- 3,369
- 12,319
- 159
अब तक आपने पढ़ा कि बड़े साहब का सुन कर असलम और बाबा दोनो डर जाते है और अपनी पहली मुलाकात बड़े साहब से याद करने लगते है जिसमे उन्हें याद आता है कि उनका एक और साथी था अनवर और वो एक लड़की किसे बड़े साहब ने उठवाया था उससे प्यार करने लगता है तो लाला को भेज कर कैसे वो धोखे से उन चारों को अपने सामने बुलवा लेते है। और जब रुखसाना की आंखों की पट्टी कहती है तो उसके पहले लफ्ज़ सुन कर ये सारे हैरान रह जाते है।
अब आगे
जैसे ही रुखसाना की पट्टी खुलती है और वो बड़े साहब को देखती है तो दौड़ कर उसके पैरों में गिर जाती है और बोलती है
रुखसाना - ठाकुर साहब ये सब कौन लोग है और आप यहाँ क्या कर रहे हो। देखो ना ठाकुर साहब ये लोग मेरे प्यार को बांध के रखे है और उसे मारने की बात कर रहे है। अब आप ही बचाये हमे।
ठाकुर/बड़े साहब - अरे तू मुझे कैसे जानती है रे छोरी। मेने तो तुझे आज तक कभी नही देखा।
रुखसाना - मालिक आप मुझे कैसे देखेंगे जबकि में तो आपके इतने बड़े साम्राज्य के एक छोटे से गाओं में रहती हूं। मै तो ***** गांव में अपने माँ बाप के साथ रहती थी। कुछ हफ्तों पहले जब में स्कूल से आ रही थी तब इन लोगो ने मुझे उठा लिया था। और आपकी तस्वीर तो हमारे स्कूल में लगी हुई है तो मैने आपको पहचान लिया।
रुखसाना की बातें सुनकर ठाकुर ने लाला को घूर कर देखा तो लाला की फट गयी और वो समझगया की ठाकुर क्या कहना चाहते है। वो एक दम से बोल उठा।
लाला- मालिक मै अपनी मरी हुई माँ की कसम खा के कहता हूँ कि इस बारे में मुझे भी कुछ नही पता कि आपकी तसवीर उस स्कूल में कैसे और किसने लगाई है।
लाला की बाते सुन कर रुखसाना बोलती है
रुखसाना - लाला जी आपको कैसे पता चलेगा उस तसवीर के बारे में जबकि वो तस्वीर पिछले महीने ही अखबार से काट कर मास्टर जी ने लगाई थी सबको ये बताने के लिए की ये हमारे मालिक है जो इस पूरे इलाके के भगवान है।
इन लोगो की बात सुन कर बाबा और असलम के तो होश ही उड़े हुए थे और अनवर को एक उम्मीद की किरण नजर आ रही थी कि अब जब रुखसाना ने ठाकुर को पहचान लिया है तो शायद अब वो हमें छोड़ देगा।
ठाकुर - रुखसाना उठो और हमारे कुछ सवालों के जवाब दो और फिर तुम खुद ही बताना की हमे क्या करना चाहिए।
रुखसाना - जी पूछिये
ठाकुर - तुम ये तो मानती हो कि हम इस पूरे इलाके के भगवान है।
रुखसाना - जी
ठाकुर - तो भगवान को अपने इलाके की हर जीवित और मृत चीजो पर पहला हक होता है।
रुखसाना - जी
ठाकुर - तो तुम पर भी मेरा हक पहले है।
रुखसाना - जी, लेकिन मालिक मैं और अनवर एक दूसरे से बहुत प्यार करते है। और मैने तो सुना है कि आप बहुत नेक दिल और फरिस्ते है हम सब के लिए।
ठाकुर - वो सब तो ठीक है लेकिन जिस चीज पर मेरा हक पहले है अगर उसे कोई और लेले तो मुझे क्या करना चाहिए ये बताओ।
रुखसाना - आपको उसे दंड देने चाहिए।
ठाकुर - तो फिर जब तुम पर हमारा हक है और इस अनवर ने तुम्हे हमसे चुराने की कोशिश की है तो क्या हमें इसे सजा नही देनी चाहिए।
रुखसाना - लेकिन मालिक मै भी अनवर से प्यार करती हूं और आप तो भगवान है यहाँ के। आपसे नही मांगेंगे तो किससे मांगेंगे।
ठाकुर - हम्म्म्म ये भी ठीक कह रही हो लेकिन भगवान से कुछ मांगने से पहले उसको खुश करने के लिए कुछ चढ़ावा भी तो चढ़ाया जाता है ना।
रुखसाना - जी
ठाकुर - तो अब तुम बताओ कि अपने प्यार को पाने के लिए तुम या तुम्हारा ये आशिक़ क्या चढ़ावा दोगे मुझे।
रुखसाना - मालिक हम गरीबो के पास क्या है आपको देने के लिए। आप हमें जाने दे हम जिंदगी भर आपको और आपके परिवार को दुआ देते रहेंगे।
ठाकुर - देखो दुआएं तो हमे औरो से बहुत मिल जाती है। तो हमे तुम्हारी दुआएं नही चाहिए। चलो मै तुम्हारी कुछ मदद कर देता हूं। तुमने सुना तो होगा कि आंख के बदले आंख, सिर के बदले सिर और मांस के बदले मांस।
रुखसाना उसे हैरत से देखने लगती है और बोलती है
रुखसाना - इसका क्या मतलब हुआ मालिक में कुछ समझी नही।
ठाकुर अपनी आंखों में दुनिया भर की हैवानियत लाते हुए - जिसे तू इतनी देर से भगवान कहे जा री है ना तो सुन में कोई भगवान नही हु बल्कि एक हैवान हू। और मैंने तुझे उठवाया था कि तुझे विदेशी लोगो को बेच कर पैसे कमा सकू। अरे मेरा तो यही धंधा है कि मै लड़कियों और औरतों को उठवाता हु फिर उन्हें विदेशो के जिस्म के बाजार में बेच कर पैसा कमाता हु। लेकिन इस अनवर ने तुझे अपने प्यार के जाल में फंसा कर मेरा नुकसान कर दिया क्योंकि कुँवारी लड़कियों की विदेशी बाजार में बहुत कीमत मिलती है।
रुखसाना अपनी ही धुन में बोल पड़ती है - नही नही मालिक में अभी बिल्कुल पाक साफ हु। हमने प्यार किया है और हमारे प्यार में हवस की कोई जगह नही है।
इतना सुनते ही ठाकुर की आंखों में चमक आ जाती है। तो वो रुखसाना से बोलता है
ठाकुर - चल मान लिया कि तेरा प्यार पवित्र है। लेकिन मेरा भी तो नुकसान होगा न तुझे छोड़ देने के बाद। उसकी भरपाई कौन करेगा।
रुखसाना - आप बताओ कि आपका नुकसान कैसे पूरा होगा। मै पूरी कोशिश करूँगी उसे पूरा करने की। और कहते हुए वो खड़ी होकर ठाकुर के सामने आने कपड़े उतारने वाली होती है कि ठाकुर उसे रोक देता है और कहता है।
ठाकुर - ऐ छोरी ये क्या कर रही है। तुझे बताया न कि विदेशों में कुँवारी लड़कियों की कीमत बहुत ज्यादा मिलती है। अगर ये सब ही करना होता तो अब तक तो तेरा नंगा जिस्म मेरे आदमियों के बीच पड़ा होता। देख अगर तू चाहती है कि मै तुझे और तेरे इस आशिक को छोड़ दु तो तुझे मेरे लिए अपनी ही जैसी खूबसूरत कंवारी लड़की लानी पड़ेगी और वो भी आज शाम तक क्योंकि आज शाम को मेरा ट्रक माल लेकर निकलने वाला है। उससे पहले अगर तू एक अपनी जैसी खूबसूरत और कुँवारी लड़की ले आयी तो में तुझे और तेरे आशिक को इस बुरी दुनिया से आजाद कर दूंगा।
रुखसाना कुछ सोचते हुए - ठीक है मालिक मै ले आउंगी अपने जैसी एक खूबसूरत और कुँवारी लड़की।
ठाकुर - तेरे साथ लाला और मेरे कुछ आदमी भी जाएंगे, तू बस इशारा कर देना बाकी का काम इनका और सुन मुझसे गद्दारी करने की सोचना भी मत क्यों कि अगर तूने ऐसा कुछ सोच तो तेरा ये आशिक बे मौत मार जाएगा।
रुखसाना - नहीं नहीं मैं ऐसा सोचूंगी भी नही लेकिन तुम मेरे अनवर को छूना भी मत। ऐसा वादा करो मुझसे।
ठाकुर - ठाकुर की जुबान दी तुझे की मै या मेरे आदमी इसे छुएंगे भी नही, लेकिन ।
रुखसाना - हाँ हाँ पता है कि किसी को कुछ नही बताऊंगी और जैसी लड़की तुम चाहते हो उससे भी खूबसूरत और कुँवारी ले कर आउंगी।
और फिर रुखसाना लाला के साथ निकल जाती है।
तब ठाकुर अनवर को देखते हुए - तो अनवर मियाँ ये तो अपने लिए आजादी का सामान लेने चली गयी लेकिन तू मुझे ये बात की तुझे तेरी गुस्ताखी की क्या सज़ा दु। इतना सुन्ना था कि अनवर अन्दर तक कांप जाता है और बोलता है
अनवर - बड़े साहब रुखसाना गयी तो है हमारी आजादी की कीमत लेने। और आपने उससे वादा भी किया है कि आप और आपके आदमी मुझे हाथ भी नही लगाएंगे।
ठाकुर जोर जोर से हस्ता हुआ - अबे साले में कोई महात्मा या राजा हरिश्चन्द्र तो नही हू की अपने जाल में फसे तेरे जैसे शिकार को इतनी आसानी ही छोड़ दूंगा। रुखसाना को तो इसलिए भेज की मुझे तुम्हारे लाये जाने से पहले ही फोन आया था कि आज 2 कुँवारी लड़कियों की सख्त डिमाण्ड है और उनकी मुँह मांगी कीमत मिलेगी। तो एक तो रुखसाना हो गयी लेकिन इतनी जल्दी दूसरी लड़की कहा से लाता वो भी उसकी जैसी खूबसूरत और कुँवारी। इसलिए मैंने उसकी पट्टी खुलवा कर अपना राज़ उसके सामने बेपर्दा किया था। और वो मेरी इस चाल में फस गयी।
अनवर चिल्लाते हुए - ठाकुर तुम ऐसा नही कर सकते। तुमने अपनी ठाकुर वाली जबान दी थी कि तुम्हारा काम पूरा हो जाने के बाद तुम हम दोनों को आजाद कर दोगे।
ठाकुर - अच्छा मेने ऐसा कहा था फिर तो मुझे अपने ठाकुर वचन की लाज रखनी ही पड़ेगी। लेकिन अनवर मियां में ने ये भी तो कहा था न कि आंख के बदले आंख, सिर के बदले सिर और मांस के बदले मांस। शर्त ये है कि तूने मुुझसे मेरा मांस छिनने की कोशिश की थी तो तू मुझे अपना मांस देगा और मै तुुझे इस बुरी दुनिया से आजादी।
और इतना कहते ही अपने एक आदमी को इशारा करता है तो वो आदमी अनवर की तरफ एक लोहे की कंटिली तारो वाला हंटर फेंक देता है।
ठाकुर - अनवर जब तक रुखसाना अपनी आजादी की कीमत नही ले आती है तब तक ये हंटर तेरे शरीर से तेरी आजादी की कीमत वसूलता रहना चाहिए अगर ये रुका तो रुखसाना के आते ही ये हंटर उसके खूबसूरत जिस्म से उतनी ही देर तक उसका मांस उतरेगा। अब तू सोच ले कि ये हंटर तेरा मांस उतारे या तेरी महबूबा के कोमल जिस्म का।
ठाकुर की बात खत्म होते ही 2 आवाजे एक साथ उस गुफा में गूंज जाती है। पहली होती है उस हंटर के हवा को चीरने वाली साय की और दूसरी होती है अनवर की दर्द भरी क्योंकि उस कँटीले हंटर ने अनवर की पीठ से उस जगह से उसका मांस उतार दिया था जहाँ वो लगा था।
ये देखते ही ठाकुर के चेहरे पर हैवानियत छा गयी और वो अपनी सिंघासन जैसी कुर्सी पर बैठ जाता है और अनवर का मांस उतरते हुए देखता रहता है।
अभी आधा घंटा ही बीता था कि अनवर जमीन पर गिर जाता है क्योंकि उसकी पीठ से खून पानी की तरह बह रहा था और उसकी पीठ नीली पड़ चुकी थी। ये सब देखते हुए असलम और बाबा की तो रूह तक कांप गयी थी। वो सोचते है कि कोई इतना बेरहम कैसे हो सकता है। वो देखते है कि अनवर काँपते हुए हंटर को फिर से खुद को मारने के लिए उठता है लेकिन उठा नही पाता और फिर से गिर कर बेहोश हो जाता है।
ये देख कर ठाकुर बुरी तरह से हँसता हुआ खड़ा होता है और अपने आदमी को बोलता है
ठाकुर - अबे कितने बून्द गिराई थी हंटर पर जो ये आधा घंटा भी नही झेल पाया।
ये सुनके असलम और बाबा पहले तो एक दूसरे को आश्चर्य से देखते है फिर डरते हुए ठाकुर से पूछते है
बाबा - बड़े साहब क्या मतलब है आपका।
ठाकुर उनको देखते हुए - जिस हंटर से अनवर अपना मांस उधेड़ रहा था ना उसके काँटो में मैंने पहले ही जहर लगवा दिया था जो धीरे 2 अनवर की साँसों की डोर को तोड़ेगा लेकिन उसके पहले उसे इतना दर्द देगा कि वो दुबारा जन्म लेने से भी ये कहके मना कर देगा कि जब तक ठाकुर इस धरती पर है में नही जन्म लूंगा। और हैवानियत से भरी हँसी हँसने लगता है।
इतना सुनते ही असलम और बाबा जैसे खूंखार डाकुओं का दिल भी दहल जाता है।
ठाकुर अपने आदमी को इशारा करता है तो वो एक बाल्टी लाता है जिसमे नामक और मिर्च पाउडर मिला हुआ रखा था और वो उसे सीधा अनवर कि पीठ पर डाल देता है तो अनवर बेहोशी से भी चीखते हुए उठ जाता हैं। उसकी पूरी पीठ ऐसे जल उठी थी जैसे उस पर किसी ने तेजाब डाल दिया हो।
ठाकुर - अरे अनवर मियां बड़ी जल्दी हार मान ली तुमने तो। ये तो तुम्हारी मोहब्ब्त की परीक्षा है जिसमे हारने का मतलब है कि तुम्हारे मेहबूब को भी इसी परीक्षा से गुजरना होगा। अब तुम सोच लो कि इसे तुम ही पर करना चाहते हो या फिर इस परीक्षा के कुछ सवाल अपने मेहबूब के लिए छोड़ के जाओगे।
इतना सुनते ही अनवर का हाथ हंटर पर कसता चला जाता है और फिर से फिजाओं में हंटर के हवा को चीरने की साय साय की आवाज और उस आवाज को टक्कर देती अनवर की दर्द भरी चीखो की आवाज गूंज जाती है। जो कुछ देर गूंजती है और फिर हमेशा के लिए शांत हो जाती है क्योंकि आज फिर इस बेरहम दुनिया में एक मोहब्बत अधूरी रह गयी थी।
अब आगे क्या होगा ये मैं आप लोगो को बाद में बताऊंगा।
अब आगे
जैसे ही रुखसाना की पट्टी खुलती है और वो बड़े साहब को देखती है तो दौड़ कर उसके पैरों में गिर जाती है और बोलती है
रुखसाना - ठाकुर साहब ये सब कौन लोग है और आप यहाँ क्या कर रहे हो। देखो ना ठाकुर साहब ये लोग मेरे प्यार को बांध के रखे है और उसे मारने की बात कर रहे है। अब आप ही बचाये हमे।
ठाकुर/बड़े साहब - अरे तू मुझे कैसे जानती है रे छोरी। मेने तो तुझे आज तक कभी नही देखा।
रुखसाना - मालिक आप मुझे कैसे देखेंगे जबकि में तो आपके इतने बड़े साम्राज्य के एक छोटे से गाओं में रहती हूं। मै तो ***** गांव में अपने माँ बाप के साथ रहती थी। कुछ हफ्तों पहले जब में स्कूल से आ रही थी तब इन लोगो ने मुझे उठा लिया था। और आपकी तस्वीर तो हमारे स्कूल में लगी हुई है तो मैने आपको पहचान लिया।
रुखसाना की बातें सुनकर ठाकुर ने लाला को घूर कर देखा तो लाला की फट गयी और वो समझगया की ठाकुर क्या कहना चाहते है। वो एक दम से बोल उठा।
लाला- मालिक मै अपनी मरी हुई माँ की कसम खा के कहता हूँ कि इस बारे में मुझे भी कुछ नही पता कि आपकी तसवीर उस स्कूल में कैसे और किसने लगाई है।
लाला की बाते सुन कर रुखसाना बोलती है
रुखसाना - लाला जी आपको कैसे पता चलेगा उस तसवीर के बारे में जबकि वो तस्वीर पिछले महीने ही अखबार से काट कर मास्टर जी ने लगाई थी सबको ये बताने के लिए की ये हमारे मालिक है जो इस पूरे इलाके के भगवान है।
इन लोगो की बात सुन कर बाबा और असलम के तो होश ही उड़े हुए थे और अनवर को एक उम्मीद की किरण नजर आ रही थी कि अब जब रुखसाना ने ठाकुर को पहचान लिया है तो शायद अब वो हमें छोड़ देगा।
ठाकुर - रुखसाना उठो और हमारे कुछ सवालों के जवाब दो और फिर तुम खुद ही बताना की हमे क्या करना चाहिए।
रुखसाना - जी पूछिये
ठाकुर - तुम ये तो मानती हो कि हम इस पूरे इलाके के भगवान है।
रुखसाना - जी
ठाकुर - तो भगवान को अपने इलाके की हर जीवित और मृत चीजो पर पहला हक होता है।
रुखसाना - जी
ठाकुर - तो तुम पर भी मेरा हक पहले है।
रुखसाना - जी, लेकिन मालिक मैं और अनवर एक दूसरे से बहुत प्यार करते है। और मैने तो सुना है कि आप बहुत नेक दिल और फरिस्ते है हम सब के लिए।
ठाकुर - वो सब तो ठीक है लेकिन जिस चीज पर मेरा हक पहले है अगर उसे कोई और लेले तो मुझे क्या करना चाहिए ये बताओ।
रुखसाना - आपको उसे दंड देने चाहिए।
ठाकुर - तो फिर जब तुम पर हमारा हक है और इस अनवर ने तुम्हे हमसे चुराने की कोशिश की है तो क्या हमें इसे सजा नही देनी चाहिए।
रुखसाना - लेकिन मालिक मै भी अनवर से प्यार करती हूं और आप तो भगवान है यहाँ के। आपसे नही मांगेंगे तो किससे मांगेंगे।
ठाकुर - हम्म्म्म ये भी ठीक कह रही हो लेकिन भगवान से कुछ मांगने से पहले उसको खुश करने के लिए कुछ चढ़ावा भी तो चढ़ाया जाता है ना।
रुखसाना - जी
ठाकुर - तो अब तुम बताओ कि अपने प्यार को पाने के लिए तुम या तुम्हारा ये आशिक़ क्या चढ़ावा दोगे मुझे।
रुखसाना - मालिक हम गरीबो के पास क्या है आपको देने के लिए। आप हमें जाने दे हम जिंदगी भर आपको और आपके परिवार को दुआ देते रहेंगे।
ठाकुर - देखो दुआएं तो हमे औरो से बहुत मिल जाती है। तो हमे तुम्हारी दुआएं नही चाहिए। चलो मै तुम्हारी कुछ मदद कर देता हूं। तुमने सुना तो होगा कि आंख के बदले आंख, सिर के बदले सिर और मांस के बदले मांस।
रुखसाना उसे हैरत से देखने लगती है और बोलती है
रुखसाना - इसका क्या मतलब हुआ मालिक में कुछ समझी नही।
ठाकुर अपनी आंखों में दुनिया भर की हैवानियत लाते हुए - जिसे तू इतनी देर से भगवान कहे जा री है ना तो सुन में कोई भगवान नही हु बल्कि एक हैवान हू। और मैंने तुझे उठवाया था कि तुझे विदेशी लोगो को बेच कर पैसे कमा सकू। अरे मेरा तो यही धंधा है कि मै लड़कियों और औरतों को उठवाता हु फिर उन्हें विदेशो के जिस्म के बाजार में बेच कर पैसा कमाता हु। लेकिन इस अनवर ने तुझे अपने प्यार के जाल में फंसा कर मेरा नुकसान कर दिया क्योंकि कुँवारी लड़कियों की विदेशी बाजार में बहुत कीमत मिलती है।
रुखसाना अपनी ही धुन में बोल पड़ती है - नही नही मालिक में अभी बिल्कुल पाक साफ हु। हमने प्यार किया है और हमारे प्यार में हवस की कोई जगह नही है।
इतना सुनते ही ठाकुर की आंखों में चमक आ जाती है। तो वो रुखसाना से बोलता है
ठाकुर - चल मान लिया कि तेरा प्यार पवित्र है। लेकिन मेरा भी तो नुकसान होगा न तुझे छोड़ देने के बाद। उसकी भरपाई कौन करेगा।
रुखसाना - आप बताओ कि आपका नुकसान कैसे पूरा होगा। मै पूरी कोशिश करूँगी उसे पूरा करने की। और कहते हुए वो खड़ी होकर ठाकुर के सामने आने कपड़े उतारने वाली होती है कि ठाकुर उसे रोक देता है और कहता है।
ठाकुर - ऐ छोरी ये क्या कर रही है। तुझे बताया न कि विदेशों में कुँवारी लड़कियों की कीमत बहुत ज्यादा मिलती है। अगर ये सब ही करना होता तो अब तक तो तेरा नंगा जिस्म मेरे आदमियों के बीच पड़ा होता। देख अगर तू चाहती है कि मै तुझे और तेरे इस आशिक को छोड़ दु तो तुझे मेरे लिए अपनी ही जैसी खूबसूरत कंवारी लड़की लानी पड़ेगी और वो भी आज शाम तक क्योंकि आज शाम को मेरा ट्रक माल लेकर निकलने वाला है। उससे पहले अगर तू एक अपनी जैसी खूबसूरत और कुँवारी लड़की ले आयी तो में तुझे और तेरे आशिक को इस बुरी दुनिया से आजाद कर दूंगा।
रुखसाना कुछ सोचते हुए - ठीक है मालिक मै ले आउंगी अपने जैसी एक खूबसूरत और कुँवारी लड़की।
ठाकुर - तेरे साथ लाला और मेरे कुछ आदमी भी जाएंगे, तू बस इशारा कर देना बाकी का काम इनका और सुन मुझसे गद्दारी करने की सोचना भी मत क्यों कि अगर तूने ऐसा कुछ सोच तो तेरा ये आशिक बे मौत मार जाएगा।
रुखसाना - नहीं नहीं मैं ऐसा सोचूंगी भी नही लेकिन तुम मेरे अनवर को छूना भी मत। ऐसा वादा करो मुझसे।
ठाकुर - ठाकुर की जुबान दी तुझे की मै या मेरे आदमी इसे छुएंगे भी नही, लेकिन ।
रुखसाना - हाँ हाँ पता है कि किसी को कुछ नही बताऊंगी और जैसी लड़की तुम चाहते हो उससे भी खूबसूरत और कुँवारी ले कर आउंगी।
और फिर रुखसाना लाला के साथ निकल जाती है।
तब ठाकुर अनवर को देखते हुए - तो अनवर मियाँ ये तो अपने लिए आजादी का सामान लेने चली गयी लेकिन तू मुझे ये बात की तुझे तेरी गुस्ताखी की क्या सज़ा दु। इतना सुन्ना था कि अनवर अन्दर तक कांप जाता है और बोलता है
अनवर - बड़े साहब रुखसाना गयी तो है हमारी आजादी की कीमत लेने। और आपने उससे वादा भी किया है कि आप और आपके आदमी मुझे हाथ भी नही लगाएंगे।
ठाकुर जोर जोर से हस्ता हुआ - अबे साले में कोई महात्मा या राजा हरिश्चन्द्र तो नही हू की अपने जाल में फसे तेरे जैसे शिकार को इतनी आसानी ही छोड़ दूंगा। रुखसाना को तो इसलिए भेज की मुझे तुम्हारे लाये जाने से पहले ही फोन आया था कि आज 2 कुँवारी लड़कियों की सख्त डिमाण्ड है और उनकी मुँह मांगी कीमत मिलेगी। तो एक तो रुखसाना हो गयी लेकिन इतनी जल्दी दूसरी लड़की कहा से लाता वो भी उसकी जैसी खूबसूरत और कुँवारी। इसलिए मैंने उसकी पट्टी खुलवा कर अपना राज़ उसके सामने बेपर्दा किया था। और वो मेरी इस चाल में फस गयी।
अनवर चिल्लाते हुए - ठाकुर तुम ऐसा नही कर सकते। तुमने अपनी ठाकुर वाली जबान दी थी कि तुम्हारा काम पूरा हो जाने के बाद तुम हम दोनों को आजाद कर दोगे।
ठाकुर - अच्छा मेने ऐसा कहा था फिर तो मुझे अपने ठाकुर वचन की लाज रखनी ही पड़ेगी। लेकिन अनवर मियां में ने ये भी तो कहा था न कि आंख के बदले आंख, सिर के बदले सिर और मांस के बदले मांस। शर्त ये है कि तूने मुुझसे मेरा मांस छिनने की कोशिश की थी तो तू मुझे अपना मांस देगा और मै तुुझे इस बुरी दुनिया से आजादी।
और इतना कहते ही अपने एक आदमी को इशारा करता है तो वो आदमी अनवर की तरफ एक लोहे की कंटिली तारो वाला हंटर फेंक देता है।
ठाकुर - अनवर जब तक रुखसाना अपनी आजादी की कीमत नही ले आती है तब तक ये हंटर तेरे शरीर से तेरी आजादी की कीमत वसूलता रहना चाहिए अगर ये रुका तो रुखसाना के आते ही ये हंटर उसके खूबसूरत जिस्म से उतनी ही देर तक उसका मांस उतरेगा। अब तू सोच ले कि ये हंटर तेरा मांस उतारे या तेरी महबूबा के कोमल जिस्म का।
ठाकुर की बात खत्म होते ही 2 आवाजे एक साथ उस गुफा में गूंज जाती है। पहली होती है उस हंटर के हवा को चीरने वाली साय की और दूसरी होती है अनवर की दर्द भरी क्योंकि उस कँटीले हंटर ने अनवर की पीठ से उस जगह से उसका मांस उतार दिया था जहाँ वो लगा था।
ये देखते ही ठाकुर के चेहरे पर हैवानियत छा गयी और वो अपनी सिंघासन जैसी कुर्सी पर बैठ जाता है और अनवर का मांस उतरते हुए देखता रहता है।
अभी आधा घंटा ही बीता था कि अनवर जमीन पर गिर जाता है क्योंकि उसकी पीठ से खून पानी की तरह बह रहा था और उसकी पीठ नीली पड़ चुकी थी। ये सब देखते हुए असलम और बाबा की तो रूह तक कांप गयी थी। वो सोचते है कि कोई इतना बेरहम कैसे हो सकता है। वो देखते है कि अनवर काँपते हुए हंटर को फिर से खुद को मारने के लिए उठता है लेकिन उठा नही पाता और फिर से गिर कर बेहोश हो जाता है।
ये देख कर ठाकुर बुरी तरह से हँसता हुआ खड़ा होता है और अपने आदमी को बोलता है
ठाकुर - अबे कितने बून्द गिराई थी हंटर पर जो ये आधा घंटा भी नही झेल पाया।
ये सुनके असलम और बाबा पहले तो एक दूसरे को आश्चर्य से देखते है फिर डरते हुए ठाकुर से पूछते है
बाबा - बड़े साहब क्या मतलब है आपका।
ठाकुर उनको देखते हुए - जिस हंटर से अनवर अपना मांस उधेड़ रहा था ना उसके काँटो में मैंने पहले ही जहर लगवा दिया था जो धीरे 2 अनवर की साँसों की डोर को तोड़ेगा लेकिन उसके पहले उसे इतना दर्द देगा कि वो दुबारा जन्म लेने से भी ये कहके मना कर देगा कि जब तक ठाकुर इस धरती पर है में नही जन्म लूंगा। और हैवानियत से भरी हँसी हँसने लगता है।
इतना सुनते ही असलम और बाबा जैसे खूंखार डाकुओं का दिल भी दहल जाता है।
ठाकुर अपने आदमी को इशारा करता है तो वो एक बाल्टी लाता है जिसमे नामक और मिर्च पाउडर मिला हुआ रखा था और वो उसे सीधा अनवर कि पीठ पर डाल देता है तो अनवर बेहोशी से भी चीखते हुए उठ जाता हैं। उसकी पूरी पीठ ऐसे जल उठी थी जैसे उस पर किसी ने तेजाब डाल दिया हो।
ठाकुर - अरे अनवर मियां बड़ी जल्दी हार मान ली तुमने तो। ये तो तुम्हारी मोहब्ब्त की परीक्षा है जिसमे हारने का मतलब है कि तुम्हारे मेहबूब को भी इसी परीक्षा से गुजरना होगा। अब तुम सोच लो कि इसे तुम ही पर करना चाहते हो या फिर इस परीक्षा के कुछ सवाल अपने मेहबूब के लिए छोड़ के जाओगे।
इतना सुनते ही अनवर का हाथ हंटर पर कसता चला जाता है और फिर से फिजाओं में हंटर के हवा को चीरने की साय साय की आवाज और उस आवाज को टक्कर देती अनवर की दर्द भरी चीखो की आवाज गूंज जाती है। जो कुछ देर गूंजती है और फिर हमेशा के लिए शांत हो जाती है क्योंकि आज फिर इस बेरहम दुनिया में एक मोहब्बत अधूरी रह गयी थी।
अब आगे क्या होगा ये मैं आप लोगो को बाद में बताऊंगा।