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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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इस थ्रेड पर उपस्थित सभी पाठकों को से क्षमा चाहता हूँ कि किसी के भी कमेन्ट को लाइक नहीं कर पा रहा हूँ , लाइक करने पर लाइक का पेज दो बार खुलता है फिर भी लाइक नहीं होता
फौजी भाई आप बेशक देना दन अपडेट पोस्ट कर रहे हैं पर फिर भी यह कहानी 1000 पेज जरूर पूर्ण करेगी ।
आपकी स्टोरी में सस्पेंस भरपूर है कुछ सबालों के जबाब बेशक छोटे से जबाब में मिल गये और आगे भी आप शायद ऐसा ही करेंगे
लेकिन कुछ सबालों का जबाब विस्तार से मिले तो अच्छा लगेगा , खास कर निशा के डायन बनने के कारण का विस्तार पूर्वक वर्णन
आप पढ़ते रहिए भाई
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Chacha ki tarah hi mangu bhi bahot hi gira hua hai, apni hi bahan ka ghar ujaad diya aise bhai hone se to bhai na hona accha hai, agar champa ko chodke baaki sabhi baato ko najarandaz bhi kar diya jaaye to bhi uska kirdaar maila hi lag raha hai hume. Saza ise bhi milni chahiye jaisa kabir ne kaha tha thik waisa hi honga champa ke saamne maut di jaayegi use...

Agle update me dhamkedaar fighting scene honga bahot maza aane wala hai jaldi se update de do...
उतना धमाका नहीं हो पाया जितनी उम्मीद थी
 

Paraoh11

Member
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इसके पीछे की वज़ह अजीब सी है दोस्त मेरे जीवन मे भाभी ही रहीं जिसे बहुत माना मैंने पर भाभी की वज़ह से मुझे निशा और मेरे बच्चे को खोना पड़ा था. कुछ बातों को याद करके बस ज़ख्म ताजा किए जा सकते है इस कहानी के जैसे मेरा अतीत भी अजीब ही रहा है. कहने को ये कहानिया ही है पर समझने को बहुत कुछ. ईन कहानियो के माध्यम से मैं अपने अतीत को देख लेता हूं
माफ़ करना भाई मेरी बात से आपका दिल दुखा हो तो..

आपकी कहानियों से ये तो लगता था की कुछ रिश्तों से ठगे गए हो आप..

पर इन किरदारों में आपके जीवन की कुछ असल छवियाँ भी हैं ये आभास आज हुआ...

बहुत मर्म है आपकी कलम में.... 😕
 

rangeen londa

New Member
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#25

होश आया तो बदन दर्द से टूट रहा था . छाती पर बैलगाड़ी का पहिया पड़ा हुआ था . उसे हटाया , सर अभी भी घूम रहा था . गाडी के पहियों में लगने वाली लोहे की शाफ्ट का कुछ हिस्सा मेरी जांघ में घुसा हुआ था . दोनों बैलो के विक्षत शव जिन्हें बुरी तरफ से चीर-फाड़ा गया था मेरे पास ही पड़े थे. पहिये को हटाना चाहा तो हाथ से ताकत लगी ही नहीं दर्द हुआ सो अलग पाया की कंधे पर एक गहरा जख्म था मांस उखाड़ा गया था वहां का .

मैंने आँखे बंद कर ली और पड़े पड़े ही रात को क्या हुआ याद करने की कोशिश की पर याद आये ही नहीं . जैसे तैसे मैंने पहिये को हटाया और जांघ से वो लोहे का टुकड़ा निकाला. रक्त की मोटी धारा बह रही थी मिटटी और कपडा लगा कर मैंने खून को बहने से रोकने की कोशिश की .

उसी शाफ़्ट को पकड़ कर मैं खड़ा हुआ . मैंने देखा थोड़ी दूर वो कडाही उलटी पड़ी थी तब मुझे याद आया की कारीगर भी था मेरे साथ और अब वो दूर दूर तक नहीं दिख रहा था .

“कारीगर, कारीगर ” मैंने दो तीन बार आवाज लगाई पर कोई जवाब नहीं आया. मेरा दिल अनिष्ट की आशंका से घबराने लगा. एक बार फिर परिस्तिथिया ऐसी थी की मैं ही गुनेहगार माना जाता और इस बार तो बचाव में भी कुछ नहीं था . शाफ़्ट का सहारा लिए लिए मैं वैध जी के घर तक बड़ी मुश्किल से पहुँच गया.



“कुंवर क्या हुआ तुम्हे ” वैध ने मुझे घर के अन्दर लिया और पूछा मुझसे

मैं- पता नहीं क्या हुआ है वैध जी , आप मेरे भैया तक सुचना पहुंचा दीजिये

वैध- जरुर पर पहले मैं निरिक्षण कर लू . मरहम पट्टी कर दू.

जांघ पर टाँके लगा दिए थे पर जब वैध काँधे को देख रहा था तो उसकी आँखों में दहशत देखि मैंने.

वैध- किस जानवर से पाला पड़ा था कुंवर शिकार करते समय

मैं- मालूम नहीं वैध जी. पर इतना जरुर है की जानवर नहीं था हमला करने वाला

वैध- यहाँ पर टाँके भी काम नहीं आयेंगे . ऐसे ही भरने देना होगा इस जख्म को मरहम पट्टी के सहारे ही .

पीठ में एक बड़ी कील भी थी उसे भी वैध ने निकाला और बोला- तुम कहते हो याद नहीं है हालत देख कर लगता है की संघर्ष खूब हुआ है .

वैध क्या कह रहा था मुझे सुनाई ही नहीं दे रहा था . मैं इस बात से घबराया था की अगर ये हमलावर वो ही था जिसने हरिया और बाकी लोगो का शिकार किया था तो क्या मेरी हालत भी वैसी ही हो जाएगी. क्या मेरे पास भी अब सिमित समय ही रह गया है .



“कबीर, मेरे भाई ” भैया आन पहुंचे थे .

भैया- कबीर क्या हुआ तुझे . किसने किया ये . नाम बता मुझे उसका . मेरे भाई की तरफ आँख उठाने की किसकी हिम्मत हो गयी मैं आग लगा दूंगा उसको. उन हाथो को उखाड़ दूंगा जिन हाथो ने मेरे भाई को छूने की हिमाकत की है .

जीवन में पहली बार मैंने भैया को क्रोध में देखा था . भैया ने मुझे अपने सीने से लगाया . उनकी आँखों से बहते आंसू मेरे सीने पर गिरने लगे.

मैं- कुछ नहीं हुआ है भैया मामूली ज़ख्म है

भैया- मामूली जख्म भी मेरे रहते कैसे लग जायेंगे मेरे भाई को . तू बस इतना बता की क्या हुआ कौन लोग थे वो .

मैं- मुझे कुछ याद नहीं है भैया. जब होश आया तो मैं घायल था बस ये ही याद है .

शाम तक घर घर तक ये खबर पहुंच गयी थी की राय साहब के लड़के पर हमला हुआ है .सब लोग मेरे आगे पीछे फिर गए थे पर तमाम बातो के बीच कोई उस कारीगर की बात नहीं कर रहा था. जैसे की किसी को फ़िक्र ही नहीं थी की वो था या नहीं था . और मैं सब जानते हुए भी उसका जिक्र नहीं कर पा रहा था . इतना बेबस मैंने खुद को कभी नहीं पाया था .

पिताजी की आंखो में मैंने पहली बार नमी देखि थी उस दिन . चाची तो बेहोश ही हो गयी थी ये खबर सुन कर. भाभी मेरे पास ही बैठी रही .



पिताजी- हमारे लाख मना करने के बावजूद भी घर से बाहर जाने की क्या मज़बूरी थी . जिसके लिए तुम अपनी जान की परवाह भी नहीं करते हो

मैं- गलती हो गयी पिताजी

पिताजी- तुम तो गलती कह कर पल्ला झाड लोगे कबीर, अगर तुम्हे कुछ भी हो जाता तो हम पर क्या बीतती एक पल सोच कर देखो. इस बूढ़े आदमी की हिम्मत की परीक्षा मत लो बेटे, इस बूढ़े में इतनी हिम्मत नहीं है की जवान बेटे की अर्थी को कंधा दे सके. अवश्य ही कोई पुन्य था जो आड़े आ गया वर्ना मारने वाले ने कमी थोड़ी न छोड़ी थी.

भाई- पिताजी मैं जल्दी ही पता कर लूँगा की कौन लोग थे इसके पीछे

पिताजी- मेरे बेटे पर हमला करने की गुस्ताखी करने वाले की हिम्मत की दाद देनी होगी पर सवाल ये है की आखिर किस की हमसे दुश्मनी हो सकती है कौन ऐसा सांप पैदा हो गया .

भाई- कुचल देंगे उस सांप को पिताजी .

मैं- आप लोग यु ही बात को बड़ी कर रहे है , कोई जानवर ही रहा होगा.

भाई- तुम चुप रहो फिलहाल

उनके जाने के बाद मैंने वैध से पूछा की घर कब जा सकता हूँ.

वैध- मुझे थोड़ी तस्सली हो जाये उसके बाद

मैं- कैसी तस्सली

वैध- तुम जानते हो

मैं समझ गया वैध देखना चाहता था की मुझमे भी बाकि लोगो जैसे लक्षण आते है या नहीं .

एक पूरी रात वैध की निगरानी में रहने के बाद मैं घर आ गया.

भाभी- जी तो करता है की मैं बहुत मारू तुमको. हमारे लाड-प्यार का आखिर कितना नाजायज फायदा उठाओगे तुम .

मैंने कुछ नहीं बोला

भाभी- अब क्यों गूंगे बने हुए हो देख लिए न मनमर्जी करने का नतीजा . घर में मेहमान आये थे पर बेगैरत को क्या पड़ी थी इनको तो चस्का लगा था उसी लड़की के पास मुह मारने गए थे न

मैं- ऐसा कुछ नहीं था भाभी . मैंने गलती मान तो ली न

भाभी- हर बार का यही नाटक है , बस गलती मान लो.

भैया- बस भी करो अब , इसे आराम करने दो

भाभी- हाँ मैं कौन होती हूँ इन्हें कुछ कहने वाली.

मैं- भाभी माफ़ी दे भी दो

भाभी- तुम्हे कुछ हो जाता तो हमारा क्या होता सोचा तुमने


भाभी ने मुझे सीने से लगाया और रोने लगी . एक मैं था जिसके लिए सारा परिवार इधर उधर भाग रहा था एक बेचारा वो कारीगर था जिसका कोई जिक्र ही नहीं था . उस लम्हे में मुझे खुद से नफरत हो गयी .
रोमांचित कर देने वाली कहानी
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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धीरे धीरे सब राज खुल रहे हैं उस चोर का भी पता चल गया है जिसने तालाब में सोना छुपाया था और वह महावीर था वह भी चाचा की तरह था और इन दोनो सजा उनको मिल गई अंजू ने सही कहा है की सबसे बड़ी ताकत परिवार ही होती है जिसे अभिमानु ने जोड़ने की बहुत कोशिश कि हैऔर जिसने खोया है दर्द भी वही जानता है उसका ।अंजू को कबीर का राज मालूम चल गया है इसलिए वो लोकिट उसे वापस दे दिया है अब सवाल ये है कि आखिर निशा के प्यार के लिए कबीर को क्या कीमत चुकानी पड़ेगी भाभी अंजू भैया सब एक ही बात बोल रहे हैं कि भारी कीमत चुकानी पड़ेगी आखिर निशा का राज क्या है????
परिवार को बचाने के लिए सबने अपनी अपनी कोशिश की है
 

Sanju@

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#132

मेरी आँखों के सामने मंगू के साथ बिस्तर पर कोई और नहीं बल्कि सरला थी . वो सरला जिस पर भरोसा किया था मैंने. वैसे तो आदत सी हो चली थी अपर कभी सोचा नहीं था की सरला भी मुझे धोखा देने वालो की लिस्ट में खड़ी होगी बड़ी तल्लीनता से दोनों एक दुसरे की बाहों में खोये हुए थे . कायदे से मुझे इंतज़ार करना चाहिए था की दोनों क्या बाते करते है पर मेरे गुस्से का बाँध शायद टूट ही गया था . मैंने अपनी चमड़े की बेल्ट निकाली और सीधा सरला की पीठ पर मारी जो मंगू के ऊपर चढ़ कर चुद रही थी .

“आईईईईईई ” अचानक से पड़ी बेल्ट ने सरला के पुरे बदन में दर्द की लहर दौड़ा दी . सरला जो एक सेकंड पहले चुदाई का मजा ले रही थी अब दर्द से दोहरी हो गयी. पर मैं रुका नहीं . दना दन उसकी पीठ पर बेल्ट मारता ही रहा उसे सँभालने का जरा भी मौका नहीं दिया .

मुझे वहां देख कर दोनों की आँखे हैरत से फट ही गयी . मैंने अगला नम्बर मंगू का लगाया और ये भूलते हुए की वो मेरा दोस्त है उसे पीटना शुरू किया . पर मंगू ने पर्तिकार किया .

मंगू- बस कबीर बस बहुत हुआ .

मैं- अभी तो शुरू ही नहीं किया मैंने . तूने क्या सोचा मेरी पीठ पीछे तू जो गुल खिला रहा है मुझे तो मालूम ही नहीं होगा.

मंगू-तू यहाँ से जा कबीर

मैं- जाऊंगा पर पहले मुझे बता की ये सब क्या कर रहा है तू क्यों कर रहा है . अपनी ही बहन के मंडप को क्यों बर्बाद किया तूने.

मंगू- तुझे क्या लेना देना उस से

मैं- पूछता है मेरा क्या लेना देना . अगर मेरा नहीं तो किसका है . चंपा पर क्या बीतेगी जब उसे मालूम होगा की उसके ही भाई ने उसकी खुशियों में आग लगा दी. बात सिर्फ चंपा की ही नहीं शुरू से शुरू कर मंगू . कविता को क्यों मारा तूने, वैध को क्यों मारा तूने परकाश को क्यों मारा तूने . रोहताश को क्यों मारा तूने

मंगू- मेरे मन में आया मार दिया

मैं- कल को तेरे मन में आएगा की कबीर को मार दे तो क्या मार देगा .

मंगू- मार दूंगा

कितनी आसानी से उसने कह दी थी इए बात साले ने बरसो की दोस्ती की जरा भी परवाह नहीं की .

मंगू- तुझे किस बात की तकलीफ है कबीर, सरला को मैं नहीं चोद सकता क्या , ये तो ना इंसाफी हुई न साले तुम लोग पुरे गाँव की इज्जत से खिलवाड़ करते रहो , दुनिया तुम्हारी मर्जी से चलेगी क्या हमारी भी कोई जिन्दगी है के नहीं. मेरा गलत है इसे चोदना तो तेरा इसे चोदना सही कैसे हुआ.

मैं- मैं सिर्फ इतना जानना चाहता हूँ की मंडप क्यों उजाड़ा तूने

मंगू- क्योंकि मैं नहीं चाहता था की चंपा यहाँ से और कही जाये.

मैं- बहुत बढ़िया . मतलब सारी जिन्दगी तू ही रगड़ता रहे उसे .

मंगू- वो मेरा निजी मामला है

मैं- भोसड़ी के तेरे निजी मामले ने मेरी जिन्दगी की लेनी कर रखी है . कविता को क्यों मारा .

मंगू- वो बहन की लौड़ी किसी की भी सगी नहीं थी . मैं उस से प्यार करता था क्या नहीं किया मैंने उसके लिए पर साली बेवफा निकली , उस परकाश से भी गांड मरवा रही थी साली. परकाश इतना मादरचोद था की अगर तू उसके बारे में जानता तो तुझे भी साले से घिन्न हो जाती मुझसे पहले तू मार देता उस को.

मैं- ऐसा क्या किया था उसने .

मंगू- ये पूछ क्या नहीं किया था उसने. परकाश ने कविता को पटा लिया था जंगल में पेलता था उसको . एक दिन मैंने उन दोनों को देख लिया . चुदाई के बाद बाते कर रहे थे . मुझे मालूम हुआ की कविता का पति रोहतास उस पर दबाव बनाये हुए था उसे शहर ले जाने के लिए वो जाना नहीं चाहती थी , परकाश ने कहा की वो रोहतास का इलाज करवा देगा. याद है तुझे वो रात जब मैंने बहुत ज्यादा पि ली थी उस रात नशे में चूर मैं कुवे पर जा रहा था की मुझे मोड़ पर कविता और प्रकाश मिले. मेरा तो दिल ही जल गया . दोनों को साथ देख कर आगबबुला हो गया था मैं. मेरा और दिमाग ख़राब तब हो गया जब परकाश ने कविता से कहा की कबीर को कैसे भी करके अपने हुस्न के जाल में फंसा ले.कविता ने उसे बताया की उसी शाम कैसे उसने तुझे उलझा ही दिया था अपने जाल में .



मुझे याद आया की वैध के घर में कैसे लगभग उसने मेरा लंड चूस ही लिया था .

मंगू- मैंने उसको दिल से चाह था पर वो साली उसको मरना ही था .

मैं- चूतिये काश तू समझ पाता वो तेरा इस्तेमाल कर रही थी . रमा भी तेरा इस्तेमाल कर रही है और ये हरामजादी भी .

मंगू- अब फर्क नहीं पड़ता मुझे .

मैं- खेल तो बढ़िया खेला अब बता परकाश का नुम्बर कैसे लगाया तूने .

मगु- वो बहन का लंड भी साला पक्का हरामी था . उसने राय साहब की न जाने कौन सी नस दबा ली थी . रमा को भी तंग कर रहा था वो . पर जब उसने राय साहब से चंपा की मांग की तो वो अपनी औकात से जायदा आगे बढ़ गया था . मैंने और रमा ने मिल कर उसे मारने की योजना बनाई . रमा ने उसे चुदाई के बहाने बुलाया और मैंने उसे मार दिया.

मैं- क्या तू जानता था की परकाश अंजू से प्यार करता था

मंगू- किसी से प्यार नहीं करता था वो , उसे अंजू से किसी चीज की तलाश थी बस . उस को लगता था की अंजू सोने के बारे में जानती है पर चुतिया के बच्चे को कभी सोने के बारे में नहीं मालूम हो सका . जानता है क्यों , क्योंकि मैंने होने ही नहीं दिया. सो सोचता ही रह गया की सोना कहाँ होगा .

मैं- उसे कैसे पता चला की सोना है .

मंगू- राय साब का सारा हिसाब किताब वो और उसका बाप ही देखते थे किसी तरह से उसने मालूम कर लिया होगा.

मुझे मंगू की इस बात में दम नहीं लगा . प्रकाश की दिलचस्पी थी तो बस अपने हिस्से में . वसीयत का चौथा टुकड़ा. रमा को भी उसने राय साहब पर दबाव बनाने में इस्तेमाल किया था और रमा उसके तो कहने ही क्या , चाचा, महावीर, पिताजी और प्रकाश आखिर इनमे से किसके साथ थी वो शायद किसी के साथ भी नहीं.

मैं- चंपा के साथ क्यों सम्बन्ध बनाये तूने .

मंगू- वो कुतिया इसी लायक है , साली की गांड में हमेशा आग लगी रहती थी , जब तेरे बाप को दे सकती है वो तू मैं तो फिर भी उसका अपना हूँ मैंने भी ले ली.

मुझे भैया की याद आई कैसे महावीर ठाकुर ने कहा था की घर की औरतो पर सबसे पहला हक़ घर वालो का ही होता है .

मंगू- जानता है मैंने तुझे ये सब क्यों बता दिया.

मैं- मुझे नहीं बताएगा तो किसे बताएगा.

मंगू- तू सोच रहा होगा इस बारे में पर मैंने सोचा की मरने से पहले तुझे सच जानने का हक़ तो है ही . बरसो से तेरे बाप ने मेरी माँ को चोदा फिर चंपा पर हाथ डाला अब मेरी बारी है . राय साहब का पालतू बन कर मैंने इस सोने की खान का पता लगा लिया इस पर मैं कब्ज़ा करूँगा तुमको मारने के बाद ये सब कुछ मेरा हो जायेगा.

मैं तो ये है तेरी असलियत . साले तुझे अपने भाई जैसा समझा मैंने और तूने जिस थाली में खाया उसी में छेद किया.


मंगू- कोई अहसान नहीं किया तुमने, बरसो तक मेरे बाप ने फिर मैंने तुम्हारी चाकरी की है . पर अब नहीं करेंगे.
मंगू के साथ सरला थी कबीर ने ठीक किया साली की पहले ही ठुकाई कर देता साथ में रमा की भी कर देता
कबीर को मंगू के बारे में पहले से पता है फिर भी उसने कुछ नहीं कहा अपनी दोस्ती की खातिर आज उसी दोस्त ने उसे मारने की धमकी दे दी कबीर को साले की मार मार कर चमड़ी उधेड़ देनी चाहिए साले सब चूत और सोने के पीछे पागल हो रहे हैं और अब तक वो सोना किसी को भी नहीं मिला है मंगू भी साला राय साहब के साथ बहुत सारी चूते मार चुका है और सोने के पीछे पागल है देखते हैं असली खिलाड़ी कब सामने आता है
 
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