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Incest दीदी और बीबी

kumarrajnish

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दीदी-मुझे लगा तू सो गया होगा इसलिए मेने कपड़े भी चेंज कर लिए लेकिन तू तो जाग रहा है अभी सोना नही है क्या?

मे- नींद नही आ रही है आपको सोना है क्या?

दीदी-नींद तो मुझे भी नही आ रही.

मे-तो बैठो ना बातें करते हैं.

दीदी-ठीक है.लेकिन में पहले कपड़े पहेन लेती हूँ कुछ.मुझे लगा में सोने चली जाउन्गी निकाल के इसलिए अपने कपड़े उतार दिए थे.लेकिन अब बातें करनी हैं तो में पहले कपड़े पहन लेती हूँ.

मे-अभी तो बड़ा मुझसे कह रही थी कि में बोल्ड नही हूँ अब खुद को क्या हुआ?रहने दो. कुछ पहनने की ज़रूरत नही है आप आराम से बैठो.

दीदी-ठीक है लेकिन हम बात क्या करेंगे.

मे-कुछ भी जो आप कहो.

दीदी-मुझे क्या पता तू बता

मे- अर्रे में कोई मीटिंग थोड़ी ना करने आया हूँ कि मुझे पता हो क्या बात करनी है बस बैठो मेरे साथ.

दीदी-ठीक है तू अपना सुना कुछ

मे-क्या सुनाऊ?

दीदी-ह्म्म बता तुझे हीरोइन कौन सी पसंद है?

मे-आएशा तकिया.

दीदी-क्यूँ?

मे-अच्छी हीरोइन है अच्छी आक्टिंग करती है.

दीदी-चल झूठा. मुझे पता है तुझे क्यूँ अच्छी लगती है वो.

मे- अच्छा? तो बताओ.

दीदी-उसके बड़े बड़े हैं इसलिए.

मे-नही नही. ऐसा नही है.

दीदी-किसी और को चलाना मुझे नही. में जानती हूँ मर्दों को सबको बड़े बड़े वाली ही अच्छी लगती है. जिनके छोटे होते हैं वो औरत नही होती क्या? तेरा जीजा मेरा मर्द उसका भी यही हाल था उसे में भी नही पसंद आती थी.

मे-लेकिन आपके तो

दीदी-हां मेरे बड़े हैं लेकिन उसके हिसाब से नही उसे तो और बड़े बड़े चाहिए थे साला हराम का जना मुझे ऐसे ताने मारता था कि में बता नही सकती.

मे-दीदी यह सब गालियाँ कहाँ से सीख ली?

दीदी- मुझे सब पता है रे मेने भी बड़ी जिंदगी देखी है.

मे-क्या इसीलिए आप दोनो का डाइवोर्स हो गया?

दीदी- नही रे उसकी तो कुछ और ही वजह थी लेकिन तू उसके बारे में मत पूछ में अभी उंगली कर के आई हूँ मेरा मूड ठीक है इसी मूड में मुझे सोने जाने दे वरना बेकार में मूड ऑफ हो गया तो फिर सारी रात रोती रहूंगी.

दीदी उठी में कुछ कह भी नही पाया मुझे लगा मेने ग़लत टॉपिक उठा दिया तो मुझे भी थोड़ा गिल्ट फील हो रहा था मेने उन्हें रोका नही वो सोने चली गयी नेक्स्ट डे में ठीक मूड में था. अब मुझे अपनी बीवी को ना चोद पाने की जलन कुछ कम हो गयी थी. तो मेने सोचा अपने साले की कुछ खातिरदारी कर दी जाए. उसे शहर दिखाया.

उसके लिए कुछ शॉपिंग की.उसे अच्छे होटल में खाना खिलाया में यह सोच रहा था कि आज रात की गाड़ी से वापिस चला जाएगा. तो शाम तक में उसे और स्वेता को लेकर मार्केट में रहा. राजीव बहुत खुश था उसे बहुत अच्छा लगा यहाँ आ के. स्वेता भी मुझसे बहुत खुश हो गयी कि में उसके भाई का इतना ख्याल रख रहा हूँ आँखों ही आँखों में हमने इशारे कर लिए कि आज रात तो हम अपना बेड तोड़ ही देंगे लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था.

शाम को जब हम मार्केट से वापिस लौटे तो स्वेता ने राजीव की जाने की तैयारी शुरू कर दी. राजीव थोड़ा उदास सा बैठा था फिर बोला कि दीदी मैं कुछ दिन और यहाँ रुक जाउ क्या? मुझे बहुत अच्छा लग रहा है प्लीज़ मुझे अभी घर जाने का मन नही कर रहा उसकी यह बात सुन के मेरे मन में आया कि उसे उठा के पटक दूं फर्श पर साला तो चिपक ही गया मुझे क्या पता था कि मेरी खातिरदारी उसे इतनी पसंद आ जाएगी और इस बार तो स्वेता ने भी थोड़ी प्राब्लम महसूस की.

उसकी भी चूत ने खलबली मचाई हुई थी और उसे भी यह उम्मीद नही थी कि उसका भाई और दिन रुक सकता है. तो उसे भी थोड़ा फ्रस्ट्रेशन हुआ लेकिन वो कुछ बोली नही इतने में माँ ने अंदर से आवाज़ दी राजीव को जब तक यहाँ रहना है वो रहेगा.और तुम दोनो मियाँ बीवी मिलके बहुत खातिरदारी करो उसकी. तेरा साला है वो उसका अच्छे से ख्याल रख उसे घुमाने ले जा उसे घर मत भेज इतनी जल्दी. समझ गये दोनो लोग?

अब तो कोई और रास्ता ही नही था अब तो राजीव को कोई निकाल सकता था माँ ने कह दिया माँ की बात फाइनल हो गयी. मुझे अपने साले से कोई दिक्कत नही थी. हम दोनो की अच्छी बनती थी लेकिन अगेर भूखे लंड को चूत ना मिले तो फिर रिश्तेदारी निभाना ज़रा मुश्किल हो जाता है. स्वेता भी अपने भाई से बहुत प्यार करती थी लेकिन उसे भी चुदाई का चस्का था वो तो कुछ नही बोली ना ही मेने कुछ कहा
 

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राजीव फिर से खुश हो गया और मेरे साथ आ के बीत गया और मुझे अपने . की बातें बताने लगा. थोड़ी देर तक तो में खीजा हुआ था लेकिन फिर मेने सोचा कि अब यह यहाँ हैं तो इसके सामने कोई ड्रामा ना ही किया जाए तो बेहतर है.तो में भी उसकी बातों को इंटेरेस्ट ले के सुनने लगा. थोड़ी देर में दीदी घर आई.

राजीव ने उन्हें अपने दिन भर की बात बताई पूरी शॉपिंग दिखाई और फिर कहा कि वो कुछ दिन और रहेगा. दीदी ने मुझे देखा फिर स्वेता को देखा कुछ नही बोली अपने रूम में चली गयी. थोड़ी देर बाद उन्होने स्वेता को अपने रूम में आने को कहा. दोनो अंदर ही करीब 30 मिनट तक बात करती रही फिर स्वेता बाहर आई तो दीदी ने मुझे अंदर बुलाया.

मे-हां दीदी बोलो?

दीदी-तू नाराज़ है राजीव से? वो खुश है बहुत.और कुछ दिन रहेगा अब तू क्या करेगा?

मे-पता नही दीदी. उससे नाराज़ भी नही हूँ छोटा सा बच्चा तो है खुश है हमारे साथ तो उसे भागने को कह भी नही सकता लेकिन बीवी से दूरी भी नही सही जाती. स्वेता भी चाहती थी कि आज रात को हम साथ रहें.

दीदी-हां पता है वो भी यही कह रही थी. लेकिन अब देख राजीव यहाँ है तो तुम दोनो एक साथ नही सो सकते. तो तुम राजीव को मेरे रूम में भेज दो वो माँ के साथ बेड पे सो जाएगा में बाहर सोफे पे सो . फिर तू स्वेता के साथ सो सकता है.

मे-अर्रे नही आप यहाँ आराम से सो जाओ राजीव को उसकी दीदी के साथ ही सोने देते हैं. उसे भी यहाँ आपके और माँ के बीच शायद अच्छा ना लगे.

दीदी- तो फिर तू क्या करेगा?

मे-वोही जो इतने दिनो से करता आया हूँ.कुछ दिन और कर लूँगा सोच लूँगा कि स्वेता अभी नही आई है.

दीदी- स्वेता तुझसे बहुत खुश है कि तू उसके भाई का इतना ख्याल रख रहा है यही मौका है जीत ले उसका दिल उसकी जवानी तो तूने जीत ही ली है. अब उसके दिल भी जीत ले जब औरत तन और मन से किसी मर्द को स्वामी स्वीकार कर लेती है तो उसे बहुत सुख देती है तू भी स्वेता के मन का स्वामी बन जा और राजीव की खूब खातिरदारी कर.

मे-हां दीदी कल आपसे बात कर के मेरा मूड ठीक हुआ था मेने भी सोचा कि ना तो स्वेता के छेद बंद हो रहा है ना ही मेरा डंडा कहीं भागा जा रहा है तो कुछ दिन सबर कर लेने में कोई बुराई नही है.

दीदी-ह्म्म देखा मुझसे बात करने का फ़ायदा चल अब में कुछ काम कर लेती हूँ तू राजीव के पास बैठ रात में जब नींद नही आएगी तो हम दोनो साथ में बात करेंगे में दीदी के रूम से बाहर आया और राजीव के साथ खेलने लगा. स्वेता मुझे थोड़ी सॅड दिख रही थी तो में उसके पास गया और धीरे से उससे बोला तेरा भाई घर आया है पहले उसका स्वागत कर लें ठीक से फिर अपनी चुदाई तो जिंदगी भर चलती रहेगी तू दुखी मत हो में तुझसे या राजीव से नाराज़ नही हूँ.

रात में सब लोग खाना खाने के बाद अपने अपने रूम में चले गये. में बाहर सोफे पे लेट गया और टीवी ऑन कर दी. आज मेरा लंड भी कल जैसे तूफान नही मचा रहा था. मुझे पता था कि अब चुदाई करने का कोई चान्स नही है करीब 2 घंटे बीत गये. में यह उम्मीद कर रहा था की दीदी आ जाएगी तो बैठेगी मेरे साथ उनसे बातें करूँगा लेकिन वो भी अभी तक नही आई थी. मुझे थोड़ी थोड़ी नींद आने लगी थी कि तभी स्वेता ने अपने रूम का गेट खोला और बाहर आई.

मेने उसे देखा लेकिन सोचा कि पानी पीने आई होगी या मूतने आई होगी लेकिन वो धीरे धीरे चल के मेर पास आई और बिना कुछ कहे सीधे मेरे लंड पे हाथ लगा के बोली जल्दी खड़ा करो इसे और बाथरूम में आ जाओ. मुझे तो जन्नत मिल गयी लंड भी एक सेकेंड में पूरा खड़ा होके तैयार हो गया चूत के लिए मेने बिना देर किए बाथरूम में एंट्री की तो स्वेता ने पहले ही अपनी साड़ी और पेटिकोट कमर तक उठा लिए थे गान्ड औट चूत दोनो नंगी थी.

मेने देखा कि उसकी चूत से तेल टपक रहा था वो पूरी रेडी हो के आई थी मेरी तो खुशी का ठिकाना नही था मेने बाथरूम का गेट बंद किया वो दीवार से टिक के खड़ी हो गयी मेने उसकी एक टाँग उठाई और अपने हाथ में ले ली अब उसकी चूत थोड़ी खुल गयी में उसके सामने आया थोड़ा सा झुका लंड निशाने पे लगाया और एक जोरदार धक्का मारा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ आधा अंदर घुस गया उसने अपनी चीख रोकने के लिए अपने होंठ दबा लिए थे मेने बिना परवाह किए उसी पोज़ में धक्का लगाना शुरू रखा अभी तक लंड पूरा अंदर नही था मेने सोचा कि इतने में ही काम चला लिया जाए बाथरूम छोटा सा ही था और उसमे भी बाल्टी और बाकी सब समान रखा हुआ था तो हमारे पास ज़्यादा ऑप्षन भी नही थे मेने उसी पोज़ में उसे धक्के लगाए

वो मुझसे चिपक गयी मेरी सीने में उसकी चुचि घुसी जा रही थी और में उसकी एक टाँग अपने हाथ में उठाए दना दन पेल रहा था मुझे लगा कि में कम कम 20 मिनट तो चोदुन्गा ही लेकिन ऐसा हुआ नही और 5 मिनिट्स में ही मेरा झड गया मुझे थोड़ा सॅड फील हुआ लेकिन अभी भी लंड बैठा नही था पूरा कड़क था मेने जैसे ही फिर से चुदाई शुरू की तो उसने भी साथ दिया मेरे होंठों को उसने चाटना शुरू कर दिया मेरा लंड फिर तूफ़ानी हो गया बड़ा ही मजेदार सीन था हम दोनो भूल गये थे कि और कोई हमें सुन सकता है.

में बस उसे पेल रहा था और वो आराम से अपनी चूत में मुझे ज़्यादा से ज़्यादा घुसेडवा रही थी करीब 20 मिनिट्स की अगली चुदाई के बाद मैं फिर से झड्ने को हुआ तो उसने मुझे ज़ोर से जकड लिया और मुझसे पूरी चिपक गयी हम ने एक और मजेदार ऑर्गॅज़म फील किया.

फिर मेने उसे देखा तो वो मुस्कुरा दी बोली कि मुझसे आपकी जुदाई भी बर्दास्त नही होती और आपकी चुदाई भी बर्दास्त नही होती मुझे तो मज़ा आ गया मेरी प्यास आज रात के लिए तो बुझ गयी आपको भी खुशी हुई ना? सॅटिस्फॅक्षन हुआ ना?

मेने हां कहा और फिर से उसकी टाँग को अपनी हाथ मे लेना चाहा तो उसने मना कर दिया बोली कि अब बस. आज के लिए इतना ही अब तो हम रोज रात को जब तक राजीव यहाँ हैं बाथरूम में ही अपनी जवानी का रस चखेंगे मेने मान ली उसकी बात.

उसने अपने कपड़े ठीक किए और धीरे से गेट खोला और सीधे अपने रूम में चली गयी मेने बाथरूम का डोर बंद किया और अपना लंड सॉफ करने लगा उसमे उसकी चूत का रस लगा हुआ था मेने अपना लंड धोया फिर मूता और फिर मुँह हाथ धोकर खुशी खुशी बाथरूम का डोर खोला और अपने सोफे की तरफ चल दिया. हॉल की लाइट मेने बंद कर दी थी इसलिए जब सोफे के एकदम पास आ गया तब पता चला कि सोफे पे कोई है तभी सोफे के पास वाला ज़ीरो वॉट का बल्ब जला.
और मेने देखा कि दीदी सोफे पे टाँगें फैला के बैठी हुई थी मुझे देख के हंस दी और उसी पोज़ में बैठी रही उसने वही ब्रा और लूज़ पेटिकोट वाली अपनी नाइट की स्पेशल ड्रेस पहनी हुई थी और उसका पेटिकोट भी जांघों तक उठा हुआ था.


उसका ब्रा काफ़ी डीप कट था और मुझे उसमे से उसके आधे से भी ज़्यादा दूध दिख रहे थे भरे पूरे बड़े बड़े दूध मेरा लंड सलामी देने को तैयार था लेकिन मेने कंट्रोल लिया में अभी सोफे के पास खड़ा ही था कि दीदी बोली
दीदी-तुम दोनो ने आख़िर खाट कबड्डी खेल ही ली और अब तू सोना चाहता है लेकिन मुझे नींद नही आ रही है तो तू बैठ और मुझसे बात कर या कहीं ऐसा तो नही कि आज बीवी ने तुझे दे दी तो अब दीदी नही चाहिए? ऐसा हो तो बोल दे

मे-नही दीदी में तो वेट कर रहा था आपका कि आप आओगी लेकिन आप आई नही.

दीदी-कहाँ वेट कर रहा था? बाथरूम में? में वहाँ क्यूँ आती? वहाँ तो तू और स्वेता धूम मचा रहे थे.

मे-वो मेने कुछ नही किया स्वेता खुद ही आई थी.

दीदी-पता है मेने कब तुझे कुछ कहा. वैसे भी जब औरत गरम होती है तो वो मर्द से ज़्यादा डेरिंग हो जाती है और फिर ऐसी लड़की जो नयी नयी औरत बनी हो उसके लिए तो गर्मी बर्दास्त करना बहुत मुश्किल है.

मे-जो भी आप ठीक समझो

दीदी-हां हां आज तो तेरे बोल ही बदले हुए हैं मेरे बोल तो तुझे बड़े चुभ रहे होंगे.

मे-क्या दीदी आप भी ना ऐसा कुछ नही है में क्या बोलूं.

दीदी-मेरा मन तो किया कि आके बाथरूम पे नॉक करूँ और तुमसे कहूँ कि गेट खोलो फिर मेने सोचा अभी इसके लिए बहुत टाइम है में फिर कभी देख लूँगी अभी तो इन्हें प्यास बुझाने दो. समझा मुझे थॅंक्स बोल.

मे-क्या देखना था आपको? और किस बात का थॅंक्स?

दीदी- अर्रे अगर मैं गेट पे नॉक करती तो तुझे मज़ा थोड़ी ना आता उसकी लेने में इसीलिए मेने नॉक नही किया जिससे तू उसकी आराम से ले ले लेकिन मेरा मन ज़रूर कर रहा था देखने का.

मे-क्या दीदी? आपको यह देखना था कि मैं कैसे उसकी ले रहा था?

दीदी-क्यूँ? तुझे इसमे कोई प्राब्लम है क्या? तुझे नही दिखाना तो मत दिखा में पिक्चर में देख लूँगी आजकल तो यह लेने देने वाली मूवीस की सीडी बड़े आराम से मिलती है.

मे- दीदी आप भी ना जब देखो मज़ाक मज़ाक करती रहती हो पानी पिओगी? मैं पानी ले के आता हूँ.

दीदी-हां ले आ थोड़ी गर्मी तो कम हो मेरी. और जा के स्वेता के रूम का गेट बंद कर दे बाहर से.

मे-क्यूँ? गेट क्यूँ बंद करना है?

दीदी- कर दे ना जो कह रही हूँ.ज़्यादा बात मत पूछ.कर दे चुपचाप.

मेने गेट बंद कर दिया और एक गिलास पानी खुद पिया और एक दीदी को दिया. में हॉल में आया तो दीदी ने कहा कि मेरे साथ इसी सोफे पे आ जा. वो थोड़ा उठी और में उसके पैर वाली साइड पे बैठ गया वो फिर से लेटी और उसने अपने
पैर मेरे गोदी में रख लिए ये बड़ा ही सेक्सी पोज़ था मेरी जांघों पे उसके पैर थे बाकी बदन सोफे पर था और उसने पेटिकोट आधा उठाया हुआ था में उसकी साइड देख रहा था और और अगर वो अपना पैर उठाती तो मुझे पेटिकोट के अंदर का सीन सॉफ दिख जाता तो मेरे लंड ने फिर से सलामी देनी शुरू कर दी
 

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दीदी के पैरों में लंड टच तो हुआ लेकिन दीदी ने कुछ कहा नही और कुछ किया भी नही हमारी बातें चलती रहीं. दीदी बड़े आराम से इसी पोज़ में लेटी रही उसके ब्रा से उसकी चुचियाँ बाहर निकलने को बेताब हो रही थी उसने छुपाया भी नही उसका पूरा पेट नंगा था.

मेरे सामने उसकी चूत के सिवा सब कुछ ऑलमोस्ट खुला हुआ ही था हम लोग काफ़ी देर तक इधर उधर की बात करते रहे फिर दीदी उठी और बोली कि में सोने जा रही हूँ वो उठी और अपने रूम में चली गयी में थोड़ी देर उसी कोने पे बैठा रहा फिर जबसोफे पे लेटा तो पीठ पे कुछ गढ़ता सा फील हुआ.

मेने उठ के देखा तो नीचे सोफे पे एक पैंटी पड़ी हुई थी दीदी की पैंटी थी दीदी रात में पैंटी नही पहनती थी लेकिन में श्योर नही था कि उसने यह पैंटी यहाँ रखी है या ग़लती से भूल गयी है मेने पैंटी हाथ में ली थोड़ी देर ऐसे ही लिए बैठा रहा फिर वो पैंटी मेने अपनी अंडरवेर के अंदर डाल ली.

दीदी की पैंटी मेरे लंड के उपर पड़ी हुई थी में भी थोड़ी देर में सो गया अगले कुछ दिन ऐसे ही बीते राजीव के साथ हमने बहुत अच्छा टाइम स्पेंड किया. और स्वेता रोज रात में टाइम निकाल के आ जाती थी में उसे बाथरूम में चोदता कभी किचन में चोदता हर रात में उसे 2 बार चोद तो लेता था लेकिन प्राब्लम इस बात की थी कि हमें हमेशा जल्दबाज़ी में काम करना पड़ता था वो आती अपनी साड़ी उठाती और में सीधे लंड घुसेड देता हम चुदाई कर तो रहे थे लेकिन इसका मज़ा अच्छे से नही आ पा रहा था.

दीदी भी लगभग रोज ही हमारी चुदाई के बाद स्वेता के अंदर जाते ही बाहर आ जाती थी मुझे इस बात का भी शक था कि शायद वो हमें छुप छुप के देखती भी है स्वेता को इसके बारे में नही मालूम था कि में और दीदी रात में बातें करते हैं.

दीदी हमेशा ही उसके रूम का गेट बंद कर देती थी करीब 7 दिन बाद राजीव के जाने का टाइम आ ही गया. उसे भेजने के बाद हम लोग घर आए तो दीदी ने मेरे सामने ही स्वेता को आयिल की एक नयी बॉटल दी. स्वेता को लेकर में रूम में आया और उस रात हमने सही ढ़ंग से चुदाई की.

स्वेता अब मज़े से चुद लेती थी बस लंड पूरा डालने के बाद उसे धक्के धीर धीरे मारने पड़ते थे. जोरदर्द धक्कों से उसे अभी भी दर्द होता था लाइफ में सबकुछ सेट्ल लग रहा था. मेने रात में उठ कर दीदी से बात करना भी बंद कर दिया था रात भर तो मैं स्वेता के उपर ही पड़ा रहता था.

करीब 10 दिनो बाद एक नयी बात हुई माँ जो कि इतने दीनो से सेहत से जूझ रही थी उस दिन मुझसे बोली की अब वो बिना देर किए कुछ तीर्थ दर्शन करना चाहती है. और मेने भी सोचा कि ठीक है इनकी इच्छा है तो मना नही किया जाए.

दीदी को यही बात बताई.वो भी खुश हुईं लेकिन प्राब्लम इस बात की थी ट्रिप कैसे की जाए. मुझे ऑफीस छुट्टी नही मिली दीदी अगर छुट्टी लेती तो इससे हमारी इनकम कम पड़ जाती और ट्रिप बहुत महँगी पड़ती ट्रिप थी भी लंबी.

करीब 21 दिन की ट्रिप थी 4 धाम का एक टूर जा रहा था लेकिन माँ को अकेले भेजना ठीक ना था

में और दीदी अपने अपने जॉब में फँसे थे इसलिए अकेली बची स्वेता. और दीदी ने कहा कि स्वेता माँ के साथ ट्रिप पे जाए.

स्वेता माँ से और माँ स्वेता से बहुत प्यार करते थे और भोली भाली स्वेता ने तुरंत हां कर दी कि वो माँ के साथ जाएगी वो तो इनफॅक्ट बहुत खुश भी थी.मेने भी सोचा कि ठीक है. लेकिन इसका दूसरा मतलब यह था कि में और दीदी घर में 21 दिनो तक अकेले रहेंगे. मुझे चूत नही मिलेगी चोदने को और दीदी तो हमेशा से ही गरम है ही.

एक बार तो मेरा मन किया कि में स्वेता को रोक के दीदी को ट्रिप पे भेज दूं लेकिन फाइनान्षियल रीज़न के कारण यह पासिबल नही था.

तो यह फ़ैसला लिया गया कि स्वेता ही माँ के साथ जाएगी. अगले दिन ही टूर जाने वाला था और स्वेता और माँ की पॅकिंग कर दी गयी. अगले दिन में दोनो को गाड़ी में बिठा आया.

रास्ते में मेरे दिमाग़ थोडी शंका हुई थी. मुझे ना जाने क्यूँ दीदी के साथ उस घर में अकेले रहने में थोड़ी प्राब्लम हो रही थी में सोच भी नही पा रहा था कि क्या क्या होने वाला है मुझे पता था कि दीदी इस आज़ादी का पूरा फ़ायदा उठाएगी.

में यह भी जानता था कि वो मेरे सामने कुछ भी कर सकती है वो मुझे भी उकसाने की पूरी कोशिश करेगी लेकिन डाइरेक्ट्ली नही कहेगी. तो अब उसकी ऑर से खुल्ला खेल होने वाला था मुझे सेक्स के लिए तड़पाने का . सवाल यह था कि में क्या करूँ?
 
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