Riky007
उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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उस कैमरे में शायद आदमखोर है।मैं भी उत्सुक हूं क्या होगा उस कैमरा मे
उस कैमरे में शायद आदमखोर है।मैं भी उत्सुक हूं क्या होगा उस कैमरा मे
अरे, हम तो सोचे कुछ नया ट्राई किया जाएगा, पर आप तो...
Puchna idhar purane Member se pishachani Kaun h idharनही, मेरे साथ नही पढ़ती थी।
Don't worry
Don't try at home. It is only in dreams dish
Puchna idhar purane Member se pishachani Kaun h idhar![]()
Bhai aap ek bar ph. Kar ke dekho aap yakeen nahi karoge apki mom apko bula legiजब तक मेरी माँ नहीं बुलाएगी नहीं जाऊँगा देखते है उसकी जिद कब तक है
Us camera me un sabke raaz honge jinko parkash chod raha tha shayad annju ka bhi koi naya roop saamne aaye...उस कैमरे में शायद आदमखोर है।
बोला तो कि आदमखोर है उसमे।Us camera me un sabke raaz honge jinko parkash chod raha tha shayad annju ka bhi koi naya roop saamne aaye...
खुद के मुंह खुद की बातें कैसे अच्छी लगेंगीDon't worry
घर पर ये सब कुछ नही।
आप पुरानी नही हो क्या वैसे??
जब ये कहानी खत्म होगी, पहले पन्ने पर होंगी ये पंक्तियाँ
इज़ाज़त दे तो, हम आपके हुश्नो ताज़ पे कुछ तराने पेश करें...खुद के मुंह खुद की बातें कैसे अच्छी लगेंगी![]()
भले आज नही तुम संग सबके,
एक बार हमारी तो सोचो...
इश्क़ को वीरान जंगल मे जीके बितायी हूँ मैं...
पहले महावीर... फिर तुम कवीर....
इस घर तक तक, पल पल मर के आयी हूँ मैं...
ज़रा सोचो...
शिकायते तो बहुते होगी, तेरे अपने चाहने बालों से...
पर मेरा क्या, रुसवा रहूँ भी तो किस से रहूँ...
कहानी तो तुमने अपनी सुना दी सबको, मेरी कहानी क्या मै तुम से कहूँ...
ज़रा सोचो...
की क्या समा रही होगी उस शाम की, जब ज़माने ने मुझे डाकन कहा...
एक नवविवाहित स्त्री के मत्थे, कलंकनी का भयावह धब्बा पड़ा...
मूर्छित सी पड़ी, मै सब सुनती रही...
ज़माने ने जाने क्या कुछ न कहा...
सब से दूर चल, यादों का ये जंगल...
जब आशियाना बना, हम तुम मिले उसी पल...
_nisha_