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Fantasy दुग्धाअनुबंध

Kya रमेश बाबू की बेटी ko involve karna aap logo ko pasand aayega?

  • Yes

    Votes: 1 33.3%
  • No

    Votes: 2 66.7%

  • Total voters
    3
  • Poll closed .

Zeus2021

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54
Awesome man. Thanks for listening to our request so quickly. Wish you (and us 🤪)many more such stories. Keep the updates rolling
Thank you for appreciating... (the thing is i am in quarantine now... Yes positive... And am recovering well.. So I have loads of time on hands... Hehe putting some of it for passionate people like you)
 
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Reactions: Naik and Chetan11

Zeus2021

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[०३] - १६.०२.२०२१
corona टीकाकरण के लिए, सरकार ने पहले चरण में बड़े शहरों में टीकाकरण अभियान चलाने का निर्णय लिया और इसके लिए, कई जिलों और तालुकों से सरकारी कर्मचारियों को बुलावा भेजा गया, जिसमें मुलशी तालुका से रमेश बाबू महादिक और 3 अन्य कर्मचारी शामिल थे। गौर करनेवाली बात यह थी कि इसमें मेरा नाम नहीं था। यह बात मुझे राजेशबाबू ने शनिवार को तालुका कार्यालय में बताई। और यह खबर बताते समय साहब बहुत दुखी प्रतीत हो रहे थे। उनकी अनुपस्थिति में, मैं कार्यालय का प्रभारी रहने वाला था। सभी निर्देश देने के बाद, साहब ने मुझे बताया ...
"विश्वास ... वास्तव में, मैंने बड़े साहब को पुणे में कॉल लगाई थी और मुझे पुणे केंद्र मिलेगा तो बेहतर होगा ऐसी प्रार्थना भी की ... लेकिन"
... साहब ने विराम लिया और मैं बोला ...
"लेकिन सर पुणे दूसरे चरण में आता है, है ना ...?"
"हाँ, यह वही जवाब है ... जो मुझे बड़े साहब से मिला है,... अब अगर मई एक महीने के लिए मुंबई जैसी जगह में बच्चों को साथ ले जाऊ तो... लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह corona के समय में उचित है।"
"हाँ साहब, बस बच्चों को साथ मत लजाईऐ; और वैसे भी,15 दिनों में उनका स्कूल शुरू हो जाएगा" मैंने समझाया ...
"बात तो ठीक ही है विश्वास ...तो तुम्हे घर के साथ-साथ दफ्तर पर भी ध्यान रखना होगा। और हाँ, सायली तुम्हारे लिए खाना बनाएगी, तो तुम सब साथ ही खाना खाना... ठीक है ..." साहब ने मुझे तनिक चिंतित स्वर में कहा.
मैं तो मन ही मन खुश हुआ जा रहा था ...

रविवार शाम को, साहेब के बंगले के सामने अम्बेसडर कार रुकी।
"अरे सुजय, प्रसाद, इन दोनों सूटकेस को डिक्की में रख दो, बाकी मेरी ये शबनम बैग ऊपर गाड़ी में छोड़ दो, और ड्राइविंग कौन कर रहा है भिसे?" साहब ने उन दोनों की ओर देखा और कहा ...
"हां सर, भिसे ही चला रहा है ..."
"चलो सामान रखकर सभी आ जाना, सब चाय पिएंगे और फिर चलेंगे ... जल्दी करो ..."
चाय खत्म हो गई, और साहेब निकल गए। इधर, सायली भाभी थोड़ी उदास लग रही थी, और बच्चे भी रोने लगे।

फिर मैंने सायली भाभी के साथ काफी देर तक गुप् शप लगाई, जिसमें सोनू अपने बाबा को याद करते हुए रोते रोते अपनी माँ के पास आता था। फिर आखिरकार सायली भाभी ने उसे गोद में उठा लिया और मुझसे कहा ...
"इसे पीला देती हु बोहोत देर से रो रहा है। पीते ही सो जायेगा।" और आश्चर्य यह था कि सायली भाभी बिलकुल बेफिक्र होकर पल्लू को सरका दी और उन्होंने मेरे सामने ब्लाउज के निचले 3 हुक हटा दिए। anticipation में मेरी छाती जोरोसे धड़क रही थी और फिर सायली भाभी का बायाँ स्तन बाहर आ गया था, बड़ा, भरा हुआ और ऐसा स्तन जो देखते ही मुँह में लेनेका मन करे। भाभी ने पहले दो उंगलियों में अपने निपल्स को पकड़ लिया और अंगूठे से स्तनों पर हल्का दबाव डालना शुरू कर दिया।

जब यह सब चल रहा था, उसका ध्यान सोनू पर था और मेरा ध्यान उनके सेक्सी निप्पल पर था, तब भी जब सोनू ने चूसना शुरू किया, तब भी ज्यादातर areola खुला हुआ था। मैं इसे विस्मय से देख रहा था, तभी भाभी ने कहा
"विश्वास जी ... क्या देख रहे हो ... जब कोई बच्चा भोजन कर रहा है तो ऐसे देखना नहीं चाहिए ..."
"आ..नो नहीं नहीं , आई ऍम सॉरी भाभी ..."
"ठीक है, इसे पीला के फिर हम खाना खा लेंगे ठीक है ... जब तक आप tv देख लीजिये।" सायली भाभी ने कहा।

मैं उठा और हॉल में गया, और जब मई चलने लगा था तब भाभी ने मेरी पैंट में बना तम्बू देखलिया शायद ... लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। थोड़ी देर बाद हम सबने खाना खाया। सईं, साहेब की बेटी, उसे मैंने एक बच्चोंवाली कहानी सुनाई और फिर मैंने सायली भाभी को अलविदा कह दिया और रात को मैं अपने क्वार्टर में आ गया। सयाली का वह खूबसूरत निप्पल रात में मेरी आँखों के सामने आता रहा और मैं अपनी कल्पना में उस निप्पल को सहलाता, चुस्त रहा।
 

tpk

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[०३] - १६.०२.२०२१
corona टीकाकरण के लिए, सरकार ने पहले चरण में बड़े शहरों में टीकाकरण अभियान चलाने का निर्णय लिया और इसके लिए, कई जिलों और तालुकों से सरकारी कर्मचारियों को बुलावा भेजा गया, जिसमें मुलशी तालुका से रमेश बाबू महादिक और 3 अन्य कर्मचारी शामिल थे। गौर करनेवाली बात यह थी कि इसमें मेरा नाम नहीं था। यह बात मुझे राजेशबाबू ने शनिवार को तालुका कार्यालय में बताई। और यह खबर बताते समय साहब बहुत दुखी प्रतीत हो रहे थे। उनकी अनुपस्थिति में, मैं कार्यालय का प्रभारी रहने वाला था। सभी निर्देश देने के बाद, साहब ने मुझे बताया ...
"विश्वास ... वास्तव में, मैंने बड़े साहब को पुणे में कॉल लगाई थी और मुझे पुणे केंद्र मिलेगा तो बेहतर होगा ऐसी प्रार्थना भी की ... लेकिन"
... साहब ने विराम लिया और मैं बोला ...
"लेकिन सर पुणे दूसरे चरण में आता है, है ना ...?"
"हाँ, यह वही जवाब है ... जो मुझे बड़े साहब से मिला है,... अब अगर मई एक महीने के लिए मुंबई जैसी जगह में बच्चों को साथ ले जाऊ तो... लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह corona के समय में उचित है।"
"हाँ साहब, बस बच्चों को साथ मत लजाईऐ; और वैसे भी,15 दिनों में उनका स्कूल शुरू हो जाएगा" मैंने समझाया ...
"बात तो ठीक ही है विश्वास ...तो तुम्हे घर के साथ-साथ दफ्तर पर भी ध्यान रखना होगा। और हाँ, सायली तुम्हारे लिए खाना बनाएगी, तो तुम सब साथ ही खाना खाना... ठीक है ..." साहब ने मुझे तनिक चिंतित स्वर में कहा.
मैं तो मन ही मन खुश हुआ जा रहा था ...

रविवार शाम को, साहेब के बंगले के सामने अम्बेसडर कार रुकी।
"अरे सुजय, प्रसाद, इन दोनों सूटकेस को डिक्की में रख दो, बाकी मेरी ये शबनम बैग ऊपर गाड़ी में छोड़ दो, और ड्राइविंग कौन कर रहा है भिसे?" साहब ने उन दोनों की ओर देखा और कहा ...
"हां सर, भिसे ही चला रहा है ..."
"चलो सामान रखकर सभी आ जाना, सब चाय पिएंगे और फिर चलेंगे ... जल्दी करो ..."
चाय खत्म हो गई, और साहेब निकल गए। इधर, सायली भाभी थोड़ी उदास लग रही थी, और बच्चे भी रोने लगे।

फिर मैंने सायली भाभी के साथ काफी देर तक गुप् शप लगाई, जिसमें सोनू अपने बाबा को याद करते हुए रोते रोते अपनी माँ के पास आता था। फिर आखिरकार सायली भाभी ने उसे गोद में उठा लिया और मुझसे कहा ...
"इसे पीला देती हु बोहोत देर से रो रहा है। पीते ही सो जायेगा।" और आश्चर्य यह था कि सायली भाभी बिलकुल बेफिक्र होकर पल्लू को सरका दी और उन्होंने मेरे सामने ब्लाउज के निचले 3 हुक हटा दिए। anticipation में मेरी छाती जोरोसे धड़क रही थी और फिर सायली भाभी का बायाँ स्तन बाहर आ गया था, बड़ा, भरा हुआ और ऐसा स्तन जो देखते ही मुँह में लेनेका मन करे। भाभी ने पहले दो उंगलियों में अपने निपल्स को पकड़ लिया और अंगूठे से स्तनों पर हल्का दबाव डालना शुरू कर दिया।

जब यह सब चल रहा था, उसका ध्यान सोनू पर था और मेरा ध्यान उनके सेक्सी निप्पल पर था, तब भी जब सोनू ने चूसना शुरू किया, तब भी ज्यादातर areola खुला हुआ था। मैं इसे विस्मय से देख रहा था, तभी भाभी ने कहा
"विश्वास जी ... क्या देख रहे हो ... जब कोई बच्चा भोजन कर रहा है तो ऐसे देखना नहीं चाहिए ..."
"आ..नो नहीं नहीं , आई ऍम सॉरी भाभी ..."
"ठीक है, इसे पीला के फिर हम खाना खा लेंगे ठीक है ... जब तक आप tv देख लीजिये।" सायली भाभी ने कहा।

मैं उठा और हॉल में गया, और जब मई चलने लगा था तब भाभी ने मेरी पैंट में बना तम्बू देखलिया शायद ... लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। थोड़ी देर बाद हम सबने खाना खाया। सईं, साहेब की बेटी, उसे मैंने एक बच्चोंवाली कहानी सुनाई और फिर मैंने सायली भाभी को अलविदा कह दिया और रात को मैं अपने क्वार्टर में आ गया। सयाली का वह खूबसूरत निप्पल रात में मेरी आँखों के सामने आता रहा और मैं अपनी कल्पना में उस निप्पल को सहलाता, चुस्त रहा।
nice start
 
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Zeus2021

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[०४] - १७.०२.२०२१

कुछ दिन ऐसे ही बीते, मैं ऑफिस के काम में बढ़ोत्तरी के कारण थोड़ा थका हुआ महसूस कर रहा था, ठीक चौथे दिन रात के खाने के बाद, सायली भाभी ने मुझे रुकने के लिए कहा ... भाभी ने कहा, "मैं सईं को सुला के आती हु, आप रुकिए, सोनू तो सो ही गया है।" बाद में जब भाभी हॉल में आई ... वह मेरे सामने कुर्सी पर बैठी और मुझसे बोली,
"विश्वासजी , मुझे तुमसे मदद चाहिए, क्या तुम मदद करोगे?"
"अरे भाभी आप सिर्फ ऑर्डर कीजिये"
"देखो, विश्वास, यह मेरे जीवन में कभी नहीं हुआ, मेरे पति हमेशा मेरे साथ रहे है, और कभी जाना भी पड़ा तो वे २ दिन से ज़्यादा समय कभी दूर नहीं रहे ... यह पहली बार है जब वह इतने दिनों से दूर है।"
"अरे भाभी इसमें क्या है, रात में आपको डर लगरहा हो तो बताइये... मै इधर सोने आजाऊंगा..." मैंने ज़रा चिंतित स्वर में भाभी से कहा.
"कोई डर नहीं लगता है ... आ...ओ ... अभी ... ऐसे देखो ..." भाभी बहुत संकोच के साथ बात कर रही थी
"भाभी कृपया मैं आपके लिए एक छोटे भाई की तरह हूं, मुझसे खुलकर बात करें"

"ठीक है बता ..बताती हु ... विश्वास ... मेरे पति की वजह से मुझे एक बुरी आदत ..या कहो ...लत लगी हुई है ... और अब , क्यों के मेरे पति मेरे साथ नहीं है, मेरे लिए ये समय बोहोत ज़्यादा कठिन हो गया है ..., मैं दो दिनों से अच्छी तरह से सो नहीं पायि हूँ "
"हाँ ... भला ऐसी क्या आदत है ये भाभी ?" मुझे अंदाज़ा था की भाभी किस आदत की बात कर रही है ...पर मुझे नहीं पता चलने देना था सायली भाभीको की मैंने छेद से देखा है, इसलिए मैंने बड़े ही भोले अंदाज़ से पूंछा.
"विश्वास... कृपया इस बात को आप और मेरे बीच ही रहने देना .please. ...?"
"भगवन कसम भाभी आपके और मेरे बीच ही रहेगी ...आप भरोसा रखे और मुझे बताये ..."

"मुझे रमेश बाबू का लिंग चूसने की आदत है ..." सयाली वाहिनी ने यह कहा और उसने अपना चेहरा जमीन की ओर कर दिया ... मैंने उसके होंठों को थोड़ा कांपते देखा ... फिर उसने मेरी तरफ देखा और मैंने उसके आंखोमें आँसू देखे. आँखें ... मैं ... खल्लास ... यह महिला गंभीर रूप से व्यसनी थी और बोहोत ज़्यादा .cute. और सेक्सी लग रही थी उस समय ...

"हां तो भाभी... इसमें कुछ भी गलत नहीं है ... आप क्यों रो रही हैं?" ऐसा कहते हुए मैं अपनी कुर्सी से उठ गया और भाभी के बगल में खड़ा हो गया जहाँ वह बैठी थी और मैं नीचे झुक गया और अपनी जेब में रखे रूमाल से भाभी की आँखें पोंछने लगा ...उसने पहले मुझे आंखें पोंछने दी और फिर मेरा हाथ पकड़ कर ऊपर देखा और मुझे बोली ...
"विश्वास ... जब तक रमेश बाबू नहीं आ जाते क्या तुम मुझे तुम्हारा ... ली ...लिंगपान कराओगे .please.?!।"

अब मेरा लिंग खड़ा होने लगा था ... और जैसे .position. में मैं खड़ा था और भाभी बैठी थी, वह स्थिति एकदम सही थी, भाभी की नज़रें मेरी पैंट में दिख रही उभरी पर लगी हुई थीं ... फिर उसने मुझे कुछ भोले , सवालिया नज़र से देखा
"हाँ, भाभी मैं तुम्हें मेरा लिंग जरूर चूसने दूंगा उतनी देर जितनी देर तुम चाहो ... लेकिन मेरा भी एक निवेदन है ... मैं भी तुम्हारा स्तनपान करना चाहता हूँ, अगर तुम बुरा न मानो तो ..."

"हम्मम .. ठीक है"
यह कहते हुए, सायली भाभी ने मेरी पैंट की चेन खींच कर मेरा लिंग बाहर निकाल दिया।
"वाह तुम्हारा लिंग कितना मस्त है ... मैंने अपनी ज़िंदगी में पहले कभी गोरा लिंग नहीं देखा था और उस पर तुम्हारा लिंग कितना गुलाबी चोंच वाला है ..." ऐसा कहते हुए सायली भाभीने मेरा लिंग अपने मुँह में ले लिया और मेरे लिंग को मुँह में लेकर चूसने लगी, ठीक उसी तरह जैसे दूध पीता बच्चा अपनी माँ के निप्पल को चूसता है ...

उसने अपना मुँह स्थिर रखा, केवल वह अपनी जीभ से लिंग के सिरे से खेल रही थी और बीच-बीच में चूस रही थी। ऐसा करते हुए, समय-समय पर, उसके चूसने से पुचुक sss पुच… पक्क्क पचू… जैसी आवाज आ रही थी।

"आह ... भाभी ... तुम कितनी अच्छी तरह चूस रही हो ... आआहह ... वाओ ..." मैंने कहा ... वह बहुत अच्छा चूस रही थी ... और वह जो पोर्न वीडियोस में blowjob करते है यह वैसा बिलकुल नहीं था ... यह चूसने की विधि से स्पष्ट था कि वह मेरी खुशी के लिए नहीं बल्कि अपनी खुशी के लिए चुसराहि है। बहुत प्यारा, बहुत अद्भुत । यह ऊपर से दिखाई दे रहा था ... लगभग 2-3 मिनट हुए होंगे ... सयाली ने मेरे लिंग को अपने मुँह से निकाला और मुझे कहा
"इधर नीचे बैठो... या दरी पर लेट जाओ ... मैं लेटे लेटे चूसना चाहती हु... और हाँ ... क्या तुम्हें मेरा चूसना पसंद आया?"
"मुझे यह बहुत पसंद आया है भाभी, मैं अब रमेश बाबू से ईर्ष्या करने लगा हूं" मैंने कहा और फर्श पर पड़े हुए दरी पर लेट गया।
 
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