[११] २७.०३.२०२१
श्याम को जब मई दफ्तर से घर आया तो मै जान बूझकर भाभी के यहाँ नहीं गया, सीधे आपने क्वार्टर्स में गया. हाथ मुँह धोने के बाद मैंने सोचा, ...क्या प्रीती जी पोहोची है के नहीं या जानना होगा,... तो मैंने उसी किचन के दीवार के छेद से झांक के देखा की उस तरफ क्या मांजरा है ...मैंने पाया के एक मदमस्त figure. वाली औरत बिलकुल दीवार के छेद के सामने खड़ी चाय बना रही है....ओहोहोह क्या फिगर था उसका, सयाली भाभी तो उसका मिनी स्वरुप थी. खासियत ये के कमर बिलकुल पतली, जो चीज़ सयाली भाभी के कमर के बिलकुल विपरीत थी. स्तन तो भाभी के स्तन के लग भाग दोगुने आकर के लग रहे थे, और नितम्ब ऐसा के कोई चाहे तो उसे किसी इंसान रूपी खुर्सी के तरह इस्तेमाल करे ...बोहोत ज़्यादा प्रोजेक्टेड थी उनकी गांड.
मैंने एक पल के लिए मेरी आँख उस छेद से हटा ली और आपने आप को पुनः नियंत्रित करने हेतु मैंने एक गलास पानी पी लिया., कमाल कमाल ...भला इतना मादक सौंदर्य भी मूर्तरूप में हो सकता है, मै विश्वास ...(नाम से) आपने आप पे विश्वास नहीं कर पा रहा था, अभी अभी जो मैंने देखा...क्या वह वाकई में सच था...!...हे प्रभु ...मुझे इस औरत को बस एक बार नग्न रूप में देखने का अवसर दे दे प्रभु ...मै अपने जीवन को धन्य मान लूंगा प्रभु ...
उत्कंठा के चरम पे आपने आप को पते हुए मै भावविभोर होते हुए भाभी के घर के दरवाजे की और बढ़ चला. मैंने दयवाजे पे दस्तक दी और सई ने दरवाज़ा खोला. मेरे घर के अंदर दाखिल होते ही मुझे भाभी दिखाई दी...
"आओ विश्वास ...बैठो, चाय बन ही रही है...रमेश बाबू का फ़ोन आया था ?"
"हां भाभी साहब कह रहे थे की पानी की टंकी में लीकेज हुआ है तो प्लम्बर से काम करवाने बोलै है...मैंने प्लम्बर को दफ्तर से ही फ़ोन कर दिया था वो कुछ देर में आने वाला है..." मैंने कृत्रिम सभ्यता का प्रदर्शन करते हुए कहा ...मेरी नज़र भाभी की सहेली प्रीती जी के उन्नत नितम्बो को ताक रही थी. भाभी ने मेरी नज़रोकि दिशा और दशा भाप ली और बोली,...
"बिलकुल ठीक विश्वास, अगर आज श्याम को टंकी का लीकेज ठीक नहीं हुआ तो कल सुबह के लिए पानी नहीं होगा तो मै चाहती हु के आज ही काम हो जाये ...वैसे ये है मेरी सहेली प्रीती, प्रीती ...ये है विश्वास, रमेश बाबू के निजी cleark."
"नमस्ते ...कैसी है आप ...प्रीती जी" मेरे मन में एक तूफ़ान सा उमड़ पड़ा जब मैंने प्रीती जी को साक्षात नज़रोके सामने देखा ...
"नमस्ते ...विश्वास ...आप तो उम्र में काफी छोटे प्रतीत हो रहे है...इतनी काम उम्र में आप को ऐसी सरकारी नौकरी कैसे मिल गई भला...?"
"ऑफफो प्रीती तुम भी ना, क्यों उसे छेड़ रही हो... चाय बन गई के नहीं ?" भाभी ने बात को सँभालते हुए कहा. मै थोड़ा झेप गया था सो मैंने अपनी नज़रें फर्श की और कर दी. चाय पीने के बाद कुछ देर में प्लम्बर आ गया और मै उसके साथ रिपेयर के काम में व्यस्त हो गया, काम ख़तम होने के बाद भाभी ने मुझे अकेले में कहा
"विश्वास खाना खाने के बाद तुम तुम्हारे क्वार्टर में जाओ और जब प्रीती सो जाएगी मै तुम्हे बुलाऊंगी तब आना और मुझे सुलाके फिर आपने क्वार्टर में सो जाना ठीक है"
"ठीक है भाभी ...पर क्या आप मुझे दूध नहीं पलायेंगी...?"
ओह्हो विश्वास ...तुम बोहोत ज़िद्दी हो ...ठीक है मै पीला दूंगी ...बस तुम मै जैसा बोलू वैसे करना ठीक है!?"
खाना खा के मै आपने क्वार्टर्स चला गया और लग भाग ४० मिनट बाद भाभी मुझे बुलाने आयी...मै उनके साथ उनके घर चल दिया...रस्ते में भाभी ने कहा ...
"मैंने प्रीती को नींद की गोली खिला दी है ...अब वह नहीं उठेगी ...तो तुम चिंता मत करना ठीक है?"
"भाभी ...एक बात कहु ...बुरा मत मानना ...प्रीती जी के स्तन तो बोहोत ही ज़्यादा बड़े है, क्या मुझे उनके स्तनों के दर्शन हो सकते है...जैसे आपने कहा के आपने उन्हें नींद की दवाई दी है तो अब तो वह जगेंगी नहीं तो क्या आप मुझे ...?"
"विश्वास ...तुम क्या कह रहे हो तुम्हे समझ में आ रहा है ...वह मेरी सहेली है और तुम मुझे कह रहे हो के मै तुम्हे उसके स्तन दिखाऊ? हद है विश्वास!"
"सो ...सॉरी भाभी पर सच में मुझे उनके स्तन बोहोत आकर्षक लगे...पर कोई बात नहीं रहने दो .."
हम भाभी के घर में दाखिल हुए, सब लोग सोये हुए थे, हॉल में भाभी के सहेली प्रिया जी सो रही थी और बच्चे अन्दर बैडरूम में सो रहे थे. भाभी प्रिया जी के बगल में लेट गई और मै उनके सम्मुख लेट गया, भाभी ने खुद ही मेरी लुंगी हटाई और मेरा मेरे लिंग को बहार निकला, ...मेरा लिंग अभी तना हुआ नहीं था, भाभी ने मेरी और देखा और धीरे से बोली...
"ये क्या विश्वास, ...तुम्हारा लिंग अभी सो रहा है? क्या बात है? ..."
"कुछ नहीं भाभी, आप मुँह में लो...ये आपने आप तन जायेगा..."
"ओह्ह तो ये बात है ..." भाभी उठ गई और उन्होंने धीरे से बगल में सोई प्रीती जी के ऊपर से चद्दर हटाई और बोहोत सावधानीसे उनके ब्लाउज के हुक खोलने लगी...ये देख मेरे मन में तूफ़ान उमड़ पड़ा...
"भाभी ...ये ...ये क्या कर ..."
"शहहह ...आवाज़ मत करो विश्वास ...चुप ..." भाभी ने बड़ी गंभीर मुद्रा में मुझे देखा. उधर भाभी ने प्रीति जी का बया स्तन आज़ाद कर दिया था. बोहोत विशाल स्तन था वह और उसका निप्पल भी उतना ही लम्बा और बड़े घेरे वाला था...
प्रीति जी के नंगे स्तन को देख मै तो मंत्रमुग्ध हो गया, और मै उठके उनके स्तन के पास लेट गया और हलके हलके उनका वह बड़ा निप्पल मुँह में ले के चूसने लगा. इधर मेरा लिंग बोहोत तन गया था जो अब भाभी के हाथ में था...मैंने मुड़के भाभी की और देखा जब मुझे मेरे लिंग पर उनकी कोमल ज़ुबान महसूस हुई.
अब seen. ऐसा था की प्रीति जी एक बदन पे लेटी हुई थी ...उनका बया स्तन मेरे मुँह में था जिसे मै बोहोत प्यार से हलके हलके चूस रहा था और मेरे साइड में निचे ...भाभी लेटी हुई थी जिनके मुँह में मेरा लिंग उनकी लार में नाहा रहा था...प्यारी प्यारी ...cute. सी चूसने की आवाज़ हॉल में सुनाई दे रही थी. आश्चर्य तब हुआ जब १ मिनट चूसने के बाद मेरे मुँह में दूध का स्वाद आ गया और फिर प्रीति का दूध मुझे मिलने लगा, वाह कितना मीठा दूध था उनका, और उनका निप्पल लम्बा होने की वजेसे चूसने में और भी मज़ा आ रहा था, निचे मेरी भाभी आपने आप पे कम्बल ओढ़े...आपने ही धुन में मेरा लिंग चूसे जा रही थी
अब मुझे पता चला की भाभी ने अपनी सहेली को क्यों बुलाया था ...क्यों के अब मै प्रीती का दूध दिन भर पी सकता था (उन्हें कोई शिकायत नहीं थी, बस उन्हें चाहिए था की मै जब वह कहे उन्हें खूब चोदू...और इस वजह से ये भी तय था की भाभी जब चाहे बेझिजक मेरा लिंग चूस सकती थी.
उस रात प्रीति ने सिर्फ नाटक किया था...सोनेका , वह जगी हुई थी. और फिर अगले कई दिन हम तीनो खूब मज़े करते रहे.
२ साल बाद रमेश बाबू का तबादला हो गया और उसके एक साल बाद मैंने शादी कर ली...लेकिन आज भी जब भी मौका मिले मै भाभी से मिलने जबलपुर जाता रहता हु ..आखिर हमरे बीच का दुग्धानुबन्ध है ही इतना मज़बूत.
(मै तेहै दिल से धन्यवाद् देना चाहता हु आप सभी को...जिन्होंने मेरी ये story. पढ़ी है और आगे भी पढ़ेंगे. वक़्त के कमी के चलते updates...कभी कभी लेट होते रहे पर उतने भी लेट नहीं ...खैर. ये कहानी अब यही समाप्त होती है.) इत्ती दुग्धानुबन्ध समाप्तम.