kirantariq
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Uuffff yaar ye Rehana to chut ke nashe mein pagal ho hoti ja rahi hai..बजे तक में चुदने जाने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी थी , मेंने सिन्थेटिक साड़ी पहनी थी , ताकी उसे उपर नीचे करने में कोई दिक्कत ना हो । ब्लाउज भी मेंने टिच बटन वाला पहना था जिससे उसे खोलने और बंद करने में दिक्कत ना हो । मेरी चूत रमेश से चुदाई के ख्याल से ही गीली होने लगी थी , पर फिर भी मेंने पेन्टी नहीं पहनी थी , बल्कि मेंने काटन के मोटे कपड़े का पेटीकोट पहना था। ताकि जरूरत पड़ने पर अपनी चूत और जांघों को उससे पोंछ सकूं।
आसिफ : अम्मी चलें में आपको रूखसाना आंटी के छोड़ आता हूं , इतनी धूप है आप कैसे जाएगी ।
मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे ऊपर घड़ों पानी डाल दिया हो । में एकदम घबरा कर बोली .... नहीं बेटा तू परेशान मत हो , पढ़ाई पर ध्यान रख में आटो से चली जाऊंगी
आसिफ : अरे क्या फर्क पड़ता है दस मिनट लगेंगे।
में: अरे तू पढ़ाई में ध्यान लगा , बात दस मिनट की नहीं तुझे अभी पूरी तरह focused रहना चाहिए , फिर आटो वाले ने बीस रूपए ही लेने है।
आसिफ: ठीक है ,आपकी मर्जी, अगर कोई परेशानी हो तो फोन कर देना।
में : ठीक है कर दूंगी, पर परेशानी क्या ही होगी।
2.50 मिनट हो गये थे , मुझे 3.00 बजे तक पिक्चर हाल पहुंचना था। में घर से निकल कर करीब 200मीटर पैदल ही चलती रही , जब अपने मोहल्ले से थोड़ा दूर आ गई , तब मेंने आटो रिक्शा की तलाश में अपनी नजरें दौड़ाना शुरू की , मुझे ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा , सामने ही एक आटो आ रहा था , मेंने हाथ के इशारे से उसे बुलाया ।
में: हां भैय्या प्रताप टाकिज चलोगे।
आटो वाले ने उपर से नीचे तक मुझे हसरत भरी निगाहों से देखा ..... हां भाभी जी , चलेंगे काहे नहीं, आइये बैठिए।
में : क्या लोगे?
आटो वाला : जो भी आप देंगी ले लेंगे।
नहीं फिर भी ठीक ठीक बताओ।
अब ठीक ठीक का बतावें भाभी जी , जो भी आप देंगी हम चुपचाप ले लेंगे।
चलो ठीक है , तीस रूपए दूंगी , में आटो में बैठते हुए बोली।
हमारा ओटो लिंक रोड पर दौडा जा रहा था पता नहीं आटो के शौकर खराब थे या सड़क , में इतना ज्यादा उछल रही थी कि दो बार मेरा सिर आटो की छत के पाइप से टकराया।
में : भैय्या जरा आराम से चलाओ ना , देखो कितने धक्के लग रहे हैं, मेरे तो शायद चोट भी लग गई।
भौजी अब का बताएं ( वो भाभी से भौजी पर आ गया था) हम तो बहुत आराम से चला रहें हैं , पर सड़क ही ऐसी है कि धक्के लग ही जाते हैं , बस थोड़ा और सह लो हम अपनी मंजिल पर पहुंचने वाले ही है।
में उसकी द्वीअरथी बातों को समझ कर भी ना समझ बनी हुई थी।
दस मिनट में मैं प्रताप टाकिज पहुंच गयी , वहां मेंने रमेश को मेरा इंतजार करते पाया, मुझे देखते ही उसके चेहरे पर चमक आ गई ।
आओ मेरी जान में तो आधे घंटे से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हू।
ऐसा क्यों शो तो तीन बजे का है , अपने शो शुरू होने के बाद ही अंदर चलेंगे , ताकी कोई पहचान ना पाए। मेंने रमेश से कहा ।
करीब 3.10 पर हम लोग टिकट बिन्डो पर पहुंचे।
रमेश : भाई साहब दो बाक्स के टिकट देना।
टिकट काउंटर वाले ने पहले मुझे गौर से देखा , फिर मुस्कराते हुए बोला ..... भाई साहब वाक्स को बंद हुए तो सालों हो गये।
चलिये बालकनी के दे दीजिए ।
साहब फिल्म शुरू हुए दस मिनट हो चुके हैं। टिकट क्लर्क ढिठाई से बोला ।
कोई बात नहीं आप टिकट दीजिए । रमेश थोड़ी सख्ती से बोला ।
हाल में घुप्प अंधेरा था , हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था।
रमेश बहुत अंधेरा है , मेरा हाथ पकड़ ले कहीं गिर ना जाऊं , मेने रमेश से सटते हुए कहा ।
मेरी जान तुझे गिरने केसे दूंगा कहते हुए अपना हाथ मेरी कमर पर लपेट लिया।
मेंने भी अपना हाथ रमेश के लंड पर पेंट के ऊपर से ही रख दिया था । तथा धीरे-धीरे अपनी सीट ढूंढ रहे थे।
हम लोग कामुकता में इतने डूबे हुए थे कि ये भूल गये कि हाल का अंधेरा सिर्फ हमारे लिए ही था , जो लोग पिछले दस मिनट से हाल में बैठे थे उनकी आंखें अंधेरे में देखने की अभ्यस्त हो चुकी थी।
औऐ शाबाशे , बहुत बढ़िया .... अंधेरे में किसी ने फब्ती कसी।
ओ जी ठीक है जी ठीक , लगे रहो , तभी दूसरी आवाज आई ... मेंने तुरंत से रमेश के लंड पर से हाथ हटाया और उसका हाथ पकड़ लिया।
मेरी चुदास ( चुदाई की इच्छा ) का ये आलम था कि सीट पर बैठते ही मेंने बिना इस बात की चिंता करे कि आप-पास कौन बैठा है , रमेश की ज़िप खोल कर उसकी पेंट में हाथ डाल दिया ।
रमेश ने पेंट के नीचे कुछ नहीं पहना था , उसका लंड आधी सोई अवस्था में था।
सीईईईईईई उसके लंड की कोमल चमड़ी को छूते ही मेरे मुंह से सिसकारी निकल गयी । .... बहुत प्यारा है जी .... में उसके लंड को सहलाते हुए फुसफुसाई ....
ससससस हायययय रे मेरी जान , तेरे आगे तो बड़ी बड़ी रंडियां भी फेल है। ...... रमेश ने मेरी साड़ी मेरी कमर तक खिसका दी थी और मेरी मांसल जांघों को सहला रहा था .... अरे साली तेरी चूत का पानी तो बह कर तेरी जांघों तक आ गया ....
सीईईईई क्या करूं राजा जब से तेरा फोन आया मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।
रमेश ने मेरी जांघों पर बहते पानी को अपने हाथ से पोंछा फिर उसे चाट लिया ....सीईईईई औऔऔऔ तेरी चूत का रस कितना स्वादिष्ट है रे मजा आ गया।
अब रमेश का हाथ मेरी चूत को सहला रहा था।.... अचानक रमेश ने मेरी चूत को मुठ्ठी में लेकर मसल दिया....एक मीठे दर्द की लहर मेरे शरीर में उठी ....... ऊईईईईईई मां क्या कर रहा है.... थोड़ा आराम में कर ले।
मेरी रंडी आराम से कैसे कर लूं , तेरी चूत है ही इतनी गद्देदार , कि मन करता है खा जाऊं, रमेश मेरी चूत में ऊंगली घुसाते हुए बोला ।
सीईईईईई मेरी जान खा बाद में लेना, अभी तो ये सोच कि तेरा ये औजार मेरी चूत के अंदर कैसे जाएगा।...... में उसके लंड को जो ,.. अपने पूरे शबाब में आ गया था , और उसकी मोटाई मेरी मुठ्ठी में भी नहीं आ रही थी को मुठ्ठीयाते हुए फुसफुसाई । उसके कठोर मोटे लंड ने मेरी चूत में सैलाब ला दिया था । में लाज शर्म छोड़ कर नीचे झूकी और उसके लंड की पप्पी ले ली । मेरी ये हरकत शायद आसपास बैठे लोगों ने देख ली थी क्योंकि तभी पीछे से आवाज़ आई ........ औ यारों पिक्चर देखने दोगे या अपना सीन दिखाओगे।
तभी दूसरी आवाज आई......अरे... भाई साहब आप तो चालू रहो कुछ नहीं होता , ये पिक्चर तो बाद में भी देख लेंगे।
में तो एकदम से घबरा गई , मगर रमेश पर कोई असर नहीं हुआ , उसकी दो उंगलियां बदस्तूर मेरी चूत के छेद में घुसी हुई थी।
सीईईईईई ऊऊऊऊऊ.... यार सुनो ऐसे कैसे करेंगे ... मेरी चूत तो लंड खाने के लिए बुरी तरह तड़प रही है..... अब बर्दाश्त के बाहर होता जा रहा है। .....में अपने एक हाथ से रमेश के लंड को मुठ मारी रही थी तथा दूसरे हाथ से अपनी चूचियां मसल रही थी।
औऔऔऔहहह मेरी रंडी,मैं भी यही सोच रहा हूं, ऐसे तो मेरा लंड तेरे हाथ में ही झड़ जाएगा। रमेश ने फुसफुसाते हुए कहा।
सुनो, ये जो दो लाइनों के बीच जगह है यहां घोड़ी बन जाती हूं , यही चोद लो , में घूंघट निकाल लेती हूं ,कोई पहचान नहीं पाएगा।..... चुदाई के लिए बेताब में ने रमेश को सलाह दी।।
बहनचोद ऐसा कर दिया तो यहां तेरे उपर चढ़ने वालों की लाइन लग जाएगी।...... रमेश ने झिड़कते हुए कहा।
फिर क्या करें.... मेंने बेसब्री से पूछा।
ऐसा कर तू बैठ में कुछ इंतजाम करके आता हूं। .... रमेश अपने लंड को वापस पेन्ट के अंदर करते हुए बोला...और हाल के बाहर चला गया।
में अकेली बैठी हुई अपनी चूत सहलाने लगी ..... फिल्म में भी हिरोइन स्विमसूट में स्विमिंग पूल के किनारे लेटी हुई थी और हीरो उसकी जांघें चूम रहा था।।
करीब दस मिनट में रमेश वापस आया और बोला चल फटाफट उठ ।
क्या हुआ, मेंने सीट से उठते हुए पूछा।
रमेश : यार अपने पास चुदाई के लिए सिर्फ सात मिनट का समय है , मेंने यहां के सिक्योरिटी गार्ड को 500 रूप देकर इस बात के लिए राजी कर लिया है कि वो सात मिनट के लिए हाल का दरवाजा बाहर से बंद कर देगा और किसी को टायलेट में नहीं आने देगा , हम वहां चुदाई कर सकते हैं।
में चुदाई के लिए इतनी बेकरार थी कि मेरे कदम अपने आप ते जो हो गये ।
तभी किसी ने फब्ती कसी .....अजी कहां चले जी ..... ये बात ग़लत है , हमारा खड़ा करके आप लोग भाग रहे हो।
हम उन लोगों की बातें अनसुनी कर में हाल से निकल गये , सामने ही सिक्योरिटी गार्ड खड़ा था। जो मुझे कामुक नजर से देख रहा था , ... रमेश और गार्ड ने आपस में इशारों में कुछ बात करी और गार्ड ने मेन हाल का दरवाजा बाहर से बन्द कर दिया।
टायलेट में घुसते ही रमेश ने चिटखनी अंदर से बंद कर ली।
मेंने भी फुर्ती दिखाते हुए अपने ब्लाऊज के बटन खोले और अपनी धोती कमर तक उठा कर बोली ..... घोड़ी बन जाऊं क्या ?
नहीं यार उसमें कपड़ों के कारण दिक्कत आयेगी। तू तो दीवार पर हाथ टिकाकर थोड़ा झुक जा में पीछे से डालता हूं
में तुरंत से दीवार पर हाथ टिकाकर झुक गई , मेंने देखा रमेश ने अपनी पेंट घुटनों तक खिसका दी थी , उसका आठ इंच लम्बा काला भुसंड लंड मेरी चूत में घुसने के लिए तैयार खड़ा था , मेरी चूत भी उसके इंतजार में फड़फड़ा रही थी ।
रमेश ने मेरे पीछे आकर अपने लंड पर ढेर सारा थूका लगाया और मेरी चूत पर टिका दिया फिर दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ कर एक जोरदार धक्का मारा ,..... मेरी चूत तो पहले से ही बहुत गीली थी ,.....उसका लंड एक ही वार में सरसराता हुआ जड़ तक अंदर समा गया ।
सीईईईईईईईई मेरे मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकली , रमेश के लंड ने सीधे मेरी बच्चेदानी पर चोट की थी। अब रमेश ने तेज गति से धक्के मारने शुरू कर दिये थे , उसने मेरे दोनों बूब्स को अपने हाथों में पकड़ रखा था और उन्हें निर्ममता से मसलते हुए तूफानी रफ्तार से धक्के मार रहा था। उसके इन तेज धक्कों ने मेरे शरीर को झंझोड़ कर रख दिया था। आईईईईईईई मां री ईईईईईई जरा धीरे कर रे सहा नहीं जा रहा , में धीमी आवाज में मिमिया रही थी ..... प्लीज थोड़ा धीरे कर लें आआआआआइ मेरे में अब ऊईईईई इतना दम नहीं आआआ कि इतने तेज धक्के सह सकूं।
आहहहूऊ आहहहहू बहनचोदी अपने पास झडने के लिए बस पांच मिनट का समय है उसके बाद कोई आ गया ना तो तेरी हालत कुतिया जैसी हो जाएगी , पता नहीं लंड घुसेगें।
तभी तेज धक्के मारते मारते रमेश का लंड चूत से बाहर निकल गया और अपना निशाना चूक गया , मेरे पेशाब के छेद ओर दाने पर उसके लंड की जबरदस्त चोट लगी ।
आईईईईईईई मां मर गई मैं..... में दर्द से बिलबिलाते हुए चीखीं ।
रमेश ने एक जोरदार थप्पड़ मेरे चूतड पर मारा और गुर्रा कर बोल ....बहनचोदी इतनी जोर से क्यों चीख रही है , लोग इकट्ठे हो जाएंगे।
में : तो फिर ठीक से करना बाहर क्यों निकाल लेता है।
रमेश : में कहां निकालता बाहर, तेरी चूत है ही इतनी ढीली कि अपने आप बाहर निकल जाता।
ये सुनकर गुस्से मे, में अपना सारा दर्द भूल गई और गुस्से में बोली..... मादरचोद अगर मेरी चूत इतनी ही ढीली लगती है तो कोई दूसरी ढूंढ ले , मेरी पास क्यों कुत्ते की तरह दुम हिलाता हुआ , अपनी मां चुदाने आता है।
अपने धक्के बदस्तूर जारी रखते हुए बोला आहहह मेरी जान...आहहह बुरा क्यों मान गई, में तो मजाक कर रहा था ...आऔऔहह ... ऐसा कोई पहली बार हुआ है क्या ,... चुदाई करते हुए अक्सर लंड चूत से बाहर निकल जाता है ,.... भले ही बिल्कुल नई चूत ही क्यों ना हो।
में: आहहहह मेरे राजा मेरे दर्द हो गया ना बहुत , इसलिए मुंह से चीख निकल गयी । चल अब नहीं चीखूंगी , कह कर मैंने अपनी धोती का पल्लू अपने मुंह में ठूंस लिया । रमेश लगातार तेज धक्के लगा रहा था , उसने पिछले पांच मिनट में करीब 700 धक्के लगा दिए थे , जिस कारण मेरी चूत में हल्का दर्द शुरू हो गया था । तथा मुझे लग रहा था कि अब में ज्यादा देर सह नहीं पाऊंगी।
आहहहह ऊऊछ मर गई रे आहहहह आहहह मेरे राजा मेंरी झडने वाली है रे ....आईईईईई तेरे लंड में जादू है आहहह इसलिए ही तो मैं इसकी दीवानी हूं ।आआआआआ ईईईईईई राजा मेरे राजा जी .... मेरी चूत पानी छोड़ रही है जी ....जोर से मारो जी और जोर से फ़ाड़ दो मेरी .... बहनचोद दम नहीं है क्या ....और तेज हां हां हां ऐसे ही , ..... मेरा निकल रहा है , मेरे राजा में जा रही हूं ....हायययययय ईईईईईईईईई गई रे गई ।
मेरी चूत भरभरा कर झड़ गई थी।
रमेश पूरी तेजी से धक्के लगाए जा रहा था ,..... जो कि झडने के बाद मुझे से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहै थे ।
आहहहह आहहहह ऊऊऊईईईई निकाल दे अब प्लीज बहुत दर्द हो रहा हां है .... ईईईईईई प्लीज मेरे पेर भी इस पोजीशन में खड़े खड़े दुखने लगे ।...... हाय रे मैय्या बचा ले ..... मार दी रे .....आईईईईई ..छोड़ दें बेरहम .... बिल्कुल जान ही निकालेगा क्या....डाल दें अपना बीज अंदर आआआआआईईई जल्दी कर।
तभी रमेश ने मेरी कमर अपनी बाहों में जकड ली और शाट्स की रफ्तार बढ़ा दी ....आहहहह हाययय मेरी जान मेरा भी निकलने वाला है आहहहह आहहहह आहहहह ... मेरी रंडी तुझे अपने बच्चे की मां बनाऊंगा रेएएए। औहहहहहह .. मेरी रानी तू गुस्सा मत हुआ कर। आहहहह आहहहह। आहहह औहहहह में मेरा निकल रहा है हाययययय रे में गया और में गया ।
जोर से डकराते हुए रमेश ने ढेर सारा गर्म लावा मेरी चूत में डाल दिया ... और मेरे कंधे पर सर रख कर लम्बी लम्बी सांसें लेने लगा ..... कुछ ही पल में उसका लंड सिकुड़ कर मेरी चूत से बाहर आ गया । उसका वीर्य मेरी चूत से बहता हुआ जांघों तक आ गया था । मेंने अपने पेटीकोट से अपनी जांघों और चूत को अच्छे से साफ किया ।
चुदाई से निवृत्त होकर हम लोग टायलेट से बाहर आ गये, वापस में हाल में जाने का कोई मतलब नहीं था , इसलिए हमने तय किया कि अब घर को लौटते हैं।
मेंने वापस आटो से लौटना था , और रमेश ने अपने स्कूटर से ।
अचानक रमेश अपनी जेबें टटोलता हुआ बोला .... रानी तुम जरा यहीं रूको .. मेरी स्कूटर की चाबी शायद अंदर सीट पर रह गई .. में देख कर आता हूं।
जैसे ही रमेश हाल में दाखिल हुआ , वो सिक्योरिटी गार्ड धीरे धीरे चलता हुआ मेरे पास आया और बिना किसी हिचकिचाहट के बोला।
भाभी जी कभी हमें भी मौका दीजिए , ...कसम से आपका दिल खुश कर देंगे... हमारा काफी बड़ा भी है और जल्दी से झड़ता भी नहीं है ।
में सर झुकाए खड़ी थी। में उसे कुछ जबाब देती उससे पहले ही रमेश वापस आ गया , उसकी चाबी मिल गई थी।
दरवाजे से बाहर निकलते हुए मेंने तिरछी नजरों से गार्ड को देखा , मुझे अपनी और देखता देख , वो पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को खुजाने लगा। मेंने भी मुस्कुरा कर अपनी साड़ी के ऊपर से ही अपनी चूत खुजा दी।।
कहानी जारी रहेगी
Bahut hi badhiya update heबजे तक में चुदने जाने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी थी , मेंने सिन्थेटिक साड़ी पहनी थी , ताकी उसे उपर नीचे करने में कोई दिक्कत ना हो । ब्लाउज भी मेंने टिच बटन वाला पहना था जिससे उसे खोलने और बंद करने में दिक्कत ना हो । मेरी चूत रमेश से चुदाई के ख्याल से ही गीली होने लगी थी , पर फिर भी मेंने पेन्टी नहीं पहनी थी , बल्कि मेंने काटन के मोटे कपड़े का पेटीकोट पहना था। ताकि जरूरत पड़ने पर अपनी चूत और जांघों को उससे पोंछ सकूं।
आसिफ : अम्मी चलें में आपको रूखसाना आंटी के छोड़ आता हूं , इतनी धूप है आप कैसे जाएगी ।
मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे ऊपर घड़ों पानी डाल दिया हो । में एकदम घबरा कर बोली .... नहीं बेटा तू परेशान मत हो , पढ़ाई पर ध्यान रख में आटो से चली जाऊंगी
आसिफ : अरे क्या फर्क पड़ता है दस मिनट लगेंगे।
में: अरे तू पढ़ाई में ध्यान लगा , बात दस मिनट की नहीं तुझे अभी पूरी तरह focused रहना चाहिए , फिर आटो वाले ने बीस रूपए ही लेने है।
आसिफ: ठीक है ,आपकी मर्जी, अगर कोई परेशानी हो तो फोन कर देना।
में : ठीक है कर दूंगी, पर परेशानी क्या ही होगी।
2.50 मिनट हो गये थे , मुझे 3.00 बजे तक पिक्चर हाल पहुंचना था। में घर से निकल कर करीब 200मीटर पैदल ही चलती रही , जब अपने मोहल्ले से थोड़ा दूर आ गई , तब मेंने आटो रिक्शा की तलाश में अपनी नजरें दौड़ाना शुरू की , मुझे ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा , सामने ही एक आटो आ रहा था , मेंने हाथ के इशारे से उसे बुलाया ।
में: हां भैय्या प्रताप टाकिज चलोगे।
आटो वाले ने उपर से नीचे तक मुझे हसरत भरी निगाहों से देखा ..... हां भाभी जी , चलेंगे काहे नहीं, आइये बैठिए।
में : क्या लोगे?
आटो वाला : जो भी आप देंगी ले लेंगे।
नहीं फिर भी ठीक ठीक बताओ।
अब ठीक ठीक का बतावें भाभी जी , जो भी आप देंगी हम चुपचाप ले लेंगे।
चलो ठीक है , तीस रूपए दूंगी , में आटो में बैठते हुए बोली।
हमारा ओटो लिंक रोड पर दौडा जा रहा था पता नहीं आटो के शौकर खराब थे या सड़क , में इतना ज्यादा उछल रही थी कि दो बार मेरा सिर आटो की छत के पाइप से टकराया।
में : भैय्या जरा आराम से चलाओ ना , देखो कितने धक्के लग रहे हैं, मेरे तो शायद चोट भी लग गई।
भौजी अब का बताएं ( वो भाभी से भौजी पर आ गया था) हम तो बहुत आराम से चला रहें हैं , पर सड़क ही ऐसी है कि धक्के लग ही जाते हैं , बस थोड़ा और सह लो हम अपनी मंजिल पर पहुंचने वाले ही है।
में उसकी द्वीअरथी बातों को समझ कर भी ना समझ बनी हुई थी।
दस मिनट में मैं प्रताप टाकिज पहुंच गयी , वहां मेंने रमेश को मेरा इंतजार करते पाया, मुझे देखते ही उसके चेहरे पर चमक आ गई ।
आओ मेरी जान में तो आधे घंटे से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हू।
ऐसा क्यों शो तो तीन बजे का है , अपने शो शुरू होने के बाद ही अंदर चलेंगे , ताकी कोई पहचान ना पाए। मेंने रमेश से कहा ।
करीब 3.10 पर हम लोग टिकट बिन्डो पर पहुंचे।
रमेश : भाई साहब दो बाक्स के टिकट देना।
टिकट काउंटर वाले ने पहले मुझे गौर से देखा , फिर मुस्कराते हुए बोला ..... भाई साहब वाक्स को बंद हुए तो सालों हो गये।
चलिये बालकनी के दे दीजिए ।
साहब फिल्म शुरू हुए दस मिनट हो चुके हैं। टिकट क्लर्क ढिठाई से बोला ।
कोई बात नहीं आप टिकट दीजिए । रमेश थोड़ी सख्ती से बोला ।
हाल में घुप्प अंधेरा था , हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था।
रमेश बहुत अंधेरा है , मेरा हाथ पकड़ ले कहीं गिर ना जाऊं , मेने रमेश से सटते हुए कहा ।
मेरी जान तुझे गिरने केसे दूंगा कहते हुए अपना हाथ मेरी कमर पर लपेट लिया।
मेंने भी अपना हाथ रमेश के लंड पर पेंट के ऊपर से ही रख दिया था । तथा धीरे-धीरे अपनी सीट ढूंढ रहे थे।
हम लोग कामुकता में इतने डूबे हुए थे कि ये भूल गये कि हाल का अंधेरा सिर्फ हमारे लिए ही था , जो लोग पिछले दस मिनट से हाल में बैठे थे उनकी आंखें अंधेरे में देखने की अभ्यस्त हो चुकी थी।
औऐ शाबाशे , बहुत बढ़िया .... अंधेरे में किसी ने फब्ती कसी।
ओ जी ठीक है जी ठीक , लगे रहो , तभी दूसरी आवाज आई ... मेंने तुरंत से रमेश के लंड पर से हाथ हटाया और उसका हाथ पकड़ लिया।
मेरी चुदास ( चुदाई की इच्छा ) का ये आलम था कि सीट पर बैठते ही मेंने बिना इस बात की चिंता करे कि आप-पास कौन बैठा है , रमेश की ज़िप खोल कर उसकी पेंट में हाथ डाल दिया ।
रमेश ने पेंट के नीचे कुछ नहीं पहना था , उसका लंड आधी सोई अवस्था में था।
सीईईईईईई उसके लंड की कोमल चमड़ी को छूते ही मेरे मुंह से सिसकारी निकल गयी । .... बहुत प्यारा है जी .... में उसके लंड को सहलाते हुए फुसफुसाई ....
ससससस हायययय रे मेरी जान , तेरे आगे तो बड़ी बड़ी रंडियां भी फेल है। ...... रमेश ने मेरी साड़ी मेरी कमर तक खिसका दी थी और मेरी मांसल जांघों को सहला रहा था .... अरे साली तेरी चूत का पानी तो बह कर तेरी जांघों तक आ गया ....
सीईईईई क्या करूं राजा जब से तेरा फोन आया मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।
रमेश ने मेरी जांघों पर बहते पानी को अपने हाथ से पोंछा फिर उसे चाट लिया ....सीईईईई औऔऔऔ तेरी चूत का रस कितना स्वादिष्ट है रे मजा आ गया।
अब रमेश का हाथ मेरी चूत को सहला रहा था।.... अचानक रमेश ने मेरी चूत को मुठ्ठी में लेकर मसल दिया....एक मीठे दर्द की लहर मेरे शरीर में उठी ....... ऊईईईईईई मां क्या कर रहा है.... थोड़ा आराम में कर ले।
मेरी रंडी आराम से कैसे कर लूं , तेरी चूत है ही इतनी गद्देदार , कि मन करता है खा जाऊं, रमेश मेरी चूत में ऊंगली घुसाते हुए बोला ।
सीईईईईई मेरी जान खा बाद में लेना, अभी तो ये सोच कि तेरा ये औजार मेरी चूत के अंदर कैसे जाएगा।...... में उसके लंड को जो ,.. अपने पूरे शबाब में आ गया था , और उसकी मोटाई मेरी मुठ्ठी में भी नहीं आ रही थी को मुठ्ठीयाते हुए फुसफुसाई । उसके कठोर मोटे लंड ने मेरी चूत में सैलाब ला दिया था । में लाज शर्म छोड़ कर नीचे झूकी और उसके लंड की पप्पी ले ली । मेरी ये हरकत शायद आसपास बैठे लोगों ने देख ली थी क्योंकि तभी पीछे से आवाज़ आई ........ औ यारों पिक्चर देखने दोगे या अपना सीन दिखाओगे।
तभी दूसरी आवाज आई......अरे... भाई साहब आप तो चालू रहो कुछ नहीं होता , ये पिक्चर तो बाद में भी देख लेंगे।
में तो एकदम से घबरा गई , मगर रमेश पर कोई असर नहीं हुआ , उसकी दो उंगलियां बदस्तूर मेरी चूत के छेद में घुसी हुई थी।
सीईईईईई ऊऊऊऊऊ.... यार सुनो ऐसे कैसे करेंगे ... मेरी चूत तो लंड खाने के लिए बुरी तरह तड़प रही है..... अब बर्दाश्त के बाहर होता जा रहा है। .....में अपने एक हाथ से रमेश के लंड को मुठ मारी रही थी तथा दूसरे हाथ से अपनी चूचियां मसल रही थी।
औऔऔऔहहह मेरी रंडी,मैं भी यही सोच रहा हूं, ऐसे तो मेरा लंड तेरे हाथ में ही झड़ जाएगा। रमेश ने फुसफुसाते हुए कहा।
सुनो, ये जो दो लाइनों के बीच जगह है यहां घोड़ी बन जाती हूं , यही चोद लो , में घूंघट निकाल लेती हूं ,कोई पहचान नहीं पाएगा।..... चुदाई के लिए बेताब में ने रमेश को सलाह दी।।
बहनचोद ऐसा कर दिया तो यहां तेरे उपर चढ़ने वालों की लाइन लग जाएगी।...... रमेश ने झिड़कते हुए कहा।
फिर क्या करें.... मेंने बेसब्री से पूछा।
ऐसा कर तू बैठ में कुछ इंतजाम करके आता हूं। .... रमेश अपने लंड को वापस पेन्ट के अंदर करते हुए बोला...और हाल के बाहर चला गया।
में अकेली बैठी हुई अपनी चूत सहलाने लगी ..... फिल्म में भी हिरोइन स्विमसूट में स्विमिंग पूल के किनारे लेटी हुई थी और हीरो उसकी जांघें चूम रहा था।।
करीब दस मिनट में रमेश वापस आया और बोला चल फटाफट उठ ।
क्या हुआ, मेंने सीट से उठते हुए पूछा।
रमेश : यार अपने पास चुदाई के लिए सिर्फ सात मिनट का समय है , मेंने यहां के सिक्योरिटी गार्ड को 500 रूप देकर इस बात के लिए राजी कर लिया है कि वो सात मिनट के लिए हाल का दरवाजा बाहर से बंद कर देगा और किसी को टायलेट में नहीं आने देगा , हम वहां चुदाई कर सकते हैं।
में चुदाई के लिए इतनी बेकरार थी कि मेरे कदम अपने आप ते जो हो गये ।
तभी किसी ने फब्ती कसी .....अजी कहां चले जी ..... ये बात ग़लत है , हमारा खड़ा करके आप लोग भाग रहे हो।
हम उन लोगों की बातें अनसुनी कर में हाल से निकल गये , सामने ही सिक्योरिटी गार्ड खड़ा था। जो मुझे कामुक नजर से देख रहा था , ... रमेश और गार्ड ने आपस में इशारों में कुछ बात करी और गार्ड ने मेन हाल का दरवाजा बाहर से बन्द कर दिया।
टायलेट में घुसते ही रमेश ने चिटखनी अंदर से बंद कर ली।
मेंने भी फुर्ती दिखाते हुए अपने ब्लाऊज के बटन खोले और अपनी धोती कमर तक उठा कर बोली ..... घोड़ी बन जाऊं क्या ?
नहीं यार उसमें कपड़ों के कारण दिक्कत आयेगी। तू तो दीवार पर हाथ टिकाकर थोड़ा झुक जा में पीछे से डालता हूं
में तुरंत से दीवार पर हाथ टिकाकर झुक गई , मेंने देखा रमेश ने अपनी पेंट घुटनों तक खिसका दी थी , उसका आठ इंच लम्बा काला भुसंड लंड मेरी चूत में घुसने के लिए तैयार खड़ा था , मेरी चूत भी उसके इंतजार में फड़फड़ा रही थी ।
रमेश ने मेरे पीछे आकर अपने लंड पर ढेर सारा थूका लगाया और मेरी चूत पर टिका दिया फिर दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ कर एक जोरदार धक्का मारा ,..... मेरी चूत तो पहले से ही बहुत गीली थी ,.....उसका लंड एक ही वार में सरसराता हुआ जड़ तक अंदर समा गया ।
सीईईईईईईईई मेरे मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकली , रमेश के लंड ने सीधे मेरी बच्चेदानी पर चोट की थी। अब रमेश ने तेज गति से धक्के मारने शुरू कर दिये थे , उसने मेरे दोनों बूब्स को अपने हाथों में पकड़ रखा था और उन्हें निर्ममता से मसलते हुए तूफानी रफ्तार से धक्के मार रहा था। उसके इन तेज धक्कों ने मेरे शरीर को झंझोड़ कर रख दिया था। आईईईईईईई मां री ईईईईईई जरा धीरे कर रे सहा नहीं जा रहा , में धीमी आवाज में मिमिया रही थी ..... प्लीज थोड़ा धीरे कर लें आआआआआइ मेरे में अब ऊईईईई इतना दम नहीं आआआ कि इतने तेज धक्के सह सकूं।
आहहहूऊ आहहहहू बहनचोदी अपने पास झडने के लिए बस पांच मिनट का समय है उसके बाद कोई आ गया ना तो तेरी हालत कुतिया जैसी हो जाएगी , पता नहीं लंड घुसेगें।
तभी तेज धक्के मारते मारते रमेश का लंड चूत से बाहर निकल गया और अपना निशाना चूक गया , मेरे पेशाब के छेद ओर दाने पर उसके लंड की जबरदस्त चोट लगी ।
आईईईईईईई मां मर गई मैं..... में दर्द से बिलबिलाते हुए चीखीं ।
रमेश ने एक जोरदार थप्पड़ मेरे चूतड पर मारा और गुर्रा कर बोल ....बहनचोदी इतनी जोर से क्यों चीख रही है , लोग इकट्ठे हो जाएंगे।
में : तो फिर ठीक से करना बाहर क्यों निकाल लेता है।
रमेश : में कहां निकालता बाहर, तेरी चूत है ही इतनी ढीली कि अपने आप बाहर निकल जाता।
ये सुनकर गुस्से मे, में अपना सारा दर्द भूल गई और गुस्से में बोली..... मादरचोद अगर मेरी चूत इतनी ही ढीली लगती है तो कोई दूसरी ढूंढ ले , मेरी पास क्यों कुत्ते की तरह दुम हिलाता हुआ , अपनी मां चुदाने आता है।
अपने धक्के बदस्तूर जारी रखते हुए बोला आहहह मेरी जान...आहहह बुरा क्यों मान गई, में तो मजाक कर रहा था ...आऔऔहह ... ऐसा कोई पहली बार हुआ है क्या ,... चुदाई करते हुए अक्सर लंड चूत से बाहर निकल जाता है ,.... भले ही बिल्कुल नई चूत ही क्यों ना हो।
में: आहहहह मेरे राजा मेरे दर्द हो गया ना बहुत , इसलिए मुंह से चीख निकल गयी । चल अब नहीं चीखूंगी , कह कर मैंने अपनी धोती का पल्लू अपने मुंह में ठूंस लिया । रमेश लगातार तेज धक्के लगा रहा था , उसने पिछले पांच मिनट में करीब 700 धक्के लगा दिए थे , जिस कारण मेरी चूत में हल्का दर्द शुरू हो गया था । तथा मुझे लग रहा था कि अब में ज्यादा देर सह नहीं पाऊंगी।
आहहहह ऊऊछ मर गई रे आहहहह आहहह मेरे राजा मेंरी झडने वाली है रे ....आईईईईई तेरे लंड में जादू है आहहह इसलिए ही तो मैं इसकी दीवानी हूं ।आआआआआ ईईईईईई राजा मेरे राजा जी .... मेरी चूत पानी छोड़ रही है जी ....जोर से मारो जी और जोर से फ़ाड़ दो मेरी .... बहनचोद दम नहीं है क्या ....और तेज हां हां हां ऐसे ही , ..... मेरा निकल रहा है , मेरे राजा में जा रही हूं ....हायययययय ईईईईईईईईई गई रे गई ।
मेरी चूत भरभरा कर झड़ गई थी।
रमेश पूरी तेजी से धक्के लगाए जा रहा था ,..... जो कि झडने के बाद मुझे से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहै थे ।
आहहहह आहहहह ऊऊऊईईईई निकाल दे अब प्लीज बहुत दर्द हो रहा हां है .... ईईईईईई प्लीज मेरे पेर भी इस पोजीशन में खड़े खड़े दुखने लगे ।...... हाय रे मैय्या बचा ले ..... मार दी रे .....आईईईईई ..छोड़ दें बेरहम .... बिल्कुल जान ही निकालेगा क्या....डाल दें अपना बीज अंदर आआआआआईईई जल्दी कर।
तभी रमेश ने मेरी कमर अपनी बाहों में जकड ली और शाट्स की रफ्तार बढ़ा दी ....आहहहह हाययय मेरी जान मेरा भी निकलने वाला है आहहहह आहहहह आहहहह ... मेरी रंडी तुझे अपने बच्चे की मां बनाऊंगा रेएएए। औहहहहहह .. मेरी रानी तू गुस्सा मत हुआ कर। आहहहह आहहहह। आहहह औहहहह में मेरा निकल रहा है हाययययय रे में गया और में गया ।
जोर से डकराते हुए रमेश ने ढेर सारा गर्म लावा मेरी चूत में डाल दिया ... और मेरे कंधे पर सर रख कर लम्बी लम्बी सांसें लेने लगा ..... कुछ ही पल में उसका लंड सिकुड़ कर मेरी चूत से बाहर आ गया । उसका वीर्य मेरी चूत से बहता हुआ जांघों तक आ गया था । मेंने अपने पेटीकोट से अपनी जांघों और चूत को अच्छे से साफ किया ।
चुदाई से निवृत्त होकर हम लोग टायलेट से बाहर आ गये, वापस में हाल में जाने का कोई मतलब नहीं था , इसलिए हमने तय किया कि अब घर को लौटते हैं।
मेंने वापस आटो से लौटना था , और रमेश ने अपने स्कूटर से ।
अचानक रमेश अपनी जेबें टटोलता हुआ बोला .... रानी तुम जरा यहीं रूको .. मेरी स्कूटर की चाबी शायद अंदर सीट पर रह गई .. में देख कर आता हूं।
जैसे ही रमेश हाल में दाखिल हुआ , वो सिक्योरिटी गार्ड धीरे धीरे चलता हुआ मेरे पास आया और बिना किसी हिचकिचाहट के बोला।
भाभी जी कभी हमें भी मौका दीजिए , ...कसम से आपका दिल खुश कर देंगे... हमारा काफी बड़ा भी है और जल्दी से झड़ता भी नहीं है ।
में सर झुकाए खड़ी थी। में उसे कुछ जबाब देती उससे पहले ही रमेश वापस आ गया , उसकी चाबी मिल गई थी।
दरवाजे से बाहर निकलते हुए मेंने तिरछी नजरों से गार्ड को देखा , मुझे अपनी और देखता देख , वो पेंट के ऊपर से ही अपने लंड को खुजाने लगा। मेंने भी मुस्कुरा कर अपनी साड़ी के ऊपर से ही अपनी चूत खुजा दी।।
कहानी जारी रहेगी