड़े गुस्से से कहा।

ऐसी बात नहीं है माँ। कॉलेज का एक लड़का है देवांशु वो मेरे साथ बदतमीजी कर रहा था, इसीलिए निशांत और उस लड़के के बीच लड़ाई हो गई। जिसके कारण निशांत को भी चोटें आ गई। दीपा ने माँ से कहा।

क्या कहा। तुम्हारे साथ बदतमीजी की किसी ने। कल उसकी शिकायत करना आपने कॉलेज में। ऐसे कैसे कोई तुम्हारे साथ बदतमीजी कर सकता है। माँ ने दीपा से कहा।

ठीक है माँ जैसा आप कह रही हैं हम वैसा ही करेंगे। दीपा ने कहा।

उसके बाद मैं अपने कमरे में चला गया और अपने कपड़े बदले। फिर दीपा मेरे लिए पानी लेकर आई और मेरे मेज के ड्रायर से दवा निकाल कर मेरी चोंटो पर लगाने लगी। दीपा की मेरे लिए इतनी फिक्र देखकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। थोड़ी देर बाद दीपा मेरे कमरे से बाहर चली गई। अदिति भाभी ने आशीष भैया को फोन करके बता दिया कि दीपा आज रात यही रुकने वाली है। आशीष भैया को कोई ऐतराज नहीं था।

अर्जुन भैया के आने के बाद भाभी ने सारी बात भैया को बता दी। भैया मेरे कमरे में मेरा हालचाल जानने के लिए आए। खाना खाने के समय सभी ने खाना खाया और अपने अपने कमरे में सोने के लिए चले गए।

सुबह उठकर मैंने और दीपा ने फेश होकर नाश्ता किया और कॉलेज के लिए निकल गए। कॉलेज पहुँचकर मैं और दीपा अपनी अपनी कक्षा में चले गए। मैं अपनी क्लास मैं बैठा अपना लेक्चल ले रहा था तभी चपरासी ने आकर बताया कि कुलपति महोदय ने मुझे बुलाया है। मैं जब कुलपति महोदय के कार्यालय में पहुँचा तो वहाँ पर देवांशु और एक सज्जन और बैठे हुए थे। मैंने कुलपति महोदय को नमस्कार किया। उन्होंने मुझे बैठने के लिए कहा। मैं उनके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया। थोड़ी देर बाद दीपा भी वहाँ आ गई। तब मुझे समझ आ गया कि सामने बैठे सज्जन शायद देवांशु के अभिभावक हैं। जो मेरी शिकायत लगाने आए हुए हैं।

क्या बात है सर आपने मुझे बुलाया। मैंने कुलपति महोदय से कहा।

सुना है कि कल तुमने कॉलेज में मारपीट की। तुम छात्रों के नेता होकर अगर ऐसे गुंडों की तरह मारपीट करते रहोगे तो इससे विद्यार्थियों पर बुरा असर पड़ेगा। कुलपति महोदय ने कहा।

सर आपको ये तो बताया गया कि मैंने मारपीट की हो, लेकिन ये नहीं बताया गया कि मैंने मारपीट क्यों की। मैंने कहा।

अच्छा जरा मुझे भी तो पता चले कि तुमने मेरे बेटे को क्यों मारा। पास बैठे सज्जन ने मुझसे कहा।

ये बात आप अपने बेटे से ही पूछते तो ज्यादा अच्छा रहता। फिर भी मैं आपको बता देता हूँ कि आपका बेटा कॉलेज में पढ़ने नहीं लड़कियाँ छेड़ने आता है। कल इसने मेरी मंगेतर के साथ बदतमीजी की। जिसके कारण मैंने इसे मारा। और अगर अब भी ये नहीं सुधरा और मेरी मंगेतर के साथ या कॉलेज के किसी भी लड़की के साथ बदतमीजी की तो फिर इसे मेरे हाथों से कोई नहीं बचा सकता। मैंने अपना दाँत पीसते हुए कहा।

यही तो दिन होते हैं मौज मस्ती करने का, अगर जवानी में मेरा बेटा मौज मस्ती नहीं करेगा तो क्या बुढ़ापे में करेगा। अगर इसने तुम्हारी मंगेतर के साथ बदतमीजी कर भी दी थी तो इसे मारने की क्या जरूरत थी। तुम शायद अभी मुझे ठीक से जानते नहीं हो। मैं चाहूँ तो तुम्हारा बहुत बुरा कर सकता हूँ। वो सज्जन अपनी सज्जनता का नमूना पेश करते हुए बोले।

मैं तो समझता था कि देवांशु बड़े बाप की बिगड़ी हुई औलाद है, लेकिन अब समझ में आया कि जब कंपनी ही इतनी घटिया है तो प्रोडक्ट तो महाघटिया ही निकलेगा न उससे। मैंने उस व्यक्ति से कहा।

क्या बोला तू, तेरी तो मैं। अभी उस व्यक्ति ने इतना ही कहा था कि कुलपति महोदय बोल पड़े।

देखिए मान्यवर, निशांत छात्रनेता होने के साथ साथ एक होनहार और विद्यार्थियों के बारे में सोचने वाला लड़का है। आपकी बात मानकर मैंने इसे बुलाया। लेकिन निशांत की बातों और आपकी हरकतों से ऐसा लग रहा है कि निशांत बिलकुल ठीक कह रहा है, और अगर निशांत ने आपके बेटे को पीटा है तो कुछ गलत नहीं किया। और मेरे कॉलेज में ऐसा कुछ हो ये मैं बरदास्त भी नहीं करूँगा। तो बेहतर है कि आप यहाँ से तसरीफ ले जाइए और अपने बेटे को समझा दीजिए कि अगर ये अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने में मैं तनिक भी पीछे नहीं हटूँगा। कुलपति महोदय ने उस व्यक्ति से कहा।

कुलपति महोदय की बात सुनकर देवांशु और उसके पापा बाहर जाने लगे, लेकिन जाते हुए भी दोनो मुझे घूरकर देख रहे थे। उनके जाने के बाद कुलपति महोदय ने हम दोनों को भी जाने के लिए कहा।



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super duper update
 
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mashish

BHARAT
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bakai main aesi story bahut kam hai is fourm per jo bilkul saf suthri ho carry on mahi ji ho sake to is story ke baad ek aur story likhiye romance per thanks iaesi story likhne ke liye
 

Chinturocky

Well-Known Member
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Lagta hai kuchh to bada kand hoga.
Is kahani ke samapt hone ke baad iska agala bhag bhi likha ja sakta hai, Nishant ke rajnitik carrier per.
 
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nice update ..to dono me maar pit ho hi gayi aur devanshu ko achche se dhoya nishant ne 😁😁..

devanshu eo kamjor aur ghatiya kism ka ladka hai ye to pata chal gaya warna apne baap ko lekar nahi aata ..
aur uska baap bhi ghatiya hi hai jo apne bete ki galtiyo par parda daalne ka kaam karta hai ..
nishant ne devanshu ke baap ko bhi sahi jawaab diya 🤩..
 
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