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Incest दीवाना चुत का

Yamraaj

Put your Attitude on my Dick......
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प्रीति :इसका मतलब तू बहुत दिनों से उसका लण्ड ले रही है और हमे आज बता रही है।
चम्पा : माफी दे दो मालकिन क्या करूँ डरती थी।
अमृता :ठीक है एक बार उसे हमसे मिला दे बाकी हम देख लेंगे।
चम्पा : मालकिन आज भोला गया था उसके बाप के पास पैसे के लिए कल हो सके तो वह खुद आ जाये।
अब आगे
इधर मैं बापू से बात करने के बाद मैं घर की तरफ चल दिया क्यूंकि मुझे जल्दी से बैंक जल्दी से पैसे निकाल कर लाना था लेकिन रास्ते में बड़े पापा की बड़ी लड़की कविता मिल गयी जो कि खेत से बड़े पापा को खाना देकर वापस आ रही थी ।हम दोनों लोग का खेत एकदम एक साथ है तो वही से मिल गयी ।वह मुझसे 3 शाल बड़ी थी और मुझे आते हुए देख कर रुक गयी ।जब मैं उनके पास पहुंचा तो उन्होंने मुझसे बोला कि
कविता दी : क्या बात है जय आज बहुत जल्दी घर वापस जा रहे हो कुछ काम है क्या।
पूरे घर मे एक यही थी जिनको देखकर ही मेरी गांड फट जाती थी क्यूंकि इनको गुस्सा बहुत जल्दी आता है मैंने धीरे से बोला कि
मैं :नही दीदी आज थोड़ा सहर जाना है बैंक में कुछ काम है इसलिये जा रहा हु और कोई बात नही है ।
कविता दी : ओह तो यह बात मैं समझी की आज फिर कही गटर में मुह मारने जा रहा है ।
मैं दी कि बात समझ गया क्यूंकि वह पहले मुझसे काफी प्यार से बात करती थी लेकिन जबसे मैं गांव के लड़कियों और औरतों के चक्कर मे पड़ा तबसे ही यह मुझसे खफा रहने लगी ।ऐसी बात नही थी इन्होंने समझाया नही लेकिन कहते है ना जब जवान होते लड़के को चुत मिल जाये तो वह किसी की भी नही सुनता और वही मेरे साथ हुआ ।मैंने भी इनकी बातों को नजरअंदाज करके आगे बढ़ता गया और नतीजा यह हुआ कि जो दीदी मुझे दुनिया भर का प्यार करती थी ।आज वह मुझसे सीधे मुह बात नही करती थी ।
अभी मैं इन्ही सब सोचो में गुम था कि कविता दी मुझे हिलाती हुई बोली कि
कविता दी : क्या बात कंहा खो गया ।दिन में जागे हुए ही सपना देखने लगा क्या
मैं : नही दी ऐसी बात नही है मैं किसी और के बारे में नही बल्कि आपके बारे में सोच रहा था।
कविता : क्यों गांव में कमी पड़ गयी क्या जो अब बहनों को भी नही छोड़ेगा।( अरे पागल जब मैं प्यार के बारे में जानती भी नही थी तबसे तुझसे प्यार करती हूं तू छोटा था तो चाची को छोड़ कर किसी भी लड़की या औरत को तुझे छूने तक नही देती थी चाहे वह तेरी सगी बहन ही क्यों ना हो अगर तू आज भी सब छोड़ दे मैं तुझे दुनिया की हर खुसी दूँगी।)
मैं :नही दी मैं आपके बारे में ऐसा सोचु इससे पहले मैं अपनी जान दे दूंगा लेकिन आपकी तरफ ऐसे नही देख सकता हु ।
यह सच भी था कि मैं कविता दी के सामने कभी भी गलत नही सोच सका चाहे वह किसी भी हालत में रही हो।
मैं :दी अगर मुझसे कोई गलती हो गयी हो तो माफ कर दो लेकिन अब आपकी नाराजगी नही झेली जाती ।
इतना बोल कर मैं वँहा से चल पड़ा क्यूंकि अब मेरे आंखों से अंशु रुकने का नाम नही ले रहे थे और मैं नही चाहता था कि वह मेरी अंशुओ को देखे लेकिन शायद उनका प्यार मुझसे भी कई गुना ज्यादा था इसलिए वह जान गई और दौड़ कर मुझे पकड़ ली और अपनी तरफ घुमाते हुए मुझे 1 झापड़ मारी और फिर मुझे गले लगा लिया और बोली कि
कविता दी :आखिर में तू ऐसा क्यों करता है कि मुझे तुझपर गुस्सा आजाता है और यह क्या लड़कियों की तरह रोने लगा कोई देखेगा तो क्या कहेगा कि इतना पहलवान की तरह सरीर है और लड़कियों की तरह रोता है।
मैं :दी मैं जान बूझ कर नही रोया बस आज आपको इस तरह मिला और आपकी नाराजगी के बारे में सोच कर मुझे रोना आ गया नही तो मैं इतना कमजोर नही की कोई मुझे रुला सके।वह तो बस आपके प्यार के कारण मैं कमजोर पड़ जाता हूं।
कविता दी : तो वापस आ जा मेरे भाई देख आज भी मैं वही खड़ी हु तेरे इन्तजार में मुझसे भी अब तेरी यह जुदाई सही नही जाती है।
मैं :दी मैं अभी जाना चाहता हु लेट हो रहा है सहर में बहुत जरूरी काम है शाम को आपसे मिलूंगा।
कविता दी : नही रे आज तो मैं तुझे नही छोड़ने वाली कही फिर से तू भाग ना जाये।आज तो पूरा दिन मैं तेरे साथ ही रहूंगी।
मैं :ऐसा कैसे हो सकता है दी आज सहर जाना जरूरी है ।मैं घर पर नही रह सकता ।
कविता दी: अरे पागल मैंने यह कहा कि आज तझे अकेला नही छोडूंगी यह थोड़ी बोली कि तुझे घर पर रोक रही हु चल जल्दी से तैयार हो कर गाड़ी लेकर आजा घर पर मैं भी चलूंगी।
इसके बाद मैं और कविता दी दोनों एक साथ घर की तरफ चल दिये दीदी ने मेरा हाथ अपने हाथों में पकड़ रखा था मानो अगर उन्होंने छोड़ा तो मैं कही भाग ना जाऊ।पूरे रास्ते जितने लोग भी मिले सभी आश्चर्य से देख रहे थे क्यूंकि आज कविता दी इस तरह से मेरे साथ बहुत समय बाद चल रही थी ।सबसे ज्यादा तो बड़ी माँ को आश्चर्य हुआ और वह अपनी छोटी बेटी से बोलती है कि
बड़ी माँ :ज्योति क्या मैं जो देख रही वह सच है ।
ज्योती :हा माँ यकीन करना तो मुश्किल हो रहा है लेकिन जो आंखों से देख रहे है उसे झूठ कैसे बोल सकते है।
ब माँ :लेकिन यह चमत्कार हुआ कैसे आज इतने सालों बाद।
ज्योति :माँ वह तो पता नही लेकिन देखो दी आज कितना खुश लग रही है आज उनके चहेरे पर जो मुस्कान है वह झूठी नही बल्कि दिल से निकली हुई है।
ब माँ : चाहे कारण जो भी हो बस मेरी बेटी खुस है वही मेरे लिये बहुत है।
इधर हम दोनों भी उनके घर के पास आ गए थे तब मैं कविता दी से बोला कि
मैं :दी मैं 10 मिंट में आता हूं तबतक आप तैयार रहना ।मुझे जल्दी जाना है।
कविता दी : ठीक है तू जा और जल्दी से आ जा ।मैं यही पर रहूँगी।
ब माँ :लेकिन तुम दोनों कहा जा रहे हो इतनी जल्दी में।
मैं :माई मुझे बाजार जाना है और कविता दी को कुछ सामान लेने जाना है इसलिये वह भी मेरे साथ बाजार जा रही है।
इसके बाद मैं वंहा से घर की तरफ चल दिया और जब घर पहुचा तो सरिता दी और भाभी दोनों मुझे घूर कर देख रही थी लेकिन मुझे जल्दी थी इसलिए मैं तैयार होने रूम में चला गया और तैयार हो कर मैं भाभी से बोला कि
मैं : भाभी मुझे बाजार जाना है इसलिए थोड़ा पानी पीने को दे दो।
यह सुनकर भाभी पानी लाने चली गयी और सरिता दी कुछ देर देखते रही और फिर बोली कि
सरिता दी : क्या बात है आज कविता दी के हाथ मे हाथ डालकर घर आ रहे थे लगता है दोनों में सुलह हो गयी।
मैं : हा दी आप नही जानती आज मैं कितना खुस हु आज मुझे कविता दी ने माफ कर दिया है और उसकी वजह से मैं दुबारा जी उठा।
मैं इतना खुस था कि मेरी इस बात का उनपर क्या फर्क पड़ा मैने यह भी नही देखा और भाभी ने पानी दिया और मैं पी कर चला गया और मेरे जाने के बाद सरिता दी को इस तरह गंभीर देख कर भाभी बोली कि
जुही :क्या बात है सरिता जबसे तूने उन दोनों को एक साथ देखा है तबसे बड़ी चिंता में लग रही है।
सरिता :बात ही ऐसी हैं जिसकी वजह से बहुत लोग चिंता में पड़ जाएंगे।
जुही : खुल कर बोलो इस तरह मैं कुछ भी नही समझ पा रही हु।
सरिता :आप ने अभी तक कविता की दीवनगी जय के लिये नही देखी ।वह पूरी तरह से पागल है उसके लिए जय जब छोटा था तो वह मा को छोड़कर ओर किसी भी लड़की या औरत को उसके पास नही जाने देती थी और अगर फिर से वही सब चालू हो गया तो समझ लीजिए कि आपके हाथ से जय निकल जाएगा।
जुही : मैं ऐसा होने नही दूँगी ।मैं उसे अपने रूप के जाल में फ़ांस लुंगी।
सरिता :काश ऐसा हो जाए पर मुझे इसकी उम्मीद नही है ।अब तो जो कुछ भी है सब उसके हाथ मे है।
इधर मैं जब कविता दी को लेने के लिए घर गया तो मैं उनको देखते ही रह गया सफेद कलर के कपड़े में किसी परी से कम नही लग रही मैं तो बस आंखे फाडे उन्हें देखता ही रह गया

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उनको देखने मे मैं इतना खो गया कि कब वह मेरे पास आगयी मुझे पता भी नही चला ।मुझे होश तो तब आया जब ज्योति ने मुझे हिलाई और बोली कि
ज्योति : अब क्या मेरी दी को नजर लगा कर ही मानेगा क्या ।गाड़ी सही से चलाना कहि लड़ मत जाना।
इस पर कविता दी भड़कती हुई बोली कि
कविता दी : छोटी तू जा यंहा से कितना सताएगी बेचारे को।
Gajab ki maal h bhai ye to
 

Yamraaj

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चम्पा : बेटा जब तू अपने प्यार केलिए अपनी जान खतरे में डाल सकता है तो मैं अपनी बेटी केलिए नही कर सकती थी । अब सब कूछ तेरे हाथ मे है।
मैं :आप चिंता ना करो चाची मैं सब सम्भाल लूंगा ।बस अब आप मुझसे नही मिलोगी इस तरह से और अब मैं चलता हूं मुझे कुछ काम है।
अब आगे

चम्पा चाची मेरी बात सुनकर बोलती है कि
चम्पा :बेटा उस ठाकुर को जान से मत मारना उसे ऐसी सजा देना की उसकी आत्मा तक कांप उठे।
मैं :● चाची आप चिंता मत करो उसकी हालत तो मैं उस कुत्ते से भी बत्तर कर दूंगा मौत की भीख मांगेगा पर मौत भी नही मिलेगी उसे ।
इतना बोल कर मैं वँहा से अपने घर के तरफ चल दिया पर रास्ते मे मुझे जया पूजा और गांव की कुछ लड़कियां मिल गयी जो पोखरे की तरफ जा रही थी तो पूजा मुझे देख कर रूकने का इशारा किया तो मैं रूक गया।तब जया और पूजा दोनों मेरे पास आई और पूजा बोली
पूजा :जय आज रात को मैं नही आ पाऊंगी मुझे माफ़ कर दे तुझे बताई थी ना कि घर पर एक लड़की आयी हुई है वह मुझे छोड़ ही नही रही है।
मैं :चल कोई बात नही है ।कल आ जाना और वैसे भी हो सकता है कि आज मैं खाली ना रहु तो तू चिंता मत कर वैसे तेरा भाई कंहा है दिख नही रहा आज कल।
पूजा :और कंहा होगा उसी के भोशडे में घुसा होगा कुत्ता कहि का।।
जया : सही बोल रही है तू वह सिर्फ नाम का ही नही दिल का भी काला है ।कई बार तो मेरा भी हाथ पकड़ चुका है लेकिन राजू का दोस्त है इसलिए कुछ नही बोलती और वैसे तू क्यों उसे बुरा भला बोल रही कही उसने तेरे साथ भी कुछ गलत तो नही कर दिया।
पूजा :°किया तो नही है पर घूरता जरूर रहता है ।उसके सामने तो अब बैठने में डर लगता है।
मैं :तुम दोनों चिंता मत करो मैं उसको समझाऊंगा और तू जया कुछ कम ऊंड सुना हु की तू मेरी बुराई कर रही थी ।
जया :देख तू मुझसे झूठ तो बोला मत कर और किसने बोला कि मैं तेरी बुराई कर रही थी । यह बात तो तू भी जानता है यह जया मर जाएगी लेकिन तेरी बुराई ना कर सकती है और ना ही सुन सकती है । मैं तो तेरी गुलाम हु रे तू कहे तो अभी जान दे दु पर यह झूठा इल्जाम तो मत लगा।
मैं :अरे यार मैं तो मजाक कर रहा था और तू तो गम्भीर हो गयी है।
इतना बोल कर मैं उसे गले लगा लेता हूं पर कहते है ना जब किस्मत खराब हो तो ऊंट पर बैठे हुए आदमी को कुत्ता काट जाए। वही मेरे साथ भी हुआ ।मैं उसे गले लगाकर चुप करा रहा था और तभी पीछे से किसी के बोलने की आवाज आई तो मैं पलट कर देखा तो राजू खड़ा हो कर गुस्से में लाल पीला हो रहा था तो मैं उसे समझाने के लिये उसके पास गया और बोला कि
मैं :राजू देख यार गुस्सा मत हो जो तू समझ रहा है वैसा कुछ भी नही है ।मैं तो उसे बस चुप करा रहा था।
राजू :" हा मैं देख भी चुका हूं और उसकी बाते सुन भी चुका हूं । तुझे क्या मैं बोलू तू तो है ही ऐसा की जंहा लड़की दिखी नही की लार टपकाना सुरु कर देता है और तू साली रंडी प्यार का नाटक मेरे साथ और बिस्तर किसी और का गरम कर रही है ।सच कहते है सभी साली तू रंडी थी और रंडी ही रहेगी ।मैं ही पागल था जो तेरे पीछे पड़ा हुआ था।
मैं :" ठीक है यार मेरे ऊपर ना सही कम से कम अपने प्यार पर तो भरोशा कर सकता है।
राजू :मैं इतना गिरा हुआ नही हु जो कि दूसरे के जूठन को अपने सर पर रख कर फिरू

जया जो इतने देर से सब सुन रही थी उसके गुस्से का सब्र टूट गया और वह आगे बढ़कर राजू को वही खिंच कर एक झापड़ मारी और बोली कि
जया :तू जानता है कि मैंने तुझे क्यों मारा नही जानता ना तू सुन जिसे तू गद्दार बोल रहा है अगर वह नही होता तो आज मैं जीवित नही रहती ।साले गांड में दम तो हैं नही और दूसरों पर उंगली उठाता है ।साले उस दिन तो तूने अपनी जान बचा कर निकल लिया और एक बार भी यह नही सोचा कि वह सब मेरा क्या हाल करेंगे ।अरे अगर उस दिन यह आकर मुझे नही बचाता तो मैं आज जिंदा नही होती।
मैं उसे बीच मे रोकते हुए बोला कि
मैं :"जया तू पागल हो गयी है क्या कर रही है भगवान के लिए चुप हो जा तुझे मेरी कसम ।
जया : नही जय आज मुझे कोई भी नही रोक सकता तुम भी नही जय।आज मैं इसे वह आईना दिखा कर रहूँगी ताकि समाज भी इसका गन्दा चहेरा देख सके।

मैं :अगर तुमने कुछ बोला तो मैं अपनी जान दे दूंगा।
राजू :अगर तुम दोनों का ड्रामा हो गया हो हम चलते है और वैसे भी मुफ़्त का सो कितना देखेंगे।
मैं :राजू तू गलती कर रहा है सच को नही जानता बिना सच जाने कोई गलत कदम मत उठा लेना।
राजू :साले तुझसे मैं क्या बात करु जब तू अपनी दोस्त की बहन को नही छोड़ा तो आपने दोस्त के गर्लफ्रैंड को कैसे छोड़ सकता है।
जया : तुझे क्या लगता है मैं जय से प्यार करती हूं तो सुन मैं जय से तो दिलो जान से प्यार करती हूं भगवान मान कर पूजा करती हूं और गन्दे फूल कभी भगवान को नही चढ़ाए जाते । तूने तो मुझे गन्दा कर दिया है अब तो चाह कर भी नही जा सकती ।मैं ही नही जा अपने घर पर पता कर वँहा भी तुझे इनकी दीवानी मिल जाएगी और तू चाह कर भी कुछ नही कर पायेगा।
राजू :रंडी अब तू बहुत बोल रही है चुप हो जा नही तो जान से मार दूंगा।
मैं जब इतना सुना तो मेरे सब्र का बांध टूट गया और मैं उसके कालर को पकड़ते हुए बोला कि
मैं :" अब अगर तूने एक भी शब्द और बोला तो मैं तुझे जान से मार दूंगा और अब इससे पहले की मैं सब कुछ भूल जाऊ उससे पहले निकल ले।
अब तक पूजा जो शांत थी वह आगे आयी और उससे बोली कि
पूजा :तू क्या जानता है कि मेरे बारे में मेरे घर वाले नही जानते तो सुन माँ मेंरे और जय के बारे में सब जानती है इसलिए तू यह भूल जाना कि तू मेरा कुछ बिगाड़ सकता है लेकिन अगर मैं चाहू तो तेरी और ठाकुर के रिश्ते के बारे में जय को बता दु एक मिनट में जान से मार देगा तुझे
यह बात पूजा ने इतने धीरे से बोली थी कि उसके सिवा और किसी ने नही सुना पूजा फिर बोलिकि
पूजा :अगर तू चाहता है कि यह राज मेरे पास रहे और इसे कभी भी जय को नही बताऊ तो चुप रहना और अगर तूने गलती से मेरे और जय के रिश्ते के बारे में किसी को बोला तो एक मिनट भी नही लगेगा मुझे जय को सब कुछ बताने में और मुझे इस बात को प्रूफ करने के लिए ज्यादा कुछ नही करना है बस गांव की जितनी लड़कियों को तूने और तेरे कुछ कमीने दोस्तो ने मिलकर ले गए है ठाकुर के फार्महाउस पर उन सबको खड़ा कर दूंगी ।फिर तेरा जय क्या करेगा तू सोच भी नही सकता ।काव्या को तू ही लेकर गया था उस कमिंने के पास ।इसलिए तू चिंता मत कर तेरे घर की हर लड़की और औरत सबको मैं इसके लण्ड के नीचे लाऊंगी और वह भी तेरे आंखों के सामने बस तू देखता जा।
अभी हमारी बात चल ही रही थी कि सरिता दी और कविता दी दोनों ही आ पहुची और कविता दी आ कर बोली कि
कविता दी : मैं तुझे कबसे ढूढ रही हु और तू यंहा पर क्या कर रहा है ।क्या बात है कुछ हुआ है क्या यंहा पर।
मैं :नही दी कुछ भी नही हुआ है ।वह बहुत दिनों से मिला नही था इन सबसे तो यह सब झगड़ा कर रही थी मुझसे ।आप चलिए मैं अभी घर आता हूं।

कविता दी :मैं अब कुछ नही सुनने वाली तू मेरे साथ चल मुझे तुझसे कुछ काम है।
मैं : दी आप चलिए मैं अभी आता हूं ना।
सरिता दी : कविता तू बोल रही थी कि यह तरी बात नही टालेगा पर यह तो तेरी बात भी नही मान रहा है।
मैं :दीदी क्यों भुझी हुई आग को हवा दे रही हो।
कविता दी : तू बस अब चल मुझे कुछ भी नही सुनाना। है ।
मैं :ठीक है दोस्तो अब मैं चलता हूं बाद में मिलता हु और राजू आज की बातों का ख्याल रखना।
पूजा :" तू जा जय मैं इसे समझा दूँगी अच्छे से।
मैं इतना सुनकर अपनी गाड़ी पर दोनों दीदी को बैठा कर घर की तरफ चल दिया पर बीच मे ही सरिता दी बोली कि
सरिता दी :जय अभी घर मत चल कहि और चल अकेले में कुछ बात करनी है।
मैं : ,ठीक है दी।
मैं इतना बोल कर गाड़ी घुमा कर अपने बगीचे के तरफ चल दिया।
बगीचे में पहुचे तो सरिता दी और कविता दी दोनों गाड़ी से उतर गई और मेरे सामने आकर खड़ी हो गयी फिर सरिता दी ने बोला
सरिता दी :जय आज मुझे कविता ने सब कुछ बता दिया और इसलिए मैं भी तेरे साथ हु पर तुझे अपना घर भी टूटने से बचाना होगा।
मैं :दी क्या बोल रही हो मेरी कुछ भी समझ मे नही आ रहा है और किसकी इतनी हिम्मत जो कि मेरे घर को तोड़ने की कोशिश करे।
कविता दी :जय गुस्सा होने से काम नही चलेगा सब कुछ शांति से सुन इसके बाद ही कुछ बोलना।
मैं :ठीक है दी।
सरिता दी : इस वक्त घर मे जो हो रहा है उसे तुम भी जानते हो इसलिये मैं चाहती हु की तुम भाभी की सुनी कोख भर दो और घर को टूटने से बचा लो।
मैं :दीदी आप क्या बोल रही है।

कविता दी : इतना ना समझ तो तू है नही जितना बनने की कोशीश कर रहा है इसलिए ज्यादा मत सोच।
Gajab aksar pyar karne kabol ke log sach chhupaye rahte h..... Puja jaan rahi ki kavya ke sath kya hua magar fir bhi usne jay ko kuch nhi bataya h...

Aange dekhte h kya hota h...
 

Yamraaj

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मुझे क्या मालूम था कि आज ठकुराइन के साथ यह छोटा सा सफर इतना बड़ा हो जाएगा कि मेरी पूरी जिंदगी ही बदल कर रख देगा लेकिन कहते है ना जब किस्मत में कुछ लिखा हो तो वह किसी ना किसी रूप में मिल ही जाता है।मैं अपनी बाइक खड़ी किया और ठकुराइन के साथ उनके फार्महाउस पर चल दिया।वह फार्म हाउस ज्यादा दूर नही था गांव से तो हम लोग जल्द ही पहुच गए । वँहा पहुचने के बाद ठकुराइन ने पानी पिलाया और अपने साथ अपने बेडरूम में लेकर गयी और वँहा मुझसे वाइन के लिए पूछा तो मैंने मना कर दिया तो वह सिर्फ अपने लिए लेकर आई और मेरे सामने बैठ गयी और कुछ देर बाद बोली
ठकुराइन : तो बोलिये आप तैयार है जिस काम के लिए आपको बुलाया है।
मैं : मैं तो हमेशा ही तैयार रहता हूं पर पहले आप पी लीजिये ताकि दर्द महशुस ना हो।
ठकुराइन :" सच बोलू जय तो मैं तुम्हे यंहा दूसरे ही मकसद से लेकर आई क्यूंकि मैं यह जानती हूं कि तुममे वह छमता है जो कि तुम ठाकुर से टक्कर ले सको बस तुम्हे थोड़ी और ताकत की जरूरत है ताकि तुम अपना बदला ले सको।
मैं उसकी बात को सुनकर दंग रह गया कि वह क्या बोल रही है तो मैं बोला कि
मैं :,आपको कोई गलतफहमी हुई है मेरे मन मे ऐसी कोई बात नही है आप को किसी ने गलत खबर दी है।
ठकुराइन : सच छुपाने से कुछ भी बदल नही सकता है जय ।वैसे जाने दो अगर तुम नही बताना चाहते हो तो मत बताओ और आजाओ इस ठकुराइन को अपना बना लो सच कहती हूं जय तुम्हारा हर सपना पूरा कर दूंगी।
मैं :ठकुराइन आप क्या बोल रही है कुछ समझ नही पा रहा हु।
ठकुराइन : कुछ नही मेरी जान अब आजा और मुझे अपना बना ले।अगर मैं खुश हो गयी तो समझ ले दुनिया की हर खुसी तेरे कदमो में होगी।अब आजा बाते मत कर अपना हुनर दिखा जो कि चम्पा तेरी इतनी बड़ाई कर रही थी।
मैं इतना सुना तो मैं आगे बढ़कर ठकुराइन के होंठो को अपने होंठो में लेकर चूसने लगा उसके मुह से हल्का सराब की बू आ रही थी फिर भी मस्त थी ।गांव की औरतों की तरह सुस्त नही पड़ी थी बल्कि पूरा साथ दे रही थी


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और फिर उनके एक एक करके सारे कपड़े निकाल दिया ।उसके बाद फिर हम लोग एक दुसरे होंठो पर टूट पड़े और यह किस तब तक चली जब तक कि हम दोनों के सांस फूलने नही लगी फिर हम दोनों लोग सांस ठीक किये और इसके बाद मैंने उनके चुचियो पर हमला बोल दिया और उन्हें जी भर कर चूसने और मसलने लगा कभी एक चूची को मुह में लेता तो कभी दूसरे को वैसे ठकुराइन के चुचे एकदम मस्त और कड़े थे।
ठकुराइन :ऐसे ही मसलो जान वह साला बूढा तो इन्हें छुता भी नही है साला कुत्ता कहि का आज मसल डालो इन्हें बहुत तड़पती है ।काट खाओ इन्हें जय आज चूस ना कुत्ते भड़वे हरामी धीरे क्यों चूस रहा है दम नही है क्या साले
मैं :साली मेरा दम देखती है कुतिया आज तेरी बुर का भोसड़ा नही बनाया तो बोलना साली कुटिया
ठकुराइन :अबे साले बाते ही करेगा या कुछ और भी करेगा।
इतना सुनते ही मैंने उसको अपनी गोद में उठा लिया और उसको अपनी कंधो पर इस तरह बिठा लिया कि उसका बुर ठीक मेरे मुह के सामने था तो मैंने उसके बुर में अपना मुह घुसा लिया और उसके बुर को चाटने लगा और उसके बुर से निकलने वाले पानी को पीने लगा और इस तरह करीब 10 मिंट तक उसकी बुर को चाटता रहा ।उसके बाद उसे बिस्तर पर लिटाया और फिर से उसके बुर को चाटने लगा।


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ठकुराइन :चाट मेरे राजा आज कितने दिनों बाद मेरे बुर पर किसी मर्द का जुबान पड़ा है और अंदर तक जीभ डाल ना मेरे राजा मैं झरने वाली हु पी जा मेरा पानी।
इतना बोल कर उसने मेरे मुंह को अपने बुर में दबा दिया और अपना पानी छोड़ने लगी इसके बाद मैं उठा तो ओर अपने कपड़े निकाल कर नंगा हुआ तो वह मेरे लण्ड को देखती रह गयी और बोली कि
ठकुराइन :साली चम्पा सच ही बोल रही थी की तेरा जैसा लण्ड तो साला आज तक नही देखी यह तो एक रंडी की भी चीखने पर मजबूर कर दे किसी कुवारी पर चढ़ जाएगा तो वह तो मर ही जाएगी ।
इतना बोलकर ठकुराइन घुटनो के बल बैठ कर मेरे लण्ड को मुह में लेने की कोशिश करने लगी पर बड़ी मुश्किल से वह सिर्फ सुपड़ा ही मुह में ले पा रही थी।


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ऐसे ही चूसने के बाद वह अपना पूरा जीभ घुमा कर मेरे लण्ड को चाटने लगी और करीब पांच मिनट तक चाटते रहने के बाद वह उठी और बोली
ठकुराइन :,अब बर्दाश्त नही हो रहा है जय डाल दो मेरी बुर में फाड़ डालो साली बहुत फड़फड़ाती है छिनाल।
मैं :तो आ जा साली कुतिया आज तुझे मैं दिखाता हु कैसे चुदाई होती है।
इसके बाद मैंने उसे बिस्तर पर पटक दिया और उसके बुर में अपना लण्ड घिसने लगा जिसकी वजह से मजे में उसकी आंखें बंद हो गयी और वह सिसकिया लेनी लगी इसके बाद मैंने अपना लण्ड उसकी बुर के होंठो में फशा कर एक करारा झटका मारा जिसकी वजह से मेरा आधा लण्ड उसकी बुर में घुस गई जिसकी वजह से उसके मुह से हल्की सी चीख निकली
ठकुराइन :बस इतना ही खुला है मेरे राजा उसके आगे का रास्ता बंद है जिसे अब तुम्हे खोलना है एक बार मे ही पूरा डाल दे बार बार दर्द सहने से अच्छा है एक बार मे ही घुस जाए।
मैं इतना सुना कि एक जोरदार झटका मारा जिसकी वजह से मेरा पूरा लण्ड उसकी बुर को फाड़ता हुआ बच्चेदानी से टकराया जिसकी वजह से उसके मुह से एक जोरदार चीख निकली और वह अपना सर इधर उधर पटकने लगी और मुझे अपने ऊपर से हटाने की कोशिश करनेलगी जब थक गई तो बोली कि
ठकुराइन :अबे मादरचोद निकाल साले भड़वे फट गई मेरी चुत अब तो निकाल ले कुत्ते बहनचोद हरामी
मैं , बस मेरी जान हो गया अब चिंता मत कर जीतना दर्द सहना था सह ली अब तो मजा लेना है मेरी जान
इतना बोल कर मैं लण्ड अंदर बाहर करने लगा कुछ ही मिनटों में उसकी बुर ने पानी छोड़ना सुरु कर दिया फिर मैं करीब 40 मिंट तक अलग अलग पोजीसन में चोदता रहा और इस बीच करीब वह 3 बार झड़ी और अंत मे जब मैं झड़ने के करीब आया तो बोला
मैं :मैं झड़ने वाला हु अब बोलो कंहा डालू अंदर या बाहर
ठकुराइन :अंदर ही डाल दे मेरी जान मेरी बच्चेदानी में अपना पानी डाल दे और अपना खून दे दे मेरी कोख में
मैं अंदर ही झाड़ने लगा और उसके बाद उसके ऊपर से उठते हुए बोला
मैं :अब बोलो मेरी रानी पास हुआ या फेल
ठकुराइन :मेरे राजा तूने तो मुझे अपना गुलाम बना लिया अब से यह ठकुराइन तेरी गुलाम है मेरे राजा

इतना बोल कर वह उठी तो उसको हलका दर्द हुआ तो वह बोली
ठकुराइन :साला कमिना मुझ जैसी का यह हाल है तो कुवारी लड़कियों का क्या हाल करेगा गधे जैसा तो लण्ड है तेरा पूरा फाड़ के रख दिया।
मैं :अब जैसा भी है यही है मंजूर है तो बोलो वरना मैं तो चला।
Bhai ek baar mughe bhi dilwa do thakurain ka....
 

Yamraaj

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अब जैसे ही मैने ही यह बोला तो ठकुराइन ने आगे बढ़ी और मेरे होंठो को चूमते हुए बोली कि
ठकुराइन :राजा अब तू मुझे छोड़कर जाना भी चाहेगा तो भी मैं तुझे जाने नही दूँगी । अब तो अपनी पूरी जिंदगी तेरे नाम कर दी मेरे राजा।
मैं :लेकिन इसके बदले मुझे क्या फायदा होगा चुत तो मुझे बहुत मिल जाती है तो मैं तुम्हारे लिये ठाकुर से दुश्मनी क्यों मोल लू।
ठकुराइन :अब जब मैं तेरी हु तो बोल ना यार क्या चाहिए तुझे ।जो बोल मैं वादा करती हूं तुझे जरूर पूरा करूँगी।
मैं : ठीक है तो पहले मेरा सारा कर्ज खुद तुम भरो जो ठाकुर के पास है और दूसरा मुझे ठाकुर खानदान की हर बुर चाहिए।
मेरे इतना बोलते ही ठकुराइन वहां से नंगी ही अंदर की तरफ चली गयी बिना कुछ तो मुझे लगा कि ठकुराइन वैसे ही फेक रही थी इसके बस की कोई बात नही है और मैं अपने कपड़े पहन कर घर जाने के लिए तैयार होने लगा तभी ठकुराइन अपने हाथों में एक छोटा बैग लेकर आई और मुझे देते हुए बोली कि
ठकुराइन :तुम्हारा कर्जा कितना है मैं नही जानती और मेरे बोलने से हजार सवाल खड़े होंगे तो इसलिये यह पैसे ले जाओ और जितना होगा भर देना और बाकी के तुम रख लेना इसने 10 लाख रुपये है।
मैं :ठीक है तो अभी मैं चलता हूं यह मेरा नम्बर है जब मर्जी बुला लेना एक तो पूरा कर दी मेरी रांड पर दूसरी का क्या ।
ठकुराइन : चिन्ता मत कर उसका भी इन्तजाम जल्द ही कर दूँगी ।
मैं :ठीक है तो मैं अब चलता हूं मुझे घर जाने की देरी हो रही है तू ले चल छोड़ दे बगीचे तक।
ठकुराइन :तूने जाने लायक छोड़ा ही कंहा है फिर भी तुझे भेजना का इन्तजाम करती हु।
इसके बाद ठकुराइन ने एक लड़की को बोल कर मुझे गाड़ी से बगीचे तक छुड़वाया और वह लड़की मुझे छोड़कर चली गयी ।मैने भी अपनी बाइक उठाई और घर की तरफ चल दिया लेकिन फूटी किस्मत घर जाने से पहले ही ठाकुर की गाड़ी मेरे सामने से गुजरी और मैंने देखा कि ठाकुर का लड़का नशे में धुत हो कर एक लड़की को जबरदस्ती उठा कर ले जा रहा था और वह लड़की मुझे देखते ही बचाने की गुहार लगाने लगी मैं चाहे कितना भी कमीना क्यों ना हु पर मुझे वो लोग बिल्कुल भी पसन्द नही जो लड़कियों के साथ जबरदस्ती करे इसलिए मैंने उसे बचाने के मूड से अपने साथ लाये गमछे से अपना चेहरा ढका और बाइक स्टार्ट करके उस तरफ चल दिया जंहा वो लोग उस लड़की को लेकर गए हुए थे। जब मैं वंहा पहुँच कर देखा तो
पंकज ने उस लड़की के कपड़े को लगभग फाड़ दिए थे और अब वह लड़की सिर्फ ब्रा पैंटी पर जमीन पर लेटी रो रही थी और उससे छोड़ देने की गुहार कर रही थी यह सब मुझसे नही देखा गया तो मैं आगे बढ़कर पंकज को एक लात घुमाकर मार जिसकी वजह से उस लड़की से दूर गिर गया और फिर उसके बाद पंकज अपने स्वभाव के अनुसार गाली देते हुए बोला
प ठाकुर : तू कौन है बे मादरचोद साले जा भाग जा यंहा से नही तो जान से मारा जायगा बे।
मैं : देख बे अगर मेरा दिमाग खराब किया न साले तो यही जान से मार दूंगा इससे अच्छा तो यही होगा कि चुप चाप अपने इन पालतू कुत्तो को लेकर निकल ले वरना तेरी ऐसी हालत करूँगा की मौत की भीख मांगेगा पर वह भी नही मिलेगी।
प ठाकुर अपने आदमियो के तरफ देख कर बोला
प ठाकुर : अबे सालो तुम सब देख क्या रहे हो मारो इस बहनचोद को।
प ठाकुर का इतना बोलना था कि उसके आदमी मेरे ऊपर टूट पड़े लेकिन मैं पहले से इसके लिए तैयार था क्यूंकि मैं जानता था कि यह साले कुत्ते की दुम है सीधा तो होने से रहे।अभी मैं कुछ करता उससे पहले ही एक बन्दे ने एक घुसा मेरे पेट मे मार दिया तो मैंने भी तुरन्त उसके हाथों को पकड़ के करारा झटका दिया और एक आवाज के साथ उसकी हाथ की हड्डी टूट गयी इसके बाद दो मिनट में ठाकुर के 5 आदमियो को हाथ पैर तोड़ कर जमीन पर गिरा दिया चाहता तो ठाकुर को भी जान से मार देता पर यह इसके लिए एक आसान मौत होती जो मैं देना नही चाहता था इसलिए उसकी हाथ की हड्डी तोड़ कर छोड़ दिया इसके बाद मैं अभी पलटा ही था कि प ठाकुर ने अपने जेब से एक चाकू निकाल कर मुझे मारने की कोशिश की अब चुकी मेरा ध्यान लड़की की तरफ था तो मैं देख नही पाया लेकिन उस लड़की ने मुझे बचाने के धक्का तो दिया पर जब तक मैं हटता तब तक देर हो चुकी थी और उसका चाकू मेरे बाए कंधे पर लग चुकी थी और इसमें ही एक अनहोनी हो गयी जो कि नही होनी चाहिए थी उसके चाकू मारने से मेरा खून निकल कर उसके मांग में सिंदूर की जगह भर गया और मुझे चाकू लगने की वजह से वह लड़की घबरा गई और उसे खुद भी उस समय पता नही चला कि क्या हुआ ।मुझ पर एक बार वार करने के बाद जब तक दूसरा वार करता तब तक मैने उसे एक और मुक्का मारा और वह बेहोश हो गया इधर मैं अब इस हालत में नही था कि घर भी जा पाऊ तो उस लड़की ने सबसे पहले मेरे चोट पर अपना फटा हुआ दुपट्टा बांधा और फिर मुझे सहारा देकर मेरे बाइक पर बिठाया और मुझसे मेरे घर का पता पूछने लगी तो मैंने उसे बता दिया और वह मुझे मेरे घर लेकर जाने लगी लेकिन शायद उसे मेरी चोट की वजह से अभी भी अपने हालत पर गौर नही किया था कि वह सिर्फ ब्रा और पैंटी में है क्यूंकि ठाकुर ने उसके सारे कपड़े फाड़ दिए थे सिवाय इसके तो मैंने उसे अपने गांव से बाहर ही रोक लिया तो वह बोली कि
लड़की :,क्या हुआ आपने यंहा पर गाड़ी क्यों रुकवाई।
मैं :आप इस हालत में अगर गांव में गयी तो लोग क्या कहेंगे आपके बारे।
मेरे ऐसा बोलने पर उस लड़की को अपनी हालत का अंदाजा हुआ की वह एक अनजान लड़के के सामने इस तरह अधनंगी हालत में है तो नारी लजा सुलभ सरमा गयी और पास में एक पेड़ के पीछे छुप गयी ।मुझे उसकी इस हरकत पर बहुत हस्सी आयी और मुझे इस तरह से हस्ते हुए देख कर वह बोली कि
लड़की :आप को शर्म नही आती एक असहाय लड़की की हालत पर हस्ते हुए।
मैं जब उसकी बात सुनी तो मेरा हसना रूक गया और मैंने सोचा कि क्या करूँ तभी मुझे कविता दी का ख्याल आया क्यूंकि इस लड़की की बॉडी बिल्कुल कविता दी कि तरह थी तो मैंने उन्हें फोन मिलाया और सयोंग से उन्हीने फोन उठाया और फोन उठाते ही बोली कि
कविता दी :क्या रे अभी दस मिनट नही हुआ तू है कंहा जल्दी घर आ भाभी इन्तजार कर रही है।
मैं :दीदी अभी मैं गांव से बाहर पीपल के पेड़ के पास हु आप एक काम करो अपना एक सेट कपड़ा जो थोड़ा अच्छा हो या तो नया हो लेकर आ जाये जल्दी से
कविता दी :"क्यों रे मेरा कपड़ा क्या करेगा तू
मैं :आप लेकर आ जाओ जल्दी से और आप यंहा पर आकर सब समझ जाओगी ।
इतना बोल कर मैने फोन रख दिया और मेरे फोन रखने के बाद कविता दी केपास खड़ी सरिता दी बोली कि
सरिता दी :क्या हुआ कविता तेरा कपड़ा क्यों मांग रहा है वह।
कविता दी:कुछ बताया तो नही लेकिन उसकी बातो से लग रहा था कि वह काफी परेशान है।
सरिता दी : वह परेशान नही है बल्कि किसी लड़की को चोद रहा होगा कमीना कहि का और कोई कपड़ा लेकर चला गया होगा इसलिए तुम्हे कपड़े लेकर बुला रहा है।
कविता दी :अब तो जो होगा वँहा पर जाकर ही पता चलेगा।
इसके बाद कविता दी अपनी एक नई ड्रेस लेकर चल दी सरिता भी साथ मे आने को बोल रही थी लेकिन उसने मना कर दिया और खुद लेकर चल दी।इधर मैं वेट करके परेशान हो गया तो फोन करने ही वाला था कि देखा कि कविता दी आ ही रही थी और मेरे पास आकर बोली कि
कविता :क्यों रे कंहा था शाम से और मेरा कपड़ा क्या करेगा तू ।
मैं उन्हें बीच मे रोकते हुए बोला कि
मैं : दीदी शांत हो जाओ मैं आपको सब कुछ बताऊंगा पहले पेड़ के पीछे एक लड़की है उसे आप यह ड्रेस दे दीजिए वह पहन लें फिर बाते करते है।
मैं उनसे इतनी अच्छे से बात किया तो वह समझ गयी कि कुछ बात है जो मैं उन्हें खुलने से मना कर रहा हु तो वह भी एक बार तिरछी नजर से मुझे देखते हुए चली गई और कुछ देर बाद वह लड़की मेरे सामने आई और बोली कि
लड़की :आप मेरे साथ हॉस्पिटल चले और वँहा पर आपका इलाज करा कर मैं आपको घर छोड़ दूँगी।
कविता दी हॉस्पिटल जाने की बात सुनकर घबरा गई और बोली कि
कबिता दी :भाई क्या हुआ हैंतुझे ।
मैं :कुछ नही हुआ है दीदी बस हल्की सी चोट लगी है इसलिये यह बोल रही है ।
लड़की : नही यह झूठ बोल रहे है मुझे कुछ गुंडो से बचाने के चक्कर मे इनको चाकू लग गया है मैंने इनके कंधे पर अपना दुपट्टा तो बांध दिया था जिसकी वजह से खून बहना तो बन्द हो गया लेकिन चोट का इलाज कराना ही होगा ना अगर यंहा पास में कोई डॉक्टर है या हॉस्पिटल तो चले बाकी बाते वही कर लेंगे।
इसके बाद वह लड़की मुझे अपने साथ बाइक पर बिठा कर कविता दी के द्वारा बताए गए डॉक्टर के घर की तरफ चल दी क्यूंकि गांव में इतनी रात तक दुकान बंद हो जाती है। तो वह हम तीनो को लेकर डॉक्टर के घर चले गए ।एक बात यह भी थी कि हम लोग एक घण्टे से साथ मे थे लेकिन ना ही एक दूसरे का नाम जानते थे और ना ही एक दूसरे का चहेरा देख पाए थे।उधर जब हम डॉक्टर के घर पहचे तो वँहा पर भी किस्मत ने एक बार फिर धोखा दिया और हम लोग के उनके घर पहुचते ही लाइन कट गई और अंधेरा हो गया। वँहा जाने के जो गांव के ही डॉक्टर थे वह मेरा इलाज किये इधर उस लड़की ने मेरे फोन से अपने आदमी को फ़ोनकरके गाड़ी लाने को बोला और कुछ देर बाद जब उसकी गाड़ी आ गयी तो वह हम लोगो से इजाजत लेकर चली गयी और किस्मत से हम दोनों ने बिना के दूसरे को देखे और नाम जाने बिना ही चले गए। इधर कविता दी ने घर पर फोन कर दिया तो घर से माँ पापा और बड़े पापा तीनो लोग वँहा आ गए और मुझे पापा और बड़े पापा ने तो सबासीदी मेरे काम के लिए लेकिन मा नाराज हो रही थी ।
वही दूसरी तरफ ठाकुर को कुछ लोगो ने उसके बेटे के हाल के बारे में बताया तो वह भी अपने बेटे और उसके आदमियो को लेकर हॉस्पिटल चला गया।इधर वह लड़की अपने घर पहुची जो कि किसी महल से कम नही था और हो भी क्यों ना सिंह ग्रुप ऑफ कम्पनी के मालकिन का घर था । जब वह लड़की घर पहुची तो उसकी माँ बोली
ल माँ :बेटी यह तुमने कैसे कपड़े पहन रखे है और आज इतना लेट क्यों हो गयी ऑफिस से आने में।
इसके बाद लड़की ने वह सब बता दिया जो भी आज उसके साथ हुआ था तो उस लड़की की माँ ने पूछा कि
ल मा :भगवान भला करे उस लड़के का जो फरिश्ता बन कर तेरी इज्जत और जान दोनों बचा लिया और एक बात बता तू आज अकेले क्यों गयी थी मीटिंग के लिए गार्ड को लेकर जाना चाहिए था ना अगर भगवान न करे वह लड़का नही आता तो तू बता आज हम किसके सहारे जीते एक तू ही तो है जिसकी वजह से हम जी रहे है वरना हम कबका मर गए होते।
फिर अचानक उस औरत की नजर उस लड़की के मांग में पड़ती है तो वह चोंक जाती है और बोलती हैंकि
ल माँ :बेटी यह क्या लगा है तेरे मांग में
ओर वह ध्यान से देखती है तो पता चलता है कि खून है तो वह औरत बोलती है
ल माँ:बेटी भगवान ने मेरी सुन ली और तुझे फिर से सुहागन बना दिया
KyA baat karte ho bhai ladki ne kaunsa face chhupa rakha tha jo itne der me kisine uska face hi nhi dekha....
 

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अपनी माँ की बातों को सुनकर वह लड़की सन्न रह जाती है।उसे अपनी माँ की बातो पर यकीन नहीं होता है तो वह खुद जाकर शीशे में अपनी मांग को देखती है तो उसकी आँखों से आशु बहने लगते है और वह अपने घुटनों के बल बैठ कर रोने लगती है और बोलती है कि
लड़की : माँ यह क्या अनर्थ हो गया ।अब मैं किसी को क्या मुह दिखाउंगी ।अब लोगो के सामने कैसे जाऊंगी ।("फिर कुछ सोच कर बोलती है) मैं इसे अभी बिना किसी के जानने से पहले ही धो कर साफ कर दूंगी।
ल माँ :बेटी आखिर कब तक उसके जाने का गम मनाती रहोगी ।तुम्हारी शादी के कुछ ही दिनों के बाद उसकी कार एक्सीडेंट में डेथ हो गयी उसके जाने के बाद एक बेटे की तरह इस घर को संभाला है आखिर कब तक अपनी खुशियों का गला घोटती रहोगी और तुम्हारे साफ कर देने से यह सच दुनिया के लिए भले ही छुप जाएगा लेकिन भगवान की नजरों से कैसे छुपाओगी। यह दुनिया बड़ी जालिम है बेटी अकेली औरत की जिंदगी काटो के सेज के समान होती है जंहा हर वक्त कोई न कोई हवस भेड़िया मौके की तलाश में रहता है।
लड़की :मा आप मेरी बात को समझ क्यों नही रही हो मेरे लिए इतना आसान नही है उसे भुलाना आखिर में वह मेरा पहला प्यार था और साथ मे पति भी तो ऐसे कैसे भूल जाऊ आप ही बताओ।
औरत :बेटी अगर तू मुझे अपना मानती है तो अब इस बारे में मैं कोई बहस नही करना चाहती हु बस इतना जान लो कि अगर तुमने मेरी बात को नही माना तो मैं अपनी जान दे दूँगी अब फैशला तुम्हे करना है जो नही है उसके लिए रो कर जीना है या जो है उनके खुशी भी तुम्हारे लिए कोई मायने रखती है।
लड़की :ठीक है माँ अगर आपकी यही मर्जी है तो यही सही लेकिन एक समस्या है ।
औरत :अब क्या समस्या हो गयी बेटी।
लड़की : समस्या तो यही है कि माँ ना तो मैंने उसका चेहरा देखा है और ना ही उसका नाम जानती हूं।
औरत :मुझे तुमसे यह उम्मीद नही थी बेटी जिसने तुम्हारी इज्जत बचाई उसका नाम तो छोड़ो चेहरा तक नही देख पायी ।
लड़की :मा क्या करूँ वक्त और हालत ऐसे हो गए कि मैं नही देख पायी ।उसे उसके घर लेकर जा रही थी क्यूंकि उसे चोट लगी थी लेकिन मैं ऐसी हालत में थी कि नही जा सकी और अब हालात यह है कि मैं सिर्फ उसका गांव के बारे में जानती हूं और कुछ भी नही पता है।
इधर मैं कविता दी मा बापू और बड़े पापा के साथ घर पहुँचा ही था कि सरिता दी मेरे पास आ गयी और उनके साथ भाभी भी थी जो कि आज मेरा इन्तजार कर रही थी उनके आंखों में भी आँशु थे और वह मेरे पास आई और बोली कि
जुही भाभी :आखिर कर तुमने ऐसा क्यों किया ।तुमको एक बार भी हम लोगो का ख्याल नही आया कि अगर तुमको कुछ हो गया तो हम लोग कैसे जीते क्या जरूरत है तुम्हे दुसरो के लफड़ों में पड़ने की।
मैं :भाभी आप भी जानती हो कि मैं अपने आँखों के सामने मैं किसी का बुरा नही देख सकता यह तो आप भी जानते हो ।
भाभी :फिर भी तुम्हे ठाकुर से उलझने की क्या जरूरत थी और उस पर से तूने उसकी वह हालत कर दी है कि ठाकुर अपने बेटे की ऐसी हालत करने वाले को वह छोड़ेगा क्या।
सरिता :तू ठाकुर की बात छोड़ पहले यह बता की तेरे साथ वह लड़की कौन थी जिसकी वजह से यह सारा बवाल हुआ।
मैं :अरे मेरी माँ जितना तुम लोग बना रही हो मुझे उतना चोट नही लगा है इसलिये अब तुम लोग शांत हो जाओ।वरना मुझसे बुरा और कोई नही होगा।
कविता दी कान में बोलती है कि
कविता दी :बहनचोद तुझसे बुरा और कौन हो सकता है यंहा पर एक बुर तरस रही है लण्ड के लिए और तू है कि दूसरों की गण्ड मारने में लगा हुआ है साले मेरे पास लण्ड होता तो सबसे पहले तेरी ही गांड मारती है।
सरिता दी :ओ लैला मजनू क्या बाते हो रही है शर्म कर लो हम भी है यंहा पर ।
सरिता दी के ऐसा बोलने पर कविता दी ने सरिता दी कान में बोलती हैंकि
कविता दी :क्यों तेरी बुर में लण्ड नही डाल रहा है इसलिए जलन हो रहीं है क्या।अगर ऐसी बात है चिंता मत कर यह साला पक्का बहनचोद है तुझे भी उल्टा करके चोदेगा दोनों मिल कर चुड़वाएँगी इससे ।
मैं इन लोगो की बाते सुनकर यह सोच रहा था कि मैं नई बुर मिलने की खुशी मनाऊ या जो आज तक मैं नही किया उसके लिए गम मनाऊ।
इधर माँ मेरे लिए दूध लेकर आती हैं तो देखती है कि मुझे छोड़कर यह दोनों आपस मे लड़ रही थी और भाभी मेरे पैरों के पास बैठी हुई थी मा यह देखकर कविता और सरिता दी पर गुस्सा हुई तो वह लोग मेरे पास आगयी और बिना एक दूसरे को परेशान किये हुए बैठी थी । मा के जाने के बाद वह लोग फिर से सुरु हो गए तो मैं बोला कि
मैं : आप लोग फिर से मत सुरु हो जाओ और वैसे भी आज का समय किसी और के लिए दिया हु तो आप लोग अपनी मस्ती बन्द करो
सरिता दी :मतलब की सच मे तू पक्का बहनचोद है कुछ तो शर्म कर ले हम तेरी बहने है साला फिर भी दिमाग मे हमेशा गन्दगी भरी है चोट लगी है लेकिन फिर भी मस्ती सूझ रही है।
मैं :अब अगर अगल बगल इतनी मस्त हसीनाएं होंगी तो अब हम जैसे भौरे क्या करेंगे।
कविता दी : चल ज्यादा मस्ती मत कर पहले ठीक हो जा उसके बाद तेरा जो मर्जी वह करना मैं भी तेरे साथ हु तू जो बोलेगा मैं वह करूँगी।
इधर दूसरी तरफ ठाकुर भानु अपने बेटे की हालत देखकर बहुत ही गुस्से में घूम रहा था अपने घर पर तब वहां पर ठकुराइन आती है उन्हें चिंता में देख कर बोलती है कि
ठकुराइन :क्या बात है आप बहुत परेशान दिख रहे है।
ठाकुर :पहले तो तुम यह बताओ कि तुम शाम से कंहा थी घर पर इतना कुछ हो गया और तुम्हारा कुछ पता ही नही चला ।छूट देने का इतना भी फायदा मत उठाओ की हमे रोक लगानी पड़े।
ठकुराइन (मन मे )तेरी गांड में इतना दम कंहा अब की तू मेरा एक झांट का बाल भी सीधा कर सके ।अब तो मुझे वह मिल गया है जिसकी हमे कब से तलाश थी
Maro bhai sabki gand maro
 

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ठकुराइन तो वैसे ही उससे खफा सी रहती थी और उसके आज इस तरह से बोलने की वजह से ठकुराइन का दिमाग खराब हो जाता है और वह गुस्से की घूंट पी कर रह जाती है और अपने गुस्से को दबा कर बोली
ठकुराइन:वो मा की तबियत खराब थी इसलिए मैं उसी से मिलने के लिए चली गयी थी आखिर हुआ क्या है जो आप इतना नाराज है।"
ठाकुर : किसी कुत्ते ने मेरे बेटे की मार कर हड्डी कई जगह से तोड़ दी है ।अगर मेरे बेटे की ऐसी हालत करने वाला मिल जाये तो मैं उसके पूरे खानदान कोदुनिया से उठा दूंगा और उसके घर की सारी औरते और लड़कियो को रंडी।
ठकुराइन :ओह तो यह बात है इसलिए आप इतने खफा है ।वैसे यह जानते हुए भी की पंकज आपका बेटा है उसके बाद भी उसने अगर ऐसा कदम उठाया है तो उसे पकड़ना बहुत मुश्किल है।
ठाकुर :इसीलिए तो अभी तक मैं यंहा पर बैठा हूँ वरना अब तक उसकी माँ चोद देता।
ठकुराइन :तुमको जो करना है करो बस आज कमरे में मत आना मुझे नीद आ रही है और तू आ कर अपना काम करके निकल जायेगा और रात भर मैं तड़पती रहूँगी ।
ठाकुर उसकी बात सुनकर कुछ नही बोलता क्यूंकि वह अगर इससे आगे कुछ बोलता तो वह उसे और बेइज्जत करती इसलिए चुप रहने में भलाई समझ कर वह बैठ गया और ठकुराइन अमृता के कमरे की तरफ चल दी। अम्रता आराम से अपने कमरे में बैठी हुई किताब पढ़ रही थी ।जब अंदर वह पहुची तो अमृता उसके तरफ देख कर एक बार हल्का सा मुस्कुराते हुए बोली कि
अमृता :" क्यों रे मेरी रंडी मा ले आई उसका लण्ड अपनी बुर में जरा मुझे भी तो दिखा क्या हाल किया उसने मेरी प्यारी मा का।
ठकुराइन :सच बोलू यार तो उसके जैसा मर्द मैंने आज तक नही देखा साले ने एक बार मे मुझे थका दिया और आज तक इतना मजा तो मैंने किसी के साथ नही लिया।
अमृता :वाह मेरी जान एक बार मे उसका गुणगान करने लगी तू तो ।
ठकुराइन :"क्या करूँ तेरी तरह नकली लौड़ा डाल कर अपना बुर नही फाड़ ली हु की मुझे दर्द नही होगा और वैसे भी चम्पा सच बोल रही थी उसका तेरे वाले से भी बड़ा है और टाइमिंग तो पूछ मत एक बार के बाद दूसरी बार की हिम्मत तो कोई लड़की नही कर सकती।
अमृता :तो तूने उसे जाने क्यों दिया मुझे बुला लिया होता मैं भी मजे कर लेती ।तेरी वजह से इतना मस्त लौड़ा हाथ से चला गया ।पहले उस कुत्ते की वजह से मेरे दिमाग की दही बनी पड़ी है और अब यार बचा खुचा तू ले गयी।
ठकुराइन :वैसे यार तू तो पार्टी में गयी थी ना फिर तेरा दिमाग क्यों खराब है ।क्या उसने फिर तुझे कुछ बोली क्या मैं तो पहले से ही बोली थी कि मत जा लेकिन तू ही मेरी बात नही मानी।
अमृता :"नही यार सोनिया ने कुछ नही बोला वह तो बहुत प्रेम से मिली पर अचानक पार्टी में गायब हो गई और फिर उसका कुछ पता नही चला सभी बहुत परेशान थे ।
ठकुराइन :फिर तू क्यों इतना परेशान है जब वह तुझसे प्रेम से मिली तो इसका मतलब तो यही हुआ ना कि उसने पिछली बातों को भुला दिया है और उसने तुझे माफ कर दिया है।
अमृता :यार कल जबसे वह गायब हुई तबसे पंकज भी अपने चेलों के साथ गायब हो गया और बाद में उसकी ऐसी हालत में मिला और बाद में अभी कुछ देर पहले सोनिया को फोन किया था मैंने तो उसने बताया कि कुछ लोग उसे जबरदस्ती उठा ले गए थे और उसने जो जगह बताई है वह जानती हो कौन सा है।
ठकुराइन :कहि तू यह तो नही कहना चाहती कि उसे पंकज ने उठा लिया था और किसी ने उसकी यह हालत कर दी है।
अमृता : सच कहु तो मैं भी इसी बात को लेकर परेशान हु अगर ऐसा हुआ है तो सच मे बहुत मुश्किल होने वाली है और मुझे तो पक्का यकीन है यही था क्यूंकि उसने जो जगह बताई है वह अपना ही गांव है और अपने गांव में ऐसी हरकत करने वाला पंकज ओर उसके आदमियो के सिवा और कोई नही हो सकता है।
ठकुराइन :अगर ऐसा हुआ है तो सच मे बहुत बड़ी गड़बड़ हो गयी है क्यूंकि उसकी गिनती आज के समय मे देश के टॉप बिजनेसमैन में की जाती है ।ठाकुर जैसे लोग तो उससे मिलने को भी तरसते है और अगर पंकज ने उसपर हाथ डाला है तो बहुत बड़ी गड़बड़ हो गयी है पर मेरी समझ मे एक बात नही आ रही है कि उसकी इतनी टाइट सिक्योरिटी के बाद भी पंकज उसे कैसे उठा लिया।
अमृता :वह इसलिए क्यूंकि कल वह बिना सिक्योरिटी के ही आयी थी पार्टी में और शायद इसलिय ही पंकज ने ऐसी गलती कर दी ।
ठकुराइन :वैसे एक बात बताओगी यह किस समय की बात है ।
अमृता :यही कोई 2घण्टे पहले की बात है
ठकुराइन :तो इसका मतलब है कि पंकज को मारने वाला और सोनिया की हेल्प करने वाला और कोई नही बल्कि जय है।
अमृता :अब इसमें उस बेचारे को क्यों घसीट रही है अगर पापा जान गए तो उसका क्या हाल करेंगे तू सोच भी नही सकती।
ठकुराइन :यार सच बोलू तो तेरा बाप उसका कुछ वैसे भी नही बिगाड़ पाते और अब तो अगर गलती से भी छूने की कोशिश की तो तू सोनिया को जानती है कि वह तेरे बाप का नामोनिशान मिटा देगी।भूल गयी कैसे उसने सारे बाजार के बीच मे अपने पति के एक्सीडेंट करने वाले को गोली मार दी थी और कोई उसका कुछ नही कर पाया था और अब तो उसके पास सब कुछ है।
इधर मैं कविता दी कि बात मानकर सोने की तैयारी करने लगा लेकिन कुछ ही देर में मेरे पास सोने के लिये कविता दी आ गयी तो उन्हें देख कर बोला कि

मैं : क्या बात है दीदी है आज आप यंहा पर मेरे पास सोने के लिए।
कविता दी : क्या करूँ सोचा कि आज जब प्यार का इजहार हो ही गया तो क्यों ना आज कुछ मजा ले ही लिया जाये।
अभी वह कुछ और बोलती उससे पहले ही पीछे से सरिता दी कि आवाज आई
सरिता : मैं जानती थी साली तू कुछ ऐसा ही करने वाली थी जब तू बाहर इसके कमरे में सोने के लिए बोली तो तभी मैं समझ गयी थी।
कविता दी : हा तू तो है ही मेरी दुश्मन लेकिन याद रखना जिस दिन मौका मिला उस दिन सबसे पहले तेरी बुर में लण्ड डलवा दूँगी फिर करती रहना निगरानी।
सरिता दी (मन मे)तू क्या चुड़वाएँगी मुझे बहनों में अगर किसी का पहला हक है तो मेरा बचपन से लेकर आज तक सब कुछ तू ही पहला हक लेती आयी है लेकिन इस बार नही।
सरिता दी :चल ज्यादा मत बोल चुप चाप सो जा पहले उसे ठीक तो हो जाने दे इसके बाद जो करने का मन करे कर लेना मैं नही रोकूंगी।
Sab ki sab chudne ko taiyar baithi h....

Kya baat h
 

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Next day
दो लड़कियां आपस मे बाते करती हुई रनिंग कर रही थी उसमें से पहली लड़की बोलती है
लड़की 1:आप ने जो बोला था वह मैं कर दी हु लेकिन मेरी समझ मे एक बात नही आ रही है आपने कल इतनी बड़ी गलती करकैसे दी।
लड़की 2 :क्या करूँ यार अब जब गलती होनी थी हो गयी अब मैंने यह सब जान बूझ कर तो किया नही और ऊपर से उन सबने अचानक आकर पकड़ लिया और मैं कुछ नही कर पाई। वह तो भला हो उस लड़के का जिसने अपनी जान की परवाह न करते हुए मेरी सुरक्षा की ।
लड़की 1 :आपको क्या लगता है इसमें किसी की साजिश थी या ऐसे ही किसी का काम था।कहि ऐसा तो नही इस बार भी कही उसी कामिनी का हाथ तो नही है।
लड़की 2 :नही मुझे ऐसा नही लगता वह अब ऐसा हरकत दुबारा करेगी ।वैसे भी वह सब दारू के नशे में थे तो मुझे नही लगता कि यह किसी प्रकार की साजिश थी ।
लड़की 1: पर जंहा तक मैने पता किया उसका भी वही गांव है जंहा पर तुम्हारे साथ यह हरकत करने की कोशिश की गई।
लड़की 2 :तुम वह सब छोड़ो यह बताओ कि आज का क्या प्रोग्राम है ।कुछ खास है जिसमे मेरा रहना जरूरी है।
लड़की 1 :नही वैसे तो कुछ खास काम नही है बस 1 या 2 मीटिंग है और उसके बाद आपको जगह चीफ गेस्ट के रूप में जाना है।
लड़की2 : तो तुम ऐसा करो कि मीटिंग तुम देख लो और रही बात शाम को तो तब तक मैं आ जाऊंगी लेकिन एक बात का ख्याल रहे मैं कंहा हु इस बारे में किसी को जानकारी नही होनी चाहिए।
इधर अगली सुबह जब मैं सुबह सो कर उठा तो मैं देखा कि बिस्तर पर मैं अकेला ही सो रहा हु बाकी की दोनों लोग उठ कर कब चली गयी मुझे पता ही नही चला। तो मैं भी उठ कर फ्रेश होकर बाहर आ गया जंहा पर घर के सभी बड़े लोग बैठ कर आपस मे बाते कर रहे थे और सबसे बडी बात यह थी कि आज बड़ी दी और जीजा जी भी आये हुए थे।सभी लोग बहुत ही चिंतित दिखाई दे रहे थे ।मुझे आते हुए देख कर बड़ी दीदी उठी और मुझे गले लगा लिया और रोने लगी ।कुछ देर रो लेने के बाद वह शांत हुई तो मैं भी उनको एक कुर्शी पर बिठा कर उनके गोद मे अपना सर रख कर नीचे बैठ गया ।तब मा बोली कि
माँ :आप लोगो ने चाहे जो सोचा हो लेकिन मैंने फैशला कर लिया है कि अब यह गांव में नही रहेगा ।अब इसे हम लोगो से दूर जाना ही होगा।
पापा : तो तुम क्या चाहती हो उस ठाकुर के डर से मैं अपने बेटे को कही भी भेज दु ।
मा :इसलिए ही मैने रात को ही बेटी और दामाद जी को फोन करके बुला लिया है ।यह पास के शहर में काम भी करते है और बहुत अच्छी कंपनी है उसी में कुछ दिनों के लिए काम दिलवा देंगे और जब मामला शांत हो जाएगा तो चला आएगा।
बड़ी माँ :इस बात से तो मैं भी सहमत हूं देवर जी वैसे भी बेटा कहि और तो जायेगा नही अपनी बहन के पास ही रहेगा तो चिंता करने की कोई बात नही है ।मेरे भाई का लड़का भी दामाद जी कंपनी में ही काम करता है और उसे भी इन्होंने अच्छी जॉब दिलवादी है तो अपने बीवी के छोटे भाई को नही दिलवाएंगे।
बड़ी दी : अरे उसे काम करने की क्या जरूरत है जब तक चाहे रह सकता है और वैसे भी अभी इसकी उम्र ही क्या है जो यह कम्पनी में काम करेगा ।मेरा भाई सहर जाकर घूमेगा और अगर चाहे तो पढ़ाई करे।
बड़ी दी कि बातों को सुनकर भाभी की हसी छूट गयी और वह रशोई में चली गई तब उनके पीछे पीछे कविता दी और सरिता दी भी चली गयी ।अंदर जाकर कविता दी ने बोला कि
कविता दी :क्या बात है भाभी आप इस तरह से वहां से क्यों चली आयी और बड़ी दी कि बातों पर आप हसि क्यों।
भाभी :वह इसलिए क्यूंकि अब हम सबका पत्ता काट कर पुनम ने उसे बच्चा कहा उसे कहा पता कि वह बच्चा कितनो को फाड़ चुका है मुझे तो ऐसा लग रहा है कि कहि सुरुवात उसी से ना कर दे ।

कविता दी :नही भाभी ऐसा नही होगा क्यूंकि दी उसे बहुत प्यार करती है और वह उसके साथ ऐसा वैसा कुछ नही करेंगी।
भाभी :"तो क्या मेरी लाडो रानी उसे प्यार करने का दिखावा करती है।
भाभी की बात को सुनकर कविता दी आंखों में आँशु आ जाते है और वह भराये गले से बोलती है कि
कविता दी : भाभी आप को जो बोलना है बोल लो लेकिन मेरे प्यार पर उंगली मत उठाओ ।आप नही जानती उसके प्यार के लिये मैं खुद को बदल ली और आप बोलती है कि मैं उसे प्यार नही करती।
सरिता दी :नही भाभी के कहने का यह मतलब नही था वह तो बस यह कहना चाहती है कि जब हम सब उससे इस तरह प्यार कर सकती है तो दी क्यों नही कर सकती है और वैसे भी मुझे लगताहै कि दी के इतने साल हो गए शादी को फिर भी बच्चा नही हुआ कुछ तो कारण होगा ।
कविता दी और भाभी चोंक कर सरिता दी कि तरफ देखती है और फिर बोलती है कि
भाभी :तुम कहना क्या चाहती हो मैं कुछ समझी नही।
सरिता दी :मैं बस इतना कहना चाहती हु की जीजा जी मे इतना दम नही है कि वह दी को मा बना सके इसलिये अगर जय ही उन्हें मा बना दे मुझे कोई बुराई नही दिख रही है।
कविता :तब तो अब सिर्फ मा छोटी चाची और मधु बची है जिनके मन में उसके लिए गलत भावना नही है।
भाभी :मधु ही क्यों ज्योति क्यों नही

कविता दी :वह इसलिए मेरी रंडी भाभी क्यूंकि ज्योति हम सबसे बड़ी रंडी निकली वह पहले ही उससे चुद चुकी है और उसके साथ उसकी 2 सहेली भी साथ मे ही ।
सरिता दी :क्या बोल रही है तू
कविता दी :सच बोल रही हु मेरी जान वह उसका मोटा लण्ड अपनी बुर में ही नही गांड में भी ले चुकी है
इधर बाहर
Sab ek se badhkar ek h yaha to ...
 

Yamraaj

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Ab soniya ki baato ko sunkar papa kuchh bole nhi lekin mai samajh gaya ki is trah se Soniya ka thakur ke yanha jana unko bilkul bhi pasand nahi aya lekin vah chah kr bhi mna nahi kar sakte the .iske baad Soniya vnha se chali gayi apni gadi me baith kar thakur ki haweli ki traf jnha par uske aane ke baare me kisi ko kuchh bhi pata nahi tha .idhar ghar par Soniya ke jaane ke baad mujhe Sarita di ne apne pass bulaya or boli ki
Sarita di : jay tujhase kuchh baate karni hai akele me chal bhar chalte hai .
itna bol kar sarita di ne kavita di ko ishara kar diya or vah dono bagiche ke traf chal di or mujhe apne pichhe ane ke ishara kar diya .ab mai itna to samjh hi gya tha ki vah log kis bare me baat karna chahti hi isliye mai abhi jana nhi chahta tha lekin naa chahte hue bhi mujhe unke pichhe jana pada jab mai vnha par pahucha to maine dekha ki unke sath bhabhi bhi vahi par maoujood thi unhe vanha par dekh kar mujhe sara majara samjh me aa gya abhi mai vanha par phucha hi tha ki sarita di ne samne khade hone ka ishara kar diya or mai un logo ke samne ek mujrim ki trah khada ho gaya.phir Sarita di boli ki
Sarita di : tujhe ek baar koi baat samjhane me samajh me nhi ata hai.
Mai : di aap pahle meri galti to bataye ki maine kiya kya hai mujhe yah to pata chale.
kavita di :dekh rahi ho na sarita ab kitna masoom ban raha hai jaise isne kuchh kiya hi na ho tune Soniya ko hamare baare me kyu bataya.
Mai :ohh to aap log is vajah se naraj ho par maine jo kuchh bhi kiya hai vah sab aap logo ke baare me soch kar hi kiya kunki agar use aap logo ke baare me pata nhi hota to mai aap logo se khul kar nhi mil pata or sochiye agar use is baare me baad me pata to chalana hi tha tab ho sakta tha vah kuchh aisa kar baithati jo apke or haamare liye thik nhi hota kam se kam ab ham log is kahatre se to dur hai ki agar use pata chala to kya hoga .ab to mai uske samne bhi agar kuchh karta hu to dar nhi rahega.
bhabhi :mere hishab se Jay bilkul thik bol raha hai lekin ek baat or batao mere baare me kya socha hai tumne akhir or kitana intjaar krna hoga ladki se orat banne ke liye.
mai thoda majak karte hue bola ki
mai :are bhabhi aap kya baat kar rahi ho ap to shadi hone ke baad orat to ban gayi ho or kaise banogi orat.
bhabhi :abe bahenchod harami tujhe nahi pata hai ki mai orat kaise banungi sale tere bhai me dam to hai nahi or tu puchhata nahi sale bajar me bur khol kar baith jaungi phir pata chalega ki kaise ek ladki orat banti hai.
mai : are bhabhi abhi bahenchod bna kha hu pahle ban to jaane do phir gali de lena
bhabhi :abe jise nhi pata ho naa use jakar ullu bnana mai sab kuchh janti hu sale har dusare din jo tu jyoti ko chodata hai uska kya .vah teri bahan nhi hai kya
mai unki baat sunkar chonk utha .mai to yhi janta tha ki is baare me koi nahi janta lekin meri is soch ko bhabhi ne ek baat me uda diya.bhabhi ki baat sunkar Sarita di bhi chounke bina nahi rah saki kavita di is baare me janati to thi lekin ham log itna karte hai is baare me unhone bhi nhi socha tha . Bhabhi ki baat sunkar sarita di boli ki
Sarita di :bhabhi aap jo bol rahi ho kya vah sach hai ya aap isi tarah bol rahi hai.
bhabhi : nahi Sarita mai sach bol rahi hu or is baat ko khud Jyoti ne mujhe khud bataya tha jab vah ek baar iske bachhe ki maa banne wali thi to use garbh girane ki dava maine hi lakar diya tha tb batayi thi vah.
kavita di :oh to baat yanha tak pahuch gayi sali kamini hamse pahle hamare maal pr daka dal diya sali ko chhodungi nahi bahut garmi hai kutiya me sab garmi nikal dungi us randi ko
Sarita :jaane de or kitna gali degi us bechari ko akhir ham bhi to usi kasti me sawar hona chahti hai bs vah ham logo se pahle ho gayi to isme bura manne wali kya baat hai.
idhar ham log bate kar rahe or yanha se kuchh dur par ek ladki ham logo ki sari baate sun rahi thi or use is baat par yakin hi nhi ho raha tha bhai bahan ke bich aisa rishata bhi ban sakta hai or vah bhi itane khuleaam .
vhi dusari tarf thakur apne ldke or uske dosto ko ghar par le kar aa gya tha or Pankaj ke room me baith kar apne bete se uski aisi halat karne wale ke baare me puchh raha tha lekin jab uasne uska chahera dekha to kuchh bataye naa .abhi vah kuchh or bolata usse pahle ek adami akar bolata hai ki
admi :thakur sahab aapse ek ladki milane ke liye ayi hai or apko bula rahi hai.
thakur : ganv ki hi koi ladki hogi jakar bol de abhi busy hu baad me akar milata hu intjaar kare.
adami : nhi thakur sahab vah ganv ki koi ladki nhi blaki sahar ki hai or yah usne apna card diya hai
thakur jab us card ko dekhta hai chonk jata hai kunki jisase vah pichhale 6 month se milane ki koshish kar raha tha par nhi mil paa raha tha vah aaj uske pass khud ayi hai milane ke liye to vah turant apne admi se unhe baithane ko bolta hai or khud chal padata hai usase milne ke liye thakur jab vanha par phuchata hai to dekhata hai ki uski beti or biwi dono usase bate kar rahi thi use ate hue dekh kar thakurain uth kar khadi ho gyi or thakur Soniya ke pass ja kar bolata hai ki
thakur :aaj aap yanha par bina bataye mai to kabse aap se milane ka try kar raha tha lekin nhi mil paya lekin aap yanha par achank aakar mujhe chonka diya agar kuchh kaam tha to mujhe bula liya hota mai khud aa jata.
Soniya :ji mujhe pata nahi tha ki aap meri friend Amrita ke papa hai varana aapko itna intjaar nahi karna padata or vaise bhi mere yanha par aane ka karan apka beta hai jisne kal meri ijjat lutne ki koshish ki or aap yh achhi trah se jante hai ki agar maine kuchh action liya to aap logo ka jina mushkil ho jayega isliye mai apko samjhane ke liye aayi hu .
Thakur : mai apne bete ke kiye gye durvyvahar ke liye mafi mangata hu or apko vachan deta hu age se vah aisi koi bhi hrkat nhi karega.
Soniya :or isi me apki bhalai hai kunki ab mera bhi nata is ganv se jud gya hai or agar mujhe pata chala ki aap ne ya apke bete ne kisi bhi trah ki galti ki to is baar to maaf kar diya lekin agali baar mafi bhi nhi milegi .
phir Soniya Amrita ki traf dekhate hue bolati hai
Soniya : Amrita mujhe tumse kuchh baat karni hai akele me
Amrita : haa kyu nhi chalo mere kamre me chalte hai
Soniya : haa or apni maa ko bhi sath me le lo
iske baad teeno uth kar Amrita ke kamre ki traf chal deti hai or room me pahuchane ke baad Soniya Amrita ko ek gift dete hue bolti hai
Soniya :yaar ek baar phir tumane mujhe jivan jine ka sahara de diya agr tum apne bhai ke sath milkar mujhe nhi uthvati to Mai jay se kabhi nhi mil pati.

mm
YAha to sab ke sab mile huye h ......
 

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इतना बोलकर मैंने भाभी को अपनी तरफ खिंचा और उनके होंठो को अपने होंठो से मिला लिया पहले कुछ समय तक तो उन्होंने मेरा साथ नही दिया लेकिन कुछ देर बाद वह भी मेरा साथ देने लगी और हमारा यह किस सॉफ्ट किस से होते होते वाइल्ड किस में बदल गया हमारा यह किस तब तक चलता रहा जब तक कि हम दोनों की सांस फूलने नही लगी। जब हमारी सांसे फूलने लगी तो हमने एक दूसरे को छोड़ा तब मैं बोला कि
मैं :"वाह भाभी मजा आ गया आज से पहले मुझे कभी भी किसी के साथ किस में इतना मजा नही आया आपने कंहा से सीख लिया है यह सब
भाभी : देवर जी अभी तक आपने जाना ही कंहा है अपनी भाभी को आगे आगे देखिये कितना मजा देती हूं मैं आपको।
इतना बोलकर भाभी फिर से मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और इस बार तो वह पहले से भी ज्यादा भयानक तरह से किस करने लगी ऐसा लग रहा था मानो मेरे होंठो को खा जायँगी। इस बार उन्होंने मुझे बुरी तरह से चूस डाला। सच कहु तो आज तक खुद मैंने कभी भी नही किया था किसी के साथ ।अभी मैं यही सोच रहा था कि भाभी ने मुझे खड़ा किया और खुद ही मेरा लण्ड पैंट के ऊपर से पकड़ लिया और साथ मे किस भी कर रही थी ।अब मैंने अपनी सोच को विराम देते हुए भाभी के साथ मस्ती करने का सोच लिया और उनके होंठो को चूसते हुए मैं उनके चुचियो को मसलना सुरु कर दिया कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैंने भाभी के एक एक करके सारे कपड़े उतार दिए उन्हें पूरी तरह से नंगा कर दिया


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जैसा कि उनको पता था कि मुझे झांटो से भरी हुई बुर काफी पसंद है तो उन्होंने अपने बुर के बाल साफ नही किया था यह देख कर मुझसे रहा नही गया और मैंने तुरन्त ही उनकी बुर को अपनी हाथों से फैला कर उनके बुर के दाने को अपनी जीभ से छेड़ दिया और उनकी बुर में एक उंगली घुसाने की कोशिश की तो उनकी मुह से हल्का सा दर्द की चीख निकल गयी और मैं यह देख कर मुस्कुरा दिया और बोला कि
मैं :वाह भाभी लगता है आज तक आपने उंगली तक नही की है मजा आएगा खूब।
इतना सुनते ही भाभी बस हस दी लेकिन कुछ बोली नही मैंने भी बिना समय बिताए उनकी बुर को अच्छी तरह से चूसने लगा जिसकी वजह से उनके मुह से आवाजे निकलने लगी और वह किसी तरह से उनपर काबू पाने की नाकाम कोशिश कर रही थी लेकिन इसके बावजूद भी उनके मुह से सिसकिया निकल ही जाती थी करीब 5 मिंट में उनकी कमर ऊपर की तरफ उठने लगी और उन्होंने मेरे सर को अपनी बुर में दबा दिया और अपना पानी छोड़ दिया जिसे मैंने पी लिया और इसके बाद जब मैं खड़ा हुआ तो उन्होंने आगे बढ़कर मेरे पैंट को खोलते हुए बोली कि
भाभी :आज तक इसके बारे में कितना सोची हु आज मैं इसे जी भर कर प्यार करूँगी।
लेकिन जब उन्होंने मेरा पैंट खोला तो वह मेरे लण्ड को देखती ही रह गयी और बोली
भाभी :बाप रे यह आदमी का है किसी शैतान का मैं तो मर ही जाऊंगी इसे अपनी चुत में लेकर।
इधर बाहर खड़ी मेरी दोनों बहनें जो खिड़की से छुप कर सब देख रही थी वो दोनों भी मेरे लण्ड को देखकर अपनी आंखें चौड़ी कर ली ।जैसे उन्होंने कोई भूत देख लिया हो। कुछ देर बाद कविता दी बोली कि
कविता : यार सरिता इसका आदमी का है या गधे का भाभी कैसे लेंगी इसे अपनी बुर में उनकी तो फट जायेगी।
सरिता दी :उनकी छोड़ तू अपनी सोच तुझे भी बहुत गर्मी चढ़ी रहती है तू कैसे लेगी उसे।
कविता दी :मैं पागल थोड़ी ही हु जो इस गधे के नीचे आऊंगी बाप रे मैं तो इससे अब दूर ही रहूँगी ।
इधर हम दोनों की उत्तेजना अपने चरम पर थी भाभी पूरी कोशिश कर रही थी मेरे लण्ड को अपने मुह में लेने को लेकिन सिर्फ सुपाड़ा ही मुह में लेकर चूस पा रही थी और जीभ से पूरे लण्ड को अच्छी तरह से चाट कर गिला कर रही थी तो मैं बोला कि
मैं :भाभी अब बर्दाश्त नही हो रहा है अब तो छोड़ दो और लेट जाओ अब मैं अपकीं बुर का उदघाटन करूँगा।
भाभी मेरे लण्ड को अपने मुँह से निकाल कर एक बार मेरी तरफ देखी और हँसते हुए बोली
भाभी :देवर जी जो करना है करो लेकिन थोड़ा इसे चिकना तो कर लेने दो ताकि आराम से जा सके वरना आप तो मेरी बुर की धज्जियां उड़ा कर रख दोगे।
इतना बोल कर भाभी अपने बिस्तर से उठी और तले की शीशी लेकर मेरे लण्ड पर अच्छे से मालिश किया और उसे चिकना कर दिया और इसके बाद मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटाया और उनके टांगो के बीच आकर उनके प्यारी बुर को एक बार देखा और उसे चुम लिया क्यूंकि आज के बाद इसपर मेरे नाम का मुहर लगने वाली थी और फिर अपना लण्ड उनके बुर में फिट करके एक हल्का सा धक्का मारा तो मेरा टोपा उनके बुर के फांको को फैलाता हुआ थोड़ा अंदर घुशा तो उनके मुह से एक हल्की चीख निकली तो मैं उनके होंठो को अपने कब्जे में लेते हुए उन्हें कशकर पकड़ा और सोचा कि थोड़ा थोड़ा घुसाने में ज्यादा दर्द होगा उससे अच्छा तो यही होगा कि दो बार में ही पुरा घुशा दु यही सोच कर एक करारा धक्का मारा तो मेरा लण्ड उनकी बुर की सील को तोड़ते हुए आधा घुस गया तो वह नीचे छटपटाने लगी और उनकी आंखों से आँशु बहने लगी और अगर मैंने उनके मुह को दबाए नही रहता तो अब तक आधा गांव को जुटा लिया होता और यह नजारा देख कर मेरी बहनों की हालत खराब हो गयी थी इधर मैं उनके दर्द को कम करने के लिये उनकी चुचियो को पीने लगा और इस तरह करीब 5 मिंट बाद जब उनका दर्द कम हुआ तो मैंने जब देखा कि उन्हें थोड़ा आराम हुआ है तो एक बार और तेज धक्का मारा और मेरा पूरा लण्ड उनकी बुर को फाड़ता हुआ पूरा घुस गया और भाभी दर्द के मारे मुझे नोचती और मार कर अपने ऊपर से हटाने की कोशिश करती रही लेकिन कोई फायदा नही हुआ और इधर मैंने भी हल्का हल्का धक्का लगाना सुरु कर दिया करीब दस मिनट बाद जब उन्हें मेरे धक्कों से मजा आने लगा तो वह भी नीचे से अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने उनके मुह पर रखी हुई हाथ को हटा दिया तो वह बोली कि
भाभी :वाह मेरे राजा तू तो पूरा मर्द निकला रे मेरी तो जान ही निकाल कर रख दिया एक बार को तो लगा मैं मर ही जाऊंगी
मैं धक्के लगता हुआ उनके होंठो को एक बार चूमा और बोला
मैं :अरे भाभी जान अभी तो आपकी जवानी को पूरी तरह चखा भी नही और आप मरने की बात कर रही हो अभी तो आपको मेरे बच्चों की माँ बनना है ।
भाभी सिसकिया लेती हुई बोली कि
भाभी :वह सब तो बाद कि बात है मेरे राजा अभी तो तूफानी रफ्तार से धक्का मारो बाकी सब बाद में
उनके इतना बोलते ही मैं अपनी पूरी रफ्तार से उनकी बुर की धज्जियां उड़ाने में लग गया करीब 40 मिंट तक तरह तरह के पोज में उनकी बुर की धज्जियां उड़ाने के बाद जब मेरा गिरने वाला था तो मैं उनसे बोला कि
मैं :भाभी मेरा होने वाला है अंदर गिरा दु
भाभी :नही मेरे राजा आज तो मैं उसे चखना चाहूंगी
उनकी बात सुनकर मैं भी उनके बुर से अपना लण्ड निकाल के उनके मुँह में डाल के हिलाने लगा और कुछ ही धक्कों में मेरा सारा माल उनके मुंह मे छोड़ दिया जो कि उनके होंठो से होते हुए बाहर की तरफ बहने लगी थी


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इधर बाहर खड़ी मेरी बहने बिना बुर को हाथ लागये इस बीच दो बार झड़ चुकी थी । उधर जब मैं चुदाई के नशे से बाहर आया तो देखा कि उनकी बुर के होंठ बुरी तरह से सूज चुकी थी तो मैं जल्दी से जाकर रसोई में गैस पर गरम पानी करके लाया और उनके चुत की सिकाई करने के बाद शाम को बाजार से जाकर दर्द की गोली पहले ही लेकर आ गया था वह उन्हें खाने को दी और फिर बाहर आ गया । भाभी चुदाई के बाद कुछ देर ऐसी ही लेती रही फिर दर्द की दवा से दर्द कम।हुआ तो वह सो गई।इधर मेरी बहने भी अपने बिस्तर पर जाकर सोने की कोशिश करने लगी ।
वही दूसरी तरफ सोनिया और रूबी ऑफिस से तैयार होकर शाम की पार्टी के लिए निकल गयी ।वहा पार्टी में कुछ ऐसा नही हुआ जिसका जिक्र करना जरूरी हो वह एक बिजनेस पार्टी थी और अच्छे से निपट गयी ।पार्टी से घर आने के बाद जब वह फ्रेश होकर नीचे आयी तो उसकी माँ ने पूछा की आज वह जाकर बात की या नही उस लड़के से तो सोनिया ने वँहा पर जो कुछ भी हुआ सब बाते बता दिया तो उनके यंहा पर ना रुकने पर सोनिया की माँ थोड़ी दुखी जरूर हुई पर जब उन्हें पता चला कि वह लोग सहर में रहने वाले है तो उन्हें थोड़ी खुसी जरूर हुई लेकिन उन्हें इस बात का दुख भी था कि कुछ समय के बाद सोनिया को यंहा से जाना पड़ेगा।
Bhai tumne pel liya bhabhi ko ab mughe bhi dilwa do.....
 
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