धन्यवाद आपका बहुत बहुत।Adbhut kahani thi ab ye btaiye ki new kab se start kar rahe ho aap.
waiting for new story.
नई कहानी शुरू कर दिए हैं।
आप उसे पढ़ सकते हैं।
धन्यवाद आपका बहुत बहुत।Adbhut kahani thi ab ye btaiye ki new kab se start kar rahe ho aap.
waiting for new story.
please provide link of your new story.धन्यवाद आपका बहुत बहुत।
नई कहानी शुरू कर दिए हैं।
आप उसे पढ़ सकते हैं।
कहानी का लिंक हमारे Signature में है नीचेplease provide link of your new story.
कहानी का लिंक हमारे Signeture है नीचे।new story konsi hai mahi ji
बहुत ही शानदार अपडेट हैपहला भाग
हमारी आंखें अक्सर उसी के ख्वाब देखती हैं जिसे पाना हमारी हाथों के लकीरों में नहीं होता है। मगर इन आंखों को कहां पता होता है कि हमारी 1भूल की वजह से दिल को सारी उम्र तड़पना पड़ सकता है।
कॉलेज का पहला दिन मुझे आज भी याद है जब मेरी आँखों ने उसे पहली बार देखा था। एक ऐसा पल, जिस पल को याद कर, आज मैं जिंदगी के हर पल को जी रहा हूं।
मैं कॉलेज के कोरिडोर से अपने क्लास रूम के अंदर जा रहा था। मन में एक अलग सी उमंग थी । सारी दुनिया को जीत लेने की , सारी दुनिया को समझ लेने की , एक अलग पहचान बनाने का, मगर वह पहचान कैसी होगी यह तो उस वक्त मुझे भी पता नहीं था । मैं धीमे-धीमे अपने क्लास रूम के नजदीक पहुंचने ही वाला था कि मेरे पीछे से किसी लड़की की बहुत ही कोमल आवाज मेरे कानो में पड़ी।
" हेल्लो"
ये प्यारी सी आवाज मेरे कानों को किसी मॉडर्न संगीत सा लगा। मैंने पीछे मुड़कर देखा।
गुलाबी समीज पर पीले रंग का मखमली दुपट्टा , आंखों में काजल, होठों पर हल्के लाल रंग की लिपस्टिक लगायी बहुत ही खूबसूरत लड़की ने मुझे आवाज दी थी । खिड़की से आती सूरज की किरणें उसके गालों से रिफ्लेक्स होकर सतरंगी इंद्रधनुष बना रही थी । उसकी कातिलाना मुस्कान मेरे दिल को बेध गई थी। मैं उसे देखकर कहीं खो सा गया था। मेरी सांसे थम सी गई थी कि तभी उसने दूसरी दफ़ा उसने आवाज दी।
" हेलो , मैं आप ही को बोल रही हूं"
इस बार उसने ये बात अपने हाथ को मेरी आंखों के सामने हिलाते हुए बोली थी।
मैं ख़ुद को ख्बाव वाली दुनियां से बाहर निकाल कर लड़खड़ाते हुए बोला " जी ... जी बोलिए ।"
“ रूम नंबर R014 कहां है ? प्लीज मेरी हेल्प कीजिये उसे ढूढने में। क्योंकि आज मेरा कॉलेज का पहला दिन है और मुझे अपने क्लास रूम के बारे में कोई जानकारी नहीं ” उस लड़की ने कोमल स्वर में बोली।
“ आप यहां से सीधे जाकर राइट ले लीजियेगा कुछ कदम चलने पर ही आपको अपन क्लास रूम दिख जाएगा ” मैंने उसे हाथ से इशारा करते हुए बोला।
मेरी बात सुनकर लड़की ने हल्की मुस्कान के साथ थैंक्स बोला और फिर कमरे की तरफ चली गई । सच बोलूं तो मुझे भी उस कमरे के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी , कुछ देर पहले जब मैं अपनी क्लास रूम ढूंढ रहा था उसी वक्त मैंने वह क्लास रूम देखा था।
उस लड़की के वहां से चले जाने के बाद भी मैं उसे कुछ समय तक देखता रहा । वह पीछे से भी देखने में उतनी ही खूबसूरत लग रही थी जितना की अभी आगे से देखने में मुझे लगी थी।(इसका कोई गलत मतलब मत निकालियेगा मित्रों)
उस लड़की के जाने के बाद मैं भी अपने क्लास रुम के अंदर चला गया क्लास रूम के अंदर बहुत सारे लड़के लड़कियां थे उन सभी लोगों का भी आज इस कॉलेज में पहला दिन ही था। सबके आंखों में कुछ सपने थे ,कुछ सीखने का जज्बा और जिंदगी को खुलकर जीने का आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा पड़ा था।
शायद सब लोगों को यही लग रहा होगा कि कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद जिंदगी संवर जाएगी और उनकी जिंदगी खूबसूरत हो जाएगी, लेकिन इस भीड़ के बीच शायद मैं ही एक ऐसा व्यक्ति था जिसे कॉलेज के पहले दिन ही जिंदगी मिल गई थी या यूं कहें कि जिंदगी सवर गई थी। वह पीली दुपट्टे वाली लड़की मेरे दिल-ओ-दिमाग में घर कर गई थी मैं उससे कभी मिला नहीं था और ना ही उसके बारे में कुछ जानता था। यहां तक कि मैं उससे कुछ ज्यादा बातें भी नहीं कर पाया था। लेकिन जिस वक्त उसे पहली दफा देखा था । उसी वक्त मेरे दिल से एक आवाज आयी थी ।
यार ! यही तुम्हरी जिन्दगी हैं , तुम्हे इसके साथ ही जिंदगी बितानी है। हमेशा साथ रहेगी तुम्हारे हर कदम पर , जिन्दगी के हर मोड़ पर।
मुझे लगा आज से यही मेरी रूह है और यही मेरी आशिकी। खैर कुछ समय के लिए इन बातों को भुला कर मैंने अपना ध्यान किताबों पर टिकाया ।
क्लास खत्म होने के बाद मैं फिर उसी जगह पर जाकर खड़ा हो गया जहां मुझे वह पीले दुपट्टे वाली लड़की मुझे मिली थी। मुझे उम्मीद था वह लड़की वापस यहीं से होकर गुजरेगी और मुझे देख कर एक बार फिर मुस्कुराएगी । लेकिन सभी विद्यार्थियों के कॉलेज से बाहर निकलने के बाद भी उसके आने का कोई अता-पता ना चला।
जब उसके आने की कोई उम्मीद मुझे ना दिखी तब मैंने सोचा - “शायद मुझे क्लास से निकलने में देर हो गई हो उसके पहले ही वह निकल चुकी होगी।”
मैं उदासीन चेहरा बनाकर कॉलेज से बाहर निकल गया। वैसे हम लड़कों को अक्सर यही होता है। कोई लड़की एक बार मुस्कुराकर बात क्या कर लेती है, हम लडके उसे अपना दिल दे बैठते हैं और यही गलतफहमी लोगों को हमेशा होती रहती है लेकिन शायद मेरे साथ ऐसा पहली बार हुआ था।
मैं अभी कुछ सोच ही रहा था कि वह पीले दुपट्टे वाली लड़की दिखी। वह किसी हट्टे कट्टे डील डौल वाले लड़के के साथ बाइक पर बैठकर वहां से निकल रही थी। उसे किसी दूसरे लड़के के साथ बाइक पर बैठा देख मेरा कलेजा बैठ-सा गया। मेरी आंखें में मिचौलिया खाने लगी, मेरी आंखे औंध–सी गयी।
साला एक लड़की भी पसंद आई तो वो भी किसी और की निकली।” मैंने खुद से बुदबुदा कर बोला।
शाम को ठीक 6:00 बजे मैं घर पहुंच चुका था और अपने सोफे पर बैठकर 90’s (नाइनटीज ) के पसंदीदा गाने सुन रहा था ।
“ तू प्यार है किसी और का तुझे चाहता कोई और है ”
Sony Max पर यह गाना आ रहा था।
वैसे यह गाना उस वक्त मुझ पर सूट नहीं कर रहा था। यह गाना खत्म होकर कोई अगला गाना आता कि उससे पहले वहां पर मेरे बड़े भैया आ पहुचें । फ़िलहाल उस वक्त भैया पापा की कंपनी संभाल रहे थे और अगले हफ्ते ही इनकी शादी भी होने वाली थी।
“ छोटे, आज कॉलेज का पहला दिन कैसा रहा ?
” भैया अपनी टाई को खोलते हुए बोले।
“बस ठीक-ठाक” मैंने कहा।
“ ठीक-ठाक से क्या मतलब !
” उन्होंने कंधे उचकाते हुए बोला।
भैया अभी कॉलेज में कोई दोस्त वगैरह नहीं ना है, इसलिए अभी ठीक-ठाक ही लगा शायद बाद में ठीक लगने लगे” मैंने कहा।
अब उन्हें कैसे बताऊं कि कॉलेज के पहले दिन ही मुझे एक लड़की पसंद आ गई है और वह भी एक ऐसी लड़की जिसका बॉयफ्रेंड पहले से ही है।
साथ बने रहे।।।।।