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Romance तेरी मेरी आशिक़ी (कॉलेज के दिनों का प्यार)

Mbindas

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पचीसवाँ भाग


मेरे पास आये हुए सभी विद्यार्थियों की परेशानियों को सुनने के बाद मैंने कहा।

आप लोग अब जाइये मैं कुछ करता हूँ इसके बारे में। मैंने उन विद्यार्थियों से कहा।

उनके जाने के बाद मैं वहाँ से राहुल भैया के पास चला गया। वहाँ पर राहुल भैया के साथ विक्रम भैया और उनके कुछ दोस्त बैठे हुए थे। मैंने उन्हें मुझसे मिले हुए छात्रों की समस्याओं से अवगत कराया। सब ने तय किया कि कल इस बारे में कुलपति महोदय से बात करेंगे।

उसके बाद मैं अपनी कक्षा में आने लगा तभी मुझे दीपा मिल गई।

क्या बात है छोटे बाबू। मुझसे दूर दूर भाग रहे हो आजकल। मुझसे नाराज़ हो क्या ? मुझसे कोई भूल हो गई है क्या? दीपा ने मुझे देखते ही मुझसे सवाल किया।

ये कैसी बात कर रही हो तुम दीपा। तुम तो मेरी जान हो। भला मैं तुमसे कैसे नाराज़ हो सकता हूँ। मैंने दीपा से कहा।

फिर क्या बात है। तुम मुझसे बात क्यों नहीं करते हो। कोई परेशानी है क्या तुमको? दीपा ने पूछा।

नहीं कोई परेशानी नहीं है दीपा। बस मुझे समय नहीं मिल पाया इन दिनों, इसलिए तुमसे बात नहीं हो पाई। मैंने दीपा से नज़रें चुराते हुए कहा।

तुम्हें तो ठीक से झूठ बोलना भी नहीं आता छोटे। तुम्हारे चेहरे से दिख रहा है कि कोई परेशानी तो जरूर है। अब झूठ बोलना छोड़ो और बात क्या है ये बताओ। दीपा ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोली।

कोई परेशानी नहीं है दीपा। तुम्हे ग़लतफ़हमी हुई है कि मैं परेशान हूँ। मैंने दीपा से कहा।

ठीक है छोटे। मैं यहां बैठी ही क्यों हूँ। मैं जा रही हूँ तुम रहो अपनी परेशानियों के साथ। दीपा नाराज़ होते हुए बोली और जाने लगी।

दीपा की नाराजगी देखकर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे वापस बैठा लिया।

माँ मेरी शादी करवाना चाहती हैं। मैंने दीपा से कहा।

लेकिन इतनी जल्दी क्यों है उन्हें तुम्हारी शादी की। कहीं तुमने कोई कांड तो नहीं कर दिया। दीपा ने मज़ाकिया लहज़े में कहा।

क्या यार तुम भी। पहले पूरी बात तो सुन लो। माँ मेरी शादी करवाना चाहती हैं, लेकिन अभी नहीं पढ़ाई खत्म होने के बाद, और हम दोनों के प्यार के बारे में मैंने भी माँ को बता दिया है। मैंने दीपा को देखते हुए कहा।

मेरी बात सुनकर वो बहुत खुश हुई उसे लग रहा था कि माँ उससे मेरी शादी करना चाहती हैं

तो तुम इतने परेशान क्यों हो। क्या तुम मुझसे शादी नहीं करना चाहते। दीपा ने कहा।

कैसी बात के रही थी तुम। मैं तुमसे ही शादी करना चाहता हूँ, लेकिन असली परेशानी की वजह दूसरी है। माँ ने तुमसे शादी के लिए इनकार कर दिया है और मेरे लिए कोई दूसरी लड़की पसंद कर ली है उन्होंने। मैंने उसकी तरफ देखते हुए कहा।

मेरी बात सुनकर दीपा का चेहरा फक्क पड़ गया। उसकी आँखों में आँसू आ गए। उसके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकला। वो मेरे पास से उठी और आंखों में आँसू लिए अपने कक्षा में भाग गई। मैं उसे आवाज़ देता रहा, लेकिन वो नहीं रुकी।

उसके जाने के बाद मेरा भी मन कॉलेज में नहीं लगा तो मैं अपने घर चला आया। मैंने दीपा से और बातकर उसे और दुःख और दर्द नहीं देना चाहता था।

घर आकर मैं अपने कमरे में चला गया। खाना खाते समय मैंने माँ से फिर बात की तो माँ ने कहा।

क्या तू सच मे दीपा से बहुत प्यार करता है।

हाँ माँ आप सब के बाद अगर मैं सबसे ज्यादा किसी से प्यार करता हूँ तो वो दीपा है। मेरी शादी उससे करवा दो प्लीज़। मैंने माँ से निवेदन करते हुए कहा।

तुमने ये बताने में बहुत देर कर दी है निशांत। मैं उन्हें अपनी जुबान दे चुकी हूँ। अब मैं कुछ नहीं कर सकती निशांत। अब तुझे सोचना है कि तुझे दीपा चाहिए या अपनी माँ और भाई की इज़्ज़त। माँ ने कहा।

अब इसके आगे बोलने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं था तो मैं खाना खाकर अपने कमरे में चला गया और दीपा को फ़ोन लगाया। दीपा ने फ़ोन उठाया।

हाँ छोटे बाबू। कैसे याद किया। कोई और बात हो गई क्या। दीपा ने फिक्रमंद लहजे में पूछा।

नहीं और कोई बात नहीं हुई है, लेकिन तुम मेरी बात को अनसुना करते हुए क्यों भाग गई थी कॉलेज में। मैंने दीपा से पूछा।

इस बारे में कल कॉलेज में बात करते हैं निशांत। अभी मुझसे नींद आ रही है। दीपा ने कहा।

मैंने भी शुभरात्रि बोलकर फ़ोन रख दिया और सोने की कोशिश करने लगा। थोड़ी देर बाद मुझे नींद आ गई।

सुबह में उठकर नहा धोकर नाश्ता किया और कॉलेज चला गया। वहां पर क्लास अटेंड की और राहुल भैया को फ़ोन करके कुलपति महोदय के कार्यालय के बाहर मिलने के लिए बुलाया। थोड़ी देर बाद राहुल भैया विक्रम और 2-3 दोस्तों के साथ वहाँ आ गए। हम सब मिलकर कुलपति महोदय के पास गए।

आओ निशांत, राहुल और विक्रम। क्या बात है। फिर से कोई समस्या आ गई है क्या। कुलपति महोदय ने कहा।

बात ये है कि हमें आपसे दो अहम मुद्दे पर बात करनी है। इतना ही नहीं आपको उसका समाधान तत्काल करने के लिए कड़ा कदम उठाना होगा। राहुल भैया बोले।

पहले बात क्या है ये तो बताओ। अगर जरूरी हुआ तो मैं तत्काल कदम उठाऊंगा। कुलपति महोदय ने कहा।
सर कॉलेज में रैगिंग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। वरिष्ठ विद्यार्थियों ने रैगिंग से नए विद्यार्थियों के अंदर इतना खौफ़ भर दिया है कि वो कॉलेज आना नहीं चाहते हैं और जो विद्यार्थी कॉलेज आ रहे हैं वो हर समय डरे सहमे रहते हैं। जिससे उनका ध्यान पढ़ाई से भटक रहा है और इस रैगिंग से कॉलेज का माहौल और छवि खराब हो रही है। इसे जितनी जल्दी हो सके बंद करें ताकि विद्यार्थी बिना किसी डर के अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे सकें। मैंने कुलपति महोदय से कहा।

मैंने इस बारे में आज सुबह ही कॉलेज की व्यवस्था प्रणाली देखने वाली संस्था को बोल दिया है। बहुत जल्दी कॉलेज में रैगिंग दंडनीय अपराध घोषित कर दिया जाएगा। और नियम तोड़ने वाले को सख्त सजा दी जाएगी। कुलपति महोदय ने कहा।

धन्यवाद सर, दूसरा मुद्दा ये है कि हिंदी वाले प्रोफेसर अपने पद का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। वो विद्यार्थियों को शिक्षा देने के बजाय कॉलेज में अपना समय बिताते हैं। सर हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। अगर प्रोफेसर अपने कर्तव्यों के प्रति ऐसे ही उदासीन रहे तो हिंदी राष्ट्रभाषा तो दूर। जन-जन की भाषा भी नहीं बन पाएगी। मैंने कुलपति महोदय से कहा।

लेकिन मुझे तो इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। आप लोगों ने अच्छा किया जो मुझे इससे अवगत कराया। आप लोग निश्चिंत होकर जाइये। मैं देखता हूं इस मामले को। कुलपति महोदय ने कहा।

कुलपति महोदय के आश्वासन के बाद हम लोग उनके कार्यालय से बाहर आ गए। थोड़ी देर बाहर बैठने के बाद सभी अपनी कक्षाओं में चले गए। मैं अभी भी वहीं बैठा हुआ था। तभी दीपा आकर मेरे बगल में बैठ गई।

और छोटे कहाँ थे अभी तक। दीपा ने मेरे कंधे पर चपत लगाते हुए कहा।

कुछ नहीं कुलपति महोदय के पास गया था। विद्यार्थियों की कुछ समस्याएं थी उसी पर चर्चा करने गया था। मैंने कहा।

और बताओ कब देखने जा रहे हो माँ द्वारा पसंद की हुई लड़की को। दीपा ने मुझसे पूछा।

दीपा की बात सुनकर मैंने उसकी तरफ देखा। उसके व्यवहार से कहीं से भी ऐसा नहीं लग रहा था कि मेरी दूसरी लड़की से शादी के बारे में जानकर उसे तनिक भी बुरा लग रहा है या वो दुखी है।

क्या तुम्हें अच्छा लगेगा अगर मेरी शादी किसी दूसरी लड़की से होगी। मैंने दीपा से पूछा।

सच कहूँ तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा, परंतु माँ ने कुछ सोच समझकर ही उस लड़की को तुम्हारे लिए चुना होगा। दीपा ने कहा

लेकिन मुझे तुमसे ही शादी करनी है। और मैं इसके लिए कुछ भी करूँगा। मैं माँ को मना कर दूंगा उस लड़की से शादी करने के लिए। मैंने दीपा से कहा।

तुम ये गलत बोल रहे हो छोटे। माना कि हम दोनों प्यार करते हैं, लेकिन हम दोनों का प्यार हमारे घरवालों के प्यार से ज्यादा तो नहीं है न। हमें क्या पता कि हमारे घरवालों ने कितने कष्ट सहे हैं हमारी परवरिश में। हमारा 6 महीनों का प्यार हमारे माँ बाप भाई बहन के प्यार से अधिक तो नहीं है न। दीपा ने मुझे समझते हुए कहा।

लेकिन मैं सिर्फ तुमसे ही शादी करूँगा किसी और से नहीं। मैंने दीपा से कहा।

जब माँ नहीं चाहती कि हमारी शादी न हो तो मैं तुमसे शादी नहीं करूंगी। तुम क्या चाहते हो कि मैं तुमसे माँ की मर्जी के ख़िलाफ़ शादी करके सारी जिंदगी माँ से नजरें न मिला पाऊँ। जब माँ मुझसे पूछेंगी की मैंने ऐसा क्यों किया तो क्या जवाब दूंगी उन्हें मैं। कैसे नज़रें मिलूंगी में माँ से। मैं माँ की मर्जी के ख़िलाफ़ तुमसे शादी कभी नहीं करूंगी। दीपा ने कहा।

और हम दोनों जो इतना प्यार करते हैं उसका क्या? मैंने दीपा से कहा।

हम प्यार हमेशा करते रहेंगे, बल्कि ऐसा प्यार करेंगे एक दूसरे से कि लोगों के लिए एक मिशाल पेश करेंगे, ताकि हमारे बाद भी लोग कहें कि प्यार करो तो दीपा और निशांत की तरह निःस्वार्थ और रूहानी प्यार। दीपा ने कहा।

दीपा की बात सुनकर मैं निरुत्तर हो गया। उधर घर का माहौल कुछ और ही था।



साथ बने रहिए।
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Mbindas

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सत्ताईसवाँ भाग


आशीष भैया ने दीपा को तुरंत घर आने के लिए कहा और साथ में मुझे भी साथ में ले आने के लिए कहा।

दीपा ने तुरंत मुझको फ़ोन किया और बाहर बुलाया।

क्या बात है दीपा। तुमने अचानक से मुझे बाहर क्यों बुलाया। मैंने बाहर आने के बाद कहा।

भैया का फ़ोन आया था वो बहुत गुस्से में थे। उन्होंने तुरंत घर आने के लिए कहा है साथ में तुमको भी बुलाया है। पता नहीं क्या बात है। दीपा ने कहा।

अब वो तो वहां जाने के बाद ही पता चलेगा कि क्या बात है। मैंने कहा।

मैंने जाकर अपनी बाइक निकली और दीपा को पीछे बैठाकर उसके घर की तरफ चल पड़ा।

उधर घर पर माँ ने आशीष भैया से पूछा।

क्या हुआ बेटा तुमने कोई जवाब नहीं दिया। क्या तुम्हें इस रिश्ते से इनकार है।

नहीं माँ जी ऐसी बात नहीं है। मेरी दीपा की तो किस्मत ही खुल जाएगी आपके घर की बहू बनकर। लेकिन मुझे ये रिश्ता बेमेल लग रहा है। आप लोग इतने हर मामले में मुझसे बड़े(अमीर) हैं, इसलिए मैं जवाब नहीं दे पा रहा हूँ। आशीष भैया ने कहा।

ये कैसी बातें कर रहे हो बेटा। बड़े तो तुम हो। क्योंकि देने वाला हमेशा मांगने वाले से बड़ा होता है। और ये अमीर गरीब का भेदभाव मुझे करना नहीं आता। दीपा जैसी संस्कारी लड़की जिस घर में हो वो लोग कभी गरीब हो ही नहीं सकते। माँ ने कहा।

ठीक है माँ जी जैसा आपको ठीक लगे, फिर भी मैं एक बार इस बारे में दीपा से बात करना चाहता हूँ। आशीष भैया ने कहा।

जब मैं दीपा के घर पहुंचा तो वहाँ पर अपनी माँ और भैया भाभी को देखकर मैं बहुत खुश हुआ। दीपा ने सबको प्रणाम कर माँ के पैर छुए और अपने भाई के पास जाकर खड़ी हो गई।

क्या बात है भैया। आपने मुझे इतनी जल्दी किसलिए बुलाया कॉलेज से। दीपा ने कहा।

ये क्या सुन रहा हूँ मैं। तुम्हारे और निशांत के बारे में क्या तुम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हो। आशीष भैया ने थोड़ा गुस्सा करते हुए कहा।

हाँ भैया मैं दीपा से बहुत प्यार करता हूँ और शादी भी करना चाहता हूँ। दीपा के बदले मैंने जवाब दिया।

मैं तुमसे बात नहीं कर रहा हूँ निशांत मैं दीपा से जानना चाहता हूँ। बोलो दीपा क्या मैंने जो सुना है वो सच है। आशीष भैया ने दीपा से फिर पूछा।

हाँ भैया ये सच है। दीपा ने अपना सिर झुकाकर धीरे से कहा।

मैं तुमको कॉलेज इसीलिए भेजता हूँ कि तुम पढ़ाई छोड़कर ये सब करो। तुमने मेरा भरोसा तोड़ा है दीपा। आशीष भैया ने दीपा की तरफ अपनी पीठ करते हुए कहा।

आशीष भैया की बात सुनकर दीपा की आंखों में आंसू आ गए। साथ मे माँ और भैया भी चकित थे, पर हल्का हल्का मुस्कुरा रहे थे आशीष भैया की बात सुनकर, मगर उन्होंने कुछ कहा नहीं और मेरा हाल तो पूछो ही मत। माँ के मानने के बाद जो उम्मीद जगी थी मेरे मन मे दीपा से शादी को लेकर, आशीष भैया की बात सुनकर वो धूमिल पड़ने लगी।

भैया आप नाराज़ मत हो मुझसे। मैं निशांत से बहुत प्यार करती हूँ, लेकिन आप से ज्यादा नहीं। दीपा ने आशीष भैया का हाथ पकड़ते हुए कहा।

नहीं दीपा तुमने मुझे निराश किया है दुःख पहुचाया है तुमने मुझे। मैंने तुम्हें पढ़ने के लिए कॉलेज भेजा था, लेकिन तुम तो पढ़ाई छोड़कर प्यार करने लगी और अब शादी भी करना चाहती हो। आशीष भैया ने कहा।

मुझे माफ़ कर दो भैया। मैं आपको दुःखी नहीं देख सकती। ये सच है भैया कि मैं निशांत से प्यार करती हूँ और शादी भी करना चाहती हूँ, लेकिन आपको नाराज़ करके नहीं। मेरे लिए आप निशांत से ऊपर हैं। दीपा ने रोते हुए कहा।

तुम निशांत से शादी करना चाहती हो, लेकिन मैं इस शादी के खिलाफ हूँ, मैंने तुम्हारे रिश्ते के लिए कहीं और जुबान दे चुका हूँ। आशीष भैया ने कहा।

आशीष भैया की बात सुनकर मुझे और दीपा को विश्वास नहीं हुआ। कहाँ तो मैं दीपा से शादी करना चाहता था। बड़ी मुश्किल से माँ को मनाया था, लेकिन आशीष भैया तो दीपा की शादी कहीं और करना चाहते थे। मुझसे ये बर्दास्त नहीं हो रहा था।

लेकिन भैया जब हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं तो आपको इस शादी से क्या दिक्कत है। आप वो रिश्ता तोड़ दीजिए। मैंने आशीष भैया से कहा।

अब इसका निर्णय दीपा को लेना है कि वो क्या चाहती है। अपने भाई की मान-मर्यादा और इज़्ज़त ये तुम्हारा प्यार। आशीष भैया ने कहा।

आप जैसा कहेंगे भैया मैं वैसा करूँगी। आप जहाँ मेरा रिश्ता करना चाहते हैं मैं तैयार हूं उसके लिए, लेकिन भैया आप मुझसे नाराज़ मत होइये। मैं निशांत से ज्यादा आपसे प्यार करती हूँ भैया। अगर आप ही मुझसे नाराज़ हो गए तो मैं बर्दास्त नहीं कर पाऊँगी। आप ही मेरे सबकुछ हैं भैया। दीपा ने रोते हुए आशीष भैया से कहा।

ये तुम क्या कह रही हो दीपा। तुम प्यार मुझसे करती हो तो शादी किसी और से कैसे कर सकती हो। तुम इतनी आसानी से मुझे भूल सकती हो क्या। मैं दीपा की कही हुई पिछली सारी बाते भूलते हुए उससे कहा।

मैं तुम्हें कभी नहीं भूल सकती निशांत, लेकिन मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि मैं तुम्हारे लिए सबकुछ छोड़ सकती हूँ, लेकिन अपने भैया को नहीं छोड़ सकती। मैं अपने भैया की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ तुमसे शादी नहीं कर सकती। मेरे भैया की इज़्ज़त और मान-मर्यादा के सामने मेरा प्यार मेरे लिए कुछ भी नहीं। तुम मुझे भूल जाओ निशांत। मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती। दीपा ने आशीष भैया का हांथ चूमते हुए मुझसे कहा।

दीपा इतना कहकर रोते हुए घर के अंदर चली गई। सभी उसे जाता हुआ देखते रहे।

अब तो तुमने दीपा का फैसला सुन लिया न। अब तुम अपने कॉलेज जाओ। मुझे तुम्हारी माँ और भाई से कुछ बात करनी है। आशीष भैया मेरी तरफ मुखातिब होते हुए बोले

उनकी बात सुनकर मैं सिर झुकाकर उनके घर से निकल गया। अब मेरे पास आशीष भैया से कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं था। वहां से निकलकर मैं एक पार्क में जाकर बैठ गया और अपनी किस्मत को कोसने लगा। उधर आशीष भैया के घर का माहौल अगल था।

ये सब क्या था आशीष। क्या तुम्हें सच में ये रिश्ता पसंद नहीं है। माँ ने कहा।

कैसी बात कर रही हैं आप माँ जी। आपके घर मेरी दीपा का रिश्ता हो रहा है ये तो मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मैं बहुत खुश हूं अपनी दीपा के लिए। आशीष भैया ने कहा।

तो फिर ये सब क्या था जो अभी कुछ देर पहले यहां घटा। मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है। माँ ने कहा।

कुछ नहीं माँ जी। मुझे दीपा पर पूरा विश्वास था, परन्तु मैं बस ये देखना चाहता था कि निशांत से प्यार करने के बाद दीपा अभी भी वैसे ही अपने भाई का सम्मान करती है जैसे पहले करती थी या उसमे बदलाव आ गया है जो अक्सर प्यार करने वाले लड़के लड़कियों में आता है। और मुझे खुशी है कि आज भी दीपा के लिए मेरे मान-सम्मान से बढ़कर कुछ भी नहीं है। उस दिन जब मैंने मैं घर पर नहीं था तो निशांत रात को यहीं रुका था, तभी मुझे इन दोनों पर शक हुआ था कि शायद दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं। आशीष भैया ने गर्व रुंधे हुए गले से कहा।

इसीलिए तो मुझे दीपा बहुत पसंद है। इतने अच्छे संस्कारों वाली लड़की कहाँ मिलेगी मुझे अपने निशांत के लिए। माँ ने कहा।

लेकिन अभी मैंने अपनी दीपा को रुला दिया है तो पहले उसे मानना हैं मुझे और माफी भी मांगनी है। आशीष भैया ने कहा।

फिर आशीष भैया उठकर दीपा के कमरे में चले गए। दीपा अपने बिस्तर पर पेट के बल लेटकर रो रही थी। भैया की आवाज़ सुनकर उसने अपने आंसू पोछ लिए और उठकर बैठ गई।

मुझे माफ़ कर दो दीपा। मैंने तुम्हारा दिल दुखाया है। आशीष भैया ने कहा।

आप क्यों माफ़ी मांग रहे हैं भैया। माफी तो मुझे मांगनी चाहिए। जो मैंने अपने भाई को नाराज़ किया गलती करके। दीपा ने कहा।

तुमने कोई गलती नहीं कि दीपा। तुमने तो प्यार किया है सच्चा प्यार। और मुझे अपनी दीपा पर नाज़ है। आशीष भैया ने कहा।

भैया की बात सुनकर दीपा आश्चर्यचकित रह गई। वो अचरज भारी नज़रों से भैया को देखने लगी।

ऐसे क्या देख रही हो दीपा। मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है। मैंने तुम्हारे लिए कोई रिश्ता नहीं देखा है, मैं तो मज़ाक कर रहा था। निशांत जैसा अच्छा लड़का मेरी दीपा के लिए मुझे कहाँ मिलेगा भला। आशीष भैया ने हँसते हुए कहा।

आशीष भैया की बात सुनकर दीपा बहुत खुश हुई और वो दौड़कर आशीष भैया के गले लग गई और सिसकती हुई शिकायती लहज़े में बोली।

आपने तो मुझे डरा ही दिया था आप बहुत गंदे हो भैया।



साथ बने रहिए।
Dhamakedar update
 
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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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Pehli nazar ka pyar ho gaya hero ko to. Nice update
धन्यवाद आपका मान्यवर।
हमारी कहानी पढ़ने के लिए।।

हमारी एक कहानी अभी चल रही है। अगर समय मिलेगा तो उसे भी जरूर पढ़िएगा।।
 
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Mbindas

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अट्ठाईसवाँ भाग


दीपा आशीष भैया के गले लग गई और उनसे शिकायती लहज़े में बोली।

आप बहुत गंदे हो भैया आपने तो मुझे डरा ही दिया था।

अब तो खुश हो न तुम। अब तुम्हारी शादी तुम्हारी पसन्द के लड़के से होगी। आशीष भैया ने कहा।

मैं बहुत खुश हूं भैया और ये खुशी मुझे आपने दी है। थैंक यू सो मच भैया। दीपा ने कहा।

चल ज्यादा मस्का मत लगा, निशांत की माँ तुमसे कुछ बात करना चाहती हैं मैं उन्हें यहीं भेज रहा हूँ। आशीष भैया ने कहा।

इतना कहकर आशीष भैया कमरे से बाहर चले गए। थोड़ी दे बाद माँ कमरे में गई। दीपा उन्हें देखकर शर्माने लगी।

दीपा बेटी। माँ ने दीपा को आवाज़ दी।

दीपा माँ से शर्मा रही थी इसलिए उसने माँ को कोई जवाब नहीं दिया।

क्या बात है दीपा। तुम बोल क्यों नहीं रही हो। माँ ने कहा।

दीपा ने इसबार भी कोई जवाब नहीं दिया।

लगता है तुम्हें मेरा निशांत पसंद नहीं है। कोई बात नहीं चलती हूँ मैं। माँ ने कहा।

इतना कहकर माँ बाहर जाने लगी तो दीपा ने कहा।

ऐसी बात नहीं है माँ। मुझे निशांत बहुत पसंद है।
इतना कहकर दीपा फिर शरमाने लगी।

अच्छा इतना पसंद है निशांत तुम्हें। तो ये बताओ उसके लिए क्या कर सकती हो तुम। माँ ने कहा।

मैं निशांत के लिए कुछ भी कर सकती हूँ, बस अपने भाई के खिलाफ नहीं जा सकती, उसके अलावा कुछ भी। दीपा ने कहा।

ठीक है। मैं तुम्हारी शादी निशांत से करवाने के लिए तैयार हूँ, लेकिन उसके पहले तुम्हें मेरे लिए कुछ करना होगा। माँ ने कहा।

मुझे क्या करना होगा माँ। दीपा ने मां को देखते हुए पूछा।

उसके बाद माँ ने दीपा को कुछ बाते बताई। जिसे सुनने के बाद दीपा मुस्कुराने लगी।

ये करना जरूरी है क्या माँ जी। छोटे अभी बहुत परेशान है। उसे और परेशान करने की क्या जरूरत है। दीपा ने कहा।

वाह क्या बात है। अभी शादी हुई भी नहीं है और अभी से इतनी तरफ़दारी। पता नहीं शादी के बाद क्या होगा। माँ ने दीपा को छेड़ते हुए कहा।

माँ की बात सुनकर दीपा शर्मा गई और मुस्कुराते हुए अपना सिर नीछे झुक लिया।

नहीं ऐसी कोई बात नहीं है माँ। मैं तो बस ऐसे ही कह रही थी। दीपा ने कहा।

अब मैं सास बनने वाली हूँ तुम्हारी तो तुम्हे मेरी बात माननी होगी। मां ने कहा।

ठीक है माँ जी जैसा आप कहें। दीपा ने कहा।

उधर मैं उदास मन से पार्क में बैठा था और सोच रहा था कि कब आगे मुझे क्या करना है। एक मन कहता कि दीपा को भगाकर शादी कर लूं, लेकिन मैं जानता था कि दीपा इसके लिए कभी तैयार नहीं होगी। एक मन कहता कि मुझे किसी भी तरह आशीष भैया को शादी के लिए मनाना ही होगा। मुझे वहां बैठे बैठे शाम हो गई। उसके बाद में सीधे घर के लिए निकल गया।

घर पहुँच कर मैं सीधे अपने कमरे में चला गया। कुछ देर बाद खाना खाने की मेज पर सभी लोग बैठकर खाना खाने लगे। मैं अभी भी खामोश ही था किसी से बात नहीं कर रहा था।

क्या बात है छोटे। तू बात क्यों नहीं कर रहा है किसी से। अर्जुन भैया ने मुझसे पूछा।

कोई बात नहीं है भैया। बस कुछ ठीक नहीं लग रहा है। मैंने कहा।

देखो निशांत हमने तुम्हारी बात मानीं और दीपा के घर भी गए, लेकिन आशीष को इस रिश्ते से आपत्ति है। तो इसमें हम कुछ नहीं कर सकते। माँ ने कहा।

मैंने जल्दी जल्दी खाना खत्म किया और अपने कमरे में चल गया। सुबह उठकर मैं नहा धोकर कॉलेज चला गया, भोजनावकाश के समय मेरी मुलाकात दीपा से हुई।

क्या बात है निशांत तुम बहुत उदास लग रहे हो। दीपा ने मुझसे पूछा।

सब कुछ जानकर भी अनजान मत बनो दीपा। तुम्हे अच्छे से पता है कि मैं क्यों उदास हूँ। मैंने दीपा से कहा।

जानकर तो तुम अनजान बन रहे हो निशांत, मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि अपने भाई के अलावा तुम्हारे प्यार के लिए मैं कुछ भी करूँगी, लेकिन जब भैया ही राजी नहीं हैं तो मैं उनके खिलाफ तो नहीं जाऊँगी। दीपा ने कहा।

कोई तो रास्ता होगा जिससे मेरी शादी तुम्हारे साथ हो जाए। मैंने कहा।

एक रास्ता है, अगर भैया मान जाएँ इस शादी के लिए तो। तुम्हें कुछ भी करके भैया को मनाना होगा अपनी शादी के लिए। दीपा ने कहा।

ठीक है। मैं पूरी कोशिश करूँगा कि आशीष भैया जल्दी मान जाएँ इस शादी के लिए। मैंने कहा।

उसके बाद हम दोनों अपनी अपनी कक्षा में चले गए। कॉलेज खत्म होने के बाद मैं और दीपा अपने अपने घर को चले गए।

इसी तरह दिन बीतने लगे। मैं एक हफ्ते तक कभी आशीष भैया से मिलकर उन्हें शादी के लिए मनाता तो कभी फ़ोन पर बात करके, लेकिन वो मानने को तैयार ही नहीं थे। इधर कॉलेज में जो भी विद्यार्थी इन दिनों अपनी समस्याएं लेकर आते थे। मैं राहुल भैया और विक्रम भैया के साथ मिलकर अगर संभव होता तो हम लोग ही उन समस्याओं का समाधान कर देते। नहीं तो कुलपति महोदय से मिलकर उनकी समस्याओं का समाधान करते।

एक दिन में कॉलेज में भोजनावकाश के समय बैठा हुआ था कि तभी देवांशु वहां आ गया।

और क्या हाल चाल हैं नेता जी। सुना है आजकल बहुत अच्छे अच्छे काम कर रहे हो विद्यार्थियों के लिए। मेरी भी एक समस्या है। छात्रनेता होने के कारण उसे दूर करना तुम्हारा फ़र्ज़ है। देवांशु ने मुझपर तंज़ कसते हुए कहा।

मैं उससे बात करने के मूड में बिल्कुल भी नहीं था, लेकिन उसने समस्या की बात की तो मैंने अपना फ़र्ज़ समझकर उसकी समस्या के बारे में पूछा।

हां। क्यों नहीं। बताओ, मुझसे जो बन पड़ेगा मैं करूँगा।

बात ये है कि मेरी गर्लफ्रैंड को एक कमीना मुझसे छीनना चाहता है। मैंने उसे बहुत समझाया लेकिन वो मानने को तैयार ही नहीं है। मैं इस समस्या को अपने तरीके से खुद सुलझा सकता हूँ और उसके हाथ पैर तुड़वा सकता हूँ, लेकिन मैंने सोचा पहले अपने नेता जी की मदद ले लेता हूँ। हो सकता है तुम ही इसका कोई समाधान कर दो। अगर तुमसे भी नहीं हो पाएगा तो मैं अपने तरीके से इस समस्या का समाधान करूँगा। देवांशु ने आखिरी पंक्ति दांत पीसते हुए कही।

उसकी बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया, मैं समझ गया कि ये मेरी और दीपा की ही बात कर रहा है, लेकिन मुझे राहुल भैया की बात याद थी कि जितना हो सके देवांशु से उलझने की कोशिश मत करना। नही तो छात्रों के बीच तुम्हारी छवि खराब होगी इसलिए मैंने शान्त भाव से कहा।

देखो देवांशु, ये तुम्हारा व्यक्तिगत मामला है, इसमें में तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता। मैं एक छात्रनेता हूँ। तुम्हें कोई कॉलेज की समस्या हो। कैम्पस में कोई समस्या हो। प्रोफेसर ठीक से क्लास न ले रहे हों तो मुझे बताओ। में उसका समाधान करूँगा।

देखा दोस्तों मैं न कहता था कि ये लातों का भूत है। ये बातों से नहीं मानने वाला। अब तू अपनी उलटी गिनती गिनना शुरू कर दे, क्योंकि बहुत जल्द तू इतिहास बनकर रह जाएगा। देवांशु मुझे चेतावनी देते हुए बोला।

तुझको जो करना है कर ले। मैं तेरे से डरता नहीं हूँ। अगर मैं अपने पे आ गया तो तुझे बहुत भारी पड़ेगा। मैंने देवांशु से कहा।

इसके बाद देवांशु मुझे देख लेने की धमकी देते हुए चला गया। मेरा मूड खराब हो चुका था, इसलिए मैं घर जाने के लिए सोचा और पार्किंग की तरफ जाने लगा, तभी मेरा फोन बजने लगा।

हां माँ बताइये। मैंने कहा।

तुम जहां कहीं भी हो तुरंत घर आओ। माँ ने कहा।

मैं घर ही आ रहा हूँ, कोई खास बात है क्या। मैंने कहा।

तेरे लिए खुशखबरी है। मैंने जिस लड़की से तेरे रिश्ते की बात की थी वो लोग आए हुए हैं तो तू जल्दी घर आ जा और एक बार लड़की से मिल ले। माँ ने कहा।

माँ की बात सुनकर मैं उदास हो गया। मैं माँ को मना भी नहीं कर सकता था, क्योंकि अभी तक आशीष भैया मेरी और दीपा की शादी के लिए हां नहीं की थी, और दीपा के अलावा किसी और लड़की से शादी करना भी नहीं चाहता था। तो मैंने निर्णय लिया कि मैं उस लड़की से साफ साफ अपने और दीपा के बारे में बता दूंगा। शायद उसे मेरी बात समझ आ जाए और वो खुद इस रिश्ते के लिए इनकार कर दे। यही सब सोचकर मैंने पार्किंग से अपनी मोटरसायकल निकली और घर की तरफ चल पड़ा।



साथ बने रहिए।
Hero ko to sabhi taraf se jhatke dene ki teyari ki jaa rahi hai :D:
Superb update
 
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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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Kuch bhi kaho uksane ka faida hero ko mil gaya. Ab juta dhundna chalu :D:
Superb update
धन्यवाद आपका मान्यवर।।

आखिर वो कहानी का नायक है उसे तो जीतना ही था। लेकिन जूता नहीं बचा सका।
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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Indirectly hi sahi hero ne prapose to kar diya par heroine to aur tez nikli.
Fantastic update
धन्यवाद आपका मान्यवर।।

अब कुछ भी इनडाइरेक्ट नहीं होता। अगर सीधे प्यार का इज़हार करो तो भी जवाब घुमाकर मिलता है।।
 
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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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Chhat par dono jane ki tayari kar rahe hai par kahi koi problem naa aa jaye. Dekhte hai aage kya hota hai.
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दोनों को प्यार हो गया है तो थोड़ा समय साथ मे बिताना चाहते से सब से छुपकर।।

लेकिन इसके बाद ही तो कांड हो गया गहने वाला।।
 
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