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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Devilrudra

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#156

कुछ देर तहखाने में ख़ामोशी छाई रही और मैं समझने की कोशिश करने लगा की आत्मा के टुकड़े को कोई कैसे गिरवी रख सकता है.

मैं- क्या ये मुमकिन है

रमा-निर्भर करता है की तुम इसे कैसे समझते हो

मैं- तुम इसे कैसे समझती हो रमा और यदि आत्मा का टुकड़ा गिरवी था तो फिर टूटी आत्मा से सुनैना ने शरीर कैसे त्याग दिया.

रमा- मैं इसे कैसे समझती हूँ . मैं नहीं समझ पायी. राय साहब नहीं समझ पाए रुडा नहीं समझ पाया. अगर हम में से कोई भी इसे समझ पाता तो आज वो सोना यूँ नहीं पड़ा होता लावारिस हालत में

मैं- लालच , क्या मिला तुम सब को ये लालच करके रमा . तुमने अपनी ही बहन से धोखा दिया . मैं हमेशा सोचता था की तुम , तुम इतनी महत्वपूर्ण क्यों हो इस पूरी कहानी में . ऐसा क्या छिपा था जो सामने होकर भी नहीं दिख रहा था , वो तुम थी रमा. वो तुम्हारा रिश्ता था सुनैना से. वो जानती थी तुम सब के मन के लालच को . तुम सबकी ये हवस पूरी न हो जाये इसलिए उसने अपनी आत्मा के टुकड़े को गिरवी रखा या फिर मैं कहूँ उसने उसे कहीं छुपा दिया .

तुम , तुम कभी भी उस जैसी नहीं बन पायी क्योंकि तुम्हारे मन में द्वेष था , घृणा थी . तुम हमेशा सुनैना बनना चाहती थी .

रमा- तुमको सच में ऐसा लगता है . मैं बहुत बेहतर थी उस से .

मैं- पर तुम उस चीज को नहीं समझ पायी . तुमने पूरी उम्र लगा दी ये खोजने में की इस सोने को कैसे हासिल किया जाये. पर तुम कामयाब नहीं रही जानती हो क्यों .

रमा के चेहरे पर अस्मंस्ज देख कर न जाने क्यों मुझे बड़ी ख़ुशी हुई.

मैं- जिस दिन मैंने राय साहब के बाद मंगू को तुझ पर चढ़ते देखा था न मैं उसी दिन जान गया था की तू, तू इस जिस्म का उपयोग किस हद तक कर सकती है . चूत , चूत का नशा इन्सान की सबसे बड़ी कमजोरी जो काम कोई नहीं कर पाए इस छोटे से छेद में वो ताकत होती है . तुम लोगो ने हमेशा मुझे झूठी कहानी सुनाई, मुझे हर बार भटकाया की मैं अतीत की उस डोर को ना तलाश कर सकू. पर तुम्हारी ये बात ही की तुम्हे कोई नहीं पकड़ पायेगा तुम पर भारी पड़ गयी . तुमने सोचा होगा की हम इस चूतिये को भटका रहे थे पर तुम नहीं जानती थी की मैं क्या तलाश कर रहा था .

रमा की आँखों को मैंने फैलते हुए देखा .

मैं- रमा मैं उस कड़ी को तलाश रहा था जो मुझे इस कहानी से जोडती है . जानती है तु कभी भी सुनैना की आत्मा के टुकड़े को क्यों नहीं ढूंढ पायी . क्योंकि तू जानती ही नहीं थी वो क्या है .



रमा - क्या था वो

मैं- बताऊंगा पर उस से पहले और थोड़ी बाते करनी है . वैसे कुंवे पर तूने चाल सही चली थी पर तोड़ करके बैठा था मैं. तेरा दांव इस लिए फेल हुआ रमा क्योंकि तू ये तो जानती थी की चाचा की कहानी क्या है पर तू इस कहानी का एक माहत्वपूर्ण भाग नहीं जानती थी . तू ये नहीं जानती थी उस रात चाचा पर किसी ने हमला करके लगभग उसकी जान ही ले ली थी . उसने चाचा को मरा समझ कर दफना दिया था पर जीने की लालसा बहुत जिद्दी होती है रमा. वो बेचारा कच्ची मिटटी को हटा कर बाहर निकल आया पर उसे क्या मालुम था की काश उस रात वो मर जाता तो कितना सही रहता . कल जब मैंने चाचा को संक्रमित रूप में देखा तो मैं सोचने पर मजबूर हो गया की अगर ये यहाँ था तो किसने किसने वहां पर कंकाल छुपाया होगा. किस्मत बहुत कुत्ती चीज होती है रमा. देख तूने कंकाल को ठीक उसी गड्ढे में छिपाया जहाँ पर कोई तुझसे पहले चाचा को दफना गया .

चूत के जोर के दम पर तूने दुनिया ही झुका ली थी . पर तू समझ नहीं पायी की हवस के परे इस शक्ति और होती है . तूने चढ़ती जवानी की दहलीज को पार करते तीन दोस्तों को अपने हुस्न के जाल में फंसा लिया .तूने तीनो को वो ही कहानी सुनाई जो मुझे सुनाई थी वो तेरे जाल में फंस भी गए पर महावीर के पास एक चीज थी जिसने मुझे वो सच दिखाया जो वक्त की धुल में ढका हुआ था . महावीर के पास एक कैमरा था रमा जिस से वो चोरी छिपे तस्वीरे खींचता था . मुझे वो तस्वीरे मिली जो छिपा दी गयी थी उन्ही तस्वीरों में मुझे वो मिला जिसकी तलाश थी मुझे. मुझे सच मिला वो सच जो महावीर ने ढूंढा था .

रमा- तेरे जैसा था वो , उसको भी इतनी ही चुल थी अतीत को तलाश करने की एक वो ही था जिसने वो तरीका तलाश लिया था जिस से की सोने के मालिक को काबू कर सकते थे . उसने ही सबसे पहले जाना था की वो कौन था . और यही बात उसके मरने की वजह बन गयी .

मैं- पर तू उसके बारे में एक चीज नहीं जानती थी रमा की वो आदमखोर था . और अगर वो आदमखोर बना तो ये रास्ता उसने खुद ही चुना होगा क्योंकि वो भी मेरी तरह इस कहानी के मूल की तलाश में था . वो सोना नहीं चाहता था . महावीर को जहाँ तक मैंने समझा है वो खुद को सुनैना की आत्मा का टुकड़ा समझता था .

मेरी बात सुन कर रमा की आँखे हैरत से भर गयी .

मैं- पर नहीं , वो नहीं था . वो कभी भी नहीं था

रमा- तो फिर कौन था .


मैं- तूने कभी समझा ही नहीं रमा ,की हवस के आगे एक शक्ति और होती है और वो होती है प्रेम . बेशक सुनैना के गर्भ में पल रही संतान को अपनाने की हिम्मत रुडा में नहीं थी पर सुनैना ने प्रेम के उस रूप को चुना जिसे मात्रत्व कहते है . माँ, दुनिया की सबसे शक्तिशाली योद्धा होती है . मैं हमेशा सोचता था की इस जंगल से मुझे इतना लगाव क्यों है . क्यों, क्योंकि मैं इस जंगल का अंश हूँ . मैं हूँ सुनैना की आत्मा का वो टुकड़ा . मैं हूँ वो सच जिसे कोई नहीं जानता .
Nice
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Next update please

जन्म दिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं..!!!!

happy birthday bhai

जन्मदिवस की हार्दिक बधाई हो भाई।

ईश्वर आपको आगामी जीवन में सारे सुखों से सुसज्जित रखे।

:hbday: :party2: :party:
:party1: :bdayparty:
Aaj do dhakkan meri taraf se pi lena :drink2:

Happy birthday fauji bhai :drunk::drunk::bday::bday::bday::dj2::dj2:

जन्मदिवस की शुभकामनाएँ मित्र ..........
जीवन का एक-एक पल अनमोल है......... इसे जी भर के जियो......... :love3:

अवतरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

Birthday ki Kushi mai 2/4 update de do fauji bhai :hukka:
Thanks
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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मैंने कब कहा की वो एक्शन हीरो बने........ बचपन में जब मैं सिनेमा को जानता भी नहीं था........ तब भी मुझे पता था कि हर परिस्थिति में आपके पास 2 विकल्प होते हैं...... या तो उस डोर को छोड़ दो ..............या उसको तब तक पूरी दम के के साथ खींचो जब तक वो या तो आपके पास खिंचकर ना आ जाए, या टूट ना जाए
मैं सिनेमा में जीने वाली जेनेरेशन से नहीं............ नशा, हवस और हथियार के बीच पला बढ़ा हूँ.......... जैसा कि माहौल आपने कुन्दन और कबीर के घर-गाँव का दिखाया है...........
................ वहाँ ज़िंदगी की कीमत, जज़्बात से ज्यादा नहीं........ जज़्बात की कीमत, जुबान से ज्यादा नहीं........... और जुबान की कीमत, सम्मान से ज्यादा नहीं...................
और सम्मान! सम्मान लोगों का झुक जाना नहीं, आपकी दौलत, रुतबा या नाम नहीं............. सम्मान आपका आत्मसम्मान है, वो बात जो आपका जमीर गवारा करे....
आप या दुनिया अच्छा कहे या बुरा.......... आपका मन उसे सही-गलत जानता भी है और मानता भी है, आप मानो या मत मानो, अपने मन/जमीर/अंतरात्मा की

आपकी कहानियाँ अभी तक ज़िंदगी, जज़्बात और जुबान के फेर में ही ............. भावनाओं की डोर थामे लटकी हुयी है ...........................
क्या कबीर का जमीर परिवार को जोड़े रखने के मोह के नीचे दबा इन झूठे, धोखेबाज, मक्कार और अय्याश लोगों को अपनी और दूसरों की जिंदगियाँ बर्बाद करते हुये ऐसे ही मूरखों की तरह देखता रहेगा..... ये किस कोण से आपको आम आदमी के लक्षण लग रहे हैं.........
आप समझ जाएंगे
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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मनीष भैया को जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं, भगवान से प्रार्थना करते हैं की आपको हर खुशी मिले।।।

Happy Birthday day bhai

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं फ़ौजी भाई को... आप शतायु हो... :flowers2::flowers2::flowers2::lollypop::love3::love3::love3:

Happy Birthday Bhai.
Thanks
 

Suraj13796

💫THE_BRAHMIN_BULL💫
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कबीर और निशा की शादी का सीन लास्ट मे रखता तो फिर खण्डहर अधूरा रह जाता, वैसे भी ये शादी एक सामाजिक संदेश भी थी
Naah, कबीर और निशा की शादी सही समय पर हुई है, निशा का इस कहानी के mainstream में आना जरूरी था, क्योंकि कबीर अकेला कमजोर पड़ रहा था।

मुझे बहुत खुशी होगी की कबीर सुनैना का बेटा निकले, तो at least ये दुख थोड़ा कम हो जायेगा की इतनी सारी बकचोदिया जो उसके साथ हुई है, कम से कम उसके अपने खून ने नही की है

साथ ही मिलेगा कबीर को एक मकसद, अपनी मां को न्याय दिलाने का।
जैसे निशा से शादी करके लाली की आत्मा को शांति पहुचाई है वैसे ही सुनैना के कातिलों को मार कर सुनैना की आत्मा को शांति मिलेगी।

देखते है आगे क्या होता है, फौजी भाई मेरे बहुत से प्रश्न का उत्तर छूट रहा है, कृपा करके धीरे धीरे उन्हे भी उजगार करिएगा🙏
 

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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#156

कुछ देर तहखाने में ख़ामोशी छाई रही और मैं समझने की कोशिश करने लगा की आत्मा के टुकड़े को कोई कैसे गिरवी रख सकता है.

मैं- क्या ये मुमकिन है

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मैं- तुम इसे कैसे समझती हो रमा और यदि आत्मा का टुकड़ा गिरवी था तो फिर टूटी आत्मा से सुनैना ने शरीर कैसे त्याग दिया.

रमा- मैं इसे कैसे समझती हूँ . मैं नहीं समझ पायी. राय साहब नहीं समझ पाए रुडा नहीं समझ पाया. अगर हम में से कोई भी इसे समझ पाता तो आज वो सोना यूँ नहीं पड़ा होता लावारिस हालत में

मैं- लालच , क्या मिला तुम सब को ये लालच करके रमा . तुमने अपनी ही बहन से धोखा दिया . मैं हमेशा सोचता था की तुम , तुम इतनी महत्वपूर्ण क्यों हो इस पूरी कहानी में . ऐसा क्या छिपा था जो सामने होकर भी नहीं दिख रहा था , वो तुम थी रमा. वो तुम्हारा रिश्ता था सुनैना से. वो जानती थी तुम सब के मन के लालच को . तुम सबकी ये हवस पूरी न हो जाये इसलिए उसने अपनी आत्मा के टुकड़े को गिरवी रखा या फिर मैं कहूँ उसने उसे कहीं छुपा दिया .

तुम , तुम कभी भी उस जैसी नहीं बन पायी क्योंकि तुम्हारे मन में द्वेष था , घृणा थी . तुम हमेशा सुनैना बनना चाहती थी .

रमा- तुमको सच में ऐसा लगता है . मैं बहुत बेहतर थी उस से .

मैं- पर तुम उस चीज को नहीं समझ पायी . तुमने पूरी उम्र लगा दी ये खोजने में की इस सोने को कैसे हासिल किया जाये. पर तुम कामयाब नहीं रही जानती हो क्यों .

रमा के चेहरे पर अस्मंस्ज देख कर न जाने क्यों मुझे बड़ी ख़ुशी हुई.

मैं- जिस दिन मैंने राय साहब के बाद मंगू को तुझ पर चढ़ते देखा था न मैं उसी दिन जान गया था की तू, तू इस जिस्म का उपयोग किस हद तक कर सकती है . चूत , चूत का नशा इन्सान की सबसे बड़ी कमजोरी जो काम कोई नहीं कर पाए इस छोटे से छेद में वो ताकत होती है . तुम लोगो ने हमेशा मुझे झूठी कहानी सुनाई, मुझे हर बार भटकाया की मैं अतीत की उस डोर को ना तलाश कर सकू. पर तुम्हारी ये बात ही की तुम्हे कोई नहीं पकड़ पायेगा तुम पर भारी पड़ गयी . तुमने सोचा होगा की हम इस चूतिये को भटका रहे थे पर तुम नहीं जानती थी की मैं क्या तलाश कर रहा था .

रमा की आँखों को मैंने फैलते हुए देखा .

मैं- रमा मैं उस कड़ी को तलाश रहा था जो मुझे इस कहानी से जोडती है . जानती है तु कभी भी सुनैना की आत्मा के टुकड़े को क्यों नहीं ढूंढ पायी . क्योंकि तू जानती ही नहीं थी वो क्या है .



रमा - क्या था वो

मैं- बताऊंगा पर उस से पहले और थोड़ी बाते करनी है . वैसे कुंवे पर तूने चाल सही चली थी पर तोड़ करके बैठा था मैं. तेरा दांव इस लिए फेल हुआ रमा क्योंकि तू ये तो जानती थी की चाचा की कहानी क्या है पर तू इस कहानी का एक माहत्वपूर्ण भाग नहीं जानती थी . तू ये नहीं जानती थी उस रात चाचा पर किसी ने हमला करके लगभग उसकी जान ही ले ली थी . उसने चाचा को मरा समझ कर दफना दिया था पर जीने की लालसा बहुत जिद्दी होती है रमा. वो बेचारा कच्ची मिटटी को हटा कर बाहर निकल आया पर उसे क्या मालुम था की काश उस रात वो मर जाता तो कितना सही रहता . कल जब मैंने चाचा को संक्रमित रूप में देखा तो मैं सोचने पर मजबूर हो गया की अगर ये यहाँ था तो किसने किसने वहां पर कंकाल छुपाया होगा. किस्मत बहुत कुत्ती चीज होती है रमा. देख तूने कंकाल को ठीक उसी गड्ढे में छिपाया जहाँ पर कोई तुझसे पहले चाचा को दफना गया .

चूत के जोर के दम पर तूने दुनिया ही झुका ली थी . पर तू समझ नहीं पायी की हवस के परे इस शक्ति और होती है . तूने चढ़ती जवानी की दहलीज को पार करते तीन दोस्तों को अपने हुस्न के जाल में फंसा लिया .तूने तीनो को वो ही कहानी सुनाई जो मुझे सुनाई थी वो तेरे जाल में फंस भी गए पर महावीर के पास एक चीज थी जिसने मुझे वो सच दिखाया जो वक्त की धुल में ढका हुआ था . महावीर के पास एक कैमरा था रमा जिस से वो चोरी छिपे तस्वीरे खींचता था . मुझे वो तस्वीरे मिली जो छिपा दी गयी थी उन्ही तस्वीरों में मुझे वो मिला जिसकी तलाश थी मुझे. मुझे सच मिला वो सच जो महावीर ने ढूंढा था .

रमा- तेरे जैसा था वो , उसको भी इतनी ही चुल थी अतीत को तलाश करने की एक वो ही था जिसने वो तरीका तलाश लिया था जिस से की सोने के मालिक को काबू कर सकते थे . उसने ही सबसे पहले जाना था की वो कौन था . और यही बात उसके मरने की वजह बन गयी .

मैं- पर तू उसके बारे में एक चीज नहीं जानती थी रमा की वो आदमखोर था . और अगर वो आदमखोर बना तो ये रास्ता उसने खुद ही चुना होगा क्योंकि वो भी मेरी तरह इस कहानी के मूल की तलाश में था . वो सोना नहीं चाहता था . महावीर को जहाँ तक मैंने समझा है वो खुद को सुनैना की आत्मा का टुकड़ा समझता था .

मेरी बात सुन कर रमा की आँखे हैरत से भर गयी .

मैं- पर नहीं , वो नहीं था . वो कभी भी नहीं था

रमा- तो फिर कौन था .


मैं- तूने कभी समझा ही नहीं रमा ,की हवस के आगे एक शक्ति और होती है और वो होती है प्रेम . बेशक सुनैना के गर्भ में पल रही संतान को अपनाने की हिम्मत रुडा में नहीं थी पर सुनैना ने प्रेम के उस रूप को चुना जिसे मात्रत्व कहते है . माँ, दुनिया की सबसे शक्तिशाली योद्धा होती है . मैं हमेशा सोचता था की इस जंगल से मुझे इतना लगाव क्यों है . क्यों, क्योंकि मैं इस जंगल का अंश हूँ . मैं हूँ सुनैना की आत्मा का वो टुकड़ा . मैं हूँ वो सच जिसे कोई नहीं जानता .
Happy Birthday Bhai

Awesome update.
 

Game888

Hum hai rahi pyar ke
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आज इस नाचीज़ का जन्मदिन है :blush:
जन्मदिन की हार्दिक बधाई भाई
 

Vicky11

Active Member
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Awesome update.
 
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