Badhiya shuruwatनमस्कार दोस्तो. मैं अपनी पहली कहानी सीरियस लिख रहा हूं। कहानी मुख्य रूप से स्तनपान, स्तन के दूध और एक ही लाइन में सॉफ्टकोर होने जा रही है। मैं यह कहानी ऑन-द-स्पॉट शैली में लिख रहा हूं, अर्थात्, उस समय मेरे दिमाग में जो भी आया था, मैं उसे लिखता था। हालांकि, मैं सभी पाठकों से अनुरोध करता हूं कि वे मेरी गलतियों को माफ करें और मुझे एक सहज प्रतिक्रिया दें।
"दुग्धाअनुबंध"
[०१] - १४.०२.२०२१
मुझे हाल ही में मुल्शी गाँव में तालुका कार्यालय में क्लर्क की नौकरी मिली थी और रहने के लिए सरकारी क्वार्टर भी मिला था। गाँव छोटा था लेकिन बाज़ार और दफ्तर मेरे क्वार्टर्स से बहुत दूर थे। जब मैं शिफ्ट हुआ तो मुझे पता चला कि रमेश महादिक नाम का एक सज्जन अपने परिवार के साथ मेरे बगल वाले बंगले में रह रहे थे। और पहली शाम को मैंने उनकी पत्नी को देखा। यह महिला बहुत सेक्सी है क्योंकि उसके स्तन बहुत बड़े हैं और अधिकांश में यह लटके हुए बिलकुल नहीं है। अगर मैं उस समय 24 साल का था, तो महादिक दंपति 35 साल के आसपास होंगे। बादमें पता चला की श्री रमेशजी महादिक ही मेरे बॉस है| साहब के दो बच्चे थे, बड़ी बेटी 12 साल के करीब होगी और छोटा बेटा 2 साल का था।
क्यों के वे मेरे बॉस भी थे और मेरे पडोसी भी थे सो मेरे शुरू से ही मैं इनके यहाँ जाना आना कर रहा था, सायली भाभी अक्सर मुझे रात के खाने पर आमंत्रित करती थी; रमेश बाबू बहुत अच्छे स्वभाव वाले गृहस्थ लगे मुझे। मैं उनका क्लर्क था, लेकिन वे हमेशा मेरे साथ बड़े भाई की तरह पेश आते थे। और समय आने पर वरिष्ठ होने का अधिकार भी बखूबी चलाते थे । जैसे समय बीतता गया मेरा रमेशबाबू के प्रति आदर और स्नेह बढ़ताही गया। मुलशी एक छोटा सा गाँव था, और खास कर ये गांव मुलशी बाँध (डैम) से जाना जाता है; इधर रहना शुरू करनेके बाद अब जीवन कितना धीमा और ताज़ा लग रहा था।
एक बात थी जिससे मुझे थोड़ा अजीब लगा, सायली भाभी अभी भी सोनू को स्तनपान करा रही थी। मैंने उन्हें स्तनपान कराते समय कम से कम 4 से 5 बार देखा था। और सच कहूं तो, हर बार जब मैं स्तनपान देख लेता, तो मैं बहुत उत्तेजित और बेचैन हो पड़ता। क्योंकि उसके स्तन इतने बड़े थे और निप्पलों का घेरा इतना बड़ा था कि सायली भाभी के निप्पल को सोनू के मुँह में डालने के बाद भी, उसके गहरे चॉकलेटी areola का गोला आसानी से दर्शक को दिख रहा होता।
एक दोपहर मैं भोजन के लिए अपने क्वार्टर में आया और रसोई में चला गया, मेरे क्वार्टर की एक दीवार महादिक के क्वार्टरों के साथ आम (कॉमन)है। मेरा मतलब है कि मेरा हॉल और उसके पीछे रसोई की एक दीवार उनके हॉल और रसोई के लिए आम है। इसलिए जब मैं क्वार्टर में आया और मुख्य दरवाजा बंद कर दिया, तो मुझे सोनू की आवाज सुनाई दी ... "मुझे भूख लगी है माँ ... दूदू चाहिए" ... तो मैं हॉल में आया और मैं उस कॉमन दीवार की और देखने लगा. तब मैंने सायली भाभी की आवाज़ सुनी "हाँ, मेरा बच्चा बस आ रही हु मैं , जब तक आप TV लगाओ ... मैं आम दीवार पर गया, मैं सायली भाभी के स्तनों को देखने के लिए तरस रहा था।
अचानक मुझे दीवार में एक छेद दिखाई दिया। वाह, मैं थोड़ा नीचे झुक गया और छेद में देखा ... अंदर सब कुछ साफ था, सोनू TV रिमोट पर बटन दबा रहा था और सायली भाभी तौलिये से हाथ पोंछते हुए हॉल में आ रही थी। वह गाउन पहने हुए थी और जिस तरह से उसके वे बड़े बड़े स्तन उछाल रहे थे इससे साफ़ था की भाभी ने कोई ब्रा नहीं पहनी है. मैंने जल्दी से एक स्टूल लिया और छेद के माध्यम से बैठ गया और छेद के माध्यम से वापस देखा ... माँ ... क्या सुंदर है सायली भाभी, वह जमीन पर बैठ गई और उसने सोनू को अपनी गोद में ले लिया, फिर उसने अपने दाहिने स्तन के नीचे एक श्रृंखला खोली और उसके बड़े गोरे नरम नरम स्तन बाहर आ गए, यह देखते ही मेरा लिंग बहुत कड़क हो गया, इसलिए मैंने लिंग को अपनी पैंट से बाहर निकाला और फिर छेद में देखने लगा. सायली भाभी के निपल्स बहुत लंबे और बड़े थे, शायद वे बार बार चूसने के बाद बड़े हो गए थे लंबे समय तक।
अहा क्या खूबसूरत areola था, निप्पल की तरफ डार्क चॉकलेट का रंग और फिर वो रंग थोडा गुदगुदा हो जाता है। उसके गोरे स्तन पर बड़ी चॉकलेटी areola बेहद मोहक लगी रही थी। यह बहुत सुंदर लग रही थी। सायली भाभी ने अपना दायाँ निप्पल सोनू के मुँह में दिया और सोनू ने चूसना शुरू कर दिया, दूध अभी इतना भरा हुआ था कि समय-समय पर जब सोनू निप्पल को चूस रहा था, उसके होंठों के कोने से एक हल्की दूधिया धार निकलती देखी जा सकती थी। । ये सभी दृश्य इतने सेक्सी थे कि मैं रुक नहीं सका और मैंने अपना लिंग हिलाना शुरू कर दिया और उस समय सयाली के बड़े निप्पल को चूसा जा रहा था, मैंने आरामसे उस दृश्य को देखते देखते अपना वीर्य निकला ...बहुत ज़्यादा वीर्य निकला था तब। वाह मज़ा आ गया।
Zaberdast bahot shaandaar update[०२] - १५.०२.२०२१
उस दिन से, मैंने यह सुनिश्चित किया कि एक दिन मैं निश्चित रूप से सायली भाभी के स्तनों को चूसूंगा। तब मैं ध्यान दे रहा था कि हर दिन महादिक के घर में क्या चल रहा है, सूक्ष्म स्तर पर आतंरिक परिक्षण कर रहा था । और यह पता लगाने की कोशिश कर रहा था कि किसी तरह मैं सायली भाभी के खुले स्तन, या कम से कम उनके निपल्स, तो देख पाउ। साथ ही साथ, मैं ऑफिस में अच्छा काम करके रमेश बाबू को प्रभावित कर रहा था, अपनी छवि उनकी नज़रूँ में और मज़बूत और नेक बनाने की कोशिश में लगा था। इस तरह मेरा रमेश बाबू के घर आना जाना भी बढ़ गया था। लगभग डेढ़ महीने इस तरह के छोटे और बड़े दृश्यों पर बिताए ... फिर एक दिन मैंने एक स्वर्गीय दृश्य देखा ...
गर्मिया शुरू हो गई थी, और उन् दिनो, सभी क्वार्टर वाले लोग ऊपरी मंज़िल पर जाना पसंद नहीं करते, क्योंकि ऊपरी बेडरूम और बरामदे की छत ढलान वाली होनेके कारण गर्मी बोहोत होती थी। इसी लिए गर्मियों में, सभी क्वार्टर में रहनेवाले लोग हॉल और रसोई में ही वास्तव्य किया करते है।
वोह एक सुहाना रविवार था। और जब से मुझे वह अद्भुत छेद उस दीवार में मिल गया था, मैंने मेरा बिस्तर उसी दीवार को सटके लगा दिया था। दोपहर हो चली थी, खाना खाके और पान सुट्टा मारके मैं आराम से बिस्तर पे लेटाहुआ था तभी मैंने कुछ सुना ...
"आह ... हम्म ... दीजिये ना ..." ऐसा ही कुछ ... मैं तुरंत अपने घुटनों पर बैठ गया और अपनी आँखें छेद पर रख दी ... बाँदा खल्लास ... मुझे ...मैंने जो देखा, उसे देखकर मैं चौंक गया, मेरा लिंग ताबड़तोड़ सीधा खड़ा हो गया, और ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कि अगर मैंने मेरे लिंग को नहीं मनाया, तो वह फ़ौरन अपनी जगह से चलना शुरू कर ...हमेशा के लिए निकल जायेगा ...
मैंने रमेश बाबू को बिस्तर पर बैठे देखा, सायली भाभी नीचे फर्श पर पालथी मारके बैठी थी और मजेसे रमेश बाबू का लिंग चूस रही थी। .. अति सुन्दर ... कमरे में रोशनी नहीं होने के बावजूद, दृश्य देखने के लिए खिड़कियों और दरवाजों की दरारों से रोशनी आ रही थी जो काफी कुछ दिखा रही थी ... रमेश बाबू का एक हाथ सायली भाभी के रेशमी बालोको सेहला रहा था और दूसरे हाथ से वे मोबाइल पकडे उसमें कुछ देख रहे थे ... फिर थोड़ी देर बाद रमेश बाबू ने कहा..
"बेबी जरा धीरे चुसो न, तुम्हारे दांत लग रहे है , माना की दो दिन मैंने तुम्हे चूसने से माना किया था ...पर इसका मतलब ये तो नहीं की तुम मुझे चोट पोहूचाओ ...हां बेबी ...हम्म ...हम्म ऐसे ...ाहः आराम से चुसो बेबी"
ये सुनते ही भाभीने लिंगपान रोक दिया और आगे बढ़ आपने husband के कानोंमें कुछ कहा ...
मैं वह नहीं सुन सका… फिर उसने रमेश बाबू को हाथ से पकड़ लिया और उन्हें बड़े प्यार बिस्तर से नीचे खींच लिया.
फिर मैंने देखा की रमेश बाबू एक बाज़ू पे सो गए और भाभी उनके लिंग के पास खिसक के लेटे लेटे फिर से लिंगपान करने लगी ... और अब मुझे बस उन्दोनो के सर ही दिखाई दे रहे थे ... मैंने नीचे देखा तो पाया की मेरा वीर्यपतन हो चूका है और अभी भी मेरा लिंग सख्त है ... मैं थोड़ी देर तक उस छेद में देखता रहा ... लेकिन दृश्य में कुछ खास तबदीली नहीं आई।
लेकिन एक बात जो मैंने इससे सीखी, वह यह है कि ... सायली भाभी को लिंग चूसने की आदत है। खल्लास ... यह मेरे सपनों की सेक्सी परी थी जो प्रत्यक्ष रूपसे मेरे सामने अपनी लीलाये बिखेर रही थी ... बिलकुल वैसी ही पारी जैसी ...जैसा मैं चाहता था, मैंने सायली भाभी के सपने देखना शुरू कर दिया। मैं उसके स्तनों को अभी भी पूरी तरह से खुल्ला नहीं देख पाया था, मैं उन स्वर्गीय सुंदर, सेक्सी आकारके, स्तनों को, उन लंबे-लंबे निपल्स को चूसना चाहता था। सायली भाभी का दूध पीना चाहता था। लेकिन यह सब कैसे संभव हो सकता है ये समझ में नहीं आ रहा था। फिर मैंने उसके नाम की कल्पना की और मुठ मारना शुरू कर दिया ... दिन ऐसे ही बीत रहे थे ... और फिर वो खास दिन आ गया ...
Zaberdast bahot shaandaar update[०५] २२.०२.२०२१
जैसे ही मई दरी पे लेट गया , भाभी ने मेरे सर के नीचे एक तकिया दिया और वह सामने ...मेरे बगल में बैठ गई. मेरा लिंग बोहोत ही खिला खिला लग रहा था, मेरी फोरस्किन ज़रा लम्बी है और रंग में वोह गुलाबी है ...भाभी के चुसनेसे मेरा लिंग काफी तन गया था और भाभी की लारसे वह पूरा गीला हो गया था. इससे पहले की भाभी मेरे लिंग को फिर चुस्ती मैंने कहा ...
"भाभी प्लीज मुझे आपके स्तन चूसने दीजिये न ..."
"अभी रुको विश्वास मुझे अभी और बेचैनी हो रही है , मेरा जी नहीं भरा ...मुझे लिंगपान करना ज़रूरी है तुम्हारा वीर्य पीलू फिर तुम्हे स्तनपान कराउंगी. धीरज रखो ...."
"ठीक है भाभी पर काम से काम आप स्तनों को बहार तो निकालो ...जी भर देख लूंगा जब तक के आप लिंगपान करोगी." मैंने आपने लिंग को ज़रा पीछे की और खींचते हुआ भाभी को कहा ...
" ओफ्फो विश्वास कितना सताते हो तुम ...क्या कभी स्तन देखे नहीं जो इस तरह पेश आरहे हो " ऐसा कहते हुए भाभी ने ब्लाउज उतर दी और उनकी फीडिंग ब्रा के दोनों कप्स की चैन खोल दोनों स्तनों के निप्पल बहार निकले ...बोहोत ही अद्भुत नज़ारा था ...फिर वह एक साइड में हो के लेट गई और मेरे लिंग को मुहमें ले चूसने लगी ...
मुझे तो बोहोत ही मज़ा आ रहा था, किन्तु मै बेचैन भी हो रहा था क्यों के भाभी के स्तन मै ठीक से देख नहीं पारहा था, फिर मैंने आपने हाथ बढ़के उन स्तनों को छूनेकी कोशिश भी की पर भाभी काफी नीचे की और सोई हुई थी सो मै नहीं छू पाया.
"ओफ्फो भाभी, मै तो आपके स्तनों को छू तक नहीं पा रहा ..." ये सुन भाभी ने मुझे ज़रा ग़ुस्से से देखा और बोली
"विश्वास ...अब मै जैसा बोलू वैसा करो ...उठो और इस दिवार तो अपनी पीठ लगाके, पैर लम्बे करके बैठ जाओ ..." मैंने वैसे ही किया , फिर भाभी मेरी गोद में आपने सर रख के मेरी तरफ फेस करते हुए लेट गई, उसने आपने स्तन ठीकसे खुल्ले किये और बोली,
"अब ठीक है न ...अब खेलो मेरे स्तनों से, और प्लीज अब मुझे बिना डिस्टर्ब किये चूसने दो ...ठीक है ...?"
मै तो उनके उन्नत स्तनों को देख के खो सा गया था , मेरी लार टपकने लगी थी ...इधर भाभी ने मेरा लिंग अब मुहमें ले लिया था और वह मजेसे चूस रही थी, बिलकुल हलके हलके. मैंने एक बार उनकी और देखा तो पाया की मेरे लिंग का सूपड़ा उन्होंने उनके एक गाल में रखा है ...एक तरफ और वह मुझे देख, मुँह में लिंग रखे हलके से मुस्करा रही थी. फिर उन्होंने हाथ बढ़ाके मेरे होटों के कोनोसे रिज़ति लार को ऊँगली से पोंछा. बेहद मोहक लग रही थी वोह.
अब भाभी ने काफी अच्छे से मेरे लिंग को चूसना शुरू किया, चुसनेकी आवाज़े भी तेज़ हो गयी थी.
"भाभी ... , मै झड़ने वाला हु, ...आह ...हम्म्म्म " तभी भाभी ने मेरे लिंग को मुँह से छोड़ दिया ...और मुस्कुराके बोली ...
"ओह हो देवरजी इतनी भी क्या जलधि ...मुझे मज़ा तो लेने दो इस हैंडसम लिंग का ...मुझे पता था के होगा इसीलिए मै आपने स्तन ढके हुए थी अब तक ...अब जब ये आपकी आँखों के सामने है, आप तो चुटकी में झड़ जाओगे ..."
"कोई नहीं भाभी मुझे प्लीज एक बार झड़ने दीजिये, अब नहीं रहा जाता , आपको मै उसके बाद फिर चूसने दूंगा "
"सच ...फिर तो बोहोत मज़ा आएगा देवरजी ...थैंक यू ...तो ठीक है ...अब मै चूसूंगी तो सारा वीर्य मेरे मुहमें दे देना, मुझे वीर्य पीना बोहोत भाता है..." ऐसा कहके भाभी ने फिर मेरा लिंग मुहमें ले लिया, मै मन में बोलै ...रमेश बाबू आप धन्य है ...आपने इस औरत को सेक्स की देवी बना दिया. भाभी ने आँखे बंद कर ली और वोह मुस्कुराते हुए मेरे लिंग को अंदर खींचने लगी, उसके ओंठो के कोने से लार की झाग सा बनने लगा , ओहोहोह ...वाओ ...क्या गज़ब का अहसास था वोह. लग रहा था, समय यही रुक जाये और भाभी इसीतरह मुझे चुस्ती रहे ...
मैंने भाभी के लम्बे चोकलइटी निप्पल को उंगलियों में पकड़ के हलके से खींचना शुरू किया , चौथी बार में ही दूध की धार निकल गई ...वोह देख के मै उत्तेजना के चरम पे बस पोहोच ही गया था और फिर भाभी ने पुचुक पच चच से आवाज़ की और बस मै उनके मुहमें झड़ने लगा ...भाभी ने आँखे खोली और वोह और जोरसे मेरे लिंग को पूरीतरह मुँह में लेके चूसने लगी ...मेरी आंखोमें देखते हुए भाभी ने मेरा सारा वीर्य पीलिया.
सबकुछ इतना स्वर्गीय था ...की मै लगभग ३ मिनट तक वीर्य की पिचकारियां भाभी के मुहमें मरता रहा , इतना तो कभी मेरा वीर्य नहीं निकला था , ओहोहोह लाजवाब
Nice startनमस्कार दोस्तो. मैं अपनी पहली कहानी सीरियस लिख रहा हूं। कहानी मुख्य रूप से स्तनपान, स्तन के दूध और एक ही लाइन में सॉफ्टकोर होने जा रही है। मैं यह कहानी ऑन-द-स्पॉट शैली में लिख रहा हूं, अर्थात्, उस समय मेरे दिमाग में जो भी आया था, मैं उसे लिखता था। हालांकि, मैं सभी पाठकों से अनुरोध करता हूं कि वे मेरी गलतियों को माफ करें और मुझे एक सहज प्रतिक्रिया दें।
"दुग्धाअनुबंध"
[०१] - १४.०२.२०२१
मुझे हाल ही में मुल्शी गाँव में तालुका कार्यालय में क्लर्क की नौकरी मिली थी और रहने के लिए सरकारी क्वार्टर भी मिला था। गाँव छोटा था लेकिन बाज़ार और दफ्तर मेरे क्वार्टर्स से बहुत दूर थे। जब मैं शिफ्ट हुआ तो मुझे पता चला कि रमेश महादिक नाम का एक सज्जन अपने परिवार के साथ मेरे बगल वाले बंगले में रह रहे थे। और पहली शाम को मैंने उनकी पत्नी को देखा। यह महिला बहुत सेक्सी है क्योंकि उसके स्तन बहुत बड़े हैं और अधिकांश में यह लटके हुए बिलकुल नहीं है। अगर मैं उस समय 24 साल का था, तो महादिक दंपति 35 साल के आसपास होंगे। बादमें पता चला की श्री रमेशजी महादिक ही मेरे बॉस है| साहब के दो बच्चे थे, बड़ी बेटी 12 साल के करीब होगी और छोटा बेटा 2 साल का था।
क्यों के वे मेरे बॉस भी थे और मेरे पडोसी भी थे सो मेरे शुरू से ही मैं इनके यहाँ जाना आना कर रहा था, सायली भाभी अक्सर मुझे रात के खाने पर आमंत्रित करती थी; रमेश बाबू बहुत अच्छे स्वभाव वाले गृहस्थ लगे मुझे। मैं उनका क्लर्क था, लेकिन वे हमेशा मेरे साथ बड़े भाई की तरह पेश आते थे। और समय आने पर वरिष्ठ होने का अधिकार भी बखूबी चलाते थे । जैसे समय बीतता गया मेरा रमेशबाबू के प्रति आदर और स्नेह बढ़ताही गया। मुलशी एक छोटा सा गाँव था, और खास कर ये गांव मुलशी बाँध (डैम) से जाना जाता है; इधर रहना शुरू करनेके बाद अब जीवन कितना धीमा और ताज़ा लग रहा था।
एक बात थी जिससे मुझे थोड़ा अजीब लगा, सायली भाभी अभी भी सोनू को स्तनपान करा रही थी। मैंने उन्हें स्तनपान कराते समय कम से कम 4 से 5 बार देखा था। और सच कहूं तो, हर बार जब मैं स्तनपान देख लेता, तो मैं बहुत उत्तेजित और बेचैन हो पड़ता। क्योंकि उसके स्तन इतने बड़े थे और निप्पलों का घेरा इतना बड़ा था कि सायली भाभी के निप्पल को सोनू के मुँह में डालने के बाद भी, उसके गहरे चॉकलेटी areola का गोला आसानी से दर्शक को दिख रहा होता।
एक दोपहर मैं भोजन के लिए अपने क्वार्टर में आया और रसोई में चला गया, मेरे क्वार्टर की एक दीवार महादिक के क्वार्टरों के साथ आम (कॉमन)है। मेरा मतलब है कि मेरा हॉल और उसके पीछे रसोई की एक दीवार उनके हॉल और रसोई के लिए आम है। इसलिए जब मैं क्वार्टर में आया और मुख्य दरवाजा बंद कर दिया, तो मुझे सोनू की आवाज सुनाई दी ... "मुझे भूख लगी है माँ ... दूदू चाहिए" ... तो मैं हॉल में आया और मैं उस कॉमन दीवार की और देखने लगा. तब मैंने सायली भाभी की आवाज़ सुनी "हाँ, मेरा बच्चा बस आ रही हु मैं , जब तक आप TV लगाओ ... मैं आम दीवार पर गया, मैं सायली भाभी के स्तनों को देखने के लिए तरस रहा था।
अचानक मुझे दीवार में एक छेद दिखाई दिया। वाह, मैं थोड़ा नीचे झुक गया और छेद में देखा ... अंदर सब कुछ साफ था, सोनू TV रिमोट पर बटन दबा रहा था और सायली भाभी तौलिये से हाथ पोंछते हुए हॉल में आ रही थी। वह गाउन पहने हुए थी और जिस तरह से उसके वे बड़े बड़े स्तन उछाल रहे थे इससे साफ़ था की भाभी ने कोई ब्रा नहीं पहनी है. मैंने जल्दी से एक स्टूल लिया और छेद के माध्यम से बैठ गया और छेद के माध्यम से वापस देखा ... माँ ... क्या सुंदर है सायली भाभी, वह जमीन पर बैठ गई और उसने सोनू को अपनी गोद में ले लिया, फिर उसने अपने दाहिने स्तन के नीचे एक श्रृंखला खोली और उसके बड़े गोरे नरम नरम स्तन बाहर आ गए, यह देखते ही मेरा लिंग बहुत कड़क हो गया, इसलिए मैंने लिंग को अपनी पैंट से बाहर निकाला और फिर छेद में देखने लगा. सायली भाभी के निपल्स बहुत लंबे और बड़े थे, शायद वे बार बार चूसने के बाद बड़े हो गए थे लंबे समय तक।
अहा क्या खूबसूरत areola था, निप्पल की तरफ डार्क चॉकलेट का रंग और फिर वो रंग थोडा गुदगुदा हो जाता है। उसके गोरे स्तन पर बड़ी चॉकलेटी areola बेहद मोहक लगी रही थी। यह बहुत सुंदर लग रही थी। सायली भाभी ने अपना दायाँ निप्पल सोनू के मुँह में दिया और सोनू ने चूसना शुरू कर दिया, दूध अभी इतना भरा हुआ था कि समय-समय पर जब सोनू निप्पल को चूस रहा था, उसके होंठों के कोने से एक हल्की दूधिया धार निकलती देखी जा सकती थी। । ये सभी दृश्य इतने सेक्सी थे कि मैं रुक नहीं सका और मैंने अपना लिंग हिलाना शुरू कर दिया और उस समय सयाली के बड़े निप्पल को चूसा जा रहा था, मैंने आरामसे उस दृश्य को देखते देखते अपना वीर्य निकला ...बहुत ज़्यादा वीर्य निकला था तब। वाह मज़ा आ गया।