इस कहानी में सारे राज ही इसलिए हैं क्योंकि ये सारे चूतिये किसी को भी कभी भी कहीं भी मारते फिर रहे हैं, चोदते फिर रहे हैं....................
लेकिन हमारा भोंदू महाचूतिया हीरो कबीर............. सबके सामने सवाल लिए ...........गिड़गिड़ाता रहता है........... झूठी कहानियाँ सुनता रहता है
अब तक जितनी भी कहानियाँ रमा, विशंभर, अभिमानु, मंगू, चम्पा, नंदिनी, रूड़ा, चाची, सरला, कविता, वैद्य, अंजू, प्रकाश या किसी ने भी सुनाई ......... क्या उनसे कबीर को कुछ जानकारी मिली? ...... सिवाए भ्रम के........................................... अब फिर वो इसी रमा की नयी कहानी को फिर से क्यों सुन रहा है.................. पहले इसे जान से ही मार देता.......... जैसे चाचा और मंगू को मार दिया
परिवार और दोस्त को मार सकता है लेकिन सरला, रमा, चम्पा जैसी रंडियों के खरोंच भी नहीं आने देता ...................
अगर कोई राज नहीं भी खुलता तो कोई नया राज भी तो नहीं बनता........... ना ही पुराने राज से कोई नया बखेड़ा खड़ा होता................ बल्कि इन रंडियों के मरते ही विशंभर, अंजू, नंदिनी और मानु जैसे घाघ अपने आप राज खोलने लग जाते
कितनी भी लीपापोती कर ली हो पिछले अपडेट में लेकिन नंदिनी ने इतने ज्यादा झूठ बोले और भ्रम फैलाये हैं कि मुझे उस पर रत्ती भर भी विश्वास नहीं............ चाहे महाचूतिया कबीर उसे माँ से भी बढ़कर मानता हो