[०३] - १६.०२.२०२१
corona टीकाकरण के लिए, सरकार ने पहले चरण में बड़े शहरों में टीकाकरण अभियान चलाने का निर्णय लिया और इसके लिए, कई जिलों और तालुकों से सरकारी कर्मचारियों को बुलावा भेजा गया, जिसमें मुलशी तालुका से रमेश बाबू महादिक और 3 अन्य कर्मचारी शामिल थे। गौर करनेवाली बात यह थी कि इसमें मेरा नाम नहीं था। यह बात मुझे राजेशबाबू ने शनिवार को तालुका कार्यालय में बताई। और यह खबर बताते समय साहब बहुत दुखी प्रतीत हो रहे थे। उनकी अनुपस्थिति में, मैं कार्यालय का प्रभारी रहने वाला था। सभी निर्देश देने के बाद, साहब ने मुझे बताया ...
"विश्वास ... वास्तव में, मैंने बड़े साहब को पुणे में कॉल लगाई थी और मुझे पुणे केंद्र मिलेगा तो बेहतर होगा ऐसी प्रार्थना भी की ... लेकिन"
... साहब ने विराम लिया और मैं बोला ...
"लेकिन सर पुणे दूसरे चरण में आता है, है ना ...?"
"हाँ, यह वही जवाब है ... जो मुझे बड़े साहब से मिला है,... अब अगर मई एक महीने के लिए मुंबई जैसी जगह में बच्चों को साथ ले जाऊ तो... लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह corona के समय में उचित है।"
"हाँ साहब, बस बच्चों को साथ मत लजाईऐ; और वैसे भी,15 दिनों में उनका स्कूल शुरू हो जाएगा" मैंने समझाया ...
"बात तो ठीक ही है विश्वास ...तो तुम्हे घर के साथ-साथ दफ्तर पर भी ध्यान रखना होगा। और हाँ, सायली तुम्हारे लिए खाना बनाएगी, तो तुम सब साथ ही खाना खाना... ठीक है ..." साहब ने मुझे तनिक चिंतित स्वर में कहा.
मैं तो मन ही मन खुश हुआ जा रहा था ...
रविवार शाम को, साहेब के बंगले के सामने अम्बेसडर कार रुकी।
"अरे सुजय, प्रसाद, इन दोनों सूटकेस को डिक्की में रख दो, बाकी मेरी ये शबनम बैग ऊपर गाड़ी में छोड़ दो, और ड्राइविंग कौन कर रहा है भिसे?" साहब ने उन दोनों की ओर देखा और कहा ...
"हां सर, भिसे ही चला रहा है ..."
"चलो सामान रखकर सभी आ जाना, सब चाय पिएंगे और फिर चलेंगे ... जल्दी करो ..."
चाय खत्म हो गई, और साहेब निकल गए। इधर, सायली भाभी थोड़ी उदास लग रही थी, और बच्चे भी रोने लगे।
फिर मैंने सायली भाभी के साथ काफी देर तक गुप् शप लगाई, जिसमें सोनू अपने बाबा को याद करते हुए रोते रोते अपनी माँ के पास आता था। फिर आखिरकार सायली भाभी ने उसे गोद में उठा लिया और मुझसे कहा ...
"इसे पीला देती हु बोहोत देर से रो रहा है। पीते ही सो जायेगा।" और आश्चर्य यह था कि सायली भाभी बिलकुल बेफिक्र होकर पल्लू को सरका दी और उन्होंने मेरे सामने ब्लाउज के निचले 3 हुक हटा दिए। anticipation में मेरी छाती जोरोसे धड़क रही थी और फिर सायली भाभी का बायाँ स्तन बाहर आ गया था, बड़ा, भरा हुआ और ऐसा स्तन जो देखते ही मुँह में लेनेका मन करे। भाभी ने पहले दो उंगलियों में अपने निपल्स को पकड़ लिया और अंगूठे से स्तनों पर हल्का दबाव डालना शुरू कर दिया।
जब यह सब चल रहा था, उसका ध्यान सोनू पर था और मेरा ध्यान उनके सेक्सी निप्पल पर था, तब भी जब सोनू ने चूसना शुरू किया, तब भी ज्यादातर areola खुला हुआ था। मैं इसे विस्मय से देख रहा था, तभी भाभी ने कहा
"विश्वास जी ... क्या देख रहे हो ... जब कोई बच्चा भोजन कर रहा है तो ऐसे देखना नहीं चाहिए ..."
"आ..नो नहीं नहीं , आई ऍम सॉरी भाभी ..."
"ठीक है, इसे पीला के फिर हम खाना खा लेंगे ठीक है ... जब तक आप tv देख लीजिये।" सायली भाभी ने कहा।
मैं उठा और हॉल में गया, और जब मई चलने लगा था तब भाभी ने मेरी पैंट में बना तम्बू देखलिया शायद ... लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। थोड़ी देर बाद हम सबने खाना खाया। सईं, साहेब की बेटी, उसे मैंने एक बच्चोंवाली कहानी सुनाई और फिर मैंने सायली भाभी को अलविदा कह दिया और रात को मैं अपने क्वार्टर में आ गया। सयाली का वह खूबसूरत निप्पल रात में मेरी आँखों के सामने आता रहा और मैं अपनी कल्पना में उस निप्पल को सहलाता, चुस्त रहा।