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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

brego4

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Nisha ne bhi apna past batane par bhabhi jaisa gol mol jawab diya par nisha khud ek paheli hai jis ko bina jane kabir ishq aur ab shadi karne laga hai

par parkash ka murder ek mystery hai ki anju ne mara ya fir kisi aur ne

Rai sahab to kabir par ji ilzaam laga rahe hain aur khamosh reh kar abhimanu ka bhi matlab yehi hai

aise naqab pehne log nisha and kabir ko ek nahi hone denge aur abhi tak sab se aage isme bhabhi hi hai

agar itne sare secrets end par hi ek saath open honge to kya readers usko waise enjoy kr payenge jitna ki wo wait kar rahe hai ?
 
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Sanju@

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#88

कमरे में मेरे बिस्तर पर लेटे हुए अंजू कोई किताब पढ़ रही थी . हमारी नजरे मिली

अंजू- तुम यहाँ इस वक्त

मैं- ये सवाल तो मुझे आपसे पूछना चाहिए वैसे ये कमरा मेरा ही है

अंजू- हाँ , मेरा मन था इधर आने का फिर घूमते घूमते रात ज्यादा हुई तो मैं यही रुक गयी.

न जाने क्यों मुझे उसकी बात झूठ लग रही थी.

मैं- बेशक मुझसे ज्यादा आप जंगल को जानती है पर इतनी रात को आपका यहाँ होना कारन कोई साधारण नहीं है.

अंजू- ये तो तुम पर निर्भर करता है की तुम कैसे समझते हो इस बात को.

उसने बिस्तर से उठने की जरा भी जहमत नहीं उठाई, जैसे उसे मेरे होने न होने से कोई फर्क पड़ा ही नहीं हो. मैं घास पर बैठ गया और कम्बल को थोडा और कस लिया.

मैं- जैसा मैंने कहा , इस जंगल में इन रातो में भटकने का हम सब का अपना अपना कारण है , ये जानते हुए भी की उस आदमखोर के रूप में मौत कभी भी सामने आकर खड़ी हो सकती है हम खुद को फिर भी रोक नहीं पा रहे . ये साधारण तो बिलकुल नहीं है . आप मुझसे बहुत ज्यादा जानती है , इस जगह को पहचानती है मैं आपके उसी ज्यादा में से थोडा कम जानना चाहता हूँ . मेरा पहला सवाल ये है की आपने मुझे ये लाकेट क्यों दिया, सिर्फ मुझे ही क्यों .

अंजू ने अपनी किताब साइड में रखी और बोली- पहली बार मैं तुमसे मिली थी कोई भेंट तो चाहिए थी न देने को .

मैं- खूबसूरत औरते झूठ बोलते हुए थोड़ी और निखर जाती है .

मेरी बात सुनकर अंजू मुस्कुरा पड़ी.

अंजू- इसे तारीफ समझे या ताना, ये लाकेट हमने तुम्हे क्यों दिया तुम जान जाओगे. दूसरी बात हम यहाँ क्यों है ,जैसा तुमने कहा हम सब के अपने अपने कारण है

मैं- रुडा की बेटी , रुडा के दुश्मन की जमीं पर रात को अकेली . सवाल तो उठेगा ही .

अंजू- जितना हक़ रुडा का है उतना ही मुझ पर राय साहब का भी है,दोनों से ही मुझे बेइंतिहा स्नेह मिला

मैं- तो फिर रुडा से क्यों नाराजगी है आपकी

अंजू- मैं आसमान में उड़ना चाहती हूँ , मेरे बाप को मेरी उड़ान पसंद नहीं वो मेरे कदमो में बेडिया चाहता है .

मैं- कैसी बेडिया

अंजू- वैसे हमें कोई जरुरत नहीं है तुम्हे ये किस्से बताने की पर चूँकि इस रात अब तुम हमारे साथ हो , बातो का सिलसिला है तो चलो बता ही देते है , तुम्हारी भाभी नंदिनी में हिम्मत थी वो आगे बढ़ गयी , हम कमजोर थे पीछे रह गए. और फिर पीछे रहते ही गए. हम अपनी पसंद से शादी करना चाहते थे हमारी पसंद हमारे बाप को मंजूर नहीं थी . करते तो क्या करते. हम चाहते तो घर से भाग जाते , पर इसमें नुकसान हमारा ही होता चौधरी साहब हमारे प्यार को मरवा देते. आज हम जिस भी हालात में है कम से कम तसल्ली तो है की हमारा प्यार हमारे साथ है .



मैं सोचता था की मैं ही आशिक हूँ पर इस जंगल में न जाने कितनी प्रेम कहानिया बिखरी पड़ी थी . अंजू ने लेटे हुए ही करवट ली और निचे रखे थर्मस से पानी का कप भरने लगी. उसकी चुडिया स्टील से थर्मस से टकराई और उस खनक ने मेरे कान हिला दिए. यही खनक तो मैंने सुनी थी , हाँ यही थी बिलकूल यही थी . मेरा तो सर ही घूम गया अभी मोहब्बत का किस्सा बताने वाली अंजू , ये अंजू ही तो चुद रही थी परकाश से.

मैं- एक बात पुछु

अंजू- हाँ

उसने पानी की घूँट भरी.

मैं- एक तरफ तो आप इतनी शिद्दत से अपनी मोहब्बत का जिक्र कर रही है और दूसरी तरफ कुछ घंटे पहले आप जंगल में वकील प्रकाश के साथ थी .

अंजू ने कप वापिस रखा और बोली- दुसरो के निजी पलो में ताका-झांकी बदतमीजी समझती जाती है .

मैं- मेरी नजर में उस नीच, गलीच प्रकाश के साथ चुदाई करना ज्यादा बड़ी बदतमीजी है .

मैंने जानबूझ कर चुदाई शब्द पर जोर दिया.

अंजू- इसे हम तुम्हारी पहली खता समझ कर माफ़ कर रहे है कबीर. दुबारा अपने शब्दों पर काबू रखना . खैर, जैसा हमने थोड़ी देर पहले कहा ये तुम पर निर्भर करता है की हम चीजो को कैसे समझते है . कभी तुमने इस बात पर गौर क्यों नहीं किया की प्रकाश ने कभी ब्याह क्यों नहीं किया . क्योंकि वो हमसे प्यार करता है . हम दोनों एक दुसरे से बेंतेहा प्यार करते है . ये एक ऐसा सच है जिसे हम छिपा भी नहीं सकते , बता भी नहीं सकते.



रुडा की बेटी वकील से प्यार करती थी , बहनचोद ये जिन्दगी मुझे न जाने क्या क्या दिखा रही थी .

मैं- बेशक प्रेम अँधा होता है पर इतना भी नहीं की दुष्ट इन्सान से ही इश्क कर बैठे.

अंजू- वो तुम्हे गलत लगता है क्योंकि तुम्हारा और उसका व्यवहार आपस में ठीक नहीं है. पर हमारे लिए क्या है वो हम जानते है उसकी नेकी , ईमानदारी इसलिए कम नहीं हो जाती की तुम्हे वो घटिया लगता है .

साले ने रुडा की बेटी से ही प्रेम किया था .

मैं- ये आपकी और उसकी बात है . न मुझे पहले कुछ लेना देना था न अब न आगे. मैं इस लाकेट के बारे में जानना चाहता हूँ .

अंजू- ये बस यूँ ही तो है , तुम्हे पसंद नहीं तो बेझिझक हमें वापिस दे सकते हो. हम बुरा नहीं मानेंगे.

मैं- ठीक है आप आराम करो मैं चलता हूँ .

अंजू- अरे इतनी रात कहाँ जाओगे.

मैं- ये जंगल मेरा भी घर है , कहीं न कहीं तो पनाह मिल ही जाएगी. वापसी में मैं मोहब्बत के बारे में सोचता रहा , ये दोनों लोग इसलिए अलग अलग रह रहे थे की मोहब्बत है , पर ये कैसी मोहब्बत थी जिसमे जुदाई थी . यहाँ मैंने महसूस किया की मैं मोहब्बत के बारे में कुछ नहीं जानता. चलते चलते मैं उस मोड़ पर आ गया जहाँ से एक रास्ता निशा के पास ले जाताथा दूसरा गाँव की तरफ.

बेशक बड़ी तममनना थी मुझे निशा का दीदार करने की पर न जाने क्यों मेरे कदम गाँव की तरफ बढ़ गए. जब मैं गाँव में पहुन्चा तो देखा की लोग घरो से बाहर निकले हुए थे. इतनी रात में लोगो का घर से बाहर होना किसी अनिष्ट की आशंका से दिल धाड़ धाड़ करने लगा. और जब मैं मोहल्ले में पहुंचा तो देखा की वैध की लाश उसके घर के बाहर पड़ी थी . ..................................
अंजु थी वहा वैसे अजीब लग रहा है अंजू का यहां आना जैसे लगता है पहले भी वो आ गई है यहां
अंजू और परकाश दोनो एक दूसरे को प्यार करते हैं लगता है कुछ तो झोल झाल है क्युकी अंजू सीधी लड़की है और परकाश एक नंबर का अय्याश आदमी हैं जो कही भी मुंह मारता फिरता है शायद लॉकेट निशा या फिर सोने से जुड़ा हो देखते हैं कबीर कब इसका पता लगाता है
अब वैध को किसने मार दिया देखते हैं
 

Mr. Unique

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#91


“ जब दिन के उजाले में घटा रंग बन कर बिखरेगी , जब आसमान भीगा होगा . मन के इन्द्रधनुष में प्रेम की बरसात के दरमियाँ मैं पहला पग उठा कर आगे बढ़ आउंगी तो तू जान जायेगा. ”

Wah..waaah...waaaah :claps:

Kaha se aate hai aise shabd aapke dimaag me....Maza aa gaya yrr inn panktiyo ka to mai status lagane waala hu.
 

Sanju@

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#89

ये रात कुछ ज्यादा ही लम्बी हो गयी थी . वैध को कौन मार गया एक कोने में बैठे बैठे मैं ये ही सोच रहा था .. एक तो अंजू ने मेरे दिमाग का बल्ब बुझा दिया था ऊपर से इसको कोई पेल गया था. सर हद से जायदा दुखने लगा तो मैं घर आ गया और बिस्तर पकड़ लिया. ये पहली बार था जब किसी मौत से मुझे कोई भी फर्क नहीं पड़ा था.



सुबह बड़ी बोझिल थी पर आज मुझे बहुत से काम करने थे.मैं वैध के अंतिम संस्कार में भी नहीं गया. मैं भैया के कमरे में गया और कुछ तलाशने लगा. जिन्दगी में पहली बार मैंने ये हिमाकत की थी . चोरी छिपे मैंने भैया की अलमारी खोली पहले दो खाने कपड़ो से भरे थे. तीसरे में व्यापार के , जमीनों के कागज और नोटों की गद्दिया .

मैंने दूसरी अलमारी खोली जिसमे शराब की बोतले भरी थी .

“क्या दूंढ रहे हो ” ये भाभी की आवाज थी जो कमरे में दाखिल हो रही थी .

मैं- अतीत ,उस अतीत को ढूंढ रहा हूँ जिसने मेरे आज को परेशान करके रखा हुआ है .

भाभी- क्या चाहिए तुम्हे

मैं- वो तस्वीर जिसे भैया ने पुराने कमरे से हटा दिया

भाभी- यहाँ ऐसी कोई तस्वीर नहीं है .

मैं-आप जानती है अंजू किस से प्यार करती है

भाभी-मेरे जानने न जानने से कुछ फर्क पड़ेगा क्या . उसकी जिन्दगी है वो जैसे चाहे जिए .

मैं- फिर भी क्या आप जानती है की वो किस से प्यार करती है .

भाभी- आप अंजू को हमेशा से जानती है मैं अंजू के बारे में सबकुछ जानना चाहता हूँ सब कुछ .

भाभी- वो अलग है वो जुदा है . हम में से एक होते हुए भी वो हमारे जैसी नहीं है. बेशक फूफा ने उसे सब कुछ दिया पर वो कभी भी रुडा की बेटी नहीं थी वो हमेशा सुनैना की बेटी ही रही. उस घर ने उसे हमेशा सबसे आगे रखा पर अंजू कभी स्वीकार नहीं पाई उस परिवार को और फिर एक दिन ऐसा आया की वो घर छोड़ कर चली गयी.

मैं- अंजू कहती है की रुडा की वजह से अपनी जिन्दगी नहीं जी पा रही थी इसलिए घर छोड़ कर गयी.

भाभी- झूठी है वो. माना की फूफा घटिया आदमी है पर कोई भी बाप अपने परिवार के लिए बहुत कुछ करता है . अंजू यदि ये कहे की उस घर से उसे कोई भी शिकायत थी तो ये झूठ है . वो दुनिया की सबसे खुशकिस्मत बहन है .

मैं- समझ नहीं आ रहा की कौन झूठ बोल रहा है वो या फिर आप

भाभी- मुझे क्या जरुरत झूठ बोलने की , तुमने मुझसे अंजू के बारे में पुछा मैंने तुम्हे बताया .

मैं भाभी को बताना चाहता था प्रकाश के बारे में पर खुद को रोक लिया.

मैं- अंजू भी जंगल में भटक रही है

भाभी- इसमें कुछ नया नहीं बचपन से ही ऐसा करती रही है वो.

मैं- क्या तलाशती है वो जंगल में

भाभी- नहीं जानती

मैं- वो क्या काम करती है , मेरा मतलब उसका रहन सहन हम सब से अलग है महँगी गाड़ी, महंगे शहरी कपडे . पैसा कहाँ से आता उसके पास.

भाभी-तुम शायद भूल गए की वो चौधरी रुडा की बेटी है .

मैं- अंजू कुछ तो ऐसा कर रही है जो संदिग्ध है समझ नही आ रहा , वैसे आप आखिरी बार कब मिली थी उस से.

भाभी- शायद छ साल पहले

भाभी भी गजब ही थी .

मैं-क्या आपकी और अंजू की आपस में नहीं बनती .

भाभी- उस से ही पूछ लेना तुम.

मैं- आप कभी भी कुछ भी सीधा क्यों नहीं बताती.

भाभी- सभी भाई-बहनों में सबसे घटिया कोई था तो अंजू ही थी. यही काफी है तुम्हारी जानकारी के लिए.

मैं- उसने मुझे ये दिया .

मैंने अपनी चेन भाभी को दिखाई . भाभी मेरे और पास आई और उस चेन के लाकेट में बने सर्पो को अपनी उंगलियों से छुआ और बोली- तुमने पूछा क्यों नहीं की क्यों दिया ये .

मैं- कहा था उसने कहा की भेंट है .

भाभी- उस से दूर रहना . बेशक बहन है वो मेरी पर तुम दूर रहना उस से . वो तस्वीर इस कमरे में नहीं है तुम्हारे भैया ने गायब कर दिया है उसे.

मैं- रुडा से मिलना है मुझे समझ नहीं आ रहा की कैसे बात करू उस से

भाभी- कभी कभी वो सुनैना की समाधी पर जाते है , तभी शायद ठीक रहेगा उनसे मिलना.

मैं- चाचा क्यों नहीं चाहते थे की आपका और भैया का ब्याह हो.

भाभी- हम पहले भी तुम्हे बता चुके है की हम नहीं जानते. वैसे तुम्हे क्या लगता है की वैध को किसने मारा होगा.

मैं- नहीं जानता पर मालूम कर ही लूँगा.

भाभी- कोई क्यों मारेगा उसे

मैं- इस क्यों के बहुत कारन हो सकते है वैध वैसे था तो घटिया ही . साला ऐसे ऐसे कर्म किये हुए था की मैं क्या ही बताऊ.

भाभी- कर्म तो सबके ऐसे ही होते है बस करने वाले को अपने कर्म अच्छे लगते है .

मैं- फिर भी ........ वैसे मुझे दुःख नहीं है उसके मरने का.

घर से बाहर आकर मैं कुवे की तरफ चल पड़ा. कल रात ने मुझे एक बात अच्छी तरह से समझा दी थी की जंगल उतना सुरक्षित नहीं था .अंजू मेरे कमरे तक आ पहुंची थी , मुझे कुछ तो करना ही था . मैं एक बार फिर से उस तालाब की दिवार के पास खड़ा सोच रहा था की अन्दर जाऊ या नहीं. इस कमरेमे कुछ तो ऐसा था जो मुझे फिर से खींच लाया था इसकी तरफ. पूरी सावधानी के साथ मैं अन्दर घुस गया . कमरा ठीक वैसा ही था जैसा की मैं छोड़ कर गया था . न जाने क्यों मुझे लगता था की इस कमरे की ख़ामोशी ने एक ऐसे शोर को छिपाया हुआ था की जब वो सामने आएगा तो कानो के परदे फट पड़ेंगे.

मैं दुसरे कमरे में गया , और उस कुर्सी पर बैठ कर सोचने लगा. कोई तो आता जाता होगा यहाँ पर फिर निशा को कैसे नहीं मालुम . क्या वो सख्श निशा की उपस्तिथि को भी जानता था यहाँ पर.



औरतो के रंग-बिरंगी ब्रा-कछी , नंगी तस्वीरों वाली ढेरो किताबे और सोना. यहाँ पर ये कुछ ऐसा था की समझना बहुत आसन था और बहुत मुश्किल. यहाँ पर आने वाला सक्श बहुत रंगीला था , तो ये भी था की वो औरते जरुर लाता होगा यहाँ पर. और अगर औरते आती थी तो फिर अब क्यों नहीं आती. उन औरतो को मालूम होगा की सोना है तो सोने के लालच में तो आना चाहिए था न उनको.



चाचा भोसड़ी के ने अगर यहाँ पर चुदाई का अड्डा बनाया हुआ था तो फिर रमा और सरला को क्यों नहीं मालूम इस जगह के बारे में. वो चाहती तो यहाँ से सोना चुरा कर बढ़िया जिन्दगी जी सकती थी फिर क्यों नहीं चाहत थी उनको सोने की. अब मुझे लगने लगा था की कविता वो कड़ी थी जो चाचा की जिन्दगी का अनचाहा राज खोल सकती थी . इतनी रात को वो जरुर यही पर आ रही होगी.



पर वो नहीं जानती थी की उसका इन्तजार मौत कर रही थी .कविता ने मंगू को बताया होगा सोने के बारे में और वो चुतिया जरुर उसी की तलाश में आता हो रातो को . एक सवाल और था की यदि कविता यहाँ चुदने आती थी तो फिर चाचा कहाँ है . वो बहनचोद किस बिल में छुपा है की निकल ही नहीं रहा ........


कमरे से बाहर निकल कर मैं ऊपर जाकर दिवार का सहारा लेकर बैठ गया और सोचने लगा. सोचते सोचते न जाने कब मेरी आँख लग गयी . और अजब खुमारी टूटी तो मैंने खुद के सामने उसे बैठे देखा.............
भाभी ने अंजू के बारे में जो बताया है वो सच लगता है अंजू के हिसाब से अगर वह परकाश से प्यार करती है तो इसका मतलब वह भी घटिया औरत है क्योंकि परकाश के बारे में अब तक जो पता चला है उससे ये ही बात सामने आई है कि वह अय्याश आदमी हैं तो अंजू भी हो सकती है अब ये तो सच्चाई सामने आने पे हो पता चलेगा कि सच क्या है जिस कमरे में गया है वो लगता है अय्याशी का एक अड्डा है राय साहब मंगू चाचा या परकाश इनमे से किसी एक का है शायद निशा उस शख्स के बारे में जानती है
 
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kamdev99008

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Sabse badi baat ye hai ki use jawab dhundhna hi kyo hai :lol1:
Tabhi to wo chutiya hai....
Mujhe to sawal karna aur jawab dhundhna hi chutiyapa lagta hai
Samajhdar wo hai jisse dusre sawal punchhte hain aur wo apni marji se jawab deta hai..ya... Nahi bhi deta..... :D Jaise ray sahab
 

Sanju@

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मैंने उसे देखा बस देखता ही रहा .

“कितना देखोगे कुछ बोलो भी अब ” निशा ने हौले से कहा.

मैं- कुछ नहीं कहना धड़कने खुद ही बात कर लेंगी तेरी धडकनों से.

निशा- ऐसी भी क्या दीवानगी

मैं- मुझ से मत पूछो सरकार की क्या हाल है मेरा . तुम्हारी झुकी निगाहे बता चुकी है तुमको .

निशा- अब उठ भी जाओ थक गयी हूँ मैं तुम्हारा इंतज़ार करते करते की अब उठो अब उठो.

मैं- जगाया क्यों नहीं

निशा- यूँ ही .

मैं- कुवे पर चलते है थोड़ी चाय पियूँगा तो थकान कम होगी.

निशा- इस वक्त वहां

मैं- चल न.

निशा ने अपना हाथ मेरे हाथ में दिया और बोली- चल फिर.

पुरे रस्ते मैंने अपनी नजर बनाये रखी की कोई हमारे पीछे तो नहीं है .

निशा- क्या बात है ये बेचैनी सी किसलिए

मैं- कुवे पर चल कर बताता हूँ

जल्दी ही हम वहां पहुँच गए. मैंने बल्ब जलाया और चाय का सामान निशा के हाथ में दिया .

निशा मुझे देखने लगी.

मैं- चाय बना मेरी जान.

मुस्कुराते हुए उसने चूल्हा जलाया , ठण्ड में थोड़ी तपत मिली तो मैं चूल्हे के पास ही बैठ गया .

मैं- बड़ी प्यारी लग रही है तू

निशा- इन बातो का मुझ पर कोई जोर नहीं चलने वाला.

उसने चूल्हे में फूंक दी. केसरिया आंच के ताप में उसका सिंदूरी चेहरा क्या खूब लग रहा था .

निशा- जंगल में बार बार क्या तलाश रही थी तेरी निगाहे

मैं- इस जंगल में हम अकेले नहीं है जो भटक रहे है .

निशा- जानती हूँ

मैं- मुझे तेरी सुरक्षा की फ़िक्र है , उस खंडहर पर सिर्फ तेरा ही हक़ नहीं है , किसी और की आमद महसूस की है मैने. और मैं बिलकुल नहीं चाहता की मेरा कोई दुश्मन तुझे कुछ नुकसान पहुंचाए .

निशा ने उफनती चाय को हिलाया और बोली- समझती हूँ तेरे मन की पर तू फ़िक्र मत कर उस खंडहर के बारे में किसी को भी नहीं मालूम. इस जंगल में सिर्फ वो ही एक जगह है जो अनोखी है.

मैं- कैसे मानु तेरी बात

निशा- क्योंकि पिछले बहुत सालो में तू एकमात्र था जिसके कदम वहां पर पड़े थे.

निशा की बात ने मुझे हैरत में डाल दिया. निशा का कथन मेरी कविता की सोने वाली धारणा को ध्वस्त कर रही थी .

निशा- तेरी चिंता मैं समझती हूँ . जानती हूँ तेरा मन विचलित है पर मैं कह रही हूँ न खंडहर सुरक्षित है

मैं- इतना यकीं कैसे

निशा- क्योंकि किसी और को अगर भान होता तो तालाब में सोना पड़ा नहीं होता. इन्सान की सबसे बड़ी कमी लालच होती है . किसी भी इन्सान को यदि मालूम होता की वहां पर ऐसा कुछ है तो सोने का लालच उसे तालाब तक खींच लाता.

मैं- पर कुछ लोग अगर जंगल में उसी सोने की तलाश कर रहे हो तो .

निशा- उनका नसीब. मिला हुआ सोना, पड़ा हुआ सोना अपने साथ दुर्भाग्य लाता है .

निशा ने सच कहा था इस बारे में.

मैं- पर लालच कहाँ सोचता है इस बात को

निशा- तो तुझे क्यों फ़िक्र है , जो करेगा सो भरेगा .

मैं- मुझे तेरी फ़िक्र है बस .

निशा ने चाय का कप मुझे दिया और बोली- तेरे मन में और क्या सवाल है

मैं- रुडा की बेटी के पास ऐसा क्या है की वो इतना शाही जीवन जी रही है . रुडा से अलग हुए उसे काफी बरस हो गए है कहाँ से पैसा आ रहा है उसके पास.

निशा- पूछ क्यों नहीं लेते उससे वैसे तुम्हे उसके पैसो में क्यों दिलचश्पी

मैं- अंजू मुझे थोड़े दिन पहले जंगल में मिली थी . पहली मुलाकात में उसने मुझे ये लाकेट दिया और फिर कल रात मैंने उसे प्रकाश के साथ देखा , कल रात ही जब मैं कुवे पर आया तो वो यहाँ मोजूद थी . मेरे कुवे पर उसका क्या प्रयोजन हो सकता था .



निशा- जंगल में होना अलग बात है और कुवे पर होना अलग.

मैं- मैंने भाभी से अंजू के बारे में बात की उन्होंने कहा की अंजू घटिया औरत है . और परकाश के साथ उसका होना पुष्टि भी करता है की वो घटिया है .

निशा- नंदिनी तो रुडा के परिवार की ही है , उसने कहा है तो घटिया होगी अंजू.

मैं- पर सवाल यही है की क्यों भटकती है वो जंगल में

निशा- तुम्हे उसका पीछा करना चाहिए , आज नहीं तो कल वजह मालूम कर ही लोगे.

निशा ने कितनी सरलता से कहा था .

मैं- पर मेरी दुश्मनी है परकाश से , बात बिगड़ेगी.

निशा- कबीर, कभी कभी मैं सोचती हूँ की तुम्हारी ये सरलता ही तुम्हारी शत्रु है. बेह्सक सरल होना अच्छा है पर जीवन में कुछ पल आते है जब हमें कठोर होना पड़ता है . आदत डाल लो , वैसे भी जब नंदिनी को मालूम होगा की तुम मुझे ब्याहने वाले हो तो बवाल करेगी वो.

मैं- बवाल तो हो गया सरकार, मैंने भाभी को बता दिया.

निशा- तुम भी ना

मैं- उसने कहा है की तुमसे कहूँ की जब मैं तुम्हे लेने आऊ तो फाग का दिन हो. रातो की रानी को दिन के उजाले में हाथ थामने को कहना .

निशा ने एक पल चूल्हे में पड़े अंगारों को देखा और बोली- ठीक है कबीर, तुम उसी समय आना मुझे लेने के लिए मैं तैयार मिलूंगी. पर जगह मैं चुनुंगी . हमारी अगली मुलाकात में मैं तुम्हे बता दूंगी की कहाँ तुम मेरा हाथ थामना. और नंदिनी से कहना , की इस डायन ने कहा है की उसके सब्र का इम्तिहान न ले. बरसो जली हूँ मैं . बहुत सोच कर मैंने तुमसे ये बंधन बाँधा है . ऐसा ना हो की मेरे सीने में जलती आग जमाने को जला दे. नंदिनी से कहना की डायन ने कहा है की मैंने बस प्रेम किया है तुमसे प्रेम किया है कबीर.

मैंने आगे बढ़ कर निशा को अपनी बाँहों में भर लिया और उसके होंठो को अपने होंठो से जोड़ लिया. चूमते हुए मैंने देखा की सियार कुवे की मुंडेर पर बैठे हुए आसमान को देख रहा था .कुछ देर बाद वो मुझसे अलग हुई.

निशा- तूने अभी तक निर्माण शुरू नहीं करवाया , ब्याह के बाद मुझे रखेगा कहाँ पर.



मैं- अंजू के यहाँ आने के बाद मुझे नहीं लगता की ये जगह सुरक्षित होगी.

निशा- तो कहाँ रखेगा मुझे, क्या तेरे घर में नंदिनी में मुझे आने देगी. और मेरी वजह से वहां पर कोई फसाद हो ये मैं चाहती नहीं. बता

निशा की इस बात का कोई जवाब नहीं था मेरे पास.

मैं- ब्याह से पहले मैं कोई सुरक्षित ठिकाना बना लूँगा.

निशा इस से पहले की कुछ और कहती , एक जोरदार चीख ने हमें चौंका दिया. हमारे आस पास कोई और भी था .मेरा शक बिलकुल सही था की कोई निगरानी तो जरुर कर रहा था मेरी. हम दोनों चीख की दिशा में भागे.
कबीर ने जिसे देखा वह निशा है वह एक चांद की तरह है जिसे देखने पर चहरे पर मुस्कराहट आ जाती है निशा ने सच कहा है कि लालच इंसान को बर्बाद कर देता है अब सवाल ये है कि किन किन को तलाश है इस सोने कि या अभी तक किसी को भी नही पता
लगता है भाभी और निशा के बीच अतीत में कुछ तो हुआ है या तो निशा के साथ या भाभी के साथ दोनो जुड़ी है इस घटना से । भाभी की शर्त मान ली है निशा ने अब देखते हैं क्या होता है निशा ने कहा है कि इम्तिहान न ले बरसो जली हु मै देखते हैं ऐशा निशा के साथ क्या हुआ है और भाभी हर बार शर्त क्यो रखती है
 
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