• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,545
88,168
259
वैसे सच बोलूं तो ये फौजी भाई का फोर्ट है कि आखिरी तक लोगों को उनकी लगभग हर कहानी बोझिल सी लगने लगती है।

और शायद यही इनकी खूबी भी है। दिलवाले में हीरो एसपी तक बन जाता है पर एक सिंपल से केस जो बस ओपन एंड शट था को सॉल्व नही कर पाता, कारण विश्वास।

साधारण रूप से मनुष्य हर किसी पर विश्वास कर लेता है, और अपने पर तो क्या ही कहना। शायद लेखक का खुद का किरदार झलकता है उनके नायकों में।
दिक्कत ये नहीं है दिक्कत ये है कि अतीत की लिखी गई कहानियो की तुलना नयी से होती है. हर लेखक का दौर होता है मैंने अपने दौर मे जो लिखना था वो लिख दिया अब बस मैं कोशिश करता हूं ये सच है कि मैं कहानियो के माध्यम से खुद को तलाशने की कोशिश करता हूं. मैं समझता हूं कि ये हक है मेरा. जब ये कहानी खत्म हो जाएगी आप सब समझ जाएंगे
 

Moon Light

Prime
29,847
28,082
304
भाई कहानी लंबी होना कमी नहीं है.......... शायद कोई भी पाठक कहानी लंबी होने की शिकायत नहीं कर रहा...................
कमी सिर्फ इतनी है कि उन्हीं के धोखे, झूठ, फरेब को बार बार नए रूप, नयी परिस्थितियों और नए शब्दों में नायक के सामने लाया जा रहा है.........
और नायक की प्रतिक्रिया हर बार उलझन, उत्सुकता और अनिर्णय की रहती है...........
बार-बार उसी व्यक्ति से जानने की उत्सुकता, उसके पिछले झूठ/अधूरे सच/छुपाव को भूलकर नए झूठ में उलझ जाना, उस व्यक्ति पर विश्वास करना है या अविश्वास ये निर्णय ना ले पाना

वास्तव में अपने नायक को एक साधारण बालक से भी ज्यादा अबोध, यहाँ तक कि मानसिक विकलांगता की श्रेणी में ला दिया है......
एक नवजात शिशु भी कुछ ही समय में उसे गोद लेने वालों को पहचानने लगता है, किस के पास जाकर रोना है और किसके चुप कराने पर चुप होना है ..........
लेकिन हमारा नायक कबीर उतना भी समझदार नहीं दिखता।

कहानी को आप जितना चाहे लंबी खींच लो......... बस बार-बार नायक के मूर्खतापूर्ण व्यक्तित्व को मत दोहराओ ..................
पाठक जो भी कहानी पढ़ता है उसमें स्वयं को नायक के स्थान पर मानकर सोचता है
और संसार का कोई भी व्यक्ति खुद को मूर्ख यहाँ तक कि बार-बार उन्हीं व्यक्तियों द्वारा मूर्ख बनता हुआ नहीं देख सकता और ना ही बनता है।
इतना डिटेल में मैंने तो नहीं लिखा
पर मतलब सब यही है मेरा भी
 

Dungeon Master

Its not who i am underneath
Staff member
Moderator
19,957
14,573
229
#155



इंतज़ार कितना लम्बा हो सकता है मैंने उस रात जाना . मेरे दिल में निशा की चिंता भी थी उसे अकेले कुवे पर छोड़ना ठीक था या नहीं दिल में थोड़ी घबराहट भी थी . एक एक पल मेरे सब्र का इम्तिहान ले रहा था पर खंडहर खामोश था इतना खामोश की मैं अपनी सांसो की आवाज भी सुन सकता था . रात बहुत बीत गयी थी पर साला कोई भी नहीं आया . मैंने जेब से वो तस्वीर निकाली और उसे गौर से देखने लगा. उसे उस पेंटर के बनाए अनुमान से मिलाने की कोशिश करने लगा पर साला दिमाग काम नहीं कर रहा था . मुझसे कुछ तो छूट रहा था .



मैंने खंडहर के उस तहखाने को समझने की कोशिश की , न जाने क्यों मुझे लग रहा था की ये तस्वीर कुछ तो छिपाए हुए है .

“तो यहाँ तक पहुँच ही गए तुम कुंवर ” आवाज मेरे पीछे से आई थी . मैंने पलट कर देखा रमा खड़ी थी .

मैं- शुक्र है कोई तो आया . वर्ना इस तन्हाई ने जीना मुश्किल किया हुआ था मेरा

रमा- जीना तो मुश्किल ही होता है कुंवर

मैं- इतना मुश्किल भी नहीं था पर तुम सब ने इतना चुतियापा फैलाया हुआ है की मेरा जीना मुश्किल ही हुआ है .

रमा- तुमने वो कहावत तो सुनी होगी न कुंवर की जितनी चादर हो उतना ही पैर पसारना चाहिए पर तुम, तुमने तो शामियाना ही बना लिया . क्या नहीं था , क्या नहीं है तुम्हारे पास जो चाहा तुमने पाया सुख किस्मत वालो को मिलता है तुमने सुख की जगह अपने नसीब में दर्द चुना.तुम समझ ही नहीं पाए की कब अतीत की तलाश करते करते तुम खुद अतीत का हिस्सा बन गए हो.

मैं- वापिस लौटने के लिए ही मैंने वो अफवाह फैलाई थी .

रमा- खुद को जासूस समझते हो क्या तुम . तुमने क्या सोचा था तुम जाल फेंक दोगे और कबूतर फंस जायेगा. जो जिन्दगी तुम जी रहे हो न वो जिन्दगी वो दौर मेरी जुती की नोक पर है. बहुत विचार किया फिर सोचा चलो बच्चे की उत्सुकता मिटा ही देती हूँ . वर्ना चाल बड़ी बचकानी थी तुम्हारी . तुम को क्या लागत है . छोटे ठाकुर इतने साल गायब रहे और तुम कल के लौंडे तुम , तुम बीते हुए कल को एक झटके में सामने लाकर खड़ा कर दोगे .

रमा ने दो मशाल और जलाई . तहखाने का हरा फर्श सुनहरी लौ में चमकने लगा.

मैं- तुम शुरू से जानती थी की चाचा के गायब होने की क्या वजह थी . तुम भी शामिल थी उस राज को छिपाने में .

रमा- अब हर कोई तुम्हारे जैसा चुतिया तो नहीं होता न कुंवर. तुम्हे क्या लगता है किसमे इतनी हिम्मत थी जो राय साहब के भाई को गायब कर देता.

मैं- तो शुरू करते है फिर. बताओ शुरू से ये कहानी कैसे शुरू हुई.

रमा---- क्या करेगा कुंवर तू जान कर

मैं-अब तुम भी यहाँ हो हम भी यहाँ है और ये रात बाकी है .

रमा- चलो अगर तुम्हारी यही इच्छा है तो .

मैं- जंगल में तीन नहीं चार लोग थे . इस कहानी में हमेशा से चार लोग थे न

रमा- जान गए तुम

मैंने वो श्वेत श्याम तस्वीर रमा के हाथ में रख दी. रमा ने उस पर हलके से हाथ फेरा .

रमा- अक्सर आसमान में उड़ते परिंदों को ये गुमान हो जाता है की धरती पर खड़े लोग तो कीड़े-मकोड़े है . पर वो ये नहीं जानते कुंवर, की शिकारी का एक वार परिंदे की उड़ान खत्म कर देता है. एक पल में अर्श से फर्श पर आ गिरते है गुरुर की उड़ान वाले.

मैं-क्यों किया ये सब तुमने

रमा- मैंने क्या किया कुछ भी नहीं . मैं तो जी ही रही थी न . क्या चाहती थी मैं कुछ भी तो नहीं . कुछ भी नहीं कुंवर. पर मुझे क्या मिला तिरस्कार, घर्णा और उपहास उड़ाती वो नजरे.

मैं- तुम जलती थी उस से

रमा- मैं जलती थी उस से. मैं. मैं उसकी छाया थी पर गुरुर के नशे में डूबी उसकी आँखे कभी मुझे समझ ही नहीं पायी. उसे बहुत घमंड था रुडा और राय साहब के साथ त्रिकोण बनाया उसने. डेरे की सबसे काबिल थी वो . उसने वो कर दिखाया जो किसी ने सोचा भी नहीं था . उसने कहानी, किवंदिती को सच करके दिखा दिया पर वो ये नहीं जानती थी की लोभ, लालच का मोल चुकाने की औकात नहीं थी उसकी.

रमा ने एक मशाल ली और दिवार पर जमी लताओं में आग लगा दी. जब लपटे थमी तो मैंने वो देखा , जो समझना बहुत मुश्किल था राख से बनी वो तस्वीर मेरे सीने में आग सी लग गयी . लगा की मैं आदमखोर बनने वाला ही हूँ पर मैंने रोका खुद को

रमा- बड़े बुजुर्गो ने हमेशा चेतावनी दी कुंवर की चाहे कुछ भी हो जाये उस स्वर्ण का लालच कभी न करना जो तुम्हारा ना हो . सोना इस दुनिया की सबसे अभिशप्त धातु. इसका मोह , इन्सान को फिर इन्सान नहीं रहने देता उसे जानवर बना देता है .

सुनैना राय साहब और रुडा ने इसी तहखाने में बैठ कर वादा किया था की अगर किवंदिती सच हुई तो वो सोने का कभी लालच नहीं करेंगे . उसे देखेंगे और वापिस कर देंगे. पर मोह कुंवर मोह. सोने की आभा ने उनके मन में लालच का बीज सींच दिया. सुनैना ने वो ही गलती की जो अभिमानु ने की थी , चक्रव्यूह के अंतिम चरण को वो नहीं भेद पाया था सुनैना भी नहीं भेद पायी तब सामने आया इस सोने का मालिक . इन्सान बड़ा नीच किस्म का जानवर है , तब सुनैना ने एक सौदा किया

मैं- कैसा सौदा


रमा- उसने अपनी आत्मा का टुकड़ा गिरवी रख दिया
:claps: Badia update..ghum kar kahani ka sataya isi raaz se bhi juda tha jisse pata chalega ki aadamkhor kaise bana tha
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
19,329
40,059
259
दिक्कत ये नहीं है दिक्कत ये है कि अतीत की लिखी गई कहानियो की तुलना नयी से होती है. हर लेखक का दौर होता है मैंने अपने दौर मे जो लिखना था वो लिख दिया अब बस मैं कोशिश करता हूं ये सच है कि मैं कहानियो के माध्यम से खुद को तलाशने की कोशिश करता हूं. मैं समझता हूं कि ये हक है मेरा. जब ये कहानी खत्म हो जाएगी आप सब समझ जाएंगे
तुलना होगी ही, सब बच्चों की तुलना होती है, मां बाप भले न करे, दुनिया करती है।

और कहानी में खुद को ही दर्शाया जाता है ज्यादातर। उसमे कोई दिक्कत नही है, और रही बात रहस्य की, तो रहस्य तभी बनता है जब वहां अपनों का धोखा हो, उसके बिना रहस्य ही क्या।
 

stupid bunny

Member
218
1,070
123
:bakwas: update do
Har ek reader alag alag ray hoti hai har ek ka nazariya alag hota hai
Harry Potter series pad lo har baar Harry ka nazariya galat hi nikla hai usna jispar Shak Kiya woh galat rehta hai
Yeh writer ka story ko bandna aur intresting banane ka tarreka khota hai muje is kahani sein ek hi shikayat hai main kabeer aur Nisha ki shadi end mai chahta tha aur woh bhi lahu luhaan
 
Last edited:

stupid bunny

Member
218
1,070
123
Maina fauji bhai ko humesha kaha pichle kahaniyan jaisa end mat rakhna ismein fauji bhai woh ending
Vanhelsing eng movie aur
ek hai hindi picture tummbad unka mixture jaisa karsakta tha ka uska khazana kka mallik aadamkhor ho aur dhere dhere khoon mangta hai Sona dena ka liya
uska bulana ka ek tareka yeh procedure ho
Khoon Peeta peeta Puri tareka sein taqatwar hojaye aur end mai Rama ya ray Saheb ko bhi usa bulalein aur uska marna ka liya nandini bhabhi adamkhor banke lade anju ko bhi daldo jab woh harna Lage tab Kabber aadamkhor ka roop lekar lade uska ek antidote ho jo woh adamkhor jane aur end mai woh jab Nisha woh antidote Kabber ko lagaya magar Kabber ka hatho marjaye Marta waqt woh Kabber ka sawal par aisa kyu kiya to woh bole main fir sein dakkan nahi Banna chahti thi
Van.helsing movie first part dhek Lena
Is tarah sein raay sahab ka character ruda chacha ka character mahavir samaj Mai aajaye kyu katal hua dardnaak tareeka sein Sona sab jaga hai koi usa leta kyu nahi. Yeh Mera nazariya hai ho sakta hai fauji bhai na hisse accha likha ho magar yeh ek reader ka opinion hai aap sabhi sein request hai apna opinion zarur dein maina kuch galat likha ho to chota bhai samaj kar maaf karein
 
Last edited:

Ajju Landwalia

Well-Known Member
3,561
13,954
159
झेल लो थोड़ा

Fauji Bhai, aisa na kaho aap, jhel nahi rahe he, balki aapki kahaniyo ko to hum sab jeete he, ab kabir ko hi le lo aap, har seedhe aur sharif aadmi ke sath aisa hi hota he, Parivar, Yaar, Dost, Duniya har koi bas apna matlab nikalne ke liye baat karta he........

Jivan ki sacchayi dikhit he aapki kahani me
 

Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
Prime
3,254
6,781
159
Update de re baba 🤧
 
Top