#8
चाची ने तुरंत ही बात को संभाल लिया और बोली- मैं भी ना, आजकल इस सर दर्द के मारे कुछ ध्यान रहता ही नहीं .
भाभी- आपको सर दर्द है आपने बताया भी नहीं . मैं अभी डॉक्टर को बुलवा देती हूँ
चाची- नहीं बहु, तू ही सर दबा देना तेरे हाथो से ही आराम आ जायेगा मुझे .
भाभी- जी चाची . फ़िलहाल मैं चाय बनाने जा रही हूँ कहो तो आपके लिए भी बना लाऊ
चाची- ये भी कोई पूछने की बात है
भाभी रसोई में चली गे रह गए हम दोनों. चाची की नजरे झुकी थी . मैं उठ कर अपने चोबारे में चला गया कुछ देर बाद चाय लेकर चाची भी आ गयी . मैंने कप लिया और खिड़की खोल दी. इस खिड़की से डूबते सूरज को देखने का भी अपना ही सुख था .
चाची की नजरे मुझ पर जमी हुई थी वो बात तो करना चाहती थी पर शायद संकोच कर रही थी .
प्रेम रोग का भँवरे ने खिलाया फूल गाना धीमी आवाज में मेरे रेडियो पर बज रहा था.
चाची- आज चलोगे कुवे पर
मैं- नहीं , मैंने चंपा को बोल दिया है मुझे एक जरुरी काम है
चाची- ऐसे क्या जरुरी काम है तुम्हारे जो रातो को ही होते है . मैं जानना चाहती हूँ .
मैंने एक पल चाची को देखा और बोला- मुझे हरिया के कातिल को तलाश है
चाचीने अपना कप टेबल पर रखा और बोली- तुझे कोई जरुरत नहीं है , उसके घरवाले अपने आप तलाश लेंगे . तेरे सिवा इस गाँव में किसी को भी उसकी परवाह नहीं है . जितना तेरे बस में था तूने उसकी मदद की पर किसी भी बात को दिल पर लेना ठीक नहीं है. मैंने कह दिया है तो कह दिया है .
मैं- जंगल में क्या है , क्या सच में भूत-प्रेत है वहां पर
चाची- तो तू कल रात को जंगल में गया था . देख कबीर ये ठीक नहीं है . तू वादा कर मुझसे ऐसे रातो में तू जंगल में नहीं भटकेगा
मैं - ठीक है आप कहती है तो नहीं जाता .
हम बाते कर ही रहे थे की तभी निचे से मंगू की आवाज आई तो मैं उठ पर निचे चला गया .
मैं- चूतिये, कितनी राह देखि तेरी चक्की का नाम लेकर कहाँ गया था तू .
मंगू- ऐसी खबर लाया हूँ की दिल खुश हो जायेगा
मैं- जल्दी बता फिर .
मंगू- पड़ोस के गाँव में नाचने वाले आये है . तगड़ा प्रोग्राम होगा आज .अपन भी चलेंगे आज रात
मैं- प्रोग्राम तो ठीक है पर पिताजी को मालूम हो गया की मुजरा देखने गए है तो हमें ही मोर बना देंगे.
मंगू- कोई बहाना बना लेना भाई . कितने दिनों में तो वो लोग आये है याद है न पिछली बार कितना मजा आया था .
मैं- ठीक है ,घंटे भर बाद तू गाँव के अड्डे पर मिलना .
कुछ देर बाद भैया आ गए तो मैं उनके पास गया.
भाई- कैसा है छोटे
मैं- बढ़िया भाई .
भैया - चाची के खेतो का काम पूरा हुआ
मैं- थोडा सा बाकी है आज रह जायेगा.
भाई- तु सोचता होगा भाई ने इस कड़ाके की ठण्ड में मजदुर बनाया हुआ है पर छोटे चाची का हमारे सिवा और कौन है . ये अपनापन ही परिवार की खुशहाली की चाबी है भाई. चाची के हम दोनों सगे बेटे ही है
मैं- जी भैया.
भाई- काफी दिन हो गए जोर आजमाइश किये . क्या बोलता है करे दो दो हाथ
मैं- रहने दो भाई पिछली बार के जैसे फिर हार जाओगे.
भाई- अरे वो तो तेरा दिल रखने के लिए मैं हार गया था की छोटे का दिल न टूट जाये.
मैं- वाह भाई गजब बात कही . देखते है फिर किसका जोर बढ़ा है किसका कम हुआ है .
मैं वहां से उठ कर चला ही था की भाई ने मुझे रोका- छोटे रुक जरा .
मैं- जी भाई.
भैया ने जेब से नोटों की गद्दी निकाली और मुझे देते हुए बोले- पडोसी गाँव में नाचने वाले आये है . देख आना प्रोग्राम और हाँ पिताजी से छुप कर जाना उन्हें मालूम होगा तो तेरे साथ साथ मुझे भी डांट लगायेंगे
न जाने कैसे भैया को हमेशा मेरे मन की बात मालूम हो जाती थी .
मैं- मिलते है फिर अखाड़े में
भैया - बिलकुल
जैसे ही पिताजी सोये मैं तुरंत निकल लिया अड्डे की तरफ जहाँ मंगू तैयार था .आधे घंटे बाद मैं और मंगू टेंट में बैठे रंगारंग प्रस्तुति का आनंद उठा रहे थे . रंगीले गानों पर मचलते हुस्न ने समां बाँधा हुआ था , क्या बूढ़े क्या जवान सब लोग आँखों से गर्म मांस का सेवन कर रहे थे . जब वो नाचने वाली अपनी छाती को लहराती तो जो सीटी पे सीटी बजती कसम से मजा ही तो आ जाता.
मंगू- ताड़ी का गिलास लाऊ
मैं- अरे नहीं यार. किसी को मालूम हुआ तो बेइज्जती सी हो जाएगी.
मंगू- किसी को कैसे मालूम होगा एक एक गिलास बस
मैं- ठीक है भाई आने दे फिर.
बात एक की हुई थी पर मैंने और मंगू ने दो दो गिलास टिका लिए .जोश जोश में मैंने दो चार नोट स्टेज पर उड़ा दिए. नाचने वाली ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया . सेब से लाल गाल उसके होंठो पर गहराई तक उतरी हुई लिपस्टिक और ठंडी में ताड़ी की गर्मी . कुछ देर उसके साथ नाचने के बाद मैंने उसके बलाउज में दो नोट लगाये और बोला- मेरे दोस्त के साथ नाच ले थोड़ी देर.
मैंने मंगू की तरफ इशारा किया . नाचने वाली मंगू के पास गयी और उसके संग लहराने लगी. फिर हम वापिस टेंट में बैठ गए. दुसरे गाँव में ज्यादा भोकाल मचाना भी ठीक नहीं रहता. मेरा दिल तो कर रहा था की इनको न्योता देकर हमारे गावं में इनका प्रोग्राम करवाया जाये पर पिताजी को इन चुतियापो से नफरत थी तो विचार त्याग देना ही उचित था .
वापसी में चलने से पहले हमने एक एक गिलास और खींच मारा ताड़ी का . अपनी मस्ती में हम लोग वापिस चले आ रहे थे . जैसे ही हम कच्चे रस्ते पर आये ठंडी हवा के झोंको ने ताड़ी का सुरूर बनाना शुरू कर दिया .
मैं- मंगू भोसड़ी के साइकिल ठीक से चला गिरा मत देना .
मंगू जो की झूम गया था .- हम क्या भाई ये दुनिया ही भोसड़ी की है , सब लोग भोसड़े से ही तो निकलते है.
“”वाह, मंगू मेरे दोस्त बड़ी गहरी बात कही तूने . ये दुनिया ही भोसड़ी की है ” मैंने कहा.
अपनी तारीफ सुन कर मंगू हंसने लगा. दिल साला अजीब ही था उस रात में. हम दोनों अपने किस्से याद करते हुए हंस रहे थे कैसे हमने शहद चुराते समय लकडियो को आग लगा दी थी . कैसे जोहड़ में नहाते थे .और भी ऐसे ही छोटे मोटे किस्से. हंसी ठिठोली करते हुए हम दोनों उसी जगह पर पहुँच गए जहाँ हमें हरिया कोचवान की गाडी मिली थी .
मैं- मंगू साइकिल रोक
मंगू- क्या हुआ भाई. मूतना है क्या एक काम कर चलती साइकिल से ही मूत भाई आज .
मैं- साइकिल रोक मंगू.
नसे में लडखडाते हुए मैं उसी जगह पर पंहुचा जहाँ उस अलाव के पास हरिया मंगू से आकर लिपट गया था .
“कितना मुतेगा भाई अभी , क्या तालाब बनाएगा ” ऐसा कह कर मंगू जोर जोर से हंसने लगा.
“मैं जानता हूँ तुम यही कहीं हो . मैं जानता हूँ की उस रात भी तुम यही कहीं थे. हरिया तुम्हारी वजह से ही मारा गया . ” मैंने हवाओ से कहा
“भाई आ भी जा अब तालाब को समुदंर बनाएगा क्या ” मंगू ने फिर से मुझे आवाज दी.
मैं मंगू की तरफ चल दिया . हमारी साइकिल थोड़ी सी ही आगे चली थी की एक चीख ने हमारी पतलूने गीली कर दी.
“aahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh ” जंगल की ख़ामोशी को वो चीख चीर रही थी .