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Incest दीवाना चुत का

kingkhankar

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मैं जय कुमार अपने पूरे परिवार के साथ गांव में रहता हूं ।हम लोग ना तो बहुत अमीर है और ना ही गरीब । अच्छा खासा खेत है जिसमे मैं और पिता जी दोनों मेहनत करके इतना कमा लेते है कि घर का खर्चा आराम से चल जाता है और बड़े भैया जो कि फ़ौज में में है और अभी जल्द ही उनकी शादी हुई है 2 महीना रहने के बाद वह वापस काम पर चले गए है।
पापा राजेश्वर कुमार
मा सुमन देवी
हम।2 भाई और 3 बहने
1 पूनम इनकी शादी हो चुकी है
कमलेश जीजा जी
दी के अभी बच्चे नही है।
2 बलवंत कुमार भैया
जूही भाभी
3 सरिता
4 मधु
5 जय कुमार यानी कि मैं

बड़े पापा की फैमली
संजय बड़े पापा
चन्दा बड़ी माँ
इनके दो लड़की है
1 कविता
2ज्योति

मेरे दोस्त
कालू
पवन
राजू
पूजा कालू की बहन
जया राजू की गर्लफ्रैंड
ठाकुर भानु प्रताप सिंह गांव का जमींदार
प्रीति देवी ठाकुर की तीसरी बीवी
पंकज ठाकुर ठाकुर की पहली बीवी का लड़का
अमृता सिंह ठाकुर की दूसरी बीवी की लड़की
भोला ठाकुर का चापलूस मुंशी

उपडेट 1
(कहानी जय की जुबानी चलेगी)
माँ : बहु जा कर जय को उठा दे उसके पापा कबसे इन्तजार कर रहे है खेत मे जाने के लिए यह है कि उठ ही नही रहा है।
भाभी : अच्छा मा जी अभी जाकर उठा देती हूं।
इतना बोल कर भाभी मेरे रूम में आती है तो देखती है कि जय अभी तक सोया हुआ है लेकिन उसका लण्ड रोज की तरह आज भी वैसा ही खड़ा है ।जूही अपने मन मे सोचती है कि हे भगवान यह कैसा लड़का है जब देखो तब खड़ा ही रहता है ।अब इसको मैं इस हालत में कैसे उठाऊ।अभी जूही यही सोच रही थी कि पीछे से उसकी ननद सरिता की आवाज आती है और बोलती है कि
सरिता : क्या भाभी आप रोज इस तरह छुप के छोटे देवर का देखती हो आपको शर्म नही आती है क्या ।
जूही उसकी बात सुनकर उसके पास जाती है और जोर से उसके चूची को दबा कर बोलती है कि
जूही : क्या करूँ ननद रानी इसके लौड़े को देखे बिना तो दिन नही होता कबसे सोच रही हु की इसे जन्नत के दर्शन करा दु लेकिन क्या करूँ इसे तो अपनी बहन की चूत ही पसन्द है। देखती नही कैसे चुचियो को घूरता रहता है।
सरिता : क्या भाभी आप भी कैसी बातें करती रहती हो । हमेशा आपके दिमाग में यही सब गंदगी चलती रहती है क्या। मेरा भाई ऐसा नहीं है आप उसे यूं ही बदनाम करती रहती हो और आप मुझसे ऐसी बातें नहीं किया करो मैं ऐसी बातें नहीं सुन सकती हूं।
जूही : अच्छा तेरा भाई ऐसा नही है ।एक दिन मैं खुद तेरे बुर में उसका लौड़ा नही डाली अपने हाथ से पकड़ कर तो मेरा नाम भी जूही नही समझी मेरी रंडी ननद रानी।
तब तक सुमन की आवाज आती है और बोलती हैकि क्या हुआ बहु जय नही उठ रहा है क्या मैं आउ उठाने।
जूही :मा जी भी ना हमेशा घोड़े पर सवार रहती है एक दिन इनको भी चुदवा दूँगी।
सरीता :क्या भाभी किसी को तो छोड़ दो वह मा है उनके बारे में सोचना भी पाप है।
जूही : पाप पुण्य छोड़ जय को उठा देती हूं फिर बाद में बात करती हूं।
इसके बाद जूही मेरे बिस्तर के पास आकर उठाती है और बोलती है कि
जूही : देवर जी अब उठ जाइए सुबह हो गई है माजी कब से आपका इंतजार कर रही है।
इतना बोल कर वह जाने लगती है तो मैं उनका हाथ पकड़ लेता हूं और बोलता हूं कि
मैं : ऐसे कैसे उठ जाऊं आप शायद भूल रही हैं लेकिन मैं नहीं भूला हु ।
जूही : मैं भूली नही हु देवर जी बस आपका हा का इन्तजार है ।आप हा बोल दे मैं तो कबसे तैयार हूं ।आप ही नही मान रहे है।
मैं :डरता हूँ अगर कोई जान गया तो क्या होगा ।
जूही :अरे यार मैं लड़की हो कर नही डरती हु और आप लड़के होकर डरते हो ।थोड़ी हिम्मत करो डरने से कुछ भी नही होगा ।बस मुठ मारते रहना और अपने भाई की तरह नामर्द बन जाना ।कहने को तो फ़ौज में है लेकिन अपनी बीवी की सील भी नही तोड़ पाये बुर में डालने से पहले ही झड़ जाते थे और ऊपर से गांडू ठहरे ।
मैं :लेकिन यह बात तो कोई नही जानता है ना और ऊपर से आप मुझसे बच्चा मांग रही हो मुझसे।
अभी मैं और कुछ बोलता इससे पहले ही पीछे से सरिता दी कि आवाज आई
सरिता दी :अरे बेशर्मो कुछ तो शर्म कर लो मैं भी यही खड़ी हु।
जूही :तो खड़ी क्यों हो आकर पकड़ लो ना अपने भाई का लण्ड देखो तुम्हे देख कर कैसे ठुमके लगा रहा है
Mast Erotic Update Hey.

Jay ki to maje hi maje hone wala hey.
 

kingkhankar

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पूजा पहले तो मेरी बात को सुनकर हसी और फिर बोली कि
पूजा : मैं जानती थी तू ऐसा ही कुछ बोलेगा लेकिन मेरी जान हर लड़की लण्ड की। भूखी नही होती है ।उन्हें कुछ और भी चाहिए होता है ।
मैं : देख तू जानती है मैं ना घुमा फिरा कर बात करता हु और ना ही ऐसी बाते पसन्द करता हु इसलिए जो बोलना है खुल कर बोल।
पूजा :देख मैं तो यही कहूंगा कि तू उसे भूल जा वह तेरे हाथ नही आने वाली है ।उसको तेरा दोस्त कालू ने पटा रखा है और मुझे ऐसा लगता है कि वह भी उसे प्यार करती है इसलिए वह तेरे हाथ नही आने वाली।
मैं : एक बार मेरा लण्ड उसे दिखा दे वह खुद ब खुद ना चली आयी तो तू जो बोलेगी मैं मान लूंगा।
अभी हम और कुछ बोलते इससे पहले ही उसका खेत आ गया और वह अपने माँ के साथ खेतो में चली गयी और मैं बापू के साथ अपने खेत के तरफ चल दिया ।खेत मे जाकर देखा तो वँहा पर कुछ औरते और लड़कियां काम कर रही थी जो कि हमेशा से करती आ रही थी पर उसमे एक नया चहेरा था जो कि एक शादी सुदा औरत थी सावली सी थी लेकिन उसके चुचे और गांड दोनों ही मस्त थी ।बापू थे तो मैं कुछ कर नही पा रहा था बस भगवान से एक ही प्राथना कर रहा था कि बापू खाना खाने घर को चले जाएं। वैसे मेरे लिए उसको पटाना कोई बड़ी बात नही थी क्यूंकि यंहा पर जितनी भी लडकिया या औरते काम कर रही थी सब की सब चुद चुकी है मुझसे कोई भी नया माल मेरे खेत मे काम करने आये और वह चुदे ना ऐसा हो ही नही सकता था वही पास में काम कर रही एक औरत से मैं बोला कि
मैं :काकी का हाल बा सब ठीक है ना ।
काकी :क्या बात है बाबू आज हमारी याद कैसे आ गयी जब से हरिया की बिटिया आयी है तबसे तो उसके ही भोसड़े में घुसे रहेला आज हमार याद कैसे आ गयी।
मैं :नही काकी ऐसी कोई बात नही है बस नई माल रही तो थोड़ा ज्यादा चल दी वैसे भी बहुत गर्म माल है साली को जितना चोदो कम है ।वैसे भी तुम तो जानती हो कि मुझे गांड बहुत पसंद है और उसकी गांड कोरी रही तो खोलने में मजा आ गया।
काकी :अच्छा ठीक है वैसे कोई काम हो तो बता दो हो सके तो हम कुछ मदद कर सके।
मैं : बस काकी एक तू ही तो है जो बिना बोले सब समझ जाती है वो बात यह है कि वह नई औरत कौन है जो काम करे आयी है।
काकी :अरे बाबू तुम नही जानते वह कौन है।
मैं :अरे काकी अगर जानता तो तुमसे क्यों पूछता।
काकी : अरे वह हरिया की बहू है जिसकी 5 साल हो गए शादी को लेकिन अभी तक बच्चा नही हुआ।
मैं :तो तुम सबको लगता है कि कमी इसी में है।
काकी :अरे बाबू हमे लग के क्या मतलब हम तो सुने है हरिया की औरत अपने बेटे की दूसरी शादी के लड़का खोज रही है इसलिए इसको अपने से अलग कर दी है। यह तो ठाकुर के यंहा काम के लिए जा रही थी । वह तो हम बोले कि चल तुझको गांव में काम दिलवा देती हूं ठाकुर के यंहा क्यों जाएगी।
मैं :यह तो बिल्कुल ठीक किया तुमने काकी ।
अभी हम लोग बाते कर ही रहे थे कि ठाकुर का चापलूस जिसे देख कर पूरा गांव जलता है ।वह पिता जी से कुछ बाते करने लगा और कुछ ही देर में वह चला गया ।लेकिन बापू उसके बाद काफी परेशान से दिखने लगे तो मैं बापू के पास पहुचा और उनसे पूछा कि
मैं : बापू क्या बात है आप बहुत परेशान हो गए है ।
बापू :कुछ नही बेटा वह ठाकुर का कुछ कर्जा है वही मांगने के लिए भोला आया था दो दिन का समय दिया है उसने।
मैं :मैने आपसे कितनी बार बोला कि आप और भैया ने जो रुपया मेरे नामपर जमा कर रखा है उसी को उठा कर दे दो लेकिन आप मेरी बात सुनते ही कंहा हो।
बापू :लेकिन बेटा कल तुमको अगर जरूरत पड़ी तो क्या करोगे।
मैं :जब जरूरत पड़ेगी तब देखेंगे अभी से उसकी चिंता क्यों करते हो।
बापू :ठीक है तो आज सहर चले जाओ और पैसे निकाल लाओ कल जा कर दे दूंगा।
वही दूसरी तरफ एक हवेली के कमरे में एक औरत पूरी नंगी हो कर लेटी हुई है और एक आदमी उसकी चुचियो को दबाते हुए उसके होंठो को चूस रहा था और दूसरे हाथ से उसकी बुर में उंगली कर रहा था । इसपर वह औरत बोलती है कि
औरत :आहहहहहहहहह मेरी जान ऐसे ही करो और जोर से चुसो इन चुचियो को बहुत तड़पती है आज सारी गर्मी निकाल दो।
आदमी कुछ नही बोलता है और उस औरत की चूत में अपनी दो उंगली और डाल दिया और तेजी से उसकी बुर में उंगली पेलने लगा फिर उसके बाद उसके चुचियो को चूमते हुए नीचे की तरफ बढ़ चला और उसकी झांटो से भरी हुई बुर को खोल कर उसके दाने को जोर से चूस लेता है इस पर वह औरत तड़प उठती है और जोर से उसके सर को पकड़ कर अपने बुर में दबा देती है जिससे कि उस आदमी की जीभ और अंदर तक घुस जाती है करीब 5 मिंट तक उस्की बुर को चाटता रहता है ।



640199-09
उसके बॉद खड़ा होकर अपने लण्ड को उस औरत के मुह में डाल देता है जो कि पूरा खड़ा होने के बाद भी 6 इंच का ही था वह औरत उसके लण्ड को पूरा मुह में लेकर चूसने लगती है जैसे कोई लॉलीपॉप चूस रहा हो

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आह हहहहहहहह हहहहहहहह मेरी जान ऐसे ही चुसो बहुत मजा आ रहा है
औरत : अब बर्दास्त नही हो रहा है डाल दो मेरी बुर में अपना लण्ड कस कर चोदो जान
आदमी :अच्छा रंडी चल कुटिया बन जा।
औरत : हा भड़वे अपनी बेटी की उम्र की लड़की से शादी कर ली अब उसे ठंडा कर नही तो अपना यह बुर लेकर किसी के पास भी चली जाऊंगी।
इतना सुनते ही वह आदमी उस औरत के बुर में अपना लण्ड डाल कर उसे चोदने लगता है
औरत और जोर से डाल ना भड़वे दम नही है क्या जो धीरे धीरे चोद रहा है साला नामर्द कही का
आदमी : साली तू तो पूरा रंडी बन गयी है कुतिया तुझे तो लगता है किसी कुत्ते से चुदवाना पड़ेगा रंडी
औरत : साले बाते मत कर धक्का लगा अगर आज पहले गिरा ना तेरी गांड मार लुंगी कुत्ते ।
आदमी और जोर से धक्का लगाने लगा लेकिन एक जवान लड़की को कंहा तक चोद पाता उस औरत के ठंडे होने से पहले ही उसकी बुरमे झड़ में गया तो वह औरत बोली कि
औरत :शाले भड़वे जब गांड में दम नही होता तो क्यों गण्ड मरवाने आ जाता है कुत्ते कही का अब कंहा जाऊ साले कुत्ते बोल ना
इस पर वह आदमी कुछ नही बोलता और चुप चाप अपने कपड़े पहन कर निकल जाता है ।यह दोनों और कोई नही बल्कि ठाकुर भानु प्रताप और उसकी बीवी प्रीती थे ।यह ठाकुर का काम था जब भी अपनी बीवी को पेलता तो उसे ठंडा किये बिना ही उसका गिर जाता था अब तो प्रीति उसकी थोड़ी भी इज्जत नही करती थी ।ठाकुर के जाने के बाद प्रीति बोलती है कि
प्रीति :आजा मेरी रंडी बेटी कब तक छुप कर देखेगी आजा तेरे बाप ने तेरी मनपसन्द मलाई मेरी बुर में छोड़ दी इसे चाट ले और चल अब तू ठंडी कर मुझे.।
Kya mast update tha. Bahut badi galti ho gayi jo itna late padhna start kiya yeh story ko.

All female characters are interesting and naughty.
 

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प्रीति :आजा मेरी रंडी बेटी कब तक छुप कर देखेगी आजा तेरे बाप ने तेरी मनपसन्द मलाई मेरी बुर में छोड़ दी इसे चाट ले और चल अब तू ठंडी कर मुझे.।
अब आगे

प्रीति की बात को सुनकर अमृता उसी रूम में पर्दे के पीछे से निकल कर आती है वह भी पूरी तरह से नंगी थी ।वह आती है और आकर प्रीति के होंठो के एक बार चुम कर बोलती है कि
अमृता :क्या बात है मेरी रंडी माँ आज बहुत गरम लग रही है और यह क्या जब देखो तब पापा को जलील करती रहती हो ।
प्रीति :अब बस भी कर एक तो साली पहले अपने बाप से शादी करवा दी और अब जले पर नमक छिड़क रही है।
अमृता : तो तू क्यों चिंता करती है मेरी प्यारी माँ तुझे बोला तो है ना एक जवान लण्ड खोज ले ।लेकिन तू है कि मेरी बात सुनती ही नही है ।
प्रीति :जब कालेज में तेरे पीछे लड़के नही पड़ते थे तब मैं सोचती थी कि ऐसा क्या है तेरे बाप के नाम मे जो सारे लौंडे डरते है और तुझसे बात तक नही करते लेकिन अब समझ रही हु जब मेरे नाम के आगे ठकुराइन लग गया तब समझी की सब साले चोदू है डरते है ।अरे साला जो पहले मेरी रोज चुदाई करता था वह भी अब डरता है बहनचोद हरामी साला।
अमृता : यार आज कल तू गाली बहुत देने लगी है कही ऐसा ना हो कि सब तेरी गाली के वजह से भाग जाए।
प्रीति : अब तू मत सुरु हो जा चल आजा पहले मुझे ठंडी कर बाद में अपनी बातें चोद लेना।
अमृता : सुधर जा साली जब देख गाली देती है।
इतना बोल कर अमृता प्रीति की चुचियो को पकड़ कर बुरी तरह से मसल देती है जिसकी वजह से उसकी चुचिया लाल हो जाती है


Maya-Dana-V
प्रीति : मत कर रंडी वरना जिस दिन मौका मिला ना तेरी गांड मार लुंगी बिना तेल लगाएं समझ गयी कुतिया।
अमृता : चल वो सब छोड़ यह बता आज माल कहा है मेरे भड़वे बाप का।
प्रीति : साली थोड़ी तो इज्जत कर ले बाप है तेरा वह ।मेरा तो करती नही है माँ हु चाहे सौतेली ही सही।
इधर तब तक अमृता उसके बुर में अपने बाप के मलाई को चाट रही थी वह उसके बुर को अपने मुह में भर कर अंदर तक खींच कर दांत लगा देती है जिसकी वजह से प्रीति तड़प उठती है और बोलती है कि

प्रीति :अरे रंडी काट क्यों रही है चूस कर पानी निकाल दे ।

455400-11
अमृता :चूस तो रही हु ना माँ कितना पानी छोड़ रही हो तुम अच्छा चल एक काम कर मेरी भी पानी चूस कर निकाल दे वरना तेरा वह बूढा कभी भी आ सकता है ।
इतना बोल कर अमृता 69 की पोजीसन में आ गयी और अब प्रीति भी अमृता की चूत को चाटने लगी और दोनों अंदर तक एक दूसरे के बुर में कभी उंगली डालती तो कभी जीभ तो कभी बुर के दोनों होंठो को मुह में लेकर चुस्ती करीब 15 मिंट तक कि जबरदस्त चुसाई के बाद दोनों एक दूसरे के मुह में अपना पानी छोड़ दी ।उसके बाद दोनों बाथरूम में जाकर एक दूसरे को रगड़ कर अच्छे से नहलाया और फिर कपड़े पहन कर बाहर हाल में आकर बैठ गयी । जंहा पर गांव की ही एक औरत अपना काम कर रही थी तो अमृता ने प्रीति को कुछ इशारा किया तो प्रीति ने उसको अपनी पास बुलवाया और बोली कि
प्रीति :क्या रे चम्पा एक काम बोली तेरे से वह भी नही कर पाई अभी तक और कितना समय लेगी।
चम्पा : समय की बात नही है मालकिन जैसा आपको लड़का चाहिए उसके बारे में पता कर ली हु या ये कहु की आपकी सोच से भी बढ़ कर है तो गलत नही होगा पर ।
इतना बोल कर चम्पा शांत हो गयी तो प्रीति बोली कि
प्रीति : रूक क्यों गयी बोल ना ।
चम्पा : पर मालकिन वह इसी गांव का है और मुझे नही लगता कि वह इसके लिए तैयार होगा।
प्रीति : तू उसकी चिंता मत कर बस यह बता वह कौन है।
चम्पा : वह अपने गांव के राजेश्वर का छोटा बेटा है बाप जितना सीधा है बीटा उतना ही हरामी गांव में आधी से ज्यादा लड़कियों और औरतों को चोद चुका है ।गांव की कितनी बहुओ को तो माँ भी बना दिया है जिसमे से मेरी बहु भी उसी के बच्चे की माँ बनने वाली है।
प्रीति :तो तुम अपनी बहू को कुछ बोलती नही है ।
चम्पा :अब आप से झूठ नही बोलूंगी मालकिन सच तो यही है कि मैंने खुद ही अपनी बहू को उसके नीचे सुलाया है।
अमृता जो इतनी देर से चुप थी वह बोली कि
अमृता :ऐसा क्या है रे उसमे जो सब उसके पीछे ही पड़ी है।
चम्पा : छोटी मालकिन अगर आप बुरा ना माने तो बोलू
अमृता :बोल खुल कर बोल
चम्पा : वह जो आपका सबसे बड़ा खिलौना है ना वह भी उसके आगे छोटा और पतला है।
प्रीति और अमृता दोनों ही चोंक जाती है क्यूंकि जिस खिलोने के बारे में वह बोल रही थी वह 10 इंच लंबा और 3इंच मोटा है ।
प्रीति :काहे लिए झूठ बोल रही हो चम्पा उतना बड़ा तो बहुत मुश्किल से किसी का होता है और तू बोल रही है कि उससे भी बड़ा।
चम्पा : अगर आप चाहे तो चेक कर ले उसको मेरे में डाल कर अगर मेरे मुह से आवाज तक निकली तो अपकीं जुटी मेरा सर
अमृता जानती थी अगर यह इतने विश्वास से बोल रही है तो सच ही होगा लेकिन फिर भी ट्राय करने में क्या जाता है और यही सोच कर अपने रूम में जाती है और उसको लेकर आती है और चम्पा अपनी साड़ी ऊपर तक उठा कर एक बार हल्का सा थूक लगा कर उस डिलडो को एक बार मे डाल लेती है और उफ तक नही करती ।यह देख कर दोनों चोंक जाती है इसपर प्रीति बोलती हैकि
प्रीति :इसका मतलब तू बहुत दिनों से उसका लण्ड ले रही है और हमे आज बता रही है।
चम्पा : माफी दे दो मालकिन क्या करूँ डरती थी।
अमृता :ठीक है एक बार उसे हमसे मिला दे बाकी हम देख लेंगे।
चम्पा : मालकिन आज भोला गया था उसके बाप के पास पैसे के लिए कल हो सके तो वह खुद आ जाये।
Wow, Lesbo wala update mast tha.
 

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प्रीति :इसका मतलब तू बहुत दिनों से उसका लण्ड ले रही है और हमे आज बता रही है।
चम्पा : माफी दे दो मालकिन क्या करूँ डरती थी।
अमृता :ठीक है एक बार उसे हमसे मिला दे बाकी हम देख लेंगे।
चम्पा : मालकिन आज भोला गया था उसके बाप के पास पैसे के लिए कल हो सके तो वह खुद आ जाये।
अब आगे
इधर मैं बापू से बात करने के बाद मैं घर की तरफ चल दिया क्यूंकि मुझे जल्दी से बैंक जल्दी से पैसे निकाल कर लाना था लेकिन रास्ते में बड़े पापा की बड़ी लड़की कविता मिल गयी जो कि खेत से बड़े पापा को खाना देकर वापस आ रही थी ।हम दोनों लोग का खेत एकदम एक साथ है तो वही से मिल गयी ।वह मुझसे 3 शाल बड़ी थी और मुझे आते हुए देख कर रुक गयी ।जब मैं उनके पास पहुंचा तो उन्होंने मुझसे बोला कि
कविता दी : क्या बात है जय आज बहुत जल्दी घर वापस जा रहे हो कुछ काम है क्या।
पूरे घर मे एक यही थी जिनको देखकर ही मेरी गांड फट जाती थी क्यूंकि इनको गुस्सा बहुत जल्दी आता है मैंने धीरे से बोला कि
मैं :नही दीदी आज थोड़ा सहर जाना है बैंक में कुछ काम है इसलिये जा रहा हु और कोई बात नही है ।
कविता दी : ओह तो यह बात मैं समझी की आज फिर कही गटर में मुह मारने जा रहा है ।
मैं दी कि बात समझ गया क्यूंकि वह पहले मुझसे काफी प्यार से बात करती थी लेकिन जबसे मैं गांव के लड़कियों और औरतों के चक्कर मे पड़ा तबसे ही यह मुझसे खफा रहने लगी ।ऐसी बात नही थी इन्होंने समझाया नही लेकिन कहते है ना जब जवान होते लड़के को चुत मिल जाये तो वह किसी की भी नही सुनता और वही मेरे साथ हुआ ।मैंने भी इनकी बातों को नजरअंदाज करके आगे बढ़ता गया और नतीजा यह हुआ कि जो दीदी मुझे दुनिया भर का प्यार करती थी ।आज वह मुझसे सीधे मुह बात नही करती थी ।
अभी मैं इन्ही सब सोचो में गुम था कि कविता दी मुझे हिलाती हुई बोली कि
कविता दी : क्या बात कंहा खो गया ।दिन में जागे हुए ही सपना देखने लगा क्या
मैं : नही दी ऐसी बात नही है मैं किसी और के बारे में नही बल्कि आपके बारे में सोच रहा था।
कविता : क्यों गांव में कमी पड़ गयी क्या जो अब बहनों को भी नही छोड़ेगा।( अरे पागल जब मैं प्यार के बारे में जानती भी नही थी तबसे तुझसे प्यार करती हूं तू छोटा था तो चाची को छोड़ कर किसी भी लड़की या औरत को तुझे छूने तक नही देती थी चाहे वह तेरी सगी बहन ही क्यों ना हो अगर तू आज भी सब छोड़ दे मैं तुझे दुनिया की हर खुसी दूँगी।)
मैं :नही दी मैं आपके बारे में ऐसा सोचु इससे पहले मैं अपनी जान दे दूंगा लेकिन आपकी तरफ ऐसे नही देख सकता हु ।
यह सच भी था कि मैं कविता दी के सामने कभी भी गलत नही सोच सका चाहे वह किसी भी हालत में रही हो।
मैं :दी अगर मुझसे कोई गलती हो गयी हो तो माफ कर दो लेकिन अब आपकी नाराजगी नही झेली जाती ।
इतना बोल कर मैं वँहा से चल पड़ा क्यूंकि अब मेरे आंखों से अंशु रुकने का नाम नही ले रहे थे और मैं नही चाहता था कि वह मेरी अंशुओ को देखे लेकिन शायद उनका प्यार मुझसे भी कई गुना ज्यादा था इसलिए वह जान गई और दौड़ कर मुझे पकड़ ली और अपनी तरफ घुमाते हुए मुझे 1 झापड़ मारी और फिर मुझे गले लगा लिया और बोली कि
कविता दी :आखिर में तू ऐसा क्यों करता है कि मुझे तुझपर गुस्सा आजाता है और यह क्या लड़कियों की तरह रोने लगा कोई देखेगा तो क्या कहेगा कि इतना पहलवान की तरह सरीर है और लड़कियों की तरह रोता है।
मैं :दी मैं जान बूझ कर नही रोया बस आज आपको इस तरह मिला और आपकी नाराजगी के बारे में सोच कर मुझे रोना आ गया नही तो मैं इतना कमजोर नही की कोई मुझे रुला सके।वह तो बस आपके प्यार के कारण मैं कमजोर पड़ जाता हूं।
कविता दी : तो वापस आ जा मेरे भाई देख आज भी मैं वही खड़ी हु तेरे इन्तजार में मुझसे भी अब तेरी यह जुदाई सही नही जाती है।
मैं :दी मैं अभी जाना चाहता हु लेट हो रहा है सहर में बहुत जरूरी काम है शाम को आपसे मिलूंगा।
कविता दी : नही रे आज तो मैं तुझे नही छोड़ने वाली कही फिर से तू भाग ना जाये।आज तो पूरा दिन मैं तेरे साथ ही रहूंगी।
मैं :ऐसा कैसे हो सकता है दी आज सहर जाना जरूरी है ।मैं घर पर नही रह सकता ।
कविता दी: अरे पागल मैंने यह कहा कि आज तझे अकेला नही छोडूंगी यह थोड़ी बोली कि तुझे घर पर रोक रही हु चल जल्दी से तैयार हो कर गाड़ी लेकर आजा घर पर मैं भी चलूंगी।
इसके बाद मैं और कविता दी दोनों एक साथ घर की तरफ चल दिये दीदी ने मेरा हाथ अपने हाथों में पकड़ रखा था मानो अगर उन्होंने छोड़ा तो मैं कही भाग ना जाऊ।पूरे रास्ते जितने लोग भी मिले सभी आश्चर्य से देख रहे थे क्यूंकि आज कविता दी इस तरह से मेरे साथ बहुत समय बाद चल रही थी ।सबसे ज्यादा तो बड़ी माँ को आश्चर्य हुआ और वह अपनी छोटी बेटी से बोलती है कि
बड़ी माँ :ज्योति क्या मैं जो देख रही वह सच है ।
ज्योती :हा माँ यकीन करना तो मुश्किल हो रहा है लेकिन जो आंखों से देख रहे है उसे झूठ कैसे बोल सकते है।
ब माँ :लेकिन यह चमत्कार हुआ कैसे आज इतने सालों बाद।
ज्योति :माँ वह तो पता नही लेकिन देखो दी आज कितना खुश लग रही है आज उनके चहेरे पर जो मुस्कान है वह झूठी नही बल्कि दिल से निकली हुई है।
ब माँ : चाहे कारण जो भी हो बस मेरी बेटी खुस है वही मेरे लिये बहुत है।
इधर हम दोनों भी उनके घर के पास आ गए थे तब मैं कविता दी से बोला कि
मैं :दी मैं 10 मिंट में आता हूं तबतक आप तैयार रहना ।मुझे जल्दी जाना है।
कविता दी : ठीक है तू जा और जल्दी से आ जा ।मैं यही पर रहूँगी।
ब माँ :लेकिन तुम दोनों कहा जा रहे हो इतनी जल्दी में।
मैं :माई मुझे बाजार जाना है और कविता दी को कुछ सामान लेने जाना है इसलिये वह भी मेरे साथ बाजार जा रही है।
इसके बाद मैं वंहा से घर की तरफ चल दिया और जब घर पहुचा तो सरिता दी और भाभी दोनों मुझे घूर कर देख रही थी लेकिन मुझे जल्दी थी इसलिए मैं तैयार होने रूम में चला गया और तैयार हो कर मैं भाभी से बोला कि
मैं : भाभी मुझे बाजार जाना है इसलिए थोड़ा पानी पीने को दे दो।
यह सुनकर भाभी पानी लाने चली गयी और सरिता दी कुछ देर देखते रही और फिर बोली कि
सरिता दी : क्या बात है आज कविता दी के हाथ मे हाथ डालकर घर आ रहे थे लगता है दोनों में सुलह हो गयी।
मैं : हा दी आप नही जानती आज मैं कितना खुस हु आज मुझे कविता दी ने माफ कर दिया है और उसकी वजह से मैं दुबारा जी उठा।
मैं इतना खुस था कि मेरी इस बात का उनपर क्या फर्क पड़ा मैने यह भी नही देखा और भाभी ने पानी दिया और मैं पी कर चला गया और मेरे जाने के बाद सरिता दी को इस तरह गंभीर देख कर भाभी बोली कि
जुही :क्या बात है सरिता जबसे तूने उन दोनों को एक साथ देखा है तबसे बड़ी चिंता में लग रही है।
सरिता :बात ही ऐसी हैं जिसकी वजह से बहुत लोग चिंता में पड़ जाएंगे।
जुही : खुल कर बोलो इस तरह मैं कुछ भी नही समझ पा रही हु।
सरिता :आप ने अभी तक कविता की दीवनगी जय के लिये नही देखी ।वह पूरी तरह से पागल है उसके लिए जय जब छोटा था तो वह मा को छोड़कर ओर किसी भी लड़की या औरत को उसके पास नही जाने देती थी और अगर फिर से वही सब चालू हो गया तो समझ लीजिए कि आपके हाथ से जय निकल जाएगा।
जुही : मैं ऐसा होने नही दूँगी ।मैं उसे अपने रूप के जाल में फ़ांस लुंगी।
सरिता :काश ऐसा हो जाए पर मुझे इसकी उम्मीद नही है ।अब तो जो कुछ भी है सब उसके हाथ मे है।
इधर मैं जब कविता दी को लेने के लिए घर गया तो मैं उनको देखते ही रह गया सफेद कलर के कपड़े में किसी परी से कम नही लग रही मैं तो बस आंखे फाडे उन्हें देखता ही रह गया

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उनको देखने मे मैं इतना खो गया कि कब वह मेरे पास आगयी मुझे पता भी नही चला ।मुझे होश तो तब आया जब ज्योति ने मुझे हिलाई और बोली कि
ज्योति : अब क्या मेरी दी को नजर लगा कर ही मानेगा क्या ।गाड़ी सही से चलाना कहि लड़ मत जाना।
इस पर कविता दी भड़कती हुई बोली कि
कविता दी : छोटी तू जा यंहा से कितना सताएगी बेचारे को।
Nice update. Kavita kafi sundar hey :)
 

kingkhankar

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ज्योति जब देखती है कि दी उसके ऊपर गुस्सा कर रही है तो वह निकल जाने में ही अपनी भलाई समझती है ।उसके जाने के बाद मैं भी कविता दी को लेकर बैंक की तरफ चल देता हूं।वही मेरे घर से निकलने के बाद सरिता और जुही दोनों एक दूसरे को शांति से देख रही थी तब जुही बोलती है कि
जुही :तब तो फिर मेरे पास बस एक ही रास्ता बचता है कि मैं यंहा से अपने मायके चली जाऊ क्यूंकि आज नही तो कल यह घर और गांव वाले इनको तो कुछ बोलेंगे नही सब कमी मुझमे ही लोग कहेंगे।
सरिता : नही भाभी एक बार और मेरे कहने से रुक जाओ अगर जरूरत पड़ी तो मैं वह सब कुछ करूँगी लेकिन उसे फिर से उस कलमुँही के कब्जे में नही जाने दूँगी।
तब कुछ देर बाद मा भी घर आ जाती है ।इधर मैं भी बैंक पहुच कर पैसे निकालने के बाद कविता दी के पास आ जाता हूं वह बाहर ही एक शॉप पर मेरा इन्तजार कर रही थी ।मैं उनके पास गया तो देखा कि वह बैंक के गेट की तरफ ही देख रही थी तो मैं उनके पास गया और बोला
मैं :दी मुझे माफ़ कर दो मेरी वजह से आपको इतना इन्तजार करना पड़ा ।
कविता दी :कोई बात नही काम है तो लेट तो होगा ही अभी और भी कुछ काम है या सब हो गया।
मैं : नही दी मेरा काम तो हो गया है ।अब आप बताये आप को क्या काम है।
कविता दी : वैसे काम तो कुछ भी नही है पर तेरे साथ आई हूं घर से यह बोल कर मुझे कुछ खरीदारी करनी है तो चल कुछ खरीद लेते है।
मैं :हा दी चलो आज मैं आपको खरीदारी करवाता हु।
कविता दी : नही जिस दिन तू कमाने लगेगा उस दिन से मेरा सारा खर्चा तू उठाना लेकिन अभी नही।
मैं :दी यह क्या बात हुई।
कविता दी :जितना बोल दी ना बस उतना कर समझा कि नही।
मैं :ठीक है दी आज मैं मान जाता हूं लेकिन अगली बार नही मानूँगा।
कविता दी :चल ठीक है पागल लेकिन अभी तो चल।
इसके बाद हम लोग एक मॉल में चले गए जो कि हमारे यंहा का बेस्ट मॉल था।वंहा पर दी ने अपने और ज्योति के लिए कुछ खरीदा और मेरे लाख मना करने के बाद मुझे भी 1 सेट कपड़ा दिलवाया ।उसके बाद हम लोगो ने एक होटल में खाना खाया दी के पसन्द का फिर मैं बोला कि
मैं :अब तो घर से आये हुए काफी समय हो गया है अब हमें घर चलना चाहिए।
कविता दी :तू चिंता मत कर घर पर मैं देख लुंगी अभी तू किसी पार्क में चल तुझसे कुछ बात करनी है।
उनकी बात को सुनकर मैं समझ गया था कि वह क्या बात करना चाहती है लेकिन फिर भी नही चाहते हुए भी मुझे लेकर जाना पड़ा क्यूंकि मैं उनको नाराज नही करना चाहता था।इसके बाद हम लोग एक पार्क में आ गए ।वँहा पर सभी लवर ही थे ऐसे माहौल में ले जाने में मुझे शर्म लग रही थी लेकिन मजबूरी यह थी कि यही पार्क बेस्ट था तो ना चाहते हुए भी हम आ गए और दी एक जगह पेड़ के नीचे बैठ गए ।कुछ देर बाद दी बोली कि
कविता दी : तब और बता कब छोड़ेगा तू यह सब ।
मैं उनकी बात का जवाब नही दिया बस मुंडी नीचे किये हुए देख रहा था जमीन को मुझे कुछ नही बोलते हुए देखकर दी फिर से बोली
कविता दी :तू ऐसी हरकतें करता ही क्यों है जो तुझे शर्माना पड़े किसी के सामने।
मैं : दीदी इसका मैं क्या उत्तर दु आपको बस अब आप इतना समझ लो कि मैं अब चाह कर भी वापस नही लौट सकता।
कविता दी :क्या तू कभी नही सुधर सकता है ।
मैं :दी अगर यह कहु की मैं सुधर जाऊंगा तो यह गलत होगा क्यूंकि मैं जानता हूं नही सुधर सकता मैं ।
कविता दी : आखिर क्यों
मैं : दी यह दुनिया बड़ी जालिम है यह सीधे साधे लोग को जीने नही देती है ।
कविता दी : ऐसा क्यों बोल रहा है तू
मैं :अगर आप वचन दे की जो बात मैं आपको बताउ वह किसी को नही बोलेंगी तो मैं कुछ बताऊ
कविता दी : मैं तेरी कसम खाती हु की मैं मर जाऊंगी लेकिन किसी को बताउंगी नही
दी के इतना बोलने के बाद मैंने अपने पर्स से एक फोटो निकाल कर उन्हें दिया और बोला कि
मैं :आप जानती है यह लड़की कौन है।
कविता :हा यह तो काव्या है जो पिछले साल आत्महत्या कर ली थी क्यूंकि उसके कई लोगो से नाजायज सम्बन्ध थे और वह शादी से पहले माँ बनने वाली थी।
मैं चिल्लाते हुए :नही दी यह सब झूठ है ऐसा कुछ भी नही था वह साला ठाकुर का लड़का और गांव के कुछ लड़कों ने उसे बदनाम किये थे।
दीदी मेरी तरफ आश्चर्य से देखने लगी कि मुझे क्या हुआ है जो इतनी तेज आवाज में उनसे बात किया क्यूंकि आज से पहले मैंने कभी भी उनके सामने इतनी तेज आवाज में नही बोला था।
कविता दी : ऐसी कौन सी बात है जो तुझे इतना परेशान की है आज अपना सारा दुख बोल दे बेटू।
मैं उनके कंधे पर सर रख कर रोने लगा और बोला कि
मैं :दी मैं उससे दिलो जान से प्यार करता था और वह मुझसे करती थी लेकिन ठाकुर के लड़का भी उसे पसन्द करने लगा पर उसने मना कर दिया तो उन कमीनो ने मुझे जान से मारने की धमकी देकर उसके साथ रेप किया और गांव के कई लड़के भी कई महीनों तक उसके साथ वह सब करते रहे और वह पागल मेरी जान बचाने के लिए उसने अपनी इज्जत की भी परवाह नही की और अंत मे अपनी जान दे दी और उसने मेरी इज्जत बचाने के लिए मुझसे बेवफाई की नाटक किया पर मरने से पहले उसने एक चिट्ठी में सब दुख लिख कर मुझे भिजवा दिया और उसके बाद फिर जब तक मैं उसे बचाने के लिए जाता तब तक बहुत देर हो चुकी थी ।
इतना बोलकर मैं काफी देर तक रोता रहा दी ने भी मुझे शांत नही कराया रोने दिया आखिर बहुत दिनों बाद जो मेरा दुख बाहर आया था काफी देर तक रोने के बाद जब मैं शांत हुआ तब फिर बोलना सुरु किया
मैं : जब उसने मुझे धोखा देने का नाटक किया तो उसके बाद मेरा प्यार के ऊपर से भरोशा हट गया था तो मैं सभी लड़कियों को भोग की वस्तु समझने लगा और मैं बहुत आगे निकल आया पर जब सच्चाई मालूम चली तो मैं उन सबको जान से मारने के बजाय उन सबको रंडी बनाने लगा।मुझे तो सिर्फ ठाकुर का नाम पता है और किसी भी गांव के लड़के का नाम का जिक्र उसने नही किया था तो मैं पूरे गांव को ही अपना दुश्मन मान लिया और वह सब करने लगा बस इसमे एक गलती हुई कि मैं आपसे दूर हो गया। अब आप ही बताये दी कि मैं क्या गलत कर रहा हु ।
कविता दी : नही गलत तो नही है पर इसमे तेरी कितनी बदनामी हो रही है जानता है।
मैं :मैं सब जानता हूं दी लेकिन अब मैं पीछे नही हट सकता।
कविता :ठीक है अगर तू पीछे नही हटेगा तो मैं भी तेरे साथ रहूँगी हरदम अब तुझे नही छोड़ सकती।
मैं :दी मैं वह कालिख बन चुका हूं कि अगर आप मेरे साथ रहोगी तो आपका दामन भी काला हो जाएगा।

कविता दी :अब चाहे जो हो मैं तुम्हारे साथ हु।
मैं :क्या आप वह सब सह पाओगी या देख पाओगी।इससे अच्छा तो यही होगा कि आप मुझसे दूर ही रहे।
Kafi emotional update tha yeh.

Hero villian kyun bana pata chala
 
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