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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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आज इस नाचीज़ का जन्मदिन है :blush:
मनीष भैया को जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं, भगवान से प्रार्थना करते हैं की आपको हर खुशी मिले।।।
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#156

कुछ देर तहखाने में ख़ामोशी छाई रही और मैं समझने की कोशिश करने लगा की आत्मा के टुकड़े को कोई कैसे गिरवी रख सकता है.

मैं- क्या ये मुमकिन है

रमा-निर्भर करता है की तुम इसे कैसे समझते हो

मैं- तुम इसे कैसे समझती हो रमा और यदि आत्मा का टुकड़ा गिरवी था तो फिर टूटी आत्मा से सुनैना ने शरीर कैसे त्याग दिया.

रमा- मैं इसे कैसे समझती हूँ . मैं नहीं समझ पायी. राय साहब नहीं समझ पाए रुडा नहीं समझ पाया. अगर हम में से कोई भी इसे समझ पाता तो आज वो सोना यूँ नहीं पड़ा होता लावारिस हालत में

मैं- लालच , क्या मिला तुम सब को ये लालच करके रमा . तुमने अपनी ही बहन से धोखा दिया . मैं हमेशा सोचता था की तुम , तुम इतनी महत्वपूर्ण क्यों हो इस पूरी कहानी में . ऐसा क्या छिपा था जो सामने होकर भी नहीं दिख रहा था , वो तुम थी रमा. वो तुम्हारा रिश्ता था सुनैना से. वो जानती थी तुम सब के मन के लालच को . तुम सबकी ये हवस पूरी न हो जाये इसलिए उसने अपनी आत्मा के टुकड़े को गिरवी रखा या फिर मैं कहूँ उसने उसे कहीं छुपा दिया .

तुम , तुम कभी भी उस जैसी नहीं बन पायी क्योंकि तुम्हारे मन में द्वेष था , घृणा थी . तुम हमेशा सुनैना बनना चाहती थी .

रमा- तुमको सच में ऐसा लगता है . मैं बहुत बेहतर थी उस से .

मैं- पर तुम उस चीज को नहीं समझ पायी . तुमने पूरी उम्र लगा दी ये खोजने में की इस सोने को कैसे हासिल किया जाये. पर तुम कामयाब नहीं रही जानती हो क्यों .

रमा के चेहरे पर अस्मंस्ज देख कर न जाने क्यों मुझे बड़ी ख़ुशी हुई.

मैं- जिस दिन मैंने राय साहब के बाद मंगू को तुझ पर चढ़ते देखा था न मैं उसी दिन जान गया था की तू, तू इस जिस्म का उपयोग किस हद तक कर सकती है . चूत , चूत का नशा इन्सान की सबसे बड़ी कमजोरी जो काम कोई नहीं कर पाए इस छोटे से छेद में वो ताकत होती है . तुम लोगो ने हमेशा मुझे झूठी कहानी सुनाई, मुझे हर बार भटकाया की मैं अतीत की उस डोर को ना तलाश कर सकू. पर तुम्हारी ये बात ही की तुम्हे कोई नहीं पकड़ पायेगा तुम पर भारी पड़ गयी . तुमने सोचा होगा की हम इस चूतिये को भटका रहे थे पर तुम नहीं जानती थी की मैं क्या तलाश कर रहा था .

रमा की आँखों को मैंने फैलते हुए देखा .

मैं- रमा मैं उस कड़ी को तलाश रहा था जो मुझे इस कहानी से जोडती है . जानती है तु कभी भी सुनैना की आत्मा के टुकड़े को क्यों नहीं ढूंढ पायी . क्योंकि तू जानती ही नहीं थी वो क्या है .



रमा - क्या था वो

मैं- बताऊंगा पर उस से पहले और थोड़ी बाते करनी है . वैसे कुंवे पर तूने चाल सही चली थी पर तोड़ करके बैठा था मैं. तेरा दांव इस लिए फेल हुआ रमा क्योंकि तू ये तो जानती थी की चाचा की कहानी क्या है पर तू इस कहानी का एक माहत्वपूर्ण भाग नहीं जानती थी . तू ये नहीं जानती थी उस रात चाचा पर किसी ने हमला करके लगभग उसकी जान ही ले ली थी . उसने चाचा को मरा समझ कर दफना दिया था पर जीने की लालसा बहुत जिद्दी होती है रमा. वो बेचारा कच्ची मिटटी को हटा कर बाहर निकल आया पर उसे क्या मालुम था की काश उस रात वो मर जाता तो कितना सही रहता . कल जब मैंने चाचा को संक्रमित रूप में देखा तो मैं सोचने पर मजबूर हो गया की अगर ये यहाँ था तो किसने किसने वहां पर कंकाल छुपाया होगा. किस्मत बहुत कुत्ती चीज होती है रमा. देख तूने कंकाल को ठीक उसी गड्ढे में छिपाया जहाँ पर कोई तुझसे पहले चाचा को दफना गया .

चूत के जोर के दम पर तूने दुनिया ही झुका ली थी . पर तू समझ नहीं पायी की हवस के परे इस शक्ति और होती है . तूने चढ़ती जवानी की दहलीज को पार करते तीन दोस्तों को अपने हुस्न के जाल में फंसा लिया .तूने तीनो को वो ही कहानी सुनाई जो मुझे सुनाई थी वो तेरे जाल में फंस भी गए पर महावीर के पास एक चीज थी जिसने मुझे वो सच दिखाया जो वक्त की धुल में ढका हुआ था . महावीर के पास एक कैमरा था रमा जिस से वो चोरी छिपे तस्वीरे खींचता था . मुझे वो तस्वीरे मिली जो छिपा दी गयी थी उन्ही तस्वीरों में मुझे वो मिला जिसकी तलाश थी मुझे. मुझे सच मिला वो सच जो महावीर ने ढूंढा था .

रमा- तेरे जैसा था वो , उसको भी इतनी ही चुल थी अतीत को तलाश करने की एक वो ही था जिसने वो तरीका तलाश लिया था जिस से की सोने के मालिक को काबू कर सकते थे . उसने ही सबसे पहले जाना था की वो कौन था . और यही बात उसके मरने की वजह बन गयी .

मैं- पर तू उसके बारे में एक चीज नहीं जानती थी रमा की वो आदमखोर था . और अगर वो आदमखोर बना तो ये रास्ता उसने खुद ही चुना होगा क्योंकि वो भी मेरी तरह इस कहानी के मूल की तलाश में था . वो सोना नहीं चाहता था . महावीर को जहाँ तक मैंने समझा है वो खुद को सुनैना की आत्मा का टुकड़ा समझता था .

मेरी बात सुन कर रमा की आँखे हैरत से भर गयी .

मैं- पर नहीं , वो नहीं था . वो कभी भी नहीं था

रमा- तो फिर कौन था .

मैं- तूने कभी समझा ही नहीं रमा ,की हवस के आगे एक शक्ति और होती है और वो होती है प्रेम . बेशक सुनैना के गर्भ में पल रही संतान को अपनाने की हिम्मत रुडा में नहीं थी पर सुनैना ने प्रेम के उस रूप को चुना जिसे मात्रत्व कहते है . माँ, दुनिया की सबसे शक्तिशाली योद्धा होती है . मैं हमेशा सोचता था की इस जंगल से मुझे इतना लगाव क्यों है . क्यों, क्योंकि मैं इस जंगल का अंश हूँ . मैं हूँ सुनैना की आत्मा का वो टुकड़ा . मैं हूँ वो सच जिसे कोई नहीं जानता .
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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कुछ देर तहखाने में ख़ामोशी छाई रही और मैं समझने की कोशिश करने लगा की आत्मा के टुकड़े को कोई कैसे गिरवी रख सकता है.

मैं- क्या ये मुमकिन है

रमा-निर्भर करता है की तुम इसे कैसे समझते हो

मैं- तुम इसे कैसे समझती हो रमा और यदि आत्मा का टुकड़ा गिरवी था तो फिर टूटी आत्मा से सुनैना ने शरीर कैसे त्याग दिया.

रमा- मैं इसे कैसे समझती हूँ . मैं नहीं समझ पायी. राय साहब नहीं समझ पाए रुडा नहीं समझ पाया. अगर हम में से कोई भी इसे समझ पाता तो आज वो सोना यूँ नहीं पड़ा होता लावारिस हालत में

मैं- लालच , क्या मिला तुम सब को ये लालच करके रमा . तुमने अपनी ही बहन से धोखा दिया . मैं हमेशा सोचता था की तुम , तुम इतनी महत्वपूर्ण क्यों हो इस पूरी कहानी में . ऐसा क्या छिपा था जो सामने होकर भी नहीं दिख रहा था , वो तुम थी रमा. वो तुम्हारा रिश्ता था सुनैना से. वो जानती थी तुम सब के मन के लालच को . तुम सबकी ये हवस पूरी न हो जाये इसलिए उसने अपनी आत्मा के टुकड़े को गिरवी रखा या फिर मैं कहूँ उसने उसे कहीं छुपा दिया .

तुम , तुम कभी भी उस जैसी नहीं बन पायी क्योंकि तुम्हारे मन में द्वेष था , घृणा थी . तुम हमेशा सुनैना बनना चाहती थी .

रमा- तुमको सच में ऐसा लगता है . मैं बहुत बेहतर थी उस से .

मैं- पर तुम उस चीज को नहीं समझ पायी . तुमने पूरी उम्र लगा दी ये खोजने में की इस सोने को कैसे हासिल किया जाये. पर तुम कामयाब नहीं रही जानती हो क्यों .

रमा के चेहरे पर अस्मंस्ज देख कर न जाने क्यों मुझे बड़ी ख़ुशी हुई.

मैं- जिस दिन मैंने राय साहब के बाद मंगू को तुझ पर चढ़ते देखा था न मैं उसी दिन जान गया था की तू, तू इस जिस्म का उपयोग किस हद तक कर सकती है . चूत , चूत का नशा इन्सान की सबसे बड़ी कमजोरी जो काम कोई नहीं कर पाए इस छोटे से छेद में वो ताकत होती है . तुम लोगो ने हमेशा मुझे झूठी कहानी सुनाई, मुझे हर बार भटकाया की मैं अतीत की उस डोर को ना तलाश कर सकू. पर तुम्हारी ये बात ही की तुम्हे कोई नहीं पकड़ पायेगा तुम पर भारी पड़ गयी . तुमने सोचा होगा की हम इस चूतिये को भटका रहे थे पर तुम नहीं जानती थी की मैं क्या तलाश कर रहा था .

रमा की आँखों को मैंने फैलते हुए देखा .

मैं- रमा मैं उस कड़ी को तलाश रहा था जो मुझे इस कहानी से जोडती है . जानती है तु कभी भी सुनैना की आत्मा के टुकड़े को क्यों नहीं ढूंढ पायी . क्योंकि तू जानती ही नहीं थी वो क्या है .



रमा - क्या था वो

मैं- बताऊंगा पर उस से पहले और थोड़ी बाते करनी है . वैसे कुंवे पर तूने चाल सही चली थी पर तोड़ करके बैठा था मैं. तेरा दांव इस लिए फेल हुआ रमा क्योंकि तू ये तो जानती थी की चाचा की कहानी क्या है पर तू इस कहानी का एक माहत्वपूर्ण भाग नहीं जानती थी . तू ये नहीं जानती थी उस रात चाचा पर किसी ने हमला करके लगभग उसकी जान ही ले ली थी . उसने चाचा को मरा समझ कर दफना दिया था पर जीने की लालसा बहुत जिद्दी होती है रमा. वो बेचारा कच्ची मिटटी को हटा कर बाहर निकल आया पर उसे क्या मालुम था की काश उस रात वो मर जाता तो कितना सही रहता . कल जब मैंने चाचा को संक्रमित रूप में देखा तो मैं सोचने पर मजबूर हो गया की अगर ये यहाँ था तो किसने किसने वहां पर कंकाल छुपाया होगा. किस्मत बहुत कुत्ती चीज होती है रमा. देख तूने कंकाल को ठीक उसी गड्ढे में छिपाया जहाँ पर कोई तुझसे पहले चाचा को दफना गया .

चूत के जोर के दम पर तूने दुनिया ही झुका ली थी . पर तू समझ नहीं पायी की हवस के परे इस शक्ति और होती है . तूने चढ़ती जवानी की दहलीज को पार करते तीन दोस्तों को अपने हुस्न के जाल में फंसा लिया .तूने तीनो को वो ही कहानी सुनाई जो मुझे सुनाई थी वो तेरे जाल में फंस भी गए पर महावीर के पास एक चीज थी जिसने मुझे वो सच दिखाया जो वक्त की धुल में ढका हुआ था . महावीर के पास एक कैमरा था रमा जिस से वो चोरी छिपे तस्वीरे खींचता था . मुझे वो तस्वीरे मिली जो छिपा दी गयी थी उन्ही तस्वीरों में मुझे वो मिला जिसकी तलाश थी मुझे. मुझे सच मिला वो सच जो महावीर ने ढूंढा था .

रमा- तेरे जैसा था वो , उसको भी इतनी ही चुल थी अतीत को तलाश करने की एक वो ही था जिसने वो तरीका तलाश लिया था जिस से की सोने के मालिक को काबू कर सकते थे . उसने ही सबसे पहले जाना था की वो कौन था . और यही बात उसके मरने की वजह बन गयी .

मैं- पर तू उसके बारे में एक चीज नहीं जानती थी रमा की वो आदमखोर था . और अगर वो आदमखोर बना तो ये रास्ता उसने खुद ही चुना होगा क्योंकि वो भी मेरी तरह इस कहानी के मूल की तलाश में था . वो सोना नहीं चाहता था . महावीर को जहाँ तक मैंने समझा है वो खुद को सुनैना की आत्मा का टुकड़ा समझता था .

मेरी बात सुन कर रमा की आँखे हैरत से भर गयी .

मैं- पर नहीं , वो नहीं था . वो कभी भी नहीं था

रमा- तो फिर कौन था .


मैं- तूने कभी समझा ही नहीं रमा ,की हवस के आगे एक शक्ति और होती है और वो होती है प्रेम . बेशक सुनैना के गर्भ में पल रही संतान को अपनाने की हिम्मत रुडा में नहीं थी पर सुनैना ने प्रेम के उस रूप को चुना जिसे मात्रत्व कहते है . माँ, दुनिया की सबसे शक्तिशाली योद्धा होती है . मैं हमेशा सोचता था की इस जंगल से मुझे इतना लगाव क्यों है . क्यों, क्योंकि मैं इस जंगल का अंश हूँ . मैं हूँ सुनैना की आत्मा का वो टुकड़ा . मैं हूँ वो सच जिसे कोई नहीं जानता .
तो कबीर है सुनैना का बेटा, फिर अंजू??

ये क्या उलट फेर कर दिया भाई??

मतलब मेरा अंदाजा सही था, आत्मा का टुकड़ा आपकी औलाद ही हो सकती है।
 
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Suraj13796

💫THE_BRAHMIN_BULL💫
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Birthday special
सबसे पहले आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई, आप दिन दुगनी चार चौगनी तरक्की करे

कहानी ने फिर से पलट गई, पर इस बार कबीर बाबू की तरफ
अब बस देखना है की कबीर सच में विशंभर दयाल का बेटा है या नहीं

मुझे उम्मीद है तो है की विशंभर दयाल का बेटा ही होगा क्युकी एक बार फौजी भाई से पूछा था तो उन्होंने कहा था की कबीर विशंभर दयाल का ही बेटा है और अभिमानु का सगा भाई है

ये सुनैना का ही प्रभाव होगा की कबीर को सोना का तो छोड़ो कभी किसी भी चीज का लालच नहीं किया

रमा का अति विश्वास उसे ले डूबा बस ये जानना है की उसके साथ कौन है
उसके साथ कौन है ये तो कबीर जानता है बस हम जान जाए।


और मेरा प्रश्न की रमा ने किसको मार के गाड़ा था क्या वो सुनैना थी?
और ये की कबीर जब फोटो धुलवाया था उसमे विशंभर दयाल के साथ एक महिला थी क्या वो रमा ही थी??
 
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HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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भाई कहानी लंबी होना कमी नहीं है.......... शायद कोई भी पाठक कहानी लंबी होने की शिकायत नहीं कर रहा...................
कमी सिर्फ इतनी है कि उन्हीं के धोखे, झूठ, फरेब को बार बार नए रूप, नयी परिस्थितियों और नए शब्दों में नायक के सामने लाया जा रहा है.........
और नायक की प्रतिक्रिया हर बार उलझन, उत्सुकता और अनिर्णय की रहती है...........
बार-बार उसी व्यक्ति से जानने की उत्सुकता, उसके पिछले झूठ/अधूरे सच/छुपाव को भूलकर नए झूठ में उलझ जाना, उस व्यक्ति पर विश्वास करना है या अविश्वास ये निर्णय ना ले पाना

वास्तव में अपने नायक को एक साधारण बालक से भी ज्यादा अबोध, यहाँ तक कि मानसिक विकलांगता की श्रेणी में ला दिया है......
एक नवजात शिशु भी कुछ ही समय में उसे गोद लेने वालों को पहचानने लगता है, किस के पास जाकर रोना है और किसके चुप कराने पर चुप होना है ..........
लेकिन हमारा नायक कबीर उतना भी समझदार नहीं दिखता।

कहानी को आप जितना चाहे लंबी खींच लो......... बस बार-बार नायक के मूर्खतापूर्ण व्यक्तित्व को मत दोहराओ ..................
पाठक जो भी कहानी पढ़ता है उसमें स्वयं को नायक के स्थान पर मानकर सोचता है
और संसार का कोई भी व्यक्ति खुद को मूर्ख यहाँ तक कि बार-बार उन्हीं व्यक्तियों द्वारा मूर्ख बनता हुआ नहीं देख सकता और ना ही बनता है।
बस थोड़ा इंतजार और
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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जब सब पता हो,
उसके बाद भी जब हम इधर घूमे तो भला उसके कोई मज़ा आयेगा ?
मजा, सब्र करो यार बस एक दो भाग और
 
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