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Romance दरमियां (Completed)

Rekha rani

Well-Known Member
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बहुत ही उम्दा कहानी है आज के भागदौड़ वाले दौर में पति पत्नी के बीच को हालात बन रहे है उनको बहतरीन तरीके से तराश रहे है आप लेखक महोदय,
बहतरीन कहानी पेश करने के लिए धन्यवाद
 

Sona

Smiling can make u and others happy
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भाग 2


आपने पढ़ा:–
आसमान में बिखरे अनगिनत तारें निकटता का एहसास दे रहे थे और अंधेरे में दूर तक जगमगाती रोशनी भी तारों का ही भ्रम दे रही थी। ख़ामोशी से बैठ यह नजारा देख बड़ा सुकून मिल रहा था लेकिन अगर अकेली होती तो इस विशालता का आनंद लें पाती। न चाहते हुए भी मुंह से निकल गया," कैसे हों?"
अब आगे
नील आसमान ताक रहा था , मेरे प्रश्न पर सिर घुमाकर मुझे देखने लगा , एकटक कुछ पल देखने के बाद बोला ," बहुत सुंदर लग रही हो इस ड्रेस में।"
नील ने दिलाई थी जन्मदिन पर कुछ महीनों से पैसे जोड़ रहा था," इस बार तुझे महंगी सी पार्टी वियर ड्रेस दिलाऊंगा कहीं भी जाना हो बहुत साधारण कपड़े पहन कर जाना पड़ता है तुझे।"
सारा दिन बाजार घूमते रहे लेकिन नील को कोई पसंद ही नहीं आ रही थी । फिर यह कढ़ाई वाली चटक मैरून रंग की कुर्ती और सुनहरी प्लाजो देखते ही बोला था यह पहन कर देख रानी लगेगी। शीशे में देखने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी उसकी आंखों ने बता दिया ड्रेस मुझ पर कितनी फब रही थी ‌। कितना समय हो गया इस बात को , मौके का इंतजार करती रही किसी खास पार्टी में पहनूंगी इतनी महंगी है कहीं गंदी न हो जाए ‌। आज आफिस में फंक्शन में पहनने के लिए निकाली थी लेकिन न जाने क्यो इतनी भीड़ में शामिल होने का मन नहीं कर रहा था। लगा सबको हंसता बोलता देख कहीं दहाड़े मारकर रोने न लग जाऊं ।कुछ सामान इकट्ठा किया और यहां आ गई इससे पहले कि मेरा बाॅस हिरेन मुझे लेने आ जाता। नील अभी भी मुझे देख रहा था बोला ," इसके साथ झुमके भी लिये थे वो नहीं पहनें।" दो सौ रुपए के झुमके भी खरीदें थे ,बड़े चाव से । कैसे एक एक वस्तु दिलाकर खुश होता था , मैं हंस कर कहती ," ऐसे खुश हैं रहे हो जैसे स्वयं पहन कर बैठोगे।"
वह मुस्करा कर कहता," मैं अगर यह सब पहनता होता तो भी मुझे इतनी खुशी नहीं मिलती जितनी तुझे पहना देख कर मिलती है।"
कितना प्रेम था हम दोनों के बीच , लेकिन सुरक्षित भविष्य की चाहत में ऐसे दौड़ पड़े कि वर्तमान असुरक्षित कर लिया ,एक दूसरे से ही दूर हो गये।
मैंने लम्बी सांस लेते हुए कहा ," हिरेन के साथ पार्टी में जाने के लिए तैयार हो रही थी लेकिन मन नहीं कर रहा था इसलिए उसके आने से पहले ही जल्दी से निकल गई।"
हिरेन का नाम सुनते ही नील का चेहरा उतर गया ,न जाने क्या ग़लत फहमी पालें बैठा है दिमाग में। रात बहुत हो गई थी मैं उठ खड़ी हुई ,जिस कमरे में मैं ने सामान रखा था वहां चली गई।रात के कपड़े बदल कर लेटने के लिए दरी बिछाई तो ध्यान आया नील कैसे सोएगा, बिना कुछ बिछाएं। ऐसे कैसे बिना कुछ सामान के रात बिताने यहां आ गया , कितना लापरवाह हो गया है। बाहर आकर देखा तो नील अभी भी पहले की तरह बालकनी में दिवार के सहारे बैठा आसमान को टकटकी लगाए देख रहा था । कितना कमजोर लग रहा था , पहले जरा सा भी दुबला लगता था तो आधी रोटी अधिक खिलाएं बिना छोड़ती नहीं थी।
अब मुझे क्या? क्या रिश्तो के मतलब इस तरह बदल जाते हैं। मैंने उसकी तरफ चादर बढ़ाते हुए कहा," यह लो चादर ले लो , बिछाकर लेटना फर्श ठंडा लगेगा।" नील मेरी तरफ देखे बिना बोला," नहीं रहने दो इसकी आवश्यकता नहीं है।"
मैं," मेरे पास दो हैं,ले लो।"
नील बैठे बैठे ही एकदम से मेरी तरफ मुड़ा,उसका मुख तना हुआ था और दबे हुए आक्रोश के साथ बोला," जाओ यहां से फिर बोलोगी मुझे केवल तुम्हारी देह की पड़ी रहती है , तुम्हारे शरीर के अलावा मुझे कुछ नजर नहीं आता।"
जब से यह वाक्या हुआ था हमारे बीच की दरार खाई बन गई थी।वह ताने मारकर बात करता और मैं शांति बनाए रखने के लिए खामोश रहती। अब भाड़ में जाए शांति।
मैं," तो क्या ग़लत बोला था ,थकी हारी आफिस से छः बजे आती और तुम बस वो सब करना चाहते थे।" वैसे तो मुझे उसके छूने से, उसके करीब आने से एक नैसर्गिक प्रसन्नता और तृप्ति मिलती थी लेकिन उन दिनों आफिस के माहौल से बहुत परेशान थी।मन करता था घर आते ही नील के कंधे पर सिर रखकर आफिस की भड़ास निकालकर थोड़ा रोने का । लेकिन उसे आधे घंटे में ट्यूशन देने निकलना होता था, मेरे आते ही वह मुझे बांहों में खींचकर चूमने लगता। उस दिन कुछ तबीयत ठीक नहीं थी और आफिस में कुछ अधिक ही कहा सुनी हो गई ।भरी बैठी थी उसके करीब आते ही सारा आक्रोश उस पर निकल गया, धक्का देते हुए बोली," इस तन के अलावा और कुछ नहीं सूझता क्या?"
वह ठिठक गया, फिर एकदम से पलट कर बाहर चला गया।
रात को बारह बजे तक आता था और मेरी नींद न खुलें , ड्राइंगरुम में ही सो जाता था।उस रात भी उसने ऐसा ही किया,सुबह जब मेरी आंख खुली वह तैयार हो कर आफिस जा रहा था। बिना कुछ खाए और बोले वह चला गया।शाम को मेरे आने से एक घंटे पहले घर आ जाता था और मेरे आते ही हम आधे घंटे अपनी तन मन की सब बातें करते थे। इसके अलावा हमारे पास एक दूसरे के लिए समय नहीं होता था लेकिन अब मेरे आने से पहले वह निकल जाता था। रोना तो बहुत आता था ,पर मैं सही थी उसके पास मुझसे बात करने के लिए दो पल भी नहीं होते थे।
वो खड़ा हो गया मेरे कंधों को जोर से पकड़ते हुए चीखते हुए बोला," तुमने उस दिन मेरे प्रेम को गाली दी,जीवन में अगर अपने से अधिक किसी को प्यार किया तो वह तुम हो।अगर केवल तुम्हारे तन का भूखा होता तो कालेज में तीन साल तक बिना हाथ लगाये नहीं रहता। मन तो तब बहुत मचलता था लेकिन कसम खायी थी तुम्हारी इज्जत से कभी खिलवाड़ नहीं करूंगा। वही तो आधा घंटा मिलता था करीब आने का ,सारा दिन बीत जाता तुम्हारे बारे में सोचते-सोचते और तुम्हारे साथ की इच्छा में। तुम्हारे नजदीक आकर पूर्णता का एहसास होता,स्फूर्ति आ जाती, दुनिया का सामना करने की ताकत मिल जाती। मेरे प्रेम की अभिव्यक्ति थी वह, तुम में समा कर इतने करीब हो जाने का अहसास था कि लगता हम एक हैं। "
उसने मेरे कंधे छोड़ दिये , आवाज थरथरा रही थी , आंखों में दर्द था और वह लड़खड़ाते हुए बाथरूम में चला गया। मेरा मन भारी हो गया , उसकी दृष्टि से कभी सोचने की कोशिश नहीं की। दोनों एक दूसरे का साथ चाहते थे , लेकिन अलग-अलग तरीके से।जीवन की भागदौड़ में समय इतना कम जरूरतें इतनी अधिक सब बिखर गया।बात केवल इन गलतफहमियों के कारण बिगड़ी होती तो शायद संभल जाती, लेकिन हमारे रिश्ते में धोखा और झूठ भी शामिल हो गए थे। कमरे में जाकर लेट गई और रोते रोते कब सो गई पता नहीं चला।
Nice update sir
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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भाग 2


आपने पढ़ा:–
आसमान में बिखरे अनगिनत तारें निकटता का एहसास दे रहे थे और अंधेरे में दूर तक जगमगाती रोशनी भी तारों का ही भ्रम दे रही थी। ख़ामोशी से बैठ यह नजारा देख बड़ा सुकून मिल रहा था लेकिन अगर अकेली होती तो इस विशालता का आनंद लें पाती। न चाहते हुए भी मुंह से निकल गया," कैसे हों?"
अब आगे
नील आसमान ताक रहा था , मेरे प्रश्न पर सिर घुमाकर मुझे देखने लगा , एकटक कुछ पल देखने के बाद बोला ," बहुत सुंदर लग रही हो इस ड्रेस में।"
नील ने दिलाई थी जन्मदिन पर कुछ महीनों से पैसे जोड़ रहा था," इस बार तुझे महंगी सी पार्टी वियर ड्रेस दिलाऊंगा कहीं भी जाना हो बहुत साधारण कपड़े पहन कर जाना पड़ता है तुझे।"
सारा दिन बाजार घूमते रहे लेकिन नील को कोई पसंद ही नहीं आ रही थी । फिर यह कढ़ाई वाली चटक मैरून रंग की कुर्ती और सुनहरी प्लाजो देखते ही बोला था यह पहन कर देख रानी लगेगी। शीशे में देखने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी उसकी आंखों ने बता दिया ड्रेस मुझ पर कितनी फब रही थी ‌। कितना समय हो गया इस बात को , मौके का इंतजार करती रही किसी खास पार्टी में पहनूंगी इतनी महंगी है कहीं गंदी न हो जाए ‌। आज आफिस में फंक्शन में पहनने के लिए निकाली थी लेकिन न जाने क्यो इतनी भीड़ में शामिल होने का मन नहीं कर रहा था। लगा सबको हंसता बोलता देख कहीं दहाड़े मारकर रोने न लग जाऊं ।कुछ सामान इकट्ठा किया और यहां आ गई इससे पहले कि मेरा बाॅस हिरेन मुझे लेने आ जाता। नील अभी भी मुझे देख रहा था बोला ," इसके साथ झुमके भी लिये थे वो नहीं पहनें।" दो सौ रुपए के झुमके भी खरीदें थे ,बड़े चाव से । कैसे एक एक वस्तु दिलाकर खुश होता था , मैं हंस कर कहती ," ऐसे खुश हैं रहे हो जैसे स्वयं पहन कर बैठोगे।"
वह मुस्करा कर कहता," मैं अगर यह सब पहनता होता तो भी मुझे इतनी खुशी नहीं मिलती जितनी तुझे पहना देख कर मिलती है।"
कितना प्रेम था हम दोनों के बीच , लेकिन सुरक्षित भविष्य की चाहत में ऐसे दौड़ पड़े कि वर्तमान असुरक्षित कर लिया ,एक दूसरे से ही दूर हो गये।
मैंने लम्बी सांस लेते हुए कहा ," हिरेन के साथ पार्टी में जाने के लिए तैयार हो रही थी लेकिन मन नहीं कर रहा था इसलिए उसके आने से पहले ही जल्दी से निकल गई।"
हिरेन का नाम सुनते ही नील का चेहरा उतर गया ,न जाने क्या ग़लत फहमी पालें बैठा है दिमाग में। रात बहुत हो गई थी मैं उठ खड़ी हुई ,जिस कमरे में मैं ने सामान रखा था वहां चली गई।रात के कपड़े बदल कर लेटने के लिए दरी बिछाई तो ध्यान आया नील कैसे सोएगा, बिना कुछ बिछाएं। ऐसे कैसे बिना कुछ सामान के रात बिताने यहां आ गया , कितना लापरवाह हो गया है। बाहर आकर देखा तो नील अभी भी पहले की तरह बालकनी में दिवार के सहारे बैठा आसमान को टकटकी लगाए देख रहा था । कितना कमजोर लग रहा था , पहले जरा सा भी दुबला लगता था तो आधी रोटी अधिक खिलाएं बिना छोड़ती नहीं थी।
अब मुझे क्या? क्या रिश्तो के मतलब इस तरह बदल जाते हैं। मैंने उसकी तरफ चादर बढ़ाते हुए कहा," यह लो चादर ले लो , बिछाकर लेटना फर्श ठंडा लगेगा।" नील मेरी तरफ देखे बिना बोला," नहीं रहने दो इसकी आवश्यकता नहीं है।"
मैं," मेरे पास दो हैं,ले लो।"
नील बैठे बैठे ही एकदम से मेरी तरफ मुड़ा,उसका मुख तना हुआ था और दबे हुए आक्रोश के साथ बोला," जाओ यहां से फिर बोलोगी मुझे केवल तुम्हारी देह की पड़ी रहती है , तुम्हारे शरीर के अलावा मुझे कुछ नजर नहीं आता।"
जब से यह वाक्या हुआ था हमारे बीच की दरार खाई बन गई थी।वह ताने मारकर बात करता और मैं शांति बनाए रखने के लिए खामोश रहती। अब भाड़ में जाए शांति।
मैं," तो क्या ग़लत बोला था ,थकी हारी आफिस से छः बजे आती और तुम बस वो सब करना चाहते थे।" वैसे तो मुझे उसके छूने से, उसके करीब आने से एक नैसर्गिक प्रसन्नता और तृप्ति मिलती थी लेकिन उन दिनों आफिस के माहौल से बहुत परेशान थी।मन करता था घर आते ही नील के कंधे पर सिर रखकर आफिस की भड़ास निकालकर थोड़ा रोने का । लेकिन उसे आधे घंटे में ट्यूशन देने निकलना होता था, मेरे आते ही वह मुझे बांहों में खींचकर चूमने लगता। उस दिन कुछ तबीयत ठीक नहीं थी और आफिस में कुछ अधिक ही कहा सुनी हो गई ।भरी बैठी थी उसके करीब आते ही सारा आक्रोश उस पर निकल गया, धक्का देते हुए बोली," इस तन के अलावा और कुछ नहीं सूझता क्या?"
वह ठिठक गया, फिर एकदम से पलट कर बाहर चला गया।
रात को बारह बजे तक आता था और मेरी नींद न खुलें , ड्राइंगरुम में ही सो जाता था।उस रात भी उसने ऐसा ही किया,सुबह जब मेरी आंख खुली वह तैयार हो कर आफिस जा रहा था। बिना कुछ खाए और बोले वह चला गया।शाम को मेरे आने से एक घंटे पहले घर आ जाता था और मेरे आते ही हम आधे घंटे अपनी तन मन की सब बातें करते थे। इसके अलावा हमारे पास एक दूसरे के लिए समय नहीं होता था लेकिन अब मेरे आने से पहले वह निकल जाता था। रोना तो बहुत आता था ,पर मैं सही थी उसके पास मुझसे बात करने के लिए दो पल भी नहीं होते थे।
वो खड़ा हो गया मेरे कंधों को जोर से पकड़ते हुए चीखते हुए बोला," तुमने उस दिन मेरे प्रेम को गाली दी,जीवन में अगर अपने से अधिक किसी को प्यार किया तो वह तुम हो।अगर केवल तुम्हारे तन का भूखा होता तो कालेज में तीन साल तक बिना हाथ लगाये नहीं रहता। मन तो तब बहुत मचलता था लेकिन कसम खायी थी तुम्हारी इज्जत से कभी खिलवाड़ नहीं करूंगा। वही तो आधा घंटा मिलता था करीब आने का ,सारा दिन बीत जाता तुम्हारे बारे में सोचते-सोचते और तुम्हारे साथ की इच्छा में। तुम्हारे नजदीक आकर पूर्णता का एहसास होता,स्फूर्ति आ जाती, दुनिया का सामना करने की ताकत मिल जाती। मेरे प्रेम की अभिव्यक्ति थी वह, तुम में समा कर इतने करीब हो जाने का अहसास था कि लगता हम एक हैं। "
उसने मेरे कंधे छोड़ दिये , आवाज थरथरा रही थी , आंखों में दर्द था और वह लड़खड़ाते हुए बाथरूम में चला गया। मेरा मन भारी हो गया , उसकी दृष्टि से कभी सोचने की कोशिश नहीं की। दोनों एक दूसरे का साथ चाहते थे , लेकिन अलग-अलग तरीके से।जीवन की भागदौड़ में समय इतना कम जरूरतें इतनी अधिक सब बिखर गया।बात केवल इन गलतफहमियों के कारण बिगड़ी होती तो शायद संभल जाती, लेकिन हमारे रिश्ते में धोखा और झूठ भी शामिल हो गए थे। कमरे में जाकर लेट गई और रोते रोते कब सो गई पता नहीं चला।
:superb: update writer sahab... Extraordinary writing skill :rose:
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
8,656
35,060
219
:congrats:
ये बहुत संवेदनशील विषय चुना है आपने..........और आपके वर्णन का मर्मस्पर्शी ढंग
थोड़े से शब्दों में ही पूरा दिल उड़ेल कर रख देने का अंदाज
:applause:
उत्सुकता से प्रतीक्षारत
 

Ashish Jain

कलम के सिपाही
265
446
79
भाग 3




सुबह फिर बाहर के दरवाजे के खुलने की आवाज से आंख खुली, कुछ ताला सख्त लगता है। कमरे से बाहर आयी तो नील खानें पीने का सामान लेकर आया था और चेहरे पर वही उसकी चिरपरिचित मुस्कान। कितने भी गुस्से में हो बहुत जल्दी सामान्य हो जाता है, मैं बातों को मन में गुनगुन कर अपना भी दिमाग खराब कर लेती हूं और दूसरों से भी चिढ़ कर बात करने लगती हूं।
नील," आजा गर्म गर्म काफी पीते है, नीचे खाने पीने की कुछ दुकानें खुल गई है।"
मैं जल्दी से मंजन करके आयी और हम कल की तरह बालकनी में फर्श पर बैठ कर नाश्ता करने लगे।नील आसमान की तरफ देखते हुए बोला ," यहां से सुबह शाम आसमान की छटा कितनी निराली है। अदभुत नजारा है,अगर हम साथ रहते तो कितना अच्छा लगता रोज़ यहां बैठकर बातें करते।"
कह तो सही रहा था लेकिन जो नहीं हो सकता मैं उसके बारे में बात नहीं करना चाहती थी। नाश्ते में एक पेस्ट्री भी रखीं थीं,हम अक्सर छोटी से छोटी ख़ुशी सेलीब्रेट करने के लिए मीठे में एक पेस्ट्री ले आतें थे,आधी आधी दोनों खां लेते थे।
मैं ," यह पेस्ट्री किस खुशी में?"
नील ," याद है आज ही के दिन हमें मिले चार महीने हुए थे और तुमने मेरे साथ डेट पर जाना स्वीकार कर लिया था ‌"
मैं," तुम भी कमाल करते हो न जाने कैसी छोटी छोटी बातें याद रख लेते हों।वो डेट वेट नहीं थी कालेज केंटीन में बैठ कर काफी पी थी बस।"
नील ," केवल तुम से संबंधित बातें ही याद रख पाता हूं। केंटीन में उस दिन साथ बैठकर काफी पीना एक महत्वपूर्ण कदम था।जब तुम पहले दिन कालेज आयी थी तो हिरेन और मेरी तुम पर एक साथ नजर पड़ी थी। दोनों के मुंह से निकला था ' वाह ! कितनी खूबसूरत लड़की है।' हम दोनों के दिल पर तुम ने एक साथ दस्तक दी थी। हमने निश्चय किया कि हम दोनों तुम्हें लाइन मारेंगे और जिसकी तरफ तुम्हारा झुकाव होगा ,दूसरा रास्ते से हट जाएगा।उस दिन केंटीन में काफी पीते हुए यह खामोश एलान था कि तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो ।"
मुझे यह सब नहीं पता था ,हिरेन ने शुरू में मुझे प्रभावित करने की कोशिश तो की थी ,नील एक गुलाब देता वह गुलदस्ता लाता। वह पैसे वालें घर से था इसलिए महंगें तोहफे देता था लेकिन मुझे नील पहली नजर में ही भा गया था। उसके हंसमुख व्यवहार और केयरिंग एटीट्यूड के आगे सब फीका था ‌धीरे धीरे हम दोनों समझ गये थे हमारा एक दूसरे के बिना गुज़ारा नहीं और हमारे परिवार को हमारा साथ गवारा नहीं।नील के ब्राह्मण परिवार को मेरे खान-पान से दिक्कत थी तो मेरे माता-पिता को नील की आर्थिक स्थिति खल रही थी। वैसे मेरे परिवार के पास भी कुछ खास नहीं था लेकिन पिताजी कै लगता मेरी बहनों की तरह अपनी खूबसूरती के बल पर मैं पैसे वाले घर में स्थान बना सकतीं हूं।
स्नातक करते ही हम दोनों ने शादी की और जो नौकरी मिली पकड़ ली। फिर किराए का घर ढूंढना शुरू किया दस बारह हजार से कम का कोई अच्छा मकान नहीं मिल रहा था , बहुत धक्के खा कर एक बीएचके फ्लैट सात हजार किराए पर मिला वह भी बस काम चलाऊ था।तब हम ने निर्णय लिया आगे सोच समझ कर जीवन की राह पर चलेंगे , पहले कुछ पैसे जमा करेंगे ,अपना स्वयं का घर नहीं बन जाता तब तक परिवार नहीं बढ़ाएंगे। शुरू की हमारी जिंदगी बड़ी खुशहाल रही , दोनों छः बजे तक घर आ जाते, फिर बहुत बातें करते और सपने देखते। किराया देने के बाद अधिक नहीं बचता था लेकिन एक दूसरे के साथ मस्त थे। फिर नील को लगा कुछ और पैसे कमाने के लिए ट्यूशन पकड़ लेनी चाहिए और मुझे लगा पदोन्नति और अच्छे वेतन के लिए एम काम कर लेनी चाहिए। बस हम दोनों दौड़ में शामिल हो गए एक बेहतरीन भविष्य की कामना में। इतना थके रहने लगे एक दूसरे के लिए समय नहीं होता,बस झुंझलाहट रहने लगी। इस बीच नील का मन सीए की पढ़ाई करने का भी करता बीच बीच में। वह बहुत होशियार है ,मुझे कईं बार लगता इतनी जल्दी शादी करके कहीं पछता तो नहीं रहा ,वह आगे पढ़ कर बहुत कुछ कर सकता था।
इस बीच नील के पिताजी का देहान्त हुआ तो उसके बड़े भाई ने घर बेचने का निर्णय ले लिया। घर खस्ता हालत में था , फिर भाई को पैसे चाहिए थे फ्लैट खरीदने के लिए।वह दूसरे शहर में रहता था।नील की माता जी मेरे कारण हमारे साथ नहीं रहना चाहती थी। मकान बेचकर जो रकम मिली उसके तीन हिस्से हुए,दो हिस्से और माताजी भाईसाहब के साथ चले गए। अपने हिस्से से हमने भी फ्लैट बुक करा दिया। हमारी मुसीबतें और बढ़ गई, जहां रहते थे उसका किराया,फ्लैट की किश्तें,फिर जिंदा रहने के लिए रोटी और कपड़ा भी आवश्यक था। अब हमारे साथ हमारे बीच खींज भी रहने लगी,ऐसा नहीं था हम हमेशा एक दूसरे से सड़े रहते थे।जब किसी का जन्म दिन होता या छुट्टी होती तो प्रेम भी खूब लुटाते लेकिन अक्सर एक दूसरे से बचते या चिढ़ कर बात करते।
मजबूरन मुझे नौकरी भी छोड़नी पड़ी वहां का माहौल बर्दाश्त के बाहर हो गया था। नील को यह बिल्कुल अच्छा नहीं लगा लेकिन मेरी परेशानी समझते हुए बोला कुछ नहीं। उन्हीं दिनों हिरेन से मुलाकात हुई वह सीए कर चुका था और अपने पिता की फर्म में काम करता था। परेशान देख जब उसने कारण पूछा तो तो पुराने दोस्त के सामने बाढ़ के पानी की तरह सारा उदगार तीव्रता से उमड़ पड़ा। उसने तुरंत अपनी फर्म में बहुत अच्छे वेतन के साथ नौकरी का प्रस्ताव दे दिया और मैं ने सहर्ष स्वीकार भी कर लिया। नील को यह बात भी अच्छी नहीं लगी लेकिन इस बार वह चुप नहीं रहा, झगड़ा किया और बहुत कुछ बोल गया।
उस समय समझ नहीं सकीं थी नील के आक्रोश का करण लेकिन आज समझ गई उसके स्वाभिमान को ठेस पहुंची थी। अब हमारे बीच बोलचाल खत्म हो गई थी, मैं कुछ भी बोलने से डरती वह बखेड़ा खड़ा कर देगा और सामने पड़ते ही मुंह फेरकर इधर उधर हो जाता।
हिरेन के पास दिल्ली के बाहर कईं दूसरे शहरों का भी काम था,वह अक्सर बाहर जाता रहता था। मुझे नौकरी करते हुए अधिक समय नहीं हुआ था फिर भी मेरा नाम लखनऊ जाने वाली टीम में शामिल था।
जब मैंने नील को बताया कि मुझे पांच दिन के लिए लखनऊ जाना है तो वह बड़बड़ाने लगा। यह मेरे लिए बड़ी परेशानी की बात हो गयी थी कि पति का मिजाज देखूं या नौकरी देखूं।मेरा मन बड़ा खिन्न सा रहता , उससे बात करने का भी मन नहीं करता। जाने से दो दिन पहले निर्मला जी ने बताया मुझे लखनऊ नहीं शिमला जाना होगा । वहां जो टीम औडिट करने गयी है उसके एक सदस्य की तबीयत खराब हो गई है। मुझे क्या अंतर पड़ता था कहीं भी जाना हो और नील को बताने का मन नहीं हुआ फिर दुबारा उसकी बड़बड़ शुरू हो जाएगी। लेकिन अच्छा हुआ नहीं बताया मुझे नील का वह रंग देखने को मिला जिस पर मुझे अभी तक विश्वास नहीं हो रहा है।
मैं," जब मैं पांच दिन के लिए बाहर गयी थी दो महीने पहले, तुम शिमला गये थे ‌‌?"
नील आश्चर्य से," हां लेकिन तुझे कैसे पता?"
मैं," मैं भी तब शिमला में थी और मैं ने तुम्हें देखा था।"
नील ," तुम तो लखनऊ जाने वाली थी और अगर शिमला गयीं थी तो बताया क्यों नहीं,साथ में घूमते बड़ा मज़ा आता।"
मैं," अच्छा और जिस के साथ घूमने का कार्यक्रम बना कर गए थे उस बिचारी को मझधार में छोड़ देते।"
नील असमंजस से देखते हुए बोला," तुम क्या बोल रही हो मुझे नहीं पता । राहुल और सौरभ बहुत दिनों से कह रहे थे कहीं घूमने चलते हैं, मैं बस टालता जा रहा था।जब तुम जा रही थी तो मैंने उन्हें कार्यक्रम बनाने के लिए हां कर दिया।"
मैं," रहने दो तुम झूठ बोल रहे हो , तुम वहां काम्या के साथ रंगरेलियां मनाने गए थे।"
नील आश्चर्य से," कौन काम्या? तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है, लड़ने के बहाने ढूंढती हो ।अलग होना चाहती हो ,हिरेन का साथ चाहती हो, ठीक है,पर ग़लत इल्ज़ाम मत लगाओ। अब मैं झूठ क्यों बोलूंगा जब हम अलग हो रहें हैं, वैसे भी मैं झूठ नहीं बोलता हूं।"
मैं ," बहुत अच्छे , तुम हिरेन को लेकर मुझ पर कोई भी इल्ज़ाम लगाओ वो ठीक है।"
नील ," तुम हिरेन के लिए क्या महसूस करती हो मैं नहीं जानता लेकिन हिरेन के दिल में तुम्हारे लिए क्या है मैं समझता हूं।( फिर एक ठंडी सांस लेते हुए) मेरे लिए तुम क्या हो तुम नहीं जानती हो ,तुम मेरी जिन्दगी की धुरी हो ,सब कुछ मेरा तुम्हारे इर्द-गिर्द घूमता है । " उसकी आंखें और भी बहुत कुछ कहना चाहती थी लेकिन उसकी बात सुनकर मेरी आंखों में आंसू आ गए। उसकी इस तरह की चिकनी-चुपडी बातों में आकर मैं मीरा की तरह उसे कृष्ण मानकर उसकी दिवानी हो जाती थी।
जब मैं शिमला जाने वाले प्लेन में सवार हुई , बहुत उदास थी। पहली बार पांच दिन के लिए नील से अलग हो रही थी और उसने केवल बाय कहकर मुंह फेर लिया। शुरू में हम आफिस के लिए भी जब निकलते थे तो ऐसा लगता सात आठ घंटे कैसे एक दूसरे के बिना रहेंगे, बहुत देर तक एक-दूसरे के गले लगे रहते। प्लेन में मेरी बगल वाली सीट पर बैठी लड़की बहुत उत्साहित थी, कुछ न कुछ बोले जा रही थी। मुझे उसकी आवाज से बोरियत हों रही थी,झल्ला कर मैंने पूछा," पहली बार प्लेन में बैठी हो या पहली बार शिमला जा रही हो?"
वह शरमाते हुए बोली," पहली बार अपने प्रेमी से इस तरह मिलने जा रही हूं। वह शादीशुदा है जब तक तलाक नहीं है जाता हमें इस तरह से छुप-छुप कर मिलना पड़ता है। ‌ तलाक मिलते ही हम शादी कर लेंगे।"
मुझे उसकी प्रेम कहानी में कोई दिलचस्पी नहीं थी, मैं आंख बंद कर सिर टिकाकर सोने की कोशिश करने लगी। लेकिन जब नाश्ता आया तो यह नाटक नहीं चला और वह दुबारा शुरू हो गई। उसके आफिस में ही काम करता था और उसके अनुसार दिखने में बहुत मस्त था । लेकिन बिचारा दुखी था ,बीबी झगड़ालू थी दोनों में बिल्कुल नहीं बनती थी। उस लड़की से बचने के लिए मैं कान में ईयर फोन लगा कर बैठ गई। उतरते समय वह कुछ परेशान लगी, बोली" मैं पहली बार इस तरह अकेली यात्रा कर रही हूं, मुझे बहुत घबराहट हो रही है। अगर वो नहीं आये तो मैं क्या करुंगी। आप मुझे प्लीज़ अपना फोन नंबर और नाम बता दो ,अगर आवश्यकता पड़ी तो मैं आपसे सहायता मांग लूंगी।" बेमन से मैं ने उसे अपना नंबर दिया , वो बोली," मेरा नाम काम्या है , मैं सुगम लिमिटेड में काम करती हूं।"
मुझे ऐसे लोगों से चिढ़ होती है जों बेमतलब चिपकते है। मैं ने उससे परिचय मांगा था बेमतलब उतावली हो रही थी अपने बारे में बताने को। लेकिन वह उस कंपनी में काम करती है जिसमें नील भी नौकरी करता है।
हिरेन मुझे एयरपोर्ट पर लेने आया, देखकर बड़ा खुश हुआ। अच्छे होटल में ठहरने की व्यवस्था की थी। कमरे तक पहुंचा कर हिरेन बोला ," आज रविवार है कल से काम करेंगे। तुम अभी आराम करो जब ठीक लगें ,काल करना, कहीं घूमने चलेंगे।"
मैं ," बाकी सब कहां है?"
हिरेन," वो सब चले गए,उनका काम खत्म हो गया था।अब बस मेरा और तुम्हारा काम रह गया है।"
मैं चुपचाप कमरे में अपने फोन को हाथ में पकड़ कर बैठ गई। अगर नील का फोन आया यह पूछने के लिए कि मैं ठीक से पहुंच गयी की नहीं और मैं इधर उधर हुईं तो बात नहीं हो पाएगी। मैं शाम तक ऐसे ही बैठी रही और उसका फोन नहीं आया। दरवाजे पर दस्तक हुई खोला तो हिरेन था," यह क्या कपड़े भी नहीं बदले जब से ऐसे ही बैठी हों। मैं इंतजार करता रहा तुम्हारे बुलाने का। तैयार हो जाओ हम बाहर घूमने चलते हैं वहीं से कुछ खाकर आ जाएंगे।"
बेमन से गईं और सिर दर्द का बहाना बनाकर जल्दी वापस आकर कमरे में सो गई।
अगले दिन जिस होटल में ठहरे थे वहीं का आडिट करना था इसलिए सुबह से शाम तक काम करते रहे ।शाम को हिरेन फिर घूमने की जिद करने लगा , अकेले रोज़ उसके साथ इस तरह घूमना मुझे ठीक नहीं लग रहा था लेकिन क्या करतीं। घूमते घूमते काम्या दिख गयी ,अकेली थी फिर चिपक गई। उस दिन मुझे उसका साथ बुरा नहीं लगा हिरेन से उसका परिचय कराकर हम इधर उधर की बातें करने लगे। काम्या ने बताया उसका बायफ्रेंड कल आने वाला था सड़क मार्ग से , गाड़ी खराब हो गई तो बीच में कहीं रुकना पड़ा ,अब रात तक आएगा।वह अकेली थी, हमारे साथ घूमने लगी, हिरेन बोर हो रहा था , लेकिन मुझे क्या।
अगले दिन भी यही दिनचर्या रही और काम्या फिर वहीं घूम रही थी। देखते ही खुश हो गई, मैं ने पूछा आ गया बायफ्रेंड तो भीड़ की तरफ हाथ से इशारा किया और कहा उसके लिए आइसक्रीम लेने गये है। मैं ने उसके हाथ के इशारे की ओर देखा तो मुझे लगा भीड़ में नील है ‌। मुझे विश्वास नहीं हुआ और ध्यान से देखा तो भीड़ छंट गई थी और नील कहीं नजर नहीं आया। मुझे लगा हर समय नील के बारे में सोचने के कारण मेरा दिमाग खराब हो गया है , मुझे सब जगह वही नज़र आता है। अगले दिन हिरेन जिद करने लगा कुछ खरीददारी करते हैं , मैं अधिकतर जींस पहनती हूं तो मुझे शर्ट ,टी-शर्ट की दुकान पर ले गया।काम्या वहां पुरुषों के विभाग में शर्ट देखने में व्यस्त थी , उसने हमें देखा भी नहीं। बड़ी अजीब फंकी सी शर्ट देख रहीं थीं। खैर मैं ने नील के लिए एक चैक की शर्ट खरीदी और बाहर जाने लगी तो काम्या से टकरा गई। काम्या ने अपनी ली हुई शर्ट दिखाते हुए पूछा ," यह कैसी शर्ट है?"
शर्ट चटक औरेंज रंग की थी और उस पर छोटी छोटी मुंडिया बनीं थीं । मैं व्यक्तिगत तौर पर ऐसी शर्ट पसंद नहीं करती लेकिन मैं ने उससे कहा अच्छी है और आगे बढ़ गई। वह जानें और उसका प्रेमी जाने।
नील की याद इतनी सता रही थी कि बर्दाश्त नहीं हो रहा था,आखिर अपनी नाक एक तरफ रख कर मैंने फोन किया। लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
अगले दिन हमारा काम खत्म हो गया था लेकिन हिरेन ने जानबूझकर एक दिन अधिक रखा था आसपास घूमने का । मुझे जानकर बड़ी बोरियत हुई मेरा बिल्कुल मन नहीं था एक दिन भी और रूकने का।
अगले दिन हिरेन ने कुफरी जाखू मंदिर और न जाने कहां कहां घूमने का कार्यक्रम बनाया। मुझे नील की कमी इतनी खल रही थी कि मुझे बिल्कुल आनन्द नहीं आ रहा था और बार बार यह अहसास हो रहा था वह आसपास है। मुझे विश्वास हो गया था नील के बिना मेरी जिन्दगी अधुरी है , मैं ने निश्चय किया घर पहुंचते ही सारे गिले-शिकवे भुलाकर नील के करीब आने की कोशिश करूंगी।
जब घर पहुंची तो नील घर पर नहीं था, सोचा उसकी शर्ट निकाल कर पहन लेती हूं। मैं ऐसा अक्सर करतीं जब भी उसकी नजदिकी का एहसास करना होता था। अलमारी खोलते ही सामने औरेंज रंग की शर्ट दिखी , हाथ में लेकर देखा तो यह वही शर्ट थी जो काम्या ने अपने बायफ्रेंड के लिए खरीदी थी। अब कहने सुनने को कुछ नहीं बचा था,स्थिती एकदम साफ थी ।एक कागज पर संदेश लिखा,
' मैं तुम्हें छोड़ कर जा रही हूं,अब हमारे रिश्ते में ऐसा कुछ नहीं बचा कि हम साथ रहें। मैं किसी वकील से बात करके आगे की कार्रवाई के लिए तुमसे संपर्क करूंगी।'
 

Sona

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भाग 3




सुबह फिर बाहर के दरवाजे के खुलने की आवाज से आंख खुली, कुछ ताला सख्त लगता है। कमरे से बाहर आयी तो नील खानें पीने का सामान लेकर आया था और चेहरे पर वही उसकी चिरपरिचित मुस्कान। कितने भी गुस्से में हो बहुत जल्दी सामान्य हो जाता है, मैं बातों को मन में गुनगुन कर अपना भी दिमाग खराब कर लेती हूं और दूसरों से भी चिढ़ कर बात करने लगती हूं।
नील," आजा गर्म गर्म काफी पीते है, नीचे खाने पीने की कुछ दुकानें खुल गई है।"
मैं जल्दी से मंजन करके आयी और हम कल की तरह बालकनी में फर्श पर बैठ कर नाश्ता करने लगे।नील आसमान की तरफ देखते हुए बोला ," यहां से सुबह शाम आसमान की छटा कितनी निराली है। अदभुत नजारा है,अगर हम साथ रहते तो कितना अच्छा लगता रोज़ यहां बैठकर बातें करते।"
कह तो सही रहा था लेकिन जो नहीं हो सकता मैं उसके बारे में बात नहीं करना चाहती थी। नाश्ते में एक पेस्ट्री भी रखीं थीं,हम अक्सर छोटी से छोटी ख़ुशी सेलीब्रेट करने के लिए मीठे में एक पेस्ट्री ले आतें थे,आधी आधी दोनों खां लेते थे।
मैं ," यह पेस्ट्री किस खुशी में?"
नील ," याद है आज ही के दिन हमें मिले चार महीने हुए थे और तुमने मेरे साथ डेट पर जाना स्वीकार कर लिया था ‌"
मैं," तुम भी कमाल करते हो न जाने कैसी छोटी छोटी बातें याद रख लेते हों।वो डेट वेट नहीं थी कालेज केंटीन में बैठ कर काफी पी थी बस।"
नील ," केवल तुम से संबंधित बातें ही याद रख पाता हूं। केंटीन में उस दिन साथ बैठकर काफी पीना एक महत्वपूर्ण कदम था।जब तुम पहले दिन कालेज आयी थी तो हिरेन और मेरी तुम पर एक साथ नजर पड़ी थी। दोनों के मुंह से निकला था ' वाह ! कितनी खूबसूरत लड़की है।' हम दोनों के दिल पर तुम ने एक साथ दस्तक दी थी। हमने निश्चय किया कि हम दोनों तुम्हें लाइन मारेंगे और जिसकी तरफ तुम्हारा झुकाव होगा ,दूसरा रास्ते से हट जाएगा।उस दिन केंटीन में काफी पीते हुए यह खामोश एलान था कि तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो ।"
मुझे यह सब नहीं पता था ,हिरेन ने शुरू में मुझे प्रभावित करने की कोशिश तो की थी ,नील एक गुलाब देता वह गुलदस्ता लाता। वह पैसे वालें घर से था इसलिए महंगें तोहफे देता था लेकिन मुझे नील पहली नजर में ही भा गया था। उसके हंसमुख व्यवहार और केयरिंग एटीट्यूड के आगे सब फीका था ‌धीरे धीरे हम दोनों समझ गये थे हमारा एक दूसरे के बिना गुज़ारा नहीं और हमारे परिवार को हमारा साथ गवारा नहीं।नील के ब्राह्मण परिवार को मेरे खान-पान से दिक्कत थी तो मेरे माता-पिता को नील की आर्थिक स्थिति खल रही थी। वैसे मेरे परिवार के पास भी कुछ खास नहीं था लेकिन पिताजी कै लगता मेरी बहनों की तरह अपनी खूबसूरती के बल पर मैं पैसे वाले घर में स्थान बना सकतीं हूं।
स्नातक करते ही हम दोनों ने शादी की और जो नौकरी मिली पकड़ ली। फिर किराए का घर ढूंढना शुरू किया दस बारह हजार से कम का कोई अच्छा मकान नहीं मिल रहा था , बहुत धक्के खा कर एक बीएचके फ्लैट सात हजार किराए पर मिला वह भी बस काम चलाऊ था।तब हम ने निर्णय लिया आगे सोच समझ कर जीवन की राह पर चलेंगे , पहले कुछ पैसे जमा करेंगे ,अपना स्वयं का घर नहीं बन जाता तब तक परिवार नहीं बढ़ाएंगे। शुरू की हमारी जिंदगी बड़ी खुशहाल रही , दोनों छः बजे तक घर आ जाते, फिर बहुत बातें करते और सपने देखते। किराया देने के बाद अधिक नहीं बचता था लेकिन एक दूसरे के साथ मस्त थे। फिर नील को लगा कुछ और पैसे कमाने के लिए ट्यूशन पकड़ लेनी चाहिए और मुझे लगा पदोन्नति और अच्छे वेतन के लिए एम काम कर लेनी चाहिए। बस हम दोनों दौड़ में शामिल हो गए एक बेहतरीन भविष्य की कामना में। इतना थके रहने लगे एक दूसरे के लिए समय नहीं होता,बस झुंझलाहट रहने लगी। इस बीच नील का मन सीए की पढ़ाई करने का भी करता बीच बीच में। वह बहुत होशियार है ,मुझे कईं बार लगता इतनी जल्दी शादी करके कहीं पछता तो नहीं रहा ,वह आगे पढ़ कर बहुत कुछ कर सकता था।
इस बीच नील के पिताजी का देहान्त हुआ तो उसके बड़े भाई ने घर बेचने का निर्णय ले लिया। घर खस्ता हालत में था , फिर भाई को पैसे चाहिए थे फ्लैट खरीदने के लिए।वह दूसरे शहर में रहता था।नील की माता जी मेरे कारण हमारे साथ नहीं रहना चाहती थी। मकान बेचकर जो रकम मिली उसके तीन हिस्से हुए,दो हिस्से और माताजी भाईसाहब के साथ चले गए। अपने हिस्से से हमने भी फ्लैट बुक करा दिया। हमारी मुसीबतें और बढ़ गई, जहां रहते थे उसका किराया,फ्लैट की किश्तें,फिर जिंदा रहने के लिए रोटी और कपड़ा भी आवश्यक था। अब हमारे साथ हमारे बीच खींज भी रहने लगी,ऐसा नहीं था हम हमेशा एक दूसरे से सड़े रहते थे।जब किसी का जन्म दिन होता या छुट्टी होती तो प्रेम भी खूब लुटाते लेकिन अक्सर एक दूसरे से बचते या चिढ़ कर बात करते।
मजबूरन मुझे नौकरी भी छोड़नी पड़ी वहां का माहौल बर्दाश्त के बाहर हो गया था। नील को यह बिल्कुल अच्छा नहीं लगा लेकिन मेरी परेशानी समझते हुए बोला कुछ नहीं। उन्हीं दिनों हिरेन से मुलाकात हुई वह सीए कर चुका था और अपने पिता की फर्म में काम करता था। परेशान देख जब उसने कारण पूछा तो तो पुराने दोस्त के सामने बाढ़ के पानी की तरह सारा उदगार तीव्रता से उमड़ पड़ा। उसने तुरंत अपनी फर्म में बहुत अच्छे वेतन के साथ नौकरी का प्रस्ताव दे दिया और मैं ने सहर्ष स्वीकार भी कर लिया। नील को यह बात भी अच्छी नहीं लगी लेकिन इस बार वह चुप नहीं रहा, झगड़ा किया और बहुत कुछ बोल गया।
उस समय समझ नहीं सकीं थी नील के आक्रोश का करण लेकिन आज समझ गई उसके स्वाभिमान को ठेस पहुंची थी। अब हमारे बीच बोलचाल खत्म हो गई थी, मैं कुछ भी बोलने से डरती वह बखेड़ा खड़ा कर देगा और सामने पड़ते ही मुंह फेरकर इधर उधर हो जाता।
हिरेन के पास दिल्ली के बाहर कईं दूसरे शहरों का भी काम था,वह अक्सर बाहर जाता रहता था। मुझे नौकरी करते हुए अधिक समय नहीं हुआ था फिर भी मेरा नाम लखनऊ जाने वाली टीम में शामिल था।
जब मैंने नील को बताया कि मुझे पांच दिन के लिए लखनऊ जाना है तो वह बड़बड़ाने लगा। यह मेरे लिए बड़ी परेशानी की बात हो गयी थी कि पति का मिजाज देखूं या नौकरी देखूं।मेरा मन बड़ा खिन्न सा रहता , उससे बात करने का भी मन नहीं करता। जाने से दो दिन पहले निर्मला जी ने बताया मुझे लखनऊ नहीं शिमला जाना होगा । वहां जो टीम औडिट करने गयी है उसके एक सदस्य की तबीयत खराब हो गई है। मुझे क्या अंतर पड़ता था कहीं भी जाना हो और नील को बताने का मन नहीं हुआ फिर दुबारा उसकी बड़बड़ शुरू हो जाएगी। लेकिन अच्छा हुआ नहीं बताया मुझे नील का वह रंग देखने को मिला जिस पर मुझे अभी तक विश्वास नहीं हो रहा है।
मैं," जब मैं पांच दिन के लिए बाहर गयी थी दो महीने पहले, तुम शिमला गये थे ‌‌?"
नील आश्चर्य से," हां लेकिन तुझे कैसे पता?"
मैं," मैं भी तब शिमला में थी और मैं ने तुम्हें देखा था।"
नील ," तुम तो लखनऊ जाने वाली थी और अगर शिमला गयीं थी तो बताया क्यों नहीं,साथ में घूमते बड़ा मज़ा आता।"
मैं," अच्छा और जिस के साथ घूमने का कार्यक्रम बना कर गए थे उस बिचारी को मझधार में छोड़ देते।"
नील असमंजस से देखते हुए बोला," तुम क्या बोल रही हो मुझे नहीं पता । राहुल और सौरभ बहुत दिनों से कह रहे थे कहीं घूमने चलते हैं, मैं बस टालता जा रहा था।जब तुम जा रही थी तो मैंने उन्हें कार्यक्रम बनाने के लिए हां कर दिया।"
मैं," रहने दो तुम झूठ बोल रहे हो , तुम वहां काम्या के साथ रंगरेलियां मनाने गए थे।"
नील आश्चर्य से," कौन काम्या? तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है, लड़ने के बहाने ढूंढती हो ।अलग होना चाहती हो ,हिरेन का साथ चाहती हो, ठीक है,पर ग़लत इल्ज़ाम मत लगाओ। अब मैं झूठ क्यों बोलूंगा जब हम अलग हो रहें हैं, वैसे भी मैं झूठ नहीं बोलता हूं।"
मैं ," बहुत अच्छे , तुम हिरेन को लेकर मुझ पर कोई भी इल्ज़ाम लगाओ वो ठीक है।"
नील ," तुम हिरेन के लिए क्या महसूस करती हो मैं नहीं जानता लेकिन हिरेन के दिल में तुम्हारे लिए क्या है मैं समझता हूं।( फिर एक ठंडी सांस लेते हुए) मेरे लिए तुम क्या हो तुम नहीं जानती हो ,तुम मेरी जिन्दगी की धुरी हो ,सब कुछ मेरा तुम्हारे इर्द-गिर्द घूमता है । " उसकी आंखें और भी बहुत कुछ कहना चाहती थी लेकिन उसकी बात सुनकर मेरी आंखों में आंसू आ गए। उसकी इस तरह की चिकनी-चुपडी बातों में आकर मैं मीरा की तरह उसे कृष्ण मानकर उसकी दिवानी हो जाती थी।
जब मैं शिमला जाने वाले प्लेन में सवार हुई , बहुत उदास थी। पहली बार पांच दिन के लिए नील से अलग हो रही थी और उसने केवल बाय कहकर मुंह फेर लिया। शुरू में हम आफिस के लिए भी जब निकलते थे तो ऐसा लगता सात आठ घंटे कैसे एक दूसरे के बिना रहेंगे, बहुत देर तक एक-दूसरे के गले लगे रहते। प्लेन में मेरी बगल वाली सीट पर बैठी लड़की बहुत उत्साहित थी, कुछ न कुछ बोले जा रही थी। मुझे उसकी आवाज से बोरियत हों रही थी,झल्ला कर मैंने पूछा," पहली बार प्लेन में बैठी हो या पहली बार शिमला जा रही हो?"
वह शरमाते हुए बोली," पहली बार अपने प्रेमी से इस तरह मिलने जा रही हूं। वह शादीशुदा है जब तक तलाक नहीं है जाता हमें इस तरह से छुप-छुप कर मिलना पड़ता है। ‌ तलाक मिलते ही हम शादी कर लेंगे।"
मुझे उसकी प्रेम कहानी में कोई दिलचस्पी नहीं थी, मैं आंख बंद कर सिर टिकाकर सोने की कोशिश करने लगी। लेकिन जब नाश्ता आया तो यह नाटक नहीं चला और वह दुबारा शुरू हो गई। उसके आफिस में ही काम करता था और उसके अनुसार दिखने में बहुत मस्त था । लेकिन बिचारा दुखी था ,बीबी झगड़ालू थी दोनों में बिल्कुल नहीं बनती थी। उस लड़की से बचने के लिए मैं कान में ईयर फोन लगा कर बैठ गई। उतरते समय वह कुछ परेशान लगी, बोली" मैं पहली बार इस तरह अकेली यात्रा कर रही हूं, मुझे बहुत घबराहट हो रही है। अगर वो नहीं आये तो मैं क्या करुंगी। आप मुझे प्लीज़ अपना फोन नंबर और नाम बता दो ,अगर आवश्यकता पड़ी तो मैं आपसे सहायता मांग लूंगी।" बेमन से मैं ने उसे अपना नंबर दिया , वो बोली," मेरा नाम काम्या है , मैं सुगम लिमिटेड में काम करती हूं।"
मुझे ऐसे लोगों से चिढ़ होती है जों बेमतलब चिपकते है। मैं ने उससे परिचय मांगा था बेमतलब उतावली हो रही थी अपने बारे में बताने को। लेकिन वह उस कंपनी में काम करती है जिसमें नील भी नौकरी करता है।
हिरेन मुझे एयरपोर्ट पर लेने आया, देखकर बड़ा खुश हुआ। अच्छे होटल में ठहरने की व्यवस्था की थी। कमरे तक पहुंचा कर हिरेन बोला ," आज रविवार है कल से काम करेंगे। तुम अभी आराम करो जब ठीक लगें ,काल करना, कहीं घूमने चलेंगे।"
मैं ," बाकी सब कहां है?"
हिरेन," वो सब चले गए,उनका काम खत्म हो गया था।अब बस मेरा और तुम्हारा काम रह गया है।"
मैं चुपचाप कमरे में अपने फोन को हाथ में पकड़ कर बैठ गई। अगर नील का फोन आया यह पूछने के लिए कि मैं ठीक से पहुंच गयी की नहीं और मैं इधर उधर हुईं तो बात नहीं हो पाएगी। मैं शाम तक ऐसे ही बैठी रही और उसका फोन नहीं आया। दरवाजे पर दस्तक हुई खोला तो हिरेन था," यह क्या कपड़े भी नहीं बदले जब से ऐसे ही बैठी हों। मैं इंतजार करता रहा तुम्हारे बुलाने का। तैयार हो जाओ हम बाहर घूमने चलते हैं वहीं से कुछ खाकर आ जाएंगे।"
बेमन से गईं और सिर दर्द का बहाना बनाकर जल्दी वापस आकर कमरे में सो गई।
अगले दिन जिस होटल में ठहरे थे वहीं का आडिट करना था इसलिए सुबह से शाम तक काम करते रहे ।शाम को हिरेन फिर घूमने की जिद करने लगा , अकेले रोज़ उसके साथ इस तरह घूमना मुझे ठीक नहीं लग रहा था लेकिन क्या करतीं। घूमते घूमते काम्या दिख गयी ,अकेली थी फिर चिपक गई। उस दिन मुझे उसका साथ बुरा नहीं लगा हिरेन से उसका परिचय कराकर हम इधर उधर की बातें करने लगे। काम्या ने बताया उसका बायफ्रेंड कल आने वाला था सड़क मार्ग से , गाड़ी खराब हो गई तो बीच में कहीं रुकना पड़ा ,अब रात तक आएगा।वह अकेली थी, हमारे साथ घूमने लगी, हिरेन बोर हो रहा था , लेकिन मुझे क्या।
अगले दिन भी यही दिनचर्या रही और काम्या फिर वहीं घूम रही थी। देखते ही खुश हो गई, मैं ने पूछा आ गया बायफ्रेंड तो भीड़ की तरफ हाथ से इशारा किया और कहा उसके लिए आइसक्रीम लेने गये है। मैं ने उसके हाथ के इशारे की ओर देखा तो मुझे लगा भीड़ में नील है ‌। मुझे विश्वास नहीं हुआ और ध्यान से देखा तो भीड़ छंट गई थी और नील कहीं नजर नहीं आया। मुझे लगा हर समय नील के बारे में सोचने के कारण मेरा दिमाग खराब हो गया है , मुझे सब जगह वही नज़र आता है। अगले दिन हिरेन जिद करने लगा कुछ खरीददारी करते हैं , मैं अधिकतर जींस पहनती हूं तो मुझे शर्ट ,टी-शर्ट की दुकान पर ले गया।काम्या वहां पुरुषों के विभाग में शर्ट देखने में व्यस्त थी , उसने हमें देखा भी नहीं। बड़ी अजीब फंकी सी शर्ट देख रहीं थीं। खैर मैं ने नील के लिए एक चैक की शर्ट खरीदी और बाहर जाने लगी तो काम्या से टकरा गई। काम्या ने अपनी ली हुई शर्ट दिखाते हुए पूछा ," यह कैसी शर्ट है?"
शर्ट चटक औरेंज रंग की थी और उस पर छोटी छोटी मुंडिया बनीं थीं । मैं व्यक्तिगत तौर पर ऐसी शर्ट पसंद नहीं करती लेकिन मैं ने उससे कहा अच्छी है और आगे बढ़ गई। वह जानें और उसका प्रेमी जाने।
नील की याद इतनी सता रही थी कि बर्दाश्त नहीं हो रहा था,आखिर अपनी नाक एक तरफ रख कर मैंने फोन किया। लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
अगले दिन हमारा काम खत्म हो गया था लेकिन हिरेन ने जानबूझकर एक दिन अधिक रखा था आसपास घूमने का । मुझे जानकर बड़ी बोरियत हुई मेरा बिल्कुल मन नहीं था एक दिन भी और रूकने का।
अगले दिन हिरेन ने कुफरी जाखू मंदिर और न जाने कहां कहां घूमने का कार्यक्रम बनाया। मुझे नील की कमी इतनी खल रही थी कि मुझे बिल्कुल आनन्द नहीं आ रहा था और बार बार यह अहसास हो रहा था वह आसपास है। मुझे विश्वास हो गया था नील के बिना मेरी जिन्दगी अधुरी है , मैं ने निश्चय किया घर पहुंचते ही सारे गिले-शिकवे भुलाकर नील के करीब आने की कोशिश करूंगी।
जब घर पहुंची तो नील घर पर नहीं था, सोचा उसकी शर्ट निकाल कर पहन लेती हूं। मैं ऐसा अक्सर करतीं जब भी उसकी नजदिकी का एहसास करना होता था। अलमारी खोलते ही सामने औरेंज रंग की शर्ट दिखी , हाथ में लेकर देखा तो यह वही शर्ट थी जो काम्या ने अपने बायफ्रेंड के लिए खरीदी थी। अब कहने सुनने को कुछ नहीं बचा था,स्थिती एकदम साफ थी ।एक कागज पर संदेश लिखा,
' मैं तुम्हें छोड़ कर जा रही हूं,अब हमारे रिश्ते में ऐसा कुछ नहीं बचा कि हम साथ रहें। मैं किसी वकील से बात करके आगे की कार्रवाई के लिए तुमसे संपर्क करूंगी।'
Nice update sir
 
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