Dusto_chele
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Excellent updateमैं यह बोलने को बोल तो दिया लेकिन मेरा दिल ही जानता था कि यह बोलते समय मेरे दिल पर क्या बीत रही थी अगर दी ने मेरी बात को मान कर मुझसे दूरी बना ली तो मैं तो जीते जी मर जाऊंगा।लेकिन कहते है ना जो लोग दिल से एक दूसरे के पास होते है वह बिना कुछ बोले ही समझ जाते है तो कविता दी भी मेरे दिल का हाल समझ गयी और आगे बढ़कर मेरे माथे पर एक किस की और बोली
कविता दी : तू क्यों चिंता करता है जब तक जिऊंगी तेरा साथ कभी नही छोडूंगी यह वादा है मेरा तुमसे और अब सब कुछ भूल कर अपनी जिंदगी जी ।
मैं : लेकिन दी बात बात तो अभी भी वही के वही है अगर आप मेरे साथ रही तो बदनाम हो जाएंगी।
कविता दी : अच्छा एक बात बता मेरे को तेरे कहने के अनुसार काव्या ने अपनी बदनामी सिर्फ इसलिए बर्दाश्त करती रही कि वह तुझसे प्यार करती थी तो यह भी बता दे कि वह कब से तुझसे प्यार करती थी।
मैं : हम दोनों एक दूसरे से करीब 2 साल तक प्यार किये और उसके बाद उस कमीने ठाकुर ने उसके साथ।
कविता दी : काव्या 2 साल के प्यार के लिए वह अपने आप को बदनाम कर सकती है तुम्हारी नफरत को सहन कर सकती है तो क्या मैं अपने आप को बदल नही सकती हूं।
मैं : दीदी यह आप क्या बोल रही हो मैं कुछ समझा नही।
कविता दी : तू जानता है तेरी सबसे बड़ी कमी क्या है कि तू कभी किसी को समझ ही नही पाता है।पहले मेरे प्यार को नही समझा बाद में काव्या को भी समझने में तुमने गलती कर दी ।एक मिनट के मान लेती हूं कि मेरे प्यार को ना समझने का कारण था क्यूंकि उस समय मैं खुद दुविधा में थी पर काव्या को भी नही समझ पाया उसके प्यार पर तुमने यकीन नही किया जिसका नतीजा क्या निकला यह तुम खुद देख सकते हो।
मैं :दी आप जो कह रही है वह ठीक है लेकिन आप मुझसे कैसे प्यार कर सकती है ।आप मेरी बड़ी बहन हो।
कविता दी :मैं तेरी दी होने से पहले एक लड़की हु जिसके सीने में भी दिल हैं और वह सिर्फ और सिर्फ तेरे लिए धड़कता है।तू क्या जाने जबसे हम दोनों दूर हुए मैं एक एक पल मर मर कर जी हु लेकिन अब नही अब अगर मुझे तुमसे कोई दूर कर सकता है तो वह सिर्फ मौत है और किसी मे इतना दम नही है।
मैं :लेकिन दी यह गलत है । हमारे इस रिश्ते को समाज कभी नही मानेगा।
कविता :समाज की परवाह है किसको मैं तो सिर्फ तुझसे यह जानना चाहती हु की तू क्या सोचता है मुझे सिर्फ तेरा जवाब चाहिए और किसी से मुझे कोई मतलब नही है। यंहा तक कि मैं अपने माँ बापू की भी परवाह नही करती ।सिर्फ तू मेरा साथ दे तो मैं पूरी दुनिया से अपने प्यार के लिये लड़ जाऊंगी।
मैं : दी अब हमें चलना चाहिए हमे लेट हो रहा है घर पर सभी इन्तजार कर रहे होंगे।
कविता दी :ठीक है अभी तो तेरी बात को मानकर मैं चल रही हु लेकिन एक बात का ख्याल रखना तेरे पास जवाब देने के लिए सिर्फ आज रात तक समय है क्यूंकि कल की सुबह या तो मेरे जीवन की खुशियों के साथ सुरु होगी या फिर इस जीवन का अंत ।मतलब तू समझ रहा है ना कि अगर तेरा जवाब हां में हुआ तो अपनी दी को कल जिन्दा पायेगा वरना एक और अर्थी को कंधा देने के लिए खुद को मजबूत कर लेना।
मैं इतना सुनते ही मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई क्यूंकि मैं यह अच्छी तरह से जानता था कि दी जो बोलती है वह करती है और मेरे अंदर इतनी हिम्मत नही थी कि मैं इनके प्यार को स्वीकार कर सकू और ना ही इनको खो सकू ।मुझे कुछ भी समझ मे नही आया तो मैंने एक बार और बात करने के लिए सोचा
मैं :दी आप क्या बोल रही है आप जानती है ऐसे अकेले में बोलना सरल है पर सबके सामने बोलना मुश्किल है और फिर आप यह सोचिये की लोग क्या कहेंगे एक भाई ने अपनी बहन से नाजायज रिश्ता रखता है।
कविता दी :" कोई कुछ भी कहे मुझे फर्क नही पड़ता बस मैं यह जानती हूं कि जिऊंगी तो तेरे साथ वरना मरना पसन्द करूँगी ।अब तेरे हाथ मे है कि मुझे जिंदगी देता है या मौत । अब सब कुछ तेरे ऊपर छोड़ दी हु मैं ।
इधर हवेली में प्रीति अमृता चम्पा से सबकुछ पूछ लेने के बाद प्रीति उससे बोलती है कि
प्रीति : अब जब तू इतना बोल रही है तो हमे भी उस घोड़े से मिलना ही होगा।
चम्पा ना समझते हुए बोलती है कि
चम्पा : मालकिन आप किस घोड़े की बात कर रही है जंहा तक मैं जानती हूं अपने गांव में क्या अगल बगल के कई गांव में किसी के पास घोड़ा नही है।
अमृता: तू अपना दिमाग मत लगा बस हमे उस लड़के के बारे में बता वह कंहा मिलेगा।
चम्पा :वैसे तो मालकिन वह अक्सर अपने घर या खेतो में ही मिलता है लेकिन शाम के समय वह कुछ देर के लिए अकेले गांव के बाहर मैदान में दौड़ लगाता है और एक बात है अगर आप इजाजत देते बोलू।
प्रीति : मैने सुना है कि वह गांव के ही एक लड़की से प्यार करता था पर छोटे ठाकुर ने उस लड़की को मार दिया ।
अमृता :भाई ने ऐसा किया पर वह ऐसा क्यों करेगा ।
प्रीति : वह कर सकता है बेटी तू नही जानती अपने भाई को और चम्पा वह सब छोड़ हमे उस बात से कोई मतलब नही है ।बस एक बार तू हमसे मिला दे उस लड़के को ।
अमृता :लेकिन एक प्रॉब्लम है ।।
प्रीति : अब क्या हो गया ।
अमृता : हम उससे मिल कर क्या बात करेंगे ।
प्रीति : देख तू जानती है कि घुमा फिरा कर बात नही करती हूं और वैसे भी उसे कुछ बताने की जरूरत नही है एक सौदा करना है उससे।
अमृता : कैसा सौदा करना चाहती हो।
प्रीति : सीधी सी बात है यार हम उसके सारे कर्ज माफ कर देंगे और बदले में वह हमें खुश कर देगा और अगर पसन्द आ गया और जैसा चम्पा ने बताया वैसा ही वह है तो वह हमारे बहुत काम आ सकता है।
अमृता :मैं कुछ समझी नही ।
प्रीति : तू कुछ मत समझ बस जितना मैं बोलती हु उतना कर और चम्पा मुझे उस लड़के से मिलना है मुझे।
चम्पा (साली कुतियों जिस दिन के लिए मैं इतने दिनों से यंहा तुम रंडियों की सेवा कर रही हु उसका फल मिलने का समय आ गया है ।मान गयी जय बेटा तू जरूर मेरी बेटी को इंसाफ दिलवाएगा। ठाकुर खानदान की औरतों को अपना गुलाम बना लेना और जिस जिस ने मदद की सबकी।)
प्रीति :कंहा खो गयी चम्पा कहि उसके लण्ड को तो नही याद करने लगी।
चम्पा : नही मालकिन बस सोच रही थी कि जा कर उससे बात कर लूं अगर आप इजाजत दे तो।
अमृता :हा तू जा जल्दी
इतना सुनते ही चम्पा हवेली से चली आई और घर आकर मुझे फोन मिलाया ।यह वही समय था जब मैं और कविता दी घर पहचे थे ।चम्पा का फोन देख कर मैं कविता दी से बोला
मैं :दी आप चलिए मैं बस आया।
कविता दी :ठीक है पर जल्दी आना वैसे किसका फोन है।
मैं : दी आकर बात करता हु अभी 10 मिनट में
मैं फोन उठाया तो चम्पा ने बोला कि
चम्पा :कहा है तू मुझसे अभी आकर मिल घर पर
मैं :अगर जरूरी नही हो तो थोड़ी देर बाद आता हूं।
चम्पा :, नही अभी मिलो बहुत जरूरी है।
मैं :ठीक है मैं बस अभी आया।
इतना बोल कर मैं चम्पा के घर के तरफ चल दिया और वंहा पहुचा तो चम्पा बड़ी बेशब्री से मेरा इन्तजार कर रही थी मुझे आते हुए देख कर मुझे बैठने का इशारा किया तब मैं बोला कि
मैं :क्या बात है चाची आप ने इतनी जल्दी में क्यों बुलाया ।
चम्पा : बेटा मैंने अपना काम कर दिया है अब जो करना है तुझे करना है ।
मैं :चाची मैं तो कबसे इस खबर का इन्तजार कर रहा था ।आपका मैं किस तरह से धन्यवाद करु मैं समझ नही पा रहा हु ।
चम्पा : बेटा जब तू अपने प्यार केलिए अपनी जान खतरे में डाल सकता है तो मैं अपनी बेटी केलिए नही कर सकती थी । अब सब कूछ तेरे हाथ मे है।
मैं :आप चिंता ना करो चाची मैं सब सम्भाल लूंगा ।बस अब आप मुझसे नही मिलोगी इस तरह से और अब मैं चलता हूं मुझे कुछ काम है।
Nice updateज्योति जब देखती है कि दी उसके ऊपर गुस्सा कर रही है तो वह निकल जाने में ही अपनी भलाई समझती है ।उसके जाने के बाद मैं भी कविता दी को लेकर बैंक की तरफ चल देता हूं।वही मेरे घर से निकलने के बाद सरिता और जुही दोनों एक दूसरे को शांति से देख रही थी तब जुही बोलती है कि
जुही :तब तो फिर मेरे पास बस एक ही रास्ता बचता है कि मैं यंहा से अपने मायके चली जाऊ क्यूंकि आज नही तो कल यह घर और गांव वाले इनको तो कुछ बोलेंगे नही सब कमी मुझमे ही लोग कहेंगे।
सरिता : नही भाभी एक बार और मेरे कहने से रुक जाओ अगर जरूरत पड़ी तो मैं वह सब कुछ करूँगी लेकिन उसे फिर से उस कलमुँही के कब्जे में नही जाने दूँगी।
तब कुछ देर बाद मा भी घर आ जाती है ।इधर मैं भी बैंक पहुच कर पैसे निकालने के बाद कविता दी के पास आ जाता हूं वह बाहर ही एक शॉप पर मेरा इन्तजार कर रही थी ।मैं उनके पास गया तो देखा कि वह बैंक के गेट की तरफ ही देख रही थी तो मैं उनके पास गया और बोला
मैं :दी मुझे माफ़ कर दो मेरी वजह से आपको इतना इन्तजार करना पड़ा ।
कविता दी :कोई बात नही काम है तो लेट तो होगा ही अभी और भी कुछ काम है या सब हो गया।
मैं : नही दी मेरा काम तो हो गया है ।अब आप बताये आप को क्या काम है।
कविता दी : वैसे काम तो कुछ भी नही है पर तेरे साथ आई हूं घर से यह बोल कर मुझे कुछ खरीदारी करनी है तो चल कुछ खरीद लेते है।
मैं :हा दी चलो आज मैं आपको खरीदारी करवाता हु।
कविता दी : नही जिस दिन तू कमाने लगेगा उस दिन से मेरा सारा खर्चा तू उठाना लेकिन अभी नही।
मैं :दी यह क्या बात हुई।
कविता दी :जितना बोल दी ना बस उतना कर समझा कि नही।
मैं :ठीक है दी आज मैं मान जाता हूं लेकिन अगली बार नही मानूँगा।
कविता दी :चल ठीक है पागल लेकिन अभी तो चल।
इसके बाद हम लोग एक मॉल में चले गए जो कि हमारे यंहा का बेस्ट मॉल था।वंहा पर दी ने अपने और ज्योति के लिए कुछ खरीदा और मेरे लाख मना करने के बाद मुझे भी 1 सेट कपड़ा दिलवाया ।उसके बाद हम लोगो ने एक होटल में खाना खाया दी के पसन्द का फिर मैं बोला कि
मैं :अब तो घर से आये हुए काफी समय हो गया है अब हमें घर चलना चाहिए।
कविता दी :तू चिंता मत कर घर पर मैं देख लुंगी अभी तू किसी पार्क में चल तुझसे कुछ बात करनी है।
उनकी बात को सुनकर मैं समझ गया था कि वह क्या बात करना चाहती है लेकिन फिर भी नही चाहते हुए भी मुझे लेकर जाना पड़ा क्यूंकि मैं उनको नाराज नही करना चाहता था।इसके बाद हम लोग एक पार्क में आ गए ।वँहा पर सभी लवर ही थे ऐसे माहौल में ले जाने में मुझे शर्म लग रही थी लेकिन मजबूरी यह थी कि यही पार्क बेस्ट था तो ना चाहते हुए भी हम आ गए और दी एक जगह पेड़ के नीचे बैठ गए ।कुछ देर बाद दी बोली कि
कविता दी : तब और बता कब छोड़ेगा तू यह सब ।
मैं उनकी बात का जवाब नही दिया बस मुंडी नीचे किये हुए देख रहा था जमीन को मुझे कुछ नही बोलते हुए देखकर दी फिर से बोली
कविता दी :तू ऐसी हरकतें करता ही क्यों है जो तुझे शर्माना पड़े किसी के सामने।
मैं : दीदी इसका मैं क्या उत्तर दु आपको बस अब आप इतना समझ लो कि मैं अब चाह कर भी वापस नही लौट सकता।
कविता दी :क्या तू कभी नही सुधर सकता है ।
मैं :दी अगर यह कहु की मैं सुधर जाऊंगा तो यह गलत होगा क्यूंकि मैं जानता हूं नही सुधर सकता मैं ।
कविता दी : आखिर क्यों
मैं : दी यह दुनिया बड़ी जालिम है यह सीधे साधे लोग को जीने नही देती है ।
कविता दी : ऐसा क्यों बोल रहा है तू
मैं :अगर आप वचन दे की जो बात मैं आपको बताउ वह किसी को नही बोलेंगी तो मैं कुछ बताऊ
कविता दी : मैं तेरी कसम खाती हु की मैं मर जाऊंगी लेकिन किसी को बताउंगी नही
दी के इतना बोलने के बाद मैंने अपने पर्स से एक फोटो निकाल कर उन्हें दिया और बोला कि
मैं :आप जानती है यह लड़की कौन है।
कविता :हा यह तो काव्या है जो पिछले साल आत्महत्या कर ली थी क्यूंकि उसके कई लोगो से नाजायज सम्बन्ध थे और वह शादी से पहले माँ बनने वाली थी।
मैं चिल्लाते हुए :नही दी यह सब झूठ है ऐसा कुछ भी नही था वह साला ठाकुर का लड़का और गांव के कुछ लड़कों ने उसे बदनाम किये थे।
दीदी मेरी तरफ आश्चर्य से देखने लगी कि मुझे क्या हुआ है जो इतनी तेज आवाज में उनसे बात किया क्यूंकि आज से पहले मैंने कभी भी उनके सामने इतनी तेज आवाज में नही बोला था।
कविता दी : ऐसी कौन सी बात है जो तुझे इतना परेशान की है आज अपना सारा दुख बोल दे बेटू।
मैं उनके कंधे पर सर रख कर रोने लगा और बोला कि
मैं :दी मैं उससे दिलो जान से प्यार करता था और वह मुझसे करती थी लेकिन ठाकुर के लड़का भी उसे पसन्द करने लगा पर उसने मना कर दिया तो उन कमीनो ने मुझे जान से मारने की धमकी देकर उसके साथ रेप किया और गांव के कई लड़के भी कई महीनों तक उसके साथ वह सब करते रहे और वह पागल मेरी जान बचाने के लिए उसने अपनी इज्जत की भी परवाह नही की और अंत मे अपनी जान दे दी और उसने मेरी इज्जत बचाने के लिए मुझसे बेवफाई की नाटक किया पर मरने से पहले उसने एक चिट्ठी में सब दुख लिख कर मुझे भिजवा दिया और उसके बाद फिर जब तक मैं उसे बचाने के लिए जाता तब तक बहुत देर हो चुकी थी ।
इतना बोलकर मैं काफी देर तक रोता रहा दी ने भी मुझे शांत नही कराया रोने दिया आखिर बहुत दिनों बाद जो मेरा दुख बाहर आया था काफी देर तक रोने के बाद जब मैं शांत हुआ तब फिर बोलना सुरु किया
मैं : जब उसने मुझे धोखा देने का नाटक किया तो उसके बाद मेरा प्यार के ऊपर से भरोशा हट गया था तो मैं सभी लड़कियों को भोग की वस्तु समझने लगा और मैं बहुत आगे निकल आया पर जब सच्चाई मालूम चली तो मैं उन सबको जान से मारने के बजाय उन सबको रंडी बनाने लगा।मुझे तो सिर्फ ठाकुर का नाम पता है और किसी भी गांव के लड़के का नाम का जिक्र उसने नही किया था तो मैं पूरे गांव को ही अपना दुश्मन मान लिया और वह सब करने लगा बस इसमे एक गलती हुई कि मैं आपसे दूर हो गया। अब आप ही बताये दी कि मैं क्या गलत कर रहा हु ।
कविता दी : नही गलत तो नही है पर इसमे तेरी कितनी बदनामी हो रही है जानता है।
मैं :मैं सब जानता हूं दी लेकिन अब मैं पीछे नही हट सकता।
कविता :ठीक है अगर तू पीछे नही हटेगा तो मैं भी तेरे साथ रहूँगी हरदम अब तुझे नही छोड़ सकती।
मैं :दी मैं वह कालिख बन चुका हूं कि अगर आप मेरे साथ रहोगी तो आपका दामन भी काला हो जाएगा।
कविता दी :अब चाहे जो हो मैं तुम्हारे साथ हु।
मैं :क्या आप वह सब सह पाओगी या देख पाओगी।इससे अच्छा तो यही होगा कि आप मुझसे दूर ही रहे।
मैं यह बोलने को बोल तो दिया लेकिन मेरा दिल ही जानता था कि यह बोलते समय मेरे दिल पर क्या बीत रही थी अगर दी ने मेरी बात को मान कर मुझसे दूरी बना ली तो मैं तो जीते जी मर जाऊंगा।लेकिन कहते है ना जो लोग दिल से एक दूसरे के पास होते है वह बिना कुछ बोले ही समझ जाते है तो कविता दी भी मेरे दिल का हाल समझ गयी और आगे बढ़कर मेरे माथे पर एक किस की और बोली
कविता दी : तू क्यों चिंता करता है जब तक जिऊंगी तेरा साथ कभी नही छोडूंगी यह वादा है मेरा तुमसे और अब सब कुछ भूल कर अपनी जिंदगी जी ।
मैं : लेकिन दी बात बात तो अभी भी वही के वही है अगर आप मेरे साथ रही तो बदनाम हो जाएंगी।
कविता दी : अच्छा एक बात बता मेरे को तेरे कहने के अनुसार काव्या ने अपनी बदनामी सिर्फ इसलिए बर्दाश्त करती रही कि वह तुझसे प्यार करती थी तो यह भी बता दे कि वह कब से तुझसे प्यार करती थी।
मैं : हम दोनों एक दूसरे से करीब 2 साल तक प्यार किये और उसके बाद उस कमीने ठाकुर ने उसके साथ।
कविता दी : काव्या 2 साल के प्यार के लिए वह अपने आप को बदनाम कर सकती है तुम्हारी नफरत को सहन कर सकती है तो क्या मैं अपने आप को बदल नही सकती हूं।
मैं : दीदी यह आप क्या बोल रही हो मैं कुछ समझा नही।
कविता दी : तू जानता है तेरी सबसे बड़ी कमी क्या है कि तू कभी किसी को समझ ही नही पाता है।पहले मेरे प्यार को नही समझा बाद में काव्या को भी समझने में तुमने गलती कर दी ।एक मिनट के मान लेती हूं कि मेरे प्यार को ना समझने का कारण था क्यूंकि उस समय मैं खुद दुविधा में थी पर काव्या को भी नही समझ पाया उसके प्यार पर तुमने यकीन नही किया जिसका नतीजा क्या निकला यह तुम खुद देख सकते हो।
मैं :दी आप जो कह रही है वह ठीक है लेकिन आप मुझसे कैसे प्यार कर सकती है ।आप मेरी बड़ी बहन हो।
कविता दी :मैं तेरी दी होने से पहले एक लड़की हु जिसके सीने में भी दिल हैं और वह सिर्फ और सिर्फ तेरे लिए धड़कता है।तू क्या जाने जबसे हम दोनों दूर हुए मैं एक एक पल मर मर कर जी हु लेकिन अब नही अब अगर मुझे तुमसे कोई दूर कर सकता है तो वह सिर्फ मौत है और किसी मे इतना दम नही है।
मैं :लेकिन दी यह गलत है । हमारे इस रिश्ते को समाज कभी नही मानेगा।
कविता :समाज की परवाह है किसको मैं तो सिर्फ तुझसे यह जानना चाहती हु की तू क्या सोचता है मुझे सिर्फ तेरा जवाब चाहिए और किसी से मुझे कोई मतलब नही है। यंहा तक कि मैं अपने माँ बापू की भी परवाह नही करती ।सिर्फ तू मेरा साथ दे तो मैं पूरी दुनिया से अपने प्यार के लिये लड़ जाऊंगी।
मैं : दी अब हमें चलना चाहिए हमे लेट हो रहा है घर पर सभी इन्तजार कर रहे होंगे।
कविता दी :ठीक है अभी तो तेरी बात को मानकर मैं चल रही हु लेकिन एक बात का ख्याल रखना तेरे पास जवाब देने के लिए सिर्फ आज रात तक समय है क्यूंकि कल की सुबह या तो मेरे जीवन की खुशियों के साथ सुरु होगी या फिर इस जीवन का अंत ।मतलब तू समझ रहा है ना कि अगर तेरा जवाब हां में हुआ तो अपनी दी को कल जिन्दा पायेगा वरना एक और अर्थी को कंधा देने के लिए खुद को मजबूत कर लेना।
मैं इतना सुनते ही मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई क्यूंकि मैं यह अच्छी तरह से जानता था कि दी जो बोलती है वह करती है और मेरे अंदर इतनी हिम्मत नही थी कि मैं इनके प्यार को स्वीकार कर सकू और ना ही इनको खो सकू ।मुझे कुछ भी समझ मे नही आया तो मैंने एक बार और बात करने के लिए सोचा
मैं :दी आप क्या बोल रही है आप जानती है ऐसे अकेले में बोलना सरल है पर सबके सामने बोलना मुश्किल है और फिर आप यह सोचिये की लोग क्या कहेंगे एक भाई ने अपनी बहन से नाजायज रिश्ता रखता है।
कविता दी :" कोई कुछ भी कहे मुझे फर्क नही पड़ता बस मैं यह जानती हूं कि जिऊंगी तो तेरे साथ वरना मरना पसन्द करूँगी ।अब तेरे हाथ मे है कि मुझे जिंदगी देता है या मौत । अब सब कुछ तेरे ऊपर छोड़ दी हु मैं ।
इधर हवेली में प्रीति अमृता चम्पा से सबकुछ पूछ लेने के बाद प्रीति उससे बोलती है कि
प्रीति : अब जब तू इतना बोल रही है तो हमे भी उस घोड़े से मिलना ही होगा।
चम्पा ना समझते हुए बोलती है कि
चम्पा : मालकिन आप किस घोड़े की बात कर रही है जंहा तक मैं जानती हूं अपने गांव में क्या अगल बगल के कई गांव में किसी के पास घोड़ा नही है।
अमृता: तू अपना दिमाग मत लगा बस हमे उस लड़के के बारे में बता वह कंहा मिलेगा।
चम्पा :वैसे तो मालकिन वह अक्सर अपने घर या खेतो में ही मिलता है लेकिन शाम के समय वह कुछ देर के लिए अकेले गांव के बाहर मैदान में दौड़ लगाता है और एक बात है अगर आप इजाजत देते बोलू।
प्रीति : मैने सुना है कि वह गांव के ही एक लड़की से प्यार करता था पर छोटे ठाकुर ने उस लड़की को मार दिया ।
अमृता :भाई ने ऐसा किया पर वह ऐसा क्यों करेगा ।
प्रीति : वह कर सकता है बेटी तू नही जानती अपने भाई को और चम्पा वह सब छोड़ हमे उस बात से कोई मतलब नही है ।बस एक बार तू हमसे मिला दे उस लड़के को ।
अमृता :लेकिन एक प्रॉब्लम है ।।
प्रीति : अब क्या हो गया ।
अमृता : हम उससे मिल कर क्या बात करेंगे ।
प्रीति : देख तू जानती है कि घुमा फिरा कर बात नही करती हूं और वैसे भी उसे कुछ बताने की जरूरत नही है एक सौदा करना है उससे।
अमृता : कैसा सौदा करना चाहती हो।
प्रीति : सीधी सी बात है यार हम उसके सारे कर्ज माफ कर देंगे और बदले में वह हमें खुश कर देगा और अगर पसन्द आ गया और जैसा चम्पा ने बताया वैसा ही वह है तो वह हमारे बहुत काम आ सकता है।
अमृता :मैं कुछ समझी नही ।
प्रीति : तू कुछ मत समझ बस जितना मैं बोलती हु उतना कर और चम्पा मुझे उस लड़के से मिलना है मुझे।
चम्पा (साली कुतियों जिस दिन के लिए मैं इतने दिनों से यंहा तुम रंडियों की सेवा कर रही हु उसका फल मिलने का समय आ गया है ।मान गयी जय बेटा तू जरूर मेरी बेटी को इंसाफ दिलवाएगा। ठाकुर खानदान की औरतों को अपना गुलाम बना लेना और जिस जिस ने मदद की सबकी।)
प्रीति :कंहा खो गयी चम्पा कहि उसके लण्ड को तो नही याद करने लगी।
चम्पा : नही मालकिन बस सोच रही थी कि जा कर उससे बात कर लूं अगर आप इजाजत दे तो।
अमृता :हा तू जा जल्दी
इतना सुनते ही चम्पा हवेली से चली आई और घर आकर मुझे फोन मिलाया ।यह वही समय था जब मैं और कविता दी घर पहचे थे ।चम्पा का फोन देख कर मैं कविता दी से बोला
मैं :दी आप चलिए मैं बस आया।
कविता दी :ठीक है पर जल्दी आना वैसे किसका फोन है।
मैं : दी आकर बात करता हु अभी 10 मिनट में
मैं फोन उठाया तो चम्पा ने बोला कि
चम्पा :कहा है तू मुझसे अभी आकर मिल घर पर
मैं :अगर जरूरी नही हो तो थोड़ी देर बाद आता हूं।
चम्पा :, नही अभी मिलो बहुत जरूरी है।
मैं :ठीक है मैं बस अभी आया।
इतना बोल कर मैं चम्पा के घर के तरफ चल दिया और वंहा पहुचा तो चम्पा बड़ी बेशब्री से मेरा इन्तजार कर रही थी मुझे आते हुए देख कर मुझे बैठने का इशारा किया तब मैं बोला कि
मैं :क्या बात है चाची आप ने इतनी जल्दी में क्यों बुलाया ।
चम्पा : बेटा मैंने अपना काम कर दिया है अब जो करना है तुझे करना है ।
मैं :चाची मैं तो कबसे इस खबर का इन्तजार कर रहा था ।आपका मैं किस तरह से धन्यवाद करु मैं समझ नही पा रहा हु ।
चम्पा : बेटा जब तू अपने प्यार केलिए अपनी जान खतरे में डाल सकता है तो मैं अपनी बेटी केलिए नही कर सकती थी । अब सब कूछ तेरे हाथ मे है।
मैं :आप चिंता ना करो चाची मैं सब सम्भाल लूंगा ।बस अब आप मुझसे नही मिलोगी इस तरह से और अब मैं चलता हूं मुझे कुछ काम है।