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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Bhai Mai story update ka hisaab sein keh raha jab Rama sab kabul kar rahi thi jo kiya hai Champa ki shadi Mai atank ko kyu mana karegi
Bhabhi aur Champa ka marna sein yeh kaisa sabit hota hai Nisha kidnap hui woh bataoo bhabhi Ghar par hai Nisha Kabir ka sath kuwa par thi jo afwaa Kabir na chacha ka Zinda hona ki failayi thi woh sirf Nisha aur Kabir janta tha bhabhi ko nahi bataya tha
Fauji bhai na jab update khatam kiya th to likha tha Kabir Nisha kuwa par tha jab payal ki awaaz ayi fir Jo doosra update Diya usmain Kabir khandar Mai Nisha kuwa par
hu
कुएं और खंडहर वाले कॉफ्यूजन के लिए तो मैंने भी बोला है।

उसी से को भी जरा बहुत कन्फ्यूजन रह गया है वो जायेगा।

और रही चंपा की शादी वाली बात, उसमे फायदा बस विशंभर का ही था, और वो खुद आदमखोर था।
 

stupid bunny

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कुएं और खंडहर वाले कॉफ्यूजन के लिए तो मैंने भी बोला है।

उसी से को भी जरा बहुत कन्फ्यूजन रह गया है वो जायेगा।

और रही चंपा की शादी वाली बात, उसमे फायदा बस विशंभर का ही था, और वो खुद आदमखोर था।
Bhai yeh aap ki logic hai aapki logic aapko theek lag rahi hai doosro ko nahi
Jab ek writer ek rachna karta hai to sare Patra uska hattho ya kalam ki kathputli hai jisna rachna ki hai woh hi baat sakta hai sare sawallo ka jawab muje unka view chahiya
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Bhai yeh aap ki logic hai aapki logic aapko theek lag rahi hai doosro ko nahi
Jab ek writer ek rachna karta hai to sare Patra uska hattho ya kalam ki kathputli hai jisna rachna ki hai woh hi baat sakta hai sare sawallo ka jawab muje unka view chahiya
देखो भाई, मंगू ने माना की वो नकली आदमखोर बन कर आया था, पर कबीर को असली आदमखोर की महक आई बस, तो ये क्लियर ही नही है कि असली आदमखोर आया था या नहीं, मंगू विशंभर के लिए ही काम करता था।
 
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stupid bunny

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देखो भाई, मंगू ने माना की वो नकली आदमखोर बन कर आया था, पर कबीर को असली आदमखोर की महक आई बस, तो ये क्लियर ही नही है कि असली आदमखोर आया था या नहीं, मंगू विशंभर के लिए ही काम करता था।
Aap fir logic bata raha ho story mai
Aap jab Manju ka bayan bata raha ho to Rama ka bayan par aitbar kyu nahi aapko
Mai yeh nahi kehta aadamkhor asli nahi tha
Magar jab climax Mai raaz khulta hai to fir unki batatto par Shaq nahi kiya jata Rama na kaha tha usein ray Saheb ka koi lena dena nahi tha
 

stupid bunny

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मैं- इस कहानी में साले सब एक दुसरे को चाह ही तो रहे है . किस किस्म की चाहत है ये जो सबको बर्बाद कर गयी. बाप चुतिया ने चाचा को कैदी बना कर रखा , उसका इस्तेमाल किया चंपा के ब्याह को बर्बाद करने में. समझ नही आता जब ब्याह को बर्बाद करना ही था तो ब्याह करवाने की क्या जरुरत थी .

रमा- राय साहब का उस घटना से कुछ लेना देना नहीं है.

मैं- तो किसका है .

रमा- नहीं जानती , अब ये खेल उस मुकाम पर पहुँच चूका है जहाँ पर कौन किस पर वार करे कौन जाने. पर अब जब तुम सब जानते हो मैं सब कुछ जानती हूँ तो फिर इस खेल को आज ही खत्म करना चाहिए. काश मैं पहले जान जाती
 

stupid bunny

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Agar woh aadamkhor Kabir ka hisaab sein chacha hai to kahi anju na to istemal nahi kiya tha chacha ka Champa ki shadi Mai
Yeh Mera logic hai update ka hissa. Sei. Magar exact answer sirf fauji bhai de sakta hai
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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Ab apna bhai bolega to new khahani ke madhayem se bholega.❤️❤️❤️
दिलजले शुरू कर दी है फौजी भाई ने................. अब आदमखोर को भूल जाओ

एक बात और सिर्फ एक ही बात है आदमखोर के बारे में...................
कहानी के लास्ट अपडेट में क्लियर है...........

डायन को मुक्त करने के लिए राय साहब विशंभर दयाल ने जब आदमखोर को मारा ........... तो उसके काटने से विशंभर खुद आदमखोर बन गया था

यानि इकलौता और आरिजिनल आदमखोर..............

बाकी सब उसकी वजह से आदमखोर बने............ उसके काटने से

कबीर के भी जबसे किसी कीड़े ने काटा था तभी से उसकी आदमखोर बनने की शुरुआत हुयी थी

और जितने भी जानवर या इंसान मरे केवल राय साहब या उनके मोहरों की वजह से मरे............ हमेशा हर जगह जहां अदमखोर होता था वहाँ विशंभर गायब होता था

तो आदमखोर का तो किस्सा ही नहीं कुछ........... सिर्फ विशंभर का लालच और हवस है इस कहानी में ............ और वही हर मोहरे के पीछे असली खिलाड़ी था
यहाँ तक कि रूड़ा भी उसी का दोस्त था, सुनैना भी (लालच), रमा, सरला, कविता, मंगु, चम्पा और जरनैल (हवस) डायन को भी विशंभर ने ही घर में बसाया हुआ था
महावीर और अंजू को भी उसी ने बचाया और पाला (प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कैसे भी, वो दोनों विशंभर की वजह से ही थे)

ये कहानी विशंभर और सुनैना की है.................. जैसे दिल अपना प्रीत पराई ...... राणाजी और जस्सी की कहानी है ............. बाकी सब कठपुतलियाँ हैं
यहाँ ना कबीर का कुछ है ना निशा का, ना नंदिनी का कुछ है ना अभिमाणु का........... जैसे वहाँ ना कुन्दन का कुछ था न आयत का
ये दोनों नायक जिस परिवार की डोर को थामने का दावा करते थे वो कहीं थी ही नहीं..... और बिखरा हुआ परिवार भी इनके बांधने की सनक में खत्म हो गया
क्योंकि ना तो कुन्दन वक़्त रहते राणा हुकुम सिंह को मार पाया और ना ही कबीर वक़्त रहते राय साहब को.........................

लालच और हवस से भी ज्यादा बड़ा .......... ज्यादा खतरनाक............ मोह........ मोह इन नायकों का.......... इनके परिवार की बरबादी की वजह बना
कबीर और कुन्दन नायक की सोच रखते हुये भी...... परिवार के लिए खलनायक साबित हुये

मेरे जीवन के अनुभवों से मेरी समझ में कहानी का सार यही है.............. मोह जितना घातक...... काम, क्रोध, मद, लोभ कोई भी नहीं


कुएं और खंडहर वाले कॉफ्यूजन के लिए तो मैंने भी बोला है।

उसी से को भी जरा बहुत कन्फ्यूजन रह गया है वो जायेगा।

और रही चंपा की शादी वाली बात, उसमे फायदा बस विशंभर का ही था, और वो खुद आदमखोर था।

Bhai yeh aap ki logic hai aapki logic aapko theek lag rahi hai doosro ko nahi
Jab ek writer ek rachna karta hai to sare Patra uska hattho ya kalam ki kathputli hai jisna rachna ki hai woh hi baat sakta hai sare sawallo ka jawab muje unka view chahiya

देखो भाई, मंगू ने माना की वो नकली आदमखोर बन कर आया था, पर कबीर को असली आदमखोर की महक आई बस, तो ये क्लियर ही नही है कि असली आदमखोर आया था या नहीं, मंगू विशंभर के लिए ही काम करता था।

Aap fir logic bata raha ho story mai
Aap jab Manju ka bayan bata raha ho to Rama ka bayan par aitbar kyu nahi aapko
Mai yeh nahi kehta aadamkhor asli nahi tha
Magar jab climax Mai raaz khulta hai to fir unki batatto par Shaq nahi kiya jata Rama na kaha tha usein ray Saheb ka koi lena dena nahi tha

मैं- इस कहानी में साले सब एक दुसरे को चाह ही तो रहे है . किस किस्म की चाहत है ये जो सबको बर्बाद कर गयी. बाप चुतिया ने चाचा को कैदी बना कर रखा , उसका इस्तेमाल किया चंपा के ब्याह को बर्बाद करने में. समझ नही आता जब ब्याह को बर्बाद करना ही था तो ब्याह करवाने की क्या जरुरत थी .

रमा- राय साहब का उस घटना से कुछ लेना देना नहीं है.

मैं- तो किसका है .

रमा- नहीं जानती , अब ये खेल उस मुकाम पर पहुँच चूका है जहाँ पर कौन किस पर वार करे कौन जाने. पर अब जब तुम सब जानते हो मैं सब कुछ जानती हूँ तो फिर इस खेल को आज ही खत्म करना चाहिए. काश मैं पहले जान जाती

Agar woh aadamkhor Kabir ka hisaab sein chacha hai to kahi anju na to istemal nahi kiya tha chacha ka Champa ki shadi Mai
Yeh Mera logic hai update ka hissa. Sei. Magar exact answer sirf fauji bhai de sakta hai

Fauji bhai mere mann mai sawal hai yeh pehli bar ha ki Kabir ko kaise.kabir ko pata chala ki vo hi atma ka ansh hai sunaina ka.kuch bate to saaf Karo bhai.sar dhard se phata ja rahai fauji bhai🤣🤣
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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दिलजले शुरू कर दी है फौजी भाई ने................. अब आदमखोर को भूल जाओ

एक बात और सिर्फ एक ही बात है आदमखोर के बारे में...................
कहानी के लास्ट अपडेट में क्लियर है...........

डायन को मुक्त करने के लिए राय साहब विशंभर दयाल ने जब आदमखोर को मारा ........... तो उसके काटने से विशंभर खुद आदमखोर बन गया था

यानि इकलौता और आरिजिनल आदमखोर..............

बाकी सब उसकी वजह से आदमखोर बने............ उसके काटने से

कबीर के भी जबसे किसी कीड़े ने काटा था तभी से उसकी आदमखोर बनने की शुरुआत हुयी थी

और जितने भी जानवर या इंसान मरे केवल राय साहब या उनके मोहरों की वजह से मरे............ हमेशा हर जगह जहां अदमखोर होता था वहाँ विशंभर गायब होता था

तो आदमखोर का तो किस्सा ही नहीं कुछ........... सिर्फ विशंभर का लालच और हवस है इस कहानी में ............ और वही हर मोहरे के पीछे असली खिलाड़ी था
यहाँ तक कि रूड़ा भी उसी का दोस्त था, सुनैना भी (लालच), रमा, सरला, कविता, मंगु, चम्पा और जरनैल (हवस) डायन को भी विशंभर ने ही घर में बसाया हुआ था
महावीर और अंजू को भी उसी ने बचाया और पाला (प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कैसे भी, वो दोनों विशंभर की वजह से ही थे)

ये कहानी विशंभर और सुनैना की है.................. जैसे दिल अपना प्रीत पराई ...... राणाजी और जस्सी की कहानी है ............. बाकी सब कठपुतलियाँ हैं
यहाँ ना कबीर का कुछ है ना निशा का, ना नंदिनी का कुछ है ना अभिमाणु का........... जैसे वहाँ ना कुन्दन का कुछ था न आयत का
ये दोनों नायक जिस परिवार की डोर को थामने का दावा करते थे वो कहीं थी ही नहीं..... और बिखरा हुआ परिवार भी इनके बांधने की सनक में खत्म हो गया
क्योंकि ना तो कुन्दन वक़्त रहते राणा हुकुम सिंह को मार पाया और ना ही कबीर वक़्त रहते राय साहब को.........................

लालच और हवस से भी ज्यादा बड़ा .......... ज्यादा खतरनाक............ मोह........ मोह इन नायकों का.......... इनके परिवार की बरबादी की वजह बना
कबीर और कुन्दन नायक की सोच रखते हुये भी...... परिवार के लिए खलनायक साबित हुये

मेरे जीवन के अनुभवों से मेरी समझ में कहानी का सार यही है.............. मोह जितना घातक...... काम, क्रोध, मद, लोभ कोई भी नहीं
मैंने हमेशा कहा है इस फोरम पर मुझे बस आप ही समझते है. ना जाने कौन सी वो डोर है जिसने हम दोनों को जोड़ा हुआ है
 
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