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Incest दीवाना चुत का

Yamraaj

Put your Attitude on my Dick......
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वही दूसरी तरफ कालू जो वंहा पास में खड़ा यह सब बातें सुन रहा था उसे लगा कि अब अगर मुझे नही रोका तो बात बढ़ सकती है लेकिन एक बात वह अच्छी तरह से जानता था कि अब मुझे कोई रोक सकता है तो वह सिर्फ सरिता दी ही थी क्यूंकि जब मुझे किसी बात पर गुस्सा आता है तो उस समय मैं केवल सरिता दी कि ही बात मानता हूं या तो फिर एक कविता दी ही है जो मुझे शांत कर सकती है लेकिन कविता दी पहले मुझसे नाराज थी इसलिये इस बारे में कालू को पता नही था तो वह सीधे मेरे घर सरिता को यंहा का हाल बताने के लिए चला गया ।वही दूसरी तरफ जब ठाकुर को यह पता चला तो मेरे बारे में पता करने के लिये कुछ आदमियो को गांव में भेजा और उन्होंने मेरी सारी डिटेल उसे बता दिया और यह भी की इस समय मैं कंहा पर हु तो वह भी अपने बेटे को मारने वाले से मिलने के लिए अपने आदमियो के साथ गांव की तरफ आ रहा था वही अब यंहा पर मामला ज्यादा ही बढ़ चुका था बात अब उस औरत से हट कर रामु और उसके माँ बाप मुझे टारगेट बना लिया था इसलिये वह लोग अब मुझे भला बुरा बोलने लगे ।
हरिया :बेटा मुझे तो तब ही शक हो गया जब यह कामिनी इसके खेत मे काम करने के लिए गयी ।अरे मैं तो बोलता हूं तू इससे फालतू में बाते क्यों कर रहा है ।इस रंडी को घर से तो निकाल ही दिया अब इसकी मर्जी जंहा मन करे वंहा जाए ।अब तो इसका यार भी आ गया है अब इसे किस बात की चिंता है ।
अभी हरिया कुछ और बोल पाता इससे पहले ही उसे किसी ने एक झापड़ मार दिया जिसकी वजह से उसकी बोलती बंद हो गयी ।उसे मारने वाली और कोई नही बल्कि कविता दी थी जो कि सरिता दी के साथ कालू के द्वारा बताई गई बातो को सुनकर यंहा पर आई हुई थी और इसकी बाते सुनकर उनका दिमाग खराब हो गया और बिना कुछ सोचे समझे उन्होंने उसे मार दिया और बोली
कविता दी :मेरा भाई नही कुछ बोल रहा है तो इसका मतलब यह नही की तेरे मन मे जो कुछ भी आये तू बोलता जाएगा । अपनी गलती दुसरो के ऊपर थोप कर तू खुद को बेगुनाह साबित नही कर सकते हो काका।
मैंने जब देखा कि कविता दी काफी गुस्से में लग रही है तो मैं उन्हें रोकने के लिए आगे बढ़ा लेकिन लगता है आज मेरी किस्मत सच मे ही बहुत खराब थी क्यूंकि अभी मैं उन्हें कुछ बोल पाता उससे पहले ही मुझे अपने पीछे से किसी की आवाज सुनाई दी और वह कोई और नही बल्कि सरिता दी ही थी वह बोली
सरिता दी :चुप चाप जंहा पर खड़ा है वंही पर खड़ा रह क्या जरूरत थी तुझे किसी के फ़टे में टांग अड़ाने की और तू क्या बोल रही थी काकी की मेरे भाई का चक्कर तेरी बहु के साथ चल रहा है तो तुझे मैं एक बात बता देती हूं कि जा कर गांव में किसी से भी पूछ लें तुझे पता चल जाएगा कि किसका चक्कर किसके साथ चल रहा है खुद तो ठाकुर का बिस्तर गर्म करती है और जब तेरी बहु ने तेरी बात मानने से इनकार कर दिया तो अपने ही बेटे को उसकी पत्नी के खिलाफ भड़का दिया और आज उसे इस हालत में खड़ा कर दिया है।
रामु माँ:तू चुप कर कामिनी जो भी मुह में आ रहा बोले जा रही है बोलने से पहले सोचा कर अगर ठाकुर को पता चला ना तो वह तेरी खाल निकलवा देगा।
अब तक जो मैं किसी तरह से अपने गुस्से को दबाए रखा हुआ था लेकिन जब उसने मेरी दीदी को गाली दी तो मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया और मैं बोला
मैं : अब अगर तुम सबने एक भी सब्द बोली मेरी दीदी के खिलाफ तो तुझे यंही पर जिंदा गाड़ दूंगा। कबसे मैं तेरी सारी बकवास सुने जा रहा हु तो इसका मतलब यह नही है कि तेरे मन मे कुछ भी आये तू बोलती जाएगी और मैं सुनता रहूंगा।

राजू जो इतनी देर से मेरी बातें सुन रहा था वह गुस्से से पागल हो गया ।अब उसने पहले से ही बहुत ज्यादा सराब पी रखी थी और उसे कुछ भी होश में नही था वह बोला कि
रामु : तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे माँ से इस तरह बात करने की पहले तू आकर मेरा काम बिगाड़ दिया और उस रंडी को बचा लिया और उसके बाद तेरी रंडी बहन जो खुद ना जाने कितने के नीचे सोई होगी उसे खुद पता नही है आज मैं तुझे मार कर इन दोनों रंडियों को पूरे गांव के सामने नंगी करके ना घुमाया तो मेरा नाम भी रामु नही ।
रामु के ऐसा बोलने से जो मेरा गुस्सा अब तक दबा हुआ था वह खुल कर बाहर आ गया और मैंने बिना कुछ सोचे समझे उसकी धुनाई करनी सुरु कर दी ।अगर वह दारू के नशे में नही होता तो उसे मारना थोड़ा कठिन होता लेकिन नशे के कारण वह अपना बचाव भी ठीक से नही कर पाया और कुछ ही देर में उसकी हालत खराब हो गयी और वह जमीन पर गिर गया। अभी मैं उसे और ज्यादा मार पाता तब तक ठाकुर अपने आदमियो के साथ वंहा पर आ पहुचा था उसे देख कर रामु की माँ तुरन्त उसके पास जाकर। उसे मेरे खिलाफ भड़का दिया ।ठाकुर तो पहले से ही मेरे ऊपर भड़का हुआ था उसकी बात सुनकर उसे और भी ज्यादा गुस्सा आ गया और वह बोला कि
ठाकुर : क्यों रे लड़के तेरी इतनी हिम्मत की तू मेरे खिलाफ उल्टा बोल रहा है ।आज कल तू बहुत ऊंड रहा है पहले मेरे बेटे और उसके दोस्तों को मारा और आज तूने मेरे खिलाफ ही बोलना सुरु कर दिया ।तुझे एक बार भी डर नही लगा मेरे खिलाफ बोलते हुए की अगर मुझे पता चला तो मैं तेरे साथ क्या करूँगा।
मैं :डरते वो है जो गलत करते है ना ही मैंने कल कोई गलती की थी उसे मार कर और ना ही आज ।किसी को उसका सच बताना गलत तो नही है । अब जब मैंने तुझे तेरा ही चेहरा तेरे सामने खोल कर रख दिया तो तुझे बुरा क्यों लग रहा है ।
ठाकुर : साले तेरी इतनी हिम्मत की तू मेरे सामने अपनी जुबान खोलता है ।आज अगर तेरी खाल उधेड़ कर उसमें भूषा ना भर दिया तो मेरा भी नाम ठाकुर भानु नही।
मुझे उसकी बातें सुनकर हसी आ गयी ओर बोला कि
मैं :भूल गया कल तेरे बेटे की क्या हालत किया और अगर सच मे भूल गया है तो कोई बात नही मैं तुझे याद दिला देता हूं।
ठाकुर : तू अपने आप को बहुत बड़ा सुरमा समझता है ना खुद को आज देखता हूं तुझमे कितना दम है ।अगर सच मे तू एक बाप की औलाद है तो मेरे आदमियो से जीत कर दिखा साले कुत्ते की औलाद।
DEkhte h aange kya hota h....
 

rkv66

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मेरी बात को सुनकर वँहा पर जैसे सांप सूंघ लिया हो किसी के मुह से कोई आवाज निकल ही नही रही थी ।काफी देर तक वँहा पर सन्नाटा पसरा रहा फिर कुछ देर बाद सुमन आंटी बोली कि
सुमन :बेटी अगर यह मजाक है तो सच मे इससे बुरा मजाक और कुछ नही हो सकता है ।
मैं :नही आंटी जी आपको लगता है एक लड़की ऐसी बाते मजाक में बोल सकती है । आप मानो या ना मानो लेकिन सच्चाई तो यही है और आप लोग के मानने या न मानने से सच्चाई बदल तो सकती नही है।
राजेस्वर :बेटा अगर यह सच भी है तो सोचो आपके और हमारे बीच बहुत अन्तर है जिसे हम बदल नही सकते है और लोग क्या कहेंगे।उससे भी बड़ी बात यह है कि आपके घर वाले इस रिश्ते के लिए कभी भी तैयार नही होंगे।
मैं : आप लोग मेरे घर वालो की चिंता ना करे कमलेश मेरी ही कम्पनी में काम करता है तो वह मेरे बारे में सब कुछ जानता ही होगा अगर आप लोग चाहे तो उससे सब कुछ पता करने के बाद जो आप लोगो का फैशला हो मुझे बता दीजिए ।अब तो जय के साथ या उसके बिना मैं उसकी सुहागन तो हो ही गयी हु अब जीवन तो उसके नाम के साथ ही काटना है ।अब मेरी जिंदगी में खुसी देंगे आप लोग या गम इसका फैशला आप लोगो को ही करना है।
इतना बोल कर मैं वँहा से बाहर चली आयी उन लोगो को आपस मे बात करने के लिए। इधर मेरे बाहर जाते है सभी लोग कमलेश की तरफ सवालिया निगाहों से देखने लगे तो कमलेश मेरे बारे में जो भी जानता था सब कुछ बता दिया और अंत मे कमलेश ने बोला कि
कमलेश :पापा जी मैं तो यही बोलूंगा की आप लोग बिना किसी संकोच के यह रिश्ता मंजूर कर लीजिए ।बस यह समझ लीजिए अगर वो चाहे तो बिना आप लोग के मर्जी के भी शादी कर सकती है और कोई उनका कुछ भी नही बिगाड़ सकता है ठाकुर जैसे तो ना जाने कितने लोग मिलने के लिए आते है और इनके पास समय ना होने के कारण नही मिल पाती है ।
सुमन: लेकिन बेटा फिर भी उसकी एक बार शादी हो चुकी है और वह विधवा भी है अगर हम लोग ऐसे लड़की से अपने बेटे की शादी करवाते है तो समाज मे कही मुह दिखाने के काबिल नही रह जाएंगे।
पूनम : माँ मैं जानती हूं इन्हें अच्छी तरह से केवल चेहरा नही देखी थी शहर में सभी इनको देवी की तरह पूजते है इनको मान देते है एक से बढ़कर एक लड़के इनसे शादी करने को तैयार खड़े थे लेकिन इन्होंने किसी को हा नही बोला अब जब वह खुद चल कर यंहा तक आयी है तो उन्हें मना करना अच्छी बात नही होगी।
राजेस्वर : ठीक है अगर तुम लोग बोलते हो तो हमें यह रिश्ता मंजूर करने में कोई समस्या नही है ।जय बेटा अगर तुम कुछ कहना चाहते हो तो अभी बोल सकते हो अगर तुम यह शादी नही करना चाहो तो हम कभी भी नही करेंगे।
अंकल जी ऐसा बोलने से सभी लोग जय की तरफ देखने लगे तो जय बोला कि
जय :पापा मैं उनसे अकेले में कुछ बाते करना चाहता हु अगर आप लोगो की इजाजत हो तो मैं बात करने के बाद ही कुछ भी बोल पाऊंगा।
सुमन :ठीक है बेटा जैसी तेरी मर्जी जा सरिता बुला ला उसको
सरिता आंटी की बात सुनकर मेरे पास चली आयी बाहर बुलाने के लिए इसके बाद हम दोनों लोग अंदर चले आये।अंदर आने केसमय मेरे दिल मे हजारो सवाल चल रहे थे कि इन लोगो का क्या फैशला होगा ।आज पहली बार मैं खुद को इतना नर्वस महसूस कर रही थी नही तो जो मुझे चाहिए होता था उसे मैं किसी भी कीमत पर पा ही लेती थी कुछ इसी तरह के खयालो में डूबी हम दोनों अंदर पहुची । अंदर गयी तो राजेस्वर जी बोले कि
राजेस्वर : बेटा हम लोगो को इस रिश्ते से कोई आपत्ति नही है बस जय तुमसे कुछ बाते करना चाहता है और उसके बाद ही अपना फैशला सुनाएगा ।
मैं :"ठीक है अंकल जी कोई बात नही है ।
इसके बाद मैं और जय बाहर चले आये तो मैं बोली कि
मैं :तो बोलिये आपको क्या बात करनी है मुझसे।
जय :हम लोग थोड़ा और आगे चलकर बाते करे अगर आपको बुरा ना लगे तो।
मैं :" हा क्यों नही इसमे बुरा मानने वाली कौन सी बात है ।
इसके बाद हम लोग घर से थोड़ी दूर पर एक बगीचे में चले आये और आज पहली बार गांव के माहौल है में इस तरह खुले में बैठने का मजा ही कुछ और था जय अपने साथ लाये एक गमछे को जमीन पर बिछाया और बोला कि
जय :अब आपके लायक तो यह नही है लेकिन फिर भी यंहा पर तो और कोई सुविधा उपलब्ध नही है अगर निचे बैठने में दिक्कत है तो मैं घर से कुर्शी ले कर आ जाऊ।
मैं :नही जय इतनी तकलीफ करने की कोई जरूरत नही है ।मैं यही पर ठीक हु मैं आराम से बैठ सकती हूं।
इतना बोल कर मैं भी नीचे बैठ गयी और बोली
मैं :अब बोलो जय क्या पूछना चाहते हो तुम मेरे बारे में
जय :नही आप गलत समझ रही है मैं आपसे कुछ पुछने के लिए नही बल्कि कुछ बताने के लिए बुलाया है ।आप जैसा मुझे समझ रही है मैं वैसा बिल्कुल भी नही हु।
मैं :"जय अगर तुम यह बताने के लिए बुलाये हो कि तुम्हारी कई लड़कियों और औरतों के साथ सम्बन्ध है तो जाने दो इस बारे में मैं सब कुछ पता कर चुकी हूं तुम्हारी कविता दी ने मुझे सब कुछ बता दिया है इसके बाद भी मैं यही कहूंगी की मुझे कोई समस्या नही है ।जो तुम्हारे साथ हुआ वह किसी के भी साथ होता तो वह भी यही करता और यकीन मानो मेरा इसमे मैं तुम्हे कभी भी नही रोकूंगी।
जय :नही इतना ही नही है मेरे बारे में कुछ और भी है जो आपको जान लेना बहुत जरूरी है ।मैं पहले एक लड़की से प्यार करता था।
मैं :"सायद तुमने मेरी बातों पर। ध्यान नही दिया मैने बोला न कि मुझे पता है और जिस लड़की से तुम प्यार करते थे उसका नाम काव्या है।
जय : अच्छी बात आप जब इतना सब कुछ जान ही चुकी है तो मुझे ज्यादा कुछ बताने की जरूरत नही है लेकिन मुझे इस बात का यकीन है कि कबिता दी ने कुछ बाते और भी है जो मुझे लगता है तुमको पता होनी चाहिए क्यूंकि मैं नही चाहता कि आगे चल कर किसी भी बात को लेकर किसी तरह की परेशानी हो।
मैं :"बोलो क्या बोलना चाहते हो।
जय :यही की जिसने आपको मेरी सारी सच्चाई बताई वह भी मुझसे प्यार करती है और यंहा तक कि मेरी खुद की सगी बहन सरिता दी भी प्यार करती है और इतना ही नही मेरी भाभी भी मुझसे वह सब काम करना चाहती है जो एक पति के साथ करते है ।इसका कारण यह है कि मेरे भैया नामर्द है और अगर मैने ऐसा नही किया तो भाभी घर छोड़ कर चली जायेगी।
मैं कुछ देर तक उसकी बातों पर यकीन करने की कोशिश करती रही और इसके बाद कुछ सोच कर मैं बोली
मैं :देखो जय मुझे यह सब मंजूर है लेकिन तुम्हे एक वादा करना होगा कि तूम जो कुछ भी करोगे मेरी जानकारी में ही करोगे बिना मेरी जानकारी के अगर तुमने कुछ किया तो मुझसे बुरा और कोई नही होगा।
जय :ठीक है अगर सब कुछ जानने के बाद भी अगर तुम तैयार हो तो मुझे भी मंजूर है लेकिन एक बात मैं अभी साफ कर दु की मैं अपने परिवार को छोड़ नही सकता हु।
मैं :तो तुम्हे अपना परिवार छोड़ने को बोल भी कौन रहा है मैं इतनी भी मतलबी नही हु की अपने स्वार्थ के लिए तुम्हे तुम्हारे परिवार से दूर कर दु अगर तुम चाहो तो मैं सभी लोगो को सहर में शिफ्ट कर सकती हूं जंहा मेरा दूसरा परिवार रहता है क्यूंकि तुम जानते ही हो कि मैं रोज यंहा से नही आ जा सकती हूं और तुमको मैं यंहा पर छोड़ने का रिस्क नही ले सकती पता नही कब क्या गुल खिला दो।
जय :ठीक है तो इस बारे में हम घर चल कर बात करे और वैसे मुझे यकीन नही हो रहा है कि इतनी खूबसूरत और हसीन लड़की मेरी बीवी बन चुकी है।
मैं :तुम अभी से मत सुरु हो जाओ पहले घर पर चल कर सबसे बाते करो और उसके बाद जो फैसला होगा उसके बाद ही तुम कुछ बोल सकते हो।
जय :जैसा हुक्म महारानी का
इतना बोल कर जय उठ गया और उसके पीछे मैं भी मुस्कुराती हुई उठ कर उसके पीछे चल दी।घर पर सभी लोग हम दोनों का इन्तजार कर रहे थे। जैसे ही हम लोग घर पहचे इसके बाद सभी लोग हमारी तरफ सवालिया निगाहों से देखने लगे। तो जय बोला कि
जय :"पापा मैं शादी करने के लिए तैयार हूं पर एक समस्या है ।
Nice
 

rkv66

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(यहां से कहानी जय के जुबानी)
मेरी बात को सुनकर जंहा कुछ लोगो के चेहरे खुशी से खिल उठे वही कुछ ऐसे भी थे जिनके चेहरे लटक गए । अब मुझे नही लगता है यह आप लोगो को बताने की जरूरत नही है वह लोग कौन थे ।जी हां यह कोई और नही बल्कि मेरी दोनों बड़ी बहन यानी कि कविता दी और सरिता थी और उनके साथ भाभी भी थी । मेरी बात सुनकर पापा और माँ हम दोनों के तरफ देखने लगे । कुछ देर बाद पापा बोले कि
पापा :बेटा अगर तुम दोनों एक दूसरे से शादी करने को तैयार हो तो फिर क्या समस्या है ।
मैं :पापा आप जानते है कि इनकी कितनी बड़ी कंपनी है और यह कितनी बिजी रहती है तो ऐसी हालत में इनका यंहा पर रहना और रोज इतना लम्बा सफर करना मुश्किल होगा इसलिए यह चाहती है कि हम सब इनके साथ इनके घर पर रहे ।
माँ :बेटा इसका बोलना भी अपनी जगह पर ठीक है लेकिन हम लोगो का इस तरह इसके घर रहना ठीक नही है ।समाज मे लोग हमारे बारे में क्या बोलेंगे। हा अगर तुम चाहो तो इसके साथ सहर में रह सकते हो हमे इसमे कोई समस्या नही है।
मैं :नही माँ मैने पहले ही बोल दिया है इनसे की मैं अकेले इसके साथ सहर में नही रह सकता हु।
माँ : बेटा तुम बात को समझने की कोशिश करो हम लोग इस तरह से नही जा सकते है और अब वह तुम्हारी पत्नी है तुम्हे उसका ख्याल तो रखना ही होगा और वैसे भी तुम कितना दूर रहोगे हमसे जब तुम्हारा मन किया तो मिलने आ जाये करना।
सोनिया :मा जी अब जब मैं इस घर की बहू बन गयी हु तो अगर आप लोगो की इजाजत हो तो मैं भी कुछ बोलू।
पापा :हा बेटी बोलो हमारे घर मे बहु को बोलने के लिए इजाजत लेनी की जरूरत नही पड़ती ।
सोनिया : आप लोग मेरे साथ मेरे घर पर नही रहना चाहते लेकिन अगर मैं यह कहु की आप लोग मेरे भरोसे नही रहना चाहते है तो नही रहे लेकिन अगर मैं आप लोगो को खुद का कुछ बिजनेस करने में मदद कर दु और मैं यह नही कह रही कि मैं आप लोगो पर कोई अहसान कर रही हु कि सुरुवात में पैसे मैं लगा देती हूं और जब मुनाफा होने लगे तो मुझे वापस कर दीजियेगा ।इस तरह से आप लोग को यह भी नही लगेगा कि आप लोग किसी के यंहा रह रहे है और हमारी परेशानी भी दूर हो जाएगी ।
पापा :ठीक है बेटी हम अभी कुछ देर में बात करके तुमको इस बारे में जवाब देते है तब तक तुम घर की लड़कियों और बहुओ से मिल कर बाते कर लो ।
पापा के ऐसा बोलने पर सोनिया को भाभी और मेरी बहने कविता दी सरिता दी मधु और ज्योति लेकर घर के अंदर चली गयी तो बड़े पापा बोले कि
बड़े पापा: देखो राजेस्वर मुझे तो उसके प्रस्ताव में कोई बुराई नही दिख रही है ।मैं मानता हूं कि तूम लोगो का इस तरह से उसके घर जाकर रहना गलत होता लेकिन जैसा कि उसने बोला कि वह बिजनेस करने में मदद कर देगी और वह भी जब तुम्हारे पास पैसे होतो वापस कर देना इसमे मेरी समझ से कोई बुराई नही है ।तुमको क्या लगता है।

पापा : भैया मैं चाहता हु की आप जो बोल रहे वह बिल्कुल ठीक है इसलिए मैं यही चाहता हु की आप भी हमारे साथ सहर में चल कर हमारे काम मे मदद करे और वैसे भी मुझे आपको अकेले इस तरह छोड़ कर जाने का मन नही कर रहा है ।
बड़े पापा :"लेकिन इस तरह हम सभी का अपने गांव से चले जाना उचित होगा ।
मा :"नही जेठ जी मैं भी नही चाहती कि हम सब यंहा से सहर में जाकर रहे ।वैसे भी हम लोग यंहा पर खुश है ।सहर के माहौल में दम घुटेगा मेरा।
बड़ी माँ : नही छोटी यह गलत है समय के साथ बदलाव जरूरी है और जब भगवान इतना अच्छा मौका दे रहा है तो उसे जाने मत दो ।
पापा :" हा भैया भाभी सच बोल रही है और वैसे भी हम गांव से कितना दूर रहेंगे जब हमारा मन नही लगेगा तो हम लोग वापस आ जाएंगे लेकिन इस वक्त हम लोगो का चलना उचित होगा।
इसी तरह कुछ देर तक लोग आपस मे बाते करते रहे और मैं मात्र दर्शक बन कर उन लोगो की बाते सुनता रहा और लास्ट में यही फैशला हुआ कि सभी लोग सहर में जाकर रहेंगे वही दूसरी तरफ भाभी और बाकी सभी लडकिया सोनिया को लेकर घर के अंदर चली गयी जंहा पहुचते ही कविता दीबोली कि
कविता दी :क्या बात है यार रात में जब मिली तो बिना बोले ही चली गयी शरीफ बन कर और सुबह जबसे आयी हो तबसे धमाके पर धमाके किये जा रही हो भाभी जी।
सोनिया :आप तो हमारी उम्र की कम से कम आप तो भाभी नही बोलो ।
सरिता :अब भाभी को भाभी नही तो और क्या बोला जाय भाभी जी
सोनिया आगे बढ़कर धीरे से सरिता के कान में बोलती है कि
सोनिया:वही बोलिये जो एक सौतन दूसरे सौतन को बोलती है क्यों ननद रानी अपने ही भाई से प्यार कर लिया और मुझे भाभी बोल रही है यह तो गलत है ना ।
कविता दी :यह तुम दोनों आपस मे क्या बाते कर रही हो मुझे भी बताओ नही तो मुझसे बुरा और कोई नही होगा।
सरिता दी : चुप हो जा यार बाद में मैं तुम्हे सब कुछ बता दूँगी।
भाभी :तो इसका मतलब तो यह हुआ कि तुम दोनों मुझसे कोई बात छुपा रही हो सोच लो अब मैं अकेली नही हु बल्कि मेरे साथ अब मेरी बहन भी आ गयी इसलिये मुझसे चोरी करना बेकार है।
सोनिया :नही दीदी जी भला आपसे चोरी कोई कर सकेगी अगर करेंगी तो इनके लिये ही बुरा होगा।
सरिता दी :अच्छा वह सब छोड़ो यह बताओ आप की यह नया बखेड़ा क्या है ।आप सभी लोगो को शहर क्यों ले जाना चाहती हो आप चाहती तो केवल जय को ले जा सकती है।
सोनिया :,मैं सोच रही हु इस बारे में अगर बाद में बात करे तो ठीक होगा
वही दूसरी तरफ हवेली में अमृता नास्ता कर रही थी ठाकुर के साथ बैठकर यानी कि अपने बाप के साथ तो तभी ठकुराइन लगड़ाती हुई आती है तो अमृता हस्ते हुए पूछती है कि
अमृता :क्या बात है माँ आप इस तरह से क्यों चल रही हो ।
तो इस बात पर ठकुराइन उसे गुस्से से घुर कर देखती है तभी उसका बाप उसे बोलता है
ठाकुर :बेटी तेरी मा सुबह नहाते वक्त गीर गयी ही जिसकी वजह से इसे चोट लग गयी है तू इसे डॉक्टर के पास ले कर चली जाना मैने बात कर ली है।
अमृता :जी पिता जी
इसके बाद ठाकुर वँहा से चला जाता है तो ठकुराइन बोलती हैकि
ठकुराइन: साली रंडी सब कुछ जानते हुए कैसे अपने बाप के सामने मेरा मजाक उड़ा रही थी ।
अमृता :,वैसे सच मे यार जो चूदाई हुए बुर को लगडॉ कर चलने पर मजबूर कर दे वाकई उसमे दम तो है ।
ठकुराइन:सच मे यार इतना तो तभी भी नही सूज पाया था जब पहली बार चुदवाई थी।
Good update
 

Sargum

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Thakurine ki pic to bahut hot hai
 

Sargum

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Exilent turn the story , very nice
 

Sargum

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Good family emotion, 🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔
 

A.A.G.

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nice story..lekin adhuri reh gayi..!!
 
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