Arrey Firoza ji..bohot shukriya mention karne ke liye... Itna sa idea tha aur aapne gazab ka update bana daala...ye hoti hai creative logo ki speciality...में मेरे दोस्त rhyme_boy का बहुत बहुत शुक्रिया अदा करती हूं , उन्होंने इस अपडेट लिखने में काफी मदद की।
अब मैं रोज आसिफ के साथ नंगी ही सोती थी हम लोग रोजाना जबरदस्त चुदाई करते थे , में रोज सोने से पहले और सुबह उठते ही अपनी चुदाई ज़रूर करवाती थी , में सुबह आसिफ को उठाती भी उसका लंड चूस चूस कर थी । इसके अलावा अगर रात को कभी नींद खुल जाय तो आसिफ के लंड पर बैठ कर चुदाई कर लेती थी, .... मुझे लगने लगा था कि मैं, पैंतालीस साल की उसकी मां नहीं बल्कि बीस साल की नई नवेली दुल्हन हूं जो टांगें खोल कर अपने शौहर का लंड अपनी चूत में लेने के लिय हमेशा तैयार रहती है, और ये मेरा हनीमून पीरियड चल रहा है....ये मेरी जिंदगी के सबसे खुशनुमा दिन चल रहे थे , दिन में कई कई बार अपनी चुदाई करवाती थी ।
क़रीब दो महिने तो मैंने आसिफ से चुदाई के भरपूर मजे लिए , फिर मुझे लगने लगा कि आसिफ की चुदाई से मेरी शारीरिक और मानसिक जरूरत पूरी नहीं हो पा रही थी।
आसिफ के कालेज चले जाने के बाद में पूरा दिन परेशान रहने लगी , किसी भी काम में मन नहीं लगता था , पूरे दिन बिस्तर पर लेटी रहती तथा रमेश को याद करके अपनी चूत और चूचियों को मसलती रहती थी , पता नहीं मेरे में ये परिवर्तन कैसे आ गया कि मुझे हमेशा लगता था कि कोई मेरी चूत में लंड डाल कर मुझसे चिपका रहै। आसिफ के डर से रमेश को फोन करने की हिम्मत नहीं होती थी ।
ये सही था कि आसिफ मुझे बहुत प्यार करता था तथा मेरी हर छोटी बड़ी जरूरतों का ख्याल रखता था। फिर भी ना जाने क्यों हर समय मेरे ज़हन में रमेश द्वारा की गयी मेरी चुदाई घूमती रहती थी , उसका वो चोदते समय गालियां देना , मेरे कूल्हों पर थप्पड़ मारना, चूत के दाने , निपल और जांघों पर काट लेना , मेरे शरीर को प्रताड़ित करना , गंदी हरकतें करना।.... मुझे इस बात के लिए उकसा रहे थे कि मैं रमेश को फोन करूं।
आखिर एक दिन आसिफ के कालेज जाने के बाद मेंने डरते डरते आसिफ का नम्बर मिलाया।
में ... हैलो कौन बोल रहा है।
रमेश: कहिये , आप को किससे बात करनी है ?
में: जी वो र रमेश जी से।
रमेश: हां बोलिए, में रमेश बोला रहा हूं, आप कौन
में : रमेश जी , में रेशमा बोली रही हूं , कैसे है आप ।..... खुशी से मेरे मुंह से खुल कर आवाज नहीं निकल पा रही थी। रमेश के लिए मेरे मन मे अजीब सी फीलिंग आ रही थी , जिसके कारण में उसे आप और जी से संबोधित कर रही थी।
रमेश : अरे आंटी आप , माफ़ करना आपकी आवाज पहचान नहीं पाया , आपके फोन की उम्मीद नहीं थी ना .....अब मेरे हाल क्या बताऊं , आंटी... बस किसी तरह समय कट रहा ..... आप सुनाओ आप के क्या हाल है।
में: हाल की बात तो बाद में करेंगे , पहले आप ये वादा करो कि आगे से आप मुझे आंटी नहीं कहेंगे और 'आप' कह कर सम्बोधित नहीं करेंगे क्योंकि ये मुझे अब अजीब लगता है।
रमेश : ऐसा क्यों आप मेरे दोस्त की अम्मी है ।
में : हां मैं आपके दोस्त की अम्मी थी , पर अब हमारे बीच वो रिश्ता खत्म हो चुका है । अब मैं आपकी दीवानी हूं।
रमेश : फिर मैं आपको क्या बोलूं ?
में : आप मुझे रेशमा कह सकते हैं या कुछ भी और जो आपका मन चाहे सम्बोधन दे सकते हैं।
रमेश : O.k. मेरी रानी अब बता तेरे क्या हाल है?
में। : नहीं जी , पहले आप बताएं , आप कैसे हैं।
रमेश : मेरी जान जब से तेरे को चोदा है , मेरे जेहन में हमेशा तेरी फूली हुई चूत , फूल सा गांड़ का छेद और तेरा संगमरमर सा मस्त शरीर घूमता रहता है। दिन रात तेरे को याद करके आंहे भरता रहता हूं, तेरे को याद करके दिन में तीन चार बार मुठ मारता हूं , तब भी चैन नहीं मिलता..... अभी तेरे से बात कर रहा हूं तो लंड इतना अकड़ गया है कि लगता है फट जाएगा। पता नहीं इसको तेरी चूत में घुसना कब नसीब होगा। और अब तू बता कि तेरे क्या हाल है।
में : मेरे जानम यहां भी same ही है।
रमेश : ये same क्या होता है खुल कर बोलना।
में। : जी मुझे शर्म आती है।
रमेश। : अरे पगली ऐसे शरमाएगी तो कैसे काम चलेगा , चल बता।
में। : में भी पूरा दिन बिस्तर पर लेटी लेटी आपके साथ हुई चुदाई को याद करके अपनी चूत और मम्मे मसलती रहती हूं । अभी आप से बात कर रही हूं तो देखो मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी है और मेरा मन कर रहा है कि उड़ कर आपकी बांहों में आ जाऊं और आपका लंड अपनी चूत में डाल लूं।
रमेश : अरे, फिर आजा मेरी छमक छल्लो मेरा लंड तेरी चूत की सेवा में पूरी तरह तैयार है।
में। : मेरे स्वामी , मेरी चूत भी आपके लंड के स्वागत के लिए दरवाजा पूरी तरह खोल कर तैयार है , मगर सब मौके की बात है।
रमेश। : तू कोई मौका बना ना मेरी जां , ताकि मेरा ये मुस्टंडा तेरी प्यारी चूत में घुस कर उधम मचा सकें।
में : मौका जरूर बनाऊंगी मेरे साजन , में खुद आपसे मिलने को तड़प रही हूं।
रमेश : क्यों क्या आसिफ नहीं चोदता ?
में : चोदता है , रोजाना दो बार...रात को सोने से पहले और सुबह बिस्तर छोड़ने से पहले । उसके चोदने में भी कोई कमी नहीं है। ...मगर मुझे आत्मिक संतुष्टि नहीं मिलती जी जो मिलनी चाहिए, मुझे लगता है मेरा आपसे कोई रूहानी रिश्ता है।
रमेश : मेरी जान में विडियो काल करता हूं एक बार तुझे देखूं तो दिल को थोड़ा करार आएं ।
में : ठीक है जी , कह कर में रमेश के विडियो काल का इन्तजार करने लगी।
रमेश : हैल्लो , तेरे दीदार को मेरी तो आंखें तरस गई थी। कितनी सुन्दर लग रही है, मन कर रहा है साली तुझे अभी पकड़ कर रगड़ दूं ।
ये देख तुझे देख कर कैसे सलामी दे रहा है ,......कह कर रमेश ने कैमरा अपने लंड की तरह किया...... उसका 8 इंच लम्बा काला भुसंड लंड 60 डिग्री पर तना हुआ झटके खा रहा था।
उसके लंड की झलक मिलते ही मेरे जज़्बात मेरे काबू से बाहर हो गए ....मेरा हाथ अपने आप मेरी सलवार के अंदर मेरी चूत पर पहुंच गया , जिसने लंड के लिए आंसू निकालने शुरू कर दिये थे।
मेरे मुंह से एक सिसकारी निकली।
में : आह राजा कितना सुंदर है , प्लीज किसी तरह इसे मेरी चूत में घुसा दो।
रमेश : बहनचोदी लंड तो मैं घुसा दूंगा तो अपनी चूत तो दिखा , अभी तक कपड़े पहने हुए हैं , चल फटाफट कपड़े उतार कर नंगी हो ।
मेंने बिना एक मिनट की देरी किए अपनी सलवार और कुर्ता उतार कर एक तरफ़ फेंकें और नंगी हो गई।
में : लो मेरे स्वामी , में हो गई पूरी नंगी , अब क्या करूं।
रमेश : औ, मेरी भोली भाली जानू , तू सिर्फ चुदना जानती है ,इससे ज्यादा कुछ नहीं । पूरी गधी है, अब ऐसा कर मोबाइल को किसी मेज पर रख कर उसके सामने खड़ी हो जा ताकि मुझे तू नज़र आए और में तुझे नजर आऊं
कमरे की मेज पर मोबाइल सेट करने के बाद।
में: ऐसे ठीक है जी , में दिख रही हूं।
रमेश : सीईईई आह मेरी जान , दिख रही है ? तू तो मेरी जान निकाल देगी। , तेरा शरीर कितना सेक्सी है रे, कोई भी इसे देख कर तूझे चोदने को पागल हो जाए। में दिख रहा हूं, तुझे।
मेंने देखा रमेश अपने लंड पर तेजी से हाथ चला रहा था ।
में : हां जी दिख रहै हौ , मुठ मार रहे हो । मेंने हंसते हुए कहा ।
रमेश : तू भी मुठ मार , ये सोचते हुए कि तू मुझ से चुदवा रही है , जैसे में सोच रहा हूं । आहहहहह मेरी जान क्या चूत है तेरी , आज इसे पूरी तरह खोद दूंगा।
में : आहहहहहह होओऐओ राजा ये तो आपकी ही है , देखिये इसने अपने स्वामी के स्वागत के लिए अपने गेट खोले हुए इंतजार कर रही हैं । मेरे साजन जल्दी से अपने लंड को इसमें प्रवेश करा कर इसकी प्यास बुझा दो जी ,।
....हाय रे कितना सुंदर है जी , मेरा प्यारा है .... में बहुत खुश किस्मत हूं जो मुझे इतना तगड़ा लंड मिला , मन करता है इसे हमेशा के लिए अपने अंदर छुपा कर रख लूं..... मुझे छोड़ तो नहीं दोगे ना मेरे सैंया , इसके बिना तो में मर जाऊंगी ।.....में अपनी कल्पना में रमेश के लंड को प्यार से सहला रही थी तथा अनर्गल बोले जा रही थी।....... अब मेरी आंखें बंद थी , चेहरा ऊपर की और उठा हुआ था .....और मेरा हाथ तेजी से मेरी चूत पर चल रहा था । तभी मेरे कानों में रमेश का स्वर गूंजा।
रमेश : अभी डालता हूं मेरी जान , जरा अपनी टांगें तो खोल। अपनी मुनिया के दर्शन तो करा ठीक से , दो महीने से देखने को तरस रहा हूं
में : ये लो राजा ...खोल दी टांगें , अब अपने इस मूसल को जल्दी से मेरी ओखली में डाल दो।
रमेश : ससससस ऊफफफफ क्या रसीली चूत है तुम्हारी जाने मन ....ऊऊऊ देखो तो ये चूत की प्यारी पंखुड़ियां कैसे से हील रही है ....आहह मेरी और ये तुम्हारे पेशाब का छेद और चूत का छेद कैसे खुल बंद हो रहा है ..... बहनचोद तेरी चूत कितना पानी छोड़ छोड़ रही है रे .... जबकि ये तो आसिफ से रोज चुदतीं है ।....चल में अंदर डाल रहा हूं.. ये ले आहहहह ... अरे येतो एक बार में ही पूरा लंड निगल गई रे ।
कल्पना में रमेश का लंड अपनी चूत में घुसते ही मेरे मुंह से जोर से सिसकारियां निकली ।
में : आहहहह राजा ऐसे ही , हां हां ऐसे ही जोर से पूरा डाल तो , खोद के रख दो मेरी चूत को , औहहहह राजा कस कर चिपक जाओ रे मेरे से आहहहहह ।...... मेरा हाथ पूरी तेजी से मेरी चूत पर चल रहा था । और मैं आंखें बंद किये चुदाई की कल्पना में खोई हुई जोर जोर से सिसक रही थी।
रमेश : ले ले हाआआ हरामजादी तेरी चूत के चिथड़े कर दूंगा .... हां हां हां हुम हुम हुम ....बहनचोदी अपने आप को बहुत बड़ी चुद्दक्कड समझती है ....ले बहनचोद ले ले और ले .... देखता हूं तू कितनी बड़ी रंडी है । रमेश तेजी से मुठ मारते हुए , सिसक रहा था।
करीब दस मिनट के हस्तमैथुन के बाद, मेरे शरीर में तेज कम्पन्न शुरू हो गया ।
में : औहहहह हां हां ऐसे ही मार जोर से और जोर से बहनचोद ताकत नहीं है क्या , रगड़ दे मेरी चूत को हरामी .... अंदर तक मार ना ... में झडने वाली हूं ... हाययय मैय्या री। ऊऊऊऊऊ ..... में गई रे ... निकल गया .... ईईईईईईईईईईई ...... मेरा शरीर बूरी तरह अकड़ गया , और में लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी , मेरी चूत भरभरा कर झड़ गई थी।
मेंने देखा रमेश तेजी से अपने लन्ड पर हाथ चला रहा था अतः में उसे जोश दिलाने के लिए जोर जोर सिसकारियां मारने लगी ....... हायययय राजा अब छोड़ दो ..... प्लीज झड़ जाओ मेरे बहुत दर्द हो रहा है ...... ओह ओह ओह आहहहह मेरी मां मुझे रोंद डाला रे ..... राजा जल्दी निकाल दो।
रमेश। : बस मेरी कुतिया दो मिनट रुक जा क्यों मरे जा रही है....आहहहहह आहहहह ले। तेरे बच्चा डालूंगा .... तेरा पेट फुलाऊंगा .... तुझे मेरे बच्चे की मां बनना है ...... कुतिया ले .... आआआहहह आहहहह औऔऔऔऔऔऔ निकल रहा है ...ये ये गया रेएएएए।
मेंने देखा उसके लंड से निकला वीर्य का फव्वारा करीब एक फुट तक उछला।
हम दोनों मोबाइल स्क्रीन पर एक दूसरे को देखते हुए हांफ रहे थे । ज़िन्दगी में इस तरह का मेरा ये पहला अवसर था , और इसमें मुझे भरपूर मजा आया था ।
मेंने फर्श पर पड़ा पेटीकोट उठाया और उससे अपनी चूत और जांघों को अच्छी तरह साफ किया।
रमेश भी रूमाल से अपना लंड पोंछ रहा था ।
रमेश : मेरी जान तुझे तो सोच कर मुठ मारने मे भी जन्नत का मजा है ।
में : मेरे राजा मुझे भी आज मुठ मारने में बहुत मज़ा आया , अब पता नहीं कब आपका ये शानदार लंड मेरी इस नाचीज़ चूत में वास्तव में जाएंगा । मेरी आपके लंड को अंदर लेने के लिए बहुत तरस रही है जी। ..... में अपने पलंग पर बैठते हुए बोली।
रमेश : अब मैं क्या बताऊं , तू ही आसिफ़ को समझा सकती है ,......वो बहनचोद चूतियां पता नहीं किस बात का बुरा मान गया , जबकि उसी ने तुम्हें मुझसे चुदवाया था। सारा प्लान उसी का था । उसका काम हो गया तो, उसने मुझे दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंका।
में। : इतना दिल छोटा ना करो जी , में तो आपके साथ हूं ना ,.... जितना आप मुझ से मिलने को तड़प रहें हैं , उतना ही, में भी आपसे मिलने को तरस रही हूं।
रमेश। : मगर मेरी जान। इसका कोई ना कोई हल तो निकालना ही पड़ेगा, कब तक हम ऐसे एक दूसरे को देखते हुए मुठ मारते रहेंगे।
में : चलो जब भी मुझे मौका मिलेगा में आपको फोन करके बुला लूंगी। और आप भी देखना अगर कुछ प्रोग्राम बनता है तो मुझे फोन कर देना, मेंने आपका नम्बर रूखसाना के नाम से सेव कर रखा है, इसलिए कोई डर की बात नहीं है।
चलो अब फोन रखती हूं ।
मेंने फोन काटा और कपड़े पहनने के लिए जमीन से पेटीकोट उठाया , मगर वो तो मेरी चूत के रस से खराब हो गया था । अतः मैं नंगी ही अपने कमरे आई और अलमारी से निकाल कर दूसरे कपड़े पहने तथा चाय बनाने रसोई में चली गई।
रमेश से फोन पर बात किए करीब हफ्ता बीत गया था , में किचन में आसिफ के लिए चाय बना रही थी । ...आसिफ के एम काम फ़ाइनल परीक्षा शुरू होने को थी तथा वो पढ़ाई में पूरी तरह मशगूल था, दिन में 15 से 18 घंटे पढ़ाई में देता था । यहां तक की उसने पिछले एक हफ्ते से मेरी चुदाई भी नहीं की थी । उसकी पढ़ाई को देखते हुए मेंने भी इस सिलसिले में पहल नहीं दिखाई थी ।.... जब की हकीकत यह थी सात दिनों तक चुदाई ना होने के कारण , मेरी चूत और गांड़ की बैचेनी काफी बढ़ गई थी । चूत ने तो लंड की याद में आंसू बहाने शुरू कर दिये थे
अम्मी औ अम्मी, आसिफ ने अपने कमरे से मुझे पुकारा ।
क्या हुआ बेटा , में किचन से दौडते हुए आसिफ़ के कमरे पहुंची ।
यार , आप अपना फोन अपने साथ रखा करो मुझे डिस्टर्बेंस होता है ।..... किसी रूखसाना का फोन है ।
मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा और शरीर में कंपकंपी सी छूट गई। .... मेंने फोन उठाया ।
हल्लो , हां रुखसाना बहन अस्सलाम वालेकुम, कैसी हो ।
रमेश। : आहहह मेरी जान तेरी आवाज़ सुनने को तरस गया था । औ यार , ये देख तेरी आवाज सुन कर ही मेरा तो खड़ा होने लगता है।
में : हां हां बोलो।
रमेश: यार मेरी बात सुन प्रताप टाकिज में सुलगते बदन पिक्चर लगी है , हाल में गिनती के लोग ही होते हैं , तू आ सके तो मजा आ जाए हो सकता है , चुदाई का कोई मौका बन जाए । कोशिश कर 3 बजे से छह बजे तक के शो में आने की ।
में : बहन बड़ा मुश्किल है , इतनी तो गर्मी है और फिर आसिफ की परीक्षा सर पर है , वो पढ़ाई में मशगूल हैं , मुझे उसके चाय पानी का ख्याल रखना होता है।
रमेश : आ जाना बैहनचोद क्यों ना रे दिखा रही है
में : अच्छा चल में तुझे पांच मिनट में बताती हूं।
आसिफ: क्या हो गया अम्मी .... रुखसाना आंटी क्या कह रही है ।
में : अरे कुछ नहीं बेटा , उसकी बेटी को कोई देखने आने वाले हैं , तो कह रही थी कि मैं भी वहां पहुंच जाऊं, पर में तो सोच रही हूं कि उसे मना ही कर दूं। ( मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं ऐसा झूठा ड्रामा कर सकती हूं )
आसिफ: अरे अम्मी आप कैसी बात करती है , आपकी दोस्त आपको इतने खास मौके पर आप को बुला रही है , और आप हो कि उसे टालने की सोच रही हो , .... फिर तीन चार घंटे की ही बात तो है , आप उन्हें फोन करो कि आप आ रही है।
मैंने रमेश का फोन लगाया
में : हैलो रुखसाना सुन चल में आ रही हूं , आसिफ कह रहा है कि वो घर सम्भाल लेगा।
रमेश : औह , मेरी जान ये हुईं ना बात , मुझे पता था तू रुक ही नहीं सकती , तेरी चूत की प्यास तुझे रुकने ही नहीं देगी। अच्छा सुन साड़ी पहन कर आना और नीचे कच्छी और ब्रा भी मत पहनना ।
में : ठीक है मैं समझ गई , इतना तो मुझे भी पता है
रमेश: चल में वहां इन्तजार करता हूं , समय से पहुंच जाना । यार मेरा लंड तो अभी से ही खड़ा हो गया ।
में : ठीक है , फिर मैं आती हूं , कह कर मेंने फोन काट दिया।
मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।
कहानी जारी रहेगी।
कृपया समीक्षा करें व अपने सुझाव दें।
Thanks dearArrey Firoza ji..bohot shukriya mention karne ke liye... Itna sa idea tha aur aapne gazab ka update bana daala...ye hoti hai creative logo ki speciality...
Bohot sundar kamuk update tha...
Reshma to mast ho kar chudwa rahi hai Asif se lekin isey wo bhi kam padh raha hai
Kyuki usey to Ramesh se chudwana hai...
Aur kya mast video call ka scene dikhaya..dono ne gazab virtual sex kiya... Ab dekhte hain cinema hall 'sulagte badan' dekhte hue kya hota hai....uuff
Keep writing
Thanks , definitely I shall try to put good wild sex and BDSM in upcoming updates , up to your expectations.Add some BDSM after video call like your previous updates
Dominated sex
She call him daddy
Thank you with every stroke
Dirty talk like whore
Whole sex scene watched by her son secretly & masterbation
Behad uttejak sandar updateमें मेरे दोस्त rhyme_boy का बहुत बहुत शुक्रिया अदा करती हूं , उन्होंने इस अपडेट लिखने में काफी मदद की।
अब मैं रोज आसिफ के साथ नंगी ही सोती थी हम लोग रोजाना जबरदस्त चुदाई करते थे , में रोज सोने से पहले और सुबह उठते ही अपनी चुदाई ज़रूर करवाती थी , में सुबह आसिफ को उठाती भी उसका लंड चूस चूस कर थी । इसके अलावा अगर रात को कभी नींद खुल जाय तो आसिफ के लंड पर बैठ कर चुदाई कर लेती थी, .... मुझे लगने लगा था कि मैं, पैंतालीस साल की उसकी मां नहीं बल्कि बीस साल की नई नवेली दुल्हन हूं जो टांगें खोल कर अपने शौहर का लंड अपनी चूत में लेने के लिय हमेशा तैयार रहती है, और ये मेरा हनीमून पीरियड चल रहा है....ये मेरी जिंदगी के सबसे खुशनुमा दिन चल रहे थे , दिन में कई कई बार अपनी चुदाई करवाती थी ।
क़रीब दो महिने तो मैंने आसिफ से चुदाई के भरपूर मजे लिए , फिर मुझे लगने लगा कि आसिफ की चुदाई से मेरी शारीरिक और मानसिक जरूरत पूरी नहीं हो पा रही थी।
आसिफ के कालेज चले जाने के बाद में पूरा दिन परेशान रहने लगी , किसी भी काम में मन नहीं लगता था , पूरे दिन बिस्तर पर लेटी रहती तथा रमेश को याद करके अपनी चूत और चूचियों को मसलती रहती थी , पता नहीं मेरे में ये परिवर्तन कैसे आ गया कि मुझे हमेशा लगता था कि कोई मेरी चूत में लंड डाल कर मुझसे चिपका रहै। आसिफ के डर से रमेश को फोन करने की हिम्मत नहीं होती थी ।
ये सही था कि आसिफ मुझे बहुत प्यार करता था तथा मेरी हर छोटी बड़ी जरूरतों का ख्याल रखता था। फिर भी ना जाने क्यों हर समय मेरे ज़हन में रमेश द्वारा की गयी मेरी चुदाई घूमती रहती थी , उसका वो चोदते समय गालियां देना , मेरे कूल्हों पर थप्पड़ मारना, चूत के दाने , निपल और जांघों पर काट लेना , मेरे शरीर को प्रताड़ित करना , गंदी हरकतें करना।.... मुझे इस बात के लिए उकसा रहे थे कि मैं रमेश को फोन करूं।
आखिर एक दिन आसिफ के कालेज जाने के बाद मेंने डरते डरते आसिफ का नम्बर मिलाया।
में ... हैलो कौन बोल रहा है।
रमेश: कहिये , आप को किससे बात करनी है ?
में: जी वो र रमेश जी से।
रमेश: हां बोलिए, में रमेश बोला रहा हूं, आप कौन
में : रमेश जी , में रेशमा बोली रही हूं , कैसे है आप ।..... खुशी से मेरे मुंह से खुल कर आवाज नहीं निकल पा रही थी। रमेश के लिए मेरे मन मे अजीब सी फीलिंग आ रही थी , जिसके कारण में उसे आप और जी से संबोधित कर रही थी।
रमेश : अरे आंटी आप , माफ़ करना आपकी आवाज पहचान नहीं पाया , आपके फोन की उम्मीद नहीं थी ना .....अब मेरे हाल क्या बताऊं , आंटी... बस किसी तरह समय कट रहा ..... आप सुनाओ आप के क्या हाल है।
में: हाल की बात तो बाद में करेंगे , पहले आप ये वादा करो कि आगे से आप मुझे आंटी नहीं कहेंगे और 'आप' कह कर सम्बोधित नहीं करेंगे क्योंकि ये मुझे अब अजीब लगता है।
रमेश : ऐसा क्यों आप मेरे दोस्त की अम्मी है ।
में : हां मैं आपके दोस्त की अम्मी थी , पर अब हमारे बीच वो रिश्ता खत्म हो चुका है । अब मैं आपकी दीवानी हूं।
रमेश : फिर मैं आपको क्या बोलूं ?
में : आप मुझे रेशमा कह सकते हैं या कुछ भी और जो आपका मन चाहे सम्बोधन दे सकते हैं।
रमेश : O.k. मेरी रानी अब बता तेरे क्या हाल है?
में। : नहीं जी , पहले आप बताएं , आप कैसे हैं।
रमेश : मेरी जान जब से तेरे को चोदा है , मेरे जेहन में हमेशा तेरी फूली हुई चूत , फूल सा गांड़ का छेद और तेरा संगमरमर सा मस्त शरीर घूमता रहता है। दिन रात तेरे को याद करके आंहे भरता रहता हूं, तेरे को याद करके दिन में तीन चार बार मुठ मारता हूं , तब भी चैन नहीं मिलता..... अभी तेरे से बात कर रहा हूं तो लंड इतना अकड़ गया है कि लगता है फट जाएगा। पता नहीं इसको तेरी चूत में घुसना कब नसीब होगा। और अब तू बता कि तेरे क्या हाल है।
में : मेरे जानम यहां भी same ही है।
रमेश : ये same क्या होता है खुल कर बोलना।
में। : जी मुझे शर्म आती है।
रमेश। : अरे पगली ऐसे शरमाएगी तो कैसे काम चलेगा , चल बता।
में। : में भी पूरा दिन बिस्तर पर लेटी लेटी आपके साथ हुई चुदाई को याद करके अपनी चूत और मम्मे मसलती रहती हूं । अभी आप से बात कर रही हूं तो देखो मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी है और मेरा मन कर रहा है कि उड़ कर आपकी बांहों में आ जाऊं और आपका लंड अपनी चूत में डाल लूं।
रमेश : अरे, फिर आजा मेरी छमक छल्लो मेरा लंड तेरी चूत की सेवा में पूरी तरह तैयार है।
में। : मेरे स्वामी , मेरी चूत भी आपके लंड के स्वागत के लिए दरवाजा पूरी तरह खोल कर तैयार है , मगर सब मौके की बात है।
रमेश। : तू कोई मौका बना ना मेरी जां , ताकि मेरा ये मुस्टंडा तेरी प्यारी चूत में घुस कर उधम मचा सकें।
में : मौका जरूर बनाऊंगी मेरे साजन , में खुद आपसे मिलने को तड़प रही हूं।
रमेश : क्यों क्या आसिफ नहीं चोदता ?
में : चोदता है , रोजाना दो बार...रात को सोने से पहले और सुबह बिस्तर छोड़ने से पहले । उसके चोदने में भी कोई कमी नहीं है। ...मगर मुझे आत्मिक संतुष्टि नहीं मिलती जी जो मिलनी चाहिए, मुझे लगता है मेरा आपसे कोई रूहानी रिश्ता है।
रमेश : मेरी जान में विडियो काल करता हूं एक बार तुझे देखूं तो दिल को थोड़ा करार आएं ।
में : ठीक है जी , कह कर में रमेश के विडियो काल का इन्तजार करने लगी।
रमेश : हैल्लो , तेरे दीदार को मेरी तो आंखें तरस गई थी। कितनी सुन्दर लग रही है, मन कर रहा है साली तुझे अभी पकड़ कर रगड़ दूं ।
ये देख तुझे देख कर कैसे सलामी दे रहा है ,......कह कर रमेश ने कैमरा अपने लंड की तरह किया...... उसका 8 इंच लम्बा काला भुसंड लंड 60 डिग्री पर तना हुआ झटके खा रहा था।
उसके लंड की झलक मिलते ही मेरे जज़्बात मेरे काबू से बाहर हो गए ....मेरा हाथ अपने आप मेरी सलवार के अंदर मेरी चूत पर पहुंच गया , जिसने लंड के लिए आंसू निकालने शुरू कर दिये थे।
मेरे मुंह से एक सिसकारी निकली।
में : आह राजा कितना सुंदर है , प्लीज किसी तरह इसे मेरी चूत में घुसा दो।
रमेश : बहनचोदी लंड तो मैं घुसा दूंगा तो अपनी चूत तो दिखा , अभी तक कपड़े पहने हुए हैं , चल फटाफट कपड़े उतार कर नंगी हो ।
मेंने बिना एक मिनट की देरी किए अपनी सलवार और कुर्ता उतार कर एक तरफ़ फेंकें और नंगी हो गई।
में : लो मेरे स्वामी , में हो गई पूरी नंगी , अब क्या करूं।
रमेश : औ, मेरी भोली भाली जानू , तू सिर्फ चुदना जानती है ,इससे ज्यादा कुछ नहीं । पूरी गधी है, अब ऐसा कर मोबाइल को किसी मेज पर रख कर उसके सामने खड़ी हो जा ताकि मुझे तू नज़र आए और में तुझे नजर आऊं
कमरे की मेज पर मोबाइल सेट करने के बाद।
में: ऐसे ठीक है जी , में दिख रही हूं।
रमेश : सीईईई आह मेरी जान , दिख रही है ? तू तो मेरी जान निकाल देगी। , तेरा शरीर कितना सेक्सी है रे, कोई भी इसे देख कर तूझे चोदने को पागल हो जाए। में दिख रहा हूं, तुझे।
मेंने देखा रमेश अपने लंड पर तेजी से हाथ चला रहा था ।
में : हां जी दिख रहै हौ , मुठ मार रहे हो । मेंने हंसते हुए कहा ।
रमेश : तू भी मुठ मार , ये सोचते हुए कि तू मुझ से चुदवा रही है , जैसे में सोच रहा हूं । आहहहहह मेरी जान क्या चूत है तेरी , आज इसे पूरी तरह खोद दूंगा।
में : आहहहहहह होओऐओ राजा ये तो आपकी ही है , देखिये इसने अपने स्वामी के स्वागत के लिए अपने गेट खोले हुए इंतजार कर रही हैं । मेरे साजन जल्दी से अपने लंड को इसमें प्रवेश करा कर इसकी प्यास बुझा दो जी ,।
....हाय रे कितना सुंदर है जी , मेरा प्यारा है .... में बहुत खुश किस्मत हूं जो मुझे इतना तगड़ा लंड मिला , मन करता है इसे हमेशा के लिए अपने अंदर छुपा कर रख लूं..... मुझे छोड़ तो नहीं दोगे ना मेरे सैंया , इसके बिना तो में मर जाऊंगी ।.....में अपनी कल्पना में रमेश के लंड को प्यार से सहला रही थी तथा अनर्गल बोले जा रही थी।....... अब मेरी आंखें बंद थी , चेहरा ऊपर की और उठा हुआ था .....और मेरा हाथ तेजी से मेरी चूत पर चल रहा था । तभी मेरे कानों में रमेश का स्वर गूंजा।
रमेश : अभी डालता हूं मेरी जान , जरा अपनी टांगें तो खोल। अपनी मुनिया के दर्शन तो करा ठीक से , दो महीने से देखने को तरस रहा हूं
में : ये लो राजा ...खोल दी टांगें , अब अपने इस मूसल को जल्दी से मेरी ओखली में डाल दो।
रमेश : ससससस ऊफफफफ क्या रसीली चूत है तुम्हारी जाने मन ....ऊऊऊ देखो तो ये चूत की प्यारी पंखुड़ियां कैसे से हील रही है ....आहह मेरी और ये तुम्हारे पेशाब का छेद और चूत का छेद कैसे खुल बंद हो रहा है ..... बहनचोद तेरी चूत कितना पानी छोड़ छोड़ रही है रे .... जबकि ये तो आसिफ से रोज चुदतीं है ।....चल में अंदर डाल रहा हूं.. ये ले आहहहह ... अरे येतो एक बार में ही पूरा लंड निगल गई रे ।
कल्पना में रमेश का लंड अपनी चूत में घुसते ही मेरे मुंह से जोर से सिसकारियां निकली ।
में : आहहहह राजा ऐसे ही , हां हां ऐसे ही जोर से पूरा डाल तो , खोद के रख दो मेरी चूत को , औहहहह राजा कस कर चिपक जाओ रे मेरे से आहहहहह ।...... मेरा हाथ पूरी तेजी से मेरी चूत पर चल रहा था । और मैं आंखें बंद किये चुदाई की कल्पना में खोई हुई जोर जोर से सिसक रही थी।
रमेश : ले ले हाआआ हरामजादी तेरी चूत के चिथड़े कर दूंगा .... हां हां हां हुम हुम हुम ....बहनचोदी अपने आप को बहुत बड़ी चुद्दक्कड समझती है ....ले बहनचोद ले ले और ले .... देखता हूं तू कितनी बड़ी रंडी है । रमेश तेजी से मुठ मारते हुए , सिसक रहा था।
करीब दस मिनट के हस्तमैथुन के बाद, मेरे शरीर में तेज कम्पन्न शुरू हो गया ।
में : औहहहह हां हां ऐसे ही मार जोर से और जोर से बहनचोद ताकत नहीं है क्या , रगड़ दे मेरी चूत को हरामी .... अंदर तक मार ना ... में झडने वाली हूं ... हाययय मैय्या री। ऊऊऊऊऊ ..... में गई रे ... निकल गया .... ईईईईईईईईईईई ...... मेरा शरीर बूरी तरह अकड़ गया , और में लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी , मेरी चूत भरभरा कर झड़ गई थी।
मेंने देखा रमेश तेजी से अपने लन्ड पर हाथ चला रहा था अतः में उसे जोश दिलाने के लिए जोर जोर सिसकारियां मारने लगी ....... हायययय राजा अब छोड़ दो ..... प्लीज झड़ जाओ मेरे बहुत दर्द हो रहा है ...... ओह ओह ओह आहहहह मेरी मां मुझे रोंद डाला रे ..... राजा जल्दी निकाल दो।
रमेश। : बस मेरी कुतिया दो मिनट रुक जा क्यों मरे जा रही है....आहहहहह आहहहह ले। तेरे बच्चा डालूंगा .... तेरा पेट फुलाऊंगा .... तुझे मेरे बच्चे की मां बनना है ...... कुतिया ले .... आआआहहह आहहहह औऔऔऔऔऔऔ निकल रहा है ...ये ये गया रेएएएए।
मेंने देखा उसके लंड से निकला वीर्य का फव्वारा करीब एक फुट तक उछला।
हम दोनों मोबाइल स्क्रीन पर एक दूसरे को देखते हुए हांफ रहे थे । ज़िन्दगी में इस तरह का मेरा ये पहला अवसर था , और इसमें मुझे भरपूर मजा आया था ।
मेंने फर्श पर पड़ा पेटीकोट उठाया और उससे अपनी चूत और जांघों को अच्छी तरह साफ किया।
रमेश भी रूमाल से अपना लंड पोंछ रहा था ।
रमेश : मेरी जान तुझे तो सोच कर मुठ मारने मे भी जन्नत का मजा है ।
में : मेरे राजा मुझे भी आज मुठ मारने में बहुत मज़ा आया , अब पता नहीं कब आपका ये शानदार लंड मेरी इस नाचीज़ चूत में वास्तव में जाएंगा । मेरी आपके लंड को अंदर लेने के लिए बहुत तरस रही है जी। ..... में अपने पलंग पर बैठते हुए बोली।
रमेश : अब मैं क्या बताऊं , तू ही आसिफ़ को समझा सकती है ,......वो बहनचोद चूतियां पता नहीं किस बात का बुरा मान गया , जबकि उसी ने तुम्हें मुझसे चुदवाया था। सारा प्लान उसी का था । उसका काम हो गया तो, उसने मुझे दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंका।
में। : इतना दिल छोटा ना करो जी , में तो आपके साथ हूं ना ,.... जितना आप मुझ से मिलने को तड़प रहें हैं , उतना ही, में भी आपसे मिलने को तरस रही हूं।
रमेश। : मगर मेरी जान। इसका कोई ना कोई हल तो निकालना ही पड़ेगा, कब तक हम ऐसे एक दूसरे को देखते हुए मुठ मारते रहेंगे।
में : चलो जब भी मुझे मौका मिलेगा में आपको फोन करके बुला लूंगी। और आप भी देखना अगर कुछ प्रोग्राम बनता है तो मुझे फोन कर देना, मेंने आपका नम्बर रूखसाना के नाम से सेव कर रखा है, इसलिए कोई डर की बात नहीं है।
चलो अब फोन रखती हूं ।
मेंने फोन काटा और कपड़े पहनने के लिए जमीन से पेटीकोट उठाया , मगर वो तो मेरी चूत के रस से खराब हो गया था । अतः मैं नंगी ही अपने कमरे आई और अलमारी से निकाल कर दूसरे कपड़े पहने तथा चाय बनाने रसोई में चली गई।
रमेश से फोन पर बात किए करीब हफ्ता बीत गया था , में किचन में आसिफ के लिए चाय बना रही थी । ...आसिफ के एम काम फ़ाइनल परीक्षा शुरू होने को थी तथा वो पढ़ाई में पूरी तरह मशगूल था, दिन में 15 से 18 घंटे पढ़ाई में देता था । यहां तक की उसने पिछले एक हफ्ते से मेरी चुदाई भी नहीं की थी । उसकी पढ़ाई को देखते हुए मेंने भी इस सिलसिले में पहल नहीं दिखाई थी ।.... जब की हकीकत यह थी सात दिनों तक चुदाई ना होने के कारण , मेरी चूत और गांड़ की बैचेनी काफी बढ़ गई थी । चूत ने तो लंड की याद में आंसू बहाने शुरू कर दिये थे
अम्मी औ अम्मी, आसिफ ने अपने कमरे से मुझे पुकारा ।
क्या हुआ बेटा , में किचन से दौडते हुए आसिफ़ के कमरे पहुंची ।
यार , आप अपना फोन अपने साथ रखा करो मुझे डिस्टर्बेंस होता है ।..... किसी रूखसाना का फोन है ।
मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा और शरीर में कंपकंपी सी छूट गई। .... मेंने फोन उठाया ।
हल्लो , हां रुखसाना बहन अस्सलाम वालेकुम, कैसी हो ।
रमेश। : आहहह मेरी जान तेरी आवाज़ सुनने को तरस गया था । औ यार , ये देख तेरी आवाज सुन कर ही मेरा तो खड़ा होने लगता है।
में : हां हां बोलो।
रमेश: यार मेरी बात सुन प्रताप टाकिज में सुलगते बदन पिक्चर लगी है , हाल में गिनती के लोग ही होते हैं , तू आ सके तो मजा आ जाए हो सकता है , चुदाई का कोई मौका बन जाए । कोशिश कर 3 बजे से छह बजे तक के शो में आने की ।
में : बहन बड़ा मुश्किल है , इतनी तो गर्मी है और फिर आसिफ की परीक्षा सर पर है , वो पढ़ाई में मशगूल हैं , मुझे उसके चाय पानी का ख्याल रखना होता है।
रमेश : आ जाना बैहनचोद क्यों ना रे दिखा रही है
में : अच्छा चल में तुझे पांच मिनट में बताती हूं।
आसिफ: क्या हो गया अम्मी .... रुखसाना आंटी क्या कह रही है ।
में : अरे कुछ नहीं बेटा , उसकी बेटी को कोई देखने आने वाले हैं , तो कह रही थी कि मैं भी वहां पहुंच जाऊं, पर में तो सोच रही हूं कि उसे मना ही कर दूं। ( मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं ऐसा झूठा ड्रामा कर सकती हूं )
आसिफ: अरे अम्मी आप कैसी बात करती है , आपकी दोस्त आपको इतने खास मौके पर आप को बुला रही है , और आप हो कि उसे टालने की सोच रही हो , .... फिर तीन चार घंटे की ही बात तो है , आप उन्हें फोन करो कि आप आ रही है।
मैंने रमेश का फोन लगाया
में : हैलो रुखसाना सुन चल में आ रही हूं , आसिफ कह रहा है कि वो घर सम्भाल लेगा।
रमेश : औह , मेरी जान ये हुईं ना बात , मुझे पता था तू रुक ही नहीं सकती , तेरी चूत की प्यास तुझे रुकने ही नहीं देगी। अच्छा सुन साड़ी पहन कर आना और नीचे कच्छी और ब्रा भी मत पहनना ।
में : ठीक है मैं समझ गई , इतना तो मुझे भी पता है
रमेश: चल में वहां इन्तजार करता हूं , समय से पहुंच जाना । यार मेरा लंड तो अभी से ही खड़ा हो गया ।
में : ठीक है , फिर मैं आती हूं , कह कर मेंने फोन काट दिया।
मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।
कहानी जारी रहेगी।
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