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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

SKYESH

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दिलजले शुरू कर दी है फौजी भाई ने................. अब आदमखोर को भूल जाओ

एक बात और सिर्फ एक ही बात है आदमखोर के बारे में...................
कहानी के लास्ट अपडेट में क्लियर है...........

डायन को मुक्त करने के लिए राय साहब विशंभर दयाल ने जब आदमखोर को मारा ........... तो उसके काटने से विशंभर खुद आदमखोर बन गया था

यानि इकलौता और आरिजिनल आदमखोर..............

बाकी सब उसकी वजह से आदमखोर बने............ उसके काटने से

कबीर के भी जबसे किसी कीड़े ने काटा था तभी से उसकी आदमखोर बनने की शुरुआत हुयी थी

और जितने भी जानवर या इंसान मरे केवल राय साहब या उनके मोहरों की वजह से मरे............ हमेशा हर जगह जहां अदमखोर होता था वहाँ विशंभर गायब होता था

तो आदमखोर का तो किस्सा ही नहीं कुछ........... सिर्फ विशंभर का लालच और हवस है इस कहानी में ............ और वही हर मोहरे के पीछे असली खिलाड़ी था
यहाँ तक कि रूड़ा भी उसी का दोस्त था, सुनैना भी (लालच), रमा, सरला, कविता, मंगु, चम्पा और जरनैल (हवस) डायन को भी विशंभर ने ही घर में बसाया हुआ था
महावीर और अंजू को भी उसी ने बचाया और पाला (प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कैसे भी, वो दोनों विशंभर की वजह से ही थे)

ये कहानी विशंभर और सुनैना की है.................. जैसे दिल अपना प्रीत पराई ...... राणाजी और जस्सी की कहानी है ............. बाकी सब कठपुतलियाँ हैं
यहाँ ना कबीर का कुछ है ना निशा का, ना नंदिनी का कुछ है ना अभिमाणु का........... जैसे वहाँ ना कुन्दन का कुछ था न आयत का
ये दोनों नायक जिस परिवार की डोर को थामने का दावा करते थे वो कहीं थी ही नहीं..... और बिखरा हुआ परिवार भी इनके बांधने की सनक में खत्म हो गया
क्योंकि ना तो कुन्दन वक़्त रहते राणा हुकुम सिंह को मार पाया और ना ही कबीर वक़्त रहते राय साहब को.........................

लालच और हवस से भी ज्यादा बड़ा .......... ज्यादा खतरनाक............ मोह........ मोह इन नायकों का.......... इनके परिवार की बरबादी की वजह बना
कबीर और कुन्दन नायक की सोच रखते हुये भी...... परिवार के लिए खलनायक साबित हुये

मेरे जीवन के अनुभवों से मेरी समझ में कहानी का सार यही है.............. मोह जितना घातक...... काम, क्रोध, मद, लोभ कोई भी नहीं
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lpncc7m5

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kamdev99008

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मैंने हमेशा कहा है इस फोरम पर मुझे बस आप ही समझते है. ना जाने कौन सी वो डोर है जिसने हम दोनों को जोड़ा हुआ है
ये नियति का खेल है......... ...........
मैं Orkut, AOL से एक दिन Yahoo ग्रुप HILMS प्रेम गुरु भाई के ग्रुप पर पहुंचता हूँ, वहाँ से पता नहीं कितनी पॉर्न और सेक्स स्टोरीस फोरम्स पर होते हुये xossip पर और वहाँ भी अचानक एक कमेंट में मेम्बर प्रोफ़ाइल पर Image के नीचे ये पंक्तियाँ पढ़ता हूँ.......
रात भर मोबाइल पर चलती हैं उँगलियाँ
सीने पर किताब रखकर सोये, जमाना गुजर गया


बस वहीं लगा कि ये कोई ऐसा है जो मेरे मन से जुड़ा हुआ है....... और द डार्क साइड सागा पढ़ते ही तो मुझे लगा कि कोई मेरे मन को पढ़कर शब्दों में उतार रहा है

यहाँ भी मुसाफिर वाली ID से शुरू हुई कहानी पढ़ते ही मेंने अपके शब्दों को पहचान लिया...... चाहे आपको ना पहचाना...........

शायद नियति ने हमारे लिए कुछ सोचा है इसीलिए हमें मिलाने की कोशिश में लगी हुयी है ............ कुछ अद्भुत, अविस्मरणीय, अकल्पनीय........ और शायद असंभव भी ......
पिछले जन्म के भाई हैं शायद हम ............. क्योंकि इस जन्म में तो कुम्भ के मेले में हम बिछड़े नहीं :love3:
मुसाफिर हो तुम भी, मुसाफिर हैं हम भी
किसी मोड पर फिर मुलाक़ात होगी
 

kamdev99008

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king cobra

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ये नियति का खेल है......... ...........
मैं Orkut, AOL से एक दिन Yahoo ग्रुप HILMS प्रेम गुरु भाई के ग्रुप पर पहुंचता हूँ, वहाँ से पता नहीं कितनी पॉर्न और सेक्स स्टोरीस फोरम्स पर होते हुये xossip पर और वहाँ भी अचानक एक कमेंट में मेम्बर प्रोफ़ाइल पर Image के नीचे ये पंक्तियाँ पढ़ता हूँ.......
रात भर मोबाइल पर चलती हैं उँगलियाँ
सीने पर किताब रखकर सोये, जमाना गुजर गया


बस वहीं लगा कि ये कोई ऐसा है जो मेरे मन से जुड़ा हुआ है....... और द डार्क साइड सागा पढ़ते ही तो मुझे लगा कि कोई मेरे मन को पढ़कर शब्दों में उतार रहा है

यहाँ भी मुसाफिर वाली ID से शुरू हुई कहानी पढ़ते ही मेंने अपके शब्दों को पहचान लिया...... चाहे आपको ना पहचाना...........

शायद नियति ने हमारे लिए कुछ सोचा है इसीलिए हमें मिलाने की कोशिश में लगी हुयी है ............ कुछ अद्भुत, अविस्मरणीय, अकल्पनीय........ और शायद असंभव भी ......
पिछले जन्म के भाई हैं शायद हम ............. क्योंकि इस जन्म में तो कुम्भ के मेले में हम बिछड़े नहीं :love3:
मुसाफिर हो तुम भी, मुसाफिर हैं हम भी
किसी मोड पर फिर मुलाक़ात होगी
hum bhi musafir hain dost lekin kuch bolegen nahi bahut si story padhi hai maine Rajesh bhai ki story aur meri fev story adhuri hai 3 ya 4 update hi aaye uspar uske baad ftk story achcha likhta hai lekin story ki ending unna achcha noi karta hai hai na Jo baat hai wo yahi hai uske baad kya likhun ye staaf wale fir se mera Gyan story sec cc me fenk dengen wahan hum aur tum hongen
 

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“जिस डायन की कहानियो से आज भी गाँव के लोग खौफ खाते है मैं हूँ वो डायन ” चाची ने इतना कहा और खीच कर एक थप्पड़ अंजू को मारा जिसका चेहरा अँधेरे में भी डर से सुर्ख हो चला था .

चाची- और तुजे क्या लगा , तू हरामजादी तेरा एक लंड से मन भर ही नहीं रहा था तू कुतिया अलग ही किस्म की रांड तूने घोर पाप किया , अभिमानु और नंदिनी से धोखा किया . जिनके आंचल में खेल कर तू बड़ी हुई तूने उनको ही मौत दी . तेरे जैसी के कारण आगे से ज़माने में बहन-बेटियों पर विश्वास नहीं करेंगे लोग.

चाची ने अंजू को पीटना शुरू किया . मैं बापने होश संभालने की कोशिश कर रहा था . मैंने भाले को कस कर पकड़ा और उसे अपने बदन से अलग करने की कोशिश करने लगा. मेरे अपने ही घर में डायन रहती थी ये बात कोई भी नहीं समझ पाया था .

“छोड़ दो अंजू को ” मैंने कराहते हुए कहा

चाची- वाह रे इन्सान तेरी फितरत न्यारी, तू अभ्भी इसे छोड़ने की गुहार लगा रहा था . इस से पूछ तो ले की इसने नंदिनी को क्यों मारा , उस नंदिनी को जिसका दर्जा सबसे ऊपर था तेरे लिए. मैं बताती हूँ तुझे. नंदिनी और अभिमानु ने आदमखोर का तोड़ तलाश लिया था , जो संक्रमण महावीर की वजह से नंदिनी को लगा था उस से निजात पा सकती थी वो अंजू को ये बात बता चल गयी ये उस से वो तोड़ चाहती थी ताकि अपने असली यार को ठीक कर सके , और कौन था इसका यार तेरा चाचा , बड़ी आसानी से इसने सबलोगो का चुतिया काट दिया . जब ये रंगे हाथ चुदते हुए पकड़ी गयी तो इसने बलात्कार वाली कहानी गढ़ ली. इसकी वजह से ही रेणुका ने झगडा किया और उन्माद में जरनैल ने उसे मार दिया. रमा की बेटी को भी इसकी वजह से ही मरना पड़ा क्योंकि उसने इसकी चुदाई देख ली थी . अपने आप का दामन साफ़ रखने के लिए जरनैल और इसने उस फूल को कुचल दिया . तब मैंने उसे उसके किये की सजा दी पर नहीं जानती थी की वो कमबख्त संक्रमित था . बिशम्भर ने संभाल लिया उसे. छिपा लिया . ये हरामजादी इसने ही अभिमानु और नंदिनी को भड़काया , अभिमानु नंदिनी के संक्रमित होने से भड़का हुआ था , मौका देख कर इसने अपने ही भाई को मार दिया क्योंकि उसने इसे खंडहर का राज बताने से मना कर दिया वो जानता था की ये नीच किस्म की है . पर आज इसका किस्सा भी खत्म हो जायेगा.

चाची ने एक झटके से अंजू के सीने में अपना हाथ डाल दिया और उसका दिल बाहर निकाल लिया . खून से लतपथ ह्रदय चाची के हाथ में तड़पने लगा. ऐसी क्रूरता मैंने पहले कभी नहीं देखि थी . फिर वो चलते हुए मेरे पास आई.

चाची- तू सबसे सरल था सबसे अनोखा , मैं हैरान थी कितना मान किया तूने अपनी चाची का , उस से सम्बन्ध भी बनाये तो मान के साथ . पर कबीर तुझे क्या पंचायत थी , खंडहर का सच जान गया था तू . तूने उसे ही नष्ट कर दिया. खंडहर के नष्ट होते ही मैं समझ गयी थी , बेशक तेरे परिवार के चुतियापने की वजह से मैं उस कैद से आजाद हो सकी पर मेरी भी अपनी सीमाए है , मेरी शक्ति का केंद्र ही वो खंडहर था . मैं कमजोर हो गयी हूँ , मेरे अस्तित्व पर संकट आ गया है एक ही रास्ता है जो मुझे बचा सकता है तेरा रक्त पान . ये दुनिया बड़ी मादरचोद है कबीर और मैं भी इस दुनिया का ही हिस्सा हूँ . अपने अस्तित्व के लिए मुझे ये काम करना ही होगा .

चाची ने अपने होंठ मेरे टपकते गर्म लहू से लगाये ही थे की ....





“कबीर , ” ये निशा की चीख थी जो वहां आ पहुंची थी .

चाची - बढ़िया, तू भी आ गयी . किस्मत वाली है तू जो जोड़े से मरोगे . बरसो तक तुम्हारे किस्से सुनाये जायेंगे . मैं सोच ही रही थी की तुम कहाँ रह गयी बहुरानी . थोडा सा इंतज़ार कर पहले मैं तेरे खसम को मार दू फिर तुझे भी आजादी दूंगी .

निशा- अगर मेरे कबीर को कुछ भी हुआ न तो मेरा वादा है तुझसे वो करुँगी जो तूने सोचा भी नहीं होगा. तू जो भी है जैसी भी है मुझे परवाह नहीं, कबीर मेरी वो ख़ुशी है जो किस्मत वालो को मिलती है और मुझसे मेरी ख़ुशी कोई भी छीन ले ये मैं हरगिज नहीं होने दूंगी.

चाची- अच्छा ये बात है तो फिर बचा ले इसे हम भी देखे इसक का जोर

निशा- काश तू समझ पाती ,

निशा ने एक पत्थर उठा कर चाची की तरफ फेंका जो सीधा उसके सर पर जाकर लगा. सर फूट गया खून बहने लगा. चाची ने अपनी ऊँगली खून से सानी और उसे होंठो से लगा लिया. बिजली की रफ़्तार से वो निशा के पास पहुंची और उसे एक लात मारी . निशा दूर जाकर गिरी. मैं तडप उठा. चाची एक बार फिर निशा के पास पहुंची और फिर से मारा उस को. मेरे लिए निशा पर वार सहना बर्दाश्त के बाहर था . मैंने अपनी हिम्मत समेटी और भाले को बहार करने की कोशिश करने लगा . पर वो पीछे सरक नहीं रहा था . दूसरी तरफ निशा एक डायन से टक्कर ले रही थी . मैंने तब दूसरा विचार किया बची कुची शक्ति लगाकर मैंने मैंने भाले को आगे की तरफ खींचना शुरू किया और मुझे कामयाबी भी मिली. असीम दर्द के बावजूद मैंने भाले को खींच फेंका. धरती पर गिरते ही मैंने फेफड़ो में ताज़ी हवा को महसूस किया

मैं- बस डायन बस. बहुत हुआ .

डायन ने मुझे देखा और निशा को छोड़ दिया.

डायन- अब आएगा मजा

वो मेरी तरफ लपकी और मैंने उसकी भुजाओ को थाम लिया. चांदी का असर कम होते ही मेरा ताप बढ़ने लगा . मैंने डायन के पेट में घुटना मारा और उसके झुकते ही अपनी कोहनी उसकी पीठ में दे मारी. पर तुरंत ही वो संभली और मेरे सीने पर वार किया उसने . उसके अगले वार को मैंने हवा में ही रोका और उसे एक पेड़ के तने पर दे मारा. डायन को जोर से अलग था ये वार उसने चिंघाड़ मारी और उसका रूप बदलने लगा.

कयामत क्या होती है मैंने उस पल देखि थी , अँधेरी रात में डायन का असली रूप मेरी आँखों के सामने थे . दमकते स्वर्ण की आभा लिए डायन वैसी तो बिलकुल नहीं थी जैसा हम सुनते आये थे पर क्रूरता उस से कही जायदा था . आँखों में उन्माद लिए वो मेरी तरफ बढ़ी पर मैंने उसे पकड लिया. इस बार मेरी पकड़ को अन्दर तक उसने महसूस किया और मैंने प्रहार किया उस पर डायन अन्दर तक तडप कर रह गयी . उसने आश्चर्य से मेरी तरफ देखा .पर मैंने उसे मौका नहीं दिया

मैं- दुनिया में दो लोग ही थे जो मेरे लिए हद से जायदा कीमती थे उनमे से एक थी मेरी चाची, तूने उसका रूप लेकर छला मुझे. वो बेचारी कब हमें छोड़ कर चली गयी हमें तो मालूम भी नहीं हुआ . जंगल के किस कोने में उस का शरीर दफन है मैं कभी नहीं जान पाऊंगा. उसके रूप में बेशक तू थी और तू भी जानती है की मैंने उस नाते को कैसे निभाया था . सब कुछ भुला कर मैं तुझे माफ़ भी कर देता पर तूने निशा पर वार करके वो हद पार कर दी जिसके किसी किनारे पर मेरी माफ़ी थी . तूने भी एक गलती की तू भी समझ नहीं पायी कबीर को . तुझे भी दुनिया की तरह लगा की कबीर चुतिया है पर कबीर सर झुकाना जानता है तो सर काटना भी जानता है .

डायन- आ फिर देखे जरा , रात अभी बहुत बाकी है आने वाला उजाला देखते है किसके नसीब में है , ये कहानी कौन सुनाएगा तू या मैं देखते है .

डायन ने अपनी उंगलिया मेरी पीठ के भाले वाले जख्म में घुसा दी, उसकी लम्बी होती उंगलियों को मैंने अपने दिल की तरफ बढ़ते देखा . पूरा जोर लगाकर मैंने उसका हाथ मरोड़ा और उस को धक्का दिया. डायन ने फुर्ती दिखाई और मेरी पीठ पर बैठ गए मेरा गला घोंठने लगी. और तब वो हुआ जो डायन ने कभी नहीं सोचा था मेरे अन्दर का आदमखोर बाहर आया. मुझे रूप बदलते हुए देख कर डायन घबराई नहीं बल्कि उसके होंठो पर कुटिल मुस्कान आ गयी .

डायन- देख नियति के खेल को . काश मैं पहले इस सच को जानती , तो कब का जीत चुकी होती इस बाजी को पर अभी भी कौन सी देर हुई है . आज की रात यादगार रात होगी .

वो टूट पड़ी मुझ पर , कभी मैं हावी कभी वो . मैंने एक पुरे पेड़ को उखाड़ कर उसे उसके निचे ले लिया पर वो घाघ थी उसने मुझे काबू कर लिया. एक समय के बाद मेरी साँस उखड़ने लगी थी और वो छाने लगी मुझ पर . पस्त कर दिया उसने मुझे .

डायन- कबीर, कबीर. अब मान भी जा मुझे हराना तेरे बस का नहीं . तेरे आदमखोर को मार कर मैं स्वछन्द हो जाउंगी इस निश्छल रक्त को पीकर मैं अपने अस्तित्व को सुरक्षित कर लुंगी फिर कोई नहीं सामने होगा मेरे. सबसे श्रेष्ट सबसे अनोखी . .........

“आक्क्कक्क्क ” आगे के शब्द डायन के हलक में अटक कर रह गए थे मैंने देखा वो ही चांदी का भाला डायन के सीने के आर पार हो गया था .

“मैंने तुझसे कहा था सब कुछ करना पर मेरे सुहाग की तरफ मत देखना , बड़ी मुश्किल से पाया मैंने दुबारा जिन्दगी को . मैंने कहा था न अब फिर कभी मैं डाकन नहीं बनूँगी, नहीं बनूँगी मैं. तूने सोचा भी कैसे की तू मेरी आँखों के सामने मेरे सुहाग को मिटा देगी. ” निशा ने कहा .

निशा- नियति ने तुझे मौका दिया था माँ बनने का , क्या नहीं था तेरे पास , नंदिनी जैसी बेटी दो बेटे जो तेरी सुरत देखे बिना कभी पानी तक को हाथ नहीं लगाते थे, नियति ने तुझे चाची के रूप में दुनिया की सबसे खूबसूरत नेमत सौंपी तुझे माँ का दर्जा दिया. पर तू समझ नहीं पायी . माँ तो अपनी औलादों के लिए इश्वर तक के सामने खड़ी हो जाती है और तू तू माँ के मर्म को समझ ही नहीं पायी अपने अस्तित्व के लिए तू उसको मिटा देना चाहती थी जिसने तुझे खुदा जैसा दर्जा दिया .

निशा ने आगे बढ़ कर भाले को थोडा सा खींचा और फिर से डायन के दिल के आर पार कर दिया .

डायन का शरीर राख बन कर झड़ने लगा और रह गयी तो गहरी काली रात जो अपने साथ सब कुछ खत्म कर गयी थी . निशा ने मेरी बाहें थामी और आँखों में आंसू लिए हम लोग गाँव की तरफ चल पड़े..........


“एक नया सवेरा पुकार रहा है हमें ” निशा ने बस इतना कहा और मैंने उसे आगोश में भींच लिया. न कुछ उसके पास था कहने को ना कुछ मेरे पास था कहने को .
Shaandar antt... Iss kahani ka safar boht hi mazedaar or romanchak Raha....hr part k sath woh aata tha jo socha hi nhi hota .. readers kitne hi ideas late rahe lekin update mei kuch or hi niklta tha... Kyuki Fouji bhai ka koi jabab nahi....or....akhir shandar samapti.... mazedaar safar Raha iss kahani ka..❤️
 
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