Bhai pichla update 2 hafta pehle aaya thaDude... Thanks for the concern bhai.. Mai theek hu... Bas Iss baar schedule bohot busy चल रहा है.. Will update as soon as possible... Thanks...
nice updateChapter 04- नयी सुबह
"भाभी... मैं ट्यूशन हो आता हूं... 4:00 बजे तक आऊंगा"
"अरे फिर तुम 2:00 बजे खाना खाने नहीं आओगे क्या?"
"नहीं भाभी... आज सारे क्लास एक साथ ही करूंगा... और सीधे 4:00 बजे तक घर पहुंच जाऊंगा... दोबारा नहीं जाऊंगा"
"ठीक है... नाश्ता पेट भर खा लिया ना हरीश?"
"हां भाभी" हरीश ने बैग उठाते हुए कहा.
"ठीक से जाना हरीश... और वक्त पर लौट आना... देखो नया शहर है तुम्हारे लिए... मेरे लिए चिंता मत बढ़ाना... तुम्हारे भैया मुझे फोन पर पूछते रहते है तुम्हारे बारे में... वक्त पर आ जाना हां!"
"भाभी अब मैं बड़ा हो गया हूं... आप बिल्कुल चिंता ना करें"
हरीश ट्यूशन क्लास के लिए चला गया सुबह के 10:00 बज चुके थे. तृप्ति मैं नाश्ता और नहाना वगैरह सब काम निपटा लिए खाना बना लिया और फिर वह अपने मोबाइल फोन पर बात करने लगी.
"हेलो ममता... हो गया सारा काम?"
"हां... 12:00 बज गए... अब तक तो सारा काम हो ही जाना चाहिए है ना तृप्ति, तू बता तेरा कितना काम हुआ? सारे काम निपटा लिए तूने?"
"हां हां... मेरा भी हो गया... आज हरीश 4:00 बजे आ जाएगा फिर वापस नहीं जाएगा ट्यूशन... केह रहा था कि सारे क्लास अटेंड करके ही लौटेगा"
"Ok तो बता.. क्या तूने उसके सामने पप्पू को दुध पिलाया की नहीं?... अखिर तेरा देवर ही है.. और कहते है ना... की भाभी माँ समान होती है" ये कहकर ममता हस पडी
"ममता... सिर्फ उसके सामने ही नहीं... मैंने तो उसे ही दुध पिलाया"
"ऊईईई मा... तू तो बहुत तेज निकली तृप्ति.. कैसे?"
तृप्ति ने ममता को सारी हकीकत सुनाई.
"... फिर रात में तकरीबन 20 मिनट तक हरीश मेरा दूध पीता रहा... वह चाहता था कि मेरे दाएं स्तन से भी दूध पिए, लेकिन खुला ना होने के कारण वह भी नहीं पाया... फिर मैंने ही करवट बदल ली और वो वहां से चला गया... बहुत आनंद आ रहा था मुझे ममता... कसम से जी करता है कोई ना कोई ऐसा हो जो लगातार... वक्त वक्त पर, मेरा स्तनपान करता रहे"
"wow तृप्ति... तेरी बातों से तो मैं गीली हो गई... लेकिन लगता है तूने तो मुझे भुला ही दिया... क्या मैं तेरा स्तनपान करने के लिए तू जब भी बुलाए... नहीं आती हू?"
"अरे तू तो आती है मुझे पता है ममता... इसीलिए तो तू मेरी सबसे अच्छी सहेली है... हम दोनों के सारे राज हम आपस में बांटते हैं यही तो खास बात है हमारे दोस्ती की"
"तो बोल... आ जाऊं तेरा दूध पीने?" ममता ने चेष्टा भरे स्वर में कहा,
"आजा... कोई बात नहीं लेकिन थोड़ी देर बाद हरीश आ जाएगा और फिर पप्पू को भी तो दूध पिलाना है."
"ओ हो... मैडम जी, अब आप हरीश के लिए भी दूध बचा कर रख रही हैं... मजे हैं भाई हरीश के तो"...
दोनों हंसने लगे फिर तृप्ति ने कहा ...
"अरे ऐसी कोई बात नहीं ...अभी एक ही बार तो उसे पिलाया है और वैसे भी ...अभी वह यही रहेगा हमारे साथ पढ़ने के लिए... तो पिलाना तो उसको पड़ेगा ही मुझे,... तुझे तो पता है मुझे पिलाए बगैर रहा नहीं जाता मुझसे."
"हां हां... पता है कोई बात नहीं तृप्ति, मैं आज नहीं आऊंगी फिर कभी, पर यह बता तुझे किसी पिलाने में ज्यादा मजा आता है हरीश को या मुझे?"
"अरे मामो... तू और मैं... हम साल भर से हम एक दूसरे की संगिनी है... तेरा और उसका क्या मेल... पर ममता... मुझे एक बात बता... क्या तू... तू भी... हरीश को पिलाना चाहेगी"
"अरे मेरे स्तनों में दूध कहां... तुझे तो पता ही है... पर हां उसको चूसाना अच्छा लगेगा मुझे... बस यह ध्यान दें कि वह इससे आगे ना बढ़े. मैं नहीं चाहती कि मैं किसी और से संभोग क्रीडा में सम्मिलित हो जाऊं... अगर वह उतना कंट्रोल रखता है तो मैं खुशी से तुम दोनों को जॉइन करूंगी. पहले कभी... क्या कहते हैं उसे इंग्लिश में... थ्रीसम नहीं किया है कर सकते हैं... तेरे पति के साथ ना करने की तेरी बात तो बिल्कुल ठीक थी तेरी.. अखिर वो पति पत्नी का रिश्ता है... लेकिन इसबार बात अलग है"
"बहुत बढ़िया मम्मो... ठीक है, मैं कुछ तरकीब लगाती हूं मुझे यह उससे कुबूल करवाना होगा कि वह हमारे इस खेल में संभोग ना शामिल करें... वैसे वो अभी बच्चा ही है शक्ल से तो ऐसा ही लगता है... उम्र में 20 का होगा"
"ठीक है ठीक है ...चलो फिर मिलते हैं फोन करना मुझे तृप्ति"
"ठीक है... बाय"
ममता... यह तृप्ति की पड़ोसन दो गलियां छोड़कर ही रहती है इसकी शादी होकर 2 साल हो गए लेकिन अभी तक कोई संतान प्राप्ति नहीं हुई... ममता के कहे अनुसार... वह दोनों फैमिली प्लानिंग कर रहे हैं... ममता दिखने में थोड़ी सांवली है लेकिन उसका फिगर काफी लुभावना है. स्तन की बात करें तो ममता तृप्ति के सामने कहीं भी नहीं ठहरती... जो सुडोल और सुंदर स्तनों का खिताब अगर दिया जाता तो मोहल्ले में ही नहीं सारे रांची में पहला खिताब तृप्ति को ही मिलता.
लगभग 4:30 को हरीश घर पर पहुंचा ...तृप्ति बेडरूम में पप्पू के साथ लेटी हुई थी. दरवाजे पर दस्तक सुनकर तृप्ति ने दरवाजा खोला. दीवार पर लगी घड़ी की ओर मुड़कर देखते हुए तृप्ति ने कहा...
"हरीश 4:30 हो गए सुबह का खा कर गए हो उसके बाद कुछ भी नहीं खाया होगा... इतना लेट क्यों हुए तुम?"
"अरे भाभी... 1 बजे मैंने बाहर दोस्तों के साथ झाल मुड़ी और मालपुए खा लिए हम" हरीश ने जुते उतारते हुए कहा...
"अच्छा तो फिर अब भूख है कि नहीं?"
"हां भाभी खाना लगा दीजिए"...
तृप्ति ने हरीश के लिए टेबल पर खाना परोस दिया और वह बगल वाली कुर्सी में बैठ हरीश के साथ बातें करने लगी, खाते समय बीच-बीच मैं हरीश का ध्यान उसके भाभी के स्तनों की ओर जा रहा था... और हरीश को यह महसूस हुआ कि आज उसके भाभी के स्तन... पहले से अधिक उभरे हुए लग रहे हैं. तृप्ति को उसका यह चोरी चोरी देखना मन ही मन अच्छा लग रहा था... खाना खाने के बाद हरीश टीवी देखने बैठ गया और तृप्ति थोड़ी देर बतिया कर बेडरूम में चली गई. पप्पू अभी तक सो रहा था.
कुछ समय बीतने पर... ना रहकर हरीश ने तृप्ति के बेडरूम की ओर जाकर देखा की भाभी इतनी देर से बेडरूम में क्या कर रही है... तो पाया कि तृप्ति पप्पू को दूध पिला रही थी. तृप्ति का विशाल स्तन पूरी तरह से बाहर था और दूसरा स्थान ब्लाउज में ढका हुआ था. पप्पू उसके छोटे छोटे हाथों से उस बड़े स्तन को पकड़े हुए आंखें मूंदे चूस रहा था... और तृप्ति के हाथ में कोई किताब थी जिसे वह पढ़ रही थी. हरीश के आने की आहट तृप्ति को अभी तक नहीं हुई थी. हरीश बिना आवाज किए वहीं खड़े खड़े उस गोरे स्तन को देख रहा था. थोड़े समय बाद तृप्ति को महसूस हुआ की दरवाजे पर हरीश खड़ा है और वह उसी को देखे जा रहा है... तो किताब बगल में रखते हुए तृप्ति ने कहा...
"अरे हरीश क्या हुआ... कुछ बात है?"...
"हां ...भाभी... मेरा... मेरा मतलब नहीं... मैं बस... यह देखने आया था कि आप बाहर टीवी देखने के लिए क्यों नहीं आ रही हो... और कुछ नहीं" हरीश थोड़ा डरते हुए बोला...
"ओ अच्छा... ठीक है... तुम बैठो मैं इसे दूध पिला कर आती हूं"
हरीश वहां से चला गया. इधर पप्पू अब भी स्तन से दूध पी रहा था... तृप्ति सोचने लगी कि अब मैं हरीश को किस तरह से रिझाऊंगी... कि वह तड़प कर खुद ही मुझसे पूछ बैठे की भाभी... मुझे अपना दूध पिलाओ... मुझे ऐसी सिचुएशन क्रिएट करनी पड़ेगी... थोड़ी देर बाद जब पप्पू ने तृप्ति का वह लंबा सुंदर सा निप्पल अपने मुंह से छोड़ दिया तब तृप्ति ने अपने स्तन को देखा और वह मुस्कुराई...
'मेरे स्तन का दर्शन मात्र करा दूं तो जरूर हरीश विवश हो जाएगा' ... ऐसा सोचते हुए तृप्ति बेड से उठी और इस बार उसने उसके खुले हुए स्तन को ब्लाउज के अंदर ना ढकते हुए केवल उसके साड़ी के पल्लू से ढक दिया... और वह पप्पू के साथ हॉल में आ गई. तृप्ति के आते ही हरीश की नजर जब तृप्ति के स्तनो की और गई तो वह अचंभित हो गया... उसे तृप्ति के पारदर्शी पल्लू की आड़ से उसका वह बड़ा सा निप्पल और उसका areola काफी साफ दिख रहा था.
इधर पप्पू ने अपने खिलौने निकालें और वह हॉल में उनके साथ खेलने लगा. तृप्ति किचन में गई और उसने कुछ सब्जी और छुरी लेकर वह हॉल में आ गई... टीवी के सामने बैठे बैठे सब्जी काटने लगी... हरीश ने यह देख कहा...
"भाभी क्या मैं... कोई मदद कर सकता हूं आपकी?"
"जब जरूरत होगी तब बोल दूंगी फिलहाल जरूरत नहीं... कैसा रहा तुम्हारा दिन... तुम्हारे ट्यूशन के सर का पढ़ाया... तुम्हें समझ आ रहा है ना हरीश?"
"हां हां... भाभी मुझे उनका पढ़ने का स्टाइल अच्छा लगा"
हरीश की नजर अब तृप्ति के उस खुले स्तन की तरफ थी जो अब भी तृप्ति के पल्लू की आड़ से हरीश को छुप-छुप के देख रहा था तृप्ति थोड़ी आगे झुक कर सब्जी काटने लगी... जैसे ही उसका हाथ आगे की ओर बढ़ता... पल्लू स्तन के ऊपर से जरा सा सरक जाता... और उसके निप्पल का दर्शन हरीश को हो जाता. बहुत ही मनमोहक दृश्य था वह ओ हो... हो... हो... इस बार तो हरीश बिल्कुल अंदर से जलने लगा... ऐसी तड़प थी वो... रोका भी ना जाए और कुछ करना भी मुश्किल... तृप्ति अपनी आंख के कौनो से हरीश को देख रही थी और हरीश की नजर उन लुका छुपी खेलते हुए बड़े से निप्पल की ओर थी... कुछ देर बाद तृप्ति कटी हुई सब्जी लेकर फर्श से उठने लगी.... सब्जी उठाते वक्त उसका पल्लू ढल गया और उसका वह बड़ा स्तन पूरा नंगा हो गया...
हरीश बिना शर्म के अब सीधे तृप्ति के उस बड़े से स्तन को ही देखे जा रहा था... तृप्ति उठी तो उसने देखा कि उसका पल्लू ढला हुआ है और हरीश उसी के स्तन की ओर मुंह खोले देखे जा रहा है... तृप्ति उसी तरह किचन में चली गई और वह सब्जी बनाने लगी... इधर हरीश अब पूरी तरह उत्तेजित हो चुका था लेकिन उसे यह डर भी था कि अगर, वह खुद कुछ करें तो हो सकता है उसे यह घर ही क्या यह शहर छोड़कर वापस गांव जाना पड़ेगा... इसलिए वह किसी तरह अपने आप को कंट्रोल कर रहा था.
थोड़ी देर बाद तृप्ति किचन से हॉल में आई उसने पप्पू को उठाया और वह बेडरूम में चली गई. हरीश अब अपने मोबाइल पर कुछ मैसेज कर रहा था. थोड़ी देर बाद उसे पप्पू के रोने की आवाज सुनाई दी, तो वह हॉल से उठकर बेडरूम की और चला गया. दरवाजे पर जाते की तृप्ति ने उसे देखा और उसने पप्पू की ओर देखते हुए कहा...
"देखो जल्दी से दूदू पी लो... वरना मैं तुम्हारा दूदू चाचा को पिला दूंगी"
पप्पू ने ना में सिर हिलाया...
"तो फिर मैं चाचा को पिला दूं?"...
पप्पू तृप्ति की ओर देखने लगा यह सब सुन हरीश के कदम अपने आप बेडरूम के अंदर खींचे चले गए... उसने चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कुराहट लाई और वो तृप्ति के बगल में बेड के ऊपर बैठ गया और कभी पप्पू को तो कभी तृप्ति के स्तन को देख रहा था... तृप्ति ने अपना स्तन खुला ही रखा था उसके स्तन का वह निप्पल थोड़ा गिलासा था शायद पप्पू की लार से ने उसे... फिर तृप्ति ने कहा
"देखो पप्पू तुम पी लो हां... Sss... वर्ना चाचा को मैं दे रही हूं पप्पू का दूदू.... चाचाsss पी लो चाचा... पप्पू का दूदू पी लो" ...
यह कहते हुए तृप्ति ने उसके हाथ से स्तन को ऊपर उठाया और हरीश को दूसरे हाथ से झुकनेक का इशारा किया... हरीश वैसे ही बेचैन था और आश्चर्य की लहरें उसके दिलो-दिमाग पर हावी हो गई थी... वह झुका... तृप्ति ने आपना निप्पल दो उंगलियों के बीच पकड़ा और हरीश के मुंह के पास सरकाया...
"पिलाउ चाचा को?... पिलाऊ पप्पू का दूदू?... चाचा पी लेगा... फिर पप्पू को दूदू नहीं मिलेगा... पी लो चाचा तुम ही पी लो पप्पू का दूध"
ऐसा कहते ही हरीश ने तृप्ति का निप्पल अपने मुंह में ले लिया और वह हल्के हल्के उसे चूसने लगा इधर तृप्ति ने एक पल के लिए हरीश के और देखा और फिर पप्पू की ओर देखते हुए कहा
"देखो चाचा साsssरा दूधू पी जाएंगे... जल्दी से आओ अपना दूध पियो... जल्दी आओ इधर पप्पू मेरा राजा बेटाsss"
हरीश को निप्पल मुह में लिये देख पप्पू, जो थोड़ी दूरी पर खड़ा था... वह दौड़कर तृप्ति के स्तन के और आया और आते ही तृप्ति ने हरीश को हल्के से पीछे धकेला... हरीश ने निप्पल मुंह से जल्दी छोड़ा नहीं... तो वह निप्पल थोड़ा खींचा गया तृप्ति के मुह से एक हल्की सी सिसकी निकली और वह लंबा सा निप्पल हरीश के मुंह से छूट गया... और तभी पप्पू ने ऊपर खड़े होकर तृप्ति का निप्पल अपने मुंह में ले लिया और वह चूसने लगा... यह देख तृप्ति ने पप्पू के बालों को सहलाया और वह मुस्कराई... उसने हरीश की ओर देखा और कहा...
"इसको ऐसे ही करना पड़ता है... जब प्रतीक होते हैं तो वह भी ऐसा करें तभी यह पीता है वरना जिद करता है... थैंक्यू हरीश"
हरीश बड़ी सी मुस्कान लिए बोला
"बहुत प्यारा है पप्पू... और इसमें थैंक यू की क्या बात है भाभी" ...
यह कहकर हरीश पप्पू की ओर देखने लगा जो तृप्ति के स्तनों को चूसे जा रहा था... उसके होठों के कोने से दूध की कुछ बूंदे बाहर आ रही थी.
Great update and thank you jaldi se update dene ke liyeChapter 05- तिकड़ी
स्तनपान के साथ-साथ तृप्ती को... लोगों को जलाना या यूं कह लें तड़पाना... बहुत अच्छा लगता था. जब वह अपने स्तनों की हल्की सी झांकी किसी पर पुरुष को दिखाती... और जब वह पुरुष बेचैन हो जाता... तो उस बेचैनी को देखकर तृप्ति को एक अलग सा नशा हो जाता था... इसी चक्कर में कभी-कभी तृप्ति को परेशानी भी झेलनी पड़ती थी... कुछ लोग कामातूर हो कर उसे छूने की कोशिश करते... एक बार तो तृप्ति को बस में चिल्लाना पाड़ा था... क्यू के बगल में बैठा शख्स सारी के ऊपर से ही तृप्ति की योनि पे हाथ फेर रहा था... इसीलिए उस दिन से तृप्तीने इस तरह की हरकतें बंद कर दी थी....
अगले दिन तृप्ति को प्रतीक का फोन आया.. फोन पर प्रतीक ने बताया कि उसे आने में लगभग 2 हफ्ते और लगेंगे... है यह सुनकर तृप्ति थोड़ी नाराज जरूर हुई.. लेकिन उसका मन हरीश को लेकर अब और ज्यादा दृढ़ हो चला था फिर उसने दोबारा दोपहर में प्रतीक को फोन लगाया और उसे सारी बात बताई...
फिर बातों बातों में तृप्ति ने प्रतीक को इस बात के लिए मना लिया कि अब वो हरीश को स्तनपान करा सकती है जब प्रतीक ने हामी भर दी तो तृप्ति मन ही मन खुश हो गई...
हरीश अपने ट्यूशन क्लास के लिए घर से बाहर था और तृप्ति पप्पू को सुला कर हॉल में बैठी हुई थी. उसके स्तनों में दूध भर जाने से उसे हल्का हल्का दर्द भी हो रहा था... फिर उसने ममता को फोन लगाया
"हेलो मम्मो क्या कर रही है तू?"
"बोलिए तृप्ति मैडम... कैसी है आप?... और दोपहर में मुझे याद करने का कारण अच्छी तरह से पता है मुझे"...
"अरे क्या करूं... दर्द दे रहे हैं ...आएगी ?"
"मुझे एक घंटा भर समय लगेगा... मैं थोड़ा बिजी हूं... आज मेरे पति ने छुट्टी ली... है उनकी तबीयत ठीक नहीं... एक डेढ़ घंटे में मैं आ सकती हूं"
"ठीक है मम्मो... मैं तेरा वेट करूंगी.... हो सके तो जल्दी आना"
कहते हुए तृप्ति ने फोन कट किया... और खाना बना के लिए वो रसोई घर में चली गई...रसोई का सारा काम होने के बाद तृप्ति हॉल में बैठी हुई थी ...स्तनों में दूध के भर जाने से अब दर्द और बढ़ रहा था और ऐसे वक्त में तृप्ति अपने स्तनों को निचोड़ कर दूध नहीं निकाल सकती थी क्युकी उससे उसको और दर्द होता.
ऐसे समय पर तृप्ति के पास एक temporary इलाज था.. उसने उसका छेदों वाला ब्लाउज पहन लिया... इस ब्लाउज के स्तनों के जगह पर दो बड़े बड़े छेद बनाए गए थे... जिसमें से तृप्ति के निप्पल और उसका areola ब्लाउज के बाहर ही रहता और छेदों के हल्के से प्रेशर से धीरे धीरे दुध की बूंदें बाहर आने लगती... किसी के आने पर तृप्ति अपने खुले nipples को पल्लू से ढक लेती फिर भी पल्लू से ढकने के बावजूद उसके निप्पल लंबे और बड़े होने के कारण... वह रंग से नहीं लेकिन आकार से साफ दिखाई देते थे
तृप्ति ने वह ब्लाउज पहन लिया और वह पल्लू को साइड में कर पंखे के नीचे अपने nipples को खुला रखते हुए टीवी देख रही थी बीच-बीच में वह अपने निप्पल को हल्के हल्के सहला रही थी... थोड़ी ही देर बाद दरवाजे पर बेल की आवाज सुनाई दी... तृप्ति ने अपना पल्लू ओढ़ते हुए दरवाजा खोला तो देखा की दरवाजे में ममता खाड़ी थी...
"ओsss मम्मो... तू आ गई!... आजा... अंदर आ जा"...
ममता अंदर आ गई और तृप्ति ने दरवाजा धकेल दिया... ममता सोफे पर बैठ गयी... तृप्ति ने खडे खडे ही अपना पल्लू हटाया और कहा...
"देख मम्मो... कितने दर्द दे रहे हैं... दूध से भरे हुए हैं... अब तू पानी पिए गी या दूध?"...
ममता मुस्कुरा कर बोली...
"अरे पगली... अभी तेरा दूध ही पियूंगी... चल बेडरूम में"
तब तृप्ति ने कहा... "नहीं नहीं... यही पी ले... आजा बिस्तर पर मैं तुझे पिलाती हूं... जल्दी आ ममता... मेरे स्तनों में बहुत दूध भरा हुआ है"
यह कहकर तृप्ति टीवी के सामने लगे हुए बिस्तर पर एक बदन पर लेट गई... फिर ममता बगल में लेट गई... ममता ने धीरे से उसका दाया स्तन का निप्पल अपने मुंह में ले लिया... और वह बड़े प्यार से तृप्ति के निप्पल को चूसने लगी... चूसना शुरू करते ही ममता के मुंह में तृप्ति के दूध की एक धार सी निकल गई... और तृप्ति का मीठा मीठा दूध बहने लगा...
"ओ ओ... ओ.. मम्मो पीले... सारा दूध खत्म कर... कितना अच्छा लगता है जब तू मेरा दूध पीती है... ओ ओ sss.. आsss ह्म्म ss"
ममता तृप्ति की ओर नजरें उठा कर देख रही थी... साथ ही उसने हल्के हल्के उसका निप्पल चूसना जारी रखा... और वह मुंह में निप्पल रखे हुए ही मुस्कुराते हुए उसे देखने लगी... तृप्ति ने आंखें बंद कर ली और वह ममता की बालों को सहलाने लगी... लगभग 5 मिनट हुए होंगे कि अचानक दरवाजा हल्के से खुल गया... और हरीश अंदर आ गया ...दरवाजे की आवाज सुनकर ममता ने तृप्ति का निप्पल अपने मुंह से निकाला और वह दरवाजे की ओर देखने लगी...
"ओहsss हरीश... आज तुम जल्दी कैसे आ गए?"
"हां भाभी वह... मेरी... बायोकेमेस्ट्री की क्लास आज नहीं थी... मेरे सर बीमार है तो ट्यूशन जल्दी खत्म हो गया... आप ये क्या?... ओ ss... ठीक है मैं अंदर जाता हूं"
ममता और तृप्ति थोड़े से झेंप गए थे... हरीश ने दरवाजा लगाया और वह बाथरूम की ओर चला गया... ममता ने कहा
"अरे पागल... तूने दरवाजा अंदर से क्यों नहीं लगाया?... अब क्या होगा?"...
"कुछ नहीं मम्मो... मुझे नहीं पता था कि हरीश इतनी जल्दी आएगा... उसको आने में और डेढ़ घंटा था... पर तू फिक्र मत कर... एक तरह से अच्छा ही हुआ... तूने कहा था ना कि हम तीनों एक साथ... स्तनपान करेंगे!.. आज वो दिन आ गया है"...
Harish ka bhagya khulega pata tha... Lekin itni jaldi woh bhi bhai ke razamandi k saath, iska idea nhi tha... Next update kripya thoda jaldi dijiyega.Chapter 05- तिकड़ी
स्तनपान के साथ-साथ तृप्ती को... लोगों को जलाना या यूं कह लें तड़पाना... बहुत अच्छा लगता था. जब वह अपने स्तनों की हल्की सी झांकी किसी पर पुरुष को दिखाती... और जब वह पुरुष बेचैन हो जाता... तो उस बेचैनी को देखकर तृप्ति को एक अलग सा नशा हो जाता था... इसी चक्कर में कभी-कभी तृप्ति को परेशानी भी झेलनी पड़ती थी... कुछ लोग कामातूर हो कर उसे छूने की कोशिश करते... एक बार तो तृप्ति को बस में चिल्लाना पाड़ा था... क्यू के बगल में बैठा शख्स सारी के ऊपर से ही तृप्ति की योनि पे हाथ फेर रहा था... इसीलिए उस दिन से तृप्तीने इस तरह की हरकतें बंद कर दी थी....
अगले दिन तृप्ति को प्रतीक का फोन आया.. फोन पर प्रतीक ने बताया कि उसे आने में लगभग 2 हफ्ते और लगेंगे... है यह सुनकर तृप्ति थोड़ी नाराज जरूर हुई.. लेकिन उसका मन हरीश को लेकर अब और ज्यादा दृढ़ हो चला था फिर उसने दोबारा दोपहर में प्रतीक को फोन लगाया और उसे सारी बात बताई...
फिर बातों बातों में तृप्ति ने प्रतीक को इस बात के लिए मना लिया कि अब वो हरीश को स्तनपान करा सकती है जब प्रतीक ने हामी भर दी तो तृप्ति मन ही मन खुश हो गई...
हरीश अपने ट्यूशन क्लास के लिए घर से बाहर था और तृप्ति पप्पू को सुला कर हॉल में बैठी हुई थी. उसके स्तनों में दूध भर जाने से उसे हल्का हल्का दर्द भी हो रहा था... फिर उसने ममता को फोन लगाया
"हेलो मम्मो क्या कर रही है तू?"
"बोलिए तृप्ति मैडम... कैसी है आप?... और दोपहर में मुझे याद करने का कारण अच्छी तरह से पता है मुझे"...
"अरे क्या करूं... दर्द दे रहे हैं ...आएगी ?"
"मुझे एक घंटा भर समय लगेगा... मैं थोड़ा बिजी हूं... आज मेरे पति ने छुट्टी ली... है उनकी तबीयत ठीक नहीं... एक डेढ़ घंटे में मैं आ सकती हूं"
"ठीक है मम्मो... मैं तेरा वेट करूंगी.... हो सके तो जल्दी आना"
कहते हुए तृप्ति ने फोन कट किया... और खाना बना के लिए वो रसोई घर में चली गई...रसोई का सारा काम होने के बाद तृप्ति हॉल में बैठी हुई थी ...स्तनों में दूध के भर जाने से अब दर्द और बढ़ रहा था और ऐसे वक्त में तृप्ति अपने स्तनों को निचोड़ कर दूध नहीं निकाल सकती थी क्युकी उससे उसको और दर्द होता.
ऐसे समय पर तृप्ति के पास एक temporary इलाज था.. उसने उसका छेदों वाला ब्लाउज पहन लिया... इस ब्लाउज के स्तनों के जगह पर दो बड़े बड़े छेद बनाए गए थे... जिसमें से तृप्ति के निप्पल और उसका areola ब्लाउज के बाहर ही रहता और छेदों के हल्के से प्रेशर से धीरे धीरे दुध की बूंदें बाहर आने लगती... किसी के आने पर तृप्ति अपने खुले nipples को पल्लू से ढक लेती फिर भी पल्लू से ढकने के बावजूद उसके निप्पल लंबे और बड़े होने के कारण... वह रंग से नहीं लेकिन आकार से साफ दिखाई देते थे
तृप्ति ने वह ब्लाउज पहन लिया और वह पल्लू को साइड में कर पंखे के नीचे अपने nipples को खुला रखते हुए टीवी देख रही थी बीच-बीच में वह अपने निप्पल को हल्के हल्के सहला रही थी... थोड़ी ही देर बाद दरवाजे पर बेल की आवाज सुनाई दी... तृप्ति ने अपना पल्लू ओढ़ते हुए दरवाजा खोला तो देखा की दरवाजे में ममता खाड़ी थी...
"ओsss मम्मो... तू आ गई!... आजा... अंदर आ जा"...
ममता अंदर आ गई और तृप्ति ने दरवाजा धकेल दिया... ममता सोफे पर बैठ गयी... तृप्ति ने खडे खडे ही अपना पल्लू हटाया और कहा...
"देख मम्मो... कितने दर्द दे रहे हैं... दूध से भरे हुए हैं... अब तू पानी पिए गी या दूध?"...
ममता मुस्कुरा कर बोली...
"अरे पगली... अभी तेरा दूध ही पियूंगी... चल बेडरूम में"
तब तृप्ति ने कहा... "नहीं नहीं... यही पी ले... आजा बिस्तर पर मैं तुझे पिलाती हूं... जल्दी आ ममता... मेरे स्तनों में बहुत दूध भरा हुआ है"
यह कहकर तृप्ति टीवी के सामने लगे हुए बिस्तर पर एक बदन पर लेट गई... फिर ममता बगल में लेट गई... ममता ने धीरे से उसका दाया स्तन का निप्पल अपने मुंह में ले लिया... और वह बड़े प्यार से तृप्ति के निप्पल को चूसने लगी... चूसना शुरू करते ही ममता के मुंह में तृप्ति के दूध की एक धार सी निकल गई... और तृप्ति का मीठा मीठा दूध बहने लगा...
"ओ ओ... ओ.. मम्मो पीले... सारा दूध खत्म कर... कितना अच्छा लगता है जब तू मेरा दूध पीती है... ओ ओ sss.. आsss ह्म्म ss"
ममता तृप्ति की ओर नजरें उठा कर देख रही थी... साथ ही उसने हल्के हल्के उसका निप्पल चूसना जारी रखा... और वह मुंह में निप्पल रखे हुए ही मुस्कुराते हुए उसे देखने लगी... तृप्ति ने आंखें बंद कर ली और वह ममता की बालों को सहलाने लगी... लगभग 5 मिनट हुए होंगे कि अचानक दरवाजा हल्के से खुल गया... और हरीश अंदर आ गया ...दरवाजे की आवाज सुनकर ममता ने तृप्ति का निप्पल अपने मुंह से निकाला और वह दरवाजे की ओर देखने लगी...
"ओहsss हरीश... आज तुम जल्दी कैसे आ गए?"
"हां भाभी वह... मेरी... बायोकेमेस्ट्री की क्लास आज नहीं थी... मेरे सर बीमार है तो ट्यूशन जल्दी खत्म हो गया... आप ये क्या?... ओ ss... ठीक है मैं अंदर जाता हूं"
ममता और तृप्ति थोड़े से झेंप गए थे... हरीश ने दरवाजा लगाया और वह बाथरूम की ओर चला गया... ममता ने कहा
"अरे पागल... तूने दरवाजा अंदर से क्यों नहीं लगाया?... अब क्या होगा?"...
"कुछ नहीं मम्मो... मुझे नहीं पता था कि हरीश इतनी जल्दी आएगा... उसको आने में और डेढ़ घंटा था... पर तू फिक्र मत कर... एक तरह से अच्छा ही हुआ... तूने कहा था ना कि हम तीनों एक साथ... स्तनपान करेंगे!.. आज वो दिन आ गया है"...
yes awaiting an updateHarish ka bhagya khulega pata tha... Lekin itni jaldi woh bhi bhai ke razamandi k saath, iska idea nhi tha... Next update kripya thoda jaldi dijiyega.