[०२] - १५.०२.२०२१
उस दिन से, मैंने यह सुनिश्चित किया कि एक दिन मैं निश्चित रूप से सायली भाभी के स्तनों को चूसूंगा। तब मैं ध्यान दे रहा था कि हर दिन महादिक के घर में क्या चल रहा है, सूक्ष्म स्तर पर आतंरिक परिक्षण कर रहा था । और यह पता लगाने की कोशिश कर रहा था कि किसी तरह मैं सायली भाभी के खुले स्तन, या कम से कम उनके निपल्स, तो देख पाउ। साथ ही साथ, मैं ऑफिस में अच्छा काम करके रमेश बाबू को प्रभावित कर रहा था, अपनी छवि उनकी नज़रूँ में और मज़बूत और नेक बनाने की कोशिश में लगा था। इस तरह मेरा रमेश बाबू के घर आना जाना भी बढ़ गया था। लगभग डेढ़ महीने इस तरह के छोटे और बड़े दृश्यों पर बिताए ... फिर एक दिन मैंने एक स्वर्गीय दृश्य देखा ...
गर्मिया शुरू हो गई थी, और उन् दिनो, सभी क्वार्टर वाले लोग ऊपरी मंज़िल पर जाना पसंद नहीं करते, क्योंकि ऊपरी बेडरूम और बरामदे की छत ढलान वाली होनेके कारण गर्मी बोहोत होती थी। इसी लिए गर्मियों में, सभी क्वार्टर में रहनेवाले लोग हॉल और रसोई में ही वास्तव्य किया करते है।
वोह एक सुहाना रविवार था। और जब से मुझे वह अद्भुत छेद उस दीवार में मिल गया था, मैंने मेरा बिस्तर उसी दीवार को सटके लगा दिया था। दोपहर हो चली थी, खाना खाके और पान सुट्टा मारके मैं आराम से बिस्तर पे लेटाहुआ था तभी मैंने कुछ सुना ...
"आह ... हम्म ... दीजिये ना ..." ऐसा ही कुछ ... मैं तुरंत अपने घुटनों पर बैठ गया और अपनी आँखें छेद पर रख दी ... बाँदा खल्लास ... मुझे ...मैंने जो देखा, उसे देखकर मैं चौंक गया, मेरा लिंग ताबड़तोड़ सीधा खड़ा हो गया, और ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कि अगर मैंने मेरे लिंग को नहीं मनाया, तो वह फ़ौरन अपनी जगह से चलना शुरू कर ...हमेशा के लिए निकल जायेगा ...
मैंने रमेश बाबू को बिस्तर पर बैठे देखा, सायली भाभी नीचे फर्श पर पालथी मारके बैठी थी और मजेसे रमेश बाबू का लिंग चूस रही थी। .. अति सुन्दर ... कमरे में रोशनी नहीं होने के बावजूद, दृश्य देखने के लिए खिड़कियों और दरवाजों की दरारों से रोशनी आ रही थी जो काफी कुछ दिखा रही थी ... रमेश बाबू का एक हाथ सायली भाभी के रेशमी बालोको सेहला रहा था और दूसरे हाथ से वे मोबाइल पकडे उसमें कुछ देख रहे थे ... फिर थोड़ी देर बाद रमेश बाबू ने कहा..
"बेबी जरा धीरे चुसो न, तुम्हारे दांत लग रहे है , माना की दो दिन मैंने तुम्हे चूसने से माना किया था ...पर इसका मतलब ये तो नहीं की तुम मुझे चोट पोहूचाओ ...हां बेबी ...हम्म ...हम्म ऐसे ...ाहः आराम से चुसो बेबी"
ये सुनते ही भाभीने लिंगपान रोक दिया और आगे बढ़ आपने husband के कानोंमें कुछ कहा ...
मैं वह नहीं सुन सका… फिर उसने रमेश बाबू को हाथ से पकड़ लिया और उन्हें बड़े प्यार बिस्तर से नीचे खींच लिया.
फिर मैंने देखा की रमेश बाबू एक बाज़ू पे सो गए और भाभी उनके लिंग के पास खिसक के लेटे लेटे फिर से लिंगपान करने लगी ... और अब मुझे बस उन्दोनो के सर ही दिखाई दे रहे थे ... मैंने नीचे देखा तो पाया की मेरा वीर्यपतन हो चूका है और अभी भी मेरा लिंग सख्त है ... मैं थोड़ी देर तक उस छेद में देखता रहा ... लेकिन दृश्य में कुछ खास तबदीली नहीं आई।
लेकिन एक बात जो मैंने इससे सीखी, वह यह है कि ... सायली भाभी को लिंग चूसने की आदत है। खल्लास ... यह मेरे सपनों की सेक्सी परी थी जो प्रत्यक्ष रूपसे मेरे सामने अपनी लीलाये बिखेर रही थी ... बिलकुल वैसी ही पारी जैसी ...जैसा मैं चाहता था, मैंने सायली भाभी के सपने देखना शुरू कर दिया। मैं उसके स्तनों को अभी भी पूरी तरह से खुल्ला नहीं देख पाया था, मैं उन स्वर्गीय सुंदर, सेक्सी आकारके, स्तनों को, उन लंबे-लंबे निपल्स को चूसना चाहता था। सायली भाभी का दूध पीना चाहता था। लेकिन यह सब कैसे संभव हो सकता है ये समझ में नहीं आ रहा था। फिर मैंने उसके नाम की कल्पना की और मुठ मारना शुरू कर दिया ... दिन ऐसे ही बीत रहे थे ... और फिर वो खास दिन आ गया ...