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Romance तेरी मेरी आशिक़ी (कॉलेज के दिनों का प्यार)

Mbindas

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दूसरा भाग

रात को हम पूरे परिवार के साथ भोजन के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठे थे। मुझे, भैया और मां को मिलाकर ही हमारी पूरी फैमिली कंप्लीट थी । पापा की मृत्यु आज से 12 साल पहले कंपनी में हुए एक बड़े हादसे के कारण हो गई थी। पापा के मौत के बाद हमारी मां ही हम-दोनों भाइयों की परवरिश पापा बनकर की है। पापा की मृत्यु के बाद पारिवारिक परिस्थिति को देखते हुए भैया दसवीं पास करने के बाद ही मां के कामों में हाथ बढ़ाना शुरू कर दिए थे, जबकि 12वीं के बाद भैया कंपनी संभालने लगे थे।

“ अर्जुन चौटाला साहब को माल डिलीवर करना था। तूने माल भेजवा दिया है क्या ? ”

मां ने ब्रेड के टुकड़े को मुंह में डालते हुए भैया से पूछा।

“ जी .. मां। आज सुबह ही डिलीवर करवा दिया हूं। बस उनके तरफ़ से पेमेंट बाकी रह गयी है।”

भैया ने अपने हाथ से गोभी की सब्जी उठाते हुए जबाब दिया।

“ कोई बात नहीं है, चौटाला साहब अपने पुराने वितरक/वितरणकर्ता हैं। उनसे पैसा कहीं नहीं जाएगा ”

मां ने भैया को देखते हुए बोली।

भैया और मां के बीच का वार्तालाप सुनकर मैं खुश था। मेरा खुश होने का असली कारण यह था कि मां मुझसे कॉलेज के पहले दिन के बारे में कुछ नही पूछ रही थीं । वरना अगर मां कॉलेज के बारे में पूछी होती तो फिर उस पीले दुपट्टे वाली लड़की के बॉयफ्रेंड के चेहरा आंखों तैर जाता।

वैसे मेरी मां को मेरी पढ़ाई लिखाई से ज्यादा लेना-देना नहीं रहता था । वह हमेशा कहती थी जल्द से जल्द कंपनी ज्वाइन कर लो और अपने भाई की काम में किया करो। मगर भैया ने मुझे कॉलेज जाने की छूट दे रखी थी । उनका मानना था कि किसी भी इंसान को पहले अपनी पढ़ाई पूरी करनी चाहिए उसके बाद ही काम के बारे में सोचना चाहिए।

भैया को अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ने की आज भी मलाल है । अगर घर में इस तरह की विपत्ति नहीं आई होती तो शायद भैया अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर कंपनी ज्वाइन कभी नहीं करते, मगर किस्मत के होनी को कौन टाल सकता हैं। कभी कभी कुछ हालात भी हमें बहुत कुछ करने के लिए मजबूर कर देते हैं।

खाना खाकर हम सब अपने कमरे में सोने के लिए चले गए।

अगले दिन मैं जल्दी जल्दी तैयार होकर जब कॉलेज पहुंचा तो आज भी मेरी आंखें कॉलेज के कॉरिडोर में इधर-उधर उसे ही ढूंढ रही थी। मगर वह लड़की फिर से दोबारा नहीं दिखी। इस तरह से कॉलेज के कई दिन बीत गया मगर उस लड़की से फिर कभी दूसरी दफ़ा मुलाकात नहीं हुई।

अब तो भैया की शादी के दिन भी नजदीक आ चुका था और हम लोग शादी की तैयारियों में व्यस्त हो गये थे। अब उस पीले दुपट्टे वाली लड़की की याद भी धुंधली होकर दिमाग से लगभग उतर चुकी थी।

आखिर भैया की शादी का दिन आ ही गया। भैया की शादी शहर के सबसे बड़े मैरिज होटल द सम्राट मैरिज गार्डन में हो रही थी। हम लड़के वाले और लड़की वाले सभी लोग शादी के एक दिन पहले ही उस मैरिज होटल में आ चुके थे। तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी थी। बहुत सारे मेहमान आ चुके थे। मिठाइयों की खुशबू से पूरे होटल में महक रहा था। दरवाजे पर लदे गुलाब के फूलों की खुशबू वहां पर उपस्थित मेहमानों में जोश उड़ेल रहा था।

दोनों तरफ के लोग अपने-अपने रस्म-ओ-रिवाजों में व्यस्त थे । हम लड़के वाले होटल की दूसरी मंजिल पर ठहरे हुए थे, जबकि लड़की वाले भूमितल पर बने हुए कमरों में रुके हुए थे ।

उस दिन शाम में तिलक चढ़ाने की रस्म के लिए हम सभी लड़के एवं लड़की वाले एक साथ बैठे थे। लड़के को तिलक चढ़ाई जा रही थी। और हम लड़के अपने दोस्तों के साथ लड़कियों को ताड़ रहे थे। इसी बीच हमारा ध्यान एक ऊंची हील वाली लड़की पर पड़ी।

उसका चेहरा मुझे कुछ जाना पहचाना सा लगा।ऐसा लग रहा था कि इस खूबसूरत होंठों को, इसके रेशमी बालों को और इसके गुलाबी चिकने गालों को को मैंने कहीं देखा है। दिमाग के घोड़े दौड़ाने पर मेरी दिमाग की बत्ती जल गई।

"अरे यह तो वो ही लड़की है। कॉलेज की पीले दुपट्टे वाली लड़की । " मेरे मुंह से यह चंद शब्द अचानक निकल पड़ा।

उसे देखकर मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। मैं तो जैसे खुशी से पागल हुआ जा रहा था। मेरी आंखें जिस लड़की को कॉलेज में ढूंढती रही और ढूँढ ढूँढ कर थक गई । आज वो मेरे भाई की शादी में मिल रही थी । उस दिन इससे बड़ी ख़ुशी मुझे और किसी बात को लेकर नही हो रही थी । उससे बात करने के लिए मेरा दिल मचलने लगा।

मैं किसी तरह से उससे बात करने की कोशिश करने लगा। कभी मेहमानों से छुपकर जाता तो कभी मां से कुछ बहाने करके लड़की वाले के पास चले जाता। इस तरह से करते करते आखिर एक बार मुझे उस लड़की से बात करने का मौका मिल ही गया।

" हेल्लो " मैने बोला।

"हेल्लो , तुम !..." वह चौक कर बोली।

उसके चेहरे का इम्प्रेशन देखकर ही मैं समझ गया था कि उसे मेरा चेहरा अब तक याद है।

“ हां, मैं ... लेकिन तुम यहां ? ” मै थोड़ा असमंजस में बोला।

“ अरे मैं अपनी फ्रेंड की बहन की शादी में आई हूं।

वैसे तुम किसके तरफ से हो ? " उसने बहुत ही बिंदास स्वर में बोली।

“ यूं समझ लो तुम्हारी फ्रेंड की बहन मेरे ही घर जाने वाली है। ” मैंने मस्का लगाते हुए बोला।

“ क्या मतलब ? ” उसने आश्चर्यचकित होकर पूछा।

“ मतलब कि मैं लड़के का छोटा भाई हूं ।” मैं थोड़ा भाव खाते और नखरा दिखाते हुए बोला।

“ वाओ सच मे । ” वह आश्चर्यचकित होते हुए बोली।

मैं उससे मिलकर काफी खुश हो रहा था। वैसे वह भी काफी खुश दिख रही थी मगर अब तक हम दोनों ने एक दूसरे हालचाल या फिर नाम बैगरह तक नहीं पूछा था। फिर अचानक उसने बोली

“ बाय द वे ( by the way) तुम्हारा नाम क्या है?”

मैं उसे अपना नाम बताता उससे पहले ही वहां पर एक अंकल ने आकर बोला - " छोटे तुम्हारा भाई तुम्हे ढूंढ रहा है"

"जी अंकल मैं आ रहा हूँ" मैंने अंकल को बोला।

अंकल के जाने के बाद वह खिलखिला कर हंसने लगी। मैंने इशारा करके पूछा- “ क्या हुआ? ”

" ये छोटे कैसा नाम है ? इससे अच्छा तो नटवरलाल नाम ठीक-ठाक लग रहा है " वह बोल कर फिर खिलखिला कर हंस पड़ी।

अब मुझे समझ में आ गया था कि वह मेरे नाम को लेकर मेरा मजाक बना रही हैं ।

वैसे हँसते हुए वह और अधिक खूबसूरत लग रही थी। मन तो कर रहा था भाभी के साथ आज इसे भी दुल्हन बना कर अपने घर ले चलूं।

" अरे मेरा नाम छोटे नही ,बल्कि निशांत है। वो तो भैया प्यार से मुझे छोटे बोलते हैं।" मैंने कहा।



साथ बने रहिए।
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Mbindas

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तीसरा भाग

अच्छा ! तो इस छोटे को एक बड़ा नाम भी है ।" यह बोल कर वह फिर हँस पड़ी।

"वैसे आपका नाम क्या है ? मैंने पूछा।

" नाम की इतनी भी जल्द क्या है छोटे ? समय आएगा तब जान जाईयेगा ।" इतना बोल कर वह मुस्कुराती हुई चली गई।

उसकी मुस्कान ही हम पर सितम ढाह रही थी। उसके जाने के बाद मैं भी भैया के पास चला गया। पूरा होटल शादी के माहौल में डूब चुका था । सभी लोगों के चेहरे पर एक अलग ही तरह की उमंग देखने को मिल रही थी।

" भैया आपने मुझे बुलाया ?" मैंने बोला ।

"छोटे, शाम के 4 बजे वाली फलाइट से सुजाता मौसी आ रही हैं। तुम उन्हें एयरपोर्ट से रिसीव कर लेना" भैया ने बोलें।

" ठीक है भैया । मैं अभी निकलता हूँ। "

यह बोलने के बाद मैंने अपनी नजर स्मार्ट वाच पर टिकाई। शाम के साढ़े तीन बज रहें थे ।

मैं हाल से निकल का सीधा एयरपोर्ट चला गया। एयरपोर्ट पहुंचने में कुल 25 मिनट लग गये थे मगर फिर भी मैं सही समय पर पहुंच गया था। वहाँ कुछ मिनट इन्तजार करने के बाद मुझे सुजाता मौसी दिखी।
सुटकेस के साथ शिल्पा भी मौसी के साथ एयरपोर्ट से बाहर निकलती दिखी।

शिल्पा मेरी मौसी की देवर की इकलौती बेटी है। शिल्पा जब 1 वर्ष की थी तब ही उसके मां और पिता का देहांत एक कार एक्सीडेंट में हो गया था और तब से वह मेरी मौसी के साथ ही रहती है। मौसी ने ही उसका लालन-पालन किया है।

और अब मौसी चाहती थी कि शिल्पा की शादी मेरे अर्जुन भैया से हो। मौसी मेरी माँ से शिल्पा से रिश्ता के लिए कई बार बात कर चुकी थी मगर मेरी माँ हर बार इस रिश्ते को ठुकराती आई है।

मौसी के साथ शिल्पा को देख कर मुझे अजीब लगा । जब शिल्पा के रिश्ते कई बार ठुकराया जा चुका था तो शिल्पा को इस शादी में लाना क्या जरूरी था। मै ऐसा सोचने लगा।

" प्रणाम मौसी " मैं मौसी के पैर छु कर बोला।

" खुश रहो बेटा ... खुश रहो " मौसी थोड़ी ज्यादा ओवर एक्टींग करती हुई बोली।

मौसी हमारी गाड़ी सडक के दूसरी तरफ खड़ी है। हम गाड़ी में चले ? ” मैंने गाड़ी के ओर इशारा करते हुए मौसी से बोला।

" बेटा मेरे साथ शिल्पा भी आई हुई है " मौसी शिल्पा की ओर उंगली से इशारा करती हुई बोली।

" हेलो " मैंने शिल्पा से बोला।

" हाय ... I" शिल्पा चेहरे पर नकली मुस्कान के साथ बोली थी।

वैसे मैं शिल्पा को पहले ही देख चुका था मगर मैंने उससे कुछ बोलना उचित नहीं समझा था।

कुछ मिनट बाद हम लोग अपनी गाड़ी में बैठ चुके थे और गाड़ी सड़कों पर दौड़ रही थी। मैं गाड़ी चला रहा था , मेरी बगल में शिल्पा बैठी थी और पीछे वाली सीट पर सुजाता मौसी थी।

" बेटा हम कितने देर में होटल पहुंच जाएंगे ?" मौसी ने पूछा।

" बस अब हम पहुंचने ही वाले हैं " मैंने सड़क के सीधे में देखते हुए बोला।

" वैसे एक बात पूछूं बेटा? " सुजाता मौसी बोली।

" जी ..... जी मौसी पूछिए।" मैंने बोला।

" बेटा मैंने सुना है तुम्हारी कंपनी , घर और यहां तक की तुम्हारी सभी जायजात तुम्हारे भाई के नाम से रजिस्टर्ड है '' मौसी बोली।

" जी मौसी ... जब पापा की मृत्यु हुई थी तब मेरी उम्र 1 वर्ष से भी कम की थी जिसके कारण उस वक्त पापा के नाम की सारी जायजात को अर्जुन भैया के नाम से रजिस्टर्ड करवाना पड़ा था और वैसे भी इसमें हर्ज ही क्या है? " मैंने बहुत ही सरल शब्दों में जवाब दिया।

" बेटा इसमें तुम्हें कोई हर्ज नहीं दिखता है ? कहीं ऐसा ना हो शादी के बाद उसकी पत्नी तुम्हें जायजात से कुछ हिस्सा ही ना दें, क्योंकि हर लड़की मेरी शिल्पा जैसी तो नहीं ना हो सकती है । " मौसी मुझे बड़ी ही कुटिल नजरों से देखती हुई बोली।

मैं मौसी को कुछ बोलता उससे पहले ही हमारी गाड़ी होटल के पास पहुंच चुकी थी।

वैसे मेरी मौसी का यह स्वभाव हमेशा से रहा है। वह हमेशा से ही हर बातों को नकारात्मक रूप से देखती आई है। उन्हे हर चीजों में, हर रिश्तो में शक करने की बीमारी है। यही कारण था कि उस वक्त मैं गाड़ी में उनसे इन बातों पर ज्यादा बहस करना उचित नहीं समझा।

मैं गाड़ी को होटल के पार्किंग में पार्क कर गाड़ी से बाहर निकला ही था कि मेरी नजर फिर कॉलेज की उस पीले दुपट्टे वाली लड़की पर पड़ी। वह मुझे नहीं देख रही थी वह अपने दोस्तों के साथ अपने होठों की लम्बी चोंच बनाकर अपने मोबाइल से सेल्फी खींच रही थी।

" दीपा दीदी. .....सब लोग डांस प्रतियोगिता कर रहे हैं । चलो ना हम सब भी डांस करते हैं।'' एक 10- 12 साल की लड़की ने उस कॉलेज की पीले दुपट्टे वाली लड़की को आकर बोली।

" वाव! सच में ..... ! तो फिर हम लोग भी चलते हैं" कॉलेज की पीले दुपट्टे वाली लड़की खुश होते हुए बोली।

" दीपा दीदी ? .... ओहो.... तो पीले दुपट्टे वाली लड़की का नाम दीपा है।......निशांत - दीपा, वाह क्या जोड़ी जमेगी ! " मैंने मन ही मन सोचते हुए खुद से बोला।

मैंने देखा वो लोग होटल के डांस फ्लोर पर जा चुके थे।

दिल चोरी साड्डा हो गया है की करिए की करिए '' डांस फ्लोर पर हनी सिंह का यह गाना फुल बेस (Base) में बज रहा था।

मेरी नजर अचानक डांस करती लड़कियों के समूह पर टिक गई। कुछ लड़कियां इस गाने पर जबरदस्त डांस कर रही थी उन्हीं लड़कियों के बीच दीपा भी थी।

गजब का डांस परफॉर्म कर रही थी। वह खूबसूरत तो थी ही, वह डांस भी गजब का कर रही थी। मेरी नजर उसके चहरे से बिलकुल एक सेकण्ड के लिए भी नही हट रही थी तभी एक साथ सारे लोगों की तालियों की आवाज सुनाई पड़ी I जिसके कारण मेरा ध्यान लड़कियों से भंग हुआ ।

गाना खत्म हो चुका था सभी लोग इस डांस परफॉर्म के लिए तालियां बजा रहे थे। अब लड़के वालों के डांस करने की बारी थी। मेरे कुछ दोस्त डांस करने के लिए गए और साथ में डांस करने के लिए मुझे भी बुला रहे थे मगर मैंने मना कर दिया।

" छोटे... तुम्हारे अंदर पावर नहीं है क्या ? ऐसा तो नही मेरा डांस देखकर डर गए हो ? " दीपा ने मेरे कानों के पास आकर कहा।



साथ बने रहिए।
Hero ko acha uksaya jaa raha hai :D:
Nice update
 
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चौथा भाग

मैंने पलट कर देखा। वह अपनी आंखों से इशारा कर मुझे डांस टीम में जाने के लिए बोल रही थी। साथ ही वह अपने अंगूठे से लूजर (Looser) का इशारा भी कर रही थी।

इसके बाद मैंने कुछ भी नहीं सोचा सीधा डांस ग्रुप में चला गया उसके बाद फिर जो डांस किया कि वह सबके होश उड़ा देने वाला डांस था। लोग तो पहले से लड़कियो के डांस देख कर लड़कियों के डांस को ही सबसे बेहतरीन डांस मान कर बैठे थे। लेकिन जब हम लड़कों ने डांस किया तो सब लड़कियों का डांस चीनी कम पानी हो गया था। परफॉर्म खत्म होने के बाद मैंने सभी लोगों को ध्यान से देखा सारे लोग तालियां बजा रहे थे।

" भाई लड़कों में भी दम है " बैठे उन सभी मेहमानों में से किसी एक ने बोला। उनकी बात सुनकर मेहमानों की तालियां और तेजी से बजने लगी।

" क्यों दीपा डार्लिंग मेरा डांस कैसा लगा?" मैंने दीपा के पास जाकर उसके कानों में बोला।

" तुम्हें मेरा नाम कैसे पता हुआ? " दीपा आश्चर्यचकित होकर बोल पड़ी।

" दीपा जी हम भी थोड़ा स्मार्ट है। " मैंने थोड़ा चिढ़ाने वाली स्टाइल में बोला था।

पहले उसने अपनी आंखें चढ़ा ली फिर कुछ पल बाद मुस्कुराकर अपने अंगूठे से लूजर (Looser) का इशारा कर वहां से भाग गयी।

वह जितनी बार मुझे अपने अंगूठे से लूजर बोलती थी उतनी ही बार उससे प्यार और अधिक बढ़ जाता था। क्योंकि उसी वक्त उसके चेहरे पर असली खुशी और सादगी दिखाई देती थी। मैं दीपा को वहां से जाते देख ही रहा था कि मुझे खाने की मेज की तरफ कुछ लोगों की आवाजें सुनाई पड़ी मुड़कर दूसरी तरफ देखा तो कुछ लोग एक साथ झुण्ड बना कर खड़े थे ।मैंने वहां जाकर देखा। तो सुजाता मौसी किसी के ऊपर चिल्ला रही थी।

“अरे कैसे होटल में तुम लोग शादी कर रहे हो? यहां के वेटरों को तो तमीज से बात करना भी नहीं आता है” सुजाता मौसी गुस्से में बोल रही थी।

क्या हुआ मौसी ? ” मैं वहां पहुंचते ही बोला।

“जब मैंने इस बेटर से कॉफी मांगा तो इसने बोला अभी समय लग सकता है और जब मैंने पूछा क्यों ? तो यह बदतमीजी करने लगा ” मौसी अपनी सफाई देती हुई बोली।

बेटर उसी जगह पर अपने गाल को दाहिने हाथ से पकड़कर खड़ा था। मौसी ने इस बेटर को एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया था। कुछ देर बाद वहां उस होटल का मैनेजर भी आ चुका था और वह अपने वेटर की ओर से माफी मांग रहा था।

वैसे मैं जानता था। बेटर की कोई गलती नहीं होगी बल्कि मौसी जानबूझकर ऐसा ड्रामा कर रही थी। मगर उस वक्त ये पता नहीं था कि आखिर यह सब कर के मौसी क्या साबित करना चाह रही थी ।

“ मौसी ये लोग माफी मांग रहे हैं इन्हें माफ कर दो अगली बार से ऐसा नहीं होगा” मैं मौसी को समझाते हुए बोला ।

“ क्या हुआ दीदी ? ” मेरी मां वहां पहुंचते ही सुजाता मौसी से बोली ।

“ अरे अब क्या पूछ रही हो! पहले पूछ ली होती तो इससे बढ़िया होटल और बहू तुम्हें बताती । मगर तुम लोग, तुम लोग मुझसे कभी पूछते ही कहाँ हो ?”

सुजाता मौसी यह बोलकर गुस्से से मुंह फुला कर वहां से चली गई । मौसी का यह ड्रामा देखकर वहां पर उपस्थित सभी रिश्तेदार आश्चर्य में थे।

कुछ समय बाद मैं अपने दोस्तों के साथ जयमाला वाली स्टेज के पास बैठा था। तभी उसी वक्त वहां 10-12 वर्ष की लड़की मेरे पास दौड़ी आई।

इनमें से छोटे भैया कौन है ? ” आकर बोली ।

“ मैं हूं।...क्या बात है ?... बोलो?” मैंने जवाब दिया।

“ यह लो आपके लिए दीपा दीदी ने भेजा है” उस बच्ची ने कागज का एक छोटा-सा टुकड़ा देते हुए बोली।
मैंने कागज का वह छोटा-सा टुकड़ा लेते समय इधर उधर देखा। वहां हम दोस्तों के अलावा कोई और नहीं था। मेरे सभी दोस्त उस छोटी सी बच्ची को ध्यान से देखे जा रहे थे आखिर ये लड़की हैं कौन ?

“ ये क्या है? ” मैंने उस कागज के टुकड़े को लेते हुए उस से पहले पूछा।

“ आप खुद ही खोल कर देख लो।” यह बोलकर लड़की वहां से चली गई।

मैं उस कागज के टुकड़े को खोल रहा था । मेरे सभी दोस्तों का ध्यान उसी कागज के टुकड़े पर ही टिका था। उस टुकड़े को खोलते समय मेरी दिल जोरो से धक-धक कर रहा था। उस वक्त मुझे लग रहा था किसी लड़की ने मेरे लिए लव लेटर लिख कर भेजा है। मैंने भगवान को याद कर उस कागज के टुकड़े को खोला।

“ दम है तो दूल्हे के जूते बचा लेना वरना.....”

कागज के टुकड़े में लिखा यह पढ़ कर अपनी नजर आगे की ओर किया। कुछ दूर पर कुछ लड़कियों का झुंड हम लोगों को देखकर खिलखिला कर हंस रहा था। उन लड़कियों में एक दीपा भी थी।

शाम के 6:00 बजने वाले थे। दूल्हा-दुल्हन मंडप में बैठ चुके थे। सभी मेहमान कुर्सी पर बैठे थे। पंडित मंत्रों का जाप कर रहा था और मैं भैया के सीधे थोड़ी दूरी पर बैठा था।

जहां से दीपा अच्छी तरह से दिख रही थी। उस वक्त दीपा ने हरे रंग की लहंगा-चुन्नी पहन रखा था। उस लहंगे –चुन्नी में उसकी सुंदरता उस वक्त पूरी तरह से निखर कर बाहर आई हुई थी।

उसके हसीन चेहरा से अपनी आंखें हटाने का जरा-सा भी दिल नहीं कर रहा था।

मैं जब भी उसे देखकर मुस्कुराता था, बदले में वह भी कभी-कभार थोड़ा मुस्कुरा देती थी।

जूता चुराने की धमकी मुझे अच्छी तरह से याद थी इसीलिए मैंने जूते की देखभाल के लिए अपने दोस्तों को जूते के पास ही बैठा रखा था और मैं इधर दीपा पर नजर रखे हुए था।

मैं जानता था अगर दीपा भैया का जूता छुपाने में कामयाब हो गई तो फिर हम लड़कों की बहुत बेइजती हो जाएगी । खाश कर दीपा तो लूजर (Looser)बोल-बोल कर प्राण ही ले लेगी ।

जब विवाह संपन्न हुआ तब सभी उपस्थित मेहमान-रिश्तेदार ने वर-वधू को चावल की अछत-फूल छीट कर उन्हें आशीर्वाद दिया। उसके बाद जब भैया मंडप से निकलकर अपने जूते पहने ने के लिए अपना जूता खोजा तो जूता वहां पर नहीं था।

मैंने अपने दोस्तों की ओर देखकर पूछा,- “ भाई जूता कहाँ है ? ”



साथ बने रहिए।
Kuch bhi kaho uksane ka faida hero ko mil gaya. Ab juta dhundna chalu :D:
Superb update
 
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पाँचवा भाग

रस्म खत्म हो जाने के बाद जब भैया जूता पहनने के लिए आए तो जूता उस जगह पर नहीं था जहां पर उसे रखा गया था। मैंने अपने दोस्तों से भी पूछा, लेकिन वो लोग भी नहीं बता पाए कि आखिर जूता कहाँ हैं और ये जूता ग़ायब कैसे हुआ ? तभी वहां पर भैया की कुछ सालियाँ भी आ गई जिन्होंने जूता चुराया था और जूते देने की बदले में भैया से रीति-रिवाज के अनुसार पैसे मांगे।

उन लड़कियों में दीपा भी शामिल थी। यह देखकर मैं समझ गया था कि जूते का अपहरण हुआ है और अपहरणकर्ता को फिरौती में बिना पैसे दिये जूता वापस नहीं मिलेगा।

दीपा ने मेरी तरफ देख कर फिर से अंगूठे से लूजर होने की इशारा किया मगर इस बार उसके अंगूठे वाले इशारे के बदले में मैंने उसे 2-3 फ्लाइंग किस (Kiss) दे मारी।

इस पर वह शर्मा कर बोली, " चल हट "

“ यह लीजिए पैसा और मेरा जूता वापस कीजिए”

भैया ने अपनी सबसे छोटी साली को 2000 की एक नोट हाथ में देते हुए बोले।

“नहीं!... हम ₹20 हजार से ₹1 भी कम होने पर जूते वापस नहीं करेंगे” भैया की सबसे छोटी साली ने जबाब दिया।

“ भैया इतना से ज्यादा मत देना। हम 20 हजार रु से कम में ही बहुत अच्छा जूता खरीद लेगें।” मैंने दोस्तों के साथ थोड़ी ऊँची आवाज़ में बोला।

इसके बाद किसी ने जोरदार सीटी बजाई और मेरे सभी दोस्तों ने एक साथ बोला “ निशांत सही बोल रहा हैं भैया , उतने में हम नये जूते ही खरीद लेंगे ”

" आप लोग जीजा-साली के बातों के बीच मत पड़िये, हम खुद ही समझ लेंगे अपने कंजूस जीजा जी से”

भैया की दूसरी साली ने मजाकिया लहजे में बोली।

मोहतरमा साली जी वो पहले मेरे भैया हैं उसके बाद ही आपके जीजा हैं , इसलिए पहले मेरा बोलने का अधिकार है मेरी प्यारी क्यूटी साली जी”

मेरे बोलने के बाद वहां पर उपस्थित मेरे सभी दोस्त खिलखिला कर हंस पड़े।

“तो फिर आपके भैया जी के जूता नहीं मिलेंगे। आप उन्हें बोलिए बिना जूते के ही चले जाएं” इस बार दीपा भैया की सालियों की तरफ से बोली थी।

“कोई बात नहीं हम भैया के लिए एक बढ़िया सा जूता खरीद लेंगे, आप ही रखिए वो पुराने जूते” मेरे ने दोस्त कहा।

इस तरह से कुछ देर मजाकिया नोकझोंक चलने के बाद भैया ने अपनी साली की बात मानकर 2-2 हजार के 10 नोट उनके हाथों में रख दिये। उसके बाद वे खुशी-खुशी भैया के जूता लाकर दे दिये।

दो घंटे बाद लड़की विदाई की रस्म हो रही थी। लड़की की ओर से आये सभी मेहमानो और दोस्तों की आँखे नम थी। मैंने दीपा की आंखो में झांका उसकी आंखे भी नम हो चुकी थी। आंखे से निकले पानी के कुछ बूंदे उसके गालों से फिसल रहे थे।

खैर कुछ देर बाद ही लड़की की बिदाई हुई। विदाई के बाद सभी रिश्तेदार अपने-अपने घर लौट गये और हम लोग भाभी को लेकर अपने घर लौट चुके थे। घर आने के बाद मैं दीपा को बहुत मिस कर रहा था। 2 दिनों में ही मैं दीपा के काफी नजदीक आ गया था। हां ये अलग बात थी कि वह सिर्फ मुझे चिढ़ाने के लिए मेरे पास आती थी।

अगर मैं सच कहूँ तो उसका मुझसे बात करना ही मेरे लिए काफी था। वो चाहे चिढाने के लिए हो या फिर किसी और चीजों के लिए हो ।

भैया के विवाह के पूरे 4 दिनों बाद मैं कॉलेज गया था । भैया के रिसेप्शन में बजी गाने की धुन अभी तक मेरे कानों से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाई थी।

कॉलेज आते ही मेरी नजर दीपा पर पड़ी वह मेरी तरफ ही आ रही थी ।

“ hello छोटे ” उसने इस बार भी मजाकिया लहजे में ही बात की थी।

“अरे यार मैं कितनी बार तुम्हें बोल चुका हूं, मुझे छोटे कह कर मत बोला करो” मैं दीपा से बोला ।

भैया के शादी-रिशेप्सन के कारण हम दोनों एक साथ अच्छा खासा समय बिता चुके थे । अब हम दोनों के बीच दोस्ती वाली बॉन्डिंग बन चुकी थी।

“ वैसे दीपा आज बहुत हॉट लग रही हो” मैंने कहा ।

“मैं पहले कौन-सी कोल्ड (cold) लगती थी ?” उसने थोड़ा इतराने वाले लहजे में बोला।

सच कहूं तो दीपा की बातें शत प्रतिशत सही थी ।
उसके होंठ, उसकी आंखें और चिकने गाल किसी फिल्मी हीरोइन से थोड़ा भी कम नहीं थे।

“ वैसे आजकल तू भी बड़ा सजीला और हैंडसम दिख रहा है, ऐसा तो नहीं भाभी के हाथों से बने खाने खा-खा के हैंडसम होते जा रहे हो” उसने फिर से मजाकिया लहजे में कहा।

भाभी तो आजकल भैया में ही बिजी रह रही हैं, चाहो तो तुम चल सकती हो मेरे घर मेरे लिए......

अरे मैं खाना बनाने की बात कर रहा हूं” इस बार मैं भी अपनी तरफ से उसे बोल्ड आउट करने के लिए गेंद फेंक चुका था

इस बार दीपा पहली दफ़ा शर्मायी थी । मेरी बातें सुनकर शर्माती हुई बोली - "अच्छा ! "

“वैसे आज तुम्हारा बॉयफ्रेंड तुम्हें कॉलेज छोड़ने आया है या नहीं ? ” मैंने इधर-उधर देखते हुए बोला ।

“क्या ? ” वह एकदम से चौंक कर बोली ।

“मैं उसी का बात कर रहा हूं जो बाइक (Bike) से तुम्हें सुबह-शाम कॉलेज छोड़ने और लेने आता है ।” मैंने ऐसे बोला जैसे उस वक्त उसकी चोरी पकड़ ली गयी हो । और साथ ही मैं अपनी आँखों के भौहों को ऊपर नीचे करता रहा ।

" अरे ....... तुम्हारा दिमाग तो खराब नही है ? ... वह मेरे बड़े भैया हैं" वह मेरे कंधो पर प्यार से मारती हुई बोली ।

“सच!” मैं बहुत खुश होते हुए पुछा ।

“ हां , वो मेरे बड़े भैया हैं ।” वह अपने चेहरे पर क्यूटनेस लाती हुई बोली ।

उस वक्त जब मुझे यह मालूम पड़ा कि वह आदमी दीपा की बॉयफ्रेंड नहीं है बल्कि उसके बड़े भैया हैं तब मेरी खुशी का कोई ठिकाना ना रहा । मेरी खुशी आसमान छू रही थी ।

उस दिन के बाद हम दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था । कॉलेज में जैसे ही ब्रेक मिलता हम दोनों कैंटीन में जाकर बातचीत शुरू कर देते थे ।



साथ बने रहिए।
Ab inke bich ki bate chalu ho hi gai.
Nice update
 
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छठवाँ भाग

उस दिन के बाद हम दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था । कॉलेज में जैसे ही ब्रेक मिलता हम दोनों कैंटीन में जाकर बातचीत शुरू कर देते थे ।

कुछ ही दिनों में हम दोनों एक-दूसरे को अच्छी तरह से समझ लिए थे । अब हमारी बातें फोन पर भी घंटो घण्टों तक होने लगी थी ।

मैं कई दिनों से यह सोच रहा था यार दीपा को प्रपोज कर दूं लेकिन साला यह अपना फट्टू दिल हिम्मत ही नहीं कर पा रहा था । कई बार तो मैं उसे कॉलेज के गार्डन या रेस्टोरेंट में सिर्फ प्रपोज करने के लिए ही लेकर जाता था । मगर फिर भी प्रपोज करने में नाकामयाब रहता था ।

एक दिन हम रात के 2:00 बजे तक व्हाट्सएप पर मैसेज द्वारा बात-चीत कर रहे थे । उस रात हम दोनों ने बहुत सारी बातें की। इस दौरान मैंने दीपा से कहा।

सुनों न। मुझे तुमसे कुछ कहना है।

हाँ कहो। दीपा ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा।

वो मैं कहना चाहता था कि..... तुम कल कॉलेज आ रही हो। मैंने किसी तरह बात बदलते हुए कहा।

बस यही कहना था तुमको। दीपा ने कहा।

मैंने उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया बस मैन इनडाइरेक्ट तरीके से उसे अपने प्यार का एहसास करने के लिए एक मैसेज भेज दिया।

कोई तुम्हें बहुत पसंद करता है दीपा। मैंने ये मैसेज भेज दिया। जिसका मतलब दीपा ने बखूबी समझ लिया था कि मैंने अपने प्यार को छुपा लिया है।

मैं डर रहा था कहीं दीपा मेरे प्यार को ठुकरा ना दे ।

वो अक्सर मुझे एक दोस्त की तरह ही देखती थी जिसके कारण मुझे अब और अधिक डर लगने लगा था, कही वो अब दोस्ती ही ना तोड़ दे । मैं 5 मिनट बाद हिम्मत करके अपने मोबाइल का डाटा चालू किया

डाटा ऑन करने के बाद मैंने व्हाट्सएप के नोटिफिकेशन का इंतजार किया मगर अगले 30 सेकंड तक एक भी नोटिफिकेशन नहीं आया । मैं व्हाट्सएप को ओपेन (Open) किया और अपने सेंड मैसेज को देखा । मैसेज पढ़ लिया गया था मैसेज के आगे डबल नीले रंग की दो टीक-मार्क लग चुकी थी ।
प्रपोज करते समय मैं उसके जवाब से डर रहा था और अब उसके जवाब ना आने से मैं डर गया था ।

उसकी रिप्लाई ना आना मैं खुद का रिजेक्शन समझ चुका था । यही कारण था कि मेरे आंखों से आंसू की धार निकल पड़ी थी । आंसू मेरे आंखों से निकल कर गालों से होते हुए तकिए पर गिर रहा था । उसी बीच मैंने दीपा को कई बार कॉल भी किया मगर उसने मेरे फोन का भी कोई उत्तर नही दिया फिर मैंने उसके व्हाट्सएप पर सौ से अधिक बार माफी मांगी । मगर उसने किसी मैसेज का रिप्लाई नहीं किया।

इस तरह से उस रात में बिल्कुल भी नहीं सो पाया था । पूरी रात परेशान रहा और मेरी आँखों से नींद कही खो गयी थी।

जब मैं अगले दिन कॉलेज गया तो वह मुझसे नाराज जैसी दिख रही थी । वह मुझसे दूर-दूर रह रही थी । एक बार जब वह सीढियों से चलकर अपने क्लास रूम की ओर जा रही थी तब मैं उसके हाथ को पकड़ कर कोरिडोर के एक कोने की तरफ ले गया ।

“ दीपा क्या तुम मुझसे सच में नाराज हो ?” मैंने उसके आंखों में झांक कर कहा ।

“ हां ” उसने सिर्फ अपना सर हिला कर जवाब दी।

“ ओके... मुझे माफ कर दो । अगली बार से ऐसी गलती नहीं होगी ।” मैंने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा।

“मैं माफ क्यों करूं ? तुमने मेरा सपना तोड़ा हैं ।
इतनी आसानी से कैसे माफ कर दूंगी?” उसने मुंह बनाती हुई बोली।

“ सपना .....कैसा सपना?” मैं आश्चर्य चकित होकर बोला।

“मेरा एक सपना था कि जो भी मुझसे प्यार करेगा वह अपने हाथों में गुलाब का फूल लेकर अपने घुटने पर बैठकर मुझे प्रपोज करेगा। मगर तूने तो व्हाट्सएप पर इंडिरेक्टक़ली प्रपोज करके मेरा सपना ही तोड़ दिया।” दीपा इस बार लगभग मुस्कुराती हुई बोली थी।

“क्या...?” मैंने अपना कंधा उचकाते हुए बोला।

मैं कुछ और बोलता उससे पहले ही वह अपने होंठ मेरे होंठ के पास लाकर बोली - " आई लव यू निशांत "

मैं यह सुनकर खुशी से झूम उठा और चिल्लाकर बोला।

आई लव यू टू दीपा।

उसके बाद वह अपने होठ मेरे होठों पर रख दी। वह तो थी मात्र 2 से 3 सेकंड की किस (kiss) , मगर उतने में ही मेरे सारे रोंगटे खड़े हो गए थे।

वह मुझसे दूर खड़ी हुई और बोली- " मुझे उम्मीद नहीं थी कि तुम इतने भी फट्टू हो"

फिर मुस्कुरा कर अपनी क्लास रूम की तरफ चली गयी ।

इसके बाद हम लोग अपने-अपने क्लास रूम में चले गए। उस दिन के बाद हमारा प्यार चरम सीमा पर था। अक्सर कॉलेज में हम लोग साथ-साथ देखे जा सकते थे। जब वह अपने क्लास रूम में होती थी तभी सिर्फ अकेली होती थी वरना कॉलेज के पूरे टाइम हम दोनो साथ में बिताते थे।

कुछ दिन बाद से ही हमारी जोड़ी के चर्चे कॉलेज के ग्रुपों में होने लगा मगर मुझे इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता था ।

हम दोनों अपनी ही दुनिया में मस्त रहते थे। एक दिन मैं कॉलेज के ब्रेक टाइम में असाइनमेंट प्रोजेक्ट के लिए ज्योग्राफी टीचर के केविन में गया हुआ था। जिसके कारण दीपा कॉलेज के कैंटीन में अकेली बैठी थी।

मैं अपने असाइनमेंट प्रोजेक्ट से संबंधित बातचीत करने के बाद जब मैं उस टीचर के केबिन से वापस आ रहा था तो कॉरीडोर के पास मुझे 2 -3 लड़को ने रोका।

“ निशांत मुझे तुमसे कुछ बातें करना है ” उन लड़कों में से एक बोला।

उस लड़के की हाइट (Hight) मेरी हाइट से थोड़ी कम थी, मगर वह मुझसे अधिक गोरा था। उसकी दाढ़ी स्टाइल बिल्कुल अमिताभ बच्चन से मिलती थी मगर हेयर स्टाइल मिथुन दा से मिलता था ।

हां बोलो क्या बात करना है ?”मैंने बोला।

“मैं तुम्हें कई दिनों से नोटिस कर रहा हूं। तुम हमारे क्लास की लड़कियों से कुछ ज्यादा ही चिपके चिपके रह रहे हो” उनमें से दूसरा लड़का बोला।

वह तेवर कुछ ज्यादा ही दिखा रहा था, वह अकड़ कर बोला था ।

“ हां .. तो इसमें तुम्हें क्या प्रॉब्लम है?” मैंने कहा।

“दिक्कत नहीं बेटा, बल्कि बहुत दिक्कत है। क्योंकि तुम जिस लड़की से चिपक-चिपक के घूम रहे हो उसे मैं पसंद करता हूं” उसने अपने हाथ को मेरे कंधे पर रखते हुए बोला।

“तब तो दिक्कत मुझे होना चाहिए बेटे,... क्योंकि मैं उससे प्यार करता हूं।” मैंने उसके हाथों को अपने कंधे से हटाते हुए बोला।

“साले वह मेरी क्लास की बंदी है, आज के बाद उसके अगल-बगल भी दिखा तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा” एक दूसरे लड़के ने बोला।

“ तुम लोग मेरी दो बाते अच्छी तरह से समझ लो। पहली की तुम लोग तमीज से बात करो और दूसरी कि वह तुम्हारी क्लास की बंदी है ना कि तुम्हारे बाप का जागीर” मैं इस बार अपनी उंगली दिखाते हुए गुस्से में बोला था।

इसके बाद वे लोग कुछ बोलते कि उससे पहले ही वहां पर कुछ लड़कियां आ गई थी जिसके कारण वे लोग वहां से चले गए और मैं कैंटीन की तरफ चला गया।

“ निशांत इतना टाइम कहां लगा दिया? अब तो ब्रेक भी खत्म होने वाला है” दीपा मुझे कैंटीन पहुंचते ही बोली।

“हां थोड़ा अधिक टाइम लग गया” यह बोलता हुआ मैं उसके बगल की कुर्सी पर बैठ गया।

“ ठीक है, मैं कॉफी मंगाती हूं” दीपा शॉप की तरफ देखती हुई बोली।

“नहीं... मत मंगाओ। आज मेरा कॉफी पीने का मूँड़ बिलकुल भी नहीं है।” मैंने बोला।

“क्यों? क्या हुआ?” दीपा बोली।



साथ बने रहिए।
Indirectly hi sahi hero ne prapose to kar diya par heroine to aur tez nikli.
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सातवाँ भाग

क्यों? क्या हुआ?” दीपा बोली।

बस ऐसे ही ” मैं थोड़ी धीमी आवाज में बोला।

“ फिर भी क्या हुआ? ऐसा क्यों बोल रहे हो ? ” उसने दोबारा पूछा।

“ वैसे तुम्हारे क्लास में एक अमिताभ बच्चन जैसी दाढ़ी रखा कोई लड़का है ?” मैंने पूछा।

“हां .....हां.....उसका नाम देवांशु है। वह बहुत अच्छा लड़का है ।” दीपा खुश होती हुई बोली।

दीपा द्वारा उस लड़के के बारे में इतना खुश होते हुए, उसे अच्छा बताना मुझे रास नहीं आया। मैं कुछ देर तक चुप रहा।

“ वैसे तुम उस देवांशु के बारे में क्यों पूछ रहे हो? क्या बात है?” दीपा बोली।

इस बार भी मैंने दीपा के बातों का कोई जवाब नहीं दिया।

“ क्या हुआ ?” उसने एक बार फिर से पूछा।

“देवांशु वाकई में बहुत अच्छा लड़का है। आज से हम दोनों दोस्त बन गए हैं” मैंने दीपा से झूठ बोला।

मैं चाहता तो उस वक्त दीपा को देवांशु के बारे में पूरी सच्चाई बता सकता था लेकिन दीपा की उसके बारे में इतनी सकारात्मक सोच देख इस समय उसके बारे में कुछ बताना उचित नहीं समझा ।

उस घटना को बीते लगभग एक सप्ताह हो चुके थे मगर उस दिन के बाद फिर कभी देवांशु मुझसे नहीं मिला था और इतने दिनों में मैं भी उसकी बातों को कब का ही भूल चुका था।

अब बस मेरे दिलो-दिमाग में सिर्फ दीपा ही थी । उसके बिना जीने की कल्पना करना भी मेरे लिए अब असहनीय हो गया था।

एक दिन कॉलेज का भोजनावकाश हो चुका था सभी छात्र-छात्राएँ कैंटीन में बैठे चुहलबाज़ी कर रहे थे। आकाश में बादल छाये हुये थे। जिसके कारण सूरज बादलों में कहीं खो सा गया था। ठंडी हवाएं बह रही थी जो लोगों को और भी रोमांचित कर रहा था।

इस बरसात वाले मौसम को लोग गर्म चाय की चुस्की के साथ बेहतरीन महसूस कर रहे थे। मैं और दीपा कैंटीन में ना होकर कॉलेज के गार्डन में बैठे थे।

मेरे अलावा वहां पर कॉलेज के कुछ और लड़के-लड़कियां बैठे थे। उनमे से अधिकांश लोग अपने बॉयफ्रेंड के साथ ही थे। हम सभी इस ठंडी हवा का मज़ा ले रहे थे। मैं और दीपा एक झाड़ीनुमा पेड़ के पास बैठे थे।

मेरा सर दीपा के गोद में था और चेहरा उसके चेहरे के सामने। हम लोग पिछले एक घंटे से वही उसी तरह से बैठकर बातें कर रहे थे।

“ दीपा मैं इसी तरह सारी उम्र तुम्हारे साथ ही बिताना चाहता हूं।” मैं उसके बालों के बीच हाथों की उंगली को फंसाते हुए बोला।

“ तो फिर मना किसने किया है, मैं भी तो जिंदगी का हर पल तुम्हारे साथ गुजारना चाहती हूं” वह अपने सर को आगे की तरफ झुकाते हुए बोली।

अब उसके होंठ और मेरे होंठ के बीच की दूरी मात्र कुछ ही इंच रह गई थी। फिर उसने आंखें बंद की और अपने होंठ मेरे होंठों के पास ले आई।

उसके बाद मैं उसकी गोद से अपना सर हटा कर उसके सीधे और सामने बैठ गया। वह एक टक मेरे चेहरे को देखती जा रही थी। मैं उसकी आंखों में उसके प्यार की गहराई देख रहा था। मैं उसके नजदीक गया और अपने हाथ की उंगलियों से उसके बालों से खेलते हुए अपना हाथ उसके सर के पीछे टिका दिया और अपने होंठ को उसके होंठ से सटा दिया ।

उस वक्त उसके दिल की धड़कन मेरे कानों में साफ-साफ पड़ रही थी। हम दोनों एक दूसरे को चुमते जा रहे थे। इसी तरह चुमते रहने के कुछ मिनट बाद अचानक से बारिश के बूंदे पड़ने लगी। तभी हमारा ध्यान टूटा। तब तक हम दोनों उस बारिश में पूरी तरह से भींग चुके थे।

मैंने गार्डन में चारों तरफ देखा वहां पर बैठे सभी लोग क्लासरूम के तरफ चले गए थे। मगर हम दोनों वही बारिश में ही भींग रहे थे। भीगे हुए कपड़ों में दीपा बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी। मैंने उसे देखा फिर उसके हाथों को पकड़ कर अपनी ओर खींचा और अपना दाया हाथ उसकी कमर पर रखकर फिर से एक-दुसरे से चिपक गए। और फिर हम दोनों एक दूसरे को कई मिनटों तक चुमते रहे।

अब दीपा और मेरी दोस्ती के बारे में मेरे घरवाले भी जान चुके थे। दीपा कई बार मेरे साथ मेरे घर आ चुकी थी। वैसे दीपा को मेरे घर में आने-जाने से किसी को कोई दिक्कत ना थी क्योंकि मेरी भाभी दीपा की ही सहेली की बहन थी। और दीपा को शादी के समय से ही सभी लोग पहचानते थे।

दीपा जब भी मेरे घर जाती थी तो दो-तीन घंटे रुकने के बाद वापस अपने घर चली जाती थी।

जब दीपा मेरे घर में होती थी तब मैं, भाभी और दीपा मिलकर बहुत सारी मस्तियां करते थे। एक दिन कॉलेज खत्म होने के बाद दीपा को लेकर मैं अपने घर आया उस दिन मेरी सुजाता मौसी भी मेरे घर पर आई हुई थी। उस दिन दीपा और भाभी मिलकर हम सभी के लिए समोसे बना रही थी ।

“आदिती दीदी आपको नहीं लगता आप समोसे में ज्यादा मिर्च डाल रही हैं?” दीपा समोसे बनाते समय मेरी भाभी से बोली।

मेरी भाभी दीपा की सहेली की बहन थी इसलिए मेरी भाभी को दीपा दीदी ही बोला करती थी।

“अरे नहीं दीपू, इतना मिर्च सही है” भाभी बोली

मुझे लगता है आपके घर में सभी लोग ज्यादा तीखा ही पसंद करते हैं” दीपा थोड़ा मजाकिया लहजे में बोली।

“शायद!” भाभी समोसे को कड़ाही से बाहर निकालती हुई बोली।

“दीदी आप लोग तीखा कितना भी खा लो मगर आप और आपकी फैमिली काफी स्वीट है।” शायद इस बार उसकी शब्दों का इशारा मेरी तरफ था।

“ओहो ..... शुक्रिया ! " भाभी मुस्कुराती हुई बोली।

इधर किचन में दीपा और भाभी मिलकर समोसे बना रहीं थी और दूसरे कमरे में सुजाता मौसी और मेरी मां बैठकर बातचीत कर रहीं थीं।

" विमला तुम्हे नहीं लगता है ! यह लड़की आजकल कुछ ज्यादा ही तुम्हारे घर आ - जा रही है?

" सुजाता मौसी मेरी मां से बोली।

" कौन लड़की?" मां अपने दिमाग पर जोर डालती हुई बोली।

" अरे वो ही जो हमेशा निशांत के आगे पीछे घूमती रहती है।" सुजाता मौसी थोड़ा झुंझुआकर बोली।

" अच्छा अब मैं समझी, आप किसकी बात कर रहीं हैं।

दीदी आप दीपा की बात कह रही है ना?" मां खुश होते हुए बोली।



साथ बने रहिए।
Waah bhai ghar aana jana bhi shuru ho gaya.
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आठवाँ भाग

अरे हां मैं उसी की बात कर रही हूं। मुझे तो उसका रहन-सहन बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता है। पता नहीं कैसी लड़की है?"

सुजाता मौसी कटुता भरे स्वर में बोली।

"दीदी आप उसके बारे में गलत सोच रही है।
दीपा बहुत अच्छी लड़की है और आपको पता है ना ! वह अपनी बहू के बहन की दोस्त है ।"

माँ सुजाता मौसी को समझाती हुई बोली।

" हूं...! " मौसी मुंह बनाकर दूसरी तरफ अपना चेहरा करके बैठ गई।

उस वक्त कमरे में कुछ पल तक भयानक खामोशी पसर गई । सब कुछ खामोश था। कमरे के दरवाजे , टेबल पर रखा गुलदस्ता , दीवार पर टंगी तस्वीरें और अलमारी में सजी मोटी-मोटी किताबें और ये सभी मौसी के खडूस चेहरे को निहार रहें थे।

तभी कमरे का दरवाजे धीरे से खुलने की आवाज आई और उसके साथ ही कमरे में दीपा आते हुए बोली, "

समोसा, गरमा - गरम । मौसी और आंटी आप दोनों जल्द से जल्द हाथ मुंह धो कर आइए मैं समोसा बनाकर ले आई हूं"

" बेटी आप लोग समोसे खा लो । हम दोनों बाद में समोंसे खा लेंगे" मेरी मां दीपा से बोली।

" नहीं आंटी हम सब एक ही साथ समोसे खाएंगे। वैसे भी अगर आप लोग अभी नहीं खाएंगे तब समोसे ठंडे पड़ जाएगे" दीपा बोली

मां कुछ बोलती इससे पहले ही कमरे में मैं और आदिति भाभी आ गए।

" निशांत और आदिती दी देखिए ना मौसी और आंटी समोसे खाने को तैयार नहीं है । हम लोगों ने कितने प्यार से बनाए हैं।" दीपा हम लोगों के कमरे में प्रवेश करते ही बच्चों जैसे बोल पड़ी।

" क्यों माँ जी ! आप क्यों समोसे नहीं खाएंगे ?" आदिती भाभी बोली।

" अरे यह लड़की भी ना ! ..... थोड़े से ही में पूरे घर को सर पर उठा लेती है" मां दीपा को देख कर बोली । हम सभी मुस्कुराने लगे।

कुछ देर बाद हम सभी समोसे और आम के चटनी पर धावा बोल चुके थे। दीपा , अदिति भाभी, सुजाता मौसी , माँ और मै सभी एक साथ बैठ कर समोसे खा रहे थे। सब लोग एक के बाद दूसरा समोसा उठाने में बिल्कुल भी समय नही लगा रहे थे।

"वाह ! वाकई में समोसा बहुत स्वादिष्ट बना है।" मां बोली।

" यह सब दीपा के हाथों का जादू है माँ जी ।'' भाभी दीपा को देखती हुई मुस्कुरा कर बोली।

" नहीं ... नहीं आंटी , यह सब आदिति दी का ही कमाल है।" दीपा बोली ।

" . ना दीपा और ना आदिती भाभी , माँ यह सब मेरे हाथों के कमाल है।" मैंने भाभी की तरफ देख कर मजाक से बोला । सभी लोगों ने मेरी तरफ देखा और सब खिलखिला कर हंस पड़े।

अभी सब लोगों की हंसी भी ना रूकी थी कि सुजाता मौसी बोली, " हूं..यह कोई समोसा है ! लगता है घी में नहीं बल्कि सिर्फ तवे पर घिसकर पका दिया गया है। इससे ज्यादा अच्छा समोसा तो मेरी शिल्पा बनाती है , एकदम से कुरकुरे।"

सुजाता मौसी की यह कड़वाहट भरे शब्द पूरे कमरे में फैल गया और फिर से एक बार पूरा कमरा खामोश हो गया।

दिल तो कई बार किया था कि मौसी को बोल दूं , " मेरे घर में बार-बार ये अपनी शिल्पा को मत लाया करो , वह किसी सम्राट की महारानी बिटिया नहीं है जिसका बार-बार गुणगान करती फिरती हो और वह थोड़े ना कोई जादू की छड़ी है, जो हर काम में परफेक्ट हो।
जब देखो, जहां देखो,शिल्पा - शिल्पा करती रहती हो।''

मगर मैं आज तक मौसी को यह सब नहीं बोल पाया था । मैं उस वक्त कुछ बोलता उससे पहले ही भाभी चुपचाप उस कमरे से निकलकर किचन के तरफ चली गई और साथ ही उसके पीछे -पीछे दीपा भी चली गई।

" देखती हो बहना तुम्हारी बहू गुस्से से कैसे निकली ?

मैंने उसे अभी क्या बोला ? कुछ तो नहीं बोला।" सुजाता मौसी मेरी मां को देख कर बोली।

" अरे ... वो ...।"

" मैं जानती हूं विमला तुम्हें अपनी बहू में कोई दिक्कत नहीं दिखेगी ।

अभी तुम यही बोलोगी कि बहू गुस्से से बाहर नहीं गई थी।" सुजाता मौसी मेरी मां की बातों को बीच में ही काटती हुई बोली ।

शाम के 7:15 बज चुके थे और दीपा अपने घर जाने के लिए दीदी से जिद कर रही थी।

आदिती दी, मैं घर चली जाऊंगी ना ! प्लीज जाने दीजिए घर पर भैया इंतजार कर रहे होंगे।" दीपा बोली।

" दीपा देखो , अंधेरा होने वाला है इतनी शाम को जाना अच्छी बात नहीं है । सुबह चले जाना। " आदिती भाभी बोलीं।

"घर पर भैया परेशान हो रहे होंगे। मेरे घर में उनके लिए कोई खाना बनाने वाली भी तो नहीं है। मुझे घर जाना ही होगा दी ( दीदी)। " दीपा बोली।

'' निशांत इसे अब आप ही समझाओ कि आज रात यहीं रुक जाये | कल सुबह चली जायेगी।" आदिती भाभी मुझे देखते हुए बोली।

" दीपा प्लीज रूक जाओ । सब लोग रूकने को बोल रहे हैं। सुबह यही से साथ कॉलेज चले जाएंगे" में बोला I

मेरे बोलने के कुछ सेकंड बाद ही अर्जुन भैया ऑफिस से वापस आ गए ।

"भाई किसे रोका जा रहा है ? मुझे भी तो कोई रोको।" भैया आते ही मजाकिया लहजे में बोले।

" जीजा जी
नमस्ते।" दीपा अर्जुन भैया से बोली।



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नौवाँ भाग

अच्छा आप हैं! क्यों जी इतनी जल्दी क्यों जाना चाह रही हैं ? थोड़ा मेरे तरफ से भी रुक जाइए।" अर्जुन भैया बोले।

उस दिन भैया की बात से पता चल रहा था कि उस दिन भैया काफी अच्छे मूड में थे।

मैंने दीपा को अपनी आंखों से रुक जाने की इशारा किया। मगर उसने अपनी जुबांन ( जीभ) बाहर निकाल कर आंखों को तिरेरते हुए मुझे चुप रहने का इशारा कर दिया।

ये इशारेबाजी भैया ने देख ली और मुस्कुराने लगे।
" आप दोनों क्या गुटरगू करने में लगे हो?" भैया अपनी टाइ खोलते हुए हम दोनों से बोले।

" कुछ नहीं जीजा जी ! बस सोच रही थी आज अगर घर नहीं गई तो भैया गुस्सा करेंगे। " दीपा ने घबराकर भैया की ओर देखते हुए जवाब दिया।

" रुको मैं तुम्हारे भैया से बात करती हूं" आदिति भाभी इतना बोल कर अपने फोन से नंबर डायल करने लगी दीपा ने रोकने की कोशिश की, लेकिन तब तक फ़ोन उठ चुका था।

" हेल्लो ! मै आदिति बोल रही हूं"

"हां बोलो आदिति" दीपा के भैया आशीष ने कहा।

" भैया मैं दीपा को आज अपने घर रुकने को बोल रही हूं तो वह नहीं मान रही है । और वापस घर जाने की जिद कर रही है। आप बोलिए ना दीपा को कि आज यहीं रुक जाए" अदिति भाभी बोली l


जरा मेरी दीपा से बात कराओ। मैं उसे बोल देता हूं कि तुम रात में वहीं रुक जाओ। वैसे भी वह अनजान के घर थोड़े ना रुक रही है। अरे वह तो तुम्हारे घर में रुक रही है तो मुझे चिंता किस बात की होगी।" दीपा के भैया आशीष ने कहा।

अदिति भाभी ने फोन दीपा को थमा दिया। दीपा अपने भैया से बात करने के बाद मेरे घर पर ही रुक गई।

दीपा का मेरे घर पर रूकने से सब लोग काफी खुश थे । खाश कर मैं l मैं तो उस दिन कुछ ज्यादा ही खुश था।

सभी लोग रात के डिनर करने के बाद अपने-अपने कमरे में सोने चले गये। माँ के बगल के कमरे में दीपा सो रही थी जबकि मैं दूसरी मंजिल के सबसे शानदार कमरे में मैं सो रहा था।

रात को 11:00 बज रहे थे मगर मेरी आंखों से नींद गायब हो चुकी थी और उधर दीपा भी अपने कमरे में करवटें बदल रही थी।

सच ही कहा है किसी ने कि अगर प्यार सच्चा हो और महबूब आस-पास ही हो तो ये जुदाई किसी सितम से कम नही है।

हम दोनों अलग-अलग कमरे में जरूर थे मगर हम दोनों व्हाट्सएप वीडियो कॉल से एक दूसरे के पास ही मौजूद थे। लेकिन इसमें वो मज़ा कहाँ जो एक दूसरे से मिल कर बात करने में है।

" यार नींद बिल्कुल ही ना आ रही है। क्या करूँ?" मै बोला।

" अभी सोने का टाइम कहां हुआ है छोटे! " दीपा हंसती हुई बोली।

" दीपा तुम्हें तो हर समय मज़ाक ही सूझता है। हर समय मस्ती के मूड में रहती हो। सच में नींद नहीं आ रही है यार, ऐसा करो तुम भी छ्त पर ही आ जाओ । एक साथ बैठ कर कुछ बातें करते हैं । " मैनें कहा ।

तुम न पागल हो गए हो, तुम्हारा दिमाग खिसक गया
है। अगर मैं वहां आई और इतनी रात को अगर हम दोनो को एक साथ आदिती दी (दीदी) या कोई और देख लेगा तब बवाल हो जायेगा।" दीपा मुझे समझाती हुई बोली।

" अरे तुम भी ना खाम-खा डर रही हो। अब तक तो सारे लोग सो चुके होगे" मैंने कहा ।

नहीं मैं नहीं आऊंगी, मैं ये खतरा मोल नहीं ले सकती।
तुम्हारा क्या है। तुम तो मर्द हो कोई कुछ नहीं कहेगा, लेकिन मेरा सोचो। में तो बदनाम हो जाऊंगी। और अगर ये बात भैया को पता चल गई। तो मैं उन्हें क्या जवाब दूंगी। दीपा ने कहा।

अरे यार। तुम न डरती बहुत हो। अरे यार जब प्यार किया तो डरना क्या। मैं सेखी बघारते हुए बोला।

अच्छा छोटे। अब याद आ रहा है "जब प्यार किया तो डरना क्या" वो दिन भूल गए जब मुझसे प्यार का इज़हार करने में तुम्हारी बोलती बंद हो गई थी और आखिर में मजबूरन मुझे प्यार का इज़हार करना पड़ा था। दीपा ने कहा।

क्या यार दीपा। अब उस बात को लेकर कब तक मुझे छेड़ती रहोगी। अरे कुछ समझा करो उस समय मैं नासमझ बच्चा था। मैं मजाकिया लहजे में बोला।

अरे वाह इतना बड़ा और नासमझ बच्चा पहली बार देख रही हूँ। दीपा ने कहा।

अच्छा अब ये सब बातें छोड़ो और छत पर आ जाओ। वहीं बैठकर बात करते हैं। मैंने कहा।

तुम फिर से ज़िद कर रहे हो। किसी ने देख लिया मुझे आते हुए तो क्या जवाब दूंगी उन्हें। विडीयो कॉल से ही सही है बात तो हो रही है न। मैं कोई रिस्क नहीं ले सकती , कहीं कुछ गड़बड़ हो गया तब।दीपा ने अपना डर जाहिर करते हुए कहा।

" अरे कुछ नहीं होगा मेरी भोली-भाली दीपा। आओ तो सही।" मैने मुस्कुराते हुए बोला।

इस बार मेरी बात सुनकर दीपा भी हंस पड़ी।

" ओके ! ठीक है बाबा । चलो मैं छत पर ही आती हूँ।" यह बोलकर कॉल डिस्कनेक्ट कर दी।


साथ बने रहिए।
Chhat par dono jane ki tayari kar rahe hai par kahi koi problem naa aa jaye. Dekhte hai aage kya hota hai.
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दसवाँ भाग


" अरे कुछ नहीं होगा मेरी भोली-भाली दीपा। आओ तो सही।" मैने मुस्कुराते हुए बोला।

इस बार मेरी बात सुनकर दीपा भी हंस पड़ी।

" ओके ! ठीक है बाबा । चलो मैं छत पर ही आती हूँ।" यह बोलकर कॉल डिस्कनेक्ट कर दी।


कुछ मिनट बाद हम दोनों अपने - अपने कमरे से निकल कर घर की सबसे ऊपरी मंजिल यानी कि खुले छत पर बैठे थे । आसमान बिलकुल साफ था , तारे टिमटिमा रहे थे और चांद की कोमल रोशनी पूरे छत पर फैली हुई थी।

चांद की चांदनी में दीपा के गुलाबी गाल और भी गुलाबी लग रहे थे और उसके होंठ इस रोशनी में गुलाब की पंखुड़ियों जैसे लग रहे थे। कुल मिलाकर दीपा इस समय आसमान से उतरी हुई कोई हूर की परी लग रही थी। मैं तो बस दीपा की खूबसूरती में ही खो गया था।

निशांत कहाँ खो गए हो। दीपा ने मुझसे कहा।

परंतु मैं तो उसकी खूबसूरती में खो गया था। दीपा ने क्या कहा मुझे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ा।

कहाँ खो गए निशांत। दीपा ने आगे बढ़कर मुझे झिझोड़ते हुए कहा।

हाँ दीपा कुछ कहा तुमने। मैं हड़बड़ाते हुए बोला।

मैं कब से तुमको आवाज़ दे रही हूँ और तुम पता नहीं किस दुनिया में खोए हुए हो। दीपा ने कहा।

" दीपा मैं जब भी तुम्हारे साथ होता हूं ना , तो मुझे ऐसा लगता है। काश यह पल ऐसे ही थम जाए और मैं हमेशा यूं ही तुम्हारे साथ ही बैठा रहूं।" मैंने उसके कोमल हाथों को छूते हुए कहा।

" मेरे लिए तो तुम्हारे साथ होना ही मेरी जिंदगी है बाकी के तो हर पल तो किसी असहनीय दर्द सा चुभता है ।" दीपा मेरी कंधों पर अपनी सर रखती हुई बोली।

जब हम दोनों अलग-अलग कमरे में थे तो रात ही नहीं कट रही थी लेकिन जब हम दोनों एक साथ थे तब तो उस चांद की रोशनी में बात करते करते समय का कुछ पता ही नहीं चला ।

अचानक से दीपा अपना मोबाइल देखा। सुबह के 3:00 बज चुके थे। दीपा समय देख कर चौकते हुए बोली , " निशांत सुबह के 3:00 बज गए है। अब हम दोनों को अपने अपने कमरे में चलना चाहिए"

यह बोलकर दीपा छ्त से जाने लगी तभी मैंने उसके बाएं हाथ को पकड़ लिया । वह अपने आंखों से इशारा कर पूछी " क्या?"

मैंने दीपा को बिना कोई जवाब दिए उसे अपनी ओर खींच लिया । अब वह मेरे बाहों में थी ।

दीपा शायद मेरे जज्बातों को समझ गई थी। वह अपनी होठ को मेरे होंठ के पास ले आई । फिर हम दोनों एक दूसरे में चिपक गए । उसने अपने मक्खन - जैसे मुलायम होठ मेरे होंठ से चिपका दिया और किश करने लगी।

हम अगले 10 मिनट तक वैसे ही एक दूसरे में लिपटे रहे फिर हम छत से नीचे चले आए। दीपा मेरे कमरे तक आई और मुझे शुभ रात्रि बोलकर नीचे अपने कमरे में चली गई।

अगले दिन सुबह मैं और दीपा कॉलेज चले गये । शाम को कॉलेज खत्म होने के बाद दीपा अपने घर चली गई और मैं कॉलेज से वापस सीधा अपने घर आ गया था|

मैं जैसे ही अपने घर के अंदर गया तो देखा घर में भाभी ,मां ,सुजाता मौसी और अर्जुन भैया सभी लोग एक साथ बरामदे में खड़े हैं। और साथ ही सब लोग काफी परेशान दिख रहे हैं।

उस दिन भैया भी ऑफिस से जल्दी घर आ गए थे। मुझे समझ नहीं आ रहा था उन लोगों को देखकर। आखिर सब लोग इतने परेशान क्यों हैं ?

“क्या हुआ आप लोग परेशान क्यों हैं?” मैंने बोला।

मेरी बातों को सुनकर उनमें से किसी ने कोई जवाब नहीं दिया । मैंने भाभी के कमरे की तरफ देखा तो भाभी अपने बिस्तर पर बैठ कर रो रही थी।

“मां हुआ क्या, मुझे कोई बताएगा भी या सब लोग ऐसे ही उदास रहोगे?” इस बार मैंने थोड़ी तेज आवाज में बोला था।

सुजाता मौसी दूसरे कमरे से निकलती हुई बोली, “अरे मैं पहले ही बोली थी उस लड़की को घर में ज्यादा मत आने-जाने दो। लेकिन तुम लोग मेरी बात कभी सुनते ही कहां हो? अब घर में चोरी हुई तो समझ में आ गया”

“ चोरी?..” मैंने खुद से दोहराते हुए बोला।

“हां, आदिति के गहने चोरी हो गई है। भैया मेरे तरफ देखते हुए बोले।



साथ बने रहिए।
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Mbindas

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बारहवाँ भाग


जो गहने तुमने चुराए हैं उसे“वापस कर दो।” मौसी गुस्से से बोली।

मौसी की बात सुनकर दीपा आश्चर्य चकित रह गई। उसका शक बिलकुल सही था। सुजाती मौसी उसपर ही चोरी का इल्जाम लगा रही हैं।

मौसी, ये क्या बोल रही हैं आप। मैंने कोई गहने नहीं चुराए हैं। दीपा ने नम आँखों से सुजाता मौसी से कहा।

मैं तो पहले ही कह रही थी, कि ये जितनी भोली-भाली दिखती है उतनी है नहीं। देखो कितनी ढीठ हो गई है। एक तो चोरी करती है ऊपर से मुझे आँख दिखाती है। सुजाता मौसी ने कहा।

मैंने कोई चोरी नहीं की है। अरे ये मेरा भी घर है। मैं अदिति दी को अपनी बड़ी बहन मानती हूँ। भला मैं उनके गहनें क्यों चुराऊगी। दीपा एकदम रुआसी होकर बोली।

हाँ तुमने ही बहू के गहने चोरी किए हैं। मैंने खुद तुम्हें बहू के कमरे के पास देखा था। सुजाता मौसी ने अकड़कर कहा।

मैं कब दीदी के कमरे के पास आई और आपने कब मुझे देखा। दीपा इस बार थोड़ा गुस्से में बोली।

कल रात में जब मैं बाथरूम जाने के लिए उठी थी तब। सुजाती मौसी ने कहा।

मौसी आपका कमरा भाभी के कमरे से थोड़ी ही दुरी पर है और वहाँ से भी टॉयलेट जाते समय या वापस आते समय कभी भीआदिती भाभी का कमरा ठीक से दिखायी देता। और तब आपने उस वक्त दीपा को आदिती भाभी के कमरे तरफ से आते देखा था। मौसी की बात पर दीपा ने मौसी से पूछा।

हाँ मैं तो कब से कह रही हूँ कि आदिती बहू के जो गहने चोरी हुए हैं उसे तुमने चुराए हैं। मौसी बोली।

आप यह क्या बके जा रही है ? पहली बात तो मैं कल रात को अदिति के कमरे के पास आई ही नहीं थी। चलो एक बार मान भी लेती हूँ कि मैं रात में अदिति दी के कमरे के पास आई थी तो क्या इसका मतलब ये हुआ कि गहने मैंने चुराए हैं। दीपा भी इस बार गुस्से में बोली।

“बहन अगर तुम मेरे गहने ले गई हो तो प्लीज मुझे वापस कर दो। वो सभी मेरे शादी के मुहूर्त वाले गहने थे।” आदिति भाभी लगभग भीख मांगती हुई दीपा से बोली।

सुजाता मौसी तक तो ठीक था, लेकिन भाभी का उसपर विश्वास न करना और दोषी मान लेना उसे बहुत तकलीफ ले रहा था।

“आदिति दी (दीदी) आप भी......?” दीपा को अपने वाक्य पूरा करने से पहले ही उसकी आंखों से आंसू निकल पड़े। उसकी आँखों से आंसू निकल कर उसके दोनों गालो से लुढ़कर नीचे जमीन पर फैल रहे थे।

उस वक्त दीपा को यह समझ नहीं आ रहा था कि आखिर लोग चोरी का इल्जाम उस पर क्यों लगा रहे हैं ? उसने किसी का क्या बिगाड़ा हैं जो लोग इस तरह से उससे बदले लेने के लिए तुले हुए हैं ।

“दीपा बेटी मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं होगी यदि तुम बहू के सभी गहने वापस कर देती हो।” मेरी मां दीपा से बोली।

दीपा मेरी मां की बात सुनकर और भी फूट फूट कर रोने लगी।

“मां आप दीपा से यह क्या बोल रही हो? आपके पास क्या सबूत है कि गहने दीपा के पास हैं ?” उस वक्त यह वाक्य मैंने थोड़ी तेज आवाज में बोला था जिसके कारण सभी लोग मेरी तरफ देखने लगे थे।

“निशांत इस घर का कोई भी सदस्य अभी तक इस घर से बाहर नहीं निकला है सिवाय दीपा के। मैं दावे के साथ कह सकती हूँ कि दीपा ही आदिती बहू के सारे गहने लेकर भागी है।” सुजाता मौसी बोली ।

“दीपा सुबह मेरे साथ कॉलेज गई थी ना कि वह अपने घर गई थी।” मैंने कहा।

सुजाता मौसी मेरी बातों को सुनकर कोई जवाब नहीं दिया।

“मुझे लगता है इस चोरी की सूचना पुलिस को दे दीजिए। पुलिस खुद ही पकड़ लेगी असली चोर को और ये इस तरह से किसी को बदनाम करने से कहीं ज्यादा बेहतर होगा।” मैं अर्जुन भैया से बोला।

“निशांत तुम ठीक कह रहे हो। हमें चोरी की सूचना पुलिस को दे देनी चाहिए।” अर्जुन भैया बोले।

“नहीं.. इस घर में पुलिस नहीं आ सकती है। इससे हमारी और भी बदनामी होगी। आज तक इस घर में कभी कोई चोरी नहीं हुई है और न हीं कभी इस घर में कोई पुलिस आई है। मैं नही चाहती हूँ कि घर की बात बाहर फैलाया जाये। अगर यह बात लोगों को पता चलेगी कि इस घर में चोरी होने लगी है तो फिर क्या इज्जत रह जाएगी।” मेरी मां बोली ।

“विमला तुम सही बोल रही हो। जब चोर हमारे सामने ही है तो पुलिस की क्या जरूरत है।अगर पुलिस आती भी है और चोर को पकड़ भी लेती है तो पैसे लेकर ऐसे चोर को छोड़ देगी।इससे हमारा कोई फायदा भी ना होगा । इससे अच्छा है कि हम इस वक्त इसे धक्के देकर घर से बाहर निकाल देते हैं और इसके घर जाकर बहू सारे गहने ले आते हैं।” सुजाता मौसी बोली।

यह सुनकर दीपा डर गई कि अगर यह बात उसके भैया को पता चली तो वह उनकी नजरों में गिर जाएगी।

“नहीं-नहीं ऐसी गलती मत करिएगा वरना मेरे भैया को यह सब जानकारी होगी तब वह अपनी जान दे देंगे” दीपा विनती करती हुई बोली।

“अच्छा है तब तो हम ऐसा ही करेंगे ताकि तुम्हारा भाई भी जान ले कि उसकी बहन उसके पीछे क्या-क्या गुल खिला रही है।... मुझे तो लगता है इस चोरी में तुम्हारा भाई भी शामिल होगा।” सुजाता मौसी बोली।

“सुजाता मौसी आपको शर्म आनी चाहिए ऐसी घिनौनी बातें करते हुए। पहले आपने दीपा को बदनाम किया और अब उसके भाई को बदनाम कर रही हैं। अब तो आपने बेशर्मी की सारी हदें पार कर दी है” मैं गुस्से में बोला।

बेशर्मी की हदें तो इस लड़की ने पार कर दी, अपने दोस्त की बहन के गहने चोरी कर के” मौसी फिर मुंह बनाती हुई बोली।

“निशांत तुम इन लोगों को समझाओ ना! देखो ये लोग क्या-क्या मेरे बारे में बोले जा रहे हैं?” दीपा रोती हुई बोली।

“सुजाता मौसी आप इतने कॉन्फिडेंस के साथ इस चोरी का इल्जाम दीपा पर कैसे लगा सकती है?”

“ क्योंकि जिस रात बहू के गहने चोरी हुई है उस रात मैंने सुबह 3:00 बजे दीपा को आदिति बहू के कमरे की तरफ से आते हुए दीपा को देखा है। और मैं यकीन के साथ कह रही हूँ उस वक्त उसके हाथों में गहने भी थे।” सुजाता मौसी बोली।

“उस वक्त दिपा भाभी के कमरे से नही आ रही थी” मैनें कहा ।

“तब कहाँ से आ रही थी ?” मेरी माँ बोली ।

“वह...” मेरी बात को पूरा करने से पहले ही दीपा हाथ जोड़कर इशारो मे ही उस रात वाली घटना को जिक्र ना करने की विनती करने लगी । उस वक्त वह कहना चाह रही थी कि मैं चोरी की बदनामी के दर्द सह लूंगी। मगर ये लोग यदि यह जान जाएंगे कि उस रात मैं तुम्हारे साथ थी तो यह लोग मेरे लिए चोर के साथ चरित्रहीन जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल करने लगेंगे जो मेरे लिए असहनीय होगा ।

मैंने दीपा के बेवस आंखो के तरफ़ देखा, उसकी आँखों से आंसु निकल फर्श पर गिर कर फैल रहे थे।

आदिती भाभी के कमरे और जिस कमरे मे सुजाता मौसी सो रही थी । वे दोनो कमरा एक दूसरे से विपरीत दिशा में थे यानी आदिति भाभी के कमरे से ना तो सुजाता मौसी के कमरे का दरवाजा दिख सकता था और न ही सुजाता मौसी के कमरे या खिड़की से आदिति भाभी के दरवाजे या उनके कमरे से आने वाला कोई व्यक्ति ही दिख सकता था।

“अगर आपने सुबह 3:00 बजे दीपा को अदिति भाभी के कमरे की तरफ से आते हुए देखा है तो उस वक्त वहां पर आप क्या कर रही थी । और यदि दीपा अपने हाथों में गहने लिए हुई थी तब आपने उस वक्त किसी को इसकी जानकारी क्यों नहीं दी।” मैं सुजाता मौसी से बोला।

मेरी यह बात सुनकर सुजाता मौसी हक्का-बक्का सा हो गई । क्योंकि उन्हें भी अच्छी तरह से मालूम था कि वह जिस कमरे में सोई थी वहां से आदिति भाभी के कमरे या उनके दरवाजे से किसी व्यक्ति को आते हुए देखना नामुमकिन था।

“ मैं उस वक्त टॉयलेट से आ रही थी तभी मेरी नजर दीपा पर पड़ी थी” सुजाता मौसी घबराती हुई बोली।

“लेकिन सुजाता मौसी टाँयलेट तो आपके कमरे से ढक्षिण दिशा में है तो आपने दीपा को भाभी के कमरे से आते हुए कैसे देख लिया?” मैं बोला।

मेरी बातों को सुनकर सभी लोग मौसी को देखने लगे। इस बार मौसी कुछ नहीं बोल पा रही थी बस चुपचाप खड़ी थी ।

“भैया इस घर में अभी तक कोई पुलिस नहीं आई है मगर इस बार पुलिस जरूर आएगी और पुलिस मैं बुलाऊंगा।” यह बोलते हुए मैंने अपना मोबाइल निकाल कर पुलिस स्टेशन में कॉल करने लगा।

“निशांत बेटा रुक जाओ, पुलिस मत बुलाओ।” मौसी डरी हुई आवाजों में बोली।

मैंने मौसी की तरफ देखा तो वह काफी डरी हुई लग रही थी। अब सभी के नजरें एक बार फिर से मौसी के तरफ जा टिकी थी । मगर दीपा अभी भी पहले जैसे ही रो रही थी ।वहां पर उपस्थित सभी लोग यह समझ नहीं पा रहे थे आखिर मौसी इतनी डर क्यों गई हैं ।

“अब हम लोगों को पुलिस बुला लेनी चाहिए क्योंकि हम शक के आधार पर किसी को चोर नहीं ना बता सकते हैं। जब पुलिस आएगी तब वह खुद दूध का दूध और पानी का पानी कर देगी यानी पुलिस खुद चोर को पकड़ लेगी और इससे किसी निर्दोष को बदनाम होने से भी बच्चाया जा सकता है। अगर दीपा ने सचमुच चोरी की होगी तो पुलिस उसे पकड़ कर ले जाएगी।” मैं बोला।

मेरी यह बात सुनकर सभी लोगों ने अपनी सहमति दिखाई मगर मौसी चुपचाप कुछ मिनटों तक मूर्त बन कर खड़ी रही फिर अचानक से धीमी स्वर में बोली,"

निशांत बेटा आदिति बहू के गहने मैंने ही छुपा कर रख दिए हैं । "

“क्या?...” सभी एक साथ बोल पड़े।



साथ बने रहिए।
Superb update
Lo bhai dudh ka dudh aur pani ka pani ho gaya
 
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