चम्पा : बेटा जब तू अपने प्यार केलिए अपनी जान खतरे में डाल सकता है तो मैं अपनी बेटी केलिए नही कर सकती थी । अब सब कूछ तेरे हाथ मे है।
मैं :आप चिंता ना करो चाची मैं सब सम्भाल लूंगा ।बस अब आप मुझसे नही मिलोगी इस तरह से और अब मैं चलता हूं मुझे कुछ काम है।
अब आगे
चम्पा चाची मेरी बात सुनकर बोलती है कि
चम्पा :बेटा उस ठाकुर को जान से मत मारना उसे ऐसी सजा देना की उसकी आत्मा तक कांप उठे।
मैं :● चाची आप चिंता मत करो उसकी हालत तो मैं उस कुत्ते से भी बत्तर कर दूंगा मौत की भीख मांगेगा पर मौत भी नही मिलेगी उसे ।
इतना बोल कर मैं वँहा से अपने घर के तरफ चल दिया पर रास्ते मे मुझे जया पूजा और गांव की कुछ लड़कियां मिल गयी जो पोखरे की तरफ जा रही थी तो पूजा मुझे देख कर रूकने का इशारा किया तो मैं रूक गया।तब जया और पूजा दोनों मेरे पास आई और पूजा बोली
पूजा :जय आज रात को मैं नही आ पाऊंगी मुझे माफ़ कर दे तुझे बताई थी ना कि घर पर एक लड़की आयी हुई है वह मुझे छोड़ ही नही रही है।
मैं :चल कोई बात नही है ।कल आ जाना और वैसे भी हो सकता है कि आज मैं खाली ना रहु तो तू चिंता मत कर वैसे तेरा भाई कंहा है दिख नही रहा आज कल।
पूजा :और कंहा होगा उसी के भोशडे में घुसा होगा कुत्ता कहि का।।
जया : सही बोल रही है तू वह सिर्फ नाम का ही नही दिल का भी काला है ।कई बार तो मेरा भी हाथ पकड़ चुका है लेकिन राजू का दोस्त है इसलिए कुछ नही बोलती और वैसे तू क्यों उसे बुरा भला बोल रही कही उसने तेरे साथ भी कुछ गलत तो नही कर दिया।
पूजा :°किया तो नही है पर घूरता जरूर रहता है ।उसके सामने तो अब बैठने में डर लगता है।
मैं :तुम दोनों चिंता मत करो मैं उसको समझाऊंगा और तू जया कुछ कम ऊंड सुना हु की तू मेरी बुराई कर रही थी ।
जया :देख तू मुझसे झूठ तो बोला मत कर और किसने बोला कि मैं तेरी बुराई कर रही थी । यह बात तो तू भी जानता है यह जया मर जाएगी लेकिन तेरी बुराई ना कर सकती है और ना ही सुन सकती है । मैं तो तेरी गुलाम हु रे तू कहे तो अभी जान दे दु पर यह झूठा इल्जाम तो मत लगा।
मैं :अरे यार मैं तो मजाक कर रहा था और तू तो गम्भीर हो गयी है।
इतना बोल कर मैं उसे गले लगा लेता हूं पर कहते है ना जब किस्मत खराब हो तो ऊंट पर बैठे हुए आदमी को कुत्ता काट जाए। वही मेरे साथ भी हुआ ।मैं उसे गले लगाकर चुप करा रहा था और तभी पीछे से किसी के बोलने की आवाज आई तो मैं पलट कर देखा तो राजू खड़ा हो कर गुस्से में लाल पीला हो रहा था तो मैं उसे समझाने के लिये उसके पास गया और बोला कि
मैं :राजू देख यार गुस्सा मत हो जो तू समझ रहा है वैसा कुछ भी नही है ।मैं तो उसे बस चुप करा रहा था।
राजू :" हा मैं देख भी चुका हूं और उसकी बाते सुन भी चुका हूं । तुझे क्या मैं बोलू तू तो है ही ऐसा की जंहा लड़की दिखी नही की लार टपकाना सुरु कर देता है और तू साली रंडी प्यार का नाटक मेरे साथ और बिस्तर किसी और का गरम कर रही है ।सच कहते है सभी साली तू रंडी थी और रंडी ही रहेगी ।मैं ही पागल था जो तेरे पीछे पड़ा हुआ था।
मैं :" ठीक है यार मेरे ऊपर ना सही कम से कम अपने प्यार पर तो भरोशा कर सकता है।
राजू :मैं इतना गिरा हुआ नही हु जो कि दूसरे के जूठन को अपने सर पर रख कर फिरू
जया जो इतने देर से सब सुन रही थी उसके गुस्से का सब्र टूट गया और वह आगे बढ़कर राजू को वही खिंच कर एक झापड़ मारी और बोली कि
जया :तू जानता है कि मैंने तुझे क्यों मारा नही जानता ना तू सुन जिसे तू गद्दार बोल रहा है अगर वह नही होता तो आज मैं जीवित नही रहती ।साले गांड में दम तो हैं नही और दूसरों पर उंगली उठाता है ।साले उस दिन तो तूने अपनी जान बचा कर निकल लिया और एक बार भी यह नही सोचा कि वह सब मेरा क्या हाल करेंगे ।अरे अगर उस दिन यह आकर मुझे नही बचाता तो मैं आज जिंदा नही होती।
मैं उसे बीच मे रोकते हुए बोला कि
मैं :"जया तू पागल हो गयी है क्या कर रही है भगवान के लिए चुप हो जा तुझे मेरी कसम ।
जया : नही जय आज मुझे कोई भी नही रोक सकता तुम भी नही जय।आज मैं इसे वह आईना दिखा कर रहूँगी ताकि समाज भी इसका गन्दा चहेरा देख सके।
मैं :अगर तुमने कुछ बोला तो मैं अपनी जान दे दूंगा।
राजू :अगर तुम दोनों का ड्रामा हो गया हो हम चलते है और वैसे भी मुफ़्त का सो कितना देखेंगे।
मैं :राजू तू गलती कर रहा है सच को नही जानता बिना सच जाने कोई गलत कदम मत उठा लेना।
राजू :साले तुझसे मैं क्या बात करु जब तू अपनी दोस्त की बहन को नही छोड़ा तो आपने दोस्त के गर्लफ्रैंड को कैसे छोड़ सकता है।
जया : तुझे क्या लगता है मैं जय से प्यार करती हूं तो सुन मैं जय से तो दिलो जान से प्यार करती हूं भगवान मान कर पूजा करती हूं और गन्दे फूल कभी भगवान को नही चढ़ाए जाते । तूने तो मुझे गन्दा कर दिया है अब तो चाह कर भी नही जा सकती ।मैं ही नही जा अपने घर पर पता कर वँहा भी तुझे इनकी दीवानी मिल जाएगी और तू चाह कर भी कुछ नही कर पायेगा।
राजू :रंडी अब तू बहुत बोल रही है चुप हो जा नही तो जान से मार दूंगा।
मैं जब इतना सुना तो मेरे सब्र का बांध टूट गया और मैं उसके कालर को पकड़ते हुए बोला कि
मैं :" अब अगर तूने एक भी शब्द और बोला तो मैं तुझे जान से मार दूंगा और अब इससे पहले की मैं सब कुछ भूल जाऊ उससे पहले निकल ले।
अब तक पूजा जो शांत थी वह आगे आयी और उससे बोली कि
पूजा :तू क्या जानता है कि मेरे बारे में मेरे घर वाले नही जानते तो सुन माँ मेंरे और जय के बारे में सब जानती है इसलिए तू यह भूल जाना कि तू मेरा कुछ बिगाड़ सकता है लेकिन अगर मैं चाहू तो तेरी और ठाकुर के रिश्ते के बारे में जय को बता दु एक मिनट में जान से मार देगा तुझे
यह बात पूजा ने इतने धीरे से बोली थी कि उसके सिवा और किसी ने नही सुना पूजा फिर बोलिकि
पूजा :अगर तू चाहता है कि यह राज मेरे पास रहे और इसे कभी भी जय को नही बताऊ तो चुप रहना और अगर तूने गलती से मेरे और जय के रिश्ते के बारे में किसी को बोला तो एक मिनट भी नही लगेगा मुझे जय को सब कुछ बताने में और मुझे इस बात को प्रूफ करने के लिए ज्यादा कुछ नही करना है बस गांव की जितनी लड़कियों को तूने और तेरे कुछ कमीने दोस्तो ने मिलकर ले गए है ठाकुर के फार्महाउस पर उन सबको खड़ा कर दूंगी ।फिर तेरा जय क्या करेगा तू सोच भी नही सकता ।काव्या को तू ही लेकर गया था उस कमिंने के पास ।इसलिए तू चिंता मत कर तेरे घर की हर लड़की और औरत सबको मैं इसके लण्ड के नीचे लाऊंगी और वह भी तेरे आंखों के सामने बस तू देखता जा।
अभी हमारी बात चल ही रही थी कि सरिता दी और कविता दी दोनों ही आ पहुची और कविता दी आ कर बोली कि
कविता दी : मैं तुझे कबसे ढूढ रही हु और तू यंहा पर क्या कर रहा है ।क्या बात है कुछ हुआ है क्या यंहा पर।
मैं :नही दी कुछ भी नही हुआ है ।वह बहुत दिनों से मिला नही था इन सबसे तो यह सब झगड़ा कर रही थी मुझसे ।आप चलिए मैं अभी घर आता हूं।
कविता दी :मैं अब कुछ नही सुनने वाली तू मेरे साथ चल मुझे तुझसे कुछ काम है।
मैं : दी आप चलिए मैं अभी आता हूं ना।
सरिता दी : कविता तू बोल रही थी कि यह तरी बात नही टालेगा पर यह तो तेरी बात भी नही मान रहा है।
मैं :दीदी क्यों भुझी हुई आग को हवा दे रही हो।
कविता दी : तू बस अब चल मुझे कुछ भी नही सुनाना। है ।
मैं :ठीक है दोस्तो अब मैं चलता हूं बाद में मिलता हु और राजू आज की बातों का ख्याल रखना।
पूजा :" तू जा जय मैं इसे समझा दूँगी अच्छे से।
मैं इतना सुनकर अपनी गाड़ी पर दोनों दीदी को बैठा कर घर की तरफ चल दिया पर बीच मे ही सरिता दी बोली कि
सरिता दी :जय अभी घर मत चल कहि और चल अकेले में कुछ बात करनी है।
मैं : ,ठीक है दी।
मैं इतना बोल कर गाड़ी घुमा कर अपने बगीचे के तरफ चल दिया।
बगीचे में पहुचे तो सरिता दी और कविता दी दोनों गाड़ी से उतर गई और मेरे सामने आकर खड़ी हो गयी फिर सरिता दी ने बोला
सरिता दी :जय आज मुझे कविता ने सब कुछ बता दिया और इसलिए मैं भी तेरे साथ हु पर तुझे अपना घर भी टूटने से बचाना होगा।
मैं :दी क्या बोल रही हो मेरी कुछ भी समझ मे नही आ रहा है और किसकी इतनी हिम्मत जो कि मेरे घर को तोड़ने की कोशिश करे।
कविता दी :जय गुस्सा होने से काम नही चलेगा सब कुछ शांति से सुन इसके बाद ही कुछ बोलना।
मैं :ठीक है दी।
सरिता दी : इस वक्त घर मे जो हो रहा है उसे तुम भी जानते हो इसलिये मैं चाहती हु की तुम भाभी की सुनी कोख भर दो और घर को टूटने से बचा लो।
मैं :दीदी आप क्या बोल रही है।
कविता दी : इतना ना समझ तो तू है नही जितना बनने की कोशीश कर रहा है इसलिए ज्यादा मत सोच।