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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Suraj13796

💫THE_BRAHMIN_BULL💫
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कबीर को कमरे में क्या दिखा है ये आगे के अपडेट के लिए postpone हो गया है,

कबीर ने अभिमानु के बारे में जो बताया हो अपने भाई को सच बताया या उनके मन की टोह लेने के लिए, खैर जो भी हो कबीर को इतना तो अच्छे से मालुम है की उसका भाई उसके साथ ही है

राय साहब बड़ा निर्लज्ज आदमी है भाई, मतलब मुझे तो ऐसा लग रहा था की अगर घर में मेहमान ना होते तो विशंभर दयाल पटक के कूटाता, खैर कोई नहीं क्या पता अभिमानु बाद में पेले, उसके पास ज्यादा ताकत है ना

उसने गड्ढा खोद कर क्या डाला होगा, क्या किसी का दिल, धड़ या जरनैल सिंह से जुड़ी कोई चीज

निशा, चाची, रमा, अंजू, सरला,नंदिनी चंपा कोई भी हो सकती है

पर मुझे लग रहा सरला या चंपा या चाची में से कोई है तभी कबीर को इतना आहत पहुंचा है
क्योंकि रमा और अंजू पर उसे पहले ही शक है, निशा और भाभी के बारे में तो सब जानता ही है

सरला पर कबीर बहुत भरोसा करता है, चाची से बहुत ज्यादा प्यार और चंपा इतना नीचे गिर जायेगी,

कबीर को दिल दुखा है इनमे से किसी एक भरोसे के टूट जाने के कारण

भाई एक प्रश्न था की जब राय साहब ने कबीर को कविता की चूड़ियों के बारे में बताया था की वो उसकी मां की थी तो क्या वो सच था या वो भी झूठ था?
वैसे मुझे लगता है की कबीर को उन चूड़ियों की सच्चाई पता है, हम लोग तक अभी नहीं पहुंची है


बहुत ही सुंदर अपडेट, अगले अपडेट की प्रतीक्षा में
 
Last edited:

Studxyz

Well-Known Member
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अब ये क्या नया बवाल हो गया भाभी-चाची या फिर अंजू

गड्ढा खोद के या फिर सरला ही थी साले सब के सब नकाबपोश हैं झांट भर का भी सुराग नहीं है

गए साहब बेहद ज़िद्दी बेशरम आदमी साबित हो रहा है और अभिमानु शांत मुद्रा में जैसे ज़िंदा ही ना हो

कबीर ने जवानी लगा दी जंगल का राज़ ढूंढ़ने पर इसने कही इसका परिणाम क्या होगा वो सोचा ?
 

Pankaj Tripathi_PT

Love is a sweet poison
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अभिमानु जैसा की अभी तक एक धर्मात्मा का किरदार दिखाया गया है कहानी में, जिसके शरीर में ठाकुरों का खून होते हुए भी सबसे अलग है जिसके बारे में कोई भी किसी भी तरह का बुराई देखने को नहीं मिला। आज कबीर ने उसको चाचा वापस आ रहें हैं चाचा से बातचीत हुई है ऐसा कहकर अभिमन्यु को उकसाने का क्या कारण हो सकता है ऐसा क्या था उकेरा हुआ मेज में जो मुझे लगता है चाचा और अभिमन्यु से जुड़ा हो सकता है तभी तो अभिमन्यु को उकसाने का काम कर रहा है।

राय साहब से भी उलझ गया। ये जानते हुए भी वो कुछ बतायेंगे नहीं। बाप को शर्म नहीं के उसके काली करतूत के कारण उसका जवान बेटा राज खंगालने के लिए जंगलों में जवानी खत्म कर रहा है।

एक रहस्य अभी ताजा ताजा सुलझा भी नहीं था की दूसरा आ गया। अब ये कौन औरत हो सकती है जो गड्ढे खोद रही थी और ऐसा क्या था उस गड्ढे में जिससे कबीर हक्का बक्का रह गया। क्या किसी का लाश दबाया हुआ है। अगर हाँ तो अब कौन रह गया है जिसको मारना जरूरी था।

चम्पा, रमा , या फिर अंजू।

और गड्ढे में शायद सुरजभान या मंगू?

मंगू के चांस ज्यादा लग रहा है अंजू ने उसको टपका दिया। प्रकाश के क़ातिल का पता चल गया होगा।
 

brego4

Well-Known Member
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hmm to kabir ko abhimany ke kamre se kuch pata laga hai aur usne abki abhimanu par hi chacha ka nisshana laga diya lekin bhai to excited dikha ya fir use pata hai ki chacha tapak chuka hai

end mein ye aurat kya kar rahi thi super exciting suspense

Rai sahab is very depressing evil man
 

Suraj13796

💫THE_BRAHMIN_BULL💫
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पता है इस कहानी की सबसे अच्छी बात क्या लगती है,

हर अपडेट में कोई राज अधूरा रह जाता है
और मैं रोज उन अधूरे राज का prediction करता हूं
फिर अगले update में अपने predictions की मय्यत निकलते देखता हूं
और ऐसे ही करते करते आज 115 update में पहुंच गए है

हालंकि मेरे predictions कभी कभी सही भी हुआ है, लेकिन ज्यादातर time फौजी भाई मेरे दिमाग का दही करने में कामयाब हो जाते है 😅

मुझे इसी में मजा आता है, बिना अंदाजा लगाएं या पढ़े बिना कुछ missing सा लगता है,
i know कुछ लोगों को लगता है की फालतू ही दिमाग खपा रहे या ये सब छोड़ दो
But अब क्या कर सकते है जो है वो है ,किसी को बुरा लगता हो तो उसके लिए मेरे side से sorry भी है,

पर शायद comment box की सुविधा भी इस लिए दी गई है की लोग अपने thoughts शेयर कर सके, और मैं शुक्रगुजार हूं इस कहानी के उन readers का जो अपने thoughts share करते है अपने अनुमान बताते है, उनके thoughts इस कहानी का मजा कई गुना बढ़ा देते है
Comment box में बकचोदि करने का भी अपना ही मजा है वो अलग बात है की हम सब के अनुमान धरे के धरे रह जाते है

लेकिन मैंने कभी इस बात के लिए force नही किया, की मेरा अनुमान ऐसा था तो ऐसा ही होना चाहिए मतलब ऐसा ही होना चाहिए था,
सिवाय अंजू के साथ एक अपडेट के जो की मैं अब भी चाहता हूं मैंने तो किसी चीज की डिमांड भी नही की😉😉

ये स्टोरी अब भी मस्त है और तब भी मस्त रहेगी
And this is the reason why this story is my favourite story in this forum 😘

Keep going and growing फौजी भाई
We love you ❣️
मैं हमेशा आशापूर्ण रहूंगा की आप आगे भी हमें अपनी लेखनी की तारीफ करने का मौका देते रहेंगे

महाकाल से प्रार्थना है की आप स्वस्थ रहे,मस्त रहे ताकी आप ऐसे ही अच्छी अच्छी कहानी हमारे लिए लिखते रहे

🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
 
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#115

सुबह मेरा सर बहुत दुःख रहा था .कल की रात बड़ी मुश्किल से बीती थी. मैंने भैया को देखा जो आँगन में ही बैठे मालिश करवा रहे थे . मैं उनके पास गया .

भैया- सही समय पर आया है छोटे, तू भी बदन खोल ले .

मैं- फिर कभी , अभी कुछ बात करनी है .

भैया - क्या

साथ ही उन्होंने मालिश वाले को जाने को कहा

मैं- चाचा का पता चल गया है जल्दी ही वो घर आयेंगे

भैया- क्या, कहाँ है चाचा

मैं- जहाँ भी है उन्होंने कहा है की वो सही समय का इंतज़ार कर रहे है घर लौटने को .

भैया- कहाँ है वो बता मुझे अभी के अभी मैं जाऊंगा उनको लेने

जीवन में पहली बार मुझे अधीरता लगी भैया के व्यवहार में .

मैं- उन्होंने कहा था की आते ही वो सबसे पहले आपसे ही मिलेंगे.

तभी मैंने राय साहब को आते देखा तो मैं उठ कर उनके पास चला गया .

मैं- प्रकाश को मरवाने की क्या जरूरत आन पड़ी थी

पिताजी- तुझे कोई मतलब नहीं इस से

मैं- मतलब है मुझे. जानने की इच्छा है की इतने रसूखदार इन्सान को प्रकाश क्यों ब्लेकमेल कर रहा था .

पिताजी- अभी इतने नहीं हुए हो की हमसे आँख मिला कर बात कर सको

मैं- इतना हो गया हूँ की आप नजरे झुका कर बात करेंगे.

पिताजी- तेरी ये जुर्रत , जानता है किसके सामने खड़ा है घर में शादी नहीं होती तो अभी के अभी तुम्हारी पीठ लाल हो चुकी होती.

मैं- किस शादी की बात करते है आप. अपनी बेटी समान लड़की को तो खुद ख़राब कर चुके हो. दो कौड़ी की रमा के साथ राते रंगीन करने वाला ये इन्सान रसूख की बात करते अच्छा नहीं लगता. वैसे भी मै चाचा से मिल कर आया हूँ जल्दी ही वो घर लौट आयेंगे.

पिताजी ने धक्का दिया मुझे और अपने कमरे में चले गये.

“वसीयत के चौथे पन्ने का राज जान गया हूँ मैं , जल्दी ही आपको बेनकाब करूँगा ” मैंने पीछे से कहा पर पिताजी ने जैसे सुना ही नहीं.

सुबह ऐसी थी तो दिन कैसा होगा मैंने चाय की चुस्की लेते हुए सोचा. जेब से चाचा की तस्वीर निकाल कर मैं कुछ देर देखता रहा और फिर वापिस उसे जेब में रख लिया.



दिन भर मैं घर में ही रहा . सबको देखता रहा . घर के छोटे मोटे काम किये. भैया-पिताजी दोनों ही घर पर थे. भैया ने ज्यादातर समय आराम करते हुए ही बिताया .सब अपनी मस्ती में मस्त थे पर मुझे चैन नहीं था . एक बात और जिसकी मुझे बेहद फ़िक्र थी की निशा को लाने के बाद रखूँगा कहाँ, बेशक भाभी ने स्वीकारती दे दी थी पर राय साहब के रहते ये मुमकिन नही था .

मैं एक ऐसे मोड़ पर खड़ा था जहाँ से बन कुछ नहीं सकता था पर बिगड़ना सब कुछ था .जो मैं करने जा रहा था उसके क्या परिणाम होंगे ये नहीं जानता था मैं . पर इतना जरुर जानता था की चार दिन बाद पूनम की रात थी , चंपा का ब्याह था और दो दिन बाद फाग के दिन मुझे निशा को लेने जाना था .

रात के सन्नाटे में ख़ामोशी से मैं इंतज़ार कर रहा था, जरा जरा सी आहट मुझे चेता रही थी की मैं अकेला नहीं हूँ यहाँ पर जंगल भी जाग रहा है . और ये जागा हुआ जंगल अपनी हद में इन्सान के आने से खफा तो था. इंतज़ार करना मुश्किल हो रहा था पर मैंने सुना था की सब्र का फल मीठा होता है .



देर, बहुत देर में बीतने लगी थी , तनहा रात में खड़े खड़े मुझे कोफ़्त होने लगी थी .झपकी लगभग आ ही गयी थी की कुछ आवाजो से मेरे कान खड़े हो गए. शाल ओढ़े उसे अपनी तरफ आते देख कर मेरे होंठो पर अनचाहे ही एक मुस्कान आ गयी . मैं जानता था की कोई तो जरुर आयेगा पर कौन ये देखने की बात थी .



कुवे की मुंडेर पर झुक कर उसने कुछ देर देखा. और फिर मुंडेर पर उसके हाथ चलने लगे. लग रहा था की वो साया कुछ तलाश कर रहा है . धीमी सांसे लेते हुए मेरी नजर एक एक क्रियाकलाप पर जमी थी. कुवे पर कुछ तो था . तभी उस साए का हाथ कही लगा और , और फिर वो हुआ जो कोई सोच भी नहीं सकता था .

साए ने पास पड़ी कुदाल उठाई और जमीन खोदने लगा. बहुत देर तक वो खोदता रहा और फिर उसने हाथो से मिटटी हटानी शुरू की जब उसके हाथ किसी चीज से लगे तो वो शांत हो गया. कुछ देर उसकी उंगलिया कुछ टटोलती रही और जब वो सुनिश्चित हो गया तो उसने गड्ढा भरना शुरू किया.

यही समय था उस साये से रूबरू होने का.

मैं दबे पाँव उसके पीछे गया और , उसे पकड लिया. हाथ लगाते ही मैं जान गया की वो कोई औरत है. मैंने उसे कमरे की तरफ धक्का दिया और तुरंत बल्ब जला दिया. अचानक हुई रौशनी से उसकी आँखे चुंधिया गयी पर जब मेरी नजर उसके चेहरे पर पड़ी तो चुन्धियाने की बारी मेरी थी .

उस चेहरे को देखते ही मेरे पैरो तले जमीन खिसक गयी . जुबान को जैसे लकवा मार गया हो. समझ नहीं आ रहा था की कहूँ तो क्या कहूँ कभी सोचा नहीं था की ऐसे हालात हम दोनों के दरमियान होंगे. वो मुझे देखती रही मैं उसे देखता रहा. वो चाहती तो भाग सकती थी पर नहीं, शायद जानती थी की अब जाएगी तो कहाँ जाएगी.



गड्ढा जो उसने खोदा था मैंने उसमे झाँक कर देखा , और जो देखा दिल धक्क से रह गया. मैं वही दिवार का सहारा लेकर बैठ गया.

“क्यों, क्यों किया तुमने ऐसा ” मैंने पूछा

“और कोई चारा नहीं था मेरे पास ” उसने हौले से कहा.
Nice and suspenseful update...👍
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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नहीं ये सब बोझ होगा, और फिर कभी दूसरा भाग लिखना प़ड गया तो
Idea bura nahi bhai. Waise bhi likhna band na karne denge hum.
Kyu ki aap jaisa dusra bhi to nahi h yaha
 

ASR

I don't just read books, wanna to climb & live in
Divine
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मुसाफिर + अब तो मेरा भी सर दुखने लगा है.. सब कुछ बदल दिया है ये चाची भी कुछ अलग ही निकलेगी सोचा नहीं था.. अद्भुत क्षमता है आप की मुसाफिर...
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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#115

सुबह मेरा सर बहुत दुःख रहा था .कल की रात बड़ी मुश्किल से बीती थी. मैंने भैया को देखा जो आँगन में ही बैठे मालिश करवा रहे थे . मैं उनके पास गया .

भैया- सही समय पर आया है छोटे, तू भी बदन खोल ले .

मैं- फिर कभी , अभी कुछ बात करनी है .

भैया - क्या

साथ ही उन्होंने मालिश वाले को जाने को कहा

मैं- चाचा का पता चल गया है जल्दी ही वो घर आयेंगे

भैया- क्या, कहाँ है चाचा

मैं- जहाँ भी है उन्होंने कहा है की वो सही समय का इंतज़ार कर रहे है घर लौटने को .

भैया- कहाँ है वो बता मुझे अभी के अभी मैं जाऊंगा उनको लेने

जीवन में पहली बार मुझे अधीरता लगी भैया के व्यवहार में .

मैं- उन्होंने कहा था की आते ही वो सबसे पहले आपसे ही मिलेंगे.

तभी मैंने राय साहब को आते देखा तो मैं उठ कर उनके पास चला गया .

मैं- प्रकाश को मरवाने की क्या जरूरत आन पड़ी थी

पिताजी- तुझे कोई मतलब नहीं इस से

मैं- मतलब है मुझे. जानने की इच्छा है की इतने रसूखदार इन्सान को प्रकाश क्यों ब्लेकमेल कर रहा था .

पिताजी- अभी इतने नहीं हुए हो की हमसे आँख मिला कर बात कर सको

मैं- इतना हो गया हूँ की आप नजरे झुका कर बात करेंगे.

पिताजी- तेरी ये जुर्रत , जानता है किसके सामने खड़ा है घर में शादी नहीं होती तो अभी के अभी तुम्हारी पीठ लाल हो चुकी होती.

मैं- किस शादी की बात करते है आप. अपनी बेटी समान लड़की को तो खुद ख़राब कर चुके हो. दो कौड़ी की रमा के साथ राते रंगीन करने वाला ये इन्सान रसूख की बात करते अच्छा नहीं लगता. वैसे भी मै चाचा से मिल कर आया हूँ जल्दी ही वो घर लौट आयेंगे.

पिताजी ने धक्का दिया मुझे और अपने कमरे में चले गये.

“वसीयत के चौथे पन्ने का राज जान गया हूँ मैं , जल्दी ही आपको बेनकाब करूँगा ” मैंने पीछे से कहा पर पिताजी ने जैसे सुना ही नहीं.

सुबह ऐसी थी तो दिन कैसा होगा मैंने चाय की चुस्की लेते हुए सोचा. जेब से चाचा की तस्वीर निकाल कर मैं कुछ देर देखता रहा और फिर वापिस उसे जेब में रख लिया.



दिन भर मैं घर में ही रहा . सबको देखता रहा . घर के छोटे मोटे काम किये. भैया-पिताजी दोनों ही घर पर थे. भैया ने ज्यादातर समय आराम करते हुए ही बिताया .सब अपनी मस्ती में मस्त थे पर मुझे चैन नहीं था . एक बात और जिसकी मुझे बेहद फ़िक्र थी की निशा को लाने के बाद रखूँगा कहाँ, बेशक भाभी ने स्वीकारती दे दी थी पर राय साहब के रहते ये मुमकिन नही था .

मैं एक ऐसे मोड़ पर खड़ा था जहाँ से बन कुछ नहीं सकता था पर बिगड़ना सब कुछ था .जो मैं करने जा रहा था उसके क्या परिणाम होंगे ये नहीं जानता था मैं . पर इतना जरुर जानता था की चार दिन बाद पूनम की रात थी , चंपा का ब्याह था और दो दिन बाद फाग के दिन मुझे निशा को लेने जाना था .

रात के सन्नाटे में ख़ामोशी से मैं इंतज़ार कर रहा था, जरा जरा सी आहट मुझे चेता रही थी की मैं अकेला नहीं हूँ यहाँ पर जंगल भी जाग रहा है . और ये जागा हुआ जंगल अपनी हद में इन्सान के आने से खफा तो था. इंतज़ार करना मुश्किल हो रहा था पर मैंने सुना था की सब्र का फल मीठा होता है .



देर, बहुत देर में बीतने लगी थी , तनहा रात में खड़े खड़े मुझे कोफ़्त होने लगी थी .झपकी लगभग आ ही गयी थी की कुछ आवाजो से मेरे कान खड़े हो गए. शाल ओढ़े उसे अपनी तरफ आते देख कर मेरे होंठो पर अनचाहे ही एक मुस्कान आ गयी . मैं जानता था की कोई तो जरुर आयेगा पर कौन ये देखने की बात थी .



कुवे की मुंडेर पर झुक कर उसने कुछ देर देखा. और फिर मुंडेर पर उसके हाथ चलने लगे. लग रहा था की वो साया कुछ तलाश कर रहा है . धीमी सांसे लेते हुए मेरी नजर एक एक क्रियाकलाप पर जमी थी. कुवे पर कुछ तो था . तभी उस साए का हाथ कही लगा और , और फिर वो हुआ जो कोई सोच भी नहीं सकता था .

साए ने पास पड़ी कुदाल उठाई और जमीन खोदने लगा. बहुत देर तक वो खोदता रहा और फिर उसने हाथो से मिटटी हटानी शुरू की जब उसके हाथ किसी चीज से लगे तो वो शांत हो गया. कुछ देर उसकी उंगलिया कुछ टटोलती रही और जब वो सुनिश्चित हो गया तो उसने गड्ढा भरना शुरू किया.

यही समय था उस साये से रूबरू होने का.

मैं दबे पाँव उसके पीछे गया और , उसे पकड लिया. हाथ लगाते ही मैं जान गया की वो कोई औरत है. मैंने उसे कमरे की तरफ धक्का दिया और तुरंत बल्ब जला दिया. अचानक हुई रौशनी से उसकी आँखे चुंधिया गयी पर जब मेरी नजर उसके चेहरे पर पड़ी तो चुन्धियाने की बारी मेरी थी .

उस चेहरे को देखते ही मेरे पैरो तले जमीन खिसक गयी . जुबान को जैसे लकवा मार गया हो. समझ नहीं आ रहा था की कहूँ तो क्या कहूँ कभी सोचा नहीं था की ऐसे हालात हम दोनों के दरमियान होंगे. वो मुझे देखती रही मैं उसे देखता रहा. वो चाहती तो भाग सकती थी पर नहीं, शायद जानती थी की अब जाएगी तो कहाँ जाएगी.



गड्ढा जो उसने खोदा था मैंने उसमे झाँक कर देखा , और जो देखा दिल धक्क से रह गया. मैं वही दिवार का सहारा लेकर बैठ गया.

“क्यों, क्यों किया तुमने ऐसा ” मैंने पूछा

“और कोई चारा नहीं था मेरे पास ” उसने हौले से कहा.
Awesome update with great writing skills bhai,
To aakhir chachi pakdi gai??
Chacha ki lash ke pas dekhne wali baat ye hogi ki wo kya bahana banati hai usko marne ka??
 
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