• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,485
87,329
259
कहानी का मुख्य प्रश्न ये बन गया है की सबसे ज़्यादा राज़ कौन दबाए बैठा है? विशम्बर दयाल तो फिर जिस्मों और सोने के ही चक्कर में सारा खेल, खेल रहा है, समझा जा सकता है। रूडा और सुरजभान को भी सोने का लालच है, शायद अंजू भी सोने के ही पीछे है या हो सकता है की वो सुनैना से जुड़ा कोई रहस्य सुलझाना चाहती हो। नंदिनी का अपना एजेंडा है, परंतु इन सब महानुभावों के बीच अभिमानु नाम का प्राणी, सबसे अलग और अद्भुत दिखाई दिया है। सर्वप्रथम, विशम्बर दयाल, जरनैल और कबीर जैसों से रक्तसंबंध होते हुए भी उसके बारे में अच्छा ही सुनने को मिला है, अभी तक ये सबसे हैरान करने वाली बात है।

सही मायनों में अभिमानु उदाहरण है कीचड़ में कमल खिलने का। अपेक्षा यही है की कम से कम अभिमानु, कहानी के अंतिम क्षणों तक इसी किरदार में रहे, यानी अंत में वो कहीं ग्रे शेड में न चला जाए। ऐसा होने की संभावना भी है क्योंकि, कोई भी इंसान हर मायने में सर्वगुण संपन्न हो सकता है, ये केवल किताबी बात लगती है। परंतु, अभिमानु सत्य में गुणों और अच्छाइयों की खदान जैसा प्रतीत हुआ है। अब देखना ये है की वो सचमें ऐसा ही है, या किसी आवरण के अंदर उसने अपना असली रूप छिपाया हुआ है।

पहले वो तस्वीर को कबीर को मिली थी, जिसे बाद में अभिमानु ने गायब कर दिया, और अब मेज पर उकेरे गए वो शब्द, दोनों का ही आपस में सीधा संबंध जो सकता है। संभव है की त्रिदेव की कहानी का एक पात्र अभिमानु भी हो। बहरहाल, सवाल ये है की, अंजू और नंदिनी, दोनों ही जानती हैं त्रिदेव की कहानी। नंदिनी तो अपनी मर्ज़ी से आधा – अधूरा ही बताती है परंतु कबीर ने एक बार भी प्रयास तक नहीं किया अंजू से इस बारे में जानने का? माना की वो भी नंदिनी से कम नहीं है, परंतु मेरे ख्याल से कबीर एक बार प्रयास तो कर ही सकता था।

हालांकि, अब उसे त्रिदेव की कहानी का भी मर्म शायद समझ आ चुका है, बस हम जैसे नादान पाठक ही अपना माथा पीट रहे हैं। कितने शर्म की बात है की कबीर जैसे को समझ आ गया पर अब तक हमारे पल्ले कुछ न पड़ा... :doh:खैर, चाची को गहनों के बक्से के सतह आश्वासन भी दिया है कबीर ने की उसके जीवन में खुशियां पुनः लौटेंगी। परंतु, क्या जरनैल के जिंदा होने से, अथवा उसके सही – सलामत वापिस आने से चाची खुश होगी? क्योंकि चाची खुद भी हो सकती है उस षड्यंत्र के पीछे जिसके चलते जरनैल गायब है!

जरनैल का बैंक खाता था नहीं अर्थात अब कबीर एक बार फिर जरनैल वाले मामले में अटक सकता है। त्रिदेव ही इकलौता रास्ता नज़र आता है अब तो, सारी गुत्थी को सुलझाने का। मंगू.. जैसा मैंने पहले ही कहा था, कबीर नामक देवपुरुष, इससे सब कुछ नहीं जान पाएगा और वही हुआ। ना केवल मंगू ने कुछ बातें कबीर से छुपाई होंगी, बल्कि अब वो जाकर विशम्बर दयाल के सामने भी उल्टी करेगा की कबीर ने उससे पूछताछ की। अर्थात, एक बार फिर दोनों ठरकी बाप – बेटे एक – दूसरे पर शब्दों के बाण छोड़ते नज़र आ सकते हैं।

वैसे कबीर यदि अब भी मंगू का लिहाज़ इसलिए कर रहा है क्योंकि उसने मंगू को अपना दोस्त माना है, तो बेशक कबीर को कलियुग से उठाकर सतयुग में फेंक देना चाहिए। चम्पा – कांड के बाद मंगू के प्रति किसी भी प्रकार की सद्भावना रखना किसी भी प्रकार से जायज़ नहीं है। हां, अगर कबीर चम्पा के ब्याह तक कोई बखेड़ा करने से बच रहा है तो बात अलग है।

बहुत ही खूबसूरत भाग था भाई। प्रतीक्षा अगली कड़ी की...
ईमानदारी से कहूं तो ये मेरा लालच ही था कि कहानी को और थोड़ा बढ़ा दिया जाए. इतने समय तक xossip से xf तक के सफर मे मैने कुछ खोया बहुत कुछ पाया. आप सब से जुड़ा. चूंकि मैंने आगे ना लिखने का निर्णय लिया पर कहाँ आसान है ये तो बस यही लालच था पर उम्मीद है कि इस शनिवार रात तक हर सवाल का जवाब यहां होगा
 

Sagar sahab

New Member
79
477
68
ईमानदारी से कहूं तो ये मेरा लालच ही था कि कहानी को और थोड़ा बढ़ा दिया जाए. इतने समय तक xossip से xf तक के सफर मे मैने कुछ खोया बहुत कुछ पाया. आप सब से जुड़ा. चूंकि मैंने आगे ना लिखने का निर्णय लिया पर कहाँ आसान है ये तो बस यही लालच था पर उम्मीद है कि इस शनिवार रात तक हर सवाल का जवाब यहां होगा
फौजी भाई, हमने भी आपको xossip से ही पाया है,

आपसे और लगाव हुआ "जस्सी" की वजह से ..!! खैर आप ग्लेशियर जा रहे हैं देश सेवा करने के लिए , ईश्वर की कृपा बनी रहेगी आपके ऊपर!!
 
Last edited:

Sanju@

Well-Known Member
4,706
18,897
158
#

आँख खुली तो दोपहर हो रही थी ,अलसाया बदन लिए मैं मुश्किल से उठा. हाथ मुह धोये . गाँव पहुँच कर सबसे पहले मैं मंगू से ही मिला उसे साइड में लेकर गया.

मैं- कुछ जरुरी बात करनी है तुझसे

मंगू- हाँ भाई .

मैं- तूने प्रकाश को क्यों मारा.

मेरी बात सुनकर मंगू के चेहरे का रंग उड़ गया पर मैं हरगिज नहीं चाहता था की वो नजरे चुराए.

मैं- मंगू , तू मेरा दोस्त है और मैं उम्मीद करता हूँ की तू मुझे सच बताये.

मंगू-वो राय साहब पर दबाव बना रहा था

मैं- किस चीज का दबाव

मंगू- यही की राय साहब उसे वसीयत का एक टुकड़ा दे दे और साथ में चंपा को भी उसके पास भेजे.

मैंने एक गहरी साँस ली.

मैं- क्या था उस वसीयत में

मंगू- नहीं जानता. राय साहब ने इतना ही कहा की उनका पाला हुआ सपोला उनको डसना चाहता है , उसका फन कुचल दिया जाए.

मैं- ऐसा क्या था प्रकाश के पास की वो राय साहब को ब्लेकमेल करने की जुर्रत कर पाया.

मंगू- नहीं जानता, राय साहब ने कहा उसे मार दे मैंने मार दिया .

मैं- कल को राय साहब कहेगा की कबीर को मार दे तू मुझे भी मार देगा.

मंगू- कैसी बाते कर रहे हो भाई

मैं- तूने गलत राह चुनी है मेरे दोस्त. इस राह पर तुझे कुछ नहीं मिलेगा . मेरा बाप तुझे इस्तेमाल कर रहा है जब उसका मन भरेगा तुझे लात मार देगा. बाकि तेरी मर्जी है.

मंगू- मैं कविता के कातिल की तलाश के लिए कर रहा हूँ ये सब.

मैं- काविता तुझे कभी नहीं चाहती थी , वो बस तेरा इस्तेमाल कर रही थी. इस बात को जितना जल्दी समझ लेगा तेरी जिन्दगी उतनी ही आसान होगी.

मंगू- झूठ कह रहे हो तुम

मैं- तेरी दोस्ती की कसम मैंने तुझसे कभी झूठ नहीं बोला.

मंगू के जाने के बाद मैंने सोचा की बाप चुटिया के मन में आखिर चल क्या रहा है. कैसे मालूम हो की वो क्या करना चाहता है क्या कर रहा है. थोड़ी देर बाद मैंने अंजू को देखा , उसके पास गया .

मैं- कैसी हो अब

अंजू- बेहतर तुम बताओ

मैं-तुम्हे ठीक लगे तो क्या तुम मेरे साथ सुनैना की समाधी पर चल सकती हो

अंजू- अभी

मैं- अभी

अंजू - ठीक है मेरी गाड़ी की चाबी ले आओ ऊपर से

हम दोनों जंगल की तरफ चल पड़े और ठीक उसी जगह पहुँच गए जहाँ निशा मुझे ले गयी थी .पत्थरों के टुकड़े अभी भी वैसे ही पड़े थे .

अंजू- देख लो जो देखना है

मैं- बुरा मत मानना पर मैं वो सोना देखना चाहता हूँ

अंजू ने कंधे उचकाए और समाधी के कुछ पत्थर हटा कर एक हांडी जो की बेहद पुराणी थी काली पड़ चुकी थी बाहर निकाल ली. हांडी का ढक्कन हटाते ही मैंने देखा की वो सोने से लबालब भरी थी .

अंजू ने सही कहा था मुझे.

मैं- रख दो इसे वापिस

अंजू- तुमको चाहिए क्या सोना

मैं- नहीं

अंजू- फिर क्यों देखना चाहते थे तुम इसे.

अंजू की आवाज में उतावलापन लगा मुझे.

मैं- मुझे लगा था की सुनैना ने सोना निकाला था ये एक अफवाह है .

अंजू- सच तुम्हारे सामने है .

मैं- आओ चलते है

वापसी में मुझे ध्यान आया की बैंक जाना था . अंजू को छोड़ने के बाद मैं सीधा मेनेजर के पास गया और चाचा के खाते की जानकारी मांगी. मनेजेर ने मुझे ऊपर से निचे तक देखा और बोला- कुंवर, अगर ठाकुर लोग अपना धन बैंक में रखने लगे तो उनका रसूख क्या ही रह जायेगा. बैंक ठाकुरों के दरवाजे पर जाते है ठाकुर बैंक नहीं आते. ठाकुर जरनैल सिंह का कोई खाता नहीं यहाँ.



मामला अब और उलझ गया था . मैं मलिकपुर गया उन गहनों को लेकर सुनार ने पुष्टि कर दी की वो गहने उसने ही चाची के लिए बनाये थे. रात को मैं थोड़ी देर भाभी के पास बैठा इधर उधर की बाते की . अंजू साथ थी तो खुलकर मैं कुछ कह नहीं पा रहा था . सबके सोने के बाद मैं चाची को छत पर ले गया और सीढियों का किवाड़ बंद करते ही अपने आगोश में भर लिया.

चाची- कबीर, थोड़े दिन सब्र कर ले फिर खूब बिस्तर गर्म करुँगी तेरा.

मैं- ज्यादा देर नहीं लगाऊंगा.

मैंने चाची को घुटनों के बल झुकाया और उसके लहंगे को कमर तक उंचा कर दिया. चाची के मादक नितम्बो को चूमते हुए मैंने उनको चौड़ा किया और चाची की झांटो से भरी चूत पर अपने होंठ रख दिए.

“सीईईईईई कबीर ” चाची चाह कर भी अपने पैरो को कांपने से नहीं रोक पाई. जीभ का नुकीला कोना चाची की चूत के दाने पर रगड पैदा कर रहा था जिस से वो भी उत्तेजित होने लगी थी . मैं जानता था की समय कम है. मैंने लंड पर थूक लगाया और चाची की चूची मसलते हुए उसे चोदने लगा.

चाची के गाल चूमते हुए , ठंडी रात में छत पर चुदाई का अपना ही सूख था . चाची थोडा और झुक गयी मैंने अपने हाथ उसके कन्धो पर रखे और पूरी रफ्तार से चूत मारने लगा. चुदाई का दौर जब रुका तो हम दोनों पसीने से लथपथ थे.

चाची- कर ली अपनी मनचाही, अब ब्याह तक कुछ न कहना मुझसे.

मैं - दो मिनट रुक फिर जाना निचे.

चाची- अब क्या है .

मैंने वो गहनों का डिब्बा चाची के हाथ में दे दिया. और बोला- ये गहने कभी चाचा ने तेरे लिए बनवाए थे, आज गहने लाया हूँ किसी दिन चाचा को भी ले आऊंगा. बहुत दुःख झेल लिए तूने तेरे हिस्से का सुख अब ज्यादा दिन दूर नहीं है तुझसे.

चाची ने उन गहनों को देखा , फिर मुझे देखा और बिना कुछ कहे वो वहां से चली गयी. निचे आने के बाद मैं कुछ खाने के लिए रसोई में गया . मैंने देखा की कमरे के दरवाजे पर अब ताला नहीं लगा है . खाना खाने के बाद मैं भैया के पुराने कमरे में चला गया हजारो किताबो ने अपने अन्दर न जाने क्या छिपाया हुआ था .


मैंने लैंप मेज पर रखा और एक किताब ऐसे ही उठा ली. दो चार पन्ने पलटे ही थे की बेख्याली में मेरा हाथ लैंप के शीशे पर लग गया . लैंप मेज पर गिर गया और उसकी नीली लौ मेज की लकड़ी पर फ़ैल गयी. उस नीली रौशनी में मुझे मेज पर कुछ उकेरा गया दिखा. और जब मैंने उसे समझा तो एक बार फिर से मेरे पास कहने को कुछ नही था.
हमे लगता है परकाश को सोने के बारे में पता चल गया था इसलिए उसने वशीयत में से एक हिस्सा मांगा था मंगू को राय साहब सिर्फ इस्तेमाल कर रहे हैं
कबीर ने चाची के साथ जल्दबाजी में अपना काम कर ही लिया । लगता है चाची को भी इन गुफा के बारे में पता है इसलिए ही उसने कबीर के गहने देने पर कोई सवाल नही किया बैंक से तो हमे कुछ भी मालूम नही चला है लेकिन मेज पर कुछ तो राज मिल गया है कबीर को देखते हैं क्या लिखा मिला है.......
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,485
87,329
259
हमे लगता है परकाश को सोने के बारे में पता चल गया था इसलिए उसने वशीयत में से एक हिस्सा मांगा था मंगू को राय साहब सिर्फ इस्तेमाल कर रहे हैं
कबीर ने चाची के साथ जल्दबाजी में अपना काम कर ही लिया । लगता है चाची को भी इन गुफा के बारे में पता है इसलिए ही उसने कबीर के गहने देने पर कोई सवाल नही किया बैंक से तो हमे कुछ भी मालूम नही चला है लेकिन मेज पर कुछ तो राज मिल गया है कबीर को देखते हैं क्या लिखा मिला है.......
कुछ तो झोल जरूर है
 

Studxyz

Well-Known Member
2,933
16,289
158
एक ना एक दिन तो ये होना ही है

कहानी में बिना कबीर की मायूसी दिखाए बिना भी दम खम बाकी है जैसे की चम्पा चमेली/अंजू रानी व् नन्दिनी भाभी की चुदायी और इसके इलावा अगर राज़ परत दर परत खुले तो और भी मज़ा

अगर चाहो तो निशा का हनीमून भी दिखावा देना फिर तो कहानी में चार चांद लग जायेंगे :D
 
Last edited:
Top